Adultery Chudasi (चुदासी )

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adeswal
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Re: Adultery Chudasi (चुदासी )

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आज सुबह के पेपर में मैंने राजकोट की एक खबर पढ़ी- “कृस्णा नाम एक लड़की ने खुदकुशी कर ली, लड़की ने अपनी बीमारी से तंग आकर खुदकुशी की थी और वो एच.आई.वी. पाजिटिव थी...”

खबर पढ़ने के कुछ देर बाद मेरे दिमाग में आया की पांडु जिस लड़की को परेशान कर रहा था, उसका नाम भी कृस्णा था। फिर मैंने सोचा की राजकोट में कई सारी कृस्णा होंगी, यही एक थोड़ी होगी। लेकिन दिमाग में से । बात निकल नहीं रही थी। रह-रहकर एक ही बात दिमाग में आया करती थी की अगर ये कृस्णा वही होगी तो पांडू भी एच.आई.वी. पाजिटिव होगा और उसके साथ तो मैंने भी संभोग किया है।

पूरा दिन यही बात सोचती रही, खाना भी ना के बराबर खाया, पूरी रात बार-बार लगातार जागती रही, दूसरे दिन और रात भी वही हाल रहा।

नीरव ने मुझे कई बार पूछा की- “क्या हुवा?”

लेकिन मैं कोई जवाब दिए बगैर उसी बारे में सोचती रही, हर वक़्त मेरी आँखों के सामने पांडु नाचता हुवा कह रहा था की- “तूने पांडु को गान्डू बनाया था ना तो देख पांडु ने तुझे एच.आई.वी. पाजिटिव बना दिया, हाहाहा..”

और मैं अपने सिर को पकड़ लेती।
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तीसरे दिन रात को मेरी नींद लग गई और सपने में पांडु और करण आए और मेरा मजाक उड़ाने लगे और मैं चीखती हुई खड़ी हो गई- “नहीं... नहीं में एच.आई.वी. पाजिटिव नहीं हो सकती?” मेरा पूरा शरीर पसीने से तरबतर था, मैं हाफ रही थी और नीरव भी मेरे साथ जाग गया था और मुझे बाहों में लेकर मेरी पीठ सहलाने । लगा, मैं रोने लगी।

नीरव- “क्या हुवा निशा, आजकल तुझे क्या हो गया है?”

मैं जोरों से रोने लगी।

कुछ देर नीरव ऐसे ही चुपचाप मेरी पीठ सहलाते रहा और फिर बोला- “क्या हुवा निशा?”

आज मैंने भी सोच लिया था की जो भी है सब सच-सच नीरव को बता देना है, और छुपाकर मैं अब जी नहीं सकती। मैं बोलने लगी, नीरव सुनने लगा, मैंने सारी बात बता दी, करण, रामू, जीजू, अंकल, प्रेम, अब्दुल, । विजय, पांडु और नीरव के पापा के साथ मैंने कब और किस-किस हालत में सेक्स किया वो सारी बातें मैंने नीरव को बता दी।

नीरव के चेहरे पर कई प्रत्याघात आए। फिर भी बीच में कुछ बोले बिना वो चुपचाप सुनता रहा और जैसे ही मेरी बात खतम हुई उसने मेरे गाल पर जोरों से एक थप्पड़ मारा। नीरव ने इतनी जोरों से मेरे गाल पर थप्पड़ मारा
था की मेरे होंठों के कोने से खून निकल आया

नीरव- “अब बताती है ये सब तुम मुझे, तूने उस वक़्त...” वो आगे नहीं बोल सका। वो रोने लगा और साथ में मैं भी रोने लगी। रोते हुये उसका शरीर कांप रहा था।

मैं चाहती थी की वो मुझे और मारे, गालियां दे लेकिन वो रोए ही जा रहा था। मैं रोती हुई बार-बार एक ही बात कह रही थी- “मुझे माफ कर दो नीरव...” लेकिन उसे छूने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, डर लग रहा था की कहीं वो मुझे दुतकार न दे।
adeswal
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कुछ देर बाद वो दूसरी तरफ मुँह करके लेट गया लेकिन उसकी सिसकियां बंद नहीं हुई थीं। पूरी रात मुझे नींद नहीं आई और शायद नीरव को भी। दूसरे दिन सुबह वो चुपचाप जल्दी उठकर आफिस चला गया। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था की मैं क्या करूं? मैंने सोच लिया था की नीरव ने मुझे घर से निकल दिया तो मैं किसी अनाथ-आश्रम में चली जाऊँगी और वहां बच्चों की सेवा करूंगी। दोपहर को नीरव का काल आया।

मैंने कंपकंपाती आवाज में उससे बात शुरू की- “हाँ, बोलो...”

नीरव- “तुम पीरामल लबोरेटरी आ जाओ...” नीरव ने कहा।

मैं- “क्यों?”

नीरव- “तुम्हारा वहम दूर करने के लिए, तुम्हारी एच.आई.वी. का रिपोर्ट निकालने के लिए..”

मैं जल्दी से तैयार होकर पीरामल लबोरेटरी पहुँची। वहां पहले से ही नीरव मोजूद था। वो इस वक़्त कुछ नार्मल दिख रहा था। वहां मेरा ब्लड देकर हम घर वापस आए, उसके बाद नीरव आफिस नहीं गया। रात तक तो नीरव पूरी तरह से नार्मल हो गया था। मेरी धारणा के विपरीत उसने पूरे दिन में एक भी बार पुरानी बातों को याद नहीं किया था।

मैं घर का सारा काम निपटाकर बेडरूम में गई। तब नीरव नहाकर नया नाइट-सूट पहनकर बैठा था। उसने मुझे बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठ चूमने लगा। मेरी सोच के विपरीत उसकी ये हरकत देखकर मेरी आँखें भर
आईं। नीरव ने मुझे बेड पर लेटाकर साड़ी को मेरी गाण्ड तक ऊपर उठाई और फिर वो मेरे होंठों को चूमते हुये मेरी दो टांगों के बीच में आ गया और अपना पाजामा नीचे करके मेरी चूत पर अपना लण्ड घिसने लगा।

मैंने मेरी टांगों को एक के ऊपर दूसरी को चढ़ा दी, नीरव को अपने ऊपर से धक्का देते हुये कहा- “अभी नहीं...”

नीरव- “क्यों?”

मैं- “जब तक रिपोर्ट न आए तब तक नहीं...”

नीरव- “क्या फर्क पड़ता है निशु रिपोर्ट से? तू चाहे एच.आई.वी. हो या ना हो, मैं जीना सिर्फ तेरे साथ और तेरे लिए चाहता हूँ..” उसने भावुक होकर कहा।


मैं- “फिर भी रिपोर्ट न आए तब तक नहीं..” मैं रोने लगी।

नीरव- “मैं तेरे बिना जी नहीं सकता निशु, तू नहीं जानती मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ...”

मैं- “मैं अब जान चुकी हैं नीरव, और अब चाहे जो भी हो जाय मैं हर पल तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.."

नीरव- “तूने मुझे पहले ये सब बता दिया होता तो मैं उस वक़्त सेक्शोलोजिस्ट को दिखा देता जो आज सुबह मैं बताकर आया हूँ..”

मैं- “क्या तुम डाक्टर को दिखा आए?”

नीरव- “हाँ... मुझे कभी तेरी बातों से भी पता नहीं चला था की तू मुझसे अतृप्त है, मालूम है आज डाक्टर ने मुझे क्या कहा?"

मैं- “क्या कहा?”

नीरव- “मेरे जल्दी फारिग होने का करण बताया, उन्होंने कहा की मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ इसलिए तुम्हारे पास आते ही फारिग हो जाता हूँ...”

मैं- “वो तो तुम करते ही हो...”

नीरव- “उन्होंने उसका इलाज भी बताया की सेक्स करते वक़्त मैं तुम्हारे बारे में न सोचते हुये अपने बिजनेस के बारे में सोचूं, जिससे समय बढ़ सकता है, कुछ दवाइया भी दी हैं..” उसके बाद नीरव फिर से सेक्स करने की जिद करने लगा।
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नीरव- “उन्होंने उसका इलाज भी बताया की सेक्स करते वक़्त मैं तुम्हारे बारे में न सोचते हुये अपने बिजनेस के बारे में सोचूं, जिससे समय बढ़ सकता है, कुछ दवाइया भी दी हैं..” उसके बाद नीरव फिर से सेक्स करने की जिद करने लगा।

लेकिन मैंने उसकी एक भी ना सुनी, सारी रात हम बातें करते रहे। लेकिन सुबह मुझे जरा सी भी थकान महसूस नहीं हो रही थी। क्योंकि अब मैं नीरव के प्यार के रंग में रंग चुकी थी।

मैं- “नीरव रिपोर्ट कब आयेगी..” नाश्ता करते हुये मैंने नीरव से पूछा।

नीरव- “वैसे तो आज आ जाती, लेकिन सनई है इसलिए कल आएगी...”

मैं- “क्या होगा नीरव?” मैं रोने लगी।

नीरव- “पगली है तू, तुझे कुछ नहीं होगा...” नीरव ने कहा।

मैं- “नहीं नीरव मैंने बहुत पाप किए हैं, तुम जैसे देवता को धोखा दिया है.”

नीरव- “निशा तूने जो भी किया ना उसमें तू जितनी जिम्मेदार है ना, उतना ही मैं जिम्मेदार हूँ। तुम्हारे साथ । रामू ने जबदस्ती की तब तूने मुझे बता दिया होता तो तुम इतना आगे नहीं बढ़ती, और अनिल जीजू ने तेरे से सेक्स करने की जिद की तब तुम लोगों ने मुझे बताया होता तो मैं उन्हें समझाने की कोशिश करता और हो । सकता है वो मान भी जाते...”


मैं- “लेकिन ये सब वो करण की वजह से हुवा है, उसी ने सबसे पहले मुझे बहकाया है...” मैंने उसे याद दिलाया।

नीरव- “करण कोई है ही नहीं निशा, वो तुम्हारा वहम है...”

मैं- “क्या?” उसकी बात से मैं चौंक उठी- “वो मुझे बस में मिला था...”

नीरव- “नहीं उस वक़्त भी वो तुम्हारे सपनों में आया था..."

मैं- “ये कैसे हो सकता है?”

नीरव- “यही हुवा है निशा, मैंने कल डाक्टर (सेक्शोलोजिस्ट) से भी इस बारे में बात की थी, उनका कहना भी यही है...”

मैं- “मुझे समझ में नहीं आती तुम्हारी बात...” मैं सोच में पड़ गई।

नीरव- “मैं समझाता हूँ... पहली बार तुझे करण मिला तो उसने तेरे साथ उंगली से सेक्स किया, क्योंकी हम लोग हर रोज वैसे सेक्स करते थे। फिर तूने उसका लिंग चूसा तो वीर्य निकलने से पहले उसने तेरा मुँह वहां से हटा दिया। कोई मर्द ऐसा नहीं करता लेकिन तुम्हारे सपनों में, कल्पनाओं में तो वोही आएगा ना जो तुम्हें पसंद होगा
और फिर तुम जब संभोग से परिचित हो गई तब तुमने करण से संभोग किया...”

मुझे नीरव की बात कुछ-कुछ समझ में आ रही थी, मैंने कहा- “इसलिए वो बार-बार आकर मुझे ताने मारता था क्या? ये सब मैं करती थी तब मेरे अंतरमन को कहीं ना कहीं चुभता था, जो करण के रूप में बाहर आता था क्या?"

नीरव- “अब तू समझी... यही हो रहा था। चलो अब सब कुछ भूल जाओ। आज सनडे है, हमें तुम्हारी फ्रेंड रीता को भी मिलने जाना है...” नीरव ने कहा।

मैं- “नहीं नीरव, आज कहीं नहीं जाना, मेरा मूड नहीं है...”

नीरव- “जाना है क्योंकि एक खास बात तू कहने वाली है अपनी फ्रेंड से...”

मैं- "क्या ?"

नीरव- “वो मैं तुझे रास्ते में बताऊँगा.." मुश्कुराते हुये नीरव बोला।

रीता के घर जाते हुये मैंने रास्ते में नीरव से पूछा- “रीता के घर हमें क्या काम है?”

नीरव- “कई दिन से मेरे दिमाग को एक बात खाए जा रही है..” नीरव ने कहा।

मैं- “क्या ?"

नीरव- “यही की जावेद और रीता की शादी हो जाय तो दोनों की लाइफ में जो प्राब्लम चल रही है, वो सोल्व हो सकती है...”

मैं और नीरव जब भी रीता के घर जाते थे तब जावेद हमें वहां मिलता था और उन दोनों के बीच अच्छी दोस्ती भी हो गई थी। मुझे नीरव की बात जंच गई और मैंने रीता के घर पहुँचते ही उससे ये बात कह दी।
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