बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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naik
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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Jemsbond
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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वहां क्यों गये थे, यह मैडम को भी नहीं मालूम था ।"

।। ।। मैं वहां ?"

" क्या मैडम की वजह से आपकी यह पोल खुल सकती थी कि आप एक सजायाफ्ता ……

एकाएक वह बेहद खामोश हो गया। "पने इ भांपा कि मैडम की वजह से ऐसा कोई अन्देशा आपकी यहां दिल्ली शहर में बनी नेकनामी को नहीं था

"लेकिन वजह तो अब और पैदा हो गई" - वह चिन्तित भाव से बोला - "तुम जानते हो इस बात को ।”

*पुलिस भी जानती है।"

"फिर तो हो गया काम ।"

"नहीं हुआ। मेरा या पुलिस का आपको एक्सपोज करने का कोई इरादा नहीं है।"

* अपने बारे में तो तुम ऐसा कह सकते हो लेकिन पुलिस की क्या गारंटी कर सकते हो ?"

"पुलिस को आपकी पिछली जिन्दगी से कोई मतलब तभी हो सकता हैं जबकि आप चावला साहब के या और दो जनों के कत्ल के अपराधी हो, जैसा कि आप नहीं हैं।"

"तुम मानते हो यह बात ?"

"अब मानता हूं। इसलिए मानता हूं क्योंकि अब मैं असली अपराधी को जानता हूं।"

यानी कि कमला चावला अपराधी नहीं ?"

"हरगिज भी नहीं । मैडम भी उतनी ही बेगुनाह हैं जितने कि आप ।"

"तो फिर असली अपराधी कौन है ?"

"असली अपराधी एक मदारी है।"

"मतलब ?"

"मदारी जब अपना खेल दिखाता हैं तो क्या करता है ? वह अपने हाथ की सफाई दिखाता है। अगर उसने कोई करतब अपने दायें हाथ से दिखलाना होता है तो आपकी तवज्जो वह अपने बायें हाथ की तरफ रखता है। अपने पर से तवज्जो हटाये रखने के लिये ऐसा ही कुछ असली अपराधी ने किया है। अगर वह खुद करतब करने वाला दायां । हाथ है तो पब्लिक की तवज्जो के लिए निर्दोष बायां हाथ उसने किसी को तो बनाना ही था। वह बायां हाथ उसने मिसेज कमला चावला को बनाया ।"

भटनागर चेहरे पर उलझन और असमंजस के भाव लिए मुझे देखता रहा।

"अब दायां हाथ बायें हाथ से अलग तो किया नहीं जा सकता । इसलिए अगर हत्यारे को हम दायां हाथ मानें और मैडम को बायां हाथ माने तो यह मेरे बिना कहे भी आप समझ सकते है कि हर कत्ल के वक्त जहां मैडम रही होंगी,
,,, वहां हत्यारा भी रहा होगा। अब मदारी का करतब पकड़ने के लिये जरूरी बात यह है कि जो वह चाहता है, वो न हो । वह आपकी तवज्जो अपने बायें हाथ की तरफ रखना चाहता है ताकि वह अपने दायें हाथ से ऐसा कुछ कर सके जो कि बाद में जादू लगे। अब अगर आपकी जिद यह हो कि आप उसके दायें हाथ से निगाह नहीं हटायेंगे तो फिर सोचिये, भला कैसे कामयाब हो पायेगा वो ?"

"बहुत रहस्यभरी बातें कर रहे हो बरखुरदार !"

"भटनागर साहब, आज हर रहस्य का पर्दाफाश यही आपके ऑफिस में होने वाला है।"

2 "अच्छा ! वो कैसे ?"

"आज जब यहां मदारी अपना करतब दिखायेगा तो हम उसके बायें हाथ को नहीं देंखेंगे । हम अपनी मुकम्मल तवज्जो उसके दायें हाथ पर रखेंगे।"

"असली अपराधी यहां ?" - भटनागर हैरानी से बोला ।

"जी हां ।”

"मुझे तो यहां कोई नहीं दिखाई दे रहा !"

"मुझे दिखाई दे रहा है।"

"बरखुरदार, कहीं तुम्हारा इशारा मेरी ही तरफ तो नहीं ?"

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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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मैंने मुस्कराते हुए इनकार में सिर हिलाया।

"देखो ।" - वह बड़ी संजीदगी से बोला - "जहां यह बात सच है कि जेल की सजा मैंने चावला साहब की वजह से काटी, वहां यह भी हकीकत है कि आज जिस शानदार जगह पर तुम इस वक्त बैठे हुए हो, वह भी चावला साहब का ही जहूरा है। आज मैं इतनी बड़ी और प्रतिष्ठित एडवरटाइजिंग एजेंसी का और उसके इतने मुफीद धन्धे का मालिक हूं तो वह चावला साहब की वजह से । बम्बई में जिस रोज मैं जेल से छूटा था उस रोज चावला साहब मुझे पहले से
जेल के दरवाजे पर खड़े मिले थे । वही मुझे दिल्ली लाये थे और उन्होंने ही मेरे इस पसन्दीदा धन्धे को फाइनांस करके मुझे किसी काबिल बनने का मौका दिया था । फाइनांस कम्पनी के रुपए पैसे के घोटाले की सारी मुसीबत । अपने सिर लेकर मैंने उन्हें जेल जाने से बचाया था। ऐसा करके जो एहसान मैंने उन पर किया था, उसका कई गुणा बदला मुझे हासिल हो चुका है । चावला साहब कोई अहसानफरामोश और यारमार आदमी साबित हुए होते तो मुमकिन था कि मैंने उनका कत्ल कर दिया होता । लेकिन वो ऐसे नहीं थे। उन्होंने तो जिन्दगी में हमेशा मेरी हर मुमकिन मदद की है। बरखुरदार, अपनी तरफ रोटी का निवाला बढ़ाने वाले हाथ पर थूक देने जैसी फितरत शैली भटनागर की नहीं है। कहने का मतलब यह है कि चावला साहव का कत्ल करने की बाबत मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था।"

"मुझे आपकी बात पर विश्वास है।"

"आई एम ग्लैड ।"

मैंने खिड़की से बाहर झांका।

"पिछली बार उस पिछली इमारत के बारे में आपने क्या बताया था मुझे, क्या है वो ?"

"वो हमारा साउण्ड स्टूडियो हैं।"

"हां । साउण्ड स्टूडियो । वहां क्या होता है ?"

"वहां पब्लिसिटी फिल्म की शूटिंग होती है।"

"आजकल कुछ नहीं हो रहा वहां ?" –

"हो रहा है। वहां एक सिल्क मिल के उत्पादनों की शूटिंग हो रही है । मिल के उत्पादनों को वक्त से कहीं आगे की चीज साबित करने के लिए वहां मैंने चांद-सितारों का सैट लगाया है जिनमें से होकर एक स्पेसशिप गुजरता है और फिर चांद-सितारों के बीच उस सिल्क मिल की साड़ियां पहने सुंदरियां उतरती हैं। उन सुंदरियों में प्रमुख जूही चावला थी । वो बेचारी मर गई, इसलिए मुझे शूटिंग स्थगित कर देनी पड़ी।"

"मैंने कभी साउण्ड स्टूडियो नहीं देखा । मैंने कभी शूटिंग का सैट नहीं देखा । अलबत्ता ख्वाहिश बहुत है । अगर
आपको तकलीफ न हो तो दिखाइये कि यह सब सिलसिला कैसा होता है ?"

"इस वक्त तो सेट उजाड़ पड़ा है। जब शूटिंग हो रही हो, तब देखना ।”

"तब भी देख लेंगे, अब भी दिखा दीजिये।"

"ठीक है । चलो ।"

"आपको कोई असुविधा तो नहीं होगी ?"

"नहीं, मुझे क्या असुविधा होनी हैं ! अलबत्ता तुम्हारी इस ख्वाहिश पर हैरानी जरुर हो रही है मुझे ।"

मैं केवल मुस्कुराया।

"आओ ।"

मैं उसके साथ हो लिया ।
पिछवाड़े से निकलकर हमने पिछले कम्पाउण्ड में कदम रखा ।

कम्पाउण्ड पार करते समय मैंने एक गुप्त निगाह चारों तरफ दौड़ाई । सब-इंस्पेक्टर यादव या उसके किसी आदमी के मुझे कहीं दर्शन न हुए । मैं चिन्तित हो उठा। पता नहीं यादव आया भी था या नहीं। कम्पाउण्ड पार करके हम साउण्ड स्टूडियो की इमारत के करीब पहुंचे। मैंने देखा, स्टूडियो का लकड़ी का फाटकनुमा दरवाजा खुला था । भीतर दाखिल होते समय भटनागर ने मेरी बांह थाम ली लेकिन मैंने उसका हाथ झटक दिया।

“आप मुझसे अलग होकर चलिये।" - मैं बोला।

"क्यों ?" - वह हैरानी से बोला - "ऐसी क्या बात है जो...?"

"है कोई बात । कहना मानिये ।"

"बेहतर ।"

हमने भीतर कदम रखा। भीतर अन्धेरा था। भटनागर ने दो-तीन बत्तियां जलाई । भीतर चांद-सितारों का सैट लगा हुआ था । न दिखाई देने वाली तारों के साथ सैट के ऐन बीच में एक स्टारट्रैक स्टाइल स्पेसशिप लटका हुआ था । हम स्पेसशिप के करीब पहुंचे।

भटनागर अब उत्कण्ठा और रहस्य से बहुत ज्यादा अभिभूत लग रहा था।

"मैं जरा इस स्पेसशिप का मुआयना करता हूं" - मैं धीरे से बोला - "आप उधर अन्धेरे में चले जाइये और वहां से दरवाजे पर निगाह रखिये । ओके ?"

उसने सहमति में सिर हिलाया और बोला - "यहां क्या होने वाला है ?"

"यहां हत्यारा आने वाला है ।" - मैं फुसफुसाया ।

"क्यों ?"

"मेरी हत्या करने के लिए।"

"क..क्या ?"

"जाइये ।"

"ल...लेकिन.."

"कहना मानिये । जाइए।"

,,, वह स्पेसशिप से परे अन्धेरे में सरक गया। मैं स्पेसशिप का मुआयना करने लगा, या यूं कहिये कि मुआयना करता होने का अभिनय करने लगा। उस विशाल स्टूडियो का प्रवेश-द्वार वहां से काफी दूर था। तब मुझे सूझा की मुझे भटनागर से पूछना चाहिए था कि क्या वहां और भी कोई दरवाजा था लेकिन अब उसे वापिस बुलाना या पुकारना मुझे मुनासिब ने लगा। ठण्डी हवा का एक झोंका मेरे जिस्म से टकराया। वह झोंका किधर से आया हो सकता था ?
जरूर दरवाजे की ही तरफ से ।।

मैंने आंखें फाड़कर दरवाजे की तरफ देखा । वहां के नीमअंधेरे में मैं यह भी न देख सका कि दरवाजा पहले जितना ही भिड़का हुआ था या तनिक खुल गया था।

"सावधान !" - एकाएक भटनागर गला फाड़कर चिल्लाया।
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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मैंने तुरन्त अपने-आपको फर्श पर गिरा दिया। एक गोली सनसनाती हुई मेरे ऊपर से गुजरी और स्पेसशिप में कहीं टकराई। फिर एकाएक वहां कोहराम मच गया।

लोगों के शोर और गोलियों की आवाज से सारा स्टूडियो गूंज उठा। शूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली ऊंची छत के साथ लटकी हजार-हजार वाट की रोशनियां आनन-फानन एक-एक करके जलने लगीं और स्टूडियो यूं जगमगा गया जैसे वहां भरी दोपहर का सूरज चमक गया हो ।

फिर मुझे यादव की आवाज सुनाई दी - "अगर अपनी खैरियत चाहते हो तो रिवॉल्वर फेंक दो और हाथ सिर से ऊपर
उठाये बाहर निकल आओ।" कोई कुछ नहीं बोला।

एकाएक वहां मुकम्मल सन्नाटा छा गया।

मैं फर्श पर लेटा-लेटा ही उस दिशा में सरकने लगा जिधर यादव का रुख था।

यह तुम्हारे लिए आखिरी वार्निंग है।" - वह दहाड़ा - "बाहर निकल आओ वर्ना कुत्ते की मौत मारे जाओगे।"

फिर सन्नाटा । मैं स्पेसशिप की ओर सरक आया तो उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। तभी पीछे से किसी ने मुझ पर छलांग लगा दी। मैं अपने आक्रमणकारी को लिए लिए भरभराकर फिर फर्श पर ढेर हो गया।

"हरामजादे !" - मेरा आक्रमणकारी गुर्राया - "तूने जाल फैलाया था यहां मेरे लिए । तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा मैं ।"

उस घड़ी अपनी जान पर आ बनी पाकर मेरे में विलक्षण शक्ति पैदा हो गई। मैंने अपने दोनों हाथ और घुटने फर्श के साथ जोड़कर अपने शरीर को जोर से पीछे को हूला । मेरा आक्रमणकारी मेरी पीठ पर से छिटका और परे जाकर गिरा ।।
दोबारा वह मुझ पर आक्रमण न कर सका।

,,, ऐसा कर पाने से पहले ही वह कई हाथों की गिरफ्त में छटपटा रहा था। रिवॉल्वर अभी भी उसके हाथ में जि कि एक पुलिसिये ने जबरन उससे छीन लिया। मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ । सब-इंस्पेक्टर यादव और शैली भटनागर करीब पहुंचे। मेरे आक्रमणकारी को दबोचे चार पुलिसियों में से एक ने उसके बाल पकड़े और उसका उसकी छाती र टुक्रा हुआ चेहरा जबरन ऊंचा उठा दिया ।
"बलराज सोनी !" - भटनागर के मुंह से हैरानीभरी सिसकारी के साथ निकला।
***
,,, जय-जयकार यादव की हुई । उसने एक ट्रिपल मर्डर के अपराधी को एक निहायत शानदार जाल फैलाकर तब रंगे हाथों पकड़ा था जबकि वह चौथा मर्डर करने जा रहा था । यादव उस रोल का हीरो था और क्या प्रेस और क्या । पुलिस, हर किसी की निगाहों का मरकज था। कितना होनहार पुलिसिया था वो ! अफीम और चरस की स्मगलिंग करने वाले एक विशाल गिरोह का पर्दाफाश करके वह हटा नही था कि उसने इस ट्रिपल मर्डर केस को हल कर दिखाया था । वाह ! वाह ! ।

आपके खादिम की वहां कोई पूछ नहीं थी। बाद में वाहवाही बटोरने से उसे फुरसत मिली तो वह मेरे पास आया ।

उस वक्त आधी रात हो चुकी थी और मैं भटनागर के निजी ऑफिस में बैठा उसके साथ विस्की पी रहा था।
भटनागर ने उसके लिए भी पैग बनाया।
जिन्दगी में पहली बार शायद यादव मेरे से ऐसी मुहब्बत से पेश आया जैसे मैं कई बरसों पहले मेले में बिछुडा उसका
भाई था जो कि एकाएक उसे मिल गया था।
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Re: बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )

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उसने मेरे साथ जाम टकराकर चियर्स बोला।

"तुम्हे सूझा कैसे ?" - वह बोला - "कि सारे फसाद की जड़ वह बलराज सोनी का बच्चा था ?"

"कई छोटी-छोटी बातों को जमा करने से सूझा ।" - मैं बोला - "मसलन मुझे इस बात की गारंटी थी कि चौधरी के । कल वाली रात को चावला की कोठी पर मुझे विस्की में बेहोशी की दवा मिलाकर पिलाई गई थी। वहां मेरे अलावा विस्की पीने वाला या वकील बलराज सोनी था और या कमला थी । कमला कहती थी कि उसने मुझे बेहोशी की दवा नहीं दी । अगर वह सच बोल रही थी तो जाहिर था कि वह काम बलराज सोनी का और सिर्फ बलराज सोनी का हो सकता था।"

"उसने तुम्हें बेहोशी की दवा क्यों दी ?"

"क्योंकि वह मेरे फ्लैट की तलाशी लेना चाहता था।"

"क्यों ?"

"क्योंकि कमला को फंसाने के लिए छतरपुर के फार्म हाउस में जो सबूत उसने कमला के खिलाफ प्लांट किये थे, वे मैंने वहां से गायब कर दिये थे।"

"तुमने ऐसा किया था ?"

"हां ।" - मैं लापरवाही से बोला - "कोई एतराज ?"

उस घड़ी वो भला कैसे एतराज कर सकता था !

"आगे बढ़ो।"

"वह निश्चित रूप से यह नहीं जानता था कि वह हरकत मेरी थी लेकिन उसे मुझ पर शक था और उसे उम्मीद थी कि । मेरे फ्लैट की तलाशी लेने से वह मेरी नीयत के बारे में बहुत कुछ जान सकता था। जो सबूत मैंने फार्म हाउस से गायब किये थे, वे अगर उसे मेरे फ्लैट में मिल जाते तो वह उन्हें यथास्थान रहने देता और पुलिस को उनकी बाबत कोई गुमनाम टिप दे देता । फिर मैं भी अपराधी का मददगार होने के इल्जाम में शर्तिया गिरफ्तार होता।"

"तुम्हारे फ्लैट पर ऐसा कुछ था ?"

"कुछ नहीं था। वे सबूत तो मैं पहले ही, चावला के कत्ल वाली रात को ही, नष्ट कर चुका था।"

"थे क्या वो सबूत ?"

"वो सबूत थे कमला की लिपिस्टिक लगे सिगरेट के दो टुकड़े, एक फूलों का गुलदस्ता, कमला का एक रूमाल जिससे लगता था कि उसने रिवॉल्वर पर से उंगलियों के निशान पोंछे थे और टॉयलेट में तैरता एक पेपर नैपकिन जिस पर कमला की लिपस्टिक के निशान लगे थे। उन सबूतों से वह यह साबित करना चाहता था कि कमला और उसका पति काफी अरसे से वहां थे, आरम्भ में उनमें सदभावना का माहौल था लेकिन बाद में उनमें ऐसी तकरार हुई थी कि कमला ने अपने पति को शूट कर दिया था।"

"फिर ?"

"फिर यह कि उसकी बदकिस्मती कि जब वह मेरे फ्लैट की तलाशी ले रहा था तो मेरी दुक्की पीटने की नीयत से । ऊपर से चौधरी वहां पहुंच गया। उसे जरूर बलराज सोनी पर मेरा धोखा हुआ होगा। मुझे समझकर उसने बलराज सोनी पर आक्रमण किया । तब बलराज सोनी के हाथ मेरा चाकू पड़ गया होगा जिससे कि उसने चौधरी पर वार किया होगा । तलाशी वह जरूर दस्ताने पहनकर ले रहा होगा जिसकी वजह से उस चाकू के अनोखे हैंडल से उसकी
हथेली पर पंक्चर मार्क बनने से रह गये होंगे।"

"यानी कि चौधरी से उसकी कोई अदावत नहीं थी ?"

"न । चौधरी की अदावत मेरे से थी । वह मेरा कत्ल करने मेरे फ्लैट पर पहुंचा था। यह उसकी बदकिस्मती थी कि ऐन उस वक्त फ्लैट पर मैं नहीं, बलराज सोनी मौजूद था जो वहां चोर की हैसियत से रंगे हाथों पकड़े जाने का कतई | खाहिशमन्द नहीं था।"
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