Adultery The Innocent Wife​ (hindi version)

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rajan
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Re: Adultery The Innocent Wife​ (hindi version)

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कड़ी_74 अदिति ने बताना जारी रखा

अदिति- “जैसे ही मैंने उसकी हथेली को अपने जाँघ पर महसूस किया तो सबसे पहले मैंने लीना के चेहरे में देखा की उसने कुछ देखा तो नहीं? फिर मैंने अपने दिल की धड़कन को तेज होते महसूस किया और अपने एक पैर को दूसरे पर क्रास कर लिया। वो मेरे बायीं तरफ में बैठा था तो उसका दायां हाथ मेरी जाँघ पर था और मेरे टांगें क्रास करने के बाद उसने थोड़ा इंतेजार किया। फिर खिसकते हुए मेरे इतना करीब आया की मैंने उसकी जाँघ को अपनी जाँघ के साथ छूते हुए महसूस किया। और उसने फिर से अपने हाथ को मेरी दोनों जांघों के बीच डाला जोर लगाते हए। मैंने फिर से लीना की तरफ देखा फिर पापा और दीपक को देखा, पर उन लोगों के नजरें टीवी पर गड़ी हुई थीं। मैंने एक आss भरते हुए उसके हाथ पर चुटकी काटी। उसने बिल्कुल उम्मीद नहीं किया था की मैं वैसा करूँगी तो उसने हाथ खींचते हुए अचानक से “ओईई” कहा।

लीना ने इस बार झुक कर उसको देखते हुए पूछा- “क्या हुआ भाई? ऐसा लगा की तुमको चोट लगा है..”
उसने सिर्फ सिर को हि टीवी देखने को कहा।

विशाल बहुत उत्तेजित लग रहा था और अदिति को गौर से देखे जा रहा था उसको सुनते हुए। विशाल अदिति
के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था जब वो सब बताती जा रही थी। विशाल जानना चाहता था की अदिति को कैसा महसूस हो रहा है सब सुनाते हुए।
अदिति ने कहना जारी रखा

मुझको तब अजीब लगने लगा। क्योंकी राकेश मुझको परेशान करने लगा था। मैंने वापस अपने कमरे में जाने को सोचा। मगर फिर सोचा की हो सकता है वो जानबूझ कर वैसा कर रहा है, ताकी मैं वापस कमरे में जाऊँ

और वो वहाँ आए। यह सोचकर मैं वहीं बैठी रही। पर तब उसने अपनी दोनों बाजुओं को मोड़ा और अपने बायें मोड़े हाथ से सीधे मेरी बायीं चूची को छुआ। वो ट्राई कर रहा था की जहाँ उसके हाथ पहुँचे वहीं छुएगा। शायद खुद उसी को नहीं पता था की उसका हाथ मेरी चूची तक पहुँचेगा। उसका हाथ अपने चूची पर महसूस करते ही मैं चौंक गई। क्योंकी मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था की वो मुझको वहाँ छुएगा।

अब क्योंकी मैं चौंकी तो लीना को नजर आया। उसने पूछा- “क्या है भाभी काकरोच है क्या?"
मैंने लीना से मुश्कुराते हुए कहा- “शायद कुछ मेरी पीठ पर चला.” और झूठ मूठ के मैंने अपना हाथ फेरा अपनी पीठ पर राकेश को मोटी-मोटी आँखों से देखते हुए।

वो मुश्कुराते हुए अपने होंठों को दाँतों में दबा रहा था। मुझको तब तक बहुत परेशानी महसूस होने लगी और मैं बेचैन हो गई थी। उसने अपने हाथ से खेलना जारी रखा और अपनी उंगलियों से मेरी चूची को महसूस करने की कोशिश जारी रखा। तब तक उसको पता चल गया होगा की मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई है, और वो उत्तेजित महसूस कर रहा होगा मैंने सोचा। वो बहुत होशियारी से सब कर रहा था, सबकी नजरों से बचते हए। उसके फोल्डेड बाहों से किसी को कुछ पता नहीं चला था की उसके उंगलियां और एक हथेली मेरे जिश्म को छू रही है, खासकर मेरी बायीं चूची को। मेरी साँसें तेज हो गई थीं उसके हरकतों से। लगता था की मैं हाँफ रही हैं।
+
लीना ने मेरी साँसों को सुनकर कहा- "आपको गर्मी लग रही है क्या भाभी? ऐसी तो ओन है तो क्यों आप इतनी हॉफ रही हो? मुझे आपकी साँसें सुनाई दे रही हैं?"

जवाब में मैं लीना से सिर्फ मुश्कुराई। मुझे डर था की लीना को कुछ पता ना चल जाए, तो मुझे किसी तरह की मूमेंट करने से सावधानी बरतनी पड़ रही थी, क्योंकी लीना अलर्ट हो रही थी। तभी राकेश ने अपनी हथेली को मेरे बांह और कांख के बीच में डाला और मैंने बहुत जोर से उसकी हथेली को अपनी कांख के नीचे दबा दिया पूरी ताकत के साथ, ताकी वो कोई मूव्मेंट नहीं कर सके अपने हाथ से। उसकी हथेली जैसे कैद हो गई थी मेरे कांख के नीचे और वो हाथ खींचने की कोशिश कर रहा था, मगर नाकामयाब रहा। मुझको हँसी आई उसको उस हाल में देखकर। उसके लिए वो एक खेल बन गया था, तो अपने हाथ को छुड़ाने के लिए उसने उसी जगह एक उंगली से मुझको गुदगुदी किया। और जैसे तुमको मालूम है की मैं गुदगुदी नहीं सह सकती तो तुरंत मुझे उसके हाथ को छोड़ना पड़ा। फिर थोड़ी ही देर बाद, लीना की नजरों को बचाते हुए उसने अपने हाथ को फिर से मेरी जाँघ पर रखा। जितना जोर से हो सकता था मैंने उतनी ही जोर से उसको चुटकी काटी, मगर उसने सहा और हाथ को नहीं हटाया बल्की उसने हाथ को फेरा मेरी जाँघ को महसूस करते हुए।

मुझको गुस्सा आ गया और मैं खड़ी हो गई और लीना से कहा- “मैं सोने जा रही हूँ मुझको नींद आ रही है..."

विशाल ने मुश्कुराते हुए अदिति से कहा- “हम्म.. और तुमने भाई के लिए लीना को अकेली छोड़ दिया, वो सब करने के लिए हाँ?"

अदिति ने विशाल की इस बात को सुनकर गुस्से में कहा- “तो मैं क्या करती? उसको अपनी चूचियां और जाँघों को टटोलने देती? मगर सुनो वो लीना के साथ नहीं रुका वो मेरे बेडरूम में आ गया.”
rajan
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विशाल- “अच्छा वो अंदर आया किसी ने उसको हमारे बेडरूम में आते हुए नहीं देखा? लाउंज में से हमारे बेडरूम
का दरवाजा तो साफ नजर आता है...”

अदिति- “यही पूछा मैंने उससे जब वो दाखिल हुआ तो और उसको वापस जाने के लिए विनती किया। तब तक मैं सिर्फ नाइटी में थी बिना ऊपर वाले गाउन के और बेड पर लेटी हई थी और उसी के बारे में लीना को लेकर सोच रही थी जब वो अंदर आया। मैं दरवाजे को लाक कर सकती थी, मगर तम वापस आने वाले थे और मुझको नींद लग जाती तो तुम सवाल करते की मैंने क्यों बेडरूम की दरवाजे को लाक किया हुआ है, जबकी हम कभी भी अपने दरवाजे को नहीं लाक करते थे...”

इससे पहले की मैं बेड से निकलती वो कूदकर बेड पर आया और मुझको बेड पर दबाकर मेरे गले को चाटने की कोशिश करने लगा। नाइटी पतली सी थी और कंधे पर पतली सी स्ट्रैप थी और मेरी चूचियां साफ दिख रहे थे, उसकी गोल आकार सब नजर आ रही थी, और वो उसको बहुत उत्तेजित कर रही थी उसने कहा भी।


पहली बात जो मैंने उसको कहा वो ये थी- “प्लीज चले जाओ, किसी ने आपको अंदर आते हए देखा होगा वहाँ से, मैं क्या जवाब दूंगी अगर किसी ने पूछा की रात के इस वक्त आप किसलिए आए थे जब विशाल यहां नहीं है तो?"

उसने जवाब में कहा- "फिकर मत करो मेरी जान, मैंने अंदर आने से पहले सबको देखा गौर से, सबकी आँखें टीवी पर गड़ी हुई थीं। किसी ने भी नहीं देखा मुझको अंदर आते हुये...”

मैं उसके चुंगल से निकलने की बहुत कोशिश कर रही थी, मगर नाकामयाब रही।

उसने मुझको जबरदस्ती दबाया हुआ था बेड पर, मेरे दोनों बाजुओं के ऊपर अपने हाथों को दबाकर और मेरे गले को चाट रहा था। तभी उसने कहा- "तुम्हारी चूचियां बेहद खूबसूरत हैं, लीना से बहुत ज्यादा खूबसूरत और मुझे पागल बना रही हैं यह दोनों गोल-गोल ताजी-ताजी चूचियां... मेरी जान बस इन्हें चूसने को बड़ा मन कर रहा है हम्म्म्म ...” कहकर उसने अपने चेहरे को मेरे छाती पर नाइटी के ऊपर से ही रगड़ा।

मैं उससे झपटा झपटी कर रही थी, प्रतिरोध कर रही थी, क्योंकी मुझे बहुत फिकर हो रही थी की कोई हमें सुन नहीं लें, हमारी आवाज कहीं बाहर ना चली जाए? ना चिल्ला सकती थी और ना जोर से बात कर सकती थी। बहुत बेबस और मजबूर महसूस कर रही थी मैं उस वक्त। कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करूँ? मैं यह भी सोच रही थी की कहीं तुम जल्दी आ गये और रूम खोलकर अचानक अंदर आए और उसको मेरे ऊपर बेड पर देखा तो क्या होगा? बहुत डर लग रहा था मुझे। सोच रही थी की उसको अपनी प्यास बुझाने दूँ ताकी वो जल्दी से अपनी हवस मिटाकर चला जाए तुम्हारे आने से पहले। मगर नहीं, मैंने प्रतिरोध करना ज्यादा पसंद किया उस वक़्त।

मैंने उसको अपने घुटनों से किक करने की कोशिश की, मगर उसने मेरी टाँगों को कुछ इस तरह से खींचा की मेरे नाइटी बिल्कुल ऊपर उठ गई और मेरी पूरे जांघे उसकी आँखों के सामने नंगी आ गाई। उसने अपनी जीभ को अपने होठों पर फेरते हुए मेरी जांघों को देखा और बिल्कुल एक शेर की तरह किया, जैसे शेर करता है अपने सामने एक गोश्त का टुकता देखकर।

राकेश ने मेरी जांघों पर अपनी जीभ फेरा, चाटा और ऊपर की तरफ चाटता गया। मैं हिलने की बहुत कोशिश करती रही। मगर उसने इतनी ताकत से मुझको बेड पर चिपकाया था की मैं बिल्कुल नहीं हिल पा रही थी। अपने मजबूत हाथों से मेरे दोनों हाथों को पकड़ा हआ था और अपने जिश्म के वजन से भी दबा रहा था मुझे वो। उसकी लार टपक रही थी जिस वक्त वो मेरी जांघों को चाट रहा था, और ऊपर पैंटी के करीब पहुँच गया था। मेरा जिश्म काँप उठा था और मैंने रोती हए आवाज में उससे रुकने के लिए विनती किया। मुझे बहत चैन मिला उसको रुकते हुए देखकर।

उसने मेरे चेहरे में देखा और ऊपर मेरे चेहरे के पास आया और मेरे होठों को चाटने लगा। मैंने अपने मुँह को सख्ती से बंद कर लिया। मगर वो मेरे मुँह को खोलने की कोशिश करता गया, मुझको किस करने के लिए। मगर मैं उसको किस नहीं करने दे रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर ठूसना चाहता था, पर मैंने मुँह को बंद रखा। वो जबरदस्ती करता गया तो मैंने अपना सिर हिलाना शुरू किया जोर से दायीं और बायीं तरफ। और वैसे सिर के हिलाने से मेरा माथा उसके ऊपरी होंठ से जोर से टकराया और उसका होंठ उसके ऊपरी दाँत से टकराया और होंठ फट गया उसका। अचानक खून निकल पड़ा और मेरे चेहरे पर उसका खून गिरने लगा।

मैं डर गई खून देखकर, बहुत घबरा गई मैं, और मेरे चेहरे पर डर और घबराहट देखकर उसने मौके का फायदा उठाया और जैसे बदला लेते हुए क्योंकी मेरी वजह से वो घायल हो गया था तो उसने मेरे चेहरे को अपने हाथ में थामा और उसी खून बहते हुए होंठ से मुझको किस किया।
rajan
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मेरे दोनों गालों को दबाकर मेरे मुँह को खोलते हुए और मेरे मुँह में उसके खून की लज़्ज़त महसूस हुई मुझे नमकीन। क्योंकी मैं डरी और घबराई हुई थी। मेरा मुँह डर के मारे खुल गया और उसकी जीभ मेरे मुँह में आ गई और उसने मेरी जीभ को खूब चूसा, खूब किस किया उसने मुझे। क्योंकी मैं एक मूरत बन गई थी डर के मारे। मैं उसके खून की लज्जत मेरी जीभ पर काफी देर तक महसूस करती रही। मगर वो एक मामूली सी चोट थी तो पल भर में खून निकलना बंद हो गया। किस करते वक़्त उसने मेरी दोनों चूचियां दबाई और मेरे पूरे जिश्म पर हाथ फेरा।

विशाल ने अपने लण्ड को पैंट में सीधा किया और कहा- “जान तुम वैसे नहीं बता रही हो जैसे बतानी चाहिए
थी। तुमने नहीं बताया की वो किस पोजीशन में था तुमको किस करते वक्त? क्या वो तुम्हारे ऊपर था? उसका पूरा शरीर तुम्हारे जिश्म के ऊपर था? या बगल में लेटा था वो, वो सब करते वक़्त? तुमने उसके लण्ड को नहीं महसूस किया अपने जिश्म पर? क्या उसने अपने लण्ड को नहीं रगड़ा तुम पर किस करते वक्त? सब बताओ मुझे..”

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