जब मनिका ने कहा कि उन्हें तो कुछ भी नहीं पता तो जयसिंह के मन में विचार आया था 'पता तो मुझे तेरी कच्छी के रंग का भी है जानेमन.' पर उन्होंने मुस्का कर उसे कहा,
'तो आओ चलो मेरी पसंद की लेग्गिंग्स लेते हैं तुम्हारे लिए...' जयसिंह मनिका को लेकर फिर से सेल्स-गर्ल के पास पहुँचे और उसे लेग्गिंग्स दिखाने को कहा. सेल्स गर्ल ने मनिका की तरफ देख कर पूछा,
'फॉर यू मैम?'
'येस.' मनिका ने हाँ भरी.
'सेम साइज़ मैम? आई एम् सॉरी व्हाट वास इट अगैन? ‘सेल्स-गर्ल ने पूछा. मनिका ने पहले उससे कपड़े लेते वक्त उसे साइज़ बताया था.
मनिका उसका सवाल सुन सकपका गई. जयसिंह पास खड़े सुन रहे थे कि वह क्या जवाब देती है. जब सेल्स-गर्ल उसे सवालिया नज़रों से देखती रही तो मनिका ने धीमे से सकुचा कर कहा,
'थर्टी-फोर...' मनिका ने यह बिलकुल नहीं सोचा था कि उसे अपने फिगर का माप बताना पड़ेगा, उसका उत्साह थोड़ा ठंडा पड़ गया था.
'आह चौंतीस...मुझे लग ही रहा था कुतिया की गांड है तो भरी-भरी...' जयसिंह के मन में मनिका का कहा सुनते ही हिलोरे उठे थे.
'बट मैम आई रेकेमेंड की आप ३० (तीस) या ३२ (बत्तीस) साइज़ में लेग्गिंग्स देख लें.' सेल्स-गर्ल बोली.
'क्यूँ? वो छोटी नहीं रहेंगी?' मनिका से तो कुछ कहते बना नहीं था पर जयसिंह ने सवाल उठा कर मनिका की तरफ देखा था, उसकी नज़रें काउंटर पर गड़ी थी.
'एक्चुअली सर लेग्गिंग्स आर मेड ऑफ़ वैरी स्ट्रेचेबल मटेरियल सो मैम के बिलकुल फिट आएँगी.' सेल्स-गर्ल ने उन्हें समझाया.
'हम्म ओके. आप ३० साइज़ में ही दिखा दीजिए फिर तो...’जयसिंह बोले. मनिका ने एक नज़र उनकी तरफ देखा था फिर वापिस नज़रें झुका खड़ी रही. जयसिंह द्वारा उसके कमर और अधोभाग के नाप के बारे में ऐसे बात करने ने उसे एम्बैरेस कर दिया था और वह अब सोच रही थी कि काश उसने अपना मुहँ बंद रखा होता और चुपचाप जयसिंह को बिल चुकाने जाने दिया होता, 'वैसे भी मैंने इतनी शॉपिंग तो कर ही ली है...’उसने अफ़सोस करते हुए सोचा. उसका उत्साह अब पूरी तरह ठंडा पड़ चुका था.
सेल्स-गर्ल लेग्गिंग्स दिखाने लगी. जयसिंह ने उनमें से सबसे झीने कपड़े वाली एक लेग्गिंग मनिका को दिखा कर पूछा था कि उसे वह कैसी लगी. वहाँ से जल्दी हटने के मारे मनिका ने बिना अच्छे से देखे ही कहा था कि आप दिला दो जो भी आपको पसंद है. जयसिंह ने मंद-मंद मुस्का कर मनिका को देखा और वह लेग्गिंग सेलेक्ट कर ली थी.
मनिका ने आखिर चैन की साँस ली थी और जयसिंह के साथ बिलिंग डेस्क पर जाने के लिए मुड़ी,
'मैम?' पीछे से सेल्स-गर्ल की आवाज आई.
'येस?' मनिका ने वापस मुड़ कर जानना चाहा कि वह क्या कहना चाहती है. जयसिंह भी रुक गए थे.
'वी हैव अ न्यू लॉनजुरे (सेक्सी ब्रा-पैंटी और नाइटी) कलेक्शन दैट जस्ट केम इन वुड यू लाइक टू हैव अ लुक.' सेल्स-गर्ल ने पूछा.
सेल्स-गर्ल्स को तो यही ट्रेनिंग दी जाती है कि जब कपल्स आएं तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा लुभा कर रोके रखने की कोशिश किया करें. मनिका को लेग्गिंग्स दिलाते जयसिंह को देख उस बेचारी सेल्स-गर्ल को क्या पता चलता की वे उसके पिता हैं. मनिका की तो काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो चुकी थी.
'व्हॉट..?' उसके मुहँ से निकला था.
'येस मैम, ब्रा एंड पैंटी कलेक्शन इन लेस एंड सिल्क.' सेल्स-गर्ल ने समझा था की वह पूछ रही है की क्लेक्शन में क्या-क्या है?
यह सुनते ही मनिका का मुहँ जयसिंह की तरफ घूमा, यह देखने को कि क्या उन्होंने सब सुन लिया था? ऑब्वियस्ली उन्होंने सुन लिया था, वे उसके बगल में ही तो खड़े थे. मनिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया,
'न...नो...’ उसने सेल्स-गर्ल को जरा तल्खी से कहा था.
'ले लो मनिका अगर चाहिए तो...' जयसिंह थे.
मनिका को जैसे चार सौ वॉल्ट का झटका लगा, उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था की जयसिंह ने ऐसा कह दिया था 'उसके पिता उसे ब्रा-पैंटी लेने को कह रहे थे.'
आखिर जयसिंह की किस्मत जवाब दे ही गई थी. वे लोग अपने हॉटेल रूम में लौट चुके थे और जयसिंह एक तकिया लेकर काउच पर अधलेटे हुए सोए पड़े थे. मनिका बेड पर अकेली कम्बल से अपने-आप को ढंके हुए थी. दोनों सोने का नाटक कर रहे थे पर नींद उनके आस-पास भी नहीं थी.
जयसिंह के मन में निराशा की उथल-पुथल मची हुई थी 'अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली मैंने...'
जयसिंह के मनिका से ब्रा-पैंटी लेने को कहते ही मनिका का बदन शॉक से अकड़ गया था. उसने एक क्षण रुकने के बाद मुड़ कर उनकी तरफ देखा था और जयसिंह उसकी नज़र से ही समझ गए थे कि उनके किए-धरे पर पानी फिर चुका है. उसकी आँखों में शर्म, गुस्से और नफरत का मिला-जुला सैलाब उमड़ रहा था. जयसिंह कुछ न बोल सके थे और मनिका तेज़ क़दमों से चलती हुई वहां से बाहर निकल गई थी.
जब वे बिल चुका कर मनिका के खरीदे सामान के साथ उसे ढूँढ़ते हुए वापस कार पार्किंग में पहुंचे तो पाया कि वह आकर कैब में बैठ चुकी है, उन्होंने ड्राईवर से डिक्की में सामान रखवाया था और चुपचाप कार में ड्राईवर के बगल में आगे की सीट पर बैठ उसे हॉटेल चलने को बोला था. हॉटेल पहुँच कर भी वे दोनों बिना कोई बात किए चलते हुए अपने कमरे तक आए, आज मनिका उनसे अलग होकर चल रही थी. जयसिंह ने कमरे में घुस कर अपने हाथों में उठाए शॉपिंग-बैग्स एक तरफ रखे ही थे कि मनिका का गुस्सा फट पड़ा था,
'बदतमीज़ी की भी कोई हद होती है!' मनिका ने ऊँची आवाज़ में कहा था. जयसिंह ने सीधे हो कर उसकी तरफ अपराधबोध से भरी नज़रों से देखा. 'आप होश में तो हो कि नहीं? क्या बके जा रहे थे वहाँ...आपको जरा भी शर्म नहीं आई मुझसे ऐसी बात कहते हुए पापा?' मनिका अब तैश में आ गई थी.
जयसिंह क्या जवाब देते. एक-एक कर उनके बनाए हवाई-महल उनके आस-पास ध्वस्त हो गिर रहे थे.
'आई एम् यौर डॉटर फॉर गॉड्स सेक! कोई अपनी बेटी से इस तरह...’मनिका आगे की बात कह न सकी थी और आगे बोली 'डोंट यू टॉक टू मी, आई एम् सिक् ऑफ़ यू...' और लगभग भागती हुई बाथरूम में घुस गई थी. उसकी आँखों में शर्म और गुस्से के आँसू थे.
जयसिंह बेड के पास हक्के-बक्के से खड़े थे.
मनिका ने बाथरूम में जा कर कुछ देर तक ठन्डे पानी से अपना मुहँ धोया, आज तक उसे इतनी शर्म और जिल्लत कभी महसूस नहीं हुई थी. उसने जब मुहँ धोने के बाद सामने लगे आईने में देखा था तो उसे अपना रंग उड़ा हुआ चेहरा नज़र आया, 'ओ गॉड. ये क्या हो रहा है मेरे साथ?' उसने धड़कते दिल से सोचा था, उसे एहसास हुआ कि जयसिंह की बदतमीजी के बाद से ही उसके दिल की धड़कने बढ़ी हुईं थी. 'पापा ऐसा कैसे कह सकते हैं कि लॉनजुरे चाहिए तो...अब कैसे उनके साथ कभी नॉर्मल हो सकूँगी मैं...शायद कभी नहीं...अभी तक तो वे भी कुछ बोले नहीं है बस चुप्पी साधे खड़े थे...वैसे भी कुछ बोलना बाकी तो रह नहीं गया है...'
बाहर जयसिंह भी अपनी हार को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रहे थे, उनकी अंतरात्मा भी एक बार फिर से सिर उठाने लगी थी, 'यह तो सब खेल चौपट हो गया. मेरी भी मत मारी गई थी जो मैंने संयम से काम नहीं लिया...लेकिन वैसे भी बुरे काम का अंत तो हमेशा बुरा ही होता आया है...अगर कहीं उसने घर पे यह बात जाहिर कर दी तो..?' जयसिंह को भी अब अपने किए को लेकर तरह-तरह की अनिश्चिताओं ने घेर लिया था 'पता नहीं क्या सोच कर मैंने ये कदम उठाए थे...मनिका और मेरे बीच ऐसा कुछ हो सकता है यह सोचना ही मेरी सबसे बड़ी गलती थी...अपने ही घर में आग लगा ली मैंने...साली की जवानी देख कर बहक गया यह भी नहीं सोचा कि कितनी बदनामी हो सकती है...' जयसिंह अपनी पराजय के बाद अब खुद पर ही दोष मढ़ रहे थे आखिर ये सब उन्हीं की हवस से उपजा था.
मनिका जब बाथरूम से बाहर निकली तो पाया कि जयसिंह तकिया लिए हुए काउच पर लेटे थे, उसके आने पर उन्होंने एक नज़र उठा उसे देखा था पर मनिका की हिकारत भरी नज़रों से अपनी नज़र नहीं मिला पाए और फिर से आँखें नीची कर लीं थी.
असल में जयसिंह द्वारा मनिका के लिए लेग्गिंग्स लेने के दौरान ही उसके मन में बेचैनी और असहजता जग चुकीं थी और उनके द्वारा कही अगली बात ने उसको भड़काने का काम कर दिया था. इस तरह जयसिंह ने अपनी इतने दिन की चालाकियों और जुगत लगा जीता हुआ मनिका का भरोसा दो पल में ही खो दिया था. जो मनिका कुछ घंटे पहले तक उनकी तारीफों के पुल बांधती नहीं थकती थी वह अब उनकी शक्ल देख कर भी खुश नहीं थी.
मनिका को भी जयसिंह के ऊपर भरोसा करने पर मिला विश्वासघात बेहद गहरा लगा था. उसने सपनों में भी नहीं सोचा था कि एक पिता अपनी जवान बेटी से इस तरह का निर्लज्ज व्यवहार कर सकता है.
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लगे रहिये अगली कड़ी की उत्सुकता से प्रतीक्षा में
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next updates awaited ???
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी
हम भी प्रतीक्षा में
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Kamini
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Re: बाप के रंग में रंग गई बेटी
सब की कामना पूरी होगी बस इस सफ़र में साथ बनाए रखे
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