रानी के होंठों से पुनः चीख निकल पड़ी... आंसूओं की रफ्तार में और भी तेजी आ गई...
निरंजन चौधरी रानी के ऊपर गिर कर कुत्ते की तरह हांफने लगा, साथ ही सख्ती से उसे अपने साथ भींच लिया...
रानी की जाघों के बीच दर्द का अम्बार फूट पड़ा और वह बिलख बिलख कर रोने लगी ..
मगर उसके आंसूओं और दर्द से बेखबर चौधरी उसके ऊपर से उठा और बैड से उतरकर कपड़े पहनने लगा
चौधरी ने कपड़े पहनकर रानी को बालों से पकड़कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आँखों में झांकते हुए मुस्कुराते हुए बोला... बड़ी कातिल जवानी है तेरी, एक ही बार में ऐसा मजा दे दिया जो बरसों तक याद रहेगा.. एकदम से डिब्बाबंद.... कसम से मेरी तो जिंदगी की आस पूरी हो गई ...
रानी की आँखों में दर्द भरे आंसू तेजी से बहते रहे , होंठों से एक लफ्ज भी नहीं बोल पाई वह...
लगता है अभी तेरा दिल नहीं भरा है.. अर्थ भरी गंदी हंसी के साथ बोला चौधरी ... घबरा मत, अभी वह आयेगा उससे अपना दिल भर लेना फिर शाम को मजिस्ट्रेट और वकील भी आ जायेंगे ... तेरी तो मौजां ही मौजां हो गई रानी.. एक ही दिन में चार चार.. क्या कहने तेरे..... हाहाहा
न. नहीं..... भगवान के लिए मुझे बख्श दो... रानी गिड़गिड़ा उठी... म. मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूं चौधरी, मुझे और मत लूटो
जवाब देने के बजाय चौधरी ने उसके बालों को छोडा और दरवाजे से बाहर निकल गया... रानी फिर फूट फूट कर रोने लगी ....
निरंजन चौधरी की आँखों की चमक देख जहा राजीव सेन मुस्कुराया वहीं उसके चेहरे पर नाखूनों से बनी लकीरों को देखकर चौंका..
लगता है कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ी है चौधरी साहब को... वह खडा होते हुए बोला...
मेहनत तो बहुत ज्यादा करनी पड़ी सेन... धम्म से सोफे पर बैठते हुए कहा चौधरी ने और बोतल उठाकर अपने लिए पैग बनाने लगा
और यह खरोंचो के निशान ?
हिरनी ने पंजा मारा था
हिरनी के पंजे कहा से निकल आए चौधरी साहब ?
हंसा चौधरी.. पैग को खाली किया और धोती के पल्ले से मुंह पोंछते हुए बोला... जब हिरनी को तकलीफ होगी तो कुछ न कुछ तो मारेगी ही, ध्यान रखना... इस हिरनी के खुर नहीं पंजे है और वो भी बहुत तेज
वो तो ध्यान रखना ही होगा, पर माल है तो टनाटन ना?
एकदम झकास ... आंख मारी चौधरी ने ...
यानी खुब मेहनत करनी पड़ेगी
मैंने रास्ता बना दिया है ... अब तुम्है इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी... फिर भी जितनी मेहनत पहले करते थे उससे ज्यादा तो करनी ही होगी
भद्दी हंसी हंसा राजीव सेन... फिर पैग भरकर एक सांस में ही गटागट पीकर गिलास खाली किया और झटके से खडा हो गया ...
मैं जाऊं ?
बिल्कुल जाओ... मैं दुआ करूंगा कि तुम सफलता के झंडे गाड़ कर वापस लोटो
कमीनी मुस्कान के साथ सेन कमरे से बाहर निकल आया...
दरवाजा खुलने की आहट सुन कर रानी ने गर्दन ऊपर उठाई तो उसकी आँखों में फिर वही खौफ़ के साये लहरा गये
रानी को अपनी तरफ देखते देख कर सेन हंसा और आंख मार दी ..
रानी ने नजरें परे कर ली और फौरन बैड की चादर अपने ऊपर ले ली
मुडकर उसने दरवाज़ा बंद किया और फिर रानी के करीब आकर बैड पर बैठते हुए बोला... पर्दा बेगानों से किया जाता है मेरी जान.. अपनो से नहीं ... हटाओ इस पर्दे को और आओ हम एक दूसरे में समा जायें...
अरे कुत्ते.. कानून की वर्दी पहन कर कानून की ही धज्जियां उड़ा रहा है तू.. और कुछ नहीं तो इस वर्दी की ही लाज तो रख लेता, जो कानून ने तुझे जनता की हिफाजत के लिए दी है...
ताकत की विजय
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Re: ताकत की विजय
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Re: ताकत की विजय
बात तो तू ठीक कह रही है... सोच भरे अंदाज में बोला सेन... सचमुच मुझे इस वर्दी की लाज रखनी चाहिए...
कहकर वह खडा हुआ और बेल्ट खोलते हुए फिर से बोला .. मैं इस वर्दी को उतारकर एक तरफ रख देता हूँ... वर्दी की लाज भी रह जायेगी और मेरा काम भी हो जायेगा ...
है ना लाख रुपये की बात
रानी की आँखों में फैली नफरत बढ़ती चली गई
कमीने अगर तेरी कोई बहन होती और उसके साथ कोई ऐसा करता तब तुझे पता चलता कि आबरू क्या होती है ....
मुस्कुराया राजीव सेन... शुक्र है मेरी कोई बहन नहीं...
तो अपनी बेटी के पास जा और उसके साथ बलात्कार कर... तिरस्कार और घ्रणा से राजीव सेन को देखते हुए बोली...
चट्टाक ....
सेन का भारी हाथ उसके गुलाबी गालों को लाल करता चला गया
रानी दर्द से चीखती हुई बैड पर गिर गई.. गिरते ही चादर एक तरफ सरक गई और रानी की छातियां दिखने लगी...
बहुत मुंह फाड रही है हरामजादी ... गुर्राया राजीव सेन
तेरी तिलमिलाहट कह रही है कि तू एक या दो जवान लडकियों का बाप हैं... मैं भगवान से यही प्रार्थना करूंगी कि उनके साथ भी यही सब कुछ हो जो मेरे साथ हो रहा है... बेहद नफरत भरे स्वर में बोली रानी ...
राजीव सेन ने उसकी बातों को अनसुना किया और उस पर छलांग लगा दी
रानी के होंठों से फिर दर्द भरी चीखे निकलने लगी...
लेकिन वह वर्दी वाला गुंडा उसकी इज्जत के परखच्चे उडाकर ही माना ...
कुछ देर बाद जब वह रानी के ऊपर से उठा तो उसके होठों को चूमा और फिर उसके गुलाबी उरोजो को मसलते हुए बोला जो कि पूरे लाल हुए पडे थे... जगह जगह दांतों के निशान बने हुए थे जो बयां कर रहे थे बर्बरता की इस कहानी को
सचमुच तू बेहद कडक माल है... ऐसा कडक माल मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं भोगा ... मैं तेरे से वादा करता हूं कि तेरे भाई को अवश्य छोड़ दिया जायेगा, बस हमारे दो साथियों को और खुश करना होगा तुझे ... फिर इधर तू घर पहुंचेगी उधर तेरा भाई थाने से रिहा हो जायेगा ...
रानी कुछ नहीं बोली बस अपनी किस्मत को कोसते हुए रोती बिलखती रही ...
यह ले.. कपडों का एक जोड़ा रानी पर फेंकते हुए मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह हंसते हुए बोला ... पहन ले इसे और जा अपने घर
रानी बस रोये जा रही थी ...
पहले चौधरी फिर राजीव सेन ने उसकी इज्जत लूटी फिर सुरेश पाटील ने तथा प्रताप सिंह ने उसकी इज्जत की धज्जियां उड़ा दी ... तार तार करके रख दिया उसके लाज के अनमोल गहने को...
इस वक्त चारों चांडाल उसके सामने खड़े हंस रहे थे और रानी उनके सामने पूर्णतया नग्न अवस्था में बैठी अपने नसीब को कोस रही थी
रो क्यों रही है रानी... तभी सुरेश पाटील बोल पड़ा... तेरा कुछ घिस तो नहीं गया... कुछ निकाला नहीं हमने तेरे में से बल्कि कुछ डाला ही है ...
उसकी बात पर सभी जोरो से हंसने लगे ..
उनकी यह हंसी ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे कब्रिस्तान में कई जिन्न एक साथ हंस रहे हो...
रानी ने रोते हुए उनके सामने ही कपड़े पहने और फिर चारों को बारी बारी से देखते हुए बोली... इतना याद रखो कुत्तों.. जुल्म की हुकूमत ज्यादा दिन नहीं चलती, तुम लोगों ने मेरे साथ जो किया है उसकी सजा तुम्हें मिल कर रहेगी ..
मगर सजा सुनाने वाला तो मैं हूँ... तभी प्रताप सिंह हंसते हुए बोला ...
उससे पहले अदालत में जिरह करके तेरी मिट्टी पलीद कर दूंगा और तुझे भरी अदालत में नंगा कर दूंगा ... वकील सुरेश पाटील ने कहा ...
अदालत में जाने की नौबत आयेगी तब ना... तभी सेन बोल पड़ा... उससे पहले तुझे हमारे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करानी पडेगी... और पुलिस का मालिक मैं हूं , वहीं थाने में ही तुझे अपने सिपाहियों में बांट दूंगा.... एक ही रात में तेरी वो हालत हो जायेगी कि तू शादी करने लायक तक नहीं रहेगी ...
चौधरी क्यों पीछे रहता, वो भी जहरीली हंसी के साथ बोला... और मैं तो जनसेवक हूँ... जनता की सेवा करना मेरा धर्म है और जनता में मैंने क्या जगह बनाई है यह तुझे तब पता चलेगा जब मेरे खिलाफ आवाज उठाते ही जनता तेरी बोटी बोटी नोंच लेगी ...
हाहाहा.... हाहाहा.... चारों दरिंदे एक साथ अट्टहास करने लगे....
हमारे खिलाफ जाने के तमाम रास्ते तेरे लिए बंद है मेरी जान... निरंजन चौधरी आगे बोला.... इसलिए हमारे खिलाफ आवाज उठाने की सपने में भी मत सोचना , हम तुझे ऐसे ही नहीं छोड़ रहे हैं अगर विश्वास ना हो तो बेशक आजमा लेना ...
हां ... इसलिए तुम्हारी तथा तुम्हारे भाई की भलाई इसी में है कि जब भी हम तुझे याद करे तू फौरन से पहले हमारे पास चली आया करना... कसम से जिंदगी संवर जायेगी तेरी और नोट भी खुब मिलेंगे ... बोला प्रताप सिंह
चल अब जा... राजीव सेन ने आर पार की बात करने वाले धमकी भरे अंदाज में कहा.. जो तेरे दिल में आये कर लेना , दोनों रास्ते हमने सुझा दिये हैं आगे तेरी मर्जी कि तू किस रास्ते पर जायेगी ...
रानी कुछ नहीं बोली... वह सुबकती हुई दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी
उसका बढता हुआ हर कदम उसके तन बदन में कराहें पैदा कर देता ... जाघों के बीच ऐसा लग रहा था जैसे बहुत बड़ा जख्म हो गया हो ...
ढंग से चल भी नहीं पा रही थी वो... फिर भी वह चल रही थी... रोती हुई , कहराती हुई , बिलखती आंसू बहाती हुई ...
कदमों की आहट सुनकर विशाल ने हवालात के दरवाजे की तरफ देखा ... दो सिपाही दरवाजे के पास पहुंच चुके थे तथा एक ताला खोल रहा था
दरवाजा खोला और एक सिपाही ने आगे बढ़कर उसे बूट की ठोकर रसीद कर दी
हरामी का पिल्ला... साला ऐसे बैठा है जैसे मां की बारात में आया हो... चल खडा हो
बिलबिलाते हुए विशाल खडा हो गया ...
चल , साहब बुला रहे हैं तुझे ... दूसरा उसके बालों को मुट्ठी में पकडते हुए बोला
पीडा से विशाल का चेहरा विक्रत हो गया
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Re: ताकत की विजय
लेकिन इस वक्त उसे अपनी नहीं रानी की चिंता थी ... सुबह आयुष ने जो शब्द उससे कहे थे वे अभी भी उसके कानों में गूंज रहे थे
जिंदगी में पहली बार हवालात में बंद हुआ था सो वह हवालात से भागने की सारे दिन सोचता जरूर रहा मगर रास्ता कोई भी नजर नहीं आया... सारा दिन वह अपनी बहन के लिए तड़पने के अलावा कुछ नहीं कर पाया
उसे लगभग घसीटते हुए दोनों सिपाही जोगलेकर के ऑफिस में ले आए
कुर्सी पर जोगलेकर तोंद निकाले बैठा था... विशाल को देख कर पहले वह मुस्कुराया फिर आँखों में कहर लाते हुए गुर्राया ... जानता है सारा दिन मैं तेरे बारे में तफ्तीश करता रहा ...
विशाल कुछ नहीं बोला बस सूनी आँखों से उसे देखते रहा
हरामी.. झूठ बोलता है कि अफीम का धंधा नहीं करता
विशाल होंठों पर जीभ फेरकर रह गया ...
मगर चूंकि तू पहली बार थाने में आया है, इसलिए तरस खा कर तुझे छोड़ रहा हूं ... जा भाग जा यहां से... और याद रखना, अगर फिर तुने ऐसा कोई काम किया तो सात साल के लिए नपवा दूंगा ...
विशाल ने सिर झुका लिया ...
छोड़ दो इसे, जाने दो... जोगलेकर ने उन दोनों सिपाहियों से कहा जो उसे पकडे हुए थे ...
सिपाहियों ने उसे छोड़ दिया और विशाल सिर झुकाये हुए ही मुडा एंव थाने से बाहर निकल आया ...
उसके बाहर जाते ही जोगलेकर के होंठों पर क्रूर मुस्कान नाच उठी ...
दरवाजे को ताला न लगा देख कर विशाल को तसल्ली हुई कि रानी घर में ही है
आगे बढ़ कर उसने दरवाजा खटखटाया तो दबाव पडते ही दरवाजा थोडा खुल गया
विशाल का कलेजा जोरों से धडकने लगा.... है भगवान , मेरी रानी की रक्षा करना ... विशाल ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की और दरवाजा धकेल कर भीतर दाखिल हो गया ...
रानी.... उसने आवाज लगाई
मगर कोई जवाब नहीं मिला
किसी अनिष्ट की आशंका से विशाल का कलेजा जोरो से कांप उठा ... वह तेजी से आगे बढा और आंगन पार करता करता हुआ ऊंचे स्वर में बोला ... मैं आ गया हूँ रानी देखो तुम्हारा भैया आ गया है ... पुलिस ने मुझे छोड़ दिया है ...
जबाव में उसे कुछ भी सुनाई नहीं दिया ....
घर में मरघट सा सन्नाटा पसरा हुआ था ..
रा.... नी
जोर से चिल्लाया विशाल..
जवाब फिर वही , ढाक के तीन पात
रानीईीीीी
वह तेज कदमों से भीतर प्रवेश करता हुआ बोला मगर कमरे में उसे कोई नजर नहीं आया..
रानी... रानी... चिल्लाता हुए वह तेजी से पिछले कमरे की तरफ भागा ...
जैसे ही वह कमरे की दहलीज पर पहुंचा , उसके हलक से चीख निकल गई ...
रा--नी
बस यहीं शब्द निकला उसके लरजते होंठों से और मुंह खुला का खुला रह गया ...
सामने बडा ही हाहाकारी द्रस्य था .... दिल दहला देने वाला ..
फटी फटी आँखों से वह कमरे के बीचो बीच पंखे से झूलती रानी को देखने लगा , जिसकी गर्दन में उसकी चुनरी फंसी हुई थी तथा चुनरी का दूसरा सिरा पंखे से बंधा हुआ था ...
कुछ पल वह रानी को पथराई आँखों से देखता रहा ... फिर चीखते हुए रानी की लाश की तरफ झपटा और घुटनों के बल बैड पर खड़े होकर रानी के पैरों को पकड़ कर जोर जोर से रोने लगा ....
य.. यह क्या हो गया मेरी बहना ... यह क्या कर डाला तुने ... अपने भाई का इंतजार भी नहीं किया तुने ...
विशाल के आंसू रानी के पैरों को भिगोने लगे ...
रोते रोते सहसा उसकी नजर बैड के कोने पर पड़े कागज पर पड़ी .... कागज खुला हुआ था और उस पर कुछ लिखा हुआ था ...
विशाल ने रानी के पैरों को छोडा और घुटनों के बल चलता हुआ बैड के किनारे की तरफ बढ़ा ... झुक कर उसने कागज उठाया और पढने लगा
भैया....
अब मैं तुम्हें मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही , तुम्हारे जाने के बाद एक आदमी आया और उसने मुझे रायपुर के जनसेवक कहलाने वाले निरंजन चौधरी के पास जाने की सलाह दी ... अपने भैया को बचाने के लिए मैं उसके पास गई और दामन फैला कर तुम्हें छुड़ाने की भीख मांगी...
लेकिन भैया , उसने मुझ गरीब को नही बख्शा... मेरे दामन को तार तार कर दिया ... मेरी आबरू लूट ली उसने... वही पर ही बस नहीं कि उस कमीने ने .. पुलिस के एक बड़े अधिकारी एस पी राजीव सेन ने , यहां की अदालत के वकील सुरेश पाटील ने और मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह ने भी मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ाते हुए मुझे कलंकित कर दिया ...
और फिर मुझे यह कहते हुए छोड़ दिया कि मैं उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ... सचमुच भैया, मैं या तुम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते, इसलिए मैंने अपनी जिंदगी समाप्त करने की ठान ली ...
लेकिन तुम खुद को कुछ मत करना भैया , मेरी कसम है तुम्हें ... तुम्है अपनी बहन के हुए अपमान का बदला लेना है ... उसकी इज्जत लूटने वाले दरिंदों को छोड़ना नहीं तुम ... अपनी बहन की आखिरी इच्छा समझ कर उसे पूरा करना मेरे प्यारे भैया ...
तुम्हारी अभागिन बहन
रानी........
टू बी कंटिन्यू ....
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Re: ताकत की विजय
विशाल की आंखों में अंगारे दहकने लगे, चेहरा दहकती भट्टी के समान तपने लगा, उसके नथुनें फूलने लगे... उसने रानी के लिखे अाखिरी पत्र को मुट्ठी में भींच लिया ...
कुत्तों ... विशाल के होंठों से फूंफकार निकली... मेरी बहन को दिए एक एक जख्म का हिसाब लूंगा में तुमसे.. नहीं छोडूंगा मैं तुम कमीनो को.. नेस्तनाबूद कर डालूंगा... गुस्से की अधिकता के कारण उसके होंठों से थूक के छींटे उडने लगे... मेरी बहन की इज्जत लूटने के लिए तुम कुत्तों ने मुझे फंसाया और अपना ही आदमी भेज कर रानी को अपने पास आने के लिए कहलवा दिया .... मैं तुम्हारी चाल समझ गया हूं हरामखोरो... अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा... नहीं छोडूंगा हरामजादों ....
छंलाग मार कर वह बैड से उतरा और घर के बाहर निकल कर जोर से चिल्लाया ...
अरे मोहल्ले वालों ... मर गए क्या सब के सब... देखो मेरी बहन को मार डाला उन जालिमों ने... मार डाला उसे ... मेरी बहन मर गई मोहल्ले वालों ...
विशाल की चीखों पुकार सुनकर आस पड़ोस के दरवाजे खुलने लगे और कुछ ही देर में उसके घर के आगे मोहल्ले वालों का जमघट लग गया ...
कैसे हुआ यह सब विशाल ? एक बुजुर्ग बोला..और किन जालिमों की बात कर रहे हो तुम... किन्होनें मारा रानी बेटी को ?
चौधरी ने ... विशाल के होंठों से जैसे अंगारे निकले...
चौधरी... कौन चौधरी ?
निरंजन चौधरी ... भेड की खाल में छुपा हुआ भेडिया है वो.. पुलिस के एस पी ने, मजिस्ट्रेट ने , वकील ने , चारों ने मिलकर मेरी बहन को मार डाला काका...
यह क्या कह रहे हो तुम विशाल ? एक अन्य व्यक्ति बोला.. चौधरी साहब पर तोहमत लगा रहे हो .. अरे उन्हें तो सारा शहर पुजता है, देवता हैं वो तो और तू उन्हीं पर इल्जाम लगा रहा है ?
वह देवता नहीं राक्षस है काशी भैया... विशाल रोते हुए बोला .. एक दरिंदा है वो.. लेकिन मैं तुमसे यह नहीं कहुंगा कि मेरे साथ मिलकर उसके खिलाफ आवाज बुलंद करो... मैं सिर्फ यह पूछना चाहता हूं कि मेरे गिरफ्तार होने के बाद क्या कोई आदमी हमारे घर आया था ?
हां .. आया तो था एक आदमी ..एक महिला बोली
कौन... कौन आया था ? मुझे बताओ सावित्री बहन कौन आया था ? उसी हरामजादे ने रानी को चौधरी के पास जाने की सलाह दी थी ....
रवी... वह महिला बोली
रवी... कौन रवी ? कहां रहता है वो?
वह पिछले मोहल्ले में रहता है .. सावित्री ने उसे रवी का पता बताया और बोली .. पता नहीं क्या बात की उसने रानी से कि उसके जाते ही वह भी चली गई थी ...
विशाल की आँखों में खून उतर आया... चेहरा तमतमा उठा
नहीं छोडूंगा... किसी को भी नहीं छोडूंगा... वह गुस्से में बड़बड़ाया और वापिस घर में भागा...
शीघ्र ही वह वापिस बाहर निकला तो उसके हाथ में कुल्हाड़ी थी ...
साक्षात यमदूत नजर आ रहा था इस वक्त विशाल...
य. यह तू क्या करने जा रहा है विशाल बेटे... बुजुर्ग बौखलाये स्वर में बोला
नामोनिशान मिटा दूंगा मैं उन भेड़ियों का.. मेरी बहन को मार कर वे जिंदा नहीं रह सकते... घायल शेर की तरह दहाड़ उठा विशाल ...
पागलपन हो गया है तू ... जानता है कानून को हाथ में ले रहा है तू...
किस कानून की बात कर रहे हो काका ? वह जो चौधरी के पैरों के तलवे चाटता है, वह जो मजिस्ट्रेट के मुंह से सजा बन कर गरीबों और बेगुनाहों के सिर पर पहाड़ बन कर टूटता है ... मैं नहीं मानता इस कानून को
नहीं विशाल , हम तुम्हें ऐसा गलत कदम उठाने नहीं देंगे
हट जाओ मेरे रास्ते से ... दहाडा विशाल और कुल्हाड़ी को हवा में लहराते हुए बोला ... कोई भी मेरा रास्ता रोकने की कोशिश ना कर, वर्ना मैं उसे भी अपना दुश्मन समझ कर मौत के घाट उतार दूंगा
भय और खौफ के मारे सभी पिछे हटते चले गए
आँखों में जुनून और हाथ में कुल्हाड़ी लहराते हुए विशाल भीड से बाहर निकला और पूरी रफ्तार से एक तरफ भागने लगा.
खटाक... खटाक... खटाक..
दरवाजे पर पड़ती चोटों को सुन कर रवी चौंक गया .. उसने हाथ में थमा पैग खाली किया और खडा हो गया ...
किस हरामी में इतनी हिम्मत हो गई कि मेरे घर का दरवाजा तोडे ...
गुस्से में भुनभुनाते हुए वह दरवाजे की तरफ बढ़ा...
दरवाजे के करीब पहुंच कर उसने जेब से रामपूरी चाकू निकाला और फिर मुंह से गंदी गाली निकालते हुए जैसे ही दरवाजा खोला ....
उसका कलेजा उछल कर हलक में आ अटका... तिरपन कांप गये पठ्ठे के..
सामने कुल्हाड़ी हाथ में लिए मौत का दूत बना विशाल खडा था और बरस रहे थे उसकी आँखों से अंगारे , जो सारी दुनिया को जला कर राख कर देना चाहते थे ...
वि. शा ल..
हां कुत्ते मैं . दहाडा विशाल. रानी को तुने ही चौधरी के पास भेजा था ना...
रवी उसका रौद्र रूप देख कर यह भी भूल गया कि उसके हाथ में चाकू है
खचाक....
तभी विशाल की कुल्हाड़ी उसके कंधे पर पडी और उसकी बांह अलग होकर परे जा गिरी
रवी के होंठों से तेज चीख निकल गई.. उसके कटे कंधे से खून का दरिया उमड पडा
तभी विशाल का पैर पूरे वैग से उसके पेट पर पड़ा
रवि पीठ के बल पीछे जा गिरा ...
कमीने ... विशाल उसके सीने पर पैर रखते हुए दहाडा... मेरी बहन मर गई, उसने आत्महत्या कर ली और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाला तू है ... तूने ही उसे चौधरी के पास जाने के लिए प्रेरित किया था ...
मुझे माफ कर दो विशाल.. मुझे माफ कर दो .... गिड़गिड़ा उठा रवी
माफी तो अब ऊपर जाकर रानी से मांग हरामजादे ... मैं तुम्हें हरगिज़ माफ नहीं करूंगा... सभी को मौत के घाट उतार डालूंगा... किसी को भी जिंदा नहीं छोडूंगा ... याााा...
बात पूरी होते ही विशाल ने कुल्हाड़ी ऊपर उठाई और भयानक रूप से चीत्कार करते हुए उसके सिर पर वार कर दिया ....
रवी की खोपडी दो हिस्सों में विभाजित हो गई... एक बारगी वह जोरों से छटपटाया फिर शांत हो गया....
बड़ा ही खौफनाक मंजर था कोई कच्चे दिल वाला देख ले तो हार्ट फेल हो जाये ....
विशाल के भीड में से निकलते ही मोहल्ले में जैसे चीखों पुकार मच गई
बहुत बड़ा जुल्म हुआ बेचारे के साथ ... एक बोला
चौधरी साहब ऐसे लगते तो नहीं ... दूसरा बोला ... आज तक उनके खिलाफ किसी ने शिकायत नहीं की ...
मगर विशाल भी तो ऐसा नहीं है ... पूरा मोहल्ला जानता है उसके बारे में ... फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार क्यों किया... तभी तीसरा व्यक्ति बोला
मुझे तो लगता है कि चौधरी ने रानी के लिए सारा षड्यंत्र रचा है... एक और बोल पड़ा
और रवी भी उसी का आदमी है... पहले वाला बोला ... तभी तो उसने रानी को चौधरी के पास जाने के लिए उकसाया
अरे तुम सब लोग बातें ही करते रहोगे कि पुलिस को फोन भी करोगे... एक बुजुर्ग बोला
सभी का ध्यान उसकी तरफ हो गया ...
खडे खडे मेरा मुँह क्या देख रहे हो... कोई पुलिस को फोन करो.... विशाल कुल्हाड़ी लेकर गया है , उसके सिर पर खून सवार हैं ... कहीं वह कुछ कर बैठा तो बेचारे की बाकी जिंदगी सलाखों के पीछे कट जायेगी .... इससे पहले कि वह कुछ करे, पुलिस को बुलाओ...
बात लाख रुपये की थी बुजुर्गवार की... तुरंत एक आदमी फोन करने के लिए भागा....
******-****
कुत्तों ... विशाल के होंठों से फूंफकार निकली... मेरी बहन को दिए एक एक जख्म का हिसाब लूंगा में तुमसे.. नहीं छोडूंगा मैं तुम कमीनो को.. नेस्तनाबूद कर डालूंगा... गुस्से की अधिकता के कारण उसके होंठों से थूक के छींटे उडने लगे... मेरी बहन की इज्जत लूटने के लिए तुम कुत्तों ने मुझे फंसाया और अपना ही आदमी भेज कर रानी को अपने पास आने के लिए कहलवा दिया .... मैं तुम्हारी चाल समझ गया हूं हरामखोरो... अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा... नहीं छोडूंगा हरामजादों ....
छंलाग मार कर वह बैड से उतरा और घर के बाहर निकल कर जोर से चिल्लाया ...
अरे मोहल्ले वालों ... मर गए क्या सब के सब... देखो मेरी बहन को मार डाला उन जालिमों ने... मार डाला उसे ... मेरी बहन मर गई मोहल्ले वालों ...
विशाल की चीखों पुकार सुनकर आस पड़ोस के दरवाजे खुलने लगे और कुछ ही देर में उसके घर के आगे मोहल्ले वालों का जमघट लग गया ...
कैसे हुआ यह सब विशाल ? एक बुजुर्ग बोला..और किन जालिमों की बात कर रहे हो तुम... किन्होनें मारा रानी बेटी को ?
चौधरी ने ... विशाल के होंठों से जैसे अंगारे निकले...
चौधरी... कौन चौधरी ?
निरंजन चौधरी ... भेड की खाल में छुपा हुआ भेडिया है वो.. पुलिस के एस पी ने, मजिस्ट्रेट ने , वकील ने , चारों ने मिलकर मेरी बहन को मार डाला काका...
यह क्या कह रहे हो तुम विशाल ? एक अन्य व्यक्ति बोला.. चौधरी साहब पर तोहमत लगा रहे हो .. अरे उन्हें तो सारा शहर पुजता है, देवता हैं वो तो और तू उन्हीं पर इल्जाम लगा रहा है ?
वह देवता नहीं राक्षस है काशी भैया... विशाल रोते हुए बोला .. एक दरिंदा है वो.. लेकिन मैं तुमसे यह नहीं कहुंगा कि मेरे साथ मिलकर उसके खिलाफ आवाज बुलंद करो... मैं सिर्फ यह पूछना चाहता हूं कि मेरे गिरफ्तार होने के बाद क्या कोई आदमी हमारे घर आया था ?
हां .. आया तो था एक आदमी ..एक महिला बोली
कौन... कौन आया था ? मुझे बताओ सावित्री बहन कौन आया था ? उसी हरामजादे ने रानी को चौधरी के पास जाने की सलाह दी थी ....
रवी... वह महिला बोली
रवी... कौन रवी ? कहां रहता है वो?
वह पिछले मोहल्ले में रहता है .. सावित्री ने उसे रवी का पता बताया और बोली .. पता नहीं क्या बात की उसने रानी से कि उसके जाते ही वह भी चली गई थी ...
विशाल की आँखों में खून उतर आया... चेहरा तमतमा उठा
नहीं छोडूंगा... किसी को भी नहीं छोडूंगा... वह गुस्से में बड़बड़ाया और वापिस घर में भागा...
शीघ्र ही वह वापिस बाहर निकला तो उसके हाथ में कुल्हाड़ी थी ...
साक्षात यमदूत नजर आ रहा था इस वक्त विशाल...
य. यह तू क्या करने जा रहा है विशाल बेटे... बुजुर्ग बौखलाये स्वर में बोला
नामोनिशान मिटा दूंगा मैं उन भेड़ियों का.. मेरी बहन को मार कर वे जिंदा नहीं रह सकते... घायल शेर की तरह दहाड़ उठा विशाल ...
पागलपन हो गया है तू ... जानता है कानून को हाथ में ले रहा है तू...
किस कानून की बात कर रहे हो काका ? वह जो चौधरी के पैरों के तलवे चाटता है, वह जो मजिस्ट्रेट के मुंह से सजा बन कर गरीबों और बेगुनाहों के सिर पर पहाड़ बन कर टूटता है ... मैं नहीं मानता इस कानून को
नहीं विशाल , हम तुम्हें ऐसा गलत कदम उठाने नहीं देंगे
हट जाओ मेरे रास्ते से ... दहाडा विशाल और कुल्हाड़ी को हवा में लहराते हुए बोला ... कोई भी मेरा रास्ता रोकने की कोशिश ना कर, वर्ना मैं उसे भी अपना दुश्मन समझ कर मौत के घाट उतार दूंगा
भय और खौफ के मारे सभी पिछे हटते चले गए
आँखों में जुनून और हाथ में कुल्हाड़ी लहराते हुए विशाल भीड से बाहर निकला और पूरी रफ्तार से एक तरफ भागने लगा.
खटाक... खटाक... खटाक..
दरवाजे पर पड़ती चोटों को सुन कर रवी चौंक गया .. उसने हाथ में थमा पैग खाली किया और खडा हो गया ...
किस हरामी में इतनी हिम्मत हो गई कि मेरे घर का दरवाजा तोडे ...
गुस्से में भुनभुनाते हुए वह दरवाजे की तरफ बढ़ा...
दरवाजे के करीब पहुंच कर उसने जेब से रामपूरी चाकू निकाला और फिर मुंह से गंदी गाली निकालते हुए जैसे ही दरवाजा खोला ....
उसका कलेजा उछल कर हलक में आ अटका... तिरपन कांप गये पठ्ठे के..
सामने कुल्हाड़ी हाथ में लिए मौत का दूत बना विशाल खडा था और बरस रहे थे उसकी आँखों से अंगारे , जो सारी दुनिया को जला कर राख कर देना चाहते थे ...
वि. शा ल..
हां कुत्ते मैं . दहाडा विशाल. रानी को तुने ही चौधरी के पास भेजा था ना...
रवी उसका रौद्र रूप देख कर यह भी भूल गया कि उसके हाथ में चाकू है
खचाक....
तभी विशाल की कुल्हाड़ी उसके कंधे पर पडी और उसकी बांह अलग होकर परे जा गिरी
रवी के होंठों से तेज चीख निकल गई.. उसके कटे कंधे से खून का दरिया उमड पडा
तभी विशाल का पैर पूरे वैग से उसके पेट पर पड़ा
रवि पीठ के बल पीछे जा गिरा ...
कमीने ... विशाल उसके सीने पर पैर रखते हुए दहाडा... मेरी बहन मर गई, उसने आत्महत्या कर ली और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाला तू है ... तूने ही उसे चौधरी के पास जाने के लिए प्रेरित किया था ...
मुझे माफ कर दो विशाल.. मुझे माफ कर दो .... गिड़गिड़ा उठा रवी
माफी तो अब ऊपर जाकर रानी से मांग हरामजादे ... मैं तुम्हें हरगिज़ माफ नहीं करूंगा... सभी को मौत के घाट उतार डालूंगा... किसी को भी जिंदा नहीं छोडूंगा ... याााा...
बात पूरी होते ही विशाल ने कुल्हाड़ी ऊपर उठाई और भयानक रूप से चीत्कार करते हुए उसके सिर पर वार कर दिया ....
रवी की खोपडी दो हिस्सों में विभाजित हो गई... एक बारगी वह जोरों से छटपटाया फिर शांत हो गया....
बड़ा ही खौफनाक मंजर था कोई कच्चे दिल वाला देख ले तो हार्ट फेल हो जाये ....
विशाल के भीड में से निकलते ही मोहल्ले में जैसे चीखों पुकार मच गई
बहुत बड़ा जुल्म हुआ बेचारे के साथ ... एक बोला
चौधरी साहब ऐसे लगते तो नहीं ... दूसरा बोला ... आज तक उनके खिलाफ किसी ने शिकायत नहीं की ...
मगर विशाल भी तो ऐसा नहीं है ... पूरा मोहल्ला जानता है उसके बारे में ... फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार क्यों किया... तभी तीसरा व्यक्ति बोला
मुझे तो लगता है कि चौधरी ने रानी के लिए सारा षड्यंत्र रचा है... एक और बोल पड़ा
और रवी भी उसी का आदमी है... पहले वाला बोला ... तभी तो उसने रानी को चौधरी के पास जाने के लिए उकसाया
अरे तुम सब लोग बातें ही करते रहोगे कि पुलिस को फोन भी करोगे... एक बुजुर्ग बोला
सभी का ध्यान उसकी तरफ हो गया ...
खडे खडे मेरा मुँह क्या देख रहे हो... कोई पुलिस को फोन करो.... विशाल कुल्हाड़ी लेकर गया है , उसके सिर पर खून सवार हैं ... कहीं वह कुछ कर बैठा तो बेचारे की बाकी जिंदगी सलाखों के पीछे कट जायेगी .... इससे पहले कि वह कुछ करे, पुलिस को बुलाओ...
बात लाख रुपये की थी बुजुर्गवार की... तुरंत एक आदमी फोन करने के लिए भागा....
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Re: ताकत की विजय
रवी का काम तमाम कर विशाल कुछ पल खून उगलती निगाहों से उसकी लाश को घूरता रहा.. फिर वह झटके से वापस मुडा और भागते हुए गली से बाहर की तरफ बढ़ने लगा ...
चौधरी ... वह घायल नाग की तरह फुंफकारा... अब तेरी बारी है ... मेरी बहन को मार कर तू भी जिंदा नहीं रह सकता... सभी की गर्दने धड से अलग कर दूंगा मैं...
उसके कपड़े खून के छींटों से भरे हुए थे ... कुल्हाड़ी की तेज़ धार से खून की बूंदे टपक रही थी... उसके चेहरे पर भी खून की छींटे पडी हुई थी जिसकी वजह से उसका चेहरा बेहद भयानक लग रहा था.. साक्षात परशुराम लग रहा था विशाल....
गली से बाहर निकल कर पूरी गति से वह निरंजन चौधरी की कोठी की ओर दौड़ने लगा...
आज तो सचमुच मजा आ गया .. पैग बनाते हुए राजीव सेन बोला
ऐसा मजा तो मुझे अपनी पत्नी के साथ भी नहीं आया... हंसते हुए कहा सुरेश पाटील ने
इतनी मस्ती करने के बाद भी दिल नहीं भरा क्या... पैग चुसकते हुए चौधरी ने चिकोटी ली..
तो कल फिर बुला लिजिये उसे.... मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह बोला... देख लीजियेगा सिर के बल दौडी चली आयेगी...
न भी आई तो लाना खूब आता है, उसके भाई को फिर गिरफ्तार करवा दूंगा... तब उसे नाक रगड़ते हुए आना ही पड़ेगा... राजीव सेन हंसते हुए बोला
तभी फोन की रिंग बज उठी
ट्रिन... ट्रिन...
निरंजन चौधरी ने पैग खाली करके टेबल पर रखा और रिसीवर उठा कर बेहद सुशील और नर्म स्वर में बोला...
जनसेवक निरंजन चौधरी आपकी क्या सेवा कर सकता है महोदय
मैं जोगलेकर बोल रहा हूँ चौधरी साहब... घबराहट स्वर में बोला गया उधर से
निरंजन चौधरी चौंका और आवाज में रूआब लाते हुए बोला ... खैरियत तो है ?
रा.. नी...
क्या रानी ? चौंकते हुए बोला चौधरी
उ.. उसने आत्महत्या कर ली
क्... या... उछल पडा चौधरी
और विशाल रवी का खून करने के इरादे से कुल्हाड़ी लेकर उसके घर गया है
उस चिंटी के इतने पर निकल आए कि कत्ल करने के लिए सोचने लगे
उस सिर पर खून सवार है... दूसरी तरफ से कहा गया... उसके मोहल्ले से फोन द्वारा मुझे सूचित किया गया है कि उसने आप लोगों को भी खत्म करने का ऐलान कर दिया है ...
ओह... सोचे उभर आई चौधरी के चेहरे पर... यह तो बहुत बुरा हुआ
मेरे लिए क्या हुक्म है ? क्या गोली से उड़ा दूं उसे ?
नहीं... तेजी से बोला चौधरी... उसे खत्म नहीं करना है ...
तो फिर ?
उसे गिरफ्तार कर लो
जैसा आप कहें सर...
चौधरी ने फोन रखा और गहरी सांस छोड़ते हुए अपने साथियों से बोला ... रानी ने आत्महत्या कर ली..
क्या ...?
तीनों एक साथ चौंके.. जैसे बिच्छू ने काटा हो
बेवकूफ़ निकली वह.. भुनभुनाते हुए बोला चौधरी... क्या घट गया था उसका जो आत्महत्या कर ली ...
आप किसके कत्ल की बात कर रहे थे ? तभी राजीव सेन ने पूछा
चौधरी ने उन्हें सब कुछ बताया जो फोन पर बात हुई थी ...
यह क्या किया आपने ? उसकी बात खत्म होते ही राजीव सेन बोल पड़ा ... जोगलेकर को उसे गोली मारने का आदेश दे देना था ... गिरफ्तार करने का क्यो कहा ?
निरंजन चौधरी ने नजरें उसके चेहरे पर टिकाई और अपनी कनपटी ठकठकाते हुए बोला ... अक्ल से काम ले सेन.. अक्ल से
क्या मतलब ?
विशाल ने सारे मोहल्ले के सामने हम लोगों का नाम लिया है .. अगर वह पुलिस की गोली का शिकार हो गया तो पूरे शहर में यह बात फैल जायेगी कि हमने सचमुच ही रानी की इज्जत लूटी थी और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया था.. . अगर उसे गिरफ्तार किया गया तो फिर अदालत में उस पर कत्ल का मुकदमा चलेगा और फैसला तो वही होगा जो हम चाहेंगे ... प्रताप सिंह उसे मौत की सजा सुना देगा और पब्लिक में हम लोगों की इमेज भी बनी रहेगी ...
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