जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरु का गुलाम .भाग ५१

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जोरु का गुलाम ........भाग ५१


घर पहुँच के उन्हें लगा
जल्द से जल्द काम निपटा लें , सब के आने के पहले ,..


काम बहुत पड़ा था। डस्टिंग ,क्लीनिंग और सुबह के काम की तैयारी ,

देह चूर चूर हो रही थी ,ऐसा मजा कभी नहीं आया जो जो हुआ ,जो जो उन दोनों ने मिल के कराया , इत्ती फैंटेसी थी उनकी ,ब्ल्यू फिल्मे ,नेट की साइट्स , न कभी पढ़ी न कभी सोची

किसी तरह सब बातें भूलाने की कोशिश करते उन्होंने अपना काम शुरू किया ,

डस्टिंग ,झाड़ू लगाना ,बिस्तर

और जब वो टॉयलेट क्लीन कर रहे थे , मॉम का , एकदम चमकता होना चाहिए मालुम था उन्हें ,

जैसे कोई जबरदस्ती दरवाजा खोल के चला आये , बस कल रात की यादें धड़धड़ा कर घुस जाएँ


चार बार झड़े थे वो लेकिन



वो गीता के साथ ,पहली बार




बादल कम हो चुके थे , भोर दस्तक दे रही थी लेकिन रात भी अलसा रही थी ,जाने को।

मस्त हवा चल रही थी , वो थोड़े थके


लेकिन खूँटा खूब तन्नाया ,भूखा

और मंजू बाई के बड़े बड़े खूब भारी चूतड़ उनके चेहरे के ठीक ऊपर

गीता ने उन्हें चिढाते हुए अपने तगड़े हाथों से नीचे का पिछवाड़े का छेद खोलते हुए ,हंस के बोला ,


" भैय्या , माँ के पिछवाड़े का स्वाद तो तूने ले ही लिया ,ऊँगली से, जीभ अंदर डाल के , अब ज़रा अंदर का नजारा देख भी लो न। "

सीधे उनकी आँखों के सामने ,

उनको लग गया क्या होने वाला है ,

खूब बड़ा सा खुला हुआ गांड का छेद

और उन्होंने अपने होंठ जोर से भींच के बंद कर लिए पर गीता और मंजू बाई की जुगल बंदी के आगे पूरी रात उनकी नहीं चली तो इस समय क्या चलती। गीता खिलखिलाई


" अरे भैया तेरी माँ बहन तो झट से खोल देती हैं अपने सब छेद , तू काहें खोलने में झिझक रहा है ,खोल न बड़ा सा मुंह , ... "




और उस छिनार ने पूरी ताकत से उनके नथुने बंद कर दिए और साथ ही जोर से उनके निप्स पकड़ के मोड़ दिए ,

कुछ दर्द से ,कुछ सांस लेने के लिए उन्होंने जैसे ही मुंह खोला ,मंजू बाई का खुला गांड का छेद सीधे उनके खुले मुंह पे ,

और गीता उनका हाथ आँगन में पड़े अपने ब्लाउज से बांधते बोली ,

" ये हुयी न बात ,माँ मैं कह रही थी न भैय्या खुद अपना मुंह खोल के , देख कित्ता बड़ा मुंह खोला है उन्होंने , ... "

और उसके साथ ही गीता ने आंगन में पड़े अपने ब्लाउज से उनके हाथ कस के मोड़ के बाँध दिए और कान में हलके से हड़काते बोली,


" खबरदार जो मुंह बंद करने की कोशिश की , बस तू पड़ा रह ऐसे ही अब जो करना होगा हम दोनों करेंगे। "


वो बंद कर सकते भी नहीं थी उनके नथुनों पे अब मंजू बाई के एक हाथ का कब्जा था ,

और गीता उनके खूंटे के ऊपर अपनी कसी चूत को रगड़ते ,





वो उसकी चूत चूस चुके थे ,चाट चुके थे ,ऊँगली कर चुके थे लेकिन चोदने के लिए तड़प रहे थे ,





और अब मंजू बाई की गांड उनके चेहरे पर , देख तो नहीं सकते थे लेकिन छुअन महसूस कर सकते थे , गीता की गुड़ की डली ऐसी आवाज सुन तो सकते थे ,



" चल भैय्या तू बहुत तड़प रहा था न तुझे बहन की चूत का मजा चखा ही देती हूँ ,चल बहनचोद। बस तू लेटे रहना आज मैं दूँगी मजा , ... "

और गीता की चूत के होंठ उनके तन्नाए सुपाड़े से रगड़ रहे थे ,

मंजू ने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खूब जोर से चियार दी थी ,




" अरे भैया , प्लीज मेरी खातिर एक बार ज़रा सा जीभ निकाल के ,हाँ हाँ , थोड़ा सा और , बस ज़रा सा चाट लो न माँ की , ... "

और उसी के साथ गीता ने जो धक्का मारा उनका सुपाड़ा गीता की कसी किशोर चूत में ,

और उनकी जीभ तो बस अब उनके बजाय मंजू बाई और गीता की गुलाम हो चुकी थी ,निकल कर सीधे मंजू बाई की खुली ,...

गीता की चूत जोर जोर से उनके लन्ड को भींच रही थी और गीता की आवाज ,उनके कान में

" चाट साले मादरचोद ,अरे एक बार माँ का परसाद मिल गया न तो देखना बहुत जल्द जिस भोंसडे से निकला है उसे भी ऐसे ही चाटेगा , और हम सब के सामने, .... "

और उसी के साथ गीता ने भी पूरा जोर लगाया ,मंजू बाई ने भी ,...

गीता ने एक साथ दो उँगलियाँ उनकी गांड में भी पेल दी ,पूरे जड़ तक गोल गोल घुमाते

मंजू बाई की आवाज ,... ले मुन्ना ले न , ले और

आधे घंटे तक ,...



लेकिन तब तक घंटी बजी ,

गनीमत थी ,मोबाइल की ,दरवाजे की नहीं।

और वो रात से वापस दिन में लौटे।

मेरा ही मेसेज था ," हम लोग निकल रहे हैं , ३०-४० मिनट में पहुंचेंगे "

सफाई वो कर चुके थे। उन्होंने चैन की सांस ली , खुद नहा धो के फ्रेश हुए , फिर चाय के लिए पानी गरम करने को रखा ,ब्रेकफास्ट की तैयारी और तभी दरवाजे की घंटी बजी।

हम लोग आ गए थे।



दरवाजा उन्होंने खोला , थोड़े थके लग रहे थे , थके तो हम लोग भी थे।

लेकिन मेरी निगाह सीधे 'नीचे वहीँ',

और मैं अपनी मुस्कान नहीं रोक पायी।

मॉम सीधे बैडरूम में ,साथ में मैं और पीछे पीछे वो ,

मम्मी फ्रेश होने गयी और नीचे हाथ डाल के मैंने 'उसे' पकड़ लिया ,

" लगता है अबकी सिग्नल डाउन हो गया , " दबाते मसलते मैंने उन्हें चिढाया ,

वो भी न ,टिपिकल वो , लजाते ,शरमाते ,झिझकते

" चाय ला रहा हूँ अभी "

चाय ख़तम करने के साथ ही मम्मी ने अपना प्रोग्राम बता दिया ,

" मैं बहुत थकी हूँ , चार पांच घण्टे सोऊंगी , तू भी थोड़ा आराम कर ले ,ब्रेकफास्ट में कुछ बस सिम्पल सा। "

और पल भर में मम्मी खराटे लेने लगी ,साथ में मैं भी ,

वो अपने ,मेरे कमरे में


रात भर ज़रा भी नहीं सोये थे , लेडीज संगीत तो ढाई तीन बजे तक ख़तम हो गया था , मम्मी की सहेली का घर शहर से दस पंद्रह किलोमीटर बाहर , फ़ार्म हाउस क्या बड़ा सा रिसार्ट ,...






और असली खेल तमाशा तो उसके बाद शुरू हुआ , सिर्फ कुछ ख़ास एक्सक्लूसिव , मुझे जोड़ के पांच छह लोग , और साथ में हार्ड ड्रिंक और अब मैं समझी की ये मामला एक्सक्लूसिव लेडीज क्यों था ,




चलते चलते मम्मी ने जिक्र कर दिया की हफ्ते दस दिन में हम लोग इनके मायके जाएंगे और लौट के साथ में इनकी ममेरी बहन को ,

और जैसे ही मम्मी की सहेली ने गुड्डी के बारे में सुना उनकी आँखे एकदम कौंध गयी ,





" अकेले अकेले मजा लेगी रसमलाई का तू "




मुस्करा के मेरे गाल जोर से पिंच करके वो बोलीं

( एक रात में ही मौसी से हम लोग तू पर आ गए थे ,एकदम पक्की सहेली )

जवाब मेरी ओर से मम्मी ने दिया , एकदम नहीं , अरे भेज देगी तू भी उसे सिखा पढ़ा के पक्का कर देना।


मम्मी की सहेली को पुरुषों में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी ,सिर्फ कन्या रस ,और वो भी यंगर द बेटर।
….







जब मैं सो के उठी , साढ़े दस बज रहे थे।

दो ढाई घण्टे की नींद ने मेरी थकान एकदम ख़तम कर दी थी। मम्मी अभी भी गाढ़ी नींद में सो रही थीं।

दबे पाँव मैं बाहर निकली , पूरे घर में सन्नाटा पसरा पड़ा था ,लेकिन घर एकदम चम् चम् चमक रहा था।



परफेक्ट डस्टिंग ,किचेन में मैंने झांका ,बरतन सारे धुले ,करीने से रखे यहाँ तक की जो हम लोगों ने चाय पी थी वो भी ,ब्रेकफास्ट की सारी तैयारी हो चुकी थी।

और उसी तरह दबेपांव मैं अपने कमरे में पहुंची।

हमारे डबल बेड पर वो अकेले ,गहरी नींद में ,

बदमाश , सोते हुए कितने सीधे लगते थे ,मुझसे कोई पूछे , सिर्फ बस रैप किये हुए ,लुंगी की तरह

और सोते में वो भी हल्का सा हट गया था ,

'वो 'दिख रहा था , सोया सोया

सच्ची मुझसे रहा नही गया , झुक कर मैंने हलके से गाँठ खोल के सरका दिया और अब ' वो ' पूरी तरह आजाद था।

झुक कर एकदम पास से मैं देखने लगी , और साथ में मेरी नाइटी भी सरक कर ,सर सर सर , जमीन पर


सोते हुए ' वो ' कितना सीधा लगता था ,एकदम भोला ,अच्छे बच्चे की तरह लेकिन जग जाय तो , कोई मुझसे पूछे क्या हाल कर देता था।





हलके से मैंने एक चुम्मी ले ली 'उसपर ' .और एक बार उनकी ओर नजर उठा के देखा ,वो सो रहे थे अभी भी।


सिर्फ अपने होंठों से पकड़ के ,वो मस्त मिठाई मैंने मुंह में ले ली और हलके हलके लॉलीपॉप चुभलाने लगी ,चूसने लगी।

क्या स्वाद था ,

कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।

मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।

.....

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जोरू का गुलाम भाग ५२

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जोरू का गुलाम भाग ५२



और अब मैंने भी हाथ लगा दिया , हाथ नहीं सिर्फ दो उंगलियां 'उसके ' बेस पे , हलके से दबाया ,

अब वो कुनमुना रहा था हल्का सा जग गया था , थोड़ा थोड़ा कड़ा , और अबकी मैंने होंठ जोर से प्रेस किया , आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था

आधा सोया आधा जागा ,



मस्ती से मैं चूस रही थी , क्या मस्त स्वाद था। और मैंने एकबार पलक उठा के देखा तो वो शैतान बच्चे की तरह टुकुर टुकुर देख रहे थे।

मेरी आँखों ने थोड़ा प्यार से ,थोड़ा हक़ से उन्हें डांटा ,बरज दिया ,खबरदार , बस लेटे रहो चुपचाप।

और वो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप

' वो ' भी अब जग गया था , पूरे 7 इंच का , कड़ा खड़ा ,

और मैंने पूरी ताकत से अपना सर प्रेस किया , आलमोस्ट मेरे गले तक ,मेरी जीभ चारों ओर से उसे चाट रही थीं ,होंठ जम के चूस रहे थे।

मुझसे ज्यादा ये कौन समझ सकता था ,


जो मजा अपने घर में है

अपने बिस्तर पर है ,और

अपने पति के साथ है , वह कहीं नहीं।

और पति अगर मेरे पति जैसा हो तो क्या कहना ,


अब मैं जम के चूस रही थी , उनको तो मैंने हिलने को भी मना किया था लेकिन बिचारे कितना कंट्रोल कर सकते थे , कुछ नहीं तो





नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के , मेरे होंठों के साथ ताल पर ताल मिला रहे थे ,

ऊपर के मेरे होंठों ने तो स्वाद चख लिया था पर भूखे तो नीचे वाले होंठ भी थे , ये कलाकंद खाये हुए उन्हें भी तो दो दिन बीत चुके हैं।


और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।


कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,

अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप

और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।

तो न गप्प करना तो गलत है न।

मैंने उनकी ओर देखा ,





दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।

और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।





वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को। शादी के बाद पहले दिन से ही ,बल्कि शादी में भी चुपके चुपके , लेकिन





कहीं छुपता है क्या ऐसे देखना , मेरा भाभियाँ कितना चिढा रही थी , तेरे जुबना का तो दीवाना है ये , देख क्या हाल करता है इनका।



उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में , और मैंने झुक के अपने उभार उनके गालों पे रगड़ दिया , और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।

जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,शरारती मैं ,मैंने उन्हें दूर हटा लिया।


सच में उन्हें तड़पाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।





वो पूरी तरह अब मेरे अंदर थे ,मेरी गुलाबी परी हलके हलके उन्हें भींच रही थी ,रगड़ रही थी ,निचोड़ रही थी।

और कुछ देर में मैंने धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी , नीचे से वो भी अपने नितम्ब उठा उठा के ,

उनकी कलाइयां अब आजाद थीं और मेरी पतली कमर उनके हाथों में ,

मैं पुश करती थी ,पूरी ताकत से और वो अपने मजबूत हाथों से पुल करते ,






सटासट ,गपागप ,हचक हचक के उनका खूब मोटा खूंटा मेरी सहेली के अदंर बाहर ,

पर कुछ पलों के बाद ,शायद उनको अहसान हो गया था ,मैं रात भर की जगी थकी


और वो ऊपर आ गए थे ,मैं नीचे।

और कुछ देर में ही मैंने सरेडंर कर दिया , जो मजा जितने में है उससे ज्यादा सरेंडर में।

अब मैं सिर्फ मजे ले रही थे और वो , मजे दे रहे थे। मेरी देह के बारे में मुझसे ज्यादा अब उन्हें मालुम था।


जैसे कोई आटा गुंथे , मेरे दोनों जोबन गूंथे जा रहे थे। दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा।

उनका मोटा खूंटा रगड़ रगड़ के , हचक हचक के मेरी चूत फाड़ता हुआ घुस रहा था।






उनके होंठ कभी मेरे गालों को रगड़ते ,चूमते चाट लेते ,कचकचा के काट लेते।





दर्द तो बहुत होता पर प्यार के ये निशान ( इन्हें देख के चिढाने का कोई मौका मेरी सहेलियां नहीं छोड़ती थीं ) ,मजा भी बहुत था इनमे।

गालों के निशान से कौन इनका मन भरने वाला था ,जब तक दांत के निशान मेरे उरोजों पर न पड़े।

न इन्हें कोई फर्क पड़ रहा था न मुझे की इस समय दिन के दस बज रहे थे , और पति पत्नी होने का यही तो फर्क है

जब मिंया बीबी राजी तो क्या करेगा ,

न मुझे जल्दी थी न इन्हें ,

बाहर से सावन की मीठी मीठी हवा अंदर आ रही थी और सावन के झूले के झोंके से हम दोनों धीमे धीमे पेंगे लगा रहे थे।



जब जड़ तक ' वो ' दुष्ट घुसता ,उसका बेस मेरी गुलाबी क्लीट को रगड़ देता ,मैं गिनगिना उठती ,जोर से उन्हें भींच लेती,अपने कड़े कड़े उभार उनके सीने पे मस्सल देती।


और बदले में आलमोस्ट बाहर तक निकाल के जड़ तक एक बार वो फिर पेल देते ,


मेरे तीखे नाख़ून उनकी पीठ पर उनके शोल्डर ब्लेड्स को खरोंच खरोंच कर कहते ' और और "

और , और उन्होंने मेरी लंबी टांगो को उठा के अपने कंधो पर रख लिया ,एक हाथ उनका मेरे गोल गदराये नितम्ब पर और दूसरा कटीली कमरिया पर ,


फिर तो एकदम वो अपने असली रूप में ,धक्के पर धक्का ,हर धक्का तूफानी धक्का ,सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,







कभी मैं चीख उठती तो कभी सिहर उठती ,कभी दर्द से कभी मजे से,

उन के दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन पे , और हर धक्का पहले से दूनी ताकत से ,

यही तो मैं चाहती थी। और अब मैं कभी नीचे से चूतड़ उठा उठा के तो कभी लन्ड अपनी बुर में निचोड़ के , साथ दे रही थी।


और तभी कुछ खड खड़ की आवाज हुयी ,लेकिन बिना हटे उन्होंने जोर से मुझे दबोच लिया और पूरे घुसे खूंटे को जोर जोर अदंर गोल गोल घुमाने लगे।

कुछ ही देर में फिर आवाज हुयी , किचेन से , लगता है मम्मी जग गयी थीं और किचेन में थी।



मैं कुछ बोल पाती उसके पहले लन्ड उन्होंने ऑलमोस्ट बाहर निकाल लिया और जोर से ,हचक के , सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,

मेरी चीख निकल गयी और उन्होंने कचकचा के मेरी गोल गोल चूंची जोर से काट ली ,

उईईईईई आह्ह्ह्ह






हे तुम लोग भी काफी पियोगे , किचेन से मम्मी की आवाज आयी।

चीख किसी तरह रोकती मैं बोली , " हाँ मम्मी ,बस थोड़ी देर में हम दोनों बाहर आ रहे हैं। "

और फिर तो धक्का पेल चुदाई , न मुझे फर्क पड़ रहा था न इन्हें ,कि मम्मी जग गयी है , हमारे बेड रूम से सटे किचेन में हैं।





पांच मिनट तक रगड़ रगड़ उन्होंने ऐसा चोदा , मैं पहले झड़ी और साथ में फिर ये भी।




किसी तरह मैं पलंग से उठी ,कपडे समेटे ,ठीक किये और इन्हें भी उठाया ,

" चल न मम्मी बाहर काफी बना के वेट कर रही होंगी। "


और सच में मम्मी ने घड़े भर काफी बनायी थी ,

मम्मी ने न कुछ पूछा न चिढाया ,लेकिन जिस तरह उनकी ओर देखा , बस वो शर्मा गए ,और हम दोनों खिलखिला के हंस पड़े।

" मम्मी ,काफी बहुत अच्छी बनी है। " उनकी टिपिकल लजाने पर बात टालने की आदत।

उन्होंने ५०० ग्राम मक्खन लगाया।

" और क्या मेरी मम्मी , हर चीज अच्छी बनाती है। " मैं बोली , लेकिन बात में कोई उनसे जीत पाया है जो मैं जीत पाती।

वो दुष्ट , पागल , बिना इस बात की परवाह किये की मम्मी सामने बैठी हैं ,टकटकी लगा के मुझे देखते हुए बोले,

" सच में एक चीज तो बहुत अच्छी बनायी है। "

और अब मैं लजा गयी।
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जोरू का गुलाम भाग ५३

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जोरू का गुलाम भाग ५३




" मम्मी ,मैं ब्रेकफास्ट लगा देता हूँ ,काफी के साथ साथ ही ,.. "

मुझे उनकी बात पे लजाते देख , मम्मी मुझे मीठी निगाह से देख रही थीं , उनसे बोलीं ,

" हाँ लेकिन सिंपल सा , ज्यादा नहीं और जल्दी। "

सिम्पल था लेकिन इलैबोरेट भी।

आमलेट ढेर सारा , चिकेन सैंडविचेज़ ,अल्फांसो की कटी सुनहरी बड़ी बड़ी जूसी पीसेज , फ्रेश जूस





मम्मी के आने पर जो उन्होंने छुट्टियां ली थीं ,वो ख़त्म हो गयी थीं।

" आज आफिस जाना होगा न " मैंने उन्हें याद दिलाया ,

" हाँ भी और नहीं भी "

मुस्करा के वो बोले , और फिर एक्सप्लेन किया ,फर्स्ट हाफ आज वर्क फ्राम होम है और सेकेण्ड हाफ में जाऊंगा। "

आमलेट का एक बड़ा टुकड़ा खाते वो बोले।

उनके वर्क फ्राम होम में आधा तीहा तो मैं निपटा देती थी , आखिर घर के काम में वो बिचारे इत्ती मेरी हेल्प करते थे तो थोड़ी बहुत हेल्प बनती थी न।


ब्रेकफास्ट करते करते मैंने उनकी लैपी खोल ली अरे सारे पासवर्ड तो मेरी बर्थडे पर थे और कुछ ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड तो मेरी फिगर पर ३४-२७-३५।


हाँ अडल्स्ट फिल्मों का उनका जो जखीरा था , और एडल्ट साइट्स के लिए मैंने चुना था और कौन उनकी फेवरिट ममेरी बहन , गुड्डी छिनार १७।




अल्फांसो की बड़ी सुनहरी पीस चूसते हुए मम्मी ने अपने होंठों के बीच से निकाल कर सीधे उनके मुंह में डाल दिया और वो गप्प कर गए।

शादी के समय जो उनकी आम से चिढ थी वो जग जाहिर थी और ऊपर से उनकी मायके वालियों ने खूब गा गा के बताया भी था, तो मम्मी को तो अच्छी तरह से मालूम था ऊपर से जो मेरी छुटकी ननदिया से बेट लगी थी ,उन्हें उनके मायके में आम खिलाने की , वो भी उन्हें मालूम थी।


" हे अगर इन्हें ऐसे तेरी ससुराल वालियां देख ले तो क्या हो , " खिलखलाते हुए माँ ने मुझसे पूछा।

" मम्मी सब की फट जायेगी। " हंस के मैं बोली।

" चल इससे याद आया , जिसकी सबसे ज्यादा फटी है , मेरी समधन से सोचती हूँ बात कर लूँ। ज़रा नंबर लगा। " वो बोलीं ,

" अरे मम्मी ,अपने दामाद से बोलिये न लगाने को , वैसे भी आप उन्हें अपनी समधन का यार बनाने वाली हैं "


मैंने चुटकी ली। और उनको भी चिढ़ाया ,

" अरे मॉम सिर्फ फोन लगाने को बोल रही हैं और कुछ नहीं ,लगा दीजिये न। "

" तू क्या सोचती है मेरे मुन्ने को देख झट से फोन लगाएगा , अरे अभी फोन लगायेगा और महीने भर में सब कुछ , न ये लगाने में हिचकेगा ,न मेरी समधन लगवाने में , " उनके गाल पे चिकोटी काटती वो बोलीं।

मजबूरी में उन्होंने फोन लगाया और माम ने स्पीकर फोन आन कर दिया।


दोनों समधनों की चर्चा चालू हो गयी ,लेकिन बिचारी मेरी सास को ये नहीं मालूम था की स्पीकर फोन ऑन है और उनका बेटा ठीक उसके बगल में कान पारे बैठा है।





" आपकी याद बहुत आती है और सिर्फ मुझे नहीं ,मेरे सारे देवरों ,नन्दोइयों , बहनोईयोँ को , आपकी बहु के चाचा ,मौसा फूफा सब ,... " मॉम ने बात शुरू की।

" मालुम है मुझे , और मुझे भी याद आती है , शादी में जब तीन दिन बरात में आपके गाँव गयी थी , तब से , और क्या उन्हें याद आता होगा , क्यों याद आता होगा , ये भी मुझे मालूम है। "



खिलखिलाते हुए मेरी सास बोलीं।

" बिचारे वो और बाकी गाँव वाले भी आपकी सेवा का मौक़ा खोज रहे हैं लेकिन आप दुबारा आयी ही नहीं। " मम्मी एकदम मूड में आ गयी.



" अरे पूरे तीन दिन तक तो थी ,और मैंने न मना किया न , अब वो दूर दूर से देख के ललचाते रहे , तो उनकी गलती है न , जो सोया सो खोया ,... "






हँसते हुए मेरी सास ने भी उसी तरह जवाब दिया और फिर उलटा हमला बोल दिया ,

" और आप तो दुल्हन के चाचा ,फूफा ,मौसा से सेवा करवाती होंगी न , आखिर आप के देवर , ननदोई ,बहनोई लगेंगे रिश्ता भी है करवाने वाला। "


उन्होंने मेरी मम्मी से पूछा। "

" रिश्ता तो आप से भी है बल्कि दुहरा है ,समधन का। और एक बार आपके गद्दर उभार देख के तो सब बौरा गए हैं और मुझसे बोलते हैं बस एक मौक़ा ,... दिलवा दूँ , ... आधा दर्जन से ऊपर समधी होंगे आप के। नाम ले के टनटना जाता है अभी तक उनसब का। "


मम्मी कौन हार मानने वाली थीं। फिर जोड़ा उन्होंने ,
“अरे अभी गाँव में मौसम भी अच्छा है , गन्ने ,अरहर के खेत ,अमराई में झूला ,कबड्डी खेलने का बढ़िया मौसम है। "




मेरी सास जोर से हंसी। इस तरह की बातें उन्हें भी बहुत भाती थीं , द्विअर्थी डायलाग , खुले हुए मजाक , 'अच्छी वाली गारियाँ ' .



" अरे पिछली बार तो आयी थी न तीन दिन रही ,कबड्डी के मैदान में आपके। लेकिन पकड़ने को कौन कहे , ... पर एक बात मानती हूँ आपके यार जबरदस्त हैं वहां , एक से एक पहवान पाल रखे हैं ,सोच के मुंह में पानी आ जाता है। "






मेरी सास बोलीं।

इतना अच्छा मौका तो मैं भी नहीं चूकती ,और वो तो मम्मी थीं , झटाक से बोलीं ,

" किस मुंह में ऊपर वाले या नीचे वाले , ... इसीलिए तो कह रही हूँ आ जाइये , मुंह का स्वाद भी बदल जाएगा। और एक जवाबी मैच भी , हाँ अबकी एक एक पे तीन तीन होगा , एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे आपके ऊपर , फिर देखतीं हूँ कैसे नहीं आपकी चिकनी चिरैया चूं नहीं बोलती। जितने आपके अगवाड़े के दीवाने हैं उतने ही पिछवाड़े के भी। "




बात मम्मी की एकदम सही थी ,मेरी सासु के चूतड़ एकदम मस्त , नगाड़े जैसे , कोई शीघ्र पतन का रोगी हो तो देख के झड़ जाए।






" अभी तो तीरथ करने जा रही हूँ, गंगा नहाने। ये लोग आएंगे हफ्ते दस दिन के लिए बस उसी के एक दिन पहले। अब ये लोग आ जाएंगे तो घर पे कोई रहेगा ,वरना बड़ी बहू बिचारि अकेली ही रहती न , तो अच्छा मौक़ा मिला है। "

सासु माँ ने अपनी मजबूरी बतायी।

मम्मी की अंकगणित बहुत तेज थी ,झट से जोड़ लिया उन्होंने ,७ दिन बाद हम लोग जाएंगे , ८ दिन इनके मायके रहेंगे ,यानी पंद्रह दिन बाद मम्मी की समधन वापस अपने अड्डे पर।


कन्विंस करने में मम्मी का जवाब नहीं था ,इतना बड़ा बिजनेस चलाती थीं , उन्होंने अपना तुरुप का पत्ता फेंका।

" अरे ये तो बहुत अच्छा है। फिर तो आपका पुराना किया धरा सब साफ़ हो जाएगा , लौटते ही नए यारों का खाता खोल दीजिये। आप गंगा में डुबकी लगा के लौटिए, और यहाँ कोई तैयार बैठा है आपकी पोखर में डुबकी लगाने के लिए। "

और इसके साथ ही मम्मी ने इनके खूंटे को बाहर निकाल के खुल के मुठियाना शुरू कर दिया , और फिर एक तगड़ा झटका दिया तो इनका लीची ऐसा सुपाड़ा बाहर, मम्मी उसे अपने अंगूठे से रगड़ रही थीं। बस तुरंत ही वो टनाटन।





मैं उनके लैपी पर काम कर रही थी ,दोनों समधनों की बात सुन रही थी ,पर मम्मी की ये हरकत देख के अपनी मुस्कराहट नहीं रोक पाई।


" सुबह सुबह आप भी , ..." उधर से मेरी सास की अनिश्चित सी आवाज सुनाई पड़ी।

" सच कह रही हूँ , कहिये तो उसके औजार का फोटो भेजूं , अगर न पसंद हो तो ऑफर कैंसल। अरे आखिर कोई गंगा नहान तीरथ काहें करता है , पाप धोने के लिए ,लेकिन उसके लिए कुछ गड़बड़ करना भी तो चाहिए न। और आप लौट के आएँगी तो फिर तो , चलिए , उस के बाद,… “



उधर से कोई जवाब नहीं आया तो मम्मी ने फिर आग सुलगायी ,



" एकदम पत्थर है पत्थर ,तीन पानी झाड़ के झड़ेगा ,रात भर , आपको गौने की रात की याद दिला देगा। "






उधर से फिर मेरी सास की खिलखिलाने की आवाज आयी ,

" लगता है आपने ट्राई कर लिया है , अरे इस उम्र में कौन , और मैं बड़ों बड़ों का निचोड़ के रख देती हूँ , मजाक करने के लिए मैं ही मिली थी क्या "

" और क्या समधन से मजाक तो रिश्ता है है ,लेकिन ये सच्ची बात है , न हो तो बाजी लगा लीजिये , " मम्मी ने उन्हें और उकसाया।

अब सास के भी खुजली तेज हो गयी थी ,बोलीं ,


" कौन है ? "

" अरे आप को आम खाने से मतलब है या पेड़ गिनने से , चलिए बोलिये लगी बाजी। " मम्मी ने पत्ता फेंका।

" आम खाने से ,लगी बाजी। "


हँसते हँसते सासू जी बोलीं।

" तो चलिए पक्का , पंद्रह बीस दिन बाद बस आप लौट आइये , मुझे भी समधियाने का मजा लिए बहुत दिन हो गए हैं , मैं आती हूँ आप के पास। फिर आप को लेकर , आपके छोटे बेटे बहु के पास पांच सात दिन वहां सेवा करवायेगा , फिर गाँव के मजे। हाँ बाजी आपने कर दी है , तो फिर उसने अगर तीन बार पानी झाड़ दिया न तो आप बिना कुछ ना नुकुर किये , आप की आँख पर पट्टी बाँध के,... "



मम्मी ने तो पुरा प्लान बोल दिया।

बात वो अपनी समधन से कर रही थीं लेकिन निगाहे उनकी अपने दामाद के ' वहां ' पर थीं।

एकदम क़ुतुब मीनार हो रहा था ,

एकबार फिर उन्होंने अपने प्लान की सफलता में उनकी सासु ने जोर से दबोच के रगड़ दिया।

" आप आएँगी न मेरे लौटने पर पक्का ,"


उधर से मेरी सासु की आवाज आयी।

" एकदम पक्का , आखिर मेरी समधन की सोनचिरैया को मजा दिलवाना है ,मेरा भी तो हक़ बनता है। " मम्मी ने एश्योर किया।

" चलती हूँ ,नहाने जा रही हूँ। पक्का आइयेगा जरूर ,आपसे बात कर के बहुत मजा आया। "


हँसते हुए उधर से मेरी सास की फोन रखने की आवाज आयी।

इनके सास के चेहरे से खशी छलक रही थी , जोर जोर से मुठियाते जैसे इनके खड़े भूखे लिंग से बात करते ,उसे उकसाते बोली,







" सुन लिया न अब तो कोई शक नहीं न ,बहनचोद , बस बीस पच्चीस दिन के अंदर ही तुझे मस्त भोसड़े का मजा दिलवाऊंगी , जिस भोंसडे से निकला है न उसी के अंदर होगा मुझे मालूम है सोच सोच के ही पागल हो रहा हैं न लेकिन मेरी समधन के जोबन हैं ही ऐसे। "

और साथ साथ उन्होंने मुझे भी हिदायत दी ,

" लेकिन उसके पहले इसकी वो ममेरी बहिनिया चुद जानी चहिये ,ये जिम्मेदारी तुम्हारी। आखिर भाभी हो तेरा हक़ भी है ,ननद की फड़वाने का। "

लेकिन मेरी निगाहें लैपी पर लगी थीं ,मुझे मिल गया था जो मैं ढूंढ रही थी। और मैं जोर जोर से मुस्करा रही थी।

ममी की बात लेकिन मैं सुन रही थीं।

" एकदम मम्मी अगवाड़ा पिछवाड़ा सब ,उसके यहां आने के दो चार दिन के अंदर ही , "बिना लैपी पर से नजर हटाये मैं बोलीं।

वो टेबल का सब सामान हटा के किचेन में चले गए थे वहीँ से उन्होंने आवाज दी

" मम्मी ,लन्च में ,... "
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जोरू का गुलाम भाग ५४

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जोरू का गुलाम भाग ५४

" कुछ नहीं ,इतना जबरदस्त ब्रंच तो हो गया है ,अब बस मैं सोने जा रही हूँ ३-४ घंटे तो कोई मुझे उठाये नहीं। आज रात को रतजगा होना है एक लड़के की ऐसी की तैसी करनी है और उसकी प्रैक्टिस करनी है मादरचोद बनाने की। "

जब तक वो आये तो मम्मी अपने बेड रूम में थी और मुस्कराते हुए मैंने उन्हें बुला के लैपी में दिखाया जो मैं इतने देर से खोज रही थी।

…..
समझ में नहीं आता कहां से शुरू करूँ ,अभी जो मैंने लैपी में उनके ढूंढा जिसे देख कर मैं ख़ुशी से मुस्करा रही थी ,या जो मैंने इन्हें बताया , या जो कल रात मम्मी से जाते हुए रास्ते में बात हुयी थी या फिर फ़्लैश बैक से ,

चलिए सब मिला जुला के बताती हूँ और कहानी फिर थोड़ी देर बाद ही रस्ते पे आ जाएगी।

ओके जो लग भूल गए होंगे उन्हें याद दिलाती हूँ।


याद है न वो हसबैंड नाइट वाली रात जब मिस्टर और मिसेज दीर्घलिंगम आये थे , हस्बैंड्स नाइट हुयी थी , और मेल्स को पूरे फीमेल्स अटायर में कैट वाक् करना था ,लेकिन उसके पीछे दो बाते थीं , एक तो मेरी और मिसेज खन्ना की बात थी , अगर ये उस नाइट में फर्स्ट आते तो मेरा लेडीज क्लब की सेक्रेटरी बनना पक्का था



, लेकिन मिसेज मोइत्रा , जो पूरी तरह 'संस्कारी' थीं और जिन्हें न मिसेज खन्ना पसंद थी न उन की बिंदास खुल के मजा लेने की स्टाइल और सब से बढ़ी बात जो हम लोगों का एक ग्रुप था , जिनकी शादी के साल दो साल हुए थे ,और जिनके हस्बैंड्स टोटेम पोल पर जूनियर थे , वो उन्हें एकदम नापंसद था।


और ये बात वो उन्हें हजम नहीं हो सकती थी की उनके रहते मैं सेक्रेटरी बन जाऊं ,

और उन्होंने एक बहुत ही गन्दा अन्डरहैन्ड दांव खेला था , मुझे इनको हराने का , नीचा दिखाने का।


उनके हबी ,मिस्टर मोइत्रा कंपनी में वी पी थे ,मिस्टर खन्ना के बाद नेक्स्ट रैंक पे। उन्होंने अपने सबॉर्डिनेट्स को बुला के अच्छी तरह समझा दिया की उन्हें क्या करना है , इस काम में मिसेज मोइत्रा की तीन चमचियाँ और उनके हबीज भी शामिल थे।


उन लोगो ने अपने जूनियर्स को एकदम स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शन दिया और बस ,मुझे मिसेज खन्ना को हवा भी नहीं थी लेकिन हम लोगों के पैर के नीचे से जमीन खिसक गयी थी आलमोस्ट,

उन सबने अपनी वाइव्स को रात भर समझाया था की उन्हें हमें नीचा दिखाने के लिए क्या करना है और अगर उन्होंने मिसेज मोइत्रा और उनके चमचियों की बात नहीं मानी तो उनके सारे टूर्स बंद हो जाएंगे , अप्रेजल में निगेटिव रैंकिंग मिलेगी,

और जब कैटवाक शुरू हुआ तो, इन्होंने इतना अच्छा किया था ,मेरा तो मन कर रहा था स्टेज पर जा के इनका मुंह चूम लूँ। ही वाज सो लवली। इन के राउंड के बाद के मैं ,मेरी पांच छः सहेलियां जोर जोर से तालियां बजा रहे थे लेकिन मैंने नोटिस किया की सिर्फ हमी लोग हैं ,और बाकी की लेडीज एकदम हाथ बांधे , बल्कि एक दो ने तो बू भी किया ,


एक राउंड निकला ,दूसरा राउंड निकला फिर वही , और यही नहीं कोई घटिया सेकेण्ड रेट वाला आता तो बाकी लेडीज ताली बजा बजा के आसमान सर पे उठा रहे थी. सिर्फ सपोर्ट की बात नहीं थी , वोटिंग मीटर भी सारे लेडीज को दिए गए थे , ५० % वोट उन्ही के थे पापुलर वोट।

मैं एकदम रुंआसी सी हो गयी थी पर मिसेज खन्ना ने जो अरेंजमेंट्स में बिजी थी , मुझे इशारा किया मैं पीछे देखूं जहां बाकी लेडीज बैठी थी ( मुझे मिसेज खन्ना ने मिस्टर दीर्घलिंगम को एस्कॉर्ट करने की जिम्मेदारी दे दी थी ,और मैं उनके साथ फ्रंट रो में बैठी थी ),


मैंने मुड़ के देखा और सब गेम समझ में आ गया, मिसेज मोइत्रा की तीन चमचियाँ पांच -छः लेडीज को दोनों ओर ले ले के बैठीं थीं और एक एक चीज कंट्रोल कर रही थीं।





मिसेज मोइत्रा , ने मुझे देखते हुए देखा तो , मुझे एक गन्दी सी जुगुप्सा भरी निगाह से देखा ,एक विनिंग स्माइल दी.

पर उन्होंने मिसेज खन्ना को कम करके आँका था , जजेज़ के पास आधे वोट थे। मिसेज दीर्घलिंगम के साथ एक और जज थी तनु , कास्मेटिक एक्सपर्ट , लेकिन जो साथ में इनकी मुंहबोली साली भी थी , और इनपर दिलफेंक , इनका मेकअप भी उसी ने किया था ,

दूसरी बात जिस तरह लेडीज हल्ला कर रही थीं ,वोट कर रही थीं , फिक्सिंग साफ़ लग रही थी और मिसेज मोइत्रा की मुस्कराहट ,मिस्टर मोइत्रा की बातें एकदम क्लियर हिंट दे रही थीं।

पर मिसेज खन्ना ,जजेज वोट के चक्कर में जीत तो इनकी हुयी ही , उन्होंने मुझे मिस्टर दीर्घलिंगम के साथ और इनको भी मिसेज दीर्घलिंगम के साथ डिनर में बाद में एयर पोर्ट छोड़ने के लिए लगा दिया ,

नतीजा , मिस्टर मोइत्रा का 'प्रमोशन' हो गया एक सड़े से प्राजेक्ट में जो एक नक्सल इंफेस्टेड इलाके में था , अभी कोई भी फैसिलिटी नहीं थीं , वही। फेमिली क्वार्टस भी नहीं थे,उसके इंचार्ज बना के , हाँ चूँकि प्राजेक्ट यहीं से इंक्यूबेट होना था ,इसलिए यहाँ पर भी उन्हें महीने में पांच दिन आना था। थे वो फाइनली मिस्टर खन्ना के अंदर में।

जाने के पहले मिस्टर दीर्घलिंगम ने एयरपोर्ट से मेसेज कर दिया था की मिस्टर मोइत्रा आधे घंटे बाद जाने वाली ट्रेन पकड़ के तुरंत निकल जाएँ।

जब मैं लौटीं तो मिस्टर मोइत्रा जा चुके थे , लेकिन मिसेज मोइत्रा अकेली , और मिसेज खन्ना के साथ मेरी सारी सहेलिया ,सुजाता , अन्नया,...

मिसेज दीर्घलिंगम ने मुझे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी अनाउंस कर दिया था ,

मिसेज खन्ना ने मुझे जोर से गले लगा लिया , उनकी आँखों में आंसू डगमगा रहे थे। हम बाल बाल बचे थे।

" मैडम सेक्रेटरी अब जबरदस्त लेडीज क्लब नाइट होनी चाहिए बोल क्या प्लान है तेरा। " मुझे भींचे भींचे पूछा उन्होंने ,



" मैडम सोच रही अपनी एक सीनयर संस्कारी की स्ट्रिपटीज से शुरुआत की जाय " मिसेज मोइत्रा की और देखते हुए मैंने मुस्करा के बोला।

" नहीं नहीं सिर्फ स्ट्रिपटीज से थोड़े ही चलेगा , बिचारे के पति का वनवास हो गया है , साथ में कम से कम १० इंच का सुपर डिलडो "

हम आपस में बात कर रहे थे ,पर हमें पूरा विश्वास था मिसेज मोइत्रा सुन रही थीं ,सुने तो सुने।


और ये सब बातें मैंने कल मम्मी को जस की तस जैसे आपको बतायीं बस वैसे ही बतायीं।

लेकिन मम्मी ने तुरंत वीटो कर दिया , वीटो नहीं लेकिन संशोधन ,मेजर चेंज इन प्लान।

मिसेज मोइत्रा की साडी उतारने का प्लान , लेडीज नाइट को।

मम्मी बोलीं ,


ये काम उनकी चमचियों से कराओ , साडी ,साया ब्लाउज सब ,वही तीनो उतारेंगी और वो भी जबरदस्ती।

तुम सब ऊपर ऊपर से उनको मना करना और विडीयों बनाना। और उसके बाद फुल लेस्बियन रेसलिंग , अल्टीमेट सरेंडर ( अगर आपने ये शो न देखा हो तो गूगल करें ) भी मात हो जाए ऐसा। उन्ही तीनों के साथ। ध्यान रहे की उस दिन तक उन्हें ये विश्वास रहे की उनकी वो तीनो चमचियाँ अभी भी उन्ही की हैं , पूरी।





" लेकिन मम्मी वास्तव में वो सब अभी भी उन्ही के साथ है तो कैसे उन्हें ?"


मैंने शक जाहिर किया और डांट खा गयी।

" सुन तो , पहले कोई पेड़ काटना हो तो ,सबसे पहले उसके जड़ के चारो ओर गड्ढा करो , छोटी छोटी जड़ें काटो , फिर ,... बस अपने आप खुद ही पेड़ , अरे डोमिनो इफेक्ट सूना है न ,सबसे पहले दूर के फिर नजदीक के ,

और तरीका सिम्पल है ,मिस्टर मोइत्रा ने उन तीनो के हसबैंड को ,और अपने कुछ जूनियर्स को , और उनके जरिये उनकी बीबियों को ,

तो बस अब तो मिस्टर मोइत्रा नहीं है न और उनके काफी कुछ पावर तेरे वाले के पास हैं बस , लगा दिमाग।"


मम्मी ने तरीका बताया और तब से मेरा दिमाग वही चल रहा था.

आज उनके आफिस के काम के लिए लैपी खोल के टॉगल लगाया , ( इसके बाद उनके आफिस के मेन सर्वर से कनेक्शन जुड़ जाता था और कुछ पासवर्ड से बाकी सब नेटवर्क में भी घुसा जा सकता था।

थोड़ा सा मैंने इनके आफिस का काम किया , कुछ मेल्स ,कुछ रिपोर्ट्स , और फिर मेरे अंदर का बॉबी जासूस जाग उठा ,उन तीन तिलंगों की हाल चाल जानने के लिए।

पंद्रह मिनट के अंदर ही यूरेका हो गया ,जब मम्मी अपनी समधन का हांका कर के , उन्हें महीने भर के अंदर यहां लाने की कोशिश में जुटी थीं उसी समय।

मम्मी भी सफल रही मैं भी।

बीच में मैंने मिसेज डिमेलो की भी मदद ली ,उनकी सेक्रेटरी की ,कुछ मेल्स किये ,कुछ मिसेज डिमेलो से फैक्स करवाये और जब ये मेरे पास आये तो मेरे पास काफी सबूत थे .


मैं चमचा नम्बर वन के टूअर्स के डिटेल देख रही थी , मिस्टर मोइत्रा के जाने के बाद उसके टूअर्स के बिल इन्ही के पास आये थे अप्रोवल के लिए। ट्रैवेल एक्सपेंडिचर , होटल बिल्स , ..सब कुछ ठीक लग रहा था।

मैंने पुराने बिल्स जो मिस्टर मोइत्रा ने अप्रूव किये थे उनसे चेक किया ,सेम।

लेकिन अचानक मेरा माथा ठनका।

होटल के बिल उसी रेंज में थे जो उसकी स्पेंडिंग लिमिट में था। मैंने नेट से जा कर होटल के रेट्स भी देखे। चेक ,सब सही। फिर मुझे लगा , गड़बड़ ,महा गड़बड़।

सारे होटल्स कारोपोरेट डिस्काउंट देते हैं तो इन्हें डिस्काउंट क्यों नहीं मिला ? और फिर मैंने मिसेज डी मेलो को काम पर लगाया।

उन्होंने उस होटल से बात की और होटल ने कंफर्म किया की वो २० % रेगुलर डिस्काउंट देता है , और लीन पीरियड में यह २८ से ४२ % तक है। फिर मैंने होटल से उनकी विजिट्स के पिछले छह महीने के बिल मंगाए। सबमें डिस्काउंट।

और वो एकदम चमचा नम्बर १ के दिए बिल से मैच कर रहे थे , स्टेशनरी में। इसका मतलब की उस होटल के किसी से मिल के , ब्लैंक बिल पे ये भरा गया था या होटल का कोई इम्प्लाई मिला था। ६ महीने में कंपनी को ७२ हजार का चूना लगा था।


लेकिन ये तो शुरुआत थी। मुझे लगा की ये आदमी परचेज में है तो इसी तरह की क्रिएटिव अकाउंटिंग ,...

और वहां पर भी मिली।

फिर दो नम्बर के ट्रांजैक्शन और वो उस के टूअर्स के डेट से , ... एक और आइडिया आया मुझे।


एच आर के पास फेमली डिटेल्स भी रहते हैं ,उन के नेटवर्क को एक्सेस कर मैंने उसकी वाइफ के पैन नम्बर , आधार कार्ड डिटेल निकाल लिए , और बैंक अकाउंट भी। पैन नंबर से जब मैंने टैक्स डिटेल और बैंक अकाउंट चेक किया , तो उनकी वाइफ के तीन अकाउंट और थे ,जिसकी इन्फो कंपनी के अकाउंट में नहीं थी। उन्हों अकाउंट्स में जिन दिनों वो होटल में थे और परचेज आर्डर्स अप्रूव हुए थे, हैवी अमाउंट रिसीव हुए थे।

परचेज के रेट मार्केट रेट से तो कम थे , लेकिन जिस तरह हम बल्क परचेज करते थे , उसके डिस्काउंट के हिसाब से मुझे ज्यादा लग रहे थे।


और वहां भी मिसेज डी मेलो ने हेल्प किया , एक और कंपनी में जहाँ उनकी फ्रेंड परचेज सेक्शन में काम करती थी , रेट्स पता किये।

हमारे रेट्स से ८ % कम और जब की उन शेड्यूल आफ पैम्नेट्स भी हमसे स्टिफ थे। मैंने जब उसे अकाउंट फॉर किया तो हमारे रेट्स ,करेंट रेट्स से ११ % काम होने चाहिए थे।


और अब मैंने चमचा नम्बर टू की ओर रुख किया ,उसकी भी शुरआत होटल के बिल्स से की। और एक बात से मैं चौंक गयी वो हर बार एक ही होटल में टिकता था , यहाँ तक तो ठीक था लेकिन उसके बिल में हर बार एक आइटम होता था जो कॉमन नहीं था , और काफी महंगा था।

इस बार भी मिसेज डिमेलो ने ही हेल्प किया , कोई पेपर ट्रेल तो नहीं मिली लेकिन उस होटल के बिल सेक्शन ने प्रेशर में आके बता दिया।

मसाज।

वो कोड था मसाज के लिए जिसके बिल को होटल उस तरह एडजस्ट करता था , मेल टू मेल , रात भर के लिए।

गे , बॉटम।

मिसेज डी मेलो ने खिलखिलाते हुए बताया , हर बार वो एडवांस में बुक करता था ,टॉप ,नाट हार्ड बट वेरी हार्ड , यंग २० से २२ साल की रेंज के।

मैं मिसेज डी मेलो के साथ खिलखिला रही थी , उसी बात पे जब मॉम अंदर सोने के लिए चली गयीं और वो मेरे पास आये।

मैंने दोनों चमचो के डिटेल की एक अलग स्प्रेड शीट बना दी थी। और उन्हें दिखाई ,

उन्हें मम्मी की प्लानिंग भी बतायी ,और अपना सजेशन भी ,

" आज तुम उन दोनों को बुला के हचक के अपने केबिन में ,... "

" ... उनकी गांड मारो ,यही न। " हँसते हुए उन्होंने मेरी बात पूरी की. "एकदम मारूँगा ,हचक हचक के वो भी बिना वैसलीन के। "


और वो मेरे बगल में बैठ के मेरी बॉबी जासूस वाले काम को देखने लगे ,लेकिन उन्होंने मेरा एक सजेशन एकदम रिजेक्ट कर दिया , मिस्टर खन्ना से उसे शेयर करने का।

" नहीं क्या पता ,मिस्टर खन्ना उन को कंपनी से बाहर ही निकाल दें , फिर उन की बेगमो को तुम कैसे यूज कर पाओगी ?

और अपने सारे तुरुप के पत्तों को हम शो क्यों कर दे।

सबसे बड़ी बात , उस को स्क्रू कर के ,और सप्लायर्स भी तो उससे मिले थे , मैं उनसे भी बात कर के , परचेज कास्ट कम कर सकता हूँ। अभी नहीं ,दस पंद्रह दिन में रिनिगोशियेट कर के , फिर मेरी भी इम्पोर्टेंस ,मिस्टर खन्ना पर फेथ सब इम्प्रूव होगा न। "

वो तेजी से सीख रहे थे।



इंटेलिजेंट ,शार्प तो वो पहले से ही थे ,लेकिन अब उनका दिमाग आड़े तिरछे भी चलने लगा था। मेरा और मम्मी का असर।
वो चालु रहे , " और जो तीसरा चमचा था न उनका वो तो मेरी निगाह में पहले से ही गड़ा है ,उसकी बीबी उस दिन सबसे ज्यादा उछल रही थी उसकी तो मैं
सबसे पहले लूंगा। "

अब वो भी मेरी ,मम्मी की भाषा बोलने लगे थे।

लैपी मैंने उनके हवाले कर दिया , उनका आधा काम तो मैंने पहले ही कर दिया था मेल्स ,शेड्यूल्स ,मीटिंग के मिनट्स सब मैने चेक कर लिए थे और उन्हें पांच मिनट में समझा दिया।


" चलने के पहले मुझे जगा देना , मैं सोने जा रही हूँ , आज किसी के साथ रत जगा होना है। " मुस्करा के मैं बोली ,और इन्हें किस कर के मम्मी के साथ सोने चली गयी।

दो ढाई घंटे सोई होउंगी की उन्होंने जगा दिया।

ढाई बज रहा था ,लेकिन उनके जाने के पहले मैंने उन्हें एक काम याद दिला दिया ,
मिसेज डी मेलो को थैंक्स देने का ,


रास्ते में उनके लिए लाल गुलाब ,और वहां पहुच के उन्हें जोर से हग ,... हल्का फुल्का नहीं जोर से हग उनके +साइज बूब्स क्रश हो जाएँ इतना।

और फिर मैं जा के सो गयी ,

साढ़े तीन बजे सुजाता आने वाली थी ,मम्मी से मिलने और इस आपरेशन के सेकण्ड पार्ट को प्लान करने।


मेरा तीर एकदम सही निशाने पर लगा था।

ये घर देर से लौटे ,इतने दिन बाद आफिस गए थे। लेकिन इनके लौटने के पहले ही चमचा नम्बर तीन और दो की बीबियों का फोन आ गया था ,माफ़ी सुबकना पूरा ड्रामा ,लेकिन कम्प्लीट सरेंडर पर अब वो दोनों मेरी मुट्ठी में थी ,जैसे कुछ दिन पहले मिसेज मोइत्रा के कब्जे में थीं।




मिसेज मोइत्रा की कबूतरियां , मुझे मालुम है आप क्या जानना चाहते हैं , लेकिन सब चीज मैं बता भी तो नहीं सकती।





ओके ओके बुरा मत मानिए , बस ये समझिये की मेरी छुटकी ननदिया , अरे वही इनकी ममेरी बहन गुड्डी से भी थोड़ी छोटी, जुड़वां, खूब गोरी चीठ्ठी ,एकदम मिसेज मोइत्रा पर गयी हैं दोनों ,एकदम बंगाली रसगुल्ला।

लेकिन गड़बड़ भी वही ,एकदम अपनी माँ की तरह संस्कारी, सिर्फ पढने से काम , ड्रेस सेन्स हो या मिक्सिंग या एकदम कंजरवेटिव , सुपर कंजरवेटिव।

और जब बात मिसेज मोइत्रा की चल रही थी तो सुजाता ने ही उनकी कबूतरियों का जिक्र किया। किसी ने बोला की दोनों अभी छोटी हैं तो अगले ही दिन सुजाता फोटोग्राफिक और मेडिकल एविडेन्स के साथ आ गयी।


दोनों की गोरी गोरी जाँघों के बीच छोटे छोटे रेशम के धागों सी , बहुत छोटी लेकिन , आ गयी है जवानी की पहचान कराने वाली केसर क्यारी , और मेडिकल एविडेन्स , पौने चार साल पहले दोनों के पीरियड्स शुरू हो चुके है।

फिर क्या था मिसेज खन्ना ने फरमान जारी कर दिया , मिसेज मोइत्रा के साथ उनकी दोनों जुड़वां कबूतरियों को भी 'सुसंस्कारी' बनाने का, और ये मिशन सुजाता को ही सौंपा गया लेकिन साथ में उतनी ही जिम्मेदारी मुझे भी दी गयी।

और आज सुबह कल रात की 'लेडीज ओनली ' पार्टी से लौटते हुए मैंने मिसेज मोइत्रा की कबूतरियों का जिक्र किया मम्मी से , तो मुझे जोर की डांट पड़ गयी।






" तुम भी न यही तो उमर होती है ,और कच्चे टिकोरों का मजा ही और है। इस उमर में अगर उन दोनों को गन्ना चूसने का शौक लग गया तो फिर जवानी बन जायेगी दोनों की।

छोटी वोटी कुछ नहीं , खाली सही संगत ,सही ट्रेनिंग और सही संस्कारों की जरुरत है दोनों को। सुजाता एकदम सही कहती है, ...'

वैसे उस पार्टी में मम्मी की सहेली ने जो एक्सक्लूसिव पार्ट आफ पार्टी थी ,उसमें जो ' कन्या भोग ' हुआ ( और जिसका खुल के मजा मैंने भी लिया ) आधी से ज्यादा तो मिसेज मोइत्रा की कबूतरियों की ही उमर की थीं ,दो चार मेरी ममेरी ननद की उमर की होंगी , तो मम्मी की बात में दम तो था


और ये तय हुआ की आज इनके आफिस जाने के बाद करीब तीन बजे मैंने सुजाता को बुला लूँ ,





सुजाता को तो आप सब जानते ही हैं ,एकदम मेरी पक्की सहेली , हम लोगो के क्लब की ' बेबी ,यंगेस्ट ' ५-६ महीने पहले ही शादी हुयी है,







इनकी मुंहबोली साली लेकिन सबसे बढ़कर मम्मी की एकदम असली वाली बेटी बन गयी है वो। अगर मुझसे ज्यादा मम्मी किसी को प्यार करती हैं तो सुजाता को। उनलोगों के हर मुद्दे में विचार भी मिलते हैं ,

और आज की मीटिंग में विचार का विषय था , मिसेज मोइत्रा की गोरी गोरी कबूतरियों को दाना कैसे चुगाया जाय , उन्हें संस्कारी से 'सुसंस्कारी' कैसे बनाया जाय

सुजाता ने जैसे ही अपने टैब पे , स्कूल ड्रेस में दोनों कबूतरियों की फोटो दिखाई ,मम्मी की तो बस लार ही टपक पड़ी,

गोरी चिट्ठी भरे बदन की किशोरियां, आ रही जवानी के निशान साफ़ साफ़ उनदोनो की देह से छलक रहे थे ,चाहे गालों की लुनाई हो या हलके हलके गदराये जोबन के उभार,




लेकिन जब सुजाता ने अपने टैब में से वो फोटुएं दिखाई जिसने मुझे भी उसका मुरीद बना ,

दोनों के सीधे , ' खजाने ' की तस्वीर

बस हलकी हलकी आ रही सोने के तार ऐसी नयी नयी मुलायम झांटे और उन के बीच में एकदम चिपकी हुयी

मम्मी की तो हालत खराब हो गयी ,और मेरी भी।

अब आपरेशन की कमांड उन्होंने अपने हाथ में ले ली , और हम दोनों ,मैं और सुजाता उनकी लेफ्टिनेंट।


और वो इतना बड़ा बिजनेस इम्पायर चलाती थीं ,उनके लिए तो बस अब ये ,

एक स्ट्रेटेजिक मीटिंग हो गयी। और उन्होंने अपना फेवरिट फार्मूला शुरू कर दिया , स्वाट ,स्ट्रेंथ ,वीकनेस, ऑपर्च्युनिटी ,थ्रेट।

और उनके पूछने के पहले ही सुजाता ने स्ट्रेंथ गिनानी शुरू कर दी,
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जोरू का गुलाम भाग ५५

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जोरू का गुलाम भाग ५५





१. वो दोनों जिस स्कूल में हैं ,अभी सुजाता उसकी इंचार्ज है और हेड मिस्ट्रेस के साथ ,दोनों कबूतरियों की क्लास टीचर , स्पोर्ट्स टीचर और काफी लोग ,सुजाता के इंटिमेट पर्सनल फ्रेंड हैं।

२. मिस्टर मोइत्रा अभी बाहर गए हैं और महीने दो महीने तक उनके आने का कोई चांस नहीं है। मिसेज मोइत्रा भी अभी शाक में हैं।

३. मिसेज मोइत्रा को अभी कोई शक भी नहीं है उनकी दोनों कबूतरियां हम लोगों के टारगेट पर हैं।

४. दोनों कबूतरियों के क्लास में काफ़ी लड़कियां ' फन लविंग ' हैं और उनका पियर प्रेशर काफी स्ट्रांग है।


वीकनेस गिनाने की जिम्मेदारी मेरी थी। थी भी मैं डेविल्स एडवोकट,

१ बचपन से ही मिसेज मोइत्रा ने उन्हें 'संस्कारी' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , फ़िल्में देखना तो दूर फिल्मों के बारे में बात भी करना वहां बुरा है।

२ दोनों के बिहैवियर पैटर्न में कोई भी चेंज होने से उन्हें शक हो जाएगा।

३ दोनों कबूतरियां सिर्फ स्कूल के लिए बाहर निकलती हैं और फिर सीधे घर , फ्रेंड्स के घर भी महीने में एक दो बार ही वो भी पूछ कर और शाम को वापस।

४ ड्रेसेज भी वो दोनों बहुत ढीली ढाली पुराने फैशन की पहनती हैं , और उन का सिर्फ एक टारगेट है कालेज में टॉप करना।

सुजाता ने एक पल सोचा फिर ऑपर्च्युनिटीज गिनवाने लगी ,

१. घर के अलावा स्कूल में ही उन दोनों का समय गुजरता है ,और वहां पर सुजाता का पूरा कंट्रोल है , इसका सबूत वो पिक्चर है जो चेंजिंग रूम के अंदर कैमरे लगवा के उसे इकट्टा की और उन दोनों कबूतरियों के पीरियड्स के डिटेल मेडिकल सेक्शन से लिए।

२ अभी मिसेज मोइत्रा के स्टार्स डाउन है तो पहले वो अपने ही डिफेन्स में रहेगीं , और जितना जल्दी हम लोग इस पीरियड में स्ट्राइक करें उतना अच्छा है।

३ मिसेज मोइत्रा स्कूल के कंट्रोल बोर्ड में थीं और अभी भी है ,इसलिए उन्हें स्कूल के लोगों पर पूरा भरोसा है। पर उन्हें पता नहीं की स्कूल के लोगों को ये अच्छी तरह अंदाज लग गया है की पावर इक्वेशन अब एकदम चेंज हो गया है और अब टॉटल कंट्रोल सुजाता के पास है। दूसरे मिसेज मोइत्रा ने अपने राज में बहुत से लोगों को, स्पेशली स्पोर्ट्स सेक्शन और कई ' फन लविंग ' टीचर्स को अपना दुश्मन बना लिया है।
४ वो दोनों टॉप तो करना चाहती हैं लेकिन अभी तीसरे चौथे पर ही रहती हैं।

हम सबको आशा की किरणे दिखनी लगी ,लेकिन थ्रेट तो बताना ही था तो मैंने कुछ बोल दिया ,

१ अगर हम लोगों को कुछ देर हो गयी तो मिसेज मोइत्रा के डिफेंसेज स्ट्रांग हो जाएंगे ,

२ अगर दोनों कबूतरियों के संस्कारी से सुसंस्कारी बनने के दौरान उन्हें कुछ शक हो गया तो वो उन्हें बोर्डिंग में कहीं बाहर शिफ्ट कर सकती हैं।
और अब मम्मी की बारी थी ,लेकिन उन्होंने कुछ फैसला सुनाने के पहले एक सवाल सुजाता से पूछ लिया,

" उन दोनों कबूतरियों के क्लास में कोई 'सुसंस्कारी' लड़की है या , ... "

उन का बाकी सुजाता की खिलखलाहट में डूब गया , और जब सुजाता हंसती थी तो बस हंसी के दौरे चालू हो जाते थे उसे। मुश्किल से रुकी ,





और अब मम्मी की बारी थी ,लेकिन उन्होंने कुछ फैसला सुनाने के पहले एक सवाल सुजाता से पूछ लिया,

" उन दोनों कबूतरियों के क्लास में कोई 'सुसंस्कारी' लड़की है या , ... "

उन का बाकी सुजाता की खिलखलाहट में डूब गया , और जब सुजाता हंसती थी तो बस हंसी के दौरे चालू हो जाते थे उसे। मुश्किल से रुकी ,

" आप भी न ,आज के जमाने में , ....लड़कियों की झांटे बाद में आती हैं लेकिन चार चार कंट्रासेप्टिव पिल के नाम उन्हें पहले याद हो जाते हैं। अरे आधी से ज्यादा उसने क्लास की लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ रही है फुर्र फुर्र। सिर्फ वही दोनों माहौल खराब कर रही है ,


लेकिन मैं आप की बात समझ गयी ,एक लड़की है जो सुसंस्कारी ही नहीं परम सुसंस्कारी है , छंदा सेन.




ड्रिंक ,ड्रग्स कोई चीज बची नहीं उससे / लड़के एक साथ चार पांच आशिक रखती है , और सिर्फ लड़के ही , वो जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में भी विश्वास नहीं रखती। उसके क्लास की ही तीन चार लड़कियां उसकी सेविकाएं हैं। कबूतरियों के क्लास में पिछले तीन साल से है , पास होती तो अब ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में पहुँच जाती। "

मम्मी सुजाता की बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी और उन के मन में कोई स्ट्रेटजी तैयार हो रही थी।

सुजाता ने अपने टैब से छंदा की फोटो दिखा दी,

वाउ एकदम मस्त माल लग रही थी ,कैशोर्य की आखिरी पायदान पर , लेकिन मेरे मन की बात मम्मी ने कह दी ,

"मस्त है एकदम नम्बरी छिनार , तुम कह रही थी , दो बार फेल हो चुकी है ,इसी क्लास में ,.. "

" हाँ लेकिन शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन की एकलौती बेटी है ,उनके पोलिटिकल कनेक्शन भी बहुत हैं इसलिए , कालेज से, ... "

मम्मी ने सुजाता के जवाब को आलमोस्ट इग्नोर करते दूसरा सवाल दागा ,

" तुम्हारी कुछ उस लड़की से जान पहचान है क्या ,... "

" हाँ है थोड़ी बहुत , मिली हूँ ,लेकिन जो उस की स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच है वो दोनों मेरी पक्की सहेलियां है और , उन दोनों से वो बहुत चीजें शेयर करती है। "

" ब्वाय फ्रेंड्स ,गर्ल फ्रेंड्स भी क्या , " मैंने उत्सुकता से पूछा। पूछा तो सुजाता से ,लेकिन मम्मी की घूरती निगाहों ने मुझे चुप करा दिया।

उनका प्लान तैयार हो गया था ,कम से कम पार्ट प्लान , बहेलिये ने दाना फेंकने की तैयारी कर ली थी ,बस कबूतरियों को दाना चुगना बाकी था।


और मम्मी ने प्लान का पहला हिस्सा बता दिया ,



" क्या नाम बताया था तूने ,उसका ,हाँ छंदा ,बस उसे पटा तू।






इस साल से तो उसके बजाय बोर्ड के इंटरनल एक्जाम होंगे न तो बस उसे प्रामिस कर की वो सिर्फ पास ही नहीं होगी बल्कि मार्क्स भी अच्छे आएंगे। वो ही लड़की चाभी है। मुझे मालूम है की उस की उन कबूतरियों से दोस्ती नहीं होगी , लेकिन ये जिम्मेदारी छंदा की है उन्हें पटाने की। दोनों कबूतरियां टेनिस भी खेलती हैं न ? "

सुजाता ने हामी भरी और ये भी बोला की बस सो सो हैं दोनों टेनिस में।

" तो क्या हुआ ये तो तुम्हारे हाथ में है , अगले तीन चार दिनों के अंदर किसी बाहर के शहर में टेनिस टीम भेजो जिसमें दोनों कबूतरियां और वो छंदा जाएंगी। मुझे मालूम है मिसेज मोइत्रा पहले हिचकिचाएंगी लेकिन उन्हें यही बोलना की साथ में स्पोर्ट्स टीचर और टेनिस कोच भी जाएंगी।


लास्ट मिनट पे स्पॉर्ट्स टीचर कैन ड्रॉप और कोच बजाय लड़कियों के साथ रुकने के कहीं और ,... लेकिन ये ध्यान रखना होगा की शुरू में वो छंदा अपने को एकदम कंट्रोल में रखे और उनका ट्रस्ट जीते। हाँ आखिरी दिन जितने के बाद जरूर एंड दे मस्ट विन , ऐट लीस्ट कम सेकेण्ड।



हाँ अवॉर्ड में एक बात , गिफ्ट हैम्पर ,कूपन्स फार सम फैशनेबल ड्रेसज और छंदा उन्हें ज़रा ज्यादा 'सुसंस्कारी' ड्रेसेज उनसे दिलवा सकती है।

टेनिस के लिए ड्रेसज तो कालेज देगा न तो बस उनमें उनकी टेनिस बॉल्स ज़रा अच्छी तरह छलकनी चाहिए।


और टेनिस की जीत की ख़ुशी में तीनो बच्चियों का सोमरस का स्वाद लेना तो बनता है न. . और जीत की ख़ुशी शेयर करने के लिए दोनों का फेसबुक अकाउंट खुलना ,सोशल नेट्वर्किंग ज्वाइन करना , तो बस ' सुसन्कारी' होने का पहला पाठ शुरू। "

मैंने और सुजाता ने बस ताली नहीं बजायी।

इतनी अच्छी ,तगड़ी प्लानिंग तो हम सोच नहीं सकते थे। हम दोनों बस मंत्रमुग्ध होकर उनकी ओर देख रहे थे।

लेकिन मम्मी ने आगे का स्टेप भी बता दिया,

" एक बार वो दोनों छंदा के चंगुल में फंस गयी तो उन्हें आगे भी बढ़ाना होगा। तुमने क्या बताया था वो क्लास में फर्स्ट आना चाहती हैं न हाँ तो बस स्कूल के बाद , एक एक्स्ट्रा क्लास , जिसमें दोनों कबूतरियों के साथ छंदा और चार पांच और छंदा की चमची सुसंस्कारी बच्चिया , अपने आप ढंग के गुण दोनों सीखने लगेंगी। "



इतनी जबरदस्त प्लानिंग न मेरे दिमाग में घुसती न सुजाता के। मम्मी ने तो पूरा खाका ही बना के हम दोनों को दे दिया था और बस अब उसे इम्पलीमेंट करने की जिमेदारी हम दोनों की थी।

जाल बुना जा चूका था , बस दाना डालना था ,जाल फेंकना था और दोनों कबूतरियां जाल में।





कैशोर्यावस्था में पीयर प्रेशर से बढ़ कर कुछ नहीं होता , और बस मम्मी ने वही दांव खेला था और फिर मिसेज मोइत्रा जो उन दोनों कबूतरियों की पहरेदार थीं ,उनकी निगाह से दूर , दूसरे शहर में , और छंदा जैसी खेली खायी होशियार लड़की पटानेवाली, ... मेरा और सुजाता का दूर दूर तक हाथ नजर नहीं आता , न मिसेज मोइत्रा को न दोनों कबूतरियों को।

लेकिन मम्मी का हाथ तो बार बार सुजाता के टैब से खेल रहा था , वो बार बार एक कबूतरी की बॉटमलेस पिक्चर को , जिसमें उसकी संतरे की फांकों ऐसी रसीली एकदम चिकनी , ...एकदम चिकनी तो नहीं ,छोटी छोटी झांटे , केसर के फूल जैसी , ,...

तारीफ़ की नजर से उन्होंने सुजाता की ओर देखा और बोल उठीं ,

" ये मस्त पिक्चर कैसे खींची , "

सुजाता मुस्करा उठी।

" सिम्पल , स्कूल में सी सी टीवी लगने थे ,वो भी आई पी बेस्ड , और अब मैं इंचार्ज हूँ तो बस मुझे ही फाइनल करना था , सिक्योरटी एजेंसी भी मैंने नयी अप्वाइंट की थी , तो टेनिस कोर्ट के गर्ल्स लाकर रूम में , ... जहाँ लड़कियां स्पोर्ट्स ड्रेस में चेंज करती है , और इस कैमरे को ज़ूम भी कर सकते हैं , पोजिशन भी चेंज कर सकते हैं , रिमोट कंट्रोल जो मेरे मोबाईल से भी आपरेट हो सकता है। इस कैमरे का कंट्रोल सिर्फ मेरे पास है , बस। "

और कुछ देर में वो सिक्योरिटी वाला हमारे घर में था।

अब मैं समझ गयी क्यों वो आँख मूँद कर के सुजाता की सब बाते मानता था , मुश्किल से २१ -२२ का ,लेकिन हैकिंग से लेकर सरवायलेन्स हर चीज में एक्सपर्ट ,

और सुजाता को देखकर उसके मुंह में ऐसे पानी आ रहा था की बस ,


इस उम्र के लड़कों को पटाना ,अपनी ऊँगली पर नचाना ,सुजाता के बायीं ऊँगली का खेल था।


जो जो बातें मम्मी ने सुजाता को समझाई थीं ,सब सुजाता ने उसे बता दीं।


मिसेज मोइत्रा के पूरे घर में सरवायलेन्स किट , कैमरे , फोन पर टैप और ख़ास तौर पर दोनों कबूतरियों के बेड रूम का एक एक कोना और टॉयलेट , ...

बहाना ये था की उनके घर में वाल्स में इलेक्ट्रिक करेंट लीक होने की शिकायत मिली थी ,इसलिए सभी दीवालें चेक करनी थी।

वो अपने मिशन में गया , और तबतक जो मैंने सिखा पढ़ा के उन्हें आफिस भेजा था ,उसका असर हो गया।

मिसेज मोइत्रा की चमची नंबर तीन का फोन आया ,

बस वो रो नहीं रही थी , क्या क्या माफियां नहीं मांगी उसने। मिसेज मोइत्रा के खिलाफ पचास बातें , मेरी लिए कुछ भी करने को तैयार , बस बार बार एक बात , मैं उसे माफ़ कर दूं वो कुछ भी करेगी मेरे लिए , दस मिनट तक लगातार,...


मैंने स्पीकर फोन आन कर रखा था, मम्मी और सुजाता ने किसी तरह अपने को खिलखिलाने से रोक रखा था।

मैंने उन्हें ( चमची नंबर तीन को ) समझाया ,बताया , की मिसेज मोइत्रा हमारी सीनियर हैं , और अब मिस्टर मोइत्रा भी नहीं है यहाँ तो हमारी जिम्मेदारी बनती है ,मिसेज मोइत्रा का अच्छी तरह ख्याल रखने की ,उन्हें कंपनी देने की। हम लोग एकदम भी मिसेज मोइत्रा के खिलाफ नहीं है बल्कि उनकी रिस्पेक्ट करते हैं।


वो थी तो चतुर चालाक ,एकदम लोमड़ी। मेरी बातों का असली मतलब समझ गयी और अपना रोल भी।

एक घंटे के अंदर सुजाता के दीवाने उस सिक्योरिटी वाले ने कन्फर्म कर दिया कैमरे और स्पीकर फोन लग गए।

और उसका सबुत भी मिल गया ,सुजाता के फोन पर वो चमची नम्बर तीन , दिख रही थी ,कब मिसेज मोइत्रा के घर गयी ,क्या क्या बातें की उन लोगो ने ,

सब की सब जैसा मैने उसे सिखाया था , यहाँ तक की दोनों कबूतरियों के कमरे में भी वो गयी और उन के बाथरूम में भी ,

कैमरे में सब कुछ कैप्चर हो रहा था। इसी के साथ कैमरे ,वायस टेप भी चेक हो गए।हम तीनो ने हाई फाइव किया।

अब कबूतरियों का हर पल हमें पता लग सकता था , और उनकी माँ का भी.

लेकिन सबसे ज्यादा ख़ुशी इस बात की थी की वो चमची नंबर तीन मिसेज मोइत्रा की ख़ास चमची , अब एकदम टर्नराउंड कर गयी थी। और उससे भी बड़ी बात थी की वो एकदम चतुर चालाक सुजान थी , और मिसेज मोइत्रा को भनक भी नहीं लगने वाली थी की कब उनके पैरों के नीचे से जमीन सरक गयी।

यही तो हम सब चाह्ते थे और हमसे बढ़कर मिसेज खन्ना।

मम्मी और सुजाता कुछ गन्दी गन्दी बातें करने लगी लेकिन मेरा दिमाग कहीं और लगा था ,

मैंने उन्हें चमची नंबर १ और दो के हबीज के बारे में मसाला दिया था ,इसके बारे में तो मेरी बॉबी जासूस ने कुछ किया ही नहीं था ,तो ये कैसे मेरी चरणों की दासी पूरी भक्त हो गयी।

और तभी फोन घनघनाया। उन्ही का था ,आफिस से और सारा मामला शीशे की तरह साफ़ हो गया।

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