Erotica मुझे लगी लगन लंड की

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kunal
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

राकेश मेरे दोनों उभारों को पकड़ कर भींचने लगा और फिर थोड़ा सा फैलाते हुए अपनी जीभ छेद पर लगा दी और फिर बाकी का काम उसकी जीभ कर रही थी। थोड़ी देर तक गांड चाटने के बाद राकेश उठा, चपरासी दीपक को फोन किया। दीपक के आने तक हम दोनों ही अपने कपड़े पहन चुके थे। दीपक ने ऑफिस को बन्द किया और मैं और राकेश ने अपने-अपने रास्ते को पकड़ लिया। राकेश से साथ हुई चुदाई को सोच कर कब मुझे नींद आ गई ट्रेन में, पता ही नहीं चला जब ट्रेन हावड़ा पहुँच गई तो ससुर जी ने मुझे जगाया। मैं खुद को फ्रेश महसूस कर रही थी लेकिन वो नई पैंटी जो अभय सर ने मुझे दी थी, गीली हो चुकी थी।

हम दोनों ट्रेन से उतरकर सर के बताये हुए होटल में पहुँचे। होटल का मैनेजर बाकी की फार्मेल्टी निभाते निभाते लगातार मुझे ही घूरे जा रहा था। उसके बाद मैं और पापा जी अपने कमरे में आ गये।

रात के लगभग 12 बज रहे थे और मुझे एक बार फिर हरारत लग रही थी लेकिन पापा जी परेशान न हो इसलिये मैंने उनसे कुछ नहीं बताया और हल्का-फुल्का खाकर जब लेटने की बारी आई तो उस सुईट कमरे में कहाँ सोया जाये, मैं यही सोच रही थी।

मेरी परेशानी को समझते हुए बाबूजी बोले- तुम परेशान न हो, मैं सोफे पर सो जाता हूँ, तुम बेड पर सो जाओ। अगर तुम चाहो तो अपने कपड़े चेंज कर सकती हो।

इतना कहते हुए पापाजी ने अपनी लुंगी निकाल कर पहन ली और सोफे पर सोने चले गये।

मैंने भी गाऊन निकाल कर पहना और बेड पर आकर लेट गई। एक तो पहले से ही हरारत और दूसरा A.C. चलने के कारण मुझे ठंड भी लगने लगी, मैंने अपने आपको सिमटा लिया। बुखार धीरे धीरे बढ़ने लगा था और मैं बुखार से काम्पने लगी, उम्म्ह... अहह... हय... याह... मेरी आँखों से पानी भी बह रहा था। वैसे भी लेटते लेटते एक बज गया था।

मुझे कराहते हुए देखकर पापाजी मेरे पास आये, मेरे माथे के छुआ और फिर रिसेप्शन पर फोन लगाया, फिर मेरे पास आकर बैठ गये। उनके कहे हुए शब्द मेरे कान में नहीं पड़ रहे थे। फिर मुझे लगा कि मेरे माथे पर गीली पट्टी रखी जा रही है। मेरा जिस्म लगातार तप रहा था। फिर मेरे साथ क्या हुआ, मुझे पता ही नहीं चला।
samfisher
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by samfisher »

Awesome update bro... Ab lagta he sasur ji ka number ayega. But kya ye possible he Ek hi din mein itni baar sex karna like Akanksha din mein 5-6 baar se jyada karti he. Normally ye toh possible hi nehin he. Story he jane do
samfisher
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by samfisher »

Update kahan he bro?
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kunal
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

Post by kunal »

सुबह जब मेरी नींद खुली और मैं थोड़ा उठकर बैठने के काबिल हुई तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरे जिस्म पर कोई कपड़ा नहीं है और मेरे चूतड़ के नीचे एक पन्नी है जो गीली है। तभी मेरी नजर बाथरूम में गई, बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और पापाजी पेशाब कर रहे थे।

मैं अपनी नजर वहाँ से हटाने की लाख कोशिश कर रही थी, लेकिन पापाजी के लंड के कारण हट नहीं रही थी। पापाजी लुंगी को कमर के ऊपर तक चढ़ा कर पेशाब कर रहे थे, इसलिये उनके लम्बे लंड को मैं साफ-साफ देख पा रही थी, शायद राकेश और रितेश या अभी तक जितने मर्दो ने मुझे चोदा था, उन सबसे लम्बा उनका लंड लग रहा था और पापाजी के चूतड़, गोल आकार के, उठे हुए... न चाहते हुए भी मैं आँख चुराकर देखने की कोशिश कर रही थी। पेशाब करने के बाद पापाजी अन्दर ही कुछ धुले हुए कपड़े फैला रहे थे। फिर वो बाहर निकलने लगे, तो मैंने अपने ऊपर पड़ी हुई रजाई को ऊपर तक कर लिया, ताकि पापाजी को न पता चले कि मैं नंगी हूँ।

पापाजी मेरे पास आकर बैठ गये और मेरे माथे को छूकर देखने लगे और,

फिर सन्तुष्ट होते हुए बोले- चलो अब बुखार उतर गया, लेकिन तुम तैयार हो लो, फिर डॉक्टर के पास चल कर दवा लेते हैं।

कहकर चुप हो गये और अपने दोनों हाथों को आपस में मलने लगे और कुछ चिन्तित से दिखाई पड़ रहे थे। मुझे लगा कि वो कुछ बोलना चाह रहे हैं इसलिये मैं उनसे उनकी चिन्ता का कारण जब पूछने लगी,

तो वो बोले- बेटा, चिन्ता तो कुछ नहीं है, लेकिन एक अफसोस है और इसलिये मैं परेशान हूँ।

मैं- 'अफसोस?' मैंने पूछा,

तो बोले- हाँ, अफसोस! और मैं तुमसे माफी भी मांगता हूँ।

मैं- 'माफी!?' अब मैं चिन्तित होने लगी थी।

तभी पापाजी ने कहना शुरू किया- रात में तुम्हें बहुत तेज बुखार था, मैंने दवाई के लिये रिसेप्शन पर कॉल किया।

(यह बात जो पापा जी मुझे बता रहे थे, शायद ये सब मेरी आँखों के सामने हो रहा था, पर उसके बाद जो पापा जी ने बोला, वो बोलते गये और मेरे होश उड़ते गये।)

पापा जी कह रहे थे और मैं सर को नीचे किये हुए सुन रही थी।

पापा जी पूरी बात बताने लगे:

जब रिशेप्शन से कोई हेल्प नहीं मिली तो मैं मग में पानी लेकर गीली पट्टी तुम्हारे माथे पर रख रहा था, लेकिन बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था कि तभी मुझे कुछ गीला सा लगा। क्योंकि मैं तुम्हारे पैर के पास ही बैठा हुआ था, तो मुझे लगा कि पानी गिर गया होगा, लेकिन मग तो मेरे हाथ में था।,मैंने तुम्हारी रजाई को उठाया तो देखा कि तुम्हारी पेशाब निकल रही है और तब तक तुम काफी कर भी चुकी थी। अब मेरे सामने समस्या यह थी कि तुम्हारे बुखार के वजह से मैं तुम्हें गीला नहीं रख सकता था और न ही मैं तुम्हारे कपड़े उतार सकता था, तो करूँ तो मैं क्या करूँ... होटल में कोई ऐसी लेडी स्टॉफ नहीं थी कि उससे मैं इस समस्या को कह सकूं।

अब इस समस्या से निपटने के लिये मुझे ही कुछ करना था, इस विश्वास के साथ कि तुम मेरी बात को सुननेके बाद बुरा नहीं मानोगी, मैंने तुम्हारी पैन्टी उतार कर उसी से तुम्हारी योनि अच्छे से साफ की और फिर पन्नी वाली थैली को दूसरे जगह बिछाकर वहां तुम्हें लेटाने के लिये जैसे तुम्हें उठाया तो पाया कि तुम्हारा गाउन भी गीला है। मैंने तुरन्त ही A.C. बन्द किया और फिर तुम्हारे गाउन को उतार कर तुम्हे सूखी जगह पर लेटा दिया और तुम्हारे गीले कपड़े को बाथरूम में डाल दिया, जिसको अभी मैं धोकर फैला कर आ रहा हूँ।

शर्म के मारे मेरी नजर जमीन पर गड़ी जा रही थी, अभी मेरे कानों को और भी कुछ सुनना था।

पापा जी फिर बोले:

देखो आकांक्षा, मेरी नियत पर शक मत करना, अगर मजबूरी न होती तो मैं यह कभी भी नहीं करता। उसके बाद भी मैं तुम्हारे माथे पर पट्टी रख रहा था, लेकिन बुखार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था।

तभी मुझे याद आया कि तुम्हारी मम्मी के साथ मैं सम्भोग करना चाह रहा था, वैसे भी तुम्हारी मम्मी मुझे कभी भी मना नहीं करती थी, लेकिन उस दिन जैसे ही मैंने उसके बदन को टच किया तो उसको भी बुखार था, मेरे पूछने पर उसने बताया कि दवा तो ली थी पर बुखार उतरने का नाम ही नहीं ले रहा है। मैंने दुबारा दवा देनी चाही तो उसने बताया कि उसने कुछ देर ही पहले दवा ली है। मेरी इच्छा तो बहुत हो रही थी कि मैं उसके साथ सम्भोग करूँ, लेकिन उसके बुखार को देखकर मैंने अपनी इच्छा त्याग दी और अपने हाथ से ही अपने लिंग से खेलने लगा तो तुम्हारी मम्मी बोली कि उसके होते हुये मुझे अपने हाथ से काम चलाना पड़े, उसे अच्छा नहीं लगेगा, तुम्हारी मम्मी ने मुझे सम्भोग कर लेने के लिए कहा।

लेकिन मैंने तुम्हारी सास को सान्त्वना देते हुए कहा 'देखो, तुम्हें बुखार है और मैं तुम्हारे साथ नहीं कर सकता! हो सकता है कि तुम्हें और तेज बुखार हो जाये। चलो, मैं सो जाता हूँ और तुम भी सो जाओ' कहकर मैंने करवट बदल ली।

लेकिन मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी और रह रह कर मैं करवट बदल रहा था। यह बात मेरी बीवी समझ रही थी,

उसने मुझसे एक बार फिर कहा 'देखो मैं जानती हूँ कि इस समय तुम्हें जो चाहिये, नहीं मिल रहा है और मैं नहीं चाहती कि तुम रात भर करवट बदलो, तो आ जाओ और सवारी कर लो ताकि तुम सो सको, कल तुम मुझे डॉक्टर को दिखा देना।'

अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने उसके पेटीकोट को उठाया और उसकी पैन्टी को उतार कर अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया। हालाँकि उस रात के पहले जब भी मैं उसके साथ सेक्स करता था तो काफी मजे लेकर करता था और वो भी मुझे खूब मजे देती थी लेकिन उस रात केवल लिंग को उसकी योनि में प्रवेश करा कर धक्का मारने लगा और फिर मेरा जो भी माल था उसी की योनि में गिरा दिया और उसको चिपका कर सो गया।

सुबह जब हम दोनों सोकर उठे तो देखा कि तुम्हारी सास का बुखार उतर चुका था और वो पहले की तरह फुर्ती से अपने काम निपटा रही थी। उसके बाद अब जब भी तुम्हारी सास को बुखार होता तो इसी तरह हम दोनों सम्भोग करते। इसलिये जैसे ही यह वाकया मुझे याद आया तो मैंने तुम्हारी ब्रा भी उतार दी और अपने भी कपड़े उतारकर तुम्हें अपने से चिपका लिया और फिर तुम्हारी योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा दिया और फिर अपने वीर्य को तुम्हारे योनि के अन्दर ही डाल दिया और फिर तुम्हें अपने से चिपकाकर मैं सो गया।

ये अन्तिम वाक्य पापाजी के मुंह से सुनकर मेरा मुंह खुला रह गया 'जो नहीं होना चाहिये था, इस बुखार की वजह से हो चुका था।' मैं अपने ही ससुर से चुद चुकी थी। मेरे आँखों में आंसू आ रहे थे।
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