ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का ) complete

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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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वो फटी हुई आँखो से साक्षी की गोरी गांड को देखकर अपने लंड वाले हिस्से को मसल रहा था...
अब ये तो पता नही की इस उम्र में भी उसका खड़ा होता होगा या नही...
पर ऐसे सीन को देखकर उसे सहलाना तो बनता ही था ना...

वो इधर उधर होकर साक्षी के मोटे मुम्मे एक बार फिर से देखने की कोशिश कर रहा था...
मैने सोचा की उसका ये काम आसान कर देता हूँ ....
मैने साक्षी को पानी में उतारा और उसके चेहरे को चूमते हुए उसके बूब्स तक आया और फिर थोड़ा नीचे होकर उसकी नाभि में मैने अपनी जीभ घुसा दी...
मेरे इस हमले से वो चिल्ला उठी और अपना सिर पीछे की तरफ फेंकते हुए मेरे सिर को पकड़ कर अपने पेट पर रगड़ने लगी....



और यही वो मौका था जब उस चौकीदार ने एक बार फिर से उसके बूब्स को देखा...
और वो भी एकदम कड़क हालत में ....
उनकी उँचाई देखकर वो भी दंग सा रह गया...
पानी में उछलते हुए उन गुब्बारो को देखकर उसकी तो हालत ही खराब हो गयी....
और ये सब देखकर मुझे और साक्षी को बहुत मज़ा आ रहा था..

अब तो साक्षी भी मेरे रंग में रंग चुकी थी...
एक अच्छी एक्ससीबीशनिस्ट बनकर वो अपने नंगे जिस्म की अच्छे से नुमाइश कर रही थी उस बूड़े चौकीदार के सामने...

एक अनकहा सा अग्रीमेंट हो चुका था चोकीदार और हमारे बीच...
ना तो उसके बाद चोकीदार ने हमें वहां से जाने के लिए कहा और ना ही हमने चोकीदार को वहां से हटने के लिए...

और इसका कारण सॉफ था की दोनो को ही बराबर के मज़े मिल रहे थे..

मैने साक्षी की कमर को पकड़ा और उसे पानी में चारों तरफ घुमा सा दिया....
उसका नंगा जिस्म और मुम्मे हवा में लहराकर उसके सुंदर शरीर का अच्छे से प्रदर्शन करने लगे...



हवा में घुमाने के बाद जब मैने उसे वापिस अपनी बाहों में दबाया तो उसके चेहरे की खुशी देखने लायक थी...

वो बोली : "यू नॉटी बॉय.... कैसे-2 आइडियास आते है दिमाग़ में तुम्हारे....एंड यू आर राइट ..इट्स सो एक्साइटिंग .... सच में बड़ा मज़ा आ रहा है...''

मैने उसे चूमते हुए कहा : "इस एक्साइटमेंट को थोड़ा और बढ़ाते है...''

वो बोली : "कैसे....''

मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर किनारे तक आ गया...
उस चौकीदार से थोड़े ही दूर ...
वो थोड़ा पीछे होकर खड़ा हो गया..

मैं उछलकर किनारे पर बैठ गया और मेरा खड़ा हुआ लंड हवा में लहराने लगा...
चौकीदार भी मेरे कड़क लंड को देखकर शायद अपनी जवानी के दिन याद करने लगा था...

मैने साक्षी को इशारा किया और वो आगे आई और एक ही झटके में मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी...
उसके ऊपर हाथ रखकर उसे दबाते हुए, उसका रस निकालने लगी...



ये शायद बूड़े चौकीदार के लिए किसी झटके से कम नही था....
क्योंकि मुझे नही लगता की उसकी उम्र में उसकी बीबी या किसी और ने उसके लंड को चूसा होगा....
ये चूसना चुसवाना तो आजकल की पीडी करने लगी थी...पहले कहां होता था ये सब.

पर जो भी था, मुझे करवाने में और उस बूड़े को देखने में काफ़ी मज़ा आ रहा था...
मैने तो अपनी आँखे बंद कर ली और उस कुतिया की लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा..

अचानक साक्षी धीरे से फुसफुसाई..

"सोनू....ओ सोनू....देखो ज़रा उसे....वो क्या कर रहा है....''

मैने चौकीदार की तरफ देखा तो हैरान रह गया...
उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने हाथो से मसल रहा था...
उसका बूड़ा हो चुका लंड सही से आकार भी नही ले पा रहा था..
पर वो बूड़ा कोशिश पूरी कर रहा था आज कुछ करने की...

चलो हमारे बहाने ही सही...
आज शायद काफ़ी समय बाद वो झड़ेगा तो सही.

मेरा लंड तो काफ़ी अच्छे से खड़ा हो चुका था...
मैं वापिस पानी में उतरा और साक्षी की दोनों टाँग उठा कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और फिर उसकी आँखो में देखते हुए एक करारा झटका मारकर उसे अंदर पहुँचा दिया...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आआआआआआआआआआआअ......उम्म्म्मममम सोनू... मेरी ज़ाआआआन्णन्न्.....''



मेरा तो पता नही पर साक्षी की सैक्सी आवाज़ सुनकर और उसकी चूत में लंड जाते हुए देखकर उस चौकीदार को ज़रूर हार्टअटेक आने वाला था...

हम दोनो एक दूसरे को बुरी तरह चूम भी रहे थे....
एक दूसरे को रगड़ भी रहे थे और चुदाई भी जबरदस्त कर रहे थे...



वो मेरे ऊपर पूरी चढ़ी हुई थी और पानी के अंदर मेरे लंड को अपनी चूत में अच्छे से घुसवा रही थी

मैने घुमा कर साक्षी को सामने की तरफ कर दिया और उसकी टाँग उठा कर पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया....
ये एक ऐसा एंगल था जिसमे वो साक्षी के पूरे शरीर को नंगा देख पा रहा था...
उसके हिलते हुए मुम्मों को
उसके सैक्सी चेहरे के एक्सप्रेशन को
और
उसकी चूत में जाते हुए लंड को भी...



और साक्षी भी अब चौकीदार की चिंता छोड़कर अच्छे से चुदाई करवा रही थी...

और अब तो पिछली बार की तरह उसकी चूत में दर्द भी नही था...
असली मज़ा तो उसे अब मिल रहा था...
और इस मज़े को एंजाय करते हुए...
झड़ते हुए वो ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी..

''आआआआआआआआआआआअहह सोनू....... आई एम लविंग इट........ योउ आर सो गुड़ ...... युवर कॉक इस अमेजिंग..... बहुत मज़ा आ रहा है...... और ज़ोर से चोदो मुझे..... अपने लंबे लंड से.....आहह...सोनू......आई एम कमिंग........ज़ोर से चोदो .....और ज़ोर से......करो.....आहह......ओह.....हियर आई कम......''

और उसके चिल्लाने का असर मेरे लंड पर भी हुआ
उसने भी उसकी चूत की लय से लय मिलाकर झड़ना शुरू कर दिया.....

एक साथ झड़ते हुए हम दोनो के शरीर काँप से रहे थे...

और यही हाल उस बूड़े चौकीदार का भी हो रहा था...
उसकी मेहनत भी रंग ले आई थी और वो भी झड़ चुका था....
उसकी फूली साँसे और उसके सामने फेली हुई लकीरे उसकी हालत बयान कर रही थी...

इतना रोमांच...
इतनी एक्साइटमेंट ....
मुझे आज तक नही हुई थी....
और ये सब करके मुझे अंदर से एक अलग ही तरह की खुशी मिल रही थी...
अपनी दबी हुई इच्छा को इतनी अच्छी तरह से पूरा होते देखकर मुझमें सैक्स के बारे में और भी एक्सपेरिमेंट करने की हिम्मत सी आ गयी थी.

पर वो एक्सपेरिमेंट तो जब होंगे, तब होंगे...
अभी के लिए तो हमें यहाँ से निकलना था...
रात के करीब 4:30 बज रहे थे....
हम दोनो पूल से बाहर निकले और कपड़े पहनकर, आँखो ही आँखो में उस चौकीदार को थेंक्स बोलते हुए बाहर निकल गये...
थेंक्स तो वो चोकीदार भी बोल रहा था अपनी आँखो से...
इतने अच्छे लाइव शो के लिए...
ऐसे पागल रोज-2 नही मिलते होंगे उसे जो उसके सामने आकर चुदाई का खेल प्रस्तुत करे..

बाहर निकलकर हम दोनो काफ़ी देर तक हंसते रहे...
उस चोकीदार की हालत के बारे में बात करते हुए मैं गाड़ी को इधर-उधर घुमाता रहा...
और पता ही नही चला की कब सुबह हो गयी...

करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...
जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...
मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...

मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..

इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

Post by saras »

Update jaldi diya Karo bhai...Pls update the story...
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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

Post by kunal »

करीब 7 बजे मैने साक्षी को उसके घर पर ड्रॉप किया...जाने से पहले उसने मुझे अच्छे से स्मूच किया और अगली बार जल्द मिलने का, चुदाई करने का वादा भी लिया...मैं भी करीब 7:30 बजे तक अपने घर पहुँच गया...
दरवाजा पापा ने खोला जो उस वक़्त ऑफीस के लिए तैयार हो रहे थे...

मैं सीधा अपने रूम में जाकर सो गया..इस बात से अंजान की आज मेरी किस्मत मुझपर कितनी मेहरबान है...
और मेरे साथ आज क्या होने वाला है.

*************
अब आगे
*************

पूरी रात जाग कर निकाली थी मैने...
इसलिए मेरी आँखे जल सी रही थी....
मैने सोनिया की तरफ देखा, वो तो घोड़े बेचकर सो रही थी..
अपनी छुट्टियों को अच्छे से एंजाय कर रही थी वो...
चुदाई करवाकर और जी भरकर सोकर...
इंसान को यही 2 चीज़े बेहिसाब मिल जाए, किसी और चीज़ की ज़रूरत ही महसूस नही होगी.

भले ही आँखे जल रही थी नींद के मारे, पर नींद आ ही नही रही थी...
जब भी सोने लगता तो साक्षी के साथ बिताए पल याद आ जाते..
कैसे मैने उसकी चूत में लंड डाला...
कैसे खुली छत पर उसकी चीखे गूँजी थी...
और स्वीमिंग पूल की वो रोमांचक चुदाई तो मेरी लाइफ में हमेशा एक यादगार बनकर रहने वाली थी....
बस यही सब सोचकर मैं अपने लंड को शाबाशी देता हुआ, सोने की कोशिश कर रहा था...

और तभी, कमरे का दरवाजा खुला और मॉम अंदर आ गयी...

मैंने झट्ट से आँखे बंद कर ली.

मॉम अंदर आई और इधर-उधर बिखरे कपड़े समेटने लगी..
पापा ऑफीस जा चुके थे.

मैने नोट किया की जब मैं घर आया था तो मॉम ने पूरी नाईटी पहन रखी थी, पर अब उन्होने अपनी नाईटी के उपर वाला गाउन उतार दिया था और सिर्फ़ अंदर का छोटा हिस्सा ही अब उनके गुदाज जिस्म को ढक रहा था..
और उस छोटी सी नाईटी में उनकी मोटी जांघे कमाल की लग रही थी..




मैं अपनी अधखुली आँखो से उन्हे देख रहा था....
खिड़की से आ रही रोशनी में उनकी नाईटी के अंदर का सब कुछ दिखाई दे रहा था...
और अंदर सब कुछ खुल्ला डुल्ला था...
यानी मॉम ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी और ना ही पेंटी...
इधर-उधर हिलने से उनके मोटे मुम्मे और गद्देदार गांड की थिरकन सॉफ दिखाई दे रही थी मुझे..

कुछ पल पहले मैं साक्षी के बारे में सोचकर अपना लंड हिला रहा था और अब मॉम के आ जाने से मेरा लंड उनके हुस्न की तरफ आकर्षित होकर, उनके नाम पर अकड़ने लगा...
ये साला लंड बड़ा हरामी होता है...
इसे बस चूत दिखनी चाहिए...
वो किसकी है, इस बात का उसे कोई फ़र्क नही पड़ता...
बस देखा और खड़ा हो गया..

अचानक मॉम ने पलटकर मेरी तरफ देखा...
मैने फिर से आँखे मूंद ली...

वो मेरे सिरहाने आकर बैठी और मेरे माथे पर हाथ फेरने लगी...
उन नर्म हाथो में ममता भरी पड़ी थी...वो थोड़ी देर और सहलाती रहती तो मुझे पक्का नींद आ जाती..
पर जल्द ही उस ममता ने वासना का रूप ले लिया और उनके हाथ धीरे-2 खिसक कर नीचे आ गये...

मेरी तो साँसे अटक कर रह गयी....
और कोई मौका होता तो मेरा सीना उपर नीचे होने लगता...
नाक से तेज हवा अंदर बाहर होने लगती...
पर मॉम के हिसाब से तो मैं घोड़े बेचकर सोता हूँ इसलिए मुझे गहरी नींद की एक्टिंग करनी थी...
जैसे पिछली बार की थी...
यानी आज फिर से मुझे वैसा ही टॉर्चर सहना पड़ेगा...
या शायद उससे भी ज़्यादा.

मॉम ने मेरे बालों को सहलाया...
मेरे होंठो पर अपना अंगूठा फेरा और फिर अपने हाथ मेरे सीने से रगड़ती हुई मेरे लंड तक ले आई...

अब तो मेरा जिस्म एक बार फिर से अकड़ने लगा था...
और पिछली बार की तरह मुझे कवर करने के लिए मेरी बहन भी नही थी...
वो खुद इस वक़्त घोड़े बेचकर सो रही थी...
इस बात से अंजान की मॉम मेरे साथ क्या कर रही है.

मॉम ने जैसे ही मेरे कड़क लंड को हाथ में पकड़ा उनके मुँह से एक सर्द सी सिसकारी निकल गयी..

''उम्म्म्मममममममम........हर समय खड़ा रहता है इसका तो...जवानी का यही फायदा है....''

अब उन्हे कौन समझाए की मैं सो नही रहा बल्कि उनके इस रूप को देखकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रहा हूँ...

मॉम ने मेरे पायजामे को नीचे खिसका दिया और एक ही झटके में मेरा छोटा सिपाही उछलकर मैदान में आ गया..
मेरी तो आँखे बंद थी पर मेरे लंड की अकड़न देखकर मेरी माँ की आँखे और भी ज़्यादा फ़ैल गयी..

''ओह माय गॉड ......सो स्ट्रॉंग....एन्ड हार्ड.......''

और फिर मुझे वो सुनहरा एहसास हुआ जो उस दिन हुआ था....
उन्होने झुककर मेरे लंड को चूम लिया....

मॉर्निंग में माँ के होंठो की किस्स अपने लंड पर मिल जाए, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है...

उन्होने जीभ निकाली और मेरे लंड को चाट लिया....
और फिर अपने होंठो और जीभ को लंड के चारो तरफ लपेटकर उसे जकड़ लिया ....
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kunal
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर से उपर आई और इस बार उन्होने अपनी नाईटी की चैन खोलकर अपना मुम्मा बाहर निकाल लिया...

मुझे तो इस बात का एहसास तब हुआ जब उन्होने वो नंगा मुम्मा मेरे चेहरे पर लगा कर अपना निप्पल मेरे होंठो पर रगड़ा..

उफफफ्फ़....
कितना मजबूर था मैं इस वक़्त....
बहुत कुछ करना चाहता था
पर कुछ कर नही सकता था..

मुझे सोनिया की वो बात अच्छे से याद थी की मैं अपनी तरफ से तब तक कुछ ना करू जब तक मॉम अपने पूरे होशो हवास में मुझे चुदाई के लिए खुद से ना कहे...
और इसके लिए मेरा जागे रहना भी ज़रूरी था...

वैसे जाग तो मैं इस वक़्त भी सकता था पर हो सकता है की मेरे जाग जाने से मॉम को झटका लगे और शर्मिंदगी की वजह से वो उठकर वहां से चली जाए...
और इतनी आगे आकर मैं ये तो हरगिज़ नही चाहता था..

मॉम एक हाथ से मेरे लंड को मसलती हुई अपने मुम्मे को मेरे मुँह पर फिराने लगी...

यार, कोई मेरी मॉम को समझा दो की ऐसा करना कितना ख़तरनाक होता है...
ये तो ऐसी हरकत कर रही थी जिसमें अच्छे से अच्छा इंसान भी गहरी नींद से जाग जाए...
और मैं तो इस वक़्त पहले से ही जाग रहा था...
पता नही घोड़े बेचकर सोने की कौन सी परिभाषा उनके दिमाग़ में उतर चुकी थी की मेरे साथ ऐसी हरकते कर रही थी जैसे मैं कोई प्लास्टिक का पुतला हूँ ...

उनकी गर्म साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी...

वो उन गर्म सांसो को काबू करने की असफल कोशिश करते हुए फुसफुसाई

''आअह ......चूस ले इन्हे.....उम् .....चाट ना मेरे लाल......काट ले इन्हे...जैसे बचपन में काटा करता था...काट ना.....''

एक बार फिर से बोडम महिला वाली बाते कर रही थी वो....
अर्रे मुँह में डालोगी तभी तो काटूंगा ना...

वैसे मन तो मेरा कर रहा था की खुद ही अपने मुँह में लेकर उनके मोटे निप्पल्स को काट लूँ ...
पर मैं अपनी तरफ से कुछ करके उन्हे सकते में नही डालना चाहता था...

कुछ देर तक अपने नुकीले निप्पल से मेरे चेहरे पर गुदाई करने के बाद उन्होने खुद ही अपने निप्पल को मेरे होंठो के बीच फँसा दिया...
और फिर मेरे होंठो को ज़बरदस्ती खोकर उन्होने वो मोटा कंचा मेरे मुँह में धकेल दिया....

हाय....
ऐसा लगा जैसे छोटी रसभरी मेरे मुँह में धकेल दी हो उन्होने...
मेरी जीभ का संपर्क जब उनके निप्पल से हुआ तो उन्होने मेरे सिर के नीचे हाथ रखकर मुझे थोड़ा उपर उठा लिया और ज़ोर से अपनी छाती पर लगाकर भींच दिया...



और उपर मुँह करके एक आनंदमयी सिसकारी मारी

''आआआआआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआन ......खा जा इन्हे....''

अब तो मेरे बस की बात नही रह गयी थी...
मैने उन्हे चुभलाना शुरू कर दिया...

और मेरी जीभ को अपने निप्पल पर महसूस करते ही मॉम एकदम से ठिठक कर रह गयी...
और मेरे चेहरे को देखने लगी...
मैने बड़े इत्मीनान से अपना संयम बनाए रखा और बहुत धीरे-2 उनके निप्पल को चूसता रहा....
बिना कोई एक्सप्रेशन अपने चेहरे पर लाए...
जैसे सब नींद में कर रहा हूँ मैं

कुछ पल तक देखते रहने के बाद मॉम को जब विश्वास हो गया की मैं नींद में ही उनके निप्पल को चूस रहा हूँ तो वो फिर से मेरे लंड को मसलने लगी...

एक बे बाद उन्होने दूसरा मुम्मा भी मेरे मुँह में धकेला और उसके निप्पल में हो रही खुजली भी मेरे दांतो से बुझवाई...



कसम से...
उन नर्म और मोटे मुम्मो को मैं अब पूरी जिंदगी नही भूलने वाला था....
चेहरे पर लगकर वो मेरे पूरे फेस को कवर कर रहे थे...
जैसे कोई गुदाज सा तकिया मेरे मुँह पर दबाकर मेरी साँसे रोकने की कोशिश कर रहा हो...
पिछले कुछ दिनों से छोटी-2 अंबिया चूसने के बाद ये खरबूजे जितने मोटे मुम्मे सच में एक नया आनंद और एहसास दे रहे थे..

और इस एहसास को महसूस करके मेरा लंड भी एक नया मुकाम हासिल कर चुका था....
आज वो पहले से कई ज़्यादा कड़क और लंबा हो चुका था...

मॉम ने अपना मुम्मा मेरे मुँह से निकाला और एक ही झटके में अपना वो इकलौता कपड़ा भी अपने शरीर से निकाल फेंका जिसने उनके खूबसूरत जिस्म को ढक कर रखा हुआ था...

और नंगी होकर जब उन्होने खुद ही अपने मुम्मे पकड़कर दबाए और एक गुदगूदाई हुई सी चीख मारी तो मैं अपने बिस्तर पर पड़ा-2 काँप सा गया..




उन्होने मेरी शॉर्ट्स को खींचकर पूरा उतार दिया....
मुझे तो इस वक़्त उनके इरादे ख़तरनाक से लग रहे थे...

पर ऐसा शायद उन्होने अपनी सहूलियत के लिए किया था....
ताकि मेरे लंड और उनके मुँह के बीच कोई रुकावट ना आए..

वो मेरी टाँगो के बीच लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..



आज उनकी सकिंग पावर कुछ ज़्यादा ही थी...
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Re: ग़लत रिश्ता ( भाई बहन का )

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मेरे लंड और बॉल्स को अपने चेहरे पर पूरा लगाकर वो अच्छे से उनका स्वाद ले रही थी....
जैसे आज उन्हे खा ही जाएगी...

मेरा शरीर उनके हर टच से उपर नीचे होने लगा..

और फिर वो उठी और मेरे सामने खड़ी हो गयी

जैसे अब कुछ करके रहेगी
पर इससे पहले वो कुछ और कर पाती, पीछे से आवाज आयी

''मॉम , ये क्या हो रहा है सुबह सुबह ''

ये सोनिया दी थी , जो अपनी आँखे मलती हुई खड़ी हो चुकी थी

एक तरफ मैं सोनिया के सोये रहने से उसपर गुस्सा हो रहा था
और अब उसके उठने की टाइमिंग पर मेरी झांटे सुलग कर रह गयी....
आख़िर देखने तो देती की मॉम क्या करने मे मूड मे है...

मॉम ने जब पलटकर सोनिया को देखा तो वो भी एक पल के लिए सकपका सी गयी...
पर अब उन दोनो के बीच काफ़ी खुलापन आ चुका था, इसलिए वो डरी बिल्कुल भी नही...
हालाँकि ऐसे अपने बेटे को नंगा करके, खुद भी नंगी होकर वो अपनी बेटी के सामने खड़ी थी
और कोई भी ये देखकर सॉफ पता कर सकता था की वहां क्या चल रहा है...
और सोनिया तो वैसे भी ज़रूरत से ज़्यादा ही समझदार थी
उसके दिमाग़ की घंटी तो आँख खुलते ही बज गयी जब उसने अपनी माँ को अपने भाई के लंड पर झुके हुए देखा....
और शायद वो थोड़ा और सब्र करती तो आगे का नज़ारा भी लेटे -2 देख सकती थी...
पर उसे शायद किसी बात का आभास हो गया था
इसलिए उसने उठने की एक्टिंग करते हुए उन्हे 'वो' करने से रोक दिया
जो वो करने वाली थी...
आख़िरकार मेरी इस "माँ'' फिल्म की डायरेक्टर वही तो थी
अपनी मर्ज़ी के बिना वो कैसे कोई सीन बनने देती..
ये वाला सीन तो उसकी स्क्रिप्ट में था ही नही..

मॉम : "वो....बस...ऐसे ही....इसे सोते हुए देखा तो ...वो कल वाली बात याद आ गयी....इसकी गहरी नींद में सोने वाली...''

सोनिया : "और आपने सोचा की उस गहरी नींद का एक और बार फायदा उठा लिया जाए...है ना...''

मॉम ने सकुचाते हुए हाँ में सिर हिला दिया....
कितनी मासूमियत से उन्होने अपना जुर्म कबूल कर लिया था...



सोनिया : "मॉम , मैने कहा था की ये रात के समय गहरी नींद में सोता है, और ये तो सुबह का समय है...ऐसा कुछ ख़तरनाक करोगी तो इसके उठने का भी तो डर है ना...''

मॉम : ''पर इसने आते ही कहा था की ये पूरी रात सोया नही है...और इसकी आँखे देखकर लग भी रहा था, इसलिए मैने ये सब...''

अब तो उन्हे भी थोड़ी बहुत शर्म सी आ रही थी...
अपने हाथो से उन्होने अपनी छातियो को ढक लिया...
सोनिया का भी दिल पसीज सा गया की क्यों वो सुबह -2 मॉम को शर्मिंदगी का एहसास दिला रही है...

सोनिया : "इट्स ओके मॉम ....इन्फ़ेक्ट मैं भी आपकी जगह होती तो शायद यही करती...एंड देखो तो इसके पेनिस को.....ओह्ह माय गॉड मॉम ....इतने कड़क लंड को सामने रखकर आपसे सब्र कैसे हो रहा है...मुझसे तो बिल्कुल भी नही हो रहा...''

इतना कहकर उसने झत्ट से अपनी टॉप उतार कर साइड में फेंक दी..जैसे वो भी अब मैदान में कूदने को तैयार हो



मैने अधखुली आँखो से उसकी तरफ देखा और अपनी बहन की मदमस्त चुचियो की कड़कड़ाहट देखकर मेरे लंड ने एक जोरदार सलामी दी उसे..

और उस सलामी को सोनिया ने सॉफ देखा...
और पल भर में ही वो समझ गयी की मैं जाग रहा हूँ और एक बार फिर से कल वाली सिचुएशन में फँस गया हूँ ...
ना मैं सो सकता हूँ और ना ही जाग सकता हूँ ..

ऐसे मामलो में मेरी बहन काफ़ी शरारती है
मुझे सताने में उसे काफ़ी मज़ा मिलता है
और इससे जो तकलीफ मुझे होने वाली थी वो अच्छे से जानती थी.

मॉम ने एक बार फिर से मेरी तरफ चेहरा कर लिया और अपनी छाती दबाते हुए मेरे खड़े हुए लंड को घूरने लगी..

सोनिया उनके पीछे आई और अपनी बाहें उनके गले में डालकर बोली : "क्या सोच रही हो मॉम ...क्या इरादे है आपके...''

मॉम : "इरादे तो बहुत कुछ करने के है....पर वो करना ग़लत होगा...''

यार...ये भेंन का लौड़ा ''ग़लत'' शब्द कब मेरा पीछा छोड़ेगा..

मेरी तो मुट्ठियां भींच गयी ये सुनते ही...
पर सोनिया के चेहरे पर एक स्माइल तैर गयी..

वो मुझे सुनाते हुए, मॉम से बड़े प्यार से बोली : "तो ठीक है मॉम ....जो ग़लत है वो ग़लत ही रहने दो...अभी के लिए जो सही है, वो कर लो...''

उसने जब आँख घुमाते हुए मॉम से ये कहा तो मॉम ने उसके गालो पर एक कचोटी काट ली और बोली : "वही तो करने जा रही थी की तू उठ गयी...''



अब तो सोनिया के साथ-2 मैं भी देखना चाहता था की वो क्या करने के मूड में थी..

सोनिया : "तो शुरू हो जाओ ना मॉम ..रोका किसने है...''

सोनिया की बात सुनते ही मॉम अपनी थिरकती हुई गांड लहराते हुए मेरे बेड पर चढ़ गयी...
और उन्होने मेरे चेहरे के दोनो तरफ टांगे कर ली...
उनका चेहरा मेरी टाँगो की तरफ था...

मेरा तो शरीर सुन्न सा होने लगा ये सोचकर की वो क्या करने वाली है..
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