गाँव की डॉक्टर साहिबा

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Jemsbond
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Re: गाँव की डॉक्टर साहिबा

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आह,,,याह फ़क मी...उम्म्म्म..”

यहा नजमा का सौतेला बेटा रफीक अपने दोस्त बीजू के घर टीवी पे पोर्न देखते बैठा था. उसमे एक जवान नौकर अपने मालकिन को चोदते हुए सीन चल रहा था. जिसमे मालकिन बड़ी उछाल उछाल के नौकर का लंड अपने योनी में ले रही हैं.

“आह...साले रफीक..क्या माल हैं रे..ऐसा मिले न मैं तो दिन रात चोदु..” आवारा बीजू रफीक से बोला.

रफीक थोडा शर्मीला किस्म का लड़का रहने से ज्यादा खुलके बात नहीं करता था. बड़ी एकाग्रता से वो हर एक सीन देखे जा रहा था. उसका जवान लंड वो सब देख के तम्बु बन गया था. बीजू जहा एक आवारा लड़का था. पढ़ाई कम और मस्ती जादा करना उसको पसंद था. न जाने कैसे रफीक उसके चक्कर में गिर गया. वो उसको अलग अलग सेक्स की किताबे, फिल्मे देखने देता था. उसके पास कही पोर्न फिल्मो की CD और किताबे थी. उसकी PHD उसमे ही शायद उसको करनी थी. दोनों की इम्तेहान १ महिने पे लटकी थी पर सब भूलकर दोनों नवाबो की तरह पोर्न देखते बैठे थे.

बीजू अपना लंड बाहर निकाल के उसे मलते हुए बोला,” रफीक. लाइफ हो तो ऐसी देख. रोज सिर्फ आराम हो और चुदाई को नए नये माल”

रफीक थोडा शर्मीला था उसने कच्छे के अन्दर ही अपना लंड मलते हुए चुपचाप टीवी पे नज़रे रखी.

“अच्छा रफीक, साले तू तो तेरा लंड छुपाके रख बस. मैंने तो इसको बहुतो को दिखाया हैं.”

“अच्छा किसको?” रफीक ने बड़ी विलोभनीय अंदाज़ में पुछा.

“अपने क्लास की लडकि हैं देख वो माल मीनू, उसकी छोटी बहन मंजू परसों दोपहर खेत में घूम रही थी. मैंने उसको लपक लिया”

“फेक मत बीजू..कुछ भी”

“अबे साले, तेरे जैसा समझ रहा क्या? सुन..उसका हाथ मरोड़ के उसको वही मसल दिया”

“फिर..आगे ? क्या किया”

“आगे उसके आम दबाये पर साली मेरा नंगा लंड देखके भाग गयी”

“अबे भागे गे ही न, वो तो दसवी कक्षा में हैं सिर्फ”

“माल हैं माल..कैसे आम हैं साली के .. दबा के देख गांडू फिर बोल मीनू से भी आगे हैं“

“तुझे क्या काम हैं बे दूसरा?”

काम से रफीक एकदम चौक गया. उसको याद आया उसको आज काव्या का कमरा साफ़ रखना था. जो वो भूल गया था. अब उसको पक्क्का लगने लगा आज तो गाली पडनी हैं. बुढहीया भी और उसकी मा , दोनों तरफ से. वो अचानक से उठ के बाहर जाने लगा.

“अबे डरपोक..कहा भाग रहा ? उसका बाप आया क्या?”

“अबे नहीं..मुझे काम याद आ गया वो करने जा रह हु”

“कौनसा वो तेरी बुध्हिया मालकिन का काम या तेरी मस्त मा का काम”

“देख बीजू. मा के बारे में ऐसा वैसा मत बोल मैंने पहले ही कहा हैं तुझसे “

“अबे साले, तारीफ़ की और क्या किया ? सुना हैं तेरा पडोसी वो बुढह रफीक बड़ा तारीफ़ करता हैं तेरे मा की. मैंने की तो क्या हुवा बे हरामी “

“ देख बीजू बस हो गया. मुझे जाना हैं इसलिए जाने दे रहा हु”

“ अबे मर कमीने..गांड मरवा अपनी मालकिन से “

रफीक सब भुला के अपनी साइकिल पे काव्या के घर भाग पड़ा. साइकिल चलाने में मशहूर आज उसको किसि फरारी के जैसे भगा रहा था. सर पे टोपी, एक शर्ट और गाओ वाला कछा पहन के वो किसी सुपरमैन जैसा साइकिल भगा रहा था. गाँव में वो वैसा ही रहता था. २० साल का होकर भी उसके कछे की आदत नहीं गयी थी. जाने कितनी बार गाँव की लडकिया उसके जवान लंड को घुर के आहे भर लेती. नदी किनारे जब वो नहाने जाता तब उसका जवान लंड देख कितनी औरते अपनी चुचिया मसल लेती. नजमा ने उसको उसको बच्चे की परवरिश की थी उसका असर अभी भी चल रहा था. पर हर कोई उसको उस नज़र से थोड़ी देखेगा. अपना ताना हुआ लंड लेकर वो ऐसे भाग रहा था जैसे कोई रेस लगी हो.

कैसे तो करके वो काव्या के घर पहुच गया. उसने पिच्छे के दरवाजे से अन्दर की और छलाँ मारी. उसको घर का कोना कोना पता था. उसको यह भी मालूम था के बुधिया अब सो गयी होगी. उसको बस अपना काम करके चुप चाप निकलना था. वो घर की छत पे आ गया. और वह से सीधे घर के अन्दर. बात जैसे सोची थी वैसे ही निकली. काव्या की नानी अपने रूम में सो गयी थी.

“हम्म...चलो अब आराम से खोली साफ़ कर लेता हूँ”
उसने थोडा रुक के सासे ली.उसकी धड़कन तेज़ भाग रही थी. २० मिनट से बिना रुके वो साइकिल भगा जो रहा था. घडी में देखा तो शाम के ४ बजे थे. उसने सोचा अब जल्दी से रूम साफ़ करके निकल जाता हु. शाम में नजमा आएगी तब तक निकलना होगा. शायद काव्या आइ नहीं अभी तक ऐसा उसने सोचा. सो बड़े सुकून से वो अब चल रहा था.

हॉल में एक सेब उठा के उसको खाते खाते अगले ही पल उसने झाड़ू हाथ में लिया और काव्या की रूम की तरफ अपने कदम बढ़ाये. खोली का दरवाजा जो पहले ही खुला था उसमे उसने प्रवेश किया. जवान शर्मीला रफीक के किस्मत के दरवाजा आज खुला होने वाला था. शायद वो उसकी पोर्न फिल्म को भी भूल जाए
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Jemsbond
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Re: गाँव की डॉक्टर साहिबा

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“उईईईइ अम्म्मी......मर गयी.......”

सलमा के मूह से चिख निकली. यहाँ सुलेमान अपना मुसल तना हुआ लंड सलमा के योनी में घुसेडता जा रहा था. जो सर सर करके साप के भांति उसके बिल में घुसे जा रहा था. सलमा को सुलेमान और सत्तु खेतो में सुलेमान के झोपडी में लाये हुए थे. काव्या के बंगले से ऑटो मोड़ उन्होंने सीधे वही अपना डेरा जमाया. जैसे ही ऑटो झोपडी के पास रुका. ऑटो में से सलमा को बाहों में उठाके दोनों कलुटे उसको अन्दर की खाट पे पटक के चालू हो गए. पलक झपकते ही सलमा के कमसिन योनी में सुलेमान ने अपना तना हुवा लंड घुसा दिया था. एक घंटे पहेले की चुदाई फिर से शुरू हो गयी थी. ये इतना तेज़ हुआ के सलमा को समझने का मौका ही नहीं मिला.

“आः....सलमा... रानी... इतना क्यों चीख रही हो?? अब तो इसकी आदत कर लो जान”

सलमा की चूत ने अपना मुसल लंड धसाते हुए सुलेमान सलमा के बदन पर टूट पड़ा. उसकी चुन्चियों को मसलते हुए वो उसकी योनी में कोहराम मचा रहा था. बाजू में सत्तू मादरजाद भी अपनि पतलून निकल के नंगा खड़ा हो गया. उसने अपना लंड हाथे में हिलाते कहा,

”अरे सुलेमान भाई..जरा तनिक जगह दियो..हमका भी सलमा के साथ खेलन खेलन हैं”

“अबे रुक..मादरचोद..पहले बाप को करने दे. पहले ही उस रंडी डोक्टोरनी ने लवडे में आग लगा दी हैं. साला कब से तना पड़ा हैं. इसको चूत खाने दे बहनचोद..आह...”

काव्या को अपने आँखों के सामने लाके सपाक बोलके सुलेमान ने अपना लंड पूरा का पूरा सलमा के योनी में बड़ी तेज़ी से और निर्दयता से भीच दिया.

“ आआआआआआआआ...... छोड...मार दिया कमीने.........”


सलमा के मूह से फिर से एक जोरदार आह निकली. उसकी चीख इतनी दमदार थी के सत्तू के कानो में भूचाल आ गया. आर उसके हाथ उसके लंड से सीधे उसके कान पे जा रुके.

“अबे साली, कान फाड़ देगी क्या? रुक, तेरा इलाज करना पड़ेगा..”

सत्तू ने यहाँ वह देखा. और नन्गा मादरजाद किसी रेडे के माफिक ज़मीन पे बैठ गया. खाट के नीचे रखी हुयि एक देसी शराब की बोतल उसको दिख गयी. उसने अपना हाथ खाट के निचे डाल दिया और वो बोतल निकाली. उसमे से थोड़ी शराब निकाल के बाजु पड़े एक गिलास में दाल दी. एक घूँट में ही उसने वो गिलास गटक लिया.

“आह....मजा आ गया ..तनिक अब अच्छा लग रहा मादरचोद..”

अपने गंदे मूह से सलमा की और देख के उसने कहा,
“हम्म..आई हाई..क्या मस्त ले गयी अन्दर तू तो ...चीलाती बहुत हो सलमा तनिक..पियोगी? मजा आएगा तुझे भी...”

और शराब गिलास में डालकर वो सलमा के पास आया. उसने वो कडवी शराब सलमा के मूह को लगाके बोला,
“इससे पियो सलमा...चिल्लाओगी नहीं..तनिक मजा लोगी“....

सलमा ने मूह दूसरी तरफ गुस्से से फेर लिया.

इसपे सुलेमान बोला ,“अबे चूतिये, ये ऐसे नहीं मानेगी..इसका इलाज हैं देख अब..”

सुलेमान ने उसकी नाक दबाई और अपना लंड एकदम से पूरा बाहर निकल के ज़पाक से एक और बार अन्दर चूत में भीच दिया. किसी सुनामी के प्रति उसने सलमा के चूत में हमला बोल दिया. वो दृश्य भी अजीब था ऐसा जैसे काऊबॉय की तरह सुलेमान सलमा को घोड़ी की तरह नचा रहा हो.
ना चाहते हुए भी सलमा का मूह खुल गया और तुरंत बाद सत्तू ने वो गिलास उसके मूह पे लगा दिया. कडवी देसी शराब उसके गले के अन्दर पूरी की पूरी उतर गयी. जैसे ही सुलेमान ने सलमा का नाक छोड़ा, सलमा ने धस करके अपनि सांस छोड़ी. और नीचे मूह में बची थोड़ी बहुत शराब थूक दी. दोनों कलूटे राक्षस की तरह हंस पड़े. देसी शराब का असर अब सलमा पर जो पड़ने वाला था. झोपडी में मानो शराब और शबाब का मौसम चालू हो गया. और दोनों कलूटे उसमे मन चाहे डूबकी लगा रहे थे.

इधर रफीक बड़े आराम से काव्या के कमरे की और बढा जा रह था. वो जैसे ही कमरे के चौकट पे आया..
उसके कच्छे में कुछ वायब्रेट हुआ. शायद उसका मोबाइल बज रहा था. उसने तुरंत कच्छे की जेब से वो अपना पुराना मोबाइल फ़ोन निकला तो देखा तो उसके दोस्त बीजू का फ़ोन था. वो कमरे से थोडा दूर गया और फ़ोन उठाके बोला:

रफीक: हां बोल बीजू क्या हैं?
बीजू: अबे कमीने कहा पर हैं?
रफीक: मैं मालकिन के पास हु काम पे क्यों फ़ोन कर के सता रहा हैं बे?
बीजू: अबे गांडू तू गांड मरवा वही. मैंने इसके लिए फ़ोन किया था तुझे कुछ बताना था..
रफीक: क्या हैं जल्दी बता दिमाग मत ख़राब कर पहले ही काम बहुत हैं
बीजू: अबे डिब्बे सुन..तेरी मा को अभी मैं रहीम बुढ्ढे के साथ देखा दोनों बडी हंस हंस के बाते कर रहे थे. शायद आज कुछ हैं..
रफीक: देख बिजु मैंने पहले ही बोला हैं मा के बाते में कुछ मत बोला कर. इसलिए फ़ोन किया क्या तूने
बीजू: अबे बीमार लंड तेरी मैं मदत कर रहा हु और तुम मुझे ही बोल रहा हैं.जा मा चुदा मुझे क्या? पर देखना आज तेरी मा रात में कैसे खिली खिली लगेगी,,हां,,

और उसने फ़ोन काट दिया. रफीक को उसके मा के बारे में कुछ सुनना ठीक नहीं लगता था. भले सौतेले थे दोनों, पर एक दुसरे के प्रति सम्मान की भावना रखे हुए थे. पर आज बीजू की बातो से उसको बहुत गुसा आया था उसने कुछ न कहते गुस्से से फ़ोन पटक दिया. और जेब में रख दिया. उसने कैसे तो खुदपे नियत्रण कर के झाड़ू उठा या और काव्य की खोली की और मुडा. नद्दान रफीक को नहीं पता था यह गुस्सा और अब जो उसको दिखने वाला था वो हकीकत उसको शायद बीजू की कामुक बातो पे गौर करने को मजबूर कर दे.
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Re: गाँव की डॉक्टर साहिबा

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nice update sir but it is too short
Jemsbond
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Re: गाँव की डॉक्टर साहिबा

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student wrote:nice update sir but it is too short

bhai update to abhi aise hi mil payenge
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Re: गाँव की डॉक्टर साहिबा

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बड़े आराम से रफीक काव्या के कमरे की तरफ बढ़ा. उसने जैसे ही कमरे में प्रवेश किया उसको एक अजीब सी गंध आ गयी. वो खुशबू थी काव्या के डियो और पाउडर की. उसने ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी कड़क खुशबू ली थी. उसको वो इतनी पसंद आई के उसकी आँखे खुद बे खुद बंद हो गयी. और वो उस खुशबु में बहता चला गया. उसने उस खुशबू का पिछा लिया तो काव्या के ड्रेसिंग टेबल पे बड़े शीशे के सामने राखी हुई वो डियो की बोतल उसको दिख गयी. उसने वो हाथ में उठायी और नाक को लगा के सूंघी. जैसे ही वो बोतल के पास रखने गया उसकी नज़र शीशे पे चली गयी. उसने शीशे में देखा, तो उस नज़ारे के सामने उसकी वो खुशबू मानो कही दौड़ के चली गयी हो. उसके होश उड गए. आँखों पे अँधेरा छा गया. उसके हाथ पैर कापने लगे. और उसका मूह खुला का खुला ही रह गया.


सामने बेड पर एक योवन सुंदरी निद्रामय अवस्था में थी. उसके बाल बिखरे हुए थे, जो उसकी सुन्दरता को और निखार रहे थे. उसके चेहरे पे एकदम कामुक और सुकून के भाव देख कर जैसे किसीको भी ह्रदय से प्यार करने के और मन चाहा भोग भोगने के भाव एक ही समय पे आ जाये. और वो इन्सान पागल हो उसको पाने के लिए. अपने पेट के बल सोने के कारन उसकी गोरी दूध जैसी मखमली पीठ और विशाल उभरा हुआ सुडोल पिछवाडा उठकर दिख रहा था. गोरी गोरी पीठ पे उसकी ब्रा तो कहर मचा रही थी. गहरे नींद में होने कारन उसका पेटीकोट भी जांघो तक ऊपर उठ गया था. जिससे उसके ब्रांडेड प्यान्टी की झलक बाहर आ रही थी. चिकने गोर मुलायम पैर जैसे भोजन के लिए दावत दे रहे थे. उसकी सुन्दरता और उसका कामुक बदन देख के अच्छे अच्छो का मन डोल जाए. कोई अप्सरा निद्रा अवस्था में आज रफीक ने देख ली थी जिसके कारन २० साल का देहाती युवक होश के बाहर हो गया.

कुछ देर तक वैसे ही देखते रहने के बाद अचनक उसका ध्यान टूटा. उसका मोबाइल वायब्रेट हो रह था, उसने होश में आके फ़ोन देखा बीजू का कॉल देखकर उसने वो कॉल काट दिया. और मोबाइल अपने जेब में रख दिया.
जाने किस बात की उसमे ताकद आ गयी के हमेशा डरपोक किस्म का रफीक आज किसी योध्हा की तरह आगे बढ़ रहा था. उसको काव्या की खूबसूरती अपने तरफ खीच रही थी. और वो सम्मोहन की तरह उसके तरफ बढ़ते जा रहा था. उसका बदन तो डर के मारे काप रहा था पर उसका जवान कमसिन लंड ने उसपे दीमाक पे अपना ताबा कर रखा था. और उसकी गर्मी उसको मिल रही थी.


वो काव्या के ठीक सामने खड़ा हो गया. उसने गौर से अपनी नज़रे उसके सर से लेकर पाओ तक घुमाई. क्या लग रही थी वो. उसके मनन में डर और वासना दोनों हावी हो रहे थे. काव्या जैसी खुबसूरत और मादक महिला उसने सिर्फ फिल्मो में देखि थी. उसको वो पोर्न फिलम का सीन आँखों के सामने आया जिसमे विदेशी औरत अपने नौकर से उछाल उछाल के चुदवा लेती हैं.

उसके लंड ने झटका लिया. “आह”, उसके मूह से हलकी सिसक निकल गयी.

तुरंत उसने अपने मूह पे हाथ रख दिया और खुदको चुप किया. सन्नाटा पुरे खोली में छाया था. खिड़की से हवा की एक पहल अन्दर आई और सन्नाटे को थोडा कम कर के चली गयी. हवा से बदन को रहत तो मिली पर लंड को कहा कुछ हुआ. वो तो ललकार रह था. और रफिक पूरी तरह से उसके चुंगुल में बांध चूका था.

उसने यहाँ वह देखा. एक बार काव्य के चेहरे की और देखा जो घने रेशमी बालो में दबा हुआ था. सब तरफ सन्नाटा देख के उसकी हिमात उसने लंड ने बढ़ा दी. वो काव्य के नज्दिल सरका और बेड पे बैठ गया. काव्य के पैर उसकी तरफ थे. रफीक की नज़रे उसपे दौड़े जा रहे थे. पर साथ ही उसकी धड़कन जो राजधानी जैसे भाग रही थी. उसको डर भी था कही कोई देख न ले पर उत्सुकता भी थी के एक बार बस..दोनों बड़ी उल्ज़नो में फस रफीक अपने लंड की ही बात सुनता हैं और वो करने लगता हैं जिसका कुछ देर पहले शायद विचार भी उसने ना किया था.

यहाँ दूसरी तरफ सुलेमान कस कस के सलमा को चोदे जा रहा था. १५ मीनट हुए वो सलमा की चूत में अपने लंड को पेले हुए था. और देसी शराब का नशे का असर अब उसपे भी होने लगा.

“आह...मेरी रानी...रंडी ...चुदवा ले.....”

सुलेमान की इस गाली का जवाब भोली भली सलमा ने ऐसा दिया के दोनों कलूटो के पैरो निचे ज़मीन खिसक गयी.

“ हां.. भडवे..चोद..उम्...जितना चाहता हैं चोद..आन्न्न....तू तो, तेरी, आह....सगी बहन को भी न छोड़े... उम्..मैं तो भांजी हु...भडवे..आह..” दोनों मादरजाद उसकी ये बाते सुनके चौक तो गए पर जोर से हसने लगे.

सत्तू बोला, “ अरे वा... सलमा बोला था न शराब पीकर देखो मजा आएगा तुमको भी...देखी हमरी राय सुनने का फायदा..”

सुलेमान अपना लंड सलमा की चूत वैसे ही मार मार ते बोला, “ अबे बहनचोद...आह...साले शराब नहीं,, ये मेरे लंड का कमाल हैं...आह....मेरी सलमा...चुद...”

“बात तो सही हैं गुरु..हमें भी अपना हिस्सा खाने दो .कबसे अकेले ही खा रहे हो...”

सत्तू को अपने तरफ आते देख सलमा भी नशे से चूर बोल पड़ी, ““अबे भडवे...रुक..आआः....रुक तू ज़रा..इस कमीने का... होने दे..अम्मी....”

सलमा की इस बात पे और दोनों जोर से हंस पड़े. सुलेमान आज जादा ही जोश में चुदाई कर रहा था शायद उसको सलमा की बाते सुनके और नशा चढ़ रहा था. २० मिनट होने को थे, उसका लंड हैं के झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. सलमा की शराब उसको इस कसी हुयी चुदाई का मजा लेना सिखा रही थी जिसका वो खुद होक मजा ले रही थी.

सच में शराब कैसी बुरी बला हैं जो मर्द तो मर्द , औरत को भी अपने जैसा बना देती हैं. भोली सलमा भी शराब के नशे धुत अनाब शनाब बके जा रही थी. भले ही उसने उनके तौर तरीको में ही पलटवार किया था पर ये उसका आत्मविशवास नहीं था बल्कि शराब का नशा बोल रहा था. पर क्या सिर्फ शराब ही यह साहस दे सकती ?हैं ऐसा नहीं. क्योंकि रफीक बिना शराब के साहस करने जा रहा था. कुछ भी हो दोष किसका भी हो, यह अंतिम सत्य हैं के मनुष्य भोग और नशे में खुदको भी भूल जाता हैं इसका सलमा और रफीक प्रत्यक्ष उदहारण हैं. बस फर्क था एक तरफ एक कमसिन औरत थी और एकतरफ नव युवक.
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