नए पड़ोसी complete

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Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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मेरा लंड दीदी के नंगे बदन को देख कर फिर से खड़ा हो गया था. जब मैं वापस कमरे में आया तो देखा की मयंक अब रुची को पलटा कर उसकी गांड मारने की कोशिश कर रहा था और रुची मना कर रही थी. मयंक ने मुझे देख कर बोला "देखो ना यार. तुमसे गांड मरवा ली और मुझे मना कर रही है". रुची बोली "अरे मनीष के लंड ने ही मेरी गांड फाड़ दी है और तुम्हारा तो उससे भी बड़ा है. न बाबा न. तुमसे मैं गांड नहीं मरवाऊंगी" मैंने मयंक को समझाते हुए कहा "यार ये कहा भागी जा रही है. फिर किसी दिन ले लेना. अब देखो न कितनी बार चुद चुकी है लेकिन अभी भी इसको चुदने में दर्द होता है. ऊपर बैठ कर तो लंड ले ही नहीं पाई". "अच्छा. वो तो बहस आसान है. कुछ गलत कर रहे होगे तुम लोग. दिखाओ तो कैसे कर रहे थे." मयंक ने मुझे आँख मार कर कहा. मैंने कहा "अभी दिखाता हूँ" और बेड पर लेट गया. लंड तो मेरा पहले ही दीदी को देख कर खड़ा था तो मैंने रुची को लंड चूत में लेकर मेरे ऊपर बैठने को कहा. रुची लंड लेकर बैठी तो दर्द से कराह उठी. अचानक मयंक रुची के पीछे से आया और बोला की जब ऐसे में दर्द हो तो आगे झुक कर सामने वाले को चूमना चाहिए और उसने रुची को धक्का देकर मेरे ऊपर झुका दिया. रुची मुझे किस करने लगी तो मयंक ने मुझे इशारा किया की मैं उसे अपनी बाँहों में भर लूं. मैंने वैसा ही किया और मयंक बेड पर चढ़ कर मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ गया.

मैं समझ गया की क्या होने वाला है तो मैंने रुची के होठो को जोर से दबा दिया और उसको कस के पकड़ लिया. पीछे से मयंक ने अपना लौड़ा क्रीम लगा कर रुची की गांड के छेद में ठूस दिया. पता नहीं कितना लंड अन्दर गया पर रुची की आँखे निकल कर बाहर आ गयी. मयंक ने एक झटका और मारा और रुची की आँख से आंसू निकल कर मेरे चेहरे पर टपक गए. वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसके होठ जकड़े हुए थे. आखिर में मयंक ने एक धक्का और मार कर अपना लंड पूरा जड़ तक रुची की गांड में ठूस दिया और अब आगे पीछे करने लगा. मुझे अपने लंड पर उसका लंड रगड़ खाता साफ़ महसूस हो रहा था. आज का दिन तो वाकई कमाल था. न सिर्फ आज मैंने रुची को चोदा, उसकी गांड का उद्घाटन भी किया. दीदी की चूंची भी मैंने आज ही चूसी और आज ही अपनी जिंदगी का पहला थ्रीसम कर रहा था.
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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मयंक ने मुझसे कहा "सोच क्या रहा है तू भी धक्के मार तभी तो इसको मजा आयेगा." उसकी बात सुन कर जैसे ही मैंने रुची के होठ छोड़ कर धक्के लगाना शुरू किया रुची ने हम दोनों को गाली देना शुरू कर दिया. वो कहने लगी "हाय मादरचोदो, उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ रंडी समझ रखा है क्या. साले कुत्तो हाय्यय्य्य मेरा क्या हाल कर रहे हो तुम दोनों. बस्सस्सस्सस करूऊऊऊऊओ एक तो तुम दोनों को मजे दिए हाय्य्यय्य्य और साले कुत्ते तूऊऊऊऊऊ तो मेरा सगा भाई है. बस्स्स्सस्स्स्स करूऊओ आगे पीछे से एक साथ डाल रखा है. रुक्कक्कक्क भी जऊऊऊऊ. ये भी नहीं सोचा की मेरा क्या हाल होगा. बस करो निकलूऊऊऊओ" रुची जोर जोर से चिल्ला रही थी. रश्मि दीदी वैसे भी कच्ची नींद में थी तो रुची की चीखे सुन कर वो जग गयी और हमारे कमरे के दरवाजे पर आ गयी. जब उन्होंने देखा की की हम दोनों ही रुची को रौंद रहे है तो वो दरवाजे से ही चिल्लाई "अरे क्या कर रहे हो तुम दोनों. बेचारी की जान लोगे क्या. छोड़ो उसे." मैं तो नीचे था क्या करता पर मयंक ने दीदी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और रुची की गांड मारते हुए बोला "अरे रश्मि कैसी बात करती हो. कभी चुदाई से भी कोई मरता है क्या और मेरी प्यारी बहना तुझे पता भी है की औरतें इसी तमन्ना को दिल में लिए मर जाती है की काश हमको कभी दो मर्द एक साथ चोदे. तुझे तो अपनी किस्मत पर खुश होना चाहिए की तेरी जिंदगी में ये मौका इतनी जल्दी आ गया. तू बस मजे ले. देखना आज के बाद तुझे एक लंड से मजा नहीं आयेगा. हमेशा दो-तीन लंड माँगा करेगी. शाबास मनीष. और धक्के मारो." मयंक ने रुची को समझाते हुए कहा. अब मैंने और मयंक ने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी.

दीदी थोड़ी देर दरवाजे पर खड़ी देखती रही पर अन्दर नहीं आई. शायद नंगी वो मेरे सामने वो नहीं आना चाहती थी. वो वापस अपने कमरे में चली गयी और थोड़ी देर में कुरता पहन कर वापस आई पर तब तक रुची को दो लंडो का मजा आने लगा था. रश्मि दीदी ने आकर मयंक को पकड़ कर कहा :अरे अब छोड़ भी दो बेचारी को". तो रुची ने ही मना कर दिया "खबरदार जो अब तुम दोनों में से कोई रुका. बस चोदते जाओ दोनों. बहुत मजा आ रहा है". रश्मि दीदी बोली "कमाल है. अभी तो चिल्ला रही थी और अब कह रही है की रुको मत."
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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"अरे कमाल तो है ही. मजा ही कुछ ऐसा आ रहा है. सुनो तुम दोनों मेरे बाद रश्मि को भी मिल कर ऐसे ही चोदना तब इसको पता चलेगा की असली मजा क्या होता है." रुची हम दोनों से बोली. दीदी उसकी बात से नाराज़ हो गयी. "क्या उल्टा सीधा बोलती हो. मनीष मेरा भाई है." तब तक मयंक ने रश्मि दीदी को पकड़ के अपने पास खींच लिया और उनकी किस लेते हुए बोला "तो क्या हुआ मेरी जान. ये मैं जिसकी गांड मार रहा हूँ वो भी तो मेरी बहन है." फिर उसने दीदी की चूंची को उनके कुरते के ऊपर से ही दबा दिया. दीदी की सिसकी निकल गयी. दीदी ने नीचे पैजामा नहीं पहना था तो मैंने भी मौका देख कर उनकी मोटी जांघ पर हाथ रख दिया. पर दीदी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी वो मुझे और मयंक को गुस्से से देखती हुई कमरे से बाहर चली गयी.

मयंक बोला "भाई तेरी किस्मत ख़राब है. अगर रश्मि तुझे अपनी चूत दे देती तो तू भी जान जाता की बहन चोद कर क्या मज़ा आता है". तभी रुची बोली "अरे जो अभी दे रही है उस पर ध्यान दो न उसके चक्कर में सूख रहे हो जो नहीं दे रही." फिर हम दोनों ने रश्मि के ऊपर से ध्यान हटाया और रुची को ताबड़तोड़ चोदना शुरू किया. हमारे लंड रुची की कसी हुई चूत और गांड में थे फिर भी ऐसे लग रहा था की आपस में रगड़ रगड़ कर अन्दर बाहर हो रहे है. इसीलिए हम दोनों कुछ ही देर बाद लगभग एक साथ रुची की चूत और गांड में झड गए और बेड पर निढाल हो कर लेट गए. थोड़ी देर बाद मयंक उठा और बोला "रश्मि नाराज़ हो गयी थी. जाकर मना लेता हूँ. रुची तुम भी कपडे पहन लो फिर घर चलेंगे." मयंक दीदी के कमरे में चला गया और रुची भी उठ कर अपने कपडे लेकर बाथरूम में चली गयी पर मैं नंगा ही बेड पर पड़ा रहा और दीदी के नंगे बदन को याद करके सोचता रहा की क्या वाकई मैं कभी दीदी को चोद नहीं पाऊँगा. तभी रुची कपडे पहन कर वापस आ गयी और बोली "अरे ये तो फिर से तैयार हो गया. मन नहीं भरा क्या?" मैंने देखा वाकई मेरा लंड फिर से तन गया था. मैंने सोचा की दीदी को चोदने के ख्याल से ही इसमें जान आ जाती है. रुची ने मेरे लंड पर एक प्यार भरा किस किया और बोली हम लोग जा रहे है. कल फिर आऊंगी. और वो चली गयी. दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज से मैं समझ गया की मयंक और रुची अपने घर जा चुके है. मैंने आँखे बंद कर ली और दीदी के नंगे बदन को याद करके लंड सहलाने लगा. मुझे लगा की कोई मुझे देख रहा है तो मैंने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो दीदी आंखे फाड़ फाड़ कर मेरा लंड देख रही थी. अचानक उन्होंने देखा की मैं उन्हें देख रहा हूँ तो वो बोली "मन नहीं भरा तेरा अभी. अब कपडे पहनेगा या युही पड़ा रहेगा." और मुड कर वापस जाने लगी. उनकी लचकती हुई गांड देख कर मेरे दिल में और छुरिया चल गयी.
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