बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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इन शातिरों ने पूरी योजना एक क्रम के साथ बनाई थी । सिगंही, अलफांसे , अशरफ़ को हाॅल में भेजा गया था ।


जैक्सन ने कहा था कि बिकास को बचाने के लिए आवश्यक है कि वे समस्त साधन ही समाप्त कर दिए जाएँ, जिनके बूते पर वह अमेरिका को हिलाने की चेष्टा करके अपना जीवन बरबाद कर है ।


जब वे साधन ही नहीं रहेगे तो विकास अपंग हो जाएगा और वह कुछ नहीं कर सकेगा ।


इसी बात को मद्देनजर रखते हुए जैक्सन ने कहा था कि चीन के खूंखारतम वैज्ञानिक तुगलामा को खत्म करना भी आवश्यक है ।


इस बात के लिए प्रिसेज़ ने स्वयं को नियुक्त किया था।


इस समय उसके हाथ मे एक टामीगन थी और वह प्रयोगशाला में पहुच चुकी थी ।


प्रयोगशाल में पहुचने के बाद एक क्षण भी व्यर्थ नहीं किया । इससे पूर्व कि कोई कुछ समझ, पाता ।


रेट .रेट. .रेट ।


बिना किसी पूर्व सचना के जैक्सन की गन गरज उठी । पलक झपकते ही प्रयोगशाला में उपस्थित दस वैज्ञानिक देर हो गए ।


अपने जीवन मौत के बारे में सोचने का उन्हे एक अवसर तक नहीं मिला था ।


प्रयोगशाला में पहले से उपस्थित केवल एक इंसान जिंदा रह गया था-तुंगलामा।


आखे फाड़े वह आश्चर्य के साथ सामने खड्री अप्सरा को देख रहा था ।।

................................

जैक्सन के गुलाबी होंठो पर इस समय बहुत ही मधुर मुस्कान थी लेकिन तुंगलामा को वही मुस्कान ऐसी लगी जेसे मौत मुस्करा उठी हो ।



जैक्सन के चेहरे पर अब पूजा का मेकअप नहीं था । उसके हाथ में टामीगन थी और तुगलामा अमी तक आश्वर्य के सागर में गोते लंगा रहा था ।


सोचा…क्या है यह औरत?


पलक झपकते ही दस जीते-जागते इंसानो को मौत के घाट उतार दिया, फिर भी मुस्करा रही है ।


सोचकर कांप उठा तुंगलामा ।


जैक्सन उसके-ठीक सामने टामीगन लिए खडी थी । नाल से अब भी धुएं की लकीर निकल रही थी । प्रत्येक पल तुगलामा को यहीँ खतरा था कि कहीं यकीन एक बार पुन: न गरज उठे ।


उसने कुछ बोलने का प्रयास किय-लेकिन आवाज गले मे ही फंसकर'रह गई ।


-“बोलो!" जैक्सन खनखनाते स्वर में बोली-“तुम भी मरना चाहते हो?"


तुगलामा के फरिश्ते तक कांप उठे ।


कापते स्वर में बोल फूटा----" क...क...क्या मतलब ?"


" मतलब ये कि तुम्हें भी यही मौत पसंद है?” स्वर में जहर-सी कड़वाहड़ थी ।'


"न. . .न. . .नहीँ!" तुंगलामा बुदबुदा उठा ।



" तो फिर मेरे लिए काम करोगे?” जैक्सन ने कबा------" मंगल-सम्राट विकास नहीं बल्कि में हू ।"


उसके हाथ से टामीगन देखकर तुंगलामा अभी हां ही करने वाला था कि तुरंत उसे विकास के यातना देने के बेरहम तरीके याद आ गए ।


उसकी पीछे की सात पुश्ते तक कांप उठी । उसके मुंह से एकदम निकल गया ।


"'नही ।" ।



सुनते ही जैक्सन के सुन्दर मुखड़े पर अजीब-से खतरनाक आव उभर आए ।


टामीगन पर उसकी पकड सख्त हो गई । बडी तीक्ष्ण दृष्टि से उसने तुगलामा को घूरा और गुर्राई-" इंकार का अंजाम. केवल यहीं हो सकता जो इन सबका हुआ है ।"’

वेचारा तुंग । फंस गया ।


वह तो एक खिलौना बनकर रह गया, था ।


चाहे जो अपेने लिए काम करवा ले, बोला----" अगर आप कहती हैं तो…!"



"धांय । तभी एक फायर के धमाके से पूरी प्रयोगशाला गूज उठी । तुगलामा के कंठ से एक चीख निकली । गोली उसका माथा फोड़कर गुद्दी से निकल गई थी ।


उसके सिर का भुन्तास उड़ गया है एक पल तड़पने तक का उसे अवसर नहीं मिला था ।


सुप्तावस्था में वह फर्श पर जा निरा ।


विधुतगति से जैक्सन प्रयोगशाला के द्वार की ओर पलटीं ।


एक अन्य फायर के साथ उसकी टामीगन झन्नाकर उसके हाथ से दूर जा गिरी ।


अबाक-सी जैक्सन द्धार पर देखती रह गई ।


द्वार के बीचोबीच पूजा खडी थी ।
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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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पूजा को देखते ही जैक्सन लगभग उछल पडी । उस भोली-भाली मासूम-सी लड़की के हाथ में टामीगन थी ।


सुन्दर मुखड़े पर ऐसे कठोर भाव थे किए एक बार को तो जैक्सन जैसी अपराधिनी भी कांप गई ।


समूचे संसार का ज्वालामुखी जैसे केवल पूजा की ही आखों मे सिमट आया था ।


किसी घायल शेरनी की भांति वह जैक्सन को घूर रही थी ।


“पूजा ।" जैक्सन के मुह से अभी केवल इतना ही निकला था कि पूजा गुर्रा उठी ।


“एन सी सी में मैंने अच्छी निशानेबाजी खीखी है । अपने इन्हीं हाथों से अपने भाई का खून कर दिया …मौत से डरने वाला गद्दार चीनी कीडा ..... उसके लिए यहीं मौत… सबसे अच्छी थी । उसे ज्यादा गोली मारना गोलियों की तौहीन थी ।"


" लेकिन…!"





"बक्रो मत जलील औरत? पूजा ने बीच मे ही चीखकर पुन: जैक्सन की बात काट दी………"मेरे विकास का सारा प्लान तेरी वजह से फेल हुआ है । तूने मेरा ही मेकअप करके मेरे विकास को धोखा दिया । उसके उन्हीं, गुरु को जो हमेशा उसका साथ देते थे, उसका दुश्मन बना दिया है -------


यहां का हर इंसान विकास के खून का प्यासा है । ये सब तेरे कारण हुआ है तेरे कारण । मुझें सोती को. पकडा. बेहोश किया और बाथरूम मे डाल दिया खुद पूजा....!” कहने के बाद आगे की बात उसने खुद छोड़ दी क्योंकि बात इन्ही शब्दों में पूरी थी, आगे बोली ------" और तब भी उस कीड़े को बरगलाना चाहती थी । मै तुझें जिंदा नही छोडूगी…किसी भी कीमत पर नहीं, तुम्हारा अंत मेरे हाथों से होगा !"


कहने के साथ ही।




धाय......!


पूजा के पास तो जैसै समय ही नहीं था । विना सोचे-समझे उसने प्रिसेज जैक्सन पर फायर झोंक दिया ।


बह जानती थी कि उसका निशाना एकदम सच्चा है लेकिन वो भोली नादान पूजा भला क्या जानती थी कि प्रिसेज जैक्सन क्या चीज है । संगआर्ट की माहिर जैक्सन न केवल खुद को बचा गई बल्कि हवा मे तैरता हुआ उसका
जिस्म पूजा पर आकर गिरा । पूजा बेचारी इस अप्रत्याशित घटना से एकदम घबरा गंई ।


उसके बाद पूजा भला कौन-भी शक्ति से जैक्सन का मुकाबला कर सकती थी ।


जैक्सन ने एक कैरेटं उसकी कनपटी पर मारी ।


पूजा के हाथ से न केवल टामीगन गिर गई बल्कि स्वयं भी वह एक चीख के साथ फर्श परं जा गिरी ।


जैक्सन ने पूजा से भिड़ना अपनी शान के खिलाफ़ समझा और फुर्ती के साथ उसने कमरे से बाहर जंप लगा दी ।


अपनी ओर से पूजा भी पूर्ण सतर्कता के साथ उठकर बाहर झपटी ।


लेकिन जैक्सन गायब हो चुकी थी । वैसे इस प्रकार को आवाजे बराबर गूंज रही थी जिनसे सिद्ध था कि इस इमारत में भयानक युद्ध जारी है ।


पूजा उस कक्ष की ओर लपकी जहां पर वह मशीन थी जिसके जरिए विनाश फैलाया जाना था ।।


..........................................

विकासं पर तो जेसे खून सवार हो चुका था । उसके चेहरे पर वे ही वहशीपन के भाव थे जो उसके चेहरे पर उस समय आते थे जव वह आपे से बाहर हो जाता था ।


सर्वविदित है कि जब वह आपे से बाहर होता है हो किसी की इज्जत नहीं करता । कुछ-न-कुछ उल्टा पुल्टा-कर डालता है । ऐसे समय में वह किसी की नहीं सुनता । जो सोचता है, बही करता है ।


वह जान गया था कि एक-से-एक बड़े शातिर न केवल उसका तख्ता पलटने के लिए प्रयत्नशील है बल्कि काफी हद तक सफल भी हो चुके हैं ।


वह यह भी समझता था कि अब उसका तख्ता पलटने में अधिक देर नहीं है ।


वह हांल में से भाग आया था।


अब तो केवल एक ही बात उसके दिमाग में थी, विनाश, प्रलय..... अमेरिका का अंत ।


अब चाहे कुछ भी हो जाए, वह अमेरिका को खाक में मिलाकर छोडेगा ।



सारा हेडक्वार्टर युद्धस्थल वना हुआ था । चारो और से मार-काट और चीख पुकार की-आबाजे आ रही थीं ।



उसके हाथ में भी एक रायफल थी और तेजी के साथ उसी कक्ष की ओर बढ़ रहा था जिसमें वह विनाशकारी मशीन थी ।


जैसे ही वह उस कक्ष में प्रविष्ट हुआ, चौंककर एकदम ठिठक गया ।


उस के पास ही टामीगन हाथ में थामें विजय गुरु खड़े थे ।


सुभ्रांत और उसके दोनों सहयोगी उस मशीन को चेक कर रहे थे ।


"अगर जल्दी बता सकत्ते हो तो सुभ्रांत मियां कि इसकी कार्यविधि क्या है तो बताओ बरना वो लड़का आ गया तो हुल्लड़ मचा देगा ।" विजय का वाक्य अभी पूरा ही हुआ था कि…!


धांय धांय धांय--, !

सुभ्रांत के दोनों सहयोगी चीखों के साथ परलोक सिधार गए ।


और एक गोली ने कमाल कर दिखाया कि विजय की टानीगन उसके हाथ से निकलकर काफी दूर जा गिरी ।


विजय का हाथ झनझनाकर रह गया ।


"मैं आ गया हूं गुरु?" एक गुर्राहट विकास के मुह से निकली । . .


कांप उठा विजय ।


विकास के इरादे उसे भयानक लगे किन्तु फिर भी संयमता के साथ बोला-----"आ गये हो तो आओ प्यारे । बोलो, ठंडा पीयोगे या गर्म?"



…"आप इस कक्ष से एकदम बाहर चले जाएं, बरना.......!"



… “अबे !" विजय ने किसी, भटियारिन की भाति हाथ नचाया…“यानी कि गुर्राकर आता है! अबे, हम गुरु न हुए साले पानी के बताशे हो गए । बेटा , एक झापड़ मार दिया तो चमरगिद्धर वना दूगा ।"


" मै मजाक के मूड में नहीं हूँ गुरु!" विकास पुर: खतरनाक स्वर मे गुर्राया-"बहुत इज्जत हो ली । आप फौरन इस कक्ष से बाहर निकल जाएं । कसम तुम्हारी-अमेरिका को खाक में मिला दूगां !"


"ऐसा अब नही होगा बेटे !" विजय बोला--------" अब हम विजय दी ग्रेट यहा हैं।"


"तभी तो कहता हूँ गुरु कि बाहर निकल जाओ वरना .......!"


" वरना.....।" एक चीख के साथ एकदम विजय भी गुर्रा उठा------" क्या करोगे ?"


" मैं सुभ्रांत को गोली से उडा दूगा ।" उसके स्वर में एक भयानक गुर्राहट थी ।


"गुर्राओ मत लड़के!" विजय भी ताव खा गया…"तुमसे पहले खाना सीखा है ! इस को गोली से क्या उडाएगा यहाँ चला गोली, अपने गुरु के पर । सीना छलनी कर दे अबे । शर्म
किसकी करता है? चला गोली, गुरु का सीना छलनी करदे, इसलिए तुझे सब कुछ सिखाया, था? नही विकास, नहीं, आज विजय यहां से नहीं हटेगा , पहले गुरु को मारना होगा । तब तू माऩवता का इतना बडा हत्यारा वन सकेगा ।"

"नहीं गुरू, नहीं !" वह चीखा-----" हट जाओं मेरे सामने से, मैं मंजिल के बहुत करीब हूं गुरुं! अब मुझें वापस मत लौटाओ। वो तो मानवता के दुश्मन है गुरु! खून का बदला खून है,विनाश का बदला विनाश । भारत को समझा क्या है उन्होंने? प्रलय मचा दूगा, गुरु ! खून की नदियां बहा दूगा । अमेरिका की धरती को लाशों से पाट दूगा । श्मशान बना दूंगा, तुम हट जाओ गुरू, तुम हट जाओं! के अपने बच्चे को सफल होने दो।"


“जिसे तुम सफलता समझ रहे हो विकास, वो तुम्हारी के सबसे बडी हार है ।" बिजय चीखा-------" अमेरिका का अत तुम्हारा लक्ष्य नहीं, बल्कि भारत से सी-आई-ए का अंत तुम्हारा लक्ष्य है !"


"अमेरिका के अंत के विना वो लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा गुरू !" विकास चीख पडा ।


"होगा विकास । जरूर होगा ।" विजय उससे अधिक जोर से चीखा-" भारत से सी-आई-ए का अंत होगा लेकिन तुम्हें ये विनाश नहीं करने दूगा । यह मेरी लाश पर से गुजरकर कर सकोगे और गुरू को लाश में भी तुम्हें हीँ बदलना होगा । लड़के बिछा दे अपने गुरू की लाश, फिर सारी धरती लाशों से पाट देना, तोड दे मर्यादा की उन दीवारो को जो गुरू-चेले के बीच होती हैं । इतिहास में एक नया पृष्ठ तू भी जोड़ दे ताकि आने वाली पीढी जान ले । ऐसे गद्दार चेले भी हुए है ।”



विकास की आंखो मे आंसू आ गए ।


विजय के शब्द तीर की तरह सीने में जा लगे, परंतु फिर भी बह चीखा------" गुरू, नहीं, मुझें बच्चा मत समझो, मुझे बहलाओ मत ! अगर मैंने आज अमेरिका को लाशों से नहीं पाटा तो कभी मेरा भारत सी-आई-ए से मुक्त नहीं हो पाएगा गुरु! कभी नहीं । ये कुत्ते भारत पर यूं ही कब्जा जमाते रहेंगे, मेरे हिंदुस्तान की युवा पीढी को इसी तरह पथभ्रष्ट करते ऱहेगे ।" विकास चीख तो रहा था लेकिन पीङा से उसके नेत्र छलछला उठे ।।

विजय को एक धक्का सा लगा , विकास की पीड़ा देखकर एक बार तो उसके दिमाग में आया कि जो कुछ विकस कर रहा है, वह सही है । वह हट जाए, विकास को मनमर्जी करने दे, लेकिन नहीँ…ऐसा वह कैसे …करने देगा? इधर विकास की देशभक्ति देखकर सुभ्रांत भी लड़के को देखता ही रह गया । उसे तो एक ही पल में विकास से सहानुभूति-सी हो गई ।


"नही विकास! " विजय भी कराह उठा-"नहीं, मेरे बच्चे! मैं तुमसे वादा करता हूं कि भारत से सी-आई-ए का जाल हटाकर रहूँगा, लेकिन उसके बदले में ये विनाश नहीं होने दूंगा । मैं तेरा जीवन इस तरह बरबाद नहीं होने दूंगा । विकास, तुझे लेकर तो तेरे गुरु ने बड़े सपने देखे है । मैं तुझे ऐसा अपराधी नहीं बनने दूंगा कि फिर कभी वापस ही न लौट सके । मेरे जीते-जी ये नहीं होगा विकास! अगर यही चाहता है तो पहले एक गोली मेरे सीने के पार कर दे ।"
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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"नही अंकल, नहीं!" विकास कराह उठा ---"'ये आप क्या कह रहे हैं ।" कहते हुए उसने राइफल फेक दी और पागलों की तरह झपटकर विजय के चरणों में गिर गया ।


विजय जैसे पत्थरदित्त इंसान की आंखो में भी आंसू आ गए । सुभ्रांत तो कभी सोच भी नहीं सकता था कि यह लड़का इतना महान भी हो सकता है ।


लपककर बिज़य ने विकास को चरणों से उठा लिया और गले से लगाकर बोला-" बड्री देर से लाइन पर आया साले !" कहते समय विजय का स्वर रुंध गया ।



"मुझे माफ कर देना गुरु, माफ कर देना ।"



"माफ किया साले दिलजले! माफ़ किया ।" विजय वातावरण को सामान्य बनाने की चेष्टा करता हुआ बोला'--"पहले तो हमारे सिर चढ़ता है, गुरु लोगों की इज्जत का बंटाधार करता है और अंत में चरणों में गिरकर क्षमा मांगता है । गुरु लोगों को खीचने का एक अच्छा तरीका निकाला है ।"



" अब जल्दी से इस मशीन को नष्ट कर दो गुरू ।" विकास ने शीघ्र ही लाइन पर आते हुए कहा।।



" ओके प्यारे ! " विजय ने कहा और उसके साथ ही विजय ने अपनी जेब से एक लाइटर निकालकर उस मशीन में आग लगा दी ।


मशीन क्योकि ¸ भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्वलनशील पदार्थों से भीगी हुई थी इसलिए मशीन ने तुरंत आग पकड ली ।



उधर बिकास ने पुन; अपनी राइफल उठाकर कक्ष में रखी स्कीन पर फायर किए ।


दो मिनट बाद ही उस सारे कमंरे को नष्ट करके गुरु-चेले और सुभ्रांत बाहर आए ।


कक्ष पूर्णतया आग की लपटों से घिर गया था ।


पूरे हैडक्यार्टर में अभी तक हुल्लड़बाजी मची हुई थी ।


अभी वे अधिक दूर नहीं पहुचे थे कि अचानक गैलरी से दौडते ही पूजा सामने आ गई ।एक पल के लिए तो विकास और पूजा अपलक एक…दूसरे को देखते रह गये जैसे एक…दूसरे की आंखों में डूबना चाहते हों, तभी विजय बोला ।



"अबे ओ बेटा दिलजले! पहाल कारण तो ये कि नारी जाति के चक्कर मे पड़ा और दूसरा गुरू लोगों के सामने होश में रहना चाहिए !"



विकास चुप हो गया ,पूजा चौंकी एकदम बोली ।



" विकास ये तुम्हारे साथ?"



"हां पूजा !" विकास बोला----" गुरु से संधि हो गई है । मैंने खुद बह विनाशकारी मशीन तबाह कर दी है ।"


" विकास! " भावावेश में कहकर पूजा विकास से लिपटकर बोली-" मै भी तो यह चाहती थी विकास! लेकिन तुम मान ही नहीं रहे थे, इसलिए तुमसे कहने का साहस नहीं हुआ । अब हम् दोनों अपने वतन लौटेगे मेरे देवता ! मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूगी. .हमेशा ।"



"ओं लड़की!" बीच से बोला विजय-- "यहां शर्म करों ! लड़का'हमारी इज्जत करता है और बैसे भी धंटी बनकर हमेशा के लिए इसके गले में लटकने की कोशिश मत कर । इसके दिमाग में अजीब-अजीब खुराफते आती हैं, अगर किसी दिन मारा गया तो ।"



पूजा ने एकदम विजय के होंठों पर अपना हाथ रखकर उसे चुप करा दिया।


बड़ी भावुक-सी होकर बोली-" ऐसा मत कहना भैया ! भैया! विकास के लिए ऐसा कभी मत कहना । इन्हें मेरी भी उम्र लग जाए । मैं अपने वक्त से पहले ही मर जाऊं मेरी उम्र लेकर जीएं . . ऐसा मत कहना भैया ।"


विजय, विकास सुभ्रांत पूजा को देखते ही रह गए ।


विजय ने सोचा---"कैसी है लडकी? कितना त्याग है इसके प्रेम में? वास्तव में पूजा के ही योग्य हैं । उसे भी तो उसने कितना प्यारा संबोधन दिया है- भैया! न जाने क्यों विजय का दिलं भी कराह उठा ।


" जिसे पूजा जैसी बलिदानी लड़की मिले वो भाग्यशाली ही हो सकता है !" सुश्रात के मुंह से बरबस ही निकल गया । विकास तो पागल-सा अभी तक पूजा की आंखों से झांक रहा था । इधर विजय ने भी महसूस किया कि उसे भावनाएं घेर रही है ।


उसने तुरंत सिर को झटका देकर काम की बात की ।



"क्यों प्यारे दिलजले! अब मंगल से भागने का क्या प्लान है?"


" भागने का पूरा प्रबंध है गुरुं?" विकास ने कहा !

" आपने जाम्बू का अड्डा तो देखा ही है, वहीं सिंगही का ग्लोबनुमा यान मैंने पहले ही सुरक्षा के लिए खडा कर दिया है हम उसी के जरिए यहाँ से निकल सकते हैं, लेकिन…!"



“लेकिन क्या?”


"मेरे बिचार से गुरु! यहां से निकालने से पहले तुंगलामा को ही खत्म कर दे ताकि वह फिर कभी ऐसा विनाशकारी फार्मूला न बना सके !"
विकास ने कहा ।


"उसे मैंने खत्म कर दिया !" पूजा झट से बोल पडी ।


एक बार पुन तीनों पूजा को देखते रह गए ।


फिर विजय बोला…"वेरी गुड विकास, तुम पूजा और सुभ्रांत को लेकर जाम्बू के अड्डे पर गलोब में पहुचो, मै अभी आता हूं !"


"आप यहां क्या करेंगे गुरु?"



“मैं इस हेडक्वार्टर को ही नष्ट करके आऊंगा ।"



"लेकिन कैसे गुरु?" विकास बोला---" "ये हेडक्वार्टर तो फौलाद का बना हुआ है कैसे नष्ट होगा?"


" उसका तरीका मुझें तुमसे नहीं पूछना है बेटे दिलजले । " विजय ने कहा-----" बहुत दिनों से मेरे दिमाग में इस हेडक्वार्टर को ऩष्ट करने का एक अच्छा तरीका है, तुम चलो!"


" गुरु, आप अकेले? साथ मैं भी चलूं?"


“जिद नहीं विकास! " विजय ने आदेशात्मक स्वर में कहा-----" तुम जानते हो कि इस हैडक्वार्टर मेँ एक-एक इंसान तुम्हारे खून का प्यासा है । फिर पूजा और सुभ्रांत को सुरक्षित ले जाना भी आवश्यक है !"


"ओके गुरू ।" विकास ने कहा--"अपने साथ धनुषटंकार, अलफांसे गुरु और लंबू अंकल को लाना न भूलना ।” कहता हुआ विकास विदा हुआ ।


विजय के हाथ में गन थी । उसका रुख हाल की ओर था ।


तेजी के साथ भागता हुआ विजय हाल की ओर बढ रहा था । हालॅ के समीप पहुचते- पहुंचते उसे कई उल्टे मानवों का सामना करना पड़ा लेकिन विजय क्योकि अब देर करना गंबारा नहीं था, इसलिए प्रत्येक उल्टे मानव से मिलते ही एक बार विजय की टामीगन खांसती और परिणामस्वरूप सामने वाता कूच कर जाता था ।


तब जबकि वह हाल के दरवाजे पर पहुचा उसने देखा.---- हाल में अभी तक भयानक युद्ध जारी था । हाँल की धस्ती लाशों से पट गई थी । खून से सन्नी पडी थी ।


विजयं की टामीगन ने भी गरजना शुरू कर दिया । उल्टे मानव गिरने लगे ।


अलफांसे इस समय खून से लथपथ था ।


वह चार-पांच उल्टे मानवों से धिरा हुआ था । विजय ने पलक झपंकते ही उन सबका सफाया कर दिया और तुरंत अलफांसे के करीब पहुंचकर पीछे से उसका कॉलर पकड़ा , धीरे से बोला ।


" बहुत हो लिया प्यारे लूमड भाई!"


"विकास कहां हैं?” अलफांसे गुर्रा उठा ।


""वो ठीक है लूमड़ भाई! जरा मेरे साथ आओ ।” कहकर वह अलफांसे को हालॅ से बाहर खीच ले गया ।


अलफासे ने भी कोई आपत्ति नही की ।


हाॅल के बाहर जाकर विजय बोला… "मैं इस हैडक्वाटर को नष्ट करने वाला हूं , बेटे लूमड फोरन टुम्बकटू अशरफ को लेकर जाम्बू के अड्डे पर पहुचों , विकास तुम्हें वही मिलेगा !'



" ओके !' अलफांसे ने कहा और विना किसी प्रकार की टिम्पाणी किए उसने हाँल में जंप लगा दी । विजय ने पुनः हाल में पहुंचकर ब्लैक ब्वाॅय को पकडा उसे अपने साथ ले लिया ।



हालांकि इस प्रयास में विजय को कई लोगो से टकराना पडा था लेकिन जब ब्लैक व्वाय को साथ लेकर हाँल से बाहर निकला तौ ब्लैक ब्वाॅय बोला ।


" विकास कहां है सर? वह ठीक तो है न? कहीँ आपने । "


"सबको उस साले अपराधी की चिंता है ।" विजय ने कहा-------": हमारी चिंता किसी को नहीं है? खेर, छोडो लडका लाइन पर आ गया है कि जाम्बू के अड्डे पर पहुंच चुका, तुम मेरे फाथ आओ !"


" कहां सर?"


"हमें यह हेडक्वार्टर खत्म करना हैं ।"


" लेकिन कैसे सर?” ब्लैक व्वाॅय बोला-" यह तो फौलाद का वना हुआ है ।"
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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" तुम मेरे साथ आओ प्यारे ! हम क्या किसी फौलाद से कम हैं?” कहने के साथ ही उसुने ब्लैक ब्वाॅय को साथ लिया और हेडक्वार्टर से बाहर निकल गया । बाहर मौत जैसी वीरानी थ्री । सारे जबान हैंडक्वार्टर के अंदर हो रहे युद्ध में भाग ले रहे थे ।


चलता-चलता ही विजय ब्लैक ब्वाॅय से बोला-" प्यारे काले लड़के तुम जासूसों के सांथ आए हो । यहां से तुम्हारा उन्हीं के साथ लौटना मुनासिब होगा ।"


" आप कहना क्या चाहते हैं सर ?"

"कहना र्सिफै मैं ये चाहता हूं प्यारे काले लड़के कि मैं पूजा, विकास, अशरफ, धनुषटंकार, सुभ्रांत और अलफासे , सिंगही के एक गलोबनुमा यान के जरिए यहां से दुम दबाकर भाग रहे है, हम सीधे अमेरिका जाएंगे ।"



" लेकिन वहां आप क्या करेगे सर?”


" दो किलो आने के हिसाब से भुट्टे बेचेंगे बेटा !" विजय बोला------" मिया-काले लड़के क्यों तुमने अपनी अक्ल को घास ¸चरने भेज रखा है? जरा बुद्धि से सोचो कि क्या विकास का अभियान खत्म हो गया? क्या भारत से सी..आई...ए का जाल ख़त्म हो गया?"


" नही सर !"



"तो फिर प्यारे बात को यों समझो कि हमने लड़के को इस बात पर मनाया है कि हम सी-आई ए का पतन करने में उसका साथ देगे वरना बो तो सारे अमेरिका की बखिया उधेड़ने पर उतारू था !"



"आप कैसे साथ देंगे सर?” ब्लेक ब्वाॅय ने पूछा ।


"यहृ हमारे सोचने की बात है प्यारे लाल! " विजय ने कहा…"तुम जरा जल्दी से कुछ खास बाते सुनो! पहली बात तो यह है कि तुम्हें विश्व के अन्य जासूसो के साथ ही मंगल ग्रहं से रवाना. होना है क्योंकि अगर तुम हमारे साथ हो लिए तो विश्व में यह बदनामी होने का खतरा कि भारत के जासूस विश्व के दुश्मन है क्योकि अपराधी विकास का साथ देने से यह संभव है। "



" मै आपका मतलब समझ रहा हूं सर । "


" तुम्हारे बाल-बच्चे खुश, रहे ।" विजय ने एकदम दुआ-सी दी-----और देखो एक बात का और ख्याल रखना कि जो सभी जासूस निर्णय ले तुम्हें केवल उसी पर चलना है, चाहे वह निर्णय हमारे विरूद्ध ही हो !"


" ओके सर !"


और इसी प्रकार की बाते करता हुआ विजय ब्लैक ब्वाॅय के साथ वहां पहुच गया, जहां पहुंचना चाहता था । ये वही चट्टाने थीं जहां विकास, टुम्बकटू का यान उतरा था जिसके विषय मे पता चला था कि वास्तव में वे चट्टाने नहीं बल्कि एक बिशाल जीव है ।।

इस जीव का नाम 'हिम्बोरा' था । "हिम्बोरा' मंगल का एक ऐसा जानवर हैँ जो अपरिमित शक्ति का मालिक हैं जो मुह से आग उगलता है ।


पांच-पांच वर्ष तक एक ही स्थान पर खडा रहता है लेकिन जब उठता है तो प्रलय मचा देता है ।


उसके चट्टानी जिस्म से जहरीला पसीना बह रहा था ।


( हिम्बोरा के विष्य में विस्तृत जानकारी हेतु पढे-'अपराघी विकास' और 'मंगल सम्राट विकास' जो एक साथ 'टू इन वन’ विशेषांक के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं )


" इसको हिम्बोरा बोलते हैं प्यारे काले लडके ।" विजय बोला------" चट्टाने नहीं बल्कि अत्यधिक विशालकाय जानवर है । यह मुंह से आग उगलता है । यहीं उस हैंडक्वार्टर को नष्ट कर सकता है ।"


"लेकिन यह उठेगा कैसे सर ?"



"इसे उठाना होगा प्यारे! " विजय बोला-----------" तुम मेरे साथ-साथ "हिंम्बोरा' का मुह खेलने, की चेष्टा करो । हम इसे जगाएंगे और इससे हेडक्वार्टर नष्ट करवाएंगे ।"



'लेकिन क्या यह जरूरी है सर! कि यह हेडक्वार्टर की और दौड़ेगा?" ब्लैक ब्वाॅव बोला।


" कोई जरूरी नहीं है प्यारे! ” विजय ने कहा…“लेकिन जब हम चाहेंगे तो इसे हैडक्वार्टर की ओर दौडना पड़ेगा--" सुनो !" विजय थ्रोड़ा गंभीर होकर बोला-" हम द्रोनों किसी ऐसी बस्तु की बैक से इसे जगाएंगें-ज़हां इसके मुंह से निकलने बाली आग का कोई प्रभाव न पड़े । वैसे ये वात ध्यान रखना की है कि इसके इस विशालकाय जिस्म पर विकास 'इत्यादि का यान तक उतर गया लेकिन इसे मालूम तक नहीं हुआ । इस बात को देखते हुए इसे जगाना भी एक समस्या ही होगी] छोडो इस समस्या को, जगाने का तरीका तो वहुत पहले से हमारे दिमाग में है । हां, तो तुम मेरा प्लान आगे सुनो । इसे जगाकर मैं इसके आगे-आगे भागूगा ।"


"क्या ऽ ऽ ऽ ? यह आप क्या कह रहे हैं सर?"

“र्चोंको मत प्यारे काले लड़के ।” विजय बोला-----" तुमने अभी तक सीक्रेट सर्विस के चीफ की कुर्सी पर बैठकर आदेश दिए है । तुम तो एजेंट को आदेश दे डालते हो कि केस जल्दी-से-जल्दी सॉल्व होना चाहिए लेकिन तुम क्या समझो कि एजेंट किन-किन खतरों से धिरता है? तुम्हें क्या पता कि फील्ड में क्या होता है?”


-“लेकिन सर! ये तो एकदम मौत के मुह में छलांग लगाने वाली बात है ।" ब्लेक ब्वाॅय बोला----"अभी-अभी आपने बताया कि हिम्बोरा अपने मुंह से दूर-दूर तक आग बरसाता है । फिर आप इस भयानक जानवर से किस प्रकार बच सकेंगे?”



"चिंता मत करो प्यारे काले लड़के! भागने में तो हम पहले ही दुम दबाए बैठे हैं !" विजय ने कहा-"तुम उसी स्थान पर छुपे रहना । यहीं से निकलकर मैं हैडकवार्टर की ओर दौडूगा । सरलता से अनुमान लगा सकते है कि हिम्बोरा पीछे होगा और मैं हेडक्वार्टर मे घुस जाऊंगा ।"



"लेकिन सर, हेडक्वार्टर के साथ आप..... ।"


"बोलो मत प्यारे, ये प्लान हमारा है । माना कि खतरनाक प्लान है लेकिन तुम चिंता मत करो, हम भी पूरे है । होगा कुछ नहीं, तुम केवल तमाशा देखोगे । आओ! इसका मुंह खोले ।"

ब्लैक ब्वाॅय विजय को यह खतरनाक खेल खेलने की इजाजत देने के लिए कदापि तैयार नहीं था लेकिन वह यह भी जानता था कि अब विजय के दिमाग में जो आ चुका है, यह उसे करके ही हटेगा ।


इस खतरनाक खेल में ब्लैक ब्वाॅय को विजय की मौत नजर आ रही थी परंतु विजयं को न मानना था और न ही माना ।



शीघ्र ही उन्होंने हिम्बोरा का विशालकाय चेहरा ढूंढ लिया । बिजय ने सतर्कता के साथ अपने चारों ओर देखा हिम्बोरा के चेहरे के ठीक सामने एक विशाल पत्थर पड़ा था । यह पत्थर उसके चेहरे से लगभग दो फ्लॉग पर रहा होगा । न जाने क्यों ब्लैक ब्वाॅय का दिल बडी तेजी से धड़क रहा था ।


उसने ध्यान से हिम्बोरा का चेहरा देखा ।


चेहरा ऐसा था जैसे कोई वहुत बड़ा ढोल हो ।
दो बड्री-बडी भयानक कटोरे जैसी आँखें थी ।

किसी हौज की तरह उसका मुंह था ।


नाक के नाम पर दो बड़े-बड़े सूराख थे । सुराख इतने बड़े थे कि एक सुराख से एक इंसान एक बार में सरलता के साथ सुराख मे से होकर हिम्बोरा के अंदर पहुच सकता था ।



वह वडा भयानक लग रहा था । ब्लैक ब्बॉंय कांप उठा । बिजय के जिस्म में भी झुरझुरी सी दोड़ गई ।


फिर वे दोनों शांति के साथ इस विशाल पत्थर की बैक में चले गए । अभी तक हिम्बोरा ने उसे देखा नही था क्योकि अभी तक वह अपने कटोरे जैसी आखे बंदं किए आराम से पडा था । पत्थर के पीछे पहुंचकर विजय ने कहा……'"देखो प्यारे काले लड़के!"


कहने के साथ ही विजय ने अपनी टामीगन का मुह खोल दिया ।


रेट.......रेट की गर्जना के साथ अनेक गोलियाँ उसके चेहरे से टकराकर छितरा गई । हिम्बोरा को इन गोलियों से किसी भी प्रकार की हानि नही पहुँची थी । वह उसी प्रकार आराम से लेटा हुआ था ।



"ये तो साला पुरा आराम-पसंद है! " विजय ने कहा फिर उसके होज-से मुह का निशाना लेकर लगातार तीन किए । गोलियां उसके मुह में धंसती चली गईं । इस बार हिम्बोरा की सेहत पर जैसे असर पडा । उसके भारी चेहरे में कुछ कंपन हुआ ओर उसने फटाक से क्टोरे जैसी मौटी आखे खोल दी । एक पल के लिए तो विजय और ब्वाॅय देखते ही रह गए । उसकी आखें किसी ज्वालामुखी लावे की भाति लाल थी ।



टामीगन पर बिजय की पकड़ अत्यधिक सख्त हो गई । उसने ब्लैक ब्वाॅय से कहा ।




"तो प्यारे काले लडके! अब समय आ गया है । तुम किसी भी कीमत पर इस पत्थर की बैक से मत निकलना ।" कहने के तुरंत पश्चात एक बार पुन: उसकी टामीगन जोर से गरजी ।

सनसनाता हुआ शोला हिंम्बोरा की दाई आख में धंस गया । उसकी आख फूट गई ।

और फिर.....




उसके हौज जैसे मुंह से ऐसी भयानक गर्जना निकली कि वह पत्थर तक डगमगा गया जिसके पीछे वे दोनों थे । मंगल की धरती तो में एक कंपन-सा आया, जैसे भूकंप आ गया हो ।

तभी वातावरण में इस तरह की आवाज गूँजी जैसे भयानक तूफान आ गया हो । भयंकर आग की लपटे उसके हौज जैसे मुंह से निकलीं और उस पत्थर को छू लिया ।


पत्थर और उसीके मुह के बीच का जर्रा-जर्रा खौफ़नाक आग की लपर्टों में लिपट गया ।



तभी टामीगन संभाले हुए विजय ने पत्थर से बाहर जंप लगा दी । ब्लैक व्वाॅय का कलेजा हिलकर रह गया ।


तभी एक झटके के साथ हिम्बोरा अपने स्थान से उठकर खडा हो गया 1 उसके खड़े होते ही सारी धरती इस तरह काप उठी मानों कई ज्वालामुखी एक-साथ अपना बेडा खोल बैठे, हों ।



वह पत्थर जिसके पीछे ब्लैक व्वाॅय था, बडी तेजी के साथ एक तरफ लुढक गया ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

Post by kunal »

ब्लैक व्वाॅय अगर परिस्थिति पहचानकर स्वयं न लुढक जाता तो वह भारी पत्थर के नीचे दबकर शहीद हो जाता ।


ज़र्रा-ज़र्रा काप रहा था ।


पहाड़ जैसे जिस्म का मालिक हिम्बोरा जब खडा हुआ तो ऐसा लगा जैसे एक पर्वत के ऊपर दूसरा पर्वत रखकर ऊचाई बढा दी गई हो । ब्लेक व्वाॅय ने देखा कि पहाड़ जैसे हिम्बोरा ने भागते हुए विजय को देख लिया । एक बार फिर उसकी फुंकार से वातावरण कांपा और आग की भयंकर लपटें विजय पर झपटी । ब्लैक ब्वाॅय ने साफ़ देखा कि विजय उस आग से लिपट: गया ।


ब्लैक ब्वाॅय के कंठ से एक चीख निकल गई ।



विजय का यह भयानक अत उसके सामने हो गया था ।

लेकिन अगले ही पल ब्लैक ब्वाॅय के कंठ से प्रसन्नता में डूबी चीख निकल गई ।


आश्चर्य से उसकी आखें फैल गईं 1 आग के साफ होते ही ब्लैक ब्वाॅय ने साफ देखा कि.......
................कि विजय पर उस आग का लेशमात्र भी प्रभाव नहीं हुआ था । वह उसी तेजी के साथ भागता चला जा रहा था ।. .


हिम्बोरा भी अपना भारी जिस्म लेकर'उसके पीछे भाग लिया । धरती डगमगाने लगी ।


लेकिन विजय बेतहाशा भागता जा रहा था । क्या कोई प्रथम विजेता भागेगा! सिर-पर-पैर रखकर वह दौडता ही जा रहा था । हां उसके पीछे हिम्बोरा आग उगलता हुआ भाग रहा था । लेकिन भारी जिस्म होने के कारण हिम्बोरा के भागने की गति अधिक नहीं थी , विजय के मुकाबले तो कुछ भी नहीं थी ।


रह-रहकर वह फुफकार के साथ विजय पर आग बरसा रहा था । मगर आग विजय का जिस्म स्पर्श करते-ही उसके जिस्म को विना किसी प्रकार की हानि पहुचाए बापस लौट जाती।


विजय बेतहाशा हैडक्यार्टर की और भाग रहा था ।


इसी क्रम के साथ विजय हैडक्वाटर के काफी समीप पहुंच गया । तभी उसने देखा किं सामने से अलफासे, अशरफ और धनुषटंकार भागते चले आ रहे थे ।


वे तीनों इस दुश्य को देखकर कांप गए ।

तीनों की आँखों में भयानकं भाव उभर जाए ।


यह खौफनाक के दृश्य देखकर तीनों यही समझे कि विजय फंस गया ।


अलफांसे के हाथ में टामीगन थी ।


उसके जबड़े सख्ती के साथ एक-दूसरे पर जम गए ।


उसने टामीगन सीधी की हिम्बोरा पर खाली कर दी । लेकिन हिम्बोरा के जिस्म से टकराकर गोलियां शहीद होगई, तभी भागता हुआ विजय चीखा ।



" मेरी चिंता मत करों लूमड़ भाई! तुम फौरन वहीं पहुचो । मैं खुद भी पहुंच रहां हू।"


विजय की ये आवाज त्तीनो के कान में पड्री और तीनों चमस्कूत्त रह गए ।


अलफासे को जीवन में एक बार फिर मानना पड़ा कि विजय जैसा कोई अन्य इंसान होना असंभव है ।


तभी विजय फिर चीखा------" तुम लोग इसकी आग से बचकर रहना वरना बंटाधार तो जाएगा ।"


तभी हिम्बोरा एक बार फिर घूमा । एक बार फिर विजय का जिस्म आग की लपटो मे घिरा लेकिन कोई प्रभाव न देखकर अलफासे बुदबुदा उठा -----" ओह तो यह बात है । वास्तव मे विजय तुम दुनिया के सबसे बुद्धिमान और खतरनाक इंसान हो !"


उनके देखते ही देखते विजय और हिम्बोरा उनके पास से निकल गये । हिम्बोरा पागलों की भाँति गर्जना करता हुआ विजय के पीछे ही भाग रहा था, विजय ही उसका सबसे बडा दुश्मन हो । अलफासे इत्यादि की ईर हिम्बोरा :ने कोई ध्यान नही दिया । बैसे भी वे सभी दूर खड़े थे।


इधर विजय अब हैडक्वार्टर के करीब पँहुच गया था ।


भागते भागते ही उसका द्विमाग अब बड़ी तेजी से काम कर रहा था । अब उसे यह सोचना था कि, यह बचेगा कैसे?


वह जानता था कि उसके हेडक्वार्टर में प्रविष्ट होते ही आग बरसाता हुआ हिम्बोरा हेडक्वार्टर की इमारत को पल भर में समाप्त कर देगा ।


सोचता हुआ विजय अगले ही पल हेडक्वार्टर के नजदीक खडा था ।

हिंम्बोरां के भागने के कारण हैडक्वार्टर तक हिल रहा वा । हैडक्वार्टर के अंदर लड़ने वाले कदाचित इस प्रकार की गर्जना से पहचान गए थे कि आज हिम्बोरा इधर आ रहा है ।


तभी अनेक उल्टे लोन साथ में धरती निवासी यानी कुछ जासूस भागते हुए इमारत से बाहर निकले ।


उस समय विजय हैडक्वार्टर के करीब ही पहुच चुका था जिसने भी यह खौफ़नाक दृश्य देखा था उसकी अंतरात्मा तक दहलकर रह गई ।



सब दूर दूर हट गए । कोई भी हिम्बोरा के सामने आने का साहस नहीं कर सकता था ।


इसलिए हिम्बोऱा से दूर हट जाने के लिए जिसको भी जहां जगह मिली, यह भाग लिया ।


हिम्बोरा की गति क्योकिं विजय के मुकाबले कम थी, इसलिए वह विजय से काकी पीछे था और फिर वह वक्त आया, जब विजय सबके साथ भागता हुआ हैडक्वाटर में प्रविष्ट हो गया । बस--------इस खतरनाक खेल को खेलने को खेलने का यही क्षण सबसे अधिक कीमती था ।


वह इस गैलरी मे था ।


उसने पहले ही एक स्कीम बना रखी थी इसीलिए भागने का रास्ता और प्रबंध भी उसके दिमाग मे पहले ही था ।।



गैलरी की फौलादी दीवार मे काफी ऊपर एक इतना बड़ा रोशनदान था जिसमें से एक इंसान सरलता के साथ आर पार हो सकता था ।



उस रोशनदान से बंधी हुई एक रस्सी विजय पहले ही लटका गया था । पलक झपकते ही वह बंदरो की भाँति उसी रस्सी पर चढता चला गया और अगले ही पल वह रोशनदान पर था ।


उसने बाहर देखा कि पागलों की तरह भागता और आग बरसाता हुआ हिम्बोरा हेडक्वार्टर के बहुत करीब आ चुका था । लेकिन अभी विजय के पास इतना समय था कि वह कुछ करिश्मा दिखा सके , छत रोशनदान से अधिक दूरी पर नहीं थी ।


वह फुर्ती के साथ रोशनदान पर लटका और किसी दक्ष नट की भाति एक ही कला मे फौलादी हैडक्वार्टर की छत पर पहुंच गया ।


उसके बाद तेजी के साथ हैडक्वार्टर की छत-ही-छत पर दाएं सिरे की ओर भागता जा रहा . था ।


अंतिम सिरे पर पहुचते ही.....
..


कमाल कर दिया विजय ने ।


उसने हैडक्वार्टर की छत से नीचे जंप लगा दी ।


जैसे ही उसका जिस्म परती से टकराया, उधर हिम्बोरा का जिस्म हैडक्वार्टर से टकराया । आग की लपटों ने अपनी भयानक जीभ फैलाई ।



कान के पर्दे फाड देने वाला एक जबरदस्त धमाका हुआ ।


धरती बुरी तरह डगनगा गई ।


सारा हेडक्वार्टर कागज की भांति हिल उटा ।


आधा हेडक्वार्टर उसकी पहली टक्कर से धराशायी हो गया । शेष दूसरी टक्कर से ।



इधर विजयं डगमगाती धंरती पर भागता चला गया ।


अब हिम्बोरा की नजरों से वह दूर हो गया था ।


दूर जाकर उसने द्रेखा ।


अनगिनत चीखे फैलाती हैडक्वार्टर के नीचे दबकर रह गई-थीं । आग की-लपटों में लिपटा हुआ हैडक्वार्टर धूं-धूं कंरकें जल रहा था ।


सब कुछ स्वाहा हो गया था--सब कुछ ।



विजय जैसे अभी थका नही था ।


वह भागता ही जा रहा था ।

इस हैडक्वाटर का अंत उसने बड़े अजीब ढंग से किया था ।



धरती अभी तक डोल रही थी ।
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