कहीं वो सब सपना तो नही complete

Post Reply
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5356
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

लीजिए डोरी बँध गई,,अब साड़ी तो आप खुध पहन लोगि ना आंटी जी या उसमे भी हेल्प करू,,,,मैने बहुत सीरीयस होके ये
बात बोली थी ताकि आंटी को कोई शक ना हो,,,

लेकिन आंटी फिर भी शर्मा गई,,,,,नही बेटा तुम जाओ मैं खुद पहन लूँगी,,,,

ठीक है आंटी जी लेकिन जल्दी करना मुझे सूरज भाई की कॉल आई थी फिर से,,,,

ठीक है बेटा तुम चलो मैं 2 मिनट मे आई,,,,फिर मैं बाहर चला गया,,,,

मैं बाहर जाके दरवाजे के पास छुप गया ,,मैने देखा कि आंटी खुद अपनी पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी ऑर
वही मस्ती महसूस करने की कोशिश कर रही थी जो अभी कुछ देर पहले मेरे हाथ लगने से मिल रही थी उनको,,,,

तभी मैने थोड़ी दूर जाके फिर आवाज़ लगाई,,,,,,,जल्दी करना आंटी जी सूरज भाई की कॉल आ रही है,,,,मैने साइड होके देखा तो आंटी ने जल्दी से अपने हाथ झटक लिए अपनी पीठ से ऑर बेड पर पड़ी साड़ी उठा कर तैयार होने लगी,,,,,

कुछ देर मे आंटी तैयार होके बाहर आ गई ऑर मैं बस देखता ही रह गया,लेकिन जल्दी ही खुद पर क़ाबू भी कर लिया,,,,

चलो चले बेटा,,,मैं तैयार हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैने दिल ही दिल मे बोला,,,,,,,,कहाँ जाना है आंटी,,,,,बाहर या अंदर बेडरूम मे ,,,,,

तभी आंटी ने अपने हाथ मे पकड़ी हुई चाबी मेरी तरफ की,,,,,,,,,,,,ये क्या आंटी जी,,,,,,,,,ये कार की चाबी है बेटा मेरे से
साड़ी पहन कर बाइक पर नही बैठा जाएगा,,,,,,,,,

शिट यार बाइक पर जो मज़ा आना था वो कार मे कहाँ,,,,,,,,लेकिन फिर भी हम लोग कार मे ही गये,,,,


मैने कार माल की तरफ मोड़ ली ओर कुछ देर मे हम माल पहुँच गये,,,,,,,,,,

मैं आंटी जी को उनकी फवर्ट शॉप पर छोड़ा ओर खुद सेक्स्टाय शॉप पर चला गया,,,,ऑर सूरज भाई के लिए कुछ अलग अलग साइज़ के स्ट्रॅप-ऑन खरीद लिए,,,,फिर वापिस आंटी जी के पास आ गया,,,,,,,,तभी मैं देखा कि आंटी जी ने भी शॉपिंग करली थी,,,

अरे इतनी जल्दी आपकी शॉपिंग हो भी गई,,,,,मैं हैरान हो गया,लॅडीस की शॉपिंग वो भी इतनी जल्दी,,,,

हां बेटा कुछ खास नही लेना था बस थोड़ा ही समान था,,,,तभी आंटी का फोन बजने लगा,,,,,

हेल्ल्लो,,,,

हां वो समान ले लिया,,,,,इतना बोलकर आंटी ने फोन कट कर दिया,,,,,

किसका फोन था आंटी जी,,,,

कुछ नही बेटा मेरी एक फ्रेंड का था उसने कुछ समान मँगवाया था उसी के बारे मे पूछ रही थी ले लिया या नही

ओके आंटी जी,,,,,अब चले या कुछ ऑर भी लेना है,,,,,,,,,,

नही बेटा जो चाहिए था ले लिया अब चलते है,,,,,साला ऐसा क्या लेना था जो कुछ ही देर मे शॉपिंग हो गई आंटी की,,,

खैर हम लोग वहाँ से चले ऑर सूरज भाई के ऑफीस आ गये,,,,,,,,

आप यहीं रूको आंटी जी मैं अभी आया,,,,मैने कार को साइड पे पार्क किया ओर कार स्टार्ट रखके एसी ऑन करके सूरज के पास चला गया ऑर उसका समान भी अपने साथ ले गया,,,,

मैं अंदर गया तो एक लड़की बैठी हुई थी ,मैने उस से सूरज भाई के बारे मे पूछा तो उसने टेलिकॉम से फोन किया ऑर
सूरज भाई को मेरे बारे मे बताया फिर उस लड़के ने मुझे ऑफीस की तरफ इशारा किया ऑर मैं अंदर चला गया,,,

सामने सूरज भाई बैठे हुए थे ऑर उनके साथ एक ऑर बंदा बैठ हुआ था,,,जो मुझे जाना पहचाना लग रहा था

हेलो भैया,,,,,,,,

हेलो सन्नी,,,,,,,,,,

सर ये सन्नी है ,मेरी बेहन कविता के साथ ही कॉलेज मे पढ़ता है,,,,,,,,,,,,,सूरज ने अपने पास बैठे हुए आदमी को
मेरे बारे मे बोला,,,,,मैं उसी आदमी के पास जाके उसको हेलो बोलके उसके साथ वाली चेयर पर बैठ गया,,,,

इस से पहले कोई कुछ बोलता मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,,

एक्सक्यूस मे सर मैने आपको कहीं देखा है,,,,,,,याद नही आ रहा कहाँ देखा है बट देखा ज़रूर है,,,,,

सन्नी ये इनस्पेक्टर वहीद ख़ान है,,,,,मेरे अच्छे दोस्त है,,,,

हां बेटा देखा होगा मुझे ,,मैं तुम्हारे कॉलेज मे बहुत बार आया हूँ,,,,,,,किसी काम के सिलसिले मे ,,,,लेकिन वो काम
कभी नही बना,,,,,,,,


तभी मुझे याद आया कि ये तो वही पोलीस वाला है जो उन लड़कियों की ख़ुदकुशी की इन्वेस्टिगेशन करने आया था हमारे
कॉलेज मे ,,,


कॉन्सा काम सर,,,,,मुझे भी बता दीजिए,,,,,

छोड़ बेटा बहुत पुरानी बात है,,,,,,,अब तो उस केस की फाइल भी बंद हो चुकी है,,,,,लेकिन मैं अभी तक नही भुला उस केस
को अभी भी वो केस मेरे माइंड मे घूम रहा है,,,


किस केस की बात कर रहे हो आप सर,,,,,,,

तभी सूरज बोला,,,सन्नी कुछ टाइम पहले तुम्हारे कॉलेज मे एक ही वीक मे 2 लड़कियों ने कॉलेज की छत से कूद कर अपनी जान दी थी,,,उसी केस की इन्वेसिगेशन ख़ान साहब ही कर रहे थे,,,,लेकिन ना तो कॉलेज की तरफ से कोई सबूत मिला ऑर ना ही कोई ऐसी बात पता चली जिस से साबित हो कि ये शूसाइड थी,क्यूकी वो लड़कियाँ बहुत होनहार थी ऑर अच्छे घर की थी,,,,,,स्टडी या फिर ऐसी वैसी कोई टेन्षन नही थी,,,,

ओह्ह अच्छा उन लड़कियों की बात कर रहे हो आप,,,,,,,,,,तभी मैं बोलू कि आपको पहले भी कहीं देखा है,,कुछ पता चला
कि नही सर उनके बारे मे,,,,,,,,

नही बेटा,,,अभी कुछ पता नही चला,,,,,,,बहुत कोशिश की तो एक गवाह मिला था लेकिन ऐन मोके पर वो भी अपने ब्यान से
पलट गया,,,,,,,,तभी तो केस फाइल बंद हो गई ,,,,

किसका नाम लिया था उसने सर,,,,

छोड़ो बेटा अब क्या फ़ायदा,,,,,,,,,,,

नही सर बोलो शायद मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकूँ,,,,,,,

अच्छा ऐसी बात है तो सुनो,,,,,,,,,लड़कियों ने आत्महत्या नही की थी,,,उनको मजबूर किया गया था,,ऑर जिन लोगो ने मजबूर किया था वो किसी अमीर पॉलिटीशियन के बेटे थे,,,,जब तक मैं उनकी गिरेबान तक जाता एक तो मेरा गवाह मुकर गया ऑर उपर से उनलोगो ने अपना ज़ोर लगा कर मेरा तबदला करवा दिया,,,

क्या नाम थे उन लोगो एक सर,,,,,,,,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5356
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


अभी तो याद नही लेकिन तुम लोगो के कॉलेज के बिगड़े हुए लड़के थे वो,हर कोई डरता था उन से,,,,,,,,कोई उनका नाम नही
लेता था यहाँ तक कि प्रिन्सिपल भी नही,,,,,

ऐसे तो 2 ही लड़के है सर,,,,,,,,,,,,एक तो अमित ऑर दूसरा सुरेश,,,,,,,,,,,,,,,,

हां बेटा बिल्कुल सही,,,यही नाम था उनका,,,,,,,,,,,मैने देखा कि इनस्पेक्टर ख़ान की आँखों मे खून उतर आया था उनका
नाम सुनके,,,,,,,,,तुम कुछ जानते हो उनके बारे मे या उन लड़कियों के बारे मे,,,,,अगर जतने हो तो बोलो,,,,,,,मैं वापिस इस
सहर मे आ गया हूँ,अगर तुम जानते हो तो बताओ मुझे,,,,,हो सकता है मैं तुम्हारी हेल्प से उन फाइल्स को री-ओपन कर सकूँ,,,

री-ओपन करके क्या होगा ख़ान सर,,,,,,बहुत पोलीस वाले आए ओर गये,कोई कुछ नही कर सका,,,,,,,हर कोई दवाब मे आके या तो नोकरी छोड़ जाता है या शहर छोड़ जाता है,,,,,,,,,,अभी कुछ दिन पहले भी उनलोगो ने एक लड़के को बहुत मारा था,,,,पोलीस भी आई थी ,लेकिन कुछ नही हुआ ,जब प्रिन्सिपल से पता चला कि वो लोग किसके बेटे है तो पोलीस ने कुछ नही किया ऑर चुप चाप वहाँ से चली गई,,,,अगर मैं आपकी हेल्प करूँगा तो क्या गारंटी की आप उन लोगो को उनके किए कि सज़ा दोगे ,,अगर आप फिर से डर कर भाग गये तो,,,,

मेरे ऐसा बोलते ही सूरज मुझे घूर्ने लगा ऑर चुप रहने को बोलने लगा,,,,

लेकिन मैं चुप नही किया क्यूकी मेरी आँखों मे भी खून था गर्मी थी एक जुनून था ,मैं भी उनलोगो को उनके किए की
सज़ा देना चाहता था,,,,,,,,,,,,,,

तुम ठीक कह रह हो सन्नी बेटा,,,,हो सकता है पोलीस उन लोगो से डर जाए उनके दवाब मे आ जाए,,,,,,,लेकिन ये मत भूलो कि मैं एक मुसलमान हूँ अपने वादे का पक्का हूँ,,,,,,,,वादे के लिए जान भी दे सकता हूँ,,,,,ऑर रही बात अपनी बात से
मुकरने की तो एक पोलीस वाला होने की खातिर मैं डर के पीछे हट भी सकता हूँ लेकिन एक भाई होने की खातिर मैं उनलोगो को जब तक उनके किए की सज़ा नही दूँगा तब तक मेरी बेहन की रूह को चैन नही मिलना,,,,,,ये सब बोलते टाइम इनस्पेक्टर ख़ान अपने दाँतों को मसल रहा था ऑर उसकी आँखों मे खून उतर आया था,,,,,,,,,,,,,,

मैं ये सब सुनकर एक दम से खामोश हो गया,,,,,,,,क्या उनमे से एक लड़की आपकी बेहन थी,,,,मैने बड़े उदास स्वर मे
पूछा तो ख़ान साहब की आँखें नम हो गई,,,,,,,,,,

हां सन्नी बेटा,,,इसलिए तो बोल रहा हूँ कि अगर तुम कुछ जानते हो तो मुझे बता दो,,,,,,मैं वादा करता हूँ उनलोगो का
वो हाल करूँगा कि उनकी रूह तक काँप उठेगी ,,,,

ऐसी बात है तो ठीक है ख़ान सर,,,,,मैं आपका साथ हूँ,,,,,,मुझे पता है उन लोगो तक कैसे पहुँचना है,,,,,आप बस
मुझे कुछ दिन की मोहलत दीजिए,,,,मैं उनके खिलाफ पक्के सबूत दे दूँगा आपको,,,,,

मेरी बात सुनके ख़ान साहब खुस हो गये,,,,अगर तूने ऐसा कुछ कर दिया तो ये ख़ान तेरा एहसान जिंदगी भर नही भूलेगा
सन्नी,,,,,,,ख़ान साहब ने मेरा हाथ पकड़ा ऑर चूम कर अपनी आँखों से लगा लिया,,,,,

मैने उनसे वादा किया कि ये पंजाबी भी आपका साथ ज़रूर देगा ख़ान साहब ,,,उन लोगो को उनके किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी,,

मैं वहाँ से उठा ओर सूरज भाई का बॉक्स वही टेबल पर रखा ऑर वहाँ से चला गया,,,मैं बहुत गुस्से मे था ,,,क्यूकी मैं
अभी उस बेहन के भाई से मिला था जिसके साथ अमित ऑर सुरेश ने कुत्तों जैसी हरकत की थी,,,,मेरा खून खौल रहा था


मैं अभी सूरज एक ऑफीस से बाहर ही निकला था कि पीछे से आवाज़ आई,,,,,,रूको सन्नी ,,,,,,,,,

मैने पीछे मूड कर देखा तो ख़ान साहब मेरे पीछे ही आ रहे थे,,,,,,,,,,,,,,ज़रा बात सुनो सन्नी,,,,,,,,

वो मेरे पास आए ऑर मेरे शोल्डर पर हाथ रखके मुझे एक साइड पर ले गये,,,,,,


देखो सन्नी ,,,,,मैं एक पोलीस वाला हूँ लोगो की आँखें रीड कर लेता हूँ,,,,,,मुझे तेरी आँखों मे एक जुनून नज़र
आया है,मुझे लगता है उन लोगो ने तेरे साथ भी ज़रूर कुछ किया है या तेरे किसी चाहने वाले के साथ ऑर जितने विश्वास से तू बोल रहा है मुझे सबूत देने के लिए तो मुझे लगता है तेरे पास कुछ ना कुछ खबर तो है,,,,,सच बोलना सन्नी,,
ख़ान साहब की आँखों मे एक उम्मीद थी,,,,सच की उम्मीद,,,,,,,,,

अपने सही सोचा ख़ान साहब,,,,,,,मेरे पास कुछ ऐसा है कि जो आपको दे दूँगा तो ओं लोगो की फाँसी पकई है,,,,,,,

क्या है सन्नी अभी दो मुझे जल्दी,,,,,,,,,,,,,ख़ान साहब पूरे जोश मे बोले,,,,

नही ख़ान साहब ऐसे नही,,,,,,,,,,ऐसे सब गड़बड़ हो सकता है,,,मेरे पास एक प्लान है,,,,,,,,,,,जो कितना कामयाब होगा ये
डिपेंड करता है सुरेश अमित ऑर उनके एक दोस्त सुमित पर,,,,मैने सारी बात ख़ान साहब को बता दी,,,,सीडीज़ के बारे मे भी

ख़ान साहब की आँखों मे गुस्सा इतना ज़्यादा था कि उनका बस चलता तो अभी अमित ऑर सुरेश को गोली मार देते,,,,

तुम्हारे पास वो सीडीज़ कैसे आई सन्नी,,,,,,,,,,ख़ान साहब ने मेरे से पूछा,,,,

तो मैने शुरू से लेके सारी बात बता दी ख़ान साहब को,,,,,,करण क़ी बेहन शिखा के साथ जो हुआ ऑर कहाँ हुआ,,,ऑर सीडीज़ के बारे मे भी बता दिया,,,,,

मेरे पास एक प्लान है ख़ान साहब जिस से साँप भी मर जाएगा ऑर लाठी भी नही टूटेगी लेकिन वो प्लान कामयाब होगा उन्ही लोगो की वजह से ,,,,अमित ऑर सुरेश की वजह से,,,,,,,,,,,बस तब तक हमे थोड़ा वेट करना होगा,,,,,

मैं समझ सकता हूँ सन्नी,,,,,,,,,इतना टाइम वेट किया तो थोड़ा ऑर सही ,,अब मैं भी तेरे साथ हूँ ,,,कुछ काम हो तो
मुझे याद करना,,,,,ये ख़ान दोस्ती के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है,,,,,इतना बोलकर ख़ान साहब अपने पोलीस वाले
अंदाज़ के साथ वहाँ से चले गये लेकिन उनकी आँखों मे पोलीस वाला गुस्सा नही था एक भाई वाला गुस्सा था,,,

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5356
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

मैं भी हल्के गुस्से से कार की के पास गया ऑर जाके कार मे बैठ गया,,,

इतना टाइम क्यूँ लग दिया बेटा,,,

कुछ नही आंटी जी अंदर कोई बहुत पुराना दोस्त मिल गया था,,,उसी से बात करने लगा था,,,,,

मैं आंटी की तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नही देया ,,,,,,ख़ान साहब की वजह से अब मुझे कैसे भी करके अमित ऑर सुरेश का
खेल ख़तम करना था,,,,,पहले तो मैं इतना परेशान नही था लेकिन आज ख़ान साहब की वजह से मेरे अंदर की आग कुछ
ज़्यादा ही भड़कने लगी थी,,,,,,मुझे कैसे भी करके कुछ ना कुछ तो करना ही था,,,,,,

घर पहुँच कर मैने कार को घर के अंदर किया ओर सीधा करण एक रूम मे चला गया,,,,मैं आंटी की तरफ कोई
ध्यान नही दिया ओर अपना लॅपटॉप निकाल कर वो वीडियोस देखने लगा,,जिसमे अमित सुरेश ऑर उसके दोस्त एक लड़की से ज़बरदस्ती कर रहे थे,,,,मुझे लगा कि मैं ये वीडियो एक भाई को नही दिखा सकता,,चाहे ये जितना भी बड़ा सबूत क्यू ना हो लेकिन एक भाई तो शर्मसार होके ज़िते-ज़ी ही मर जाएगा,,,,नही मुझे ये वीडियो ख़ान साहब को नही देनी ,,मुझे कुछ ऑर करना होगा,,,,,मैं यही सोच रहा था तभी मुझे याद आया जब कि 1-2 वीडियोस ऑर थी जिनमे अमित ऑर उसके दोस्त बेड पर बैठ कर लड़की से बात कर रहे थे ऑर उसको अपने साथ हमबिस्तर होने को बोल रहे थे ,,,उनकी बात ना मानने पर वो लड़की को दूसरी वीडियो जिसमे लड़की अमित के साथ सेक्स कर चुकी थी वो वीडियो लोगो के मोबाइल पर बाँटने की धमकी दे रहे थे,,,,,,वो लड़की रोती जा रही थी,,,,

हाँ ये वीडियो ठीक है,,,,,,यही वीडियो दे सकता हूँ मैं,,,,,,,,ऑर कोई नही,,,,कोई भाई अपनी बेहन को ऐसी हालत मे नही देख
सकता था,,,,,,,,,,,अब मुझे आगे के प्लान के बारे मे सोचना था,,,,लेकिन दिमाग़ काम नही कर रहा था,,,,सोच सोच कर सर
मे भी दर्द होने लगा था,,,,,,

मैं वहाँ से उठा ऑर बाहर आ गया,,,लॅपटॉप को वापिस बॅग मे रख दिया,,,,,

बाहर आके सोफे पर बैठ तो देखा कि सामने टेबल पर आंटी का मोबाइल बज रहा था,,,,जब तक मैं उठाता वो फोन
बंद हो गया,,,,,,,,,,,मैं देखा तो मेरी माँ की मिस कॉल थी आंटी के मोबाइल पर,,,,ऑर लास्ट कॉल भी उन्ही की थी,,,ये टाइम तो तब था जब हम लोग माल मे थे,,,,,,,शायद तभी माँ का फोन ही आया था आंटी जी को,,,,,लेकिन माँ ने उनको फोन
क्यू किया था,,,,

अभी भूख लगी है क्या सन्नी बेटा,,,,,,,,,,

मैने आंटी की आवाज़ सुनी ऑर मोबाइल को जल्दी टेबल पर रख दिया ऑर आंटी की
तरफ देखने लगा,,,,,,,,,,,,आंटी ने चेंज करके वापिस घर वाले कपड़े पहन लिए ,,लेकिन इन कपड़ो मे भी आंटी बहुत
ज़्यादा सेक्सी लग रही थी,,,,ये एक लाइट स्किन कलर का सूट था जिसकी फिटिंग बहुत टाइट थी ऑर उपर से आंटी का भरा हुआ हल्का
मोटा जिस्म ,,सूट मे से आंटी के हर बॉडी पार्ट का नाप मुझे मिल रहा था,,,,मैं आंटी मे इतना खो गया कि भूल ही गया
अमित ऑर सुरेश के बारे मे,,,जो बात ख़ान साहब से हुई उसके बारे मे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,सही बोला है किसी महापुरुष ने औरत
चीज़ ही ऐसी है की आदमी अपनी ओकात तक भूल जाता है,,,जब कोई महरिषि अपनी भक्ति से ध्यान भटका सकता है किसी
मेनिका की खातिर तो मैं तो एक आम इंसान हूँ वो भी एक नंबर का ठर्की कमीना,,,,,,

मैं आंटी को देख कर खो सा गया ,,,तभी आंटी मेरे पास आई,,,,,,,,,,,कहाँ खो गया बेटा,,,,बोल ना भूख लगी है या
नही,,,,

जी आंटी जी बहुत भूख लगी है ,,,जी तो करता है पेट भरके खा जाउ,,,

क्या खाना है बेटा ,,बता मुझे अभी बना देती हूँ,,,,,

मैने मन ही मन सोचा कि खाना तो आपको है आंटी जी लेकिन फिलहाल अभी किसी ऑर चीज़ से काम चला लेता हूँ,,,

जो भी आप अपने हाथों से बना दो मुझे सब चलेगा आंटी जी,,,,,लेकिन अगर बेगन मिल जाए खाने को तो मज़ा आ जाए,,

बैगन का नाम सुनके आंटी थोड़ा ज़िज़क गई,,,,,वो बैगन तो नही है बेटा ,,अब उनकी ज़रूरत नही पड़ती,,,अब तो
बिल्कुल भी नही पड़ेगी तुम जो आ गये हो,,,,

क्या मतलब आंटी जी,,,,बेगन की ज़रूरत क्यू नही पड़ती अब,,,ऑर मुझे तो बैगन बहुत पसंद है,,,,आइ लव बैगन
का भरता,,,,

अच्छा तेरे को भी बैगन अच्छे लगते है बेटा ,,मुझे नही पता था,,,,मैं तो इसलिए बोला कि ज़रूरत नही पड़ती क्यूकी करण
ही ज़्यादा बैगन ख़ाता था या शिखा ,,मुझे अच्छे नही लगते बैगन,,इसलिए तो नही लेके आई आज ,,,,वर्ना मार्केट से
ज़रूर लेके आती ,,,,


मैं आंटी की बात तो समझ गया था लेकिन अंजान बना रहा,.,,,,,,कोई बात नही आंटी जी आप फिर कुछ भी बना दीजिए,,,
मैं खा लूँगा,,,,,बस जल्दी कीजिए भूख बहुत लगी है,,,,,

ठीक है बेटा बस थोड़ी देर वेट कर अभी बना देती हूँ,,,,,इतना बोलकर आंटी जी किचन मे चली गई,,,,,मैं भी उनके पीछे
चला गया,,,,,

अरे तुम यहाँ क्यू आ गये ,,तुम बाहर बैठो आराम से मैं खाना बना कर बाहर ले आती हूँ,,,,

मैं तो देखने आया था आप क्या बनाने लगी हो,,,,,ओर वैसे अकेला बैठ कर क्या करू बाहर ,,,,,मुझे अकेले बोर नही होना

अभी तो लंच टाइम निकल गया है ईव्निंग हो गई है इसलिए अभी तेरे को पकोडे बना देती हूँ,,,ब्रेड वाले,,,,

ऑर साथ मे ऑनियन वाले भी बना देना आंटी जी मुझे बहुत अच्छे लगते है वो,,,,,,

ठीक है बेटा वो भी बना देती हूँ,,,,ऑर साथ मे कॉफी या चाइ चलेगी,,,,

मुझे चाइ अच्छी नही लगती इसलिए कॉफी ही चलेगी आंटी जी,,,

ठीक है तू रुक मैं अभी बना देती हूँ,,,,,आंटी ने ब्रेड उठाई ऑर साथ मे कुछ ऑनियन फिर शेल्व पर रखकर काटने
लगी,,,,

आप ऐसा करो आंटी जी बैसन मिला लो मैं ऑनियन ऑर ब्रेड काट देता हूँ,,,,,मेरा टाइम भी पास हो जाएगा ऑर आपकी हेल्प भी

अरे नही बेटा तेरे से अब घर का काम थोड़ी कराउन्गी,,,,,तू आराम से खड़ा रह

क्यू आंटी जी ,,,ऐसा बोलकर आप मुझे फिर से घर का मेहमान बना रही हो,,,,,लगता है आप बस बोलती हो दिल से मुझे अपना बेटा नही समझती,,,मैने जान भूज कर हल्का नाटक किया,,,

नही नही बेटा ऐसी बात नही है,तू बार बार ऐसे क्यू बोलता है,,,,,,,,,तू घर का मेहमान नही मेरा बेटा है,,,,,चल ठीक
है तू भी कुछ काम करले,,,,,,,,,,,अब खुश ,इतना बोलकर आंटी ने ब्रेड ऑर ऑनियन वाली प्लेट मुझे दी ऑर खुद बर्तन लेके
बैसन मिक्स करने लगी,,,,

कुछ देर मे ब्रेड ऑर ऑनियन कट गये बैसन भी मिक्स हो गया ऑर हम लोगो ने इधर उधर की बातें करके टाइम पास करते हुए
पकोडे ऑर कॉफी भी बना ली ऑर ऐसे ही टाइम पास करते हुए पकोडे खा भी लिए ऑर कुछ बातें भी करली,,,,लेकिन हर वक़्त
मेरा ध्यान आंटी के जिस्म के किसी ना किसी पार्ट पर टिका रहता ऑर आंटी को भी इस बता का अंदेशा हो जाता ऑर आंटी भी
जान भूज कर मुझे अपने बूब्स दिखाती थी,,,लेकिन जब वो ऐसा करती तो मैं नज़रे घुमा लेता ऑर वो हंस कर शरमा जाती,,,वो
समझती कि मैं उनसे डर रहा हूँ ....

अभी डिन्नर को बस 1-2 अवर्स रहते थे इसलिए आंटी भी अपने रूम मे चली गई ऑर मैं भी करण के रूम मे चला गया


रात को मैं बेड पर लेटा हुआ था तभी आंटी मुझे रूम मे बुलाने आई,,,,बेटा डिन्नर तैयार है आ जाओ,,,,,आंटी अभी
उन्ही कपड़ो मे थी ,,,,

ठीक है आंटी जी आप चलो मैं अभी आया,,,,,

मैं बाहर डाइनिंग टेबल पर आया तो आंटी वहीं बैठ कर मेरी वेट कर रही थी,,,,मैं भी जाके आंटी के सामने वाली चेयर पर
बैठ गया ,,,

आंटी ने मेरे लिए प्लेट तैयार की ऑर मेरी तरफ बढ़ा दी,,,मैने प्लेट मे देखा तो खाना बस थोड़ा सा ही रखा हुआ था,,,थोड़ी
सी दाल थोड़े से चावल,,,थोड़ी सी सब्जी,,,,,मैं प्लेट की तरफ देख कर मन ही मन हँसने लगा,,,,लगता है आंटी ने ग़लती से अपनी
प्लेट मुझे पास करदी थी,,,,क्यूकी मेरी सेहत के हिसाब से मुझे ऐसी 8-10 प्लेट की ज़रूरत थी,,

मैने प्लेट की तरफ ध्यान किया ऑर खाना खाने लगा,,,खाना खाते टाइम मेरा ध्यान आंटी की तरफ था जो खुद खाना खाती
हुई मेरी तरफ ऑर मेरी प्लेट की तरफ देख रही थी,,ऑर हल्के से शरमा ओर मुस्कुरा भी रही थी,,,मेरा प्लेट मे जितनी सब्जी थी वो
तो 2 मिनट मे ही ख़तम हो गई ओर जैसे ही आंटी का ध्यान मेरी प्लेट पर आया तो उन्होने जल्दी से सब्जी वाला बोवल उठाया ऑर
कुछ बोले बिना ही जल्दी से उठकर खड़ी हो गई ऑर मेरी प्लेट मे सब्जी डालने लगी,,,मैने देखा कि आंटी कुछ ज़्यादा ही झुक गई
थी टेबल पर ,,उनके बड़े बड़े बूब्स मुझे आधे से भी कहीं ज़्यादा नज़र आ रहे थे,,,मेरा ध्यान उनके बूब्स की तरफ
था वो सब्जी डालने मे कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा रही थी लेकिन मुझे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था मैं तो उस हसीन
नज़ारे को देख कर मदहोश हो रहा था,,अब आंटी जितना मर्ज़ी टाइम ले ,,

तभी आंटी सब्जी डालके वापिस चेयर पर बैठ गई,,ऑर मुझे देख कर हँसने लगी,,,उनको भी पता था मैं उनके बूब्स देख रहा
था लेकिन उनको भी इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था,,,

मैं वापिस खाना खाने लगा ऑर तभी 2 पल बाद मेरी दाल वाली कटोरी खाली हो गई ,,इस से पहले मैं आंटी को बोलता आंटी फिर
से उसी अंदाज़ मे उठी ऑर मेरी कटोरी मे दाल डालने लगी,,इस बार आंटी फिर पहले की तरह झुक कर दाल डाल रही थी ऑर मुझे
अपने बड़े बड़े बूब्स के दर्शन करवा रही थी,,,मैं भी बेझिझक उनके बूब्स को घूर रहा था,,खाना खाते टाइम ही मस्ती
मे मेरा लंड उछलने लगा था ,,,,दिल कर रहा था अभी आंटी को पकड़ कर डाइनिंग टेबल पर नंगी करके लेटा दूं ऑर खाने की
जगह इनका स्वाद चखना शुरू कर दूं,,,,लेकिन जल्दबाज़ी से माँ ने रोका हुआ था मुझे,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5356
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


आंटी ने दाल डाली ऑर वापिस चेयर पर बैठ गई,,,,मैं नोट किया कि आंटी ने पहले भी दाल ऑर सब्जी थोड़ी थोड़ी डाली थी ऑर अब
दोबारा भी हल्की सी सब्जी ऑर दाल डालके दी थी मुझे,,,,,ये साला इतना कम क्यू खिला रही है मुझे,,,,एक बार ही क्यू नही डाल देती
भरके,,,,,खैर मैं वापिस खाना खाने लगा,,,फिर कुछ देर बाद सब्जी ख़तम हुई तो आंटी उठी ऑर सब्जी डालने के लिए टेबल पर
झुक गई,,,ऑर मुझे खुल कर दर्शन करवाने लगी अपने बूब्स के,,,,,,,मैं समझ गया कि आंटी जान भूज कर मुझे खुश करने
के लिए ऑर ज़्यादा से ज़्यादा अपें बूब्स दिखाने के लिए ऐसी हरकत कर रही थी,,,बार बार हल्की हल्की दाल सब्जी डालने के लिए पूरे टेबल पर झुक जाती थी,,,,

जितना टाइम डिन्नर चलता रहा ये दाल सब्जी का खेल चलता रहा साथ साथ बूब्स का लिवेट्लकास्ट भी ,,,,

डिन्नर ख़तम हुआ तो मैं वापिस करण के रूम मे चला गया ऑर जाते ही लॅपटॉप ऑन करके पॉर्न मूवीस देखने लगा ,,क्यूकी अभी
कुछ देर पहले आंटी एक बूब्स देख देख कर मेरा दीन दयाल पागल हो गया था ,,,इसलिए मैं 1-2 पॉर्न देख कर मूठ मारने
के लिए बाथरूम मे चला गया ऑर आंटी के नाम की मूठ मार कर शवर लेके वापिस बेड पर आके लेट गया,,,,


रात करीब 12 बजे का टाइम हो गया था ,,मुझे नींद नही आ रही थी,,,मूठ मार के सोचा था थक कर सो जाउन्गा लेकिन आंटी के
बड़े बड़े बूब्स अभी भी मेरी नज़रो के सामने घूम रहे थे,,,जब भी आँखें बंद करता तो बूब्स सामने आ जाते ऑर मस्ती
मे नींद उड़ जाती,,मैं अपना लॅपटॉप लेके बाहर हॉल मे आके बैठ गया,मैने देखा कि आंटी के रूम के दरवाजा खुला हुआ था
ऑर अंदर से रोशनी बाहर आ रही थी,,,,शायद आंटी को भी नींद नही आ रही थी उनका भी वही हाल था जो मेरा हाल था,,

खैर मैने लॅपटॉप पर गेम खेलनी शुरू की ऑर सोफे पर लेट गया,,मैं गेम मे पूरी तरह से खो जाना चाहता था ताकि थोड़ा
थक जाउ ऑर आंटी के बड़े बड़े बूब्स का ख्याल मेरे दिमाग़ से निकल जाए ऑर मुझे नींद आ जाए,,,ऑर ऐसा ही हुआ मैं गेम मे
पूरी तरह से खो गया था,,,,,

तभी मेरे सर पर आंटी का हाथ लगा,,,मैं एक दम से डर गया ऑर आंटी की तरफ देखने लगा,,,लेकिन हॉल मे बहुत अंधेरा था
ऑर उपर से मैं काफ़ी टाइम से लॅपटॉप पर गेम खेल रहा था जिस वजह से मेरा पूरा ध्यान लॅपटॉप की तरफ था ,,इसलिए मुझे हॉल मे अंधेरे मे आंटी को देखने मे थोड़ी मुश्किल हो रही थी,,,,

आंटी का हाथ मेरे सर को प्यार से सहला रहा था ,,क्या हुआ बेटा तुम यहाँ क्यू लेटे हुए हो,,नींद नही आ रही क्या,,,

मैं जल्दी से उठकर बैठ गया ओर लॅपटॉप को आंटी की तरफ घुमा दिया जिस से लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़े ऑर मैं आंटी को
देख सकूँ,,,,जैसे ही लॅपटॉप की रोशनी आंटी पर पड़ी मेरे होश गुम हो गये,,,आंटी एक वाइट कलर की पारदर्शी नाइटी पहेन
कर मेरे सामने खड़ी हुई थी,,,वो नाइटी उनके घुटनो से भी उपर थी ऑर बूब्स की तरफ से काफ़ी डीप थी,,मैं सोफे पर बैठा
हुआ था फिर भी उनका क्लीवेज़ बहुत ज़्यादा नीचे तक नज़र आ रहा था,मैं आंटी को उपर से नीचे तक बिना किसी डर के घूर
रहा था ,,,डर तो मुझे वैसे भी नही था क्यूकी मुझे पता था वो मेरे से चुदने को तैयार बैठी है लेकिन अभी मेरा लॅपटॉप
उनकी तरफ था ऑर उसकी रोशनी आंटी की तरफ थी जिस से आंटी को पता नही चल रहा था कि मैं उनको घूर रहा हूँ,,,,वैसे पता तो होगा उनको क्यूकी इतनी अच्छी औरत ऐसी सेक्सी नाइटी पहन कर किसी जवान लड़के के सामने होगी तो वो देखेगा ही ,,,

क्या हुआ बेटा कहाँ गुम हो गया तू,,,इतना बोलते ही आंटी ने मेरे हाथ से लॅपटॉप पकड़ा ऑर सामने टेबल पर रख दिया ऑर खुद मेरे पास सोफे पर बैठ गई,,,,मैं तो एक दम से सुध्बुध खो बैठा था,,,,इतना हसीन माल मेरे पास बैठा हुआ था कि दिल
बस मे नही था मेरा,,,

कुछ नही आंटी जी नींद नही आ रही थी तो बाहर आके बैठ गया,,,,सोचा गेम खेल लूँगा तो शायद नींद आ जाए,,,

हाँ बेटा अक्सर नई जगह पर नींद नही आती,,,,बट तू तो पहले कई बार करण के रूम मे रुक चुका है फिर भी तुझे नींद
नही आ रही,,,,तेरे लिए तो वो रूम या फिर ये घर नई जगह थोड़ी है,,,,

नही आंटी जी ऐसी बात नही है,,,वो तो मैं वूओ

तभी आंटी ने मेरी बात को बीच मे रोक दिया,,,,,ओह्ह हां याद आया सरिता दीदी ने बोला था कि तुमको अकेले सोने की आदत नही है
शायद इसी वजह से नींद नही आ रही तुमको,,पहले तो करण होता था तेरे साथ रूम मे इसलिए तू सो जाता था वहाँ लेकिन आज
अकेला है तो सोना मुश्किल लग रहा होगा,,,,,

जी आंटी जी,,,सही कहा आपने,,,,शुरू से माँ के साथ सोता था ऑर जब बड़ा हुआ तो सोनिया ऑर मेरा रूम एक था ,,अब काफ़ी टाइम से सोनिया
ऑर मैं एक रूम मे सोते आ रहे है,,,,करण होता आज तो यहाँ मुश्किल नही थी लेकिन अकेले सोने मे बहुत मुश्किल हो रही थी,,,,
सोचा गेम खेल लूँगा तो थोड़ा थक जाउन्गा तो नींद आ जाएगी,,,,

अरे सोने के लिए गेम की क्या ज़रूरत बेटा,,,,जानती हूँ तुमको अकेले सोने मे मुश्किल हो रही है,,अगर तुम चाहो तो मेरे रूम
मे सो सकते हो,,,,,इतना बोलते टाइम आंटी हल्के से शरमा रही थी,,,,

लेकिन आंटी जी मेरे सोने से आपको कोई प्रोबलम तो नही होगी,,,

अरे बेटा प्रोबलम कैसी,,,,चलो उठो ऑर मेरे रूम मे सो जाओ,,,,आंटी ने इतना बोला ऑर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया
ऑर अपने साथ रूम की तरफ ले गई,,,,मुझे कुछ नज़र नही आ रहा था बस हॉल मे लॅपटॉप की रोशनी थी ऑर आंटी के रूम से आने
वाली टीवी की रोशनी थी,,,,,लेकिन मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता अगर बिल्कुल अंधेरा भी होता,,,मैं तो बस आंटी एक साथ हाथ मे हाथ डालके कहीं भी जाने को तैयार था,,,,,


आंटी मुझे रूम मे ले गई,,,,चलो तुम यहाँ सो जाओ,,,आंटी ने बेड की तरफ इशारा किया,,,,,

आंटी के रूम मे एक ही बेड था,,,,,,मैं थोड़ा डरा हुआ था,,,,,हल्की बेचैनी हो रही थी मुझे,,,,,

मैं यहाँ सोउंगा तो आप कहाँ सोऑगी आंटी जी,,,,मैने मासूम बनके बोला तो आंटी हँसने लगी,,,,

क्या मतलब मैं कहाँ सोउंगी,,,,मैं भी यही सोउंगी ना बेटा,,इसी बेड पर,,,,,क्यू तुमको कोई प्रोबलम है क्या मेरे साथ सोने
मे,,,,तुमको तो अकेले सोने मे मुश्किल होती है ना,,,क्यूकी सोनिया ऑर तुम्हारा रूम एक है ऑर तुम उसके साथ सोते हो,,,,

जी आंटी लेकिन सोनिया ऑर मेरा बेड अलग अलग है ना ओर यहाँ एक ही बेड,,,

तो क्या हुआ बेटा,,,,तू मेरे बेटे करण जैसा है ऑर तू भी तो मुझे अपनी माँ समझता है ना,,,,,तो माँ के साथ सोने मे कैसी
शरम,,,,,बोल मुझे माँ समझता है या नही,,,,,सरिता दीदी के रूम मे भी तो एक ही बेड है ना तू उनके साथ भी तो एक ही बेड पर सो जाता है ,,,तो मेरे साथ सोने मे क्या मुश्किल है,,,,

जी आंटी जी,,,,आप करण की माँ हो तो मेरी भी माँ ही हुई ना,,,,,

तो बस ठीक है,,,,चल जल्दी से सो जाते है रात बहुत हो गई है,,,,,आंटी ने मेरे को हाथ से पकड़ा ऑर बेड की तरफ कर दिया ऑर खुद घूम कर बेड की दूसरी तरफ चली गई,,,,तब तक मैं बेड पर बैठ गया था,,,

आंटी भी बेड पर दूसरी तरफ आके लेट गई ऑर टीवी का रिमोट उठा कर टीवी ऑफ करने लगी,,लेकिन मैं नही लेता ,,मैं ऐसे ही बैठा रहा,,तभी आंटी बोली,,,,,

क्या हुआ तू लेट क्यू नही रहा,,,अभी भी शर्मा रहा है क्या,,,,,

नही आंटी मैं शर्मा नही रहा लेकिन ववूऊ मैं वउूओ ,मैं जानभूज कर डरने ओर हिचकिचाने का नाटक करने लगा

क्या हुआ बेटा,,,बोल शर्मा क्यूँ रहा है क्या बात है,,,,

आंटी जी मैं रात को सिर्फ़ निक्कर पहन कर सोता हूँ ,,उपर टी-शर्ट नही पहनता ऑर ऐसे आपके साथ सोने मे मुझे ,,,,,

अरे तो इसमे क्या बड़ी बात है,,,करण भी तो ऐसे ही सोता है,,,,तेरे ऑर करण मे कोई फ़र्क तो नही बेटा,,,,जैसे करण वैसे तू है मेरे लिए,,,,

चल निकाल दे टी-शर्ट ओर जैसे सोना है सो जा,,,,अब शरमा नही ओर जल्दी कर,,,रात बहुत हो गई है बेटा,,,,

मैने हल्के से धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट निकाली ताकि आंटी को लगे मैं थोड़ा डर रहा हूँ शर्मा रहा हूँ फिर टी-शर्ट निकाल
कर साइड के टेबल पर रख दी ऑर लेट गया,

मेरा ध्यान टीवी पर था आंटी ने अभी तक टीवी ऑफ नही किया था ,,तभी मैने टीवी देखते हुए आंटी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ
देख रही थी,,टीवी का रिमोट अभी भी उनके हाथ मे था,,,,लेकिन उनका ध्यान मेरी तरफ था वो मुझे ऐसे घूर रही थी जैसे अभी कच्चा चबा जाएगी मेरे को,,,,

आंटी जी टीवी ऑफ कर दीजिए मुझे नींद आ रही है,,,मेरी आवाज़ से आंटी होश मे आ गई ऑर मेरी तरफ हंस कर ऑर शरमाते हुए एक बार देख कर टीवी ऑफ कर दिया,,,,,टीवी ऑफ होते ही रूम मे एक दम से अंधेरा हो गया,,,,

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
VKG
Novice User
Posts: 245
Joined: 19 Jun 2017 21:39

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by VKG »

Mast update
@V@
Post Reply