गद्दार देशभक्त complete

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kunal
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Re: गद्दार देशभक्त

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लगभग सभी ने-कुछ ने मन से और कुछ ने अनमने मन से अपनी सहमति दर्शाई ।


"आल-राइट ।" नारंग पटाक्षेप करने वाले अंदाज में अपने दोनों हाथ उठाता हुआ बोला-----" मैं मुस्तफा की रिहाई के कागजात पर दस्तखत कर रहा हू। आगे की कार्यवाही चांदनी सिह के सकुशल वापस आ जाने के बाद ही अंजाम दी जाएगी ।”

इंटरपोल के अफ़सर का पूरा नाम ब्रॉन कार्टर था । वह पैंतालीस साल का एक मजबूत कद-काठी वाला गोरा-चिट्टा अंग्रेज था, जो इंटरपोल की भारतीय शाखा में तैनात था ।


उन दिनों उसकी पोस्टिंग मुम्बई में थी ।


"जी जनाब ।" औपचारिकताओं के बाद होलकर ने कार्टर से सवाल--किया-------"तशरीफ़ लाने की वजह फ़रमाएं ।"


“हमारा वजह वहुत अहम है ।" वॉन कार्टर टुटी फूटी हिंदी मे बोला बोला----"पिछले दू मंथ में आपका मुत्क में एक दो नहीं पुरे तीन-तीन विदेशियों का मर्डर हुआ है और हमारा इंटरपोल की रिपोर्ट कहता है कि अभी उन तीनों मरने वालों में से किसी की भी पहचान नहीं हो पाया है ।"


" और फारेनर के केस में ऐसा तभी सम्भव है जबकि मरने वाला अवेैध रूप से में दाखिल हुआ हो ।" होलकर बोला…“मततब वह फर्जी बीजा पर मुल्क में आया हो!"


“आई नो ।"


"क्या इंटरपोल के पास कोई इन्फारमेशन है?"



"तभी तो हम खुद यहाँ आया ।"


"क्या इन्फारर्मेशन है अपके पास?"


"जो तीन फारेनर का मर्डर हुआ, उनमें से दो का हमारे पास कम्प्लीट इन्फार्मशन है । एक जो सबसे पहले मरा और दूसरा जो हॉल ही में मरा । वट बीच वाले के बोरे में हमेँ अभी तक कोई खबर नहीं लग पाया है ।"



होलकर अधीर होकर बोला----“जो आपको मालूम है, बही बताएं? कौन है वे दोनों ?''



"एक तो हमारे अपने मुल्क ब्रिटेन का ही था, उसका नाम फेजर था । दूसरा कनाडा से था, उसका नाम टॉमस था । ये दोनों है नांन क्रिमनल थे और साइबर क्राइम के इंटरनेशनल अंडरवर्ल्ड से जुड़े थे । दोनों कुख्यात कम्पूटर हैकर थे, जो अकेले अपने'अपने मुल्कों में ही नहीं, दुनिया के कई दूसरे मुल्कों में भी साइबर क्राइम की कई वड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके थे और उन सभी मुल्कों की पुलिस को बेहद सरगर्मी से इनकी तलाश है ।"

होलकर सन्नाटे में आ गया ।


तो उन तीनों विदेशियों में से दो दुनिया के माने हुए कम्यूटर हैकर थे । तीसरे की भले ही शिनाख्त नहीं हो सकी हो, लेकिन अब उसे पुरा यकीन था कि वह भी कम्यूटर हैकर होना चाहिए था ।


चौथा राजा चौरसिया भी कुख्यात कम्यूटर हैकर था, तो क्या अब राजा चौरसिया की जान को भी खतरा था?



वह कौन था जो दुनिया भर के उन नामचीन कम्यूटर हैंकरों को हिंदुस्तान बुला रहा था और फिर उनका कत्ल कर रहा था ?



“क्या हुआ ब्रदर ?"' होलकर को सोच में तल्लीन देखा तो कार्टर ने उसे टोका---तुम किस सोच में डूब गया?"



“क्या यह सोचने वाली बात नहीं मिस्टर कार्टर कि साइबर अंडरवर्ल्ड की दुनिया के तीन-तीन कुख्यात कम्यूटर हैकर लगभग एक ही वक्त में भारत क्यों आए ?"


"क्यों आया?"


"आप बताएं जनाब । सवाल मैंने आपसे किया है । बैसे भी यह आपका फील्ड है । आ इंटरपोल की साइबर शाखा से सम्बंध रखते हैं । ऐसे मामलों का आपको खास प्रशिक्षण दिया जाता है ।”



“मेरे एक्सपीरियंस के मुताबिक वे लोग खुद इंडिया नहीं आए होंगे । उन्हें यहाँ से जरूर किसी ने इन्वाइट किया होगा ।"


“किसलिए ?"


"अपना काम कराने के लिए?"



"कैसा काम? "



"आफ्टर अाल, काम तो डेफिनेटली वही होना चाहिए, जिसके कि वे दोनों या तीनों माहिर थे ।"


"मतलब यह साइबर क्राइम की दुनिया से सम्बंध रखने वाला कोई काम होगा । कम्यूटर हैकरों की यहां बुलाने वाला शख्स उनके जरिए किसी बडे़ साइबर क्राइम को अंजाम देना चाहता होगा?"


“करेक्ट ।"



" ऐसा क्या काम हो सकता है?”


"ये भला हम कैसे बता सकता है ब्रदर आज सारी दुनिया ही साइबर और टेक्नोलॉजी की धुरी पर घूम रही है । फाइनेंस, बैंकिग, एयरवेज, डिफेंस और प्राइवेट सेक्टर सहित दुनिया के हर महत्त्वपूर्ण सेक्टर में कम्यूटर सरवर का व्यापक नेटवर्क फैला हुआ है और उनमें से हर सेक्टर हमारे लिए लाईफ लाइन जैसी अहमियत रखता है । ऐसे में साइबर क्रिमनल्स के लिए चौतरफा वहुत बड़े स्कोप हैं, जिसमें वे अपने आश्चर्यजनक हुनर का इस्तेमाल करके फायदा उठा सकते हैं । यह अंदाजा लगाना काफी डिफीकल्ट होगा कि उन हैकरों को यहां किस काम के लिए बुलाया गया होगा और यदि बुलाया गया था तो अपना काम पूरा करके वे वापस अपने मुल्क क्यों न लौट गए? उन सबको बेरहमी से कत्ल क्यों कर दिया गया?"



"शायद वे अपना काम पूरा करने में नाकाम साबित हुए हो"'



"दोनों? या तीनों?"

"और क्या? तभी तो दूसरे और तीसरे को बुलाने की नौबत आई । अगर पहला हैकर फैजर ही कामयाब हो गया होता तो दूसरे तथा तीसरे हैकर को बुलाने की नौबत ही क्यों आती!"



“लेकिन उनका मर्डर. . .



"उसकी वजह सीक्रेसी हो सकती है । काम कराने वालो तो आशंका होगी कि हैकर काम की प्रकृति और उसकी तमाम सीक्रंसी जान चुके हैं । ऐसे में यह उसे आगे कहीं पास आँन कर सकते है । वैसे भी वे फर्जी आइडेंटिटी और बीजा पर भारत अाए थे, लिहाजा उनकी पहचान करना आसान न था । ऊपर से वे कई मुल्को के मोस्ट वांटेड थे । इन हालात में उनका कत्ल कोई समस्या नहीं थी ।"



“इसका उलटा भी तो हो सकता है ब्रदर ।"



" मतलब ?"


"क्या यह मुमकिन नहीं कि उन तीनों ने अपना-अपना काम पूरी कामयाबी से मुकम्मल कर दिया हो । और तव काम कराने वाले को यह खतरा लगने लगा हो कि हैकर उसके काम की सीक्रेसी से वाकिफ हो चुके हैं और जब भी उनका दांव लगेगा, उसे नुकसान पहुचा सकते हैं या उसे ब्लैकमेल कर सकते है । लिहाजा उसने ऐसे हालात से बचने के लिए उनका मर्डर कर दिया हो ।"

" ऐसा होता तो तीन-तीन हैकरों को बुलाने की क्या जरूरत थी?" होलकर बोला----'"हालात में तो पहले हैकर अर्थात् फेवर को ही भारत बुलाया गया होता और उसका काम मुकम्मल हो जाने के बाद उसे कल्ल कर दिया गया होता । किस्सा खत्म । फिर दूसरे तीसरे और चौथे हैकर को एंगेज करने की क्या जरूरत थी!"
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Re: गद्दार देशभक्त

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"हूं !" कार्टर ने सोचपुर्ण ढंग से हुंकार भरी…“मगर तुमने चौथे हैकर का जिक्र क्यों किया?"



''क्योकि मेरे खयाल से, जिस शख्स को कोई बडा़ साइबर क्राइम कराना है, उसने चौथे हैकर को दूंढ़ निकाला है और आजकल यह चौथा हैकर उसके सम्पर्क में है ।"



"ओ गॉड! यह चौथा कौन है?"



“वह इसी मुल्क का बाशिंदा है । नाम है राजा चौरसिया ।"



" यह नाम मेरा सुना हुआ है । अभी हाल ही में इसने तुम्हारे इंडिया के ब्रेकिंग सैक्टर को हैक करके कई सौ करोड़ लूट लिए थे ।"



" उसी की बात कर रहा है ।"



“और यह कह रहे हो कि राजा चौरसिया इस वक्त उस डेंजरस पर्सन के साथ है, जो पहले के तीन-तीन हैकरों का कातिल है?”



"हालात तो कुछ ऐसा ही कह रहे हैं ।"


"क्या तुम उस डेंजरस पर्सन को जानते हो?"


"जानता होता तो वह इस वक्त सलाखों के पीछे होता ।"


"फिर? "


"मेरी मालूमात पुख्ता है । हम इस केस पर यू ही अपना वक्त बरबाद नहीं कर रहे । कुछ तो क्लू हमने हासिल किए हैं ।"



“लेकिन इसका मतलब तो ये हुआ कि राजा चौरसिया की जान भी खतरे में है । यदि वह डेंजरस पर्सन का काम नहीं कर पाया तो उसे भी कत्ल कर दिया जाएगा?"



" हां ; अगर ।" होलकर ने 'अगर' शब्द पर खास जोर दिया था------"चौरसिया उसका काम करने में नाकामयाब हो जाता है तो? बहरहाल, सीक्रेसी वाले पाइंट अॉफ व्यू से हालात का स्पष्ट इशारा यही है । वैसे भी, जो शख्स पहले भी तीन-तीन कल्ल कर चुका है, उसके लिए चौथा कत्ल करना कोई बड़ी बात नहीं होनी ।"

"यह तो फिक्रमंद करने वाली बात है । क्या यह सब जानने के बाद भी तुम चौरसिया का कत्ल हो जाने दोगे ?"



“हम उसे रोकने की पूरी केशिश करेंगे ।"


"मगर काम के बारे में. . .मेरा मतलब उस काम के बारे में क्या तुम्हारा कोई अंदाजा हेै…जो डेंजरस पर्सन हैकरों से करवाना चाहता है?"



"फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन यह तय है कि इस मुल्क में कुछ होने वाला है । साइबर की दुनिया के शैतान एक बार फिर किसी हिला देने वाली घटना को अंजाम देने के फिराक में है ।"



"आल-राइट आफिसर । अब मैं इजाजत चाहता हूं !”



“थेंक्यू। लेकिन उस तीसरे शख्स के बारे मे, जिसकी अभी शिनाख्त नहीं हुई है, अगर इंटरपोल को कोई जानकारी हासिल होती है तो कृपया उसे मेरी नालिज में लाना मत भूलना !"



"नहीं भूलूंगा ।" कहने के वाद कार्टर वहां से रुखसत हो गया ।



तभी इंटरकाम बजा ।


"यस ।" होलकर रिसीवर कान से लगाकर बोला ।



"होलकर ।" दूसरी तरफ से आईबी के चीफ़ बलवंत राव का स्वर उसके कान से टकराया…“फोंरन मेरे पास पहुचों ।"



" आल-राइट सर ।" होलकर तत्परता से बोला ।



यह मन-ही-मन चौकन्ना हो गया था ।



उसे खुद बलवंत राव ने फोन करके बुलाया था ।


मतलब साफ था कि काम निहायत ही अहम था ।
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Re: गद्दार देशभक्त

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पांच मिनट बाद होलकर बलवंत राव के आँफिस में उसके सामने बैठा था, जो कि आईबी की उसी इमारत में टाँप फ्लोर पर स्थित था । बलवंत राव की गम्भीर और फिक्रमंद भाव भंगिमा ने ही उसे बता दिया था कि मामला उसकी उम्मीद से ज्यादा संजीदा था ।


बलवंत राव ने उसे बैठने का इशारा नहीं किया ।



"चांदनी सिंह का केस तुम्हें पता ही होगा आँफिसर?" बलवंत राव एक सिंगार सुलगाता हुआ बोला ।




"यस सर ।" होलकर ने संक्षिप्त सा जवाब दिया-------"' पता है । यह एक चौंका देने वाली आतंकी वारदात है । टेरेरिस्टों की मांग को पूरा नहीं किया जा सकता । मुस्तफा एक खूंखार आतंकी है ।"



“फैसला हो चुका है आफिसर । मेरे पास अभी-अभी दिल्ली से फैक्स आया है । सरकार ने टेरेरिस्टों की मांग को मानने का फैसला कर लिया है ।"



"ओह नो! यह ठीक नहीं हुआ सर ।" कल्याण होलकर व्याकुल हो उठा-------" यह नहीं होना चाहिए था । मुस्तफा की गिरफ्तारी में आईबी का भी वहुत बड़ा योगदान था । सरकार का यह फैसला हमारे जासूसों का मनोबल गिरा देगा ।"



"फैसला हो चुका है होलकर । चांदनी इस मुल्क के अपोजीशन के लीडर की बीबी है । सरकार चाहकर भी उसकी जान दांव पर नहीं लगा सकती । सरकार ने वहुत सोच समझकर और मामले के हर पहलू पर विचार करने के बाद फैसला लिया है ।”



“फिर भी मुझे यकीन नहीं हो रहा सर ।"



"हम हुक्मरान नहीं हैं । सरकार के मुलाजिम हैं----सिर्फ मुलाजिम । न हमें फैसले लेने का अधिकार हैं न ही सरकार के पर टीका-टिप्पणी करने का । हमारा काम सिर्फ और सिर्फ हुक्म बजाना है । जो ओँर्डर दिया जाए, उसे फालो करना है ।"


“जी।"


“टेरेरिस्टों के मुताविक चांदनी सिह इस वक्त मुम्बई में है और सरकार के साथ का जो सौदा हुआ है, उसके मुताबिक मुस्तफा और चांदनी की अदला-बदली के लिए उन लोगों ने मुम्बई ही चुना है ।”


“मुम्बई को क्यों?"


“असलियत तो खेर दहशतगर्द ही जाने लेकिन मेरा अनुमान ये है कि उन्होंने मुम्बई को इसलिए चुना है क्योंकि मुस्तफा के साथ यहां से सुरक्षित अपने मुल्क भी वापस लौटना है और ऐसा सुरक्षित रास्ता केवल समुद्र ही हो सकता है, जो कि दिल्ली में नहीं है ।"



"माफ करें सर । मुझे यह बात हजम नहीं हो रही ।"


"कोन-सी? "
"टेरेरिस्टों के अपने मुल्क सुरक्षित लौटने वाली बात । अगर ऐसा था तो टेरेरिस्टों को चांदनी को लेकर अपने मुल्क चले जाना चाहिए था और वहीं से यह डील करनी चाहिए थी । उन्हें मुस्तफा को पाकिस्तान बुलाना चाहिए था, जैसे विमान अपहरण 'कंधार' बुलाया था । अगर ऐसा होता तो मेरी गारंटी है कि हमारी सरकार इंकार नहीं करती । वे मुस्तफा को प्लेट में सजाकर इस्लामाबाद या लाहौर ले जाते और उसे यहीं परोसकर चांदनी को वापस ले आते !" होलकर के लहजे में अजीब-सा रोष था ।



"मैं तुम्हारे तंज को समझ रहा हूं आंफिसर । लेकिन मत भूलो कि पाकिस्तान अगर ऐसा करता तो विश्व बिरादरी में बदनाम हो जाता । तब उसका असली चेहरा खुलकर दुनिया के सामने अा जाता, जो अभी नकाब के अंदर छुपा हुआ है । इसीलिए कंधार कांड के वक्त उसने हमारे विमान को पाकिस्तान की जगह अफगानिस्तान की धरती पर उतारा था । जहाँ उसी के इशारों पर चलने वाली तालिबानी सरकार काम कर रहीं थी ।"



"अफगानिस्तान के हालात अभी भी वहुत ज्यादा नहीं बदले हैं । अगर पाकिस्तान चाहता तो यह डील वहां भी कर सकता था ।"



" तुम आखिर कहना क्या चाहते हो आफिसर?”



"" खुद नहीं समझ पा रहा सर कि मैं क्या कहना चाहता हूं और ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि यह सोचकर मेरी खोपडी़ बुरी तरह भन्नाई हुई है कि एक बार फिर मेरे प्यारे देश की प्यारी सरकार ने दहशतगर्दों के सामने घुटने टेक दिए है ।"



"खुद को सम्भालो ओंफिसर ।"


"सॉरी सर । खैर. . . मुझे यहां क्यों बुलाया गया है?"



इस डील को अंजाम देना होगा । मुस्तफा को टेरेरिस्टों के हबाले करके चांदनी सिंह को उनके चंगुल से सुरक्षित निकालकर लाने की जिम्मेदारी तुम्हारी होगी ।"



"म.. मुझे?" होलकर की आंखे सिकुड़ी । आश्चर्य पराकाष्ठा पर पहुच गया'--“मुझे इस डील को अंजाम देना होगा?"
"हां । मैंने यह फैसला किया है कि इस काम को तुम्हे ही अंजाम देना होगा । अपनी टीम चुनने के लिए तुम आजाद होगे, काम में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए । मुस्तफा के छूट जाने का हमे कोई गिला नहीं, लेकिन चांदनी मेैडम को कुछ नहीं होना चाहिए । उनकी सलामती पर अांच नहीं आनी चाहिए । बोलो, इस काम को तुम कामयाबी से अंजाम दे सकोगे?”



"पहले तो मैंने कभी ऐसे किसी काम को अंजाम नहीं दिया ।"



"इसीलिए इतने हैरान हो?"



"क्या मेरा हैरान होना गलत है सर? क्या मुझे हैरान नहीं होना चाहिए? यह एक निहायत ही अहम मिशन है, जिसके लिए किसी बेहद तजुर्बेकार कमांडर की जरूरत है, जो पहले भी ऐसे कामों को अंजाम दे चूका हो और अनुभवी कमांडर आईबी में भरे पड़े हैं । फिर भी उन्हें छोड़कर आईबी इस काम के लिए मुझे अप्रोच कर रहीं है, यह वहुत ज्यादा हैरानी की बात है?”



“बलवंत राव ने शुष्क स्वर में कहा---;-"मैं इस मिशन के लिए आईबी के किसी उच्च अधिकारी को नहीं न सकता ।"



“क्यों सर?" होलकर की हैरत बढ़ ।



"क्योंकि मुस्तफा को पकड़ने में आईबी के ऐसे तीन-तीन अफसरों ने अपनी जिन्दगी की कुर्बानी दी थी । मुस्तफा को रिहा करने का सरकार का फैसला जिस तरह तुम्हारे गले नहीं उत्तर रहा, उसी तरह तुमसे ऊंचे ओहदे के अधिकरियों के भी गले नहीं उत्तर रहा । बल्कि यह तो सरकार के इस फैसले पर वहुत आक्रोश में हैं और बुरी तरह से भड़के हुए हैं । उनमें भारी असंतोष का माहोल है । सिर्फ डिसिप्लीन के कारण जुबान नहीं खोल रहे हैं । ऐसे सम्बेदनशील हालात में यदि यह काम उसे सौंपा जाता है तो कायदे कानून से अंधे होने के कारण वे ओंर्डर को फालो करने से इंकार तो नहीं कर सकते । लेकिन मैं जानता हूं कि उनके अंदर का आक्रोश और असंतोष उन्हें ईमानदार नहीं रहने देगा…उन्हें निष्ठावान नहीं रहने देगा । मुमकिन है अपने अंदर के आक्रोश के कारण वे कोई ऐसा कदम उठा बैठे जो उसे नहीं उठाना चाहिए । तुम मेरा मतलब समझ रहे हो न?”


"समझ रहा हूं सर ।"

“इसीलिए इस मिशन के लिए मुझे पुराने और अनुभवी कमांडर की वजाय नए और अपेक्षाकृत कम अनुभवी कमांडर की जरूरत है, जो कि तुम हो । वैेसे भी चान्दनी के केस में सरकार की नीयत साफ है । न तो कोई खोट है, न ही कोई धोखा या दांव-पेच है । हमें चांदनी मेडम जिंदा चाहिए । मैं जानता हूं कि तुम इस कामको बेहतर अंजाम दे सकते हो । इसीलिए मैंने तुम पर भरोसा किया है और इस काम के लिए तुम्हें चुना है ।"



होलकर अपलक बलवंत राव को देखता रह गया । वहुत कुछ कहने की इच्छा के बावजूद कुछ कर नहीं सका वह ।
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Re: गद्दार देशभक्त

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बलवंत राव ने निर्विकार भाव से कश लगाया ।



"मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए आँफिसर ।" थोडी चुप्पी के बाद बलवंत राव बोला…“क्या तुम्हें यह चुनौती स्वीकार है ?"


"चुनौतियां स्वीकार करने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता हूं सर ।" वह दृढ़तापूर्वक बोला ।



"गुड । पर याद रखना!" एकाएक बलवंत राय के लहजे में चेतावनी का पुट उभर आया था…“तुम्हें वैसी कोई गलती नहीं करनी है जैसी की आशंकाओं के कारण यह मिशन सीनियर को नहीं सौंपा जा रहा है । तुम्हें अपने जजबातों पर काबू रखना है ।"



यह केवल इतना ही कह सका…“कोशिश करूंगा सर ।"


बलवंत राय कुछ बोला नहीं । केवल देखता रहा उसकी तरफ ।



उसकी तरफ़, जिसने पूछा--""मुस्तफा और चांदनी सिह की अदला-बदली के लिए टेरेरिस्टों ने कौन - सी जगह मुकर्रर की है?"



अभी कोई नहीं । मेरा खयाल है कि जगह के बारे में वे ऐन वक्त पर बताएंगे, ताकि हमे चालाकी दिखाने का मौका न मिल सके ।"

" हूं !

"

"मिशन की तैयारी के लिए जो भी होमवर्क करना चाहो, कर सकते हो लेकिन यह बात जेहन में रखना कि चांदनी सिंह का बाल भी बांका न हो पाए । ऐसा हो गया तो तुम समझ सकते हो कि देश की पालिटिक्स में कितना बडा बवंडर उठ खड़ा होगा ।"



"क्या आईबी के पास कोई इनसाइड इन्कारमेशन है कि चांदनी सिंह को कुछ हो सकता है?"

"नहीं । हमारे पास ऐसी कोई इनसाइड इन्यारमेशन नहीं है । लेकिन मुझे. . .मुझे यह अंदेशा है कि वह टेरेरिसट----खासतोर पर मुस्तफा चांदनी सिह को नुक्सान पहुंचा सकता है ।"



"क्या मैं आपके अंदेशे की वजह जान सकता हूं?”



“बाकी टेरेरिस्टों का तो मुझे कुछ पता नहीं है, लेकिन जो सामने है और जिसके लिए चांदनी सिह को अगवा किया गया है, उसे मैं बखूबी जानता हूं ! वह एक निहायत ही खूंखार और इंतहाई जनून पसंद शैतान है, वह एक खतरनाक जुनून के हवाले है । वह न हमसे डरता है, न अपनी मौत से ।"



"सुना तो मैंने भी है ।"



"वह सालों से हमारी कैद में है । उसने हर दिन जेल की नारकीय यातना को भुगता है । कहने का मतलब यह कि मुस्तफा की हालत इस वक्त एक जख्मी शेर या घायल सांप से कम नहीं होगी । उसके अंदर दोहरा प्रतिशोध धधक रहा है, जो यहां जाने के बाद मैंने खुद उसकी आंखों में देखा है । ऐसे खूंखार भेडि़यों के बारे में मेरा तजुर्बा कहता है कि वह किसी भी हालात में चुप नहीं बैठ सकते । मुस्तफा भी चुप नहीं बैठेगा । वह कुछ-न-कुछ करेगा और जरूर करेगा ।"


"ओहा और आपको अंदेशा है कि मुस्तफा का वह कदम चांदनी मेडम के खिलाफ हो सकता है?"



"क्योंकि उस वक्त केवल वही उसके सबसे करीब होगी और चांदनी सिंह की अहमियत से वह भी अंजान नहीं होगा ।"



“मैं समझ गया । जव तक चांदनी मेडम सुरक्षित हमारे हाथ नहीं अा जाती, हम मुस्तफा को हरगिज रिहा नहीं करेगे ।"



"टेरेेरिस्ट यहीं शर्त रख सकते हैं । पलड़ा दोनों तरफ़ बराबर होगा । वैसे भी, ऐसी डील का टेरेरिस्टों को ज्यादा तजुर्बा होता है । मुस्तफा वहुत शातिर इंसान है । वह हालात का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है । मेरा मतलब समझ रहे हो न?"



"हालांकि यह मुझ आंफिसर के ओहदे और तजुबे से काफी बड़ा मिशन है सर । लेकिन मैं आपका यकीन नहीं टूटने दूंगा । अगर चांदनी मेडम अभी तक सलामत हैं तो आगे भी सलामत ही रहेंगी । मुस्तफा या कोई भी दहशतगर्द उसे नुकसान नहीं पहुचा पाएगा ।"


मैं तुम्हारे मुंह से यही सुनना चाहता था अगले प्रोग्राम की खबर बहुत जल्द तुम तक पहुच जाएगी !"


" थैक्यू सर !" एकाएक ऐसा लगने लगा था जैसे होलकर को इस मिशन पर अपनी तैनाती रोमांचित कर रही हो !

नगमा बाथरूम से बाहर निकली ।


उस वक्त उसके जिस्म पर केवल एक टॉवल लिपटा हुआ था । उसने उसके वक्षों से लेकर कमर के नीचे तक के हिस्से को ढक रखा था । उसके ऊपर तथा नीचे के जिस्म का समूचा हिस्सा नग्न था । उस पर झिलमिलाती पानी की बुंदों को साफ देखा जा सकता था ।



उसका चमचमाता चेहरा अाकर्षक घुला, निखरा तथा गुलाब की तरह तरोताजा नजर आ रहा था, उस पर नहाने के तुरंत बाद की ताजगी खिली हुई थी । भीगे बाल अधनंगी पीठ पर बिखरे हुए थे ।



वह एक फाईव स्टार होटल का डीलक्स सुईट था, जहाँ उस रात वह राजा चौरसिया के साथ ठहरी हुई थी, सारी रात दोनों एक ही विस्तर पर पति-पत्नी की तरह सोये थे ।



नगमा निसंदेह वही लड़की थी, जिसे याना पब में पहले एक विदेशी कम्यूटर हैकर के साथ और फिर देसी कम्यूटर हैकर राजा चौरसिया के साथ मौज मस्ती करते देखा गया था ।




राजा चौरसिया सुईट में ही मौजूद था और एक इंजी चेयर पर पसरा हुआ था । उसने अपने कानो से ब्लू टूथ से कनेक्ट होने वाला विना वायरों वाला हेडफोन चढा़ रखा था, जिससे कनेक्ट मोबाइल उसकी जेब में पड़ा था ।



वह पूरी मस्ती के साथ हेडफोन पर म्यूजिक सुन रहा था ।
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नगमा के रूप में बाथरूम से बाहर निकली कयामत को देखते ही उसकी म्यूजिक मस्ती ब्रेक हो गई । नजरे यूं नगमा पर चिपक गईं जैसे फेवीक्रोल से चिपका दी गई हो ।


नगमा के होंठों पर दिलफरेब मुस्कराहट उभरी ।


“खबरदार ।" वह वक्षो पर बंधे टॉवल की गांठ थामे दो कदम पीछे हटती बोली…"खबरदार राजा । आगे मत बढना वरना-------

राजा शरारती अंदाज में मुस्कुराया----"वरना क्या करोगी ?"


" वापस बाथरुम में चली जाऊंगी !"


चौरसिया हंसता हुआ बोला---" और फिर क्या सारी उम्र बाथरूम के अंदर ही बैठी रहोगी ?"


" ओह नो ! यह ठीक नहीं है ! मैं अभी-अभी नहाकर आई हूं और अब फौरन ही दोबारा नहाना नहीं चाहती ! प्लीज , वक्त का भी ख्याल करो !"



" वक्त का क्या ख्याल करूं ?"



" सुवह के दस बजने वाले है और ठीक ग्यारह बजे नवाब से तुम्हारी मीटिगं है ! नवाब वक्त का बहुत पाबंद है !"



इस बार चौरसिया चुप रह गया !


जैसे जेहन को झटका लगा हो !


" मैं चेंज करके आती हूं ! तब तक तुम म्युजिक का आंनद लो !" कहने के बाद वह इठलाती हुई चेंजरूम में चली गई !



अचानक ही चौरसिया जाने किस सोच में डूब गया था !


थोड़ी देर बाद नगमा बापस आई !


अब उसके बदन पर नई खरीदी हुई जींस थी और कसी हुई टॉप थी !


छलकता यौवन , गालों की लालिमा , आंखों में चंचलता तथा होंठों पर मंद मंद मुस्कान थिरक रही थी !


" चलें ?" उसने चौरसिया से पुछा !


" कहां ?" नवाबजादे के पास ?"


" अभी तो मेरा मतलब ब्रेकफास्ट से था ! डायनिंग में........


" उससे पहले मेरे एक सबाल का जबाब दो !"


" सबाल ?"


" नवाब को कब से जानती हो ?"


" अगर मैं कहूं कि पिछले तीन साल से तो क्या तुम्हारे पास यह जानने का कोई तरीका है कि मैं सच बोल रही हूं या झूठ ?"


" नही !"
" तो फिर क्या फायदा !" उसने कंधे उचकाये !



" तुम जितनी खूबसूरत हो , उतनी ही स्मार्ट भी हो !"



" तारीफ के लिए शुक्रिया !"



" एक और सबाल !"



" तुम तो यार खुद ही सबाल बनते जा रहे हो !"



" क्या तुम सब अपनी मर्जी से कर रही हो ?"


" क्या सब ?"


" जो मेरे साथ रात किया !"


" अरे क्या सब हो गया है तुम्हें ? कैसे कैसे सवाल घुमड़ रहे है खोपड़ी में और क्यों ! मैं अपनी मर्जी से खुद को लुटा रही हूं ! पिछली रात वह सब मैंने पहली बार नही किया ! वह सब मेरी डयूटी का ही एक हिस्सा है ! मुझे भरपुर किमत मिलती है !



" नबाव से !"


"और क्या ! मै उसी के लिए काम कर रही हूं !" नगमा हर बात पूरी बेवाकी से कर रही थी !....


चौरसिया नगमा के चेहरे पर झुका और एक एक शब्द को चबाता हुआ बोला------" तुम अपने पति के लिए काम कर रही हो !"


" क्या ?" नगमा हकबकाई । उसके चेहरे का रंग उड़ गया था------"म...मेरा पति ?"



" तुमने अपने चेहरे पर भले ही चाहे जितने चेहरे चढ़ा रखे हो स्वीट हार्ट, लेकिन सच ये है कि तुम एक शादी शुदा औरत हो और तुम्हारा पति हस्पिटल में है ! वह एक लाइलाज और जानलेवा बीमारी का शिकार है ! उसे खून का कैंसर है , जिसके बारे में हर कोई जानता है वह ठीक नहीं हो सकता , भले ही उसके ईलाज में चाहे जितनी दौलत क्यों न बरबाद कर दी जाए! तुम भी जानती हो ! मगर तुम अपने पती से बेइंतहा मुहब्बत करती हो और तुम्हारा दृढ़ विश्वास है कि एक दिन तुम्हारा पति ठीक होजाएगा ! मौत हार जाएगी और तुम्हारा प्यार जीत जाएगा ! इसीलिये........"



" इ.....इसीलिये क्या ?"

" इसीलिये तुम मुम्बई के सबसे महंगे अस्पताल में उसका इलाज करा रही हो , वहां तुम्हारे पति के इलाज का बिल लगभग चार लाख रूपए महीना आता है---चार लाख रूपए महीना ! सुना तुमने ?"



" क......कैसे मालूम हुआ तुम्हें यह सब ?"



" हैरान हो गई ना !"



" तुमने जरूर मेरे कपड़ों में कहीं माइक्रोफोन छुपा रखा है !"



" पहले भी कह चुका हूं तुम जितनी सुंदर हो , उतनी ही स्मार्ट भी हो !" चौरसिया के होठों पर भेद भरी मुस्कान उभरी------" तुमने कल जो जींस पहन रखी थी , मैने उसकी पिछली जेब में एक माइक्रोफोन छिपा दिया था !"



हकबकाई हुई नगमा के मुंह से निकला ------" तुमने ऐसा क्यों किया ?"



" क्योकि मेरे साथ भी बहुत कुछ हो रहा है !"



" तुम्हारे साथ क्या हो रहा है ?"



" उस पर बाद में चर्चा करेंगे , फिलहाल वो सुनो जो मैं कह रहा हूं !" वह सपाट लहजे में कहता चला गया ------" और कह मैं यह रहा हूं कि कल तुमने मेरी गैरहाजिरी में नवाब सहित जिस किसी से भी बातें की , उसे मैंनें अपने मोबाइल पर सुना था ! उन सभी फोन कॉल्स को मैंनें बाकायदा अपने फोन में रिकार्ड भी कर लिया है ! कल शाम तुम्हारे पास उस हस्पताल से फोन आया था जहां तुम्हारे पति भर्ती हैं ! तुम्हारे पति के इलाज का इस महीने का बिल चार लाख छब्बीस हजार बनता है , जो तुमने अभी चुकाया नहीं है ! वह फोन सुनकर ही मझे ये सारी बातें मालुम हुई ! उसकी रिकार्डिंग भी मेरे पास सेव है ! सुनाऊं ?"



" नहीं ! ज.....जरूरत नहीं है !" नगमा जल्दी से कह उठी थी------"अ.....अगर ऐसा है तो तुमने मेरी वे सभी दुसरी फोन कालें भी सुनी होगीं , जो कल मेरे मोबाइल पर आई थी ?"



" क्यों नहीं !" चौरसिया बड़ी सादगी से बोला------" उनमें से एक काल नवाब की भी थी लेकिन धबराओ मत , तुम जानती हो कि उस काल में नवाब ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था जो तुम्हें फिक्रमन्द करने वाला हो ! वह एक ओपचारिक काल थी, मुझे खुश रखने के लिए कहा गया था ! अन्य काल के बारे में भी ऐसा ही था !"

" क्यों नहीं !" चौरसिया बड़ी सादगी से बोला------" उनमें से एक काल नवाब की भी थी लेकिन धबराओ मत , तुम जानती हो कि उस काल में नवाब ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था जो तुम्हें फिक्रमन्द करने वाला हो ! वह एक ओपचारिक काल थी, मुझे खुश रखने के लिए कहा गया था ! अन्य काल के बारे में भी ऐसा ही था !"



नगमा को याद आया , चौरसिया सच कह रहा था । कल उसकी किसी से भी गोपनिय बात नहीं हुई थी ! उसके चेहरे पर थोड़ी राहत के भाव आए लेकिन चौरसिया की महज उतनी ही हरकत ने उसे बता दिया था कि वह किस हद तक शातिर तथा सावधान रहने वाला शख्स था !



" मुझे वाकई तुमसे हमदर्दी है !" चौरसिया बोला !



" मेरे पति की ट्रैजडी को लेकर ?"



" हां ! तुम एक बहुत जीवट वाली औरत हो ! इतना ही नहीं , मैं तहेदिल से तुम्हारे जज्बे को सलाम करता हूं !"


नगमा की आखें डबडबा आई !


हमदर्दी की आंच ने उसके अंदर की कोमल व सम्वेदनशील नारी को पिघला दिया था और वह रो पड़ी थी !



" मैं और मिलन निम्न मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं !" वह सुबकती हुई बोली------" जहां प्यार मोहब्बत के लिए कोई जगह नहीं आती ! खासतौर से तब लड़का लड़की अलग--अलग जाती व मजहब से हों ! इसके बाबजूद हमने न केवल एक दूसरे से मोहब्बत की बल्कि भाग कर शादी भी कर ली ! मिलन एक होनहार युवक है ! उसे मुम्बई में आते ही अच्छी नौकरी भी मिल गई थी ! हमारी जिंदगी खुशियों से भर गई ! बहारें झूमने लगी ! मगर फिर .............
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