फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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कालिया ने भैरों को फोम करके वह अखबार वाला काम-बता दिया उसे। लेकिन वह जंगल और उसके फारेस्ट आफिसर को भूला नहीं।
शाम को हरिया और रघुबर ने आकर खबर दी। 'साधना रोज दिन में जगतार से मिलने जाती है छुपकर।'
'अच्छा तो वह आदमी हमारे फारेस्ट आफिसर की बहन क यार है।' कालिया गर्दन हिसाता हुआ बोला-'उसके पीछे-पीधं शहर से यहां तक पहुंच गया।'
'कुछ चक्कर समझ में नहीं आ रहा भईया।' हरिया बोला, 'अपना फारेस्ट आफिसर जगतार को पहचानता तो है नहीं। सुपरवाईजर ने जो उनकी पहले दिन की मुलाकात देखी उससे तो उसे यही लगता है।' 'इसका मतलब है कि फारेस्ट आफिसर को उन दोनों के मिलने का भी पता नहीं होगा।'
'नहीं, जद वो बाहर चला धाता हं तब वह निकलती है उससे मिलने के लिए।

हरिया की बात में लुकमा लगाया रघुबर ने-'और उसके लौट के आने से पहले ही वापिस आ जाती है बंगले में।'
'अच्छा?' गम्भीरता से सिर हिलाया कालिया ने-'और अपने यार फारेस्ट आफिसर को पता ही नहीं कि उसकी सती साध्वी बहन क्या गुल खिना रही है। बेचारा।'
कहकर सबने नान मुर से बगाई और हुक्का गुड़युड़ाया। 'कहो तो उस्ताद हम बता दें?' रघुबर बोला।
'नहीं।' कालिया ने एकदम डपटकर कहा-'किसी को कुछ बताने पी जरूरत नहीं है। यहां तक कि अपने आदमियों से भी इसका कोई जिक्र नहीं करना है। यह बिलकुल सीक्रेट मामला सौंपा है मेंने तुम दोनों को।' वे दोनों चुप रह गये।
'कल तुम दोनों एक काम करना।' कुछ सोचकर बोला
कालिया।
'क्या?'
'गोदाम मैं से जानवरों की खाल ले लेना और कैमरा भी।' उसके साथ ही कालिया ने उन्हें अच्छी तरह से समझाया कि क्या करदा है।
सममाने के बाद बोला-'बहुत होशियारी से काम करना है।
और उस आदमी को जरा भी भनक न पड़ने पाए तुम लोगों की। समझ गए ना?'

अगली शाम हरिया और रघुबर दोनों खुशी से झूमते-झामते
आए। उनकी चाल-ढाल ही बता रही थी कि खशी में मतवाले होकर उन्होंने वहां आने से पहबे ही कुछ चढ़ा ली थी।
गनीमत यही थी कि नसे में मदमस्त नहीं थे वे लोग।
'मोर्चा फतह कर लिया सस्ताद आपकी दुआ से।' रघुबर ने खशी से झूमते हुए कहा-'ऐसे-ऐसे बढ़िया फोटो खींचें हैं कि देखैते ही फड़क उठोगे। दिखाना हरिया गुरु जरा।'
हरिया ने जेब से एक गीला सा लिफाफा निकालकर कालिया की ओर बढ़ाते हुए कहा-फोटो बीच कर सीधे फोटोग्राफर की दुकान पर गए। हाथ के हाथ रील धुलवा कर प्रिंट निकलवाए। अभी थोड़े गीले हैं। तुम्हें दिखाने के लिए गीले ही
उठा लाया।
कालिया ने प्रिंट देखे।
साधना और जयतार के प्रेमालीन फोटो।
उतने उत्तेजक तो नहीं थे बितने भैरों के माध्यम से उसने साधना के फोटो अपने एक अन्य आदमी के साथ खिंचवा लिए थे। लेकिन फिर भी बदनाम करने के लिए अथवा उस
फारेस्ट आफिसर की नस दबाने के लिए काफी थे।
अब फारेस्ट आफिसर उसकी मुट्ठी में होगा।
एक नहीं दो अबग-अलग आदमियों के साथ लिपटा-चिपटी के फोटो। ऐसा कौन माई का लाल है जो इन्हें देखकर उसे बद- इच्छा हुई जगन सेठ को अपनी कामयायी की सुचना देने की। मगर रुक गया।
शाबासी देता हुआ बोला-'शाबास हरिया, अब यकीन हो गया कि तू मेरी जगह सम्हाल सकता है। अक्ल है तेरी खोपक में।
और रघुबर तू भी पास हो गया रे अपने इम्तहान में। आज से हमारे खास आदमियों में आ गया तू।'
'बहुत-बहुत मेहरबानी उस्ताद।'
रघुवर ने इस तरह झुककर कहा जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो उसे।
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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पांचवे दिन केसरी मेयर के घर से जीप में लौट रहा था
इन पांच दिनों में वह मेयर के काफी नजदीक आ चुका था। किन्तु फिर भी वहां से लौटते समय वह कोई खास प्रसन्न नहीं था। मेयर ने जो अखबारी युद्ध छेड़ा था वह अब उसी के लिए मुसीबत बन गया था। उसे मालूम हुत्रा कि कालिया का पृष्ठ पोसी जगन सेठ खुल कर सामने आ गया है। वह उसे और उसकी बहन को पूरी तरह टदनाम करने पर तुला हुआ है।
'मैंने तो आपसे पहले कहा था कि वे कमीने लोग उस बात
का नाजायज फायदा उठाएंगें।' उसने कहा था।
'उसके लिए तो मैं तैयार था।' मेयर परेशान से स्वर में बोला-'तुम्हारी सच्चाई पर और तुम्हारो बहन की नेकचलनी पर मुझे पूरा भरोसा है। इसीबिए मैंने सोचा था कि बदनाम करन के लिए वे जिस आदमी को भी सामने लाएंगें उसे मैं साबित कर दूंगा कि वह उनका ही आदमी है। लेकिन मैंने यह नहीं सोचा कि वे लोग मुझे ही सानने की कोशिश करेंगे।'
'तो क्या किया जाए?' 'कुछ समझे में नहीं आ रहा।'
'कोशिश करू दीदी को वापिस भेजने की। हालांकि वे तैयार नहीं होगी।'
'उससे तो उन लोगों के प्रचार को और बन मिल जाएगा। ऐसे मौके पर सामने से हट जाने का मतलब होना यह साबित करना कि उनकी ही बात सच है।'

काफी देर तक बात करता रहा था वह किन्तु कोई उत्साह-वर्धक नतीजा नहीं निकला।
लौटने के समय साधना के बारे में ही सोच रहा था वह। अगर उसकी बात मानकर वह भी सामाजों के यहां चली गई होती तो शायद इन बदमामों से लिपटने में कुछ सहूलियत होती।
लेकिन वह भी तो एक मम्बर की जिद्दी है।
बंगले पर रात को पुलिस का पहरा लग जाने की वजह से कुछ सुख-शान्ति थी। बदमाशों का उपद्रव शान्त हो गया था। लेकिन साधना में उसने कुछ परिवर्तन अवश्य लक्ष्य किया था।
पहले से भी ज्यादा गम्भीर हो गई थी वह। कारण पूछने का कोई मौका नही मिला था उसे। क्योंकि वह स्वयं इस अखबारो युद्ध और इसके सम्भावित परिणामों को सोचने मे उलझा हुआ था।
आज मेयर की बात सुनकर तो वह और भी अधिक हतोत्साहित सा महसूस कर रहा था।
आज साधना से बात करेगा।
लेकिन क्या बात करेगा।
मेयर ने सच कहा है कि ऐसे नाजुक मौके पर सामने से हटने
का मतलब होगा उन लोगों की और बन आना।
यही सब सोचते हुए उसने पेट्रोल डलवाने के लिए गाड़ी एक पैट्रोल पम्प में मोड़ दी।

रोकते रोकते यह देखकर चौंक पड़ा कि वहां कालिया एक आदमी के साय खड़ा पैट्रोल डलवा रहा था। उसे यह नहीं मालूम था फि वह आदमी उसका छोटा भाई हरिया है। वह अपनी ड्राईविंग सीट पर ही बैठा रहा था। लेकिन हरिया ने उसे देख लिया था और उसे देखकर जोर से गाना भी शुरू कर दिया था।
अरे मेरे जगतार यार तेरे गले में डालूं बांहों का हार
साधना पूरी कर दे रे..
साधना पूरी कर दे रे... कोई शक नहीं था कि यद् सब उसे उत्तेजित करने के लिए जान-बूझकर ऊंची आवाज में सुनाया जा रहा था। उसने अपने आपको समझाया कि उसे उत्तेजित नहीं होना है।
किन्तु हरिया की आवाज उत्तरोत्तर तीव्र ही नहीं होती जा रही थी बल्कि उसकी मुखमुद्रा अश्लीलता की सीमा का छूने लगी थी।
पैट्रोल डालने वाला भी उसकी ओर देखकर एक अवीब सी न समझ में आने वाली हंसी हंसा।
बस तमी उसके संयम का बांध टूट गया।
एक छलांग में वह बाहर कूद गया। हरिया के जबड़े पर जो चूंसा पड़ा तो वह घूमता हुआ जीप से टकराकर नीचे गिर पड़ा।
कालिया ने एकदम घूमकर उसे पकड़ा।

बिफरे हुए शेर की तरह उसने कालिया के पेट में घूसा मारा
और वह छिटक कर जमीन पर जा गिरा।
वह उस पर झपटने ही जा रहा था कि पैट्रोल डालने वाले ने उसे रोका-'क्या कर रहे हैं वाबू जी?'
वह शयद रुक भी जाता मगर तमी उसने कालिया को अपनी पिस्तौल निकालते हुए देख लिया। सो पैट्रोल डालने वाले को
तेजी से एक ओर को उछालकर उसने पैर की ठोकर कालिया के हाथ पर मारी।
एक ही झटके में पिस्तौल हाथ से निकल कर दूर जा गिरी। तब तक हरिया भी सम्हल कर फिर से उस पर झापड पड़ा था।
उसने थोड़ा सा झुकंकर जो धोबी पाट मारा तो हरिया हवा में बल खाता हुआ सौंधा कालिया पर जा गिरा।
पिस्तौल हाथ से निकलते ही कालिया की स्थिति उस नाग
जैसी हो गई थी जिसके जहरीले दांत तोड़ दिए गए हों। उसे यह भी अहसास हो गया था कि छोकरा उस समय उस पर भारी पड़ रहा है।
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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हरिया को अपने ऊपर से धकेलता हुआ बोला वह-'अबे यहां क्या अपनी मरदानगी दिखा रहा है। घर जाकर अपनी बहन को सम्हाल। जाकर देख वह अपनी जवानी का थाल किस कुत्ते को परोस कर खिला रही है।'
वह क्रुद्ध शेर सा फिर झपटने को उद्यत हुआ। लेकिन पैट्रोल पर उपस्थित अन्य लोगों ने थाम लिया।
बीच-बचाव हुआ।
लोगों ने दोनों भाईयों को जीप में बैठा कर विदा किया। पिस्तौल भी उठाकर कालिया को दे दी।
उनके जाने के बाद उसकी गाड़ी मे भी पैट्रोल डालकर उसे विदा किया।

अन्धाधुन्ध तेज गति से जीप चलाता हुआ वह सीधा बंगले पर पहुंचा। सारे रास्ते बस दो ही शबद उसके मस्तिष्क में गूंथते रहे थे।
साधना जगतार "जगतार साधना।
क्या हुआ दीदी को जो अगतार जैसे भद्दे और कुरूप व्यक्ति की ओर फिसल गई नहीं दीदी ऐसी नहीं है कालिया साला बदनाम करने के लिए झूठ बोल रहा है. मगर उसने भी पिछले दिनों दीदी में परिवर्तन तो लक्ष्य किया था तो क्या दीदी का संयम.. शंका के सर्प मस्तिष्क में फन उठाकर फनफनाने लगे। तो क्या अन्याय के सामने से हट जाने वाली बात सिर्फ एक दिखावा था एक धोखा था और असल में यह जगतार से मिलने के लिए यहां बने रहना चाहती थी। मगर एक
अजनबी व्यक्ति के प्रति इंतना झुकाव आखिर क्यों और कैसे?' कुछ समझ में नहीं आ रहा उसकी।
जितना भी सोचता मस्तिष्क उतना ही भ्रमित सा होता लग रहा था।
जीप रोकते ही उसने देखा कि बंगले का दरवाजा बन्द है। कुंडा लगा था मगर ताला नहीं।
तो दीदी कहीं गई है।
कहां?"जगतार से मिलने?
सोचते ही चेहरा सख्त हो गया। जबड़ा कस गया। आंखों में
खून सा उतर आया।
चारों ओर नजर दौड़ाई। साधना कहीं नजर न आई।
कहां जाकर पकड़े उन दोनों को? किस तरफ गई होगी।
फिर अचानक ही पूरी शक्ति से चिल्ला उठा वह-दीदी दीदी...।
हवाओं को चीरती हुई उसकी तेज आवाब जंगल में चारों ओर
को गूंजती चली गई।
कभी वह एक ओर को बढ़कर आवाज देता कभी दूसरी ओर
को। जैसे पगला-सा गया हो।
फिराक ओर की झाड़ियां तेजी से हिलती दिखाई दी। वह उसी ओर झपटा।
झाड़ियों से अस्त व्यस्त सी साधना निकल कर वाहर आई।
कहां गई थी?' वह एकदम गरजा।
उसे अपने ऊपर आश्चर्य हो रहा था। क्योंकि आज से पहले कभी भी साधना के आगे इतनी तेज आवाज में बोलने का साहस नहीं हुआ था उसे।

साधना के चेहरे का उड़ा हुआ रंग देखकर उसे अपना सन्देह पुष्ट होता नजर आया।
'कहां गई थी?' वह क्रोध से कांपता हुआ फिर गरजा। 'तुम इस वक्त आपे में नहीं हो केशो।' साधना ने कहा और उसके पास से गुजर जाना चाहा।
वह वास्तव में अपने आपे में नहीं था।
उसने हाथ बढ़ाकर साधना की बांह पकड़ ली और जोर से झिंझोड़ता हुआ बोला-बेहया-बेशम पहले ही क्या कम मुसीबतें थी जो तू इस रास्ते पर फिसल गई मालूम है सारे
शहर में थू थू हो रही है।'
'तुम हद से आगे बढ़ते जा रहे हो केशो।' निर्भीकता से कहा साधना ने और साथ ही झटके से अपनी बांह छुड़ा ली। 'मैं हद से आगे बढ़ता जा रहा हूं या त लाज शरम की सारी सीमाएं बांध गई बता, किससे मिलने गईाई थी उस कुत्ते जगतार से आज उसे भी जिन्दा नहीं छोडूंगा बता कहां है वह हरामजादा?'
'होश में आओ केशो।' साधना डपटकर बोली-'खबरदार जो उनके बारे में एक शब्द भी गलत निकाला।'
'चुप बेशर्म।'
और उसने साधना के मुंह पर एक तमाचा ही तो जड़ दिया।
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'बस।' तभी एक कड़कदार आवाज गंजी।
उसने एकदम घूमकर देखा। झाड़ियों के पास जगतार खड़ा धा कूल्हों पर हाथ रखे हुए। सिर के बाल उनके बिखरे। कई दिनों की बड़ी हुई दाढ़ी। छाती के बटन खुने हुए भद्दा और कुरूप मा जगतार। लेकिन इसके बावजूद भी उनकी आकृति में उसके खड़े होने के स्टाईल में एक अजीब मव्यता और गरमा सी थी।
जैसे कोई जंगली शेर अपनै वीरोचित अभिमान के साथ अन्य सभी को अपनी तुच्छता का बोध करा रहा हो।
हां जंगली शेर सा ही लगा था वह उसे। क्योंकि इस तरह अचानक ही उसे अपने सामने पाकर न जाने क्यों उसका कलेजा धक्क से रह गया था।
वह डरा नहीं था उससे। शायद उस अजनबी को अपने सामने पाकर उसे अचानक ही कुछ दिन पहले की वह रात याद आ गई थी जब यह अचानक ही उस संकट की घड़ी में देवदूत की तरह सहायता करने के लिए पहुंच गया था।
तब का सहायक आज दुश्मन के रूप में सामने खड़ा था लेकिन सहायता का यह मतलब तो नही कि वह अपने उपकार का ब्वाज उसकी बहन को फुसलाकर वसूल करने
लगे।
जगतार कह रहा था उससे-'अब अगर अपनी बहन के हाथ लगाया तो यह हाथ तोड़कर रख दूंगा।'
जगतार के चुनौती भरे शब्द सुनते ही उसकी आंखों में फिर से खन उतर आया। उसका इतना साहस कि उसकी बहन पर उसके सामने इतना अधिकार दिखा रहा है।
'जा चला जा यहां से कुत्ते।' वह गर्राया-'अब अगर कभी इस जंगल में नजर आया तो टुकड़े करके फेंक दूंगा।'
'जा रहा हूं।' जगतार ने गुरू गम्भीर स्वर में कहा-'मगर इतना ध्यान रखना कि अगर अपनी बहन पर हाथ उठाया तो मुझे अपने सामने पाने में देर नहीं लगेगी।'
और फिर उसे जगतार पर झपटने में देर नहीं लगा। कुत्ता दुम दबा कर भागने की बजाए उसी पर गुर्राए जा रहा है।
पहले तो जगतार अपना बचाव करता रहा। लेकिन जब उसके आक्रमण की भीषणता बढ़ती ही गई तो उसने भी मुकावला करना शुरू किया।
तभी उसका जोरदार घंसा जगतार की नाक पर पड़ा। जगतार उसकी चोट से न सिर्फ लड़खड़ा गया बल्कि उसकी पक से खून भी छलक आया।
खून देखते ही जैसे जगतार भी सब कुछ भूल गया हो खाली शेर की तरह भीषण गर्जना करता हुआ वह उस पर झपटा। दो चार हाय पड़े तो सिर घूम गया।
उसे पता भी न चल सका कि कब जगतार ने उसे अपने हाथों में सिर से ऊपर उठा लिया।
'नही।'

उसके फेंकने से पहले ही साधना पूरी शक्ति के साथ चीखी।
जगतार एकदम रुक गया। उसने धीरे से उसे जमीन पर लिटाया और फिर छलांग लगाकर झाड़ियों के नीच गुम हो
गया।
वह हतप्रभ सा हिलती हुई झाड़ियों को देखता रहा।

इम तरह सरेआम बेइज्जती करने के बाद वो जिन्दा बच कर निकल जाए भईया तब तो फिर हो चुका हम लोगों का इस
शहर मे अब रहना।
जिस तरह घायल सांप इधर से उधर फन पटकता है उसी तरह कालिया भी फुफकारें सी मारता हुआ अपने घर के कमरे में इधर से उधर घूम रहा था। उसे मालम था कि हरिया झूठ नहों कह रहा। पैट्रोल पम्प की घटना की खबर सारे शहर में फैलते देर न लगेगी। लोग सामने नहीं पीठ पीछे हंसना शुरू कर देंगे। जीना हराम हो जाएगा इस शहर में।
अगर उसने ठोकर मारकर पिस्तौल हाथ से न निकाल दी होती तो आज साले को वहीं भून के रख दिया होता। लेकिन साले के बदन में क्या कड़क की ताकत थी। दोनों भाईयों को पीटकर चला गया।
सरेआम कालिया के सिर पर बंसरी बजा ही दी उसने।
अपमान की ज्वाला से सारा बदन जल रहा था कालिया का। छाती में प्रतिहिंसा की ज्वाला धधक रही थी। अब जब तक उस हरामजादे की लाश नहीं बिछा देगा तब तक चैन नहीं पड़ेगा उसे।
तभी फोन की घंटी बजी।
हरिया ने रिसीवर उठाया। फिर माऊथ पीस पर हाथ राखकर उसकी कोर वढ़ाता हुआ बोला-'जगन सेठ हैं।'
उसने रिसीवर ले लिया।

'यह पैट्रोल पम्प पर क्या हंगामा हो गया?' दूसरी ओर जगन
सेठ की आवाज आई।
'वही हो गया जो होना चाहिए था।' वह अपने स्वर यथा-सम्भव संयत रखता हुआ बोला। लेकिन साथ ही अपना आक्रोश छुपाने की भी कोई कोशिश नही की उसने-'हमारे हाथ तो आपके हुक्म से बंधे हुए थे जगन सेठ। सो उस हरामजादे की बन आई। भरे चौराहे पर इज्जत धूल में मिलाकर चला गया।' 'तुम्हारी सहनशीलता की तारीफ करने के लिए फोन किया है मैंने तुम्हें। अपने आप पर काबू रखकर जिस अक्लमंदी का सबूत दिया है तुमने वो वाकई काबिले तारीफ है।' 'वह साला मेरे सिर पर बंसरी बजाता रहेगा ओर तुम मेरी सहनशीलता की तारीफ करते रहना जगन सेठ।' कालिया ने तल्ख से स्वर में कहा। 'बस कुछ दिन तक अपने ऊपर काबू और रखो, फिर देखना कि यह फारेस्ट आफिसर तुम्हारे ही पैरों में अपनी नाक रगड़ता नजर आएगा।'
'हम तो तुम्हारे हुक्म के गुलाम हैं जगन सेठ। जब तक कहोगे तब तक सब्र किए बैठे रहेंगे। पर इतना समझ लो कि सब्र का प्याला लबालब भर चुका है। कभी भी छलक सकता है।'
'अब ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ेगा तुम्हें।' दूसरी ओर से जगन सेठ की आवाज आई-'तुम्हें मालूम है। अभी कुछ देर पहले मेयर का फोन आया था मेरे पास। साले की धोती ढीली हो गई। समझौता करना चाहता है अब।'

'अच्छा ।'
जगन सेठ दूसरी ओर से अपनी उपलब्धि का वखान करते रहे कि कैसे वह वर्तमान मेयर का ऐसा शिकंजा कसेंगे कि वह उनकी शर्तों पर नाक रगड़ कर समझौता करने के लिए तैयार होगा। उसके बाद उस फारेस्ट आफिसर को ऐसे शिकंजे में कसा आएगा कि साला हाथ जोड़कर जूतियां चाटने पर मजबूर हो जाएगा। 'बस तुम थोड़े दिन और सब करो।' जगन सेठ ने उससे हा।
'कहा ना जगन सेठ, हम तो तुम्हारे हुक्म के गुलाम हैं। अब तक कहोगे सब किए बैठे रहेंगे।'
लेकिन कालिया ने जो कुछ कहा था वह करने के लिए वह बिलकुल तैयार नहीं था। बपनी वास्तविक मनोभावनाएं जगन
सेठ पर व्यक्त करके वह बेकार की बहस में नहीं उलझना चाहता था। इसलिए फोन पर जो जगन संठ सुनना चाहता था दही सुनाता रहा।
लेकिन उसका वास्तविक इरादा उसके मस्तिष्क में पूरी तरह पुख्ता हो चुका था।
आज रात उस फारेस्ट आफिसर को निबटा देना है।
जगन सेठ बाद में बिगड़ेगा तो देख लिया जाएगा।
मार पीछे की पुकार किसने सुनी है।
लेकिन इस बारे में न भैरों से कोई बात करनी है न किस और से। काम होने से पहले अगर जगन सेठ तक खबर पहुंच गई तो गड़बड़ हो सकती है।
इसलिए जरूरी है कि कानों कान किसी को खबर न होने पाए। बस वह हरिया और रघुबीर। बस तीन आदमी।
लेकिन फारेस्ट आफिसर छोकरा है जरा कड़ा। उस पर और हरिया पर भारी रहा था वह। मगर तब और बात थी। इस बार जब कालिया उस पर झपटेगा तो साले को पलक झपकने का भरई मौका नहीं देगा।
उसे क्या करना है यह सब शीशे की तरह उसके दिमाग में साफ है।
'तू रघुबर को बुला कर ला।' उसने हरिया से कहा।
हरिया के जाने के बाद कालिया ने अलमारी खोलकर लोहे की बनी हुई एक अशुभ आकृति सी बाहर निकाली जिसमें एक दूसरे से जुड़े हुए चार लोहे के छल्ले से बने हुए थे। छल्ले एक ओर से सपाट थे लेकिन दूसरी ओर उन पर शेर के तेज नाखूलैं सरीखी लोहे की पैनी घुमावदार कीलें सी जुड़ी हुई थीं।
यह बधनया था।
कालिया का सबसे बड़ा खतरनाक हथियार। जिस पर उसका किसी पिस्तौल से भी ज्यादा भरोसा था।
इसे पहनकर अगर बन्द मुट्ठी से बार किया जाए तो कि भी
आदमी की गरदन की हड्डियां जबाड़े के पास के जोड़ टूटती चली जाएं। और अगर खुले पंजे से बार किया जाए आदमी की हड्डियों तक से मांस के लोथड़े नुचते चले जाएं।
हरिया और रघुबर के आने से पहले ही उसने उसे फिर से
अलमारी में रखते हुए कहा था-कुछ देर और आराम कर ले बेटे।
फिर हरिया और रघुबर को अपनी योजना समझाने लगा था वह।
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