फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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जीप उनके सामने आकर रुकी और कालिया नीचे उतरा। बन्द गले का कोट और सफेद धोती। कन्धे पर भी बड़े करीने से तह की हुई सफेद चादर। उंगलियों में सिगरेट दवी हुई, जिसका नीचे उतरते ही मुट्ठी बन्द करके गहरा कश लिया उसने। फिर चुटकी बजाकर लापरवाही से राख जमीन पर झाड़ दी उसने। उसे देखते ही सुपरवाईजर बड़े अदब से उठकर खड़ा हो गया था। लेकिन केसरी खमोशी के साथ पेड़ के तने पर ही बैठा रहा था।

'ओह सुपरवाईजर बाबू, कहिए कैसे हैं?''यही है ना अपने नये मालिक, नमस्कार हुजूर नमस्कार ।'

सभ्यतावश उसने कालिया के जुड़े हुए हाथों के बदले में अपने भी हाथ जोड़कर खोल दिए। फिर रुखे स्वर में पूछा-कहिए कैसे आना हुआ?"

'एक दिन भैरों के हाथों हुजूर की खिदमत में कुछ पान-सुपारी भिजवाए थे। लेकिन आपने उन्हें वापिस करवा दिया। हम तभी समझ गए थे कि हुजूर को भरो की शक्ल पसन्द नहीं आई। सोच रहे थे कि किसी रोज खद हुजूर की सेवा में जाकर उपस्थित होगे और बन्दगी बजाएगें। लेकिन दुनिया के झमेलों से टाईम मिले तब ना?'

वह कुछ बोला नहीं। बस खमोश स्थिर दृष्टि से उसे देखता रहा।

'फिर कल पता चला कि यहां कुछ ऐसा घट गया है जो नहीं घटना चाहिए। किन्ही कुकर्मियों ने बड़ी बहन जी के साथ कुछ उलटा-सीधा करने की कोशिश की। यह भी पता लगा कि हुजूर को अपने इस गुलाम के बारे मे कुछ गलतफहमी हो रही है। सुन कर मैं तो ऊपर से नीचे तक कांप गया हुजूर। तुरन्त दौड़ा-दौड़ा हुजूर की खिदमत में चला आया ताकि गलतफहमी दूर कर सकू।' फिर वह सुपरवाईजर की ओर घूम कर बोला-'सुपरवाईजर बाबू कुछ पता चला कि कौन बदमाश थे वो लोग?'

'जी नहीं अभी तो कुछ मालूम नहीं हो सका।' सुपरवाईजर ने बड़े अदब से जबाब दिया।

'आसपास कोई गैर पहचाने हुए चेहरे तो नहीं दिखाई दिए थे आज या कल में?'

'जी एक दिखाई दिया था आज?'

'उससे पूछा नहीं कि कहां से आया है?' क्यों आता है यहां?'

'काम मांग रहा था वह। मैंने तो उसे काम पर लगा दिया था। लेकिन आफिसर बाबू ने उसे डांट कर भगा दिया।'

'ऐसे कैसे भगा दिया उसको आफिसर बाबू? पूछना था कि कहा से आया है? क्यों आया है यहां? पकड़कर पुलिस के हवाले कर देना था। ऐसे गुंडे बदमाश खुले घूमते रहेंगे तो शरीफ बहू-बेटियों का जीना हराम हो जाएगा।'

'मिस्टर कालिया?' आखिर वह बोल ही पड़ा।

'हुजूर।' कालिया हाथ जोड़ता हुआ उसकी ओर उन्मूख हुआ।

'देख रहा हूं कि इस इलाके में आपका काफी रौब है।'

'रौब तौब तो क्या है हुजूर बाकी इतना जरूर है कि इस इलाके में पर मारने से पहले परिन्दा भी कालिया से पूछ लेता है कि पर मारू या नहीं। इसलिए तो मुझे कल की उस दुर्घटना के बारे में जानकर हैरानी हुई कि किन हरामजादों के सिर पर मौत नाच रही है जो इतना बड़ा दुस्साहस कर बैठे।

शायद उन्हें इस बात की खबर लग गई होगी कि हजुर ने कालिया की भेजी हुई पान-सुपारी वापिस कर दी हैं। सो उन्होंने सोचा होगा कि कालिया तो कुछ कहेगा नहीं।' 'सो खुलकर खेल लो।' 'यही तो चक्कर है हुजूर कि आदमी के दिल से डर खत्म हो जाए तो साला खुलकर खेलने लगता है।'

'और तुम भी शायद इसीलिए खुलकर खेल रहे हो क्योंकि तुम्हारे दिन से भी डर खत्म हो गया है।'

'आ बड़ी जल्दी मतलब की बात पर आ गए।' कालिया ने कहा और फिर सुपरवाईजर की ओर हाथ बढ़ाकर चुटकी सी बजाई।

सुपरवाईजर संकेत समझ गया और तुरन्त ही वहां से हट गया।

कालिया के जो आदमी अभी तक जीप में ही बैठे हुए थे उनसे भी वह बोला-'अरे तुम लोग भी जरा जीप को पीछे ले जाओ प्राइवेट बात करनी है।'

फिर उसकी ओर उन्मुख होता हुआ बोला-'हां तो आफिसर बाबू अब तक आपकी समझ में यह तो आ ही गया होगा कि कालिया के साथ मिलकर चलना होगा। कल जो कुछ भी हुआ बहुत बुरा हुआ। उसका मुझे तहे दिल से अफसोस है। लेकिन एक खशी भी है कि उतना बुरा नहीं हुआ जितना की हो सकता था। शीशे का बरतन पटक कर टूटा नहीं।'

कालिया ने रुक कर उसकी आंखों में झांका। वह खामोश खड़ा देखता रहा और सुनता रहा।

'हां आफिसर बाबू। औरत की इज्जत शीशे के बर्तन सरीखी ही तो होती है कि एक बार चटक कर टूटी तो फिर सब कुछ खत्म। कहो मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाती औरत। जिन्दगी खराब हो जाती है उसकी भी और उसके घरवालों की भी।'

घनी मूंछों के नीचे उसके होंठ एक अजीब मुस्कराहट के साथ फैल गए।

बोला-'लेकिन शुक्रू है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। लेकिन इस बात की क्या गारंटी है तुम्हारे पास कि ऐसा फिर नहीं? होगा? सिर्फ एक गारन्टी है। कालिया की दोस्ती का हाथ, जो एक बार फिर तुम्हरी तरफ बढ़ा रहा हूं मैं। यह दोस्ती का हाथ गारन्टी है तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की रक्षा की। यह दोस्ती का हाथ गारन्टी लेता है तुम्हारे खुशहाल भविष्य की। इस दोस्ती के हाथ की थाम लो आफिसर बाबू।'

'और तुम्हें खुली छूट दे दूं इस जंगल से टूक की ट्रक लकड़ियां उठाकर ले जाने की। जंगली जानवरों को मनमाने ढंग से पकड़ कर उनकी खातों की बिक्री से बेशुमार दौलत कमाने की।'

'नही-नहीं आफिसर बाबू तुम्हें ऐसा कुछ नहीं करना होगा। तुम्हें तो सिर्फ अपने आंख, नाक, कान, बन्द करने होंगे। बाकी सब काम तो हम खुद कर लेंगे।'

'तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो कालिया।' बह सख्त स्वर मे बोला-'यहां से तुम्हारी मन मरजी की भीख मिलने बाली नहीं है।'

'जवानी के जोश में अन्धे मत बनो बाबू।' कालिया का स्वर एकदम कड़ा हो गया-'वरना यह दो टके की अफसरी नाक के रास्ते निकल जाएगी।'

उसका हाथ उठते-उठते रह गया।
rajan
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कालिया अचानक ही अपनी आवाज फिर से नरम करता हुआ बोला-'प्रेम मुहब्बत से इस दुनिया में रहोगे तो सुख से रहोगे। कालिया का हमेशा एक असूल रहा है। जियो और जीने दो। खाओ और खाने दो। पिओ और पीने दो।'

'लेकिन तुम्हें शायद मेरे असूल के वारे में नहीं पता है?'

'वो क्या है।'

'अगर अपने फर्ज के लिए जान भी देनी पड़ जाए तो भी पीछे मत हटो।'

'लगता हए तुम्हारी खोपड़ी में अक्ल नाम की कोई चीज नहीं है, कहीं ऐसा तो नहीं कि दो हजार की रकम थोड़ी लगी हो।
अगर ऐसा है तो बोलो, रकम बढ़ भी सकती है, ढाई तीन चार कितनी चाहिए?'

'अब तुम्हारे यहां से चले जाने में ही भलाई है'

'लगता है कुत्ते की दुम आसानी से सीधी नहीं होगी।' एक दीर्घ निःश्वास के साथ कालिया ने कहा-'मेरा जितना फर्ज था मैंने पूरा कर दिया। आगे तुम जानो और तुम्हारा नसीब। खैर आया हूं तो कुछ न कुछ तो देकर जाऊंगा दी।' कालिया ने अपनी जेब में हाथ डालकर एक सस्ते किस्म की लिपस्टिक सी निकाली और उसकी ओर बढ़ाते हुए बोला-'दोस्ती की खातिर उन बदमाशों का पता लगाकर मैंने यह लिपस्टिक उनसे छीन लो थी। इस बार तो मैं छीन लाया। दूसरी बार कौन छीन कर लाएगा।'

लिपस्टिक को देखते ही वह अपने आप पर काबू न रख सका। कालिया के कुकर्म का सबूत उमकी हथेली पर रखा हुआ था।

हाथ उठा और एक जन्नाटेदार झापड़ उसने कालिया के गाल पर रसीद करते हुए कहा-आदमी की औलाद होगा तो इतने से ही समझ जाएगा। दूसरी बार आंखों के सामने पड़ा तो जिन्दा जमीन में गाड़ दूंगा।'

झापड़ पड़ते ही हतप्रभ रह गया कालिया। जीप में बैठे उसके साथी एकदम उछल कर बाहर कूदे। केसरी ने झपटकर पास पड़ी हुई कुल्हाड़ी उठा लो।

कालिया ने हाथ उठाकर अपने आदमियों को रोका, फिर अपने गाल को सहनाता हुपा बोला-'यह झापड़ तुम्हें बहुत महंगा पड़ेगा छोकरे।'

अपने आदमियों के साथ जीप में बैठ कर चला गया कालिया।

अधेड़ सुपरवाईजर ने बड़े ही निराशाजनक ढंग से सिर हिला कर ऊपर आसमान की आर देखा।

'मेरा नाम के. सी. केसरी है। फारेस्ट आफिसर।'
घंटी बजने के बाद जैसे ही दरवाजा खुला तो उसने अपना परिचय दिया।

'आइए अन्दर आईए। मेयर साहब आपका ही इन्तजार कर हे हैं।' दरवाजा खोलने वाले व्यक्ति ने एक ओर हटते हुए कहा-'आप बैठिए, मैं साहब को आपके आने की खबर देता हूं।'

वह एक काफी लम्बा चौड़ा ड्राईग रूम था। बहुमुल्य बस्तुओं और फर्नीचर से सुसज्जित। वह एक सोफे पर बैठा तो लगा जैसे गुदगुदाहट के समुन्दर मे फसता ही चला जाएगा। दरवाजा खालने वाला एक अन्य दरवाजे मे घुस कर आंखों से ओझल हो गया।

वह वहां बैठा हुआ चारों ओर बिखरे सम्पत्ति सौन्दर्य को निहारने लगा।

दोपहर को खाना खाने के लिए बंगले पर लौटा था सो साधना ने बताया-'गिरीश जी का फोन आया था।'

'कौन गिरीश जी?'

'शहर के मेयर हैं। तुम्हें बुलाया है मिलने के लिए।

कैसा सुख सा तो महसूस किया था उसने यह सुनकर। अगर शहर का मेयर उसका साथ देने के लिए तैयार हो जाए तो फिर कालिया से निपटना उसके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।

उसने उसी समय साधना द्वारा लिखे-नम्बर पर फोन किया था। मेयर ने कहा था कि वह वह खाना खाकर आ जाए। अपनी कोठी पर ही वह उसका इन्तजार करेगा।

लेकिन चलने से पहले उसने साधना को अपनी कालिया से हुई मुलाकात के बारे में बता दिया था।

'सम्हल कर रहना दीदी।' उसने चलते हुए कहा था-'कालिया के गंडे जंगल में घूम रहे हैं मजदूरों के वेष में।' 'तू मेरी फिक्र मत कर।' साधना ने जवाब दिया-'अब मैं पहले की तरह असावधान नहीं रहूंगी। दिन में दो-चार आदिवासी औरतें आई थीं घास काटने के लिए। मैंने उनसे दोस्ती गांठ ली है। एक दो जनी हर वक्त बंगले के आसपास रहा करेंगीं।'

निकलते समय उसने देखा था उन आदिवासी औरतों को बंगले के पास घास काटते हुए। वह देखकर उसे सुरक्षा का साहस ही मिला था।

वह उन्हीं विचारोंमें लीन था कि जगमग सफेद कुर्ता-पाजामा पहने मेयर गिरीश चन्द्र शर्मा ने अन्दर प्रवेश किया। उनके पीछे पीछे उनका निजी सचिव था जयराम सेठी।
उसने उठकर नमस्कार किया।

'बैठो-बैठो भई।' मेयर ने हाथ के इशारे से उसे बैठने के लिए कहा, फिर स्वयं भी उसके सामने की कुर्सी पर बैठते हुए कहा-तो तुम्ही हो नए फारेस्ट आफिसर।'

'जी हां।'

'थोड़ा-बहुत सुना है मैंने तुम्हारे बारे में कि कालिया की भेजी हुई रिश्वत को ठकरा दिया है तुमने।' मेयर ने कहा-'चलो कोई फारेस्ट आफिसर तो आया जो सच्चाई की राह में छाती ठोंककर खड़े होने की हिम्मत रखता है। एक वह पिछले वाला था क्या नाम था सेठी उसका?'

'जी महतो सरन महतो।'

'हां सरन महतो। कालिया का कुत्ता ही बन गया था वह तो।' मेयर ने बुरा-सा मुंह बनाकर कहा। जैसे उस बात का जिक्र करना भी उसे पसन्द न हो। फिर धीरे से मुस्कराते हुए बोला-'लेकिन मुझे खुशी है कि तुमने कालिया का प्रस्ताव ठुकराने की हिम्मत तो दिखाई।'

'लेकिन उस हिम्मत की बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है सर, मुझे।'

'जानता हूं जानता हूं।' मेयर ने सिर हिलाते हुए कहा-'कल के उस घिनौने काण्ड के बारे में सुन चका हूं मैं। सच पूछो तो उसी बारे में बातचीत करने के लिए मेंने तुम्हें यहां बुलाया है। सेठी तुम जरा उन लोगों को फोन करके कहो तो सही कि मिस्टर केसरी आ गए हैं यहां।'

सेठी फोन की ओर बढ़ गया।
rajan
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केसरी की समझ में नहीं आया कि मेयर ने किन लोगों को फोन करके बुलाया है। लेकिन मेयर के सहयोग पूर्ण रुख से वह उत्साहित अवश्य हुआ था। उसी उत्साह में उसने कालिया से आज हुई मुलाकात के बारे में भी बता दिया।

'झापड़ मार दिया तुमने उसके। बहु आदमी है भी इसी लायक। लेकिन फिर भी मैं समझता हूं नौजवान कि तुम अगर अपनी भावनाओं पर काबू रखते तो ज्यादा बेहतर होता।'

'आप शायद ठीक कह रहे हैं। लेकिन सर, जिस नीचतापूर्ण प्रदर्शन पर वह उतर आया था उसमें अपने-आपको रोक पाना असम्भव था मेरे।'

'मैं जानता हूं कि कालिया कितना नीच आदमी है। फिर भी खैर जो हो गया सो हो गया। यह बताओ कि कल की घटना की रिपोर्ट लिखाई तुमने पुलिस में?' 'जी लिखानी तो चाहता था। लेकिन बाद में इरादा बदल दिया।'

'क्यों?'

केसरी ने उसे जो खूछ पुलिस स्टेशन इंचार्ज गजराजसिंह ने बताया था वह सबकुछ कह सुनाया। सिर्फ गजराजसिंह का नाम नहीं लिया।

'यह अच्छा नहीं किया तुमने।' मेयर बोला-'रिपोर्ट तो लिखा ही देनी चाहिए थी।'

'उसमें बदनामी तो अपनी ही होती।'

'तुम्हारी मजबूरी भी समझ रहा हूं मैं।' मेयर बोला-'खैर इस कालिया को इस बार सबक तो सिखाना ही होगा। इतना तुम समझ लो नौजवान कि अपनी इस लड़ाई में तुम अकेले नहीं हो। में तुम्हारे साथ हूं।' 'जी धन्यवाद।' इतने प्रभावशाली सहयोगी को पाकर उसने वाकई बहुत बड़ी राहत की सांस ली थी। फिर भी वह बोला-'लेकिन सर यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही कि आप जैसे व्यक्तियों के होते हुए यह कालिया जैसा आदमी यहां पनप कैसे गया।'

'राजनीति नौजवान, राजनीति। इस देश का बेड़ा गर्क कर दिया है यहां की गन्दी राजनीति ने। तुम क्या समझते हो
कालिया जो कुछ भी कर रहा है अपने दम खम पर कर रहा है। नही उसकी पुश्त पर बड़े-बड़े लोग हैं जिनकी बहुत ऊंची-ऊंची पहुंच है।' 'पहुंच तो आपकी भी बहुत ऊंची होगी सर।'

'है।' मेयर बोला-'लेकिन तुम शायद एक बात नहीं जानते गलत, आदमियों के रसूख ज्यादा पक्के और मजबूत होते हैं। मेरी ही मिमाल लो मैंने जब जनता द्वारा चुने जाने पर यह मेयर का पद सम्हाला तो न जाते कहां-कहां से लोग अपने उल्टे-सीधे काम कराने के लिए मेरे पास आने लगे। जब मैंने उन निहित स्वार्थियों को अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं होने दिया तो वे मेरे विरुद्ध हो गए। इस कालिया को भी मैंने ठीक करने की सोची थी। पिछले फारेस्ट आफिसर को बुलाकर मैंने पूछा था उमसे कालिया की गैर कानूनी गतिविधियों के बारे में। जानते हो उसने मुझे क्या जवाब दिया था।'

केसरी ने प्रश्नपूर्ण दृष्टि से मेयर की ओर देखा।

'उसने मुझसे कहा था कि मुझे गलत जानकारी मिली है।' मेयर बोला-'उसका कहना था कि कालिया का उससे कोई सम्बन्ध ही नही है। बाद में मुझे मालूम हुआ कि वह कालिया के आगे-पीछे चौबीसों घण्टे कुत्ते की तरह दुम हिलाता घूमता था। बताओ ऐसी हालत में मैं क्या कर सकता हूं। अगर उस आदमी ने मुझे सही बात बता दी होती। कुछ ठोस सबूत मुहैया कर दिए होते तो मैंने अब तक उसे ठीक कर दिया होता।'

'सुना है उसे कालिया ने ही मार डाला।'

'कहा तो यह जाता है कि किसी जंगली जानवर ने उसे मार डाला लेकिन बात तुम्हारी ही ठीक है। सब लोग जानते हैं कि उसकी हत्या की गई है और उसका जिम्मेदार कालिया है।' 'फिर भी कानून ने कालिया को नही पकड़ा?'

'कानून सबूत के विना कुछ नहीं कर सकता नौजवान। तुम कालिया के खिलाफ सबूत लाओ इस बारे में। फिर देखो अगर मैं कालिया को फांसी पर न चढ़वा दूं तो फिर कहना।'

बहू कुछ सोच में पड़ गया।

'लेकिन तुम घग्राओ नहीं।' मेयर बोला-'अगर तुम कालिया का मुकाबला करने के लिए तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ हूं।'

'मुकाबला करने को तो मैं तैयार हूं। लेकिन कालिया की वे घिनौनी हरकतें...।'

'उनका भी इन्तजाम हो जाएगा। अगर तुमने कल की घटना की रिपोर्ट लिखा दी होती तो हमारे हाथ और मजबूत होते। लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। मैंने यहां शहर के कुछ प्रतिष्ठित पत्रकारों को बुलाया है। तुम उन्हें अपनी सारी कहानी बताना।'

'उससे क्या होगा?'

'तुम्हारी कहानी उन लोगों के माध्यम से अखबारों में छपवाएगे, जनता उसे पढ़ेगी। उसमें चेतना आयेयी। हां, कालिया और उसके पृष्ठ पोषकों के खिलाफ जन चेतना को जगाना होगा। तभी बात बनेगी।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'लेकिन अगर कालिया ने पलटकर दीदी को बददाम करना शुरू कर दिया तो?'

'वह जरूर कुछ तकलीफदेह बात होगी।' कहते हुए मेयर कुछ सोच में पड़ गया फिर जैसे कोई अनहोनी-सी बात सूझ गई हो उसे। वह एकदम अपनी जांघ पर जोर से हाथ मारता हुआ बोला-'तब हम अपनी उस गलती का फायदा उठा लेंगे।'

'मैं कुछ समझा नहीं।'

फोरेस्ट आफिसर 'मैं रिपोर्ट न लिखाने की गलती की बात कर रहा हूं। हम डंके की चोट कहेंगे कि कालिया झूठ बोल रहा है। अगर ऐसा कुछ हुआ होता तो क्या हमने पुलिस में रिपोर्ट न लिखाई होती।

लेकिन अगर कालिया यह बात कह रहा है तो साफ जाहिर है कि वह ऐसे गन्दे इरादे रखता है। कल को बगर यह ऐसी गन्दी हरकत कर जाए तो कोई ताज्जुब नही। तुम फिक्र मत करो। कालिया या उसके साथी जो भी चाल चलेंगे मैं उनकी ऐसी काट करूगा कि उन्हें अपनी जान बचानी मुश्किल हो जाएयी। ऐसे हालात पैदा कर दूंगा कि खुद जनता कालिया का घिराव करके उसके कुकर्मों की सजा उसे देगी।'

'क्या ऐसा सम्भव है?'

'तुम जनता की शक्ति को नहीं जानते नौजवान। इसीलिए जायद इतने भ्रमित हो रहे हो। लेकिन मैं जनता की शक्ति को जानता भी हूं और पहचानता भी हूं। मुझे देखो। मेयर की जिस सीट पर मैं बैठा हूं वह क्या अपन बुद्धि बल के भरोसे।

अगर ऐसा समझते हो ता दस-प्रतिशत सही समझते हो। नब्बे प्रतिशत यहां बैठाया है मुझे जनता की शक्ति ने। यह जन-शक्ति ही है जिसने नुझे यहां बैठाया है या मुझे यहां से हटा देगी।'

'मेरी बुद्धि इतनी बड़ी-बड़ी बातें समझने में असमर्थ है।'

'कोई बात नहीं धीरे-धीरे समझ में आ जाएंगी। लेकिन मैं तुम्हारे भरोसे पर ओखली में सिर देने जा रहा हूं। कहीं ऐसा न हो कि ऐन वक्त पर तुम पीछे हट जाओ।'

'जो?'

'यही कि मैं कालिया के खिलाफ जन-आन्दोलन छेड़ दूं और तुम किसी वजह से घदराकर कालिया के साथ मिल जाओ तो जन-शक्ति मुझे कभी माफ नहीं करेगी।'

ऐमा कमी नदी होगा सर।' वह दृढ़ स्वर में बोला। 'तो समझो ग्के आज से धर्म-युद्ध छिड़ गया। विजय निश्चित रूप से हमारी द्री होगी।'

कुछ देर बाद ही पांचा-छ: पत्रकार आ गए और वह उन्हें यहां आने के बाद आ घटनाओं का विवरण देने लगा। जैसा कि तय था बलात्कार की कोशिग वाला किस्सा उसने नहीं बताया।

'इस छोकरे को तो मैं अब जिन्दा नहीं छोड़ेगा। साले ने इतने आदमियों के बीच मेरे मुंह पर थप्पड़ मार दिया?'

'समझदारी से काम लो कालिया?'

'समझदारी काम न लेता जगन सेठ तो यूं थप्पड़ खाकर चुपचाप न चला आता। साले को वहीं चीरकर फेंक देता।'

जंगल से सीधा जगन सेठ के दफ्तर में आया था कालिया। अपना यह निर्णय सुनाने के लिए कि यह नए फारेस्ट आफिसर मामूली तरीकों से काबू में आने वाला नहीं है और अब इसे काबू में करने की कोई जरूरत भी नहीं है। पिछले फारेस्ट आफिसर की तरह इसे भी ठिकाने लगाना होगा। कालिया पर हाथ उठाने वाला जिन्दा नहीं बच सकता।

सारी बात सुनने के बाद जगन सेठ ने उसे समझाने के से ढंग से कहा-'उत्तेजना में कभी भी कोई ढंग की बात नहीं सोचो जा सकती। पहले तो तुम अपना गुस्सा ठण्डा करो।'

'यह गुस्सा जगन सेठ पानी से नहीं अब उसका लहू पीकर ही ठण्डा होगा।'

'बच्चों जैसी बातें करने से कोई फायदा नहीं है। सारी गलती तुम्हारी है। मुझे लगता है कि ज्यों-ज्यों तुम्हारी उम्र बढ़ती जा रही हए त्यों-त्यौं तुम्हारी अक्ल सठियाती जा रही है।'

'तुम मेरी गलती बता रहे हो जगन सेठ।' कालिया ने आश्चर्य मिश्रित क्रोध के साथ कहा-'मैंने तो उसके आते ही भैरों को भेंट पूजा के साथ भेज दिया था। बड़ी प्यारी और खुशामद-भरी चिट्ठी लिखी थी। जिसका जवाव उमने दिया कि मेरे सिर पर खड़ा होकर बंसरी बजाएगा। दो टके के फोरेस्ट आफिसर सरकारी नौकर की हिम्मत देखी।'

'गलती तुम्हारी ही है। उसने अभी यहां आकर सामान भी नही रखा था कि तुम शुरू हो गए।' 'कोई नई बात तो की नहीं थी मैंने। हमेशा ही ऐसा करता आया हूं और काम कर रहा हू। अपने इन्हीं तरीकों से अब तक जितने भी फारेस्ट आफिसर आए सबको अपनी जेब में लिए घूमता था।'

'जरूरी नहीं कि जो तरीका अब तक कामयाब रहा है वह हमेशा ही कामयाब रहेगा। मौका माहौल देखकर तरीके वदलने भी पड़ते हैं।'

'तरीका तो बदलूंगा ही जगन सेठ। अच्छी तरह देख लिया है कि सीधी उंगलियों से धी नहीं निकलेगा। अब तो टेढ़ी उंगलियों से ही घी निकालना पड़ेगा।'

'अब तक जो हुआ सो हुआ। अब यह टेढ़ी-सीधी उंगलियों की बात छोड़ो और जैसा मैं कहता हूं वैसा करो।'

कालिया ने प्रश्नपूर्ण दृष्टि से जगन सेठ की ओर देखा।

जगन सेठ ने मेज पर से पेपरवेट उठाया और उसे हाथों में घुमाते हुए बोला-'कुछ दिन उस फारेस्ट आफिसर की ओर ध्यान मन दो। जो वो करता है उसे करने दो।'

'फिर?'

'फिर जैसा मोका होगा देखा जाएगा। मैं आज कल में ही कमिश्नर से बात करता हूं। उसे ऐसे कानूनी चक्कर में फंसाऊंगा कि फिरकनी बनकर घूम जाएगा।' 'तुम उस तरकीबई के चक्कर मे हो जगन सेठ कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।' 'यही तो दुनिया की सबसे बढिया तरकीब मानी गई है।'

'तब तक ही जब तक मुंह पर झापड़ नहीं पड़ता। मेरे मुंह पर झापड़ पड़ा है जगन सेठ। इस सांप को तो मैं मालूगा ही और यह बताकर मारूंगा कि यह लाठी मेरी है।' 'बेवकूफी की बातें मत करो।'

'यह वेवकूफी की बात नहीं है जगन सेठ। झापड़ मेरे मुंह पर पड़ा है अरि इसका जवाब भी मुझे ही देना होगा। अगर जवाब नहीं दिया तो शहर की सारी जनता थूकेगी मुझ पर। कहेगी कालिया साला नपुंसक हो गया है।'

'कालिया।' 'नहीं जगन सेठ तुम खतरे को नहीं पहचान रहे हो। आज तो एक ही झापड़ पड़ा है ना, अगर वक्त रहते इसका जोरदार जवाब नही दिया तो इस शहर में झापड़ मारने वाले न जाने कितने हाथ उठ खड़े होंगे।

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