Thriller आख़िरी सबूत

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Jemsbond
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Thriller आख़िरी सबूत

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Thriller story आख़िरी सबूत

1
अगर अर्न्स्ट सिमेल को पता होता कि वो फ़रसामार का दूसरा शिकार बनने वाला है, तो उसने ब्लू शिप पर एक-दो पैग और चढ़ा लिए होते ।
बहरहाल, उसने बार में कॉफ़ी के साथ ब्रांडी और बर्फ़ के साथ व्हिस्की ली थी, साथ ही दूर कोने में मौजूद ब्लीच-ब्लांड औरत से निगाहें चार करने की भी कोशिश करता रहा, मगर बेदिली से। बजाहिर, वो कैनिंग फ़ैक्टरी की कोई नई कर्मचारी थी। उसने उसे पहले कभी नहीं देखा था, जबकि उसे शहर में मौजूद हसीनाओं का अच्छा ख़ासा अंदाज़ा था।
उसके दाएं डी जरनल का रिपोर्टर हरमैन शाल्क था जो कैलिनिन्ग्राद जैसी किसी जगह पर सस्ते वीकएंड के लिए उसे पटाने की कोशिश कर रहा था, और फिर जब उसकी पिछली शाम की तफ़्तीश का समय आया, तो ऐसा लगा कि इस ज़िंदगी में सिमेल से बात करने वाला आख़री आदमी शायद शाल्क ही रहा होगा।
मतलब, ये मानते हुए कि उसका काम तमाम करने से पहले फ़रसामार ने उसे कोई संदेश नहीं दिया था। जिसकी बहुत संभावना नहीं थी, क्योंकि पिछले केस की तरह, इस बार भी वार पीछे से और थोड़ा नीचे से तिरछा पड़ा था, इसलिए इसकी संभावना कम ही थी कि थोड़ी-बहुत बातचीत हुई होगी।
“आह, तो!" अपने गिलास की आख़री बूंद खाली करने के बाद सिमेल ने कहा था। मुझे बुढ़िया के पास वापस जाना चाहिए।"
यानी, अगर शाल्क को ठीक से याद था। जो भी हो, उसने उसे इससे बाज रखने की कोशिश की थी। उसने कहा था कि अभी मुश्किल से ग्यारह बजे हैं और कि रात अभी जवान है। लेकिन सिमेल दृढ़ था।
ये सही शब्द था। दृढ़। वो बार स्टूल से उतरा। उसने अपना चश्मा दुरुस्त किया और हमेशा की तरह अपने गंजे सिर पर बालों की उस दयनीय सी कूची पर हाथ फेरा-जैसे उससे कोई बेवकूफ बन जाएगा-कुछेक शब्द बड़बड़ाया और चल पड़ा। शाल्क ने आखरी बार उसकी पीठ की सफेद आकृति को देखा था जब वो दरवाज़े में थोड़ा ठिठका था और शायद इस सोच में हिचकिचा रहा था कि किधर जाए।
अब सोचने पर ये बात अजीब सी लगती थी। सिमेल को अपने घर का रास्ता तो पता था।
लेकिन हो सकता है वो वहां कुछ सैकंड खड़े रहकर अपने फेफड़ों को रात की ताज़ा हवा देना चाहता हो। ये एक गर्म दिन रहा था; गर्मियां अभी गई नहीं थीं और शामों में एक सौम्यता सी पैदा हो गई थी जिसे कई महीनों के गर्मियों के सूरज ने और भी समृद्ध कर दिया था। समृद्ध और परिष्कृत।
किसी ने कहा था, जैसे बड़े-बड़े घूटों में पीने के लिए बनी हों। ये रातें ।
वास्तव में, दूसरी ओर के सफ़र के लिए भी ये रात बुरी नहीं थी, अगर किसी को ऐसा सोचने की इजाज़त हो। डी जरनल में शाल्क का कॉलम मूल रूप से खेल और थोड़े से लोक-साहित्य से संबंधित था, लेकिन सिमेल से मिलने वाला आख़री आदमी होने के नाते, उसे इस प्रॉपर्टी डेवलपर के लिए मृत्युलेख लिखना था, जिसे अचानक हमारे बीच से छीन लिया गया था... जिसे हमारे समाज का एक स्तंभ कहा जा सकता था जो कई साल तक विदेश (प्रभावी टैक्स प्रबंध की समान सोच वाले अन्य नागरिकों के साथ कोस्टा डेल सोल में, लेकिन ये उस बारे में बात करने का मौका नहीं था) में रहने के बाद अभी अपने वतन वापस लौटा था, और जो अपने पीछे एक पत्नी और दो बड़े बच्चे छोड़कर गया था, पचास साल का हो गया था लेकिन अभी भी ज़िंदगी के पूरे शबाब पर था |
शाम की महक ज़िंदगी से भरपूर लग रही थी; वो हिचकिचाते हुए दरवाजे पर ठिठका।
क्या फिशरमैन्स स्क्वेयर और फिर आगे बंदरगाह तक टहलने का आइडिया अच्छा रहेगा?
इतनी जल्दी घर जाने का भी क्या फायदा? बेडरूम की मीठी सी महक और ग्रीट का भारी शरीर उसके दिमाग में कौंधा, और उसने टहलने के लिए बढ़ जाने का फैसला कर लिया। बस एक छोटी सी टहल के लिए। भले ही और कुछ हासिल न हो, लेकिन रात की गुनगुनी हवा ही अपने आपमें काफी होगी।
वो लांगवेज तक चला गया और फिर बंजेसकर्क की ओर मुड़ गया। उसी समय, हत्यारे ने लाइजनर पार्क में नींबू के पेड़ों की छाया से निकलकर उसका पीछा करना शुरू कर दिया। खामोशी से और सावधानी से, एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखते हुए और अपने रबर के तलवों से बिना आवाज किए। आज की रात उसकी तीसरी कोशिश थी, लेकिन फिर भी, बेसब्री का कोई चिह्न नहीं था। वो जानता था उसे क्या करना है और उसके दिमाग में जल्दबाजी का नामो-निशान तक नहीं था।
सिमेल हॉयस्ट्राट पर चलता रहा और फिर बंदरगाह की ओर उतरने लगा। फिशरमैन्स स्क्वेयर पर वो थोड़ा धीमा हुआ और रास्ते पर जड़े निर्जन पत्थरों पर धीरे-धीरे चलता हुआ कवर्ड मार्केट की ओर बढ़ गया। दो महिलाएं डूम्स एली के नुक्कड़ पर बातों में मसरूफ थीं, लेकिन उसने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। शायद वो उनके मुकाम के बारे में ठीक से नहीं जानता था, या शायद उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था।
या बस उसकी इच्छा ही नहीं थी। जब वो घाट पर पहुंचा, तो सिगरेट पीने के लिए कुछ मिनट को रुका और गोदी में नावों को डोलते हुए देखने लगा। हत्यारे ने भी मौका देखकर चौक के दूसरी ओर गोदाम की छाया में सिगरेट सुलगा ली। वो सिगरेट को अपने हाथों की कटोरी में अच्छी तरह छिपाए रहा ताकि उसके शोले की वजह से वो दिखाई न दे जाए और इस पूरे समय में उसने अपनी नजर शिकार से एक सैकंड को भी नहीं हटाई।
जब सिमेल ने अपनी सिगरेट को पानी में फेंका और जंगल की ओर बढ़ा, तो हत्यारा जान गया कि आज की रात ही वो रात है।
बेशक यहां एस्प्लेनेड और शहर के उस भाग-रिकेन-के बीच सिर्फ तीन सौ गज में पेड़ थे जहां सिमेल रहता था, और रास्ते में बहुत सी लाइटें थीं; लेकिन सारी ही लाइटें काम नहीं कर रही थीं और तीन सौ गज एक बहुत लंबी दूरी साबित हो सकती थी। जो भी हो, जब सिमेल ने अपने पीछे एक आहिस्ता से कदम की आवाज सुनी, तो वो जंगल के अंदर बमुश्किल पचास गज गया होगा और चारों ओर घना अंधेरा था।
गर्म और उम्मीदों से भरपूर, लेकिन जैसा कि कहा गया, घना।
उसे शायद डर महसूस करने का भी समय नहीं मिला था। और अगर मिला भी था, तो बस आखरी सैकंड के अंश में। रेजर जैसी तीखी धार पीछे से घुसी, दूसरी और चौथी वर्टिबरा के बीच और तीसरी वर्टिबरा के पार रीढ़ की हड्डी, ग्रासनली और कैरोटिड धमनी को काटती हुई निकल गई। वार अगर आधा इंच और गहरा होता तो शायद उसके सिर को शरीर से पूरी तरह अलग कर गया होता।
जो शायद दर्शनीय होता, लेकिन उससे नतीजे पर शायद ही कोई फर्क पड़ता।
किसी भी कल्पनीय मानदंड के अनुरूप, अर्न्स्ट सिमेल जमीन पर गिरने से पहले ही मर चुका होगा। उसका चेहरा पूरी ताकत से काफी चलते-फिरते कंकरीले रास्ते पर गिरा जिससे उसका चश्मा टूटा और अनगिनत गौण घाव दे गया। खून उसके गले से, ऊपर से और नीचे से, बह रहा था, और जब हत्यारे ने सावधानीपूर्वक उसे झाड़ियों में घसीटा, तब भी वो एक हल्की सी घरघराहट सुन सकता था। वो वहां खामोशी से बैठा रहा जबकि इस दौरान चार-पांच नौजवान वहां से गुजरे, फिर उसने घास में अपने हथियार को पोंछा और बंदरगाह की दिशा में वापस चल दिया।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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बीस मिनट बाद, वो एक भाप देते चाय के कप के साथ अपनी किचन टेबल पर बैठा बाथटब को धीरे-धीरे भरते सुन रहा था। अगर उसकी पत्नी अभी उसके साथ रह रही होती, तो वो यकीनन पूछती कि क्या उसका दिन मुश्किल रहा, और कि क्या वो थका हुआ है।
वो जवाब देता कि कुछ खास नहीं। बस कुछ समय तो लग रहा है, लेकिन हर चीज योजना के हिसाब से चल रही है।
सुनकर अच्छा लगा, वो शायद उसके कंधे पर हाथ रखकर कहती। सुनकर अच्छा लगा...
उसने सिर हिलाया, और कप उठाकर मुंह से लगा लिया।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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2
दूर-दूर तक रेत ही रेत थी।
दूर तक पसरी, हमेशा की तरह ही। फीके से आसमान के नीचे शांत, धूसर समुद्र। पानी के बगल में ठोस, नम रेत की एक पट्टी जिस पर वो स्थिर गति बनाए रख सकता था। साथ में चलता एक ज़्यादा सूखा, धूसर-सफेद मैदान, जहां तटीय घास और हवा से त्रस्त झाड़ियां फैली हुई थीं। खारी दलदलों के अंदर पक्षी अलसाए से बड़े-बड़े दायरों में उड़ते हुए हवा को अपनी उदास चीखों से भर रहे थे।
वान वीटरेन ने अपनी घड़ी देखी और रुक गया। वो एक लम्हे को ठिठका। दूर धुंध में वो सग्रेजविन के चर्च के शिखर को पहचान रहा था, लेकिन वो काफी दूर था। अगर वो चलता रहे, तो चौक के कैफे में एक बीयर लेकर बैठने में उसे यकीनन एक घंटा लगने वाला था।
ये कोशिश किए जाने लायक था, लेकिन अब जबकि वो रुक गया था, तो उसके लिए खुद को राजी कर पाना मुश्किल हो रहा था। तीन बज रहे थे । वो लंच के बाद निकला था-या ब्रंच के बाद; जो इस पर निर्भर करता है कि इसके बारे में आपका क्या नजरिया है। जो भी हो, एक बजे, एक और ऐसी रात के बाद जब वो लेट तो जल्दी गया था लेकिन भोर होने तक सो नहीं पाया था। जब सवेरे की सफेदी रेंगती हुई बढ़ती आ रही थी, तो अपने ढीले से डबल बेड पर करवटें बदलते हुए उसके लिए ये समझ पाना मुश्किल हो रहा था कि उसकी चिंताओं और बेचैनी का मूल कारण क्या है... बहुत मुश्किल था।
वो तीन हफ़्ते से छुट्टी पर था, जो उसके स्टैंडर्ड से काफी लंबा समय तो था लेकिन असाधारण नहीं था और जैसे-जैसे दिन गुजरते गए, कम से कम पिछले हफ्ते में, उसके रोजाना के रुटीन में थोड़ा सा विलंब होता गया। बस चार दिन के बाद वो फिर अपने ऑफिस को लौट जाएगा और उसे पूरा अहसास था कि जब वो ऑफिस को लौटेगा, तो उसकी चाल में बहुत उछाह नहीं होगा। हालांकि उसने आराम के अलावा कुछ खास नहीं किया था। बीच पर लेटा पढ़ता रहा था। सग्रेजविन में कैफे में बैठा रहा था, या नजदीक ही हैलेन्सरॉट में। इस अंतहीन रेत पर इधर से उधर टहलता रहा था |
एरिच के साथ यहां पहला हफ़्ता एक गलती रहा था। दोनों को पहले ही दिन इसका अहसास हो गया था, लेकिन इस व्यवस्था को आसानी से बदला नहीं जा सकता था। एरिच को पेरोल पर इस शर्त के साथ बाहर आने दिया गया था कि वो अपने पिता के साथ तट के इस सुदूर टुकड़े पर ही रहेगा। उसकी सजा के अभी दस महीने बाकी थे, और पिछली बार जब वो पेरोल पर बाहर आया था तो नतीजा बहुत अच्छा नहीं रहा था।
उसने समुद्र की ओर देखा। समुद्र उतना ही शांत और अथाह था जितना पिछले पूरे सप्ताह में रहा था। जैसे कोई भी चीज कोई प्रभाव डाल ही नहीं सकती थी, हवा भी नहीं। तट पर आकर प्राकृतिक मौत मरती लहरें ऐसी लगती थीं जैसे बिना जीवन और आशा के लंबी दूरियां तय करके आई हों।
ये मेरा समुद्र नहीं है, वान वीटरेन ने मन ही मन सोचा।
जुलाई में, जब उसकी छुट्टी के दिन नजदीक आ रहे थे, तो उसे एरिच के साथ के इन दिनों का बेचैनी से इंतजार था। और जब ये दिन आ गए, तो वो इनके खत्म होने के लिए बेचैन था, ताकि वो शांति से रह सके और अब, तन्हाई के एक दर्जन दिन और रात के बाद उसे वापस काम पर पहुंचने से ज्यादा किसी चीज की इच्छा नहीं थी।
या बात इतनी ही सीधी थी? या शायद ये एक सुविधाजनक तरीका था। ये बताने का कि क्या हो रहा था - वो सोचने लगा। था कि क्या कोई ऐसा बिंदु आता है जिसके आगे हम किसी चीज के आने का नहीं, बल्कि जो गुजर गया है उससे बच निकलने का इंतजार करते हैं? बच निकलने का। सब कुछ बंद करके आगे बढ़ जाना चाहते हैं, लेकिन फिर से शुरू करने का इंतजार नहीं करते। एक ऐसे सफर की तरह जिसका मजा प्रारंभिक बिंदु से तय कर ली गई दूरी के अनुपात में कम होता जाता है, जिसकी मिठास लक्ष्य के नजदीक आने के साथ-साथ कड़वाहट में बदलती जाती हो...
बच निकलो, उसने सोचा। अंत कर दो इसका। दफ़्न कर दो इसे ।
इसी को शिखर से उतरना कहते हैं। आगे हमेशा एक और समुद्र होता है।
उसने एक आह भरी और अपना स्वेटर उतार लिया। उसे अपने कंधों पर बांधा और पीछे लौटने लगा। अब वो हवा के खिलाफ चल रहा था और उसे अहसास हुआ कि वापस घर पहुंचने में उसे ज्यादा समय लगेगा... अच्छा ही है कि इस तरह उसे इस शाम कुछ अतिरिक्त घंटे मिल जाएंगे। घर को दुरुस्त करना था, फ्रिज खाली करना था, टेलीफोन का प्लग निकालना था। वो कल सुबह जल्दी निकल जाना चाहता था। बिना बात पड़े रहने का कोई फायदा नहीं था ।
उसने ठोकर मारकर एक खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतल को रेत पर उछाल दिया।
कल से पतझड़ शुरू हो जाएगा, उसने सोचा।
जब वो गेट पर पहुंचा तो उसे टेलीफोन की आवाज सुनाई देने लगी। इस उम्मीद में कि उसके घर में घुसने तक टेलीफोन बजना बंद हो जाएगा, आप ही आप वो और धीरे चलने लगा, उसने अपने कदम छोटे कर दिए, अपनी चाबियों से खेलने लगा। पर कोई फायदा नहीं। उदास खामोशी को पूरे जिद्दीपन से काटती हुई आवाज अब भी आ ही रही थी। उसने रिसीवर उठा लिया।
"हैलो?"
"वान वीटरेन?"
"ये तो निर्भर करता है।"
"हा हा... हिलर हूं। कैसा चल रहा है?"
वान वीटरेन ने रिसीवर को पटक देने की इच्छा को किसी तरह दबाया ।
"बहुत अच्छा, शुक्रिया। बस मेरा कुछ ऐसा ख्याल था कि मेरी छुट्टी सोमवार से पहले खत्म नहीं हो रही है।"
"बिल्कुल सही! मैंने सोचा कि तुम शायद कुछ दिन और लेना चाहो?"
वान वीटरेन कुछ नहीं बोला।
"मुझे यकीन है कि अगर मौका मिले तो तुम कुछ समय और तट पर रहना चाहोगे, है ना?"
"..."
"शायद एक हफ़्ता और? हैलो?"
"अगर आप मुद्दे पर आ जाएं तो बड़ी मेहरबानी होगी, सर," वान वीटरेन बोला ।
पुलिस चीफ को खांसी का दौरा सा पड़ गया और वान वीटरेन ने ठंडी सांस भरी ।
"हां, दरअसल कालब्रिंजेन में कुछ हुआ है। वो उस कॉटेज से बीस या तीस मील है जहां तुम ठहरे हुए हो; पता नहीं तुम उस जगह से परिचित हो या नहीं। बहरहाल, हमसे मदद करने को कहा गया है।"
"मामला क्या है?"
"हत्या। दो हत्याएं। कोई पागल फरसे या ऐसी किसी चीज से लोगों के सिर काटता घूम रहा है। आज के अखबार इससे भरे पड़े हैं, लेकिन शायद तुमने--"
"मैंने तीन हफ्ते से अखबार नहीं देखा है," वान वीटरेन ने कहा।
"आखरी-यानी दूसरी हत्या-कल हुई, बल्कि परसों। हमें उन्हें कुछ कुमुक भेजनी पड़ी है, और मैंने सोचा कि चूंकि तुम उसी इलाके में हो, तो..."
"बहुत-बहुत शुक्रिया।"
"फिलहाल मैं ये तुम पर छोड़ रहा हूं। अगले हफ्ते मैं मुंस्टर या राइनहार्ट को भेजूंगा। अगर तब तक तुम इसे नहीं सुलझा पाए तो।"
"पुलिस चीफ कौन है? मेरा मतलब, कालब्रिंजेन में।"
हिलर फिर से खांसा ।
"उसका नाम बॉजेन है। मेरे ख़्याल से तुम उसे नहीं जानते होगे। बहरहाल, उसके रिटायर होने में कुल एक महीना बाकी है और इस वक़्त अपने सामने ये केस आ जाने से वो बहुत खुश नहीं लगता है।"
"कितनी अजीब बात है," वान वीटरेन ने कहा ।
"तो मैं मान रहा हूं कि तुम कल सीधे वहीं जाओगे?" हिलर बात को खत्म कर रहा था। इस तरह तुम्हें अनावश्यक रूप से दो बार सफर नहीं करना पड़ेगा। वैसे क्या पानी अभी भी इतना गर्म है कि तैरा जा सके?"
"मैं सारे-सारे दिन छपाके ही तो मारता रहता हूं।"
"वाकई... वाकई। खैर, मैं उन्हें फोन करके बता दूंगा कि तुम कल दोपहर तक पहुंच रहे हो। ठीक है?"
"मुझे मुंस्टर चाहिए," वान वीटरेन ने कहा।
"मैं देखता हूं क्या कर सकता हूं," हिलर ने कहा।
वान वीटरेन ने रिसीवर रखा और कुछ देर वहीं खड़ा टेलीफोन को घूरता रहा और फिर उसने प्लग निकाल दिया। अचानक उसे याद आया कि वो खाना खरीदना तो भूल ही गया। धत!
उसे अभी ये क्यों याद आया? उसे तो भूख भी नहीं लगी थी, शायद इसका ताल्लुक जरूर हिलर से होगा। उसने फ्रिज से एक बीयर निकाली और बरामदे में जाकर एक डैक चेयर पर बैठ गया।
फरसा हत्यारा?
उसने कैन खोली और एक लंबे से गिलास में बीयर पलटते हुए सोचने लगा कि क्या उसने इस तरह की हिंसा पहले भी कभी देखी है। वो तीस साल-इससे भी ज़्यादा-से एक पुलिस अफसर था लेकिन दिमाग की पूरी तलाशी और छानबीन के बाद भी, वो अपनी यादों की मटमैली गहराइयों से किसी फरसा हत्यारे को नहीं निकाल सका।
शायद समय आ चुका है, उसने बीयर की एक चुस्की लेते हुए सोचा ।
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"मिसेज सिमेल?"
स्थूलकाय औरत ने दरवाजा पूरा खोल दिया।
"प्लीज अंदर आएं।"
बियाटे मोएर्क ने वही किया जो उससे कहा गया था और उसने सहानुभूतिपूर्ण दिखने की पूरी कोशिश की। उसने अपना हल्का ओवरकोट मिसेज सिमेल को पकड़ाया, जिन्होंने उसे पूरी औपचारिकता के साथ हॉल में एक हैंगर पर टांग दिया। फिर वो अपनी मेहमान को घर में ले गईं। साथ ही वो अपनी तंग काली ड्रेस को भी, जिसने यकीनन कभी बेहतर दिन देखे होंगे, घबराहट में खींचती जा रही थीं। बड़े से लिविंग रूम में भारी-भरकम सोफों के बीच रखी स्मोक्ड-ग्लास की टेबल पर कॉफी पेश की गई। मिसेज सिमेल एक सोफे में धंस गई थीं।
"मेरा ख़्याल है कि आप पुलिस अफसर हैं?"
बियाटे मोएर्क बैठ गई और अपना ब्रीफकेस उसने सोफे पर अपने पास ही रख लिया। वो इस सवाल की आदी थी। बल्कि उसे इसकी उम्मीद थी। बजाहिर लोगों को एक वर्दीधारी पुलिसवाली को स्वीकार करने में दिक़्कत नहीं होती थी, लेकिन इस तथ्य से समझौता करना एक अलग बात लगती थी कि वर्दी पहनना काम का जरूरी भाग नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता था कि एक महिला फैशनेबल और सुंदर कपड़े पहने और फिर भी पुलिस की ड्यूटी करे?
क्या अभी भी अहम बात यही है? कि औरतों से पूछताछ करना ज़्यादा मुश्किल है? मर्द अक्सर शर्माते हैं, लेकिन खुल जाते हैं। औरतें सीधे मुद्दे पर आ जाती हैं, लेकिन साथ ही खुलकर कुछ नहीं बताती हैं।
जो भी हो, उसे विश्वास था कि मिसेज सिमेल समस्या नहीं होंगी। वो सोफे पर बैठी बुरी तरह हांफ रही थीं। वो विशाल और बेडौल थीं, उनकी आंखें सूजी हुई थीं लेकिन उनमें भोलापन था।
"जी हां, मैं एक पुलिस इंस्पेक्टर हूं। मेरा नाम बियाटे मोएर्क है। मुझे अफसोस है कि मुझे... जो कुछ हुआ उसके इतने जल्दी बाद ही आपको कष्ट देना पड़ रहा है। क्या आपके साथ कोई और रहता है?"
"मेरी बहन," मिसेज सिमेल ने कहा। "वो अभी स्टोर तक गई है।"
बियाटे मोएर्क ने सिर हिलाया और अपने ब्रीफकेस से एक नोटबुक निकाली। मिसेज सिमेल ने कॉफी पलटी ।
“चीनी?"
"नहीं, शुक्रिया। क्या आप बता सकती है कि पिछले मंगलवार की शाम को क्या हुआ था?"
"मैं पहले ही... मैं इस बारे में कल एक और पुलिस अफसर से बात कर चुकी हूं।"
"हां, चीफ इंस्पेक्टर बॉजेन से। लेकिन अगर आप एक बार फिर से बता सकें तो मैं आभारी रहूंगी।"
"मैं समझ नहीं पा रही कि क्यों... मेरे पास कहने को कुछ खास नहीं था।"
"शायद आपने बताया था कि आपके पति लगभग आठ बजे बाहर गए थे।"
मिसेज सिमेल के मुंह से एक सुबकी निकली, लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाल लिया।
"हां।"
"वो किसलिए बाहर गए थे?"
"उन्हें बिजनेस से संबंधित एक आदमी से मिलना था। शायद ब्लू शिप में।"
"क्या वो अक्सर वहां बिजनेस करते थे?"
"कभी-कभार । वो रियल एस्टेट में हैं... थे।"
"लेकिन हमें लगता है कि आपके पति ब्लू शिप में अकेले थे।"
"वो नहीं आ सका होगा।"
"कौन?"
"उनका बिजनेस संपर्क।"
"नहीं, शायद नहीं। लेकिन जब ये शख़्स नहीं आया, तो आपके पति घर नहीं आए?"
"नहीं... नहीं, शायद उन्होंने सोचा होगा कि अब जबकि वो वहीं हैं तो डिनर भी कर ही लें।"
"उन्होंने पहले नहीं खाया था?"
"नहीं, डिनर नहीं खाया था।"
"आप जानती हैं वो कौन था?"
"मैं समझी नहीं।"
"जिनसे वो मिलने वाले थे।"
"नहीं... नहीं, मैं अपने पति के बिजनेस में कभी हस्तक्षेप नहीं करती हूं।"
"मैं समझ सकती हूं।"
मिसेज सिमेल ने केक डिश की ओर इशारा किया और खुद एक चॉकलेट बिस्कुट उठा लिया।
"आपको किस समय उनके घर आने की उम्मीद थी?"
"लगभग... शायद, कोई आधी रात को।"
"आप खुद किस समय सोई थीं?"
"आप ये क्यों जानना चाहती हैं?"
"माफ करना, मिसेज सिमेल, लेकिन आपके पति की हत्या हुई है। हमें सभी तरह के सवाल पूछने होंगे। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो हम उस व्यक्ति को कभी नहीं ढूंढ़ सकेंगे जिसने ये किया है।"
"मेरे ख़्याल से ये वही है।"
"वही कौन?"
"जिसने जून में एगर्स को मारा था।"
बियाटे मोएर्क ने सिर हिलाया।
"हां, साक्ष्य ऐसा दर्शाते तो हैं। लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसी से कोई प्रेरित हुआ हो।"
"प्रेरित?”
"हां, कोई ऐसा जिसने वही तरीका अपनाया हो। कुछ नहीं पता, मिसेज सिमेल ।"
मिसेज सिमेल ने थूक निगला, और एक और बिस्कुट उठा लिया।
"आपके पति के कोई दुश्मन थे?"
मिसेज सिमेल ने इंकार में सिर हिला दिया।
"दोस्त और परिचित बहुत थे?"
"हां..."
"शायद बिजनेस से संबंधित बहुत से ऐसे संपर्क हों जिन्हें आप बहुत अच्छी तरह न जानती हों?"
"हां, बहुत।"
बियाटे मोएर्क खामोश हुई और उसने कॉफी का एक घूंट लिया। कॉफी बड़ी कमजोर सी थी। उसमें चीनी के दो ढेले और मिला दिए जाते तो कहना मुश्किल हो जाता कि ये है क्या।
"मुझे आपसे कहना होगा कि मुझे कुछ ऐसे सवाल पूछने दें जो आपको थोड़े धृष्ट से लग सकते हैं। उम्मीद करती हूं कि आप समझती हैं ये मामला कितना गंभीर है और कि आप इनके जवाब पूरी ईमानदारी से देंगी।"
घबराहट में मिसेज सिमेल ने अपना कप तश्तरी से रगड़ दिया।
"आप अपनी शादी के बारे में क्या कहेंगी?"
"मतलब?"
"आपकी शादीशुदा जिंदगी किस तरह की थी? अगर मैं गलत नहीं हूं, तो आपकी शादी को तीस साल हो चुके हैं।"
"बत्तीस ।"
"बत्तीस, हां। आपके बच्चे घर छोड़कर जा चुके हैं। अभी भी आपका काफी संपर्क था?"
"आपका मतलब बच्चों से?"
"नहीं, आपके पति से।"
"हां... मतलब, मुझे तो ऐसा ही लगता है।"
"आपके सबसे करीबी दोस्त कौन हैं?"
"दोस्त? बोडेलसेन परिवार और लेजने परिवार, और हां, क्लिंगफोर्ट परिवार। और जाहिर है, परिवार । मेरी बहन और उसका पति । अर्न्स्ट का भाई और बहन... और कहने की जरूरत ही नहीं कि हमारे बच्चे। आप उनके बारे में क्यों जानना चाहती हैं?"
"क्या आप जानती हैं कि आपके पति का किसी और औरत के साथ संबंध था?"
मिसेज सिमेल चबाते-चबाते रुककर ऐसे देखने लगीं जैसे वो सवाल को समझ ही नहीं पाई हों।
"किसी और औरत के साथ?"
"या कई औरतों के साथ। मतलब, वो बेवफा रहे हों।"
"नहीं..." उन्होंने धीरे-धीरे सिर इंकार में हिलाया। "वो कौन हो सकती है? उन्हें कौन स्वीकार करता?"
बेशक ये चीजों को देखने का एक नजरिया था। बियाटे मोएर्क ने अपनी मुस्कुराहट को दबाने के लिए कॉफी का घूंट लिया।
"पिछले कुछ समय में किसी चीज पर आपका ध्यान गया ? मेरा मतलब, आपके पति के बर्ताव में कुछ असामान्य सा?"
"नहीं।"
"या और कुछ ऐसा जो आपको ध्यान आता हो?"
"नहीं। ऐसा क्या हो सकता है ?"
“पता नहीं, मिसेज सिमेल, लेकिन अगर आप पिछले कुछ हफ़्तों के बारे में सोच सकें, तो इससे बड़ी मदद मिल सकती है। शायद आपको कुछ याद आ जाए। मसलन, क्या आप इन गर्मियों में बाहर गई थीं?"
"बस जुलाई में दो हफ़्ते को। एक पैकेज हॉलिडे पर, लेकिन... लेकिन हम अलग-अलग जगहों पर गए थे। मैं एक दोस्त के साथ कोस गई थी। अर्न्स्ट अपने एक दोस्त के साथ गए थे।"
"कोस?"
"नहीं, कोस नहीं।"
"तो फिर कहां?"
"मुझे याद नहीं।"
"समझी... और उसके अलावा आप घर पर ही थे?"
"हां, अलावा ऐसे एकाध दिन के जब हम वैनेसा-हमारी नाव-पर गए थे। हम कभी-कभी नौकायन के लिए जाते हैं और रात को वहीं कहीं रुक जाते हैं।"
बियाटे मोएर्क ने सिर हिलाया।
"मैं समझ सकती हूं। लेकिन पिछले कुछ समय में ऐसा कुछ नहीं था जिसे लेकर आपके पति परेशान रहे हों?"
"कोई नए दोस्त या परिचित नहीं?"
"नहीं..."
"उन्होंने आपको किसी असामान्य चीज के बारे में बताया या इशारा नहीं दिया?"
"नहीं।"
बियाटे मोएर्क ने एक गहरी सांस ली और अपना पैन रख दिया। वो सोफे पर पीछे टिक गई।
"और बिजनेस कैसा चल रहा था?"
"ठीक था," मिसेज सिमेल ने थोड़ा चकित होते हुए पूछा। "ठीक ही था, शायद..."
जैसे और कुछ संभव ही नहीं था, बियाटे मोएर्क ने अपनी स्कर्ट से कुछ टुकड़े झाड़ते हुए सोचा।
"आप काम करती हैं, मिसेज सिमेल?"
वो हिचकिचाने सी लगीं।
"मैं कभी-कभी अपने पति के ऑफिस में उनकी मदद करती हुं।"
"क्या करने में?"
"इधर-उधर की चीजें... जगह को दुरुस्त करना। फूल और सफाई, वगैरा..."
"मैं समझ गई। ऑफिस ग्रोट प्लेन में है ना?"
मिसेज सिमेल ने इकरार में सिर हिलाया।
"आप आखरी बार वहां कब गई थीं?"
"आखरी बार? मेरा ख़्याल है मई में।"
बाप रे, आप तो बड़ी व्यस्त रहती हैं! बियाटे मोएर्क ने सोचा।
उसने घर में भी चारों तरफ एक नजर डाली थी, खासकर इसलिए कि बॉजेन ने उससे ऐसा करने को कहा था। हांफती-कांपती मिसेज सिमेल उसे घर दिखा रही थीं और बियाटे मोएर्क को उनके लिए थोड़ा अफसोस हो रहा था कि उन्हें इतने बड़े-बड़े कमरों की देखभाल करनी पड़ती है। भले ही वहां उनकी मदद के लिए एक सफाई वाली मौजूद थी।
समझ पाना आसान नहीं था कि इससे क्या फायदा होगा, लेकिन कत्ल की तफ़तीशों में तो ऐसा ही होता था। मकसद होता था हर संभव किस्म के तथ्य और जानकारियां इकट्ठा करना-जितने ज़्यादा हों उतना अच्छा-और उन्हें किसी किस्म का सुराग मिलने के समय के समय के लिए फाइल करके तैयार रखना, क्योंकि उस समय एक छोटी सी बारीकी भी पूरी पहेली... केस... राज, या आप इसे जो भी कहना चाहें... की चाबी हो सकती है।
बियाटे मोएर्क छह साल से ज्यादा से – जब वो गोएरलिच में प्रोबेशन पर थी - किसी हत्या के केस का भाग नहीं रही थी, और तब भी वो एक संदेशवाहक से ज़्यादा कुछ नहीं थीः दरवाजों पर दस्तक देना, संदेश पहुंचाना, जमा देने वाली ठंडी कारों में बैठकर कुछ होने का इंतजार करना जो कभी नहीं होता था।
लेकिन अब उनके सामने एक फरसा हत्यारा था। उसके, क्रोप्के के और डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर बॉजेन के। जाहिर है ये सब बड़ा अजीब लग रहा था। शायद किसी बड़ी तोप को उनकी मदद के लिए भेजा जा रहा था लेकिन मूल रूप से ये उन्हीं का केस था। स्थानीय लोग उम्मीद करते थे कि वो इसे हल करेंगे।
इस पागल को गिरफ़्तार करेंगे।
और जब उसने क्रोप्के और बॉजेन के बारे में सोचा, तो उसे लगा कि कामयाबी के लिए बहुत कुछ खुद उस पर निर्भर करता है।
"आप बेसमेंट भी देखना चाहेंगी?"
उसने हां में सिर हिलाया और मिसेज सिमेल हांफती-कांपती सीढ़ियां उतरने लगीं।
जून में, जब पहली हत्या हुई थी, तब वो टैट्राबर्जेन में एक
कॉटेज में जानोस के साथ छुट्टी पर थी। अब वो उससे संबंध तोड़ चुकी थी, या कम से कम, उससे फासला बनाए हुए थी। वो केस के पहले कुछ दिन चूक गई थी, और भले ही वो इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी, लेकिन वो इसे लेकर बहुत परेशान रही थी।
हेन्ज एगर्स। उसने इसके बारे में सब कुछ पढ़ा था और उसने खुद को इसका भाग बना लिया था। उसने बाकी की गर्मी भर पूछताछ और छानबीन में हिस्सा लिया, खाके बनाए और पहेलियां बूझती रही। लेकिन वो सबसे पहले ये मानने को तैयार थी कि उन्हें बहुत कामयाबी नहीं मिली थी। घंटों की पूछताछ और सोच-विचार के बाद, वो किसी पर हल्का सा संदेह तक नहीं कर सके थे। वो और क्रोप्के दोनों अभी तक ओवरटाइम के इतने घंटे लगा चुके थे कि उन्हें एक महीने की अतिरिक्त छुट्टी मिलनी चाहिए थी और वो शायद इसकी कीमत जरूर वसूलेगी, बशर्ते कि पहले वो कम्बख़्त फरसामार मिल जाए।
अखबारों में उसे यही कहा जा रहा थाः फरसामार ।
और अब उसने फिर से हमला बोला था ।
उसका दिमाग कहीं और था और वो मिसेज सिमेल के पीछे-पीछे पूरे घर का दौरा कर रही थी। छह कमरे और एक रसोई, अगर उसने सही गिनती की थी, दो लोगों के लिए। अब बस एक बचा था। और बेसमेंट में एक पूलकक्ष और एक सॉना। बरामदा और जंगल के सामने एक बड़ा बाग। रियल एस्टेट? बॉजेन ने क्रोप्के को सिमेल की कंपनी की खोजबीन करने का काम सौंपा था। वैसे ये बहुत बुरा आइडिया नहीं था। उन्हें जरूर कुछ न कुछ मिलेगा।
लेकिन साला हेन्ज एगर्स और अर्न्स्ट सिमेल में कौन सी चीज समान हो सकती थी?
कहने की जरूरत नहीं थी कि सिमेल की लाश मिलने के बाद से ही ये सवाल लगातार उसके अंदर कुलबुला रहा था, लेकिन अभी तक वो अंदाजे जैसी कोई चीज तक नहीं सोच पाई थी।
या कोई कड़ी थी ही नहीं?
क्या कोई बस ऐसे ही लोगों को मार रहा था?
बिना किसी उद्देश्य के और हमलों के बीच एक महीने का अंतराल ।
जब भी उसका दिल करता। क्या उनके सामने वाकई कोई पागल था, जैसा कि कुछ लोगों का मानना था? कोई उन्मादी?
वो कांप गई और उसकी बांहों के बाल खड़े हो गए।
खुद को संभाल, बियाटे! उसने सोचा।
उसने गैराज तक जाने वाली पक्की ड्राइव पर ग्रीट सिमेल से इजाजत ली और साफ-सुथरे लॉन से शॉर्टकट लेकर नकली जैकारैंडा की नीची बाड़ को फलांग गई। अपनी कार की व्हील के पीछे बैठने के बाद उसने एक सिगरेट पीने का सोचा लेकिन फिर इच्छा को दबा लिया। उसे सिगरेट पिए हुए चार हफ़्ते हो चुके थे और अब उसकी इच्छाशक्ति को तोड़ने के लिए एक फरसामार काफी नहीं होगा।
गमों का ढेर बनी, अचानक दस लाख डॉलर के घर, एक नाव और एक रियल एस्टेट कंपनी की जिम्मेदारी के बोझ तले आ गई मिसेज सिमेल ड्राइव पर खड़ी उसे जाते देख रही थीं।
और भी न जाने कितनी चीजों के बोझ तले।
लेकिन इस दौरे ने कई चीजें तो स्पष्ट कर दी थीं।
जंगल में फरसा लेकर इंतजार करने वाली ग्रीट सिमेल तो नहीं थीं; बियाटे मोएर्क को इस बात का सौ फीसदी विश्वास था।
लगभग इतना ही विश्वास उसे इस बात का भी था कि मकतूल की बीवी ने हमला कराने के लिए किसी और की सेवाएं भी नहीं ली थीं और कि वो किसी और भी तरह लिप्त नहीं थी। बेशक इन नतीजों पर पहुंचने के लिए कोई ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं थे, लेकिन जब आपके पास आभास और सहजबोध दोनों ही प्रचुर मात्रा में मौजूद हों, तो इन पर भरोसा क्यों न किया जाए?
आखिर क्यों नहीं?
उसने अपनी घड़ी देखी। अभी इतना समय था कि उस तोप चीज से मिलने जाने से पहले घर जाकर नहा ले ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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Jemsbond
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Re: Thriller story आख़िरी सबूत

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वान वीटरेन ने पेड़-पौधों और झाड़-झंखाड़ से भरे बाग के बाहर गाड़ी पार्क की। उसने देखा कि गेट के पास लगे मेलबॉक्स पर, जिससे पपड़ियां उतर रही थीं, वही पता था जो उसने अपनी जेब में रखे कागज के पुर्जे पर नोट किया था।
हां। इसमें कोई शक नहीं था।
"आपको वो आराम से मिल जाएगा," पुलिस चीफ बॉजेन ने कहा था। "शहर में इस जैसी दूसरी कोई जगह नहीं है!"
इसमें जरा भी अतिशयोक्ति नहीं थी। कार से बाहर निकलने के बाद उसने स्पायरिया की उलझी हुई बाड़ के परे झांकने की कोशिश की। अंदर अंधेरा सा लगता था। फलों के पेड़ों की बिना छंटी भारी-भरकम, झुकी हुई शाखें लगभग छाती की ऊंचाई पर झाड़-झंखाड़ से आकर मिल रही थीं-तीन फुट ऊंची घास, बेतरतीब गुलाब की झाड़ियां और अनजान मूल की अनगिनत कांटेदार लता-तंतु-जिन्होंने एक अभेद्य जंगल सा बना रखा था। सड़क से किसी घर का नामो-निशान नहीं दिखता था, लेकिन एक काफी चलते-फिरते रास्ते को देखकर लगता था कि शायद किसी घर की संभावना थी यहां। एक कुल्हाड़ी यहां कारगर रहती, वान वीटरेन ने सोचा। ये शख़्स पागल होगा।
उसने गेट खोला, झुका और अंदर घुस गया। सिर्फ दस गज के बाद उसे एक घर की दीवार दिखाई दी और एक गठीला सा आदमी उससे मिलने आया। उसका चेहरा खुरदुरा, झुर्रीदार और धूप में अच्छी तरह पका हुआ था-ये बड़ी गर्म गर्मियां रही थीं। उसके बाल कम और लगभग सफेद थे और वान वीटरेन सोचने लगा कि ये तो कुछ समय पहले ही रिटायर हो चुका लगता है। उसे अंदाजा लगाना पड़ता, तो वो उसे साठ के बजाय सत्तर से ज़्यादा करीब बताता। लेकिन फिर भी वो काफी फिट और मजबूत था। उसके कपड़ों से अंदाजा होता था कि वो अपने घर में था-स्लिपर, पुरानी कॉर्डरॉय पैंट और फलालेन की चेकदार शर्ट जिसकी आस्तीनें चढ़ी हुई थीं।
"आप शायद चीफ इंस्पेक्टर वान वीटरेन हैं?"
उसने अपना मांसल हाथ आगे बढ़ाया। वान वीटरेन ने हाथ मिलाया और अपनी पहचान की स्वीकृति दी।
"बाग की हालत के लिए माफ करना! मैंने कोई दो साल पहले गुलाब और कुछ दूसरी चीजें उगाना शुरू की थीं लेकिन फिर मैं बोर हो गया। हैरत है कि हर चीज कितनी तेजी से बढ़ती है! मेरी समझ में नहीं आता कि इसे कैसे सुलझाऊं।
वो अपने हाथ फैलाते हुए खेदपूर्वक मुस्कुराया।
"कोई बात नहीं," वान वीटरेन ने कहा।
"बहरहाल, स्वागत है! इस तरह आ जाइए; मैंने पीछे कुछ आरामदेह कुर्सियां रखी हुई हैं। मेरा ख़्याल है आप बीयर तो पीते होंगे?"
"ढेरों," वान वीटरेन ने कहा ।
बॉजेन ने अपने गिलास के ऊपर से उसे ध्यान से देखा और एक भौंह उठाई।
"उम्मीद है आप मुझे माफ कर देंगे," उसने कहा। "मुझे लगा। कि पहले देख लूं कि मुझे किस किस्म के हरामजादे के साथ फंसाया जा रहा है। मेरा मतलब, बाकी सबके मिलने से पहले। चीयर्स!"
"चीयर्स," वान वीटरेन ने कहा।
वो बेंत की कुर्सी पर पसर गया और उसने आधी बोतल एक ही घूंट में खाली कर दी। धूप बड़ी तेज पड़ रही थी; अभी एक ही घंटा हुआ था, लेकिन उसे अपनी शर्ट पीठ पर चिपकती महसूस होने लगी थी।
"मुझे लगता है कि गर्मियां अभी और चलेंगी।"
पुलिस चीफ आगे झुका और शाखाओं के जाल में से आसमान के किसी टुकड़े को ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा।
"हां, वान वीटरेन ने कहा। "आपका घर बहुत अच्छा है।"
"बुरा नहीं है," बॉजेन बोला। "एक बार आप जंगल में निकल जाएं, तो आपको सुकून हासिल हो जाता है।"
ऐसा ही लगता था। इसमें कोई शक नहीं था कि ये एक अच्छी तरह ढका-छुपा छोटा सा घर था। गंदी सी पीली तिरपाल; जंगले पर चढ़ती झाड़ियों और गुलाब के उलझे से झुंड; घनी, लंबी घास; गर्मियों के आखिर की तेज गंध, मधुमक्खियों का भिनभिनाना... खुद ये बरामदाः नौ या दस वर्ग गज का, जमीन में जड़ी पत्थर की सिलें और एक पुरानी सी मोटे धागों की मैट, बांस की दो पुरानी कुर्सियां, अखबारों, किताबों, एक पाइप और तंबाकू से भरी एक टेबल । घर की दीवार के बगल में एक असंतुलित सा खड़ा बुककेस जिस पर पेंट के टिन, ब्रश, पौधों के पॉट, कई मैगजीनें और अल्लम-गल्लम चीजें रखी थीं...एक शतरंज की बिसात खाली बोतलों के कुछ क्रेटों के पीछे से झांक रही थी। हां, बिल्कुल, इस जगह के बारे में कुछ खास तो था। वान वीटरेन ने एक टूथपिक निकाली और उसे अपने सामने के दांतों के बीच फंसा लिया।
"सैंडविच?" बॉजेन ने पूछा।
"अगर उसे नीचे उतारने के लिए कुछ मिल सके। ये तो शायद खाली हो चुकी है।"
उसने बोतल मेज पर रख दी। बॉजेन ने पाइप फेंका और खड़ा हो गया।
"देखते हैं इस बारे में क्या किया जा सकता है।"
वो घर के अंदर चला गया और वान वीटरेन उसे रसोई में चलते-फिरते और कोई गाना गाते सुनता रहा जो द पर्ल फिशर्स के बेस गीत की याद दिलाता सा लगता था।
कोई बात नहीं, उसने अपने हाथ सिर के पीछे बांधते हुए सोचा। शुरुआत इससे भी बदतर हो सकती थी। बुढ़ऊ में अभी जिंदगी बाकी है!
फिर अचानक उसे याद आया कि उन दोनों में मुश्किल से आठ-दस साल का फर्क ही होगा।
उसने वहां रहने के बॉजेन के प्रस्ताव को बड़ी अनिच्छा से ऐसा संकेत देते हुए ठुकराया कि वो बाद में इरादा बदल सकता है। जो भी हो, उसे उम्मीद थी कि उसका माननीय सहकर्मी उसके लिए अपने दरवाजे खुले रखेगा... यानी, अगर ये केस ज़्यादा लंबा चल जाए तो...
उसने सी वार्फ में एक कमरा ले लिया। चौथे फ़्लोर पर बालकनी और शाम में धूप आने वाला। बंदरगाह, घाटों और आगे खुले समुद्र के साथ खाड़ी का नजारा। उसे मानना पड़ा कि ये जगह भी बहुत बुरी नहीं है। बॉजेन ने समुद्र की ओर इशारा किया।
"ठीक सामने आप लाइटहाउस, लांग पीर्स, देख सकते हैं, लेकिन सिर्फ तभी जब सुबहें साफ हों। पिछले साल ऐसा चार दिन हुआ था। वहां पहाड़ी के ऊपर एक बेहतरीन रेस्तरां, द फिशरमैन्स फ्रेंड, है। किसी दिन शाम को अगर और कुछ करने को न हुआ, तो हम वहां चल सकते हैं।"
वान वीटरेन ने हामी भरी ।
"मेरे ख़्याल से अभी तो थोड़ा काम कर लेने का वक्त है?"
बॉजेन ने कंधे उचका दिए।
"अगर आप कहते हैं, चीफ इंस्पेक्टर।" उसने अपनी घड़ी देखी। "ओह, धत! मेरा ख़्याल है वो आधे घंटे से हमारा इंतजार कर रहे होंगे!"
कालब्रिंजेन का पुलिस थाना ग्रांड प्लेस में एक दोमंजिला इमारत थी। एक फ़्रंट ऑफिस, कैंटीन, कपड़े बदलने के कमरे और बेसमेंट में कुछ कोठरियां; ऊपरी मंजिल पर एक कॉन्फ्रेंस रूम और चार ऑफिस । पुलिस चीफ होने के नाते, बॉजेन का ऑफिस सबसे बड़ा था जिसमें एक डेस्क और स्याह ओक के बने बुककेस थे, लैदर का पुराना सोफा था और चौराहे का नजारा दिखता था। इंस्पेक्टर मोएर्क और इंस्पेक्टर क्रोप्के दोनों के पास दालान के सामने वाले छोटे ऑफिस थे और चौथा ऑफिस कॉन्स्टेबल बैंग और कॉन्स्टेबल मूजर का था।
"मैं आप लोगों का परिचय चीफ इंस्पेक्टर वान वीटरेन से कराना चाहूंगा, जो इस केस को हल करने के लिए यहां आए हैं," बॉजेन ने कहा।
मोएर्क और क्रोप्के खड़े हो गए।
"बॉजेन ही इंचार्ज हैं," वान वीटरेन ने कहा। "मैं तो बस मदद करने आया हूं... जब भी जरूरत पड़ेगी।"
"आपकी जरूरत तो पड़ेगी ही," बॉजेन ने कहा। "ये कालब्रिंजेन की कुल फोर्स है। इनके अलावा नीचे के रैंक वाले भी हैं, हालांकि मैं आपकी जगह होता तो उनसे बहुत उम्मीदें नहीं लगाता।"
"इंस्पेक्टर क्रोप्के," क्रोप्के ने सावधान की मुद्रा में खड़े होते हुए कहा।
बेवकूफ, बियाटे मोएर्क ने सोचा, और अपना परिचय दिया।
"हमारे पास जितनी भी सुंदरता और सहज बोध है उसके लिए इंस्पेक्टर मोएर्क जिम्मेदार हैं," बॉजेन ने कहा। "मेरी सलाह है कि इन्हें कम मत आंकना।"
"मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता," वान वीटरेन ने कहा।
"ठीक है, तो शुरू करें?" बॉजेन अपनी आस्तीनें चढ़ाने लगा। "कॉफी है क्या?"
बियाटे मोएर्क ने कोने में एक मेज पर रखी ट्रे की ओर इशारा किया। क्रोप्के ने अपने खूबसूरत, छोटे-छोटे बालों में हाथ फिराया और अपनी टाई की गांठ के पीछे वाले ऊपरी बटन से खेलने लगा। बजाहिर बातचीत करने की जिम्मेदारी उसी की थी।
शायद नौसिखिया सबसे ऊपर है, वान वीटरेन ने सोचा | शायद बॉजेन उसे काम के गुर सिखा रहा है।
इसकी जरूरत भी थी, अगर वो ईमानदार है तो।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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