हरामी साहूकार complete

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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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आज जैसी चुदाई उसने अपनी पूरी लाइफ में नही की थी....
पर अपनी चुदाई की ताक़त पर आज लाला को बहुत फक्र हो रहा था....

उन तीनो के चेहरों पर भी संतुष्टि के भाव थे....
जैसा उन्होने सोचा था आज सब वैसा ही हुआ था...

बाद में सब मिलकर लाला के बाथरूम में नहाये...
लाला के लंड को भी उन्होने अच्छे से सॉफ किया और कपड़े पहन कर वो अपने-2 घर की तरफ चल दिए..

अगले दिन नंदू का जन्मदिन था...
ये निशि के लिए काफ़ी ख़ास दिन था...
वो अपने भाई को हर खुशी दे देना चाहती थी...

और ऐसा ही कुछ उसकी माँ ने भी सोच रखा था..

और पिंकी ने भी.

अगले दिन सुबह के समय नंदू के खेतो से एक बड़े से पेड़ के नीचे से जोरों की आवाज़ें आ रही थी...

वहां का माहौल ही इतना गर्म था की कपड़े पहने रखना उन माँ बेटे के लिए काफ़ी मुश्किल था..

हवस उन दोनों के ऊपर इतनी चढ़ चुकी थी की अब वो खुल कर चुदाई करने से भी नहीं चूक रहे थे, वैसे वो जहाँ चुदाई कर रहे थे वहां पीछे की तरफ पूरा जंगल था, जहाँ से किसी के भी आने की कोई उम्मीद नहीं थी, और सामने की तरफ से कोई आता हुआ दूर से ही दिख जाता, वैसे भी गोरी एक मोटे से पेड़ के तने को पकड़ कर उसकी आड़ में खड़ी थी, जो आसानी से दिखाई नहीं दे रही थी दूर से भी.

नंदू ने अपनी माँ को घोड़ी बना रखा था और अपना देसी लंड उसकी रसीली चूत में दना दन पेल रहा था..

''ओह माँमाआआआआआ...........कितनी रसीली है रे तेरी चूऊत......अहह.....एक ही बार में लंड बिना थूक लगाए अंदर चला जाता है....''



उसने अपनी माँ के भरे हुए कूल्हे ट्रेक्टर के स्तेयरिंग की तरह पकड़ रखे थे और फुल स्पीड से अपने हल नुमा लंड से वो अपनी माँ के खेत को जोत रहा था...

नंदू की माँ गोरी भी पेड़ पर अपने हाथ टिकाए पीछे से मिल रहे लंड को अंदर लेकर सिसकारियां मार रही थी...

हर झटके से उसके मुम्मे उछलकर उसके गले से आ टकराते और उसके पूरे बदन में एक सरसराहट सी दौड़ जाती...

अब तो उन्हे खेतो की फ़िक्र भी नही रह गयी थी...
आज से पहले वो सुबह आकर सबसे पहले क्यारियों में पानी देते थे ...
खाद डालते थे ...
पूरे खेत का मुआयना करते थे ...
पर इस निगोडी चुदाई के चक्कर में वो सब भूल ही चुके थे जैसे...
अब तो सुबह आते ही दोनो अपने टुबवेल्ल वाले कमरे में जाकर नंगे हो जाते और जी भरकर एक दूसरे की चुदाई करते...और आज तो बहार खुल्ले में ही शुरू हो गए थे , आगे पता नहीं और क्या -२ होने वाला था उनके बीच...

''ओह बेटाआआआ.... उम्म्म्ममममममममममम....शाबाश.....ऐसे ही चोद मुझेsssss....अहहsssssss ....कसम से......अपने बाप से भी ज़्यादा कड़क है तू तो......उम्म्म्मममममममम....''

बोलते हुए उसके मुँह से लार निकल कर नीचे गिर रही थी..
जो उसके गर्म बदन पर गिरकर उसे और सुलगा रही थी...

और जल्द ही नंदू की स्पीड तेज होने लगी....
गोरी समझ गयी की उसके खेतों में खाद पड़ने वाली है....
और वो पड़ भी गयी....
सफेद दूध वाली खाद...
पोष्टिक...
जिसे महसूस करके उसकी चूत ने भी ढेर सारा देसी घी निकाल दिया और दोनो का मिला जुला रस उस खेत की मिटटी को और उपजाऊ बनाने में लग गया...

नंदू हाफ्ते हुए अपनी माँ की पीठ पर गिर सा गया....
गोरी ने पलटकर उसे अपने गुदाज मुम्मो से लगा लिया और उसके चेहरे को चूमती हुई बोली : "जन्मदिन मुबारक हो बेटा.....ऐसे ही हमेशा अपनी माँ को खुश रखना....''

जवाब मे नंदू ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ के रसीले होंठो को चूम लिया...
आज वो 20 साल का हो चुका था और पिछले सभी सालो के मुक़ाबले उसे अपना ये जन्मदिन हमेशा के लिए याद रहने वाला था...
अभी तो सिर्फ़ शुरूवात थी.
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kunal
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Re: हरामी साहूकार

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नंदू को भी पता था की आज उसके साथ पूरा दिन कुछ ना कुछ स्पेशल होता रहेगा...
सुबह स्कूल जाने से पहले निशि ने भी उसे आकर एक रसीली सी किस्स दी थी और ये भी बोली थी की आज अपने स्पेशल गिफ्ट का इन्तजार करना.....

और अब खेतो में आते ही उसकी माँ ने इतनी गर्मजोशी के साथ अपनी चूत में उसका लंड लिया था मानो बरसो की प्यासी हो....
वैसे भी नंदू को अपनी माँ की यही बात तो पसंद थी...
हर बार उनका जोश पहले जैसा ही रहता था...
अब रहे भी क्यो नही,
इतने सालो बाद जो लंड का स्वाद मिला है उसकी चूत को,
उसका मज़ा तो ऐसे ही मिलता है ना..

उसके बाद दोनो अंदर गए और उस पानी की होदी में घुसकर अच्छे से नहाए और फिर बाद में खेतो के काम में जुट गये...

गोरी आज अपने बेटे के जन्मदिन पर उसे पूरी तरह से खुश कर देना चाहती थी...
जिसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार थी...
आज की शाम वो नंदू के जीवन की एक यादगार शाम बना देना चाहती थी...
इसलिए खेतों का काम निपटा कर वो दोनो जल्दी ही घर की तरफ निकल गये.

5 बजने को आ रहे थे और निशि अभी तक स्कूल से घर नही आई थी, गोरी समझ गयी की वो पिंकी के घर ही होगी पर उसे क्या पता था की उसकी लाडली बेटी पिंकी के साथ क्या प्लानिंग कर रही है..

खैर, वो रात की तैयारी में जुट गयी...
सबसे पहले तो उसने अपने बेटे का मनपसंद खाना बनाया और साथ में खीर भी जो उसे सबसे ज़्यादा पसंद थी...

और सारे काम निपटा कर वो नंदू के कमरे में गयी जहाँ वो खेतो से आने के बाद लंबी तान कर सो रहा था..

उसे उपर से नीचे तक निहारते हुए उसके बदन में एक बार फिर से चींटियां रेंगने लगी...

वो भी सोचने लगी की ये हो क्या गया है मुझे....
इतने सालो तक चुदाई से दूर रहने के बाद अब दिन में 2-3 बार करवाने का मन क्यो करने लगा है उसका भला...
जैसे की अब...
अभी सुबह ही तो उसने जी भरकर नंदू के लंड से चुदाई करवाई थी और अब उसे ऐसे सोता देखकर उसका लंड फिर से लेने की ललक जाग रही थी उसके मन में ..

नंदू ने इस वक़्त एक बनियान और धोती ही पहन रखी थी...
उसकी सुडोल बाजुए और मोटी जांघे उसे ललचा रही थी...
वो उसके करीब जाकर बैठ गयी और अपने हाथ से उसके कसरती बदन को सहलाने लगी.

गोरी का हाथ उसकी छाती से होता हुआ धीरे-2 नीचे आने लगा...
और उसकी नाभि पर आकर ठहर गया....
नीचे जाने में पता नही उसे कुछ संकोच सा हो रहा था पर कुछ सोचकर उसने हाथ नीचे करना शुरू कर दिया...
और जब हाथ जाकर उसके खजाने पर लगा तो उसे एहसास हुआ की वो पहले से ही खड़ा है....
उसने चौंकते हुए उसके चेहरे को देखा तो उसे मुस्कुराता हुआ पाया...
यानी वो आँखे मूंदकर अपनी माँ के सहलाने का मज़ा ले रहा था..

गोरी : "बड़ा बदमाश हो गया है रे तू तो....जाग रहा था तो सोने का नाटक क्यों करता रहा...''

नंदू ने अपनी माँ की कमर में हाथ डालकर उन्हे अपनी छाती पर गिरा लिया और बोला : "अगर ऐसा ना करता तो मुझे पता कैसे चलता की मेरी माँ मुझे सोते हुए देखकर भी मेरा लंड लेने के लिए तड़प रही है....''

गोरी ने भी आँखे तरेरते हुए कहा : "तू भी तो पिछले १-२ सालो से रात को उठ- यही सब करता रहता था, मैंने तो कभी कुछ नहीं कहा तुझे ''

नंदू भी ये सुनकर हैरान रह गया, उसे आखिरी के कुछ दिनों में तो लगा था की उसकी माँ जाग रही है पर वो पिछले १-२ साल से हर बार जाग रही थी ये उसे पता नहीं था , पर जो भी था उन १-२ सालो की मेहनत का ही फल था जो अब उसकी माँ इस तरह उसकी बाँहों में लेटी हुई थी

उसने मुस्कुराते हुए अपनी माँ के रसीले होंठ अपने मुँह में लिए और उन्हे जोरों से चूसना शुरू कर दिया...
जैसे कह रहा हो की चुप भी हो जाओ माँ, कितना बोलती हो तुम.



गोरी भी सब कुछ भूलकर नंदू का साथ देने लगी की तभी पीछे से की आवाज़ ने उन दोनो को चोंका दिया

''ओ हो ....मेरे भाई का जन्मदिन तो बड़े शानदार तरीके से मनाया जा रहा है....हा...हा ''

दोनो ने चौंकते हुए निशि को देखा जो ना जाने कब से उनके पीछे आकर खड़ी हो गयी थी....

हालाँकि उन्हे ज़्यादा घबराने की ज़रूरत तो नही थी क्योंकि उनके बीच का परदा तो कब का गिर चुका था पर फिर भी ऐसे एकदम से पकड़े जाने के बाद वो निशि से नज़रे नही मिला पा रहे थे...

निशि ने ही चहकते हुए उन दोनो को उस स्थिति से उबारा ,
वो बोली : "अर्रे....माँ ...इतना क्यों परेशान हो रहे हो...आज भाई का बर्थडे है...आज के दिन तो इन्हे सब कुछ एलोव है...मैं भी होती तो यही करती जो इस वक़्त आप कर रही हो...''

इतना कहते हुए वो घूमकर बेड के दूसरी तरफ से आई और नंदू की बगल में बैठ गयी, जैसे सामने उसकी माँ बैठी हुई थी...
और वो कुछ सोच पाते इससे पहले ही निशि ने नीचे झुककर अपने नर्म और मुलायम होंठ अपने भाई के होंठो पर रख दिए और उन्हे बुरी तरह से चूसने लगी...
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Re: हरामी साहूकार

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कुछ देर पहले अपनी माँ के और अब अपनी बहन के होंठ चूसते हुए अब नंदू को सही में लग रहा था की आज के दिन का राजा वही है...
जिन नशीले जिस्मो को देखते हुए वो जवान हुआ था वो अब दोनो तरफ से उसपर गिरे जा रहे थे.

नंदू भी मुस्कुराते हुए अपनी कमसिन बहन को चूसने लगा...
उन दोनो की माँ भी हंसते हुए उनका साथ देने लगी...
एक हाथ से अपनी बेटी का तो दूसरे से अपने बेटे का सिर सहलाने लगी...
और उसके मन में ख़याल आया की काश इस दुनिया में भाई बहन की शादी का भी रिवाज चल पड़े..
ऐसा हुआ तो उसे अपने बेटे के लिए बाहर किसी का मुँह ना देखना पड़ता और ना ही उसे अपने बेटे को किसी और का होते हुए देखना पड़ता...
घर की बात घर में ही रह जाती...
पर वो भी जानती थी की ये हो नही सकता...
इसलिए उसने इस ख़याल को ही दिमाग़ से निकाल दिया..
और अपना हाथ नीचे लाते हुए अपने बेटे की धोती में डालकर उसके छोटे सिपाही को सहलाने लगी.

निशि ने अपनी लंबी स्मूच तोड़ते हुए कहा : "अर्रे भाई, इतने गरम माहौल में आप ये कपड़े पहन कर कैसे सो रहे हो....मुझसे तो नही पहने जा रहे अपने ये कपड़े..''

इतना कहते हुए उसने अपनी स्कूल की ड्रेस को नीचे से पकड़ कर घुमाया और गले से निकाल दिया.

अंदर तो उसने कुछ पहना ही नही था हमेशा की तरहा...
एक ही पल में उसकी नंगी छातियां अपना शबाब बिखेरते हुए नंदू के सामने थी..

और तब नंदू को पता चला की वो ऐसा क्यो करना चाह रही थी...
उसने अपने बूब्स के उपर वाले हिस्से पर ग्लिट्टर वाले पेन से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था...
ख़ास नंदू के लिए...
शायद पिंकी की मदद से उसने ये कलाकारी की थी...
जो नंदू को काफ़ी पसंद आई..



निशि के गोरे-2 स्तन अपना गुलाबीपन बिखेरते हुए नंदू और उसकी माँ के सामने झंडे की तरह लहरा रहे थे.

गोरी भी अपनी बेटी की इस बेबाकी पर हैरान थी...
उसने निशि की छातियों को देखा जो ठीक वैसी ही थी जैसी उसकी थी जब वो इस उम्र में थी....
यानी अभी से वो बता सकती थी की बड़ी होकर उसकी छातियां कैसी रसीली बनने वाली है...उसकी तरह.

निशि ने इशारा करके अपनी माँ से भी वैसा ही करने को कहा...
यानी कपडे उतारने को...गोरी ने घर आने के बाद सिर्फ एक गाउन से अपने नंगे बदन को धक् रखा था.

पहले तो वो झिझकी पर जब निशि ने कहा की आज भाई का बर्थडे है और आज के दिन इन्हे खुश करने के लिए हमे कुछ भी करना पड़ेगा तो वो मान गयी...
वो भी तो यही सोचकर आई थी आज की अपने बेटे के जन्मदिन को यादगार बना देगी..

वो अपनी जगह से उठी और उसने अपना गाउन निकाल कर एक कोने में उछाल दिया.

अब वो भी अपने यौवन की कला का प्रदर्शन अपने बच्चो के सामने बेशर्मी से कर रही थी...



निशि ने नंदू को देखा और आँखो ही आँखो का इशारा करके दोनो उसके करीब आ गये..
और एक साथ दोनो भाई बहन ने अपने-2 मुँह अपनी माँ के मोटे स्तानो पर लगा दिए और उन्हे चूसने लगे जैसे उसका दूध पे रहे हो...

गोरी भी उन दोनो की शरारत पर मुस्कुरा उठी और उन दोनो के मुँह मे अपने मुम्मे ठूसते हुए उन्हे अपना दूध पिलाने लगी...

कुछ देर बाद निशि ने अपना मुँह बाहर निकाला और बोली : "भाई...आज तो तुम्हारा दिन है..और आज के दिन के लिए मैं तुम्हारे लिए एक ख़ास तोहफा लाई हूँ ''

ख़ास तोहफा सुनते ही नंदू की आँखो में चमक आ गयी..सुबह से उसके दिमाग में यही चल रहा था की आखिर वो ख़ास तोहफा क्या होगा , अब वक़्त आ चूका था वो जानने का. नंदू भी जानता था की जिस अंदाज से वो बोल रही है वो कुछ ख़ास ही होने वाला है...

वो नंदू का हाथ पकड़ कर बाहर खींचती हुई ले गयी और बाहर आकर नंदू ने देखा की उसकी चारपाई पर कोई लेटा हुआ है...जिसे निशि ने एक चादर से ढका हुआ है...
देखने से सॉफ पता चल रहा था की अंदर कोई इंसान है..
इसलिए नंदू घबरा भी रहा था की ऐसे मौके पर निशि ये किसे ले आई है,
क्योंकि इस वक़्त उसकी बहन और माँ नंगे खड़े थे वहां और वो भी खड़ा लंड लिए वहीं पर था.

निशि ने उसे आगे बढ़कर उस चादर को हटाने के लिए कहा..
और नंदू ने उसका कहना मानकर धीरे-2 चादर खींचनी शुरू कर दी...



जैसे-2 चादर खिसकती जा रही थी वैसे-2 अंदर से एक खूबसूरत नंगा जिस्म बाहर आ रहा था...
जिसे देखकर नंदू का मुरझा रहा लंड फिर से अकड़ने लगा...
अकड़ता भी क्यो नही,
आज उसकी बहन ने उसकी लाइफ का सबसे अच्छा गिफ्ट जो दिया था उसे...
वो थी रेशम की चादर में लिपटी नंगी पिंकी.

और पिंकी भी आज पहली बार बिना अपने नंगेपन की शर्म के नंदू की आँखो में आँखे डालकर मुस्करा रही थी..

गोरी भी पिंकी को वहाँ देखकर हैरान थी....
वो खुद इस वक़्त नंगी खड़ी थी पर अब अपने आप को छुपाने का कोई फायदा नही था..
पिंकी उसे नंगा देख चुकी थी....
निशि भी उपर से नंगी ही थी और पिंकी तो खुद ही पूरी नंगी थी.

पिंकी धीरे-2 चलती हुई नंदू के करीब आई और उसके सामने आकर खड़ी हो गयी...
नंदू को ऐसा लगा जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है...
पूरी नंगी.
उसका चिकना बदन, मोठे -२ मुम्मे और उनपर लगे ब्राउन कलर के निप्पल बड़े दिलकश लग रहे थे,
और बिना बालों वाली चूत तो सबसे घातक लग रही थी उसे.



निशि : "देख क्या रहे हो भाई.....आगे बडो और अपने इस जन्मदिन के तोहफे को उठा कर अंदर ले चलो....''

नंदू को दूसरी बार कहने की ज़रूरत नही पड़ी....
उसने अपनी मजबूत बाहों में अपने सपनो की रानी पिंकी के नंगे जिस्म को उठाया और उसे लेकर अंदर वाले कमरे में आ गया और उसे उसी बेड पर लिटा दिया जहा कुछ देर पहले वो लेटा हुआ था..

निशि तब तक अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी....
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Re: हरामी साहूकार

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अब सिर्फ़ कपड़ो में वहाँ नंदू ही बचा था....
इसलिए वो दोनो माँ बेटियों ने मिलकर नंदू के भी सारे कपड़े निकाल फेंके...

नंदू का लंड तो यही सोच-सोचकर पागल हुए जा रहा था की आज उसे पिंकी की चूत मिलने वाली है...
बचपन से ही वो उसके सपनो की रानी रही थी...
जब भी वो निशि से मिलने घर आती थी तो उसके मनमोहक चेहरे को देखकर वो रात को मूठ ज़रूर मारा करता था...
उसी के सामने वो जवान हुई थी और आज वही जवानी उसके 20वे जन्मदिन पर उसके सामने नंगी पड़ी थी उसके बेड पर...
उसके जन्मदिन के तोहफे के रूप में ...



नंदू के नंगा होते ही निशि ने पिंकी को उठाया और उसे नंदू के लंड के सामने बिठा दिया...
बाकी का काम तो पिंकी अच्छे से जानती थी...
लाला के लंड को गन्ने की तरह चूस-चूस्कर उसे इतनी समझ तो आ ही चुकी थी की इन गन्नो का रस कैसे निकाला जाता है.

पिंकी को भी नंदू शुरू से ही पसंद था...
इसलिए जब निशि ने उसे ये सब करने को कहा तो उसने भी मना नही किया...
लाला का लंड लेने के बाद उसमे इतनी दिलेरी तो आ ही चुकी थी की अब वो किसी का भी लंड लेने के लिए तैयार थी और जब अपने क्रश की बात आए तो कौन भला मना करेगा...

और अब वो उसी क्रश के गन्ने को क्रश करने में लगी हुई थी...
अपने मुँह से...



और नंदू भी उसके मुँह में अपने लंड को धीरे-२ करके अंदर दाल रहा था..

''आअह्हह्ह्ह्ह .............. ऐसे ही ...... . पिंकीsssssssss .......मेरी जाआआआंन ''

पिंकी को भी अच्छा लगा जब नंदू ने उसे अपनी जान कहा.

यानी वो भी उसे पसंद करता था....
करता भी क्यो नही...
वो थी ही इतनी खूबसूरत.

और कुछ देर तक उसे चूसने के बाद जब वो पहले जैसा कड़क हो गया तो नंदू ने उसे बेड पर पटक दिया....

वो समझ गयी की मिलन की बेला आ चुकी है...

निशि और उसकी माँ भी उन दोनो के अगल बगल आकर खड़े हो गये...
इस ऐतिहासिक चुदाई के गवाह बनने के लिए..

नंदू ने पिंकी की चूत को सबसे पहले एक गीला सा चुम्मा दिया....चुम्मा क्या दिया उसे मुंह में लेकर चूस ही डाला
ताकि वो जान सके की जितना पानी उसके लंड से निकल रहा है उतना ही उसकी चूत में से भी बह रहा है या नही...



और उसका अंदाज़ा सही निकला....
वो वैसी ही थी जैसी उसने सोची थी.

एकदम गीली और रस से सराबोर

नंदू उसके उपर आया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उसके उपर झुकता चला गया...

हालाँकि उसे लग रहा था की वो दर्द से चीख पड़ेगी जब वो उसका मोटा लॅंड अंदर लेगी तो...
पर ऐसा कुछ नही हुआ...
वो भला क्या जानता था की उसके इस काम को लाला ने अपना लंड डालकर कितना आसान कर दिया है..

पर फिर भी एक नये लंड के अंदर जाने से होने वाली सुससुराहट को महसूस करके वो गुनगुना ज़रूर उठी...

''आआआआआआआआआआआआहह....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....नंदुऊऊुुुुउउ....... उम्म्म्ममममममममममममम...... मजाआाआआ आआआआआआ गय्ाआआआआआआअ''
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Re: हरामी साहूकार

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एक लड़की जब पहली ही चुदाई में जब ये बोले की मज़ा आ गया तो मर्द को समझ लेना चाहिए की वो अच्छे से खेली खाई है...

खैर, नंदू को इस बात से क्या लेना था....
वो तो उसके हुस्न का इतना दीवाना था की उसे इसी बात की खुशी थी की वो पिंकी को चोद रहा है..



बस फिर तो उसने उसकी जाँघो को दोनो हाथो से दबाया और उसे जोरों से पेलने लगा...

आज जैसी उत्तेजना का संचार उसमे कभी नही हुआ था...

पर वो अपनी इस उत्तेजना को संभाल कर रख नही पा रहा था...
मौका ही ऐसा था...
इतनी गर्म जिस्म की मालकिन पिंकी उसके सामने नंगी पड़ी चुदवा जो रही थी...

इसलिए ना चाहते हुए भी उसके लंड ने समय से पहले उसका साथ छोड़ दिया और उसके लंड का गर्म पानी निकलकर पिंकी की नन्ही सी चूत में जाने लगा..

वो तो पहले से ही झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी, नंदू के गर्म माल ने उसकी चूत की भट्टी को और भी दहका दिया और वो भी उसके साथ झड़ गयी...



दोनो एक दूसरे के अंदर अपना-2 माल निकाल कर लिपटे हुए जोरों से साँसे लेने लगे..

कुछ देर बाद जब वो अलग हुए तो निशि सीधा उनके मिलन स्थल यानी लंड और चूत के करीब लपकी और वहां से निकल रहे रस को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी...

गोरी तो आज अपने बच्चों की कलाकारी देखकर हैरान थी...

ना तो उसने निशि को आज से पहले ऐसी हरकतें करते हुए देखा था और ना ही नंदू को इतनी कुशलता के साथ चुदाई करते हुए..

उसके बच्चे कब इतने बड़े हो गये ये तो उसे भी पता नही चला..

और ये पिंकी भी तो...
जो उसी के सामने बड़ी हुई थी कितनी आसानी से उसने नंदू के लंड को अंदर ले लिया...
फिर अचानक उसे वो ख़याल आया जो कुछ देर पहले भी आया था..
नंदू की शादी का...
जो निशि से तो हो नही सकती थी...
पर पिंकी से तो हो सकती है ना...
ये सही रहेगा...
उसने मन में निश्चय कर लिया की वो जल्द ही नंदू से इस बारे में बात करेगी और वो अगर राज़ी हुआ तो पिंकी के माँ बाप से उसका रिश्ता माँग लेगी..
भले ही शादी बाद में हो पर वो बात जल्द से जल्द पक्की कर लेना चाहती थी.

पर अभी के लिए उसे अपने इन विचारों से बाहर आना पड़ा क्योंकि निशि ने अपनी माँ को खींचकर अपनी दावत में बुला लिया जहाँ चारों तरफ खीर ही खीर बिखरी पड़ी थी..

उसके बेटे के लंड से और उसकी होने वाली बहू की चूत से निकल रही खीर.

निशि ने नंदू के लंड को चूसना शुरू कर दिया तो गोरी ने पिंकी की चूत को...

कुछ ही देर में दोनो ने सारा माल सफाचट कर दिया..

और साथ ही साथ नंदू के लंड को फिर से एक नयी चुदाई के लिए भी तैयार कर दिया..

और इस बार उन माँ बेटी का नंबर था...
आख़िर बर्थडे गिफ्ट देने के बाद रीटर्न गिफ्ट तो उन्हे भी चाहिए था ना..

और इस वक़्त लंड से बड़ा रिटर्न गिफ्ट भला क्या हो सकता था..

और उसी बड़े से गिफ्ट को लेने के लिए वो दोनो घोड़ी बनकर नंदू के सामने ओंधी हो गयी.

नंदू ने भी अपने लंड को थूक लगा कर पहले अपनी माँ चूत में पेला क्योंकि वो जानता था की उनकी हालत इस वक़्त सबसे ज़्यादा खराब थी...



''आआआआआआआआआआआआअहह.....ओह....नंदू.......... मजाआाआआ आआआआआआ गय्आआआआआआआ...''

और फिर 8-10 घस्से लगाने के बाद उसने वो लपलपाता हुआ लंड निकाल कर अपनी बहन निशि की चूत में डाल दिया...

''ओह भाई...........................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्ममममममम...... क्या मजेदार एहसास है इसका.......ज़ोर से चोदो मुझे भाई .....ज़ोर से...''

अपनी बहन की बात को वो भला कैसे नकार सकता था...
आख़िर उसी की वजह से तो आज उसका जन्मदिन इतना मजेदार निकल रहा था...
उसने तो सपने में भी नही सोचा था की एक ही छत्त के नीचे वो माँ और बहन के साथ-2 पिंकी की चूत भी मार पाएगा...

पर उसे क्या पता था की जो खिचड़ी उसकी माँ के दिमाग़ मे पक रही है उसके बाद तो ये कारनामा हर रात हुआ करेगा..

उसने अपनी बहन के नशीले कूल्हे पकड़ कर उसे जोरों से पेलना शुरू कर दिया..
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