बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी complete

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kunal
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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जासुसों का बादशाह दौडता ही जा रहा था कदाचित विश्व के सबसे भयानक खेल मे सफल होकर ।


यह सोचने का समय उस समय नही था कि कौन बचा और कौन तबाह हो गया ।


.....................

विकास सुभ्रांत और पूजा तेजी के साथ भागते हुए जाम्बु के अड्डे की ओर जा रहे थे हालाकि भागते हुए विकास का साथ देती पूजा थक गई थी ।


लेकिन क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की…स्री भी शिकन आई हो अथवा वह ज़रा भी शिथिल हुई हो ।



यहां तक आते-आते उनका टकराव अनेकं लोगों से हुआ था । पूजा की तो टामीगन खाली हो गई थी ।


इसलिए व्यर्थ समझकर उसे फेक दिया था ।


विकास के हाथ में अभी टमीगन थीं लेकिन यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता था कि उसमे कितनी गोलियां शेष थी ।


बस! जब तक वह प्रयोग में आ रही थी विकास प्रयोग कर रहा था ।


अचानक एक उल्टा मानव उसके सामने आया और साथ ही उसकी बदनसीबी भी उसके सामने आ गई क्योंकि विकास के सामने आते ही बिकास की टामीगन से एक गोली निकली और उसके प्राण निकल गए … ।


तब जबकि वे तीनों जाम्बू के अड्डे पर पहुंच गए ।।


वे अभी एक गैलरी में ही थे कि…


धांय.................!




एक फायर हुआ और गोली सीधी विकास की टामीगन से टकराई ।


झनझनाकर टामीगन दूर जा गिरी ।विकास ने तेजी के साथ उस पर झपटना चाहा लेकिन तभी एक फायर और हुआ और यह गोली भी फर्श पर पडी टामीगन पर ही लगी ।


हटकर टामीगन और अधिक दूर जा गिरी।

तभी-------हा. . .हा. . हा !" भयानक कहकहे से सारा क्वार्टर दहल उठा ।


तभी एक खंबे की बैक से वह कहकहे का मालिक निकलकर सामने आया ।


उसे देखकर पूजा सुभ्रांत कांप गए ।


विकास का चेहरा किसी भट्ठी की भांति तप उठा ।


" क्यों वेटे ! भागना चाहते थे?" वह बोला…“अमेरिका के साथ इतना बड़ा मजाक करके तुम्हें वाकई भागने नहीं दूगा । भारत अगर तुम्हारा देश है तो अमेरिका मेरा देश है ।" टामीगन संभालकर -वह आगे बढता हुआ बोला…" जब विजय ने अलफांसे से कहा था, मैने तभी सुन लिया था कि तुम यहां पहुंच रहे हो और तुम्ही तो मेरे शिकार हो बेटे! तुम्हारा कत्त्ल ही मेरा अभियान है और अब तुम किसी भी कीमत पर बच नही सकते ।"



वास्तव में वह माइक था' ।


पूरी तरह सतर्क वह टामीगन थामे विकास के सामने खडा था । पूजा और सुभ्रांत विकास के दाएं-बाए सहमे-से खड़े थे ।


विकास खौफनाक लग रहा था ।



“अब अपने भगवान को याद कर ले लड़के, तेरा अंतिम समय आ गया है ।"


" अमेरिकन अंकल !" विकास गुर्रा उठा-----------" अमेरिका ने अभी वो शस्त्र तैयार नहीं किया है, जो विकास के प्राण ले सके । कसम तुम्हारी अंकल, मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ बल्कि तुम्हारे देश की नीतियों का दुश्मन हूं।"


"मेरे देश का दुश्मन, मेरा दुश्मन है ।” माइक गुर्राया-"मैंने सुना था कि तुम यहां से किसी ग्लोब में बैठकर भागने का प्लान बना रहे थे? बहुत तलाश कर लिया लेकिन मुझें यहां कोई ग्लोब नहीं मिला लेकिन कोई बात नहीं, भागने वाले ही न रहेगे तो गलोब किस काम का !


"इन बातों को भूल जाओ अंकल ।" विकास चीखा ---" विकास की जान के लिए गज भर का कलेजा चाहिए !"

“जानता हू लड़के कि तू पक्का शैतान है । शैतान को अधिक देर तक जिंदा रखना खतरनाक है और बैसे भी कुछ ही देर मैं तेरे गुरू लोग पहुंचने वाले है इसलिए तेरा अंत जल्दी होना चाहिए ।” कहते हुए उस उसकी उगली का दबाव ट्रेगर पर कस गया ।


" धांय ।"


माइक ने यह गोली विकास के पेट को लक्ष्य बनाकर चलाई लेकिन... ।



"नहीँ. . .!” तभी पागल-सी होकर पूजा चीख पडी । न केवल चीख पडी बल्कि बिजली की…सी गति से वह बिकास के सामने आ गई ।



जो गोली विकास के पेट में लगती वह पूजा का सीना फाड़ गई । ये सब कुछ एक ही पल में हो गया था । विकास तक नहीं समझ सका था कि अचानक यह सब कुछ इस तेजी से हो कैसे गया? उसने अपने सामने खडी हुई पूजा को थाम लिया ।



"पूजा..!" जरे-जर्रे तक को बिकास की आवाज़ ने कंपकंपा दिया ।



…'धांम्-धांय......


तभी दो गोलियाँ और चली और फिर पूजा के जिस्म में धंसती चली गई । पूजा के जिस्म से छीटों के रूप में खून उछला ।



खुद विकास का चेहरा लथपथ हो गया । ये सब कुछ बड्री तेजी के साथ हो गया । सामने हत्यारा माइक खडा था । विकास उसकी ओर पलटकर संपूर्ण शक्ति से चीखा ।




" माइक हरामजादे! इस मासूम पर गोलियां बरसाता है । पूजा की कसम, पाताल में भी तुझे जिंदा नहीं छोडूगां । फाड़कर सुखा दूंगा तुझे !" उसने इतना ही कहा था कि माइक ने एक…फ़ायर उस पर भी झोंक दिया,.लेकिन एक तरफ विकास पर जहाँ खून सवार था, वहाँ वह संगआर्ट का भी पूर्ण ज्ञाता था । वह न केवल खुद को बचा गया बल्कि अगले ही पल उसकां जिस्म सीर्धा माइक पर जाकर गिरा । माइक संभल न सका, टामीगन उसके हाथ से निकल गई । विकास खूनी भेड्रिए की भांति उससे लिपट गया, , साथ ही गुरांया-"गुरु का दोस्त है कुत्ते, इसलिए मैं तेरी इज्जत करता था. . लेकिन मुझें नहीं पता था कि असेरिक्रा का श्रेष्ठ जासूस इस से कदर नीच होगा । अंब किसी की इज्जत नहीं करूण । कमीने! लाशें बिछा दूँगा ।"

कहते हुए विकास ने माइक की सिर से ऊंचा उठाकर नीचे पटक दिया ।



यह था विकास के जीवन का सबसे खूंखार रूप ।


सबसे अधिक भयानक विकास आज हुआ और ऐसे पागलपन में इंसानी जिस्म से एक अज्ञात-शक्ति भर जाती है । उस शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता । तभी तो माइक बौखला कर ऱह गया ।


अचानक भागता हुआ बागारोफ वहां प्रविष्ट हुआ एकदम चीखा-------"अबे ओ हरामी लड़के! ये क्या....... ?”



आवाज सुनकर किसी भेड्रिए की भांति घूम गया विकास ।


विकास का यह रूप देखकर बागारोफ़ की अगली-पिछली सात पुश्ते क्राप उठी । वह कुछ कह भी नहीं पाया था कि विकास गुर्रा उटा [



"बीच में मत आना बागारोफ़!” इतना पागल गया था विकास कि बागारोफ तक का नाम लेकर बोल रहा था------" वरना चीर-फाडकर लाशों में बदल दूगा । इसने मेरी पूजा को मारा है, इसे कोई नहीं बचा सकता-कोई नहीं । अब मैं किसी की इज्जत नहीं करूंगा, किसी को बडा वहीं मानूगां, मेरे रास्ते से हट जाओ ।"


दहल उठा बागारोफ़ लेकिन फिर भी बोला----" अबे क्या बका है हरामजादे! वो यार है अपना ।"



" भाड़ मे गई यारी--दोसूती!" चीख पड़ा विकास------" यार के चक्कर में पड़े तो तुम्हारी भी लाश होगी यहां । विकास के सिद्धातों मे खून का बदला खून है । इसने पूजा जैसी मासूम लड़की को मारा है ।"


"क्या?" चौंका बागारोफ़……" इस मासूम लड़की को माइक ने मारा है?" । "


" और हां इसकी मौत के बदले में मैं इस हरामजादे को नहीं छोडूंगां ।" विकास ने माइक के जबडे पर अपने बूट की एक जोरदार ठोकर माऱते हुए कहा ।



माइक एक चीख के साथ पलट गया ।


"क्यों बे अमेरिकी सुअर !" बागारोफ का रूप एकदम बदल गया-------


"अबे अव इतने नामर्द हो गए कि मासूम लड़कियों को मारने लगे! यार विकास, मारे साले को! हुलिया बे-रंग कर दे इसका ! "


विकास का खून जैसे इस जोश भरी बातों से खौल उटा ।


माइक को हाथों-हाथ ले लिया । न जाने क्यों माइक इस समये खुद को विकास के सामने कमजोर-सा महसूस कर रहा था ।



इसके कई कारण थे, पहला तो ये कि विकास इतना पागल हो गया था कि एक पल के लिए भी वह संभलने का अवसर नहीं दे रहा था, दुसरे बागारोफ के विकास के पक्ष में आ जाने के कारण उसकी हिम्मत दूट गई थी । केवल तीन मिनट में ही विकास ने माइक को लहुलुहान कर दिया ।



तभी वहाँ अलफांसे, अशरफ और धनुषटंकार प्रविष्ट हुए । अँदर का दृश्य देखते ही तीनों के माथे ठनके ।




अलफासे तेज आवाज में बोला-------" विकास यह क्या हो रहा है?”


" गुरु !" विकास पुकार उठा…"इस कमीने ने मेरी पूजा को मार डाला मैं इसे जिंदा नहीं छोडूंगा ।"


"क्या?" पूजा की हत्या के नाम पर अलफांसे भी बुरी तरह चौंका---"पूजा को मार डाला !"


" हां , गुरु, हां ।" विकास चीखा---" इसने मेरी पूजा की जान ले ली । पूजा की मौत का बदला अब केवल इसकी मौत है !” कहकर वह पुन: बुरी तरह माइक पर पिल गया ।




परिस्थिति ऐसी थी कि अलफासे भी विकास के खिलाफ बोल न सका । पूजा इतनी मासूम, भोली थी कि खुद अलफासे को उससे स्नेह हो गया था ।


यह उधर से ध्यान हटाकर पूजा की लाश ओर लपका । पूजा के समीप बैठते ही उसने देखा कि पूजा अभी मरी नहीँ है । उंसके मुह से बहुत हल्की-सी कराह निकल रही थी । "


अलफांसे चीख पडा----- "विकास पूजा अभी जिंदा है ।"



"क्या.....!" विकास के कंठ से एक चीख-सी निकल गई !"



उस समय उसने माइक का गिरेबान पकड़ रखा था । एक झटके के साथ उसने माइक को वहीं छोड़ दिया और आंघी-तूफान की तरह भागता हुआ पूजा के पास आया ।

"पूजा.. पूजा! तुम चिंता मत करना......मै तुम्हें मरने नहीं दूगा ।"

अलफासे थोड़ा-सा अलग हट गया !



विकास, ने पूजा का सिर अपनी गोद में रख लिया । पूजा ने अपनी आंख खोलने का प्रयास किया और खून से सने अपने कोमल हाथ विकास के चेहरे पर फिराती हुई बोली------"विकास.....मेरे विकास... तुम ठीकं तो हो?”
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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"हां. . हां. .पूजा मै ठीक हूं ।" रो पडा विकास…"लेकिन , तुम.....तुम मुझें अकेला मत छोडना,.तुम्हाऱी जुदाई मुझे जीने नहीं देगी । पूजा.. मुझे अकेला मत छोडना.. .तुम............तुम पूजा !" कहते सिसक पड़ा वह----""तुम पगली हो पूजा-तुम सामने क्यों आई?"

"वि. . .विं. . .विकास! " पूजा पीडा से तिलमिलाती हुई कठिनता से बोली------" मैंने कहा था न.. तुम मेरी उम्र लेकर जीओगे. .विकास.. मेरी उम्र लेकर… …!"


" पूजा ..... पूजा..... पूजा !" विकास कराह उठा---- "ऐसा मत कहो!"



"तुम पूजा को.. अपने रास्ते से हटवाने के लिए कहते थे न विकास!" टूटे स्वर में पूजा बोली---" पूजा तुम्हारे रास्ते से हट रही है तुम खुश रहना !”



"नहीं पूजा नहीं !" वह सिसक पडा…“वह बिल्कुलं गलत था.... झूठ था..... तुमने मेरा दिल जीत लिया.. .मैं. . .मैं. . .मी तुमसे प्यार करने लगा पूजा मुझे भी और मुझे भी प्यार हो गया !"



"विकास..मेरे विकास !" विकास के मुंह से ये वाक्य सुनकर पूजा जैसे पागल हो गईं----" मुझे गले से लगा तो मुझे प्यार दो विकास.. अंतिम बार. तुमने मुझें कभी प्यार नहीं किया विकास.. मैं जा रही हू ।"


"नहीं पूजा नहीं !" बुरी तरह से पड़ा विकास--" मुझे छोड़कर मत जाओ, मत जाओ!" कहते हुए बिकास ने पूजा को अपनी बांहों में समेट लिय और पागल-से विकासं ने पूजा के मुखडे पर चुबनो की झडी लगा दी । किसी की भी उपस्थिति का उसे ध्यान नहीं रहा । पूजा को चूमता चला गया । ।



तब, जबकि पूजा का जिस्म ढीला पड चुका था ।


तब विकास को इन बातो का होश आया तो उसने पूजा का भुख़ड़ा देखा वह एकदम शान्त था-प्यारे-प्यारे होंठो पर अंतिम मुस्कान थी । मृगनयन खुले हुए थे--मानो अब भी विकास की चाहत कर हो ।


" पूजा........पूजा?" दो बार विकास ने धीरे से पुकारा, लेकिन अब पूजा भला कहां सुनती! वह तो वहुत दूर जा चुकी थी । जव विकास ने यह महसूस किया तो----" पूजा !" इतनी जोर से चीखा विकास कि सारा अड्डा हिलकर रह गया ।


पागल विकास पूजा की लाश से लिपट गया-और फूट फूटकर रोने लगा । फिर एकदम उसे जैसे ध्यान जाया । आसुओं से भीगा, खुन से लथपथ चेहरों उसने ऊपर उठाया और गुर्रा उठा ।



" कहां है माइक? कहा है मेरी पूजा का हत्यारा? मै लाशे बिछा दूंगा !"


सबने चौंककर उस तरफ देखा जहाँ माइक को होना चाहिए सव अवाक रह गए ।


वहां माइक नहीं था । सबका ध्यान पूजा, विकास की ओर था । इस बीच माइक वहां से भाग गया था ।


" कहां है माइक?” पागल…सा होकर विकास चीखा…"बोलो गुरु बोलो माइक कहा हैं?"



उसी क्षण वहाँ विजय प्रविष्ट हुआ । उसकी सास फूली हुई थो ।


वहां का दृश्य देखते ही वह ठिठक गया।

विज़य को देखते ही विकास किसी मासूम बच्चे की भांति दौड़कर उससे लिपट गया और रोते रोते बोला !


"मेरी पूजा मर गई गुरु-पूजा ने मुझे अकेला छोड दिया गुरु वो चली गई..उसे आपके, दोस्त ने भार डाला । गुरु माइक ने माऱ डाला. मैं उसे नही छोडूगा । मेरी जगह पूजा ने जान दे दी गूरू...... मेरे सीने पर लगती हुई गोली उसने अपने जिगर पर खाई है !"

अवाक-सा रह गया विजय । बोलना चाहकर भी कुछ न बोल सका । उसने विकास को अपनी बांहों में समेट लिया । सबको देखा ।


यह देखकर वह बुत की तरह खडा हो गया कि अलफांसे और धनुष्टंकार तक की आखों में भी आसूं थे । पूजा की लाश सामने पड्री थी।


विजय की आंखें भी छलछला आई । उसने कसकर विकस को अपने सीने से लगा लिया ।


विकास फूट-फूटकर रोता ही रहा । अंत में वह बेहोश ही गया । काफी समय पश्चात वातावरण सामान्य हो सका ।


तव, अलफांसे बोला-"क्यों न अब यहां से चला जाए?"


"अब तुम जाओगे कहां हरामजादो?" बागारोफ़ बोला ।


"मैंने विकास से वादा किया है चचा! कि हम भारत से सी.आई.ए. का पतन करके ही दम लेगे । हमे वह वादा निभाना है । पहले यहां से अमेरिका जाना है ।"


"अबे ओ उल्लू के चरखे! यहां क्या बाते मिला रहा है-जल्दी से रपटो!"


"और चचा , आप .....?" विजय ने कहा ।

"अब मैं जिनके साथ आया था, उन्हीं के साथ जाऊंगा तुम चलो उधेड़ दो इस सारे अमेरिका की । मैं भी पीछे से आ रहा हूं ।"


" लेकिन गलोब कहां है, ये तो केवल विकास को पता है चचा !"


"अबे तो ये क्या मर गया है?" बागरोफ़ ने आंखें निकाली-" बड़ा हरामजादा लडका है ये । मरेगा नहीँ-सिर्फ बेहोश है । होश में लाकर पता करों कि ग्लोब कहाँ है?"


उसके बाद विकास को होश में लाकर ग्लोब के विषय में पूछा गया। ग्लोब उसने काफी सुरक्षित स्यान पर छुपा रखा था ।


बागरोफ के अतिरिक्त सभी उससे सवार हो गए ।


पूजा का शव वही रह गया , जैसे अनंत तक विकास की प्रतिक्षा करता रहेगा ।।



बागरोफ ने पाँच सौ पचपन गालियों के साथ उन्हें विदा किया ।

हैरी को अच्छा-भला देखकर जैकी जूलिया चमत्कृत रह गए । जूलिया के कंठ से तो प्रसन्नता में एक चीख निकल गई ।


जैकी को विश्वास नहीं आया कि सामने दो पैरों पर चलता हुआ आने वाला उनका अपना बेटा हैरी ही है जो बिल्ली वन चुका था ।


जैकी तो अवाक-सा उसे देखता रह गया । हेरी के चेहरे पर उसने गहन गंभीरता के भाव देखे थे ।



जूलिया ने लपककर हैरी को गले से लगा लिया और बोला…"हैरी मेरे बेटे! तुम ठीक हो?"



" एकदम ठीक हूं मम्मी? हैरी ने कहा ----"आज मैं एक बडी सफ़लता प्राप्त करके आया हूं ।"


"तुम क्या कहना चाहते हो?” जैकी ने कहा----"ये सब चक्कर-क्या है?"



" चक्कर बहुत सीधा-सादा है डैडी!" हैरी ने कह्य… "मुझे किसी ने बिल्ली बनांया नहीं था, बल्कि मैं जान-बूझकर बिल्ली बन गया था । और उसके बादं हैरी ने सारी घटना विवरण सहित अपने डैडी को बता दी । उसने यह भी बता दिया कि यह चाल उसने सीं आई ए वालो के साथ मिलकर चली थी । वह अपने कार्य में सफल भी हो गया है ।



सुनकर अवाक-सा जैकी अपने लडके के चेहरे को देखता रह गया । उसने तो कभी कल्पना भी नही की थी कि उंसका लड़का इतनी गहरी चाल चल सकता है । एक तरफ सब कुछ सुनकर जहां जैकी आश्चर्यचकित रह गया । बहीं मन-ही-मन उसे गर्व भी हुआ । यह हैरी का ऐसा कार्य था जिससे हैरी अमेरिका सरकार की नजरों में चढ गया था ।

अपनी प्रसन्नता को दबाने की चेष्टा करता हुआ जैकी बोला ।

“लेकिन तुमने हमे यह सब पहले क्यों नहीं बताया?"


"फिर हम उन लोगों के सामने इतना सुंदर नाटक कैसे कर पाते?" हैरी ने कहा ।


" हमाऱी तो तुमने जान ही निकाल दी हेरी!" जूलिया बोली ।



" आपने कल के अखबार का मेटर प्रेस में पहुचाया नहीं डैडी?" हैरी ने डैडी से प्रश्न किया ।

" क्यों?" जैकी है उल्टा प्रश्न किया----"अखबार से तुम्हारा क्या मतलब? आज से पहले तो कभी तुमने अखबार के बारे मे नही
पूछा ।


" आपके अखबार को मे एक बडी धमाकेदार न्यूज देना चाहता हूं डेडी!" हैरी ने कहा-" ये मेरा दावा है कि इससे धमाकेदार न्यूज न आपने पहले कभी छापी होगी और न ही आगे कभी छाप सकेंगे ।"



“क्या न्यूज है?”


"न्यूज यह है डैडी कि अमेरिका में जो कुछ भी होरहा है यानी ज्यूरज इत्यादि में विनाश और अमेरिकन अधिकारियों को बिल्ली वनाने इत्यादि जैसे अपराध विकास नहीं अपराधी सम्राट सिंगहीँ कर रहा है।"


" क्या?" उछल पडा जैकी ।


"मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूं डैडी ।" हैरी ने गंभीरता से कहा… 'वास्तव में यह सबकुछ विकास नहीं, सिंगही कर रहा है । प्रत्येक अपराध के पीछे वह बिकास का नाम इसलिए जोड़ रहा है ताकि विश्व में विकास बदनाम हो जाए औंर एक दिन वह भारत का सफ़ल जासूस बनकर उसके विरूध खडा न हो सके ।"

" कहीं यह कोई स्टंट तो नहीं है?” जैकी हैरी को घूरता हुआ बोला-" 'ऐसा भी तो हो सकता है कि तुम बिकास को बचाने के लिए अमेरिका के साथ-साथ पूरे विश्व में यह स्टट फैला रहे हो ताकि विकास इतने अपराध के बाद भी सुरक्षित रहे !"


“अपने बेटे को आपने आज तक नहीं पहचाना डैडी?" हैरी गंभीरता से बोला

हैरी गंभीर स्वर से बोला------" विकास का दोस्त जरूर हूं, लेकिन अपने देश का इतना बडा गद्दार नहीं हूं । मैंने खुद सिगंही से बात की है । मंगल पर विकास सिगंही की कैद में है । जो आदमी पकड़े गए हैं, वे सिगंही के ही आदमी हैं । सिगंही ने मुझे धमकी दी है कि अगर मैंने यह असलियत किसी को बताई तो वह विकस को मौत के घाट उतार देगा । लेकिन एक बात कान खोलकर सुन लो डैडी! अगर सिगंही ने विकास को जरा भी हानि पहुचाईं तो सिगंही को पाताल मे भी जिंदा नहीं छोडूंगा ।" अंतिम वाक्य कहते-कहते हैरी का चेहरा किसी भट्ठी भांति तप उठा था ।


जैकी और जूलिया उसे देखते ही रह गए।



" हम अपने अखबार मे इस रहस्योंद्घाटन का सबूत क्या देंगे?" जैकी ने पूछा !"



“सिंगही के उन आदमियों के बयान जिन्हें मैंने, सी आईं ए. के साथ मिलकर पकड़ा है !"


जैकी के पास हैरी के विरोध में बोलने के लिए कुछ नहीं रहा ।


उसने हैरी से सारी बाते विवरण सहित अवश्य पूछी ।
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उसके बाद जैकी इस जबरदस्त रहस्योंद्घाटन पर धमाकेदार न्यूज तैयार करने बैठ गया । .


और उसी रात..........


उस समय रात के बारह वजे थे ।


'जमूरा जाफरान' नामक अखबार का संपादक अपने बिस्तर में घुसा खार्राटे ले रहा था । वह बांस की तरह पतला दुबला और ताड़ की भांति लंबा था ।


उसकी एक-एक हड्डी सरलता से गिनी जा सकती थी ! बेचारे के गाल अंदर को धंसे हुए थे और नाक उसके चेहरे पर किसी ट्रैक्टर की भांति खडी थी ।


उसका नाम अललटप लफडुद्दीन था । भगवान ही जाने उसका यह नाम किस बदनसीब को पसंद आया था । हराम का माल खूब खाता था लेकिन मोटा नहीं होता था ।


उस समय कदाचित अललटप । यमराज का स्वप्न देख रहा था । जिसके, कारण उसके मुखारबिंद पर भिन्न-भिन्न प्रकार के परिवर्तनों का आवागमन हो रहा था ।
उसी समय उसकी खिडकियों के रास्ते से काला लबादा ओढे एक रहस्यमय इंसान अंदर आया, जबकि उसे कानो कान खबर तक नहीं हो सकी ।



उस इंसान ने रिवॉल्वर निकाला और उसकी चिमनी जैसी नाक पर चिपका दिया । नीद में डूबे हुए अललटप को क्या पता था कि उसकी नाक से मौत का फ़रिश्ता आ चिपका है ।


उसने एक-आध बार कोई मच्छर इत्यादि समझकर हाथ चलाया लेकिन मच्छर होता तभी तो हटता । रिवॉल्वर न हटना था, न ही हटा ।



साए ने रिवॉल्वर दबाव डालकर उसकी चिमनी रूपी नाक को नीचे दबाया और इस सीमा तक दबाया कि अललटप लफ़डुद्दीन को वह गवारा न हुआ और झट अपनी भरभुट्टो-सी आखें खोल दीं ।



आखें खुलते ही जैसे अललटप के पजामे को गीला होने का खतरा हो गया । उसकी सांस इस तेजी से चलने लगी मानो मीलो से दौड़कर चला आ रहा हो । भरभुट्टो-सी आंखो में याचना उभर आई ।


पतला-दुबाला जिस्म किसी सूखे पते की मांति कांप रहा था ।



" डांस करना है तो पलंग से नीचे उतरकर करो !" नकाबपोश गुर्राया ।


एक झटके के साथ अललटप तुरंत बैठ गया!

"आ. अ... आप क्या चीज हैं?” पुछते पूछते अललटप रो पडा !


--"'रोओ मत !" वह गुर्राया-" बिस्तर से नीचे उतरकर डास करो!" उसने बडा अजीब-सा आदेश दिया ।


कांपता हुआ अललटप रिवॉल्वर की नोंक परे खड़ा हो गया और रोता हुआ बोला-"कौन-सा डांस करूं ।"


"तिगनी का डांस करो?" उसने आदेश दिया ।



"जी....... जी !" वह कांपता हुआ बुदबुदाया--"पर वो तो मुझे नहीं आता !‘"


"अगर इस रिवॉल्वर की गोली तुम्हारे जिस्म ने धंस गई तो आ जाएगा ।" वह खतरनाक स्वर में गुर्राया ।

अललटप के फरिश्ते तक कांप उठे । उसने अपनी नाजुक कमर पर रखा और एक ठूमका लगाया है अभी वह नृत्य की मुद्रा मे आने की चेष्टा ही कर रहा था कि नकाबपोश गुर्राया---“ठहरो !"



जैसे एकदम ब्रेक लग गए । आंसू भरे चेहरे से उसने कांपते हुए नकाबपोश की ओर देखा ।


"तुम्हारे अखबार का नाम क्या है?" नकाबपोश ने खूंखार स्वर में पूछा ।



--“जमूरा जाफरान ।" कहते-कहते जैसे अललटप का पेशाब निकल ही गया।



“कल के अखबार में प्रथम पेज पर यह खबर होनी चाहिए ।" नकाबपोश ने गुर्राकर कहा----" अगर नही छपी तो नंगा करके चौराहे पर तिगनी का नाच कराया जाएगा और उसके बाद गोली अंदर, दम बाहर कर दिया जाएगा ।" कहते हुए नकाबपोश ने टाइप किया हुआ एक कागज उसे थमा दिया । "


अललटप महोदय की कांपती हुई पतली-पतली उंगलिपो ने झट वह कागज ले लिया । कुछ इस तरह जैसे अगर उसने यह कागज नहीं लिया तो वह अभी मर जाएगा है ।


वह बोला-------" अगर इतना-सा काम था मेरे बाप को......!"



"बको मत!" नकाबपोश ने गुर्राकर उसकी बात काटी…"बिस्तर पर मुंह ढककर लेट जाओं । अगर दस मिनट से पहले मुह खोला तो गोली मारकर भेजा फाड दूगा ।"


भला अललटप को क्या आपत्ति हो सकती थी । पलक झपकते ही वह बिस्तर में घुस गया । यह अन्य बात है कि वह अंदर ही-अंदर इस तरह कांप रहा था जैसे बर्फ के बीच नग्न पडा हो । अपने सभी देवताओं के नाम वह बार…बार जप रहा था ।


दस मिनद के स्थान पर बीस मिनट के बाद वह विना मुंह खोते अंदर से ही बोला---"अरे, क्या आप अब भी है !"


लगातार तीन बार कहने के बाद भी जब उसे जवाब नहीं मिला 'तो उसने मुंह खोला । कमरा खाली देखते ही उसका कांपता हुआ जिस्म एकदम निश्चिंत हो गया, मगर सारा जिस्म पसीने से लथपथ था ।


वह बुदबुदा उठा -----" बाप रे । बच गये । यब साला अखबार निकालना भी दिक्कत का काम है !"

............................

अगले दिन अमेरिका के सभी अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर एक ही धमाकेदार … न्यूज थी ।


सव अखबारों का मेटर एक-सा था । सबने एक ही भाषा में यह लिखा था-----इंसानो को बिल्ली बनाना और सियुडाड ज्यूरज जैसी घटना करके शहरों में विनाश फैलाना विकास का कार्य नहीं बल्कि अपराधी सम्राट सिंगही का कार्य है ।


जनता में जव यह बात फैली कि सिगंही यह सब करके विकास का नाम बदनाम कर रहा है तो सबको विकास से जैसे सहानुभूति होगई । विकास का अभी तक अमेरिकी जनता पर जो आतंक था , वह सहानुभूति में बदल गया ।


हर स्थान, पर यही चर्चा थी अपने-आपको थोडा-सा नेता जाहिर करने वाला युवक अपने दोस्तों मे खडा कह रहा था…"अजी , मै पहले ही कहतां था कि बो लडका ऐसा नहीं है । पहली वार भी वह हमारी सरकार से नहीं टकराया था, माफिया से टकराया था । यह तो मानना ही होगा कि लड़का चतुर और शक्तिशाली है लेकिन उसकी सारीं योग्यता अच्छे कार्यों के लिए है । वो तो साला सिंगही बदमाश है...... !"


" वह पहले भी कई बार दुनिया के लिए ख़तरा बन चुका है !"



एक दूसरा यूवक बोला…" इस बार साले ने नई चाल खेली । विकास को अपूनी मे डाल लिया और उसके नाम से विनाश फैलाता रहा । ।अब तुम ही बताओ मुर्गीराम !" उसने अपने दोस्त के कंघे पऱ हाथ मारते हुए कहा--"भला कैद में पड़ा हुआ कोई बेचारा अपनी स्थिति कैसे साफ करे?"


और इस प्रकार... । अधिकांश जनता की सहानुभूति विकास के साथ हो गई । रेडियों और टेलीविजन पर भी यह समाचार प्रसारित हो गया ।सब कुछ हो गया लेकिन सी.आई.ए. सीक्रेट सर्विस और अमेरिकन सरकार को यह बात सरासर नहीं जमी ।


सी आई ए. . . के नए चीफ मॉडल नार्वे का ख्याल था कि यह सब एक स्टंट है जबकि वास्तव में यह सव बिकास ही कर रहा था लेकिन अब विश्व और यू एन ओ. के सामने वह खुद को निर्दोष साबित करने के लिए यह सब कुछ कर रहा है । अपनी बात को शक्तिशाली बनाने के अमेरिका के विशेष अधिकारियों से कहा कि जो आदमी हैरी नामक लडके ने पकड़वाएं हैं, हो सकता है वास्तव में वे विकास के आदमी हो जबरदस्ती यह कहलवाया जा रहा हो कि ये सिंग़ही के आदमी हैं । मिस्टर मॉडल नार्वें ने यह भी कहा है कि हमे भूलना नहीं चाहिए कि हैरी नामक यह लडका पहले-माफिया वाले केस में भी विकास के साथ था…संभव है, इस बार भी यह लडका उसी का साथ दे रहा हो! नार्वे ने यह भी कहा कि यह कथन भी हैरी का ही है कि खुद उसने सिगंही से बाते की हैं । संभव है, यह भी गलत हो ।


मांडल नार्वे की यह बात पूरी अमेरिकन सरकारी मशीनरी को जंच रही थी । सीक्रेट सर्विस के चीफ़ की माइक से संबंध स्थापित करने की चेष्टा की जा चुकी थी परंतु असफलता का खजाना हाथ लगा था ।


हैरी के पीछे सी.आई.ए. के जासूस लगा दिए गए थे । कदाचित यह पता लगाने के लिए कि वह विकास का दोस्त है या दूश्मन?


और इधर…।



अमेरिका में प्रकाशित होने वाले आज़ के सारे अखवार इसी खबर से भरे पड़े थे । सबमें छपी उसी खबर को जैकी ने बड़े ध्यान से पढा था ।


उसके सामने उसकी पत्नी जूलिया और पुत्र हैरी बैठा था ।

काफी देरसे कमरे मे सन्नाटा था-इस सन्नाटे को भंग किया हैरी ने ।


"आप अलग-अलग अखबार में बार…बार उसी ख़बर को क्यों पढ़ रहे है डैडी !"



"ये खबर केवल एक नहीं बेटे बल्कि एक ही ढंग से छपी है ।" जैकी बोला-------" अगर एक ही खबर प्रत्येक अखबार वाले को मिले तो हर अखबार वाला उसे अपने ढंग से चटपटा बनाकर छापता है । हर अखबार वाले का शीर्षक अलग होता है लेकिन इस खबर मे विशेषता यह है कि प्रत्येक अखवार वाले ने न केवल इसका एक-सा ही शीर्षक दिया है बल्कि खबर भी एक-सी प्रकाशित की गई है यानी सब अखबारों में छपी खबर की लैंगवेज एक ही है ।"


"आप कहना क्या चाहते है डैडी? "
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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"मैं कहना केवल यह चाहता हूं कि यह खबर अखबार वालो ने अपनी तरफ़ से नहीं छापी है बल्कि किसी ने एक ही खबर की अनेक कापियां करके इन अखबार बालों से ज़बरदस्ती छपवाई है ।"


“यह कैसे ,संभव है डैडी?” हैरी बोला------"यह भी तो हो सकता है कि यह न्यूज पहले किसी एक अखबार वाले को प्राप्त हुई हो, उसके बाद उसने वही खबर अपने अन्य संपादक साथियों को दे दी हो।"


" ऐसा कभी नहीं हुआ करता हैरी वेटे!" बड़े व्यंग्यात्मक ढंग से मुस्कराते हुए जैकी ने कहा-" जिस अखबार वाले को ऐसी धमाकेदार खबर मिल जाती, है, वह उस समय तक किसी अन्य अखवार वाले के कानों-कान खबर भी नहीं लगने देता, जव तक कि पहले उसके अखबार से न छप जाए । ऐसी धमाकेदार खबरों से ही तो प्रत्येक अखवार का महत्त्व बनता है । जो अखबार इसं तरह की खबरों को छापकर सबसे पहले किसी रहस्यमय धटना का ऱहस्योद्घाटन करता है, वहीँ अखबार श्रेष्ठ माना जाता है और फिर ऐसा मुर्ख संपादक कौन होगा जो ऐसी खबर दूसरे संपादक को बताए !"

जैकी के इस कथन पर हैरी निरुत्तर हो गया, फिर . बोला…"लेकिन् डैडी, आप कहना क्या चाहते हैं ?"


-"कहना केवल यह चाहता है हैरी बेटे! कि यह खबर किसी ने छपवाई [ जैकी अपनी पैनी दृष्टि हैरी के चेहरे पर गड़ाकर बोला और विकास के पक्ष में यह खबर इतनी तेजी से फैलाने का इच्छुक हो सकता है जो या तो उसका साथी हो या उसका हमदर्द ।"



"लगता है डैडी कि आप मुझ पर संदेह कर रहे है !"

"संदेह नहीं कर रहा हूं हेरी बेटे बल्कि तुम्हें बता रहा हूं कि मुझें मालूम है कि यह खबर तुमने रात को मेरे टाइप राइटर पर टाइप की नकाबपोश के रूपं मेँ तुमने संपादकों तक पहुंचाई ।


" क्या ?” जूलिया चौंक पड्री ।


" तुम चुप रहो!" जैकी ने सख्त स्वर मे जूलिया को डाटा फिर हैरी से बोला-------'“क्यों हैरी, क्या यह गलत है?"


" एकदम गलत है डैडी?" हैरी ने कहा ।



"मैं जानता था कि तुम यह बोलोगे" जैकी कठोर स्वर में बोला…"लेकिन झूठ बोलने से पहले तुम्हें यह सोच लेना चाहिए कि मैं तुम्हारा बाप हू । वर्षो से एक क्राइम पेपर चला रहा हूं। न जाने के कितने जासूसो को मै जाजूसी शिक्षा दे चुका हूं।" कहते हुए जैकी मेज की दराज से एक टाइप किया हुआ कागज निकाला और मेज पर फैलाता हुआ बोला:-----“देखो, ये है बो कागज जो कल रात एक नकाबपोश ने अललटप लफ़डुद्दीन नामक संपादक को रिवॉल्वर की नोक पर छापने के लिए दिया था । उसने एक साथी होने के नाते मुझे सब कुछ उसी समय फोन पर बता दिया था । लेकिन अन्य किसी को बताने का उसमे साहस नहीं है क्योंकि उस नकाबपोश से वह बुरी तरह भयभीत है । उसके यह बताते ही मेरा संदेह फौरन तुम पर गया था । मैं उसी समय तुम्हारे कमरे मे गया ।


लेकिन तुम कमरे से गायब थे । मेरे सामने ही तुम पाइप के सहारे चढकर आए कमरे में पहुंचकर आराम से हो गए ।"



"लेकिन...... ।"



"बोलो मत, पहले पूरी बात सुनो ।" जैकी ने कहा… "चाहता तो मै उसी समय तुमसे पूछ सकता था कि कहां से आ रहे हो है लेकिन मेरे विचार से यह अच्छा काम नही होता क्योक्रि उस समय किसी भी तरह का बहाना लगाकर बोल संकते थे । अत: तुम्हें उस समय न छेढ़कर सुबह ही होते ही टाइप किया हुआ
कागज़ अललटप के नौकर से यहां मंगवा लिया कागज़ और यह कागज एकदम इस बात को सिद्ध करता है कि यह मेरे टाइपराइटर पर टाइप किया हुआ है क्योंकि मैं जानता हू कि मेरे टाइपराइटर के (स) और (ब) खराब हैं और तुम आसानी से देख सकते हो कि पत्र मे अक्षर ठीक आ पा रहे हैं।"


जैकी के इतने तथ्यों के बाद हैरी निरुत्तर होकर अपने हैडी का चेहरा देखता रह गया ।


"बोलो क्या तुम अब भी झूठ बोलने का साहस रखते हो?" जैकी ने सख्त स्वर में पूछा ।


"यह ठीक है डैडी कि मैं वह नकाबपोश था, लेकिन मै .......!'


"बको मत! ” जैकी एकदम ताव खा गया… अगर एक भी लफ्ज बोले तो जुबान खीच लूगां । तुम विकास के इतने हमदर्द हो गए । गैर -कानूनी काम भी करने लगे?"



" लेकिन डैडी सही खबर को छपवाना क्या गेर-कानूनी काम है ?" हेरी ने कहा ।



"तुम्हारा ढंग गैर-कानूनी है ।" क्रोध में जैकी चीख पडा-------"अगर यह खबर छपवानी ही थी तो तुम...... तुम कलियुगी हो न अपने से ज्यादा बुद्धिमान किसी को समझते ही नहीं हों अब तो मुझे यह विश्वास भी नहीं रहा कि यह खबर जो तुम उडा रहे हो, सच भी हो सकती है ।"


" क्या मतलब डैडी?"


" यह खबर तुमने पैदा की है । हो सकता है कि तुमने विकास के साथियों को किसी तरह डरा-धमका दिया हो और उनसे जबरदस्ती यह कहलवा रहै हो कि वे सिगंही के आदमी है ।"


"डैडी.. !" एकदम गुर्रा उठा हैरी------" यह एकदम गलत है । मैं-विकस का दोस्त हू लेकिन देश का गद्दार नहीं? आपकी कसम खाकर कहता हूं कि यह खबर एकदम सही है । सिगंही ही विकास के नाम पर सब कुछ कर रहा है !*



"चीखो मत !" जैकी भी गुर्रा उठा --" झूठ बोलते हो और उस पर अकड़ दिखाते हो !"




" नंहीं डैडी ।" एक झटके के साथ हैरी क्रोध में फुर्ती से खड्रा हो गया-" जब तक आप सही थे, मैं चुप था लेकिन अब आप गलत है आपका बेटा गलती के आगे सिर नहीं झुकाएगा । यह ठीक है , नकाब पोश बनकर अखबारों में यह खबर छपवाई । लेकिन यह सरासर गलत है कि यह खबर झूठी है ।"


" इस खबर की सच्चाई में तुम्हारे पास कोई ठोस सबूत है?”


-"जो सबूत हैं, उन्हें आप मेरा धोखा बता रहे है !" हैरी बोला ।


" या तो कोई ऐसा सुबूत पेश करों जिससे यह साबित हो कि वह खबर सच है, वरना मैं इसी समय तुम्हें देशद्रोही के रूप मे पुलिस कों सौप दूँगा? "



" क्या?" जूलिया चिहुक उठी-" आप हैरी के.... .. . ।"



“ बीच मत बोलो ।" जैकी ने गुरकिर उसे चुप करा दिया, फिर से बोला-" बोलो! केई सबूत है...... ।"



हैरी का चेहरा कांपटी तक सुर्ख हो गया था । दांत एक-दूसरे पर ज़म गए, आंखों में दृढ़ता के भाव उभर आए, बोला-" ये सरासर अन्याय है डैडी और अन्याय के सामने मैं सिर नहीं झुका सकता । माना कि आप मेरे डैडी है । आपकी आज्ञा या पालन करना मेरा धर्म है लेकिन इसका मतलब यह कभी नहीं कि आप गलत-सलत जो कहे ,मैं वो मान लूं । किसी भी कीमत पर आप मुझें गिरफ्तार नहीं करा सकते ।"

पलक झपकते ही झटके के साथ जैकी ने रिवॉल्वर निकाल लिया और हैरी की ऑर तानकर गरजा-"भै जानता था कि तुम यह हरकत कर सकते हो । अपनी जगह से अगर एक कदम भी हिले तो तुम जानते हो कि तुम्हारा बाप सिद्वार्तों का पक्का है । मै गोली चलाने मेँ जरा भी नही हिचकूगा ।"



" आपने मुझे खुद इस गोली से बचना सिखाया है डैडी?" मुस्कराकर पीछे हटता हुआ हैरी बोला------" माफ़ करना, में अब वो सबूत लेकर ही वापस आपके पास आऊंगा जिससे सिद्ध ही सके कि मै ठीक कह रहा हू ।


"रुक जाओ हैरी, वरना !"



…"हाथ ऊपर उठा तो मिस्टर हैरी !" तभी हैरी के पीछे से एक आवाज़ गुजी ।


विद्युत गति से हैरी उसकी ओर घूम गया । सामने एक अपरिचित व्यक्ति को हाथ में रिवॉल्वर लिए खड़ा पाया । हैरी एकदम बोला---"आप किस खेत की गाजर है और खेत खेत क्यों घूम रहे हैं?"



"मैं सी आई ए का एजेंट हू ।" अपने हाथ में दबे हुए रिवॉल्वर को वह बड़ी स्टाइल से घुमाता हुआ बोला----- "सी अई ए, को भी आप पर इसी बात का संदेह है कि आपने यह समाचार झूठा उड़ाया है ।"


" ओह! !' हैरी सब कुछ समझता हुआ बोला-------" इसका मतलब यह हुआ कि वास्तव मे से यहाँ से भागना ?" कहता हुआ वह पुन: अपने डैडी यानी की जैकी ओर मुडा और एकदम चौका-----"नहीं मम्मी !"


और हैरी के इस अभिनय पर जैकी जैसा इंसान भी धोखा खा गया ।

बडी तेजी के साथ वह जुलिया की ओर घूमा और इसी बीच हैरी ने अपना करतब दिखा गया था । उसका जिस्म कबूतर की भांति कलाबाजी खाता हुआ सीधा सी आई ए के एजेंट के ऊपर जा गिरा ।


वह अभी कुछ समझ नहीं था कि हैरी का एक जोरदार दुहत्तड उसकी गुद्दी पर पडा ।



तब तक जब तक कि जैकी अथवा बह ऐजेण्ट कुछ समझते, हैरी कमरे से आंधी-तूफांन की भाति गायब हो गया । अपनी तरफ से जैकी पूर्ण फूतिं के साथ रिवॉल्वर सम्भालकर कमरे के बाहर झपटा लेकिन हैरी कहीं नजर नहीं आया । पलक झपकते ही यह अपना कमाल दिखाकर कमरे से ही नही बल्कि उनकी नजरों से भी गायब-हो गया ।।

........................

उस ग्लोब की गति आश्चर्यचकित कर देने वाली गति से भी' अधिक थी । बड़े ही तीव्रतम वेग के साथ वह निरन्तर मंगल से धरती की ओर अग्रसर था ।


उस ग्लोब में विजय, विकास, अशरफ, अलफासे -धनुषटकार और प्रोफेसर सुभ्रांत थे ।


एक वैज्ञानिक होने के नाते सुभ्रांत उस ग्लोब के इंजन की कार्यविधि को भलि-भाति समझ गए थे और इस समय वे स्वयं ही उसकी ड्राइविंग सीट पर बैठे हुऐ थे ।


ग्लोब के इंजन की कार्यविधि जटिल न होकर अत्यन्त सरल थी ।



सुभ्रांत के अतिरिक्त सभी एक कक्ष में बैठे हुए थे ।


विकास पूजा पर अभी तक काफी गम्भीर था ।


हालाकि विजय और अलफासे उसे हसाने की चेष्टा करते,, लेकिन जवाब में विकास के होंठों पर एक फीकी सी मुस्कान दोड़ जाती । जब भी पूजा की बात उसे याद आती तो उससे जुडा हुआ माइक का चेहरा उसके सामने र्दोड़ जीता था । उसकी याद आते ही उसका चेहरा बेंहद भयानक हो जाता था और खूनी स्वर में गुर्रा उठता-" गुरु, आज़ अच्छी तरह समझ लो-----" अब अगर दुनिया में विकास का सबसे बडा दुश्मन है तो वो है माइक ।


अपनी पूजा की कसम है गुरु, आखों के सामने आते ही माइक , का अन्त इतनी बेरहमी से करूगा कि सारा विश्व काप उठेगा ।


उसके बाद चाहे जो हो गुरु, मुझें चिन्ता नहीं है । चाहे सारा विश्व मेरा दुश्मन हो जाए लेकिन माइक से बदला जरूर लूगा ।

तुम देखना-गुरु, देखना कि विकास का प्रतिशोध कितना भयानक होगा ! वह चाहे जहाँ मिले…उसका अन्त निश्चित है !"


विकास के इस कथन पर विजय और अलफांसे कांप उठते ।
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Re: बिनाश दूत बिकास-विकास की वापसी

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उसे समझाने का प्रयास करते लेकिन वह ऐसा कहाँ था जो, किसी के समझाने से मान जाए ? वब तो जिद्दी है…पक्का जिद्दी । उसके चरित्र की यहीं तो विशेषता है कि जो सोच लेगा, वही करेगा, जो निर्णय लेगा, वह अन्तिम निर्णय होगा अपने इस जिद्दी स्वभाव के कारण वह कई बार मुसीबत में फंस जाता है । कि अब उसके इस जिद्दीपन को अवगुण कहें अथवा सदुगुण लेकिन … उसके चरित्र की यह विशेषता अवश्य है ।


इस समय भी विजय उसका मन बहलाने की चेष्टा करता हुआ बोला----" प्यारे दिलजले, एक बात बताओ ।"


" पूछो, गुरू !" शांत स्वर में विकास ने कहा ।


" ये तो सव समझ में आ गया कि तुमने वास्तव में हमें अपराधी बनकर दिखा दिया ।" विजय बोला……"यंह भी समझ मे आ गया कि तुम्हारा दिमाग इतना. खुराफाती है कि तुम सिगंही और जैक्सन के पद--चिन्हों पर भी चल सकते हो, लेकिन केवल एक बात समझ में नही आई यह यह कि तुम अमेरिका के शहरों में यह विनाश कैसे फैलाते थे ?"


"इसका शुद्ध वैज्ञानिक फार्मूला तो तुंगलामा ही जानता था गुरु !" विकास बोला…"मुझे उसने साधारण सी बात बताई थी, उससे केवल समझ में आता है कि यह संभव है । उसने बताया था कि अगर इसको वैज्ञानिक ढंग से समझाने लगे तो कुछ भी समझ में नहीं आएगा और सुनते-सुनाते एक साधारण इंसान को भी बोरिंयत हो जाएगी !"



“तुम हमेँ मोटी-मोटी बाते बता दो !"


“पहती बात ये है गुरु कि काले बादल, वादल न होकर "मिनी टारगेट" का गाढा काला धुंआ होता था ! इस धुंए को एन्टीसेफ्टिक किरणों से बांध लिया जाता था । आप इन किरणों के विषय ने थोडी-सी भी जानकारी रखते होगे तो यह अवश्य जानते होगें कि आप इन किरणों के विषय ने थोडी-सी भी जानकारी रखते होगे तो यह अवश्य जानते होगें कि------- एंटीसेफ्टिक किरणे लचीली होती है । इनमे लचीलापन रबर से भी अधिक होता है और कम भी किया जा सकता है ।


यह बताना आवश्यक हो गया कि मिनी टारगेट के काले बादलो के के चारों ओर बाउंड्री पर इन्हीं किरणों का पहरा रहता था ! यानी
बादल सीमाओं को छोड़कर बाहर नहीं निकल सकता था । .. अतः हम इन किरणों के जरिए बादल को… उतने ही एरिया मे रखते थे, जितने मे रखना होता था । उदाहरणार्थ --- जब ज्यूरज मे बिनाश फैलाया तो किरर्णो को ज्यूरज के चारों ओर फैला दिया और धूआं केवल ज्यूरेज के उपर रहा ।"



"ये धुआं उत्पन्न किस तरह होता था गुरु?” घनुषटंकार ने लिखकर विकस को थमा दिया!"


"इसका निर्माण तुंगलामा द्वारा बनाई गई मशीन करती थी ।" विकांस ने बताया--------" अब ये मत पूछना कि वह मशीन धुएं का निर्माण कैसे करती थी क्योंकि जब यहीं प्रश्न मैंने तुगलामा से पूछा था तो उसने कहा था कि यह विज्ञान का जटिल प्रश्न है । अगर मे उत्तर बता भी दू तो तुम्हारी समझ में कछ भी नहीं आएगा ।"


"इसे किसी शहर पर फैलाया कैसै जाता था?" अलफांसे ने प्रश्न किया ।


“जिस स्थान पर फैलाना होता ता पहले उसे विशेष स्क्रीन पर सेट कर लिया जाता बड़े-बड़े ब्लाडरों की मदद से फैला दिया जाता था ।"


" और वे अक्षर क्या थे?” ये प्रश्न विजय ने किया ।


" कोई विशेष बात नहीं थी । वे सभी अक्षर "बर्लिन 'सेफ्टान' तथा ग्लार्मिक्सेन' नामक तीन घातक एवं विस्फोटक पदार्थों के विशेष आधुनिक मिश्रण से जो बारूद बनता है ऐसा बारूद "ऐटम-बम्"में भी नहीं है, यह तुंगलामा का कथन था । यह तो आप लोग जानतै ही है जिये तीनों खतरनाक विस्फोटक पदार्थ है । इन्हें किस अनुपात में मिलाने पर ये एटम-बम से भी घातक सिद्ध होते हैं, यह तुंगलामा ने मुझे नहीं बताया ।"

"लेकिन वे अक्षर बिजली की गर्जना के साथ चमकते किस प्रकार थे?" यह प्रश्न अशरफ ने किया ।


"इसकी कार्यविधि ठीक उसी प्रकार है, जैसे बिजली चमकने की कार्यविधि होती है ।" विकास ने बताया----" आप लोग जानते है कि बादल दो प्रकार के होते है 'ऋणात्मक' 'धनात्मक' । इन के दोनों के आपसी सहयोग से विजली चमकती है । इसी सिद्धांत् पर आधारित करके तुंगलामा ने "मिनी टारगेट' नामक धुएं का आविष्कार किया था । उसके भी बादलो की भांति दो आवेश थे । मशीन का एक बटन दबाने पर वे दोनो क्रिया करते थे और सिद्धांत के मुताबिक बिजली कड़कती थी । अंतर केवल इतना था, कि साधारण तथा वक्र रेखा के रूप से विजली कड़कती है मगर वह 'विनाश दूत विकास' की शक्ल में चमकती थी ।"


“ये अक्षर टूटकर किस प्रकार गिरते थे?" बिजय ने प्रश्न किया !



“प्रत्येक अलग अक्षर का बटन मशीन के अलग बटन से होता था ।" विकास ने बताया-हमें जिस अक्षर को जहां फैलाना होता था मशीन द्वारा उसे उसी डायेरेक्शन मैं एडजस्ट कर लेते थे और बिजली चमकने वाले बटन के साथ उसे भी दबा देते थे । इसी कारण एक चमक के साथ अक्षर टूटकर वहीं गिरता था, जहां हम चाहते थे ।"


इसके बाद इन लोगों ने विकास से इसी प्रकार के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न किए और विकास ने उन्हें सतुष्ट कर दिया लेकिन बिजय फिर भी सब कुछ पूछने के बाद एकदम बोला ।



"अजी छोडो भी मियां दिलजले, क्या बोगस टॉपिक लेकर बैठ गएं!" वह अपनी धुन में कहता ही चला गया--" क्या साला वैज्ञानिक चक्कर लेकर बैठे हो, कोई दिलजली या झकझकी की बात हो जाए ।"


“गुरू !" विकास बोला… पह्रले यह बताओ कि लबू अकल को साथ क्यो नहीं लाए?"

"लेकिन वे अक्षर बिजली की गर्जना के साथ चमकते किस प्रकार थे?" यह प्रश्न अशरफ ने किया ।


"इसकी कार्यविधि ठीक उसी प्रकार है, जैसे बिजली चमकने की कार्यविधि होती है ।" विकास ने बताया----" आप लोग जानते है कि बादल दो प्रकार के होते है 'ऋणात्मक' 'धनात्मक' । इन के दोनों के आपसी सहयोग से विजली चमकती है । इसी सिद्धांत् पर आधारित करके तुंगलामा ने "मिनी टारगेट' नामक धुएं का आविष्कार किया था । उसके भी बादलो की भांति दो आवेश थे । मशीन का एक बटन दबाने पर वे दोनो क्रिया करते थे और सिद्धांत के मुताबिक बिजली कड़कती थी । अंतर केवल इतना था, कि साधारण तथा वक्र रेखा के रूप से विजली कड़कती है मगर वह 'विनाश दूत विकास' की शक्ल में चमकती थी ।"


“ये अक्षर टूटकर किस प्रकार गिरते थे?" बिजय ने प्रश्न किया !



“प्रत्येक अलग अक्षर का बटन मशीन के अलग बटन से होता था ।" विकास ने बताया-हमें जिस अक्षर को जहां फैलाना होता था मशीन द्वारा उसे उसी डायेरेक्शन मैं एडजस्ट कर लेते थे और बिजली चमकने वाले बटन के साथ उसे भी दबा देते थे । इसी कारण एक चमक के साथ अक्षर टूटकर वहीं गिरता था, जहां हम चाहते थे ।"


इसके बाद इन लोगों ने विकास से इसी प्रकार के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न किए और विकास ने उन्हें सतुष्ट कर दिया लेकिन बिजय फिर भी सब कुछ पूछने के बाद एकदम बोला ।



"अजी छोडो भी मियां दिलजले, क्या बोगस टॉपिक लेकर बैठ गएं!" वह अपनी धुन में कहता ही चला गया--" क्या साला वैज्ञानिक चक्कर लेकर बैठे हो, कोई दिलजली या झकझकी की बात हो जाए ।"


“गुरू !" विकास बोला… पह्रले यह बताओ कि लबू अकल को साथ क्यो नहीं लाए?"


“क्यों वे लूमड़ खान?” विजय तेजी के साथ अलफासे की ओर पलटकर बोला -----" तुमसे उस कार्टून को साथ लाने को कहा था , फिर उसका क्या हुआ ? यानी की क्यों नही लाए ?"




"ज़ब मैं, अशरफ़ और धनुष्टंकार वहां से चले तो खोज करने पर भी टुम्बकटू कही नजर नहीं आया ।"



अभी विकास कुछ कहना ही चाहता था कि अचानक कक्ष मे सुभ्रांत की आवज गुजीं ।


" मिस्टर विजय धरती के कुछ लोग हमसे संबंध स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं ।"



सब चौंके! सबसे पहले चालक कक्ष की और झपटा विकास ।

अमेरिका के खगोलशास्त्री एनडी. राबर्ट की गिद्ध दृष्टि हमेशा अंतरिक्ष में जमी रहती थी ।



उसकी प्रयोगशाला बेहद विशाल थी । इस समय भी उसकी छोटी-छोटी परंतु चमकीली आंखें एक स्क्रीन पर जमी हुई थी । कल रात ग्यारह बजे उसने अपनी स्क्रीन पर उभरने वाला एक नन्हा-सा विंदु देखा था ।



राबर्ट रात से विंदु मे उलझकर रह गया था ।


वह लगातार उसे देखता रहा और अब यानी दिन के ग्यारह बजे अर्थात पूरे बारह घंटे पश्चात विंदु बड़ा होते…होते एक ग्लोब में बदल गया ।



स्क्रीन पर चमकता हुआ ग्लोब अब पूर्णतया स्पष्ट नजर आ रहा था ।सबसे पहले इस ग्लोब को देखकर राबर्ट चौका फिर उसने अन्य वैज्ञानिको को चौका दिया ।


उसके बाद यह समाचार जव रेडियो पर प्रसारित किया गया तो सारा अमेरिका चोक
पडा । सब इस ग्लोब के रहस्य के जानना चाह रहे थे ।


जबकि इधर राबर्ट इसी कार्य में प्रयत्नशील था यानी वह पिछले पाच घंटे से लगातार उनसे संबध स्थापित करने का प्रयास कर रहा था । लेकिन संबंधं उस समय मिला, जव वह बुरी तरह बोर हो चुका था ।


लेकिन संबध मिलते ही उसके जिस्म से एक नई स्फूर्ति का संचार हुआ ।


राबर्ट तेजी के साथ यांत्रिक माइक पर झुका बोला ।

"हैलो …हैलो.. ओवर ओवर हैलो!"
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