"असल कहां है ?"
"असल कल मिलेगी।"
"क्यों ? आज क्यों नहीं ? अभी क्यों नहीं ?"
"अभी वो मेरे पास नहीं है। मैं कल खुद लैजर बुक तुम्हारे पास पहुंचा दूंगा।"
"पक्की बात ?"
"हां ।”
"कोई घोटाला करने की कोशिश न करना ।"
"नहीं करूंगा।"
"बड़ी गारंटी कर रहे थे तुम" - अब उसके स्वर में व्यंग्य का पुट आ गया - "कि सबकी हथेलियां देखने पर यह पता लग जाएगा कि कत्ल किसने किये हैं। जिसकी हथेलियों पर पंक्चर मार्क होंगे वही हत्यारा होगा।
" मैं खिसियानी-सी हंसी हंसा ।
"जानते हो !" - यादव बोला ।
"क्या ?"
"यहां मौजूद तमाम लोगों में से सिर्फ एक ही शख्स की हथेली में पंक्चर मार्क थे।"
"किसकी ?" - मैं उत्तेजित स्वर में बोला ।
"मेरी ।" - उसने अपना दायां हाथ मेरे सामने फैला दिया। मुझे जवाब न सूझा ।
कमला मुझे स्टडी में मिली । वह बार के सामने खड़ी थी। उसके हाथ में ड्रिंक का गिलास था और उसका चेहरा फिक्रमंद और पीला लग रहा था। मेरे से बिना पूछे ही उसने मेरे लिए ड्रिक तैयार कर दिया। मैं उसके करीब पहुंचा तो उसने खामोशी से गिलास मुझे थमा दिया । मैंने एक घुट पिया और गिलास काउण्टर पर रख दिया ।
| वह मेरे करीब आई । उसने मेरी आंखों में आंखें डाली । उसकी आंखों में ऐसा भाव था जैसे बकरी जिबह करने के
लिए ले जाई जा रही हो । मैं कुछ ऐसा प्रभावित हुआ कि अपने आप ही मेरी बाहें खुल गई । वह मेरे आगोश में आ गई और हौले-हौले सुबकने लगी । अपने होठों से उसके खूबसूरत कपोलों पर से आंसुओं की बूंदे चुनता हुआ मैं उसे दिलासा देता रहा । अंत में वह खामोश हुई और मुझसे अलग हुई।
"तुम कुछ दिन यहीं ठहर जाओ।" - वह बोली ।।
"सॉरी, स्वीट हार्ट” - मैंने फिर अपना गिलास उठा लिया - "यह मुमकिन नहीं।"
"या सिर्फ आज रात ।"
"क्यों ? क्या फिर मुझे बेहोश करके कहीं जाने का इरादा है ?"
"राज, मैं पहले ही कह चुकी हूं कि मैंने तुम्हें बेहोशी की दवा नहीं पिलाई थी ।"
"छोड़ो । कोई और मतलब की बात करो ।”
“मतलब की बात क्या?"
"बीस हजार की डाउन पेमंट के बाद मुझे कुछ और रकम भी मिलने वाली थी।"
"मिलेगी । जरूर मिलेगी ।"
"वह रकम मैं अभी चाहता हूं।"
"क्यों ? क्योंकि तुम समझते हो मैं गिरफ्तार हो जाने वाली हूं और गिरफ्तार होकर फांसी चढ़ जाने वाली हूं?"
मैं खामोश रहा । मेरे मन में ऐसा ही कुछ था ।
"तुम शायद भूल रहे हो कि मुझे इस झमेले से निकालने के बाद ही तुम उस रकम के हकदार बन सकते हो।”
"तुम पर जो बीतनी है, वह आने वाले दो-तीन दिनों में सामने आ जायेगी । तुम मुझे एक हफ्ते बाद की तारीख डाल . के चैक दे दो।"
"बड़े बेमुरब्बत आदमी हो ।”
"सिर्फ पैसे के मामले में"
"अच्छी बात है । देती हूं चैक ।"
उसने मुझे एक लाख अस्सी हजार रुपये का चैक काट दिया। चैक हाथ में आने पर मैंने महसूस किया कि उस रकम का मालिक बनने के लिए अब मेरे लिए जरूरी था कि मैं या तो कमला को बेगुनाह साबित करके दिखाऊं और या किसी अत्यंत विश्वसनीय तरीके से उसका अपराध किसी और के सिर थोपकर दिखाऊं।
और इस काम के लिए एक कैंडिडेट था मेरी निगाह में - जान पी एलैग्जैण्डर ।
अगली सुबह जान पी एलैग्जैण्डर मेरे फ्लैट पर पहुंच गया।
"वैलकम ।" - मैं बोला।
उसने खमोशी से मेरे फ्लैट में कदम रखा। “तुम जरा बैठो।" - मैं बोला - "मैं अभी आया ।"
"किधर जाने का है?" - वह बोला ।
"ज्यादा दूर नहीं । जरा नीचे तक । यह तस्दीक करने के लिए कि तुम अकेले आये हो ।”
बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"अबे छोकरे, किसी का विश्वास करना सीख ।"
"सीखूगा । सीखने के लिए अभी सारी उम्र पड़ी है।"
मैंने नीचे का चक्कर लगाया । नीचे ड्राईवर तक नहीं था। वह अपनी इम्पाला खुद चला कर आया था।
| मैं वापिस लौटा।
,,, "एक बात बताओ ।" - मैं बोला ।
"क्या ?" - एलेग्जेण्डर बेसब्रेपन से बोला ।
"तुम्हारी लेजर चावला के हाथ कैसे पड़ गई ?"
"अपुन का एक बहुत भरोसे का आदमी अपुन को धोखा दियेला था। वह लैजर की बाबत खबर रखेला था। उसने लेजर चोरी करके चावला को बेच दी ।"
"वह आदमी अब कहां है?"
"वहीं जहां ऐसे धोखेबाज आदमी को होना चाहिए।"
"कहां ?"
"जहन्नुम में।"
"चावला के कत्ल की खबर तुम्हें इतनी जल्दी कैसे लग गई कि तुमने आनन-फानन चौधरी को उसकी स्टडी की तलाशी लेने भेज दिया ।"
"वजह वो नहीं जो तू सोचेला है । अपुन का चावला के कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।”
"तो फिर ?"
"पुलिस में अपुन का एक सोर्स है । उसी ने फोन पर बताया था।"
"लेकिन...."
"शर्मा, अपुन इधर तेरी इन्क्वायरी के लिए नहीं आयेला है । लैजर के लिए आयेला है । लैजर निकाल ।”
"पहले माल निकालो।" । । उसने सौ-सौ के नोटों की पांच गड्डी मेरे सामने फेंकी।
मैंने जेब से लैजर बुक निकालकर उसकी तरफ उछाल दी और नोटों की तरफ हाथ बढ़ाया। उसके बाद वही हुआ जिसके होने की मुझे उम्मीद थी । एलैग्जैण्डर के हाथ में एक रिवॉल्वर प्रकट हुई । “खबरदार !" - वह बोला। मैं ठिठक गया।
"छोकरे, तूने वाकई सोच लिया था कि तू एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर सकता था।
" मैं ब्लैकमेल नहीं कर रहा हूं।" - मैं धैर्यपूर्ण स्वर में बोला - "मैं माल की कीमत हासिल कर रहा हूं।"
"जो माल तेरा नहीं तू उसकी कीमत कैसे हासिल करेला है।" उसने नोट उठा लिए ।
"तुम मुझे डबल क्रॉस कर रहे हो?"
"ऐसा समझना चाहता है तो ऐसा समझ ले ।"
"बेकार है फिर भी बच नही पाओगे ।"
"मतलब ?" |
"इस लेजर बुक के हर पेज की फोटोकॉपी सब-इंस्पेक्टर यादव के पास पहुंच चुकी है ।"
उसके नेत्र फैल गये। उसने कहर भरी निगाहों से मेरी तरफ देखा।
"हरामजादे !" - वह दांत पीस।। ।। गो।। - "हरामजादे !"
| गोली चलाने की जगह उसने रिवॉल्वर को मेरी कनपटी पर दे मारने की कोशिश की । मैंने झुकाई देकर वार बचाया
और अपने दायें हाथ का प्रचंड घूँसा उसके पेट पर रसीद किया। मेरे दूसरे हाथ का घूसा उसके पेट में पड़ा । वह पीछे को लड़खड़ाया । उसे संभलने का मौका दिए बिना मैंने उस पर कई वार कर दिये । रिवॉल्वर उसके हाथ से निकल गई और वह मेरे सोफे पर जाकर ऐसा गिरा कि फिर न उठा। मैंने फर्श पर से उसकी रिवॉल्वर उठाई । मैंने उसमें से गोलियां निकाल लीं और रिवॉल्वर उसके सामने मेज पर रख दी।
फिर मैंने उसकी जेब में से लैजर और पचास हजार के नोट निकाले । नोटों में से पहले मेरा इरादा सिर्फ अपने बाईस हजार रुपये वापिस हासिल करने का था लेकिन फिर मैंने वे सभी नोट अपने अधिकार में कर लिए ।
मैं उसके होश में आने की प्रतीक्षा करने लगा।
कोई और दो मिनट बाद वह होश में आया । अपने आपको सोफे पर गिरा पड़ा पाकर वह हड़बड़ाकर सीधा हुआ। | फिर सामने पड़ी रिवॉल्वर पर झपटा।
"सीखूगा । सीखने के लिए अभी सारी उम्र पड़ी है।"
मैंने नीचे का चक्कर लगाया । नीचे ड्राईवर तक नहीं था। वह अपनी इम्पाला खुद चला कर आया था।
| मैं वापिस लौटा।
,,, "एक बात बताओ ।" - मैं बोला ।
"क्या ?" - एलेग्जेण्डर बेसब्रेपन से बोला ।
"तुम्हारी लेजर चावला के हाथ कैसे पड़ गई ?"
"अपुन का एक बहुत भरोसे का आदमी अपुन को धोखा दियेला था। वह लैजर की बाबत खबर रखेला था। उसने लेजर चोरी करके चावला को बेच दी ।"
"वह आदमी अब कहां है?"
"वहीं जहां ऐसे धोखेबाज आदमी को होना चाहिए।"
"कहां ?"
"जहन्नुम में।"
"चावला के कत्ल की खबर तुम्हें इतनी जल्दी कैसे लग गई कि तुमने आनन-फानन चौधरी को उसकी स्टडी की तलाशी लेने भेज दिया ।"
"वजह वो नहीं जो तू सोचेला है । अपुन का चावला के कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।”
"तो फिर ?"
"पुलिस में अपुन का एक सोर्स है । उसी ने फोन पर बताया था।"
"लेकिन...."
"शर्मा, अपुन इधर तेरी इन्क्वायरी के लिए नहीं आयेला है । लैजर के लिए आयेला है । लैजर निकाल ।”
"पहले माल निकालो।" । । उसने सौ-सौ के नोटों की पांच गड्डी मेरे सामने फेंकी।
मैंने जेब से लैजर बुक निकालकर उसकी तरफ उछाल दी और नोटों की तरफ हाथ बढ़ाया। उसके बाद वही हुआ जिसके होने की मुझे उम्मीद थी । एलैग्जैण्डर के हाथ में एक रिवॉल्वर प्रकट हुई । “खबरदार !" - वह बोला। मैं ठिठक गया।
"छोकरे, तूने वाकई सोच लिया था कि तू एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर सकता था।
" मैं ब्लैकमेल नहीं कर रहा हूं।" - मैं धैर्यपूर्ण स्वर में बोला - "मैं माल की कीमत हासिल कर रहा हूं।"
"जो माल तेरा नहीं तू उसकी कीमत कैसे हासिल करेला है।" उसने नोट उठा लिए ।
"तुम मुझे डबल क्रॉस कर रहे हो?"
"ऐसा समझना चाहता है तो ऐसा समझ ले ।"
"बेकार है फिर भी बच नही पाओगे ।"
"मतलब ?" |
"इस लेजर बुक के हर पेज की फोटोकॉपी सब-इंस्पेक्टर यादव के पास पहुंच चुकी है ।"
उसके नेत्र फैल गये। उसने कहर भरी निगाहों से मेरी तरफ देखा।
"हरामजादे !" - वह दांत पीस।। ।। गो।। - "हरामजादे !"
| गोली चलाने की जगह उसने रिवॉल्वर को मेरी कनपटी पर दे मारने की कोशिश की । मैंने झुकाई देकर वार बचाया
और अपने दायें हाथ का प्रचंड घूँसा उसके पेट पर रसीद किया। मेरे दूसरे हाथ का घूसा उसके पेट में पड़ा । वह पीछे को लड़खड़ाया । उसे संभलने का मौका दिए बिना मैंने उस पर कई वार कर दिये । रिवॉल्वर उसके हाथ से निकल गई और वह मेरे सोफे पर जाकर ऐसा गिरा कि फिर न उठा। मैंने फर्श पर से उसकी रिवॉल्वर उठाई । मैंने उसमें से गोलियां निकाल लीं और रिवॉल्वर उसके सामने मेज पर रख दी।
फिर मैंने उसकी जेब में से लैजर और पचास हजार के नोट निकाले । नोटों में से पहले मेरा इरादा सिर्फ अपने बाईस हजार रुपये वापिस हासिल करने का था लेकिन फिर मैंने वे सभी नोट अपने अधिकार में कर लिए ।
मैं उसके होश में आने की प्रतीक्षा करने लगा।
कोई और दो मिनट बाद वह होश में आया । अपने आपको सोफे पर गिरा पड़ा पाकर वह हड़बड़ाकर सीधा हुआ। | फिर सामने पड़ी रिवॉल्वर पर झपटा।
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"खाली है ।" - मैं उसे गोलियां दिखाता हुआ बोला । रिवॉल्वर उसने फिर भी उठाकर पतलून की बेल्ट में खोंस ली । फिर उसने अपनी जेबें टटोलनी आरम्भ कीं ।
पचास हजार रुपये मैंने तुम्हारी जेब से निकाल लिए हैं । इनमें से बाईस हजार रुपये तो मेरे ही हैं। बाकी के अट्ठाईस हजार रुपये मेरी रकम का ब्याज और उस मार का खामियाजा समझकर मैंने अपने पास रख लिए हैं जो कि मैंने तुम्हारे आदमियों से खाई है।"
"हरामजादे ।" - वह सांप की तरह फुफकारा ।
"वो तो मैं हूं ही । इसमें नई बात क्या बता रहे हो तुम मुझे ?"
वह उठकर खड़ा हुआ। "अब जाते-जाते यह तो कबूल कर जाओ कि तीनों कत्ल तुमने किये हैं।"
"अपुन कोई कत्ल नहीं करेला है ।" - इस बार वह अपेक्षाकृत शान्त स्वर में बोला।
"तो करवाये होंगे ?"
"नहीं । अपुन का किसी कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।"
"जो मर्जी कहो । तुमसे सच कुबुलवाना मेरा काम नहीं ।"
"यही सच है।"
,,, उसके स्वर में संजीदगी का पुट था। मुझे अब कमला चावला की और ज्यादा फिक्र होने लगी। फिर वही मुझे हत्यारी लगने लगी।
"अब फूटो यहां से ।"
"लैजर किधर है ?"
"वो अब तुम्हारे किसी काम की नहीं । इसलिए लैजर लैजर भजना छोड़ दो अब, सिकन्दर दादा ।”
"लैजर की कॉपी तू पुलिस को दियेला है ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मुझे पता था कि तुम मुझे डबलक्रॉस करोगे । इसलिए मैंने तुम्हें डबलक्रॉस किया ।"
"तेरी खैर नहीं ।"
"अब तो अपनी खैर मना ले, सिकन्दर महान !"
वह फिर न बोला । नफरत से धधकती उसकी आंखें वैसे ही बहुत कुछ कह रही थीं। ग्यारह बजे मेरी यादव से मुलाकात हुई। मैंने उसे लैजर बुक सौंप दी ।
"अब एलैग्जैण्डर को गिरफ्तार समझें ?" - मैं बोला।
"वो किसलिए ?" - यादव बोला।
"वो किसलिए !" - मैं हैरानी से बोला - "भाई, यह लैजर बुक उसके खिलाफ सबूत है।"
"किस बात का ?"
"कत्ल का और किस बात का ? चावला इस लैजर बुक की बिना पर एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर रहा था।"
"नहीं कर रहा था।"
"कौन कहता है।"
"एलैग्जैण्डर कहता है।"
"और तुम्हें उसकी बात का विश्वास है,?"
"हां । इसलिये विश्वास है क्योंकि यह बात निर्विवाद रूप से साबित हो चुकी है कि तीनों में से कोई भी कत्ल उसने नहीं किया है।"
"कैसे साबित हो चुकी है ?"
पचास हजार रुपये मैंने तुम्हारी जेब से निकाल लिए हैं । इनमें से बाईस हजार रुपये तो मेरे ही हैं। बाकी के अट्ठाईस हजार रुपये मेरी रकम का ब्याज और उस मार का खामियाजा समझकर मैंने अपने पास रख लिए हैं जो कि मैंने तुम्हारे आदमियों से खाई है।"
"हरामजादे ।" - वह सांप की तरह फुफकारा ।
"वो तो मैं हूं ही । इसमें नई बात क्या बता रहे हो तुम मुझे ?"
वह उठकर खड़ा हुआ। "अब जाते-जाते यह तो कबूल कर जाओ कि तीनों कत्ल तुमने किये हैं।"
"अपुन कोई कत्ल नहीं करेला है ।" - इस बार वह अपेक्षाकृत शान्त स्वर में बोला।
"तो करवाये होंगे ?"
"नहीं । अपुन का किसी कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।"
"जो मर्जी कहो । तुमसे सच कुबुलवाना मेरा काम नहीं ।"
"यही सच है।"
,,, उसके स्वर में संजीदगी का पुट था। मुझे अब कमला चावला की और ज्यादा फिक्र होने लगी। फिर वही मुझे हत्यारी लगने लगी।
"अब फूटो यहां से ।"
"लैजर किधर है ?"
"वो अब तुम्हारे किसी काम की नहीं । इसलिए लैजर लैजर भजना छोड़ दो अब, सिकन्दर दादा ।”
"लैजर की कॉपी तू पुलिस को दियेला है ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मुझे पता था कि तुम मुझे डबलक्रॉस करोगे । इसलिए मैंने तुम्हें डबलक्रॉस किया ।"
"तेरी खैर नहीं ।"
"अब तो अपनी खैर मना ले, सिकन्दर महान !"
वह फिर न बोला । नफरत से धधकती उसकी आंखें वैसे ही बहुत कुछ कह रही थीं। ग्यारह बजे मेरी यादव से मुलाकात हुई। मैंने उसे लैजर बुक सौंप दी ।
"अब एलैग्जैण्डर को गिरफ्तार समझें ?" - मैं बोला।
"वो किसलिए ?" - यादव बोला।
"वो किसलिए !" - मैं हैरानी से बोला - "भाई, यह लैजर बुक उसके खिलाफ सबूत है।"
"किस बात का ?"
"कत्ल का और किस बात का ? चावला इस लैजर बुक की बिना पर एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर रहा था।"
"नहीं कर रहा था।"
"कौन कहता है।"
"एलैग्जैण्डर कहता है।"
"और तुम्हें उसकी बात का विश्वास है,?"
"हां । इसलिये विश्वास है क्योंकि यह बात निर्विवाद रूप से साबित हो चुकी है कि तीनों में से कोई भी कत्ल उसने नहीं किया है।"
"कैसे साबित हो चुकी है ?"
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"तफ्तीश से साबित हो चुकी है, और कैसे साबित हो चुकी है। मैं इस बात की पक्की तस्दीक कर चुका हूं कि तीनों ही हत्याओं के वक्त एलेग्जैण्डर घटनास्थल से बहुत दूर कहीं था। यानी कि यह लैजर बुक किसी कत्ल का उद्देश्य नहीं है । तुम्हारी जानकारी के लिए ब्लैकमेल का खतरा एलैग्जैण्डर को नहीं चावला को था । इसीलिए उसने किसी प्रकार एलेग्जैण्डर की यह लैजर बुक चुरा ली थी ताकि इसकी धमकी से वह एलैग्जैण्डर को उसे ब्लैकमेल करने से रोक सकता।"
"चावला को किस बिना पर ब्लैकमेल किया जा सकता था ?"
"चरस और अफीम की स्मगलिंग की बिना पर । वह अपनी कारों में ये चीजें छुपाकर बम्बई पहुंचाया करता था।
चावला जो इतना रईस बना हुआ था, वह सैकेण्डहैण्ड कारें बेच बेचकर नहीं बना हुआ था । स्मगलिंग से वह रईस बना था और यह बात एलैग्जैण्डर को मालूम हो गई थी। वह अपनी जुबान बंद रखने की कीमत चाहता था।
चावला को ऐसी मुसलसल ब्लैकमेल में फंसना गंवारा नहीं था। फिर किसी प्रकार उसे एलेग्जैण्डर की डायरी की । खबर लग गई और वह उसे हासिल करने में कामयाब हो गया । उस डायरी की वजह से ही वह एलैग्जैण्डर की ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से बचा ।"
"यह स्मगलिंग वाली बात तुम्हें कैसे मालूम हुई ?"
"एलैग्जैण्डर ने बताई ।"
"बात की सच्चाई को परख लिया तुमने?"
"न सिर्फ परख लिया, बल्कि परखकर उस पर अमल भी कर लिया।"
"मतलब ?"
“मतलब यह कि अफीम और चरस की स्मगलिंग के रैकेट में शरीक चावला के चार साथी गिरफ्तार भी हो चुके हैं।
और अफीम और चरस का एक तगड़ा स्टॉक चावला मोटर्स के ऑफिस से बरामद भी हो चुका है।"
"कमाल है।"
यादव बड़े संतुष्टिपूर्ण ढंग से मुस्कराया।
"एलैग्जैण्डर ने यह बात तुम्हें क्यों बताई?" - मैंने पूछा।
पुलिस को सहयोग की भावना से बताई और क्यों बताई?"
"नॉनसैंस ।"
"किसी भी वजह से बताई बहरहाल बताई।"
"उसे गिरफ्तार तो तुम्हें फिर भी करना चाहिए।"
फिर भी क्यों?"
"इस लैजर बुक में निहित जानकारी की बिना पर । काला धन छुपाने का, इनकमटैक्स इनवेजन का केस तो उस पर फिर भी बनता है।"
"वह कत्ल जितना बड़ा अपराध नहीं !"
"लेकिन केस तो बनता है।"
"गिरफ्तारी के काबिल नहीं । गिरफ्तारी हो भी तो ऐसे केस में तीस मिनट में जमानत हो जाती है। एंटीसिपेटरी बेल तक हासिल हो जाती है।"
अब मुझे अपनी फिक्र सताने लगी। मैंने एलैग्जैण्डर जैसे दादा पर हाथ उठाया था। मैं उसकी फौरन गिरफ्तारी की उम्मीद कर रहा था। अब उसका आजाद रहना मेरे लिए खतरनाक साबित हो सकता था।
"यादव साहब" - मैं चिंतित स्वर में बोला - "तुम्हारी बातों से मुझे लगता है कि तुम एलेग्जैण्डर को गिरफ्तार करने के
,,, ख्वाहिशमन्द नहीं ।"
"मैं कत्ल की तफ्तीश करने वाला सब-इंस्पेक्टर हूं" - वह लापरवाही से बोला - "कत्ल की बिना पर मैं उसे गिरफ्तार कर सकता था। लेकिन कत्ल उसने नहीं किये । अगर कोई और अपराध उसने किया है तो उसकी तफ्तीश पुलिस का दूसरा महकमा करेगा।"
"लेकिन....."
"और कत्ल का केस क्लोज हो चुका है।"
"क्लोज हो चूका है ! कैसे क्लोज हो चुका है?"
"वैसे ही जैसे होता है । जब अपराधी गिरफ्तार हो जाता है तो पुलिस तफ्तीश के लिहाज से केस क्लोज मान लिया जाता है।"
"अपराधी गिरफ्तार हो चुका है ?"
"चावला को किस बिना पर ब्लैकमेल किया जा सकता था ?"
"चरस और अफीम की स्मगलिंग की बिना पर । वह अपनी कारों में ये चीजें छुपाकर बम्बई पहुंचाया करता था।
चावला जो इतना रईस बना हुआ था, वह सैकेण्डहैण्ड कारें बेच बेचकर नहीं बना हुआ था । स्मगलिंग से वह रईस बना था और यह बात एलैग्जैण्डर को मालूम हो गई थी। वह अपनी जुबान बंद रखने की कीमत चाहता था।
चावला को ऐसी मुसलसल ब्लैकमेल में फंसना गंवारा नहीं था। फिर किसी प्रकार उसे एलेग्जैण्डर की डायरी की । खबर लग गई और वह उसे हासिल करने में कामयाब हो गया । उस डायरी की वजह से ही वह एलैग्जैण्डर की ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से बचा ।"
"यह स्मगलिंग वाली बात तुम्हें कैसे मालूम हुई ?"
"एलैग्जैण्डर ने बताई ।"
"बात की सच्चाई को परख लिया तुमने?"
"न सिर्फ परख लिया, बल्कि परखकर उस पर अमल भी कर लिया।"
"मतलब ?"
“मतलब यह कि अफीम और चरस की स्मगलिंग के रैकेट में शरीक चावला के चार साथी गिरफ्तार भी हो चुके हैं।
और अफीम और चरस का एक तगड़ा स्टॉक चावला मोटर्स के ऑफिस से बरामद भी हो चुका है।"
"कमाल है।"
यादव बड़े संतुष्टिपूर्ण ढंग से मुस्कराया।
"एलैग्जैण्डर ने यह बात तुम्हें क्यों बताई?" - मैंने पूछा।
पुलिस को सहयोग की भावना से बताई और क्यों बताई?"
"नॉनसैंस ।"
"किसी भी वजह से बताई बहरहाल बताई।"
"उसे गिरफ्तार तो तुम्हें फिर भी करना चाहिए।"
फिर भी क्यों?"
"इस लैजर बुक में निहित जानकारी की बिना पर । काला धन छुपाने का, इनकमटैक्स इनवेजन का केस तो उस पर फिर भी बनता है।"
"वह कत्ल जितना बड़ा अपराध नहीं !"
"लेकिन केस तो बनता है।"
"गिरफ्तारी के काबिल नहीं । गिरफ्तारी हो भी तो ऐसे केस में तीस मिनट में जमानत हो जाती है। एंटीसिपेटरी बेल तक हासिल हो जाती है।"
अब मुझे अपनी फिक्र सताने लगी। मैंने एलैग्जैण्डर जैसे दादा पर हाथ उठाया था। मैं उसकी फौरन गिरफ्तारी की उम्मीद कर रहा था। अब उसका आजाद रहना मेरे लिए खतरनाक साबित हो सकता था।
"यादव साहब" - मैं चिंतित स्वर में बोला - "तुम्हारी बातों से मुझे लगता है कि तुम एलेग्जैण्डर को गिरफ्तार करने के
,,, ख्वाहिशमन्द नहीं ।"
"मैं कत्ल की तफ्तीश करने वाला सब-इंस्पेक्टर हूं" - वह लापरवाही से बोला - "कत्ल की बिना पर मैं उसे गिरफ्तार कर सकता था। लेकिन कत्ल उसने नहीं किये । अगर कोई और अपराध उसने किया है तो उसकी तफ्तीश पुलिस का दूसरा महकमा करेगा।"
"लेकिन....."
"और कत्ल का केस क्लोज हो चुका है।"
"क्लोज हो चूका है ! कैसे क्लोज हो चुका है?"
"वैसे ही जैसे होता है । जब अपराधी गिरफ्तार हो जाता है तो पुलिस तफ्तीश के लिहाज से केस क्लोज मान लिया जाता है।"
"अपराधी गिरफ्तार हो चुका है ?"
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"हां । कब का !"
"कौन है अपराधी ?"
"जैसे तुम जानते नहीं !"
"पहेलियां मत बुझाओ । किसे गिरफ्तार किया है तुमने ?"
“मिसेज कमला चावला को ।"
"वह गिरफ्तार है?"
"हां । आज सुबह सवेरे मैंने उसे उसकी कोठी पर गिरफ्तार किया था। उस पर चार्ज लगाकर उसे कोर्ट में पेश भी किया जा चुका है और उससे पूछताछ के लिए छः दिन का रिमांड भी हासिल किया जा चुका है।"
"बड़े फुर्तीले निकले यादव साहब !"
वह मुस्कराया।
"तो आपकी तफ्तीश यह कहती है की तीनो कत्ल कमला ने किये हैं ?"
"हां ।"
"इस बात का आपके पास क्या जवाब है कि वह चौधरी के कत्ल के वक्त वकील बलराज सोनी के फ्लैट पर थी ?"
"वह वहां तीन बजे पहुंची थी । चौधरी का कत्ल इस वक्त से पहले हो चुका था। अपनी कोठी से वह दो बजे निकली थी । चौधरी का कत्ल करके तीन बजे तक बड़े आराम से बलराज सोनी के यहां पहुंच सकती थी। अब तुम कहोगे । कि तुम्हारे उस अनोखे हैंडल वाले चाकू से उसके हाथ में पंक्चर के निशान क्यों नहीं बने थे तो इसका बड़ा सीधा । और सिंपल जवाब यह है कि वह दस्ताने पहने थी । ड्राइविंग के वक्त दस्ताने तो वह पहनती ही है । उन्ही दस्तानों को पहने पहने उसने चाकू चलाया होगा।"
"जूही चावला की कोठी से वह वकील बलराज सोनी के साथ रवाना हुई थी" - मैंने नया एतराज किया - "अब तुम क्या यह कहना चाहते हो कि उसके कत्ल में वे दोनों शामिल थे ?"
"नहीं ।" - वह बड़े इत्मीनान से बोला ।
"तो ?"
"कल के लिए वह वापिस लौटी थी। उसने जानबूझकर बलराज सोनी को रस्ते में अपनी कार में से उतार दिया था। ताकि वह वापिस आकर जूही चावला का कत्ल कर सके ।"
"वह यूं वापिस लौटी होती तो जूही चावला के बंगले की निगरानी करते मेरे आदमी को वह दिखाई दी होती !"
"शायद दिखाई दी हो।"
"मतलब ?"
"पाण्डे तुम्हारा आदमी है । कमला चावला तुम्हारी क्लायंट है । अगर तुम्हें पाण्डे की कोई बात कमला के खिलाफ जाती दिखाई देगी तो तुम क्या करोगे ?"
"ओह, तो तुम समझ रहे हो कि पाण्डे को मैंने पट्टी पढ़ाई है कि वह कमला से ताल्लुक रखती ऐसी किसी बात को छुपाकर रखे ?"
"क्या ऐसा नहीं हो सकता ?" - वह बड़ी मासूमियत से बोला ।
"कमला ने अपना अपराध कबूल कर लिया है ?"
"अभी नहीं किया है, लेकिन करेगी। जरूर करेगी । क्यों नहीं करेगी ? किये बिना कैसे बात बनेगी ? इसीलिए तो हमने छः दिन का रिमांड हासिल किया है।"
"यानी कि तुम उस पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करके जबरन उससे उसका अपराध कबूल करवाओगे ?"
"वह जो करेगी, अपनी मर्जी से करेगी।"
“वह बेगुनाह है।"
"हर अपराधी यही कहता है।"
"और तुम्हारा एलैग्जैण्डर की तरफ से एकदम उदासीन हो जाना मुझे एक बहुत खतरनाक बात सोचने पर मजबूर कर रहा है।"
"क्या ?" - वह आंखें निकालकर बोला ।
"कौन है अपराधी ?"
"जैसे तुम जानते नहीं !"
"पहेलियां मत बुझाओ । किसे गिरफ्तार किया है तुमने ?"
“मिसेज कमला चावला को ।"
"वह गिरफ्तार है?"
"हां । आज सुबह सवेरे मैंने उसे उसकी कोठी पर गिरफ्तार किया था। उस पर चार्ज लगाकर उसे कोर्ट में पेश भी किया जा चुका है और उससे पूछताछ के लिए छः दिन का रिमांड भी हासिल किया जा चुका है।"
"बड़े फुर्तीले निकले यादव साहब !"
वह मुस्कराया।
"तो आपकी तफ्तीश यह कहती है की तीनो कत्ल कमला ने किये हैं ?"
"हां ।"
"इस बात का आपके पास क्या जवाब है कि वह चौधरी के कत्ल के वक्त वकील बलराज सोनी के फ्लैट पर थी ?"
"वह वहां तीन बजे पहुंची थी । चौधरी का कत्ल इस वक्त से पहले हो चुका था। अपनी कोठी से वह दो बजे निकली थी । चौधरी का कत्ल करके तीन बजे तक बड़े आराम से बलराज सोनी के यहां पहुंच सकती थी। अब तुम कहोगे । कि तुम्हारे उस अनोखे हैंडल वाले चाकू से उसके हाथ में पंक्चर के निशान क्यों नहीं बने थे तो इसका बड़ा सीधा । और सिंपल जवाब यह है कि वह दस्ताने पहने थी । ड्राइविंग के वक्त दस्ताने तो वह पहनती ही है । उन्ही दस्तानों को पहने पहने उसने चाकू चलाया होगा।"
"जूही चावला की कोठी से वह वकील बलराज सोनी के साथ रवाना हुई थी" - मैंने नया एतराज किया - "अब तुम क्या यह कहना चाहते हो कि उसके कत्ल में वे दोनों शामिल थे ?"
"नहीं ।" - वह बड़े इत्मीनान से बोला ।
"तो ?"
"कल के लिए वह वापिस लौटी थी। उसने जानबूझकर बलराज सोनी को रस्ते में अपनी कार में से उतार दिया था। ताकि वह वापिस आकर जूही चावला का कत्ल कर सके ।"
"वह यूं वापिस लौटी होती तो जूही चावला के बंगले की निगरानी करते मेरे आदमी को वह दिखाई दी होती !"
"शायद दिखाई दी हो।"
"मतलब ?"
"पाण्डे तुम्हारा आदमी है । कमला चावला तुम्हारी क्लायंट है । अगर तुम्हें पाण्डे की कोई बात कमला के खिलाफ जाती दिखाई देगी तो तुम क्या करोगे ?"
"ओह, तो तुम समझ रहे हो कि पाण्डे को मैंने पट्टी पढ़ाई है कि वह कमला से ताल्लुक रखती ऐसी किसी बात को छुपाकर रखे ?"
"क्या ऐसा नहीं हो सकता ?" - वह बड़ी मासूमियत से बोला ।
"कमला ने अपना अपराध कबूल कर लिया है ?"
"अभी नहीं किया है, लेकिन करेगी। जरूर करेगी । क्यों नहीं करेगी ? किये बिना कैसे बात बनेगी ? इसीलिए तो हमने छः दिन का रिमांड हासिल किया है।"
"यानी कि तुम उस पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करके जबरन उससे उसका अपराध कबूल करवाओगे ?"
"वह जो करेगी, अपनी मर्जी से करेगी।"
“वह बेगुनाह है।"
"हर अपराधी यही कहता है।"
"और तुम्हारा एलैग्जैण्डर की तरफ से एकदम उदासीन हो जाना मुझे एक बहुत खतरनाक बात सोचने पर मजबूर कर रहा है।"
"क्या ?" - वह आंखें निकालकर बोला ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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