चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़) complete

Post Reply
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »

shubhs wrote:मस्त ☺continue
thanks
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »

करीब तीस मिनट बाद वे दोंनों विजय के बेडरूम में, बेड के समीप पडे़ सोफों पर बैठे विजय का मुंह देख रहे थे वे और वेड पर समाधि-सी-लगाए बैठा था विजय । विजय उन्हें इसी पोज़ में मिला था और वे दोनों विज़य के चरणस्पर्श करने के बाद सोफों पर बैठ गये थे ।

" पुर्ण सिंह !" विजय के कुछ कहने से पहले विकास चीखा ।


" आया सरकार ।" इस तरह प्रविष्ट हो गया जैसे इस बात के इन्तजार में कमरे के बाहरं ही खडा था कि कब उसे आवाज लगे और कब बह अन्दर जाए । "



" गुरु की समाधि तोड़ने के लिए जरा एक बाल्टी पानी लाओ ।"


" नलों में पानी नहीं है बच्चा ।" बिजय उसी तरह समाधी लगाए किसी सन्त की तरह बोला…"ज़ब से हमारे देश ने दूसरी आजादी पाई है तब से पानी गायब है । बिजली गायब है, ये मत समझना कि सब कुछ गायब है---है भी वहुत कुछ । गुन्डागर्दी है, महंगाई ने भी पैंतरा बदल लिया है । अब जरा सौंने को बेचकर महंगाई को उल्टा करके पंखे पर लटकाने की तैयारी है ।"



. …"मैं अभी नहाकर अाया हूं…नल आ रहे है ।" विकास ने कहा-"पूर्णसिंह, तुम पानी लेकर आओ ।"



" अजी पानी साले को क्या अाते-जाते देर लगती है ।" विजय ने कहा---"जितनी देर में तुम अपनी क्रोठी से यहाँ तक अाये हो, उतनी देर में तो पानी हमारे नलों से गायब होकर गांवों की टूयूबवेल में पहुंच चुका होगा ।



"मैंने रात पानी भरकर रख लिया था । ठण्डा भी होगा ।पीते ही मजा आएगा ।" पुर्ण सिंह ने कहा --" हुक्म हो तो लाऊं ?"



'"अबे चल नमकहराम ।” विजय ने आंखें खोल एकदम पूर्णर्सिंह को डांटा-साले, हमारा ही नमक खाता है और उसी नमक में किरकिल मिलाता है । कल्लो भटियारी की कसम, जिस तरह देश से कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया उसी तरह अपनी कोठी से हम तेरा सफाया कर देगे " इस तरह-काफी देर तक विजय ऊबड़-खाबड़ बाते करता रहा ।

इस हद तक कि आज तो विकास भी परेशान हो गया उससे
आज सुबंह-सुबह से न जाने उसे क्या दौरा पंडा था कि हर बात' को राजनीति में घसीट लेता ।



बडी मुश्किल से बह बिज़य को लाइन पर लाने में सफल हुआ ।



जब से यह आया था, न जाने जितनी बार वया प्रश्न कर चुका था कि फोन पर वतन क्रो उन्होंने मुर्ख क्यों कहा था ?


उस वक्त विकास को राहत मिली जब विजय ने कहा …'"मूर्ख नहीं प्यारे, दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख कहा था ।"


" लेकिंन क्यों ?"



इसलिये कि उसने अखबारों के द्वारा अपने इस आविष्कार का दिंढोरा पीटा ।"


"क्या मतलब है ?"

" लगाता है, मूंग की दाल खाकर नहीं अाए हो ?" विजय ने कहा ।"


" मेरा कहने का मतलब यह है गुरू कि अखबारों को उस आविष्कार के बारे में बताकर उसने क्या मूर्खता की ?" विकास ने पूछा…"जब भी कोई देश बड़ा काम करता है, बह अपनी सफलता को दुनिया के सामने रखता है । अमेरिका ने जब बम बनाया----- अखबार में दिया । न्युट्रान खबर भी अखबार दी गई । रूस या अमेरिका का भी यान अन्तरिक्ष की तरफ रवाना होता है तो महीनों पहले उसृका प्रचार क्रिया जाता है । इससे विश्व के अन्य राष्ट्रों की नजर में उस देश का सम्मान बढता हैं ।"



"‘मातूम है, ऐसी ही एक मुर्खता भारतीय वैज्ञानिक डाँक्टर भावा ने भी एक बार की थी ।" विजय ने कहा-"उसने कहा था कि वह भारत के ऊपर कुछ किरणों का जाल बिछा देगा कि अणुबम भारत का कुछ नहीं सकेगा ।"



-"क्या कहना चाहते हैं आप ?-"

" इस घोषणा के बाद मालूम हैं डॉक्टर भावा का क्या अन्जाम हुआ था ?" विजय ने पूछा ।


"उनका विमान क्रेश हो गया था और वे मारे गए थे ।" विकास ने कहा ।



"डॉक्टर भावा का विमान क्रेश हुआ नहीं था प्यारे दिलजले, बल्कि क्रेश किया गया था ।" विजय ने बताया-----"पहाडी पर विमान टकराकर चूर चूर हुआ था, मालूम है, बाद में परीक्षण में पाया गया कि उस पहाडी में कृत्रिम रूप से चुम्बकीय शक्ति पैदा की गई थी । यह तो आज तक पता नहीं लग सका कि यह हरकत किस देश की थी, मगर हां यह सारी दुनिया को पता था कि डॉक्टर 'भावा' का विमान उस पहाड़ी के उपर से गुजरेगा । बस दुश्मन ने उस पहाडी में चुबकीय शक्ति पैदा की और जिस उद्देश्य ' उन्होंने यह काम क्रिया था, बह पूरा हो गया यानी उस पहाडी की चुम्बकीय शक्ति ने विमान को अपनी और खींचा और पहाडी से टकराकर विमान टुकडे-टुकडे हो गया ।"



"मगर यह कहानी को -दोहराकर अाप कहना क्या चाहते हैं ?"



"यही कि विश्व की कोई शकित किसी दूसरे ढंग से इस कहानी को दोहरा सकती है ।"

सुर्ख हो गया विकास का चेहरा, गुर्रा उठा उस नापाक शक्ति को जलाकर खाक न कर दूंगा मैं ।"


"जब वह पहले ही वतन को समाप्त कर देगी तो तुम्हारे खाक करने से क्या लाभ होगा ?" विजय ने कहा---"तुम दिमाग से काम न लेकर व्यर्थ के जोश में अाते हो प्यारे दिलजले । मैं कहता हूं कि वतन के मरने के बाद अगर तम सारी दुनिया क्रो भी जलाकर खाक कर दो तो क्या वतन लौट अाएगा ? क्या उसका बह आविष्कार लौट अाएगा जो उसने किया है ?"


विकास ने उपने दिमाग को नियंत्रण में किया, बोला--" तो क्या करें गुरू ?"


प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »

" क्या कर सकते हैं हम ?"' विजय ने कहा…"जब वतन ने ही ढिढोरा पीटने की मूर्खता की है । अवे, ठीक है तुमने . आबिष्कार किया है, लेक्रिने इसमें ढोल गले में लटकाकर शोर मचाने की क्या बात है ? याद रखो'-दुनिया की महाशक्तियां कभी यह नहीं चाहतीं कि कोई अन्य देश उसके बराबर में अाए । वे भारत को ही बढता हुआ नहीं देख सकती और चमन, चमन तो अमेरिका के वाशिंगटन और रूस के मास्को से भी छोटा है । "



-"’वह तो मैं सब समझ गया गुरू, लेकिन अव सवाल तो यह है कि हमें क्या करना चाहिए ?"

" फिलहाल इस मामले में हम कोई खास हथेली तो लगा नहीं सकते । विजय ने कहा…“लेकिन हां, फिर भी जो हम कर सकते थे, हह हमने किया है । रूस, अमेरिका, चीन, और पाकिस्तान में स्थित अपने एजेन्टों को हमने सचेत कर दिया है । उनके सुपर्द यह काम दिया गया है कि वे अपनी-अपनी जगह पर दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखें और तीन दिन के अन्दर रिपोर्ट भेजें । हर देश के छोटे-से-छोटे व गुप्तचर संगठन से लेकर सीक्रंट सर्विसों तक नजर रखी जा हैं । हर देश में स्थित अपने प्रत्येक एजेण्ट को यह अादेश भेज दिये हैं कि विशेष रूप से उन्हें यह ध्यान रखना है कि किस देश में वतन के इस स्टेटमेंट पर क्या प्रतिक्रिया होती है ।"



" अोह !" विकास ने कहा…"इसका मतलव फिलहाल हमें अपने एजेण्ट की रिपोर्ट का इन्तजार करना है ?"



" फिलहाल इस के अलावा हमारे पास अन्य कोइ चारा नहीं ।"



"मैं सोच रहा हूं गुरू, क्यों न मैं आज ही चमन के लिए रवाना हो जाऊं ?" विकास ने कहा ।


" वहां जाकर क्या अण्डे दोगे तुम ?"

-‘वतन की सुरक्षा के लिए तो मैं पहुंच ही जाऊंगा ।" विकास ने कहा---'"इससे ज्यादा फिलहाल वतन की क्या मदद हो सकती है?"


"इस मूर्खतापूर्ण _विचार को संभालकर अपनी जेब में रख लो, प्यारे दिलजले !" विजय ने यहा----" कुछ नहीं कहा जा सकता कि किस देश से किस एजेण्ट की क्या रिपोर्ट आ जाए । यह, फैसला हमें रिपोर्ट मिलने के बाद ही करना होगा कि हमें क्या करना ।"



-"लेकिन रिपोर्ट अाने से पहले ही चमन जाने में क्या हर्ज 'है गुरु ?" विकास ने पूछा ।



“वहीँ हर्ज है दिलजले, जो "थमसप' में चाय डालकर पीने में है ।" विजय बोला----"मियां खां , यह तो तुम भी देख ही चुके को कि वतन वह रसगुल्ला नहीं है, जिसे एकदम -हीं कोई हजम कर जाएगा । दूसरी बात ये कि न जाने कौन से देश से क्या रिपोर्ट आ जाए । यह फैसला तो सूचनाओ के आधार पर ही होगा कि हमें किया करना है । फिलहाल तो यह भी पता नहीं कि इस केस के संबन्ध में हमें चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चमन या दुनिया के किसी अन्य मुल्क में जाना पडे़ । हां-हमें किसी भी देश की यात्रा के लिए तैयार रहना चाहिए । माना कि तुम चमन चले गए और हमारे क्रिसी एजे्नट ने किसी अन्य देश क्री ऐसी रिपोर्ट भेजी कि हमें वहां जाना पडे़ तो क्या लाभ होगा ?"


-"गुरु ।" विकास ने कहा…"ज़ब मुझे खतरा स्पष्ट चमक रहा है तो सच, आराम से यहां बैठकर इतजार‘ नहीं होगी मुझसे ।"
-"एक अच्छे जासूस के लिए धैर्य भी वहुत आवश्यक चीज है प्यारे ।" विजय ने कहा…"फिलहाल धैर्य की जरूरत है । ये ठीक है कि खतरा स्पष्ट चमक रहा है, लेकिन जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि इस खतरे से बचा किस दिशा से जा सकता है, उससे पहले खतरे में कूद पड़ना उसी तरह है, जिस तरह बीच समुद्र में फंसे क्रिनारे की जानकारी से अनभिज्ञ किसी आदमी का किसी दिशा में तैरना ।"



-"'क्या मतलब गुरू ?"


"माना कि तुम बीच समुद्र में फंस गए हो भी विजय ने समझाया…"तुम्हें मालूम नहीं है क्रि, जहां तुम हो वहा से किनारा किस दिशा में कितनी दूर है । अब तुम्हारा पहला फर्ज यह होगा और कि किनारे की जानकारी प्राप्त करों या यह कहो क्रि यूही विना किसी जानकारी के तैर लोगे ?" विजय ने कहा ।




-"माना कि बुद्धिमानी किनारे की जानकारी लेने में ही है" विकास ने कहा-लेकिन जब किनारे की जानकारी -न तो किसी दिशा में तो बढ़ना ही होगा ।"



"लेकिन अगर तुम्हें यह पता लग जाए कि दो दिन वाद , किनारे के विषय में जानकारी मिल जाएगी तो ?"



. …"तो हमें जानकारी मिलने तक इन्तजार करना चाहिए ।" विकास ने कहा-"लेकिन खाली बैठकर इन्तजार करना भी . महाबोरियत का काम है, अत्त: कछ-न कुछ करते रहना चाहिये ।"


"अगर किसी दिशा में तैरैनै का काम करोगे तो प्यारे, यह बेवकूफी भी हो सकती है कि अाप किनारे से दूर ही होते चले जाएं ।" विजय विना रुके कहे जा रहा था…"हां, इंतजार का गुड़ खाने में समय ही गुजारने की बात है तो अखण्ड कीर्त्तन किया जा सकता है । बस, इसके 'अलावा कोई चारा नहीं है ।"



-'"हे गुरू । " विकास बोला…'क्यो न हम झकझकी और दिलजली का मुकाबला करके इन्तजार का यह समय गुजार दें ।"


"'अबे, बात को कहने का ढंग है ।" विजय ने कहा----और कीर्तन में क्या हम भजन गाएंगे ?"

-"तोफिर गुरू हो जाओ शुरू ।"



और…बिना भूमिका के वास्तव मैं विजय शुरू हो गया ।

. उसने वेहद लम्बी झकझकी सुनाई । इतनी लम्बी कई बार विकास को ऐसा लगा कि अब समाप्त होने वाली है लेकिन विजय की झकझकी किसी लम्बे तार की तरह खिंचती ही चली गई ।

समाप्त होने पर विकास ने कहा--"आपकी इस झकझकी ने
तो बोरियत को दूर करने के स्थान पर और बढ़ा दिया गुरु !"



"'ऐसी बात है तो दूसरी सुनो ।" विजय शुरू होने ही जा रहा .था कि…
" रूको गुरू , ठहरो ।" हाथ उठाकर विकास ने कहा-"कायदे की बात यह कि आपने एक झकझकी कह ली । अब नम्बर दिलजली का है । पहले मैं अपनी दिलजली सुना लूं उसके बाद जाप झकझकी सुनाएं ।"


"यह भी ठीक है ।" विजय ने कहा ।



फिर…विकास ने दिलजली छेढ़ दी । वह भी क्या विजय से कम था ? उसने विजय से कुछ लम्बी ही सुनाई, जबाब में विजय की झकझक्री उस दुगनी लम्बी और फिर उससे भी दुगनी लम्बी विकास की दिलजली ।



इस तरह-मजाल थी कि दोनों में से कोई भी पीछे हट जाता ! जैसे यह मुकाबला हो गया हो कि एक दुसरे को कौन ज्यादा बोर कर सकता है । उनमें से क्रोइं बोर हुआ या न हुआ हो लेकिन हां ,उनके मुकाबले में बेचारा धनुषटंकार पिस रहा था । कुछ देर
तक तो वह सोफे पर बैठा शराब और सिगार पीता रहा, वतन के विषय में सोचता रहा ।



फिर इस कदर _बोर हुआ वह कि अन्त में सोफे पर ही सो गया ।



गुरु चेले का मुकाबला चलता रहा, ठीक इस तरह जैसे शतरंज के धस्कीआपस अड गए हों ।


दूसरे दिन तव जबकि विकास लम्बी तानकर सो ही रहा था कि उसके सिरहाने मसहरी पर रखे फोन की घण्टी घंनघना उठी ।


रिसीवर उठाकर उसने कान से लगाया और नीद के स्वर में बोला---" हैलो...चेला..अाफ विजय दी ग्रैट स्वीक्रिग ।"

" यस प्यारे...ये हम बोल रहे है यानी गुरू आँफ विकास ।"

" ओह, गुरु ! हाँ, कया बात है ?"


"अवे, अभी तक सो रहे हो मियां ? कल के अधूरे रह गए मुकाबले को पूरा करने नहीं आओगे क्या ?"



…'"गुरु, लगता है, हमारा मुकाबला जिन्दगी-भर भी चलती रहा तो पूरा नहीं होगा ।" विकास कह रहा था--" अखण्ड कीर्तन की जगह अगर सोचकर समय निकाला जाए तो ज्यादा उचित होगा । क्यों न अाज हम यह शर्त लगाएं कि कौन ज्यादा देर सोए ?"


"तुम सोते ही रहोगे प्यारे,और मैं चीन पहुंच जाऊंगा ।"


हल्के चौंका, बोला----'' कहना चाहते हो गुरु ?"



"'यही कि अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और पाकिस्तान से रिपोर्ट अा गई है ।" विजय ने बताया । "
विकास एकदम सीधा‘ 'होकर बिस्तर' पर बैठं गया और बोला----"क्या रिपोर्ट है ?"


" जानना चाहते हो तो अपने प्यारे काले लड़के के पास आजाओ ।" विजय ने कहा--"गुप्त भवन में ।"


प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »


बिकास अभी कुछ कहना ही चाहता था कि वह रुक गया । दूसरी तरफ से बिजय ने उपयुक्त अल्फाज बोलकर सम्बन्ध-विच्छेद कर दिया था । एक पल तो लह सांय-सांय करते रिसीवर को घूरता रहा, फिर उसे क्रेडिल पर रखकर बिस्तर से उतारा ।



तभी हाथ में चाय लिए कमरे में प्रविष्ट हुई रैना ।



"अरे मम्मी ।" रैना को देखते ही विकास ने कहा…"आप खुद चाय लाई ! नौकर नहीं था क्या ?"


" चाय लाने के बहाने कम-से-कम तेरी सूरत तो देख ली ।" रैना ने शिकायत-भरे स्वर में कहा---"बहुत आवारा हो गया है तू । सुबह-ही-सुबह न जाने कहाँ निकल जाता है, और फिर रात को उस समय अाता है जब सब सो जाते हैं । मालूम है वो क्या कह रहे थे ?"



'"क्या " ?" विकास ने रैना के हाथ में है कप प्लेट लेते हुए पूछा ।



" यह कि उन्हें तो एक ही घर में रहने के बावजूद भी तू कई-कई दिन तक नहीं मिलता ।" रैना ने कहा'…" कुछ तो यह पुलिस की नौकरी ही ऐसी है कि वे कब घर में रहते और कब बाहर ? फिर, एक तू है कि सारा दिन घर से बाहर रहता है ।"



"'क्या बात करती हो मम्मी । हां । इसे इत्तफाक ही कहा जा श्री सकता है कि जब डैडी घर में अाते है तो मैं नहीं होता और जब मैं घर में होता हूँ तो डैडी नहीं आ पाते ।" कहने के बाद बिकास ने चाय का एक लम्बा घूंट भरा ।



"'ऐसी बात नहीं विकास ।" रैना ने कहा…"वे नौकरी करते हैं, फिर भी तुम से ज्यादा देर घर में रहते हैं । .और एक तू ' _ है कि कुछ न करते हुए भी जाने सारे दिन कहां रहता है ?
अरे बिकास, जाना है क्या ?"



विकास चौंका ---बौखलाया , कहने लगा---"क्यों-नहीं तो मम्मी ।"


" बहका रहा है मुझे ?" रैना ने कहा-----देख नहीं रही हूं कि तू चाय जिस ढंग से पी रहा है ?"



"नहीँ' मम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है ।" विकास खुद को सभालता हुआ बोला ।।
"अच्छा, यह बता, काला लड़का कौन है ?"



और-रैना के इस सवाल पर विकास इतनी बूरी तरह उछल पडा जैसे एकाएक किसी बिच्छू ने उसे डंक मारा हो परन्तु चौंकने का एक भी भाव उसने अपने चहरेे पर नहीं आने दिया । उसने संभलकर सवाल किया…"काला लड़का-कौन काला लडका ?"



"औंर...ये गुप्त भवन क्या है ?"



विकास के सिर पर जैसे बम गिरा । कप प्लेट जैसे उसके हाथ से छूटते छूटते बचे,बोला---"गुप्त भवन ?"



दूसरे फोन पर तुम्हारी बातें सुन ली हैं जो तेरे और विजयं भैया के बीच हो रही थीं ।"



रैना के इस वाक्य ने विकास के दिमाग में चकराते इस प्रश्न का ज़वाब 'तो दे दिया क्रि रैना 'काले लड़के' और 'गुप्त पवन-के बारे में कैसे जानती है मगर-रैना का इतना जान लेना ही कम खतरनाक नहीं था । वह बोला-----"ओह । मम्मी ! अाप उस फोन की बात कर रही हैं । वह तो विजय अकल का फोन था न । तुम्हें तो मालूम ही है----वे मजाक करते हैं । कुछ दिन से उन्हें न जाने क्या भूत सवार हुआ है कि अपनी कोठी -को गुप्त भवन कहने लगे और उनका एक दोस्त है-उसे काला लडका कहते है ।"



"'काले लड़के को तुझसे क्या काम हैं. ?" रैना ने कहा…"यानी उससे मिलने के लिए विजय भैया ने तुम्हें क्यों बुलाया है । "



"ओह, हाँ, विजय गुरू का वह दोस्त अमेरिका से अाया हुआ है । आजकल वह मुझे जूडो और कराटे सिखाया करता है ।"

" मुझसे कुछ छुपा रहे हो बिकास !” उसे घूरती हुई रैना ने कहा ।



विकास यह महसूस कर रहा था कि वह बुरी तरह फंस गया है । फिर भी, बात क्रो सभालने की कोशिश करता हुआ वह बोला…"मैँ आपसे क्या और क्यो छिपाऊगा मम्मी ?"



" तो बता कि रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन आदि से क्या के रिपोर्ट अाने वाली है ?"



एक बार पुन: विकास का दिमाग बुरी तरह झनझना उठा । बोला-"'वो मम्मी, इन सब देशों से अकल .ने कुछ और लोग बुलाए हैं न ! मुझे दांब सिखाने के लिए ।
अंकल का कहना वे दुनिया का कौई भी दांवं ऐसा नहीं छोडेंगे जो मुझे ना आता ।"



"क्या तुझे दांव सिखाने की जरूरंत है है ?" रैना ने पूछा ।


"'क्यों नहीं मम्मी, अभी मैंने सीखा ही क्या है ?"


" कुछ सीखा ही नहीं है तूने ।"रैना ने कहा-----" लोग जल्लाद के नाम तुझे जानने लगे हैं । देश-विदेश के जासूस तेरे कटटर दुश्मन बन गए हैं । यहाँ तक सुना है कि तू पूरी पूरी फौजों के के वश में 'नहीं अाता और कहता ये है कि तूने अभी सीखा ही क्या ?"



"ओह मम्मी?" प्यार से कहता हुआ वह रैना से लिपट गया…"बड़ी पगली हो तुम भी । इतने बड़े दुश्मनों से निबटने के लिए अंकल मुझे दुनिया का हर दांव सिखा रहे हैं-क्या गलत रहें हैं वह ?"



" लेकिन वेटे, तुझे इतने -खतरनाक जासूस और मुजरिमों से दुश्मनी लेने की जरूरत ही क्या है है"' रैना ने कहा---" तुझे क्या जरूरत पड़ी है कि इतने खतरनाक लोगों से उलझे ?विदेशों के मामलों को हमारे देश की सरकार जाने, देश की फौजें और जासूस जाने ।"




"‘मम्मी !" रैना से लिपटा विकास बोला-----" ये तो तुम जानती हो कि जेम्स बाण्ड, माइक,फुचिंग और ग्रीफित से तो मेरी दुश्मनी है तुम्हारे देश गुलशनगढ़ में ही गई थी । उस 'अभियान में तुम भी थी -- तुम्हें सब कुछ मालुम ही है ।"

(गुलशनगढ़ के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए पढे, क्रांति सीरीज. की दो पुस्तकें-"पहली दूसरी क्रांति‘ तथा 'क्रांति का देवता । )

""वह दुश्मनी वहीं की वहीं खत्म हो जानी चाहिए थी ।" रैना ने कहा…" और फूंचिंग और ग्रीफित को तो तूने मार ही डाला ।"



" मैं तो खत्म ही समझता हूं मम्मी, लेकिन जब वे अपने को खत्म नहीं समझते तो मैं क्या करू ?" विकास ने कहा---"फूचिंग क्रो मैंने मार डाला इसलिए पूरा चीन मेरा दुश्मन है । ग्रीफित को मार डाला इसलिए जेम्स बाण्ड और पूरा ब्रिटेन मेरा दुश्मन है । माइक मुझे अपना दुश्मन इसलिए समझता है । क्योंकि गुलशनमढ में वह मुझसे हार चुका है । अब तुम ही बताझो मम्मी, जब वे मुझे अपना दुश्मन समझते हैं तो कभी मुझ पर हमला कर सकते हैं । क्या ये ठीक नहीं होगा कि उनसे सुरक्षा के मैं सारे दांव सीख लूं ?"
" न जाने क्यों रैना की आंखें छलछला उठी । क्रिसी भावना के वशीभूत रैना ने उसे बांहों में कस लिया । रोती हुई वह बोली…"विकास कैसा पागल है रे तू । मुझे तो डर लगता है, केसे-केसे खतरनाक लोगों को तूने अपना दूश्मन वना लिया है ।"
बडी मिन्नतें करने के बाद भगवान ने मेरी गोद भरी है । मेरी गोद में सिर्फ एक तू हेमेरे लाल । तुझे कुछ हो गया तो...तो.... और फूट फूटकर रो पड़ी रैना ।




कौन समझाए ? कौन समझाए ममता में पागल हुई इस मां क्रो कि जिसे उसने गले से लगा रखा है, उसके नाम मात्र से दुश्मनों के कलेजे थर्रा उठते हैं । रूह कांप जाती है । अमेरिका और चीन में मौत के नाम से मशहूर है उसका यह लाल !



विकास----वह जल्लाद-देखों तो सही, मौत को थर्रा देने वाला दरिंदा कैसे मासूम और अबोध बच्चे की तरह अपनी मां के कलेजे के से लिपट गया ! कह रहा है--‘"अरे...रोती क्यों हो मम्मी ! तुम डरती क्यों हो ? विजय गुरु और अलफांसे अंकल जो मेरे साथ है ।"


-"'न जाने क्यों ये कुत्ते… मेरे मासूम लाल को अपना दुश्मन समझने लगे हैं ।" भावावेश के भंवर फसीं रैेना कहती ही चली गई-"कहों वे हत्यारे जासूस और कहां मेरा अबोघं लाल ।"




कौन समझाए उस मां को कि उसका अबोध लाल दरिंदा है, दुर्दान्त,बेरहम और वक्त पढ़ने पर राक्षस है । कौन समझाए उसे जिन्हें वह खतरनाक समझ रही है, वे विकास की परछाईं से भी कांपते हे । कौन समझाए.......


बड़ी कठिनाई से विकास रैना को संभाल सका । . . अपनी मां को भावनाओं के भंवर से निकाल सका । बड़ी कठिनाई से वह रैना से इजाजत ले सका कि वह विजय की कोठी पर चला जाए ।



तैयार होने के बाद जब यह कार लेकर सडक पर अाया तो वह पूरे आधे घण्टे लेट था ।




उधर-विकास कोठी से बाहर निकला या, इधर रैना ने रिसीवर उठाकर विजय की कोठी के नम्बर रिग किए । कुछ देर तक दूसरी तरफ से बजने वाली घण्टी की आवाज जाती रही । काफी देर के बाद दूसरी तरफ़ से फोन उठाया गया ।


आवाज अाई-----"' कौन साहब बोल रहे हैं ?"


"' कौन पूर्णसिंह ?'-' विजय के नौकर की आवाज पहचानकर रैना ने कहा --यह मैं बोल रही हूं रैना ।"

" ओह, बीबीजी !" पुर्णसिंह ने कहा------" हां मैं पूर्णसिंह ही हूं ।"



"विजय भैया को फोन दो ।"



" वे तो यहां हैं नहीं, बीबीजी !"




प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: चीख उठा हिमालय ( विजय-विकास सीरीज़)

Post by Jemsbond »

पुर्णसिह के इस वाक्य ने रैना के मस्तिष्क में एक भयानक विस्फोट क्रिया । एक बार तो उसे चक्कर सा ही अा गया । खुद को संभालकर वह बोली…'कहां गए हैं कब गए?”



" वे तो अाज सुबह-सवेरे ही चल गए बीबीजी !" पूर्णसिंहृ ने वताया-" किसीं का फोन अाया और वे बिना नाश्ता किए ही चले गए ।"



रैना के मस्तिष्क में जैसे रह-रहकर विस्फोट होने लगे । उसने पूछा…"बिजय भैया से मिलने आज कोई आदमी अाया था ?"

--"नहीँ तो बीबीजी ! लेकिन बात क्या है ? आज अाप कुछ परेशान-सी हो?"



"नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है ।" खुद को संभालकर रैना ने कहा-"हां सुना, कुछ देर बाद विकास वहीं पहुंचेगा । उसके पहुंचते ही तुम फोन कर देना ।" उसकी बात का पूर्णसिंह ' ने क्या जवाब दिया यह सुने बिना ही रैना ने रिसीवर फेडिंल पर पटक दिया ।

धम्म से सोफे पर गिर पड़ी ।।


वह बेहद परेशान हो उठी थी ।।



रह…रहकर उसके दिमाग में विचार उठ रहे थे कि विकास ने उससे झूठ क्यों बोला ?



"काला लड़का' "गुप्त भवन' ये सब क्या है ?


विदेशों से क्या रिपोर्ट अाने वाली है, और इससे विकास का क्या सम्बन्ध है ?



काफी देर तक इन्हीं ख्यालों में खोई. वह फोन की घण्टी बजने का इन्तजार करती रही, किन्तु वह नहीं बजी ।



कुछ देर बाद तब, जबकि उसे यकीन हो गया विकास अगर विजय की कोठी पर गया होगा तो पहुंच गया होगा, उसने पुन: विजय की कोठी के नम्बर डायल किए और दूसरी तरफ से बोलने वाले पूर्णसिंह से विकास के बारे में पूछा तो नकारात्मक जवाब दिया ।


फिर…लगातार दो घन्टे तक विजय की कोठी पर दो बार फोन करने के बावजूद भी रैना को यह सुनने को न मिला कि ,विकास वहाँ पहुच गया है ।
"ये मामला तो बड़ा गलत हुआ प्यारे दिलजले ।" गुप्त भवन के 'साउण्डप्रूफ कमरे में बैठा विजय बिकास की सारी बात सुनने के बाद कह रहा था…"खैर, फिर भी तुमने अच्छा किया कि गुप्त भवन मेरी कोठी को बना दिया काला लड़का "अमेरिका से अाया जूडो और कराटे का मेरा एक दोस्त ! अगर रैना बहन को पता लग जाए कि काला लडका उसका भाई ही है तो गजब हो जाए ।"



'
"सर !" सीक्रेट सर्विस के चीफ की कुर्सी पर बैठे अजय ने कहा…"मेरा ख्याल है कि अागे से इस बात का प्रबन्ध किया जाना चाहिए कि जिस तरह आज रैना बहन ने फोन पर सब कछ सुन लिया, अागे से, कोई न सुन सके, वरना सीक्रेट सर्विस का राज-र-राज नहीं रहेगा । वैसे अगर रैना बहन क्रो विकास की बातों पर यकीन नहीं आया होगा तो मामला बढ़ सकता है ।"


" सीक्रेट सर्विस का राज तो हमें राज ही रखना हे प्यारे ।" विजय ने कहा…"चाहे जैसे भी हो ।"


"'लेकिन रैना बहन जान गई तो ।"


"'अंकल ।" ब्लैक व्वाय की बात बीच में ही काटकर विकास-गुर्रा उठा --" मम्मी पर तो क्या, सीक्रेट सर्विस का कोई भी राज कभी किसी पर नहीं खुलेगा और अगर खुल भी गया तो किसी दूसरे को बताने के लिए वह जिन्दा नहीं रहेगा । अपने हाथ से मैं मैं मम्मी को गोली मार दूंगा ।"



"विकास ।।" ब्लैक ब्वाय के मुंह से तो चीख-सी निकल पड़ी ।



और विजय-वह तो विकास के चेहरे को देखता ही रह गया । विकास का चेहरा तमतमा रहा था । उसने विजय की तरफ देखा, गम्भीर स्वर में बोला--"क्यों गुरु, क्या गलत कहा मैंने ? सीक्रंट सर्विस का हर सदस्य बनते से पहले हर सदस्य यही कसम तो खाता है ।"




" विकास । " विजय के नेत्र छलछला गए । विकास को उसने अपने कलेजे से लिपटा लिया । मुंह से सिर्फ एक ही लफ्ज निकला-"मेरे बेटे ।"



मगर जल्दी ही विजय ने खुद को संभाल लिया था । एक मिनट , के लिए उसके दिमाग में यह बिचार अाया कि वह भावुक हो गया है, और अगले पल उसने अपने सिर को झटका देकेर खुद को सामान्य किया और बोला-----" छोड़ो। तुम विदेशों से अाए एजेण्टों की रिपोर्ट सुनो ।"


"हाँ ।" विकास-सामान्य स्थिति में अा गया बोला…"जल्दी बताइए क्या हुआ ?"
-"सबसे पहले चीन की रिपोर्ट सुनो तुम ।" विजय ने कहा-"'चीन में हमारी एक लेडी जासूस है । वेसे उससे तुम पहले भी मिल चुके हो । उस समय जब तुम तलवारों के सिलसिले में चीन गये थे ।"




" कौन क्रिस्टीना ?" विकास ने पूछा ।



" हां" विजय ने कहा---"यह काम हमने क्रिस्टीना को ही सौंपा था । उसने रिपोर्ट भेजी है कि वतन का स्टेटमेंट पड़ते ही चीन में हलचल मच गई और फौरन ही सीक्रेट सर्विस के सभी सदस्यों 'की एक आपातकालीन मीटिंग बुलाई गई । उसके फैसले के मुताबिक चीन के तीन जासूसों, जो चीन के अच्छे जासूस माने जाते हैं , के नेतृत्व में छ: जासूसों की एक टुकडी चमन के लिए रवाना होगी । उन तीन जासूसों के नाम है…सांगपोक,
हवानची
और एक लेडी जासूस है
सिंगसी ।
तुम्हारी जानकारी के लिए यह बता दूं कि सांगपोक फूचिंग का लड़का है और इसी से तुम अनुमान लगा सकते हो कि वह किस कदर तुम्हारे खून का प्यासा होगा । यूं समझो कि अब अगर दुनिया में रहने का उसका कोई मकसद है तो वह है सिर्फ तुम से अपने पिता की मौत का बदला लेना । उसने कसम खाई कि वह फूचिंग़ की कब्र को तुम्हारे खून से धोएगा ।"



"ओह !"' विकास के मुंह से निकला ।


" जहां तक मैं समझता हूं प्यारे दिलजले, चीनियों को यह अनुमान हो गया है कि वतन कि हिमायत में तुम जरूर आओगे । इसीलिए उन्होंने तुम्हारे सारे दुश्मनों को एकत्रित कर लिया है !"



"क्यों ?" इनमें से और किसको मुझसे व्यक्तिगत दुश्मनी है ?"



"हवानची को जानते हो, कौन है ?"'


"कोंन है ?"



"हुचांग का साला ।" विजय ने बताया-उसने भी हथियार तुमसे अपने जीजा की मौत का बदला लेने के लिए उठाए हैं ।



उसने बडी़ अजीव कसम खाई है । उसका कहना है कि अपनी जिन्दगी का अाखिरी कत्ल वह तुम्हारा करेगा ।"

हल्के से सकराया विकास, बोला'-"उसने तो बहुत गलत कसम खाई गुरू । मेरा कत्ल करने के बाद तो उसे और कत्ल करने होंगे, जैसे आपका, क्राइमर अकल का वरना आप दोंनो उस वेचारे को कत्ल कर दोगे ।"
" सवाल ये नहीं प्यारे कि कौन किसको कत्ल करेगा ।" विजय ने कहा…"सवाल यह है कि इन दोनों का परिचय मैंने तुम्हें इसलिए दिया है ताकि तुम मामले की भयानकता को समझ सको। हर कदम संभालकर उठाना है ।"



" वह तालीम तो आप मुझे दे ही चुके हैं ।"



" मेरा मतलब ये है कि इस मामले में विशेष सावधानी की आवश्यकता है ।" विजय ने कहा ।



"विशेष सावधानी तो मैं हर मामले में रखता हूं।" विकास ने मुस्कराते हुए कहा----"बस , यूं कहो कि आपकी भूमिका से यह बात मेरी समझ में अा गई है कि इस बार टकराव में मजा खूब जाएगा ।"



"सोचने का अपना-अपना अलग तरीका है प्यारे दिलजले?" विजय ने कहा-----"जहाँ तक सवाल विजय दी ग्रेट के सोचने का है, वह हमेशा ही अाम के अचार की तरह खटटा किन्तु स्वादिष्ट होता है । इससे पहले कि तुम मेरी बात का मतलब पुछो, मैं तुम्हें पहले ही बताए देता हूं । वतन का स्टेटमेंट अखबार में छपते ही हमने कह दिया था कि यह स्टेटमेंट रंग जाएगा----लही हुआ । अब हमारा सीधा-सा सवाल है कि चीन सरकार यह समझ गई हैं कि वतन की हिमायत में तुम जरूर जाओगे और मौत के दरवाजे खोलने के लिए ही सांगपोक और हवानची को मैदान में लाया गया है । तुम कहते हो कि इनके रहते केस में मजा अाएगा और मैं कहता हूं कि दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए ।"




"लेकिन अाप बार-बार उन दोनों के नाम लेकर क्या मुझे डराना चाहते हैं हैं" विकास ने पुछा ।



" मालूम है कि तुम किसी से डरने वाली चीज नहीं बल्कि दुनिया को डराने वाली चीज हो ।"



"'तो फिर गुरु !" विकास ने यह बार-बार मुझे सांगपोक और हवानची की धमकी क्यों ?"



"'एक बात याद रखना प्यारे दिलजले, यानी कि गुड़ के डले ।" विजय ने कहा---“जब डूबता है तो तैराक डूबता है जो तैरना नहीं जानता, वह ज्यादा गहराई में ही नहीं जाता, तो डूबेगा ही केसे ? बिल्कुल नहीं डूवेगा है वार-बार उनकर नाम लेने के पीछे मेरी यह भावना बिल्कुल नहीं कि तुम्हें डरा दू वल्कि सचेत करना चाहता हूं कि इस में बहुत संभलकर अागे बढने की जरूरत है ।।
" ऐसा ही करूंगा ।"



"जानते हो, चीन से रिपोर्ट भेजने वाली क्रिस्टीना ने क्या लिखा है ?"



"क्या ?"



" उसने लिखा है के इस अभियान पर विकास को न भेजा जाये । उसका कहना है कि सांगपोक और हवानची प्रतिशोध की अाग में जलती उस नागिन की तरह हैं जिसके नाग की किसी नाग ने हत्या कर दी हो । उन दोनों की आंखों में विकास की तसवीर है, और जानते हो-ये भी लिखा है क्रिस्टीना ने कि उसने तुम्हें देखा है । वह जानती है कि तुम मासूम हो । उसने कहा है---मासूम और प्यारे विकास को इन दरिन्दों के सामने न जाने दिया जाए है"



" फिर ?” विकास ने गम्भीर स्वर में पूछा'-"क्या आप मुझे इस केस में नहीं जाने देगे?"


हल्के से मुस्कराया विजय, बोला ---" तुम्हें न भेजने वाली बात होती तो यहां बुलाते ही नहीं प्यारे दिलजले ! वैसे ही हम जानते हैं कि किसी के रोकने से रुकोगे नहीं तुम । लेकिन हा, सारा काम एक योजनाबद्व तरीके से हो, इसलिए तुम्हें यहा बुलाया है ।"


"तो हुक्म कीजिए।"



" अभी तो चीन की ही रिपोर्ट सुनी हे-अन्य देशों की तो -- अन्य देशों की तो सुनो ।"


"जरूर ।"



"अमेरिका में मौजूद हमारे जासूस नागपाल ने रिपोर्ट भेजी हैअमेरिकन सीक्रेट सर्विस ने यह काम हेरी को सौपा' है कि वह चमन में वतन के बनाए यन्त्र और उसके फार्मूले को गायब करें । हैरी सीक्रेट सर्विस के चीफ की तरफ से यह खास हिदायत दी गई है कि इस सारे अभियान में कोई यह न जान सके कि वह हैरी हैं । सच पूछा जाए तो अमेरिकन सरकार वतन से बहुत डरने लगी है और यह नहीं चाहती कि वतन को पता लगे कि अमेरिका पुन: उसके खिलाफ कोई कदम उठा रहा है ।"



" ब्रिटेन से क्या रिपोर्ट है गुरू ?" विकास ने पूछा ?


""यह कि इसी काम के लिए वहां से जेम्स बाण्ड को भेजा जा रहा हैं। पाकिस्तान से दो जासूस-तुगलक अली और नुसरत खान ।

रूस से बागारोफ को यह काम सौपा गया है । इन सभी को अलग अलग इनके देशों ने यह काम सौंपा है कि ये चमन से यन्त्र और फार्मूला गायब करें ।"
" क्या इम सव 'देशों के जासूस को यह जानकारी है कि उसकी तरह ही दूसरे देशों ने अपने जासूसो को यह काम सौंपा है ?"



" नहीं ।"



" तो अव हुक्म बोलिये गुरू ।" विकास ने पूछा ।


"सुनो, धनुषटकार को साथ लेकर तुम्हें चमन के लिए रवाना हो जाना है ।" विजय ने कहना शुरु किया----" हम चीन जाएंगे,
प्यारे विक्रमादित्य को रूस भेजा जाएगा।
अशरफ को अमेरिका,
परवेज पाकिस्तान और
आशा को ब्रिटेन ।"



"यानी आपने तो पूरी सीक्रेट सर्विस को ही हरकत में ला दिया ।"


" काम उसी ढंग से करना चाहिए प्यारे, जिस ढंग की जरूरत हो ।" विजय ने कहा---अलग-अलग देशों से मोहरे चले हैं, कह नहीं सकते के इनमें से कामयाब कौन हो ? सबसे महत्त्वपूर्ण काम , तुम्हारे हवाले किया गया । हर देश का जासूस चमन में पहुंचेगा।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Post Reply