Incest Kaamdev ki Leela

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jay
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Re: Incest Kaamdev ki Leela

Post by jay »

Superb............



(^@@^-1rs2) 😘
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Ankur2018
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Re: Incest Kaamdev ki Leela

Post by Ankur2018 »

अगले सुबह, सब के सब तैयार हो गए ट्रिप के लिए। महेश और आशा अपने अपने सामान रेडी करके दरवाज़े की और जा ही रहे थे, के तभी महेश एक नज़र अपने बीवी की और जमा देता हैं! आज सच में आशा कयामत से कम नहीं लग रही थी। एक हरी सारी पहनी हुई थी, लाल रंग की ब्लाउस के साथ, और बाल थे एकदम खुले के खुले। महेश उपर से नीचे अपने बीवी को देखे जा रहा था और सामने आशा कुछ तारीफ सुनने के लिए बेचैन हो रही थी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, महेश वापस अपने सामान को पेक करवाने चला गया, एक मायूसी से भरी आशा को छोड़कर।

लेकिन तभी उसके कंधे पर किसी की हाथ थम जाती है। पीछे मुड़ी तो उसकी सास यशोधा देवी मुस्कुरा रही थी "में तो बस तुझे इतना आशीर्वाद दूंगी बहू, के बहा गोआ में जाके, एक नई ज़िन्दगी की दिशा की और जा, मज़े ले कुछ दिन!" एक नटखट मुस्कुराहट थीं उसकी चेहरे पर और आशा भी, पता नहीं क्यों, हौले से मुस्कुरा दी "जी माजी"। ऐसे में बच्चे भी नीचे आगए और सच में जितना हैंडसम राहुल lh रहा था, उतना ही हसीन और जवान रेवती और रिमी लग रही थी। जहां रिमी एक टॉप और टाईट सी जीन्स पहनी हुई थी, वहा दूसरे और रेवती एक बरमूडा और शोल्डर ओपन शर्ट पहनी हुईं थी। दोनों बहने कयामत से कम नहीं लग रही थी।

दोनों के होंठ हल्के हलके लिप गलोस में सने हुए थे और कंधे में अपने अपने बैग लिए, दौड़ परे गारी की और। "सच में रेवती दी! तुम आ रही हो, मुझे बहुत अच्छी लग रही है! वाउ गोआ!" डिक्की में बैग रख देती है रिमी और जवाब में रेवती भी बोल परी " सच में रिमी! बहुत मज़ा आयेगी!"। दोनों के दोनों बैठ जाते है राहुल के इर्द गिर्द, जो पहले से ही बीच में बैठा था और दोनों के बैठते ही, दो दो सुडौल जांघ राहुल के जांघ से चिपक जाते है, और वोह उन दोनों को सहलाने लगा "लगता है मुश्किल से मुझे काबू करनी पड़ेगी!"। रेवती हंस परी "भइया कंट्रोल उर्सेल्फ! मोम और पापा सामने ही है!"।

रिमी भी मैदान में आ गई "वैसे अगर पापा और मोम भी हमारे इस लीला में शामिल हो जाए तो?" धीमे से रिमी बोल परी, और दोनों रेवती और राहुल उसकी और देखने लगे। रिमी कुछ बोलने ही वाली थी के तभी महेश और आशा बैठ जाते है सामने, अपने अपने जगह पर। आशा इस क़दर बैठी थी के, उसकी स्तन की उभर साफ साफ दिख रहा था राहुल को। "सच में, क्या मस्त दिखती है मा, इस सारी में!" साथ साथ इसके, राहुल ने यह भी गौर किया था के आशा ने भी बहुत हॉकी सी गुलाबी लिप ग्लॉस लगाई हुई थीं, जिससे उसकी होंठ और रसीले दिख रहे थे। आशा भी यह बरखूबी जानती थी के उसकी पूरी के पूरी बदन पर राहुल की नज़र बरकरार है। पति नहीं तो बेटा ही सही! इस बात से वोह शरमा जाती है।

अब महेश स्टार्ट कर लेता है, और गारी रवाना हो जाती है अपने मंज़िल की और। खिड़की से राहुल, रेवती और रिमी वाई का इशारा करते है और वहा दूसरे और रमोला और यशोधा भी बाई में हाथ हिलाए, एक दूसरे की और नटखट मस्कुहट से देखने लगी। दोनों घर के भीतर चले जाते है और वहा महेश दूर अपने मंज़िल की और रवाना हो चला। वातावरण सच में बहुत रंगीन था। आज काफी दिन के बाद, घर के दहलीज के बाहर आशा ने कदम रखी थी, बाहर हलके हल्के बारिश होने लगी लगी थी और खिड़की के बाहर आशा उन बूंदों का मज़ा लेती रही अपने चेहरे पर।

ऐसी समय में महेश भी रेडियो चला देता है और शुरू हो जाता है रोमांटिक गानों का सिलसिला। उन गानों से एक खुमारी छानी लगी आशा और राहुल, दोनों में। बार बार आशा की सीट के पीछे की ओर राहुल अपना हाथ मलता गया, मानो उसकी हसीन गेसुओं को छूना चाहता हो। रिमी भी यह समझ जाती है और धीमे से गाने लगीं "कहीं पर निगाहें, कहीं पे निशाना!" राहुल यह सुन लेता है और उसके जांघ पर एक हल्का थपकी देने लगा "वैसे राजकुमारों, आप क्या प्लान बना रही है?"। रेवती, जो खिड़की के बाहर देख रही थीं, वोह भी दोनों के गाप्पो में शामिल हो जाती है।

क्योंकि गानों और न्यूज का सिलसिला चल रहा था रेडियो पे, पीछे इन तीनों की आवाज़ महेश और आशा तक नहीं पहुंच पाई।

रिमी : हा! देखो, इतनी घुट घुट के हम अब हमारे बीच यह लीला लीला नहीं खेल सकते! तो इस का एक ही इलाज है!

रेवती : अरे मैडम! वोह इलाज क्या है? बताएगी भी तू!

राहुल : रिमी, कहना क्या चाहती है तू?

रिमी : यही के, (एक नयख्ट अदा के साथ मुस्कुराकर) मोम को तुम प्टाओ भइया! और पापा को में और रेवती! क्यों, सही है ना? (खास करके राहुल की और देखने लगी)

रेवती : (मुंह पर हाथ रखे) सच में रिमी! तू किसी बीच से कम नहीं है! शैतान की साली! (कुछ सोचकर) पर हा! एक बात तो है! क्या ताऊजी पट जाएंगे आसानी से?

रिमी : (होंठ दबाती) वोह तू मुझ पर छोड़ दे! मर्द आखिर मर्द होता है! (एक अंगराई लेती हुई) क्या पता!! पापा भी भूखे हो शायद! (दोनों को देखकर, आंख मारती हुई)

राहुल : (रिमी की कान को प्यार से मादोड़ती हुई) सच में रिमी! शैतान से कम नहीं है तू! वैसे तूने मेरे दिल की बात छीन ही ली!

रिमी : (उत्सुकता से) मतलब??

रेवती भी राहुल की और देखने लगी।

राहुल : मतलब यह! के, मा भी मुझे पिछले कुछ दिनों से बहुत भाने लगी है! सच में रिमी, मा की बात ही अलग है! वोह गद्रयापन और सुडौल अंग, मुझे पागल करने लगी है। डैम!

रिमी : (उंगलियों से दो पैर बना के, राहुल के जांघ पे चलती हुई, उसके उभर पर रुक जाती है) ओह हो! बेचारे मेरे प्यारे क्यूट भइया!! देख रेवती दी, क्या हालत हो रही है जनाब की!

दोनों लड़कियां अब जीन्स पे बने उभर की और देखने लगे और बिना किसी झिझक के, दोनों नी के दोनों लड़कियां अब उस उभर को अपने अपने मेहसूस करने लगी। इस एहसास से राहुल भी सर को पीछे करके, आराम से आंखे मूंद लिया। नॉर्मली यह उसके लिए आम बात होती, लेकिन इस समाय, गारी में बैठे बैठे, जहा सामने उसके पापा और मा थे, इस सोच में ही वोह गदगद हो उठा बहुत।

रिमी अब अपनी चुदैलपनती पर आजती है और धीरे से राहुल की ज़िप को खोलने लगी "रेव दीदी! मा कितनी हसीन है ना??"। रेवती भी ज़िप को खोलने में रिमी की सहायता करने लगी "हां! यह बात तो है! ताईजी तो सच में बहुत सेक्सी है!"। अब ज़िप अपनी आखरी हद तक खुल चुका था, और ऐसा बिल्कुल नहीं के इस बात का राहुल को कोई एहसास नहीं था, बल्कि वोह बिचारा तो बस अपने दो शैतान बहनों के शरारत का आनंद ले रहा था। "तुम दोनों को नंगी करके, बीच पर घोड़िया नहीं बनाया तो, मेरा नाम राहुल नहीं!" मन ही मन वोह मुस्कुराने लगा, और फिलहाल इस मज़े का पूरा लुफ्त उठता गया।

अब कच्चे में फेस उभर और उठ गया, ज़िप के खुलने के वजह से। उस कपड़े में कैद उभर को सहलाते सहलाते रिमी और रेवती एक दूसरे से ख्ट्टी मीठी बाते करते गए। दोनों ने मिलकर आशा के इतने पुल बंधे के राहुल के उंभर का धलना अब मुश्किल था!

रिमी : आज तो आशा देवी कयामत लग रही है!

रेवती : सच में, ताईजी का जवाब नहीं! इस सारी में तो कयामत लग रही है!!

रिमी : एकदम! और होंठो की और गौर किया तूने???

रेवती : वाउ! सच प्रिटी लिप्स!! उफ़, उनके होंठो का तो जवाब नहीं। ग्लाॅस तो बहुत गजब का लगाई है ताईजी ने!

इन बातो का असर के साथ साथ हाथो का लिंग के उभर पर सहलाना, अब राहुल को बेकाबू बना रहा था। उसके आंखे अभी भी मूंद था और लिंग है के उठता ही गया कच्चे में।

वहा सामने, आशा हसीन वादियों में खोई हुई थी और हमेशा की तरह महेश गाड़ी चलाते हुए भी फोन पर लगा रहा। खिड़की से ज़रा सा ध्यान अपने पति की और देके, आशा मन ही मन खुद को बोलने लगी "ज़रा मेरी तारीफ ही कर देते, तो क्या जाता! लगे है अपने फोन पे! जैसे इस वस्तु से शादी की हो!!"

वहा पीछे, बारी बरी रेवती और रिमी उस उभर को सहलाते गए और राहुल अपने आपे से अब बाहर होने लगा। लेकिन उभर का सहलाना ही बड़ी बात नहीं थी, बड़ी बात तो यह था के यह दोनों शैतान बार बार आशा के प्रति उसे उकसा रहा था। अब धीरे धीरे बांध टूटने लगा धर्य का और जैसे ही सुपाड़े की स्थान पर एक चिकोटि काटने लगी, तो बस एक झटका देते हुए राहुल के लिंग से एक गाड़ी धार निकल गए पूरे कच्चे को भिगोने लगा। "ओह यू बीचेज!!!!" असहा में ही इसके मुंह से निकल गया और कच्चे पर भीगे पैच को देखकर दोनों रिमी और रेवती खिलखिला उठे।

.......


अब काफी किलोमीटर तक गाड़ी सफर कर चुका था, रिमी एक मासूम अंदाज़ में सामने की ओर देखती हुई बोली "पापा! भूख भी तो लग रही है!! लेट्स हैव समथिंग!!"। महेश भी अपने बेटी की और देखकर "ऑफकोर्स बेटा! भूख तो सबको लगी है, आई एम् सईयूर!" इतना कहते ही गाड़ी रुक जाती है एक धाबे के पास। पचो के पांच उतर जाते है।

चलते चलते, महेश आगे आगे जाने लागा टेबल बुक के लिए, और पीछे पीछे रेवती और रिमी! इन दोनों के पीछे पीछे चल रहे थे राहुल और आशा, जो बार बार यही मेहसूस कर रही थी अपने बेटे के उंगली से उसकी खुद की उंगलियां जुड़ रही थी और अलग हो रही थीं। चलते चलते राहुल के मुंह से आखिर निकल ही गया "मा, आज तो गजब लग रही हो तुम!"। एक सिहरन दौड़ गई आशा की जिस्म में से, मानो एक एक शब्द दिल को छूने लगी हो।

कुछ कही नहीं, बस खामोशी में ही दोनों आगे आगे चलते गए और देखते ही देखते, पांचों बैठ जाते है टेबल बुक किए।

खामोशी में आशा और राहुल आगे आगे चलते गए और देखते ही देखते, पांचों बैठ जाते है टेबल बुक किए। आशा और राहुल एक साथ बैठ जाते है और रिमी और रेवती एक साथ, और एक पचवा चैर लिए बैठ जाता है महेश, जिसके बिल्कुल करीब बैठी थी रिमी। ऐसे में बार बार महेश का नज़र ना चाहते हुए भी, अपने बेटी के स्तन की बगल के तरफ जा रहा था, जो स्लीवलेस शर्ट पहनने के वजह से थोड़ी एक्सपोज हुई थी। फिर नज़र उस बगल से लेकर सीधे स्तन की दरार तक गई, जिसे रिमी भी जान बूझकर दिखा रही थी। रेवती भी खाते खाते अपने ताऊजी पे नजर डाल रही थी और इस बात का मज़ा ले रही थी।

"सच में! यह रिमी कब जवान हो गईं, पता भी नहीं चला मुझे!" अपने जज्बात पे बहुत मुश्कल से काबू कर रहा था महेश और चमच को लिंग का चावी देके, उसे बार बार सहलाने लगा! हाला की पैंट में लिंग भी उभरने लगा था। दूसरे और रिमी भी इस बात का पूरा ध्यान देती हुई खाना खाने लगीं, शर्म के मारे अपने पापा से नज़रे तो मिला नहीं पा रही थीं, लेकिन मन ही मन एक उत्तेजित भाव मेहसूस ज़रूर कर रही थी। महेश खुद को बहुत मुश्किल से काबू रखके अपना खाना खाने लगा और फिर सब के सब उठ गए, आगे की सफर करने।

इस बार गाड़ी तक चलते वक्त महेश के आगे आगे जानबूझ के रिमी और रेवती चलने लगी। ऐसे में एक नहीं, बल्कि दो दो गांड़ के गोलियां उसे नज़र आया। एक तरफ बरमूडा में रेवती की, तो दूसरे और रिमी की टाईट सी जीन्स में। एक झलक तो रिमी ने जब मुड़कर दी अपने पापा को, तो घबराकर महेश यहां वहा देखने लग जाता है। मन ही मन मुस्कुराकर, रिमी वापस आगे देखने लगी, लेकिन फिर से महेश की नजर उसकी बलखाती चाल पर ही चला गया। अब इंसानी फितरत को कौन रिके!

वहा, पीछे आशा और राहुल, फिर से साथ साथ चल रहे थे। एक टेंशन ज़रूर थी माहौल में चारो और, खैर बाते तो बिल्कुल नहीं हो पा रही थी दोनों में, लेकिन होंठ सिले थे तो क्या हुआ! दिल में दोनों के उमंगे बहुत थे और दोनों को ही डर सा था, के ना जाने कब दिल से किस अंदाज़ में वोह उमंगे बाहर छलक परे। लेकिन एक बात तो आशा को पूरी यकीन थी, के आज उसके सजावट से राहुल का नज़र हट ही नहीं रहा था। हर कदम पे चलते चलते उसकी स्तन सारी में ही उपर नीचे हो रही थी और राहुल का नजर भी वही के वही जमा था। ऐसे में सब के सब गारी तक पहुंच जाते हैं और अपने अपने जगह पर विराजमान हो जाते है।

फिर एक बार रेडियो चल जाता है और रोमांटिक गानों का सिलसिला शुरू हो जाते है। मज़े की बात यह थी के आशा अब उन गानों को गौर से सुन रही थीं और आंखे मूंदे बार बार राहुल का ही छवि ला रही थी मन में। शरमाने के अलावा आशा के पास और कोई चारा नहीं थी, इटना ही नहीं, बल्कि उसकी अपनी योनि में से कुछ कामरस ऐसे ही उगल परे उसकी जांघो की और, वहा सईद में महेश को अंदाज़ा भी नहीं था के पास में उसकी पत्नी बैठे बैठे बेटे के नाम की रस बहा रही थी। लेकिन, ज़रा महेश पे भी गौर किया जाए! यह भाईसाहब तो अपने बेटी रिमी और भतीजी रेवती को मन में लिए अभी भी सोच में था। सच देखा जाए तो बलखाती कम उम्र की जवानी अब महेश को भा गया था! बार बार उनके गांड़ के इर्द गिर्द हिलने को याद करते हुए उसका उभर अब साफ नजर आजता किसी की भी।

महेश कुछ घृणा करने लगा अपने सोच पर, लेखन इस खयाल से रिहाई मिलना बहुत मुश्किल था उसे, क्योंकि अब तो रेयार व्यू आइने में भी रिमी साफ दिखाई दे रहा था उसे। वहा पीछे बैठी रिमी की नजर भी अनजाने में ही अपने पिता से मिलने लगी। जैसे ही शरारती छलक का एहसास हुआ अपने बेटी की आंखो में, महेश तुरंत अपना नज़र हटा देता है, लेकिन इस लुक्का चुप्पी में एक अलग ही मज़ा आने लगा बाप बेटी को। खैर, गाड़ी चलता गया अपने मंज़िल की और। बार बार रिमी और रेवती साइड में गोआ के बोर्ड्स देख रहे थे और फैसले का अंदाज़ा लगाना लगे। बीच में बैठा राहुल अपने ही ख़यालो में खोया हुआ था।

तभी रेडियो में सागर फिल्म से सबसे रोमांचक गाना शुरू हो गया : "जाने दो ना"। इस गाने के बोल के असर अचानक से ही आशा को होने लगी, और वहीं बैठी बैठी एक बलखाती हुई अंदाज़ से खुद के पल्लू को संभालने लगी, हाला की कुछ हो नहीं रही थी! अपनी जगह पे अपनी भारी भदकम जिस्म को हिलाने से महेश उसकी और देखने लगा "आशु क्या हुआ?"। अपने आप को वापस संभाले आशा अपने पति की और देखकर, बस मुस्कुराई "नहीं, बस ऐसे ही, सारी को थोड़ी एडजस्ट कर रही थी!" अपने आप के काबू रखे आशा बोल परी। लेकिन महेश आज शरारत के मूड में था, "वैसे सारी का फिक्र छोर दो! बीच पर थोड़ी ना इसे पहनोगी!"। "धत! ना बाबा में नहीं पहनने वाली कुछ और! आप ज़रा देखकर गारी चलाइए!" दिनों पति पत्नी अपने आप ही मुस्कुराने लगे और सारी छोड़कर एक बिचसूट पहनने के खयाल से ही आशा की जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई।

अब शाम की और दिन जाने लगा और बाहर वातावरण एक गुलाबी आसमान को लिए बहुत ही रोमांचक लगने लगा। पीछे बैठे तीनों भाई बहन गुलाबी आसमान का नज़ारा देखने लगे खिड़की के बाहर, और सामने आशा भी मन में अनेक उमंगे भरी, गुलाबी आसमान की और देखने लगी। ऐसे में अचानक राहुल पूछ परा "वैसे पापा! हम रुकेंगे कहा?"। महेश मुस्कुराकर "बेटा! मेरे दोस्त का एक रिजॉर्ट है! बहुत ही बढ़िया! वहा हम बदौर गेस्ट जा रहे है!"। "थट्स सो कूल डैड!" रिमी बहुत एक्साइटेड मेहसूस कर रही थी और रेवती भी खुशी खुशी रिमी को एक हाई फाइव करने लगी। बीच में बैठे राहुल नए नए उमंगे लिए बस अपने मंज़िल तक पहुंचने के लिए बेताब रहा।

वहा, सामने बैठी आशा की दिल भी ज़ीरो से धकड़क उठी, जैसे जैसे गारी अब गोआ की एंट्रेंस पर कदम रखी। सब के सब अब बाहर बाकी गाडियों की और भी देखने लगे। उन्हीं के तरह कुछ परिवार भी थे, और कुछ कुछ नए नए कपल!। आशा के ही नज़रों के सामने एक लड़की अपनी स्तन को अपने प्रेमी के पीठ पर पसारे बाइक पर सवार, गुज़र गए तेज़ हवा की भांति। उस दृश्य को देखकर आशा जो कुछ कामुकता मेहसूस हुई, बार बार उसे अपने और महेश के पहले दिन याद आगाये! लेकिन फिर सच का सामना तो उसे करना ही था! और सच यह थी के अब उन दोनों में वोह खींचाव ना रहा पहले जैसा।

खैर, कुछ देर बाद गारी एक पतली सी गली की और बढ़ गया, और महेश के मुंह से निकल जाता है "फाइनली!"। सब को एहसास हो गया के रिसोर्ट अब कुछ ही दूरी पे थे। "ओह! आई एम सो एक्साइटेड भइया!" रिमी बोल राहुल की और देखकर। राहुल बस मुस्कुराया और रेवती की और देखने लगा, जो खुद खुशी से उत्तेजित नजर आ रही थी।

देखते ही देखते, रिसोर्ट का मेन गेट आ गया और सिक्योरिटी उसे खोल देता है। महेश आगे जाकर गाड़ी पार्क कर लेता है और पार्किंग लोट में से सब के सब बाहर झांकने लगे एक बहुत ही सुंदर सी प्राइवेट रो हाउस की और। आस पास का माहौल भी शांत नज़र आ रहा था और रो हाउस के बिल्कुल बाजू में एक बहुत ही प्यारी सी बगीचा था! खुशी खुशी सब के सब उतर गए और सिक्योरिटी को अपने पहचान देने के बाद, महेश के हाथ पर एक चाबी थमा जाता है।

"लेट्स गो!" महेश खुशी खुशी आगे आगे गया और सब के सब भी पीछे चलते गए। चलते चलते, अपने मा के बलखाती हुई चाल को पीछे से देखकर राहुल के मन में बस एक ही खयाल आया के अब जल्द से जल्द इस हसीन वातावरण में मा को कैसे पटाया जाए। और वहा, आशा इस नए माहौल से बहुत रोमांचक मेहसूस कर रही थी।

सब के सब अब घर के अंदर चले जाते है।
Ankur2018
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Re: Incest Kaamdev ki Leela

Post by Ankur2018 »

अंदर आते ही सब अपने अपने कमरे कि और प्रस्थान हुए। रिमी काफी खुश थी और रेवती भी फूले नहीं समा पा रही थी। राहुल भी अपने लिए एक छोटे कमरे का बंदोबस्त कर लेता है, तो दूसरे और आशा और महेश अपने कमरे में पहुंचकर, अपने अपने सामान रख देते है। महेश अब बिना आशा से कुछ कहे, फ्रोरन अपने फोन पे लग जाते है। बस, फिर क्या! हो गई आशा की तन्हाई का शुरवात, अपने पति की और देखकर, मन ही मन यही सोचने लगी "क्या इसलिए लाए थे मुझे यहां, के मुझे यूहीं तन्हा तन्हा छोड़कर, बस अपने में ही रहोगे!!" लेकिन फिर शिकवा करे भी तो किस्से करे! यूहीं मायूसी को टालती हुई, वोह हॉल तक जाने लगी और सीधे अपनी मनपसंद स्थान, उर्फ बरामदे पे पहुंच जाती है।

बरामदे में से बीच का बहुत ही बडिया नज़ारा दिख रहा था उसे। क्योंकि शाम का समाय था, एक बहुत ही संगीत और पार्टी का माहौल था चारो और, ऐसे में वहा पहुंच जाता है राहुल,। जिसे देख आशा को अचानक ही कुछ ज़्यादा ही खुशी महसूस हुई। शायद मौसम का असर था!

राहुल : बहुत ही हसीन शाम है! है ना मा!

आशा : हा! वोह तो है! (बेटे के हाथ पर हाथ फेरते हुए) वैसे! क्या चल रहा है तेरे मन में?

राहुल : मा! तुम तो इस सारी मे आई हो! लेकिन माहौल के हिसाब से तुम्हे भी अपने आप को सवर्नी पड़ेगी!

आशा : (कुछ हैरानी से) क्या मतलब तेरा?

राहुल : मतलब यह के, आभी और इसी वक़्त, हम थोड़ी सी शॉपिंग करेंगे सुबह बिच जाने के लिए!

आशा : (रोमांचित होती हुई) ओह नो! नहीं मुझे नहीं पहनना कोई सूट वाहेरा! इस उम्र में!! कुछ तो सोचा कर बेटा!

राहुल : (हाथ को अपने हाथ से सहलाता हुआ) कुछ नहीं सुनना चाहता में! तुम आ रही हो बस! और वैसे भी यह सब आम बात है! फॉरेन में भी आप जैसे उम्र में भी स्विमवियर पहनकर बीच जाना नॉरमल है मा!!

आशा : (बेटे के उत्सुकता को भांप लेती है) चल ठीक है! तू तो बिल्कुल अपने दादा पे गया है! ज़िद्दी और...(रुक जाती है) खैर! चल, में अभी आई!

आशा मटक मटक के चल देती है और राहुल मन में कहीं उमंगे लिए वहीं बरामदे में से बीच का माहौल को देखने लगा। खास करके कुछ कपल्स की और, जिन्हें देखते ही उसके दिल में कहीं खयाल आने लगे। ग्रील को पकड़े वोह अपने खयालों में खोया ही था, के तभी "चले बेटा!" की आवाज़ आती है! राहुल पीछे मुड़कर अपने मा को एक सलवार कमीज़ में पाता है, जिसमे वोह काफी जच रही थी। खुशी खुशी राहुल भी अपने मा को लेकर घर से निकलने ही वाला था, के अचानक रुक जाता है "क्या पापा को बताया आपने?"। "उन्हें काम से फुर्सत मिले, तब ना! खैर, चल अब!" मा बेटा निकल लेते है घर से, और गली के सैर करने लगे।

शाम का समय, हर जगह लाइट और शौर भरा माहौल था। बीच अरिया होने के करन काफी कपल्स भी यह से वहा और वहा से यहां आते जाते नज़र आ रहे थे। हाथो पे हाथ थामे मा बेटा आगे आगे जाते गए, और सच मानिए तो कब चलते चलते उनके हाथ यूहीं मिल गए, वोह खुद उन्हें भी पता ना चला। यूहीं चलते चलते, दोनों पहुंच जाते है एक छोटी सी ड्रेस मोल में, जहा तरह तरह के बीच वियर और स्विमसूट मौजूद थे। अभी भी इस निर्णय को लिए आशा शर्म मेहसूस कर रही थी, लेकिन उत्तेजना से भरी दिल लिए, वोह बस यहां वहा रंग बिरंगी सूट्स को देख ही रही थी और तभी एक लड़की आती है, उन्हें अटेंड करने के लिए।

लड़की : जी बोलिए!

राहुल : इनके लिए एक बढ़िया सा बीच वियर चाहिए!

लड़की : ओके, वैसे मैडम, आपका बस्ट साइज़?

आशा अपने बेटे के सामने कुछ अजीब सी मेहसूस कर रही थीं, यह बोलने में, बस लड़की की और देखकर, धीमे से बोलीं "४० सी" और एक लालिमा छा जाती है गालों के और। कुछ पलो के बाद वोह लड़की कुछ सैंपल सूट्स लेकर आती है और राहुल और आशा, दोनों मिलके उन्हें बहुत गौर से देखने लगते है। शर्म के मारे बार बार आशा अपने बेटे के तरफ ही देखे जा रही थी, लेकिन बार बार राहुल भी इशारों से उसे तसल्ली दे रहा था। कुछ देर बाद राहुल एक आइटम पसंद करता है, जिसे देख आशा बहुत ही लज्जित हो गई, कुछ शर्म, तो कुछ उत्तेजना के मारे। पैकेट के कवर को देखकर ही आशा हैरानी से आंखे चौड़ी कर लेती है।



वोह पिस था एक गुलाबी रंग के सरोंग और उसके साथ एक सफेद रंग के ब्रेसियर का! उस कपड़े को पैकेट में लिपटे देख के ही आशा बहुत उत्तेजित मेहसूस कर रही थीं और जब राहुल ने खरीदने के लिए कन्फर्म किया अपने मा की और देखकर, तो आशा बस एक शर्म के मारे मीठी सी मस्कुहट देके, "हा" में इशारा की। खुशी खुशी राहुल उस सारोंग सेट को खरीदे, बाहर जाने लगा अपने मा के साथ साथ। बाहर जाते ही आशा एक थपकी देने लगा बेटे के पीठ पर "बहुत बदमाश है तू! तेरे पापा क्या सोचेंगे! अगर वोह पहनी तो??"। राहुल खुशी खशी मा के पीठ पर हाथ मलता गया "ओह मा! जस्ट चिल, तुम गजब लगोगी! ट्रस्ट मी।"

आशा उसके बातो से कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो जाती है और घर के तरफ दोनों चल परे। जाते जाते एक नज़र राहुल बीच के वहा जमा दी और सोचने लगा के अगला सुबह सच में कितना रंगीन होगा!

......

वहा दूसरे और महेश अपने लैपटॉप में व्यस्त था के तभी उसे किसी के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दिया। झट से नज़रे उपर की तो एक टॉवेल में लिपटी रेवती नजर अाई उसे। मन किया के क्यों ना उस परी समान लड़की को और थोड़ा घुरा जाए, सो कर लिया उसने। वहा, दूसरे तरफ रेवती जान बूझकर अपने गीली बालों को वहीं सूखा रही थी अपने दूसरे टॉवेल से, जबकि पूरी के पूरी बदन एक बेहद पारदर्शी गुलाबी टॉवेल में लिपटी थीं और बदन में भी हलके हलके बूंदों की मौजूदगी साफ दिखाए दे रही थी।

कुछ पल तक तो महेश मनमुग्ध होकर अपने भतीजी को ही देखती गई। जो चीज उसे आशा की मौजूदगी में ना प्राप्त हो रहा था, वहीं एक कमसिन जवान लड़की की और हो रहा था। महेश यूहीं लैपटॉप पे टाइप करने का नाटक करते हुए बस रेवती को ही घुरे जा रहा था। एक बेचैनी सी होने लगा उसके जिस्म में जैसे रेवती अब पीठ को उसके तरफ किए, अपने टॉवेल को धिली किय अपने समाने का बदन को साफ करने लगी। बार बार महेश को यह खयाल आया के काश एक बार अगर वोह उसकी स्तन देख पाता।

रेवती की मीठी मीठी आवाज़ के साथ साथ अब महेश का लिंग भी खड़ा होने लगा। सच में, मन ही मन वोह मानने लगा इस बात को के कुछ तो कशिश थी जवान लड़कियों में! जिसे वोह आशा में हाली में बिल्कुल नहीं ढूंढ़ पा रहा था। लेकिन फिर रिमी की आवाज़ आती है "रेव दीदी!! जल्दी आना, कुछ दिखानी है आपको!" इतना सुनना था के टॉवेल लिपटी वोह अपने कमरे की और दौड़ गई। एक झटके वोह ऐसे गायब हो गई महेश के नज़रों से, के मानो कोई वहम हो!

फिर कैसे भी खुदको संभाले, महेश वापस अपने काम पर लग जाता है। कुछ ही देर बाद दरवाजा रिंग होता है और इस बार रिमी दौड़ जाती है खोलने के लिए। दरवाजा खुली और एक मा और बेटा का अंदर आना हुआ! होंठो में हसी और चेहरे पर रौनक। रिमी यह भी गौर की के आशा के हाथ पर एक ड्रेस बैग थी, जिसे देख रिमी ने अपने भाई की और इशारा की, तो राहुल ने सिर्फ आंख मार दिया। इशारा समझती हुई रिमी एक बार अपने मा को देखने लग जाती है, जो इस समाय काफी उत्तेजित नज़र आ रही थी।

.......…


उस रात को खाने के बाद, सब अपने अपने कमरों में विराजमान हुए और महेश बिस्तर पर लेटकर ही अपने पत्नी की खुशी से फूले हुए गाल को देखे जा रहा था "क्या बात है! बड़ी खुश लग रही हो?"। आशा भी कुछ नटखट स्वभाव की हो चुकी थी अब तक, अपनी नाईटी की बटन को लगाती हुई वोह उस पैकेट को अपने पति के गोद पे रख देती है "खुद ही देख लो, मेरी खुशी की करन!"। हैरान और कौटोहल से भरे मन के साथ महेश वोह पैकेट के अंदर वोह बिकिनी और सराेंग को देखता है, और उसके आंखे बड़ी के बड़ी, अचानक से मानो कोई तेज़ लहर गुज़र गया धड़कन में से "क्या यह तुम पहनोगी???"।
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