रात को मम्मी ने दीदी की बात निकाली, पूरे दिन में पहली बार मम्मी ने दीदी को याद किया वो भी पापा सो गये उसके बाद- “मीना यहां आने को बहुत तड़पती है बेटा, पहले तो कभी कभार चोरी छुपे मिल जाती थी, पर एक बार तेरे जीजू को मालूम पड़ गया और उसके बाद तो वो कभी नहीं आई। तेरे पापा को तो मीना से कुछ ज्यादा ही लगाव था। वो मन ही मन कुढ़ते रहते हैं."
मैं मम्मी की बात सुन रही थी पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो मम्मी उठ गई, और अंदर रूम में जाते हुये डायरी फेंकते हुये बोली- “बेटा, मीना ने बहुत समय पहले बताया था की तुम चाहो तो सब ठीक हो सकता है..” मैं कुछ बोलूं उसके पहले मम्मी अंदर चली गई।
मैंने डायरी उठाई जिसमें जीजू का मोबाइल नंबर लिखा हुवा था। दूसरे दिन दोपहर को मैंने जीजू को फोन लगाया और कहा- “मैं आपसे मिलने चाहती हूँ...”
जीजू ने मुझसे कहा- “10 मिनट में तुम बाहर आओ मैं तुम्हें लेने के लिए आता हूँ...”
मैंने जल्दी से एक नई साड़ी निकाली जो पारदर्शी थी, और उसका ब्लाउज स्लीवलेश था, हल्का सा मेकप किया और बाहर निकली। तभी जीजू गाड़ी लेकर आए, और दरवाजा खोलकर मुझे अंदर आने का इशारा किया। जीजू ने गाड़ी हाइवे पे ले ली थी। अभी तक हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला था।
जीजू- “क्यों मिलना चाहती थी मुझसे?” जीजू ने मेरे सामने देखकर पूछा।
मैं- “वो... वो मैं आपसे... मैं...” मैं क्या बोलू वोही मुझे समझ में नहीं आ रहा था।
जीजू- “क्या मैं, मैं कर रही हो? अभी तक वैसी की वैसी ही हो, दिखने में भी और बोलने में भी अपने दिल की बात बताना कब सीखोगी?” जीजू ने मुझे ताना देकर उकसाने की कोशिश की।
मैं- “वो आप जो चाहते थे ना जीजू, उसके लिए मैं तैयार हूँ.” मैंने कहा।
जीजू- “मैं क्या चाहता था मुझे याद नहीं, तुम मुझे याद दिलाओगी?” जीजू ने गाड़ी को रोकते हुये कहा।
मैं समझ गई की जीजू मुझसे क्या बुलवाना चाहते हैं। मैंने कहा- “वो जीजू.. आप मुझसे संभोग करना चाहते थे ना मैं तैयार हूँ..”
जीजू मेरे सामने एकटक देखते रहे और फिर जोर-जोर से हँसने लगे। बहुत देर हँसने के बाद वो रुके- “ये क्या बोल रही हो साली साहिबा? संभोग... तुम अभी भी नहीं सुधरी, इसलिए तो हमें इतनी प्यारी हो... कहते हुये जीजू ने मुझे बाहों में ले लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे।
Erotica मेरी कामुकता का सफ़र
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश .....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश .....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
होटेल युवराज के हनीमून सूट में जीजू बेड के किनारे पर 3-4 तकिये को एक साथ करके उसपर सिर रखकर लेटे हुये थे, और उनकी टाँगें जमीन पर थी। और मैं दो टांगों के बीच बैठी जीजू का लिंग चूस रही थी। जीजू का लिंग उसके पूरे रूप में आ चुका था और मेरे थूक से पूरा गीला और चिकना हो गया था। मैंने लिंग को मुठ्ठी में दबोचा हुवा था। उसमें मैंने दबाव को बढ़ाया फिर लिंग की चमड़ी को ऊपर खींचकर सुपाड़े पर चढ़ाया। लिंग पूर्ण रूप में था इसलिए झटका मारा।
मैंने मुँह को ऊपर किया और जीजू के सामने देखा। जीजू ने हाथ नीचे किया और मेरे होंठों को उंगली से सहलाते हुये मुश्कुराए। मैंने फिर अपना मुँह उनके लिंग की तरफ किया। लिंग पर मैंने चमड़ी चढ़ाई हुई थी, इसलिए लिंग का सुपाड़ा दिखाई नहीं दे रहा था। पर लिंग को ऊपर करके देखो तब उसका छेद दिखता था। मैंने लिंग को ऊपर उठाया और छेद को जीभ से चाटा।
जीजू- “आहह... आह... निशा, तुझे तो नीरव ने बहुत कुछ सिखाया हुवा है...” जीजू मेरे बालों की एक-एक लट को पकड़कर ऊपर करके दूसरे हाथ में ले रहे थे।
मैंने ऐसे ही थोड़ी देर लिंग को चूसकर हाथ से छोड़ दिया। लिंग को मैंने ऊपर करके पकड़ा हुवा था। छोड़ते ही उसकी चमड़ी फिर से सुपाड़े पर चढ़ गई और लिंग थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गया।
जीजू- “मार डालोगी क्या?” जीजू ने सिसकारी भरते हुये कहा।
फिर मैंने लिंग को फिर से पकड़ा और मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगी। जीजू सिसकारी लेते हुये कभी मेरे बालों को, तो कभी मेरी पीठ सहला रहे थे। मैं उनके लिंग पर टूट पड़ी थी, पूरा निगल जाना चाहती थी। मैं लिंग को पूरा मुँह के अंदर लेकर फिर से बाहर निकालती थी और वापस मुँह में ले लेती थी। जीजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उन्होंने अपना पैर ऊपर किया और अंगूठे से मेरी योनि को सहलाने लगे। मैं भी मादक-मादक सिसकारियां लेती हुई जीजू के लिंग को चूस रही थी।
तभी जीजू ने मेरे बालों को खींचा, तो मैंने मुँह में से लिंग निकालकर ऊपर देखा तो उन्होंने मुझे ऊपर आने का इशारा किया। मैं ऊपर उठी तो जीजू ने मुझे किस करते हुये एक हाथ से मुझे गले से पकड़कर उनके ऊपर से । उठाकर साइड पर किया और वो मेरे ऊपर आ गये। जीजू मेरे होंठों को छोड़कर नीचे झुक के मेरी चूचियों को। मुँह में पकड़ लिया।
मैं जीजू के बाल सहलाते हुये उन्हें उकसाने लगी।
जीजू मेरी निप्पल को चूसने लगे- “निशा, 6 साल के बाद भी तुझमें थोड़ा सा भी बदलाव नहीं आया। मुझे तो आज भी ऐसा लग रहा है की तुम कुँवारी ही हो...” कहते हुये जीजू ने मेरे चूचियों को पूरी मुँह में भरने की नाकाम कोशिश की।
मैं- “आहह... जीजू..” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
जीजू ने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसा और फिर छोड़कर और थोड़ा झुके, नाभि के पास जाकर किस करते हुये मेरी योनि के होंठों को उंगली से सहलाते हुये उंगली को योनि में दाखिल कर दिया। मेरी गीली योनि ने। उनकी उंगली को भिगा दिया। उन्होंने उंगली को निकालकर मुँह में लेकर चूसा।
ये देखकर मैं मचल उठी और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से घिसने लगी। मुझे इस तरह करते हुये देखकर जीजू मुश्कुराते हुये मेरी टांगों के बीच आ गये।
जीजू- “तुम बहुत ही गरम हो निशा, नीरव का बैंड बजा देती होगी.” जीजू बार-बार नीरव को याद कर रहे थे।
मुझे नीरव को याद करना अच्छा नहीं लग रहा था, पर मैंने कुछ कहा नहीं।
जीजू ने उनका लिंग मेरी योनि पर टिकाके धक्का दिया, मैंने मेरे होंठ सख्ती से भींच लिए थे, मुझे डर था की बहुत दर्द होगा पर दर्द की जगह बहुत मीठी मस्ती की अनुभूति हुई। जीजू ने धीरे-धीरे हिलाना चालू किया। उनके दोनों हाथ मेरे कंधे के आजू-बाजू थे, हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे। जीजू बेड के नीचे खड़े होकर मेरी योनि में उनके लिंग से फटके मार रहे थे।
जीजू के हर फटके से मैं सीत्कार रही थी। मैंने मेरे दोनों हाथों को माला बनाकर जीजू के गले में डाल दिए थे और टांगों को उनकी कमर पे लपेट दिया था। मेरी कमर को उठाकर मैं उनके हर फटके का जवाब दे रही थी। जीजू बीच-बीच में झुक के मेरे होंठों को चूम रहे थे। अब मुझे लगने लगा था की मेरे जज्बात कभी भी जवाब दे सकते हैं, मैं कभी भी झड़ सकती हूँ।
मैंने जीजू का मुँह खींचा और उनके होंठ को चूसने लगी और उनकी पीठ को नाखून से कुरेदने लगी। जीजू भी शायद झड़ने ही वाले थे, उनके फटके की स्पीड बढ़ गई और थोड़ी ही देर में मैं और जीजू एक साथ झड़ गये।
मैंने मुँह को ऊपर किया और जीजू के सामने देखा। जीजू ने हाथ नीचे किया और मेरे होंठों को उंगली से सहलाते हुये मुश्कुराए। मैंने फिर अपना मुँह उनके लिंग की तरफ किया। लिंग पर मैंने चमड़ी चढ़ाई हुई थी, इसलिए लिंग का सुपाड़ा दिखाई नहीं दे रहा था। पर लिंग को ऊपर करके देखो तब उसका छेद दिखता था। मैंने लिंग को ऊपर उठाया और छेद को जीभ से चाटा।
जीजू- “आहह... आह... निशा, तुझे तो नीरव ने बहुत कुछ सिखाया हुवा है...” जीजू मेरे बालों की एक-एक लट को पकड़कर ऊपर करके दूसरे हाथ में ले रहे थे।
मैंने ऐसे ही थोड़ी देर लिंग को चूसकर हाथ से छोड़ दिया। लिंग को मैंने ऊपर करके पकड़ा हुवा था। छोड़ते ही उसकी चमड़ी फिर से सुपाड़े पर चढ़ गई और लिंग थोड़ा सा नीचे की तरफ झुक गया।
जीजू- “मार डालोगी क्या?” जीजू ने सिसकारी भरते हुये कहा।
फिर मैंने लिंग को फिर से पकड़ा और मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगी। जीजू सिसकारी लेते हुये कभी मेरे बालों को, तो कभी मेरी पीठ सहला रहे थे। मैं उनके लिंग पर टूट पड़ी थी, पूरा निगल जाना चाहती थी। मैं लिंग को पूरा मुँह के अंदर लेकर फिर से बाहर निकालती थी और वापस मुँह में ले लेती थी। जीजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उन्होंने अपना पैर ऊपर किया और अंगूठे से मेरी योनि को सहलाने लगे। मैं भी मादक-मादक सिसकारियां लेती हुई जीजू के लिंग को चूस रही थी।
तभी जीजू ने मेरे बालों को खींचा, तो मैंने मुँह में से लिंग निकालकर ऊपर देखा तो उन्होंने मुझे ऊपर आने का इशारा किया। मैं ऊपर उठी तो जीजू ने मुझे किस करते हुये एक हाथ से मुझे गले से पकड़कर उनके ऊपर से । उठाकर साइड पर किया और वो मेरे ऊपर आ गये। जीजू मेरे होंठों को छोड़कर नीचे झुक के मेरी चूचियों को। मुँह में पकड़ लिया।
मैं जीजू के बाल सहलाते हुये उन्हें उकसाने लगी।
जीजू मेरी निप्पल को चूसने लगे- “निशा, 6 साल के बाद भी तुझमें थोड़ा सा भी बदलाव नहीं आया। मुझे तो आज भी ऐसा लग रहा है की तुम कुँवारी ही हो...” कहते हुये जीजू ने मेरे चूचियों को पूरी मुँह में भरने की नाकाम कोशिश की।
मैं- “आहह... जीजू..” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।
जीजू ने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसा और फिर छोड़कर और थोड़ा झुके, नाभि के पास जाकर किस करते हुये मेरी योनि के होंठों को उंगली से सहलाते हुये उंगली को योनि में दाखिल कर दिया। मेरी गीली योनि ने। उनकी उंगली को भिगा दिया। उन्होंने उंगली को निकालकर मुँह में लेकर चूसा।
ये देखकर मैं मचल उठी और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से घिसने लगी। मुझे इस तरह करते हुये देखकर जीजू मुश्कुराते हुये मेरी टांगों के बीच आ गये।
जीजू- “तुम बहुत ही गरम हो निशा, नीरव का बैंड बजा देती होगी.” जीजू बार-बार नीरव को याद कर रहे थे।
मुझे नीरव को याद करना अच्छा नहीं लग रहा था, पर मैंने कुछ कहा नहीं।
जीजू ने उनका लिंग मेरी योनि पर टिकाके धक्का दिया, मैंने मेरे होंठ सख्ती से भींच लिए थे, मुझे डर था की बहुत दर्द होगा पर दर्द की जगह बहुत मीठी मस्ती की अनुभूति हुई। जीजू ने धीरे-धीरे हिलाना चालू किया। उनके दोनों हाथ मेरे कंधे के आजू-बाजू थे, हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे। जीजू बेड के नीचे खड़े होकर मेरी योनि में उनके लिंग से फटके मार रहे थे।
जीजू के हर फटके से मैं सीत्कार रही थी। मैंने मेरे दोनों हाथों को माला बनाकर जीजू के गले में डाल दिए थे और टांगों को उनकी कमर पे लपेट दिया था। मेरी कमर को उठाकर मैं उनके हर फटके का जवाब दे रही थी। जीजू बीच-बीच में झुक के मेरे होंठों को चूम रहे थे। अब मुझे लगने लगा था की मेरे जज्बात कभी भी जवाब दे सकते हैं, मैं कभी भी झड़ सकती हूँ।
मैंने जीजू का मुँह खींचा और उनके होंठ को चूसने लगी और उनकी पीठ को नाखून से कुरेदने लगी। जीजू भी शायद झड़ने ही वाले थे, उनके फटके की स्पीड बढ़ गई और थोड़ी ही देर में मैं और जीजू एक साथ झड़ गये।
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
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