"अंकल...!"
.
.
.
.
"हां बेटे, तुम्हारे डैडी और मम्मी को उनके एक दुश्मन ने मार डाला...अब तो तुम्हें मेरे साथ ही रहना पड़ेगा।"
"नहीं अंकल, मैं मम्मी.डैडी के पास जाऊंगा। “मीनू ने रोते हुए कहा।
"बको मत, तुम उनके पास कभी नहीं जा सकते। “गोविन्द गुस्से से बोला।
मोनू सहमकर पीछे हट गया। और गोविन्द तेजी से दूसरे कमरे में चला गया।
बेबी ने कार से उतरते ही दीवार पर बैठी बिल्ली को देखा। उसकी आंखे चमक उठीं। उसने जल्दी से किताबें एक आर रख दी और ने पांव दबाकर दीवार के पास पहुंच गई। उसने बिल्ली को पकड़ने के लिए झपट्टा मारा, लेकिन बिल्ली की दुम ही उसके हाथ में आ सकी। बिल्ली गुर्रा कर पलटी और उसने बेबी के हाथ पर पंजा मार दिया। बेबी चीखकर पीछे हट गई। उसके हाथ से खून निकल आया।
"बेबी...! “पीछे से मोनू चीखता हुआ झपटा।
उसने जल्दी से बेबी का हाथ पकड़कर मसलते हुए कहा."क्या हुआ बेबी...क्या हुआ?"
.
.
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.
"बिल्ली...बिल्ली ने पंजा मार दिया।" बेबी सिसककर बोली।
__ “बिल्ली ने" मोनू की आंखें गुस्से से लाल हो गईं, “इस को मैं जिन्दा नहीं छोडूंगा जान से मार डालूंगा।"
मोनू ने ईंट के टुकड़े उठाए और दीवार पर बैठी बिल्ली का निशाना लेकर पूरी ताकत से ईंट फेंकी। पहला निशाना बिल्ली
के सिर पर पड़ा और बिल्ली चीखकर दीवार के पीछे जा गिरी।
तभी पीछे से गोविन्द की आवाज सुनाई
"मोनू...!”
मोनू घबराकर मुडा।
गोविन्द ने उसके पास आकर कहा." यह क्या बदतमीजी है, तुमने बिल्ली को क्यों मारा?"
"अंकल, इस बिल्ली ने बेबी को पंजा मारकर खून निकाल दिया था। मैं इसे जिन्दा नहीं छोडूंगा...इसे जान से मार डालूंगा।"
गोविन्द आश्चर्य से मोनू को देखने लगा। मोनू की आंखों मे बिल्ली के लिए घृणा और क्रोध था।
बेबी ने जल्दी से कहा."हां पापा, उसने मेरे पंजा मारा था...यह देखिए...इसलिए मोनू ने इसे मारा है...आप मोनू को मारिएगा नहीं।"
गोविन्द को बेबी की आंखों में मोनू के लिए गहरा प्यार दिखाई दिया। वह कुछ देर तक विचारों में डूबा चिन्तित मुद्रा में उन दोनों को देखता रहा। फिर अंदर की ओर चल दिया। कार के पास खड़ा जयकिशन भी उनके पीछे.पीछे अंदर चला गया।
अंदर पहुंचकर गोविन्द ने जयकिशन से कहा..."जयकिशन...अब बेबी काफी बड़ी हो गई है।"
+
+
+
“जी हां बॉस...आपने उसे कितने प्यार से पाला है। उसे कभी भी शंकर की कमी महसूस नहीं होने दी।"
"इसके भविष्य की जिम्मेदारी मुझ पर है जयकिशन...तुम आज ही इसे कान्वेन्ट में एडमिट कराने का इन्तजाम करो।"
"लेकिन बॉस, वह यहां रह कर भी पढ़ सकती है।"
"नहीं जयकिशन, हमारी इच्छा है कि वह कान्वेन्ट में रह कर ही पढे। ताकि अच्छी शिक्षा मिल सके।"
"जैसी आपकी इच्छा बॉस।"
जयकिशन के जाने के बाद गोविन्द फिर विचारों में डूब गया।
बेबी का सामान कार में रख दिया गया। बेबी ने सिसकियां भरते मोनू की ओर देखा। मोनू की आंखें भी गीली थीं।
गोविन्द ने बेबी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा." जाओ बेबी, हम तुमसे मिलने आते रहेंगे।"
"पापा, मोनू को भी लाया करेंगे ना?"
"हां बेटी...!"
बेबी कार में जा बैठी और खिड़की से झांक कर मोनू को देखने लगी। मोनू की।
आंखों से आंसू बह चले। बेबी ने अपने आंसू पोंछते हुए हाथ हिलाया और जयकिशन ने
कार स्टार्ट कर दी।
मोनू का हाथ भी धीरे से हिला और कार फाटक से निकल गई। और फिर मोनू दोनों हाथों से मुंह छिपा कर रो पड़ा।
गोविन्द मोनू के पास आया। उसने मोनू के कंधे पर हाथ रखा। मोनू चौंककर जल्दी.जल्दी आंसू पोंछने लगा।
गोविन्द ने मोनू से कहा."मोहन, तुम मर्द हो और मर्द की आंखों में आंसू नहीं आने चाहिएं। रोना तो औरतों का काम है। अब तुम बच्चे नहीं रहे तुम्हें मालूम नहीं, भगवान ने तुम पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी डाली है।...मेरे साथ आओ।"
Romance बन्धन
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Re: Romance बन्धन
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: Romance बन्धन
गोविन्द मोनू का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गया। उसने एक अल्मारी खोलकर उसमें से एक एलबम निकाला और एक फोटो पर उंगली रखकर बोला."जानते हो, यह कौन है?"
मोनू ने न के इशारे में सिर हिला दिया।
गोविन्द ने कहा."इस आदमी का नाम है मदन खन्ना...यही आदमी तुम्हारे डैडी और
मम्मी का हत्यारा है।...इसी जालिम ने मेरे दोस्त और तुम्हारे पिता की हत्या की थी।
और मेरे दोस्त ने मरते समय कहा। था...गोविन्द, मेरे बच्चे की जिम्मेदारी अब तुम पर है। जब मेरा बेटा बड़ा हो जाए, तो
उससे कहना कि वह अपने मां.बाप के हत्यारे से उनकी मौत का बदला जरूर ले।"
मोनू की आंखें फैली हुई थीं। क्रोध से उसके होंठ भिंचे हुए थे। नथुने फूले हुए थे। उसने मदन खन्ना के फोटो को दोनों मुटिठयों में कस रखा था।
उसने दृढ़ता भरे स्वर में कहा." भगवान की सौगन्ध, मैं अपने डैडी और मम्मी के हत्यारे से बदला लूंगा। उसे कभी क्षमा नहीं करूंगा।"
"शाबाश!" गोविन्द की आंखें चमक उठीं, “तुम सचमुच अपने माता.पिता की योग्य संतान हो। जब तुम उनके हत्यारे से उनकी मृत्यु का बदला ले लोगे, तभी उनकी आत्मा की शान्ति मिलेगी।
"मुझे इस आदमी का पता बताइए अंकल।"
"अभी नहीं, अभी तुम बच्चे हो। अभी तुम्हें ट्रेनिंग भी लेनी है।"
-
-
गोविन्द ने मोनू के हाथ से फोटो ले कर रख दिया और दीवार से एक एयरगन उतार
कर मोनू को देते हुए कहा."लो संभालो इसे...मुझे विश्वास है कि तुम अच्छे निशानेबाज बन सकते हो।"
मोनू ने एयरगन ले ली। उसने आंख लगाकर इधर.उधर देखा। स्काई लाइट में उसे बिल्ली दिखाई दी। हल्की.सी ट्रिच की
आवाज हुई और बिल्ली तड़पकर फर्श पर आ गिरी।
मोनू ने इत्मीनान की सांस ली और एयरगन फिर 1 से लगा ली।
मोहन ने रिवाल्वर से निशाना लगाया और ट्रिगर दबा दिया। एक धमाका हुआ और मोहन की कार का पीछा करती हुई पुलिस
की जीप का एक टायर फट गया। जीप लहराकर रुक गई। जीप से कई फायर हुए, लेकिन मोहन ने कार को लहराकर बचा लिया।
कुछ देर बाद उसकी कार पुलिस की रेंज से निकल चुकी थी। मोहन ने रिवाल्वर को चूमा और इत्मीनान से ब में रख लिया। फिर वह स्अयरिंग पकड़े.पकड़े दूसरे हाथ से सिगरेट निकालने लगा।
फिर वह बड़े इत्मीनान से सिगरेट के कश लेता हुआ कार ड्राइव कर रहा था। दूर शहर की बत्तियां दिखाई देने लगी थीं। मोहन के होंठों पर संतोषपूर्ण मुस्कान नाच उठी।
फिर जैसे ही मोहन की कार शहर के नाके पर पहुंची। उसकी कार पर अचानक
चारों ओर से सर्चलाइट पड़ी। मोहन ने ठिठककर ब्रेक लगाए।
सड़क के दोनों ओर खड़ी गाड़ियों ने उसका रास्ता रोक रखा था। मोहन ने पलट कर पिछली खिड़की से देखा। पीछे भी गाड़ियां थीं। मोहन ने एक ठंडी सांस लेकर धीरे से कार आगे बढ़ाई।
अचानक एक तेज़ आवाज माइक पर गूंजी . “गाड़ी रोको, और अपने आपको पुलिस के हवाले कर दो। वरना तुम्हारा बदन गोलियों से छलनी कर दिया जायेगा।"
मोहन के होंठों पर फिर मुस्कराहट उभर आई। उसकी गाड़ी धीरे.धीरे रेंगती रही।
अगली गाड़ियों के पास पहुंचते ही मोहन ने एक्सीलेटर दबा दिया और उसकी गाड़ी झन्नाटे से दायीं ओर उतर गई। कई फायर हुए। लेकिन मोहन की गाड़ी सुरक्षित रही
और ढलान में उछलती.कूदती दौड़ती चली गई। पुलिस की गाड़ियां भी उसके पीछे लग गईं।
पीछे से लगातार फायरिंग हो रही थी।
मोहन ने पलटकर देखा। एक गाड़ी उछलती.उछलती पलट कर जा गिरी। कई चीखें एक साथ गूंज उठीं। मोहन के होंठों पर जहरीली मुस्कराहट फैल गई।
.
.
शेष गाड़ियां मोहन का पीछा करने लगीं।
मोहन ने रिवाल्व निकाला..... उसे चूमा ...... और फिर खिड़की से हाथ निकाल कर
फायर करने लगा। पिछली गाड़ियों की दो रोशनियां गायब हो गईं और गाड़ियों के एक.दूसरे से टकराने की आवाजें गूंज उठीं।
मोहन ने हल्का.सा कहकहा लगाकर स्पीड बढ़ा दी।
कुछ देर बाद मोहन की गाड़ी दूसरी सड़क पर पहुंचाकर शहर की ओर जा रही थी। वह स्पीड बढ़ाता चला गया...... अब उसकी गाढ़ी के पीछे कोई गाड़ी न थी।
मोनू ने न के इशारे में सिर हिला दिया।
गोविन्द ने कहा."इस आदमी का नाम है मदन खन्ना...यही आदमी तुम्हारे डैडी और
मम्मी का हत्यारा है।...इसी जालिम ने मेरे दोस्त और तुम्हारे पिता की हत्या की थी।
और मेरे दोस्त ने मरते समय कहा। था...गोविन्द, मेरे बच्चे की जिम्मेदारी अब तुम पर है। जब मेरा बेटा बड़ा हो जाए, तो
उससे कहना कि वह अपने मां.बाप के हत्यारे से उनकी मौत का बदला जरूर ले।"
मोनू की आंखें फैली हुई थीं। क्रोध से उसके होंठ भिंचे हुए थे। नथुने फूले हुए थे। उसने मदन खन्ना के फोटो को दोनों मुटिठयों में कस रखा था।
उसने दृढ़ता भरे स्वर में कहा." भगवान की सौगन्ध, मैं अपने डैडी और मम्मी के हत्यारे से बदला लूंगा। उसे कभी क्षमा नहीं करूंगा।"
"शाबाश!" गोविन्द की आंखें चमक उठीं, “तुम सचमुच अपने माता.पिता की योग्य संतान हो। जब तुम उनके हत्यारे से उनकी मृत्यु का बदला ले लोगे, तभी उनकी आत्मा की शान्ति मिलेगी।
"मुझे इस आदमी का पता बताइए अंकल।"
"अभी नहीं, अभी तुम बच्चे हो। अभी तुम्हें ट्रेनिंग भी लेनी है।"
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गोविन्द ने मोनू के हाथ से फोटो ले कर रख दिया और दीवार से एक एयरगन उतार
कर मोनू को देते हुए कहा."लो संभालो इसे...मुझे विश्वास है कि तुम अच्छे निशानेबाज बन सकते हो।"
मोनू ने एयरगन ले ली। उसने आंख लगाकर इधर.उधर देखा। स्काई लाइट में उसे बिल्ली दिखाई दी। हल्की.सी ट्रिच की
आवाज हुई और बिल्ली तड़पकर फर्श पर आ गिरी।
मोनू ने इत्मीनान की सांस ली और एयरगन फिर 1 से लगा ली।
मोहन ने रिवाल्वर से निशाना लगाया और ट्रिगर दबा दिया। एक धमाका हुआ और मोहन की कार का पीछा करती हुई पुलिस
की जीप का एक टायर फट गया। जीप लहराकर रुक गई। जीप से कई फायर हुए, लेकिन मोहन ने कार को लहराकर बचा लिया।
कुछ देर बाद उसकी कार पुलिस की रेंज से निकल चुकी थी। मोहन ने रिवाल्वर को चूमा और इत्मीनान से ब में रख लिया। फिर वह स्अयरिंग पकड़े.पकड़े दूसरे हाथ से सिगरेट निकालने लगा।
फिर वह बड़े इत्मीनान से सिगरेट के कश लेता हुआ कार ड्राइव कर रहा था। दूर शहर की बत्तियां दिखाई देने लगी थीं। मोहन के होंठों पर संतोषपूर्ण मुस्कान नाच उठी।
फिर जैसे ही मोहन की कार शहर के नाके पर पहुंची। उसकी कार पर अचानक
चारों ओर से सर्चलाइट पड़ी। मोहन ने ठिठककर ब्रेक लगाए।
सड़क के दोनों ओर खड़ी गाड़ियों ने उसका रास्ता रोक रखा था। मोहन ने पलट कर पिछली खिड़की से देखा। पीछे भी गाड़ियां थीं। मोहन ने एक ठंडी सांस लेकर धीरे से कार आगे बढ़ाई।
अचानक एक तेज़ आवाज माइक पर गूंजी . “गाड़ी रोको, और अपने आपको पुलिस के हवाले कर दो। वरना तुम्हारा बदन गोलियों से छलनी कर दिया जायेगा।"
मोहन के होंठों पर फिर मुस्कराहट उभर आई। उसकी गाड़ी धीरे.धीरे रेंगती रही।
अगली गाड़ियों के पास पहुंचते ही मोहन ने एक्सीलेटर दबा दिया और उसकी गाड़ी झन्नाटे से दायीं ओर उतर गई। कई फायर हुए। लेकिन मोहन की गाड़ी सुरक्षित रही
और ढलान में उछलती.कूदती दौड़ती चली गई। पुलिस की गाड़ियां भी उसके पीछे लग गईं।
पीछे से लगातार फायरिंग हो रही थी।
मोहन ने पलटकर देखा। एक गाड़ी उछलती.उछलती पलट कर जा गिरी। कई चीखें एक साथ गूंज उठीं। मोहन के होंठों पर जहरीली मुस्कराहट फैल गई।
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शेष गाड़ियां मोहन का पीछा करने लगीं।
मोहन ने रिवाल्व निकाला..... उसे चूमा ...... और फिर खिड़की से हाथ निकाल कर
फायर करने लगा। पिछली गाड़ियों की दो रोशनियां गायब हो गईं और गाड़ियों के एक.दूसरे से टकराने की आवाजें गूंज उठीं।
मोहन ने हल्का.सा कहकहा लगाकर स्पीड बढ़ा दी।
कुछ देर बाद मोहन की गाड़ी दूसरी सड़क पर पहुंचाकर शहर की ओर जा रही थी। वह स्पीड बढ़ाता चला गया...... अब उसकी गाढ़ी के पीछे कोई गाड़ी न थी।
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Re: Romance बन्धन
सड़क पर पहुंचाकर मोहन ने गाड़ी रोक दी...... गाड़ी में बैठे.बैठे ही उसने अपना ओवरकोट उलट कर पहना, फेल्ट हैट उल्टा करके ओढ़ा और होंठो पर लगी मूंछे उतारकर ऊपरी जेब में रखीं। फिर गाड़ी से उतरा। उसकी नंबर प्लेटें सीधी की और सिगरेट सुलगाने लगा। अचानक उसके पीछे से तेज रोशनी पड़ी और साथ ही हार्न की तेज आवाज सुनाई दी।
मोहन ने तीली हवा में उछालकर पलट कर देख। एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी। उसकी बत्तियां एक मिनट जल कर बुझ गईं। फिर गाड़ी की खिड़की से एक लड़की ने झांककर जोर से कहा .
"ऐ मिस्टर.... आप बहरे हैं क्या?"
" जो नहीं, लेकिन अगर कुछ देर आप की कृपा और रहती तो जरूर बहरा हो जाता।"
"सामने से हटिए।"
मोहन धीरे से एक ओर हट गया। गाड़ी रेंगती हुई उसके पास पहुंची और रुक गई।
गाड़ी के पीछे से उसे किसी के हांफने की आवाज सुनाई दी। मोहन ने गर्दन घुमाईं..... गाड़ी के पीछे एक नौजवान झुका हुआ । धक्का लगा रहा था। उसके दोनों हाथ पांव बराबर चल रहे थे....... लेकिन गाड़ी एक इंच भी नहीं चल रही थी।
मोहन के होंठों पर मुस्कराहट फैल गई।
लड़की ने गर्दन निकालकर झल्लाए हुए स्वर में कहा .
"अरे ओ घोंचू...... जोर से धक्का लगाओ।"
नौजवान ने एक झटका लिया और दौड़कर खिड़की की के पास आकर बोला . "क्या कहा .....? घोंचू......? मैंने कितनी बार कहा है कि मेरा नाम घुघरु चंद है, घोंचू
नहीं।"
"घुघरु चंद के बच्चे .... मैं कहती हूं धक्का लगाओ।"
.
.
"रीता ..... शादी से पहले मैं तुम्हें गाली गलोज की अनुमति नहीं दे सकता।" घुघरु ने बुरा मान कर कहा,, “शादी के बाद पति को गाली देना पत्नी का सामाजिक अधिकार बन जाता है"
"नानसेन्स ..... मै कहती हूं धक्का लगाओ।" रीता ने दांत किटकिटाकर कहा।
"मुझसे नहीं लगाया जाता धक्का," घुघरु हांफ कर बोला, "दो मील से धक्का लगाता आ रहा हूं।"
"अरे, तो हय गाड़ी पेट्रोल पम्प तक कैसे पहुंचेगी?"
"सुनिए," मोहन ने रीता से कहा, "क्या आपको इन साहब से किसी तरह की दुश्मनी है?"
"क्या मतलब?" रीता भिन्नाकर बोली।
"मुझे तो ऐसा ही मालूम होता है।"
"वह कैसे मिस्टर?" घुघरु ने मोहन को घूरकर पूछा।
___ "अरे, तो क्या आप यह समझते हैं कि पेट्रोल पम्प तक धक्का लगाते.लगाते आप जिन्दा रह जाएंगे? जरा अपनी हालत तो देखिए..... जानते हैं यहां से पेट्रोल पम्प कितनी दूर है।"
"कितनी दूर है?"
"लगभग दो मील और होगा।"
"अरे बाप रे!" घुघरु पेट पकड़कर कराहने लगा।
रीता ने भिन्नाकर दरवाजा खोला और नीचे उतरकर मोहन से पूछा . “ऐ मिस्टर.....
आप कौन हैं?"
"मैं एक राहगीर हूं।"
"मैं पूछती हूं हम दोनों के बीच दखल देने वाले आप कौन होते हैं?"
"हां, यह तो मैं भूल ही गया था।" घुघरु ने जोशीले स्वर में कहा, 'क्योंजी, आपने हम दोनों के मामले में दखल क्यों
दिया?"
"इसलिए कि मैं नहीं चाहता कि आपकी मंगेतर विवाह से पहले ही विधवा हो जाए।" मोहन ने मुस्कराकर कहा।
"दिमाग तो नहीं खराब हो गया आपका।" रीता ने भिन्नाकर कहा।
"दिमाग तो जरूरत खराब हो गया है वरना मैं यह क्यों सोचता कि आप लोगों की इस परेशानी में सहायता करनी चाहिए।"
"क्या सहायता कर सकते हैं आप?"
"धक्का लगवा देता गाड़ी में।"
“ए मिस्टर, मेरे होते हुए आप कौन होते हैं धक्का लगाने वाले? मैं रीता का मंगेतर
__ "तुम चुप रहो," रीता ने घुघरु को डांटा
और फिर मोहन से बोली, "अगर आप सहायता कर सके हैं, तो कीजिए।"
"आपकी गाड़ी में क्या खराबी है?"
"पेट्रोल खत्म हो गया।"
*
"ठहरिए मैं आपको इतना पेट्रोल दिए देता हूं कि आप पेट्रोल पम्प तक पहुंच जाएं।"
"बहुत.बहुत धन्यवाद......।"
.
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मोहन ने तीली हवा में उछालकर पलट कर देख। एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी। उसकी बत्तियां एक मिनट जल कर बुझ गईं। फिर गाड़ी की खिड़की से एक लड़की ने झांककर जोर से कहा .
"ऐ मिस्टर.... आप बहरे हैं क्या?"
" जो नहीं, लेकिन अगर कुछ देर आप की कृपा और रहती तो जरूर बहरा हो जाता।"
"सामने से हटिए।"
मोहन धीरे से एक ओर हट गया। गाड़ी रेंगती हुई उसके पास पहुंची और रुक गई।
गाड़ी के पीछे से उसे किसी के हांफने की आवाज सुनाई दी। मोहन ने गर्दन घुमाईं..... गाड़ी के पीछे एक नौजवान झुका हुआ । धक्का लगा रहा था। उसके दोनों हाथ पांव बराबर चल रहे थे....... लेकिन गाड़ी एक इंच भी नहीं चल रही थी।
मोहन के होंठों पर मुस्कराहट फैल गई।
लड़की ने गर्दन निकालकर झल्लाए हुए स्वर में कहा .
"अरे ओ घोंचू...... जोर से धक्का लगाओ।"
नौजवान ने एक झटका लिया और दौड़कर खिड़की की के पास आकर बोला . "क्या कहा .....? घोंचू......? मैंने कितनी बार कहा है कि मेरा नाम घुघरु चंद है, घोंचू
नहीं।"
"घुघरु चंद के बच्चे .... मैं कहती हूं धक्का लगाओ।"
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"रीता ..... शादी से पहले मैं तुम्हें गाली गलोज की अनुमति नहीं दे सकता।" घुघरु ने बुरा मान कर कहा,, “शादी के बाद पति को गाली देना पत्नी का सामाजिक अधिकार बन जाता है"
"नानसेन्स ..... मै कहती हूं धक्का लगाओ।" रीता ने दांत किटकिटाकर कहा।
"मुझसे नहीं लगाया जाता धक्का," घुघरु हांफ कर बोला, "दो मील से धक्का लगाता आ रहा हूं।"
"अरे, तो हय गाड़ी पेट्रोल पम्प तक कैसे पहुंचेगी?"
"सुनिए," मोहन ने रीता से कहा, "क्या आपको इन साहब से किसी तरह की दुश्मनी है?"
"क्या मतलब?" रीता भिन्नाकर बोली।
"मुझे तो ऐसा ही मालूम होता है।"
"वह कैसे मिस्टर?" घुघरु ने मोहन को घूरकर पूछा।
___ "अरे, तो क्या आप यह समझते हैं कि पेट्रोल पम्प तक धक्का लगाते.लगाते आप जिन्दा रह जाएंगे? जरा अपनी हालत तो देखिए..... जानते हैं यहां से पेट्रोल पम्प कितनी दूर है।"
"कितनी दूर है?"
"लगभग दो मील और होगा।"
"अरे बाप रे!" घुघरु पेट पकड़कर कराहने लगा।
रीता ने भिन्नाकर दरवाजा खोला और नीचे उतरकर मोहन से पूछा . “ऐ मिस्टर.....
आप कौन हैं?"
"मैं एक राहगीर हूं।"
"मैं पूछती हूं हम दोनों के बीच दखल देने वाले आप कौन होते हैं?"
"हां, यह तो मैं भूल ही गया था।" घुघरु ने जोशीले स्वर में कहा, 'क्योंजी, आपने हम दोनों के मामले में दखल क्यों
दिया?"
"इसलिए कि मैं नहीं चाहता कि आपकी मंगेतर विवाह से पहले ही विधवा हो जाए।" मोहन ने मुस्कराकर कहा।
"दिमाग तो नहीं खराब हो गया आपका।" रीता ने भिन्नाकर कहा।
"दिमाग तो जरूरत खराब हो गया है वरना मैं यह क्यों सोचता कि आप लोगों की इस परेशानी में सहायता करनी चाहिए।"
"क्या सहायता कर सकते हैं आप?"
"धक्का लगवा देता गाड़ी में।"
“ए मिस्टर, मेरे होते हुए आप कौन होते हैं धक्का लगाने वाले? मैं रीता का मंगेतर
__ "तुम चुप रहो," रीता ने घुघरु को डांटा
और फिर मोहन से बोली, "अगर आप सहायता कर सके हैं, तो कीजिए।"
"आपकी गाड़ी में क्या खराबी है?"
"पेट्रोल खत्म हो गया।"
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"ठहरिए मैं आपको इतना पेट्रोल दिए देता हूं कि आप पेट्रोल पम्प तक पहुंच जाएं।"
"बहुत.बहुत धन्यवाद......।"
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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Re: Romance बन्धन
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Re: Romance बन्धन
मोहन ने अपनी कार की डिग्गी खोली...... पहले बारह बोल्ट की एक बैटरी को टटोलकर देखा और फिर पेट्रोल का एक टिन निकाल कर रीता के पास आ गया।
"इस टिन में पांच लीटर पेट्रोल है। आप ले लीजिए। लेकिन मेरी एक शर्त है।"
"कैसी शर्त? अगर आप चाहें, तो इसकी कीमत ले लीजिए।" रीता ने कहा।
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"हां हां कीमत दे दूंगी..... नहीं नहीं दे दूंगा।" घुघरु जल्दी से बोला।
"जी नहीं मुझे कीमत नहीं चाहिए..... अच्छा रहने दीजिए..... मेरी कोई शर्त नहीं है।"
"नहीं नहीं, आप बताइए।"
"आप अपनी टंकी का लॉक खोलिए।"
रीता ने विचित्र.सी नजरों से मोहन को देखा और टंकी का लॉक खोल दिया। मोहन ने उसमें पेट्रोल डाल दिया।
“अब आप जा सकती है।" मोहन ने मुस्कराकर कहा।
"धन्यवाद, अगर आप पेट्रोल पम्प तक चलें, तो मैं आपको पेट्रोल खरीदकर दे दूंगी।"
"जी नहीं, धन्यवाद।" रीता ने फिर विचित्र.सी नजरों से मोहन को देखा और गाड़ी में जा बैठी। चूंघरु भी झपटकर उसके बराबर जा बैठा। मोहन ने रीता की गाड़ी की डिग्गी खोली और अपनी गाड़ी की डिग्गी में से बैटरी निकाल कर रीता की गाड़ी की डिग्गी में रख दी। डिग्गी के बंद होते.होते रीता की गाड़ी फर्राटे भरती हुई दूर चली गई।
मोहन ने इत्मीनान से अपने दोनों हाथ झाड़े और अपनी गाड़ी में आ बैठा। कुछ देर के बाद उसकी गाड़ी फिर दौड़ रही थी। वह रीता से विपरीत दिशा में जा रहा था। उसने रीता की गाड़ी के नम्बर अच्छी तरह याद कर लिए थे।
अगले नाके पर पहुंचते.पहुंचते मोहन की गाड़ी को पुलिस की एक पेट्रोल कार ने रुकने का इशारा किया। मोहन ने गाड़ी रोक दी। और दूसरे ही पल एक इंस्पेक्टर ने कुछ कांस्टेबलों के साथ मोहन की गाड़ी घेर ली। इंस्पेक्टर के हाथ में रिवाल्वर था।
___ उसने गाड़ी का निरीक्षण करते हुए कहा
"वही रंग...... वही माडल ......!"
"क्या बात है इंस्पेक्टर साहब?" मोहन ने बड़े शान्त भाव से पूछा।
"आप जरा नीचे उतरिए।"
मोहन बड़े इत्मीनान से नीचे उतर आया। इंस्पेक्टर मोहन को घूर कर देखने लगा।
मोहन ने मुस्करा कर कहा .
"कोई विशेष बात?"
इंस्पेक्टर ने कांस्टेबलों से कहा . "तलाशी लो।"
कांस्टेबल मोहन की गाड़ी की तलाशी लेने लगे। इंस्पेक्टर गाड़ी की नम्बर प्लेट देखने लगा।
मोहन ने सिगरेट केस निकालकर इंस्पेक्टर की ओर बढ़ा दिया।
"आपको शायद किसी अपराधी की तलाश है..... सिगरेट.....!"
.
.
"धन्यवाद..... मैं सिगरेट नहीं पीता।", इंस्पेक्टर ने रूखे स्वर में कहा।
मोहन ने सिगरेट सुलगा ली।
कांस्टेबल गाड़ी की तलाशी ले चुके थे। एक कांस्टेबल ने कहा .
"इसमें तो कुछ भी नहीं है साहब।"
"आश्चर्य है।" इंस्पेक्टर मोहन को घूरकर बड़बड़ाया।
"किस बात का आश्चर्य? मुझे भी तो कुछ बताइए।" मोहन मुस्कराकर बोला।
"आप कहां से आ रहे है?"
"रामनगर से।"
"यहां कहां रहते है?"
"जुबली क्लब।"
"जुबली क्लब .... लेकनि वह तो होटल नहीं क्लब है?'' इंस्पेक्टर ने चौंककर कहा।
"जी हां क्लब ही है.... मैं उस क्लब का मैनेजर हूं.... मुझे मोहन कुमार कहते
"जुबली क्लब तो.....?"
"गोविन्द राम जी का है.... आपके एस. पी. साहब के गहरे मित्र है गोविन्द राम जी
और वह मेरे अंकल है।"
"एक्सक्यूज़ मी मि. मोहन," इंस्पेक्टर ने क्षमा याचना करते हुए कहा, "असल में हमें एक मुजरिम की तलाश थी, जिसका संबंध स्मगलरों के एक बहुत बड़े गिरोह से है। थोड़ी देर पहले ही पुलिस से उसकी मुठभेड़ हुई थी। लेकिन वह भागने में सफल हो गया। शहर की ओर आया था। इसलिए गश्ती पुलिस को सावधान कर दिया गया था। उसके पास भी इसी माडल की गाड़ी थी।"
"इस माडल और इस रंग की गाड़ियां तो शहर में लगभग दो.तीन सौ होंगी।" मोहन मुस्कराया।
"मैं एक बार फिर इस कष्ट के लिए माफी चाहता हूं।"
"माफी की कोई बात नहीं इंस्पेक्टर साहब, आपने अपना कर्तव्य निभाया है। अब तो सिगरेट पी लीजिए। आपकी उंगलियां और होंठ बता रहे हैं कि आप सिगरेट पीते हैं।"
इंस्पेक्टर ने हँस कर सिगरेट ले ली।
मोहन ने उसका सिगरेट सुलगाकर तीली चुटकी से उछालते हुए कहा . “अब तो इजाजत है?"
"जरूर जनाब..... मैं एक बार फिर माफी चाहता हूं।"
मोहन कार में जा बैठा।
कुछ देर बाद उसकी कार सड़क पर तेजी से दौड़ रही थी।
रीता की गाड़ी पोर्टिको में पहुंच कर रुक गई। नौकर दौड़कर गाड़ी के पास आ गए। रीता गाड़ से उतर आई।
एक नौकर ने उसे सलाम किया।
"आप आ गईं मालकिन?"
" हां काका, डैडी कहां हैं?"
"वे तो क्लब में हैं मालकिन।"
“आज भी क्लब में ही है?" रीता ने गुस्से से कहा, "क्या उन्हें मालूम नहीं था कि मैं आ रही हूं?"
"मालूम तो था, लेकिन उन्हें कोई जरूरी काम निकल आया था। कुछ मिनट पहले ही गए है।"
"जल्दी से सामान उतरवाकर कार साफ करा दो..... मैं इसी समय क्लब जाऊंगी।"
"इस टिन में पांच लीटर पेट्रोल है। आप ले लीजिए। लेकिन मेरी एक शर्त है।"
"कैसी शर्त? अगर आप चाहें, तो इसकी कीमत ले लीजिए।" रीता ने कहा।
.
.
.
"हां हां कीमत दे दूंगी..... नहीं नहीं दे दूंगा।" घुघरु जल्दी से बोला।
"जी नहीं मुझे कीमत नहीं चाहिए..... अच्छा रहने दीजिए..... मेरी कोई शर्त नहीं है।"
"नहीं नहीं, आप बताइए।"
"आप अपनी टंकी का लॉक खोलिए।"
रीता ने विचित्र.सी नजरों से मोहन को देखा और टंकी का लॉक खोल दिया। मोहन ने उसमें पेट्रोल डाल दिया।
“अब आप जा सकती है।" मोहन ने मुस्कराकर कहा।
"धन्यवाद, अगर आप पेट्रोल पम्प तक चलें, तो मैं आपको पेट्रोल खरीदकर दे दूंगी।"
"जी नहीं, धन्यवाद।" रीता ने फिर विचित्र.सी नजरों से मोहन को देखा और गाड़ी में जा बैठी। चूंघरु भी झपटकर उसके बराबर जा बैठा। मोहन ने रीता की गाड़ी की डिग्गी खोली और अपनी गाड़ी की डिग्गी में से बैटरी निकाल कर रीता की गाड़ी की डिग्गी में रख दी। डिग्गी के बंद होते.होते रीता की गाड़ी फर्राटे भरती हुई दूर चली गई।
मोहन ने इत्मीनान से अपने दोनों हाथ झाड़े और अपनी गाड़ी में आ बैठा। कुछ देर के बाद उसकी गाड़ी फिर दौड़ रही थी। वह रीता से विपरीत दिशा में जा रहा था। उसने रीता की गाड़ी के नम्बर अच्छी तरह याद कर लिए थे।
अगले नाके पर पहुंचते.पहुंचते मोहन की गाड़ी को पुलिस की एक पेट्रोल कार ने रुकने का इशारा किया। मोहन ने गाड़ी रोक दी। और दूसरे ही पल एक इंस्पेक्टर ने कुछ कांस्टेबलों के साथ मोहन की गाड़ी घेर ली। इंस्पेक्टर के हाथ में रिवाल्वर था।
___ उसने गाड़ी का निरीक्षण करते हुए कहा
"वही रंग...... वही माडल ......!"
"क्या बात है इंस्पेक्टर साहब?" मोहन ने बड़े शान्त भाव से पूछा।
"आप जरा नीचे उतरिए।"
मोहन बड़े इत्मीनान से नीचे उतर आया। इंस्पेक्टर मोहन को घूर कर देखने लगा।
मोहन ने मुस्करा कर कहा .
"कोई विशेष बात?"
इंस्पेक्टर ने कांस्टेबलों से कहा . "तलाशी लो।"
कांस्टेबल मोहन की गाड़ी की तलाशी लेने लगे। इंस्पेक्टर गाड़ी की नम्बर प्लेट देखने लगा।
मोहन ने सिगरेट केस निकालकर इंस्पेक्टर की ओर बढ़ा दिया।
"आपको शायद किसी अपराधी की तलाश है..... सिगरेट.....!"
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"धन्यवाद..... मैं सिगरेट नहीं पीता।", इंस्पेक्टर ने रूखे स्वर में कहा।
मोहन ने सिगरेट सुलगा ली।
कांस्टेबल गाड़ी की तलाशी ले चुके थे। एक कांस्टेबल ने कहा .
"इसमें तो कुछ भी नहीं है साहब।"
"आश्चर्य है।" इंस्पेक्टर मोहन को घूरकर बड़बड़ाया।
"किस बात का आश्चर्य? मुझे भी तो कुछ बताइए।" मोहन मुस्कराकर बोला।
"आप कहां से आ रहे है?"
"रामनगर से।"
"यहां कहां रहते है?"
"जुबली क्लब।"
"जुबली क्लब .... लेकनि वह तो होटल नहीं क्लब है?'' इंस्पेक्टर ने चौंककर कहा।
"जी हां क्लब ही है.... मैं उस क्लब का मैनेजर हूं.... मुझे मोहन कुमार कहते
"जुबली क्लब तो.....?"
"गोविन्द राम जी का है.... आपके एस. पी. साहब के गहरे मित्र है गोविन्द राम जी
और वह मेरे अंकल है।"
"एक्सक्यूज़ मी मि. मोहन," इंस्पेक्टर ने क्षमा याचना करते हुए कहा, "असल में हमें एक मुजरिम की तलाश थी, जिसका संबंध स्मगलरों के एक बहुत बड़े गिरोह से है। थोड़ी देर पहले ही पुलिस से उसकी मुठभेड़ हुई थी। लेकिन वह भागने में सफल हो गया। शहर की ओर आया था। इसलिए गश्ती पुलिस को सावधान कर दिया गया था। उसके पास भी इसी माडल की गाड़ी थी।"
"इस माडल और इस रंग की गाड़ियां तो शहर में लगभग दो.तीन सौ होंगी।" मोहन मुस्कराया।
"मैं एक बार फिर इस कष्ट के लिए माफी चाहता हूं।"
"माफी की कोई बात नहीं इंस्पेक्टर साहब, आपने अपना कर्तव्य निभाया है। अब तो सिगरेट पी लीजिए। आपकी उंगलियां और होंठ बता रहे हैं कि आप सिगरेट पीते हैं।"
इंस्पेक्टर ने हँस कर सिगरेट ले ली।
मोहन ने उसका सिगरेट सुलगाकर तीली चुटकी से उछालते हुए कहा . “अब तो इजाजत है?"
"जरूर जनाब..... मैं एक बार फिर माफी चाहता हूं।"
मोहन कार में जा बैठा।
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रीता की गाड़ी पोर्टिको में पहुंच कर रुक गई। नौकर दौड़कर गाड़ी के पास आ गए। रीता गाड़ से उतर आई।
एक नौकर ने उसे सलाम किया।
"आप आ गईं मालकिन?"
" हां काका, डैडी कहां हैं?"
"वे तो क्लब में हैं मालकिन।"
“आज भी क्लब में ही है?" रीता ने गुस्से से कहा, "क्या उन्हें मालूम नहीं था कि मैं आ रही हूं?"
"मालूम तो था, लेकिन उन्हें कोई जरूरी काम निकल आया था। कुछ मिनट पहले ही गए है।"
"जल्दी से सामान उतरवाकर कार साफ करा दो..... मैं इसी समय क्लब जाऊंगी।"
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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