बढ़िया अपडेट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार complete
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Re: अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
तेरे प्यार मे........राजमाता कौशल्यादेवी....मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
- shaziya
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Re: अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
Thanks to all
Read my story
खेल खेल में गंदी बात (Running) मेरा बेटा मेरा यार (माँ बेटे की वासना ) (Complete) नाजायज़ रिश्ता : ज़रूरत या कमज़ोरी (Running) अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार (complete) निदा के कारनामे (Complete) दोहरी ज़िंदगी (complete)नंदोई के साथ (complete ) पापा से शादी और हनीमून complete
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- shaziya
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Re: अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
मैं जल्दी से उठा और अपने बेड की चादर निकाली और बाथरूम में चला गया, जहाँ मैंने चादर को शावर के नीचे रखकर पानी खोल दिया और अच्छी तरह भिगोकर वहीं छोड़ा और रूम में वापिस आ गया और बिना बेडशीट के ही बेड पे लेट गया और आज हुई घटना के बारे में सोचने लगा कि मुझे अब क्या करना चाहिए? और सोचतेसोचते आखिरकार मैंने एक फैसला कर ही लिया और लैपटाप उठाकर घर से निकला और काशी को काल मिलाई कि मैं उसकी तरफ आ रहा हूँ और रात उसके पास ही रुकुंगा।
तो काशी ने कहा- क्या बात है भाई, सब ठीक तो है ना?
मैंने कहा- “यार, सब ठीक है। तेरे पास रहूंगा, रात में कुछ प्लान करना है मुझे तेरे साथ...” और इतना बोलकर काल कट कर दी और बाइक पे बैठकर काशी के घर की तरफ चल दिया।
मैं काशी के घर पे पहुँचकर नाक किया। तो काशी ने दूसरी तरफ बैठक का दरवाजा खोलकर बाहर झाँका और मुझे देखकर बोला- “यार इधर ही आ जा तू...”
मैं अंदर दाखिल हो गया तो काशी ने मेरे हाथ से बाइक की चाबी माँगी और बोला- “मैं बाइक को अंदर घर में खड़ा कर देता हूँ, क्योंकी तू रात भर यहाँ रहेगा तो बाइक को अंदर खड़ा कर दें..”
मैंने उसे बाइक की चाबी दे दी तो वो बाहर निकल गया और कुछ देर बाद घर के अंदर वाले दरवाजे से बैठक में आ गया और बोला- “यार मैंने नीलू को चाय के लिए बोल दिया है। अभी जब वो चाय देकर जाएगी तब बात। करेंगे...”
तो मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और सोच में गुम हो गया। मैं काशी के सामने बैठा सोच में गुम था कि आखिर मैं बात करूं भी तो किस तरह करूं क्योंकी मैं नहीं चाहता था कि जब काशी को पता चले कि फरी कोई और नहीं मेरी बड़ी बहन है तो वो मेरा मजाक उड़ाए। क्योंकी किसी ना किसी दिन तो ये बात काशी को पता चलनी ही थी। आखिर मैं कब तक छुपा सकता था उससे?
तभी काशी ने कहा- “अबे उल्लू की पूंच्छ कहाँ गुम है?”
मैं अपनी सोचों में काफी गुम था और काशी के इस तरह बुलाने से चौंक गया और जब काशी की तरफ देखा जो मुझे ही घूरे जा रहा था तो मैंने कहा- “क्या हुआ मुझे घूर क्यों रहा है?"
काशी ने कहा- “यार, मुझे भी तो बता आखिर मसला क्या है? तू इतना ज्यादा परेशान क्यों हो रहा है?”
तो मैंने कहा- “बताऊँगा यार, लेकिन वादा कर कि तू किसी से ये बात बोलेगा नहीं, और मेरा राज अपने सीने में छुपाकर रखेगा, चाहे जो भी हो जाए। वादा कर मेरे साथ..”
काशी ने कहा- “देख यार सन्नी, हम चाय के बाद इस पे बात करते हैं। अभी तो ये बता कि तुझे कुछ और चाहिए तो मैं अभी ले आता हूँ। क्योंकी अगर तूने रात को सिगरेट माँगा तो मैं कहाँ से लाऊँगा?”
“हाँ यार, याद आया। तू ऐसा कर कि एक पैकेट ले ही आ अभी..” मैंने इतना ही कहा था कि नीलू काशी की बड़ी बहन चाय लेकर रूम में आ गई और झुक के हमारे बीच रखकर वहीं खड़ी हो गई।
तो काशी ने कहा- क्या बात है भाई, सब ठीक तो है ना?
मैंने कहा- “यार, सब ठीक है। तेरे पास रहूंगा, रात में कुछ प्लान करना है मुझे तेरे साथ...” और इतना बोलकर काल कट कर दी और बाइक पे बैठकर काशी के घर की तरफ चल दिया।
मैं काशी के घर पे पहुँचकर नाक किया। तो काशी ने दूसरी तरफ बैठक का दरवाजा खोलकर बाहर झाँका और मुझे देखकर बोला- “यार इधर ही आ जा तू...”
मैं अंदर दाखिल हो गया तो काशी ने मेरे हाथ से बाइक की चाबी माँगी और बोला- “मैं बाइक को अंदर घर में खड़ा कर देता हूँ, क्योंकी तू रात भर यहाँ रहेगा तो बाइक को अंदर खड़ा कर दें..”
मैंने उसे बाइक की चाबी दे दी तो वो बाहर निकल गया और कुछ देर बाद घर के अंदर वाले दरवाजे से बैठक में आ गया और बोला- “यार मैंने नीलू को चाय के लिए बोल दिया है। अभी जब वो चाय देकर जाएगी तब बात। करेंगे...”
तो मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और सोच में गुम हो गया। मैं काशी के सामने बैठा सोच में गुम था कि आखिर मैं बात करूं भी तो किस तरह करूं क्योंकी मैं नहीं चाहता था कि जब काशी को पता चले कि फरी कोई और नहीं मेरी बड़ी बहन है तो वो मेरा मजाक उड़ाए। क्योंकी किसी ना किसी दिन तो ये बात काशी को पता चलनी ही थी। आखिर मैं कब तक छुपा सकता था उससे?
तभी काशी ने कहा- “अबे उल्लू की पूंच्छ कहाँ गुम है?”
मैं अपनी सोचों में काफी गुम था और काशी के इस तरह बुलाने से चौंक गया और जब काशी की तरफ देखा जो मुझे ही घूरे जा रहा था तो मैंने कहा- “क्या हुआ मुझे घूर क्यों रहा है?"
काशी ने कहा- “यार, मुझे भी तो बता आखिर मसला क्या है? तू इतना ज्यादा परेशान क्यों हो रहा है?”
तो मैंने कहा- “बताऊँगा यार, लेकिन वादा कर कि तू किसी से ये बात बोलेगा नहीं, और मेरा राज अपने सीने में छुपाकर रखेगा, चाहे जो भी हो जाए। वादा कर मेरे साथ..”
काशी ने कहा- “देख यार सन्नी, हम चाय के बाद इस पे बात करते हैं। अभी तो ये बता कि तुझे कुछ और चाहिए तो मैं अभी ले आता हूँ। क्योंकी अगर तूने रात को सिगरेट माँगा तो मैं कहाँ से लाऊँगा?”
“हाँ यार, याद आया। तू ऐसा कर कि एक पैकेट ले ही आ अभी..” मैंने इतना ही कहा था कि नीलू काशी की बड़ी बहन चाय लेकर रूम में आ गई और झुक के हमारे बीच रखकर वहीं खड़ी हो गई।
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- shaziya
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Re: अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
मैंने अपना सर उठाकर देखा तो मुझे बड़ी हैरानी हुई कि वो यूँ इस तरह हमारे सामने बिना दुपट्टा लिए ही चाय देने आई थी जिस पे काशी ने भी उसे कुछ बोलना जरूरी नहीं समझा था। मेरे लिए हैरानी की बात इसलिए थी कि हमारे मज़हब में ये चीज बड़ी खराब समझी जाती है कि कोई लड़की किसी भी अपने भाई या बाप के दोस्त के सामने इस तरह बिना दुपट्टे के जाए। क्योंकी बाहर वालों से हटकर घर वाले ही ऐसा नहीं होने देते, क्योंकि ये कोई अच्छी बात नहीं थी।
मैं नीलू की तरफ देखे जा रहा था हैरानी भरी नजरों से।
जिस पे नीलू ने काशी की तरफ देखा और बोली- “भाई लगता है तुम्हारे दोस्त ने कभी कोई लड़की नहीं देखी है। कभी, जो मुझे यूँ घूरे जा रहा है।
काशी उसकी बात सुनकर हँस दिया और बोला- “तुम ऐसा करो, अभी जाओ यहाँ से हमें कुछ बात करनी है..”
तो नीलू रूम से बाहर घर की तरफ चल दी और दरवाजा के पास जाकर वापिस मुड़ी और काशी से बोली- “भाई अगर तुम्हारा दोस्त रात यहाँ ही रहेगा तो मैं रात को पूरे घर में अकेली कैसे रहूंगी...”
काशी ने कहा- “यार, उसका भी कुछ करते हैं अभी तुम जाओ...”
तो नीलू रूम से निकल गई। तो काशी ने चाय लेते हुये कहा- “यार वो छोटी और अम्मी अब्बू शादी में गये हुये हैं, एक हफ्ते के लिए तो घर पे मेरे साथ बस नीलू ही रह गई है और रात को इसे काफी डर लगता है अकेले में...”
मैंने काशी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और खामोश बैठा चाय पीता रहा।
तो काशी चाय खतम करके उठा और बाहर दुकान में चला गया सिगरेट लाने के लिए।
उसके जाते ही नीलू रूम में आ गई और खाली कप उठाने लगी और बोली- “वैसे आप अगर हँसते रहो तो अच्छे लगोगे..."
मैंने नीलू की तरफ देखा और अचानक मेरे दिल में ख्याल आया कि क्यों ना देखा जाए नीलू पे लाइन मारकर तो मैंने कहा- “अगर मैं मुश्कुराने लगूँ तो आप मेरे साथ थोड़ा टाइम बैठोगी?”
नीलू ने फौरन कप वापिस रखे और मेरे सामने जहाँ कुछ देर पहले काशी बैठा था बैठ गई और बोली- “अगर आप ज्यादा फ्री ना होने का वादा करो तो आप जब तक यहाँ हो मैं यहाँ बैठने को तैयार हूँ..”
मुझे नीलू की बात से बड़ी हैरानी हुई, लेकिन मैंने इसका इजहार नहीं किया और बोला- “लेकिन काशी शायद इस बात को बुरा समझे कि आप मेरे साथ बैठोगी?”
मैं नीलू की तरफ देखे जा रहा था हैरानी भरी नजरों से।
जिस पे नीलू ने काशी की तरफ देखा और बोली- “भाई लगता है तुम्हारे दोस्त ने कभी कोई लड़की नहीं देखी है। कभी, जो मुझे यूँ घूरे जा रहा है।
काशी उसकी बात सुनकर हँस दिया और बोला- “तुम ऐसा करो, अभी जाओ यहाँ से हमें कुछ बात करनी है..”
तो नीलू रूम से बाहर घर की तरफ चल दी और दरवाजा के पास जाकर वापिस मुड़ी और काशी से बोली- “भाई अगर तुम्हारा दोस्त रात यहाँ ही रहेगा तो मैं रात को पूरे घर में अकेली कैसे रहूंगी...”
काशी ने कहा- “यार, उसका भी कुछ करते हैं अभी तुम जाओ...”
तो नीलू रूम से निकल गई। तो काशी ने चाय लेते हुये कहा- “यार वो छोटी और अम्मी अब्बू शादी में गये हुये हैं, एक हफ्ते के लिए तो घर पे मेरे साथ बस नीलू ही रह गई है और रात को इसे काफी डर लगता है अकेले में...”
मैंने काशी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और खामोश बैठा चाय पीता रहा।
तो काशी चाय खतम करके उठा और बाहर दुकान में चला गया सिगरेट लाने के लिए।
उसके जाते ही नीलू रूम में आ गई और खाली कप उठाने लगी और बोली- “वैसे आप अगर हँसते रहो तो अच्छे लगोगे..."
मैंने नीलू की तरफ देखा और अचानक मेरे दिल में ख्याल आया कि क्यों ना देखा जाए नीलू पे लाइन मारकर तो मैंने कहा- “अगर मैं मुश्कुराने लगूँ तो आप मेरे साथ थोड़ा टाइम बैठोगी?”
नीलू ने फौरन कप वापिस रखे और मेरे सामने जहाँ कुछ देर पहले काशी बैठा था बैठ गई और बोली- “अगर आप ज्यादा फ्री ना होने का वादा करो तो आप जब तक यहाँ हो मैं यहाँ बैठने को तैयार हूँ..”
मुझे नीलू की बात से बड़ी हैरानी हुई, लेकिन मैंने इसका इजहार नहीं किया और बोला- “लेकिन काशी शायद इस बात को बुरा समझे कि आप मेरे साथ बैठोगी?”
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खेल खेल में गंदी बात (Running) मेरा बेटा मेरा यार (माँ बेटे की वासना ) (Complete) नाजायज़ रिश्ता : ज़रूरत या कमज़ोरी (Running) अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार (complete) निदा के कारनामे (Complete) दोहरी ज़िंदगी (complete)नंदोई के साथ (complete ) पापा से शादी और हनीमून complete
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Re: अंजाने में बहन ने ही चुदवाया पूरा परिवार
तो नीलू मेरी बात सुनकर हँस दी और बोली- “नहीं सन्नी जी, मैं अपने भाई को अच्छी तरह जानती हूँ। उसे जरा भी बुरा नहीं लगेगा और वैसे भी हम यहाँ सिर्फ बातें ही तो करेंगे जिसपे कोई भी ऐतराज नहीं कर सकता..."
अभी हम ये बातें ही कर रहे थे कि काशी सिगरेट लेकर आ गया और नीलू को मेरे सामने बैठा देखकर बोला यार नीलू, तुम मेरे इस बेचारे दोस्त को तो बख्श ही डालो ये बड़ा भोला है अभी...”
नीलू मेरी तरफ बड़े अजीब से अंदाज में देखते हुये बोली- “भाई,मैं कौन सा आपके दोस्त को खा जाऊँगी। हम बातें ही तो कर रहे हैं और वैसे भी आपके दोस्त ने ही कहा था बातें करने को..”
काशी- “अच्छा ठीक है, अभी तुम जाओ यहाँ से और खाना तैयार करो तब तक हम कुछ बातें कर लें..”
नीलू कप उठाकर रूम से बाहर चली गई तो काशी ने दरवाजे को लाक किया और मेरे सामने आकर बैठ गया और बोला- “हाँ यार सन्नी, अब जरा बातें हो जायें खुलकर कि आखिर तुझे परेशानी क्या है?"
मैं कुछ देर तक काशी की आँखों में झाँकता रहा और फिर एक ठंडी साँस छोड़ते हो बोला- “तू ने अभी तक वादा नहीं किया मेरे साथ कि आज मैं जो बात तुम्हें बताना चाहता हूँ, तू उस बारे में किसी से कोई बात नहीं करेगा, चाहे हमारी दोस्ती रहे या ना रहे.."
काशी- “देख यार सन्नी, अब जब तू ने खुद खुलकर बात करने की सोच ली है तो पहले तो मैं तुम्हें ये बता दें कि मैं जानता हूँ कि तू यहाँ क्या बात करने आया है? लेकिन फिर भी मैं अपनी माँ की कशम खाकर कहता हूँ कि चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा...”
मैं थोड़ा हैरान होते हुये बोला- “नहीं काशी, तुम नहीं जानते कि मैं आज यहाँ किसलिए आया हूँ...”
काशी- “देख सन्नी, मैं कशम भी खा चुका हूँ और वादा भी करता हूँ, लेकिन साथ ही ये भी बता दें कि आज मैं तेरे सामने कुछ अपने राज भी बताऊँगा तुम्हें, जिसके बारे में कोई नहीं जानता, मेरे घर वाले भी नहीं... और बाकी रह गई तेरी ये बात कि मैं नहीं जानता... तो सुनो कि तुम यहाँ फरी के सिलसिले में आए हो, और बात करने के लिए ही आये हो। और तुझे एक सच ये भी बता दें कि जब मैं फरी के साथ रूम में था तो वहाँ उसने मुझे अपने मुहल्ले का नाम भी बताया था। लेकिन मुझे तब भी समझ में नहीं आई थी। लेकिन अभी तेरे आने से कुछ पहले मैंने फरी से बात करते हुये तेरा पूछा था कि वो तुम्हें जानती है?
तो उसने कहा “हाँ.. लेकिन ये नहीं बताया कि कैसे जानती है?
लेकिन जब मैंने कुछ ज्यादा जोर दिया तो उसने जो बताया वो मेरे लिए बड़ा ही हैरान करने वाला था।
मैं काशी की बात सुनकर अपना सर थामकर बैठ गया और बोला- “देख यार काशी, ये अच्छा नहीं हुआ। अगर उसे पता चला कि मैंने खुद तुम्हें उसे पटाने के लिए बोला था तो वो और कुछ नहीं समझेगी बल्की सारी जिंदगी मेरे साथ बात भी नहीं करेगी और मैं उसका सामना भी नहीं कर सकूँगा..."
काशी- “देख सन्नी, जो होना था वो हो गया, उसे हम वापिस नहीं ला सकते। लेकिन अब हम अगर चाहें तो फरी बहन को कहीं और किसी के साथ बदनाम होने से बचा सकते हैं...”
मैं काशी की तरफ देखते हुये बोला- वो कैसे?
अभी हम ये बातें ही कर रहे थे कि काशी सिगरेट लेकर आ गया और नीलू को मेरे सामने बैठा देखकर बोला यार नीलू, तुम मेरे इस बेचारे दोस्त को तो बख्श ही डालो ये बड़ा भोला है अभी...”
नीलू मेरी तरफ बड़े अजीब से अंदाज में देखते हुये बोली- “भाई,मैं कौन सा आपके दोस्त को खा जाऊँगी। हम बातें ही तो कर रहे हैं और वैसे भी आपके दोस्त ने ही कहा था बातें करने को..”
काशी- “अच्छा ठीक है, अभी तुम जाओ यहाँ से और खाना तैयार करो तब तक हम कुछ बातें कर लें..”
नीलू कप उठाकर रूम से बाहर चली गई तो काशी ने दरवाजे को लाक किया और मेरे सामने आकर बैठ गया और बोला- “हाँ यार सन्नी, अब जरा बातें हो जायें खुलकर कि आखिर तुझे परेशानी क्या है?"
मैं कुछ देर तक काशी की आँखों में झाँकता रहा और फिर एक ठंडी साँस छोड़ते हो बोला- “तू ने अभी तक वादा नहीं किया मेरे साथ कि आज मैं जो बात तुम्हें बताना चाहता हूँ, तू उस बारे में किसी से कोई बात नहीं करेगा, चाहे हमारी दोस्ती रहे या ना रहे.."
काशी- “देख यार सन्नी, अब जब तू ने खुद खुलकर बात करने की सोच ली है तो पहले तो मैं तुम्हें ये बता दें कि मैं जानता हूँ कि तू यहाँ क्या बात करने आया है? लेकिन फिर भी मैं अपनी माँ की कशम खाकर कहता हूँ कि चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा...”
मैं थोड़ा हैरान होते हुये बोला- “नहीं काशी, तुम नहीं जानते कि मैं आज यहाँ किसलिए आया हूँ...”
काशी- “देख सन्नी, मैं कशम भी खा चुका हूँ और वादा भी करता हूँ, लेकिन साथ ही ये भी बता दें कि आज मैं तेरे सामने कुछ अपने राज भी बताऊँगा तुम्हें, जिसके बारे में कोई नहीं जानता, मेरे घर वाले भी नहीं... और बाकी रह गई तेरी ये बात कि मैं नहीं जानता... तो सुनो कि तुम यहाँ फरी के सिलसिले में आए हो, और बात करने के लिए ही आये हो। और तुझे एक सच ये भी बता दें कि जब मैं फरी के साथ रूम में था तो वहाँ उसने मुझे अपने मुहल्ले का नाम भी बताया था। लेकिन मुझे तब भी समझ में नहीं आई थी। लेकिन अभी तेरे आने से कुछ पहले मैंने फरी से बात करते हुये तेरा पूछा था कि वो तुम्हें जानती है?
तो उसने कहा “हाँ.. लेकिन ये नहीं बताया कि कैसे जानती है?
लेकिन जब मैंने कुछ ज्यादा जोर दिया तो उसने जो बताया वो मेरे लिए बड़ा ही हैरान करने वाला था।
मैं काशी की बात सुनकर अपना सर थामकर बैठ गया और बोला- “देख यार काशी, ये अच्छा नहीं हुआ। अगर उसे पता चला कि मैंने खुद तुम्हें उसे पटाने के लिए बोला था तो वो और कुछ नहीं समझेगी बल्की सारी जिंदगी मेरे साथ बात भी नहीं करेगी और मैं उसका सामना भी नहीं कर सकूँगा..."
काशी- “देख सन्नी, जो होना था वो हो गया, उसे हम वापिस नहीं ला सकते। लेकिन अब हम अगर चाहें तो फरी बहन को कहीं और किसी के साथ बदनाम होने से बचा सकते हैं...”
मैं काशी की तरफ देखते हुये बोला- वो कैसे?
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