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लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
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- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
5-6 घंटे तक इसका असर इतना रहता है, कि अगर लगातार सेक्स करे तो भी उत्तेजना बरकरार रहती है…
मे उसकी बात ध्यान से सुन रहा था…. हुउऊउंम्म फिर..
रीना आगे बोली – तुम्हारे सोने के कुछ देर बाद ही तुम्हें अजीब सी बैचैनि होने लगी… और तुम उठ कर बाहर चले गये…
रागिनी को पक्का पता था कि ऐसा होगा, इसलिए वो तुम पर नज़र बनाए हुए थी.. और तुम्हारे कुछ देर बाद ही वो तुम्हारे पास चली आई…
मे – ये बातें तुम्हें कैसे पता लगी…?
रीना – यहाँ का टूर डिसाइड होते ही रागिनी बहुत एक्शिटेड थी, मेने उससे इसका कारण पूछा तो वो जोश-जोश में कह गयी… कि ये साला अंकुश अपने आप को बहुत बड़ा हीरो समझता है…
अब देखूँगी ये मेरे चंगुल से कैसे बच पाता है…
जब मेने पूछा कि तू क्या करने वाली है… तो उसने ये कहकर बात टाल दी, की ये तो समय आने पर ही पता चलेगा, तू बस देखती जा.
यहाँ आते ही मेरी नज़र हर समय उसकी हरेक आक्टिविटी पर ही थी, मेने उसे वो ड्रग तुम्हारे खाने में मिलाते हुए देख लिया था…
फिर खाने के बाद जब सोने गये, तब मेने उससे पूछा कि उसने तुम्हारे खाने में क्या मिलाया था, तो उसने ये सब बताया…
मेने कहा – तो तुम वहाँ क्यों गयी…? क्या तुम भी पहले से ही उसके साथ मिली हुई थी…..?
रीना – झूठ नही बोलूँगी, मेरे मन में भी तुम्हें पाने की चाहत तो थी जैसे कॉलेज की ज़्यादातर लड़कियों की है, लेकिन मे रागिनी की तरह तुम्हें पाना नही चाहती थी..
फिर जब मौका हाथ आ ही गया था, तो मेने रागिनी को धमकाया, कि मे तुम्हें ये बात बताने जा रही हूँ,
मेरी धमकी से वो घबरा गयी और मुझसे बोली - अरे यार मिलकर मज़ा करते हैं… मेरे बाद तू आ जाना…
मे – हुउंम्म… तो ये बात है, तभी मे साला सोचते – 2 पागल हुआ जा रहा था, कि मेरा दिमाग़ काम क्यों नही कर रहा था उस दिन…
खैर ग़लती तो तुमसे भी हुई है, और इस ग़लती की माफी तुम्हें तभी मिलेगी, जब तुम मेरा भी एक काम करोगी…
रीना गिडगिडाते हुए बोली – देखो अंकुश, मेरी ऐसी कोई इंटेन्षन नही थी कि तुमसे कोई ज़ोर जबर्दुस्ति से अपना काम निकलवाऊ, वो तो बस रागिनी की बातों में आ गयी, प्लीज़ मुझे माफ़ करदो यार…!
मेने हँसते हुए कहा – डरो नही ! मे तुम्हें कोई सज़ा नही देने वाला, बस जैसा कहूँ वैसा करती जाना,
इसमें तुम्हारा भी फ़ायदा होगा, तुम जैसे चाहो मेरे साथ सेक्स कर सकती हो…
वो खुश होकर बोली – सच ! बोलो मुझे क्या करना होगा…?
मे – पता करो वो ड्रग अभी भी रागिनी के पास है, या कन्स्यूम हो गया…
रीना – वो तो होगा ही, मे पता लगा लूँगी, फिर…?
मे – शायद कल हमारे टूर का लास्ट दिन है, हो सकता है कल ही हम लोग यहाँ से निकल लें, तो तुम्हें आज ही उसमें से थोड़ा सा ड्रग, जितना मुझे उसने दिया था, लेकर तुम्हें रागिनी को देना होगा किसी भी तरह…और थोड़ा सा मुझे भी देना…
रात को जब उसका असर उसके ऊपर होने लगे, तो उसे लेकर उसी जगह पर आ जाना…
रीना – लेकिन मेरे साथ कुछ ग़लत तो नही करोगे ना तुम…
मे – विश्वास रखो, मे तुम्हें तुम्हारी मन मर्ज़ी से ही मज़ा दूँगा…
मेरी बात सुनकर रीना खुशी से झूम उठी, और उचक कर मेरे होंठों को चूमकर वहाँ से चली गयी…!
घूम घाम कर शाम को हम सब अपने टेंट्स में लौट लिए… कल दोपहर बाद हमें यहाँ से लौटना था,
सबको बोल दिया गया, कि कल जिसको जंगल वग़ैरह देखने हो वो सुबह के टाइम जा सकता है, और 1 बजे तक लौट कर अपना समान वग़ैरह पॅक कर के 3 बजे तक रेडी होना है…
कुछ देर हम सब मिलकर धमा-चौकड़ी मचाते रहे, तब तक खाना रेडी हो गया, सबने एक साथ मिलकर खाना खाया…
रीना ने थोड़ी सी ड्रग मुझे भी दे दी थी, और ये भी कन्फर्म कर दिया, कि जैसा तय हुआ था, उतना उसने रागिनी के खाने में मिला दिया है…
जैसा सोचा था वैसा ही हुआ, लगभग 11 बजे रागिनी और रीना अपने टेंट से बाहर निकली, और उस ओर चल दी… मेने उनके पास थोड़ा देर से जाने की सोची..,
करीब 20-25 मिनिट के बाद में भी उस ओर चल दिया…. वो दोनो एक दूसरे के साथ लेज़्बीयन सेक्स करने में गुत्थी हुई थी…
दोनो के शरीर पर कपड़ा नाम की चीज़ नही थी, रीना तो जैसे बस उसका साथ ही दे रही थी, लेकिन रागिनी पर तो जैसे हवस का भूत ही सवार था…
मुझे देखते ही उसने रीना को छोड़, मेरे कपड़ों पर धावा बोल दिया, और एक मिनिट में ही मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया…
वो मेरे लंड पर किसी भूखी कुतिया की तरह टूट पड़ी.. और चूस-चूस कर चमका दिया…
मेने भी उसे ज़्यादा तरसने नही दिया, और खड़े खड़े ही उसकी एक टाँग उठाकर अपना खूँटा, उसके छेद में ठोक दिया…
जोरदार झटकों की वजह से रागिनी ज़्यादा देर एक टाँग पर खड़ी नही रह पाई, तो मे उसे घोड़ी बनाकर चोदने लगा…
एक बार जमकर रागिनी की चूत चोदने के बाद मेने रीना को अपने पास खींच लिया…
वो तो पहले से ही वासना की आग में बुरी तरह झुलस रही थी, उसकी चूत लगातार चासनी टपका रही थी…
मेने अपना मूसल उसकी गीली चूत में डाल दिया, और उसके मन मुताविक चोदने लगा, वो खुश होगयि…और अपनी गान्ड उठा उठाकर चुदाई का मज़ा लूटती रही…
रीना की मोटी- मोटी चुचियों का रस निचोड़ते हुए मेने उसे उलट-पुलट कर जमकर मज़ा दिया.. अब वो पूरी तरह से संतुष्ट नज़र आ रही थी…
मे उसकी बात ध्यान से सुन रहा था…. हुउऊउंम्म फिर..
रीना आगे बोली – तुम्हारे सोने के कुछ देर बाद ही तुम्हें अजीब सी बैचैनि होने लगी… और तुम उठ कर बाहर चले गये…
रागिनी को पक्का पता था कि ऐसा होगा, इसलिए वो तुम पर नज़र बनाए हुए थी.. और तुम्हारे कुछ देर बाद ही वो तुम्हारे पास चली आई…
मे – ये बातें तुम्हें कैसे पता लगी…?
रीना – यहाँ का टूर डिसाइड होते ही रागिनी बहुत एक्शिटेड थी, मेने उससे इसका कारण पूछा तो वो जोश-जोश में कह गयी… कि ये साला अंकुश अपने आप को बहुत बड़ा हीरो समझता है…
अब देखूँगी ये मेरे चंगुल से कैसे बच पाता है…
जब मेने पूछा कि तू क्या करने वाली है… तो उसने ये कहकर बात टाल दी, की ये तो समय आने पर ही पता चलेगा, तू बस देखती जा.
यहाँ आते ही मेरी नज़र हर समय उसकी हरेक आक्टिविटी पर ही थी, मेने उसे वो ड्रग तुम्हारे खाने में मिलाते हुए देख लिया था…
फिर खाने के बाद जब सोने गये, तब मेने उससे पूछा कि उसने तुम्हारे खाने में क्या मिलाया था, तो उसने ये सब बताया…
मेने कहा – तो तुम वहाँ क्यों गयी…? क्या तुम भी पहले से ही उसके साथ मिली हुई थी…..?
रीना – झूठ नही बोलूँगी, मेरे मन में भी तुम्हें पाने की चाहत तो थी जैसे कॉलेज की ज़्यादातर लड़कियों की है, लेकिन मे रागिनी की तरह तुम्हें पाना नही चाहती थी..
फिर जब मौका हाथ आ ही गया था, तो मेने रागिनी को धमकाया, कि मे तुम्हें ये बात बताने जा रही हूँ,
मेरी धमकी से वो घबरा गयी और मुझसे बोली - अरे यार मिलकर मज़ा करते हैं… मेरे बाद तू आ जाना…
मे – हुउंम्म… तो ये बात है, तभी मे साला सोचते – 2 पागल हुआ जा रहा था, कि मेरा दिमाग़ काम क्यों नही कर रहा था उस दिन…
खैर ग़लती तो तुमसे भी हुई है, और इस ग़लती की माफी तुम्हें तभी मिलेगी, जब तुम मेरा भी एक काम करोगी…
रीना गिडगिडाते हुए बोली – देखो अंकुश, मेरी ऐसी कोई इंटेन्षन नही थी कि तुमसे कोई ज़ोर जबर्दुस्ति से अपना काम निकलवाऊ, वो तो बस रागिनी की बातों में आ गयी, प्लीज़ मुझे माफ़ करदो यार…!
मेने हँसते हुए कहा – डरो नही ! मे तुम्हें कोई सज़ा नही देने वाला, बस जैसा कहूँ वैसा करती जाना,
इसमें तुम्हारा भी फ़ायदा होगा, तुम जैसे चाहो मेरे साथ सेक्स कर सकती हो…
वो खुश होकर बोली – सच ! बोलो मुझे क्या करना होगा…?
मे – पता करो वो ड्रग अभी भी रागिनी के पास है, या कन्स्यूम हो गया…
रीना – वो तो होगा ही, मे पता लगा लूँगी, फिर…?
मे – शायद कल हमारे टूर का लास्ट दिन है, हो सकता है कल ही हम लोग यहाँ से निकल लें, तो तुम्हें आज ही उसमें से थोड़ा सा ड्रग, जितना मुझे उसने दिया था, लेकर तुम्हें रागिनी को देना होगा किसी भी तरह…और थोड़ा सा मुझे भी देना…
रात को जब उसका असर उसके ऊपर होने लगे, तो उसे लेकर उसी जगह पर आ जाना…
रीना – लेकिन मेरे साथ कुछ ग़लत तो नही करोगे ना तुम…
मे – विश्वास रखो, मे तुम्हें तुम्हारी मन मर्ज़ी से ही मज़ा दूँगा…
मेरी बात सुनकर रीना खुशी से झूम उठी, और उचक कर मेरे होंठों को चूमकर वहाँ से चली गयी…!
घूम घाम कर शाम को हम सब अपने टेंट्स में लौट लिए… कल दोपहर बाद हमें यहाँ से लौटना था,
सबको बोल दिया गया, कि कल जिसको जंगल वग़ैरह देखने हो वो सुबह के टाइम जा सकता है, और 1 बजे तक लौट कर अपना समान वग़ैरह पॅक कर के 3 बजे तक रेडी होना है…
कुछ देर हम सब मिलकर धमा-चौकड़ी मचाते रहे, तब तक खाना रेडी हो गया, सबने एक साथ मिलकर खाना खाया…
रीना ने थोड़ी सी ड्रग मुझे भी दे दी थी, और ये भी कन्फर्म कर दिया, कि जैसा तय हुआ था, उतना उसने रागिनी के खाने में मिला दिया है…
जैसा सोचा था वैसा ही हुआ, लगभग 11 बजे रागिनी और रीना अपने टेंट से बाहर निकली, और उस ओर चल दी… मेने उनके पास थोड़ा देर से जाने की सोची..,
करीब 20-25 मिनिट के बाद में भी उस ओर चल दिया…. वो दोनो एक दूसरे के साथ लेज़्बीयन सेक्स करने में गुत्थी हुई थी…
दोनो के शरीर पर कपड़ा नाम की चीज़ नही थी, रीना तो जैसे बस उसका साथ ही दे रही थी, लेकिन रागिनी पर तो जैसे हवस का भूत ही सवार था…
मुझे देखते ही उसने रीना को छोड़, मेरे कपड़ों पर धावा बोल दिया, और एक मिनिट में ही मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया…
वो मेरे लंड पर किसी भूखी कुतिया की तरह टूट पड़ी.. और चूस-चूस कर चमका दिया…
मेने भी उसे ज़्यादा तरसने नही दिया, और खड़े खड़े ही उसकी एक टाँग उठाकर अपना खूँटा, उसके छेद में ठोक दिया…
जोरदार झटकों की वजह से रागिनी ज़्यादा देर एक टाँग पर खड़ी नही रह पाई, तो मे उसे घोड़ी बनाकर चोदने लगा…
एक बार जमकर रागिनी की चूत चोदने के बाद मेने रीना को अपने पास खींच लिया…
वो तो पहले से ही वासना की आग में बुरी तरह झुलस रही थी, उसकी चूत लगातार चासनी टपका रही थी…
मेने अपना मूसल उसकी गीली चूत में डाल दिया, और उसके मन मुताविक चोदने लगा, वो खुश होगयि…और अपनी गान्ड उठा उठाकर चुदाई का मज़ा लूटती रही…
रीना की मोटी- मोटी चुचियों का रस निचोड़ते हुए मेने उसे उलट-पुलट कर जमकर मज़ा दिया.. अब वो पूरी तरह से संतुष्ट नज़र आ रही थी…
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
कुछ देर सुस्ताने के बाद मेने फिरसे रागिनी की तरफ अपना रुख़ किया….
थोड़ी देर उससे लॉडा चुसवाने के बाद, वो फिरसे फनफनाकर खड़ा था अगली जंग जीतने के लिए…
ड्रग का असर उसे ज़्यादा देर शांति से बैठने ही नही दे रहा था…
रागिनी की हवस भी बुरी तरह बढ़ चुकी थी… उसे अब सिवाय मेरे मोटे लंड के और कुछ भी दिखाई नही दे रहा था…!
मेने उसकी वासना को और थोड़ा भड़काया, और उसके कठोरे निप्प्लो को अपने दाँतों से काटने लगा…
प्रतिक्रिया स्वरूप उसकी हवस और भड़क उठी, और वो मेरे लौडे को जबर्जस्ती से पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी…
मेने थोड़ा उसे तरसाते हुए कहा – रागिनी अब अगर तुझे मेरा लंड चाहिए तो जैसे मे चाहूं वैसे तुझे चुदवाना पड़ेगा…
मेरी बात वो फ़ौरन मान गयी, और किसी भूखी कुतिया की तरह पून्छ हिलाते हुए बोली – तुझे जैसे, जो करना है जल्दी कर, और मेरी भट्टी को ठंडा कर्दे प्लीज़…
मेने उसे एक पेड़ के पास खड़ा किया और उसके तने से उसीकि ब्रा से उसके हाथ बाँध दिए…
उसका मुँह पेड़ की तरफ था और वो पीछे को अपनी गान्ड चौड़ा कर झुक गयी…
मेने रीना को बोलकर उसकी ब्रा रागिनी के मुँह में ठूंसवा दिया, जिससे वो चीख ना सके… और अपने लंड को रीना के मुँह में देकर गीला किया…
मेरा लंड ड्रग के असर से इस समय इस पोज़िशन में आ चुका था, कि अगर किसी दीवार में भी पेलता तो वो उसमें भी छेद कर देता…
मेरे लंड का आकार और उसकी कठोरता देख कर रीना ने एक झूर झूरी सी ली…
अब रागिनी को उसके किए का सबक सिखाने का वक़्त आ गया था,
मेने ढेर सारा थूक लेकर उसकी गान्ड के छेद पर रखा, रीना को इशारा किया तो उसने अपने हाथों से उसकी गान्ड के छेद को चौड़ा दिया…
मेरी मनसा जानकार रागिनी कसमसाई, और अपनी गान्ड को इधर उधर करने लगी…
मेने अपनी एक हथेली उसकी गान्ड के एक पाट पर जमाई, मूसल को उसके छेद पर टीकाया, और एक सुलेमानी धक्का अपनी कमर को मार दिया….
छर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर……..की आवाज़ के साथ रागिनी की गान्ड फट गयी…. उसके चूतड़ बुरी तरह से हिलने लगे…. मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में फिट हो चुका था…
उसके मुँह से बस गून..गूणन्.. जैसी आवाज़ें ही निकल पा रही थी… मेने रीना को उसकी चूत सहलाने के लिए कहा, और खुद उसकी चुचियों को मसल्ने लगा…
वो कुछ शांत हुई, तो एक और फाइनल स्ट्रोक लगा कर बॉल बाउंड्री के बाहर…. बोले तो जड़ तक लंड रागिनी की गान्ड में फिट कर दिया…
उसकी आँखों से आँसुओ की बाढ़ सी आ रही थी…टाइट गान्ड पाकर मेरे मूसल की तो बल्ले-बल्ले हो गयी…
वो साला उसके अंदर जाकर और ज़्यादा फूल गया…, कुछ देर और अंदर रखने के बाद मेने अपने खूँटे को बाहर खींचा…
उसपर लाल खून के रेशे दिखाई दे रहे थे, माने रागिनी की गान्ड की दीवारें बुरी तरह डॅमेज हो गयी थी….
लंड निकालकर मेने देखा तो उसकी गान्ड का छेद किसी ब्लॅक होल जैसा दिख रहा था…
थोड़ा सा थूक और उसके छेद में थूक कर मेने फिर से अपने खूँटे को एक साथ ही गाढ दिया… रागिनी एक बार फिर बुरी तरह कसमसाई…
लेकिन हाथ बँधे थे, मुँह में रीना की ब्रा ठूँसी हुई थी, इस बजह से वो कुछ विरोध करने की स्थिति में नही थी…
मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए…, ड्रग के असर से मेरा लंड इतना जल्दी हार मानने वाला नही था…
लगभग आधे घंटे तक में बदस्तूर उसकी गान्ड फाड़ता रहा, फिर उसकी छत-विच्छित गान्ड को अपने वीर्य से भर दिया…
अपनी साँसें इकट्ठा करने के बाद मेने रागिनी के हाथ खोल दिए, उसके मुँह से रीना ने अपनी ब्रा निकाली.. वो वहीं पेड़ की जड़ में पस्त होकर पड़ी रह गयी,
उसकी आँखों से अभी भी पानी बह रहा था…, कुछ ड्रग का असर, और ऊपर से उसकी गान्ड सुन्न हुई पड़ी थी सोते जैसे लंड की मार से….!
बहुत देर तक उसकी गान्ड का सुराख खुला का खुला ही रह गया. जिसमें से मेरा वीर्य, एक सफेद लकीर के रूप में धीरे-2 बाहर रिस रहा था..
उसकी गान्ड के होल की दीवारें लाल सुर्ख हो चुकी थी…मुझे लगा कि ये कुछ दिन ठीक से चल भी पाएगी या नही…
खैर इस सबसे अपना ध्यान हटाकर मेने अपने कपड़े पहने और रीना को उसके पास छोड़कर अपने टेंट में जाकर सो गया…
अगली सुबह, मेरे उठने से पहले ही, अधिकतर लोग जंगल घूमने निकल गये, मेने अनमने भाव से नित्या क्रिया की, और फिर रागिनी की खैर खबर लेने उसके टेंट की तरफ चल दिया…
रीना उठ चुकी थी, लेकिन रागिनी अभी भी बेसूध पड़ी थी, कुछ तो ड्रग का असर, ऊपर से फटी गान्ड का दर्द…
रीना को उसका ख़याल रखने का बोलकर मे भी थोड़ा नदी की तरफ निकल गया, और एकांत जगह देख, उसके किनारे पर बैठकर नदी के निर्मल जल को निहारते हुए सोचने लगा…
रागिनी के बारे में सोचकर, मुझे अपने मन में बड़ी ग्लानि सी होने लगी, मुझे रागिनी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नही करना चाहिए था…
वो तो जैसी थी सो थी, लेकिन मुझे ऐसा नही करना चाहिए था…
बहुत देर तक में यूँ ही बैठा पानी को निहारता रहा, फिर सोचा थोड़ा नहा लिया जाए, और अपने कपड़े निकाल कर नदी के पानी में उतर गया…
नदी के ठंडे पानी का अहसास बदन पर होते ही मुझे राहत महसूस हुई, बहुत देर तक में पानी में नहाता रहा…
फिर बाहर आकर अपने कपड़े उठाए, और गीले बदन मात्र अंडरवेर में ही जंगल के बीच से होते हुए अपने टेंट की तरफ चल दिया…
अभी में जंगल से बाहर निकल भी नही पाया था, कि सामने से मुझे रीना आती हुई दिखी…
उसे देखते ही मेने झट से अपने कपड़ों से गीले अंडरवेर को ढक लिया… जब वो पास आ गयी तो मेने पूछा…
रीना तुम यहाँ क्या कर रही हो…, मेरी बात सुनकर वो बोली…
चलो तुम्हें रागिनी बुला रही है, जब मेने उसे पूछा कि अब वो कैसी है..?
तो उसने बताया, कि अभी ठीक तो है, लेकिन चलने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही है…
फिर उसकी नज़र नीचे को गयी, और मेरे कपड़ों से अंडरवेर को ढके देखा, तो शरारत करने से वो बाज़ नही आई, और झटके से मेरे कपड़े छीन्कर खिल-खिलते हुए झाड़ियों की तरफ भागने लगी…
थोड़ी देर उससे लॉडा चुसवाने के बाद, वो फिरसे फनफनाकर खड़ा था अगली जंग जीतने के लिए…
ड्रग का असर उसे ज़्यादा देर शांति से बैठने ही नही दे रहा था…
रागिनी की हवस भी बुरी तरह बढ़ चुकी थी… उसे अब सिवाय मेरे मोटे लंड के और कुछ भी दिखाई नही दे रहा था…!
मेने उसकी वासना को और थोड़ा भड़काया, और उसके कठोरे निप्प्लो को अपने दाँतों से काटने लगा…
प्रतिक्रिया स्वरूप उसकी हवस और भड़क उठी, और वो मेरे लौडे को जबर्जस्ती से पकड़ कर अपनी चूत पर घिसने लगी…
मेने थोड़ा उसे तरसाते हुए कहा – रागिनी अब अगर तुझे मेरा लंड चाहिए तो जैसे मे चाहूं वैसे तुझे चुदवाना पड़ेगा…
मेरी बात वो फ़ौरन मान गयी, और किसी भूखी कुतिया की तरह पून्छ हिलाते हुए बोली – तुझे जैसे, जो करना है जल्दी कर, और मेरी भट्टी को ठंडा कर्दे प्लीज़…
मेने उसे एक पेड़ के पास खड़ा किया और उसके तने से उसीकि ब्रा से उसके हाथ बाँध दिए…
उसका मुँह पेड़ की तरफ था और वो पीछे को अपनी गान्ड चौड़ा कर झुक गयी…
मेने रीना को बोलकर उसकी ब्रा रागिनी के मुँह में ठूंसवा दिया, जिससे वो चीख ना सके… और अपने लंड को रीना के मुँह में देकर गीला किया…
मेरा लंड ड्रग के असर से इस समय इस पोज़िशन में आ चुका था, कि अगर किसी दीवार में भी पेलता तो वो उसमें भी छेद कर देता…
मेरे लंड का आकार और उसकी कठोरता देख कर रीना ने एक झूर झूरी सी ली…
अब रागिनी को उसके किए का सबक सिखाने का वक़्त आ गया था,
मेने ढेर सारा थूक लेकर उसकी गान्ड के छेद पर रखा, रीना को इशारा किया तो उसने अपने हाथों से उसकी गान्ड के छेद को चौड़ा दिया…
मेरी मनसा जानकार रागिनी कसमसाई, और अपनी गान्ड को इधर उधर करने लगी…
मेने अपनी एक हथेली उसकी गान्ड के एक पाट पर जमाई, मूसल को उसके छेद पर टीकाया, और एक सुलेमानी धक्का अपनी कमर को मार दिया….
छर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर……..की आवाज़ के साथ रागिनी की गान्ड फट गयी…. उसके चूतड़ बुरी तरह से हिलने लगे…. मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में फिट हो चुका था…
उसके मुँह से बस गून..गूणन्.. जैसी आवाज़ें ही निकल पा रही थी… मेने रीना को उसकी चूत सहलाने के लिए कहा, और खुद उसकी चुचियों को मसल्ने लगा…
वो कुछ शांत हुई, तो एक और फाइनल स्ट्रोक लगा कर बॉल बाउंड्री के बाहर…. बोले तो जड़ तक लंड रागिनी की गान्ड में फिट कर दिया…
उसकी आँखों से आँसुओ की बाढ़ सी आ रही थी…टाइट गान्ड पाकर मेरे मूसल की तो बल्ले-बल्ले हो गयी…
वो साला उसके अंदर जाकर और ज़्यादा फूल गया…, कुछ देर और अंदर रखने के बाद मेने अपने खूँटे को बाहर खींचा…
उसपर लाल खून के रेशे दिखाई दे रहे थे, माने रागिनी की गान्ड की दीवारें बुरी तरह डॅमेज हो गयी थी….
लंड निकालकर मेने देखा तो उसकी गान्ड का छेद किसी ब्लॅक होल जैसा दिख रहा था…
थोड़ा सा थूक और उसके छेद में थूक कर मेने फिर से अपने खूँटे को एक साथ ही गाढ दिया… रागिनी एक बार फिर बुरी तरह कसमसाई…
लेकिन हाथ बँधे थे, मुँह में रीना की ब्रा ठूँसी हुई थी, इस बजह से वो कुछ विरोध करने की स्थिति में नही थी…
मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए…, ड्रग के असर से मेरा लंड इतना जल्दी हार मानने वाला नही था…
लगभग आधे घंटे तक में बदस्तूर उसकी गान्ड फाड़ता रहा, फिर उसकी छत-विच्छित गान्ड को अपने वीर्य से भर दिया…
अपनी साँसें इकट्ठा करने के बाद मेने रागिनी के हाथ खोल दिए, उसके मुँह से रीना ने अपनी ब्रा निकाली.. वो वहीं पेड़ की जड़ में पस्त होकर पड़ी रह गयी,
उसकी आँखों से अभी भी पानी बह रहा था…, कुछ ड्रग का असर, और ऊपर से उसकी गान्ड सुन्न हुई पड़ी थी सोते जैसे लंड की मार से….!
बहुत देर तक उसकी गान्ड का सुराख खुला का खुला ही रह गया. जिसमें से मेरा वीर्य, एक सफेद लकीर के रूप में धीरे-2 बाहर रिस रहा था..
उसकी गान्ड के होल की दीवारें लाल सुर्ख हो चुकी थी…मुझे लगा कि ये कुछ दिन ठीक से चल भी पाएगी या नही…
खैर इस सबसे अपना ध्यान हटाकर मेने अपने कपड़े पहने और रीना को उसके पास छोड़कर अपने टेंट में जाकर सो गया…
अगली सुबह, मेरे उठने से पहले ही, अधिकतर लोग जंगल घूमने निकल गये, मेने अनमने भाव से नित्या क्रिया की, और फिर रागिनी की खैर खबर लेने उसके टेंट की तरफ चल दिया…
रीना उठ चुकी थी, लेकिन रागिनी अभी भी बेसूध पड़ी थी, कुछ तो ड्रग का असर, ऊपर से फटी गान्ड का दर्द…
रीना को उसका ख़याल रखने का बोलकर मे भी थोड़ा नदी की तरफ निकल गया, और एकांत जगह देख, उसके किनारे पर बैठकर नदी के निर्मल जल को निहारते हुए सोचने लगा…
रागिनी के बारे में सोचकर, मुझे अपने मन में बड़ी ग्लानि सी होने लगी, मुझे रागिनी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नही करना चाहिए था…
वो तो जैसी थी सो थी, लेकिन मुझे ऐसा नही करना चाहिए था…
बहुत देर तक में यूँ ही बैठा पानी को निहारता रहा, फिर सोचा थोड़ा नहा लिया जाए, और अपने कपड़े निकाल कर नदी के पानी में उतर गया…
नदी के ठंडे पानी का अहसास बदन पर होते ही मुझे राहत महसूस हुई, बहुत देर तक में पानी में नहाता रहा…
फिर बाहर आकर अपने कपड़े उठाए, और गीले बदन मात्र अंडरवेर में ही जंगल के बीच से होते हुए अपने टेंट की तरफ चल दिया…
अभी में जंगल से बाहर निकल भी नही पाया था, कि सामने से मुझे रीना आती हुई दिखी…
उसे देखते ही मेने झट से अपने कपड़ों से गीले अंडरवेर को ढक लिया… जब वो पास आ गयी तो मेने पूछा…
रीना तुम यहाँ क्या कर रही हो…, मेरी बात सुनकर वो बोली…
चलो तुम्हें रागिनी बुला रही है, जब मेने उसे पूछा कि अब वो कैसी है..?
तो उसने बताया, कि अभी ठीक तो है, लेकिन चलने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही है…
फिर उसकी नज़र नीचे को गयी, और मेरे कपड़ों से अंडरवेर को ढके देखा, तो शरारत करने से वो बाज़ नही आई, और झटके से मेरे कपड़े छीन्कर खिल-खिलते हुए झाड़ियों की तरफ भागने लगी…
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
bahut hi mast update hai dost
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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