पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश complete

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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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मैंने भाभी का हाथ दबाते हुए कहा- पहले क्यों नहीं बताया? मैं दबा देता। भाभी मुस्करा कर बोलीं- अब दबा दो, आज तो अकेली है।


मैं हिम्मत करके बोला- भाभी, चुच्चे तो आपके भी माल हैं।


भाभी बोलीं- चूसने हैं क्या? मुस्कराते हुए मैंने कहा- आपकी मर्जी।


मेरा हाथ दबाते हुए बोलीं- ठीक है, मौका मिला तो चुसवा दूंगी।


तभी दरवाज़े से भाईसाहब आ गए मेरे और उनके बीच 10 मिनट बाद हुई, फिर मैं ऊपर अपने कमरे मैं चला आया।

चारु 10 बजे खाना ले आई और बोली- कल आकाश के मामा जी आ रहे हैं, एक शादी मैं जाना है, आपसे एक हफ्ते बात नहीं हो पाएगी।


मैंने उसे खींच लिया और चिपकाते हुए बोला- आज साथ साथ सो जाते हैं।


चारु ने मेरे होंटों को चूसा और बोली- नीचे खुजली ज्यादा हो रही है, क्रीम लगा देना, साथ साथ सोए तो आप अंदर डाल देंगे। मैं तो अपने कमरे में ही सो जाती हूँ।


मैंने कहा- ठीक है।


खाने के बाद 11 बजे वो दूध ले आई उसने पास में रखी क्रीम उठाकर अपनी मैक्सी उतार दी। आज वो नीचे कुछ नहीं पहने थी, अब चारु पूरी नंगी थी।

नंगी चारु को मैंने उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। उसकी नंगी चूत मेरे लंड को पागल करने लगी उसने मेरी उंगली पर क्रीम लगा कर उंगली चूत के मुँह पर रख दी। उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए 10 मिनट तक मैंने उसकी चूत में अंदर तक मालिश करी।


वो भी गरम हो रही थी और पानी छोड़ रही थी, बोली- मुँह में डाल दो, रहा नहीं जा रहा है। मैंने अपना पजामा उतार दिया और उसे गोद में लेटा लिया।


चारु ने कुछ देर तक मेरा लोड़ा पकड़ कर सहलाया और बाद में मुड़ कर लंड अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उसके स्तनों और जाँघों पर चल रहे थे।


चारु के स्तनों की घुंडियों को मैंने खूब मसला। 10 मिनट के खेल में चारु ने मुझे मस्त कर दिया, मेरा वीर्य स्खलन होने वाला था, मैंने चारु को बताया लेकिन चारु लोड़ा चूसती रही कुछ देर बाद चारु के मुँह मैं मैंने अपना वीर्य उड़ेल दिया।


चारु पूरा वीर्य अंदर गटक गई और मुझसे कस कर चिपक गई। 5 मिनट बाद उसने मेरे 3-4 चुम्बन लिए।


उसके बाद उठकर चारु अपने कमरे में चली गई। अगले दिन चारु अपने मामा के साथ 7 दिन के लिए गाँव चली गई।

तीन दिन बाद शनिवार था, मैं रात 9 बजे घर आया और अपने कमरे में चला आया।


आजकल चारु नहीं थी, मैं बाहर खाना खाकर आता था।


मैं अपने कमरे मैं बैठा चारु के बारे मैं ही सोच रहा था। तभी नीचे से आवाज आई। नीरा की थी।


नीरा ने आवाज़ लगाई- राकेश, कॉफी पिओगे?


मैंने सोचा कि अब चारु है नहीं चलो इसी से कुछ बात करके आता हूँ।


मैंने हाँ कर दी।


दस मिनट बाद मैं नीचे कॉफी पीने आ गया, भाभी अकेली थीं, उन्होंने बताया।


नीरा-- बच्चों की कल छुट्टी है, भाईसाहब उन्हें पनवल बुआ के यहाँ ले गए हैं, कल रात को वापस आ जाएँगे।

अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि इसने मुझे यहां चारु की कमी पूरी करने के लिए ही बुलाया है। ये सोचकर मेरा लंड ने भी हरकत शुरू कर दी कि चलो आज का तो इंतेज़ाम हो गया।


हम दोनों कॉफी पीते रहे, लेकिन ना वो कुछ बोली और न ही में, लेकिन मैं उसके भरे हुए बदन को लगातार निहारता रहा। जब उसके चुचों पर नज़र गढ़ाकर मेनें एक जोर की सिप ली तो नीरा भी मुस्कुरा गयी।


कॉफी पीने के बाद भाभी ने टीवी चला दिया टीवी पर मूवी आ रही थी, बोली यहीं पलंग पर बैठो, बातें करते हुए देखेंगे।


भाभी सट कर बैठ गईं। भाभी ने बातों बातों में बताया- शनिवार और इतवार की रात को होटल में देर तक पार्टी होती है इसलिए कोमल रात को होटल में ही रुकती है।


ये बताकर वो ये कह रही थी कि आज कोमल का भी कोई डर नहीं है। सिर्फ हम दोनों घर में अकेले हैं।

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Ankit
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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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हम दोनों एक दूसरे को नॉन वेज चुटकले सुनाने लगे, बातें करते करते मेरे हाथ भाभी के ब्लाउज में घुस गए और मैं उनकी चूचियाँ दबाते हुए मूवी का मज़ा लेने लगा।


नीरा बोली- क्या हुआ। ये क्या कर रहे हो।


उसकी आवाज में कोई भी विरोधाभास नज़र नही आ रहा था।


मेनें कहा- अभी आप का चुचे चुसाना भी तो बाकी है।


अब वो चुपचाप मज़ा लेने लगी।भाभी भी मेरा लोड़ा सहला रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी उठीं और उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थीं।


मेरे को आँख मारते हुए बोलीं- दूध पीना है क्या?


मैं बोला- पिला दो !


उन्होंने अपना ब्लाउज उतार दिया, नंगी चूचियाँ बाहर आ गईं।


भाभी की बड़ी बड़ी चूचियाँ मुझे चोदने के लिए उकसाने लगीं। भाभी ने एक अंगड़ाई लेते हुए अपनी दोनों चूचियाँ हिलाईं और आँख मारते हुए मुझसे बोलीं- कैसी लगीं?


मैंने कहा- भाभी, अब जल्दी से दूध पिलाओ, अब नहीं रहा जा रहा है।


भाभी आकर पलंग पर बैठ गईं, मैंने अपना मुँह उनकी निप्पल पर लगा दिया और चूसने लगा, मैंने दोनों निप्पल चूस चूस कर नुकीली कर दीं।


चूची चूसने से अब वो भी गरम हो गयी थी। उन्होंने मेरा पजामा खोल दिया और उसे उतरवा दिया, मेरा लोड़ा अब उनके हाथों में आ गया था।


मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, कितना साफ़ सुथरा लंड है।


थोड़ी देर बाद मैंने अपना कुरता भी उतार दिया और उन्हें लेटा कर उनके स्तन दबाते हुए होंट चूसने लगा। भाभी भी मुझसे चिपक कर मेरे होंट चूसने लगीं। हम दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में घुसी हुईं थीं।


भाभी बोली- अब तो नहीं रहा जा रहा है।


भाभी ने मुझे हटाया और अपना पेटीकोट उतार दिया, दूधिया रोशनी में उनकी गोरी गोरी मासल जाँघों के बीच में उनकी साफ़ सुथरी चूत चमक रही थी।


मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, उइ ! चूसने का मन कर रहा है।


मैं उनकी चूचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला- भाभी चूसो न !


नीरा भाभी ने मेरे सुपाड़े पर जीभ फिराई, लोड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगीं,


नीरा मुझसे बोलीं- मेरी चूत भी चूसो न !


मैं अब 69 में लेट गया। सच, साफ़ सुथरा बदन हो तो सेक्स का मज़ा दुगना हो जाता है, भाभी की चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।


5 मिनट बाद भाभी हट गईं और दीवार से टिककर उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कर लीं और बोली- चोदो राहुल चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा, आह तुमसे चुदने में मज़ा आ जाएगा।

मैने भाभी की चिकनी चूत पर मैंने अपना लोड़ा लगा दिया। भाभी ने मुझे अपने में भींच लिया। धीरे धीरे मेरा लोड़ा उनकी चूत में अंदर तक घुस चुका था।


मुँह एक दूसरे के मुँह में घुसा हुआ था। चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी और चूत मेरे लंड के झटके खा रही थी।


10 मिनट तक हमने जन्नत का मज़ा लिया। मैं जमकर भाभी की चूत की चुदाई कर रहा था।


इसके बाद मेरा वीर्य भाभी की चूत में छूट गया। हम लोग 10 मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे। भाभी ने उठकर तौलिये से मेरा लोड़ा साफ़ किया और हम बातें करने लगे।



रात में 12 बजे करीब मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। नीरा देखने में काली थी लेकिन चुदने में उसने चारु से ज्यादा मज़ा दिया था।


मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि अभी मुझे किरायेदार बने हुए एक महीना ही हुआ है। और दो दो चूत मुझे चोदने के लिए मिल गयीं। मुझे किरायेदार बनकर बड़ा मज़ा आ रहा था।


चारु घर पर नहीं थी, रविवार को मैं नीचे नीरा भाभी के साथ भाभी के बाथरूम में नहाने चला गया।


भाभी का बाथरूम अच्छा बड़ा था, भाभी ने पहले मुझे नंगा कराया और मेरे हाथ पीछे करके नल से बाँध दिए।


इसके बाद उन्होंने अपने कपड़े एक एक करके उतार दिए और मेरे सारे बदन पर अच्छी तरह से साबुन लगाने लगी। साबुन लगाते लगाते वो मेरे लंड तक पहुंच गए।


उसने झट से साबुन को छोड़ कर मेरे लोड़े को मुँह में ले लिया और शावर चला दिया।


मेरा बड़ा मन कर रहा था कि भाभी की जवानी से खेलूं, लेकिन मैं मजबूर था। उह आह की आवाजें मेरे मुँह से निकल रहीं थीं।


मेरा लोड़ा गरम हो रहा था। भाभी ने अपने हाथों से पकड़ कर उसे चूचियों के ऊपर फिराया। उसके चुचो के स्पर्श को मेरा लंड बर्दास्त नहीं कर पाया।


मेरा रस जब निकलने को हो रहा था। भाभी हट गईं एक तेज धार मेरे वीर्य की निकली जो उनकी चूचियों पर जाकर गिरी।


इसके बाद भाभी ने मुझे खोल दिया अब मेरी बारी थी।

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Re: पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

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मैंने उनके हाथ अपनी तरह से नल से बाँध दिए और उनकी चूचियाँ कस कस कर दबाने लगा। शावर खोलकर उनकी निप्पल नोच नोच कर कड़ी कर दीं और उनकी चूत के दाने को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा। भाभी की सिसकारियाँ गूंजने लगीं, चूत से पानी बहने लगा।


अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। उसकी चूत का जैसे चस्का लग गया था, मेरे लंड को। 10 मिनट बाद उन्हें मैंने खोल दिया हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।


मेरा लोड़ा उनकी चूत में घुस गया। 5 मिनट एक दूसरे से चिपक कर चुदाई का खेल खेलते हुए हम नहाए, उसके बाद अलग हो गए।


कपड़े पहन कर भाभी और मैं 1 से 4 मूवी देखने बाहर चले गए। जब हम शाम को मूवी देखकर घर आये, तभी भाई साहब का फोन आया उन्होंने बताया कि वो कुछ ही देर में घर पहुंच जाएंगे।


मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया। खाना तो हम बाहर खाकर ही आये थे। रात को भाईसाहब और बच्चे आ गए। मैं 10 बजे सो गया। एक अच्छे रविवार का अंत हो गया।


अगले दिन सुबह बाहर कुछ खट पट हुई तो मुझे लगा चारु आ गई है। मैंने झांककर देखा तो चारु का पति आकाश था। बाहर निकल कर मैंने हाल चाल पूछे।


आकाश के बदन से गन्दी बदबू आ रही थी और मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।


मुझे चारु की किस्मत पर दुःख हुआ।


बातों बातों में आकाश ने बताया कि चारु दो दिन बाद आएगी।


दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। चारु नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।

मैने दरवाज़े से झाँककर देखा। सच में चारु ही थी, वो अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने चारु को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।


थोड़ी देर में चारु नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी।


आज इतने दिनों के बाद चारु को फिर से नंगा देख रहा था में, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।चारु अपने पूरे शरीर पर साबुन घुमा रही थी, और उसी के साथ साथ मेरा हाथ मेरे लंड पर घूम रहा था।


रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।


नहाने के बाद चारु अपने कमरे में चली गई। फिर में भी तैयार होने चला गया। आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई और मेरी बाँहों में चिपक गई। मैंने उसका एक चुम्बन ले लिया।


चारु बोली- अरुण 2-10 की शिफ्ट में हैं। 15 दिन ये रात को 1 बजे आएँगे। तो मैं रात में आपसे बातें करुँगी इतना कहकर वो चली गई।


मैं ऑफिस चला गया। पूरा दिन ऑफिस में मन नहीं लगा। पता नहीं कैसा जादू सा कर दिया था, चारु ने मुझ पर, मुझे हमेशा उसी की याद आती थी।


जैसे तेसे आज का दिन खत्म करके में घर पहुंचा। चारु ऊपर अपने कमरे में नहीं थी। मेरे सिर में दर्द हो रहा था, अगर चारु होती तो में उसे चाय बनाने को बोलता।


लेकिन चारु तो थी ही नहीं, में नीचे की तरफ चल दिया। तभी मैने देखा कि चारु का दरवाजा बाहर से बंद है। लेकिन उस पर ताला नही लगा था।


मतलब चारु घर में ही थी। मैने सोचा वो भी नीचे ही होगी, तो में नीचे पहुंचा। कोई दिखाई नहीं दे रहा था। नीरा के अंदर वाले कमरे से कुछ आवाजें आ रहीं थीं।


में उसी तरफ चल दिया। मैंने कमरे का दरवाजा खोला। लेकिन ये क्या अंदर का नज़ारा देखकर मेरी आंखे फटी की फटी रह गयीं।


थोड़ी देर में उस अप्सरा को ऐसे ही देखता रहा। फिर एक दम जैसे मुझे होश सा आया। मैंने दरवाजा बंद किया और भागकर ऊपर आ गया।


मेरे सर का दर्द तुरंत गायब हो गया था। मैं जैसे ही ऊपर आया मेरे ठीक पीछे पीछे चारु भी ऊपर आ गयी। मैं उस से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। फिर भी मैने हिम्मत करके उसकी तरफ देखा।


वो खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुरा दिया।


चारु बोली- क्या काम था, नीचे कैसे पहुंच गए।


मैं बोला- अरे वो सिर में दर्द हो रहा था, तो तुम्हे ढूंढते ढूंढते पहुंच गया। वैसे वो थी कौन।


मेरे उस लड़की के बारे में पूछने पर चारु का चेहरा उतर गया। फिर भी वो खुश दिखने का ढोंग करते हुए बोली।


चारु बोली- वो नीरा भाभी की चचेरी बहन है। नीरा भाभी के देवर के लिए उसे पसंद किया है। इसलिए बुलाया है, कल वो लोग इसे देखने आएंगे यहीं पर।


मैं फिर बोला- हां वो तो ठीक है, लेकिन तुम लोग नंगी होकर क्या कर रही थीं।


चारु बोली- नंगी वो थी, मैं और भाभी तो सिर्फ बेठे थे।


मैं हँसते हुए बोला- हाँ तो तुम दोनों क्या उसका फिगर चेक कर रही थी।


चारु भी हँसने लगी और बोली- फिगर तो तुम चेक कर रहे थे। कैसे नज़रें ज़मा कर देख रहे थे उसे।


चारु फिर बोली- अभी अभी हम बाज़ार से आये थे शॉपिँग करके, तो वो अपने कपड़े चेक कर रही थी, कि तभी तुम पहुंच गए।


फिर चारु अंदर किचन में चली गयी और मैं कमरे में।
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रात को 10 बजे खाना खिलाने के बाद चारु मेरे पास आकर बैठ गई, उसने बिना ब्रा- पैंटी के मैक्सी पहन रखी थी।


मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी मैक्सी के सारे बटनों को खोलकर मैं उसकी चूचियाँ सहलाने लगा।


चारु बोली- चूत में खुजली बढ़ गई है।


मैंने उसके होंटों पे होंट लगाते हुए कहा- खुजली तो बढ़ेगी ही ! दवा तो तुम्हारी मेरे पास रखी है।


मैंने पलंग के नीचे से दवा निकाल ली और बोला- अपनी चूत रानी को खोलो, क्रीम लगा देता हूँ।


उसने अपनी मैक्सी उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी और जाँघों को चौड़ा करके मेरी गोद में बैठ गई, मैं अपनी उंगली से उसकी चूत में क्रीम की मालिश करने लगा।


चारु बोली- मामाजी के घर में खुजली कम हो गई थी लेकिन कल रात को ये चढ़ गए और चोदने लगे। 20 दिन से नहीं नहाए हैं, कुछ कहती हूँ तो मारने लगते हैं। मेरे पीछे सस्ती रंडी भी चोद आते हैं, बड़ी दुखी हूँ, बहुत गंदे रहते हैं।


मैने चारु से पूछा- तुमने ऐसे आदमी से शादी क्यों की।


चारु अपनी कहानी बताने लगी, बोली- मैंने घर से भाग कर शादी की थी, तब मैं 21 साल की थी। पापा की पोस्टिंग अहमदनगर में थी।


आकाश अहमदनगर में मेरे पड़ोस में किराए पर रहने वाली आंटी के भांजे थे, इनसे दो साल से मेरे सम्बन्ध चल रहे थे। इन्होंने मुझे ये बता रखा था कि ये एक कम्पनी में मैनेजर हैं।


हर शनिवार और रविवार को आंटी के घर आते थे। पापा ने अपने एक दोस्त के बेटे से मेरी शादी तय कर दी थी, तुम्हारी तरह बहुत सुंदर और एम बी ए लड़का था, मुझे भी पसंद था।


लेकिन मैंने अकाश के साथ सेक्स कर लिया था। मेरे मन में यह बात बैठी हुई थी कि जिसके साथ सेक्स कर लो, वो ही पति होता है।


इनसे शादी के लिए पापा मम्मी राजी नहीं थे, मैं इनके साथ भाग गई और इनसे शादी कर ली, माँ बाप ने नाता तोड़ लिया। मुझे धीरे धीरे इनकी असलियत पता लगने लगी ये दसवीं फ़ेल थे और बहुत दारु पीते थे।


जिस कम्पनी में मुझे ये मैनेजर बताते थे, उसमें ये मजदूर थे। अब मैं क्या कर सकती थी। मैं बी लिब पास हूँ।


"अगर मेरी शादी माँ बाप की पसंद से हो जाती तो मैं आज शायद बहुत खुश होती।” चारु बोलते बोलते रोने लगी थी।


मैंने उस लड़के का नाम पूछा लेकिन चारु ने मुझे नाम नहीं बताया। चारु की आँखों से आंसू बहने लगे।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पोंछे और होटों से होंट चिपका कर एक गहरा चुम्बन लिया। थोड़ी ही देर में वो भी अपना गम भूलकर मेरे रंग में रंग गयी। वो भी गरम होने लगी।


चारु ने मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख लिए और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ रख दिए। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। 10 मिनट तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ऐसे ही लेटे रहे।


इसके बाद चारु ने मेरी उंगली अपनी चूत में घुसवा ली और बोली- मालिश करिए ना ! आपसे मालिश करवाना अच्छा लगता है।


11 बज़ गए थे, सुरेखा ने मेरा पजामा खोल कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे हाथ उसकी चूत और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा पूरे मन से लोड़ा चूस रही थी।


लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने का था। डॉक्टर ने मना कर रखा था, इसलिए में उसे चोद भी नहीं सकता था। थोड़ी देर बाद उसे उठाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया।


नंगी होकर चारु किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसकी चूचियाँ दबाते हुए मेनें अपना लंड उसकी चूचियों के बीच घुसा दिया।


उसकी चूचियों के बीच ही में चुदाई करने लग गया। थोड़ी देर की, इस चुदाई के बाद ढेर सा वीर्य उसके बदन पर गिर गया।


5 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे उसके बाद उसने उठकर अपना बदन साफ़ किया और मुझसे चिपक कर एक पप्पी ली और अपनी मैक्सी पहन कर अपने कमरे में चली गई।

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