Adultery कीमत वसूल

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Jemsbond
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Re: Adultery कीमत वसूल

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अनु ने कहा- "आप वहां जाकर मुझे भूल तो नहीं जाओगे?"

मैंने उसके गाल पर अपना हाथ फेरते हए कहा- "तुम्हें अचानक ऐसा क्यों लग रहा है?"

अनु बोली- बताइए ना?"

मैंने कहा- तुम्हें क्या लगता है?

अनु ने मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया और कहने लगी- "पता नहीं... पर डर लग रहा है...

मैंने अनु को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों पर किस किया। फिर मैंने कहा- "ऐसा सोचना भी नहीं कभी..."

अनु ने कहा- सच?

मैंने कहा- "तुम्हारी कसम.."

अनु ने मेरे होंठों को चूसकर कहा- "बाबू.."

मैने अनु को प्यार से सहलाते हए कहा- "अब सो जाओ..."

हम दोनों सो गये। करीब दो घंटे बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा अनु मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर साई हुई थी, उसके चेहरे पर स्माइल थी। जैसे वो नींद में भी कोई प्यार भरा ख्वाब देख रही हो। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाया और उसको प्यार से देखा। अनु दुनियां से बेखबर सोई हुई थी। मैंने उसके ऊपर रजाई डाल दी। मुझे सस आ रहा था। मैं बाथरूम में चला गया।

मैं सस करके वापिस आया। मैंने ऋतु को देखा तो वो गहरी नींद में सोई हुई थी। मैं फिर से अनु के पास जाकर रजाई में घुस गया। अनु अब उठी हुई थी बो फिर से मेरे से चिपक गई। मैंने भी उसको खुद से चिपका लिया। मेरे हाथ फिर से अनु के जिएम को सहलाने लगे।

अनु ने फिर कहा- "आपने जब मुझे वीडियो में देखा था तब आपने मुझ में ऐसा क्या देख लिया था? जो मैं आपको इतनी पसंद आ गई..."

मैंने कहा- "तुम हो ही इतनी खूबसूरत... जो भी तुमको देख ले तो वा तुम्हारा दीवाना बन जाएगा.."


अनु ने कहा- "फिर भी आपको मुझमें क्या अच्छा लगा? प्लीज... बताइए ना..."

मैंने अनु की गाण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा- "ये.."

अनु ने शर्माते हुए कहा- "हो... हाय राम... आप सच में बड़े बेशर्म हो.."

मैंने कहा- "तुमने जो पूछा बा मैंने सच-सच बता दिया। सच में अनु तुम्हारी गाण्ड बड़ी मस्त है। इसको देखते ही लण्ड खड़ा हो जाता है."

अनु कहने लगी- "अच्छा जी... आपको ये मस्त लगती है पर ये तो सबकी एक जैसी होती है..."

मैंने कहा- "सबके पास इतनी मस्त नहीं होती.."

अनु बोली- "मुझे तो अपनी ये चीज बड़ी भारी लगती है। मुझे जब कभी फिटिंग वाली ड्रेस पहननी पड़ती है तो बड़ी शर्म आती है..."

मैंने कहा- क्यों शर्म आती है?
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Re: Adultery कीमत वसूल

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अनु ने कहा- उसमें मेरे चूतड़ों की शेप साफ-साफ नजर आती हैं."

मैंने कहा- "इसीलिए तो सेक्सी लगती हो..."

अनु बोली- "आपको ही तो लगती हैं..." कहकर अनु ने मेरे सीने में मुंह छुपा लिया और बोली- "सब कहते हैं मेरे चूतड़ भारी हैं, मुझे टाइट ड्रेस अच्छी नहीं लगती। मुझे भी बड़ा अजीब लगता है। मैं जब कहीं जाती है तो सब वही देखते हैं, तो मुझे बड़ी शर्म आती है."

अनु फिर बोली "शादी से पहले मैं ऋतु जैसी स्लिम दुबली-पतली थी पर शादी के बाद मैं मोटी हो गई। मैं
आपको मोटी नहीं लगती?"

मैंने कहा- "नहीं। तुम्हारें जिम का गदरायापन तुमको और ज्यादा सेक्सी बना देता है... फिर मैंने अनु का हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रख दिया और कहा- "देखो तुम्हारी गाण्ड के नाम से ये भी उठ गया."

अनु ने मेरे लौड़े को प्यार से सहलाया और बोली- "इसका जो मन करे इसको करने दो। फिर सो जाएगा."

मैने अनु की गर्दन पर चूमते हुए कहा- "इसका तुम्हारी गाण्ड मारजे का मन कर रहा है.."

अनु हँसने लगी और बोली. "इसमें सोचने की क्या बात है? जैसे आपको करना है कर लो.."

मैंने कहा- "पर तुम्हें पीछे से करवाने में दर्द होता हैं। मैं तुम्हें दर्द नहीं देना चाहता। रहने दो। आगे से ही कर लंगा.."

अनु बोली- "आपकी खुशी के लिए मुझे हर दर्द मंजूर है। आप पीछे से कर लो.."

मैंने फिर से कहा- "तुम्हें दर्द हुआ तो?"

अनु बोली- "नहीं होगा ना... मैं आपको कह रही हैं, आप करो."

मैंने कहा- "रहने दो यार."

अनु ने कहा- "आप करो ना... अच्छा अगर दर्द हआ तो मैं आपको बता देंगी..."

मैंने कहा- “पक्का? अगर तुम्हें जरा सा भी दर्द हुआ तो मुझे बता देना में बाहर निकाल लूगा.."

अनु बोली- "हाँ बाबू, मैं आपको बता दूँगी..' फिर मुझे किस किया और बोली- "वैसे (घोड़ी) बनूं मैं?"

मैंने अनु के होठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मेरी उंगली अब उसकी गाण्ड के छेद पर घमने लगी थी। अनु भी मेरे साथ चिपक गई। मैंने अज से कहा- "जाओं कोई कीम उठाकर लाओ..."

अनु ने कीम लाकर मुझे दे दी। मैंने अनु की गाण्ड के छेद पर क्रीम लगा दी और अपनी उंगली को उसकी गाण्ड में डाल दिया। अनु ने सीईई... की आवाज करी।

मैंने कहा- दर्द हो रहा है?

अनु बोली- नहीं आप करते रहो।

मैंने अनुकी गाण्ड में फिर से अपनी उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी। अनु की गाण्ड में अच्छी तरह से कीम लगाकर मैंने कहा- "अब घोड़ी बन जाओ..."

अनु घोड़ी बन गईं। मैंने उसकी गाण्ड में थोड़ी और कीम लगा दी और उंगली में अंदर कर दी।

मैंने कहा- "अब में लण्ड डालं?"

अनु ने कहा- हम्म्म्म
... आपकी घोड़ी तैयार है।

मुझे अनु का इन्विटेशन अच्छा लगा। मैंने अनु की गाण्ड पर लौड़ा रखकर जोर से दबा दिया।
अनु ने हल्की सी सस्स्स
अ उईईई... की आवाज निकली।

मैंने कहा- दर्द हो रहा है?

अनु बोली- नहीं नहीं।

मैंने अपना लण्ड अनु की गाण्ड में थोड़ा और डाला। अनु की कोई आवाज नहीं आई। मैंने अपना लण्ड धीरे से पूरा डाल दिया। मैंने अपना पूरा लण्ड अनु की गाण्ड में डालकर धक्के मारने शुरू कर दिए। मेरे धक्के पड़ने पर अनु की सिर्फ हम्म्म्म ... की आवाज आ रही थी।

मैंने कहा- "दर्द तो नहीं हो रहा?"

अनु ने सर हिलाकर कहा- "नहीं.."

मैं अनु की गाण्ड मारता रहा। अनु ने कोई विरोध नहीं किया, और फिर जब मेरे लौड़े से बर्दाश्त नहीं हआ, तो मैंने अपना माल अनु की गाण्ड में झाड़ दिया, फिर अपना लण्ड अनु की गाण्ड से निकाल लिया।

अनु अभी तक घोड़ी बनी हई थी। मैंने अपने लण्ड को तौलिया में साफ किया और अनु को कहा- "अब तो सीधी होकर लेट जाओ।

अनु सस्स्स्स
... आह्ह.. की आवाज करते हुए सीधा लेट गईं।
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Re: Adultery कीमत वसूल

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मैंने अनु को देखा तो उसकी आँखें लाल हो गई थी। उसका पूरा चेहरा आँसुओ से भीगा हुआ था। मैंने उसका कहा- "तुम रो रही थी ना?"

अनु ने कहा- नहीं तो।

मैंने उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरते हुए कहा- "अभी तक आँसू हैं.."

अनु मेरे से कसकर चिपट गई।

मैंने उसको गुस्से से कहा- "झठी... मुझसे कहा क्यों नहीं? मैं इतना जालिम तो नहीं जो तुम्हारे दर्द को नहीं समझता...

अनु बोली. "बाबू आपकी खुशी से बढ़कर मेरे लिए और कुछ नहीं."

मैं अनु को देखता ही रह गया।

अनु की प्यार भरी आवाज मेंरे कानों में सुनाई दे रही थी- "उठिए ना... उठिए."

मैंने नींद में ही कहा- "अभी उठ जाऊँगा जान.."

फिर मुझे अपने होंठों पर अनु के होंठों का एहसास हुआ। उसके नाजुक होंठ मेरे होंठों को चूसने लगे। अनु की
महकती सांसें मेरी सांसों में घुल गई। अनु की सांसों की महक मेरी सांसों में बस गईं। मेरे चेहरे पर उसकी भीगी जुल्फें बिखरी हुई थी। मैंने फिर भी आँखें नहीं खाली।

फिर से आवाज आई- "मेरे बाबू को बड़ी नीद आ रही है.."

अब मैंने अपनी आँखों को खोला तो अनु मेरे ऊपर झुकी हुई थी। मैंने अनु को देखा, तो ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी-अभी नहाकर आई हो, उसके बाल गीले थे। अनु का गोरा रंग उसकी बड़ी-बड़ी आँखें और उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ कयामत लग रहे थे। अनु मुझे बड़े प्यार से मुश्कुराती हुई देख रही थी।

.
अनु ने कहा- गुड मार्निंग

मैंने उसको अपनी बाहों में भरकर कहा- "गड़ मानिंग मेरी जान... काश। तुम रोज मुझे ऐसे उठाती.."

अनु के चेहरा पर लाली और बढ़ने लगी।

फिर मैंने कहा- "आज इतनी जल्दी कैसे उठ गई?"

अनु ने कहा- "पता नहीं अपने आप ही नींद खुल गई थी.." फिर बोली- "जल्दी से उठ जाओं बाब.."

मैंने हँसते हुए हुए अनु से कहा- "इतनी जल्दी क्यों कर रही हो?"

अनु ने कहा- "मैंने ब्रेकफस्ट का आर्डर दिया हुआ है। आप जल्दी से तैयार हो जाओ..."

मैंने रूम में देखा तो ऋतु नजर नहीं आ रही थी। मैंने पूछा- "ऋतु कहां है?"

अनु बोली- "वो नहा रही है."

मैंने अनु को आँख मारते हुए कहा- "क्या बात है जान, आज बड़ी प्यारी लग रही हो?"

अनु ने शांत हुए कहा- "थैक्स."

इतने में ऋतु नहाकर आ गई।

मैंने उसको कहा. ऋतु अब कैसा लग रहा है?

ऋतु ने कहा- "मैं ठीक हूँ.."

मुझे एहसास हो गया की उसका मूड सही नहीं है। मैंने कुछ नहीं कहा और फिर मैं बाथरूम में चला गया। मैं तैयार होकर बाहर आया तो ऋतु नाश्ता कर रही थी। अनु ऐसे ही बैठी थी।

मैंने अनु से कहा- "तुम नाश्ता नहीं कर रही, किसका इंतजार कर रही हो?"

अनु मुझे देखकर बोली- "आपका.."

मैं अनु के पास जाकर बैठ गया। अनु ने मुझे नाश्ता सर्व किया। फिर वो भी मेरे साथ नाश्ता करने लगी। हम लोगों ने जब नाश्ता कर लिया तब मैंने ऋतु से कहा- "अभी चलें या थोड़ी देर रूक कर चलना है?"

ऋतु बोली- "अब यहां रुकने का मूड नहीं है. जल्दी से चलिए."
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हम सब कार में बैठ गये। मैंने कार स्टार्ट की और चल दिए। अनु मेरे साथ ही बैठी थी। थोड़ी देर बाद मैंने ऋतु से कहा- "क्या बात है तुम कुछ अपसेट लग रही हो?"

उसने कोई जवाब नहीं दिया और बाहर देखती रही। मैंने अनु की तरफ देखा। उसने मुझे इशारा किया की में इस
बारे में कोई बात ना करूं। मैं फिर कुछ नहीं बोला।

थोड़ी देर बाद मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए अनु से कहा- "कैसा लगा यहां आकर?"

अनु ने मुश्कुराकर कहा- "मुझे तो बड़ा मजा आया। मेरा तो मन ही नहीं कर रहा था वहां से आने का.."

मैंने मिरर में ऋतु को देखा तो उसने बुरा सा मुँह बनाया हुआ था। जैसे उसको अनु की बात अच्छी ना लगी हो। मैं उसको ऐसा करते देख कर कुछ बोला नहीं। मैं अनु से ही बातें करता रहा। हम दोनों आपस में ही मस्त हो गये थे।

काफी देर बाद ऋतु ने कहा- "मुझे टायलेट जाना है। प्लीज कहीं कार रोक देना..."

मैंने कहा- "ओके... कोई सही जगह आने दो रोकता है."

थोड़ी दर चलने के बाद एक ढाबा नजर आया। मैंने वहां कार रोक दी और ऋतु से कहा- "जाओ..."

ऋतु कार से निकालकर जोर से दरवाजा बंद करते हुए चली गई।

अनु ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- "देखा आपने?"

मैने कहा. "ऋतु का मूड़ क्यों अपसेट है?"

अनु ने कहा- "इसका कल रात का गुस्सा है."
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मैंने कहा- "चलो कोई बात नहीं। घर जाकर इसका मूड अपने आप ठीक हो जाएगा.."
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अनु बोली- "आपको लगता है पर मुझे नहीं। ये तो अब घर जाकर भी मुझे उल्टा सीधा बोलेगी."

मैंने कहा- "अगर ऋतु कुछ कहे तो तुम इसकी बात का बुरा नहीं मानना। मुझे बता देना। मैं उसको समझा दूंगा अपने तरीके से..."

अनु बोली- "मैं आपको कैसे बताऊँगी? मेरे पास तो अपना सेल भी नहीं है। और ऋतु ने मुझे अपने सेल से बात ना करने दी तो?"

मैंने अनु को कहा- "तुम्हें सेल मैं अभी दे दूँगा?"

अनु बोली- "पर कैसे? नहीं-नहीं रहने दीजिए, ऋतु को और गुस्सा आएगा.."

मैंने अनु को कहा- "उसकी चिता तुम मत करो.."

इतने में ऋतु आ गई। कार में बैठकर बोली- "अब चलिए, यहां भी रुकने का इरादा है क्या?"

मैंने कहा- "तुम्हारे लिए ही तो सका था.." मैंने रास्ते में ही अपने आफिस फोन कर दिया। मैंने अपने स्टाफ का एक लड़का है उसको कहा- "सुनो नीरज, तम आफिस के पास जो मोबाइल स्टोर है वहां चले जाना और मेरी बात करवा देना..."
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