हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma) complete

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Jemsbond
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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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विजय को भी डर था कि उसके माता पिता कहीं उसका राज़ ना जान ले !



भारत के इस हीरे ने अपने चेहरे पर मूरखता का मुखौटा चढ़ा लिया !


जान बूझ कर खुद को पिता की नज़रों में गिराया ऑर एक दिन तंग आकर ठाकुर साहब ने मार मार कर घर से निकाल दिया !



यही विजय चाहता था !


वो अलग रहने लगा !


इतना ही नही देश की खिदमत करने के लिए उसने कसम खाई थी --- कि कभी शादी नही करेगा !



ठाकुर साहब से अलग रह कर भी वो एक शानदार कोठी में रहता ! विदेशी गाडियो में घूमता ऑर उसके यह ठाट बाट देख कर ठाकुर साहब समझते कि वो कोई गैर क़ानूनी धंधा करता है !


यह सोच कर कि मुजरिमो का पीछा करते या उनसे झूझते वक़्त वो किसी भी अवसर पर ठाकुर साहब या पोलीस की नज़रों में आ सकता है , बचाव के लिए विजय ने खुद को एक प्राइवेट जासूस के रूप में मशहूर कर रखा है !



उसकी असलियत सिर्फ़ या तो सीक्रेट सर्विस का चीफ़ जानता है या उसी के जैसे ऑर सीक्रेट एजेंट !

सीक्रेट एजेंट के नाम ---

अशरफ
विक्रम
नाहर
परवेज़
आशा
विकास !

सीक्रेट सर्विस के चीफ़ का नाम ब्लॅक बॉय है , चीफ़ का असली नाम कोई नही जानता ना ही किसी ने उसकी असली शकल देखी है ! वो हमेशा नक़ाब में उनके सामने आता है !


सब उसकी अज़ीबो ग़रीब आवाज़ से पहचानते हैं..


ब्लॅक बॉय को चीफ़ विजय ने बनाया , इस लिए ज़रूरत पड़ने पर ब्लॅक बॉय की आवाज़ में सबको हुकुम देता रहता है ! परन्तु सब एजेंट के सामने भी मूरख ऑर जोकर बना रहता है !


विजय की संपूरण सच्चाई दो लोग जानते है !


ब्लॅक बॉय ऑर विकास !



विकास ! यह नाम है पोलीस सुप्रिडेंट , विजय के बहनोई कम दोस्त रघुनाथ ऑर उसकी बीवी रैना के एक्लोते लाल का !


रैना ---- विजय की चचेरी ऑर ब्लॅक बॉय की सग़ी बेहन है !

विकास 21 साल की कॅम उम्र में विजय का चेला हेर नही , बल्कि सीक्रेट सर्विस का सबसे कॅम उम्र एजेंट भी है !



विकास एजेंट भी ऐसा कि जिससे दुनिया के भयनकरतम मुजरिम ही नही , बल्कि दुश्मन देश के जासूस भी काँपते है ! दुश्मन को अपनी आँखों के सामने देखते ही विकास पागल हो जाता है , ऐसे ही मोके पर लोग उसे कहते है ----

दुर्दांत ! दरिन्दा! राक्षस ऑर भेड़िया !


दुश्मनो की खाल तक उधेड़ देता है ,चीर फाड़ करना प्रिय शौक इस जल्लाद का !
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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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वो दसवी बार फ्लाइयिंग किक मारने के लिए फर्श पर खड़ा दीवार को घूर रहा था तो दरवाज़े से आवाज़ आई --" क्या हो रहा है गुरु ?

"दीवार को हटाने को हो चुके है शुरू !" इस वाक्य के साथ ही विजय फिरकनी की तरह दरवाज़े की ओर घूम गया !


वहाँ विकास खड़ा था !


6.6 फीट हाइट ! गोरा चिट्टा , सेब जैसे रंग के गोल मुखड़े ओर घुंघराले वालों का मालिक !

खूब गोरा था, तन्द्रुस्त ! लंभा !


कामदेव का रूप !


विजय के नज़दीक पहुँच कर श्रद्धा से झुका चरण सपर्श कर बोला --" प्रणाम गुरुदेव !"


" वो तो ठीक है प्यारे दिलजले , मगर आज अकेले कैसे ?"


"क्या मतलब गुरु ?"


"वो बंदर कहाँ गया ?"


जवाब विकास ने नही बल्कि दरवाज़े पर से उभरने वाली बंदर की ची ची ची की आवाज़ ने दिया !



वहाँ धनुष्टानकार मोजूद था , जो विजय को खा जाने वाली नज़रों से घूर रहा था !


विजय तुरंत बोला -" अर्रे तौबा ! मेरे बाप की तौबा ! प्यारे ! कसम छिड़ी मार की ! मैने तुम्हे बंदर नही कहा !"



अज़ीब नमूना था वो जिसे धनुश्टन्कार कहा जाता है !


जिस्म से बंदर , मन-मस्तिष्क से इंसान !

इस किरदार की कहानी भी बढ़ी अज़ीब है !

एक था मोंटो नामक जेबकतरा, शराब ऑर सिगार का रसिया ! एक पागल साइंटिस्ट की जेब पर हाथ की सफाई दिखाने की कोशिश की, यह कोशिश सबसे बढ़ी भूल साबित हुई !


साइंटिस्ट ने दिमाग़ बदलने में कामयाबी हासिल की थी ! ऑर उसी साइंटिस्ट ने मोंटो नामक जेबकतरे का दिमाग़ निकाल कर बंदर के जिस्म में फिट कर दिया !


उस केस पर विजय काम कर रहा था , विजय ने डॉक्टरको उस के किए की सज़ा दी ! मोंटो नामक उस बंदर को विजय ने रख लिया ! विजय से मोंटो को विकास ने ले लिया ! उसको ट्रैनिंग दी !


कोई धनुश्टन्कार को बंदर कहे तो वो चाँटा रसीद करता था ! मगर विजय को भी उठक बैठक लगानी पड़ी !


विकास ने विजय से पूछा -- " तो यह प्रॅक्टीस हो रही थी गुरु कि आप कितनी उँचाई तक फ्लाइयिंग किक मार सकते है !"



" 16 आने ग़लत !" विजय ने तपाक से कहा --" हम तो उस साली दीवार को उसकी जगह से हटाने की कोशिश कर रहे थे प्यारे , मगर वो ठाकुर की पूतनी है , टस से मस नही हुई !"



मुस्कुरा कर बोला विकास -" आप मुझे बेवकूफ़ नही बना सकते !"


"फिर कैसे बना सकते है ?" विजय ने शुतुरमुर्ग की तरह गर्दन लंबी करके महा-मूरख की तरह पलकें झपकई !



"हमने भी ठकुराइन की कोख से जनम लिया है , उस दीवार को वहाँ से हटा कर रहेंगे.... !" विजय अपनी टोन में बोला !


"आप भी क्या बात कर रहे हैं अंकल ?" विकास ने शरारती. अंदाज़ में कहा --" ज़रा सोचिए , अगर दीवार वहाँ से हट गयी तो क्या होगा ?"


" क्या होगा प्यारे ?"



" छत आपके सिर के उपेर आ गिरेगी !"



"आऐन्न्न्न् !" विजय कुछ ऑर बोलता तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ आई !



" विजय .... विजय .... कहाँ हो तुम ?" रघुनाथ की आवाज़ गूँजी !



" लो तुला राशि भी आ टपके !" विजय ने कहा --" लैला - लैला पुकारते चले आ रहे हैं ! अपने साथ किसी मुसीबत का टोकरा उठाए चले आ रहे हैं !"

रागुनाथ थोड़ा उत्तेजित ऑर जल्दी में नज़र आ रहा था इसीलिए विकास ऑर धनुश्टन्कार की तरफ ध्यान ना देकर विजय की तरफ बढ़ता हुआ बोला --" विजय ! मैं मुसीबत में फँस गया हूँ यार ! तुम्हारी मदद की ज़रूरत है !"


"तो क्या तुम हमें तांत्रिक अंगूठी समझकर चले आए हमारे पास ?"


" तांत्रिक अंगूठी ?"


" सुना है ऐसी अंगूठी हर समस्या को हल कर देती है !"


" उफफफफफफफफफ्फ़ ! विजय प्लज़्ज़्ज़्ज़ ! मज़ाक मत करो ! टाइम बहुत कम है ! रागुनाथ कहता चला गया ----" ठाकुर साहब ने मुझे मोहम्मद इकराम की सुरक्षा की ज़िमेदारी सौंपी थी ! मगर........ मैं उसे किडनॅप होने से नही रोक सका !"


" कहाँ से शुरू हो गये प्यारे ! कॉन मोहम्मद इकराम......! "


" क्या आप उन्ही मोहम्मद इकराम की बात कर रहे हैं पापा जिनकी वजह से कई शहरों में दंगे होरहे हैं? विजय की बात पूरी होने से पहले ही चौंकाते हुए विकास ने पूछा था !



"हां !" रागुनाथ ने जवाब दिया !



" किन लोगों ने ऑर क्यूँ किडनॅप कर लिया उन्हें ?" विकास हैरानी होते हुए बोला !



"मैं नही जानता !"



"जब कुछ जानते ही नही प्यारे तो भागते भागते यहाँ क्यूँ चले आए ऑर...... अगर उन उन महाशय को किसी ने किडनॅप कर लिया है तो हम इस में क्या कर सकते हैं ?" विजय ने कोरा सा जवाब दिया !




" समझने की कोशिश करो विजय ! उसकी सुरक्षा की ज़िमेदारी मेरी थी ! मेरे लिए ठाकुर साहब को जवाब देना मुश्किल होज़ायगा ! प्लज़्ज़्ज़, कुछ ऐसा करो कि किसी भी तरह उसे कहीं से बरामद कर लो ! मेरी जान बच जाएगी !"



विजय को भी लगा -- मामला वाकई में सीरीयस है !



रघुनाथ उस शक्श के किडनॅप की बात कर रहा था जो पिछले दो दिन से सबसे ज़्यादा चर्चा में था ! सो , जल्दी ही लाइन पर आता हुया बोला -- " पर प्यारे , पूरा किस्सा तो बताओ ! कैसे किडनॅप हुआ उसका, तुम को कब उसकी हिफ़ाज़त की ज़िमेदारी दे दी , ए टू z शुरू हो जाओ !"


" जम्मू में दंगे फ़साद का कारण था उसका भाषण , उस भाषण ने , बल्कि यह कहा जाए तो ज़्यादा ठीक होगा कि भाषण के एक छोटे से अंश ने जम्मू ही नही पूरे देश के कट्टर हिंदू समूह को उत्तेजित कर दिया है ! सबसे पहले जम्मू के लोग ही सड़को पर उतरे ! वहाँ की पोलीस ने सख्ती से काम ना लिया होता तो भीड़ मोहम्मद इकराम को मार डालती ! आज हिंदू लोग उसको अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान रहे है ऑर मुस्लिम अपना मसीहा समझ रहे है !" कहता कहता रुका रघुनाथ !


फिर बोला -" असल में मोहम्मद इकराम एक सच्चा देश-भक्त है , वो हिंदू ऑर मुस्लिम को पहले भारतीय मानता है ! ऑर अगले मंथ अपने प्रधान-मंत्री पाकिस्तान के राष्ट्र-पति से मिलने जाने वाले हैं उस मीटिंग को अरेंज करने में मोहम्मद इकराम का हाथ है, कुछ लोग मोहम्मद इकराम के पोलिटिकल कॅरियर को तबाह करना चाहते सारी साज़िश रची गयी उसके खिलाफ , कुछ उग्रवादी संगठन भी नही चाहते भारत पाकिस्तान की कोई पोलिटिकल मीटिंग हो !" तुम्हारे पिता जी ने मुझे बताया था, मोहम्मद इकराम की सेक्यूरिटी का इंचार्ज नियुक्त करते समय !



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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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मैं मोहम्मद इकराम को ला रहा था कि रास्ते में हादसा होगया ! नीले रंग की क़ुआवलिस कार मे डाल कर वहाँ से ले जाया गया !


पूरी घटना सुनने के बाद विजय को यकीन होगया --" हाथों हाथ तो मुहम्मद इकराम को हासिल नही किया जा सकता ! सीरीयस हो चले महॉल को फिर मज़ाक की तरफ मोडते हुए बोला -- " तुमने तो हमारी नाक कटवा दी तुला राशि ! तुम्हारे देखते देखते वो उसे लेगये ऑर तुम दुम दबाए अम्बासडर में बैठे रहे ?"



" ऑर कर भी क्या सकता था विजय ! उन लोगों ने हमला ही कुछ इस तरह ऑर ऐसी तियारियों के साथ किया था कि ........!"


रघुनाथ की बात अधूरी रह गयी ! फोन की घंटी ने सबका ध्यान खींचा !




रेसिवेर उठाने के बाद विजय ने कहा --" अनाथ आश्रम से बिन माँ बाप का बच्चा बोल रहा हूँ !"



" ठीक कहा तुमने ! कुछ बच्चे इतने नालयक होते हैं कि जीते जी अपने माँ बाप को मार डालते हैं !"



" आरीए !" विजय बोखला गया --" ब...बापू जान !"



" हां ! हम एक अनाथ के बाप बोल रहे हैं !" ठाकुर साहब के हलक से गुर्राहट निकली !



" मगर सवाल यह उठता है बापू जान कि आप बोल क्यूँ रहे हैं !" विजय वापस अपनी टोन में लॉट्ते हुए बोला -" जो अनाथ होते है उनके माँ बाप वहाँ पहुँच चुके होते है यहाँ एस.टी.डी की सुविधा उपलब्ध नही है !"



" बको मत !"


" ज...जी !"



" रघुनाथ तो नही है , वहाँ ?"



" जी यहीं है !" विजय ने कहा --" दुम दबाकर सीधे यहीं दौड़े चले आए है, आपके सूपर ईडियत साहब!"


"बात कराओ !"



रघुनाथ को इस अहसास ने मानो सकपका दिया कि दूसरी तरफ ठाकुर साहब हैं ! उसके बाद फोन पर बस 'जी सर, यस सर' ही करता रहा ! एंड में बोला --" मैं आ रहा हूँ सर "



फोन रख कर बोला -" उन्हें पूरी रिपोर्ट मिल चुकी है ! मुझे ऑफीस बुलाया है ! वहीं जा रहा हूँ ! प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़, विजय , इस मामले में कुछ करना यार !"


कहने के साथ वो तेज़ी के साथ बाहर निकल गया !

सिल्वर कलर की एस्टीम बहुत बड़ी क्रॅन के काँटे पर लटकी हवा में झूल रही थी !बुरी तरह मूडी तूडी थी वो ! कार की जगह उसे टीन का डिब्बा कहा जाए तो बेहतर होगा ! स्टियरिंग ओर ड्राइविंग सीट के बीच एक इंसानी बॉडी भी फँसी नज़र आ रही थी ! बड़ी मुश्किल से नदी से निकाला गया था उसे !





चारों तरफ पोलीस ही पोलीस नज़र आ रही थी !



खुद ठाकुर साहब ऑर रघुनाथ भी वही थे !



क्रेन संचालक ने उसे बढ़ी मुश्किल से खाई की तरफ से घूमा कर सड़क पर रखा !



कार में केवल दो पहिए थे ! एक आगे, दूसरा पीछे !



दो पहिए शायद नदी में बह गये !



ठाकुर साहब कार की तरफ बढ़े ही थे कि ठिठक जाना पड़ा !



कारण था -- विजय की कार पर नज़र पड़ना !



ठाकुर साहब ने रघुनाथ की तरफ घूम कर गुस्से से पूछा --" यह यहाँ कैसे पहुँच गया ?"



" म.... मैं... मैं !" मरते हड़बड़ाहट के रघुनाथ मिम्मिया कर रह गया !



" मैं....मैं क्या कर रहे हो ?" ठाकुर साहब काले बादलों की तरह गरजे !



" स...सर उसे मैने फोन किया था !"




" क्यूँ ?"




ठीक से जवाब नही सूझा रघुनाथ को ! अचानक मूँह से निकला --" ए.. ऐसे ही !"



" क्या होता है ऐसे ही ? ऐसी कोई भी घटना घटी ही क्यूँ फोन करते हो तुम उसे ? पोलीस में कोई ऑफीसर है वो ?"



रघुनाथ सकपकाकर चुप रह जाने के अलावा ऑर क्या कर सकता था ?


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Re: NOVEL IN HINDI TRICK ( By Ved Parkash Sharma)

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उधर विजय की कार के अगले दोनो दरवाज़े खुले !



एक से विजय , दूसरे से विकास बाहर निकलता नज़र आया !




विकास गंभीर नज़र आरहा था ! गंभीर तो विजय भी था मगर ठाकुर साहब पर नज़र पड़ते ही चहका --" ओह ! बापूजान भी है यहाँ तो !"



रघुनाथ फ़ौरन विजय विकास के पास पहुँचकर धीमे स्वर में बोला -- " विजय ! कोई बदतमीज़ी मत करना ! ठाकुर साहब बहुत गुस्से में हैं !"




" गुस्से में है तो हमारे ठैन्गे से !" विजय ने जान बूझकर इतनी ज़ोर से कहा कि आवाज़ ठाकुर साहब तक पहुँच जाए !




" विजय प्लज़्ज़्ज़ यार ! तुम समझ क्यूँ नही रहे ?" रघुनाथ के दाँत भिन्च गये !



विजय एक पल चुप रहा -फिर बोला -- ठीक है समझ गया !"


विजय अपना मूँह उसके कान के नज़दीक लाते हुए धीमी आवाज़ में बोला -" हमें क्यूँ बुलाया है यहाँ ?"


रघुनाथ झुंझला उठा पर बोला -- " मैं उस क़ुआवलिस की खोजबीन कर रहा था जिसमे मोहम्मद इकराम को ले जाया गया !"




" ठीक कर रहे थे ! करनी चाहिए खोजबीन ! मामला 'आख़िर तुम्हारी इज़्ज़त की बैठ गयी बगिया का है !"




" गस्ति पोलीस वालों ऑर चौराहे पर तैनात सिपाहियों से पूछताछ करता यहाँ तक पहुँच गया ! कई लोगों ने क़ुआवलिस को इधेर आते देखा था !"




" ज़रूर देखा होगा !" विजय अपनी टोन में बोला !




" यहाँ पहुँचने पर एस्टीम को मैने नदी में पड़ी पाया --- नदी के एक पत्थर पर अटकी हुई थी यह ! मुझे लगा -- इसकी हालत का संबंध क़ुआवलिस के इधर से गुजरने से भी होसकता है ! सो तुम्हे फोन कर दिया है !"




"अच्छे बच्चे हो ! हमेशा अच्छा काम करते हो !" कहने के बाद विजय तेज़ी एस्टीम की ओर बढ़ा था !"




विकास पहले ही एस्टीम के नज़दीक पहुँच चुका था !





विजय मटरगश्ती--सी करता कार के चारों तरफ घूम रहा था ! अंदाज़ ऐसा था जैसे काँच के 'शो-केस' में रखे कोहिनूर को घूम - घूम कर हर आंगल से देख रहा हो ! उसकी इस हरकत से ठाकुर साहब का पारा चढ़ता ही चला जा रहा था ! विजय सब जान कर भी अंज़ान बना हुआ था ! फिर एकाएक एस्टीम के सामने रुका !



विजय ने रघुनाथ को पास बुलाकर कहा -- यह एस्टीम नदी में गिरी नही प्यारे बल्कि गिराई गयी है !"




रघुनाथ चुप रहा !



" अम्मा कुछ समझ में भी आया मियाँ ! हम कह रहे हैं -- यह आक्सिडेंट नही , मर्डर है !" विजय हाथ नाचता हुआ अपनी टोन में बोला !



" कैसे कह सकते हो ?"



विकास ने कहा --" इसे टक्कर मारने वाली कार का रंग काला था !"



" किस बेस पर कह रहे हो ?" यह सवाल रघुनाथ ने विकास से किया !



" यह देखिए !" विकास ने आगे बढ़कर एस्टीम के लटक रहे बंपेर की तरफ इशारा किया --" यहाँ किसी दूसरी कार का काला पैंट लगा हुआ है !"
रघुनाथ कुछ देर चुप रहा ! फिर बोला --" यह मान भी लिया जाए की एस्टीम को जानभूझ कर हिट किया गया है तब भी , नतीज़ा क्या निकलता है ?"



" गडबडीसॅन !" विजय ने कहा -- " मामला गड़बड़ है !




बॉल्डर का काम ख्तम हो चुका था ! चार पाँच सिपाही ड्राइवर की लाश को बाहर निकाल रहे थे !



सबका ध्यान लाश की तरफ था जब विकास धीरे से सरक विजय के नज़दीक आया ऑर धीमी आवाज़ में बोला -- " मोहम्मद इकराम इसी कार में था गुरु !"



उच्छल ही पड़ा विजय ! मूँह से निकला --" क्या कह रहे हो दिलजले ?"




" यह देखिए !" उसने अपनी मुट्ठी खोल कीमती रिस्ट्वाच दिखाई !


विजय ने पूछा --" इसका मतलब ?"



विकास मुट्ठी बंद करता हुआ बोला --" मोहम्मद इकराम की रिस्ट्वाच ! टी.वी पर न्यूज़ में देखा था जब वो जम्मू में भाषण दे रहा था ! "


" काफ़ी उँचा उड़ने लगे हो दिलजले !"



" फिर भी आप से नीचे ही उड़ रहा हू !" कहते वक़्त विकास के होंठों पर शरारती मुस्कान थी !



" खैर , अब यह कहाँ से मिली ?"



"कार के अंदर से !"



"यानी राम -नाम सत्य हो चुका है पट्ठे का ?"



"इस नतीज़े पर आप कैसे पहुँचे ?"


"रिस्ट्वाच तुम्हे कार के अंदर से मिली ! उस गाड़ी के अंदर से, जो हज़ारों फीट उपेर से नदी में गिरी ! उम्मीद यही क़ी जा सकती है कि रिस्ट्वाच झटका खा कर कार में गिर गयी ! वो नदी में बह गया ! इस हादसे में किसी के जीवित बचने की कल्पना तक नही की जा सकती !"




" उस हालत में रिस्ट्वाच की चैन टूटी हुई होनी चाहिए थी !"



"क्या ऐसा नही है ?"



"चैन ऐसी पोज़िशन में है जैसे वाकायदा खोली गयी हो ! "



विजय का दिमाग़ फिरकनी की तरह घूम रहा था !




विजय कुछ देर सोचता रहा फिर बोला ---
" तुला राशि के मुताबिक मोहम्मद इकराम क़ुआवलिस में थे , मगर यह रिस्ट्वाच बता रही है कि वो इस में था ! पहली बात -- यह ट्रान्स्फर कब ऑर क्यूँ हुआ ? दूसरी बात -- यदि इस कार में था तो मरा नही होगा तो ज़ख़्मी ज़रूर हुआ होगा ऑर इस वक़्त तेज़ बहाव वाली नदी में बह रहा होगा !"




मुझे ऐसा नही लगता बोला विकास -- --" कार के हर हिस्से को मैने ध्यान से देखा है ! बॉडी बुरी तरह पिचकी हुई है ! इतनी गुंजाइश ही नही है कि कोई कार में रहा हो ऑर निकल कर बाहर जा गिरा हो !"


"तुम्हारे कहने का मतलब हुआ ---मंत्री मोहम्मद इकराम इसमें नही था ? तो वो रिस्ट्वाच कैसे पहुँची अंदर ?"



"मेरा मतलब -- शायद वो कार में खाई से गिरने से पहले रहा होगा !"



"होने को कुछ भी हो सकता है प्यारे मगर इतना श्योर होगया -- एस्टीम चलाने वाले का किडनेपर से रीलेशन है !" कहने के साथ ही विजय ने लाश की तरफ देखा ऑर अचानक चीख पड़ा -" अर्रे ड्राइवर ! ये तो देविंदर है ! मेरा दोस्त ! मेरा हमदम !"



सबने चौंक कर विजय की तरफ देखा !



सबसे ज़्यादा बुरी तरह विकास चौंका!


"विजय पछाड़ सी खा कर लाश पर जा गिरा --" यह क्या होगया यार तुझे ! कैसे होगया ? कॉन मार गया तुझे ? तू था ही क्यूँ इस कार में ?"



सब अवाक !


"विजय .....विजय !" रघुनाथ उसकी तरफ लपका ---" 'आख़िर हुआ क्या है ?"



" रघु डार्लिंग !" विजय ने चेहरा उपेर उठाया ! वो चेहरा आँसुओं से तर था ! बुरी तरह विलाप करता नज़र आरहा था -" देविंदर मेरा यार क्या होगया इसको !"


उसका देविंदर देविंदर कहकर लाश से यूँ लीपटना अज़ीब तो सभी को लग रहा था मगर विकास समझ सकता था -- इस नाटक के पीछे कोई बड़ी वजह होगी ! मगर वजह क्या है , यह बात लाख दिमाग़ घुमाने के बावजूद विकास की समझ नही आ रही थी .....

(*नोट विजय ने फोन निकाला था डेड बॉडी से जो कोई ऑर नही कमीना नेता हर्षरण शास्त्री ही था, ऑर विकास तक को नही बताया! फोन दिया चीफ़ (ब्लॅक बॉय ) को पता लगाने को किसका था? अब चीफ़ का ही इंटरव्यू ले रहा था )


तीनो गुप्त भवन में बैठे थे ! विजय , विकास ऑर ब्लॅक बॉय (चीफ़)


" मृतक का नाम ?" विजय का अंदाज़ ऐसा था जैसे सामने वाले का इंटरव्यू ले रहा हो !



"हर्षरण शास्त्री !"




"काम ?"



"विधायक था !"



"ओह !" विजय चौंका --" काफ़ी चर्चित विधायक रहे हैं यह महोदय तो !"



"जी!"



"एस्टीम किसकी थी ?"



"उसकी अपनी ! पर्सनल !"



"उस-से बरामद होने वाला फोन ?"



"वो भी उसका अपना था ! पर्सनल !"



" वो नंबर किसका है जिस पर रेकॉर्ड के मुताबिक वो बार बार फोन करता रहा ?"
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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"नंबर पाकिस्तान का है !"



" वो तो हमें भी मालूम है प्यारे ! नंबर खुद बता रहा था ! हम उस नंबर वाले का नाम पत्ता पूछ रहे हैं !"



" मैने रॉ के चीफ़ को काम दे रखा है , जैसे ही रिपोर्ट आती है आपको बता दूँगा !"





" दिलजले !" विजय ने बगल वाली सीट पर बैठे विकास से पूछा --" तुम्हे कुछ पूछना है ?"




" पूछना था मगर अब नही पूछना !" विकास उखड़ा उखड़ा नज़र आरहा था !



"क्या पूछना था ?"



"यह कि आप देविंदर देविंदर कहते उसकी लाश को क्यूँ लिपटे थे ?"



"अब क्यूँ नही पूछना ?"


"समझ चुका हू !"



"क्या समझ चुके हो ?"



आपकी नज़र लाश के आस पास पड़े उस मोबाइल पर पड़ गयी होगी !" विकास ने कहा --" नही चाहते होंगे कोई आपको मोबाइल बरामद करते देखे , इसीलिए वो नाटक ........!"



"प्यारे दिलजले , बस एक ही दुआ है -- तुम्हारे बच्चे जियें , बढ़े हो कर तुम्हारा लहू पिए !" हम वो नाटक ना करते तो तुला राशि के साथ साथ हमारे बापू जान की निगाह में मोबाइल आजाता ! समझ सकते हो -- उस कंडीशन में वो हमारी प्रॉपर्टी नही बन सकता था ! बापू जान उसे फ्री का माल समझ कर 9 2 11 हो हाजाते ! पोलीस वालों की आदत ही कुछ ऐसी होती है , इसीलिए ... देविंदर बनाना पड़ा ! लीपटना पड़ा खून से सारॉबार लाश से ! मोबाइल जेब में नही था बल्कि उसके कवर का क्लिप शास्त्री की बेल्ट से उलझा हुया था ! लास्ट नंबर पाकिस्तान का था ऑर उसके मालिक का नाम पत्ता लगाने का ठेका काले लड़के (चीफ़) को दिया !


" आपने सब से छुपाया यह बात समझ आती है , पर रास्ते में यहाँ तक आने में हज़ार बार पूछा कि .... आप लाश को देविंदर देविंदर कह कर क्यूँ लिपटे थे ? आप ने नही बताया ! यहाँ आकर मोबाइल अजय अंकल ( ब्लॅक बॉय ) को देते हुए कहा --" इस मोबाइल के बायो डेटा पत्ता करो, साथ ही कहा पत्ता करो किस किस को ज़्यादा कॉल किया गया है! तब सब समझ गया था मैं !" विकास अब भी उखड़ा हुआ था !



" हमने सस्पेंस बनाया था प्यारे ! सस्पेंस भी इस दुनिया की एक रंगीन चिड़िया का नाम है !"



"एक बात अब भी समझ नही आई गुरु ?"


जानना चाहते हो तो हो जाओ शुरू !"




"एक मंत्री (मोहम्मद इकराम ) का किडनॅप होता है ! पापा के मुताबिक उसको क़ुआवलिस में डालकर ले जाया गया ! क़ुआवलिस की तलाश करते पापा को नदी में पड़ी एस्टीम मिलती है ! एस्टीम एक विधायक की है ऑर विधायक की लाश भी कार में मिलती है ! साथ ही मिलती है -- मोहम्मद इकराम की रिस्ट्वाच ! इन सब घटनाओ का ताल मेल कुछ समझ नही आरहा !"


"एक बात भूल गये तुम !"



"वो क्या गुरु ?"



"विधायक हर्षरण शास्त्री के तार पाकिस्तान से जुड़े थे !"



"हां वो तो उसका मोबाइल बता रहा है !"



"इस जानकारी से एक धारा फुट कर निकल रही है !" "यह धारा हमें चीख चीख कर बता रही है कि मोहम्मद इकराम अब इंडिया में नही है !"



"इंडिया में नही है तो कहाँ है ?"



"हमारे ख्याल से उसे पाकिस्तान पार्सेल कर दिया गया है ऑर उसका पुलिंदा बाँधने वाले का नाम है -- हर्षरण शास्त्री ! जो खुद भगवान को प्यारा होगया !


क़ुआवलिस वालों का काम था किडनॅप करना ! हर्षरण शास्त्री का काम था उससे बॉर्डर के पार उस तरफ पहुँचाना ! इसीलिए रास्ते में मोहम्मद इकराम को क़ुआवलिस से एस्टीम मे ट्रान्स्फर किया गया ! हर्षरण शास्त्री ने अपना काम पूरा किया , मगर उसकी कार को हिट तब किया गया जब वो बॉर्डर से वापस राजनगर की तरफ लॉट रहा होगा! यह तो तुम भी घटना स्थल की इन्वेस्टिगेशन कर के समझ गये होगे प्यारे ! " विजय बिना साँस लिए सब बताता चला गया !




प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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