बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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" बोलो प्यारे. कहाँ है फाइंल?"


" .ठहरो..... ठहरो!" अपनी कराहों के बीच वह बडी कठिनाई से बोला---" वह..व ह ट्रासमीटर के समीप बटन दबाने से दाएं कोने का थोडा- फर्श हट जाएगा । उस फ़र्श के नीचे ही भारत में स्थित एजेंटों के नाम व पतों की फाइल है ।"



बड़ी फुर्ती से विजय ने कैरेट मारकर बेहोशी के दामन में पहुचा दिया । वह उस ओर लपका जिस ओर उसने संकेत् किया था । बटन दबाया…चास्तव में फर्श हटा और फर्श के नीचे कवर की एक मोटी-सी फाइल रखी थी । उसने उसे उठाया और तेजी से एकाध पेज उलटकर देखा । फाइल देखकर वह संतुष्ट हो गया । फाईल को उसने कपडो में छुपाया रिवॉल्वर संभालकर दरवाजे की ओर लपका ।



अपने इन के कार्यों के बीच बह निरंतर तहखाने में हो रही फायरिंग की आवाज़ सुनता रहा था । उसने दरवाजा खोला और एक पल के लिए दरचाजे के पीछे छुप गया । मैदान साफ़ पाकर वह तेजी के साथ बाहर आया । उसके बाद वह गेलरी में दोड्रता हुआ बाहर की ओर लपका । उसका टकराव किसी सेनिक से नहीं हुआ ।

वह जैसे ही हाँल मे पहुचां, दूसरी ओर से अलफांसे आता दिखाई दिया । उसके हाथ मे एक मशीनगन थी । विजय को देखते ही वह बोला~“ अब इस अड्डे के अंदर हमारे दुश्मनों के रूप में कवल लाशे हैं ।"



" वो मारा साले पकोड्री वाले को!", विजय लगंभग नारा-सा लगाता हुआ बोला-"अब दुम दबाकर भाग लो लूमड भाई ।"

"फाइल मिल गई?” अलफांसे ने प्रश्न किया !



" मिल गई प्यारे?" विजय ने कहा--" अब तो भागने की सोचो ।कहने के साथ ही दोनों जिस रास्ते से आए थे ! उसी रास्ते पर वापस भाग लिए ।


तब जबकि वे सीढी चढकर सबसे ऊपर पहुचे, ऊपर से. , निरंतर फायरिंग की आवाज आरही थी ।

अशरफ आराम से झाडियों में पड़ा था ।


सर्चलाइट का प्रकाश रह-रहकर उसकी झाडियों के ऊपर से गुजर जाता था । लगभग पैंतालीस मिनट पश्चात उसके कानों में फायरिंग की आवाज आई!



ऐसा लगता के जैसे फायर घरती के नीचे हो रहे हो, तभी उसने सर्च लाइट और मैदान में हलचल महसूस की । वह समझ गया , कि ये लोग भी इस फायरिंग के कारण ही परेशान है । अशुरफ ने तुरंत निश्चय लिया कि अव उसे कुछ करना है । उसने रिवाॅल्बर सीधा किया सबसे पहला फायर सर्च लाइट पर किया ।


अंधेरे मे फायर के साथ एक तेज धमाके-की आबाज गूजी और गोली ने सर्चलाइट का शीशा और बल्ब फोड़ दिया । घुप्प अधेरा छा गया लेकिन वहां की हलचल बढ गई । अशरफ ने पहले ही निश्चय कर लिया था कि उसे करना क्या हैं । उसने हवा में एक ऊंची जंप ली और काटों की दीवार पार करता हुआ -मेदान के अंदर,पहुंच गया । अनेक सेनिक सर्चलाइट स्टेशन के पीछे की ओर भाग रहे थे । अशरफ भी उन्ही के साथ भागा । इस अंधेरे के कांरण उसे अपने पहचान लिए जाने का खतरा नहीं था । भागता` वह भी अंधेरे में गुम हो गया ।



तभी उसे अपने समीप ही दाईं ओर टार्च जलने का प्रकाश नजर आया । अशरफ तुरंत अपने स्थान पर लेट गया और उधर की कार्यवाही देखने लगा । वह टॉर्च एक सैनिक ने रोशन की थ्री । उन्होंने तेजी के साथ पहरेदार से कहा ।

"जल्दी से बटन दबाओ । " यह कहने के साथ ही उसने टार्च का प्रकाश बटन पर डाला ।

उनसे दूर खडे अशरफ ने वह बटन देखा । तभी उसके कानो में पहरेदार की आवाज आई ।

कोईं बोला…"मान-न-मान ने तेरा मेहमान ।"


और सेनिक का हाथ बटन की ओर बढा लेकिन तभी अशरफ के रिवॉल्वर ने दो छोले उगले सेनिक तथा पहरेदार वही चीखकर शहीद हो गए ।



अशरफ की समझ में अब सब कुछ आ गया था । वह तेजी से उधर ही लपका सेनिक की गन संभालकर वहीं पर लेट गया । उसका यह मोर्चा बहुत ही बढिया था । रह-रहकर भागते हुए सेनिक उधर आ रहे अंघेरे मे पड़ा हुआ अशरफ बही सरलता के साथ उन्हें अपना निशाना बना रहा था । उसका यही क्रम जारी रहा । समय गुजरता रहा और वह मोर्चे पर जमां हुआ लाशों के ढेर लगाता रहा ।



लगभग तीस मिनट पश्चात उसे ऐसा, लगा कि उसने अधिकांश सेनिक मार दिए हैं । अब उसके जबाबं में कोई फायर करने वाता नहीं था । जव उसने यह महसूस किया तो अंधेरे में टटोलकर उसने वह बटन दबा दिया जों उसने टॉर्च के प्रकाश में देखा था । उसके दबाते ही थोड़ा सा फर्श हट गया ।



लाल प्रकाश ने बाहर झांका उसने वहुत धीमे से गर्दन निकालकर नीचे झांका । नीचे देखते ही उसके मुह से एकदम निकल.-----" विजय !"


" हाय! " अंदर एकदम विजय के चहकने की आबाज आई-" यानी कि हो , अपने झानझरोखे । लूमड़ भाई लगता है झानाझरोखे ने मैदान साफ़ कर दिया है ।"



उसके बाद......



वे तीनों फाइल लेकर सुरक्षित उस इलाके से बाहर निक्ल आए ।

सुबह के अखबारों ने अमेरिका में जैसे हंगामा मचा दिया । सात-आठ स्थानों पर कुल मिलाकर पचास लाशें उल्टी लटकी पाई गई थी । उन सबके माथे पर गोश्त काटकर 'विकास' लिखा था ।

सारा अमेरिका एक बार पुन: आतंकित हो उठा । विकास के भय ने एक बार पुन: अमेरिकी जनता के दिमाग जकड लिए ।


चारों ओर पुन: आतंक था ।


सीआईए. के हेडक्वार्टर पर हंगामा मचा हुआ था । उनका भारतीय रिपोर्ट प्राप्त करने वाला अड्डा पूरी तरह खत्म हो चुका था ।


भारत में स्थित सी-आइ-ए के एजेंटों फाइल भी गायब थी । अमेरिकन सरकार ने अखबारों में निकलवाया था कि रात की घटनाओं से यह सिद्ध होता है कि विकास न्यूयार्क में ही कहीं है । विकास के ऊपर अमेरिकन सरकार ने दस हजार डॉलर का इनाम रख दिया ।


पूरी अमेरिकन मशीनरी बौखलाइ हुई थी । किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि कौन क्या करे?



इधर केजीबी के अड्डे पर विजय, अलफांसे, अशरफ, बिकास, धनुषटंकार और सुभ्रांत बैठे थे ।



हैरी को किसी बहाने से विकास ने छोड़ था । उसने हैरी को यहां के.जी.बी. के अड्डे पर लाना उचित नहीं समझा था ।


उसने हैरी को विश्वास दिला दिया था कि कल तक खुद अमेरिकन सरकार यह कहने लगेगी कि विकास अपराधी नहीं है । उनके देश का कोई भी मुकदमा विकास पर नहीं है । उसने आज रात को बारह बजे एक स्थान पर मिलने का वादा किया था।



इस समय उनके बीच आज के अखबार पड़े थे । अपने खूनी कारनामे उन्होंने पढे लिए थे ।


एकाएक विजय विकास की ओर देखकर बोला-------"बोलो प्यारे दिलजले, भारत में स्थित सी.आईं.ए. के एजेंटों के नाम और पतो की फाइल हमारे पास है । बडी सरलता से हम भारत से सीआइए. का पतन कर सकते हैं यानी अब हमेँ भारत चलना है । लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि अमेरिका यू.एन.ओ. के जरिए तुम्हें मांगेगा नहीं? अब निकालो वह प्वाइंट, जिसके आधार पर तुम कह रहे थे कि तुम पुन: भारत में पहुच जाओगे और अमेरिका यूएनओ. के जरिए तुम्हें नहीं मांग सकेगी बल्कि खुद विश्व में यह घोषणा करेगा कि विकास हमारा अपराधी नहीं ।"


"बस गुरु इस काम के लिए मुझे आज की रात दे दो ।"


" क्यों आज क्या फिर खूनी उत्पात मचाना है ? बेटा दिलजले! तुम्हारी बाते किसी पहेली से कम नहीं हैं ।" विजय बोला-"जरा स्पष्ट करो कि क्या करना चाहते हो, आखिर वह क्या प्वाइंट है?"


"आपकी खुद मालूम हो जाएगा !" विकास ने 'कहा--" आप मेरे लिए केवल एक टेपरिकॉंडंर प्रबंध कर दो ।"


उसके बाद विजय इत्यादि ने काफी चेष्टा की कि विकास कुछ बता दे लेकिन विकास भी अपने नाम का एक ही था । उसने कुछ नहीं बताया । उस रात वह टेपरिकाॅर्डर लेकर अकेला ही गया । जाता-जाता वह विजय, अलफांसे धनुष्टंकार को अपनी कसम दे आया था कि कोई भी पीछे न आए …… ।


"पता नहीं साला ये दिलजला क्या करेगा?" विजय कह रहा था ।


" जो करेगा, ठीक करेगा!" अलफांसे बोला…"लड़का अब गुरु हो गया है, तुम चिंता मत करो !"


"अबे चिंता कैसे न करें साले लुमड !" विजय
बोना-" लडका हीरा है । अगर कुछ हो गया तो.....!'




इधर इस तरह की बाते हो रही थी और उधर........


विकास का शिकार था अमेरिका का राष्ट्रपति भवना पहले उसने अपना यह कार्य पूरी तरह सोच लिया था । राष्ट्रपति भवन पर पहरा तो जरूर रहता था लेकिन वैसा कदापि नहीं होता जैसा सीआईए हेडक्वार्टर पर । बड़ी सरलता से वह छुपता हुआ राष्ट्रपति भवन के इस कक्ष में वह विशेष कार्य करने लगा ।


अपना वहां कार्य समाप्त करके उसने आँफिस का दरवाजा बंद कर दिया और बाहर आ गया ।



लम्बे चौड़े राष्ट्रपति भवन में चारों ओर सन्नाटा था । बिकास गैलरी में बहुत फुर्ती के साथ दबे पाव बढ़ता चला गया । उसने जेब से कम पॉवर का टाइम बम निकाला और उसमें पद्रह मिनट के बाद का टाइम भरकर गैलरी मे एक तरफ लुढका दिया ।

वह जानता था कि इस बम से नुकसान कछ नहीं होगा केवल धमाका होगा । उसने अपनी जेब से एक चाकू निकाला और पास ही की दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में कुछ लिख दिया । इतना कार्य करने के बाद विकास राष्ट्रपति भवन में जिस शांति के साथ प्रविष्ट हुआ था, उसी शांति के साथ बाहर निकल गया ।

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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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एक भयानक विस्फोट की आवाज से सारा राष्ट्रपति भवन गूंज उठा । खुद राष्ट्रपति जो अराम से अपने विस्तर पर सोए हुए थे उछल पड़े । सारे भवन में एकदम हंगामा-सा मच गया । राष्ट्रपति ने तेजी के साथ अपने कपड़े पहने बाहर निकलकर आए । उन्होंने देखा बाहर एक कोलाहल-सा था ।



गेलरी मे एक ओर भीड़ लगी हुई थी । उसी वक्त दनादन चार-पांच सेनिक ट्रक वहां रुके और सारा राष्ट्रपति भवन सैनिकों से भर गया । कदाचित किसी ने उन्हें सूचना दे दी थी ।


खुद राष्ट्रपति उस तरफ़ बढे, जहा गेलरी में भीड़ लगी हुई थी ।


" विस्फोट यहीं हुआ था ।" एक सैनिक कह रहा था ।



नए आनेवालों में से एक आफिसर भी था । उसने सबको हटा दिया ।



तब तक वहां कई विशेष हस्तियां भी पहुंच चुकी थी ।


तब जबकि वहां से सबको हटा दिया गया वहाँ कुछ महान हस्तियां रह गई, तब सी आई ए के चीफ़ ने एक टॉर्च का प्रकाश वहा डाला । कुछ देर में टांर्च का प्रकाश उस दीवार पर पड़ा जहां विकास ने चाकू से कुछ लिख दिया था, सबने एक साथ पढा,



"केवल कुछ महान ह्रस्तिया राष्ट्रपति महोदय के ऑफिस पहुँचे । वहां एक टेपरिकाॅर्डर मे अमेरिका सरकार के लिए विशेष संदेश है । उसे ध्यान से सुने और तब आगे की कार्य वाही करें , ध्यान रहे वहां केवल महान हस्तियां हो पहुचे वरना साधारण लोग अगर अमेरिका की इस कमजोरी को जान गये तो काफी नुकसान होगा !"


आप लोगों का चहेता


विकास !

पढकर महान हस्तियों ने एक दूसंरे को देखा । और अंत में यही निश्चय किया कि आँफिस में कुछ बिशेष आदमियों के साथ जाकर देखा जाए कि इस शैतान का संदेश क्या है?


तब जबकि आँफिस का दरवाजों खोला गया । दरवाजा खुलते हीँ टेपरिकार्डर ओंन हो गया । कदाचित विकास ने टेप का स्टार्ट सिस्टम दरवाजे से ही संबधित कर दिया था ।



दरवांजा अंदर से बंद कर लिया गया । टेप में से बराबर आवाज आ रही थी । इस टेप में वे ही सब बाते बातें थी- जो सीआईए के भारत . में स्थित एजेंट 'काली' नें सीआईए. के चीफ को बताई थी । वे ही बाते जहां से यह केस शुरू हुआ था, जिन्हें सुनकर बिकास को भारत में सीआईए के जाल का पता लगा था । उसने क्रालीं की बाते उसी समय एक पाॅकेट टेपरिकॉंर्डर में टेप कर ली थी । उस टेप की बातों से यह बिल्कुल स्पष्ट था कि अमेरिका ने भारत को सीआईए के "जाल" में किस कदर जकड रखा था । वहां वह किस-किस तरह की चाले चल रहे है और किस प्रकार भारत का तख्ता' पलटने का प्लान वना रखा है?


(आप यह टेप-सुनने के लिए ' वेप्रकाश शर्मा' का "टू नइ वन" उपन्यास 'अपराधी विकास और मंगल सम्राट विकास' पढे ।)



उस टेप के समाप्त होते ही वहां कुछ पल के लिए मौत जैसा सन्नाटा छा गंया । अभी कोई कुछु बोल भी नहीं पाया था कि टेप मे पुन: बिकास की आवाज निकली ।


“अमेरिकन हुक्मरानो तुमने ये टेप सुन लिया है। टेप की एक कॉपी अब भी मेरे पास है । माना कि मै अपराधी हूं ।

यू-एन-ओ. के कानून के अनुसार भारत से मुझें ले लोगे, एक बात कान खोलकर सुन लो-------अगर तुमने मुझे अपना अपराधी घोषित कर यू.ऐन.ओ. के जरिए भारत से मांगा तो

ये टेपरिकाॅर्डर यू एन ओ की मेज पर होगा । तुम सोच सकते हो कि इसमें तुम्हारा हर रहस्य है । बह सब यू एन ओ के सामने एक सशक्त प्वाइंट के रूप मे खुल जाएगा ।



कदाचित तुम यह भी जानते होंगे कि यू एन ओ के कानून के अनुसार एक देश का दूसरे देश मे जासूसी का जाल बिछाना संगीन अपराध है ।


अगर तुमने मुझे अपराधी घोषित किया तो निश्चय ही यू-एन-ओ का मुकदमा मुझ परं चलेगा और भारत मुझे तुम्हें सौंपने के लिए बाध्य हो जाएगा ।

लेकिन यूएनओ. की पकड में आने से पहले ही मैं यह टेपं यू. एन .ओ . तक पहुंचा दूंगा । उसके बाद तुम सोच सकते हो कि एक तरफ़ मुकदमा मेरे अकेले के विरुद्ध चलेगा और दूसरी तरफ़ तुम्हारे पूरे देश के ऊपर । सारा विश्व तुम्हारे खिलाफ़ होगा और उससे आगे क्या होगा, यह मेरे कहने की बात नहीं है । वेसे भी यह टेप मेरे अपराधी बनने के अपराध को कम कर देगा क्योकि यूएन.ओ. में यह बात भी उठ सकती है कि जब अमेरिका ने भारत में इतना भयानक जाल फैला रखा है तो उसके मुकाबले भारत का एक साधारण नागरिक अपराधी बनकर अमेरिका पर छा जाए-यह अपराध कोई विशेष अपराध नहीं है । कहने का मतलव केवल यह है कि यू.एन.ओ. में मेरे अपराध से बड़ा अमेरिका का अपराध सिद्ध हो जाएगा । अगर अब भी कुछ न समझे हो तो मुझे यू-एन-ओ. से मांग लेना । लेकिन कहावत यही चरितार्थ करूंगा’--"हम तो डूबेगे सनम, तुमको भी ले डूबेगे । मै अकेला ही डूबूंगा लेकिन तुम्हारे पूरे देश को ले डूबूंगा । तुम्हें विश्व में यह घोषणा करनी होगी कि मैंने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा हैं-----मै तुम्हारा अपराधी नहीं हूं लेकिन अगर नासमझी से काम लिया तो…यह टेप तुम्हारी पूरी साजिश, का भंडा फोड़ देगा । तुम लोगों ने मुझें पहचान तो लिया ही होगा, वैसे मुझे के विकास कहते है ।"



टेप के खत्म होते-होते सुनने वाली महान हस्तियाँ कांप उठी ।


उन्होंने एक दूसरे को देखा । सबके चेहरे पीले जर्द पड़े हुए थे,सबको मन-ही-मन यह बात माननी पड रही थी कि विकास को यू.एन.ओं. के जरिए भारत से न मांगना हीँ देश के पक्ष में है ।


वास्तव मे अगर यह टेप यू एन ओ मे पहुंच गया तो विश्व का एक एक देश उनके खिलाफ हो जाएगा ।


"क्या चीज है ये लड़का!"'राष्ट्रपति के होंठ बुदबुदा उठे ।



रात के उसी समय इस बिषय को लेकर अमेरिका की सभी महान हस्तियों को बंद कमरे में यह टेप सुनाया गया इस विषय पर मीटिंगं हुई कि विकस को अपराधी घोषित करके यु-एन-ओ. के जरिए मांगा जाए अथवा विश्व में यह घोषणा कर दी जाए कि बिकास ने हमारा कुछ नहीं बिगाड़ा है, वह हमारा अपराधी नहीं है? दूसरी बात मानते हुए जोर तो सब पर पड़ा लेकिन उनमें से एक भी मूर्ख ऐसा नहीं-निकला, जो पहली बात मानकर केवल एक विकास के लिए पूरे देश पर यू-एन-ओं का मुकदमा चलवाए ।

विवश होकर सबको दूसरी बात मानने लिए विवश होना पड़ा । लेकिन सबके दिमाग में एक ही नाम हथोड़े की तरह बज रहा था ।


विकास........विकास! क्या अमेरिका कभी इस शैतान से बदला ले सकेगा?

सुबह के अखबार वास्तव में विकास के पक्ष में थे । सरकार ने साफ-साफ़ शब्दों में धोषणा की थी कि विकास उनका अपराधी नहीं है । उन्होंने लिखा था कि अमेरिका में जो कुछ भी हुआ, वह बिकास ने नहीं बल्कि विकास को बदनाम करने के लिए विकास के नाम से सब कुछ सिंगहीँ ने किया है । अमेरिकन सरकार ने यू.एन.ओ. से विकास के विरूद्ध किया हुआ दावा वापस ले लिया ।




विजय अलफांसे इत्यादि ने जब विकास से पूछा यह करिश्मा कैसे हुआ तो विकास ने बता दिया ।


सुनकर मन ही मन विजय और अलफासे विकास की प्रशंसा करते रहे !!


रात को राष्ट्रपति भवन से लौटने के बाद विकास हैरी से मिल लिया था ।


हैरी के साथ वह उसके घर गया गुरु जैकी और जूलिया से मिला । वह इस समय जैकी को यकीन दिला रहा था कि यह सब उसने नही सिगंही ने किया है ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

Post by kunal »

जैकी को यकीन नही आ रहा था कि तभी उसके पास एक सरकारी फोन आया जिस पर सरकार की ओर से पेपर मे यह समाचार निकालने के लिए दिया गया कि विकास निर्दोष है । अब तक के सारे अपराध सिगंही विकास के नाम से कर रहा था ।।


इसके बाद जैकी के विश्वास न करने कोई आधार ही नही रह गया । रात को ही विकास जैकी हैरी और जूलिया से विदाई लेकर भारत चला गया था


इस प्रकार


इस प्रकार.....विकास पर लगे हुए सारे कलंक एकदम धुल गए । विश्व के सामने अब वह अपराधी नहीं रहा । अमेरिका को विवशताबश यह काम तो करना ही पड़ा लेकिन अंदर-ही-अंदर वह जल रहा था । उसके पश्चात विजय विकास, अलफांसे, अशरफ, धनुषटंकार सुभ्रांत के.जी.बी. की मदद से भाऱत पहुंच गए । सबसे पहले इनका ग्रुप विजय की कोठी पर पहुंचा ।



वहाँ सबसे पहले उसे टुम्बकटू का एक लेटर मिला ।



"प्यारे बापूजान ।


बडे गद्दार हो तुम । हमने शुरू से आखिर तक तुम्हारा साथ दिया । तुम्हारे गुरू लोग तुमसे धोखा कर गए लेकिन हमने नहीं किया मगर तुम इतने हरामी निकले कि हमें मंगल पर ही छोडकर भाग आए । खैर तुमने बेवफाई दिखाई है कभी न कभी इसका बदला जरूर लेंगे । बोसे तुम्हें यह बता दे कि इस झकझकिए ने मंगल का वह सारा हैडक्वार्टर बुरी तरह नष्ट कर दिया था लेकिन कया जाए कि वो साला खूसट सिगंही और अपनी स्वप्न सुंदरी जैक्सन अब भी बच गए । मै एक ग्लोब से धरती पर पहुँचा हू । जासूसों का वह ग्रुप मुझसे पहले धरती के लिए रवाना हुआ लेकिन मेरे बाद पहुँचेगा क्योंकि उनकी रफ्तार कम है । वैसे यहां आकर तुम्हारा जो रंग देखा , उसे देखकर ढंग रह गया । साले बापूजान सब कुछ करके भी बच गए ।

टुम्बकटू ।।


इस पत्र की पंढ़कर सब मुस्करा उठे । उस फाइल के आधार पर भारताय सेना ने सभी अड्डों पर एक साथ छापे मारे सबको गिरफ्तार करके सीआईए का जाल र्तोड़ दिया गया । इस प्रकार विकास का उद्देश्य सफल हुआ ।


विकास की वापसी हुई ।


जब विजय और अलफासे विकास को लेकर रैना के पास तो रैना ने उसे कलेजे से चिपका लिया और फूटफूट कर रोने लगी ।



विकास मां के आंचल मे छोटे बच्चे की भाँति इस तरह समा गया जैसे उससे अधिक भोला और मासूम सारी दुनिया में कोई नहीं है


end
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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top novel hai dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

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