एक अधूरी प्यास- 2

Post Reply
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

सरला अपने भीगे बदन को अच्छे से साफ करके बिस्तर पर पड़ी आसमानी रंग की पेंटी को उठा ली जो कि एकदम जालीदार थी आगे की तरफ से जो भाग बुर को ढकता है वही भाग जालीदार था जहां से ढके होने के बावजूद भी ढंका हुआ कुछ नजर नहीं आता बल्कि सब कुछ एकदम सलीके से नजर आता इस बारे में सोचते ही उसके तन बदन में अजीब सी गुदगुदी होने लगी.... क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस पेंटिं को पहनने के बावजूद भी कुछ भी पर्दे में नहीं रहेगा सब कुछ बेपर्दा ही रहेगा.... यही सोचती हुई वह शुभम के द्वारा लाई गई पेंटिं अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों में लेकर इधर-उधर घुमा कर कुछ देर तक उसे देखती रही। शुभम के द्वारा लाई गई पेंटी देखते ही उसे इसका अंदाजा हो गया था कि ब्रा और पेंटी अच्छी क्वालिटी की और महंगी है। शुभम की पसंद पर वह मुस्कुरा दी...क्योंकि ब्रा पेंटी को देखकर उसे इतना आभास हो गया था कि वाकई में शुभम को औरतों के बारे में कुछ ज्यादा ही ज्ञान है.... उसके दिल में अजीब सी हलचल हो रही थी मानो पूरे बदन में उम्र के इस पड़ाव पर आई फिर से मदहोश कर देने वाली जवानी चिकोटि काट रही है वह अपने दोनों हाथों में पेंटी को लेकर उसमें अपनी एक मदमस्त खूबसूरत चिकनी टांगों डाल दिए और यही हरकत दूसरे टांग से भी की दोनों टांगे और पेंटी के दोनों गोलाई में थी धीरे-धीरे करके सरला पेंटी को अपनी जांघों तक लेकर आई उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी।
अपनी मदमस्त रसीली बुर को ढकने से पहले एक बार हुआ उस दिशा में अपनी नजर घुमाकर कचोरी जैसी फूली हुई बुर को देखा करो आत्म संतुष्टि का अहसास लिए पेंटि और ऊपर चढ़ा ली.... उसकी बड़ी-बड़ी तरबूज ऐसी कांड शुभम के लाए हुए पेंटिं में पूरी तरह से समा गई थी.... पेंटी को पहनते ही सरला के बदन में अद्भुत अहसास होने लगा उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी इस नहीं पेंटी में वह कुछ ज्यादा ही आरामदायक महसूस कर रही थी।



वह खुद गोल गोल घूम कर अपने चारों तरफ देखने की कोशिश करने लगी। उसे अच्छा लग रहा था सबसे ज्यादा अच्छी बात यह लग रही थी कि जो चीज रखने के लिए पेंटी पहनी जाती है वह अंग ढंका ही नहीं था... उनके हल्के बालों का झुरमुट उस जालीदार पेंटी में से बाहर झांक रहा था माना अपने साथी को निमंत्रण दे रहा हो.... एक तरफ सरला शुभम के द्वारा लाई गई पेंटिंग को पहनकर उत्तेजना के मारे हवा में विचरण कर रही थी और दूसरी तरफ शुभम अपनी भावना होकर दौड़ते घोड़े पर काबू कर पाने में एकदम असमर्थ हो रहा था जिसके चलते वह सरला के कमरे में जाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा दिया था वह धड़कते दिल के साथ सीढ़ियां चल रहा था मन में नई उम्मीद जगी हुई थी टांगों के बीच हलचल मचा हुआ था या यूं कह लो कि पेंट में गदर मचा हुआ था शुभम का लैंड किसी लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क होकर पैंट में तंबू बनाए हुए था। जिसे देख कर कर यह आभास सा हो रहा था कि अगर आज यह सरला की बुर में गया तो बरसों की प्यास बुझा कर ही वापस लौटेगा। जो कि इस समय सरला को देखकर ही पूरी औकात में आ गया था जिसे शुभम पैंट के ऊपर से ही अपने हाथों से मसल कर उसे दिलासा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन शायद आज ही अभी मानने वाला नहीं है उसका बस चलता तो पेंट फाड़ कर बाहर आ जाता क्योंकि जिस नजारे को देखकर वह सर उठाए खड़ा था उस नजारे को देखने के बाद दूसरे किसी के बस में बिल्कुल भी नहीं था अपनी भावनाओं पर काबू पा लेना क्योंकि जिस अंग के लिए शुभम का लैंड खड़ा हुआ था वह अंग उससे कुछ ही दूरी पर खड़े होकर उसे जैसे अपनी और आने के लिए आकर्षित करते हुए आमंत्रण दे रही थी...

क्योंकि सोफे पर बैठकर शुभम एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि बाथरूम से निकलने के बाद जिस अंदाज में वह उसकी आंखों के सामने खड़ी थी उसकी टांगों के बीच के रेशमी बालों के झुरमुट में से पानी की बूंदे किसी मोती की दाने की तरह चमक रही थी और वह धीरे-धीरे बुंद की शक्ल में नीचे गिरकर जमीन को तृप्त कर रही थी... इस नजारे को देखकर तो शुभम इतना लालायित हो गया था कि एक बार उसके मन ने कहा कि भले कुछ भी हो आगे बढ़कर वह अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी गुरु को अपनी आगोश में छुपाए हुए रेशमी बालों के झुरमुट में से टपक रहे मोतियों के दानों के समान पानी की बूंदों को अपनी जीभ को आगे बढ़ाकर उस पर गिरा कर उस बुंद को अपने गले के नीचे उतारकर तृप्त हो जाए... लेकिन उस समय उसके नंगे बदन को देखने की कशमकश में वह अपनी भावनाओं को दबा ले गया लेकिन उसकी मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर वह अपने आप हमें बिल्कुल भी नहीं था इसलिए तो निश्चय करके वह सरला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था...
शुभम के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जिस तरह का उसके साथ होते आ रहा है सरला को लेकर...कहीं ऐसा कुछ के मन का धोखा ना हो कहीं ऐसा ना हो कि यह सब अनजाने में हुआ हो अगर वह कुछ आगे करने की सोचें तो सरला के द्वारा उसे फिट कार मिले....लेकिन फिर शुभम अपने ही सवालों में से जवाब ढूंढते हुए अपने मन को तसल्ली करने के लिए अपने आप से ही बोला कि अगर ऐसा होता तो वह मुस्कुराती नहीं ना तो उसके द्वारा लाए गए गिफ्ट को स्वीकार करती है अगर उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि शुभम ने गिफ्ट में उसके लिए प्राप्त दिलाया है तो इसी समय वह उसे दुत्कार कर बाहर निकाल देती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिस तरह से वह बाथरूम में से एकदम नंगी ही बाहर आ गई थी और उसे देखकर एकदम रुक गई थी अगर उसके मन में कुछ और चल रहा होता तो वहां उसे खरी-खोटी जरूर सुनाती उसे तमीज सिखाती... लेकिन किस्मत से अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जोकि शुभम के सोचने के मुताबिक उसके लिए मंजिल तक जाने की राह आसान होती नजर आ रही थी फिर भी उसके मन में शंका जरूर था कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए इसलिए वह बड़ी सावधानी से आगे बढ़ना चाहता था इसलिए वह धीरे-धीरे सीढ़ियों पर चढ़ते हुए सरला के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था जहां पर दूसरी तरफ सरला जानबूझकर हल्का सा दरवाजा खुला छोड़ कर अब जालीदार ब्रा उठाकर उसके कब को अपनी हथेली से नाप रही थी और यह अंदाजा लगा रही थी कि उसकी बड़ी-बड़ी पपैया जैसी चुकी उसके अंदर समा पाएगी कि नहीं... चारों तरफ से तसल्ली कर लेने के बाद वह उसे अपनी बाहों में डालकर ब्रा के कप में अपने हाथों से अपनी एक चूची पकड़ कर उसमें डालकर वही क्रिया दूसरी चूची के साथ कि अभी समय उसकी दोनों चूचियां ब्रा के दोनों कप में समा चुकी थी लेकिन शुभम बहुत चला था वह जानबूझकर ऐसी ब्रा पसंद किया था कि ब्रा पहनने के बावजूद भी सरला की आधे से ज्यादा चूचियां बाहर की तरफ नजर आए ऐसा लगे कि उसकी चूचियां कभी भी ब्रा की कटोरी से बाहर कूद जाएंगी.... इस बात का आभास अल्लाह को भी हो गया था इस बारे में सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी अभी वह बराबर ही नहीं रही थी कि धीरे-धीरे करके शुभम दरवाजे पर पहुंच गया और खुला हुआ दरवाजा देखकर उसे पक्का यकीन हो गया कि सरला की तरफ से उसे खुला निमंत्रण है... क्योंकि कोई भी औरत अगर मर्द के सामने अनजाने में ही नग्न अवस्था में आ जाए तो शर्मिंदगी का अहसास मे वह कभी भी दरवाजा खुला नहीं छोड़ेगी लेकिन यहां पर मामला कुछ उल्टा ही था। . सरला ने जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ दी थी या देखकर शुभम कि तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी ऐसा लग रहा था मानो सरला की सोच पर शुभम के लंड ने सलामी दी हो इस तरह से पेंट के अंदर ही ऊपर नीचे होकर उसे सलाम कर रहा था... अब सब कुछ साथ था थोड़ा सा दरवाजा खुला होने के बावजूद भी उसकी ओर से अंदर का पूरा नजारा नजर आ रहा था शुभम खुले हुए दरवाजे की ओट में से अंदर झांकने लगा और अंदर का नजारा देखा कर एक बार फिर से उसके तन बदन में चिंगारी फूटने लगे वह साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसकी लाई गई ब्रा पेंटी को सरला स्वीकार कर ली है तभी तो उसके तरबूज ऐसी बड़ी बड़ी गांड को उसकी आसमानी रंग की पेंटी जो कि इस समय ढकने में असमर्थ थी फिर भी दोनों फांकों को अपनी बाजुओं में लेकर छुपाने की भरपूर कोशिश कर रही थी... सरला की बड़ी-बड़ी गाना सुनाने रंग की पेंटी में देखकर शुभम और ज्यादा उत्तेजित हो गया उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसकी हालत खराब होने लगी उसके ऊपर मदहोशी का आलम और ज्यादा छाने लगा जब देखा कि सरला उसके द्वारा लाई गई ब्रा पहन ली है और दोनों हाथ पीछे लाकर उसके हुक को बंद करने की नाकाम कोशिश कर रही है जो कि बंद नहीं कर पा रही थी... यह देखकर शुभम की आंखों में चमक आ गई सरला का गदराया जिस्म उसकी आंखों के सामने था. जोकि ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में और ज्यादा चमक रहा था........ जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ने के बावजूद भी सरला को इस बात का एहसास तक नहीं हुआ कि दरवाजे पर शुभम चोरी छुपे उसे देख रहा है वह अपनी ही धुन में ब्रा का हुक लगाने में मस्त थी जो कि वह ब्रा का हुक नहीं लगा पा रही थी यह देखकर शुभम को अत्यधिक आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि एक उम्रदराज औरत ठीक से ब्रा नहीं पहन पा रही थी। शुभम उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच चुका था जो कुछ भी सरला के घर में आकर उसकी आंखों ने देखा वह काफी मादक और कामोत्तेजना से भरपूर था। ऐसा लग रहा था मानो वह कोई पोर्न मूवी देख रहा हो...



सरला ब्रा का हुक बंद करने में काफी मशक्कत कर रही थी लेकिन उससे यह काम हो नहीं रहा था। सलाह काफी परेशान हो रही थी जो कि उसकी झुंझलाहट से साफ जाहिर हो रहा था शुभम समझ गया था कि अब सरला के बस में नहीं था कि वह ब्रा का हुक लगा पाती इसलिए वह दरवाजे पर खड़े खड़े ही बोला।

चाची में कुछ मदद करूं क्या...?

इतना सुनते ही सरला एकदम से चौक गई और तुरंत पीछे मुड़कर देखें तो दरवाजे पर शुभम खड़ा था जिसे देखते ही वह फिर से जड़वंत हो गई मानो सांप सूंघ गया हो.... अब सरला के पास बोलने लायक कुछ भी नहीं बचा था क्योंकि वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही हुआ कमरे में प्रवेश कर चुका था और अपने आप ही दरवाजा बंद कर दिया था।

Mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

शुभम सरला को ब्रा का हुक लगाता देख कर और उसे ना लगा सकने की वजह से शुभम काफी उत्तेजित हो गया था और वह खुद उसकी मदद करने के लिए कमरे में घुसकर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था.... शुभम को इस तरह से दरवाजा बंद करता हुआ देखकर सरला के मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे वह मारे शर्म के गड़ी जा रही थी... जो कुछ भी उसके साथ हो रहा था इस बारे में वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी अभी भी उसकी पीठ शुभम की तरफ थी वह शर्म के मारे नीचे जमीन को देखे जा रही थी शुभम के द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी उसके बदन की शोभा बढ़ा रही थी लेकिन ब्रा का हुक ना बंद होने की वजह से उसके बाजुओं में से दोनों पट्टियां लटक रही थी मानव शुभम के लिए वह अपने वस्त्र का त्याग कर रही हो अगर इस समय कोई और यह नजारा देख ले तो उसको यही लगेगा कि सरला शुभम के लिए अपने वस्त्र त्याग कर रही है। शुभम की आंखो में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी उसके पूरे तन बदन में सरला के मदहोश मादक बदन का नशा छाया हुआ था। उसके पैंट में गदर मचा हुआ था उसका लंड किसी भी वक्त विद्रोह करने की तैयारी में था जोकि किसी बंदूक की नाल की तरह पेंट में तना हुआ था। कुछ पल के लिए सरला के कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया केवल दोनों की गहरी गहरी सांसो की आवाज ही सुनाई दे रही थी दोनों जहां थे वहीं मानो ठहर से गए थे... सरला अपने बदन को कपड़ों की ओट में छुपाना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों वह यह सब करने में असमर्थ साबित हो रही थी... सरला यह बात भलीभांति जानती थी कि वह जिस तरह से जिस पोजीशन में खड़ी थी शुभम उसके बदन को लार टपका ता हुआ देख रहा होगा और अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को भी देख कर मन ही मन खुश हो रहा होगा...और सरला का यह सोचना बिल्कुल ठीक था क्योंकि यही बात शुभम के मन में भी चल रही थी...
उसे काफी प्रसन्नता हो रही थी सरला के खूबसूरत बदन पर अपने द्वारा लाई गई ब्रा पेंटी को देखकर भेज देना करो और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था.... शुभम सरला से करीब तीन चार कदम की दूरी पर खड़ा था लेकिन सरला को इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी नजर घुमाकर शुभम को देख ले... तभी शुभम अपना एक कदम आगे बढ़ाकर सरला की और बड़ा ही था कि उसके कदमों की आहट को सुनकर सरला शर्म के मारे अपने बदन को संकुचाते हुए बोली....

सससससस...... शुभम तो यहां क्या करने आया है.?

ऐसे ही आ गया था चाची आप ही तो कल कह रही थी कि तेरा जब मन करे तब चले आया कर.... (इतना कहते हुए शुभम ज्यों का त्यों वही खड़ा रह गया...)


लेकिन तुझे घंटी तो बजानी चाहिए थी....(सरला उसी तरह से अपनी नजरें नीचे करे हुए बोली..)


अब मैं घंटी बजा तभी तो कैसे बचा था चाचा मैं दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ था...(शिवम की यह बात सुनकर सरला सोच में पड़ गई तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि जल्दबाजी में शायद उसने दरवाजा लॉक करना भूल गई थी. ) मुझे लगा कि शायद आप यहीं ड्राइंग रूम में होगी इसलिए मैं डोरबेल नहीं बजाया और घर में आ गया यहां वहां ढूंढने पर आप मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दी.... तो मैं जब सीढ़ियों पर चढ़ने लगा तो मुझे बाथरूम में से पानी के गिरने की आवाज आने लगी तो मैं समझ गया कि शायद आप नहा रही होंगी और इसलिए मैं आपका इंतजार करने के लिए यही सोफे पर बैठ गया....

शुभम अपनी तरफ से सफाई पेश करते समय लगातार सरला के खूबसूरत नंगे जिस्म को देख रहा था... जोकि ट्यूबलाइट की रोशनी में संगेमरमर की तरह चमक रही थी। सरला को इस बात का आभास हो गया था कि शुभम इस समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कोई देख रहा है... क्योंकि इस बात से वाशी तरह से आओगे तो ठीक है साड़ी के ऊपर से हमेशा शुभम उसके बदन को नहीं आ रहा करता था और इस समय तो उसके पास पूरा मौका था उसे जी भर कर देखने के लिए बोला ऐसा मौका क्यों जाने देता....


लेकिन फिर भी.. (इतना कहकर सरला एकदम खामोश हो गई और जैसे शुभम सरला क्या कहना चाहती है यह बात अच्छी तरह से जानता था इसलिए जवाब देते हुए वह बोला...)

मैं अच्छी तरह से जानता हूं चाची कि मुझे बिना बताए नहीं आना चाहिए था लेकिन मैं क्या करता दोपहर का समय था मेरा भी समय पास नहीं हो रहा था और आप भी यह बात कह चुकी थी कि जब चाहे तब चले आना... और मैं तो चाची से अपना ही घर समझने लगा था इसलिए चला आया था वरना मैं क्यों आता और मैं यही सोफे पर बैठ गया....(सरला शुभम की बातें बहुत ध्यान से सुन रही थी क्योंकि वह भी मन में सोच रही थी कि हो सकता है वह जो भी बोल रहा है सच हो।) लेकिन चाची इसमें गलती पूरी आपकी है।

ममम.. मेरी इसमें मेरी गलती कहां खो गई ....(इतना कहने के साथ ही चोकने वाले अंदाज में सरला शुभम की तरफ घूमी तो उसे इस बात का आभास हुआ कि इस समय वह अर्धनग्न अवस्था में है लेकिन शुभम की तरफ घूमने के साथ ही उसकी ब्रा की कटोरी चूचियों पर से नीचे की तरफ गिर गई जिसे जल्दी से संभाल कर सरला फिर से दूसरी तरफ घूम गई सरला की इतनी सी हरकत पर शुभम पर मानो उत्तेजना का सैलाब टूट पड़ा... वह एकदम कामोत्तेजना से भर गया... क्योंकि ब्रा की कटोरी गिरने की वजह से शुभम की आंखों के सामने एक बार फिर से सरला के पके हुए पपैया अपनी औकात दिखाते हुए नजर आने लगे जिसे देख कर शुभम की आंखों में उसे पाने की चमक नजर आने लगी। शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।


तो क्या चाची गलती सब आपकी ही है मैं तो यूं ही आ गया था घर में रूम में सोफे पर बैठ गया लेकिन मुझे क्या मालूम था कि आप बाथरूम से एकदम नंगी होकर बाहर निकलेंगी.... (शुभम जानबूझकर नंगी शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए बोला था. और इस नंगी शब्द का असर सरला पर बेहद गहरा हो रहा था क्योंकि शुभम के मुंह से अपने बारे में इस तरह से नंगी शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया था वह नजर उठाने में असमर्थ हो रही थी और शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला.) जाहिर तौर पर सभी औरतें बाथरूम से नहाने के बाद कपड़े पहन कर या टॉवेल लपेटकर ही बाहर आती है इसलिए मैं यहां पर बैठा हुआ था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि आप बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर बाथरुम से बाहर आएंगे या हो सकता है यह आपकी आदत ही हो लेकिन मैं इसके लिए माफी मांगता हूं...

नहीं ऐसी भी कोई आदत मुझमें नहीं है आज मैं कपड़े बाथरूम में ले जाना भूल गई थी। (सरला शर्मा से नजरें गड़ाए हुए ही अपनी तरफ से सफाई पेश करते हुए बोली...)


लेकिन कुछ भी हो मेरे साथ साथ इसमें गलती आपकी भी है.... आपको इस तरह से नंगी होकर बाहर नहीं आना चाहिए था..


मुझे क्या मालूम था कि दरवाजा खुला होगा और तू चला आएगा मैं तो यह समझी थी कि घर में कोई भी नहीं है इसलिए.....(इतना कहकर सरला चुप हो गई...)


जाने दो चाची जो भी हुआ यह तो मुझे नहीं मालूम अच्छा हुआ या खराब हुआ... लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ....


जो हुआ सो हुआ लेकिन सब कुछ जानने के बाद तो मेरे कमरे में क्यों चला आया तुझे यहा नहीं आना चाहिए था ना....


कैसे चाची ....कैसे आप ही बताओ कैसे...... भला मैं अपने आप पर काबू कैसे रख पाता....
(शुभम की यह बात सुनने के बाद सरला आश्चर्य से उसकी तरफ नजर घुमा कर देखी तो शुभम अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला....)

मेरा मतलब है कि चाची जरा आप खुद सोचो जब एक खूबसूरत औरत खूबसूरत जिस्म लिए हुए... और वह भी ऐसी औरत जिसे देखकर जवान लड़के तो क्या बुढो का भी दिल जोर से धड़कता हो .. अगर ऐसी औरत आंखों के सामने से एकदम नंगी होकर गुजर जाए तो भला वह मर्द क्या शांत बैठेगा उसके तन बदन में हलचल मच जाएगी...(शुभम जानबूझकर इस तरह से बेहद चालाकी से चलना की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और सरला पर इस तारीफ का असर भी हो रहा था वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी... उसे इस बात का आभास हो रहा था कि अभी भी उसके अंदर जवानी कायम है...)


लेकिन तू.....?


तू..... क्या .... क्या मैं मर्द नहीं हूं...? क्या एक औरत को देखकर मुझ में भावना पैदा नहीं होती और जब मेरी आंखों के सामने इतनी खूबसूरत औरत हो तो भला में कैसे अपने आप को रोक पाऊंगा.... चाची में अपने आप को रोक भी लेता लेकिन....(इतना कहकर सब हम खामोश हो गया।)

लेकिन क्या .....(सरला उसी तरह से शर्मिंदा होकर नीचे नजरें झुकाए हुए बोली)


लेकिन चाची अगर मैं आपको नंगी नहीं देखा होता तो अपने आप को रोक लेता आपको अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देखकर ना जाने मुझे क्या हो गया मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि कपड़ों के अंदर आप इतनी खूबसूरत होगी मैं तो आपकी खूबसूरती को अभी तक कपड़ों के ऊपर से ही देखता आ रहा था लेकिन आज पहली बार कपड़ों के अंदर की खूबसूरती को देखकर मैं अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाया और ना चाहते हुए भी आपके कमरे में आ गया.....(सुभम जानबूझकर अपनी बातों के जादू में सरला को पूरी तरह से उलझा रहा था और सरला पूरी तरह से उसकी बातों में उलझ गई थी... शुभम की चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अंदर ही अंदर वह बहुत प्रसन्न हो रही थी.... श्रम की बातें सुनकर सरला के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे शुभम अपनी बातों से सरला को एकदम निशब्द कर दिया था.)

लेकिन चाची चाहे जो भी हो आप आसमानी रंग की ब्रा और पेंटी में बहुत खूबसूरत लग रही हो....(शुभम जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग सरला के सामने कर रहा था और सरला अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के सामने अर्धनग्न अवस्था में खड़ी होकर उसकी इस तरह की बातें सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी।)

शुभम ये क्या कह रहा है तू...मैं तेरी मां की उम्र की हूं और मुझे इस हालात में देखकर तू मेरे खूबसूरती की तारीफ कर रहा है ... क्या यह तेरे संस्कार को शोभा देते हैं...?

चाची में कोई गलत बात नहीं कह रहा हूं मेरी आंखों ने जो देखा है वह मेरी आंखों के सामने जो चीज है मैं उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं आखिरकार खूबसूरती की तारीफ करना कोई गुनाह तो नहीं है।


लेकिन मैं एक औरत हूं और तेरी मां की उम्र की हो तो मेरे बेटे के उम्र का है....?
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

खूबसूरती की कोई सीमा नहीं होती और आकर्षण उम्र के दायरे में बड़ी नहीं होती आकर्षण का दायरा उम्र और वक्त सबसे आगे होता है मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि आप मेरी मां की उम्र की है लेकिन सबसे पहले आप एक औरत है और वह भी खूबसूरत औरत....

(शुभम के मुंह से अपनी तारीफ में निकले एक एक शब्द सरला को अपने बदन पर मखमली एहसास करा जा रहे थे... शुभम कि कहीं एक एक बात उसके सीने में उतर जा रहे थे आज तक इस तरह की बातें उसके पति ने भी नहीं की थी शुभम अपनी मदमस्त कर देने वाली बातों से उसके कानों में शहद घोल रहा था जो कि सुनने में तो अच्छी लगी रही थी लेकिन उसका एहसास गजब का था एक अद्भुत एहसास जिसके पहलू में वह अपने आप को पिघलता हुआ महसुस कर रही थी और वास्तव में उसे अपनी टांगों के बीच की पतली दरार मै से मदन रस रिश्ता हुआ महसूस हो रहा था... जो कि उसके बदन में उत्तेजना के असर की पूर्ति कर रहा था... शुभम की बातें सुनने के बाद सरला उसी तरह से शर्म के मारे नजरे नीचे गड़ाए हुए बोली)


क्या शुभम तुझे जरा भी शर्म नहीं आ रही है मुझे इस हालात में यूं घूर घूर कर देखते हुए।


चाची आप यह बात अच्छी तरह से जानती हो कि ताजमहल बहुत खूबसूरत है चारों तरफ से रोजाना हजारों आंखें उसे घूरती रहती हैं तो क्या उसे कोई दिक्कत होती है या किसी को वह रोक देता है कि मुझे इस तरह से मत घुरा कर...उसी तरह से चाची आप इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं अगर अपने आप को रोकने की कोशिश करृ तो भी मैं शायद रुक नहीं पाऊंगा.... आपका अंग-अंग संगेमरमर की तरह चमक रहा है। आप इतनी ज्यादा गोरी है कि सही कहूं तो मेरी आंखें चमक जा रही है। इस उम्र में भी आप अपनी खूबसूरत बदन को बना कर रखी है यह बात एकदम हैरानी कर देने वाली है कहीं से भी थोड़ी सी भी लचक नहीं है... बदन का हर एक हिस्सा बेहद कसा हुआ है....(शुभम अपने शब्दों में सरला की तारीफ के पुल के पुल बांधे जा रहा था और यह सुनकर सरला खुशी के मारे गदगद हुए जा रही थी साथ ही उसकी बुर लगातार पिघलती जा रही थी... सरला के लिए यह सब एक स्वप्न सा लग रहा था उसे ऐसा लग रहा था मानो वह कोई सपना देख रही है क्योंकि जो कुछ भी अब उसके साथ हो रहा था एहसास तक नहीं हुआ था शुभम एक जवान लड़का था और इस उम्र में वह एक उम्रदराज औरत की तारीफ के तारीफ किया जा रहा था उसकी खूबसूरती को लेकर उसके कसे हुए अंग के बारे में जो कुछ भी वह आज तक नहीं सुनी थी उसके कानों ने आज वह सुनकर एकदम सुन्न हुए जा रहे थे
सरला मारे उत्तेजना और प्रसन्नता के कारण हवा में उड़ रही थी।)

औहहह सुभम ये क्या कह रहा है तू.... इस तरह की बातें मत कर तेरी बातें सुनकर मुझे मुझे .... तो कमरे से बाहर चला जा....

चला जाऊंगा चाची लेकिन जो काम करने के लिए आया हूं पहले वह तो कर लुं....

(शुभम की यह बात सुनकर सरला एकदम सन्न रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा है ताकि शुभम क्या करने के लिए अंदर आया है लेकिन इतनी बात तो वो जानती ही थी कि ऐसे हालात में एक औरत के कमरे में एक मर्द का आना किस लिए होता है और जिस तरह से शुभम बातें कर रहा था उससे साफ जाहिर था कि वह कमरे में उसी काम के लिए आया है जो कि एक मर्द ऐसे हालात में एक औरत के साथ करता है यह बात मन में सोचते ही सपना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी लेकिन उसके अंदर अजीब सा डर फैलने लगा लेकिन इस डर के साथ-साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी वह भले ही समझ रही थी लेकिन अंदर ही अंदर यही चाहती थी कि शुभम उसके साथ सब कुछ करें जो कि एक मर्द को ऐसे हालात में औरत के साथ करना रहता है...और जिस तरह की अश्लील खुले शब्दों में सुबह मुझसे बातें कर रहा था बेशर्मो की तरफ से साफ जाहिर था कि शुभम भी उसके साथ वही करना चाहता है जो एक औरत के साथ मर्द करता है.... यह बात सुनते ही सपना के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे लेकिन उन सवालों के साथ-साथ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी दौड़ रही थी उसकी टांगों के बीच कुछ ज्यादा ही हलचल मची हुई थी उसे सा महसूस हो रहा था कि उसकी बुर में से लगातार नमकीन रह रहा था जो कि उसकी नई नई पेंटी को पूरी तरह से गीली कर रही थी.... फिर भी शुभम की बातें सुनकर सरला कांपते स्वर में बोली..)

कककककक.... क्या करने आया है तू...

इतना सुनते ही शुभम आगे बढ़कर सरला के बेहद करीब पहुंच गया और सरला को इस बात का एहसास हो गया कि शुभम उसके बेहद करीब खड़ा है और उसके पीछे ही इस बात का एहसास उसे अंदर तक रोमांच से भर दिया वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके सामने इस तरह का दृश्य रचा जाएगा वह अपने ही कमरे में अर्धनग्न अवस्था में ब्रा पेंटी पहने हुए जोकि ब्रा अभी भी खुली हुई थी और ऐसे हालात में एक जवान लड़का ठीक उसके पीछे खड़ा होगा जहां से वह उसके अर्द्ध नग्न बदन को अपनी प्यासी आंखों से देखकर अपनी आंखों को सेंक रहा होगा.. इस बारे में सोचकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वहां की कुछ सोच पाती इससे पहले ही उसे महसूस हुआ कि शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी खुली हुई ब्रा की पट्टी को पकड़ लिया....


कमरे का दृश्य बेहद मादक और उत्तेजना से भरा हुआ था उम्रदराज सरला अर्धनग्न अवस्था में... अपने कमरे में बिस्तर के करीब खड़ी थी और ठीक उसके पीछे शुभम उत्तेजित अवस्था में खड़ा था... इस समय सरला के बदन पर केवल ब्रा और पेंटी थी और ब्रा की पट्टी शुभम के हाथों में जिसकी वजह से सरला शर्म के मारे अपने बदन को सिकुड़ते जा रही थी लेकिन भला इससे क्या लाभ होने वाला था...
पल-पल सरला की हालत खराब होती जा रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा मोड आएगा कि जब वह अपने बेटे से भी कम उम्र के लड़के के सामने अर्धनग्न अवस्था में खड़ी होगी और उसकी ब्रा की पट्टी उस लड़की के हाथों में होगी और वह भी एकदम बेशर्म की तरह उससे बर्ताव करेगा लेकिन ना जाने क्यों शर्मिंदगी का अहसास होने के बावजूद भी एक अजीब और अद्भुत किस्म की तृप्ति का अहसास सरला को अपनी आगोश मे लेकर पिघलाए जा रहा था... शुभम की हरकत की वजह से सरला एकदम निशब्द हो चुकी थी उसके होठों से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस शर्म से नजरें नीचे किए शुभम की हरकतों का आनंद ले रही थी क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो वह उसे कब से डांट कर अपने घर से बाहर निकाल दी होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं की थी। सरला के दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो की गति के साथ साथ उसके भारी-भरकम दोनों कबूतर ब्रा की कैद में खुली सांस लेने के लिए पंख फड़फड़ा रहे थे....
जिस तरह से शुभम सरला के बेहद करीब खड़ा था उसके पैंट में बना तंबू महज 5 6 अंगुल की दूरी पर ही था जहां पर वह अपनी कमर को हल्का सा आगे की तरफ बढ़ाकर सरला की मदमस्त तरबूज जैसी गांड का स्पर्श कर सकता था। लेकिन शुभम अपने आप को बहुत ही रोक कर रखा था वरना ऐसे हालात में किसी भी मर्द को अपने ऊपर सब्र कर पाना नामुमकिन सा होता है और सब रहोगी तो कैसे हो बला की खूबसूरत तो नहीं लेकिन फिर भी कामुक बदन वाली मदमस्त खूबसूरत बदन के कटा वाली औरत अगर अर्धनग्न अवस्था में किसी मर्द के आंखों के सामने और उसके बेहद करीब फ्री हो तो उससे भला कैसे संभव होगा वह तो कब से अपनी बाहों में लेकर उसके खूबसूरत बदन की खुशबू को अपने अंदर महसूस करने लगेगा लेकिन शुभम अपने आप पर काबू करके सरला की ब्रा की पट्टी को दोनों हाथों से पकड़कर उसे हल्का सा खींचकर उसके हुक को लगाने की कोशिश कर रहा था।
सरला को अपने आप पर बहुत ही ज्यादा शर्म आ रही थी क्योंकि उसके बेटे से भी कम उम्र का लड़का उसके कमरे में खड़ा था और वह अर्धनग्न अवस्था में ब्रा और पेंटी की आड़ में अपने मदमस्त बदन को छुपाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन उसके बेटे से कम उम्र का वह लड़का ठीक है उसके पीछे खड़े होकर उसकी ही ब्रा की पट्टी को पकड़कर हुक लगाने की कोशिश कर रहा था ।



यह एक संस्कारी औरत के लिए शर्म से डूब जाने वाली बात होती है लेकिन सरला इस समय ना जाने क्यों शर्मिंदा होने के बावजूद भी शुभम की हरकतों का आनंद ले रही थी जबकि वह पूरी तरह से खुली नहीं थी लेकिन फिर भी अंदर ही अंदर उसका मन मचल रहा था और एक तरफ उसे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी उसके तराजू के दोनों पलड़े अपनी-अपनी जगह पर भारी थे लेकिन अपनी खुशी तन की सुख और वासना के आगे संस्कार का पलड़ा बेहद हल्का होता जा रहा था मर्यादाओं की डोर टूटती जा रही थी उम्र की सीमा मिट्ती जा रही थी... कमरे के अंदर के हालात बदलते जा रहे थे...
शुभम के तन बदन में उत्तेजना किनार इतनी तीव्र गति से हो रही थी कि मानो उसके तन बदन में बवंडर से उठ रहा हो पेंट में लंड अलग से गदर मचाए हुए था। जो कि रणसंग्राम में उतरने के लिए उतारू था। उसका बस चलता तो आप तक ना जाने कबसे पेंट फाड़ कर बाहर आ गया होता क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसे अपनी मंजिल महसूस हो रही थी उसकी खुशबू महसूस हो रही थी तभी तो शुभम का लंड सरला की बुर के अधीन होकर लार पर लार टपका रहा था जिससे शुभम अंडरवियर गिला होते जा रहा था... हाथों में ब्रा की पट्टी लिए वह हुक लगाने के लिए कशमकश जद्दोजहद में लगा हुआ था शुभम का भी शायद यह पहली बार ही था कि जब हम किसी औरत की ब्रा की पट्टी का हुक लगा रहा हो इसलिए उसे भी इसमें सफलता जल्दी प्राप्त नहीं हो पा रही थी लेकिन वह जानता था कि अगर नहीं हुक लगा पाया तो सरला के सामने उसे शर्मिंदा होना पड़ेगा इसलिए वह एक बार फिर से थोड़ा जोर लगाकर पीछे की तरफ खींच कर हुक से हुक भीड़ा कर बड़ी आसानी से लगा दिया.... शुभम के चेहरे पर विजई मुस्कान खिल उठी क्योंकि उसे सफलता प्राप्त हो चुकी थी... दोपहर के समय में सरला के रूम में और इस हालात में पहुंचकर शुभम को अपनी मंजिल बेहद करीब नजर आने लगी थी सरला को ठीक तरह से देखना चाहता था इसलिए.... वह घूम कर सरला के ठीक सामने जाकर खड़ा हो गया उसे देख कर मुस्कुराने लगा पल भर के लिए सरला अपनी नजर को ऊपर उठाकर शुभम की तरफ देखी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर शर्म से पानी पानी हो गई.. वह एक बार फिर से अपने बदन को सिकुड़ने लगी क्योंकि मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कोई पति अपनी पत्नी को धीरे-धीरे वस्त्र विहीन करते हुए नग्न अवस्था के करीब ले जा रहा हो और उसे चारों तरफ से घूर घूर कर देख रहा हो।। सरला कि यह सोच उसे शर्मिंदा कर रही थी वह शर्म के मारे अपनी नजरें फिर से नीचे करके अपने आपको शुभम की प्यासी नजरों से बचाने की भरपूर कोशिश करने लगी लेकिन यह कोशिश बिल्कुल नाकाम थी क्योंकि शुभम के सामने इस समय व एकदम खुली किताब की तरह थी जिसके एक एक शब्द को वह अपनी निगाहों से पढ़ रहा था।शायद ही हो स्कूल में स्कूली किताबों को इतना पढ़ा होगा जितना कि वह औरतों की जिंदगी उनके भूगोल के बारे में पढ़ चुका था....
सरला को साफ नजर आ रहा था कि शुभम के पेंट का तंबू एकदम तना हुआ है और उस पर नजर पड़ते हैं सरला की टांगों के बीच का वह गुलाबी छेद फुदकने लगा... मानो कि उसे एहसास हो गया हो की बुर्का गुलाबी छेदा शुभम के मोटे तगड़े लंड से चौड़ा होने वाला है यह एहसास बुर के छेद से मदन रस की बुंद निकालने के लिए काफी था और उसी समय ही उसकी गुलाब की पत्तियों से घिरी हुई बुर के अंदर से मदन रस की दो बूंद चु गई जो की पेंटी को गीला कर गई....

उत्तेजना के मारे शुभम का गला सुखता जा रहा था... वह अच्छी तरह से जानता था कि पेंट में बने तंबू को सरला चोर नजरों से देख रही है लेकिन फिर भी वह अपने पेंट में बने तंबू को छिपाने के लिए जरा भी दरकार नहीं लिया....क्योंकि वह यही चाहता था कि सरला उसके पेंट में बने तंबू को देखकर उसकी मर्दाना ताकत के अधीन हो जाए। और ऐसा हो भी रहा था सरला शुभम के पेंट में बने तंबू को देखते ही उत्तेजित हो गई थी वह कल्पना में शुभम के मोटे तगड़े लंड को पेंट के बाहर निकाल कर हीलाना शुरू कर दी थी... एक तरफ वो शर्म से पानी पानी हो जा रही थी अब दूसरी तरफ शुभम की हरकत की वजह से कामोत्तेजना का अनुभव कर रही थी..... शुभम उसके ठीक आगे खड़े होकर ऊपर से नीचे आंखे भर भर कर उसे देख रहा था। एक पराए मर्द और वह भी उसके लड़के की उम्र का लड़के को इस तरह से अपना नंगा बदन घुर घुर कर देखता हुआ पाकर ऊसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी और वह धीरे से बोली.....

शुभम तुझे मेरे कमरे में नहीं आना चाहिए था... कोई देखेगा तो क्या सोचेगा....(यह बात कह कर सरला जो यकीन दिला दी थी कि शुभम के लिए रास्ता एकदम साफ है क्योंकि वह अंदर से यही चाहती थी कि सब कुछ अच्छे से हो जाए और किसी को पता भी ना चले शुभम सरला की यह बात को पकड़ते हुए बोला..)

चाची इस कड़ी धूप में सब लोग अपने घर में एसी और कूलर की ठंडी हवा का मजा ले रहे हैं और यहां आते हुए मुझे किसी ने नहीं देखा है....



लेकिन फिर भी....( इतना कहकर सरला खामोश हो गई और शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कुछ भी हो चाची मैंने आज तक तुम्हारी जैसी उम्र की औरत को इतनी खूबसूरत कभी नहीं देखा...(सरला को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) इस उम्र में भी कसा हुआ बदन कहीं भी अधिक चर्बी तक नहीं है....(सरला के गोल गोल चक्कर काटते हुए)सच कहूं तो चाची एकदम कयामत लगती हो हुस्न की मलिका खूबसूरती की मिसाल.....


यह क्या कह रहा है शुभम थोड़ा सा तो लाज कर मैं तेरी मां की उम्र की हुं...( सरला फिर से शर्म से दबे हुए स्वर में बोली.)

मैं अच्छी तरह से जानता हूं चाची की आप मेरी मां की उम्र की है लेकिन तुम्हारी खूबसूरती और बदन की बनावट कसा हुआ बदन देखकर नहीं लगता कि आप मेरी मां की उम्र की है....(शुभम अपनी बातों के जाल में सरला को फंसाते हुए बोला सरला शुभम की चुभती हुई निगाहों की वजह से शर्म से गड़ी जा रही थी। लेकिन फिर भी शुभम की यह बातें उसे बहुत अच्छी लग रही थी.... सरला निशब्द होकर शुभम की बातें सुन रही थी और सरला के चेहरे के बदलते हुए भाव को देखकर शुभम अच्छी तरह से समझ रहा था कि सरला के मन में क्या चल रहा है इसी बीच ऊसे युक्ति सूझी.. )
Post Reply