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उसकी पलको पर भी आँसू छलक आए. उसे अचानक अपनी माँ की याद आ गयी. उसके पापा तो बचपन मे ही उसका साथ छोड़ कर चले गये थे, पर बारह साल पहले जब वो खुद बारह साल का था तब उसकी माँ भी उसे और उसकी उस समय 9 साल की छोटी बहन काजल को छोड़ कर ना जाने कहाँ गायब हो गयी.
अर्जुन के कान समाज के ताने सुन सुन कर पक गये कि उसकी माँ एक बदचलन औरत थी क्यूकी उस जमाने मे किसी औरत के ऐसे अचानक गायब हो जाने पर सब उसे गंदी निगाहो से देखते थे.
पैसो की कोई कमी नही थी अर्जुन के पास और ना ही कोई रिश्तेदार थे उसके. थी तो बस उसकी प्यारी सी छोटी बहन काजल जिसे वो अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता था. वो एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे सीनियर सिविल इंजिनियर था और उसकी बेहन काजल लॉ स्कूल मे वकालत पढ़ रही थी.
शायद माँ बाप की कमी होने के वजह से ही अर्जुन इतना बिगड़ गया था, पर आज भी उसका दिल बहुत सॉफ था. उसे अंत तक यही लग रहा था कि बाकी लड़कियो की तरह सलमा नाटक कर रही है और आख़िर मे वो भी सब की तरह सेक्स एंजाय करेगी, पर उसका सोचना ग़लत साबित हुआ. आज तक उसकी लाइफ मे हमेशा मतलबी लड़किया ही आई थी जिन्हे पैसो के लिए बिस्तर गरम करना पड़े तो वो वह भी कर सकती थी. इसी कौतूहल मे शायद अर्जुन ने एक सच्चे प्यार को खो दिया था.
“तुमने आज मुझसे प्यार नही मेरा बलात्कार किया है...” उसके कानो मे अभी भी सलमा की कही हुई यह बात गूँज रही थी जो सीधे उसके दिल को छल्नी कर रही थी.
“ओह माइ गॉड...यह मैने वासना के नशे मे क्या कर दिया...मुझे सलमा के साथ ऐसा नही करना चाहिए था.” कहते हुए अर्जुन तुरंत उठा और अपना घर के बाहर झाँका इस उम्मीद मे कि शायद उसे सलमा दिखाई दे जाए, पर उसे सलमा दूर दूर तक नही दिखाई दे रही थी, दिखाई दे रहा था तो बस अंधेरे की वो काली चादर जो आसपास फैली हुई थी.
“कोई बात नही कल सलमा को कान पकड़ कर सॉरी कह दूँगा...शायद वो मुझे माफ़ कर दे...” अर्जुन अपने मन को झूठी तसल्ली दे रहा था क्यूकी वो जानता था कि जिस तरह से सलमा उस से रूठ कर गयी है वो उसे कभी माफ़ नही करेगी.
वापस बिस्तर पर आते ही उसे अपने सपने के बारे मे याद आया. वो वासना के भवर मे ऐसा फसा था कि उसे और कुछ याद ही नही रहा यहाँ तक कि वो कल आने वाले अपनी छोटी बहन काजल का बर्तडे भी भूल गया था.
“आर्जूउन्न्ं………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” अर्जुन को यह सपना याद हो गया था और हो भी क्यू ना, क्यूकी उसे यही सपना पिछ्ले दो महीनो से आ रहा था.
आज का दिन उसके लिए अच्छा नही था. उसके सर मे तेज़ दर्द हो रहा था इसीलये वो लेट गया, थकान की वजह से उसे ज़ोर से नींद आ रही थी. बिस्तर पर पड़े सलमा के खून के धब्बो को देख कर वो मायूस हो गया.
“आइ आम सॉरी सलमा......” वो बुद्बुदाया और अपनी आँखे बंद कर के सो गया.
सुबह उसकी नींद खुली तो बाहर तेज़ धूप थी. वो अंगड़ाई लेकर उठा और बेडशीट को धोने को डाल दिया. सुबह रोज़ की तरह एक्सर्साइज़ और अपना रुटीन करने के बाद वो साइट पर रवाना हो गया.
पूरा दिन उसका मन काम मे नही लग रहा था. दो ऐसी घटनायें थी जिसे सोच सोच कर उसके सर मे दर्द हो रहा था. एक तो उसने सलमा के साथ बहुत बुरा किया और दूसरा वो रहस्यमयी सपना जो उसे लगभग हर रात आता था. इस सपने से तो अब अर्जुन परेशान हो गया था और किसी साइकिट्रिस्ट को दिखाने की सोच रहा था. यह दिन भी आधा निकल गया. उसने सोचा कि सलमा के घर जाकर उस से माफी माँगेगा पर उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी. एक तरह से वो अपनी ही नज़रों मे गिर गया था.
अब तक तो शाम हो चली थी. मुंबई मे फिर से बारिश होने के आसार उमड़ रहे थे क्यूकी आसमान मे घने काले बादल फिर छा गये थे. वो वापस घर लौटने की सोच रहा था कि उसकी मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही उसने वो नंबर देखा उसे पसीने छूट गये. वो कॉल उसकी बहन काजल का था और अर्जुन जानता था कि वो उसका बर्तडे भूल गया है और वो यह भी जानता था कि काजल अब उस से पूरा दिन लड़ाई करती रहेगी.
“हेलो मेरी गुड़िया, हॅपी बर्तडे टू यू....तुम ऐसे ही हज़ार साल तक जियो, तुझे मेरी भी उमर लग जाए...मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा...” अर्जुन फोन पर बोला.
“पता है मुझे...मेरा बर्तडे भूल गये तो मस्का लगाने के लिए यह सब डाइलॉग बोल रहे हो...और आप तो चाहते ही हो कि मैं हज़ार साल बूढ़ी हो कर जियु....हुहम.” काजल मूह बिचका कर बोली.
“अरे नही ऐसा कुछ नही है...क्या मेरी गुड़िया रानी ऐसा सोचती है कि उसका भाई उसका बर्तडे भूल जाएगा...अब देख मैं तेरे लिए पुर मुंबई मे एक गिफ्ट तलाश कर रहा था जो अब जा कर मुझे मिला है...उपर से मैं तो तुझे सर्प्राइज़ देने वाला था इसीलिए फोन भी नही किया...” अर्जुन माथे पर पसीना पोछता हुआ बोला. उसने किसी तरह बात संभाल ली थी.
“अच्छा अच्छा ठीक है चलो ज़्यादा झूठ मत बोलो...अब यह बताओ कि क्या गिफ्ट लिए हो मेरे लिए.”
“सर्प्राइज़ है...तेरे अपार्टमेंट पर आके ही तुझे तेरा गिफ्ट दूँगा...अब चल फोन रखता हू...बाइ”
“पर जल्दी आना पार्टी शुरू होने वाली है...बाइ” उधर से काजल ने भी फोन काट दिया.
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Re: काले जादू की दुनिया
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“अच्छा अच्छा ठीक है चलो ज़्यादा झूठ मत बोलो...अब यह बताओ कि क्या गिफ्ट लिए हो मेरे लिए.”
“सर्प्राइज़ है...तेरे अपार्टमेंट पर आके ही तुझे तेरा गिफ्ट दूँगा...अब चल फोन रखता हू...बाइ”
“पर जल्दी आना पार्टी शुरू होने वाली है...बाइ” उधर से काजल ने भी फोन काट दिया.
अब आगे..........................................................
अर्जुन भाग कर अपने घर गया और गिफ्ट का डब्बा उठा लिया जिसे उसने कयि महीने पहले ही काजल के बर्तडे के लिए खरीद लिया था, इस डर से कि बर्थ’डे के दिन कही यह आउट ऑफ स्टॉक ना हो जाए, यहाँ तक कि उसने काजल के लिए अड्वान्स मे ही तीन चार बर्थ’डेज़ के लिए गिफ्ट्स खरीद लिया था, इतना प्यार करता था वो अपनी बहन से, आख़िरकार बस एक वोही थी जिसे वो अपना परिवार कह सकता था.
शाम तक अर्जुन लोखंडवाला स्थित अपनी बहन के अपार्टमेंट पहुच गया. अपनी कार को बाहर लगाते हुए उसे और भी बहुत सी गाड़ियाँ दिखी जिस से वो समझ गया की काजल की पार्टी मे बहुत से लोग आए थे.
जब उसने अपार्टमेंट का दरवाज़ा खोला तो अंदर बिल्कुल किसी डिस्को जैसा महॉल था. पार्टी पूरे ज़ोरो पर थी. चारो तरफ लड़के कम और लड़किया ज़्यादा जो उसके कॉलेज के फ्रेंड्स थे और फिल्मी गानो की धुनो पर थिरक रहे थे. लिविंग रूम को किसी क्लब डिस्को का रूप दे दिया गया था. लाइट्स डिम कर के ग्रीन लेज़र्स से महॉल देखने लायक था.
“वाउ काजल ने तो जबरदस्त पार्टी का बंदोबस्त किया है...” सोचते हुए अर्जुन अंदर आ गया.
उसे दूर कोने पर काजल अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ पार्टी एंजाय करते हुए दिखाई दी. जैसे ही काजल की नज़र अर्जुन पर पड़ी वो दौड़ के आई और सीधे अपने भाई के गले लग गयी.
“हॅपी 21स्ट बर्थडे स्वीटी.....” अर्जुन ने ज़ोर से काजल के कानो मे कहा क्यूकी वहाँ म्यूज़िक बहुत तेज़ बज रहा था.
“थॅंक यू सो मच भैया...आइ लव यू...” कहते हुए काजल फिर से एक बार अर्जुन के गले लग गयी. पर जब उसे याद आया कि शाम को वो अपने भाई से नाराज़ थी तो उसने नाटक करते हुए बुरा सा मूह बना लिया, “मैं ग़लत बोल गयी....आइ हेट यू भैया...” उसने बिदकते हुए कहा.
अर्जुन जानता था काजल उस से नाराज़ ज़रूर होगी इसीलिए उसने मुस्कुरा कर कहा, “ठीक है तो फिर यह गिफ्ट तुम्हे नही मिलेगी...” बोलते हुए अर्जुन ने अपनी ब्लू जीन्स मे हाथ डाला और एक डिब्बा निकाल लिया.
“क्या है भैया इसमे...” काजल गिफ्ट देख के उत्सुकतावश उच्छल पड़ी. अभी गिफ्ट खुला भी नही था पर उसकी खुशी उसके खूबसूरत चेहरे से सॉफ देखी जा सकती थी.
“पहले बोलो...आइ लव यू भैया फिर पता चलेगा तुम्हे कि इसके अंदर क्या है...” अर्जुन मुस्कुरा रहा था.
“ओह्ह भैया अब बता भी दो ना क्या है गिफ्ट....” काजल अपने पैर पटकते हुए बोली. अपने भैया के सामने वो अभी भी बिल्कुल भोली भाली बच्ची बनी रहती थी.
“ना..ना...ना...पहले कहो आइ लव यू भैया....”
“भैया आप तो जानते हो मैं आपसे कितना प्यार करती हू....आइ लव यू भैया...” कहते हुए काजल अपने पंजो पर खड़ी हो कर अर्जुन के गालो पर हौले चूम लेती है.
“ह्म्म्मअ....अब ठीक है....यह देखो...” कहते हुए अर्जुन ने वो छोटा सा बॉक्स खोला और उसमे से एक प्लॅटिनम का बेहद आकर्षक ब्रेस्लेट निकाला और काजल की नाज़ुक कलाई मे पहना दिया.
एक पल के लिए तो काजल उस गिफ्ट को देखती रह गयी, उसपे लिखा था “फॉर माइ लविंग सिस काजल” जिसे देख कर काजल की आँखो मे खुशी के आँसू आ गये. उसके लिए तो अर्जुन ही उसका डॅड था और अर्जुन ही मोम था, जब से उसने होश संभाला है तब से अर्जुन ही उसके लिए हर रिश्ता निभा रहा है.
“अरे मेरी गुड़िया रानी की आँखो मे आँसू....क्या गिफ्ट पसंद नही आया...”
“नही भैया ऐसी बात नही है....युवर गिफ्ट ईज़ सो ब्यूटिफुल...पर बहुत एक्सपेन्सिव लग रही है...कितनी की है..”
“मैने यह तेरे लिए स्पेशली पॅरिस से माँगाया है....वो भी दो लाख रुपय मे...”
“वाउ भैया....यू आर टू ग्रेट...पर आपको इतने पैसे सिर्फ़ एक ब्रेस्लेट पर नही खर्च करने चाहिए थे....मैं आपकी छोटी बहन हू....आप प्यार से कोई मिठाई भी खिला देते तो वो भी मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट ही होता...” कहते हुए काजल फिर से अपने भैया के गले लग गयी.
“मेरी बहन पे तो मेरी सारी दौलत कुर्बान है....वैसे मैं देख रहा हू तू भी बहुत डायलॉग वायलॉग मारने लग गयी है...यह सब मिठाई विठाई का डायलॉग कहाँ से सीखा तूने...?”
काजल ने कुछ नही कहा, उसके लिए तो उसका भाई बस उसके पास था यही सबसे बड़ा गिफ्ट था उसके लिए, पर उसकी आँखे एक और शक्स को ढूंड रही थी. काजल को किसी और का भी इंतेज़ार था.
“अच्छा चल अब तू जा और अपने दोस्तो के साथ पार्टी एंजाय कर मैं अंदर जा कर बैठता हू....”
“भैया आज रात आप अपने घर नही जाओगे....आज आपको यही रुकना है मेरे पास...समझे.” काजल जैसे बोल कम ऑर्डर ज़्यादा दे रही थी.
“ठीक है मेरी माँ....मैं सब समझ गया ...अब तू जा नही तो तेरे दोस्त सोचेंगे कि अपने भाई के आते ही तू उनको भूल गयी...”
“वैसे भैया दोस्तो से याद आया वो मेरी दोस्त है ना नेहा, वो मुझसे बोल रही थी कि वो आपसे दोस्ती करना चाहती है...वो आपको पसंद करती है...बोलो तो बात करा दूं उस से...”
“नही काजल आज मूड नही यह सब करने का...तू जा और पार्टी एंजाय कर..”
“अब बहुत सीधे मत बनो भैया...मुझे पता है आप कितने बड़े फ्लर्ट हो...जहाँ लड़की देखी नही कि सीधे उसके पीछे ही पड़ जाते हो....”
एक पल के लिए तो अर्जुन अपनी बहन की चुलबुली बातो को सुनकर मुस्कुरा पड़ा पर जैसे ही उसे सलमा के बारे मे याद आया, उसके चेहरे की हँसी गायब हो गयी.
“क्या हुआ भैया एनी प्राब्लम....पहले तो तुम लड़की का नाम सुनते ही अपने असली रंग मे आज आते थे...आज क्या हुआ...?”
“कुछ नही मेरी जान....अब खाली मेरी एंक्वाइरी ही करती रहेगी क्या...”
“ओके भैया...मैं जाती हू पर आपको बताना तो पड़ेगा ही...हुहम” कहते हुए काजल अपने दोस्तो के साथ डॅन्स करने लगी और सबको अपने भैया का गिफ्ट दिखाने लगी.
इधर अर्जुन लिविंग रूम जो डिस्को बना हुआ था उस से निकल कर बेडरूम मे आ गया और वहाँ उसके लिए पहले से रखी हुई दारू पीने लगा.
आधी रात से पहले तक पार्टी ख़तम हो चुकी थी. सब लोग जा चुके थे. अब काजल ने सोचा कि चलो भैया के पास थोड़ी देर बैठा जाए.
“तेरे सारे दोस्त चले गये क्या...” अर्जुन ने कहा जब उसने काजल को कमरे के अंदर आते हुए देखा.
“हाँ भैया...पार्टी ओवर...अब मैं एक 21 साल की बुढ़िया हो गयी हू...” काजल हंसते हुए बोली. वो दिखने मे बहुत ही क्यूट थी. उसका रंग गोरा था पर वो हल्की सी हेल्थि थी, शायद अर्जुन ने बचपन मे उसे बहुत ज़्यादा खाना खिला दिया था.
“इस हिसाब से तो मैं भी 24 साल का बुड्ढ़ा हो गया हू...” अर्जुन भी चटकारे लेते हुए बोला. पर आज उसकी हँसी थोड़ी फीकी नज़र आ रही थी जिसे काजल महसूस कर सकती थी
“वैसे भैया कुछ तो है जो आप मुझे बताना नही चाहते....”
“कुछ नही है स्वीटी...बस काम का थोड़ा टेन्षन है...अब रात बहुत हो गयी है तू अब अपने कमरे मे जा और सो जा...”
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“तेरे सारे दोस्त चले गये क्या...” अर्जुन ने कहा जब उसने काजल को कमरे के अंदर आते हुए देखा.
“हाँ भैया...पार्टी ओवर...अब मैं एक 21 साल की बुढ़िया हो गयी हू...” काजल हंसते हुए बोली. वो दिखने मे बहुत ही क्यूट थी. उसका रंग गोरा था पर वो हल्की सी हेल्थि थी, शायद अर्जुन ने बचपन मे उसे बहुत ज़्यादा खाना खिला दिया था.
“इस हिसाब से तो मैं भी 24 साल का बुड्ढ़ा हो गया हू...” अर्जुन भी चटकारे लेते हुए बोला. पर आज उसकी हँसी थोड़ी फीकी नज़र आ रही थी जिसे काजल महसूस कर सकती थी.
“वैसे भैया कुछ तो है जो आप मुझे बताना नही चाहते....”
“कुछ नही है स्वीटी...बस काम थोड़ा टेन्षन है...अब रात बहुत हो गयी है तू अब अपने कमरे मे जा और सो जा...”
“नही भैया....मैं आपकी छोटी बहन हू...मैं अपने भैया को सबसे अच्छि तरह से जानती हू...कुछ तो हुआ है जिस से तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ है...”
“अरे नही गुड़िया...कुछ नही हुआ है...थोड़ा थक गया था बस...”
“ठीक है जब तक नही बताओगे तब तक मैं ऐसे ही यहाँ बैठी रहूंगी और सोने नही जाउन्गि....हुह”
अर्जुन जानता था अपनी बहन के सामने उसकी एक नही चलने वाली. उसने गहरी साँस ली और कहा, “क्या बताऊ काजल...एक नही दो दो बात है जिनसे मैं बहुत परेशान हू...” बोलते हुए अर्जुन शराब का घूँट पीने लगा.
पहले तो काजल को अर्जुन का शराब पीना बिल्कुल अच्छा नही लगता था इसीलिए उसने हाथ आगे बढ़ा कर उसके हाथो से शराब से भरा ग्लास छीन लिया और बोली, “मेरे सामने आप शराब को हाथ भी नही लगाओगे....समझे...अब बताओ कॉन सी वो दोनो बातें है जो आपको परेशान कर रही है...”
शराब छिन जाने के बाद अर्जुन ने अपनी जेब से सिगरेट और एक लाइटर निकाल लिया और उसे जलाते हुए बोला, “अरे छोड़ ना यार...मैं तुझे यह सब बता के फालतू की टेन्षन नही देना चाहता....तू बस अपने पढ़ाई और कॉलेज पे ध्यान दे...”
काजल को अर्जुन का सिगरेट पीना भी नागवार गुजरा और उसने वो भी उसके मूह से छीन ली और घूर के अपने भाई की ओर देखने लगी.
अर्जुन जानता था कि अब काजल बिना बात जाने वहाँ से उठेगी नही. वो बिस्तर से उठा और बाहर खिड़की की ओर चल दिया. बाहर तेज़ बारिश हो रही थी. घर के अंदर तो पता ही नही चल रहा था कि बाहर का मौसम कैसा है.
“भैया कुछ बोलोगे भी या नही....” काजल भी उठ गयी और अपने भैया के पीछे खड़ी हो गयी.
“पहली बात जो बताने जा रहा हू पर उसे सुन कर तुम मुझसे नाराज़ मत होना...” अर्जुन ने बाहर देखते हू कहा.
“आप जानते हो भैया मैं आपके किसी बात से नाराज़ नही होती...अब जल्दी बताओ यह सस्पेनस से मेरे पेट मे दर्द होने लगा है...”
“तुम सलमा को जानती थी ना...?” अर्जुन ने काजल से पूछा.
“हाँ जानती थी....तुम लोग करीब 6 महीने से रिलेशन्षिप मे हो...मैं उस से मिल भी चुकी हू....शी ईज़ आ वेरी नाइस गर्ल...पहली बार तुम्हे कोई ढंग की लड़की मिली है नही तो पहले जो लड़किया थी उन्हे तुम मे कम और तुम्हारे पैसे मे ज़्यादा इंटेरेस्ट था..”
अर्जुन बोला “वो आज मेरे घर आई दो महीने बाद. मैं इतने दिनो से किसी लड़की के साथ नही था. मेरे अंदर का मर्द रह रह कर उफान मार रहा था. और जब वो आई तब वो सब उस बेचारी पर निकल गया...”
“मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा है.....” काजल हैरानी से बोली.
“आज कामवासना मे अंधे हो कर मैने वो कर दिया जिसे ना करने का वादा मैने सलमा से किया था. उसके सारे जज़्बातो की धज्जिया उड़ा दी मैने. उसके मूह पर कालिख पोत दी है मैने.” कहते हुए अर्जुन का गला भारी हो गया.
अपने भाई के मूह से ऐसी बात सुनकर काजल को पता लग गया कि कुछ सीरीयस है नही तो उसका मुहफट भाई कभी ऐसी एमोशनल बातें नही करता था.
“क्या किया भैया आपने....?” काजल ने धीरे से पूछा.
“यह बोलो क्या नही किया मैने...सब कुछ तो कर चुका हू उसके साथ जो नही करना चाहिए था...” अर्जुन की आँखो से निकलते आँसू अब काजल भी देख सकती थी.
“बेचारी के साथ उसकी मर्ज़ी के बिना सेक्स किया है मैने...उस कुवारि लड़की के साथ बहुत बेदर्दी से पेश आया मैं...ना जाने मुझे उस समय क्या हो गया था कि मैं इंसान से जानवर बन गया. बेचारी बेहोश हो गयी फिर भी मैं उसके साथ करता रहा. बेचारी ने मोम के पुतले की तरह मुझे अपना जिस्म सौंप दिया और मैं उसे दर्द देता रहा पर वो एक शब्द नही बोली...आख़िर मुझसे प्यार करती थी वो...” और अर्जुन फफक फफक कर रोने लगा.
काजल यह सब सुनते ही लड़खड़ा गयी, मानो उसके पावं तले ज़मीन खिसक गयी हो. वो भौचक्की खड़ी सब सुन रही थी. वो अपने भाई को किसी देवता समान समझती थी. उसे पता था कि उसके भाई का पुरानी गर्लफ्रेंड्स के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात रहते थे लेकिन वो यह नही जानती थी कि अगर कोई लड़की मना कर दे तो उसका भाई उस लड़की के साथ ज़बरदस्ती भी कर सकता था.
“तुमने आज मुझसे प्यार नही मेरा बलात्कार किया है...यही बस एक शब्द उसने बोला और चली गयी....सच मे मैने उस से प्यार नही उसका बलात्कार किया है...मैं अपने किए पर बहुत बहुत शर्मिंदा हू...” और अर्जुन के पैर जवाब दे गये और वो वही फर्श पर बैठ के रोने लगा.
“क्या तुम उस से सच्चा प्यार नही करते थे...” काजल ने अपने भाई को उसके कंधो से पकड़ कर उठाया.
“शायद नही....तभी तो उसके जिस्म की भूक इतनी हो गयी थी मेरे अंदर कि मैं जानवर बन गया...” बोलते हुए अर्जुन काजल का सहारा लेते हुए बिस्तर पर बैठ गया.
“चलो कम से कम तुम्हे ग़लती का एहसास तो है....पर मुझे अभी तक विश्वास नही हो रहा कि मेरा भाई किसी लड़की के साथ ऐसा भी कर सकता....सोचो अगर ऐसा कोई मेरे साथ कर दे तो..”
“नही....नही....मेरी बहन मैं ऐसा कभी सोच भी नही सकता...मैं उस को जान से मार डालूँगा जो तेरे साथ ऐसा करने का सोचेगा भी...” अर्जुन का चेहरा गुस्से से तिलमिला उठा.
“सलमा भी किसी की बहन रही होगी....” काजल ने गहरी साँस लेते हुए कहा.
“मैं उस से माफी माँगने वाला था पर मेरी हिम्मत नही हुई....आख़िर किस मूह से माफी मांगू उस से....”
“कोई बात नही भैया...मैं तुम्हारी मदद करूँगी....मुझे उम्मीद है कि अगर वो तुम्हे सच्चा प्यार करती होगी तो तुम्हे ज़रूर माफ़ कर देगी...”
अपनी बहन की ऐसी बातें सुन कर अर्जुन उसके गले लग गया. भाई बहन का यह रिश्ता अनमोल था. अर्जुन को बहुत राहत मिल रही थी अपने दिल का बोझ अपनी बहन के सामने हल्का कर के. उसे पता था अगर काजल मदद करेगी तो वो सलमा से ज़रूर माफी माँग लेगा.
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Re: काले जादू की दुनिया
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“कोई बात नही भैया...मैं तुम्हारी मदद करूँगी....मुझे उम्मीद है कि अगर वो तुम्हे सच्चा प्यार करती होगी तो तुम्हे ज़रूर माफ़ कर देगी...”
अपनी बहन की ऐसी बातें सुन कर अर्जुन उसके गले लग गया. भाई बहन का यह रिश्ता अनमोल था. अर्जुन को बहुत राहत मिल रही थी अपने दिल का बोझ अपनी बहन के सामने हल्का कर के. उसे पता था अगर काजल मदद करेगी तो वो सलमा से ज़रूर माफी माँग लेगा.
“अच्च्छा बताओ दूसरी बात क्या है....” काजल जल्दी से इस टॉपिक को बदलना चाह रही थी, अपने भाई के सामने ऐसी बातें सुनकर उसे थोड़ा अनकंफर्टबल फील हो रहा था.
“अगली बात बड़ी अजीब है...करीब दो महीनो से मुझे एक ही सपना आ रहा है..” अर्जुन बोला.
“क्या !!!...दिस ईज़ इंपॉसिबल एक ही सपना बार बार कैसे आ सकता है...और क्या आता है सपने मे...?” काजल के लिए यह दूसरा झटका था आज के लिए.
“अब कैसे आता है वो तो मुझे नही पता...पर किसका आता है वो मुझे पता है...”
“किसका....अब जल्दी बताओ..” काजल बोली.
“माँ का.......”
“व्हाट !!!.......” काजल को कुछ समझ मे नही आ रहा था.
“काजल लगभग हर रात मुझे यही सपना आता है कि मा मुझे पुकार रही है...लगता है जैसे वो कोई अंधेरी गुफा मे बंद है और किसी ने उसे बंदी बनाकर रखा हुआ है....वो कहती है कि सिर्फ़ मैं ही उसे वहाँ से निकाल सकता हू...”
“दिस ईज़ इंपॉसिबल...माँ की तो बारह साल पहले नदी मे गिरने से मौत हो गयी थी...फिर यह सब का क्या मतलब है...” काजल हैरान थी.
“पता नही...शायद मेरा दिमाग़ घूम गया है...लगता है किसी साइकिट्रिस्ट को दिखना पड़ेगा..”
“नही भैया मुझे तो लगता है कि हमारी माँ जिंदा है और वो तुम्हे अपनी मदद के लिए पुकार रही है...”
“व्हाट नॉनसेन्स काजल....यह कैसे हो सकता है...कोई सपनो के द्वारा किसी को कैसे पुकार सकता है....तुम भी अंधविश्वासी हो गयी हो क्या..”
काजल के जवाब देने से पहले ही बाहर गाड़ी की आवाज़ आई फिर उसका हॉर्न बजा. काजल को जिसकी तलाश थी शायद वो आ गया था. जैसे ही दरवाज़े की घंटी बजी काजल दौड़ कर दरवाज़ा खोलने चली गयी. अर्जुन को कुछ समझ मे नही आया और वो हैरानी से यह सब देखने लगा.
“हॅपी बर्तडे....कही मैं ज़्यादा लेट तो नही हो गया...” सामने से एक शक्स की आवाज़ आई.
काजल ने घड़ी मे देखा, 12 बजने मे अभी दस मिनिट बाकी थे जिसका मतलब था वो शक्स काजल के बर्तडे ख़तम होने से जस्ट पहले पहुच गया था.
“थॅंक यू करण भैया.....आइ लव यू...” कहते हुए काजल करण से सीने से लग गयी.
“वैसे जस्ट टाइम पे आए हो....पर इतनी देर क्यू लगा दी...” वो कारण के सीने पे मुक्के मारती हुई बोली.
“तू तो जानती है ना मैं कितना बिज़ी रहता हू...उपर से आज तेरे लिए यह अनमोल गिफ्ट ढूँढने मे कयि घंटे लग गये...उसी मे थोडा देर हो गया.” करण मुस्कुराता हुआ बोला और अपने सूटकेस से एक गिफ्ट चमकीले पेपर्स मे रॅप कर के काजल की हाथो मे थमा दिया.
“ना...ना...ना कोई एक्सक्यूस नही चलेगा....नही तो रक्षा बंधन के दिन मेरे पास भी टाइम की कमी हो जाएगी....हुह.” काजल की हाजिरजवाबी से करण मुस्कुराए बिना ना रहा सका.
“पर आप इतने देर से बाहर क्यू खड़े हो...अंदर आओ ना..” काजल कारण का हाथ पकड़ के अंदर खीचते हुए बोली.
“क्या अर्जुन है अंदर...?” कारण ने गंभीरता से पूछा.
“हम है....पर मैं आपको अब कही जाने नही दूँगी...आज रात आपको भी यही रुकना है मेरे घर मे...समझे आप..”
“नही मेरी प्यारी छोटी बहन....अर्जुन घर पर है....मेरा यहाँ रहना ना उसके लिए ठीक है और ना मेरे लिए...और वैसे भी तुझसे मिलने यहा आया था सो मिल लिया...अब मेरा चले जाना ही ठीक रहेगा…” कहते हुए करण मूड कर वापस जाने लगा.
काजल को यह बात ठीक नही लगी और उसने झट से अपने भैया का हाथ थाम कर रोक लिया, “क्या आप दोनो अपनी इस छोटी सी प्यारी बहन को उसके बर्तडे का असली तहफा नही दे सकते.....अगर आप दोनो आज रात यही पर मेरे साथ रुक जाओ और भले थोड़ी देर के लिए अपने गिले शिकवे भुला के मेरे साथ कुछ समय बिता लो...तो यही मेरे लिए सबसे कीमती तोहफा होगा..”
“ऐसा नही हो सकता काजल....” पीछे से कड़कती आवाज़ मे अर्जुन बोला, वो खड़े खड़े पीछे से दोनो की बातें सुन रहा था.
“अर्जुन भैया प्लीज़......आज तो कम से कम अपना अतीत भुला कर मेरे लिए ही सही आपस मे सुलह कर लो...” काजल गिडगिडाते हुए बोली.
“तुम नदी के दो किनारों को मिलने की बात कर रही हो काजल जो नामुमकिन है...”
अपने भाइयो का ऐसा बर्ताव देख कर काजल बिन रोए रह ना सकी, “तुम दोनो नदी के दो किनारे हो...पर यह नदी नफ़रत की है...जब यह नदी पतली होती जाएगी और अंत मे सूख जाएगी तब दोनो किनारे आपस मे मिल सकते है...और अगर तुम लोग मेरे साथ रहना ही नही चाहते तो ठीक है मैं ही चली जाती हू कही और...बस फिर लड़ते रहना आपस मे ज़िंदगी भर...हुह..”
अर्जुन और कारण के पास इसका कोई जवाब नही था. दोनो के सर शर्म से झुके हुए थे. काजल ने अपने आँसू पोछे और दरवाज़े की बाहर जाने लगी तो करण ने उसे रोक लिया, “मेरी प्यारी बहन...तू जो कहेगी मैं वो करने के लिए तय्यार हू....बस तू मुझसे नाराज़ मत होना..”
काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”
दोनो करण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. करण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.
टू बी कंटिन्यूड...
“कोई बात नही भैया...मैं तुम्हारी मदद करूँगी....मुझे उम्मीद है कि अगर वो तुम्हे सच्चा प्यार करती होगी तो तुम्हे ज़रूर माफ़ कर देगी...”
अपनी बहन की ऐसी बातें सुन कर अर्जुन उसके गले लग गया. भाई बहन का यह रिश्ता अनमोल था. अर्जुन को बहुत राहत मिल रही थी अपने दिल का बोझ अपनी बहन के सामने हल्का कर के. उसे पता था अगर काजल मदद करेगी तो वो सलमा से ज़रूर माफी माँग लेगा.
“अच्च्छा बताओ दूसरी बात क्या है....” काजल जल्दी से इस टॉपिक को बदलना चाह रही थी, अपने भाई के सामने ऐसी बातें सुनकर उसे थोड़ा अनकंफर्टबल फील हो रहा था.
“अगली बात बड़ी अजीब है...करीब दो महीनो से मुझे एक ही सपना आ रहा है..” अर्जुन बोला.
“क्या !!!...दिस ईज़ इंपॉसिबल एक ही सपना बार बार कैसे आ सकता है...और क्या आता है सपने मे...?” काजल के लिए यह दूसरा झटका था आज के लिए.
“अब कैसे आता है वो तो मुझे नही पता...पर किसका आता है वो मुझे पता है...”
“किसका....अब जल्दी बताओ..” काजल बोली.
“माँ का.......”
“व्हाट !!!.......” काजल को कुछ समझ मे नही आ रहा था.
“काजल लगभग हर रात मुझे यही सपना आता है कि मा मुझे पुकार रही है...लगता है जैसे वो कोई अंधेरी गुफा मे बंद है और किसी ने उसे बंदी बनाकर रखा हुआ है....वो कहती है कि सिर्फ़ मैं ही उसे वहाँ से निकाल सकता हू...”
“दिस ईज़ इंपॉसिबल...माँ की तो बारह साल पहले नदी मे गिरने से मौत हो गयी थी...फिर यह सब का क्या मतलब है...” काजल हैरान थी.
“पता नही...शायद मेरा दिमाग़ घूम गया है...लगता है किसी साइकिट्रिस्ट को दिखना पड़ेगा..”
“नही भैया मुझे तो लगता है कि हमारी माँ जिंदा है और वो तुम्हे अपनी मदद के लिए पुकार रही है...”
“व्हाट नॉनसेन्स काजल....यह कैसे हो सकता है...कोई सपनो के द्वारा किसी को कैसे पुकार सकता है....तुम भी अंधविश्वासी हो गयी हो क्या..”
काजल के जवाब देने से पहले ही बाहर गाड़ी की आवाज़ आई फिर उसका हॉर्न बजा. काजल को जिसकी तलाश थी शायद वो आ गया था. जैसे ही दरवाज़े की घंटी बजी काजल दौड़ कर दरवाज़ा खोलने चली गयी. अर्जुन को कुछ समझ मे नही आया और वो हैरानी से यह सब देखने लगा.
“हॅपी बर्तडे....कही मैं ज़्यादा लेट तो नही हो गया...” सामने से एक शक्स की आवाज़ आई.
काजल ने घड़ी मे देखा, 12 बजने मे अभी दस मिनिट बाकी थे जिसका मतलब था वो शक्स काजल के बर्तडे ख़तम होने से जस्ट पहले पहुच गया था.
“थॅंक यू करण भैया.....आइ लव यू...” कहते हुए काजल करण से सीने से लग गयी.
“वैसे जस्ट टाइम पे आए हो....पर इतनी देर क्यू लगा दी...” वो कारण के सीने पे मुक्के मारती हुई बोली.
“तू तो जानती है ना मैं कितना बिज़ी रहता हू...उपर से आज तेरे लिए यह अनमोल गिफ्ट ढूँढने मे कयि घंटे लग गये...उसी मे थोडा देर हो गया.” करण मुस्कुराता हुआ बोला और अपने सूटकेस से एक गिफ्ट चमकीले पेपर्स मे रॅप कर के काजल की हाथो मे थमा दिया.
“ना...ना...ना कोई एक्सक्यूस नही चलेगा....नही तो रक्षा बंधन के दिन मेरे पास भी टाइम की कमी हो जाएगी....हुह.” काजल की हाजिरजवाबी से करण मुस्कुराए बिना ना रहा सका.
“पर आप इतने देर से बाहर क्यू खड़े हो...अंदर आओ ना..” काजल कारण का हाथ पकड़ के अंदर खीचते हुए बोली.
“क्या अर्जुन है अंदर...?” कारण ने गंभीरता से पूछा.
“हम है....पर मैं आपको अब कही जाने नही दूँगी...आज रात आपको भी यही रुकना है मेरे घर मे...समझे आप..”
“नही मेरी प्यारी छोटी बहन....अर्जुन घर पर है....मेरा यहाँ रहना ना उसके लिए ठीक है और ना मेरे लिए...और वैसे भी तुझसे मिलने यहा आया था सो मिल लिया...अब मेरा चले जाना ही ठीक रहेगा…” कहते हुए करण मूड कर वापस जाने लगा.
काजल को यह बात ठीक नही लगी और उसने झट से अपने भैया का हाथ थाम कर रोक लिया, “क्या आप दोनो अपनी इस छोटी सी प्यारी बहन को उसके बर्तडे का असली तहफा नही दे सकते.....अगर आप दोनो आज रात यही पर मेरे साथ रुक जाओ और भले थोड़ी देर के लिए अपने गिले शिकवे भुला के मेरे साथ कुछ समय बिता लो...तो यही मेरे लिए सबसे कीमती तोहफा होगा..”
“ऐसा नही हो सकता काजल....” पीछे से कड़कती आवाज़ मे अर्जुन बोला, वो खड़े खड़े पीछे से दोनो की बातें सुन रहा था.
“अर्जुन भैया प्लीज़......आज तो कम से कम अपना अतीत भुला कर मेरे लिए ही सही आपस मे सुलह कर लो...” काजल गिडगिडाते हुए बोली.
“तुम नदी के दो किनारों को मिलने की बात कर रही हो काजल जो नामुमकिन है...”
अपने भाइयो का ऐसा बर्ताव देख कर काजल बिन रोए रह ना सकी, “तुम दोनो नदी के दो किनारे हो...पर यह नदी नफ़रत की है...जब यह नदी पतली होती जाएगी और अंत मे सूख जाएगी तब दोनो किनारे आपस मे मिल सकते है...और अगर तुम लोग मेरे साथ रहना ही नही चाहते तो ठीक है मैं ही चली जाती हू कही और...बस फिर लड़ते रहना आपस मे ज़िंदगी भर...हुह..”
अर्जुन और कारण के पास इसका कोई जवाब नही था. दोनो के सर शर्म से झुके हुए थे. काजल ने अपने आँसू पोछे और दरवाज़े की बाहर जाने लगी तो करण ने उसे रोक लिया, “मेरी प्यारी बहन...तू जो कहेगी मैं वो करने के लिए तय्यार हू....बस तू मुझसे नाराज़ मत होना..”
काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”
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प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: काले जादू की दुनिया
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काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”
दोनो कारण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. कारण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.
काजल जानती थी कि अगर वो कुछ ना बोली तो उसके दोनो भाई ऐसे ही बिना कुछ बोले सारी रात गुज़ार देंगे.
“भैया आपके गिफ्ट मे क्या है...जिसे आपको खोजने मे घंटो लग गये..” काजल करण से बोली.
“तू खुद खोल के देख ले....” करण मुस्कुराता हुआ बोला.
काजल ने जब गिफ्ट के रॅपिंग्स को फाडा तब अंदर उसे एक पुराना आल्बम मिला.
“करण भैया यह तो फोटो आल्बम है....इसमे किसकी फोटोस है..?” काजल उत्सुकतावश बोली.
“अरे बाबा सब मैं ही बताऊ क्या...तू खुद खोल के देख ना...”
काजल ने आल्बम खोला तो उसकी आँखो मे खुशी के आँसुओ की दो बूँदें छलक आई. वो आल्बम उसकी माँ रत्ना और उसके परिवार का था. उस आल्बम मे रत्ना, उनके स्वरगवासी पति हर्षवर्धन राठौड़ और उनके दो छोटे छोटे प्यारे बच्चे अर्जुन और काजल की तस्वीरें थी.
काजल आल्बम देखते देखते अपने अतीत मे पीछे जा कर वो सब कुछ याद करने लगी, जैसा उनके दादा दादी ने बताया था.
आज से करीब 25-26 साल पहले रत्ना देवगढ़ (राजस्थान) के एक बहुत बड़े ज़मींदार की बेटी थी. वो बला की खूबसूरत और बेपनाह हुस्न की मल्लिका थी. आस पास से मीलो दूर तक उनके रूप जैसी कोई और लड़की नही थी.
कहते है कि रत्ना के पिताजी और माताजी ने एक बहुत बड़े यग्य और पूजा करने के बाद रत्ना को जनम दिया था. लेकिन रत्ना के पैदा होने पर नक्षत्र ही कुछ ऐसे थे की उसकी कुंडली मे शैतान का योग बन गया था.
इतनी रूपवान होने के बावजूद कोई भी लड़का रत्ना से शादी करने को तय्यार नही होता था, सबको उसकी कुंडली मे दोष होने से बहुत डर लगता था. एक बार एक हिम्मतवाले नौजवान ने रत्ना के पिताजी से उसका हाथ माँगा. लड़का हैसियत मे उनके बराबर का नही था पर रत्ना के पिताजी कर भी क्या सकते थे, आख़िर जवान बेटी को कब तक घर मे रखते सो उन्होने उसकी शादी उस नौजवान से चुपके से कर दी ताकि बिरादरी मे उनकी खिल्ली ना उड़े.
पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, रत्ना को जैसे ही एक पुत्र प्राप्त हुआ उसका नौजवान पति चल बसा. उसके बाद रत्ना के घरवालो ने उसे वापस मायके बुला लिया.
कुछ महीने ऐसे ही बीत गये जब पास के एक बड़े ज़मींदार हर्षवर्धन को रत्ना पसंद आ गयी. जब उसके घरवाले रत्ना का हाथ माँगने उसके पिताजी के पास गये तब उसके पिताजी ने झूट बोलकर कि रत्ना कुवारि है है उसकी शादी ठीक कर दी. रत्ना के पिताजी को डर था कि हर्षवर्धन की घरवाले अपने बेटे की शादी किसी विधवा से नही करेंगे.
पर रत्ना को यह नागवारा गुजरा. उसे पता था आख़िर सुहागरात को उसके पति हर्षवर्धन को पता चल ही जाएगा कि उसकी पत्नी कुवारि नही है. रत्ना को लगा कि यह धोका होगा अपने होने वाले पति के साथ. इसलिए उसने शादी से ठीक पहले हर्षवर्धन को अकेले मे बुलाया.
वहाँ उसने हर्षवर्धन को सारी बात सच सच बता दी कि वो एक विधवा है और उसका एक बेटा भी है. हर्ष नाराज़ होने के बजाए, रत्ना की ईमानदारी और हिम्मत देख कर बहुत खुश हुआ और उसे और उसके बेटे को अपनाने को तय्यार हो गया. हर्ष ने उस लड़के का नाम करण रखा और उसे अपना नाम भी दिया.
शादी हो गयी और सब खुशी खुशी रहने लगे जब हर्ष के घरवालो को रत्ना की सच्चाई का पता चला तो लोग उसे बदचलन कहने लगे. हर्ष को यह सब बर्दाश्त नही होता था. एक दिन ऐसे ही कुछ गुन्डो के द्वारा अपनी पत्नी के बारे मे गंदी अश्लील बातें सुन कर उसका खून खौल उठा और वो उनसे निहत्थे ही भिड़ गया.
पर उन गुन्डो के पास हथियार थे, भले ही हर्षवर्धन बहुत बालिश्ट था पर इतने सारे गुन्डो और उनके हथियारो के सामने वो टिक नही पाया और उन सब ने हर्ष को मार के नदी मे फेंक दिया. खयि दिन बाद हर्ष की सड़ी गली लाश एक आदमी को मिली जिसने लाश को परिवार के पास रख दिया.
तब तक रत्ना के हर्ष द्वारा अर्जुन और काजल भी पैदा हो गये थे. अपने दूसरे पति की मौत से रत्ना को गहरा सदमा लगा और वो भी उसी नदी मे कूद गयी. लोग कहते है कि वो डूब गयी, यहाँ तक कि उसकी लाश भी आज तक नही मिली. उसके बाद किसी ने उस रूप सुंदरी को नही देखा.
हर्ष के परिवार वालो को सब पता चल चुका था. वो रत्ना और करण को मनहूस समझ रहे थे. इसीलिए उन्होने अपनी सारी ज़मीन अर्जुन और काजल के नाम कर दी और करण को अनाथालय मे डाल दिया.
जब रत्ना की मौत हुई उस समय कारण 20 साल का था, अर्जुन उस से एक साल छोटा 19 साल का था और काजल सबसे छोटी 18 साल की थी. उसके बाद कारण फिर कभी अपने परिवार वालो से ना मिल सका. रत्ना के माता पिता ने भी यही सोचा कि कारण का अनाथालय मे रहना ही बेहतर होगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. कुछ महीनो बाद ही लंबी बीमारी से अर्जुन और काजल के दादा दादी और नाना नानी भी चल बसे और वो दोनो भी इस दुनिया मे अकेले रह गये.
समय के साथ तीनो बच्चे बड़े होते गये. करण अपने अनाथालय मे रहकर खूब परिश्रम और मेहनत करता था. उसकी शकल अपनी माँ पर जाने से वो बहुत ही आकर्षक दिखता था. लोग कहते थे कि इतने सुंदर बालक को कोई कैसे अनाथालय मे रख सकता है. सालो की कड़ी मेहनत कारण के लिए रंग लाई और वो मेडिकल के प्रवेश परीक्षा मे अव्वल आया और डॉक्टर बन गया.
उधर भले ही घरवाले करण को भूल गये थे पर काजल उसे नही भूली थी. उसने किसी तरह उस अनाथालय का पता लगा लिया था और जब से रत्ना की मौत हुई थी तब से वो करण से हर रविवार को मिलने जाती थी.
अर्जुन को यह सब पसंद नही था. बचपन से ही वो करण से नफ़रत करता था, वो करण को ही सारी फ़साद की जड़ मानता था. उसे लगता था कि अगर कारण पैदा ना होता तो कोई भी उसकी माँ को बदचलन नही कहता और उसके पिता की मौत भी नही होती. वो इन सब का ज़िम्मेदार कारण को ही मानता था.
आज 12 साल बाद करण एक कामयाब डॉक्टर था जिसके पास पैसो की कोई कमी नही थी, कमी थी तो उनकी जिसे वो परिवार कह सके. वो दिखने मे बहुत ही सुंदर और आकर्षक था, उसका स्वाभाव भी बहुत ही गंभीर था, ज्याद बोलना उसे पसंद नही था, जहाँ ज़रूरत होती वो बस वही बोलता.
अर्जुन राठौड़ उधर एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर बन गया था. करण के उलट वो बहुत बातूनी और जल्दी गुस्सा हो जाने वाला इंसान था.
हालाँकि अर्जुन भी बहुत आकर्षक था पर अपने बातूनी और मुहफट व्यवहार की वजह से बहुत लोग उस से परेशान रहते थे. लड़कियो से अय्याशि उसका सबसे बड़ा शौक था. उसमे और करण मे फ़र्क बस इतना था कि अर्जुन लड़किया पटाने की कोशिश करता जबकि लड़किया करण को पटाने की कोशिश करती.
जहा अर्जुन को हर महीने नयी लड़की चाहिए थी वही कारण इसके बावजूद कि कितनी लड़किया उसके पीछे भागती हैं, वो सच्चे और सिर्फ़ एक बार होने वाले प्यार पर यकीन रखता था. इसीलिए वो अपनी बचपन की दोस्त निशा से ही प्यार करता था.
काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.
टू बी कंटिन्यूड...
काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”
दोनो कारण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. कारण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.
काजल जानती थी कि अगर वो कुछ ना बोली तो उसके दोनो भाई ऐसे ही बिना कुछ बोले सारी रात गुज़ार देंगे.
“भैया आपके गिफ्ट मे क्या है...जिसे आपको खोजने मे घंटो लग गये..” काजल करण से बोली.
“तू खुद खोल के देख ले....” करण मुस्कुराता हुआ बोला.
काजल ने जब गिफ्ट के रॅपिंग्स को फाडा तब अंदर उसे एक पुराना आल्बम मिला.
“करण भैया यह तो फोटो आल्बम है....इसमे किसकी फोटोस है..?” काजल उत्सुकतावश बोली.
“अरे बाबा सब मैं ही बताऊ क्या...तू खुद खोल के देख ना...”
काजल ने आल्बम खोला तो उसकी आँखो मे खुशी के आँसुओ की दो बूँदें छलक आई. वो आल्बम उसकी माँ रत्ना और उसके परिवार का था. उस आल्बम मे रत्ना, उनके स्वरगवासी पति हर्षवर्धन राठौड़ और उनके दो छोटे छोटे प्यारे बच्चे अर्जुन और काजल की तस्वीरें थी.
काजल आल्बम देखते देखते अपने अतीत मे पीछे जा कर वो सब कुछ याद करने लगी, जैसा उनके दादा दादी ने बताया था.
आज से करीब 25-26 साल पहले रत्ना देवगढ़ (राजस्थान) के एक बहुत बड़े ज़मींदार की बेटी थी. वो बला की खूबसूरत और बेपनाह हुस्न की मल्लिका थी. आस पास से मीलो दूर तक उनके रूप जैसी कोई और लड़की नही थी.
कहते है कि रत्ना के पिताजी और माताजी ने एक बहुत बड़े यग्य और पूजा करने के बाद रत्ना को जनम दिया था. लेकिन रत्ना के पैदा होने पर नक्षत्र ही कुछ ऐसे थे की उसकी कुंडली मे शैतान का योग बन गया था.
इतनी रूपवान होने के बावजूद कोई भी लड़का रत्ना से शादी करने को तय्यार नही होता था, सबको उसकी कुंडली मे दोष होने से बहुत डर लगता था. एक बार एक हिम्मतवाले नौजवान ने रत्ना के पिताजी से उसका हाथ माँगा. लड़का हैसियत मे उनके बराबर का नही था पर रत्ना के पिताजी कर भी क्या सकते थे, आख़िर जवान बेटी को कब तक घर मे रखते सो उन्होने उसकी शादी उस नौजवान से चुपके से कर दी ताकि बिरादरी मे उनकी खिल्ली ना उड़े.
पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, रत्ना को जैसे ही एक पुत्र प्राप्त हुआ उसका नौजवान पति चल बसा. उसके बाद रत्ना के घरवालो ने उसे वापस मायके बुला लिया.
कुछ महीने ऐसे ही बीत गये जब पास के एक बड़े ज़मींदार हर्षवर्धन को रत्ना पसंद आ गयी. जब उसके घरवाले रत्ना का हाथ माँगने उसके पिताजी के पास गये तब उसके पिताजी ने झूट बोलकर कि रत्ना कुवारि है है उसकी शादी ठीक कर दी. रत्ना के पिताजी को डर था कि हर्षवर्धन की घरवाले अपने बेटे की शादी किसी विधवा से नही करेंगे.
पर रत्ना को यह नागवारा गुजरा. उसे पता था आख़िर सुहागरात को उसके पति हर्षवर्धन को पता चल ही जाएगा कि उसकी पत्नी कुवारि नही है. रत्ना को लगा कि यह धोका होगा अपने होने वाले पति के साथ. इसलिए उसने शादी से ठीक पहले हर्षवर्धन को अकेले मे बुलाया.
वहाँ उसने हर्षवर्धन को सारी बात सच सच बता दी कि वो एक विधवा है और उसका एक बेटा भी है. हर्ष नाराज़ होने के बजाए, रत्ना की ईमानदारी और हिम्मत देख कर बहुत खुश हुआ और उसे और उसके बेटे को अपनाने को तय्यार हो गया. हर्ष ने उस लड़के का नाम करण रखा और उसे अपना नाम भी दिया.
शादी हो गयी और सब खुशी खुशी रहने लगे जब हर्ष के घरवालो को रत्ना की सच्चाई का पता चला तो लोग उसे बदचलन कहने लगे. हर्ष को यह सब बर्दाश्त नही होता था. एक दिन ऐसे ही कुछ गुन्डो के द्वारा अपनी पत्नी के बारे मे गंदी अश्लील बातें सुन कर उसका खून खौल उठा और वो उनसे निहत्थे ही भिड़ गया.
पर उन गुन्डो के पास हथियार थे, भले ही हर्षवर्धन बहुत बालिश्ट था पर इतने सारे गुन्डो और उनके हथियारो के सामने वो टिक नही पाया और उन सब ने हर्ष को मार के नदी मे फेंक दिया. खयि दिन बाद हर्ष की सड़ी गली लाश एक आदमी को मिली जिसने लाश को परिवार के पास रख दिया.
तब तक रत्ना के हर्ष द्वारा अर्जुन और काजल भी पैदा हो गये थे. अपने दूसरे पति की मौत से रत्ना को गहरा सदमा लगा और वो भी उसी नदी मे कूद गयी. लोग कहते है कि वो डूब गयी, यहाँ तक कि उसकी लाश भी आज तक नही मिली. उसके बाद किसी ने उस रूप सुंदरी को नही देखा.
हर्ष के परिवार वालो को सब पता चल चुका था. वो रत्ना और करण को मनहूस समझ रहे थे. इसीलिए उन्होने अपनी सारी ज़मीन अर्जुन और काजल के नाम कर दी और करण को अनाथालय मे डाल दिया.
जब रत्ना की मौत हुई उस समय कारण 20 साल का था, अर्जुन उस से एक साल छोटा 19 साल का था और काजल सबसे छोटी 18 साल की थी. उसके बाद कारण फिर कभी अपने परिवार वालो से ना मिल सका. रत्ना के माता पिता ने भी यही सोचा कि कारण का अनाथालय मे रहना ही बेहतर होगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. कुछ महीनो बाद ही लंबी बीमारी से अर्जुन और काजल के दादा दादी और नाना नानी भी चल बसे और वो दोनो भी इस दुनिया मे अकेले रह गये.
समय के साथ तीनो बच्चे बड़े होते गये. करण अपने अनाथालय मे रहकर खूब परिश्रम और मेहनत करता था. उसकी शकल अपनी माँ पर जाने से वो बहुत ही आकर्षक दिखता था. लोग कहते थे कि इतने सुंदर बालक को कोई कैसे अनाथालय मे रख सकता है. सालो की कड़ी मेहनत कारण के लिए रंग लाई और वो मेडिकल के प्रवेश परीक्षा मे अव्वल आया और डॉक्टर बन गया.
उधर भले ही घरवाले करण को भूल गये थे पर काजल उसे नही भूली थी. उसने किसी तरह उस अनाथालय का पता लगा लिया था और जब से रत्ना की मौत हुई थी तब से वो करण से हर रविवार को मिलने जाती थी.
अर्जुन को यह सब पसंद नही था. बचपन से ही वो करण से नफ़रत करता था, वो करण को ही सारी फ़साद की जड़ मानता था. उसे लगता था कि अगर कारण पैदा ना होता तो कोई भी उसकी माँ को बदचलन नही कहता और उसके पिता की मौत भी नही होती. वो इन सब का ज़िम्मेदार कारण को ही मानता था.
आज 12 साल बाद करण एक कामयाब डॉक्टर था जिसके पास पैसो की कोई कमी नही थी, कमी थी तो उनकी जिसे वो परिवार कह सके. वो दिखने मे बहुत ही सुंदर और आकर्षक था, उसका स्वाभाव भी बहुत ही गंभीर था, ज्याद बोलना उसे पसंद नही था, जहाँ ज़रूरत होती वो बस वही बोलता.
अर्जुन राठौड़ उधर एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर बन गया था. करण के उलट वो बहुत बातूनी और जल्दी गुस्सा हो जाने वाला इंसान था.
हालाँकि अर्जुन भी बहुत आकर्षक था पर अपने बातूनी और मुहफट व्यवहार की वजह से बहुत लोग उस से परेशान रहते थे. लड़कियो से अय्याशि उसका सबसे बड़ा शौक था. उसमे और करण मे फ़र्क बस इतना था कि अर्जुन लड़किया पटाने की कोशिश करता जबकि लड़किया करण को पटाने की कोशिश करती.
जहा अर्जुन को हर महीने नयी लड़की चाहिए थी वही कारण इसके बावजूद कि कितनी लड़किया उसके पीछे भागती हैं, वो सच्चे और सिर्फ़ एक बार होने वाले प्यार पर यकीन रखता था. इसीलिए वो अपनी बचपन की दोस्त निशा से ही प्यार करता था.
काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.
टू बी कंटिन्यूड...
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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