सुलग उठा सिन्दूर complete

Post Reply
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: सुलग उठा सिन्दूर by Ved Prakash Sharma

Post by Jemsbond »

सांसों को नियंत्रित करने के बाद उसने सबसे पहले सुक्खू की लाश उठाकर मैटाडोर की ड्राइविंग सीट पर लुढ़का दरवाजा बंद किया और फिर जेब से रूमाल निकलकर दरवाजे, हैंडिल आदि से अपनी उंगलियों के निशान साफ करने लगा ।

मैटाडोर के पिछले दरवाजे पर से भी उसने निशान साफ किए और दरवाजा बन्द कर दिया ।



अब उसके सामने दीपा को वहां से घर तक ले जाने की समस्या थी।
दीपा को लगा कि उसकी चेतना लोट रही है ।


अपने मुंह से उसे इतनी-हल्की कराहें निकलती महसूस हुई-आंखों के सामने से अंधेरा छंटने लगा और साथ ही मस्तिष्क-पटल' पर उभरने लगे बेहोश होने से पूर्व के दृश्य ।


दुश्य साफ हुए ।



यह महसूस करते ही वह उछल पड़ी कि इस वक्त वह अपने घर में, विस्तर पर है, वह उठकर बैठने ही वाली थी कि देव ने मजबूती के साथ उसके दोनो कंधे पकडकर कहा--" लेटी रहो, तुम्हें आराम की जरूरत है दीपा ।"


नजर देव के चेहरे पर पड्री।



सिर में उस स्थान पर दर्द की तेज लहर दौड़ गई, जहां देव ने रिवॉल्वर का दस्ता मारा था, मुंह से निकला-म-मैं यहां कैसे आ गई?"



"मैं लाया हूं ।"



"त--तुम ?" वह गुर्राई-"तुम्हें मुझे यहाँ लाने की क्या जरूरत थी, मैं तुम्हारी पत्नी ही कहाँ हूं -- तुम्हारी पत्नी तो सन्दूक में भरी वह दोलत है, कहाँ गई वह दौलत ?"




"वहीं छोड़ आया हूं !"




"क-क्या?" ' वह चौंक पड़ी-"क्या तुम सच कह रहे हो देव?"



"बिल्कुल सच, अगर चाहो तो सारे मकान की तलाशी ले सकती हो-- सन्दूक की बात तो दूर - ट्रेजरी से लूटा गया एक नोट भी तुम्हें यहां नहीं मिलेगा!"



"ओह ।" दीपा के चेहरे पर हर तरफ खुशी-ही-खुशी नाच रही थी----मैं जानती थी देव कि तुम इतने लालची नहीं हो, वह तो दौलत से भरे सन्दूक को देखकर तुम बहक गए थे-मुझ पर हमला करने के बाद अहसास हुआ होगा कि यह तुमने क्या कर डाला है, मुझे बेहोश देखकर तुम्हारी _आत्मा जागी होगी---- है ना?"


देव चुप रहा ।।
कुछ बोलने के स्थान पर उसने एक सिगरेट सुलगाई और अभी पहला कश ही लगाया था कि दीपा ने कहा-""तुम बोलते क्यों नहीं देव, चुप क्यों हो?"


"आत्मा-वात्मा जागने का कोई चक्कर नहीं है दीपा ।" उसने गम्भीर स्वर में कहा ।


"क्या मतलब?"


"में ये चाहता हूं कि पहले तुम ध्यान से मेरी पूरी बात सुनो, उसके बाद अपनी बात करना-दरअसल हम किसी किस्म की जल्दबाजी दिखाएंगे तो सारी जिन्दगी पछताना पड़ सकता है ।"


"वह भूत शायद तुम्हारे दिमाग से अभी तक उतरा नहीं है?"


"कह चूका हूं कि अपनी बात कहने से पहले मैं तुम्हारी कोई बकवास सुनना नहीं चाहता, जो कहना है, मेरी बात ध्यान से सुनने के बाद कहना!"


उसके चेहरे को घूरती हुई दीपा ने कहा-"बोलो ।"


"अपने काम की शुरुआत मैं कर चुका हुं ।"


" यानी? "


'" तुम्हारे बेहोश होने के वाद मैंने ट्रेजरी का सन्दूक मैटाडोर से दो फर्लांग दूर ले जाकर ऐसी झाडियों में छुपा दिया है जहाँ से लाख सिर पटकने पर भी पुलिस उसे खोज नहीं सकेगी, सन्दूक के मैटाडौर से झाडियों तक पहुंचाये जाने का वहां कोई चिह नहीं है!"


दीपा सांस रोके सुनती रही ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: सुलग उठा सिन्दूर by Ved Prakash Sharma

Post by Jemsbond »



"सुक्खू की लाश मेटाडोर के अन्दर डालकर, उसके सारे दरवाजे बन्द कर दिए हैं ।"


" क्यों ?"


"अगर लाश खुले जंगल में पड़ी रहती तो शीध्र ही उससे उठने वालो दुर्गन्ध के कारण पेडों के झुरमुट के ऊपर गिद्ध मंडराने लगते और पुलिस वहां पहुंच सकती थी ।"


"देर-सबेर पुलिस किसी भी तरह वहां पहुच जाएगी ।"


"मुझें परवाह नहीं है-पुलिस को वहांसे हमारे स्कूटर के टायरों तक के निशान नहीं मिलेगे, मैं सब साफ कर आया हूं—
हांलाकि कम-से-कम दो-चार दिन तो पुलिस के वहां पहुचने की कोई सम्भावना है नहीं और यदि पहुच गई तो यहीं नतीजा निकलेगी कि दोलत लुटेरों का तीसरा साथी ले गया है ।"


"बेहोश" अवस्था में मुझे तुम यहां तक कैसे लाए?"


"सबसे ज्यादा मुझें तुम्हारे बेहोश जिस्म ने ही परेशान किया है, जंगल से सड़क तक स्कूटंर पर डालकर बडीं मुश्किल से पहुंचा-शहर की तरफ जाने वाली कार से यह कहकर लिफ्ट मांगी कि तुम ज्यादा गर्मी के कारण बेहोश हो गई हो-चैकपोस्ट पर पुलिस ने रोका-बड़ी मुश्किल से उसे यकीन दिलाने में कामयाब हुआ ।


दीपा लगातार उसे घूरती रही ।


"यहां पहुचने तक रास्ते यह डर अलग लगता रहा कि कहीं तुम होश में न आ जाओ!" कहने के बाद उसने सिगरेट में एक लम्बा कश लगाया ।



जबकि भन्नाई हुई दीपा ने कहा…"इस डर से धिरे रहने की क्या जरूरत थी, मुझे भी मारकर वहाँ की किसी ऐसी झाड़ी में डाल आते जहाँ से लाख सिर पटकने पर भी पुलिस... ।"



"बीच में मत बोलो दीपा, अभी मेरी बात खत्म नहीं हुई है ।"


वह पुन: सिर्फ उसे घूरती रह गई ।



एक और कश के बाद ढेर सारा धुआं उगलते हुए देव ने कहा…"शायद यह बात तुम समझ सकती हो कि जितना सब कुछ मैं कर चुका हूं अगर वह पुलिस को पता लग जाए तो मुझे तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाएगा और अदालत मुझे वही सजा देगी, जो लूट की दौलत पर लार टपकाकर उसे हथियाने का प्रयास करने वाले को दे सकती है!"



" खुशी है कि जो बात मैं शुरू में ही तुम्हें समझाने का प्रयास कर थी, वह अव तुम्हारी समझ में आ रही है!" दीपा ने कहा…"शुक्र है कि अब तुम्हे यह इल्म हो रहा है कि लूट के दौलत पर लार टपकाना कितना संगीन जुर्म है?"



"और वह जुर्म मैं कर चुका हु ।"



"अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है देव, अभी इतने आगे नहीं बढ़े हो कि कानून तुम्हें माफ न कर सके--- अगर अब भी पुलिस को सबकुछ साफ-साफ़ बता दो तो मुझें यकीन है कि तुम्हे माफ कर दिया जाएगा और तुम्हे ऐसा ही करना चाहिए ।"



"मैं ऐसा नहीं करूंगा ।"'

" द-देव ।"


"यह मेरा दृढ फैसला है ।" कहने के साथ ही वह एक झटके से उठकर खड़ा हो गया, सिगरेट में एक और कश लगाने के बाद बोला-"किसी पुलिस वाले के पास जाकर हकीकत बताने के लिए मैंने इतनी मेहनत नहीं की है, हां-तुम्हें मैं नहीं रोकूगा, तुम पूरी तरह आजाद हो दीपा…अगर चाहो जाकर पुलिस को बता दो कि मैंने क्या किया हैं?"


"क्या मतलब?" दीपा उलझ गई !



"मगर याद रखना, जो कुछ मैंने किया है उसकी इन्फॉरमेशन अगर पुलिस को मेरे अलावा किसी अन्य से मिली तो मुझे पुलिस या अदालत कभी माफ नहीं करेगी ।"


"तुम कहना क्या चाहते हो देव?"


"समझाना चाहता हूं कि अगर मेरी कारगुजारी का जिक्र तुमने किसी से किया तो अंजाम मेरी गिरफ्तारी और सजा होगा, क्या वह सबकुछ तुम सह सकोगी?"


दीपा का चेहरा फ़क्क पड़ गया ।

प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: सुलग उठा सिन्दूर by Ved Prakash Sharma

Post by Jemsbond »


उसका चेहरा देखकर देव अपनी चालाकी पर कुटिलतापूर्वक, मुस्कराया, गर्म लोहे पर चोट करने वाले सिद्धान्त का पालन करता हुआ बोला-" मुझे फांसी या कम-से-कम उम्रकैद तो हो ही जाए !"


"न नहीं!" दीपा चीख पड़ी -"मैं ऐसा नहीं होने दूगीं ।"


"तो चीखों मत, धीरे बोलो ।" देव ने दांत भीचकर कहा…"अगर किसी ने सुन लिया कि हमारी तकरार किस मसले पर हो रही है तो पुलिस यहां पहुंच जाएगी ।"



"म-मगर--तुम समझते क्यों नहीं देव, क्या करना चाहते हो वह वहुत खतरनाक काम है---तुम कहीं भी किसी क्षण पकडे़ जा सकते हो!"


"मेरे पकड़े जाने पर क्या होगा?"



"फांसी या उम्रकैद ।"



"और वही आज, इसी क्षण पकड़े जाने पर भी होनी है ।" देव ने तपाक से कहा-"अगर यह होना ही है तो अब डर किस बात से दीपा-फांसी का फंदा मेरे गले में डालने का काम तुम ही क्यों करती हो?"


गडगडाकर दीपा के दिलो-दिमाग पर जैसे बिजली गिर पड़ी ।
देव ने सिगरेट के अन्तिम टुकड़े को फर्श पर डालकर जूते से मसलते हुए कहा-"तुम्हें इसी बात का तो डर है न कि कहीं मैं पकड़ा न जाऊं, मुझे सजा न हो जाये?"



"हाँ ।"



"ती यह बात तुम्हें अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये कि तुम्हारी इन्फॉरमेशन से पुलिस मुझे पकड़ लेगी, अदालत सजा देगी----वही जो मेरे किसी भी स्पाट पर पकड़े जाने पर दे सकती है----हर हालत में यही होगा दीपा, जबकि ।"


"जबकि. . ?"



"जबकि अगर तुम मुझे शांति से वह सबकुछ करने दो जो चाहता हूं तो मुमकिन है कि न पकडा जाऊं, यानी इसमें बचाव की गुंजाइश है ।"



"मुझे तो कहीं बचाव की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है देव ।"



"तन की नहीं, मन की आंखे खोलकर देखो…मेरे पकडे जाने की कहीं भी, कोई भी तो सूरत नहीं है-इस वक्त सिर्फ मुझे पता है कि दौलत कहां है, अतः वह हमारी है…जरा सोचो, इस हालत में हमें क्या खतरा है-पुलिस यहां कैसे पहुच सकती है?"



दीपा को कहने केलिए कुछ सुझा नहीं ।



"तुमने अलीबाबा की कहानी पढ़ी होगी दीपा?"



"उस कहानी का यहाँ क्या मतलब?"



"ध्यान से सोचो, जो कुछ अलीबाबा और उसकी बीवी के साथ हुआ था, क्या वैसा ही हम लोगों के साथ नहीं हुआ है?"




"मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है देव कि तुम क्या कह रहे हो?"



"अलीबाबा एक गरीब लकड़हारा था, संयोग से एक दिन उसने जान लिया कि चालीस चोरों के खजाने का दरवाजा कैसे खुलता है याद है न?"



"हां, मगर । "




"अगर-मगर कुछ नहीं दीपा, उस कहानी से तालीम लेकर ही तुम मेरी मदद कर दो ।"



"क्या मतलब?"
"जब अलीबाबा ने जंगल में यही घटना के बारे में घर आकर अपनी पत्नी को वताया तो उसने बैसा व्यवहार विल्कुल नहीं किया, जैसा तुम कर रही हो, बल्कि उसने अपने पति का पूरा¸साथ दिया, रात जंगल में उसके साथ गई…चौरो का खजाना खोलकर उससे से हीरे, जवाहरात और अशरफियां निकाल लाए-क्यों के

दीपा, जरा सोचो कि उन्होंने ऐसा क्यों किया-इसीलिए न कि लूट के माल को लूट लेना कोई जुर्म नहीं ।"



दीपा चुप रही ।



देव ने पुन: उसकी नस दवाई-----"' तुमने मदद न की तो मेरे पकडे जाने के चांस ज्यादा हैं ।"



"व-वह कैसे?"


प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: सुलग उठा सिन्दूर by Ved Prakash Sharma

Post by Jemsbond »


"यह तो तुम समझ ही गई होगी कि मैं अपने कदम वापस खींचने वाला नहीं हूं ---अतः वही करूंगा जो सोच लिया हे…अगर तुम मदद के लिए तैयार न हुई तो अकेला और एक से भले दो होते है, मुमकिन है कि अकेला होने की वजह से मैं कोई ऐसी गलती कर बैठूं जो मेरे गले का फंदा वन जाए।"




"म-मगर मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं"' दीपा का यह वाक्य इस बात का गवाह था कि उसने देव के जाल में फंसकर घुटने टेक दिए हैं और इस सच्चाई को महसूस करके मन-ही-मन खुश होता हुआ देव बोला---"तुम मेरा विरोध न करो, मेरे साथ रहो, मेरे लिए यही मदद होगी?"




"क्या करना चाहते हो तुम?"



दीपा के इस सवाल ने देव की वहुत बडी समस्या हल का दी थी, क्योंकि यह सवाल गवाह था इस बात का कि दीपा ने मानसिक रूप से खुदं को उसका साथ देने के लिए तैयार' कर लिया है ।

पश्चिमी गगन पर डूबते जा रहे सुर्य को देखती हुई दीपा एक बार पुन: कह उठी…"म-मान जाओ देव, इतनी जल्दबाजी से काम न लो---प्लीज लौट चलो।"



"मैं फिर कहता है कि तुम अपनी जुबान बन्द रखो ।" कार ड्राइव करते हुए देव गुर्राहट भरे स्वर में कहा-"जो कदम मैं उठा चुका हुं, उसे वापस नहीं खींच सकता।"


"मगर क्यों?"



"तुम्हारे उस खटारा स्कूटर पर तो दौलत से भरा सन्दूक जंगल से घर पहुचाने से रहा, यह काम कार से ही हो सकता है और आज तो इस बहाने के साथ मैंने सुरेन्द्र से उसकी कार मांग ली की हम अपना मैरिज डे शहर के कोलाहल से दूर, कहीं एकान्त में मनाना चाहते है-रोज-रोज गाडी नहीं मिल सकेगी!"



"लेकिन चेकपोस्ट पर पुलिस वालो से क्या कहोगे?"



"यही कि, हम ओघड़नाध के मन्दिर जा रहे हैं ।"


. "क्या वे एक ही दिन में हमे दूसरी बार मन्दिर जाते देखकर संदिग्ध नहीं हो उठेंगे?"



"बातचीत में मैँने एक पुलिस वाले से मालुम कर लिया था---पांच बजे चेकपोस्ट पर तैनात जत्थे की डयूटी चेंज होनी थी----इस वक्त वहाँ दोपहर वाला एक भी पुलिसवाला न होगा ।"




"लेकिन ये सब खतरे उठाने की आखिर जरूरत क्या है?"




"क्या मतलब?"



"तुमने खुद ही तो कहा था कि जहाँ तुमने सन्दूक को छुपाया है, वहां लाख सिर पटकने के वावजूद नहीं पहुच जा सकता-इसका मतलब वह सन्दूक घर रहे या जंगल में, है तो हमारा ही ।"



"क्या बकवास कर रही हो?"



"'समझने की कोशिश करो देव--चेकपोस्ट पर चेंकिंग चल रही है, रांबरी का मामला अभी ताजा है…पुलिस सरगर्मी से लुटेरों और लूट के माल को तलाश कर रही है-ऐसे हालातों में अ़ाज ही सन्दूक को घर पहुचाने का ख्याल बेवकूफाना है --- हजार खतरे हैं,हम किसी नई मुसीबत में फंस सकते हैं या पकड़े जा सकते हैं -----व्यर्थ ही इतने सव खतरे उठाने की आखिर हमें क्या जरूरत है"




"दस लाख की रकम के सामने ये खतरे कुछ भी नहीं है !"




"मगर हम विना कोई खतरा उठाये भी ये दस लाख हासिल कर सकते हैं!"




"वह कैसे?"




"धैर्य से वाम लेकर ।" दीपा ने कहा----" इतने उतावले मत बनो 'देव, समय गुजरने दो-चैकपोस्ट पर चल रही चेंकिग और पुलिस की सरगर्मी अपने आप ठंडी पड जाएगी, तब हम विना कोई भी खतरा उठाये वड़े आराम से सन्दूक घर ले जाएंगे और ।"


" और ?"



"ज्यादा उपयुक्त यहीँ होगा---पांच दस दिन शांत रहकर हमे स्थिति पर कडी नजर रखनी चाहिए-सन्दूक को घर ले जाना तभी ठीक होगा-जब हम स्थिति को अपने अनुकूल करें?"




"अनुकूल से मतलब?"

"अखवार, रेडियो और दुसरे माध्यमों से हमे यह जानकारी होती रहेगी कि ट्रेजरी की लूट के संबंध में पुलिस क्या कर रही हैं, ’कहाँ तक पहुची है-यदि वे मैटाडोर तक पहुच जाते है तो
सन्दूक के गायब होने को किस नजरिये से देखते हैं, मैटाडोर तक पहुच भी पाते हैं या नहीं?"



"और तब तक सन्दूक को वहीं पड़ा रहने दू?"




" बूराई क्या है, जैसा बहां पड़ा है वेसा ही धर में रहेगा-----बल्कि मैं तो कहूंगी कि उसके वहां पड़े रहने से हम ज्यादा सुरक्षित हैं--कल अगर पुलिस को यह पता भी लग गया कि हम बहां गए थे और वह घर पहुच गई तो तलाशी में उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा, जबकि सन्दूक यहां से बरामद हो गया तो हम फंंस जाएंगे देव!"




"और यदि पेड़ की जड़ में छूपे सन्दूक पर पुलिस या अन्य किसी की नजर पड़ गई तो?"




"तुमने स्वयं ही तो कहा था कि वहां ।"




"हां, कहा था !" बुरी तरह झुंझलाया हुआ देव गुर्रा उठा--"और तुम मेरे उसी एक वाक्य को पकड़कर बैठ गई हो, जबकि वह गलत है, जो कुछ मैंने कहा था-अब मुझे याद आ रहा है कि मैं एक ऐसी गलती कर चुका हू जिसके परिणामस्वरूप पुलिस या अन्य कोई भी सन्दूक तक पहुच सकता है?"




"केसी गलती?" दीपा के मस्तिष्क पर बल पढ़ गए।




प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: सुलग उठा सिन्दूर by Ved Prakash Sharma

Post by Jemsbond »

"जिस वक्त मैं सन्दूक को पेड़ की जड़ में छुपाने जा रहा था, उस वक्त एक लंगूऱ मेरे पीछे पड़ गया, अंतत: लंगूर को गोली मार दी, वह मर गया-बो-लाश मैंने सन्दूक के नजदीक छूपा रखी हैं ।"



" फिर?"



"लाश के कारण ही सन्दूक उतना सुरक्षित नहीं रहा है, जितना मैं समझ रहा था, लंगूर की लाश गिद्ध आदि को आकर्षित करेगी! "




“ओंह ।।" दीपा के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आने लगी, कुछ देर तक जाने वह क्या सोचती रही, फिर बोली------"'" यह तो ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिससे हम छुटकारा न पा सकें ।"



"वया मतलब?"



‘" लगूर की लाश को वहां से उठाकर कहीं अन्य फेक आएंगे ।"



" नहीं ।" देव दृढ़तापूर्वक गुर्राया'--"सन्दूक को घर ले जाए बिना काम नहीं चलेगा, मैं दस लाख को अपने से इतनी दूर नहीं रख सकता- सन्दूक को लेने जा रहे हैं दीपा और हर कीमत पर आज ही रात उसे घर पहुंचाकर रहेगे?"

"मगर देव?"



"अगर-मगर कुछ नहीं, जूबान बन्द रखो ।" विंडस्क्रीन से बाहर झाँकते हुए देव ने सख्त स्वर में कहा----चैक पोस्ट पर पहुचने वाले हैं, पुलिस की पूछताछ के दोरान मुंह से एक लफ्ज भी निकाला तो मुझसे बुरा कोई न होगा ।"



कुछ कहना चाहती थी, परन्तु गाड़ी को चेकपोस्ट के नजदीक पहुंचता देखकर चुप रह 'गई-चेकपोस्ट पर वाहनों की लाइन लगी हुई थी, एक-एक वाहन को चैक करने के वाद पुलिसमैन उन्हें वहीं से गुजरने की अनुमति दे रहे थे।



बेक्रों की हल्की-सी चरमराहट के साथ देव ने गाडी लाइन में खडी कर दी--इंजन बंद करके उसने एक सिगरेट सुलगाई-चेहरे पर अजीब-सी बेचैनी के भाव लिए दीपा शांत बैठी थी---उस वक्त पुलिस दल ठीक उनसे अगली वाली गाडी को चेक कर रहा था, जव दीपा के मुंह से एकाएक निकल-----"वह तो जब्बार है!"

"हां ।" एक पुलिसमैन के कंधे पर मौजूद दो स्टारों को घूरता हुआ देव वड़वड़ा उठा---"पुलिस में शायद उसे सब-इंस्पेक्टर का पद मिल गया है ।"



"ल-लेकिन जब्बार पुलिस में कैसे पहुच गया?”



"इसमें हैरत की क्या बात है, जब्बार पढा-लिखा था…जिस तरह मुझे बैक में सर्विस मिल गई, उसी तरह उसे पुलिस में मिल गई होगी और फिर इस रूप_मे जब्बार की यहाँ मौजूदगी हमारे लिए सहायक _हो सकती है ।"


"वह कैसे ? "



"आज से दो साल पहले कॉलेज में प्यार करने वालो का एक त्रिकोण बना था----मै, तुम और जब्बार-जब्बार उस त्रिकोण का तीसरा कोण था…वह तुम्हारा दीवाना था, जबकि हम दोनों एक-दूसरे के-वह बेचारा असफ़ल प्रेमी है, हमारी शादी की सूचना से उसे इतना सदमा पहुचा था कि जितना मेरे बाप को भी नहीं पहुंचा होगा ।"



"ऐसी अवस्था में वह हमारा सहायक कैसे हो सकता है?"

"पुराना प्रेमी पुराना ही होता है दीपा डार्लिंग-तुम्हें देखते ही वह इस कार की तलाशी लेना भूल जाएगा----हमारे लिए इतना ही काफी है--पुराने प्रेमी को बेवकूफ वनाने के लिए प्रेमिका की एक मुस्कराहट काफी होती है--- मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि उसके यहाँ पहुंचने पर यदि तुम अपनी एक प्यारी--- मुस्कराहट उसकी तरफ उछाल दो तो इस गाडी की तलाशी लेने का विचार उसके दिमाग में जाएगा ही नहीं ।"




"द-देव !" दीपा चीख-सी पड़ी--"तुम जानते हो कि जब्बार अच्छा आदमी नहीं है और मैंने उसे कभी पसंद नहीं क्रिया…हमेशा उससे नफरत की है ।"




"जानता हूं -- उसे देखकर तुम हमेशा नफरत से मुंह सिक्रोड़ लिया करती थी, किन्तु इस वक्त तुम्हारा इस ढंग से मुंह सिकोड़ना हमारे लिए मुसीबत खडी कर सकता है…अत: दिमाग से काम लो --- उसकी तरफ़ एक मुस्कान उछालने से तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा, जबकि......देख, वह इधर ही आ रहा ।"



दीपा का दिल रह-रहकर उछलने लगा ।



जब्बार काले रंग का एक अस्कर्षक युवक था । उसकी छोटी-छोटी आंखों में हमेशा एक अजीब-सी हिंसात्मक चमक नजर आया करती थी । उसके गठे हुए जिस्म पर पुलिस की वर्दी खूब फब रही थी-----हाफ बाजू की शार्ट में घने बालों से भरी कलाईंया स्पष्ट चमक रही थी-उनकी कार के नजदीक पहुचते ही वह ठिठक गया ।



दुष्टि दीपा पर चिपककर रह गई थी ।



"अरे ।।" देव ने चौंकने की खूबसूरत एस्टिंग की-"जब्बार तुम ?"



जवार का ध्यान भंग हुआ, एक नजर उसने देव पर डाली और पुन: दृष्टि दीपा पर गड़ाकर बोला-"'हां, मैं ।"




"तुम यहाँ कैसे ?"



"' पुलिस की नौकरी मिल गई है ।" जब्बार की दृष्टि दीपा पर ही थी-"ट्रैजरी के लुटेरों को तलाश करने की कोशिश की जा रही है ।"

प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Post Reply