Adultery Chudasi (चुदासी )

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adeswal
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

नीरव- “क्यों इसकी क्या जरूरत है?” नीरव ने पूछा।

मैं डर रही थी कि मेरी बात सुनकर नीरव गुस्सा होगा, पर उसने बात को इतने नार्मल तरीके से ली थी की मुझे शांती हुई- “वो जल्दी से तुम्हारा हो जाता है ना इसके लिए मैंने कहा। मैं अपने पति के साथ सेक्स की बात । करते हिचकती थी, और पराए मर्दो के साथ मैं गंदी से गंदी बात कर सकती थी, कैसी विडम्बना थी मेरी जिंदगी की।

नीरव- “मैं समझा नहीं..." नीरव ने कहा।

मैं- “तुम्हारा पानी जल्दी छूट जाता है ना, उसके लिए..” मैंने कहा।

नीरव- “हाँ.. हाँ शायद तुम नहीं जानती इसलिए ऐसा कह रही हो, पानी जल्दी छूटने से प्रेगनेंसी रहने में कोई फर्क नहीं पड़ता...” नीरव ने कहा।

मैं- “मैं इसलिए नहीं कह रही नीरव...” मैं शब्दों को माप-तौल के बोल रही थी।


नीरव- “तो फिर क्या, मजा तो मैं तुम्हें उंगली से देता ही हूँ ना... अब हम हर हफ्ते एक बार बच्चे के लिए करेंगे और उस वक़्त तुम्हें मजा नहीं आया तो मैं बाद में तुम्हें उंगली से कर दूंगा...” नीरव ने कहा।

क्या बोलूं मैं इस इंसान को... और चुपचाप अपना सिर हिलाकर घूम गई। थोड़ी ही देर में नीरव के खर्राटे की आवाज आने लगी। शाम को पप्पू के जाने के बाद मुझे अपने आप से नफरत सी हो गई। थोड़ी देर के लिए मुझे सेक्स के लिए घृणा हो गई और मैंने कसम भी खा ली की आज के बाद मैं नीरव के सिवा किसी और से नहीं। चुदवाऊँगी। पर थोड़ी देर बाद मुझे अपनी स्थिति समझ में आई की मैं अब चुदवाए बिना तो नहीं रह सकती।



फिर मैंने सोचा कि मैं धीरे-धीरे करके जितनी जल्दी हो सकेगा उतनी जल्दी ये सब छोड़ देंगी। फिर मैंने मेरा सेक्स के प्रति इतना ज्यादा आकर्षण कैसे हो गया उसकी वजह ढूँढ़ना शुरू किया तो मुझे कई वजह मिली। पर उसमें से दो वजह ज्यादा जरूरी लगी। एक तो नीरव की सेक्स के प्रति उदासीनता और दूसरी बच्चा न होना।। अगर मुझे कोई बच्चा होता तो मेरा ध्यान उसकी ही तरफ रहता और मैं इतना नहीं गिरती।


सुबह मोबाइल की रिंग की आवाज से मेरी नींद खुल गई। हर रोज मैं बेल की आवाज सुनने के बाद ही जागती हैं, पर आज मोबाइल की रिंग से जागी। मैंने घड़ी में देखा तो छ बजे थे। फिर मैंने मोबाइल में देखा, तो दीदी का काल था। इतनी सुबह-सुबह दीदी का काल, कोई टेन्शन तो नहीं होगा ना?
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naik
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) 😘
fantastic update brother keep posting
waiting for next update 😪
adeswal
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Re: Chudasi (चुदासी )

Post by adeswal »

सुबह मोबाइल की रिंग की आवाज से मेरी नींद खुल गई। हर रोज मैं बेल की आवाज सुनने के बाद ही जागती हैं, पर आज मोबाइल की रिंग से जागी। मैंने घड़ी में देखा तो छ बजे थे। फिर मैंने मोबाइल में देखा, तो दीदी का काल था। इतनी सुबह-सुबह दीदी का काल, कोई टेन्शन तो नहीं होगा ना?


मैंने कांपते हाथ से ग्रीन बटन दबाया और कहा- “हेलो...”

दीदी- “निशा, हम पापा के यहां हैं...” दीदी की आवाज में खुशी थी, जिसे सुनकर मुझे कुछ शांति हुई पर दीदी पापा के वहां क्यों?

मैं- “वो क्यों? मैं समझी नहीं दीदी...” मैंने कहा।

दीदी- “अरे हाँ, तेरे से बात ही कहां हुई थी?” दीदी ने कहा।

मैं- “हाँ, पर अब जल्दी-जल्दी से बताओ..” मैंने इंतेजारी से कहा।

दीदी- “सारे लेनदारों को भी रात को ही यहां बुला लिया था, मैं, अनिल और मेरे सास-ससुर भी यहां आ गये थे।

अब्दुल चाचा के कहने पर ये सब किया था..." दीदी ने कहा।

जो सुनकर मैं समझ गई की अब्दुल ने सारे लेनदरों को धमकाकर मनवा लिया होगा। मैंने पूछा- “सब शांति से हो गया ना दीदी?”

दीदी- “शुरू में तो कोई नहीं मान रहे थे, एक-दो लोग तो अनिल को मारने उठे थे पर अब्दुल चाचा ने उनको ऐसे मारा की सब ठंडे पड़ गये और जितना है उतना लेने को तैयार हो गये...”

दीदी की बात सुनकर मैं सोचने लगी की अब्दुल चाचा के उपकार का बदला कौन देगा? मम्मी या फिर दीदी?” दीदी का खयाल आते ही मेरा सारा बदन थरथरा गया।


मैं- “कुछ रखा दीदी अपने पास की सब दे दिया?” मैंने पूछा।

दीदी- “सब देना पड़ा निशा, और कोई रास्ता भी नहीं था। फिर भी सब बोल रहे थे कि 20% पैसे ही मिले हैं। उनको..” दीदी ने कहा।

मैं- “ठीक है दीदी, पैसे का क्या? कल वापस भी आ जाएंगे...” मैंने दीदी को सांत्वना देते हुये कहा।

दीदी- “वो तो है निशा, सबसे पहले तुझे काल की है हमने, तुमने जो किया है हमारे लिए वो हम कभी भूल नहीं सकते निशा, और हाँ नीरव को भी बता देना..” दीदी ने कहा।

मैं- “बता देंगी दीदी, चिंता मत करना अब सब ठीक हो जाएगा...” मैंने कहा।

दीदी- “तेरे मुँह में घी-शक्कर... रखती हूँ..” कहकर दीदी ने काल काट दी।

दीदी की बात सुनकर मुझे याद आया की मैंने अब तक नीरव को तो कुछ बताया ही नहीं था जीजू के बारे में। नाश्ता करते वक़्त मैंने नीरव को जीजू ने घाटा किया है वो बात बताई, सब कुछ तो मैं बता नहीं सकती थी। नीरव ने जीजू को मोबाइल भी किया।

आज शंकर टिफिन लेने आया तब मुझे हँसी आ रही थी। उसने मेरे सामने आँख उठाकर भी नहीं देखा, और जब मैं टिफिन उसके हाथ में देने गई, तो उसने कहा- “दीदी आप टिफिन नीचे रख दीजिए, मैं ले लूंगा...”
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