फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complete)

Post Reply
User avatar
rocky123
Novice User
Posts: 312
Joined: 15 Nov 2017 19:28
Location: on earth

Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

स्मृति मन ही मन सोच रही थी कि झूठा कहीं का. 10 मिनिट मे तो कितनी बार उसका रस निकल जाता.

लाइयन – वो मेरे बाल खींचने लगी थी, मे समझ गया था कि आग अब बहुत बढ़ गयी है और ज़्यादा करने से लॉस हो सकता है. मेने अपने होंठ हटाना ही सही समझा, थोड़ी देर बाद वो उठ कर बैठ गयी जब तक मे अपनी जीन्स खोल चुका था. वो आगे बढ़ी और और मेरी फ्रेंची के उपर से ही उसने मेरा लंड पकड़ लिया. उसकी आँखे ही बता रही थी कि उसे कितना सुकून मिला मेरे लंड का अहसास मिलने से.

स्मृति की हालत अब फाइनल स्टेज पर पहुँच गयी थी. एक जगह बीत कर उसका हाथ उपर से ही अपनी चूत पे पहुँच गया था. एग्ज़ाइट्मेंट के सागर मे वो डूबती जा रही थी. लाइयन उस पर अपना पूरा जादू चलाने मे कोई कमी नही छोड़ रहा था.

लाइयन – स्मृति जी यू देअर्?

स्मृति – यू कॅरी ऑन प्लीज़….

लाइयन – वैसे आप क्या कर रही है?

स्मृति – डॉन’ट आस्क, प्लीज़ बताओ फिर क्या हुआ.

लाइयन – प्लीज़ माइंड कीजिए अगर मे लंड चूत जैसे गंदे शब्द यूज़ कर रहा हू.

स्मृति – अब तो तुमने आदत ही डाल दी है. प्लीज़ बताओ मुझे कि फिर क्या हुआ.

लाइयन – स्मृति नीचे बैठी, मेरी फ्रेंची नीचे करी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया. मेरे लंड को देख कर उसके फेस पे एक मुस्कुराहट थी. उसने टाइम वेस्ट नही किया और अपनी गुलाबी लिप्स को खोल कर मेरा लंड अपने मूँह मे ले लिया

स्मृति – एक बात बोलू ?

लाइयन – बोलो जी

स्मृति – यू आर सो रोमॅंटिक…..

स्मृति ने ये बात टाइप करके भेजी ही थी कि ट्रिपल ऐक्स_लाइयन ऑफलाइन हो गया. स्मृति की ऐसी हालत हो गयी जैसे उसे कोई सेक्स के दौरान छोड़ कर चला गया हो.

दर असल, स्मृति अपने उपर से अपना कंट्रोल खोती जा रही थी. उसकी चूत को लाइयन बुरी तरीके से गीला कर चुका था. स्मृति की ऐसी हालत सेक्स के दौरान भी नही होती थी. वो एक शरीफ लेडी थी लेकिन उसके अंदर छुपि हुई भावनाओ को लाइयन जगा चुका था. जिसका अहसास स्मृति को नही हो पाया था. वो काफ़ी टाइम तक उसका वेट करती रही लेकिन वो ऑनलाइन नही आया. उसका मन अब सफाई मे नही लग रहा था, वो उठ कर अपने रूम की ओर चल देती है.

दूसरी तरफ आराधना उठ चुकी है. नॉर्मली सनडे को सभी बच्चे देर तक सोते है लेकिन आज एक नयी मॉर्निंग थी आराधना की लाइफ मे और इस एग्ज़ाइट्मेंट मे वो जल्दी उठ गयी थी. वो नहा कर बाथरूम से बाहर आती है. वॉर्डरोब से एक टी-शर्ट निकालती है और उसे देख कर वो वापिस रखने लगती है क्यूंकी उसे याद आ जाता है कि ये वो ही टी-शर्ट है जो उसे बूब्स पे से बेहद टाइट है जबकि वो लूस क्लोदिंग ही प्रिफर करती थी. ये इन्सिडेंट उस दिन का है जब प्रीति उसके रूम मे आई थी. फिर एक मुस्कुराहट के साथ पता नही क्यू वो ये फ़ैसला करती है आज उसी टीशर्ट को पहनेगी वो. उसके फेस पर एक मुस्कान थी जिसमे वो और भी खूबसूरत लग रही थी. बाथरूम के अंदर जाकर वो ब्रा पहनती है और पैंटी भी. पैंटी पहन ने से पहले एक बार फिर से अपनी छोटी सी पुस्सी पे हाथ लगाती और खुद ही चिहुनक जाती है. ब्रा पहन ने के बाद वो टीशर्ट पहनती है लेकिन टीशर्ट पहनते ही उसे अहसास हो जाता है कि ब्रा को उतारना पड़ेगा नही तो टी-शर्ट नही आएगी. वो बिना ब्रा के ही टी-शर्ट पहन लेती है और उसके नीचे एक बर्म्यूडा. जो कि उसके नीस तक था. नॉर्मली वो ऐसे कपड़े अवाय्ड ही करती थी.

अब वो बिना ब्रा के टी–शर्ट पहन कर नीचे आने लगती है आज मोम को सर्प्राइज़ दूँगी जल्दी उठ कर. सीढ़ियों से उतरते टाइम उसके बूब्स ऐसे हिल रहे थे मानो उनके किसी कपड़े मे समेट कर रखना पासिबल ना हो उन बूब्स को. वो नीचे आने पे देखती है कि सफाई तो की गयी है लेकिन मोम दिखाई नही दे रही है. वो किचन मे जाती है लेकिन वहाँ पर भी कोई नही था. वो मोम डॅड के बेड रूम की तरफ बढ़ती है, बेड रूम मे वो घुसने ही वाली थी एक सीन उसके कदम रोक देता है.
उसके चेहरे मे जैसे बॉडी का सारा लाल रंग उतर आया हो. ऐसा क्या देख लिया उसने? नज़ारा की कुच्छ ऐसा था, जिस टाइम वो बेडरूम मे घुसने वाली थी उस टाइम उसने देखा कि बेड पे पंकज बैठा है और उसका विशाल लंड उसकी मा स्मृति के मूँह मे था. पंकज ने सिर्फ़ टी-शर्ट पहनी हुई थी और स्मृति ने ब्रा और पैंटी. दोनो के बाकी कपड़े बेड से नीचे पड़े हुए थे. स्मृति पंकज के लंड पर झुकी हुई थी जबकि पंकज की आँखे सॅटिस्फॅक्षन से बंद थी. शायद ये पहला मौका था जब स्मृति ने उसके लंड को अपने मूँह मे लिया था. दोनो को आराधना ने क्लियर देखा लेकिन उन दोनो मे से किसी की नज़र आराधना पे नही पड़ी और उन्हे आइडिया भी नही था कि सनडे के दिन बच्चे इतनी जल्दी उठ सकते है.

ये पहला ऐसा सीन था जब आराधना ने किसी कपल को ऐसी हालत मे देखा हो वो भी तब जब वो अपनी जवानी की चरम सीमा पे थी. वो चीज़ जिसने उसको अंदर तक हिला दिया था – वो था पंकज का लंड. “क्या लंड ऐसे होते है” आराधना के मन मे शायद यही ख्याल आ रहा था. जिस तरीके से स्मृति का मूँह खुला हुआ था तो क्लियर पता चल रहा था कि उसे अपने मूँह को खोलने बहुत मेहनत करनी पड़ रही है और पंकज के लंड को मूँह मे लेने मे. आराधना साइड मे खड़े होकर तेज तेज साँसे लेने लगती है, उसको ऐसा फील हो रहा था जैसे फीवर हो गया हो. वो रह रह कर यही सोच रही थी कि कहाँ मास्टरबेशन मे दो फिंगर यूज़ नही कर पाई तो स्मृति इसे कैसे अड्जस्ट करती होगी.
KONG
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by Jemsbond »

Superb ..................

mitr ye apne bahut achha kiya ki ap is kahani ko complete rahe hain

Congratulations
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
User avatar
rocky123
Novice User
Posts: 312
Joined: 15 Nov 2017 19:28
Location: on earth

Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

दरअसल इस सीन से पहले जब स्मृति अपने पति के रूम में गई थी तो तब तक उसकी हालत लॉयन खराब कर चुका था, सेक्स किए हुए उसे भी बहुत दिन हो चुके थे और लॉयन जैसे किसी अनजान ने उसके जज्बातों को भड़का दिया था,

स्मृति जब अपने रूम में पहुंची थी तो उसने पंकज को जगा हुआ पाया, तभी उसने डिसाइड कर लिया कि आज वह पंकज के साथ सेक्स करके ही रहेगी नहीं तो बहुत मुश्किल हो जाएगी, पंकज की हालत सिमरन पहले ही खराब कर चुकी थी और तभी से उसे भी कुछ नसीब नहीं हुआ था, इधर स्मृति कमरे में पहुंचकर बेड़ पर जा चढ़ी और पंकज के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई, पंकज की दोनों सीधी टांगे स्मृति के टांगों के बीच में थी और फिर उसे स्मृति ने एक स्माइल दी जिसने पंकज को समझा दिया की स्मृति को आज प्यार की जरूरत है ,पंकज स्मृति का हाथ पकड़ कर खींचता है और अपने सीने से लगा लेता है ,आज स्मृति पंकज कि वह ख्वाहिश भी पूरी कर देना चाहती थी जो उसने कभी नहीं की थी यानि उसके लंड को चूसने की इच्छा ,थोड़ी देर के लिए उनके हाथों का मंथन चला और उसके ठीक बाद स्मृति ने पंकज का लंड निकाला और उसे अपने मुंह में ले लिया ,पंकज को ऐसे लगा जैसे ऊपर वाले ने उसकी कैसे सुन ली ,

इसी दौरान आराधना तैयार होकर नीचे आ गई और उसने पंकज और स्मृति को इस हालत में देख लिया था ,आराधना उन दोनों के बेडरूम के गेट पर साइड में खड़ी थी ,उसने अपनी पीठ दीवार से लगा दी थी और आंखें बंद थी ,उसको जैसे पंकज का लंड देखकर चक्कर सा आ गया हो , जिसे स्मृति खूब मन से चूस रही थी, आराधना की यह अवधारणा बन चुकी थी कि शायद मम्मी इसे रोज ऐसे ही चुस्ती होगी, लेकिन उसे भी पता नहीं था कि आज स्मृति भी किस आग से गुजर रही है जो लॉयन भड़का चुका था, बड़ी हिम्मत करके आराधना ने फिर से अंदर झांकने की कोशिश की ,अंदर का नजारा और भी हॉट था, पंकज अपनी टी-शर्ट उतार रहा था और उसका आधा लंड अभी भी स्मृति के मुंह में था ,आधा लंड मुह में होने के बावजूद भी काफी लंड बाहर ही था ,पंकज ने जैसे ही अपनी टी शर्ट उतारी उसकी बालों से भरी मजबूत छाती नंगी हो गई, एकदम माचो मैन लग रहा था,

स्मृति अपना मुंह ऊपर नीचे करके उसके लंड को पूरा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी ,लेकिन वह जा नहीं रहा था ,उसके लंड की नसों को देखकर आराधना को ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी फटने वाला है, लेकिन उसे नहीं पता था कि लंड की यह खासियत होती है

आराधना फिर से अपने आप को पीछे कर लेती है ,उसके पांव कांप रहे थे, दिल की धड़कन बहुत बढ़ गई थी, सर चकरा रहा था ,कल रात ही उसने पहली बार हस्तमैथुन किया और आज सुबह ही उसे एक मजबूत लंड दिखाई दे गया ,उसे भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी जिंदगी में किस्मत ये कैसा खेल रहे खेल खेल रही है,

तभी उसे अंदर से पंकज की आवाज सुनाई देती है वह कान लगाकर गौर से सुनने की कोशिश करती

पंकज - “पूरा अंदर लेना डार्लिंग” पंकज स्मृति से कह रहा था
स्मृति - “यह कोई बच्चों का लोलीपोप नहीं है ,मुझे ही पता है कि मैं इसे कैसे अंदर ले रही हूं, इससे ज्यादा मुझसे नहीं होगा “स्मृति ने अपने मुंह से पंकज के लंड को हटाकर यह बात कही
पंकज - “ मेरी जान मर्दों के लंड तो ऐसे ही होते हैं, कहो तो बाहर से कोई छोटा खिलौना ले कर आता हूं” पंकज स्मृति को चिढ़ाते हुए कहते हैं
स्मृति - “मुझसे यह गंदी लैंग्वेज में बात मत किया करो” और फिर से स्मृति ने अपना मुंह उसके लंड पर दोबारा लगा दिया

बाहर खड़ी आराधना ने जब अपने पिता के मुह से लंड शब्द को सुना तो वह भी शॉक रह गई, और वह रोमांचित भी थी, शायद उसे यह सब अच्छा भी लगा और शायद उसने यह भी सोचा होगा कि पति पत्नी कितने पर्सनल होते हैं ,बाहर तो किसी के रूप का कोई पता नहीं चलता और असलियत में वह कैसी भाषा में बात करते हैं, पता नहीं आज वहां खड़ा रहना आराधना के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था, उसके बर्दाश्त से सब चीजें बाहर होते जा रहे थे, उसका कुंवारा और जवान मन पागल होता जा रहा था, उसके चेहरे पर कुछ गंभीर भाव भी थे ,लेकिन यह क्यों थे पता नहीं ,उसे अब रुकना बेहद मुश्किल सा हो रहा था, लेकिन वह अपने कदम भी नहीं हिला पा रही थी ,बड़ी हिम्मत करके वह थोड़ा आगे को बढ़ी , वह दबे पांव निकलने की सोच रही थी कि तभी उसके पांव उसे धोखा दे गए और एक मामूली सी आवाज ने पंकज का चेहरे को बाहर की तरफ घुमा दिया ,जब नियति कोई चीज होती है तो उसे कोई भी नहीं टाल सकता ,जैसे ही थोड़ी आवाज हुई आराधना ने अपने कदम रोक लिए

और रूम की तरफ देखा और उनकी तरफ देखते ही पंकज और आराधना की नजर मिल गई, आराधना इस टाइम साइड पोज़ में पंकज के सामने थी जिससे उसके बूब्स की शेप पंकज को क्लियर दिखाई दे रही थी, आराधना को Idea था कि अब शायद वो घबरा जाएंगे और मां को वहां से हटाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,पंकज की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं था ,उसने अभी दोनों हाथों से स्मृति के चेहरा पकड़ा हुआ था जो उसके लंड को चूसने में मस्त थी ,करीबन 10 सेकंड तक दोनों की नजरें मिली रही और पता नहीं कितने टाइम में दोनों की नज़रों ने एक दूसरे से क्या कहा ,आराधना की सांसे ऐसी ऊपर नीचे हो रही थी कि मानो पता नहीं क्या हो गया हो, कुंवारी लड़की का लंड देखना ठीक ऐसा ही जैसे किसी ने अपने बेडरुम में कोई सांप या बिच्छू देख लिया हो ,आराधना और पंकज की नजरें अभी भी मिली हुई थी, कमाल की बात यह थी कि कोई सिचुएशनल ड्रामा नहीं हो रहा था, जैसे कोई शर्मा कर नजरे चुराई या फिर पंकज उठकर गेट बंद करें,


आराधना फाइनली अपनी नजर निचे करती है और ऊपर की ओर जाने लगती है, उसके चेहरे पर ना जाने क्यों गुस्से के भाव थे, वह धीरे धीरे ऊपर आ जाती है और डायरेक्ट बाथरुम में घुस जाती है, बाथरूम में जाते ही वह अपनी टी-शर्ट उतार कर फेंक देती है और बाथ टब के कोर्नर में बैठ जाती है, उसने अब ऊपर कुछ नहीं पहना हुआ था ,रह रह कर उसको वह सब याद आ रहा था जो उसने नीचे देखा था, बोटम में वह कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी तो उसे भी उतारने का फैसला किया उसने,

उसको ऐसा फील हो रहा था जैसे सिर दर्द हो रहा हो, बॉडी में मीठा मीठा दर्द हो रहा था ,वह ख्यालों में खोई हुई थी, उसको अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने मॉम डैड को ऐसे ओपन में यह सब करते हुए देख लिया था ,जबकि तीन जवान बच्चे घर में ही है, और क्या वह यह सब रात से ही कर रहे हैं, क्या सेक्स ऐसी चीज है कि रात में भी पेट नहीं भरता उनका ,यह सब सवाल उसके दिमाग में घूम रहे थे,

जरुर ज्यादा आग मां को ही लगी हुई है ,तभी तो कितने प्यार से हो पापा का लंड ........वह सोचते हुए रुक जाती है,
“हां शायद मैं सही हूं डेड तो नॉर्मल थे लेकिन माँ ज्यादा उतावली हो रही थी, रात में उनका पेट नहीं भरा इतने बड़े साइज को भी वह बार-बार लेने की हिम्मत रखती है “ स्मृति की एक इमेज उसके मन में बनती जा रही थी पता नहीं क्या सोचते सोचते उसका एक हाथ अपने पहुंच गया और जैसे ही उसी को टच किया उसे समझ आ गया कि उसका बेहद ज्यादा असर हुआ है

“क्या मेरी उम्र सही है यह सब सोचने की” आराधना के दिमाग में यह सवाल आ रहे थे, कहीं इससे मेरे फ्यूचर पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा ,पता नहीं वह क्या क्या सोचने में बिजी थी

सोचते सोचते फिर से उसकी एक उंगली अंदर जा चुकी थी ,वह ऊँगली को अंदर से और अंदर तक पहुंचाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके दिमाग में बस वही सीन घूम रहा था जो वह नीचे देख कर आई थी, जो उसे और ज्यादा एक्साइट कर रहा था, बाथ टब पर बैठना से उसे कम्फ़र्टेबल नहीं लग रहा था तो बाथरूम के फ्लोर पर ही बैठ गई, उंगली अंदर और बाहर हो रही थी लेकिन उसे थोड़ा और आरामदायक करने के लिए उसने अपनी टांगे और ज्यादा फैला दी जिससे उसके उंगली और भी स्मूथ होकर अंदर जाने लगी थी ,वह बिना ब्रा और पैंटी की थी यानि बिल्कुल नंगी, ये आराधना स्टाइल नहीं था लेकिन नीचे के सीन ने उसकी आग को और बढ़ा दिया था

दूसरी तरफ स्मृति पंकज का लंड चूसने में लगी हुई थी ,लेकिन पंकज का ध्यान कहीं और ही था, वैसे भी पति को पत्नी का क्रेज एक लिमिटेड टाइम तक ही रहता है, स्मृति को ये आशा थी कि आज वह पंकज के लंड को चुसेगी तो पंकज भी उसे ओरल सेक्स का सुख देगा ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, स्मृति जैसे ही उसके लंड से हटी पंकज बोला कि डार्लिंग अब नहीं रात को प्लान बनाएंगे

स्मृति को तो जैसे सारे अरमान मर गए, उसे लगा कि दुनिया के सारे गम उसी पर टूट पड़े हो, एक झटके में वो बेड से उतरी और कपड़े उठाकर बाथरुम में घुस गयी ,कहा जाता है कि आग और औरत की आग को बुझाया न जाए तो पूरा घर हिला देती है


आराधना धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा चुकी थी ,उसका एक हाथ चुत पर था तो दूसरा अपने बूब्स पर पहुंच गया था ,वह बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई थी और यही था जो वह कर सकती थी
आह्ह्ह ओह्ह्ह्हह के बेहद गर्म साउंड उसके गुलाबी होठों से बाहर आ रहे थे, और कुछ ही मिनटों में वो ठंडी पड़ गई, उसे अब की बार कुछ ज्यादा ही मजा आया ,उसके दिमाग में फिर से बहुत सारे सवाल आ रहे थे कि हर बार उसका मज़ा बढ़ रहा है लेकिन कहीं तो इसका एंड होगा आखिर यह कैसी प्यास है जो जितना बड़ा उतना ही बढ़ती है

कल रात से वह दो बार हस्तमैथुन कर चुकी थी और अब आराम करना चाहती थी इसलिए बेड पर आ कर लेट गई

संडे शाम को पूरी फैमिली शॉपिंग जाने के लिए रेडी थी ,लेकिन सबके माइंडसेट कहीं ना कहीं डाइवर्ट है, खैर नॉर्मल तो सभी देख रहे थे ,पंकज ने अपनी गाड़ी घर के गेट पर लगा दी ,स्मृति सबसे आगे पंकज के साथ बैठ गई ,और पीछे वाली 3 सीटों पर आराधना उसके बाद कुशल और सबसे अंत में प्रीति बैठी हुई थी, आराधना और स्मृति ने सूट पहना हुआ था जबकि प्रीति ने जींस और टी-शर्ट

गाड़ी घर से बाहर निकल गई, सब शांत हैं पंकज नॉर्मल म्यूजिक ऑन कर देता है ,पंकज अपने ड्राइविंग मिरर में पीछे देखता है और उसे आराधना के नेचुरल गुलाबी होंठ दिखाई दे जाते हैं, वह अपनी गर्दन को थोड़ा सा और नीचे करता है तो मिरर में ही उसकी नजरें आराधना से मिल जाती हैं, पंकज उसे एक नॉर्मल सी स्माइल देता है लेकिन वो ऐसे मुंह फेर लेती है जैसे उससे गुस्सा है ,पंकज को यह बड़ा अजीब लगा,



स्मृति पता नहीं किसके ख्यालों में गुम है और कुछ नहीं बोल रही है, कुशल का असली गुस्सा प्रीति पर था जो कि उसे कल से ही आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था ,पूरी गाड़ी में एक सन्नाटा जिसे प्रीति तोड़ती है

प्रीति –“क्या भाई बड़ा अपसेट सा लग रहा है सब ठीक तो है ना , तू तो तो शॉपिंग के लिए बड़ा एक्साइटेड था” प्रीति ने कुशल को चिढ़ाते हुए कहा
कुशल - " नहीं यार बस ऐसे ही सोच रहा हू की आज क्या क्या ख़रीदूँ"। कुशल ने बात को टालते हुए कहा

प्रीति -" ठण्डा पानि, हे हे हे हे"। प्रीती ने कुशल के कान के क़रीब आकर स्लो वौइस् में कहा

कुशाल -" तेरी चूत में डालने के लिए?" कुशल ने भी उसी स्टाइल में आराम से प्रीति के कानो में कह दिया जिसे और आस पास वाले नहीं सुन सकते थे क्यूंकि म्यूजिक चल रहा था। प्रीती इस बात को सुनकर समझ सकती थी की कुशल में कितना गुस्सा है अभी भी।

" पापा आज गर्मी भी बहुत है प्लीज आइस क्रीम पार्लर पे तो जरूर लेकर चलना"। कुशल में पंकज से कहा


" हाँ हाँ क्यूँ नहीं, क्यूँ आराधना तुम्हारा क्या सोचना है" पंकज ने मिरर में देखते हुए ही आराधना से पुछा,आराधना ने भी जवाब दिया कि क्यों नही

पंकज - " क्यों स्मृति, तुम्हारा क्या ख्याल है आइस क्रीम के बारे में?" पंकज स्मृति से पूछ्ता है।

स्मृति - "मेरा मूड नहीं है", स्मृति ने जवाब दिया


" हाँ तेरा क्यों मूड होग, जब घर बेठे बेठे ही vip आइस क्रीम चूसने को मिल रही है", आराधना अपने मन में ही सोचती है, पता नहीं क्यूँ वो स्मृति के बारे में ऐसा सोच रही थी


खैर थोड़ी देर की ड्राइव के बाद वो मॉल पहुँच जाते है, सबसे आगे स्मृति और पंकज है, उनके पीछे आराधना और सबसे पीछे प्रीती और कुशल,
पंकज स्मृति का हाथ पकड़ लेता है और ये सब आराधना देख रही थी, उसके चेहरे पे स्माइल जरा भी नहीं थी

पीछे कुशल और प्रीती दोनों शांत थे, लकिन प्रीती उस चुप्पी को तोड़ती है -

प्रीति - " ओए होए कुशल आज तो हीरो बन जाएग, नए कपडे लेकर। "

कुशल -" मुझे हीरो बनने के लिए नए कपड़ो की जरुरत नहीं है" कुशल ने ऐटिटूड में आकर कहा

प्रीति - " कितनी ग़लतफ़हमी है तुझे, हा हा हा हा ह, आइना देखा कर डैली"

ये बात बोल कर प्रीती तेज तेज आगे आराधना के पास जाने लगती है, कुशल की निगाहें बस उसके मटकते हिप्स पर थी, जीन्स बेहद लो वेस्ट और टाइट थी और उसने एक शार्ट टीशर्ट पहनी हुई थी जिससे उसकी जीन्स और टीशर्ट के बीच में खाली स्पेस था, कुशल ने गौर से देखा तो खाली स्पेस में उसकी रेड पैंटी दिखाई दे रही थी जिसकी एक मामूली सी स्ट्राइप स्टाइल में जीन्स से बहार थी।


" लड़की को इतना सेक्सी भी नहीं होना चहिये" कुशल अपने मन में सोच रहा था, प्रीती की गाँड की तरफ देखते हुए, तभी प्रीती ने पीछे मुड कर देखा और कुशल को अपने हिप्स को घुरता पाया

" तेरे नसीब में नहीं है"। प्रीती ने पीछे मुड कर कुशल से कहा और है आराधना दीदी के पास भाग कर पहुँच गयी

अब कुशल पीछे अकेला रह गया था, उसकी निगाहें बस प्रीती के हिप्स पर ही जमी हुई थी और जमे भी क्यों न, जो स्लोप उसकी कमर में कुशल देख रहा था ऐसा स्लोप तो आज कल कम ही देखने को मिलता है

प्रीति को भी पूरा अहसास था कि कुशल की निगाहें कहाँ है तो वो और भी मटक मटक के चल रही थी

आगे प्रीती और आराधना चलते चलते बाते करते है -

प्रीति -" दीदी क्या बात है, कहाँ खोयी रहती हो आज कल, कोई इश्क विश्क का तो चक्कर नहीं है"प्रीती ने मजाकिया अंदाज़ में आराधना से कहा

आराधना -" मैं ऐसे चक्करो में नहीं पडती" आराधना ने रिप्लाई किया

प्रीति -" हाँ में तो भूल गयी थी कि हमारी दीदी हिटलर है, हे हे हे हे"


आराधना -" अगर मुझे ये चक्कर अच्छे नहीं लगते तो मैं हिटलर हो गयी?"

प्रीति -" दीदी अगर आप जैसी ही थिंकिंग सभी लड़कियों की हो गयी तो इन सब लड़को का क्या होगा, इनका तो जीवन ही बेकार हो जाएगा, लेकिन चलो छोडो, ये बताओ की आज क्या खरीद रही हो? आज तो कुछ ऐसा ले लो जिससे बिजली गिर जाए चारो तरफ"। प्रीती ने फिर शरारती अन्दाज़ में कहा

आराधना - " मुझे ऐसे कपडे पसन्द नहीं है जिनसे बिजलियाँ गिरे और मुझे हमेशा पुरे कपडे पहनने ही पसंद है, तेरी तरह नहीं जो है पैंटी दीखाती घूम रही है",आराधना ने प्रीती की पैंटी की विज़िबल स्ट्राइप की तरफ इशारा करते हुए कहा

प्रीति - " ओह्ह हो, कहीं ऐसा तो नहीं है की आप जेलस फील कर रहीं है, और वैसे भी दीदी क्या करु , कैसे छुपाऊँ इस बॉडी को, ये साली छिपति ही नही" प्रीती ने बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में कहा और फिर वो हंसने लगी



*****

आराधना - " जेलस? मैं क्यों जेलस होने लगी तेरे से, सेक्सी अगर चाहूं तो मैं भी दीख सकती हू लेकिन मैं ऐसा चाहती नहीं, "

प्रीति - " वो तो ठीक है लेकिन दीदी आज कल ब्रांड्स पुरे कपडे बनाने में भी डरते है, बिकते ही नहीं, जो बिज़नेस टिका हुआ है वो आप जैसी क्लास कस्टमर्स के दम पर ही टीका हुआ है,", प्रीती ने फिर से एक तीर छोड़ दिया,

इतने मैं आगे जाकर पंकज और स्मृति रूक गए और बच्चो का इंतज़ार करने लगे, धीरे धीरे आराधना, प्रीती और कुशल तीनो वहां पहुँच गए,

" आज हम बाते बनाने नहीं शॉपिंग करने आये है" पंकज ने मजाक में सब बच्चो से कहा, और फिर तीनो एक बहुत बड़े ब्रांडेड शो रूम में घुस जाते है, पंकज और स्मृति अभी भी साथ साथ थे और आराधना उनके पीछे चल रही थी,

प्रीति लेडीज वेस्टर्न डिपार्टमैंट में घुस गयी थी क्यूंकि वो वेस्टर्न क्लोथ्स की शौकीन थी, कुशल भी प्रीती के पीछे चलने लगता है,

प्रीति -" तू कहाँ मेरे पीछे पीछे आ रहा है?",

कुशाल -" सोचा तेरी हेल्प कर दूँ शॉपिंग मे",

प्रीति - " मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हू और न ही पहली बार शॉपिंग कर रही हूँ, तू जा अपने डिपार्टमैंट में", और प्रीती कुशल के चेस्ट पर हाथ लगा कर पीछे धक्का देने लगती है,

कशाल -" मेरा डिपार्टमैंट? क्या तू नहीं है मेरा डिपार्टमैंट", ये बात सुनकर प्रीती शर्मा जाती है,

प्रीति -" कुशल हर टाइम मज़ाक़ नहीं, प्लीज तू जा अपने कपडे ख़रीद, नहीं तो अगर मदद करनी ही है तो जा आराधना दीदी की कर दे"

कशाल -" आराधना दीदी को एक बुरका गिफ्ट कर देता हूँ, उनकी शॉपिंग खत्म हो जाएगी, हा हा हा हा", और कुशल मेन डिपार्टमैंट की तरफ जाने लगता है,

****

आराधना अभी भी पंकज और स्मृति के पीछे थी, लेकिन पंकज और स्मृति को अब अहसास नहीं था और वो इस ख्याल में थे कि तीनो बच्चे जा चुके है, चलते चलते पंकज अपना एक हाथ स्मृति की कमर पे रख देता है लकिन स्मृति एक झटके में हटा देती है, आराधना ये सब देख रही थी, फिर पंकज और स्मृति दबी आवाज में बात करने लगते है, लेकिन आराधना के कान वहीपर थे -

पंकज -" क्या बात है ,मेरी जान क्यों गुस्सा है?", पंकज ने चलते चलते कहा

स्मृति - " मैं क्यों होने लगी गुस्सा",

" नख़रे तो देख, पूरी रात ऐसी तैसी करने के बाद भी नखरो की कमी नहीं है", आराधना अपने मन में ही बड़बड़ा रही थी,

पंकज - " डार्लिंग, क्या अभी तक मॉर्निंग वाली बात पे गुस्सा हो? चलो आज रात फिर मूड बना लेंगे, टेंशन क्यों लेती हो", पंकज ने स्मृति को रिलैक्स करते हुए कहा

स्मृति - " पता नहीं क्यों मेरे लाइफ में प्यार की कमी है", स्मृति ने सीरियस होते हुए कहा

आराधना का मुँह खुला का खुला रह गया ये बात सुनकर, " इतना बड़ा डण्डा लेने के बाद भी प्यार की कमी है लाइफ में, हे भगवान आखिर मेरी माँ की डिमांड क्या है, पता नहीं डैडी इतने नखरे क्यों झेल रहे है", आराधना अपने मन में सोचती है,

थोड़ा सा आगे चलने के बाद एक मॉडल गर्ल स्टेचू आती है जिसपे एक नाईट गाउन लगा हुआ था जो बेहद सेक्सी था, पिंक कलर में शिफॉन मटेरियल और वो भी बिलकुल ट्रांसपरेंट, नाईट गाउन का टॉप पोरशन ब्रा स्टाइल में ही था और नीचे एक एडिशनल पैंटी दी हुई थी, नाईट गाउन की जो लेंथ थी वो सिर्फ पैंटी तक ही थी, उस नाईट गाउन को देख कर पंकज रूक जाता है

पंकज -" स्मृति क्यों न आज तुम इसे लो" पंकज स्मृति को वो नाईट गाउन दीखाता है,

स्मृति - " अगर आपको पहनना है तो ले लो", स्मृति ने ऐटिटूड दिखते हुए कहा

पंकज - " डार्लिंग, मेरा दिल है कि मैं तुम्हे इस ड्रेस में देखु तो बुराई क्या है",

समृति - " क्या मेरे दिल की सारी बाते सुनी जाती है जो मैं सुनु",

पंकज -" गुस्सा क्यों होती हो, जो लेना है ले लो", आराधना ये सब बाते सुन रही थी,

इस तरफ प्रीति, एक बेहद सेक्सी और शार्ट ड्रेस को देख रही थी, ड्रेस का कलर रेड था, ड्रेस की लेंथ प्रीती की जांघ तक होगी, वो उस ड्रेस को लेकर एक सेल्स गर्ल के पास जाती है,

********

प्रीती -" एक्सक्यूस मी, क्या आप मुझे बता सकती है कि इस ड्रेस के साथ बॉटम कौन सा चलेगा", प्रीती ने सेल्स गर्ल से पुछा

सेल्स गर्ल - " नहीं इस ड्रेस के लिए आपको किसी बॉटम की जरुरत नहीं है, ये ड्रेस आपकी थाइज तक रहेगा,"

प्रीति -" कहीं ये ज्यादा छोटी तो नहीं है?"

सेल्स गर्ल -" आपके जैसी सेक्सी गर्ल के लिए ही तो ये बनी है, एक बार ट्राय तो करिये और अपने बॉय फ्रेंड को दिखाइये, कसम से कहती हूँ इलेक्ट्रिक शॉक लग जाएगा", सेल्स गर्ल ने एक आँख दबाते हुए कहा

प्रीति - " बॉय फ्रेंड? कौन बॉय फ्रेंड?",

सेल्स गर्ल -" वो ही जिसे आप इतने प्यार से इस डिपार्टमेंट से बाहर भेज रहीं थी, वाकई में शायद दीवाना है आपका", प्रीती समझ गयी थी कि वो कुशल की बात कर रही है और उसकी आँखे एक आईडिया के साथ चमक जाती है,

प्रीति -" क्या मैं एक बार ट्राय करके ये ड्रेस अपने बॉय फ्रेंड को दिखा सकती हूं?" प्रीती ने बहुत ही भोला बनते हुए कहा

सेल्स गर्ल-" ये भी कोई कहने की बात है, कहो तो आपके केबिन में ही भेज दूँ, वैसे भी अभी क्राउड इतना नहीं है?" सेल्स गर्ल में फिर से नॉटी स्टाइल में बोली

प्रीति - " प्लीज आप मेरा ये काम कर दीजिये, में ट्राइ कर रही हू और आप उसे अंदर मेरे केबिन में भेज दीजियेगा",

सेल्स गर्ल -" ऑफ कोर्स ,नो इस्सु, हमेशा लवर्स की हेल्प करती हू मैं, आप जाइये और ट्राय करिए",

प्रीति तुरंत उस ड्रेस को लेकर ट्रायल रूम में जाती है, एक झटके में टी-शर्ट उतार देती है, ट्रायल रूम मिर्रर्स में अपने बम टाइप बूब्स को ब्रा में देखति है, उसे खुद भी समझ आा रहा था कि वो कितनी सेक्सी है, दोनों हाथ पीछे ले जाकर ब्रा भी उतार देती है और दोनों बूब्स आाजद, उसके बाद वो है जीन्स को उतारती है, जीन्स उतरने में ही उसकी क्या किसी भी सेक्सी लड़की की सबसे ज्यादा मेहनत लगती है, जैसे तैसे वो भी उतर गयी और उसके बाद पैंटी भी, उसने बिना टाइम वेस्ट किये उस ड्रेस को अपने ऊपर ड़ाला और पीछे से ज़िप बंद करनी चाहि लेकिन फिर पता नहीं क्या सोच कर छोड़ दीं, अपने बाल उसने खोल लिए और फ्रंट से ड्रेस का व्यू थोड़ा सा खोल दिया जिससे बूब्स और थोड़े विज़िबल हो जाए, अभी वो और सेटिंग कर ही रही थी कि तभी ट्रायल रूम का गेट नॉक हुआ,

प्रीति -" हु इस दिस?"
KONG
User avatar
rocky123
Novice User
Posts: 312
Joined: 15 Nov 2017 19:28
Location: on earth

Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

दूसरी साइड से आवाज आई कि योर बॉय फ्रेंड्, प्रीती समझ गयी कि उस लड़की ने अपना काम कर दिया है, प्रीती गेट के पीछे अपने आप को छुपा कर गेट खोलती है और सामने कुशल खड़ा होता है, और कुशल के पीछे वो सेल्स गर्ल, प्रीती उससे इशारे में पूछती है कि कोई प्रॉब्लम तो नहीं है न और वो इशारे में ही बात देती है कि नो इस्यू

अब कुशल प्रीती के ट्रायल रूम में अंदर चला जाता है, और जाते ही गेट बंद कर लेता है,

कुशल -" मुझे यहाँ बुलाने का मतलब", वो प्रीती के सेक्सी स्टाइल को उस रेड हॉट ड्रेस में देखकर सदमें में आ गया था, उसकी बात सुनकर प्रीती घूम जाती है और पीठ उसके सामने कर देती है, "जीप बंद नहीं हो रही प्लीज हेल्प कर दे", प्रीती ने उसे नंगी पीठ दीखते हुए कहा, ये बात सुनकर जैसे कुशल पागल हो गया,

उसने आगे बढ़कर प्रीती को मजबूत बांहो में पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, प्रीती की पीठ धम्म से आकर कुशल के सीने में लग जाती है, कुशल का हाथ नीचे की ओर बढ़ने लगता है,

" तेरी ज़िप बंद नहीं, आज तेरी चूत खोलूँगा अपने मुसल जैसे लुंड से", कुशल बोलता है और उसके बाल खिंच कर अपने दूसरे हाथ को उसके हिप्स की ओर ले जाता है,

" समझदारी से काम ले, ये कोई तेरा घर नहीं है, और वैसे भी में वर्जिन हूँ, और मेरे साथ सेक्स यहाँ करेगा तो ब्लड कहाँ छुपायेगा, माँ और डैड भी यहीं पर है", प्रीती ने उसे समझते हुए कहा

" तो मुझे यहाँ बुलाने का क्या मतलब है?", कुशल ने थोड़ा सा ढीला होते हुए कहा,

" मुझे लगा कि तेरी हेल्प अपने बूब्स दिखा के कर दु", प्रीती ने अपने ड्रेस को सामने से थोड़ा सा खोलते हुए कहा

प्रीति के बूब्स की झलक पाते ही कुशल पागल होकर उन पर अपना मुँह लगा देता है, " ओह्ह्ह्हह्ह्ह्,,,,,, आराम से ब्रो,,,,,,,,, प्रीती उसे समझाती है, अब कुशल का एक हाथ से उसका बूब्स प्रेस कर रहा था तो दूसरे बूब्स को अपने मुँह में भर रखा था,

" येस्सलससससस,,,,,,,,,, यु आर अमेज़िंग,,,,,,,,,, यु र अ रियल मैन,,,," प्रीती स्लो वौइस् में बड़बड़ाये जा रही थी उसकी आँखे बंद हो चुकी थी, कुशल ने अपना दूसरा हाथ उसकी चूत पर पहुँचा दिया और एक फिंगर सीधा अंदर घुसा दिया, " आआह्ह्ह्हह्हह्ह्,,,,,,, " प्रीती की ये सेक्सी सिसकारियां कुशल को और पागल कर रही थी, वो अब बूब्स को चुस रहा था है एक फिंगर को अंदर बहार किये जा रहा था,

" यू आर वेरी स्वीट एंड नॉटी ,,,,, लव मि ,,,,,, याआ,,,,,,,,, फास्टर प्लीज़,,,,,,,,,", प्रीती चरम सीमा पे थी, " लव यू,,,,,,,, माय डार्लिंग,,,,, वो पागलो की तरह अपने बूब्स कुशल के साथ रगडे जा रही थी, कुशल भी एक बार फिर से कुँवारा और जवान जिस्म अपने हाथ में आा जाने के बद बेक़ाबू हुआ जा रहा था,

" आआआह्ह्ह्ह,,,,,, आआआह्ह्ह्हह्ह्,,,,,, आह्ह्ह्हह्ह्ह्,", कुशल की फिंगर प्रीती की चूत में और तेजी से चल रही थी, वो उसके बूब्स को और सख्ती के साथ चूसे जा रहा था,
“ओह्ह्ह्ह अम्म्मम्म्म्मम्म्म्म कम्मिंग आअह्ह्ह्ह माय लव लाइक देट आह आह्ह आह आह आअह्ह्ह्ह” और प्रीती अपना पानी छोड़ देती है, अभी कुशल कुछ कहने ही वाला था की गेट कोई बहार से नोक करता है, कुशल की तो जैसे साँसे ही रुक जाती है

प्रीती हिम्मत से काम लेती है और पूछती है

प्रीती – “कौन है “
दूसरी तरफ से सेल्स गर्ल की आवाज़ आती है की प्लीज़ दरवाज़ा खोलो, प्रीती थोडा सा गेट खोलती है और कुशल उसके पीछे छुपके खड़ा हुआ था

प्रीती – हां बोलो

सेल्स गर्ल – आपकी आवाजे बाहर तक आ रही है ,मुझे लगा की आप लोग बस किस ....... प्लीज़ अगर किसी ने कुछ देख लिया तो मेरी जॉब खतरे में पड जाएगी , प्लीज़ आप अपने बॉय फ्रेंड को बाहर भेज दीजिये , सेल्स गर्ल ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा

प्रीती कुशल की ओर इशारा करती है बाहर निकलने के लिए ,कुशल की आँखे ऐसी हो चुकी थी जैसे पता नहीं किस्मत उसे कस कस के थप्पड़ क्यों मार रही है,लेकिन मरता क्या न करता , प्रीती को देखते देखते बहार आ जाता है

पंकज और स्मृति सभी चीजों को देखने में ही बिजी थे, लेकिन आराधना उनके पीछे नहीं थी, शायद वह कहीं कुछ और ही खरीद रही थी, चलते चलते स्मृति को एक ड्रेस दिखाई देती है लॉन्ग ब्लैक ड्रेस एंड बेक लेस, यह एक स्टेचू पर लगी हुई थी ,जैसे उस ड्रेस पर स्मृति का दिल आ गया
“मुझे यह चाहिए” उसने पंकज से कहा, पंकज भला उसे कैसे मना कर सकता था, दरअसल यह ड्रेस उस ड्रेस से मिलती थी जिसका जिक्र लॉयन ने किया था, इस ड्रेस के अलावा स्मृति ने कुछ और भी कपडे लिए
, इधर कुशल का मन शॉपिंग में तो नहीं था लेकिन वह फिर भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था इसलिए उसने भी कुछ टीशर्ट जींस और कुछ शॉर्ट्स सेलेक्ट कर लिए थे,

सभी लोग अपनी फाइनल शॉपिंग के साथ रेडी थे, लेकिन आराधना का कुछ नहीं पता था, इतने बड़े शोरूम में देखना भी पॉसिबल नहीं था, तभी थोड़ी देर बाद वह भी आती हुई दिखाई देती है और उसके हाथ में भी एक शॉपिंग बास्केट था

स्मृति –“तू कहां गई थी, क्या हो गई शॉपिंग”

आराधना-“ हां मेरी शॉपिंग कंप्लीट हो गई है”

कुशल-“ तो चलो पापा पे करो और फिर कुछ खाने चलते हैं”

और वो सब बाहर आ गये, सभी साथ चल रहे थे तो तभी वहां एक बोर्ड लगा दिखाई दिया “स्केरी हाउस” और कुशल चिल्लाता हुआ बोलता है कि मॉम चलो ना यहां चलते हैं

स्मृति –“इसमें क्या होता है”

कुशल-“इसमें अंदर घना अंधेरा होता है, सभी को एक डोर से घुसकर दूसरे से निकलना होता है, अंदर हम कुछ नहीं देख सकते हैं, और हमे ही रास्ता भी खोजना होता है और अंदर भूतिया टाइप कैरेक्टर भी होते हैं ,बड़ा मजा आएगा, चलों ना मा” कुशल रिक्वेस्ट करता है

स्मृति पंकज की तरफ देखती है और पंकज कहता है कि भाई हमें तो भूख लगी है और अगर तुम जाना चाहते हो तो चले जाओ
फिर स्मृति आराधना से पूछती है लेकिन आराधना का तो एटीट्यूड बदल चुका था इसलिए उसने साफ मना कर दिया
“ तो ठीक है हम दोनों ही घूम कर आते हैं” स्मृति कुशल के साथ जाते हुए कहती है
“ ओके हम फ़ूड कोर्ट में तुम्हारा वेट करेंगे” पंकज बोलता है

और कुशल अपनी मां का हाथ पकड़कर स्केरी हाउस की तरफ चल देता है, आराधना, पंकज और प्रीती टेबल पर जाकर बैठ जाते हैं,

पंकज – “तो बेटा तुमने क्या लिया” पंकज आराधना का बैग हाथ में लेते हुए बोलता है , तभी वो बैग आराधना उसके हाथ से छीन लेती है
आराधना – “आपके देखने की चीज़ नही है “
पंकज –“सॉरी बेटा “

आराधना –“ थट्स ओके डैड,नो नीड टू से सॉरी “

और फिर तीनो नॉर्मल बातों में लग जाते हैं,

दूसरी तरफ कुशल स्केरी हाउस की टिकट ले चुका था और वह दोनों अंदर जाने की तैयारी कर रहे थे,

कुशल –“ माँ, अंदर लोग चिल्लाएंगे, शोर मचाएंगे लेकिन आप घबराना मत और मैं भी आपका साथ नहीं दे पाऊंगा क्योंकि मैं इस थ्रील्लिंग एडवेंचर को अकेले देखना चाहता हूं “

स्मृति –“ओके, आगे जो भी होगा देखा जायेगा ,देखते हैं अंदर का माहौल क्या है”

और दोनों अंदर चले जाते हैं, एक बार तो स्मृति सकते में आ जाती है, बिल्कुल अंधेरा और लाइट का कोई नामोनिशान नहीं, अंदर घुसते ही स्मृति अपने बाएं तरफ चलने लगती है, बेहद डरावनी आवाज आ रही थी उस स्केरी हाउस में, स्मृति का तो गला सूख चुका था

उसने पीछे मुड़कर देखा तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, उसने धीरे से आवाज़ लगाई कुशल कुशल लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा था, वह धीरे से थोड़ा और आगे चली लेकिन तभी साइड से एक डरावना चेहरा उसके सामने आ गया और वह चिल्ला कर राइट साइड में हो गई

वहां पर और भी चिल्लाने की आवाजे आ रही थी, वह समझ गई कि यहां एक आर्टिफिशियल डरावना माहोल बनाया हुआ है, वो थोड़ा सा और आगे बढ़ी , तभी उसने देखा कि एक परछाई उसके करीब आ रही है, वो राइट में होने ही वाली थी कि अचानक उस परछाई ने उसका हाथ पकड़ लिया और एक झटके में अपनी तरफ खींच लिया

स्मृति बहुत तेज़ चिल्लाई लेकिन उस स्केरी हाउस में सबके चिल्लाने की आवाज़ में उसकी आवाज़ दब गयी ,जिस सख्श ने स्मृति को पकड़ा हुआ था उसने उसे घुमाकर पकडकर अपनी ओर खिंच लिया और अपने सीने से लगा लिया,स्मृति ने फिर चिल्लाना चाहा तो उस सख्श ने मजबूती से उसके मुंह को बंद कर दिया और उसे एक साइड में ले आया ,

वो चिल्लाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर इससे पहले की उसका दिमाग कुछ कम कर पाता , उस इंसान के हाथ आगे बढ़ कर स्मृति के बूब्स पर पहुँच चुके थे और उसने अपने होठों को स्मृति की गर्दन पर रख दिया था ,

स्मृति को तो ये आईडिया भी नहीं था कि ऐसा कुछ भी हो सकता है, स्मृति को लगा कि ऐसे बदतमीजी यहां का कोई स्टाफ कर देता हो और उसे पूरा Idea था कि वह जल्दी उसे छोड़ देगा, लेकिन वह इंसान नहीं रुका और उसने अपना हाथ उसके बूब्स से हटाकर उस के सूट के अंदर ले जाकर उसकी पैंटी तक पहुंचा दिया

स्मृति एक मजबूत कद-काठी वाली लेडी थी लेकिन वह इस अचानक हुई परिस्थिति के लिए तैयार नहीं थी, उसका दिमाग पता नहीं कहां से कहां पहुंच रहा था कि क्या यह नॉर्मल इंसिडेंट है जो इस स्केरी हाउस में होता रहता है या उसका रेप प्लान है, वह कुछ समझ नहीं पा रही थी

वह अभी अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन पीछे वाला भी कम मजबूत नहीं था, बिना टाइम वेस्ट करें अब उस इंसान ने अपने एक हाथ को स्मृति की पैंटी के अंदर मेन आइटम तक पहुंचा दिया यानी उसकी चुत तक,

ना कुछ दिखाई दे रहा था और बस शोर ही शोर ,इस शोर में स्मृति की आवाज को कोई सुन पा रहा था, ऐसे में स्मृति के माइंड ने भी काम करना बंद कर दिया था, उसको पता था कि डरने से काम नहीं चलेगा, यह जो भी इंसान है जिसने उसे पकड़ा हुआ है वह कोई खूनी नहीं बल्कि इसे शरीर की भूख है , लेकिन अगर वो कुछ करना भी चाहता है तो यहां कैसे कर लेगा,

इस वक्त स्मृति के दिलों दिमाग में बस यही बात घूम रही थी, वह इंसान अभी भी पागलों की तरह स्मृति की गर्दन पर किस किया जा रहा था, दूसरी तरफ उसका हाथ उसकी चुत पर पहुंच चुका था और उसने अपनी दो फिंगर्स को उसकी चुत के अंदर डालना चाहा ,पर ऐसी सिचुएशन में दो फिंगर्स भी ज्यादा थी क्योंकि न ही तो स्मृति एक्साइटेड थी और ना ही उसकी चुत में गीलापन था

इस वजह से उसे ऐसा दर्द हुआ जैसे किसी लड़की को फर्स्ट टाइम सेक्स में होता है जब उस लड़के ने अपने दो फिंगर्स उसकी चुत में जबरदस्ती घुसा दी

“ऊऊन्ह्ह............” वो बंद मुंह से ही खूब चिल्लाने की कोशिश कर रही थी और अपने दर्द को दिखाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कोई फायदा नहीं होने वाला था

स्मृति पूरी ताकत लगाकर चिल्लाने की कोशिश कर रही थी और अपनी सांसो की ताकत से उसके हाथों को छुड़ाना चाह रही थी
उस इंसान ने तेजी से दो उंगलियां अंदर बाहर करना शुरु कर दिया

स्मृति को कुछ भी हिंट नहीं मिल रहा था कि आखिर यह क्या सीन चल रहा है, अगर वह मेरे साथ सेक्स करना चाहता है तो ये ड्रामा क्यों कर रहा है ,यह मेरी चुत की हालत खराब क्यों कर रहा है अपनी मोटी मोटी उंगलियों से

स्मृति के मंद में एक ट्रिक आई , उसने अपनी बॉडी को बिल्कुल हल्का छोड़ दिया ,ऐसे की जैसे वह बेहोश हो गई हो और छूटने की कोशिश बंद कर दी, उसका रिएक्शन थोड़ा पॉजिटिव हुआ क्यूंकि जिस इंसान ने उसे पकड़ा हुआ था उसे ऐसा लगा जैसे की स्मृति बेहोश हो गयी और उस इंसान ने अपना हाथ उसके मुंह से धीरे-धीरे हटा लिया,

लेकिन उंगलिया अभी भी उसकी चुत में ही थी, “आआआअह्हह्हह्ह .......” स्मृति ऐसे चुल्ली मानो भूकंप आ गया हो ,स्केरी हाउस के भूत भी डर गये होंगे शायद ,पर उस इन्सान ने टाइम न वेस्ट करते हुए फिर से उसको मुंह को कस के पकड़ लिया, उसको समझ आ गया की स्मृति चालाकी दिखा रही है ,स्मृति को भी एक झटके में समझ आ गया चिल्लाने से अब कोई फायदा नहीं होने वाला

उस इंसान ने अपनी उंगलियों की रफ़्तार और तेज़ कर दी, स्मृति की तो जैसे जान निकले जा रही थी , उसने एक नयी ट्रिक अपनाई, दो तिन बार स्मृति ने अपने कंधो से बेक साइड में खड़े इंसान की चेस्ट में ऐसे पुश किया जैसे वो कुछ कहना चाहती हो शुरू में तो उस इंसान ने कोई रेस्पोंस नही दिया लेकिन फिर जब ज्यादा शोर हो रहा था तो उसने एक चांस दिया स्मृति को बोलने का

“तुम पागल कुत्ते हो, तुम्हें क्या चाहिए, मेरे पति बाहर ही है, आज तेरा खून होकर रहेगा” स्मृति बहुत ही हल्की आवाज में थोड़ा सा पीछे होकर बोली, लेकिन पीछे से कोई रिस्पांस नहीं मिला और वह इंसान चुप खड़ा रहा और अपनी स्पीड को ऐसे ही जरी रखा ,स्मृति भी अब चिल्ला कर फिर से बोलने का ऑप्शन नहीं खोना चाहती थी

“ मुझे तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिए,सेक्स” स्मृति ने प्यार से काम लेना चाहा लेकिन फिर भी उस इंसान ने कोई रेस्पोंस नही दिया

“कुत्ते भोंक न “ स्मृति का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था, स्मृति ने इतना ही बोला होगा की उस इंसान ने स्मृति का गत पकड़ा और सीधा पीछे ले जाकर अपने खड़े लंड पर रख दिया, स्मृति की साँसे तो ऊपर की ऊपर और निचे की निचे रह गयी , पहले २ सेकंड तो उसे समझ ही नही आया की ये चीज़ क्या है पर अगले ही पल उसे सब समझ आ गया


“ये सेक्स के लिए सही जगह नही है “स्मृति ने प्यार से उसे समझाते हुए कहा, उस इंसान ने अपने हाथ उसकी चुत से हटाया और अपने लंड पर ले जाकर रख दिया और बिना कुछ बोले ही उसके हाथ को पकड़ कर दो बार आगे पीछे करके दिखा दिया

“ओह्ह्ह यू बास्टर्ड !!!!! इस स्केरी हाउस में तूने मुझे अपने मसटर्रबेसन के लिए पकड़ के रखा है “ स्मृति ने फिर एक बार स्लो वौइस् में कहा

इतना सुनते ही उस इंसान ने फिर से अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर घुसा दिया और उसकी चुत में अबकी बार तिन उन्गलीयाँ गुसने की कोशिश करने लगा

“आईई ......”स्मृति को फिर से पैन हुआ लेकिन इस बार उसकी चुत थोडा गीलापन था तो उतनी परेशानी नहीं हुई जितनी की पहले हुई थी

स्मृति ने भी अब टाइम ना वेस्ट करते हुए सीधा हाथ उसके लंड पर ले गई और उसे चलाना शुरु कर दिया, स्मृति के टच से ही वह इंसान पागल सा हो गया और स्मृति को चूमने लगा, स्मृति को समझ आ रहा था कि यह कोई भूखा है, अब स्मृति ने अपने हाथ को और तेज चलाना शुरु कर दिया क्योंकि वह खुद भी चाहती थी कि जल्दी से इस मुसीबत से छुटकारा मिले

जैसे जैसे स्मृति अपने कोमल हाथ उसके लंड पर फिरा रही थी वैसे वैसे उसका लंड और भी विकराल होता जा रहा था और स्मृति भी अब इस परिस्थिति से गुजर रही थी क्योंकि वह रिलेक्स थी कि यह सिर्फ सेक्सुअल फ्रस्टेसन का मारा है ,वह अपने औरत होने का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी ताकि जल्दी से जल्दी उस इंसान का पानी निकलवा सके

उसको टेंशन भी हो रही थी लेकिन कहीं ना कहीं उसका माइंड भी काम कर रहा था कि टेंशन में जितना ज्यादा टाइम लगेगा उतनी ही मुश्किल होगी,

“क्या मैं इसे ओरल सेक्स से संतुस्ट कर दूँ,शायद यह जल्दी डिस्चार्ज हो जाएगा” स्मृति के माइंड में यही बाते आ रही थी और उसने अपना मुंग उसकी तरफ करना चाह लेकिन उसने अपनी ताकत का यूज़ करते स्मृति को घूमने नहीं दिया, वह इंसान अभी भी अपने तीन उंगलियां स्मृति की चुत में अंदर बाहर कर रहा था


“यू लोफर , गंवार ,कभी किसी के साथ कुछ किया भी है या नहीं, क्या पूरा हाथ घुसा दिया है मेरे यहां, अपनी एक या दो फिंगर यूज़ कर “ स्मृति ने फिर से एक बार हल्की आवाज़ में उसे धमकाया ,उस इंसान ने इस बार स्मृति की बात को इज्जत दी और अपनी एक फिंगर बहार निकल ली और अब वो बस अपनी दो फिंगर ही यूज़ कर रहा था, स्मृति आज अपने औरत होने का फुल यूज़ कर रही थी , और यही एक तरीका था जिससे वो जल्द से जल्द उस इंसान की कैद से छुट सकती थी

स्मृति बहुत तेज़ तेज़ हाथ चला रही थी पर स्मृति का माइंड कह रहा था की ये है तो कोई अनाडी पर लंड कमाल का है इसका “ मुट्ठी में भरने के बाद भी करीब पाच से छ इंच बहार होगा

अब स्मृति ने अपना ब्रम्हास्त्र फेंकना शुरू कर दिया, और अपनी गांड को उसकी बॉडी से मसलना शुरू कर दिया ,

पूरा संसार जानता है कि लडकी के पास दो ही अनबिटेबल हथियार जय जिनसे वो कुछ भी कर सकती है – बूब्स और गांड , खास कर वो भी पूरी तरीके से भरी हुई स्मृति जैसी औरत हो अगर
वो कुछ बोल नही रहा था लेकिन स्मृति ये फील कर रही थी वो उतेजित होता जा रहा है, उसके साँस लेने की स्पीड बढ़ रही थी और उसका लंड भी और पे और विकराल होता जा रहा था,


स्मृति फील नही करना चाहती थी लेकिन असल में वो भी बहुत उत्तेजित होती जा रही थी, उसकी चुत का पानी अब और तेज़ी के साथ आने लगा था, स्मृति अपनी गांड को और तेज़ी से हिलाने लगी थी,
“काम तो तूने ऐसा किया है की तुझे मौत मिलनी चाहिए लेकिन एक बात है दम है तुझमे “ स्मृति ने लो वौइस् में उसको और उत्तेजित करते हुए खा , उसकी साँसे तेज़ होती जा रही थी ,उसकी धडकनों को स्मृति की पीठ फील कर रही थी, स्मृति की चुत में उसकी उँगलियाँ तेज़ी से भाग रही थी और वहीँ पे स्मृति के हाथ में उसका विशाल लंड भी था तो नेचुरल था की कोई भी लेडी उतेजित हो जाती और वी ही स्मृति के साथ हो रहा था लेकिन वो परिस्तिथि के साथ एडजस्ट नही हो पा रही थी

धीरे धीरे उसका हाथ स्मृति की चुत पे टाईट होता जा रहा था, लें वो अब ही कुछ नही बोल रहा था,स्मृति समझ गयी कि वो अब डिस्चार्ज होने के करीब ही है . स्मृति ने अपना हाथ और तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू कर दिया और तभी –“पिछ्ह्ह्ह........”स्मृति ये देखना चाहती थी की आखिर ये कैसा है और वो अपना हाथ लंड के सामने ले जाती है, कई झटको के साथ उसका सारा वीर्य स्मृति की मुट्ठी में भर जाता है

“ओह माय गोड ......क्या सारा गुस्सा मेरे लिए ही बचा के रखा था” स्मृति लो वौइस् में उसके वीर्य के गढ़ेपन और मात्र को देखते हुए बोली, वो समझ गयी थी की ये जो भी है , सेक्स के लिए पागल है या इसके पास कोई पार्टनर नही है







उसकी पकड़ स्मृति पे ढीली पड़ती जा रही थी , और तभी स्मृति को लगा कि वो आजाद है , वो तुरंत पीछे मुड़ी पर उसे वहां कोई नही दिखाई दिया, ये अजीब सा इंसिडेंट था उसकी लाइफ में , वो यही सोच रही थी पर फिर उसने सब भूल कर बाहर जाना उचित समझा , वो जैसे तैसे बाहर निकली और सीढ़ी लेडीज वाशरूम में घुस गयी
KONG
User avatar
rocky123
Novice User
Posts: 312
Joined: 15 Nov 2017 19:28
Location: on earth

Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

उसके हाथ में अभी भी उस इंसान का वीर्य भरा हुआ था ,वह अपना हाथ छुपाकर वॉशरूम में आ गई और वॉश बेसिन में जाकर धोने लगी ,जैसे जैसे वह वीर्य उसके हाथ से हट रहा था ,स्मृति को भी टेंशन से आजादी मिल रही थी, स्मृति अपने हाथ को धोकर जैसे ही नैपकिन लेने के लिए पलटी उसकी नजरें आराधना से मिल गई जोकि उसी वॉशरूम में आई हुई थी

स्मृति – “अरे आराधना तुम यहां “
आराधना – “मैं यहां नहीं तो क्या जेंट्स वॉशरूम में जाऊं क्या “
स्मृति– “ अरे मेरा मतलब था कि बाकी सब कहां है” स्मृति ने नॉर्मल होते हुए कहा
आराधना – “फ़ूड कोर्ट में सब तुम दोनों का वेट कर रहे हैं, मुझे लगा कि तुमने ज्यादा टाइम लगा देना है इसलिए मैं यहां आ गई”
स्मृति – “ठीक है तो तू चल मैं बस हाथ धोकर आती हूं “
आराधना – “पर आपने यह हाथ पर क्या लगा लिया था” आराधना ने उसे हाथ धोते हुए देखे लिया था

स्मृति – “वह ...वह... कुशल ने कोई गम चिपका दी थी” स्मृति में घबराहट में और कोई बात नहीं निकली
आराधना – “चलिए तो साथ ही चलते हैं ,आप हाथ पोंछ ले मैं बाहर इंतजार करती हूं “

स्मृति ने अपना फेस वाश किया और आराधना के साथ वॉश रुम से बाहर आ गई, वो अभी वाशरूम से थोड़ी ही दूर चले थे कि दूर से कुशल आता हुआ दिखाई दिया
कुशल – “अरे मा आप कहां रह गई थी” यह कहकर कुशल अपनी मॉम से जा लिपटा

स्मृति – “ बेटे मैं तो तुझे ढूंढ रही थी लेकिन तू कहीं दिखाई ही नहीं दिया” स्मृति ने नॉर्मल सा जवाब दिया

“और तु मोम को परेशान क्यों करता है गम वगरह लगा कर” आराधना कुशल को डांटते हुए बोली
“अब छोड़ भी पहले खाना खा लेते हैं फिर बात करना” इससे पहले कि कुशल कुछ समझ पाता स्मृति ने बात को डालते हुए उसे जवाब दे दिया
आराधना भी कोई बच्ची नहीं थी ,वो समझ गई की दाल में जरुर कुछ काला है,
“ कहीं मोम किसी और के साथ तो ......”आराधना के दिल में ख्याल आ रहे थे ,खैर वो फ़ूड कोर्ट पहुंचे और खाना खाया

सभी लोग थक चुके थे तो घर के लिए रवाना हुए, थोड़ी देर में वो सभी घर पहुंच गए ,सब थक चुके थे, वो सभी अपने अपने रुम में चले गए ,आराधना को जैसे सर दर्द हो रहा था क्योंकि उसे तो यही लगने लगा था कि मोम कुछ गलत कर के आ रही है,

आराधना अपने रूम में पहुंची और गेट को लॉक किया, सारा सामान बेड पर फेंक कर आराधना वॉशरूम में घुस गई क्योंकि उसका शावर लेने का दिल था ,वो शुरू में घुसने के बाद उसने अपना फेस वाश किया और तोलिया लेने के लिए बाहर जाने लगी कि तभी उसकी नजरें बाथरूम के कोने में रखें डस्टबिन पर पड़ी,उसमें कुछ बैलून टाइप चीजें पड़ी हुई थी ,

आराधना देखते ही समझ गई कि वो कंडोम है, आराधना ने करीब जाकर देखा तो वो तीन थे जिनमें वीर्य भी भरा हुआ था

आराधना का तो जैसे खून खौल उठा, वो वाश रूम के बाहर आई तो देखा कि बेड शीट भी अस्त व्यस्त थी ,उसका चेहरा गुस्से में इतना लाल हो चुका था जैसे उसमें खून उतर आया हो, वो एक ही झटके में समझ गई कि जरूर सिमरन ने कुछ गलत किया है क्योंकि वही अपने बॉयफ्रेंड के साथ यहां आने का प्लान बना रही थी

उसने एक झटके में फोन उठाया और तुरंत सिमरन को मिला दिया

सिमरन –“ हाय जान”
आराधना –“ तू घर आई थी”
सिमरन –“हां स्वीटी आई थी ,अभी थोड़ी देर पहले ही हम निकले हैं वहां से”
आराधना –“मेरे बेडरुम में भी आई थी?”
सिमरन –“तेरे ही बेडरूम में थी मैं ,क्यों क्या हुआ?”
आराधना –“यू बिच, तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारे घर में ये सब करने की”
सिमरन –“कंट्रोल योर टंग आराधना ,मैं हमेशा हलके में लेती हूं लेकिन आज तो तू कुछ ज्यादा ही बोल रही है”
आराधना –“लेकिन तुझे मेरा ही घर मिला था अपना मुंह काला करने को और ये अपनी गंदगी तुम मेरे बाथरुम में फेंक कर चली गई, किसने दिया तुम्हें ये अधिकार?”

सिमरन – “आरू मेरी दोस्त सुन, मैंने कोई मुंह काला नहीं किया है, मैंने बस वही किया है जो जवानी में करना चाहिए, सभी लड़कियां करती हैं तो मैंने भी किया तो इसमें इतना ओवर रिएक्ट करने वाली कौन सी बात है, यह मेरी जिंदगी है और मेरा जो दिल आएगा मैं वही करूंगी, हाँ तेरे घर पर जो कुछ कंडोम रह गई वह मेरी गलती है और वह मैं मानती हूं ,अगर तू कहेगी तो मैं खुद आकर उन्हें फेंक दूंगी”

आराधना – “अगर तुझे इतनी ही आग लगी है तो अपने घर वालों से बोलती क्यों नहीं कि तेरी शादी कर दे”

सिमरन – “लिसन डियर, मैं फिजिकल रिलेशन के लिए तैयार हूं ना की शादी के लिए, शादी एक फाइनल स्टेप है और सेक्स के लिए मैं शादी तक का इंतजार नहीं कर सकती तो इसमें गलत क्या है और मैं तुझ से पूछती हूं कि आज कोई तेरे शरीर को आकर प्यार करे तो क्या तेरी चुत ये बोलेगी कि नहीं तू तो शादीशुदा है ही नहीं, फिजिकल नीड और मोरल इन्वायरमेंट में फर्क होता है, तू इतना फ्रस्टेट क्यों रहती है क्योंकि यू आल्सो नीड सेक्स ,लेकिन यह एसी अनजान सिचुएशन है जिसे तू कभी नहीं समझ सकती”

आराधना – “ चल मान भी लिया कि मेरा दिल करता है लेकिन मैं फिर भी शादी तक इंतजार कर सकती हूं, तेरी तरह नहीं की अभी अपनी इज्जत लुटाती फिरु और सेकंड हैंड बनकर हस्बैंड के पास जाऊं”

सिमरन – “तू कर ले इंतजार और जीतले नोबेल प्राइज, मुझे तो अपनी ऐसी ही जिंदगी पसंद है, आज ही सेक्स की फुल डोज दी है मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे, सो प्लीज़ मूड ऑफ मत कर, सच बोल रही हूं कि तेरा पति भी तेरी लेते हुए डरेगा, तू मदर टेरेसा टाइप है लेकिन पतियों को कुछ और ही स्टाइल की वाइफ पसंद होती है”

आराधना – “तू कोई मेरी गॉड फादर नहीं है जो मेरा टाइप बताइगी “

सिमरन – “मुझे भी कोई शौक नहीं है लेकिन तू मेरी फ्रेंड है तो तुझे सलाह दे रही हूं ,तुझे लगता है कि सब बुरे हैं और तू अच्छी है ,यार मेरी बात मान लड़की है तो लड़की की तरह रह ,नहीं तो लोग तेरी पहचान भूल जाएंगे, मैं तुझे याद कराना नहीं चाहती लेकिन तेरे डैडी को भी यह एहसास मैंने ही दिलाया कि तू एक लड़की है नहीं तो उन्हें भी यह एहसास नहीं था” सिमरन थोड़ा सा उत्तेजित होकर एक साँस में सब बोल जाती है

आराधना – “क्या कहा तूने डैडी के बारे में?”

सिमरन –“मैंने वही कहा जो तूने सुना, मैं तेरे घर आई और तेरे घर को गंदा किया इसके लिए मुझे माफ कर दे लेकिन आज जो मैंने तेरे से बोला है उन सब बातों पर ध्यान दें “और यह बात बोलते ही वो फोन कट कर देती है
आराधना हेलो हेलो करती रह जाती है लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता ,सिमरन की इस 5 मिनट की टॉक ने आज आराधना को एक आइना दिखा दिया था और आराधना सोचने पर मजबूर हो गई थी

बार-बार वो उन कंडोम को देख रही थी ,वो भी एक लड़की थी तो कल्पना करना शुरु कर दिया था कि कैसे उसके बॉयफ्रेंड ने उसे प्यार किया होगा ,उसे गुस्सा भी आ रहा था कि उसने ऐसी बात क्यों बोली कि मेरे डैडी को भी मेरे लड़की होने पर शक है,

“लगता है अब दिखाना ही पड़ेगा कि मैं भी एक लड़की ही हूं “आराधना ने अपने आप से फैसला किया, वो तैयार थी कुछ भी करने के लिए

शॉपिंग से आने के बाद आराधना थक चुकी थी लेकिन उसने सिमरन को फोन करने के बाद जो अपने दिमाग के तारों को छोड़ दिया उससे वो बेचैन हो गई, उसको समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो रहा है, उसको यह लगने लगा था कि कहीं उसकी लाइफ स्टाइल गलत तो नहीं ,कही सिमरन जैसी ही लड़कियां सही तो नही जो सेक्स करती करती हैं

वो अपने आप से बात कर रही थी,

“उसने डैडी के बारे में ऐसी बात क्यों कही ,डैडी ने मुझे वो साड़ी और ब्लाउज क्यों गिफ्ट किया ?, कहीं ऐसा तो नहीं कि खुद मेरे डैडी ही मुझे नहीं सिमरन को पसंद करते हैं ,कहीं वाकई में मेरा एटीट्यूड गलत तो नहीं ,कहीं मेरा टाइप वाकई में मदर टेरेसा तो नहीं “ यह वो सारे सवाल थे जो उसके दिमाग में घूम रहे थे, उसका सिर दर्द बढ़ता ही जा रहा था ,वो उठी और पानी की बोतल उठा कर पानी पीने लगी

इतने में उसने देखा कि सामने से प्रीती जा रही थी, शायद वो वॉशरूम जा रही थी ,आराधना ने फैसला किया कि क्यों ना थोड़ी देर प्रीति से ही बात कर ली जाए शायद उसका सर दर्द थोड़ा कम हो

आराधना –“ प्रीति ?” आराधना प्रीति को आवाज देती है

प्रीति –“हां दीदी “ प्रीति ने बाहर खड़े रहकर ही पूछ लिया

आराधना –“कहां जा रही है, आ थोड़ी देर बैठते हैं “

प्रीति ने आराधना को एक कार्नर फिंगर दिखाते हुए इशारा किया की सूसू लगी है

प्रीति -“ बस दीदी 1 मिनट में आती हूं, मैं नहीं चाहती कि आपका रूम गंदा कर दूँ” प्रीति ने तेज तेज वॉशरूम की तरफ चलते हुए कहा
थोड़ी देर बाद प्रीति अपनी दीदी के रूम में आ जाती है

प्रीति -“ दीदी अब बताओ क्या बात है”
आराधना -“ कुछ नहीं ऐसे ही सोचा कि अपनी बहन से थोड़ी देर बात कर लूँ , आज थोड़ा अच्छा फील नहीं हो रहा “
प्रीति -“ क्या बात है भाई, आज रात में सूरज कहां से निकल रहा है” प्रीति ने थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा
आराधना -“ क्या यार तुम सब लोग मुझे हिटलर क्यों समझते हो, मेरे दिल में भी तुम सबके लिए प्यार है, लेकिन पता नहीं तुम सब क्यों नहीं समझते” आराधना ने थोड़ा सीरियस होते हुए कहा

प्रीति -“ दीदी ये टाइम हमें प्यार करने का नहीं बल्कि अपना प्यार ढूंढने का है” प्रीति ने एक आंख मारते हुए उसे कहा

आराधना -“ तू बहुत बड़ी हो गई है कहीं ऐसा तो नहीं है कि तूने ही अपना प्यार ढूंढ लिया हो”

प्रीति -“ हाय मेरी ऐसी किस्मत कहां, काश ऐसा हो गया होता “ प्रीति ने मजाक में अपना सर पर हाथ मारते हुए कहा

आराधना -“ हा हा हा फनी गर्ल है तू काफी, अच्छा सीरियस होकर बता कि मेरे अंदर क्या-क्या कमियां हैं” आराधना ने सीरियस होते हुए कहा

प्रीति -“ अंदर? कमियां? मुझे तो सब फिट हिट दिखाई देता है” प्रीति ने फिर से मजाक में आराधना के बूब्स की तरफ देखते हुए कहा

आराधना -“ मारूंगी एक, सीरियस होकर बता, क्योंकि आज मेरा दिल दुखी है ,तू ही तो है जो मेरे करीब है, सो प्लीज मेरी हेल्प कर “

प्रीति -“ क्या दीदी आज तो शॉपिंग करके आई हो मस्त वाली, इतनी सीरियस क्यों हो रही हो, सब ठीक तो है ना”

आराधना -“ सब ठीक है, बस ऐसे ही आज मुझे किसी ने एहसास दिलाया कि शायद मैं एक अच्छी पत्नी ना बन पाउं और यहां तक बोला कि मेरा टाइप मदर टेरेसा टाइप है और शायद यही कारण है कि मैं एक अच्छी पत्नी का किरदार निभा सकती “ आराधना ने फिर से सीरियस होते हुए कहा

प्रीति -“ दीदी अब मैं क्या बोलूं, आपसे छोटी हूं लेकिन......”

आराधना -“ लेकिन... क्या ......बोलना “

प्रीती -“ दीदी हां बात सच है कि आपका टाइप आजकल की लड़कियों से मैच नहीं करता और आजकल के लड़के भी बहुत एडवांस हैं ,उन्हें ऐसी ही वाइफ पसंद आती है जैसी कि आप हो लेकिन सिर्फ बाहर की दुनिया को दिखाने के लिए, लेकिन दीदी आजकल के लड़कों को ऐसी पत्नी भी चाहिए जो बेड में शर्माए ना, माइंड मत करना लेकिन शायद आपका स्टाइल एक मॉडर्न वाइफ वाला नहीं है और शायद लड़के तुम्हें एक गर्ल फ्रेंड के तौर पर भी एक्सेप्ट ना करें”

आराधना -“ तो क्या मैं अपने आप को सिर्फ इसीलिए बदल दूं कि कोई मेरा बॉयफ्रेंड बने, तुझे भी पता है कि ये सब मुझे पसंद नहीं ,हां लेकिन पति को खुश रखना हर पत्नी का फर्ज़ है ,वैसे तेरी नॉलेज कमाल की है, कहीं तेरा ही तो कोई बॉय फ्रेंड नहीं बन गया “

प्रीति -“ दीदी अभी तो मैं बस 19 साल की हूं, अभी तो मेरी चीजों में आकार लेना शुरु किया है” प्रीति का इशारा अपने बूब्स की तरफ था

आराधना -“ हा हा हा हा वाकई में बहुत फनी है तू, लेकिन और कितना आकार बदलेगी तेरी चीजें, वैसे ही इतना.........”

प्रीति –“ दीदी आपको पता है, आप हमें हिचकिचाहट बहुत ज्यादा है, आप बिल्कुल मस्त रहा करो, एक बिंदास लड़की बनो, बॉयफ्रेंड और पति ही सब कुछ नहीं है, ये तुम्हारी लाइफ है इसे जीना सीखो, वैसे इतना क्या .........आप बीच में क्यों रुक गई”

आराधना –“ अरे नहीं, वो तू कह रही है ना कि अभी तो तेरी चीजों ने आकार लेना शुरु किया है, मुझे लगता है कि आकार काफी सही हो गया है तेरा 19 साल की उम्र में ही” आराधना का इशारा प्रीति के बूब्स की तरफ था

प्रीति –“ हाय मैं मर जावा, आज मेरी दीदी मेरे बूब्स की तारीफ कर रही है “ प्रीति ने खिलखिलाते हुए कहा

आराधना –“ छी ,फिर से ऐसी बातें शुरु कर दी तूने”

प्रीति –“ आपके चेहरे का रंग बता रहा है कि ऐसी बातें तो आपको भी अच्छी लगती हैं, लेकिन आप शर्माती बहुत हैं, खैर ये मेरा फर्ज नहीं है कि मैं आपकी बॉडी को देखूं या तारीफ करूं, ये तो आपके बॉयफ्रेंड या आपके पति का ही हक़ होगा “

आराधना –“ चुप कर पागल कहीं की, मुझे तो लगता है कि तेरा ही कोई बॉयफ्रेंड बन गया है, कहीं ऐसा तो नहीं है कि तू कुछ कर भी चुकी है, क्योंकि तेरी बॉडी भी ठीक सिमरन जैसी है” आराधना ने थोड़ा मजाकिया अंदाज ने कहा

प्रीति –“ हाय दीदी अगर बॉडी से ही पता चलता तो सबसे बड़ी हिट तो आप हैं, कहां सिमरन ओर कहां मैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि आप ही कुछ कर चुकी हैं” प्रीति ने भी मजाक में तीर छोड़ दिया

आराधना –“ चुप कर ऐसा क्या है मेरी बॉडी में?”

प्रीति –“ अरे दीदी अच्छे अच्छे जवानों के छक्के छुड़ाने की हिम्मत रखती हैं, आप बस ड्रेसिंग सेंस बदलिए, मधुबाला से मल्लिका शेरावत पर आइए और फिर देखिए”

आराधना –“ कोशिश करुंगी अगर तू कहती है तो”

प्रीति –“ ओए मेरी ग्रेट दीदी” प्रीति भास्कर आराधना से लिपट जाती है, वो आज बहुत खुश थी क्योंकि आराधना ने पहली बार उसे इतना स्पेस दिया था बात करने का

“अच्छा दीदी अब रात काफी हो चुकी है मैं चलती हूं” प्रीति ने आराधना से कहा

“ओके चल प्रीति अब तू सो जा” प्रीति अपने रूम में चली जाती है, आराधना उन सारे कपड़ों को बाहर निकलती है जिन्हें वो लेकर आई थी

सबसे पहले वो अपने हाथ में उस आइटम को लेती है जो पंकज ने स्मृति को ऑफर किया था ब्लैक नाइटी, ये नाइटी आराधना ने मार्केट से सबकी नजरें बचाकर ले ली थी, वैसे तो आराधना ने किसी को पता ही नहीं चलने दिया था कि उसने क्या क्या लिया है, आराधना उस ब्लैक नाइटी को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर देखती है, इतनी छोटी सेक्सी और पारदर्शी नाइटी को देखकर आराधना शर्म से लाल हो जाती है,

स्मृति आज थक गई थी तो जल्दी सो गई, पंकज बाहर हॉल में टहल रहा था, रात काफी हो चुकी थी लेकिन उसके चेहरे पर नींद के नामो निशान नहीं थे, वो तो स्मोकिंग करता हुआ हॉल में इधर से उधर घूम रहा था, थोड़ी देर पहले ही वो किचन में जाता है और शायद इस उम्मीद में कि उसे नींद आ जाएगी वो एक बीयर निकालता है और फिर से हॉल में आकर बैठ जाता है

टेबल पर रखी मेग्जीन को उठाकर पड़ने लगता है, लेकिन उसका दिमाग कहीं और ही था, उसकी बॉडी लैंग्वेज से ही पता चल रहा था कि उसका मन नहीं लग रहा है,

उसने फैसला किया कि “चलो क्यों ना ऊपर घूम कर आया था, लेकिन 12 से ज्यादा बज गए हैं और बच्चे सो गए होंगे “उसके दिमाग में ख्याल आता है
“लेकिन ऊपर जाने में क्या परेशानी है घूमने आऊंगा और एक्सरसाइज भी हो जाएगी “वो फिर से ये सोचकर ऊपर की ओर चल देता है

हाथ में बियर को लिए हुए धीरे-धीरे हो ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है ,उसको यही Idea था कि सभी सो चुके हैं लेकिन फिर भी वो उपर जा रहा था, जैसे जैसे सीढियों से ऊपर आता है तो देखता है कि कुशल और प्रीति के रूम और लाइट दोनों बंद हैं लेकिन आराधना का गेट अभी भी खुला हुआ है और लाइट भी जली हुई है

वो धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, गेट के करीब पहुंचने वाला ही होता कि वो बोलना शुरू कर देता है “आराधना बेटा.... आराधना बेटा.....” ये बोलते बोलते वो गेट के बिल्कुल करीब पहुंच गया और तीसरी बार बोलने ही वाला था “आराधना बे........” और उसकी सांसें वही की वही रुक जाती है

पता नहीं क्यों उसके हाथ से बीयर की बोतल छूट जाती हैं और नीचे गिर कर टूट जाती है, अंदर का नजारा ही कुछ ऐसा था

दरअसल आराधना को भी आईडिया नहीं था कि कोई आ सकता है और वो अपनी नाइटी को टाई करने के लिए पहन चुकी थी, आराधना का गोरा सुडोल और मांसल बदन अभी उस सेक्सी नाइटी में पूरा विजिबल था, नाइटी की लंबाई बस आराधना की चुत से थोड़ा सा ही नीचे तक थी, नीचे उसकी गोरी गोरी चिकनी टांगे बिल्कुल विजिबल थी, नाइटी का साइज थोड़ा फिट था इसलिए बूब्स की जगह तो ऐसे लग रहा था जैसे जबरदस्ती बंद किया गया हो उन्हें, नाइटी में ब्रा ऑलरेडी थी और पेंटी एडिशनल थी जो की आराधना ने पहनी हुई थी,

ब्रा के ऊपर से आराधना के बूब्स का ऐसा क्लीवेज दिख रहा था कि बस पूछो ही मत, ब्रा के एरिया से नीचे नाइटी ट्रांसपेरेंट थी तो आराधना का पेट साफ साफ नजर आ रहा था और साथ में उसकी नाभि भी, आराधना के बाल खुले हुए थे और फेश वॉश था, वो सुंदर और सेक्सी दोनों का ही परफेक्ट मिक्सचर लग रही थी


दोनों की नजरें मिलती हैं, आराधना साइड पोज में खड़ी थी मिरर के सामने, जैसे ही उसे अपने डैडी की आवाज आती है तो वो अपना चेहरा डोर की तरफ कर देती है और डैडी को देखती है
पंकज उसे देखकर घबरा जाता है, उसे समझ नहीं आता कि क्या करें, लेकिन नजरें नहीं हटा पाता और आराधना भी अपनी जगह से नहीं हिल रही थी
खैर इस चुप्पी को पंकज तोड़ता है और कहता है “सो..... सॉरी ....बेटा, मैं बाद में आता हूं”

पर आराधना आज पता नहीं किस मुड में थी, आराधना आगे गेट की ओर चलती है और डोर पर जाकर खड़ी हो जाती है

पंकज न चाहते हुए भी उस सेक्सी ब्यूटी को देखे बिना नहीं रह पाता

आराधना –“ क्यों कहां जा रहे हैं?” आराधना ने थोड़े एटीट्यूड में कहा
पंकज –“ नहीं... वो ...वो....... शायद तुम सोने की तैयारी कर रही थी, तो सो जाओ “ पंकज बात टालने की कोशिश करता है

आराधना –“ नहीं मुझे नींद नहीं आ रही, और साफ साफ बोलिए ना कि आप मुझे इन कपड़ो में देख कर डर गए है”

पंकज –“ नहीं वो बेटा ऐसी बात नहीं है, ये तो शायद वही नाइटी है जो मैंतुम्हारी मां को दिलवा रहा था” पंकज ने नाइटी की तरफ देखते हुए कहा

आराधना –“कपड़े पहनने के लिए होते हैं ,यह लड़कियों के कपड़े हैं ,सो मैंने पहने, क्यों बुरा किया मैंने?”

पंकज –“ नहीं बेटा.... आप तो बहुत सुंदर लग रही हो”

आराधना –“थैंक्यू डैड, अंदर आइए ना” आराधना गेट पर खड़े रहते हुए अंदर जाने का रास्ता छोड़ती है
KONG
Post Reply