हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma) complete

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Jemsbond
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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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हॅरी ने रुमाल पर उभरे ब्राउन कलर के अक्षरों को पढ़ने की कोशिश की, परन्तु कामयाब नही होसका !



इतना तक नही जान सका वो अक्षर कॉन - सी भाषा के है !



धीरे धीरे करके सारे रुमाल को लौ ( लाइटर की आग) के उपेर घमा दिया ! रुमाल पर किसी अंजानी भाषा के अक्षरों के बीच एक नक्शा बना नज़र आया !



नक्शे में एक जोकर भी बना हुआ था !



हॅरी समझ गया यक़ीनन रुमाल पर गुप्त संदेश अंकित है , मगर क्या ? यह वो लाख दिमाग़ घूमने के बावजूद ना समझ सका ! लाइटर को ऑफ कर के पहले ही जेब के हवाले कर चुका था ! रुमाल को भी जेब में डाला!


उसके दिमाग़ में कुछ सवाल घूम रहे थे ! जैसे -- कॉन था वो बूढ़ा ? कहाँ चला गया ? क्या लिखा था रुमाल में ? बूढ़े ने कहा था --" यह देश की आमानत है ! क्या उसने सच कहा था !



उसे लगा -- हर सवाल का जवाब वहाँ मिल सकता है जहाँ बूढ़े ने रुमाल को पहुँचाने के लिए कहा था ! क्या पता बताया था उसने ?



हॅरी ने अपने दिमाग़ को खंगाला ! पता याद आया -- बांग्ला नंबर 64 आर , मोंगा स्ट्रीट !


करेक्ट ! यही अड्रेस था !


वो फ़ौरन बाथरूम का दरवाज़ा खोल बाहर निकल आया !



नज़र क्रिस्टी पर पड़ी !



वो जहाँ की तन्हा खड़ी थी !


हॅरी के हलक से गुर्राहट सी निकली --" तुम अभी तक यहीं हो ?"


क्रिस्टी चुप चाप खड़ी रही !


" मैने तुमसे कहा था ना, जाओ यहाँ से ! कल मिलेंगे ! " हॅरी ने रूखे स्वर में कहा !



क्रिस्टी चीख ही पड़ी --" कान खोल कर सुनो , अब मैं तुमसे कभी मिलने वाली नही हूँ ! "


" ओके ! मत मिलना ! अब जाओ !" वो लापरवाही से कहकर आगे बढ़ गया !



हॅरी के जवाब ने क्रिस्टी को पूरी तरह तोड़ दिया ! वो साधारण सी लड़की भला कैसे जान सकती थी कि लड़के के दिमाग़ में अब केवल ऑर केवल रुमाल का राज़ जानने का भूत सवार है !




हॅरी बाहर निकला ! पार्किंग में पहुँचा ! वहाँ खड़ी अपनी मोटर साइकल निकाली ! किक मारी ऑर अगले कुछ ही मिनटों बाद मोटर साइकल मोंगा स्ट्रीट की तरफ उड़ी चली जा रही थी ! बागला नंबर आर 64 ढूँढने मे कोई ख़ास दिक्कत पेश नही आई !



हॅरी ने बाइक गार्ड के पास रोकी ऑर पूछा -- " इस बंगले के मालिक का नाम क्या है ?"



" आप हॅरी है क्या ?" गार्ड ने उल्टा सवाल किया !




ऑर ! यह सवाल ही ऐसा था जिसने हॅरी की खोपड़ी घुमा कर रख दी !


मतलब सॉफ था -- उसके यहाँ आगमन की आपेक्षा पहले ही से की जा रही थी !


हॅरी ने पूछा -- " तुम मेरा नाम कैसे जानते हो ?"



" ओह यानी आप हॅरी साहब हे हैं ! आइए ! आइए ! हिंगले साहब आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं !" गेट खोलते हुए गार्ड बोला !


"तुम्हे कैसे मालूम था मैं यहाँ आने वाला हूँ ?" हॅरी ने पूछा !


" हिंगले साहब ने कहा था -- एक खूबसूरत से साहब मोटेर साइकल पर आने वाले है ! अगर वो अपना नाम हॅरी बताए तो उन्हें सीधा उन के पास ले आऊ !"


" यह बात उन्होने कितनी देर पहले बताई थी ?" हॅरी ने पूछा!


" बस आपके आने से 5मिंट पहले !"



अज़ीब उलझन का शिकार होगया हॅरी ! हिंगले कॉन है ऑर उसे कैसे मेरे आने की जानकारी ! इन सब सवालों के जवाब हिंगले से मिल के ही पता चलने थे !


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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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गार्ड मेन गेट का दरवाज़ा खोलते हुए बोला -- " साहब अब आप अंदर जा कर मिल सकते हैं !"


दरवाज़े पार कर हॅरी एक लंबे चौड़े हाल में पहुँचा ! चारों तरफ नज़रें घुमाई ! खूबसूरत फर्निचर से सजे हॉल में अज़ीब सा सन्नाटा था ! जब समझ ना सका किस तरफ बढ़ना चाहिए तो आवाज़ लगाई -- " मिस्टर हिंगले !"


" हम तुम्हारी आवाज़ सुन रहे हैं हॅरी !" यह आवाज़ सारे हॉल मे गूँजी !


" आप कहाँ है ?"



" तुम्हारे राइट साइड एक दरवाज़ा है !" आवाज़ ने कहा -- " उसे पार कर के अंदर आ जाओ !"


हॅरी ने राइट साइड मोजूद दरवाज़े को देखने से पहले एक रोशनदान पर मोजूद उस माइक को भी देख लिया था जिस-से आवाज़ निकल रही थी ऑर एक छोटे से कमरे पर भी नज़र पड़ गयी थी !



वो समझ गया -- उससे क्लोज़-सर्क्यूट टी.वी पर देखा जा रहा है !





वो दरवाज़े की तरफ बढ़ा ! दरवाज़ा पार किया ऑर........ वो पहला पल था जब उसके दिमाग़ में बड़ी तेज़ी से ख्याल कोंधा --" शायद मैं किसी जाल में फँस गया हूँ !"


कारण था -- उस दरवाज़े का बंद हो जाना जिस-से अंदर आया था !


उसने बड़ी तेज़ी से घूम कर दरवाज़े की तरफ देखा --- वो किसी तिलिस्मी दरवाज़े की तरफ दीवार में फिक्स हो चुका था !
अब उसने तेज़ी से अपने चारों तरफ निगाह मारी !



स्टील की दीवारों का बना वो एक गोल कमरा था ! कहीं किसी खिड़की या दरवाज़े की बात ही दूर , चूहे के बिल जितना सुराख तक नज़र नही आया ! हॅरी ने खुद को एक गोल स्टील के कमरे में क़ैद पाया !


" यह सब क्या है मिसटर हिंगले ?" उसने कई बार उँची आवाज़ में कहा --" क्या मुझे यहाँ क़ैद किया गया है ?"


जवाब में कोई आवाज़ ना उभरी ! एक बार नही कई बार वो ये सब दोहराता रहा , मगर उसकी ही आवाज़ गूँज के रह जाती !


अब हॅरी पक्के तौर पर समझ गया था उसे किसी जाल में उलझाया गया है ! वो लड़का चीज़ ही ऐसी था कि किसी भी जाल में उलझ कर घबराता नही था !


हां कुछ सवाल ज़रूर तैर रहे थे उसके दिमाग़ में ! 'कॉन है फँसाने वाला ? उसका मक़सद क्या है ? आज कल तो वो किसी मिशन पर काम नही कर रहा फिर यह सब क्या हो रहा है !


हार कर हॅरी दीवार के साथ पीठ लगा कर फर्श पर बैठ गया !


कुछ देर बाद हल्की सी घाड़ग्ढाहट की आवाज़ गूँजी !


हॅरी उच्छल कर खड़ा होगया !


ओर.......... फिर उस स्टील के फर्श के सेंटर वाले स्थान को उसने इस तरह फटते देखा जैसे धरती फट रही हो !


हॅरी दिलचस्प निगाहों से जादू के उस खेल को देखता रहा ! एक टेबल प्रकट हुआ पहले फिर दो रिवॉल्विंग चेर्स ऑर...............


" तुम.....तुम ?" हॅरी के हलक से चीख सी निकल गयी !


मारे हैरत के बुरा हाल होगया उसका !


आँखों में ही नही , चेहरे के जर्रे-जर्रे पर हैरानी के भाव नज़र आ रहे थे !


उसकी यह हालत उन दो शातिर हस्तियों को देख कर हुई थी जो चेयर्स पर बैठे थे !


"तुम !" हॅरी के मूँह से एक बार फिर हैरत में डूबा स्वर निकला --" तुम यहाँ ?"



" जी !" उनमें से एक ने कहा --" हम यहाँ !"



"यहाँ क्या कर रहे हो तुम ?" हॅरी ने गुर्र्रा कर पूछा !



एक ने दूसरे से कहा --" तुगलक भाई !"


" हां नुसरत बेहन !" दूसरा बोला !

खुदा ने छ्टॉंकी नंबर2 (हॅरी) के थोबडे पर आँखों की जगह बॉटन फिट कर दिए है !" तुगलक बोला!



" तूने कैसे जाना ?"


" जनाब पूछ रहे हैं हम यहाँ क्या कर रहे हैं ! अब तुम्ही सोचो --- इनके थोबडे पर आँखें होती तो क्या यह ही पूछते ? क्या नज़र नही आ रहा होता इन्हें कि हम कुर्सियो पर आराम फरमा रहे है ?" तुगलक अपनी टोन में बोला!

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" यह मतलब नही था छ्टॅंकी नॅंबर2 का !"


"ऑर क्या मतलब था ?"


"इनका मतलब था -- हम यानी पाकिस्तान के महान जासूस इनके देश यानी अमेरिका में क्या कर रहे हैं ?"


"क्यूँ मियाँ छ्टॉंकी नंबर2 ?". नुसरत ने हॅरी से पूछा -- " क्या इस जामुन की औलाद का आइडिया दरुस्त है ? क्या यह ही मतलब था तुम्हारा ?"



"करेक्ट ! यह ही जानना चाहता हूँ मैं !"



नुसरत ने कहा -- " यह जानने से पहले यह बताओ -- तिगड़म कैसी लगी हमारी ?"



"तिगड़म ?"



" जिसके तहत तुमें यहाँ हाज़िर नाज़िर किया गया है !"



" यानी वो बूढ़ा , वो रुमाल ! सब तुम्हारी चालें थी ?"




"समझने के लिए शुक्रिया , मगर हमारी आइस क्रीम को पूरी तरह नही समझ पाए ! वो गुंडे भी हमारे ही गुर्गे थे जिनकी तुमने ठुकाई की ऑर जो इस वक़्त हवालात में हैं !"



"रुमाल पर जो लिखा था ?"



" जो लिखा , हमने लिखा ऑर जब हमें ही नही मालूम वो कॉन सी भाषा है , उसमें क्या लिखा है तो भला तुम जैसे घोन्चु को क्या समझ आता ! हां , उस पर बने एक जोकर का मतलब ज़रूर पता है हमें ! असल में तुम्हारी पिक्चर बनाने की कोशिश की थी !"




हॅरी का गुस्से से बुरा हाल था -- " मतलब सब मुझे जहाँ लाने के लिए किया गया !"




"हमें मालूम है तुम समझदार हो !"


"खैर वो हो गया जो तुम चाहते थे अब बताओ मुझसे क्या चाहते हो -- क्यूँ किया गया यह सब ?" हॅरी बोला !




"तुम्हारी मोहिनी सूरत को नज़दीक से देखने के लिए ! असल मे. यह सूरत है ही इतनी खूबसूरत कि........ !"




"अगर उल्टी सीधी बातें करने की जगह तुम सीधे सीधे बताओ मुझसे क्या चाहते हो तो तुम्हारी सेहत के लिए शायद बेहतर होगा !......... वरना ........ !"



"वरना .....?"



"मेरे हाथ - पावं हिलते ही पता लग जाएगा मुझे यहाँ बुला कर तुमने अपने जीवन की सबसे बढ़ी भूल की है !" हॅरी ताव में आता हुआ बोला !

___________ कंटिन्यू ......

इंट्रो अबाउट पाकिस्तानी जासूस सो स्टोरी को ईज़िली एंजाय कर सकें

1नुसरत
2तुगलक

यह दोनो पाकिस्तान के बहुत ही ख़तरनाक जासूस जो बड़े बड़े जासूसों को उल जलूल बातों में लगा कर ऐसी पटकनी देते हैं बड़े से बड़ा जासूस इनकी उत्पाटांग बातों में फँस कर मात खा जाता है. दोनो हमेशा एक साथ होते हैं. एक दूसरे को भाई बेहन बोलना इनका तकिया कलाम है.. इनकी बातों का अर्थ कम निकलता है बस दुश्मन को उलझाने से ही इनको मतलब...




"मेरे हाथ - पावं हिलते ही पता लग जाएगा मुझे यहाँ बुला कर तुमने अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की है !" हॅरी ताव में आता हुआ बोला !

"यही -- बिल्कुल यह ही बात कही थी मैने इस चिमटे की औलाद से !" नुसरत ने कहा -- " अच्छी तरह समझा दिया था कि छ्टॉंकी नंबर2 छ्टॉंकी नंबर1 यानी विकास से भी कहीं ख़तरनाक है हस्ती को कहते है ! एक बार हॅरी यहाँ आगये तो मारते मारते भूसा भर देंगे हमारी खाल में , मगर यह (तुगलक) नही माना ! 'आख़िर बुला ही लिया तुम्हे यहाँ ...... अब तू ही भुगत बेटे !" अंतिम शब्दों के साथ ही नुसरत ने चेयर तुगलक की तरफ घूमा ली !



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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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"यह तो गद्दारी है जामुन के !" तुगलक बोला --" इन्हें यहाँ बुलाने की आइस क्रीम में तू भी तो शामिल था ऑर अब .... पल्ला झाड़ एक तरफ होना चाहता है ! यह नही चलेगा !




" मैं जानता हूँ !" नुसरत से पहले हॅरी ने कहा --" सामने वाले सक्श के बारे में आपस में बातें करके तुम उसे परेशान करते हो, कम से कम मैं तुम्हारी इस घिसी पिटी पुरानी चाल में नही आने वाला !



"अब बोल बेटा..... कैसे निपटेगा इस छ्टॉंकी नंबर2 से ?" नुसरत तुगलक से बोला --" यह तेरी उस चाल को भी समझता है जिसे तू तरूप का इक्का समझ रहा था !"


" सीधी तरह जवाब दो !" हॅरी के हलक से गुर्राहट निकली ---" मेरे देश में तुम क्या कर रहे हो , क्यूँ रुमाल के चक्कर में उलझा कर यहाँ बुलाया गया !"




" अज्जि ठैन्गा !" तुगलक ने उसे अंगूठा दिखाया ---" यही बता दिया तो हमारे पास बचेगा ही क्या छुपाने को ? "



" मैं बता सकता हूँ सर !" कहने के साथ नुसरत ने इस तरह हाथ हवा में उठा दिया जिस तरह क्लास में बैठा कोई स्टूडेंट टीचर के स्वाल पर जवाब देने के लिए हाथ उठाता है !


" आए !" तुगलक नुसरत पर गुर्राया -- " खबर दार जो मूँह से एक लफ़्ज भी निकाला !"



" क्यूँ ?" एकाएक नुसरत ने आँखें निकाली --" तू क्या कर लेगा मेरा ?"



" तो यह ले ! देख मैं क्या कर सकता हूँ !" कहने के साथ बहुत ही फुर्ती से उच्छल कर नुसरत ने तुगलक के गाल पर इतना जोरदार चाँटा मारा कि तुगलक चेयर सहित स्टील के फर्श पर जा गिरा !



नुसरत हॅरी से बोला --" देखा हॅरी साहब , साला होगया ना ढेर , बड़ा तीस मार ख़ान बन रहा था !"




हॅरी जानता था यह सारी टेक्नीक्स वो सामने वाले को दवास्त करने के लिए इस्तेमाल करते है !



नुसरत की बात पर ज़रा भी ध्यान दिए बगैर उसने नुसरत पर जंप लगा दी !



नुसरत को अपने साथ लिए स्टील के फर्श पर जा गिरा हॅरी !



पीछे खड़ा तुगलक कह रहा था " ऑर कर बेटा ऑर कर छ्टॉंकी नंबर2 (हॅरी) की चमचागिरी ! मुझसे पहले यह तेरा भुर्ता बनाएगा !




" यह तो फौल है हॅरी साहब !" हॅरी के पंजे मे फँसे नुसरत ने कहा ---" मैं तो आपकी तरफ हूँ ! सब कुछ बताने को तैयार हूँ ! यह भी कि हमने आपको यहाँ क्यूँ बुलाया है !



" तो बक !" हॅरी के हाथ उसकी गर्दन पर थे !




" नही ! मैं इसे राज़ की बात नही बताने दूँगा !" कहने के साथ ही तुगलक ने हॅरी पर नही नुसरत पर जंप लगाई थी , मगर हॅरी जानता था --- उन दोनो का मक़सद सिर्फ़ एक ही है हॅरी पर काबू पाना !


हॅरी ने फुर्ती से एक घूँसा तुगलक के ज़बड़े पर रसीद कर दिया !


इस तरह !



हॅरी एक साथ दोनो से भिड़ गया !



मगर जल्द ही अहसास होगया कि ऐसा करके उसने भयंकर भूल कर दी है !!!



वो दोनो चिछड़ी की तरह उस-से चिपक गये थे !


फाइटिंग के दरम्यान भी उन दोनो की ज़ुबान रुकी नही ! बराबर कुछ ना कुछ बोलते रहे !



एक हॅरी की तारीफ़ कर रहा था दूसरा उसका विरोध कर रहा था !


परन्तु हमले दोनो बराबर कर रहे थे!



हॅरी ने उनके बारे में सुना बहुत कुछ था मगर उनके बीच घिरने का पहला मोका था !



जल्दी ही हॅरी को ईलम होगया -- वो दोनो महाशातिर है !



बिजली की गति से चल रहे नुसरत -- तुगलक के हाथ पैर तभी रुके जब हॅरी बेहोश होगया !
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इधर राज नगर मे.........................

कपड़ों के नाम पर इस वक़्त विजय के जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर था ऑर वो लाल सुर्ख ! लंगोट जैसा ! बाकी संपूर्ण जिस्म नग्न था ऑर इस वक़्त उसे कोई भी एक नज़र में देखकर कह सकता था कि वो सरसों के तेल से भरे ड्रम में डुबकी लगाकर आया है !



तेल के अलावा उसके बालिश्ट जिस्म पर यदि कोई दूसरी चीज़ नज़र आ रही थी तो वो था पसीना ! ढेर सारा पसीना !




कमरे की अज़ीब हालत बना रखी थी उसने -- सोफा ऑर सेंटर टेबल एक दीवार के सहारे अस्त व्यस्त पड़े थे !


यानी कमरा खाली !


एक दीवार के साथ लड़ी की तरह खड़ा वो आँख बंद किए बुदबुदा रहा था !



" या बजरंगवली ! तोड़ दुश्मन की नली ! खिला दे मटर की फली ! भटक रहा हूँ गली गली ! या बजरंगवाली !"


इस नारे के साथ ही वो बंदूक से छोटी गोली की तरह ठीक अपने सामने वाली दीवार की तरफ दौड़ा !


दीवार से तीन गज इधेर ही उसका जिस्म हवा में उछला ऑर दोनो पैरों की फ्लाइयिंग किक एक साथ दीवार पर पड़ी !




दीवार के जिस हिस्से पर उसके तलवे टकराए थे , वो फर्श से करीब 9फीट उपेर था ! फ्लाइयिंग किक के तुरंत बाद विजय का जिस्म ठीक किसी कबूतर की तरह हवा में कलाबाज़ियाँ खाया ऑर------


"धम्म्म" ! से फर्श पर आ खड़ा हुआ !



कमरे के बीचो बीच खड़ा वो जलते नेत्रों से उस दीवार को घूर रहा था जिस पर फ्लाइयिंग किक मारी थी , बड़बड़ाते हुए बोला --" नही हटती साली ?"





जवाब में कोई आवाज़ ना गूँजी !



पर विजय के चेहरे पर ऐसे भाव थे , जैसे वो दीवार दुबारा बोला गया वाकई सुन रहा था, जवाब में बोला --- " अच्छा यह बात है , अगर तू अड़ियल है तो हम भी पूरे सड़ियल हैं ! तुझे भी अगर हम तेरी जगह से ना हिला दे तो हमारा नाम विजय ठाकुर 420 नही ..... या बजरंगवाली ! तोड़ दुश्मन की नली !"


अपने ,पुराने नारे के साथ वो पहले की तरह दीवार से सट कर खड़ा होगया !


फिर दौड़ा , दीवार पर फ्लाइयिंग किक ........ !



वेद प्रकाश शर्मा के जो रीडर हैं वो ज़रूर जानते होंगे यह अज़ीबो ग़रीब कोशिश करने वाला यह अनोखा किरदार कॉन है, पर न्यू रीडर ज़रूर सोच में पड़ गये होंगे कि दीवार को सरकाने वाला 'आख़िर करना क्या चाहता है ऑर कॉन है !


सम्मरी अबाउट विजय आंड विकास!




राजनगर पुलिस के डी.आइ.जी ठाकुर निर्भय सिंग ! सब लोग उन्हें राजा साहब कहते है ऑर विजय इन्ही ठाकुर साहब का बेटा है !


ठाकुर साहब की नज़रों में विजय एक आवारा, बदचलन, बेशरम , ऑर अयाश लड़का है , इसीलिए उन्होने उसे घर से निकाल रखा है !



मगर.....



हक़ीक़त ठीक इसके उलट थी !




भारत की सरबोच्च जासूसी संस्था का नाम है ----

इंडियन सीक्रेट सर्विस !



अपने जिस लड़के को ठाकुर साहब बेकार समझते है वो दरअसल किसी ज़माने में


इंडियन सीक्रेट सर्विस का चीफ़ हुआ करता था ! उन दिनो फील्ड वर्क बढ़ गया ऑर विजय को ऑफीस में बंद रहने के स्थान पर देश के लिए खतरों से झूझना पसंद था , सो चीफ़ की डेसिग्नेशन से रिज़ाइन देकर वो सिंपल एजेंट बन गया ऑर चीफ़ खुद के कज़िन भाई ब्लॅक बॉय को बना दिया !




देश की सरबोच्च जासूसी संस्था की पहली ऑर कठोरतम शर्त यह है कि वो कभी किसी को, किसी हालत में यह पता नही लगने देगा कि वो सीक्रेट एजेंट है ! यदि ऐसा होता है तो अपना राज़ जान लेने वाले को शूट कर देगा!

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