तो क्या मुझे उन्हें ज़बरदस्ती चोदना है बिना उनकी मर्जी के ?
नही रे | वो तैयार हो के चुदवाएगी | लेकिन जैसे मैंने तुझे छोटा बच्चा समझा था वो भी तुझे ऐसे ही समझेगी जब तक की तू उसकी बूर में लण्ड नही पेलता | मेरा कहना ये है की एक बार तू पेलना शुरू करेगा तो वो ज़रूर चीखेगी, चिल्लाएगी, धीरे करने को बोलेगी | पर तुझे उसकी सारी बातों को अनसुनी कर के पूरा लण्ड डाल के उसे चोदना होगा, ये कहना है मेरा |
लेकिन उन्हें तकलीफ दे के आपको क्या मिलेगा ?
जरूरी है पप्पू | उसने बिहारी मर्दों को ललकारा था |
मै समझा नही |
अरे लम्बी कहानी है |
बताइए न |
अच्छा सुन | मैंने मोदी ने और सतपती ( दोनों पति पत्नी ) ने पार्टनर बदल कर चुदाई का मज़ा लेने की सोची | सतपती मेरे घर आ गया और मोदी सतपति के घर चला गया | चुदाई तो हुई लेकिन हम दोनों औरतों में से किसी को भी मज़ा नही आया |
क्यों?
क्योंकि सतपती और मोदी दोनों कमज़ोर मर्द हैं | दोनों हम दोनों औरतों से हार गए यानी हमसे पहले झड़ गए तो हम दोनों को उन दोनों नें मुँह और ऊंगली से रगड के झड़वाया | एक दिन हम दोनों यानी मै और मिसेज़ सतपती यूँ ही बैठे बात कर रहे थे कि वो बोल पड़ी तेरा मोदी तो एकदम कमजोर है यार | तो मै बोली और तेरा सतपती ? तब वो बोली अरे बंगाली मर्द कमजोर होते हैं ये तो सबको पता है पर बिहारी मर्द तो माने जाते हैं की औरत के छक्के छुड़ा देते हैं लेकिन मेरे सामने तो तेरा बिहारी मर्द चूहा निकला यार | उसका लण्ड कहाँ खो गया अंदर पता ही नही चला | लगा जैसे किसी बच्चे कि लुल्ली हो मर्द का लण्ड नही |
जानता है पप्पू उस समय से ही मै ढूँढ रही थी कि कोई मजबूत बिहारी मर्द मिले तो उस बंगालन को बताऊं कि बिहारी मर्द की चुदाई क्या होती है ?
अब मैं जोश में आ गया था | मैंने जोर से आंटी कि चुचियों को मसलते हुए कहा आंटी आप चिंता मत करो | मै उस साली बंगालन सतपती आंटी की चोद चोद कर उसकी बूर फाड़ दूँगा|
शाबाश मेरे शेर | लेकिन ये चुचियाँ मेरी हैं उस बंगालन कि नही ? इनपर तो रहम कर |
तब मुझे अहसास हुआ की मैंने मोदी आंटी की चुचियाँ बुरी तरह मसल दी थीं | मैंने चुचियों पर अपनी पकड़ ढीली कि और बोला सौरी आंटी |
आंटी कुछ नही बोली बस चूम लिया मुझे | फिर बोली अब लण्ड बाहर निकाल बेटे |
चुदवाएँगी नही क्या अब ?
चुदवाऊँगी | अभी तो तुझे कुछ खास बातें समझानी पड़ेंगी चुदाई के बारे में क्योंकि वो बंगालन एक नम्बर कि चुदक्कड़ है | उससे जीतना इतना आसान भी नही है | एक तो साली कि बूर पुत्तिदार है |
पुत्तिदार मतलब ?
अब मेरी बूर में तो लण्ड डाला हुआ है तुने तो बताऊँ कैसे | चल पहले इसे निकाल |
मैंने अपनी कमर को पीछे खींचा तो पल्प कि आवाज़ के साथ लण्ड बूर से बाहर आ गया | लण्ड पूरा लसलसा हो गया था और चमक रहा था | आंटी ने अपनी दो ऊंगलियों से बूर का छेद बंद किया और बैठ गई |दूसरे हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर बोली सच में ये मुसल है | मेरी हालत पतली कर दी इसने |
आपने अपनी बूर पर हाथ क्यों रक्खा है |
नही रखूँगी तो तेरे लण्ड के रस से सारा बिस्तर भीग जाएगा जो तुने मेरी बूर में डाला है | मुझे अनवांटेड ७२ जरूर लेना पडेगा | तुने ऐसी दमदार चुदाई की है कि नही लूँगी तो तेरे बच्चे की माँ बनना पड़ेगा | इतनी जोर से पिचकारी छोड़ी तुने की उसकी धार मुझे बच्चेदानी के अंदर महसूस हुई | ऐसा मज़ा आज तक नही आया था मुझे | चल तू भी बाथरूम में अपना लण्ड साफ़ कर ले |
फिर चोदना ही तो है तो साफ क्या करना ?
चल चुप चाप कहते हुए आंटी चल दी मै भी उनके पीछे हो लिया | आंटी ने बाथरूम में जा कर अपनी दोनों टाँगे फैलाईं और आगे कि तरफ झुक कर बूर पर से अपना हाथ हटा लिया| मै ठीक आंटी के पीछे खड़ा था | इस तरह आंटी कि बूर ठीक मेरे लण्ड के सीध में पड़ रही थी | मुझे एक शरारत सूझी | मने अचानक एक हाथ से आंटी कि कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से लण्ड को बूर के मुहाने पर रख के एक हल्का सा धक्का बूर में मार दिया | नतीजा ........ तीन ईंच लण्ड बूर के अंदर | आंटी को बिना सम्भलने का मौक़ा दिए लगा खचाखच धक्के मारने |
उईईईईईईई माँ ये क्या आआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह किया रे तुने |अरे इस तरह तो तेरे लण्ड कि सीधी रगड मेरे भ्ग्नाशे पर पड़ रही है | बहुत मज़ा आ रहा है |
तो ऐसे ही चोदूं ?
हाँ हाँ चोद मेरे बच्चे | लेकिन इतने लण्ड से ही | ज्यादा मत घुसाना |
तब से अब तक और आगे
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Re: तब से अब तक और आगे
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: तब से अब तक और आगे
जी और अब मै बिना हिचक के लगा बूर चोदने |मैंने आंटी कि कमर छोड़ दी और दोनों हाथों से दोनों चुचियाँ पकड़ लीं | गजब का नजारा था | मुझे मेरा लण्ड बूर के अंदर बाहर होता हुआ दिख रहा था इसलिए मै और जोश से भर गया | इधर मेरे झड़ने के बाद जो वीर्य मेने आंटी कि बूर में छोड़ा था वो हर धक्के के साथ फ्च फच फचर फाचर फचाक फच्चाक करता हुआ बाथरूम के फर्श पर टपक रहा था | मेरे टट्टे उस रस से सराबोर हो गए थे | मैं ज़ोरदार धक्के मार के बूर चोदने को बेचैन था पर ये भी जानता था की शायद धक्का मार कर लण्ड घुसा तो दूँगा पर फिर आंटी चुदवाएगी नही | इसलिए अब कंट्रोल कर के धीरे धीरे बूर चोदने में ही भलाई समझी | अब आंटी कि बूर कि चुदाई केवल पाँच ईंच के लगभग लण्ड अंदर पेल के कर रहा था | मेरे धक्के काफी तेज़ी पकड़ चुके थे |
आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाआआन्न्न्न्न् रे चोद ले रे चोद ले | अरे कूट दे मेरी ओखल अपने मुसल से |
हाँ रानी | ले ले मज़ा मेरे लण्ड का | आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी बूर है या गर्म तेल की खान | ले निगल जा मेरे लण्ड को अपनी बूर में ये ले और मै दुगनी तेज़ी से धक्के मारने लगा |
कुल मिला के १० मिनट के करीब चुदाई चली होगी की अचानक ...................अरे मै तो गई रे आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई माँ ..............मेरा हो गया रे और आंटी कि बूर ने रस छोड़ दिया और मेरे लण्ड को बुरी तरह जकड लिया | अब आंटी खड़ी नही हो पा रही थी | उनकी टांगों ने जवाब दे दिया और वो घुटनों के बल बाथरूम में ही कुतिया कि तरह दोनों हाथ और दोनों पैर पर हो गई | अपनी पहली चुदाई के बाद मैं यह समझ चुका था कि झड़ने के बाद आंटी बूर में धक्के लेने में नखरे करेगी सो मैंने उसकी कमर पकड़ कर केवल २ ईंच लण्ड से बूर चोदनी शूरू की | इसका फायदा यह हुआ की कमर मेरी गिरफ्त में होने के कारण आंटी ज्यादा कुछ कर नही सकती थी जिससे मेरा लण्ड उनकी बूर से बाहर निकल जाए | केवल २ ईंच लण्ड से चोदने का फायदा यह था की मुझे पहली चुदाई के बाद पता चल गया था की बूर के छेद के पास कि नसें लण्ड को सबसे ज़्यादा जकड़ती हैं सो मेरे लण्ड के सुपाड़े पर कसी हुई बूर की रगड़ पड़ने लगी | अब आंटी का छोड़ दे छोड़ दे चिल्लाना शुरू हो गया था और मैं इधर सातवें आसमान पर आंटी कि कसी हुई बूर की रगड अपने लण्ड के सुपाड़े पर महसूस कर स्वर्ग कि सैर कर रहा था |
मेरा होने वाला है ब ब बस थो थोड़ा और बर्दाश्त करो मरी जान | अब इस लण्ड कि आदत डाल लो | ये तो ऐसे ही चोदेगा मेरी रानी | तुम इससे हमेशा हारोगी मेरी जान |
हाँ मै हार गई अब छोड़ दे ज़ालिम | रहम कर |
रुक मेरी रानी | मारा माल तेरी बूर में भर देने दे ये ले साली आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस लिया रे मेरा सारा रस तेरी बूर ने |
आआआआआआआआआआआआआआहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और मेरे लण्ड ने फिर झटके देते हुए वीर्य की फुहार आंटी कि बूर में छोड़ दी |
मै और आंटी दोनों बाथरूम के फर्श पर ही निढाल कुछ देर पड़े रहे उसके बाद पहले मैं उठा और आंटी कि चुचियाँ दबाते हुए बोला ...........उठिए आंटी | बेड रूम में चल के लेटिए |
रुक मेरी रानी | मारा माल तेरी बूर में भर देने दे ये ले साली आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस लिया रे मेरा सारा रस तेरी बूर ने |
आंटी बोली........ ला पहले तेरा लण्ड साफ़ कर दूँ फिर तू जा यहाँ से तब मै बूर साफ़ करुँगी नही तो तू फिर चोदने लगेगा | पता नही कितनी बार चोदने के बाद ये तेरा लण्ड बैठेगा | ये देख फिर से सर उठाने लगा |
और सच भी यही था की मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था | मै खड़ा हो गया और आंटी बैठ गई | आंटी ने मेरा लण्ड पकड़ा और साबुन से मल मल के धोया | अब तक मेरा लण्ड फिर पूरे जोश में आ गया था | आंटी ने प्यार जताने के लिए लण्ड के सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर केवल सुपाड़े को मुँह में लिया और लालीपॉप कि तरह चूसने लगी | अब मुझे फिर मज़ा आने लगा | तभी आंटी ने अपना मुँह पीछे खींचा और पच्च कि आवाज़ के साथ लण्ड उनके मुँह से बाहर आ गया | मै बेचैन हो गया ...............चुसिए ना आंटी | प्लीज़ |
अरे हाँ बेटे | तू बेड रूम में चल और मै बूर साफ़ कर के आती हूँ | मै यही हूँ आप कर लीजिए |
बिलकुल नही |
क्यों ?
बूर साफ़ होने से पहले ही चुदने लगेगी |
आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाआआन्न्न्न्न् रे चोद ले रे चोद ले | अरे कूट दे मेरी ओखल अपने मुसल से |
हाँ रानी | ले ले मज़ा मेरे लण्ड का | आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी बूर है या गर्म तेल की खान | ले निगल जा मेरे लण्ड को अपनी बूर में ये ले और मै दुगनी तेज़ी से धक्के मारने लगा |
कुल मिला के १० मिनट के करीब चुदाई चली होगी की अचानक ...................अरे मै तो गई रे आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई माँ ..............मेरा हो गया रे और आंटी कि बूर ने रस छोड़ दिया और मेरे लण्ड को बुरी तरह जकड लिया | अब आंटी खड़ी नही हो पा रही थी | उनकी टांगों ने जवाब दे दिया और वो घुटनों के बल बाथरूम में ही कुतिया कि तरह दोनों हाथ और दोनों पैर पर हो गई | अपनी पहली चुदाई के बाद मैं यह समझ चुका था कि झड़ने के बाद आंटी बूर में धक्के लेने में नखरे करेगी सो मैंने उसकी कमर पकड़ कर केवल २ ईंच लण्ड से बूर चोदनी शूरू की | इसका फायदा यह हुआ की कमर मेरी गिरफ्त में होने के कारण आंटी ज्यादा कुछ कर नही सकती थी जिससे मेरा लण्ड उनकी बूर से बाहर निकल जाए | केवल २ ईंच लण्ड से चोदने का फायदा यह था की मुझे पहली चुदाई के बाद पता चल गया था की बूर के छेद के पास कि नसें लण्ड को सबसे ज़्यादा जकड़ती हैं सो मेरे लण्ड के सुपाड़े पर कसी हुई बूर की रगड़ पड़ने लगी | अब आंटी का छोड़ दे छोड़ दे चिल्लाना शुरू हो गया था और मैं इधर सातवें आसमान पर आंटी कि कसी हुई बूर की रगड अपने लण्ड के सुपाड़े पर महसूस कर स्वर्ग कि सैर कर रहा था |
मेरा होने वाला है ब ब बस थो थोड़ा और बर्दाश्त करो मरी जान | अब इस लण्ड कि आदत डाल लो | ये तो ऐसे ही चोदेगा मेरी रानी | तुम इससे हमेशा हारोगी मेरी जान |
हाँ मै हार गई अब छोड़ दे ज़ालिम | रहम कर |
रुक मेरी रानी | मारा माल तेरी बूर में भर देने दे ये ले साली आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस लिया रे मेरा सारा रस तेरी बूर ने |
आआआआआआआआआआआआआआहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और मेरे लण्ड ने फिर झटके देते हुए वीर्य की फुहार आंटी कि बूर में छोड़ दी |
मै और आंटी दोनों बाथरूम के फर्श पर ही निढाल कुछ देर पड़े रहे उसके बाद पहले मैं उठा और आंटी कि चुचियाँ दबाते हुए बोला ...........उठिए आंटी | बेड रूम में चल के लेटिए |
रुक मेरी रानी | मारा माल तेरी बूर में भर देने दे ये ले साली आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चूस लिया रे मेरा सारा रस तेरी बूर ने |
आंटी बोली........ ला पहले तेरा लण्ड साफ़ कर दूँ फिर तू जा यहाँ से तब मै बूर साफ़ करुँगी नही तो तू फिर चोदने लगेगा | पता नही कितनी बार चोदने के बाद ये तेरा लण्ड बैठेगा | ये देख फिर से सर उठाने लगा |
और सच भी यही था की मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा था | मै खड़ा हो गया और आंटी बैठ गई | आंटी ने मेरा लण्ड पकड़ा और साबुन से मल मल के धोया | अब तक मेरा लण्ड फिर पूरे जोश में आ गया था | आंटी ने प्यार जताने के लिए लण्ड के सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर केवल सुपाड़े को मुँह में लिया और लालीपॉप कि तरह चूसने लगी | अब मुझे फिर मज़ा आने लगा | तभी आंटी ने अपना मुँह पीछे खींचा और पच्च कि आवाज़ के साथ लण्ड उनके मुँह से बाहर आ गया | मै बेचैन हो गया ...............चुसिए ना आंटी | प्लीज़ |
अरे हाँ बेटे | तू बेड रूम में चल और मै बूर साफ़ कर के आती हूँ | मै यही हूँ आप कर लीजिए |
बिलकुल नही |
क्यों ?
बूर साफ़ होने से पहले ही चुदने लगेगी |
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: तब से अब तक और आगे
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: तब से अब तक और आगे
अरे हाँ बेटे | तू बेड रूम में चल और मै बूर साफ़ कर के आती हूँ | मै यही हूँ आप कर लीजिए |
बिलकुल नही |
क्यों ?
बूर साफ़ होने से पहले ही चुदने लगेगी |
आंटी कि ये बात सुन के मुझे हंसी आ गई | आंटी बोल पड़ी ............... आज जीवन में पहली बार पता चला कि असली चुदाई किसे कहते हैं | तुने आज मेरे पोर पोर को हिला के रख दिया है | चल अब ज़्यादा बकवास नही |
अच्छा चलता हूँ लेकिन इसे देखिए .....मैंने अपना लण्ड पकड़ के दिखाते हुए कहा |
क्या देखूँ? आंटी बोली |
यही कि आपके अंदर जाने के लिए कितना अकड़ा हुआ है | जल्दी इसका इंतजाम कीजिए |
तू जितनी जल्दी यहाँ से जाएगा उतनी जल्दी ही इसका इंतजाम होगा | अब सोच ले क्या करना है |
मै बिना कुछ बोले पीछे मुड़ा और बेडरूम की तरफ चल दिया | मै जा के बिस्तर पर लेट गया और आँख बंद कर के पिछले कुछ घंटों में गुज़रे हुए लम्हों को याद करने लगा करते करते मै उस मकाम पर पहुँचा जहाँ आंटी ने मुझे सतपती आंटी को चुदवाने कि बात कही थी | क्या आंटी सच बोल रही हैं? अगर हाँ तब तो मज़ा आ जाएगा | मोदी आंटी कि हाईट थोड़ी ज्यादा थी पर सतपती आंटी छोटे कद की बंगाली औरत थीं | बिलकुल दूध जैसी गोरी, पतले लाल होठ जिन्हें लिपस्टिक कि जरूरत नही थी और अधिकतर वो अपने बाल खुले रखती थीं जो उनकी कमर तक लटकते रहते थे | चुचियाँ मोदी आंटी से काफी बड़ी नज़र आती थीं | कूल्हे पीछे की तरफ उभरे हुए थे | कुल मिला के पटाखा थीं | मोदी आंटी से तो कहीं ज्यादा मेरे मन को भाती थीं | मोदी आंटी की तरह उनकी बूर भी मिलेगी चोदने को यह सोच कर मेरा लण्ड अपना आपा खो चुका था और अब उसे बूर की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी | मै इन्ही ख्यालों में खोया था की तभी मुझे लगा की मेरे लण्ड पर कुछ टपक रहा हो | मैंने आँख खोली तो देखा कि मोदी आंटी उसके ऊपर कुछ चिपचिपा सा गिरा रही थीं |
ये क्या है ?
ये शहद है |
मेरे लण्ड पर क्यों टपका रही हैं |
इसलिए की तेरी सतपती आंटी लण्ड चूसने में माहिर है और उसे जब लगता है की कोई मर्द उसे हरा देगा तो वह उसका लण्ड चूस के उसका पानी गिरने की स्थिति तक ला देती है फिर अचानक बूर में लण्ड घुसा के ज़ोरदार कुछ धक्के मारती है या मरवाती है जिससे बिचारे मर्द का पानी छूट जाता है और वो उस बंगालन से हार जाता है |
अब आंटी ने मेरे काम की बात खुद छेड़ दी थी | तो क्या आप सचमुच सतपती आंटी को मुझसे चुदवाएँगी ?
हाँ | क्यों तुझे शक है क्या ?
न न नही वो बात नही है |
तो क्या बात है ?
सतपती आंटी बहुत स्ट्रिक्ट दिखती है | क्या वो ये सब करेगी ?
स्ट्रिक्ट तो वो है लेकिन उसपर जो उसे ठीक से चोद नही पाता | सच तो ये है की आज तक उस बंगालन को कोई नही हरा पाया |
तो क्या वो सबसे करवा लेती हैं की आज तक कोई नही हरा पाया उन्हें ?
बिलकुल नही |
क्यों ?
बूर साफ़ होने से पहले ही चुदने लगेगी |
आंटी कि ये बात सुन के मुझे हंसी आ गई | आंटी बोल पड़ी ............... आज जीवन में पहली बार पता चला कि असली चुदाई किसे कहते हैं | तुने आज मेरे पोर पोर को हिला के रख दिया है | चल अब ज़्यादा बकवास नही |
अच्छा चलता हूँ लेकिन इसे देखिए .....मैंने अपना लण्ड पकड़ के दिखाते हुए कहा |
क्या देखूँ? आंटी बोली |
यही कि आपके अंदर जाने के लिए कितना अकड़ा हुआ है | जल्दी इसका इंतजाम कीजिए |
तू जितनी जल्दी यहाँ से जाएगा उतनी जल्दी ही इसका इंतजाम होगा | अब सोच ले क्या करना है |
मै बिना कुछ बोले पीछे मुड़ा और बेडरूम की तरफ चल दिया | मै जा के बिस्तर पर लेट गया और आँख बंद कर के पिछले कुछ घंटों में गुज़रे हुए लम्हों को याद करने लगा करते करते मै उस मकाम पर पहुँचा जहाँ आंटी ने मुझे सतपती आंटी को चुदवाने कि बात कही थी | क्या आंटी सच बोल रही हैं? अगर हाँ तब तो मज़ा आ जाएगा | मोदी आंटी कि हाईट थोड़ी ज्यादा थी पर सतपती आंटी छोटे कद की बंगाली औरत थीं | बिलकुल दूध जैसी गोरी, पतले लाल होठ जिन्हें लिपस्टिक कि जरूरत नही थी और अधिकतर वो अपने बाल खुले रखती थीं जो उनकी कमर तक लटकते रहते थे | चुचियाँ मोदी आंटी से काफी बड़ी नज़र आती थीं | कूल्हे पीछे की तरफ उभरे हुए थे | कुल मिला के पटाखा थीं | मोदी आंटी से तो कहीं ज्यादा मेरे मन को भाती थीं | मोदी आंटी की तरह उनकी बूर भी मिलेगी चोदने को यह सोच कर मेरा लण्ड अपना आपा खो चुका था और अब उसे बूर की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी | मै इन्ही ख्यालों में खोया था की तभी मुझे लगा की मेरे लण्ड पर कुछ टपक रहा हो | मैंने आँख खोली तो देखा कि मोदी आंटी उसके ऊपर कुछ चिपचिपा सा गिरा रही थीं |
ये क्या है ?
ये शहद है |
मेरे लण्ड पर क्यों टपका रही हैं |
इसलिए की तेरी सतपती आंटी लण्ड चूसने में माहिर है और उसे जब लगता है की कोई मर्द उसे हरा देगा तो वह उसका लण्ड चूस के उसका पानी गिरने की स्थिति तक ला देती है फिर अचानक बूर में लण्ड घुसा के ज़ोरदार कुछ धक्के मारती है या मरवाती है जिससे बिचारे मर्द का पानी छूट जाता है और वो उस बंगालन से हार जाता है |
अब आंटी ने मेरे काम की बात खुद छेड़ दी थी | तो क्या आप सचमुच सतपती आंटी को मुझसे चुदवाएँगी ?
हाँ | क्यों तुझे शक है क्या ?
न न नही वो बात नही है |
तो क्या बात है ?
सतपती आंटी बहुत स्ट्रिक्ट दिखती है | क्या वो ये सब करेगी ?
स्ट्रिक्ट तो वो है लेकिन उसपर जो उसे ठीक से चोद नही पाता | सच तो ये है की आज तक उस बंगालन को कोई नही हरा पाया |
तो क्या वो सबसे करवा लेती हैं की आज तक कोई नही हरा पाया उन्हें ?
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: तब से अब तक और आगे
मेरा मतलब ये नही है |
फिर ?
ये की अबतक जितने भी लोगों ने चोदने की कोशिश की उस बिगालन को; वो खुद ही चुद के आ गए मतलब हार गए उससे |
कितने लोगों ने चोदने की कोशिश की सतपती आंटी को ?
वो चार लोग जिन्होने मुझे भी चोदा है |
चार लोग | कौन कौन ?
एक तो सतपती |
उनका तो अधिकार ही है | और ?
मोदी |
ओके | बाक़ी दो ?
एक क्म्पनी का सिक्योरिटी अफसर और दूसरा मोदी और सतपती का बॉस |
ओह | वो सिक्योरिटी अफसर तो काफी हट्टा कट्टा है | वो भी हार गया सतपती आंटी से ?
हाँ रे | उसने मुझे दो बार हराया तब जा के तीसरी बार उसका पानी मेरे साथ छूटा | पर उस बंगालन के सामने तो वो भीगी बिल्ली साबित हुआ |
तभी से वो बिगालन और इतराती है की यहाँ सब नाम के मर्द हैं | कोई मुझे हराने वाला नही |
वो सिक्युरिटी अफसर जब आपको हरा पाया तो सतपती आंटी को क्यों नही ?
अब तुने काम कि बात पूछी है पप्पू | ध्यान से सुन | पहले तो की वो बंगालन बहुत सुंदर है| इतनी सुंदर औरत के साथ सोने को मिले तो कोई भी मर्द हद से ज़्यादा जोश से भर जाएगा | नतीजा उसका कंट्रोल अपने पर से खत्म हो जाता है | दूसरा वो बंगालन ऐसी रोमांटिक सिस्कारियां और आवाजें निकालती है की मर्द और ज़्यादा जोश से भर जाता है | तीसरी वो बंगालन है बहुत चालाक मर्द के लण्ड के साइज़ और कड़ापन देख के ही अंदाजा लगा लेती है की पूरा घुसवाने पर लण्ड कहाँ तक बूर में ठोकर मार सकता है | अगर उसे लगता है की साइज़ कोई खास नही तब तो उस मर्द का लण्ड बूर में घुसा कर अपनी पुत्तिदार बूर से यूँ कस कर चुदवाती है की लण्ड से पानी निकलने में १० मिनट भी नही लगते | मर्द उसकी चालों के सामने विवश हो जाता है और वो उससे जीत जाती है |
आपने पहले भी कहा था | ये पुत्तिदार बूर क्या होती है ?
हाँ ये जानना बहुत ज़रुरी है |
आंटी ने अपनी बूर दिखाते हुए कहा .....देखो बेटा तुम इस दो घंटे के अंदर मुझे दो बार चोद चुके |
जी | मैंने कहा |
अब देखो मेरी बूर कि दोनों फांकें दो किनारे हो गई हैं और बूर का छेद साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है | जी | दिख तो रहा है |
जब तुम पहली बार मुझे चोदने जा रहे थे तब भी क्या बूर का मुँह इसी तरह खुला हुआ था?
नही .......मै बोला | तब तो बंद था | आपने अपनी ऊंगलियों से फांकें हटा कर छेद दिखाया था मुझे |
बिलकुल ठीक | अब अगर मेरी ये बूर पुत्तिदार होती तो जानते हो क्या होता ?
क्या होता ?
जब तक चोदते तब तक तो ठीक है लेकिन उसके तुरंत बात बूर कि पुत्तियाँ आपस में पहले कि ही तरह चिपक जातीं |
इससे चोदने वाले को क्या फर्क पड़ता है | उसे तो लण्ड छेद में ही डालना है जो दोनों बुरों में एक जैसा है |
नही बेटा | यहीं अंतर है मेरी बूर और उस बंगालन कि पुत्तिदार बूर में |
वो क्या आंटी? मैंने जिज्ञासा वश पूछा |
चौड़ी बूर की पुत्तियाँ बूर को अंदर कि तरफ कसे रहती हैं जिससे लण्ड कसा हुआ बूर में जाता है जिसका मज़ा मर्दों को बहुत मिलता है | खासकर ऐसी बूर पहाड़ी औरतों कि होती है|
अच्छा तभी ? मेरे मुँह से निकला |
क्या मतलब ? आंटी बोलीं |
मैंने आंटी को कविता कि चुदाई से मोदी अंकल का मुझसे एग्रीमेंट तक सारी कहानी आंटी को सुना दी |
तब आंटी बोली ..... वही मै सोचूं की बिना फायदे के मोदी मुझे किसी से चुदवा ही नही सकता | फिर ये इतना जोर क्यों दे रहा है मुझे तुमसे चुदवाने पर | उसके बहुत रिक्वेस्ट करने पर मै चुदवाने के लिए मानी थी | मुझे लगा था की एक मर्द प्यास नही बुझा पाते तो एक बच्चा तो और प्यास बढ़ा के तड़पता छोड़ देगा | मुझे क्या पता था की तू मर्दों का भी मर्द यानी असली मर्द निकलेगा |
फिर ?
ये की अबतक जितने भी लोगों ने चोदने की कोशिश की उस बिगालन को; वो खुद ही चुद के आ गए मतलब हार गए उससे |
कितने लोगों ने चोदने की कोशिश की सतपती आंटी को ?
वो चार लोग जिन्होने मुझे भी चोदा है |
चार लोग | कौन कौन ?
एक तो सतपती |
उनका तो अधिकार ही है | और ?
मोदी |
ओके | बाक़ी दो ?
एक क्म्पनी का सिक्योरिटी अफसर और दूसरा मोदी और सतपती का बॉस |
ओह | वो सिक्योरिटी अफसर तो काफी हट्टा कट्टा है | वो भी हार गया सतपती आंटी से ?
हाँ रे | उसने मुझे दो बार हराया तब जा के तीसरी बार उसका पानी मेरे साथ छूटा | पर उस बंगालन के सामने तो वो भीगी बिल्ली साबित हुआ |
तभी से वो बिगालन और इतराती है की यहाँ सब नाम के मर्द हैं | कोई मुझे हराने वाला नही |
वो सिक्युरिटी अफसर जब आपको हरा पाया तो सतपती आंटी को क्यों नही ?
अब तुने काम कि बात पूछी है पप्पू | ध्यान से सुन | पहले तो की वो बंगालन बहुत सुंदर है| इतनी सुंदर औरत के साथ सोने को मिले तो कोई भी मर्द हद से ज़्यादा जोश से भर जाएगा | नतीजा उसका कंट्रोल अपने पर से खत्म हो जाता है | दूसरा वो बंगालन ऐसी रोमांटिक सिस्कारियां और आवाजें निकालती है की मर्द और ज़्यादा जोश से भर जाता है | तीसरी वो बंगालन है बहुत चालाक मर्द के लण्ड के साइज़ और कड़ापन देख के ही अंदाजा लगा लेती है की पूरा घुसवाने पर लण्ड कहाँ तक बूर में ठोकर मार सकता है | अगर उसे लगता है की साइज़ कोई खास नही तब तो उस मर्द का लण्ड बूर में घुसा कर अपनी पुत्तिदार बूर से यूँ कस कर चुदवाती है की लण्ड से पानी निकलने में १० मिनट भी नही लगते | मर्द उसकी चालों के सामने विवश हो जाता है और वो उससे जीत जाती है |
आपने पहले भी कहा था | ये पुत्तिदार बूर क्या होती है ?
हाँ ये जानना बहुत ज़रुरी है |
आंटी ने अपनी बूर दिखाते हुए कहा .....देखो बेटा तुम इस दो घंटे के अंदर मुझे दो बार चोद चुके |
जी | मैंने कहा |
अब देखो मेरी बूर कि दोनों फांकें दो किनारे हो गई हैं और बूर का छेद साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है | जी | दिख तो रहा है |
जब तुम पहली बार मुझे चोदने जा रहे थे तब भी क्या बूर का मुँह इसी तरह खुला हुआ था?
नही .......मै बोला | तब तो बंद था | आपने अपनी ऊंगलियों से फांकें हटा कर छेद दिखाया था मुझे |
बिलकुल ठीक | अब अगर मेरी ये बूर पुत्तिदार होती तो जानते हो क्या होता ?
क्या होता ?
जब तक चोदते तब तक तो ठीक है लेकिन उसके तुरंत बात बूर कि पुत्तियाँ आपस में पहले कि ही तरह चिपक जातीं |
इससे चोदने वाले को क्या फर्क पड़ता है | उसे तो लण्ड छेद में ही डालना है जो दोनों बुरों में एक जैसा है |
नही बेटा | यहीं अंतर है मेरी बूर और उस बंगालन कि पुत्तिदार बूर में |
वो क्या आंटी? मैंने जिज्ञासा वश पूछा |
चौड़ी बूर की पुत्तियाँ बूर को अंदर कि तरफ कसे रहती हैं जिससे लण्ड कसा हुआ बूर में जाता है जिसका मज़ा मर्दों को बहुत मिलता है | खासकर ऐसी बूर पहाड़ी औरतों कि होती है|
अच्छा तभी ? मेरे मुँह से निकला |
क्या मतलब ? आंटी बोलीं |
मैंने आंटी को कविता कि चुदाई से मोदी अंकल का मुझसे एग्रीमेंट तक सारी कहानी आंटी को सुना दी |
तब आंटी बोली ..... वही मै सोचूं की बिना फायदे के मोदी मुझे किसी से चुदवा ही नही सकता | फिर ये इतना जोर क्यों दे रहा है मुझे तुमसे चुदवाने पर | उसके बहुत रिक्वेस्ट करने पर मै चुदवाने के लिए मानी थी | मुझे लगा था की एक मर्द प्यास नही बुझा पाते तो एक बच्चा तो और प्यास बढ़ा के तड़पता छोड़ देगा | मुझे क्या पता था की तू मर्दों का भी मर्द यानी असली मर्द निकलेगा |
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu