Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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rajan
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Re: Adultery Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा )

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कड़ी_69 दूसरी तरफ रीत स्कूल पहुँच जाती है, और अपनी क्लास की लड़कियों से मिलती है। वहीं पास में ज्योति भी अपना मुँह लटका कर खड़ी हुई थी। रीत अपने मन में ज्योति की हालत देखकर अपनी जीत पर गर्व करती है। फिर रीत उसके पास जाकर उससे मिलती है।
रीत- “और ज्योति क्या हाल है, तैयारी है फिर एग्जाम की?"
ज्योति- ठीक है बस और तैयारी भी है।
इतने में हरी आ जाता है, ज्योति हरी की तरफ देखती है। पर हरी उसकी तरफ देखकर अपना मुंह दूसरी तरफ करके थूक देता है। ये देखकर ज्योति आँखें नीचे करती है, पर हरी रीत की तरफ देखकर उसे पानी वाली टंकी की तरफ इशारा करता है। रीत ज्योति के साथ होने के कारण उसे कुछ नहीं कहती।
रीत बस हल्की सी स्माइल करती और आँखों से उसे हाँ का इशारा कर देती है। फिर एग्जाम 10:00 बजे शुरू होना था, और अभी 9:30 ही हुए थे, एग्जाम शुरू होने में अभी टाइम था। सब लड़कियां बुक्स निकालकर पढ़ रही होती हैं। ज्योति भी बुक निकालकर पढ़ रही होती है।
रीत- मैं अभी आती हूँ बाथरूम करके।
ज्योति- ठीक है।
फिर रीत पानी वाली टंकी की तरफ निकल जाती है। सुबह होने के कारण वहाँ कोई भी नहीं होता। रीत जाकर देखती है की हरी वहां खड़ा उसका इंतेजार कर रहा था।

हरी रीत को आते देखते ही उसे अपनी बाहों में भर लेता है, और रीत की चूचियां अपने सीने के साथ दबा देता है। आज हरी रीत को काफी टाइम बाद मिला होता है। इसलिए वो रीत को दीवार से लगाकर उसके होंठ चूसकर बोला।
हरी- “क्या हाल है मेरी जान के?"
रीत की बाजू हरी के गले में होती है और वो फिर बोलती है- “देखो लो क्या हाल है मेरे, आपके सामने ही हूँ जैसी भी हूँ..”
हरी- “बस मेरे सामने ही रह मेरी जान, अब तेरे बिना मेरा सरता नहीं.” कहते हये हरी अपने दोनों हाथ रीत की कसी हुई चूचियों पर लेकर कमीज के ऊपर से ही उसकी चूचियां मसलने लगता है। और साथ ही उसके होंठों को चूसने लगता है।
रीत भी पूरी गरम होकर उसका साथ दे रही होती है। तभी वो धक्का देकर हरी को दीवार से लगाकर बोलती है “मेरा भी तेरे बिना नहीं सरता मेरी जान, तभी मैंने तुझे इस चुडैल से छूटकारा दिलाया है.."
हरी रीत के चूतरों को कसकर पकड़कर दबा देता है और रीत अपनी एंड़ियां उठा लेती है।
हरी बोला- “तूने किससे मुझे छूटकारा दिला दिया है मेरी जान?"
रीत हरी की बाहों में मचलती है और उसके लण्ड को मसलते हुए उसके होंठों को चूसकर बोली- मैंने तुझे जानबूझ कर उस दिन बुलाया था, ताकी तेरे सामने सारी सचाई आ सके उस कुतिया की..."
हरी ये सुनकर हैरान हो जाता है। वो सोचता है की रीत ने उसे बचाने के लिए ये सब किया था। पर उसे क्या पता था, की ये सब तो रीत ने ज्योति से अपना बदला लेने के लिए किया था।
फिर वो दोनों एक दूसरे को जमकर चूसते और चूमते हैं। इतने में बेल बज जाती है, और एग्जाम शुरू हो जाता है। दोनों भागकर एग्जाम देने के लिए जाते हैं। एग्जाम खतम होने वाला होता है, सारे एग्जाम देकर जा चुके
थे।
रीत थोड़ी लेट आई थी, इसलिए क्लास रूम में एक-दो लड़कियां और उसके साथ बैठी हुई थी। ज्योति भी एग्जाम देकर अपने घर की ओर निकल जाती है। स्कल सारा खाली हो जाता है। रीत जब क्लास में से निकलती है तभी एक क्लासरूम में से एक हाथ बाहर आता है, और रीत को पकड़कर वो क्लास रूम के अंदर खींच लेता है। रीत सीधी उसके सीने पर जाकर लगती है, रीत जब उसे देखती है तो वो हरी होता है।
रीत- हट पागल... तूने तो मुझे डरा ही दिया था।
हरी रीत के दोनों चूचियां मसलते हुए बोला- “क्या करूँ जान, सारे एग्जाम टाइम मुझे तो सिर्फ तेरा ही खयाल
आ रहा था..."

रीत हरी के हाथों में हाथ रखते हुए बोली- “आह्ह... स्स्सीई... हरी इतना खयाल करना भी ठीक नहीं है, काम खराब हो सकता है..."
हरी- हाई आज तो काम खराब हुआ ही पड़ा है यार।
हरी रीत के होंठों पर टूट पड़ता है, और बार-बार रीत के होंठों को चूसने लगता है। हरी अपने हाथों से रीत की चूचियों को पकड़कर निचोड़ देता है। रीत भी समझ जाती है, की आज हरी कुछ करके ही मानेगा। इतने दिनों से रीत के अंदर भी आग मचल रही होती है।
रीत अपने होंठ हरी के होंठों में से निकालकर बोली- “आहह... हाए कोई बस आ ना जाए..."
हरी जोर से चूचियां मसलकर बोला- “कोई नहीं आता मेरी जान, आज मैंने ज्योति से बचाने का एहसान उतारना
रीत समझ जाती है, पर आज उसके दिल में भी कुछ करने की आग मची हुई ही, मस्त होकर बोली- “अच्छा फिर आज चुका ही दे सारे एहसान..."
ये कहते ही रीत हरी की जिप खोलकर अपना हाथ अंदर डाल देती है, और अंडरवेर को साइड में करके उसका लण्ड बाहर निकल लेती है। हरी का लण्ड पूरा खड़ा हुआ होता है। गरम-गरम लण्ड को हाथ में पकड़कर रीत पूरी गरम हो जाती है, और वो लण्ड को हाथ से मसलते हुए हरी के होंठों को चूसने लगती है।
हरी भी रीत के चूतरों को जोर-जोर से मसलने लगता है। अब रीत इतनी गरम हो जाती है की अब उससे और बर्दाश्त नहीं होता, वो अपने चूतर हरी की तरफ करके अपने दोनों हाथ बेंच पर रखकर, हरी के आगे घोड़ी बन जाती है।
हरी उसका पल्ला उठाकर साइड में कर देता है, और हाथ आगे को डालकर हरी रीत की सलवार का नाड़ा खोल देता है। सलवार ढिली हो जाती है और सलवार सीधी रीत के पैरों में गिर जाती है। हरी रीत की पैंटी को नीचे करके उसके चूतर नंगे कर देता है। रीत जैसी सेक्सी लड़की के मोटे मुलायम गोरे नंगे चूतर को देखकर हरी के मुँह से आह्ह... की आवाज निकली, और हरी उसके चूतर जोर-जोर से मसलता हुआ बोला।
हरी- “हाए रीत... यार तू तो जनन्त है कसम से.."
रीत- आss आss आ जा फिर करले जन्नत की सैर आज।
रीत की तड़प देखकर हरी लण्ड का सुपाड़ा रीत की चूत पर सेट करता है, और धक्का मारकर अपना लण्ड उसकी चूत में सेट कर देता है।
रीत- “आहह... ओये जन्नत मेरी टाइट है थोड़ा आराम से कर प्लीज़्ज़..."

हरी एक हल्का सा धक्का मारता है और तभी रीत बोली।
रीत- आह्ह... हाई बस फँस गया।
हरी- आह्ह... आज तेरी जन्नत की कस कसकर मैं सैर करूँगा।
हरी अगला धक्का मारता है और उसका लण्ड रीत की टाइट और गीली चूत को चीरता हुआ रगड़ खाता हुआ पूरा अंदर चला जाता है। रीत की गीली और गरम चूत की रगड़ से हरी मदहोश हो जाता है। उसके मुँह से एक शब्द तक नहीं निकलता। रीत भी लण्ड को महसूस करते हुए मस्त हो जाती है और अपनी चूत बहुत ही मजे से दे रही होती है।
करीब 15 मिनट उन दोनों को चुदाई के मजे लेते हुए हो जाते हैं। तभी अचानक हरी का लण्ड एकदम अकड़ जाता है, और वो अपना लण्ड बाहर निकालकर अपने लण्ड का सारा पानी उसकी कमर पर निकल देता है, और बोला- “आहह... मेरी जान रीत तू सच में यार जन्नत है..."
रीत भी दो आज दो बार चुद चुकी थी, उसको आज जन्नत का मजा आ गया था। वो थक कर बेंच पर लेट जाती है, इतने में उसका फोन रिंग करने लगता है। वो फोन देखती है, तो फोन उसके भाई सोनू का आ रहा होता है। रीत फोन उठाकर बोली।
रीत- हेलो।
आगे से सोनू की घबराई हुई आवाज आती है- “रीत जल्दी घर आ जा, यहाँ बड़ा पंगा हो गया है..."
ये सुनकर रीत भी हैरान हो जाती है और बोली- “क्या हुआ बता मुझे..."
सोनू रोते हुए बोला- "तू जल्दी घर आ बस..” कहकर वो फोन कट कर देता है।
रीत फटाफट खड़ी होती है और कमर पर गिरे लण्ड के पानी को रुमाल से साफ करके सलवार डालती है और घबराई हुई वहां से चली जाती है। जब रीत घर आती है, तो देखती है की घर के बाहर बहुत सारी भीड़ लगी होती है। और वहां पोलिस भी बहुत आई हुई होती है। रीत थोड़ी आगे जाती है और देखती है की हरपाल को पोलिस पकड़कर ले जा रही होती है। और साथ ही सोनू खड़ा हुआ रो रहा होता है।
चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ होता है, ये सीन देखकर रीत पागल हो जाती है। और भागी-भागी सोनू के पास जाती है और बोली।

रीत- सोनू क्या, हुआ क्या हुआ बता मुझे?

सोनू रोते हुए बोला- “बहन पापा ने मम्मी को......"

रीत रोती हुई बोली- “क्या? क्या कह रहा है तू?"

सोनू- बहन पापा ने मम्मी को मार दिया है।

रीत- क्या?

ये सुनते ही रीत जोर-जोर से चिल्ला-चिल्लाकर रोने लगती है। हरपाल पोलिस की जीभ में बैठा बातें कर रहा होता है सुखजीत की।

दर्शल बात ये होती है की उस दिन सुखजीत की चुदाई में जब सुखजीत बेहोश हो गई थी। तब सतबीर ने सुखजीत की नंगी फोटोस ले ली थी, और साथ ही वीडियो भी बना ली थी। जो उसने सुबह होते ही पूरे आफिस में फैला दी थी। हरपाल के चक्कर में उसकी ट्रांसफर हो रही थी। इसलिए उसने हरपाल से बदला लिया था। हरपाल की बदनामी पूरे आफिस में हो चुकी थी। कोई सुखजीत को गश्ती और कोई तो उसे रंडी कहने लगा था। ये बात हरपाल को बर्दाश्त नहीं हुई और उसने दारू पीकर सोई हुई सुखजीत को घर आते ही गोली मार दी।
एक मर्द को कभी भी ये बर्दाश्त नहीं होता, की कोई उसके घर की इज्जत का मजाक बनाए। पर सुखजीत ने रंधावा के ऊपर विश्वास करके ये सब किया था। पर सतबीर ने इसका गलत फायदा उठा लिया था। और जिसका नतीजा बहुत ही दर्दनाक निकाला।
हरपाल को अब जेल हो गई थी, रीत और सोनू दोनों गाँव चले गये थे। जब 10 साल बाद हरपाल वापिस आया तो वो सोनू और रीत को लेकर इंडिया से बाहर चला गया।
दोस्तों आपको मेरी ये सच्ची घटना कैसी लगी, प्लीज़्ज़... मुझे जरूर बताना।
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