Adultery Chudasi (चुदासी )

Post Reply
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

सुबह करण के जाने के बाद पूरी रात की हर बात मेरे सामने आ गई, मैं कैसे करण की बातों में आकर बहक गई, वो मुझे याद आया। मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होने लगी। सुबह उठकर मैंने उसको ढूँढ़ा उसका मुझे अफसोस हुवा। दोपहर को रामू के जाने के बाद मैं सो गई, थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी। मैंने उठकर दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही मेरी आँखें फट गई, सामने करण खड़ा था।

मेरे मुँह से दबी सी आवाज निकली- “तुम...”

करण- “हाँ, मैं... अंदर आने को नहीं कहोगी?” करण ने आँख मिचकारते हुये कहा।

मैं दरवाजे पर से साइड हुई तो करण अंदर आ गया। मैंने दरवाजा बंद किया और करण की ओर होते हुये कहा तुम यहां क्यों आए हो? तुमने मेरे घर का पता कहां से लिया?”

करण- “प्यार करने वाले कहीं से भी पता हूँढ़ लेते हैं जान...” करण ने शरारत से कहा।

मैंने पूछा- “तुम यहां क्यों आए हो करण?”

करण- “कल रात जो काम हम नहीं कर सके, वो काम करने आया हूँ...” करण ने मेरे नजदीक आते हुये कहा।

मैं- “कल रात जो हुवा उसे भूल जाओ करण, मैं शादीशुदा हूँ, तुम यहां से चले जाओ...” मैंने पीछे होते हुये कहा। मैं ज्यादा पीछे नहीं जा पाई क्योंकी पीछे सोफा था।

करण- “मैं कहां तुमसे शादी करने आया हूँ निशा, मैं तो तुम्हारी प्यास बुझाने आया हूँ...” करण ने कहा।

मैंने गुस्से से कहा- “मुझे कोई प्यास नहीं है, मैं मेरी जिंदगी से बहुत ही संतुष्ट हूँ। करण यहां से चले जाओ तुम..."

करण ने मुझे धक्का देकर सोफे पे गिरा दिया और मुझ पर छा गया- “अपनी प्यास को पहचानो निशा, तुम तुम्हारी वासना की आग को दबा रही हो। उस आग को ठंडा कर दो। नहीं तो जल जाओगी...” कहते हुये करण ने मेरा गाउन ऊपर कर दिया और मेरी पैंटी के इलास्टिक में उंगली फँसा दी।

मैं- “करण छोड़ो और यहां से जाओ, मैं तुम्हारी कोई बात सुनना नहीं चाहती...” मैंने उसको मेरे ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुये कहा। मैं करण से बात करके फिर से उसकी बातों में उलझना नहीं चाहती थी।
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

करण- “निशा जवानी जलने के लिए नहीं जीने के लिए होती है। जलकर खतम हो जाओ, उसके पहले अपने आपको बचा लो..” कहते हुये करण ने मेरी पैंटी में अपना हाथ डाल दिया। फिर करण ने मेरी योनि पर हाथ से सहलाते हुये पूछा- “तुमने अभी तक बाल नहीं निकाले?”

मैं- "
प्लीज़... करण तुम जाओ...” मुझे अब डर लगने लगा था की मैं फिर से बहक जाऊँगी।

करण ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूसते हुये मेरी पैंटी निकाल दी। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मेरे साथ जो हो रहा है वो अच्छा है या बुरा? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे होंठों को । चूसते हुये करण ने अपना हाथ नीचे किया, पैंट की जिप खोलकर लिंग निकाला और मेरी योनि पे रगड़ा, तो मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई।

और तभी डोरबेल बज उठी- “डिंग-डोंग, डिंग-डोंग...”

मैं करण को धक्का देकर खड़ी हो गई। मेरा शरीर पशीने से तरबतर हो गया था। धड़कनें ऐसे बज रही थीं जैसे अभी उसकी आवाज से सीना फट जाएगा। पर ये क्या? मैं सोफे पर नहीं, अंदर बेडरूम में हैं, और करण भी यहां नहीं है। कैसे हो सकता है ये? तभी मेरी समझ में आया की ये एक सपना था। मैं खड़ी हुई और बाहर जाकर दरवाजा खोला, पर कोई नहीं था।

तभी गुप्ता अंकल अपने घर में से बाहर निकले।

मैंने उन्हें पूछा- कोई आया था अंकल?

गुप्ता अंकल- “हाँ, सेल्समैन था, जवान था। मेरे घर में है, तेरी आंटी को दिखा रहा है। तुझे देखना है तो तू भी आ जा..." बूढ़ा बकते ही जा रहा था।

मैंने जोर से दरवाजा बंद कर दिया।

पर उसकी बकबक चालू थी- “तुझे तो मैं भी दिखा सकता हूँ..”

हरामी बूढ़े...” कहते हुये मैं बेडरूम में चली गई। रात को नीरव मेरी योनि में उंगली अंदर-बाहर कर रहा था, आज मुझे हर रोज से दोगुना वक़्त लगा झड़ने में। फिर भी मैं पूरी संतुष्ट नहीं हुई। शायद उसके लिए मैं खुद ही जिम्मेदार थी।

दोपहर से मैं अपने आपको कोष रही थी। मैं कितना गिर चुकी थी की कल रात को पहली बार मिले इंसान के मैं सपने देख रही थी। मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था की मैं उसके बारे में इतना क्यों सोच रही हैं, और साथ में हर बार सोचते ही मेरी योनि क्यों गीली हो जाती है।

नीरव सो गया था पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। शाम को सोचा था की नीरव को सब बता दें, फिर सोचा की नीरव जब पूछेगा की करण कौन है? कहां रहता है? तो क्या जवाब देंगी? और करण मुझे कहां परेशान कर रहा है। मैं खुद ही परेशान हो रही हूँ। और फिर बस में जो हुवा वो बताकर तो मैं नीरव की नजरों में गिर ही जाऊँगी।

मैं सुबह के 5:00 बजे तक सोचती रही, फिर नींद आई और 6:30 बजे तो फिर जाग गई। सुबह से मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा है। कल रात नींद नहीं आई इसलिए मैं अपने आपको बहुत ही थकी-थकी महसूस कर रही हैं, और साथ में सिर में भी दर्द हो रहा था। नीरव का टिफिन जाते ही मैंने खाना खा लिया और रामू को बुला लिया। मैं बाहर सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी, मेरी आँखें बहुत भारी हो रही थीं, अंदर रामू बर्तन मांज रहा था। मैं रामू के जाते ही सो जाना चाहती थी। टीवी पर बालिका वधू आ रहा था।

तभी कहीं से करण आ गया।

मैं- “तुम तुम कहां से आए?” मैंने करण से पूछा।

करण- "मैं कहीं भी आ जा सकता हूँ निशा...”

मैं- “तू यहां क्या लेने आए हो? तुम जाओ मुझे परेशान मत करो...” मैंने कहा।

करण- “मैं कहां तुम्हें परेशान कर रहा हूँ निशा.. तेरी परेशानी तुम खुद हो निशा...” करण ने मेरे बाजू में बैठते हुये कहा।

मैं- “मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा और कोई परेशानी नहीं है..” मैंने कहा।

करण- “मैं नहीं, तुम्हारी परेशानी नीरव है जो तुम्हें संतुष्ट नहीं कर रहा...” कहकर करण ने मेरा गाउन ऊपर किया और मेरे पैरों को सहलाने लगा।
adeswal
Pro Member
Posts: 3173
Joined: 18 Aug 2018 21:39

Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

मैं- “नीरव मुझे पूरी तरह संतुष्ट कर रहा है और तुम कौन हो मेरी निजी जिंदगी में दखलअंदाजी करने वाले? कोई कमी नहीं मेरे नीरव में, पैसे वाला है, खूबसूरत है और क्या चाहिए मुझे?” मैंने करण को पूछा। करण मेरे पैरों को अभी भी सहला रहा था, मेरी योनि गीली होने लगी थी। मैंने अपनी आँखें मस्ती में बंद कर ली थी।

करण- "औरत को और भी बहुत कुछ चाहिए मर्द से, पेट की भूख मिटने से जिस्म की भूख नहीं मिटती, नीरव तुम्हारी सेक्स लाइफ को संतुष्ट नहीं कर पा रहा, वो तुम खूब अच्छी तरह जानती हो...” कहते हुये करण ने । गाउन मेरी जांघ तक कर दिया।

|
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। दिमाग कह रहा था ये अच्छा नहीं है पर दिल को सकून भी मिल रहा था। मैंने करण को कहा- “तुम यहां से जाओ...”

तब तक तो करण मेरे ऊपर भी आ गया था और मेरे गाउन को मेरे उरोजों के ऊपर तक कर दिया। मेरी योनि को अपनी उंगली से छेड़ते हुये मेरे उरोजों को चूसने लगा।

मैं अब अपने होश गवां बैठी थी। मैं सिसकारियां लेती हुई उसकी पीठ को सहला रही थी। करण मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे किस करने लगा। उसके मुँह से भयंकर बदबू आ रही थी, बदबू से मेरा सिर भारी हो गया। मैंने मेरी आँखें खोल दीं और मेरे मुँह से चीख निकल गई- तुम?

रामू- “हाँ मैं.. मेमसाब, और कौन है यहां?” रामू ने हँसते हुये कहा।

मैं- “तुम यहां से खड़े हो जाओ, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की..” मैंने गुस्से से कहा।

रामू- “देखो मेमसाब जब अपुन का लण्ड खड़ा होता है ना तब अपुन कहीं खड़ा नहीं रहता, जहां चूत देखी ऊपर सो जाता है और ये नाटक क्यों कर रहेली है? थोड़ी देर पहले तो मेरी नंगी पीठ सहला रही थी..” रामू ये सब कहते हुये मेरे अंगों से छेड़खानी कर रहा था।

रामू की बातों से मुझे खयाल आया की मेरा गाउन मेरी गर्दन पर था और रामू भी पूरा नंगा होकर मुझ पर लेटा हुवा था। मैंने नीचे देखा तो वहां रामू की खाकी चड्डी (हाफ पैंट) और सफेद शर्ट पड़ी थी।

मैंने रामू को धमकी दी- “रामू... मैं चिल्लाकर सबको इकट्ठा करूंगी, पोलिस में तुम्हारी शिकायत करूंगी...”

रामू ने मेरे मुँह को अपने हाथ से दबा दिया और बोला- “चिल्लाने से कोई फायदा नहीं, बाजू में आंटी घर पे नहीं है और अंकल आएगा तो वो भी चढ़ जाएगा तेरे ऊपर...” इतना कहकर रामू नीचे झुका और मेरे निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मैंने रामू के बाल खींचे तो उसने ऊपर देखा। मैंने उसे मेरे मुँह पर से हाथ हटाने को कहा, मैं समझ गई थी की अब रामू को धमकी से नहीं शांति से समझाना पड़ेगा।

रामू ने अपना हाथ मेरे मुँह पर से हटा लिया।
Post Reply