कि जैसे दुनिया देखने की
ज़िद के सही साँझ
न होने पर पूरा,
सो जाए मचल-मचल कर,
रोता हुआ बच्चा!
तो तैर आती हैं
उस के सपनों में,
वही चमकीली छवियाँ
जिन के लिए लड़ कर,
हार-थक गया था,
पत्थर-दुनिया से जाग में!
ऐसे उतर आती हो तुम
रात-रात भर
मेरे सपनों के भाग में!
कुमार विश्वास की कविताये
- shubhs
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Re: कुमार विश्वास की कविताये
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- shubhs
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Re: कुमार विश्वास की कविताये
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Re: कुमार विश्वास की कविताये
thanks for updating
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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