ब्रा वाली दुकान complete

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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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मैंने शापर में एक बार फिर से हाथ डाला और कहा आंटी यह आपने अंडर इनर भी मंगवाए थे, अंडर इन्नर भी मैंने आंटी के हाथ में पकड़ा दिया, आंटी ने उन्हें खोलकर देखा और बोलीं हां यह ठीक है आकार। मैंने आंटी से पूछा आंटी यह तो आपने शमीना के लिए मंगवाए हैं न, सायरा के लिए नहीं चाहिए ?? आंटी ने कहा हां बेटा ये शमीना के लिए हैं, सायरा अभी छोटी है उसे जरूरत नहीं। मैंने कहा ठीक है आंटी, आगे भी कभी आपको अपने लिए या शमीना को ब्रा या अंडर इन्नर चाहिए हो तो बिना हिचक आप मुझे कह सकती हैं, दुकान पर जाकर गैर मर्दों से लेने से बेहतर है कि मैं आपके लिए घर पर ही पहुंचा दूं। यह सुनकर आंटी ने कहा हां इसीलिए मैंने तुम्हें कहा था अब और अधिक बातें मत बनाओ और यह बताओ पैसे कितने बने? मैंने आंटी को पैसे बताए, आंटी ने कमरे में जाकर पैसे उठाए और लाकर मुझे दे दिए। मैं समझ गया था कि आंटी अब बिना कुछ कहे मुझे यह समझा रही हैं कि अब तुम जा सकते हो, मैंने भी उनके सिर पर सवार होना बेहतर नहीं समझा और उनसे पैसे लेकर उन्हें नमस्कार करके वापस घर आ गया। घर आकर सबसे पहले मैं अपने शौचालय में गया और आंटी सलमा के 38 इंच के मम्मों को याद करके उनके नाम की एक जबरदस्त सी मुठ मारी और अपने लंड को आराम पहुंचाया। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं Image

अगले दिन फिर इसी तरह दैनिक जीवन चलता रहा इस दौरान विभिन्न तरह की औरतें और कभी-कभी जवान लड़कियां भी दुकान पर आतीं और उन्हें अपनी पसंद के अनुसार ब्रा दिखाता , वह मेडम जिन्हें मैंने पहली बार खराब बेच दिया था, वह भी एक बार फिर से आईं और तब हाजी साहब और मैं दोनों ही दुकान पर थे, लेकिन वह सीधे मेरे पास आईं और मैंने फिर से उन्हें ब्रा बेचे, लेकिन इस बार वह मेरी डीलिंग से काफी खुश नजर आ रही थीं, उनके जाने के बाद मैंने हाजी साहब को भी बताया कि यह मेडम थीं जिन्हें मैंने पहली बार ब्रा बेचे थे, हाजी साहब ने मुस्कुराते हुए कहा मेडम तो बहुत टाइट मिली हैं तुम्हे, मैं उनकी बात सुनकर हंसने लगा फिर हाजी साहब और मैं अपने काम में व्यस्त हो गए और कुछ समय तक कोई विशेष घटना नही हुई और जीवन दिनचर्या चलती रही।

फिर एक दिन जब मैं दुकान पर बैठा था मुनब्बर अंकल दुकान पर आए और उन्होंने हाजी साहब से कहा कि अगर आप बुरा ना माने तो आज सलमान को छुट्टी दे दे, मुझे कुछ काम है इससे .. हाजी साहब ने कहा कोई समस्या नहीं बच्चा बड़ा मेहनती है और अभी तक कोई अनावश्यक छुट्टी भी नहीं की है, अगर आपको कोई काम है तो आप जरूर ले जाएं मुझे कोई आपत्ति नहीं। मुनब्बर अंकल ने हाजी साहब को धन्यवाद दिया और मुझे लेकर बाइक पर अपने घर ले गए। घर गया तो सामने सलमा आंटी मेकअप आदि कर कहीं जाने के लिए तैयार बैठी थीं। मैंने आंटी को सलाम किया और मुनब्बर चाचा की तरफ सवालिया नज़रों से देखा तो उन्होंने मुझे बताया कि सलमा अचानक जाना पड़ रहा है, तो मैं चाहता हूँ तुम साथ चले जाओ। वहां उनकी बहन की बेटी की शादी की तारीख रखने का फन्कशन है तो इन्हे वहाँ होना चाहिए, शाम को वापसी हो जाएगी और कल वैसे ही शुक्रवार है तो आप छुट्टी कर सकते हो। मैंने कहा ठीक है चाचा कोई समस्या नहीं कब जाना है? मेरी बात पर आंटी सलमा बोलीं अभी, मैं तैयार हूँ। मैंने आंटी को कहा ठीक है मैं मुंह हाथ धो लूँ और घर अम्मी को सूचना दे दूँ, फिर चलते हैं। अंकल ने कहा ठीक है तुम दोनों ने जब जाना हो चले जाना, मैं तो काम पर जा रहा हूँ। यह कह कर अंकल चले गए और आंटी सलमा ने कहा, तुम मुँह हाथ धो आओ, नहाना हो तो नहा भी लो, मैं तुम्हारी अम्मी को फोन करके बता देती हूँ। मैंने कहा ठीक है आप अम्मी को बता दें।
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यह कह कर मैं शौचालय चला गया, और कपड़े उतार कर शावर के नीचे खड़ा हो गया, मैंने सोचा आंटी की बहन के यहाँ मेहमान आए होंगे तो थोड़ा साफ होकर जाना चाहिए यही सोचकर मैंने स्नान किया और बाल बनाकर बाहर आया। कपड़े मेरे नये ही थे जो किसी समारोह में जाने के लिए ठीक ठाक थे। मैं बाहर आया तो आंटी ने बताया कि वह अम्मी को फोन करके मेरे बारे में सूचना दे चुकी हैं, लेकिन तुम्हे खाना आदि खाना है तो बताओ, मैंने कहा नहीं आंटी भोजन नहीं बस निकलते हैं हम। ( दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं ) आंटी ने शमीना और सायरा को साथ लिया और हम रिक्शे में बैठकर बस स्टॉप तक गए। वहाँ आंटी ने एक लोकल बस का चयन किया तो मैंने आंटी को कहा लोकल बस बहुत देर लगा देती है हम पिंडी इस्लामाबाद जाने वाली बस में चलते हैं आधे घंटे में हम कबैरोालह होंगे। आंटी ने कहा, हां यह भी ठीक है। फिर हम एक पिंडी जाने वाली बस में सवार हो गए जो चलने के लिए पूरी तरह तैयार थी, मगर इसमें कोई खाली सीट नहीं थी तो हम बस के बीच में जाकर खड़े हो गए। 2, 3 मिनट बस रुकी रही तो काफी सवारियां और भी सवार हो गईं मगर किसी को भी सीट उपलब्ध नहीं थी। हम जहां जाकर खड़े हुए वहां साथ वाली सीट पर 2 औरतें बैठी थीं, उन्होंने सायरा को अपने साथ कर लिया अब शमीना आंटी के साथ खड़ी थी और उनके पीछे खड़ा था

कुछ देर बाद गाड़ी चल पड़ी और 5 मिनट में ही हम मुल्तान शहर से बाहर निकल चुके थे। बस चालक घोड़े पर सवार था। बस में भीड़ अधिक होने की वजह से सलमा आंटी मेरे काफी करीब खड़ी थीं, बुर्का वह पहनती नहीं थी बस एक बड़ी सी चादर सिर पर ली हुई थी उन्होंने। इस दौरान ब्रेक लगने के कारण मैं एक दो बार आगे हुआ तो सलमा आंटी के बदन से मेरा बदन टच हो गया। नरम नरम पैर और फोम की तरह नरम उनके चूतड़ मेरे शरीर से टकराए तो मेरे अंदर हलचल होने लगी। मैंने नीचे चेहरा करके सलमा आंटी की गाण्ड देखी तो देखता ही रह गया, उनकी कमर 32 इंच थी मगर उनके चूतड़ों का आकार 36 "था जो काफी बड़ा था। मेरी नजर उनके चूतड़ों पर पड़ी तो मुझे आंटी के मम्मे भी याद आ गए जो मैंने आंटी के घर में ही कुछ महीने पहले देखे थे जब आंटी के यहाँ ब्रा देने गया था। सलमा आंटी की 36 "गाण्ड देखना और उनके 38" के मम्मों के बारे में सोच सोच कर मेरा लंड सलवार में सिर उठाकर खड़ा हो गया था और सलमा आंटी की फोम जैसी गाण्ड को सलयूट करने के लिए तैयार था।
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आदत अनुसार मेंने भी अंडर इन्नर नहीं पहना था उसी कारण मेरी सलवार में हल्का सा कूबड़ दिखने लग गया था, मैं कोशिश तो कर रहा था कि लंड बैठा ही रहे, लेकिन सलमा आंटी की गाण्ड उसको शायद अपनी ओर खींच रही थी और वो अपने आप उनकी तरफ खिंचा चला जा रहा था। मुझे डर था कि कहीं यह सलमा आंटी के बदन से न टकरा जाए इसलिए मैं उनसे कुछ दूरी पर होकर खड़ा हुआ मगर भीड़ अधिक होने की वजह से यह दूरी भी महज कुछ इंच की ही थी ड्राइवर को शायद मेरी इस हरकत पसंद नहीं आई इसलिए उसने एक जोरदार ब्रेक लगाई मेरे सहित सारी सवारियां आगे हुई और एक दूसरे से टकरानेलगें यही वह समय था जब मेरा सैनिक भी सीधा सलमा आंटी के 2 पहाड़ों के बीच मौजूद घाटी में घुस गया। मेरा लंड फिलहाल जोबन पर था और जब सलमा आंटी से टकराया तो मुझे उनके नरम नरम चूतड़ों का एहसास अपनी टांगों पर हुआ, मेरा सख्त लोहे का लंड जब उनकी गाण्ड से लगा तो निश्चित रूप से उन्हें भी वह महसूस हुआ होगा, मैं तुरंत पीछे हटा और सलमा आंटी का करारा थप्पड़ खाने के लिए तैयार हो गया, मगर उन्होंने सरसरी तौर पर पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर नीचे देखने लगी कि उनकी गाण्ड में क्या आकर लगा, मगर फिर बिना कुछ कहे फिर से आगे की ओर देखने लगीं। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
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फिर एक और ब्रेक लगी और मेरा लंड पहले की तरह फिर से सलमा आंटी के चूतड़ों में घुसने की कोशिश करने लगा और मैं जल्दी से पीछे होकर खड़ा हो गया, फिर सलमा आंटी ने पीछे मुड़ कर देखा और फिर पुनः सीधी होकर खड़ी हो गईं। मुझे डर लगने लगा था और दुआएं मांग रहा था कि मेरा लंड बैठ जाए, मगर फिर अचानक पता नहीं क्या हुआ कि ब्रेक नहीं लगी मगर मेरा लंड फिर सलमा आंटी के चूतड़ों से टकराने लगा। मैं एक झटके से थोड़ा पीछे हुआ तो पीछे खड़े एक आदमी ने मुझे डांटते हुए कहा कि अपने वजन पर खड़े रहो और मुझे थोड़ा सा आगे की ओर धकेल दिया। अब मेरा लंड सलमा आंटी की चूत से कुछ ही दूरी पर था मगर फिर एक बार फिर से सलमा आंटी पूर्ण रूप से पीछे हुई तो मेरा लंड फिर से उनके पहाड़ जैसे चूतड़ों के बीच मौजूद लाइन में घुस गया, पता नहीं क्यों, लेकिन इस बार मेंने पीछे की कोशिश नहीं की और आश्चर्यजनक रूप से सलमा आंटी भी ऐसे ही खड़ी रहीं उन्होंने फिर से आगे की कोशिश नहीं की।
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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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अब लंड सही तरह से सलमा आंटी की गाण्ड में नहीं गया था, एक बार फिर से ब्रेक लगी तो अब मैं सलमा आंटी के साथ जुड़कर खड़ा हो गया और मुझे अपने लंड पर सलमा आंटी की गाण्ड का स्पष्ट एहसास होने लगा, लेकिन सलमा आंटी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया और ऐसे ही खड़ी रहीं। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ अपनी कमीज के नीचे किया और वहां से अपने लंड हाथ में पकड़ कर उसका रुख जो अब नीचे था उसको उठाकर सलमा आंटी के चूतड़ों की ओर कर दिया। जब मैं लंड उठाकर उसकी टोपी का रुख सलमा आंटी की गाण्ड पर किया तो सलमा आंटी थोड़ा कसमसाई लेकिन वह अपनी जगह से हिली नहीं तो मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं अब एक ही स्थिति में खड़ा रहा। ड्राइवर ने एक बार फिर से ब्रेक लगाई और मैं फिर सलमा आंटी से जा टकराया, अब मेरा लंड तो पहले ही उनकी गाण्ड को छू रहा था लेकिन अब की बार जो ब्रेक लगी तो मेरा सिर भी सलमा आंटी के कंधे तक गया और मेरे लंड की टोपी ने सलमा आंटी की गाण्ड पर दबाव बढ़ाया तो चूतड़ों ने साइड पर हट कर लंड को अंदर आने की अनुमति दे दी। और शायद मेरी टोपी सलमा आंटी की गाण्ड के छेद पर भी लगी जिसे उन्होंने देखा और बस उसपल जब मेरा सिर उनके कंधे पर जाकर लगा मैंने सलमा आंटी की हल्की से सिसकी सुनी। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

इस सिसकी ने मेरे लंड तक यह संदेश पहुंचा दिया कि आंटी मस्त हो रही हैं तो अपना काम जारी रख तभी बेफिक्र होकर वहीं पर खड़ा रहा और सलमा आंटी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा कड़ा कर मेरे लंड की टोपी को अपने चूतड़ों की लाइन में भींच लिया। मुझे अब अपना लंड उनकी गाण्ड में फंसा हुआ महसूस हो रहा था, मैंने थोड़ा पीछे होकर जाँच करना चाहा कि बाहर निकलता है या नहीं, मगर सलमा आंटी ने कमाल कौशल से मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर दबा लिया था, मैंने कहा ठीक है जब आंटी खुद ही मस्त होकर मेरा लंड संभाल चुकी हैं तो मुझे क्या जरूरत है उसे बाहर निकालने की। तो मैं भी ऐसे ही खड़ा रहा और सलमा आंटी की गाण्ड के मजे लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि सलमा आंटी कभी अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ रही थीं और उसके बाद फिर से अपनी गाण्ड को टाइट करके इसमें लंड को दबा रही थीं। मुझे इस खेल में अब मज़ा आना शुरू हुआ था कि कमबख़्त ड्राइवर ने एक बार फिर ब्रेक लगाई और हम सब खड़ी सवारियां फिर आगे की ओर झुकी और फिर वापस पीछे की ओर हुईं तो इस दौरान सलमा आंटी की गांड की पकड़ मेरे लंड पर कमजोर पड़ गई और लंड उनकी गाण्ड से बाहर निकल आया, जैसे ही हम फिर संभलकर खड़े हुए सलमा आंटी ने हल्की सी गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अनुमान लगाया कि उनसे कितना दूर खड़ा हूँ, फिर सलमा आंटी खुद ही धीरे से पीछे हुई और फिर उन्होंने अपने भारी भर कम चूतड़ मेरे मासूम से लंड पर रख दिए, मैं भी मौका उचित देख फिर से कमीज के नीचे हाथ किया और अपने लंड का रुख आंटी की गाण्ड की तरफ कर दिया।

फिर लोहे जैसे मेरे हथियार के आसपास सलमा आंटी की नाजुक और कोमल नरम गाण्ड का एहसास होने लगा तो मुझे फिर से सलमा आंटी पर प्यार आने लगा। लेकिन जब हम बस में थे इसलिए अधिक हरकत नहीं कर सकते थे। लेकिन मैं अभी इतना समझ चुका था कि सलमा आंटी की गाण्ड में अब मेरा लंड जल्द ही जाने वाला है बस उचित अवसर का इंतजार करना होगा। कुछ देर तक ऐसे ही खड़े-खड़े अपने लंड पर सलमा आंटी के चूतड़ों की मजबूत पकड़ के मजे लेता रहा लेकिन फिर तुरंत ही कंडक्टर की आवाज़ आई जो कबीर वाला की सवारियों को आगे आने को कह रहा था, यह सुनते ही सलमा आंटी ने अपने चूतड़ों की पकड़ को ढीला कर दिया और थोड़ा आगे हुईं जिससे मेरा लंड उनके चूतड़ों से निकल गया और सलमा आंटी ने साथ वाली सीट पर बैठी हुई सायरा को बाहर आने को कहा। फिर हम चारों बस से उतर गए, इस दौरान मेरा लंड भी खतरा महसूस कर फिर से बैठ गया था, बस से उतर कर हमने एक रिक्शा पकड़ा और 5 मिनट में ही सलमा आंटी की बहन के घर पहुंच गए जहां खासे मेहमान आए थे और उनकी भांजी के ससुराल वाले भी मौजूद थे। सलमा आंटी ने मेरा भी परिचय करवाया और दूसरी आंटी जिनका नाम सुल्ताना था उन्होंने मुझे सिर पर प्यार दिया और कुछ ही देर बाद जब सलमा आंटी की मौजूदगी में उनकी भतीजी की शादी की तारीख रख ली गई तो हमें खाना खिलाया गया, और फिर सलमा आंटी अपनी बहन और भतीजी के साथ बैठ कर बातें करने लगीं जबकि सायरा और शमीना वहाँ अपनी हमउम्र कज़नों के साथ खेलने में व्यस्त हो गईं जबकि मैं एक साइड पर बैठकर बोरियत को एंजाय करने लगा। इसी दौरान मेरी आँख लग गई, जब आंख खुली तो सलमा आंटी मेरे पास खड़ी मुझे सिर हिलाकर उठाने की कोशिश कर रही थीं, उठ जाओ सलमान बेटा देर हो रही है। यह आवाज सुनकर मैंने आंखें खोलीं तो सलमा आंटी ने कहा चलो अब वापस चलें काफी देर हो गई है। मैं भी तुरंत उठा और कुछ ही देर में रिक्शे से हम फिर कबीर वाला मेन बस स्टॉप पर खड़े थे जहां से हमें पिंडी से आने वाली बस बस अड्डे पर ही खड़ी मिल गई, मैं बस में चढ़ा और मेरे पीछे सलमा आंटी भी बस में आ गई, लेकिन फिर सलमा आंटी ने मुझे वापस बुला लिया और कहा नीचे जाओ हम बस में नहीं जाएंगे। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

मैं सलमा आंटी को कहा क्यों आंटी बस में जगह है बैठने की, कंडेक्टर ने भी कहा मौसी जी बहुत सीटें पड़ी हैं, लेकिन खाली जी ने किसी की नहीं सुनी और चुपचाप नीचे उतर गईं जिस पर मुझे कंडेक्टर की जली-कटी बातें सुनना पड़ी, मगर मैं चुपचाप सलमा आंटी के पास जाकर खड़ा हो गया, वह बस चली गई तो मैंने आंटी से पूछा कि आंटी जगह थी तो सही बस में फिर हम बस में क्यों नहीं गए, लेकिन आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया, कुछ ही देर में एक और बस आ गई जो खचाखच भरी हुई थी, सलमा आंटी इस बस में सवार हो गईं और मैं भी उनकी इस हरकत पर हैरान होता हुआ उनके पीछे पीछे हो लिया। पहले की तरह फिर से इस बस में हमें कोई सीट उपलब्ध नही थी मगर इस बार शमीना और सायरा दोनों को ही सीट मिल गई जबकि आंटी और मैं दूसरी सवारियों के साथ बस में खड़े रहे।

कुछ ही देर बाद मेरी हैरानगी तब खत्म हो गई जब आंटी खुद ही मेरे शरीर के साथ लग कर खड़ी हो गईं, लेकिन इस समय मेरी सोच कहीं और थी और लंड सोया हुआ था, आंटी को जब अपनी गाण्ड पर कुछ भी महसूस नहीं हुई तो उन्होंने पीछे मुड़ कर मेरे लंड को देखा जहां आराम ही आराम था, फिर आंटी ने लज्जित होकर मुंह आगे कर लिया और थोड़ा आगे होकर खड़ी हो गईं। लेकिन मुझे समझ लग गई थी कि सलमा आंटी खाली बस में क्यों नहीं बैठी उन्हें वास्तव में लंड का आनंद लेना था, यह संकेत मिलते ही मेरे लंड ने सलवार में सिर उठाना शुरू कर दिया। चूंकि यह रात 9 बजे का समय था और बाहर हर तरफ अंधेरा था, और बस भी चूंकि पिंडी से मुल्तान आ रही थी तो ज्यादातर यात्री सो रहे थे इसलिए बस के अंदर की रोशनी भी बंद थी और बस में करीब करीब पूरा अंधेरा था बैठी हुई सवारियाँ ज़्यादातर सो रही थी और बस में पूरा सन्नाटा भी था। सलमा आंटी की मांग को तो मैं समझ ही गया था इसलिए अब मैंने सोचा कि अब जरा पहले कुछ अधिक होना चाहिए और सलमा आंटी की गाण्ड का सही मज़ा लेना चाहिए। इसी सोच के साथ मेरा लंड फिर से अपने जोबन पर आ चुका था, मैंने कमीज के नीचे हाथ डालाऔर अपनी कमीज को साइड से हटा दिया उसके बाद थोड़ा आगे गया और बड़ी सावधानी के साथ सलमा आंटी की कमीज भी उनकी गाण्ड से साइड पर खिसका दी, जब मैंने सलमा आंटी की कमीज साइड पर हटाई तो उन्होंने एकदम पीछे मुड़ कर देखा कि यह क्या हो रहा है? फिर उन्होंने मेरे लंड देखा जहां से मैं कमीज हटा चुका था और मेरा मोटा ताजा लंड सलवार के अन्दर ही खड़ा होकर अपने आकार का अनुमान दे रहा था जो इस समय मेरे हाथ में था, लंड पर नज़र पड़ते ही सलमा आंटी की आँखो में एक चमक आई और उन्होंने मुझसे नजरें चार किए बिना ही फिर मुंह आगे कर लिया, और मैं भी इधर उधर से संतुष्ट होकर अपना लंड सलमा आंटी के चूतड़ों में फंसा दिया जिस पर सलमा आंटी पीछे हो गईं। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

चूंकि हर तरफ अंधेरा था और किसी को भी पता नहीं था कि यहाँ क्या खेल चल रहा है, मैंने अधिक हिम्मत की और अपना एक हाथ सलमा आंटी की मोटी गांड पर रख कर उसको थोड़ा खोला और अपना लंड और अधिक अंदर फंसा दिया जिसको सलमा आंटी ने तुरंत अपनी मजबूत पकड़ में जकड़ लिया। अब मैंने अपना एक हाथ सलमा आंटी के नितंबों पर रख लिया और पूरी तरह से अपने लंड का दबाव सलमा आंटी की गाण्ड में बढ़ाने लगा। जाहिर सी बात है मैं अपना लंड सलमा आंटी की गाण्ड के छेद में तो प्रवेश नहीं करा सकता था, मगर उनकी गांड लाइन में लंड फंसाकर उन्हें मज़ा दे सकता था, और आंटी भी मस्त होकर पूरा पूरा मज़ा ले रही थी। मैंने अपने हाथ से सलमा आंटी के नितंबों दबाया तो उन्होंने अपने चूतड़ों को पीछे करके फिर से पकड़ मज़बूत कर ली और फिर इसी तरह पकड़ मज़बूत करते हुए थोड़ा आगे हुई तो मुझे अपने लंड की टोपी पर उनकी गाण्ड की रगड़ महसूस हुई , तो फिर से सलमा आंटी ने अपनी गाण्ड की पकड़ कमजोर कर गांड पीछे की और फिर से पकड़ मज़बूत कर अपनी गाण्ड को आगे करने लगीं। सलमा आंटी ने करीब 5 मिनट तक यह काम जारी रखा जिससे अब मुझे अपार मज़ा आने लगा था, उनकी नरम नरम मोटी गाण्ड में लंड बहुत मजे में था।

फिर सलमा आंटी ने अपना हाथ पीछे किया और अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसकी मोटाई का आकलन करने लगी, तो उन्होने अपने हाथ से मेरे लंड को गाण्ड से बाहर निकाला और उसका रुख थोड़ा सा नीचे कर के दोबारा गाण्ड के छेद में प्रवेश किया। उफ़ ......... क्या मजे की हरकत की थी सलमा आंटी ने एक तो उन्होंने जब अपना हाथ मेरे लंड पर रखा मुझे उसका ही बेहद मज़ा आया तो उन्होंने गाण्ड में फिर लंड को दाखिल किया मगर उसका रुख नीचे किया तो लंड की टोपी पर सलमा आंटी की गीली चूत लगते ही मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। सलमा आंटी की चूत न केवल गीली थी बल्कि वह इस हद तक गर्म थी कि मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड की टोपी पर गर्म गर्म कोयला रख दिया हो। सलमा आंटी ने एक बार फिर मेरा लंड अपने चूतड़ों को टाइट करके अपनी लाइन में कसकर जकड़ लिया और फिर हौले हौले झटके ले लेकर आगे पीछे हो कर मेरे लंड की टोपी को अपनी चूत पर मसलने लगी। चूंकि बस भी चल रही थी जिसकी वजह से खड़ी सवारियां थोड़ा बहुत हिलती हैं इसलिए हमारी इस हरकत पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।
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Re: ब्रा वाली दुकान

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बिंदास लगे रहो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Re: ब्रा वाली दुकान

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सलमा आंटी ने 10 मिनट तक लगातार मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसा कर अपनी चूत पर रगड़ा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। फिर अचानक ही सलमा आंटी की गति में थोड़ी तेजी आ गई, सलमा आंटी अब पहले से ज्यादा आगे पीछे रही थीं और मुझे डर लगने लगा कि सलमा आंटी की इस हरकत से किसी ना किसी का ध्यान हमारी ओर हो जाएगा और फिर बहुत छतरोल होगी, मगर इससे पहले कि कोई हमारी इस हरकत को नोट करता मुझे अपने लंड टोपी पर गर्म पानी का एहसास हुआ और सलमा आंटी मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा कर एकदम स्तब्ध हो गईं और अपने चूतड़ों को मेरे लंड पर मज़बूती से जमाए रखा। सलमा आंटी की चूत ने 10 मिनट की लगातार रगड़ से पानी छोड़ दिया था। सलमा आंटी के शरीर को कुछ देर झटके लगते रहे और फिर उनका शरीर शांत होने लगा। जब उनकी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो उन्होंने अपने चूतड़ों की पकड़ ढीली की और मेरा लंड अपनी गाण्ड से निकाल दिया और मेरे से कुछ दूरी पर खड़ी हो गईं, मुझे उनकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया क्योंकि अब मेरे लंड आराम नहीं मिला था, लेकिन ऐसी हालत में सलमा आंटी से कुछ नहीं कह सकता था। बस दिल ही दिल में कुढता रहा और परिणाम के रूप में कुछ ही देर में मेरा लंड बैठ गया। दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

5 मिनट बाद ही मुल्तान चौक पर बस रुकी तो सलमा आंटी ने साथ वाली सीट से शमीना उठाया जो सो चुकी थी, वह जागी तो सलमा आंटी के आगे आकर खड़ी हो गई, जबकि छोटी सायरा अब तक सोई हुई थी, सलमा आंटी ने मुझे कहा कि तुम सायरा उठाओ उसकी नींद बहुत गहरी है, शायरा वह 10 साल की थी और थोड़ी वजनदार भी थी मगर बहरहाल वह एक बच्ची थी तो मैने मुश्किल से उसे गोद में उठाया और बस से नीचे उतर गया। वहाँ से हम ने एक रिक्शा लिया और उसमें बैठकर आंटी के घर की ओर चलने लगे। रिक्शे में सायरा मेरी गोद में ही थी जबकि सलमा आंटी मेरे साथ बैठी थीं, मैंने सलमा आंटी के पास होकर उनके कान में कहा आंटी आप ने तो मज़ा ले लिया मगर मेरा मज़ा अधूरा रह गया। आंटी ने मेरी तरफ देखा और हल्की आवाज में बोली चुप रहो, और खबरदार जो इस बारे में किसी को बताया या इस बारे में फिर से बात की। सलमा आंटी का लहजा बहुत कर्कश था, मैं कुछ नहीं कह सका और अपना सा मुंह लेकर बैठ गया। कुछ ही देर बाद हम सलमा आंटी के घर पहुंच चुके थे जहां मैंने सायरा को उनके कमरे में जाकर लिटा दिया और सलमा आंटी शमीना को लिए अंदर आ गई। मुनब्बर अंकल ने मुझे धन्यवाद दिया और सलमा आंटी ने भी बहुत सुंदर मुस्कान के साथ मुझे धन्यवाद करते हुए कहा बेटा तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए खाना बना लूँ, फिर खाना खाकर अपने घर जाना। मैंने कहा नहीं आंटी आप भी थकी हुई हैं, घर चलता हूँ अम्मी ने खाना बनाया हुआ है घर जाकर ही खाना खा लूँगा और यह कह कर मैं वहाँ से वापस अपने घर चला आया, और खाना खाने से पहले एक बार फिर शौचालय जाकर सलमा आंटी की गाण्ड और चूत को याद करके मुठ मार कर अपने लंड आराम पहुंचाया। उसके बाद अम्मी के हाथ का बना हुआ खाना खाया और सलमा आंटी को चोदने की योजना बनाता हुआ रात के पिछले पहर सो गया दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं

रात को सोते हुए तो मैंने सपने में खूब सलमा आंटी की चौदाई और सलमा आंटी ने भी मेरा लंड मुंह में डाल कर मुझे खूब मजे दिए, मगर उनके मज़ों नतीजा यह निकला कि आधी रात को ही आंख खुल गई, और आंख खुली क्योंकि सलमा आंटी के लंड चूसने के दौरान लंड को वीर्य छोड़ना था, जैसे ही सपना मे मेरे लंड ने सलमा आंटी के मुंह में शुक्राणु की धाराए बहाई तभी वास्तव में भी मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया और मेरी सारी सलवार को खराब कर दिया। मजबूरन आधी रात को उठकर नहाना पड़ा और कपड़े बदलने पड़े, इसके बाद काफी देर सलमा आंटी की गाण्ड के बारे में ही सोचता रहा और नींद आंखों से कोसों दूर रही। फिर नींद आई तो ऐसी शुक्रवार का समय गुजर चुका था और दोपहर 3 के पास में बिस्तर से उठा। आम दिनों में ऐसी हरकत पर अम्मी जान से खूब डांट पड़ती थी मगर आज बचत हो गई थी क्योंकि वे जानती थीं कल का दिन यात्रा में गुज़रा है तो थकान हो गई होगी।

अगले दिन फिर सामान्य जीवन शुरू हो गया, इस दौरान सलमा आंटी फोन के इंतजार करता रहा कि कभी तो वह अपने लिए फिर ब्रा मँगवाएँगी और तब फिर उनकी नरम नरम गाण्ड में अपना लंड फंसाकर खूब मजे करूंगा मगर यह इंतजार लंबा होता चला गया और काफी महीने बीत गए मगर सलमा आंटी का कोई फोन नहीं आया। अब तो मुझे लगने लगा था कि शायद मुल्तान से कबीर वाला तक का सफर भी मैंने सपने में ही किया था और सलमा आंटी ने मेरा लंड अपने चूतड़ों में फंसाकर भी मेरे सपने में मजे किए थे वास्तव में शायद ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था । मगर एक दिन फिर किस्मत की देवी मेहरबान हुई, मेरे फोन की घंटी बजी और नंबर सलमा आंटी का था, दिल के तार बजने के साथ लंड ने भी अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दीं और फिर उम्मीद के मुताबिक सलमा आंटी ने ब्रा घर लाने को कहा। मैंने एक बार फिर शुक्रवार का दिन ही चुना क्योंकि इस दिन छुट्टी होती थी दुकान से तो मैं आराम से सलमा आंटी के घर जा सकता था। उस दिन भी मैं फिर से 5, 6 सेक्सी ब्रा शापर में डालकर सुबह 10 बजे सलमा आंटी के घर जा पहुंचा। दिल में कितने ही अरमान थे कि आज तो सलमा आंटी की गाण्ड मेरे लंड से नहीं बच सकेगी, लेकिन तब मेरी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब मैं घर में दाखिल होकर देखा कि आज न केवल शमीना घर पर थी बल्कि जाग भी रही थी और सायरा भी वहीं थी। इन दोनों के होते हुए मेरा कुछ भी होने वाला नहीं था। वही हुआ, सलमा आंटी ने पानी पिलाया, और फिर शापर उठाकर मुझे वहीं इंतजार करने को कहा और सायरा और शमीना को मेरे पास बिठा कर अन्दर कमरे में चले गई, जबकि बाहर सोफे पर बैठा कुढता रहा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

इस दौरान मैंने शमीना के शरीर का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया लेकिन फिर सोचा कि नहीं अभी वह बहुत छोटी है। अभी तो उसके स्तन के उभार भी सही तरह से नहीं बने थे, लेकिन छोटे छोटे नुकीले निशान स्पष्ट हो रहे थे जिसमें उभार बढ़ना शुरू हो रहा था कि शमीना ने अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा है, और अब वह पूरी तरह से चुदाई के लिए सक्षम नहीं हुई। फिर शमीना से नजरें हटाकर में सायरा और शमीना दोनों को दिल ही दिल में कोसने लगा। कोई 15 मिनट बाद सलमा आंटी बाहर आई तो उन्होंने शापर मुझे वापस पकड़ा दिया जिसमें कुछ ब्रा मौजूद थे। साथ ही सलमा आंटी ने मुझे बताया कि उन्होंने 2 पीस रखे हैं और शमीना से पानी लाने को कहा, शमीना किचन में गई तो सलमा आंटी ने मुझे उनके ब्रा के बारे में बताया जो उन्होंने रखे थे, एक शुद्ध था और एक फोम वाला। फिर सलमा आंटी ने उनकी कीमत पूछी तो मैं बता दी, सलमा आंटी ने पैसे दे दिए तभी किचन से शमीना मीठा सिरप ले आई। मैंने बुझे हुए दिल के साथ 2 गिलास पानी पिया कि चलो अगर सलमा आंटी की गाण्ड नहीं मिली तो ठंडे पानी से अपनी मेहनत का प्रतिफल तो प्राप्त करें। पानी पीकर कुछ देर ज़बरदस्ती में बैठा रहा, लेकिन जब देखा कि अब सलमा आंटी मुझे ज्यादा लिफ्ट नहीं करवा रही तो मैंने वापस आने में ही अपनी भलाई समझी और और अपना शापर उठाकर वापस घर आ गया और सलमा आंटी की दोनों बेटियों को कोसने लगा। ( राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम )

मगर कुछ हद तक मुझे सलमा आंटी पर भी आश्चर्य था कि उस दिन बस में तो खुद अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर उन्होंने अपने चूतड़ों में फंसाया था, फिर आखिर ऐसी क्या बात हुई कि उन्होंने कोई संकेत तक नहीं किया मुझे आज जिस तरह उन्होने व्यवहार किया उससे मेरा हौसला ही जाता रहा कि यह गाण्ड मुझे मिलनी वाली है। मगर किस्मत में ये गाण्ड अभी नहीं लिखी थी सो नहीं मिली। और जिंदगी एक बार फिर सामान्य हो गई। इस घटना के कारण सलमा आंटी की गाण्ड का भूत काफी हद तक मेरे मन से उतर चुका था मगर मेरे लंड को किसी की गाण्ड की खोज आज भी थी। दोस्तो मोहल्ले की एक लड़की से मेरी सेटिंग थी और मुझे जब ज़रूरत होती में किसी न किसी तरह से अकेले में मिलकर अपने लंड की प्यास बुझा लेता था, मगर न जाने क्यों जब से मैंने ब्रा बेचने शुरू किए थे, मेरा दिल करता था कि जो मुझसे ब्रा खरीद रही है उसी को चोद दूँ, उसके मम्मे दबाऊ, उनको मुंह में लेकर चुसूँ, उनके मुंह में अपना लंड डाल दूं। इसीलिए मेरी प्यास किसी तरह कम नहीं हो रही थी।
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