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काले जादू की दुनिया complete
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Re: काले जादू की दुनिया
amitraj39621 wrote:nice update
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प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: काले जादू की दुनिया
त्रिकाल तम तमा गया और किसी घायल शेर की तरह आस पास रखी चीज़ो को तोड़ने और उठाके फेंकने लगा. वही त्रिकाल के शिष्यो मे खलबली मच गयी कि आख़िर उनके मालिक को इतना गुस्सा क्यू आया.
“क्या हुआ मालिक...हम से कोई भूल हो गयी क्या..?” एक आदमी ने त्रिकाल से कहा.
“तुमसे नही लेकिन उस आचार्य से ज़रूर भूल हो गयी है....उसने हमे मारने का इक लौता तरीका उन दोनो कुत्तो को बता दिया है....इस भूल की सज़ा आचार्य को भुगतनी पड़ेगी...” दहाड़ता हुआ त्रिकाल तन्त्र साधना करने दोबारा बैठ गया.
इधर आचार्य के आश्रम के लोग आने वाले तूफान से अंजान थे. रात ढल चुकी थी और बाहर बारिश ज़ोरो की बरस रही थी.
“चलिए जी सोने का समय हो गया है...रात्रि बहुत हो गयी है...” आचार्य सत्य प्रकाश की पत्नी सुनीता देवी बोली.
“आप चलिए...हम थोडा यही विश्राम करेंगे...” आचार्य ने विनम्रता से कहा.
सुनीता उनकी बात मान कर अपनी जवान लड़की पायल के साथ कमरे मे चली गयी जब अचानक एक भूकंप सा आने लगा. पूरा आश्रम थर्रा गया. सब लोग डर के मारे इधर उधर भागने लगे. आचार्य को भी अबतक किसी अनहोनी का आभास हो गया था.
“तुम और पायल जल्दी से यहाँ से निकालो....मैं पीछे से आता हू...” हड़बड़ाये हुए आचार्य अपने कमरे मे पहुचे जहाँ उनकी पत्नी और बेटी सो रहे थे.
भूकंप से वो लोग भी डरे हुए थे, बाहर बहुत ज़ोरो से आँधी चल रही थी और पूरी ज़मीन काँप रही थी. वो तीनो उठे और आश्रम के गलियारो से होते हुए पास मे बने एक मंदिर मे जाने की कोशिश करने लगे.
“जल्दी आओ...इस मंदिर मे छुप जाओ...” आचार्य चिल्लाते पायल का हाथ पकड़ते हुए आगे आगे भाग रहे थे. वो और पायल जल्दी से मंदिर मे जाकर शरण ले लिए. तभी सुनीता देवी जो पीछे पीछे भाग रही थी भूकंप से काँप रही धरती पर लड़खड़ा के गिर गयी.
“माँ....” मंदिर के अंदर पहुच चुकी पायल चिल्लाई.
तभी एक काले से धुन्ध ने ज़मीन पर गिरी हुई सुनीता देवी को अपने आगोश मे ले लिया. जैसे जैसे वो धुन्ध छाँटा वैसे वैसे वो हँसने की भयंकर आवाज़ सुनाई देने लगी.
अब वो धुन्ध किसी आदमी का रूप लेने लगी. आचार्य की आँखो मे भय सॉफ देखा जा सकता था. उनको अपनी नही बल्कि अपनी पत्नी की जान की परवाह थी.
उस धुन्ध ने अब तक त्रिकाल का रूप ले लिया था. पायल उसके भयंकर चेहरे को देख कर डर गयी. सुनीता देवी अब त्रिकाल की गिरफ़्त मे थी जो मंदिर तक पहुच पाने से पहले ही गिर पड़ी थी.
“अगर इस औरत की भलाई चाहते हो तो इस कच्ची कली को मंदिर से बाहर भेजो....” त्रिकाल ने पायल की तरफ इशारा करते हुए कहा.
पायल यह देख कर बहुत बुरी तरह से डर गयी. आचार्य, त्रिकाल के काले जादू की ताक़त को जानता था और वो अब तक समझ चुका था कि अब उसकी प्यारी पत्नी नही बचेगी. आचार्य की आँखे नम हो गयी.
“लगता है तुझे अपनी माँ से ज़रा भी प्यार नही है कुतिया....” त्रिकाल ने पायल के तरफ घूर कर कहा. पायल को लगा कि वो त्रिकाल को देख कर ही वही ख़ौफ्फ से मर जाएगी.
“तो फिर ठीक है....अंजाम भुगतने को तय्यार रहना...” दहाड़ते हुए त्रिकाल ने सुनीता देवी के साड़ी का आँचल खीच कर फाड़ दिया और उसके लटके हुए मोटे मोटे स्तनो को मसलने लगा. इसे देख कर सुनीता देवी तड़प उठी और त्रिकाल से रहम की भीख माँगने लगी.
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Re: काले जादू की दुनिया
यह दृश्य आचार्य और पायल दोनो की आँखो मे चुभ रहा था. तभी त्रिकाल ने फिर दहाडा, “अगर चाहते हो कि यह औरत जिंदा बच जाए तो इस लड़की को मंदिर से बाहर आने को कहो...”
इसे सुनकर पायल बहुत डर गयी, पर अपनी आँखो के सामने अपनी माँ की ऐसी दयनीए हालत उसे देखा ना गया और उसने अपने कदम मंदिर की चार दीवारी के बाहर पड़ने के लिए उठ गये.
“रूको बेटी...मंदिर के बाहर मत जाओ...यह दुष्ट पापी इस मंदिर के अंदर कभी नही आ सकता है.” आचार्य ने अपनी बेटी को रोकते हुए कहा.
त्रिकाल यह देख कर गुस्सा और भड़क गया. उसने मन्त्र पढ़ा और सुनीता देवी के सारे कपड़े गायब हो गये और वो सबके सामने नंगी हो गयी. आचार्य और पायल ने ऐसी घिनोनी हरकत देख कर अपनी आँखे बंद कर ली.
“वाह क्या माल है तेरी बीवी सत्य प्रकाश....इसे भोगने मे तो बड़ा ही आनंद आएगा...हा हा हा.” त्रिकाल ठहाके लगाते हुए बोला.
फिर त्रिकाल ने अपना बड़ा सा काला लबादा आगे से थोड़ा हटाया तो उसका विकराल लिंग बाहर आ गया. पायल समझ गयी कि उसकी माँ के साथ क्या होने वाला है इसलिए उसने अपने पिता का हाथ छुड़ा कर मंदिर की चार दीवारो से भाग कर त्रिकाल के सामने आ गयी. आचार्य यह सब ख़ौफ्फ भरी निगाहो से देखते रहे.
“ले दुष्ट मैं आ गयी हू...अब मेरी माँ को छोड़ दे...” भोली भाली पायल त्रिकाल की बातो मे आ गयी थी.
“हा..हा..हा..अरे ओ सत्य प्रकाश...क्या तूने अपनी इस चिकनी जवान लड़की को यही शिक्षा दी है कि मुझ जैसे कमीने शैतान पर इतनी जल्दी भरोसा कर ले...” त्रिकाल अपने लिंग को हाथो से सहलाता हुआ बोला.
आचार्य की तो मानो दुनिया ही बर्बाद हो गयी थी. उन्होने चिल्ला कर कहा, “त्रिकाल मैने तेरा क्या बिगाड़ा है जो तू मेरे परिवार के साथ ऐसा कर रहा है...”
“तूने उन दोनो लौन्डो को मेरी मौत का राज़ बता कर अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल कर दी है....अब यह त्रिकाल तेरी इन आँखो के सामने तेरी बीवी और बेटी को भोगेगा...हा..हा.हा.”
आचार्य को मानो दिन मे तारे दिखाई देने लगे. उन्होने भगवान से पूछा कि उनके पुण्य की सज़ा उन्हे और उनके परिवार को क्यू मिल रही है.
इधर पायल को एहसास हुआ कि अब वो कितनी बड़ी मुसीबत मे फस चुकी है. उसने सोचा कि भाग कर वापस मंदिर मे चली जाए लेकिन तभी त्रिकाल ने काला जादू कर के उसे वही रस्सी से बाँध दिया. आश्रम के बाकी सेवको का भी यही हाल था.
त्रिकाल अगले पल सुनीता देवी की चूत को अपने उंगलियो से सहलाने लगा. आचार्य अब टूट चुके थे. वह वही बैठ गये और किसी पुतले की तरह अपनी पत्नी की लूट ती हुई इज़्ज़त को देखने लगे.
त्रिकाल ने ज़बरदस्ती सुनीता देवी को वही लिटा दिया और उन्हे ज़बरदस्ती चौपाया बना कर उनकी चूत पर अपना हाथी जैसा काला लॉडा टिका दिया और एक करारा झटका मार कर सुनीता देवी की चूत के परखच्चे उड़ा दिया. लॉडा चूत फाड़ता हुआ सीधे बच्चेदानि से टकराया.
“नाआहहिईीईईईईई........” एक लंबी चीख मार कर सुनीता देवी वही ढेर हो गयी.
“अरे यह तो मर गयी.....मेरे लौडे का एक भी वार कुतिया झेल ना सकी...हा हा हा”
पायल यह सब दहशत भरी निगाहो से देख रही थी. इतने मोटे लौडे को सुनीता देवी झेल ना पाई और दर्द की वजह से मर गयी. उधर आचार्य को मानो लकवा मार गया हो वो बस पुतले की तरह अपनी पत्नी को मरता हुआ देख रहे थे. उनका जिस्म जवाब दे चुका था बस उनकी आँखो से आँसू लगतार बह रहे थे.
इसे सुनकर पायल बहुत डर गयी, पर अपनी आँखो के सामने अपनी माँ की ऐसी दयनीए हालत उसे देखा ना गया और उसने अपने कदम मंदिर की चार दीवारी के बाहर पड़ने के लिए उठ गये.
“रूको बेटी...मंदिर के बाहर मत जाओ...यह दुष्ट पापी इस मंदिर के अंदर कभी नही आ सकता है.” आचार्य ने अपनी बेटी को रोकते हुए कहा.
त्रिकाल यह देख कर गुस्सा और भड़क गया. उसने मन्त्र पढ़ा और सुनीता देवी के सारे कपड़े गायब हो गये और वो सबके सामने नंगी हो गयी. आचार्य और पायल ने ऐसी घिनोनी हरकत देख कर अपनी आँखे बंद कर ली.
“वाह क्या माल है तेरी बीवी सत्य प्रकाश....इसे भोगने मे तो बड़ा ही आनंद आएगा...हा हा हा.” त्रिकाल ठहाके लगाते हुए बोला.
फिर त्रिकाल ने अपना बड़ा सा काला लबादा आगे से थोड़ा हटाया तो उसका विकराल लिंग बाहर आ गया. पायल समझ गयी कि उसकी माँ के साथ क्या होने वाला है इसलिए उसने अपने पिता का हाथ छुड़ा कर मंदिर की चार दीवारो से भाग कर त्रिकाल के सामने आ गयी. आचार्य यह सब ख़ौफ्फ भरी निगाहो से देखते रहे.
“ले दुष्ट मैं आ गयी हू...अब मेरी माँ को छोड़ दे...” भोली भाली पायल त्रिकाल की बातो मे आ गयी थी.
“हा..हा..हा..अरे ओ सत्य प्रकाश...क्या तूने अपनी इस चिकनी जवान लड़की को यही शिक्षा दी है कि मुझ जैसे कमीने शैतान पर इतनी जल्दी भरोसा कर ले...” त्रिकाल अपने लिंग को हाथो से सहलाता हुआ बोला.
आचार्य की तो मानो दुनिया ही बर्बाद हो गयी थी. उन्होने चिल्ला कर कहा, “त्रिकाल मैने तेरा क्या बिगाड़ा है जो तू मेरे परिवार के साथ ऐसा कर रहा है...”
“तूने उन दोनो लौन्डो को मेरी मौत का राज़ बता कर अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल कर दी है....अब यह त्रिकाल तेरी इन आँखो के सामने तेरी बीवी और बेटी को भोगेगा...हा..हा.हा.”
आचार्य को मानो दिन मे तारे दिखाई देने लगे. उन्होने भगवान से पूछा कि उनके पुण्य की सज़ा उन्हे और उनके परिवार को क्यू मिल रही है.
इधर पायल को एहसास हुआ कि अब वो कितनी बड़ी मुसीबत मे फस चुकी है. उसने सोचा कि भाग कर वापस मंदिर मे चली जाए लेकिन तभी त्रिकाल ने काला जादू कर के उसे वही रस्सी से बाँध दिया. आश्रम के बाकी सेवको का भी यही हाल था.
त्रिकाल अगले पल सुनीता देवी की चूत को अपने उंगलियो से सहलाने लगा. आचार्य अब टूट चुके थे. वह वही बैठ गये और किसी पुतले की तरह अपनी पत्नी की लूट ती हुई इज़्ज़त को देखने लगे.
त्रिकाल ने ज़बरदस्ती सुनीता देवी को वही लिटा दिया और उन्हे ज़बरदस्ती चौपाया बना कर उनकी चूत पर अपना हाथी जैसा काला लॉडा टिका दिया और एक करारा झटका मार कर सुनीता देवी की चूत के परखच्चे उड़ा दिया. लॉडा चूत फाड़ता हुआ सीधे बच्चेदानि से टकराया.
“नाआहहिईीईईईईई........” एक लंबी चीख मार कर सुनीता देवी वही ढेर हो गयी.
“अरे यह तो मर गयी.....मेरे लौडे का एक भी वार कुतिया झेल ना सकी...हा हा हा”
पायल यह सब दहशत भरी निगाहो से देख रही थी. इतने मोटे लौडे को सुनीता देवी झेल ना पाई और दर्द की वजह से मर गयी. उधर आचार्य को मानो लकवा मार गया हो वो बस पुतले की तरह अपनी पत्नी को मरता हुआ देख रहे थे. उनका जिस्म जवाब दे चुका था बस उनकी आँखो से आँसू लगतार बह रहे थे.
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Re: काले जादू की दुनिया
अब त्रिकाल पायल की तरफ मुड़ा. इसे देख कर पायल के रोंगटे खड़े हो गये और वो रस्सी से बँधी छटपटाने लगी और इधर उधर हाथ पाँव मारने लगी. त्रिकाल ने चुटकी बजाई और पायल के जिस्म पर बँधी रस्सी गायब हो गयी पर इससे पहले वो भाग पाती त्रिकाल के विशाल हाथो ने उसे कमर से उठा लिया.
“हा...हा...हा...क्या चिकना माल है पटक कर चोदने लायक है...इसे तो मैं अभी के अभी भोगुंगा...”
त्रिकाल का हाथी जैसे लंड पर सुनीता देवी का खून लगा हुआ था. उसने फिर से तन्त्र किया और इस बार पायल के जिस्म से उसके कपड़े गायब हो गये.
उसने ज़बरदस्ती पायल को भी अपनी माँ की तरह कुतिया जैसे चौपाया बनाया और अपने हल्लाबी लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. पायल को लग रहा था कि उसकी माँ की तह वो भी मर जाएगी.
तभी त्रिकाल ने एक जर्दस्त झटका मारा और उसका लॉडा पायल की कुवारि बुर की चीथड़े उड़ाता हुआ अंदर घुस गया.
“आअहह...........” यह पायल की आख़िरी चीख थी क्यूकी उसके बाद वो कभी नही उठी. खून की नादिया तो ऐसे बह रही थी जैसे वहाँ कोई मौत का नंगा नाच हुआ हो.
“दोनो कुतिया माँ बेटी एक झटके मे ही मर गयी....हा..हा..हा.” त्रिकाल हंसता हुआ पायल की लाश से अपना खून से सना लंड निकाला और आचार्य की तरफ एक बार देखा और चिल्लाया, “देख लिया त्रिकाल से दुश्मनी का नतीजा....हा.हा.हा.”
पर आचार्य के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. अपनी बेटी की लाश देख कर उनको भी दिल का दौरा पड़ गया और उनकी भी वही मृत्यु हो गयी. इसे देख त्रिकाल विजय की हुंकार भरने लगा और चिल्लाया, “सत्य प्रकाश...तू भी मर गया....खैर अगर तू जिंदा होता तो मैं आज तेरी गान्ड मार के तुझे मृत्यु लोक भेजता...हा.हा.हा.." कहते हुए त्रिकाल का शरीर धुन्ध बन गया और हवा मे समा गया.
उसके जाते ही काले जादू का असर ख़तम हुआ तो आश्रम के सेवक आज़ाद हो गये. वो दौड़ते भागते आए तो देखा की सुनीता देवी की लाश नंगी पड़ी है और उनकी चूत से खून की नादिया बह रही है. पास ही में पायल की लाश भी नंगी पड़ी थी जिसकी चूत बुरी तरह से फटी हुई थी जिससे भी बहुत खून बह रह था. वो सब भाग कर आचार्य के पास गये तो उनकी भी मृत्यु हो चुकी थी. पूरे आश्रम मे मातम फैला हुआ था.
इधर दूर मुंबई जयपुर हाइवे पर अर्जुन की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी. दोनो आचार्य सत्या प्रकाश और उनके परिवार के साथ हुए अनहोनी से अंजान थे. करण ने निशा को फोन कर के बोल दिया था कि उसका काम कुछ और दिनो तक चलेगा जिससे निशा और उदास हो गयी.
पूरा दिन गाड़ी चलाने के बाद वो दोनो जयपुर पहुचे. आधी रात का समय हो चुका था इसलिए वो दोनो वही एक होटेल मे रुक गये. पूरी रात वही होटेल मे बिताने के बाद वो दोनो सुबह देर तक सोते रहे क्यूकी वो ना जाने कितनी देर से लगातार गाड़ी चला रहे थे.
मुंबई के उलट यहाँ का मौसम उतना खराब नही था. बदल तो घने छाए थे लेकिन बारिश बस हल्की हल्की ही हो रही थी. वो दोनो किसी तरह इधर उधर से रामपुरा का पता पूछ रहे थे, लेकिन इतने पुराने गाँव के बारे मे किसी को कुछ नही पता था. शायद अब रामपुरा मे लोग भी नही रहते थे.
वहाँ से दूर त्रिकाल के गुफा मे जश्न का महॉल था. काजल और रत्ना के नंगे जिस्मो की नुमाइश हो रही थी. त्रिकाल काजल के सामने ही रत्ना पर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत मे हल्लाबी लंड को जड़ तक पेल रहा था. बारह साल से त्रिकाल से हर रोज़ चुदने के बाद रत्ना की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी.
“हा...हा...हा...क्या चिकना माल है पटक कर चोदने लायक है...इसे तो मैं अभी के अभी भोगुंगा...”
त्रिकाल का हाथी जैसे लंड पर सुनीता देवी का खून लगा हुआ था. उसने फिर से तन्त्र किया और इस बार पायल के जिस्म से उसके कपड़े गायब हो गये.
उसने ज़बरदस्ती पायल को भी अपनी माँ की तरह कुतिया जैसे चौपाया बनाया और अपने हल्लाबी लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. पायल को लग रहा था कि उसकी माँ की तह वो भी मर जाएगी.
तभी त्रिकाल ने एक जर्दस्त झटका मारा और उसका लॉडा पायल की कुवारि बुर की चीथड़े उड़ाता हुआ अंदर घुस गया.
“आअहह...........” यह पायल की आख़िरी चीख थी क्यूकी उसके बाद वो कभी नही उठी. खून की नादिया तो ऐसे बह रही थी जैसे वहाँ कोई मौत का नंगा नाच हुआ हो.
“दोनो कुतिया माँ बेटी एक झटके मे ही मर गयी....हा..हा..हा.” त्रिकाल हंसता हुआ पायल की लाश से अपना खून से सना लंड निकाला और आचार्य की तरफ एक बार देखा और चिल्लाया, “देख लिया त्रिकाल से दुश्मनी का नतीजा....हा.हा.हा.”
पर आचार्य के शरीर मे कोई हरकत नही हुई. अपनी बेटी की लाश देख कर उनको भी दिल का दौरा पड़ गया और उनकी भी वही मृत्यु हो गयी. इसे देख त्रिकाल विजय की हुंकार भरने लगा और चिल्लाया, “सत्य प्रकाश...तू भी मर गया....खैर अगर तू जिंदा होता तो मैं आज तेरी गान्ड मार के तुझे मृत्यु लोक भेजता...हा.हा.हा.." कहते हुए त्रिकाल का शरीर धुन्ध बन गया और हवा मे समा गया.
उसके जाते ही काले जादू का असर ख़तम हुआ तो आश्रम के सेवक आज़ाद हो गये. वो दौड़ते भागते आए तो देखा की सुनीता देवी की लाश नंगी पड़ी है और उनकी चूत से खून की नादिया बह रही है. पास ही में पायल की लाश भी नंगी पड़ी थी जिसकी चूत बुरी तरह से फटी हुई थी जिससे भी बहुत खून बह रह था. वो सब भाग कर आचार्य के पास गये तो उनकी भी मृत्यु हो चुकी थी. पूरे आश्रम मे मातम फैला हुआ था.
इधर दूर मुंबई जयपुर हाइवे पर अर्जुन की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी. दोनो आचार्य सत्या प्रकाश और उनके परिवार के साथ हुए अनहोनी से अंजान थे. करण ने निशा को फोन कर के बोल दिया था कि उसका काम कुछ और दिनो तक चलेगा जिससे निशा और उदास हो गयी.
पूरा दिन गाड़ी चलाने के बाद वो दोनो जयपुर पहुचे. आधी रात का समय हो चुका था इसलिए वो दोनो वही एक होटेल मे रुक गये. पूरी रात वही होटेल मे बिताने के बाद वो दोनो सुबह देर तक सोते रहे क्यूकी वो ना जाने कितनी देर से लगातार गाड़ी चला रहे थे.
मुंबई के उलट यहाँ का मौसम उतना खराब नही था. बदल तो घने छाए थे लेकिन बारिश बस हल्की हल्की ही हो रही थी. वो दोनो किसी तरह इधर उधर से रामपुरा का पता पूछ रहे थे, लेकिन इतने पुराने गाँव के बारे मे किसी को कुछ नही पता था. शायद अब रामपुरा मे लोग भी नही रहते थे.
वहाँ से दूर त्रिकाल के गुफा मे जश्न का महॉल था. काजल और रत्ना के नंगे जिस्मो की नुमाइश हो रही थी. त्रिकाल काजल के सामने ही रत्ना पर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत मे हल्लाबी लंड को जड़ तक पेल रहा था. बारह साल से त्रिकाल से हर रोज़ चुदने के बाद रत्ना की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी.
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