तब से अब तक और आगे

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adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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आंटी थोड़ा सा उचकी और फिर बोली .......हाँ बेटे ऐसे ही धीरे से मारते हुए अब चोदना यानी लण्ड अंदर बाहर करना शुरु करो | बस ध्यान यही रखना की जितना घुसा हुआ है उस से ज्यादा अंदर न घुसने पाए |

जी इस बार ख्याल रक्खूँगा ....और यह कहते हुए मैंने हल्के हल्के धक्के लगाते हुए आंटी की चुदाई शुरू कर दी | आंटी भी कमर उचका उचका के मेरा साथ दे रही थी | जब मै लण्ड का धक्का बूर के अंदर मारता तो आंटी अपनी कमर ऊपर उछाल देती जिससे मेरा लण्ड और रगड़ खाते हुए बूर में घुसता और जब मैं लण्ड बाहर खींचता तो आंटी अपनी कमर जो उनकी कमर के नीचे तकिया था उस पर पटक देती जिससे लण्ड थोड़ा तेज़ी से और घिसते हुए बूर से बाहर निकलता | हम दोनों की सिस्कारियां और लण्ड बूर के घर्षण से होने वाली फच फच फचाक फ्च्चाक की आवाजों से कमरा गूंज रहा था जो वातावरण को और मादक बना रहा था |

चुदाई करते हुए दो मिनट बीत गए और जब मोदी आंटी ने कोई बात शुरू नही की तो मै ही बोल पड़ा .......... आप तो रोज मोदी अंकल से चुदवाती हैं तो मैंने कैसे आपकी सील तोड़ी ? वो तो कब की टूटी हुई है |

तो तू बिना समझे हुए नही मानेगा की तुने कैसे मेरी सील तोड़ी?

प्लीज़ बताईए न | ठीक है तो सुन लेकिन ध्यान रखना, इस बार करारा धक्का मारा तो चुदवाऊँगी भी नही और कुछ बताऊँगी भी नही |

नही नही ऐसा नही होगा | वो मै जोश में अपने को कंट्रोल नही कर पाया था | अब बताइए न की आपकी सील तो मोदी अंकल ने तोड़ी होगी तो मैंने वो भी अभी कैसे ?

नही रे | बताया तो तुझे की मोदी का तेरे से छोटा है वो मुश्किल से बच्चेदानी के मुँह तक भी नही पहुंचता | तो क्या उनसे आपकी सील नही टूटी थी ?


तब मुझसे कैसे टूटी ? ये क्या कह रही हैं आप ? मेरी समझ में कुछ नही आ रहा और मैंने ये कहते हुए छोटे छोटे ही लेकिन तेज धक्के आंटी की बूर में देने लगा | अब आंटी जवाब देने के बदले आं आं आं आं आं हं हं हंह ह हह हह ऊईईईईईईईईई आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाँ हाँ ऐसे ही हाँ रे ले ले मेरी बूर के मज़े |

मार ले फ्री की बूर बेटे | अब मै भी खुल चुका था सो बोल पड़ा ले लो आंटी नया कोरा लण्ड| फ्री में ऐसा कहाँ मिलेगा मेरी रानी | ये हुई न बात | इस बार तुने मर्दों वाला जवाब दिया है और यह कहते हुए आंटी ने अपनी कमर उछल दी | मैं आंटी का मतलब समझ गया और मैंने फिर उसी तरह हल्के लेकिन तेज धक्के मारने लगा हाँ रे तू आज से पहले क्यों नही मिला | कहाँ छुपा के रक्खा था इतना मस्त लण्ड आआह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा आज बजा दे मेरी बूर का बाजा | ले मेरी रानी ले ले मेरा लण्ड | मोदी नही दे पाते मन भर तो मेरा ले ले मेरी जान | हाँ रे मोदी तेरे सामने बहुत फीका है | उसकी बात मत कर अभी | अभी तो अपने कड़क लण्ड से मेरी बूर की कुटाई किए जा मेरे रज्जा मेरे बालम मेरी बूर के मालिक|

तो बजवा ले बाजा अपनी बूर का मेरे लण्ड से मेरी रानी | बहुत मस्त है तेरी बूर |
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या कसा कसा जा रहा है मेरा लण्ड तेरी बूर में मेरी जान | आज मोदी की सारी कमी मुझसे पूरी कर ले मेरी जान | चुदवा ले जी भर के | और अब मेरे सब्र का बाँध टूट गया | मैं बिना कुछ बोले आंटी के गालों को चुमते हुए कभी होठों को चूसते हुए पूरी तेज रफ्तार से आधे लण्ड से ही धक्के ठोकने लगा | मेरे दोनों हाथ आंटी की चूचियों को मसल रहे थे | आंटी मेरे हर घक्के पर उछल उछल जाती थी तभी मुझे लगा की आंटी की बूर कुछ सिकुड़ने लगी और मेरे लण्ड को मानो बहुत ज़ोरों से जकड लिया | ये एक और नया अहसास था मेरे लिए जिसका मज़ा अब तक मिले मज़े से काफी अलग था | मै अब और जोश में आ गया और लगा धकापेल चुदाई करने | अब हम दोनों काफी तेज तेज बोल या यूँ कहें की बड़बड़ा रहे थे | मुझे डर लगने लगा की हमारी आवाज़ बाहर न जा रही हो लेकिन चुदाई के जोश के आगे उसकी परवाह न मोदी आंटी को थी न मुझे |

तभी मुझे लगा की मेरे लण्ड पर गर्म तेल की फुहार छूट रही हो और मोदी आंटी ने कस के मुझे जकड लिया मानो मेरे और अपने बीच में हवा भी पास नही होने देंगी | उन्होंने अपनी टांगें मेरी कमर में बुरी तरह से लपेट दीं | अब मैं पर कटे पंछी की तरह जोश में बूर में धक्के मारने के लिए छटपटा रहा था लेकिन मेरी कमर तो मोदी आंटी के कंट्रोल में थी | तभी मोदी आंटी बोल पड़ी ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स बस अब और ध ध धक्के नही अब और नही सहा जाता | बस करो अब | लेकिन मै अपने कंट्रोल में नही था | लण्ड पर गर्म तेल जैसी लगातार महसूस होती हुई फुहार वो मज़ा दे रही थी की मै बिना धक्के मारे नही रह सकता था सो मैंने अपने दोनों हाथों से मोदी आंटी की टांगों को ज़बरदस्ती कमर से अलग किया और टांगों को हाथों से ही पकड़े रक्खा ताकि फिर मेरी कमर में न लपेट सकें और लगा धका घक बूर में लण्ड की ठुकाई करने |

मोदी आंटी चिल्लाने लगीं न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्हीईईईईईई नहीं अब मै नही सह सकती | मत मार धक्के | मेरा गिरने वाला है आंटी मारने दो |

मै चूस के निकाल दूँगी | रहम कर | मत मार धक्के | अरे तुने कंडोम भी नही लगाया है बूर में मत गिराना |

मै अपना मज़ा किरकिरा नही करना चाहता था | तभी मुझे इकबाल और कविता की चुदाई वाली बात याद आई की जब कविता इकबाल को बोली की बूर के अंदर मत झड़ तो वो बोला था की अनवांटेड ७२ प्लस ले लेना सो मै भी मोदी आंटी को बोल पड़ा .......................
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Re: तब से अब तक और आगे

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मुझे तो बूर में ही निकालना है, आप अनवांटेड ७२ प्लस ले लेना | यह कहते हुए मरे धक्कों की रफ्तार बढ़ गई | फ्च्र्फ्च्र फचाक्फच्च्हक फच फच | मोदी आंटी चिल्लाती रही और मैं चोदता रहा | यह सिलसिला पाँच मिनट के लगभग चला होगा की मेरे अंडकोषों में खिंचाव पैदा हुआ और उसके साथ मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी| आआआआआआ आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ले ले मेरी जान | चूस ले सारा रस | भर ले अपनी बूर मेरे रस से |

हाँ मेरे बालम, मोदी आंटी बोलीं और अब उनकी टांग मेरी गिरफ्त से छूट चुकी थी और मैं उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया था | मेरा लण्ड उनकी बूर में फूल के रस की धार छोड़ रहा था और लण्ड से छूटती हर वीर्य की धार के साथ मोदी आंटी उछल पड़ती थीं | इधर मोदी आंटी ने जितना लण्ड बूर के बाहर था उसे हाथ से कस के पकड़ रक्खा था ताकि फिर से झड़ते टाईम जोश में मै कहीं ज़ोरदार धक्का मार के पूरा लण्ड बूर में न पेल दूँ | सच भी था की अगर मोदी आंटी ने मेरा लण्ड न पकड़ा होता तो मैंने तो अपनी तरफ से ज़ोरदार धक्का बूर पर मार ही दिया था झड़ने के उस जोश में | मैंने मोदी आंटी को कस के अपनी बाहों में जकड़ रक्खा था और झड़ने के न जाने कितनी देर तक मैं और मोदी आंटी यूँ ही एक दूसरे से चिपके हुए पड़े रहे | वो किसी औरत की बूर में लण्ड डाल के पानी गिराने का मेरा पहला एहसास जो किसी भी मज़े से अतुलनीय था | मै उससे बाहर आना ही नही चाहता था | वाकई मोदी आंटी ने मुझे स्वर्ग का मज़ा दिया था और शायद उन्हें भी मुझसे वैसा ही मज़ा मिला था | पता नही हम दोनों इसी तरह कितनी देर लण्ड बूर में डाले हुए यूँ हीं चिपके हुए पड़े रहे |दोनों ने आँखें तब खोलीं जब मोदी आंटी का मोबाइल बज़ उठा |

अलसाते हुए बोलीं अरे पप्पू मै तो नीचे दबी हुई हूँ जरा मोबाइल देना ड्रेसिंग टेबल पर से मेरा |


मै उठना तो नही चाहता था पर मन मारते हुए बोला ..मैं उठ जाऊँ क्या ? आप पर मेरा वजन पड़ रहा होगा | अब आंटी ने मेरा लण्ड छोड़ दिया जो सिकुड़ के छोटा हो गया था और मुझे दोनों हाथों से अपने आगोश में भींचती हुई बोलीं......... इतनी अच्छी चुदाई के बाद इस मुए फोन के लिए तुझे खुद से अलग कर लूँ ? नही बेटे | बस तू हाथ बढ़ा के फोन उठा दे और ध्यान रखना की लण्ड बूर में से न निकले | अंधा क्या मांगे दो आँखें ? मै भी तो यही चाहता था सो मेने मोबाईल उठाया और आंटी को पकड़ा दिया |

हाँ बोलो फोन पर मोदी आंटी बोलीं और फोन को स्पीकर फोन पर डाल दिया और उसे साइड में रख के बात करने लगीं |

उधर से आवाज़ आई ..........हो गया काम ? आ जाऊँ मै ? ये आवाज़ मोदी अंकल की थी |

अरे मै खुद बुला लुंगी तुम्हे | क्यों हल्ला मचा रहे हो ?

अभी हुआ नही ?

नही .....अभी बूर में लण्ड पड़ा हुआ है | कुछ और सुनोगे ?

अरे अभी उसका पहली बार है, समझा करो | एक बार से ज्यादा मत करने देना |

तुम ज्ञान बघारना बंद करो और सुनो तीन बजे लंच के लिए आ जाना और पन्द्रह मिनट से ज़्यादा नही रुक सकते यहाँ | फिर लंच के बाद पप्पू के घर में ही जा कर आराम करना |

तो क्या मेरा संडे का कोटा .........

अरे यार अज १० मिनट चुस दूँगी ........अब तो खुश ? लेकिन दस मिनट के अंदर झड़ जाओगे तो मेरा दोष नही | वो तो मै जानता ही हूँ की पाँच मिनट ही चुसवाना भारी पड़ता है १० मिनट में तो पक्का झड़ जाऊँगा | तो सोच के रखना की बूर में झड़ोगे की मुँह में |

आज झड़ने दोगी मुँह में?
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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अरे बोल दिया न हाँ अब रक्खो फोन बोल रही हूँ न की बूर में लण्ड लगवा के लेटी हूँ ज्यादा बात नही कर सकती |

ठीक है ........... ठीक है ........ बाय

बाय .....और मोदी आंटी ने फोन काट दिया | मेरी तरफ देख के मुस्कराईं | अपनी बाँहें मेरी पीठ पर कस दीं और मुझे अपने से चिपकाते हुए मेरे होठों पर अपने होठ रख के एक चुम्मा लेते हुए बोलीं..........आंटी पसंद आई पप्पू ? थैंक्यू आंटी........ और यह कहते हुए मैंने अपने मुँह में आंटी की बाँई चूची मुँह में ले ली और चूसने लगा |

आंटी मेरे सर के बालों को सहलाते हुए बोलीं....... अब बस कर राजा | तुने आंटी को थका दिया है |

इधर मेरा लण्ड अभी भी आंटी की बूर में पड़ा हुआ था | आंटी की बूर से उनके रज और मेरे वीर्य का मिश्रण बाहर टपक कर बिस्तर की चद्दर को भीगा रहा था | मै आंटी के मना करने के बावजूद लगभग पाँच मिनट तक उनकी चुचियाँ अदल बदल क्र मसलता और चूसता रहा | इधर मेरा लण्ड फिर से अकड़ने लगा था | मैंने धीरे धीरे फिर से लण्ड को बूर के अंदर बाहर करना शुरू क्र दिया | तभी आंटी ने आँखें खोलीं और मेरे कान पकड़ कर बोलीं.... बदमाश ! तू आदमी है या मशीन | मै हिल भी नही पा रही | तुने इतना थका दिया है और तू फिर शुरू हो गया ?

मैंने आंटी को चूमा और लगभग गिडगिडाते हुए बोला..... लण्ड तो अंदर है ही | बस आप लेटी रहिए मै पक्का धीरे धीरे धक्के मार के ही चोदुंगा इस बार | बस एक बार और चोद लेने दीजिए | प्लीईईईईईईईज़ | और अपने लण्ड को बूर के अंदर बाहर करना ज़ारी रक्खा |

अब मेरी बारी थी | आंटी की चुचियों को दोनों हाथों से हल्के हल्के मसलते हुए बोला ..........आपने सच में स्वर्ग की सैर करवा दी आंटी | आज तक ऐसा मज़ा मिलना तो दूर मै सोच भी नही सकता था की ऐसा मज़ा हो भी सकता है | लेकिन एक कमी फिर भी रह गई|

अब आंटी ने थोड़ा सवालिया निगाहों से मेरी तरफ देखते हुए कहा........ क्या कमी रह गई ? और यह कहते हुए अपनी टांगों को मेरी कमर पर लपेट दिया | अब मेरा लण्ड अंदर बाहर होना रुक गया |

अरे ये क्या आंटी ? धीरे धीरे तो मार रहा हूँ | अब इससे धीरे कैसे चोदूं आप ही बताईए ?

अभी चोदना नही है | देख नीचे मेरी बूर के बखिए उधेड़ दिए हैं तुने | मेरे राजा फिर करवाउंगी थोड़ा सब्र कर मेरे सैंया |

ठीक है जैसी आपकी मर्जी | मैंने मन मार कर कहा और चूची चूसने लगा |

तुने बताया नही क्या कमी रह गई ?

मैंने मुँह उठाया | हाँ वो तो रह ही गई |

अरे बताएगा भी ?

आप पूरा करने को कहें तो बताऊँ भी वरना यूँ ही कह के क्या फायदा ?

जानता है पप्पू औरत जिसका लण्ड अपनी बूर में ले लेती है और उसे पसंद आ जाता है उसके लिए कुछ भी कर सकती है |

मेरा लण्ड आपको पसंद आया ?

ये भी कोई पूछने की बात है? बहुत पसंद आया मेरे बालम | तुने आज मुझे हरा दिया वरना मोदी तो जिंदगी भर नही हरा सकता मुझे |

हरा दिया ? मतलब?

अरे मतलब यह की पहले तुने मुझे झड़वा दिया और फिर बाद में तू झड़ा तो मै हार गई न| जो मर्द औरत को चुदाई में हरा देता है औरत उसकी गुलाम हो जाती है जैसे अब मै तेरी हो गई हूँ |

झूठ बोल रही हैं आप |

नही राजा |

तो फिर मेरे कहने पर चुदवा क्यों नही रहीं ?

बिलकुल चुदवाऊँगी मेरे बालम | देख तेरे लण्ड ने इतने करारे झटके मारे हैं बूर में की अब कुछ देर मै बुर में झटके बिलकुल बर्दाश्त नही कर पाऊँगी इसलिए थोड़ा सब्र करने को बोल रही हूँ | चिंता मत कर बेटा दूसरा राऊंड पहले से भी ज़्यादा घमासान होगा |

ठीक है| पर एक काम करने देंगी दूसरे राऊंड में ?

क्या ?

पहले हाँ बोलिए |

मेरे बस में होगा तो ज़रूर करुँगी |

है आपके बस में | तो समझ ले की हो गया तेरा काम अब बता क्या काम करवाना चाहता हसी दूसरे राऊंड में |

यही की मुझे पूरा लण्ड बूर के अंदर घुसाने दीजिएगा |

मर गई रे | ये क्या मांग लिया तुने | आधे से ही पस्त कर दिया अब पूरा डाल के क्या करने का इरादा है ?

प्लीज़ आंटी | पूरा घुसा के चोदने दीजिएगा न ?

चल ठीक है लेकिन फिर उसके लिए तैयारी करनी पड़ेगी और पूरा डलवा के चुदवाने के बाद हो सकता है दो तीन दिन और न चुदवाऊँ|

ऐसा क्यों |

मैंने सुना है की बड़े लण्ड की ठोकर जो बच्चेदानी के अंदर पडती है उससे उबरने में औरत को दो तीन दिन लग जाते हैं | मेरी ननद के पति का तेरे जैसा ही है | वो जब भी मायके से आती है तो रोती रहती थी की उसके पति उसकी हालत खराब कर देते हैं | पर हर कोई उसे मजाक समझता था | एक बार मेरी ननद अपने पति के साथ मायके आई तो मेरी जेठानी ने उसके पति से मजाक किया की सुना है हमारी बन्नो को आप ज्यादा परेशान करते हैं? अरे जोर दिखाना है तो हम पर दिखाएँ तो माने बिचारी इस बच्ची पर जोर दिखा कर क्या इतराते हैं | यह सुन कर सब लोग हंस पड़े | तभी मेरी ननद के पति बोले अरे भाभी हमे तो बस सामने खिलाड़ी होने से मतलब है वो भले कोई भी हो | हाँ आप अपनी ननद रानी से पूछ लीजिए की मै आपके साथ खाट कबड्डी खेलूँ तो उन्हें तो कोई ऐतराज़ नही है न ?

तभी मेरी ननद बोल पड़ी अरे रवि (ननदोई का नाम) मुझे कोई शिकायत नही होगी बल्कि अच्छा मौक़ा है की भईया भी नही हैं और भाभी को पता चल जाएगा की मैं ठीक बोलती हूँ आपके बारे में | अब जेठानी फँस चुकी थी सो उन्हें तैयार होना पड़ा | तय हुआ की दोपहर के खाने के बाद जेठानी और ननदोई का मुकाबला होगा | मैंने चालाकी से काम लिया और जो कमरा उन दोनों के लिए ठीक किया उसमें वीडियो रिकार्डिंग का इंतजाम कर दिया जो केवल मुझे पता था और किसी को नही | पप्पू जो मेरी जिठानी की चुदाई दोपहर दो बजे शुरू हुई वो शाम के ६ बजे तब रुकी जब हम लोग दरवाजे से बोलने लगे अरे जमाई बाबू भाभी तो हाथ जोड़ चुकी हैं | अपनी हार चिल्ला चिल्ला के मान रही हैं अब तो छोड़ दीजिए इन्हें | उसके करीब २० मिनट बाद जमाई राजा टावेल लपेट के बाहर आए |

हम लोग कमरे में गए तो जेठानी की बूर से वीर्य और रज का मिश्रण बाहर टपक कर बिस्तर को गीला कर रहा था और वो बेसुध सी पड़ी थीं | हमे देख के थोड़ा शरमाई पर फिर हमने पकड़ के उन्हें लेटे रहने को कहा | अगले आधे घंटे के बाद जब वो नार्मल हुईं तो बोलीं बाप रे बाप लण्ड है या मूसल | पक्का गधे के जैसा है | मज़ा तो वो दिया की आज तक नही मिला था पर बूर के बखिए ऊधेड़ दिए ज़ालिम ने | जरा भी रियायत नही बरती चुदाई के समय |

तभी जमाई राजा अंदर आ गए और बोल पड़े ........हमने तो सोचा था की कोई ललकारने वाला खिलाड़ी मिला है तो आज कुछ खेल का मज़ा आएगा | पर आप तो भाभी शुरू में ही बोल गईं |

हटीए जमाई राजा मेरी सील तोड़ दी और बात करते हैं?

हम सब चौंक गए ! सील तोड़ दी ? क्या मतलब है दीदी मै कुछ समझी नही ?

तब मेरी जेठानी बोली अरे देवरानी जी मेरी तो छोड़िए आपकी भी छोड़िए ये तो अपनी सासू माँ पर चढें अभी तो उनकी भी सील टूटेगी |

क्या ?

अब मै भौंचक्की हो कर जेठानी को देख रही थी | सासू मान का नाम उन्होंने क्यों लिया ये तो मै समझ गई |

क्यों लिया आंटी ?
adeswal
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Re: तब से अब तक और आगे

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अरे पप्पू तेरे मोदी अंकल की मम्मी बहुत चुदक्कड़ हैं | कईयों से चुदवा चुकी थीं पर उन्हें संतुस्टी नही मिली थी | हर मर्द उनके साथ सोने के बाद यही कहता की इस औरत को एक मर्द संतुष्ट नही कर सकता |

ओह ये बात है .........मैं बोल पड़ा |

हाँ पप्पू | तभी हमारी सास भी आ चुकी थी और उन्होंने सारी बात सुन ली थी | सबको डांटते हुए बोली चलो हटो सब आराम करने दो बेचारी बड़ी बहु को | यह कहते हुए हम सबको बाहर कर खुद मेरी जेठानी के पास बैठ गई |

मै तो आश्वस्त थी की उनकी सारी बातें रिकार्ड हो रही हैं और मुझे तो पता चल ही जाएँगी सो मै निश्चिन्त हो के अपने कमरे में आ गई और जमाई राजा मेरी ननद के साथ एक कमरे में चले गए | उस समय मेरी नई नई शादी हुई थी सो मै सासू माँ और ननद से ज्यादा खुली भी नही थी लेकिन मुझे चुदे हुए लगभग एक महीना होने जा रहा था |

क्यों? मोदी अंकल कहाँ थे ................मै बोल पड़ा |

अरे वो शहर आ गए थे नौकरी के लिए |

ओह |

इस समय मोदी आंटी और मैं एक दूसरे की तरफ करवट ले के लेटे हुए थे | मैंने मोदी आंटी की बाईं टांग अपनी कमर पर खींच ली जिसके कारण उनकी बूर में मेरा लण्ड थोड़ा अंदर और सरक गया | अब मेरा लण्ड पूरा टाईट हो गया था और मोदी आंटी की बूर ने उसे जकड रक्खा था |

उईईईई अभी मत घुसा राजा |

कहाँ घुसा रहा हूँ ? ये तो पहले से ही घुसा हुआ है?
\
टांग उठाई तुने तो और अंदर सरका नही क्या अभी ?

वो तो थोड़ा सा | तेरे लिए थोड़ा सा है | मेरी तो बूर के कस बल निकाल रहा है ये?

अच्छा ये बता की दूसरा राउंड करेगा या मेरी ससुराल वाली कहानी सुनेगा ?

बस मुझे वो सील टूटने वाली बात समझा दीजिए और फिर चुदाई करूँगा | सुन के वो मज़ा कहाँ जो आपकी बूर में लण्ड घुसा के धक्के मारने में है |

पूरा लण्ड डालेगा अंदर ?

हाँ आंटी | प्लीज़ |

पर फिर कल चोदने को बूर नही मिलेगी | हो सकता है परसों भी न मिले | उसके बाद ही मिलेगी |

लेकिन उसके बाद रोज मिलेगी न ?

हाँ |

चलिए कैसे भी दो दिन काट लूंगा | मै उदास होते हुए बोला |

मै तुझे उदास नही देख सकती रे | अच्छा ये बता मेरे बदले किसी और की बूर दो दिन के लिए दिलवा दूँ तो चोद के काम चला लेगा ?

किसकी बूर ?

किसी की भी | तुझे तो बुर ही चाहिए न ?

नही ऐसा थोड़ी है? कोई आप जैसी सुन्दर और मस्त बूर वाली हो तो ठीक है वरना नही |

अच्छा सतपती आंटी तुझे कैसी लगती है ?

अरे वो तो जबर्दस्त हैं | उनके बारे में सोच कर कई बार मैंने मुठ मारी है | लेकिन वो मान जाएँगी?

वो तू मुझपर छोड़ | लेकिन एक शर्त पर सतपती आंटी की बूर चोदने को मिलेगी |

वो क्या ?

तुझे बेरहम बन के बिना सतपती आंटी के चीखने चिल्लाने पर ध्यान दिए बिना पूरा लण्ड बूर में डाल के ज़ोरदार चुदाई करनी पड़ेगी |
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