Incest सपना-या-हकीकत

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 34

अब तक

बुआ - चलिये देख्ते है ,,, मेरी जवानी के आगे अच्छे अच्छे पानी भरे है तो एक बार भईया भी सही
मा - एक बार ले के देखो अपने भैया का ,, जिजा जी को भी भूल जाओगी हीहीहि
इधर मै उन लोगो की बाते और रात मे छत पर होने वाले रोमांच से बहुत उत्तेजित होने लगा था और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा

अब आगे
बुआ की नजर मेरे खड़े हुए लण्ड पर गयी तो बोली

बुआ - अरे भाभी लगता है कि अभी भी राज को आराम नही मिला है
मा ने घूम कर मुझे देखा और फिर मेरे खड़े लण्ड पर घुमाई
मा - आईये दीदी एक बार आप ही कोसिस कर लिजीये हीहीहि

बुआ - नही भाभी मुझसे रहा नही जायेगा अगर मैने राज का लण्ड छू लिया तो बिना चुत मे लिये मै रह नही पाऊंगी
मा - तो चुत मे ही लेलो ना दीदी वो तो आपका भी बेटा है ना ,,,,
बुआ - सच भाभी तो क्या मै
मा - हा दीदी मै समझ रही हू कैसे आपने 4 दिनो से खुद को रोका हुआ है मै भी एक औरत हू
मा की बाते सुन कर मै और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था ,,,कि मेरी मा मेरे लिये खुद चुत लेके आ रही है
बुआ उठी और मेरे दुसरे साइड बैठ गई
बुआ - भाभी आप भी आओ ना मिल कर करते है
मा - नही दिदी आप करिये मै देखूँगी वहा बैठ कर ,, कही कोई आ गया अचानक से तो

बुआ - ठीक है भाभी
फिर मा उठ कर स्टूल पर बैठ गई और बुआ ने मेरे लण्ड को मुथ्थी मे कस लिया
मै गरदन उपर करके देखा तो बुआ मेरे बगल मे बैठि मेरे लण्ड को पकडे सहला रही थी।
मै - बुआ जल्दी करो ना
बुआ मुस्कुराने लगी और झुक कर मेरे तरफ देखते हूए मुह मे लण्ड भर लिया

एक बार फिर मै आनन्द के सागर मे डूब गया ,,, बुआ भी मा के जैसे भर भर लण्ड को गले तक लेने लगी कारिब दो मिंट बाद बुआ उठी और बिस्तर पर चढ़ गई और घाघरे को उठा लिया ,,,अंदर बुआ ने कुछ नही पहना था और झुक कर मेरे लण्ड को अपनी चुत के होटों मे सेट करने लगी , जैसे ही मेरा सुपाड़ा बुआ की चुत के छेद पर सेट हुआ तो बुआ घ्प्प से मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गयी और कूदने लगी

बुआ - आह्हह भाभी कित्ना गर्म लण्ड है राज का
मा - लेलो मज़ा ननद रानी ,, मायके का लण्ड नसिब वालो को ही मिलता है
बुआ - हा भाभी आह्हह आह्हह बहुत मज़ा आ रहा है आह्हह
बुआ तेज़ी से घ्प्प घ्प्प करके मेरे लण्ड पर उपर निचे हो रही थी ,जिससे बिना ब्रा के उनकी चुचिया टीशर्ट मे बहुत उछल रही थी ।
मा - अरे अब तो दर्शन करा दो अपने भतीजे को उसके मनपसंद चुचो के हीहीहि

बुआ - हा भाभी क्यू नही ,,,अह्ह्जहहह उम्म्ंम्ं क्यू लल्ल्ल्लाआअह्ह्ह देखेगा मेरे चुचो को

मै - हा बुआ मै तो कबसे चूसना चाहता हूँ आपके चुचे
फिर बुआ ने अपने टीशर्ट निकाल दिया जिससे उनके 42 साइज़ के मोटे चुचे हवा मे उछ्ल्ने लगे । फीर बुआ मे दोनो हाथों मे अपने चुचो को पकड़ा और वापस से मेरे लण्ड पर कूदने लगी ।
मुझसे बुआ की झुल्ती चुचिया देखी नही गई और मै बार बार हाथ उपर कर उनके चुचो को पकड़ने की कोसिस करने ल्गा लेकिन बुआ लगातर मेरे लण्ड पर उछले जा रही थी जिससे मेरे हाथ उनकी चुचे तक नही जा पा रहे थे ।
जब बुआ ने देखा की मै उनकी चुचे के लिए तडप रहा हू तो वो खुद अपने हाथो के बल मेरे उपर झुक गई और मैने लपक कर बुआ के चूचे पकड लिया और मुह मे भर कर चूसने ल्गा

बुआ - आह्ह्ह्ह लल्ला आराम से चुस अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मै भाग थोडी रही हू
मा - रहम मत करना राज थोड़ा भी ,,, आज दिखा दे अपने लण्ड का जलवा ,,,, फाड देना अपनी बुआ की चुत को
मै - हा मा ,,, अभी देखो क्या कर रहा हू ,,,आप तैयार हो ना बुआ चुद्ने के लिए
बुआ - हा बेटा अब चोद दे जल्दी से ,,,, अह्ह्ह्ह उम्म्ंम बहुत जोर से चुस्ता है रे तू ,,, लाल कर दी तुने
मा - अभी इसके पापा भी चुसेगे आपको मेरी शिला रानी ,,,वो तो इससे भी तेज मरोडते है निप्प्ल को ,,,
बुआ - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम खा जा बेटा और चुस ,ये ले हाआ अह्ह्ज्ज उम्मममंं अह्ह्ह्ह्ह

अब मैने अपनी पोजिसन बदली और बुआ को थोडा आगे कर उनको घुटनो के बल अपनी तरफ झुका लिया और अपने जांघो को खोल के बुआ के चुतडो को पकड़ा और निचे से चोद्ना शुरू कर दिया ।
बुआ - अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह मज़ा आ गया मेरे लाल अह्ह्ज्ज उन्मममंं हा बेटा चोद और तेज और तेज अह्ह्ह्ह्ह औह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं और तेज आह्हह आह्हह
रुकना मत बेटा बस फाड मेरी चुत को
मै बीना कुछ बोले बुआ की चूची को मुह मे भरे उनकी मोटी गान्द को फैलाये निचे से कमर उठा कर घपाघप चोदे जा रहा था औ थप थप थप थप के साथ बुआ की सिसकियाँ की आवाजो से कमरा भर गया ।

करीब 5 मिंट तक ऐसे ही लगातार चोद्ने के बाद बुआ मेरे उपर अकड़ने लगी ,,, और तेज़ी मेरे लण्ड पर झडने लगी और उनकी चुत का पानी मेरे आड़ो से होकर बेडशिट पर गिरने लगा । बुआ के झडने से फच्च फच्च की आवाजे आने लगी क्योकि मै अभी झड़ा नही था और लागातार उसी पोजिसन मे चोदे जा रहा था

बुआ - अह्ह्ह्ह बेटा रुक जा मै झड़ गयी हू थोदा सा रुक जा ना
मा - क्या हुआ दीदी अभी तो राज ने शुरु बस किया था ,,,लगता है 4 दिन बाद लण्ड मिलने से जल्दी झड़ गई ।

अब मा को क्या पता कि बुआ क्यू थक गई थी ,,, अभी तो बुआ 2 बार चाचा से चुदी फिर मुझसे तो कहा से ताकत बचती ।

मै - मा आप आजाओ ना मेरा ब्स निकलने वाला है
मा - बेटा मै अभी नही आ सकती कोई आ जायेगा ऐसा कर तू खड़ा हो कर हिला ले मै चुस कर साफ कर दूँगी ।

फिर मै जल्दी से बिस्तर से उतर कर खड़ा हुआ और तब तक मा मेरे कदमो मे लण्ड के निचे आ गयी और मैने भी उनके चेहरे के उपर लण्ड हिलाने लगा

मा - जल्दी आओ दीदी अपनी मेहनत का फल तो लेलो

बुआ भी झटके मे उठी और मा के बगल मे मेरे लण्ड के निचे आ गई।

मै लण्ड हिलाते हुए - अह्ह्ह्ज्ज माआआ आह्ह्ह्ह निकलने वाला है
तभी मा और बुआ ने अपने गाल आपसे मे सटा लिये और जीभ को बाहर निकाल लिया माल लेने के लिए, मै भी आगे बढ़ कर लण्ड को उनकी जीभ पर रख कर हिलाने ल्गा और कुछ झटको मे मै दोनो के जीभ पर झडने ल्गा ,,, जब मेरा लण्ड झटका देना बन्द कर दिया तब बुआ और मा अपनी जीभ अंदर कर माल पी गयी और बुआ ने लपक कर मेर लण्ड मुह मे लेकर बचा कुचा माल भी साफ कर दी ।
फिर वो दोनो उठी और मा दुकान मे चली गयी ,, 10 मिंट बाद मै और बुआ भी अपने कपडे ठीक कर बाहर आये ।

मा - क्यू दिदी अब तो खुश हो ना आप ,,, और तू राज तू भी सिख गया ना
मै - हा मा थैंक यू
बुआ - थैंक्स भाभी आप बहुत अच्छी है मेरा कितना ख्याल रखती है ।

मा - अरे दीदी अब घर के लोग नही ख्याल रखेंगे तो कौन रखेगा ।

मा - वैसे मज़ा आया ना
मै - हा मा बहुत ज्यादा
बुआ - बेटा चुदाई का मज़ा होता ही अलग है हिहिहिही

ऐसे ही हम लोगो मे बाते हुई शाम को मा ने मुझे करीम के यहा से कपडे लेने को भेज दिया ,, मै भी वो कपडे लेते आया । शाम को 5 बजे ही पापा भी एक बैग मे मिठाई और कुछ सामान लेके आ गये ।
उस समय मा उपर थी और मै दुकान मे बैठा था,,, और बुआ बहुत थकी थी तो पापा के कमरे मे कुलर चला के सो गयी थी ।

मै - अरे पापा आज इतना जल्दी
पापा - हा बेटा वो कल के लिए मिठाई है और तेरी दोनो बुआ के लिए तोहफा भी है ,,, बाकि लोग कहा है

मै - मा और दीदी उपर है , अनुज बाहर खेलने गया है और बुआ अन्दर सोयी है ,

बुआ के बारे मे सुन्ते ही पापा के चेहरे खिल उठे ।
पापा - ये सामान रख दे मै जरा दिदी से मिल लू
मै समझ गया पापा बुआ को नये ड्रेस मे सोया हुआ पाकर मस्ती जरुर करेंगे ,,,
इसी लिये पापा के अन्दर जाते ही मै भी खिडकी के पास गया और पर्दे के कोने से देखने ल्गा ।
अन्दर बुआ बिंदास सोयी हुई थी । उनकी जान्घे फ़ोल्ड थी जिससे बुआ का घाघरा घुटनो तक उठा था अगर कोई झुक कर देखता तो उसको बुआ की चुत दिख जाती । बुआ की चूचिया बिना ब्रा के वजह से टीशर्ट मे दोनो तरफ फैली हुई थी और उनका नाभि दिख रहा था ।

और बुआ को देख के पापा चढ़ढे के उपर से लण्ड सहलाने लगे थे
मै पापा के आगे बढने के इंतज़ार मे था ,, और पापा आगे बढ़े और झुक कर जमीन पर बैठ और बुआ के स्कर्ट मे झाका ,,,, और उनको बुआ की चुत साफ नजर आने लगी ।

पापा के चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था की वो कितने खुश है ।
फिर पापा उठे और बुआ के पैर को चुमा और बाहर आने लगे मै जल्दी से अपनी जगह पर आकर पापा का लाया झोला देखने ल्गा कि क्या क्या सामान है ,,, इतने मे अनुज आया बाहर से और मुझे झोले से मिठाई निकालते देख चिल्लाता हुआ मेरे पास आ गया
अनुज - भैया मुझे भी चाहिये ,,क्या क्या लाये हो पापा ,,,
पापा - अरे बेटा सब तुम्ही लोगो के लिए है आराम से खाओ
अनुज तेज आवाज मे खुसी से बोला - अरे वाआअह मेरे लिए गिफ्ट ,,,थैंक्स पापा

पापा - नही बेटा वो तेरा नही है तेरी बुआ के लिए है

तभी बुआ कमरे से बाहर आती हुई - मेरे लिये क्या भैया
शायद अनुज के शोर गुल से जग गयी होगी

बुआ की आवाज सुनते ही सबकी नजर बुआ पर गयी ,,,,
फिर पापा ने वो गिफ्ट उठा कर बुआ को दे दिया
पापा - हा आपके लिये दीदी ये लिजीये ,,, और अनुज बेटा ये सारा सामान छत पर लेके चले जाओ ।

बुआ - इसकी क्या जरुरत थी भैया ,, वैसे इसमे है क्या
पापा - खुद खोल के देख लिजीये
बुआ जल्दी जल्दी खोलने लगी

पापा - अरे यहा नही कमरे में चलिये
फिर वो दोनो कमरे मे चले और थोडी देर बाद बुआ की आवाज आई । मै वही दुकान मे बैठा रहा

बुआ - भईया ये क्या है
पापा - क्यू पसंद नही आया क्या मेरा गिफ्ट
बुआ - धत्त अपनी बहन को कोई ये सब देता है
मै सोचने ल्गा कि ऐसा क्या दे दिया पापा ने
पापा - परसो आपके पास थे नही तो सोचा क्यू ना मै खुद एक अपनी पसन्द का लेलू और नाप था मेरे पास तो कोई दिक्कत नही हुई ।

बुआ - हा लेकिन क्या फायदा आप देख ही नही पाओगे हीहीहि
पापा - आप चाहोगे तो वो भी हो सकता है।
बुआ - कैसे
पापा - यही पर ट्राई कर लो और दिखा दो
बुआ - धत्त आपके सामने
पापा - हा तो मुझे ही तो देखना है ना
बुआ - ऐसे कैसे,, राज बाहर है और मैने अन्दर कुछ पहना भी नही है
पापा - राज नही अयेगा दीदी और वैसे भी इसको पहनने के लिए आप जो पहनी होती उसे भी निकालन पड़ता ना

मै सारी बाते सुने जा रहा था मेरे ख्याल मे लग रहा था कि पापा बुआ के लिए कोई अंडरगार्मेंट्स लाये थे ।
बुआ - भईया कल पहन लुंगी ना ,,, वैसे भी अभी शाम हो गयी है ।

पापा - अच्छा ठीक है लेकिन दिखाना पडेगा
बुआ - हिहिहिही ठीक है बाबा दिखा दूँगी अब खुश
पापा - हम्म्म ठीक
पापा - वैसे सच मे आपने कुच नही पहना
बुआ - क्यू अब क्या बिना कपड़ो के देखना है क्या हिहिहिही
पापा - कहा ऐसी किस्मत दीदी जो आपको
बुआ - धत्त भईया आप भी ना , चलो मै जा रही हू छत पर कुछ काम कर लू भाभी को भी कल के लिए पैकिंग करनी है ना

पापा - ठीक है दीदी चलो मै भी छत पर टहलने जा रहा हू ।
फिर पापा और बुआ बात करते हुए निकले और दोनो छत पर चले गये ।
इसी बीच मुझे चंदू का फोन आया और मै उससे बात करने लगा ।

फोन पर
मै - अबे साले कहा था तू ,,,
चंदू - यार मै मामा के यहा आया हू
मै - तो भोस्डी के बता के नही जा सकता था
चंदू - सॉरी यार वो अचानक से प्लान बन गया मामा का पैर की एड़ी मे फैकचर हुआ था बहुत पहले ही वो फिर से उभर गया ,, और बता मैने जो बोला था वो ट्राई किया की नही ,,,
मै - क्या बोला था क्लियर बोल न
चंदू - अबे वो जो स्टोरी दी थी और बोला था कि फॉलो करना वैसे ,,,
मै - मै कैसे मान लू कि सही बोल रहा था तू ,,, वीडियो भेजने वाला था ना ,,,,साले एक नम्बर का झुठा है
चंदू - अरे भाई मैने तो भेजा था उसी दिन ,, उसमे मेरी बहन के साथ वाला ही था ,,,

मै - अबे साले आया होता तो मै देखता नही ,,, फिर से भेज अब
चंदू - रुक अभी भेज रहा हू
मै - ठीक है वैसे वहा भी तेरी मौज ही होगी
चंदू - साले घन्टा मौज जबसे आया हूँ मा मुझे छूने नही देती हैं और हमेशा मामा की सेवा मे लगी रहती हैं,,, और तो और दिन मे रोज उसी से चुदवा लेती हैं सालि रन्डी

मै - लेकिन तेरे मामा के पैर मे फैकचर है ना
चंदू - अबे पैर मे है उसके लौडे मे थोडी है ,, सालि मुझे बोलती है कि यहा किसी को हमारे बारे मे पता ना चले और खुद उछल उछल के लण्ड लेती हैं ।

मै - और मामी नही है क्या
चंदू - भाई मामी पेट से है 7वा महिना हो गया है ना
मै - फिर उसकी कोई बेटी को फसा ले
चंदू - हा यही करना पडेगा तभी मै मामा से बदला ले पाऊन्गा ,,, बहन्चोद ने मेरी मा को दूर किया मुझसे

मै चंदू के जज्बाती बातो से बहुत हस रहा था और फिर थोडी देर बाद मैने उसको विदियो भेजने का बोल कर कॉल कट कर दिया ।

रात मे 8 बजे तक मै भी दुकान बंद करके उपर गया और मोबाइल दिदी को देके बोला चार्ज मे लगा दो ,,, फिर हम लोग खाना खाने बैठ गए ।


देखते है आने वाली रात क्या नया रोमांच लेकर आती है । आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा ।
rajan
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Update 35

अब तक

मै चंदू के जज्बाती बातो से बहुत हस रहा था और फिर थोडी देर बाद मैने उसको विदियो भेजने का बोल कर कॉल कट कर दिया ।
रात मे 8 बजे तक मै भी दुकान बंद करके उपर गया और मोबाइल दिदी को देके बोला चार्ज मे लगा दो ,,, फिर हम लोग खाना खाने बैठ गए ।
अब आगे

हम सब लोग एक साथ खाना खाने बैठ गये 6 चेयर वाले टेबल पर । पापा बुआ के बगल मे , बुआ के बगल मे अनुज , अनुज के बगल वाली सीट खाली थी , उसके बाद मै और फिर मेरे बाद मा बैठि थी जो पापा के दुसरे साइड बैठी थी ।
फिर दिदी ने सारा खाना पानी टेबल पर रखा फिर मेरे और अनुज के बीच बैठने के लिए चेयर खीचा दीदी ने तो मैने अपना हाथ उल्टा कर चेयर पर रख दिया ,,, और दीदी को तिरछी आँखो से इशारा करते हुए मेरे हाथ पर बैठने को कहा ,, बदले मे दीदी मुसकुराते हुए एक मुक्का मेरे कन्धे पे मारा और मेरा हाथ हटते ही तुरंत बैठ गयी ,,, और मुस्कुराते हुए खुद की प्लेट मे खाना निकालने लगी ।
दीदी ने इस समय एक काटन का पटियाला सूट सलवार पहना था। वो ज्यादतर सिम्पल ड्रेस ही पहना करती थी ।
मै भी खाना निकाला और खाना शुरू कर दिया। मैने एक नजर मा की तरफ देखा तो वो पापा से कुछ इशारे कर रही थी और खाना भी खा रही थी ।
इसी बीच मैने अपना पैर चप्पल से निकाला और चुपचाप दीदी के पैर के उपर रख दिया,,,, और तिरछी नजर से दीदी को देखा तो उनकी आंखे बड़ी हो गई थी और मुह मे निवाला रुक गया था ।
मै भी मज़े लेटे हुए

मै - अरे दीदी क्या सोच रही हो खाओ ना
दीदी हड़बड़ा जाती है और मुझे हसी आ जाती
पापा - क्या हुआ सोनल कोई दीक्कत तो नही है न बेटा
दीदी - नही पापा खा तो रही हू और मेरी जान्ध पर चींटी काटती है

मै -उह्ह्ह्ह्ह क्या कर रही हो दीदी ,,,मै उनकी तरफ झुक कर फुसफुसाया
दीदी ने अपने पैर पर रखे मेरे पैर को दिखाया
मैने वापस अपना पैर हटा लिया और दीदी मुस्कुराने लगी ।
फिर ऐसे ही मस्ती मे हमलोगो ने खाना खाया और छत पर चले गए ।
छत पर
एक बड़ी चटाई बिछायी गयी ,, जिसपे एक साइड मे पापा लेट गये ,, उनके बगल मे मा बैठी और अनुज मा क गोद मे लेट गया, बुआ मा के बगल मे थी और मै दीदी छत पर चार दिवारी से दुसरी तरफ देख रहे थे । एकदम हल्की चांदनी रात थी ,,,, आसमान मे जुगनु और तारे थे ।

पापा - तब कल के लिए पैकिंग हो गई रगिनी
मा - हा जी हो गई है
पापा - तब कब से निकलना है
मा - सुबह 9 बजे तक

मै की बात सुनते ही दीदी का हाथ पकड लिया
दिदी धिमी आवाज मे - क्या कर रहा राज सब यही है
मै - दीदी कल मै चला जाऊंगा दो दिन के लिए
दीदी - तो वापस तो आयेगा ना
मै - लेकिन आपकी याद आयेगी ना और मै तड़पुँगा आपके लिए
दीदी - अच्छा जी तो क्या करूं कि आप ना तडपो ,मै भी चलू
मै - नही उसकी जरुरत नहीं है,, एक चुम्मे से भी काम चल जायेगा ,,,
दीदी - पागल है क्या देख नही रहा यही सब है ।
मै - इधर नही वो जीने के दुसरी तरफ चलो टहलते हूए ,,बस एक किस्स और वापस आ जायेंगे
दीदी - क्या कह रहा है तू कोई देख लेगा तो आज ही शुरू हुई लव स्टोरी का the end हो जायेगा

मै - प्लीज ना प्लीज ,,,मै जा रहा हूं अगर मेरे से प्यार करते हो तो जीने की तरफ आ जाना
फिर मै धीरे धीरे जीने की तरफ पीछे चला गया ।
इधर मा पापा और बुआ आपस मे बाते किये जा रहे थे नॉर्मल ही ।

मैं बेचैनी से दीदी का इन्तजार कर रहा था और करीब 2 मिंट बाद दीदी मेरी तरफ आने लगी ,,मै खुश हो गया
दीदी - ये क्या पागलपन है राज , कब तक तू ऐसे मेरे प्यार की परीक्षा लेगा भाई ,,,आखिर कब तू ये सम.....
इससे पहले दीदी कुछ और ज्ञान देती मैने लपक कर दीदी के होटो को अपने होटों से जोड लिया और चूसने लगा और फिर दीदी ने भी मेरा साथ देने लगी,,,मैने उनकी मुलायम कमर मे हाथ डाला और अपने करीब लाकर अपने जीभ को उन्के मुह डाल दिया और दीदी मेरे जीभ को चूसने लगी । फिर मै उनके होठो से हट कर उनको खुद से चिपकाये हुए उनके मुलायम चिकनी गालो को चूमने लगा और धीरे धीरे उनके कान को जीभ से स्पर्श करने ल्गा , जिससे दीदी की सांसे नशीली होने लगी और उनके हाथ मेरे पीठ और कमर पर रेगने लगे ,,, कान से होते हुए मैने उनकी सुराहिदार गले की खुस्बू को सूंघते हुए उनके कंधे पर अपनी नाक और होठ रगड़ने लगा ,, दीदी पुरे जोर से मुझे अपने आप से चिपकाये हुए बहुत ही हल्की और बेहद नशीली आहे भरते हुए सिसक रही थी । फिर मैने उनको एक जोरदार किस्स्स करके छोड दिया और वापस टहलने लगा जबकि दीदी वही जिने की दीवाल के सहारे सांसे बराबर रही थी । मै एक नजर पापा की तरफ डाली और वापस टहलते हुए दीदी के पास गया और देखा दीदी दीवाल से टिक कर आंखे बन्द किये सांसे ले रही है तो मै वापस से झुक कर दीदी के होठो को चूसने लगा । मेरे होठ जैसे ही दीदी के नरम होठो को छुते है दीदी लपक कर मेरे उपरी होठ को दबा लेती है और चूसने लगती है । मैने दिदी के दोनो हाथों को पकड कर दीवाल पर उपर टिका के जोरदार और गहरी किस्सिंग करने ल्गा ,,,हम दोनो एक दुसरे की होठो को चुस्ते हुए एक दूसरे की जीभ को चूसना चाह रहे थे । थोडी देर बाद मै फिर अलग हुआ तो दीदी मेरे सीने से लिप्त कर मुझे गले लगा लिया
दिदी - आई लव यू सो मच भाई ,,, आई लव यू
मै - आई लव यू टू दीदी ,,,
दीदी - भाई मै भी चलू कल मामा के यहा ,,,मेरा मन नही लगेगा यहा अकेले तो
मै - नही दीदी मै दो दिन मे आ जाऊंगा ना ,,, थोडा तडपना भी चाहिये प्यार मे
दीदी - मुझे बहुत याद आयेगी तेरी
मै - मै जलदी आ जाऊंगा
फिर हम लोग अलग हुए और टहलते हुए मा पापा की तरफ चले गये ।मै दीदी को अपनी तरफ पूरी तरह से लुभा चूका था और वो धीरे धीरे मेरे जिस्मानी हरकतो के लिए पागल होने लगी ।

मा - सोनल अनुज को लिवा जा ये सो रहा है यहा
दीदी - ठीक है मा ,, चल अनुज निचे चलते हैं
मा - राज तू कहा सोयेगा बेटा
मै - जहा आप लोग सोवोगे
मा - मै तो यही सोऊंगी आज
मै - तो मै भी यही सो जाता हू
फिर मै बुआ के बगल मे लेट गया और दिदी अनुज को लिवा के निचे चली गई ।

बुआ - चलो भाभी लेट जाओ ऐसे ही बाते करनी ही है ना
मा - हा दीदी सही कह रही है
फिर बुआ मेरे बगल मे और मा बुआ और पापा के बीच मे लेट गयी ।

बुआ - अरे भाभी आपको गर्मी नही लग रही है क्या आप साडी पहनी हो
मा - गर्मी तो है दीदी
पापा - अरे तो साडी निकाल दो ना रागिनी ,,,
मा - हा ठीक है रुकिये
फिर मा खड़ी होती है और अपनी साडी निकाल लेती है साथ मे ब्लाउज भी क्योकि मा ने ब्रा पहन रखा था ।
मा अब पेतिकोट ब्रा मे आ गई थी उनकी कसी चुचियो को देखकर लण्ड अंगड़ाई लेने ल्गा । फिर मा लेट गई और मै बुआ की तरफ करवट लेके घूम गया ताकि होने वाली घटनाओ पर नजर डालें रखु ।
इधर पापा मेरे सोने का इन्तेजार कर रहे थे और मैने धीरे धीरे बुआ की चुचिया टीशर्त मे हाथ डाल के सहलाए जा रहा था जिससे हल्का हल्का बुआ नशे में जाने लगी थी ।
बिच मे पापा और बुआ अपने बचपन की बाते मा को बता रहे थे । कारिब 20 मिंट बाद पापा - राज सो गया दीदी
बुआ जानती थी कि मै जाग रहा हू और उनकी चुचे को सहला रहा हू ।
बुआ - हा भैया सो गया है ये तो
पापा - रगिनी जानती हो बचपन मे मै जंगी और क्म्मो, दीदी के उपर ही सो जाते थे
मा - अच्छा सच मे क्या दीदी
बुआ - हा भाईया और आप वो क्यू नही बताते की आप मुझे भैस बोल कर क्यू चिदाते थे ,,वो भी बताओ ना अपनी शरारते कौन ब्तायेगा

मा - क्या जी आप भी ऐसे कोई बोल्ता है अपनी दीदी को
पापा - वो मैने नही रखा था नाम ,, वो तो ह्मारे मामा का लड़का लखना ने रखा था
मा - अरे लेकिन क्यू
पापा - वो कहता था कि दीदी का पिछ्वाडा चलने पर भैस जैसा हिलता है और दूध भी भैस की थन जैसी है

मा - हा वैसे बात तो ठीक बोला था वो
बुआ - क्या भाभी आप भी
मा - क्यू कौन सा गलत बोला था वो एकदम सही बोला हिहिहिही
पापा - अरे दीदी मै तो भूल ही गया
बुआ - क्या भैया
पापा - वो शर्त जो जीत था मै
बुआ - अरे हा ,,मागो भैया क्या चाहिये आपको
पापा - वो मुझे आज फिर से बचपन की तरह आपके उपर सोना है
मा - क्या जी आप भी ,,राज यही है कुछ तो लिहाज करो

बुआ - कोई बात नहीं भाभी वो सो गया ,, वैसे भी भईया शर्त जीते है तो
इस समय मै बुआ के नंगे पेट को सहला रहा था
पापा - तो क्या मै आ जाऊ दीदी
बुआ - हा भैया आ जाओ ना ,,बचपन की यादे ताज़ा हो जायेगी ,,,
अब पापा मा और बुआ के बिच आ गये ।

मै अब और ज्यादा उत्तेजीत होने ल्गा कि अब जल्द ही पापा बुआ की गर्म चुत में लण्ड डालेंगे ।
बुआ ने मेरा हाथ अपने पेट से हटा दिया क्योकि वो नही चाहती थी कि किसी को पता चले मै जाग रहा हूँ ।

मा - तो जी कैसे सोते थे आप दीदी के उपर
पापा - दीदी को पहले पेट के बल सोने की आदत पड़ गई थी और मै जब दीदी को सोते देखता तो इनके पीठ पर सोकर हाथ आगे ले जाकर कस कर पकड लेता था ।

मा - क्या सच मे दीदी
बुआ - हा भाभी और कभी कभी तो सिर्फ अंडरवियर मे ही उपर चढ़ जाता था
मा - सच मे आप आज भी वैसे ही हो शरारती
बुआ - वो कैसे भाभी
मा - अरे आपके जाने के बाद अब मेरे ऊपर पीछे से चढ़ कर सोते हुए हाथ आगे ले जाकर मुझे परेशान करते है ।
बुआ - हीहीहि सच मे क्या भाभी
मा - अरे उतना करते तो ठीक था
बुआ - अच्छा ऐसा क्या करते है
फिर मा उठ कर बैठ गई
मा - रुकिये मै इन्ही से करवा के बताती हू आप जरा पेट के बल एक पैर फ़ोल्ड करके सोईए और दोनो हाथो को सर के निचे कर लिजीये ।
मा के बताये अनुसार बुआ ने करवट लेकर गान्ड उथाये वैसे ही लेट गयी और मा की तरफ चेहरा कर जिससे उनकी एक चुची भी उसी तरफ चटाई पर फैल गये जिस तरफ बुआ का चेहरा था ।
मा - चलिये जी अब आप दिदी के उपर आ जाईये ।
फिर पापा उठे इस समय वो एक जांघिये बनियान मे थे और दोनो पैर बुआ की कमर के दोनो तरफ रखा और धीरे-धीरे बुआ की उठी गाड़ पर लण्ड को रख के बुआ के उपर आ गये और बुआ के चेहरे पर अपना चेहरा रखा

मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये

पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 36

अब तक

मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये

पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।

अब आगे
मै कनअखियों से लगातार मा पापा और बुआ के हरकतो और उनकी बातो पर नजर बनाये थे ।
चुकि बुआ तो जानती थी कि मै जग रहा हू और मा को मेरे जागने या सोने से कोई दिक्कत नही थी क्योकि वो जानती थी कि आज रात के प्लान के बारे मे मुझे पता है और रही बात पापा की तो वो बुआ की मुलायम गदरयी गान्ड पर लण्ड रगडने मे इतना आनन्द मे थे कि मेरी बात ही नही थी उनके जुबान पर ,,,,वो लोग बेफिकर एक दुसरे की हवस को भडकाये जा रहे थे ।

इधर पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की गाड़ पर अपना लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया और एक हाथ से बुआ की चूचि भी मसलने लगे,, नतिजन कुछ ही समय मे मेरी रन्डी चुद्क्क्ड बुआ को खुमार चढ़ने लगा,,, दोनो भाई बहन एक दुसरे के लिए प्यासे मर रहे थे लेकिन कोई खुल कर पहल नही कर रहा था ।
मा बीच मे एक इनडायरेक्ट तरीके से कुछ कुछ बातो से बुआ और पापा को करीब ला रही थी ,,लेकिन मै तो उस पल के इंतजार मे था जब पापा खुलकर बुआ को गाली देते हुए कुतिया बना कर उनकी गाड़ मारे ।

करीब 2 3 मिंट बाद माहौल गरम होने लगा और बुआ की आहे अब सिसकियाँ लेटे हुए बाहर आने लगी जिसका फायदा उठाकर पापा और अच्छे से कमर उपर निचे करके बुआ की मोटी गाड़ की दरारो मे लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया ।

मा - क्यू दीदी परेशान हो गई ना
बुआ को ल्गा अब मा पापा को हटने को ना बोल दे इसिलिए बात को बदल कर
बुआ - अरे नही भाभी ,,, वो बचपन मे ऐसे ही कयी बार भईया ने मेरे उपर सोते हुए दूध दबाए है।
मा - क्या सच मे तब आपके दूध बडे थे दीदी
बुआ - हा मेरे उमर की लड़कियो के हिसाब से बडे ही थे ,,,आह्हह हम्म्म्म आह्हह
पापा लगातार बुआ को गरम किये जा रहे थे
मा - उस हिसाब से आपका कोई शादी से पहले दोस्त रहा होगा जरुर
बुआ -आह्हह उम्म्ंम्ं इश्स्स्स क्या पुछ रही हो भाभी ये ,,,आप ये कहना चाहती हो कि शादी से पहले से ही मैने अह्ह्ह्ह इश्ह्ह आराम से भैया दर्द हो रहा है
पापा बुआ की बातो मे एक सहमती सी नजर आई और वो बुआ के कान के पास जाकर एक नशीली मादक आवाज मे
पापा - बताओ ना दीदी क्या सच मे शादी से पहले वो किया था ,,, बोलो न दीदी
मा - अब बता भी दीदी ,,, अब तो आपके भईया भी पुछ रहे है
बुआ - हा मैने किया था ,अह्ह्ह्ह इश्ह्ह अम्म्म्ंम्ं उफ्फ्फ लेकिन मेरे वो शादी से पहले करने का मुख्य कारण भईया ही थे ।
पापा के साथ मा और मै सब चौक गये और
पापा ने बुआ को छोड दिया और बगल मे लेट गये

पापा - मै ,,, लेकिन कैसे दीदी
मा - हा दीदी ,,,उस चीज़ के लिए ये कैसे जिम्मेदार है

बुआ - वो भईया अक्सर मेरे उपर सो कर नादानी मे मेरे साथ खेलते थे , मेरे उपर सोते थे , मेरे दूध दबा दिया करते थे तो मै बहुत गरम हो जाती थी और ऐसे ही एक दिन मेरा सबर टुट गया और मै बहक गयी
ये बोल कर बुआ सीधि लेट गयी जैसे उनको इस बात का बहुत पचतावा हो । पापा को इशारे से मा को बुआ बगल मे जाने को बोलते है तो मा मेरे और बुआ मे बिच मे जगह बनाते हुए लेट जाती है और बुआ के कन्धे को पकड कर उन्हे मानो तसल्ली दे रही हो ।
तीनो लोग हवस मे भरे हुए थे लेकिन सबने अभी तक शराफत का नकाब लिया हुआ था।
मा - देखिये दिदी उस बात का आप अफसोस ना करिये ,,मुझे पता है आप उस समय अपने हलातो से मजबुर थी,, क्यो जी
पापा - हा दीदी ,, देखिये मुझे कोई गिला नहीं, बल्कि मै आपसे माफी मांगता हू कि मेरी वजह से ऐसा हुआ

बुआ - नही भईया उसकी जरुरत नहीं है उसमे मेरा ही स्वार्थ था
मा - लेकिन आपने किसके साथ किया था
बुआ - वो हमारे मामा के लडके लखना के साथ ,,उसी ने मेरी ...
पापा - लेकिन वही क्यू दीदी , आप अपनी तकलीफ मेरे से भी बता सकती थी
बुआ - कैसे बताती भईया उस समय आप नादानी मे कर रहे थे वो सब और आप लखन की सारी बाते मुझसे बताते थे कि वो मेरे बदन के बारे मे क्या क्या कहता है ,,,बस यही सब मुझे भा गया और मै एक दिन मामा के यहा मौका देख कर उसको मेरे नाम का मूठ करते हुए पकड लिया गोशाला में, और पहली बार मैने किसी का लिंग देखा था , उस दिन मुझे सामने पाकर लखन ने मेरे सामने प्रस्ताव रख दिया और मै काफी दिन से गर्म थी तो मना नही कर पाई और वो सब हो गया ।
पापा- कोई बात नहीं दीदी आपने जो भी किया अपनी जरुरत के लिए किया , लेकिन एक बात मुझे समझ नही आई हम लोग साल मे एक बार ही मामा के यहा जाते थे फिर भी आपके दूध इतने बडे कैसे

बुआ - अब आपसे क्या छिपाना भैया , पहली बार करने के बाद मुझे उस चीज़ की लत लग गई और एक दिन भी गुजारना भारी होने लगा

मा - और क्या दीदी
बुआ - और मै अपने स्कूल के ही अन्ग्रेजी के मास्टर से आकर्षित हो गयी और दो साल तक उनहोंने ही ....
पापा - अच्छा तभी आप और कम्मो स्कूल के बाद भी अन्ग्रेजी वाले मास्टर जी के यहा जाते थे पढने
बुआ - हा भईया मै खुद के शरीर के आगे मजबुर थी
मा - तो क्या कम्मो भी इन सब मे शामिल थी ।

मा के इस सवाल से मै भी चौक गया और साथ मे पापा भी
पापा - क्या ये सच है दिदी
बुआ - अरे नही नही ,, कम्मो बहुत ही नियंत्रण वाली लड्की थी ,,,मै उससे एक दोस्त की तरह ही बाते शेयर करती लेकिन हमेशा से वो अपने मर्यादा मे रही है । लेकिन मेरे साथ रहने की सजा उसे भी मिली , क्योकि मेरे भरे बदन का जिक्र अक्सर मुहल्ले मे होने लगे थे ,, लोग कोई और सवाल ना उठाए इसिलिए एक अच्छा घर देख कर बाऊजी हम दोनो की शादी एक ही घर मे दो भाईयो पर करवा दी ।

पापा - तो क्या कम्मो और आप वहा खुश नही है क्या
बुआ - अरे नही भईया जो भी होता है अच्छे के लिए होता है हम दोनो के पति बहुत अच्छे है और परिवार भी अच्छा है ।

पापा - मै खुश हू दीदी आपके लिए,,लेकिन इस बात का हमेशा गिला रहेगा कि जिसने आपको जीवन का असली सुख से रुबरू करवाया उसे आपने समय आने पर भी मौका नही दिया

बुआ - मै समझी नही भैया खुल कर बताओ न
मा - अरे दीदी आपके भईया के कहने का मतलब है कि उनकी वजह से ही आपको शादी से पहले दो दो लंड से चुदने को मिल गया और आप उनही को भूल गये ।

बुआ - धत्त भाभी आप भी सीईई आह्हह क्या कररही हो मेरे दूध क्यू पी रही हो भाभी आप अह्ह्ह्ह
मै बुआ की ये बात सुन कर काफी उत्तेजित हो गया कि मेरे बगल मे करवट लेकर ब्रा और पेतिकोट मे मेरे तरफ अपनी गाड़ फैलाये लेती मेरी मा बुआ के चुचे पी रही है

पापा - क्या सच मे रागिनी कैसा है दिदी के दुध का स्वाद
मा - खुद चख लो जी आप ही
पापा - मै ,, दिदी क्या मै भी थोडा सा स्वाद ले लू
बुआ इस समय मा के द्वारा चुची चुस्वा कर मधोश हो गई थी और वो तो कबसे मचल रही थी पापा के लण्ड के लिए तो मना कैसे करती
बुआ - आह्हह हा भईया क्यो नही आप ने ही तो मुझे जीवन के मज़े से जुड़ने की राह दिखाई थी ,,, देखो कैसा है मेरे दूध का स्वाद

फिर पापा भी बुआ के दुसरे चुचे को टीशर्ट से निकाल कर हाथो मे भर कर चूसने लगे ।

बुआ के दोनो चुचे उन्के अपने सगे भईया और भाभी मिल कर चुस रहे थे और बुआ दोनो के सर सहलाते हुए आहे भररही थी ।
हल्की चाद्नी रात मे मुझे मा की पीठ ही दिख रही थी बाकी सारी कहानी बुआ की सिसकियाँ और तीनो की बाते बया कर रही थी । इस सेक्सी रोमाच मे मेरा लण्ड पिस रहा था ,,,ना मै उसे बाहर निकाल कर शांत कर सकता था ना ही उत्तेजना से भरे इस माहौल से कही दूर जाने का मन था ।

उधर बुआ मदहोसी मे लगातार आहे भरते हुए अपनी भावनाये खोल कर पापा मम्मी से सामने रखने लगी थी ।

बुआ - अह्ह्ह्ह भैया उम्म्ंम भाभी अह्ह्ह्ह आह्हह उफ्फ्फ्फ हम्म्मं बहुत मज़ा आ रहा है भैया आह्हह ऐसे ही चुसो मेरे दूध आह्हह उम्म्ंम्ं हा भाभी ऐसे ही चाटो आह्हह उम्म्ंम

मा - लग रहा है इन चार दिनों मे दीदी आप बहुत ज्यादा गरम हो गयी है
बुआ - हा भाभी मै तो यहा तरस गयी हू लण्ड के लिए आह्हह भईया आह्हह आराम से आह्हह
मा - तो बोलो ना अपने भैया को कि आपकी प्यास बुझाने के लिए
बुआ - नहीईईई येहहह क्याह्हह कह रहीई होओओओ भाभी आह्हह उम्म्ंम मै कैसे
पापा - मै तैयार हू दीदी अगर आप हा करो तो ,, मुझे आपकी ये तडप देखी नही जाती और मै फिर से बचपन की तरह आपको प्यासा नही छोड़ना चाहता

बुआ - लेकिन आप मेरे भाई हो मै आपके साथ कैसे
पापा - दीदी क्या मेरा ये फर्ज नही है कि मै आपको खुश रखु और बचपन मे हुई गलती सुधारने का मौका दिजिये आप प्लीज दीदी

बुआ चुप रही और धीरे धीरे उनकी दबी हुई सिसकिया वापस आने लगी क्योकि पापा बुआ की जांघो मे अपना सर घुसा चुके थे और मा अपना ब्रा निकाल कर अपना एक चूचा बुआ के मुह मे भर कर उनकी चुचे को सहला रही थी । मा के सोने के पोजिसन बदलने से उनकी भारी मोटी गाड़ मेरे और करीब आ गई सबको बिज़ी देख कर मैने गरदन को थोडा उपर करके देखा तो निचे पापा बुआ की चुत लपाल्प चाटे जा रहे थे ।

इसी बीच मैने भी लोवर मे से लण्ड को थोडा सा बाहर करके उसे आराम दिया और वापस अंदर डाल लिया क्योकि मै इस थ्रीसम मे कोई बाधा नही बनना चाहता था बल्कि सही मौके के इंतजार मे था ।

एक तरफ पापा बुआ की गान्द से लेकर उनकी पानीयायि चुत को चाट रहे थे जिस्से बुआ मा के निप्प्ल को और तेज चुस रही थी

मा - अह्ह्ह्ह दीदी आराम से चुसो ना बदला ले रही हो क्या
बुआ मा की चुची को निकाल कर - नही भाभी वो आह्हह उम्म्ंम्म्ं भईया निचेअह्ह्ह्ह उम्म्ंम आह्हह भैया खा जाओगे क्या आप आह्हह आह्हह ऐसे ही चातो और्हाह आह्हह आह्हह उम्म्ं उफ्फ्फ्फ भईया आप पागल कर अह्ह्ह्ह आह्हह

बुआ तेज़ी से गाड़ पटकने लगी शायद वो पापा के मुह पर ही झड़ रही थी । थोडी ही देर मे बुआ की भारी आहे मादक सिसकियो मे बदल गयी और पापा उठ कर खड़े हो गए,,,
फिर पापा ने अपना कच्छा निकाल दिया और चान्द्नी रात मे उन्का लन्द झुल्ने ल्गा ,,, और वो थोडा चल बुआ के चेहरे के उपर और मा के चेहरे के सामने खड़े हो गये ।
मा ने देरी ना करते हुए पापा का लण्ड मुह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया और बुआ निचे से लेटे लेटे ही पापा के झूलते आड़ो को देख कर अपनी चुचिया मिजने लगी।

मै इस बेहद कामुक दृश्य को देख कर उत्तेजित होकर बस अपने लण्ड को सजा ए दर्द दिये जा रहा था ।

उधर बुआ को खड़े लण्ड को मा के मुह अंदर बाहर होते देख वो एक हाथ उपर करके पापा के झूलते आड़ो को सहलाने लगी और दुसरे हाथ से वापस चुची को मिज रही थी ।

पापा - आह्हह दीदी आजाओ ना आप भी उम्म्ं आह्हह रागिनी के साथ

मा - हा दिदी उठो ना आप भी लो अपने भईया का लण्ड
फिर पापा ने खुद घूतने के बल आ कर बुआ का काम आसान करते हुए अपना लण्ड उनके होटों पर रगडने लगे ,,, बुआ ने भी जीभ निकाल कर पापा के लण्ड को गिला करना शुरू कर दिया और थोडा सा खुद को करवट लेकर लण्ड को मुह मे भर लिया । पापा ने बुआ के सर को थामा और खुद ही उत्तेजीत होकर बुआ के मुह मे पेलने लगे ।

मा - हा दीदी लेलो अपने भैया का लन्ड़,,, देखो जी कैसे रन्डी की तरह आपकी दीदी लण्ड की भुखी लग रही है

पापा - आखिर मेरी वजह से ही तो दीदी रन्डी बनी ,,क्यू दीदी
बुआ ने लण्ड निकाल कर - हा भईया आपकी वजह से ही तो मैने लण्ड का मज़ा ले पाई और आज आपकी रन्डी दीदी बन गई हू ,,,,
पापा - सच मे दीदी मै हमेशा से आपको भोगना चाहता था एक रन्डी की तरह लगता था मुझे आपका जिस्म
और पापा ने बुआ के चुचे मसल दिये
बुआ - आह्हह भैया तो भोग लो अपनी दीदी को रन्डी समझ कर ,,, मै तो लंड की प्यासी हू भईया चोद दो मुझे अह्ह्ह्ह मत तडपाओ

मा - हा जी अब मुझे भी दीदी की तडप नही देखी जाती बना लो अपनी दीदी को अपनी रन्डी और चोद दो

मै उन तीनो के चुदाई और गाली गलोज की बातो से बहुत ही उतेजीत हुए जा रहा था । सोच रहा था कैसे आखिर मै मेरे लण्ड को शांत करू ,,, अगर उन लोगो की तरफ पीठ करू तो कोई नजारा नही देख पाऊन्गा । ऐसे मुझे एक विचार आया क्यू ना मा को अह्सास दिलाऊ की मै भी जाग रहा हू और मुझे भी उनकी जरुरत है ,, वो कुछ ना कुछ जुगाड जरुर करेगी ।
मै इसी प्लानिंग मे था की अचानक से बुआ की तेज कामुक अह्हे सुनाई देने लगती है । मैने नजर घुमायि तो पापा बुआ के उपर चढ़ कर घपाघप बुआ की चुत में पेले जा रहे थे और मा बगल मे लेटे पापा के कमर और पीठ पर सहलाए जा रही थी ।

बुआ - आह्हह भईया अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चोदो और चोदो अपनी बहन को ,,, रन्डी बना लो भैया अपनी अह्ह्ह्ह ऐसे ही हा हा जा ऐसे ही चोदो अह्ह्ह्ज मज़ा आ रहा है भैया अह्ह्ज बहुतहहहह अह्ह्ह्ह भैयाआआआहहह

पापा - ले ना मेरी चुद्क्क्ड दीदी आह्हह और ले तू तो पहले से ही रन्डी है मेरी जान हहहह अह्ह्ह्ह और ले ये ले और ले ,,येईह्ह्ह्ह येह्ज्ज्ज हम्म्म्म्म्ं ले साली रन्डी ,,मै तो हमेशा से जानता था कि मेरी दिदी ने बहुत लण्ड खाये है लेकिन तू बड़ी थी तो कुछ बोला नही,,, लेकिन अब ,
बुआ - अब क्या भैया आह्हह आह्हह
पापा - अब तो तेरे भोस्दे और गाड़ का कचूमर निकाल कर ही जाने दूँगा तुझे सालि कुतीया ,,, एक न की चुद्क्क्ड है तू मेरी रान्ड बहन और किस किस के लण्ड लिये है तुने बता ना मेरी जान आह्हह
बुआ - अह्ह्ह्ह भैया और चोदो और चोदो फाड दो आज सब कुछ रहम मत करो आह्हह

पापा - सब फादुगा मेरी रान्ड बता ना ससुराल मे भी किसी का लण्ड लिया है क्या ,, क्योकि मेरे जीजा के बस का तो नही लग रहा है कि वो अकेले तेरे गान्ड और चूचे इतने बडे कर पाये,,,येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह बताआअहहह नाआह्ह मेरीईई जाआन्ं आह्हह

बुआ - आह्हह नहीईईई भैयाआआआह्ह्ह मैने शादी के बाद घर के बाहर कही मुह काला नही किया कभी अह्ह्ह्ह आह्हह ऐसे ही चोदो हा ऐसे ही बहुत मज़ा आ रहा आपके लण्ड से आह्हह उम्म्ंम्ं आह्हह बहुत ही मज़ा है आह्हह ,,,

पापा - लेलो दीदी अपने भैया का लण्ड अह्हे ये लो ये लो

इधर पापा और बुआ चूदाई मे लगे थे तो मा उन्के देख्ते हुए अपने चुचे मसले जा रही थी ,,,मैने भी मा को तडपते देखा और मौके का फायदा उठाकर जल्दी से लोवर को निचे कर लण्ड को बाहर निकाल लिया और मा की गान्द से चिपक गया ।
मा को पहले लगा कि मै शायद निद मे हू तो पहले ध्यान नही दी फिर जब मैने उनकी गाड़ मे लंड को चुबोना शुरू किया तब वो समझ गई और हाथ पीछे लेजाकर मेरे खड़े लण्ड को थामा और मुझे थोडा सा पीछे कर सीधे लेट गई,,, अभी भी मेरा उनके हाथ मे ही था ,,,मुझे मा का स्पर्श मिलते ही लण्ड मे और जोश आने लगा मेरा लण्ड मा की मुथ्थी मे और कसने लगा जिससे मा थोडी परेशान होने लगी और वो एक नजर बुआ और पापा पर मारा और फिर मेरे तरफ गर्द्न किया तो मै मुस्कुरा रहा था ।
चुकि पापा और बुआ दोनो फुल मोड मे होर्नी होकर चुदाई मे मस्त थे तो
मा बहुत ही धीमी आवाज मे मुझ्से बोली - तू कबसे जाग रहा है
मै - मै सोया ही कब था
मा - तो सो जा अभी कुछ नही हो सकता
मै - मा प्लीज बहुत दर्द हो रहा है इसमे ,,,ये बोल कर मैने लण्ड को हल्का सा मा की मुथ्थी मे धक्का लगा दिया
मा ने वापस एक नजर पापा बुआ को देखा और बोली - अच्छा रुक बताती हू । तू इसको अंदर कर अभी और चुप रहना

मा ने वापस से करवत ली
मा - अरे मेरे बारे मे सोच लो मेरी जान या सारी रात अपनी रन्डी बहन को ही पेलोगे
पापा - मेरी जान आज बहुत दिनो बाद मुझे दीदी को भोगने का मौका मिला है तो आज रात तुम मुझे दीदी के साथ मज़े लेने दो ना
मा - क्या जी मै भी कल चली जाऊंगी मायके और तडप कर रह जाऊंगी ,,, मा ने नाटक करते हुए कहा
पापा - हा ये भी तो तुम ही बताओ क्या दीदी को ऐसे ही छोड दू
बुआ - नही भैया रुकना मत आज पूरी रात मुझे चोदो आप आह्हह अहज्ज्ज अह्ह्ज

पापा - लेकिन दीदी रागिनी का क्या
बुआ - बगल मे राज सोया है ना भाभी आप उसका लण्ड लेलो ना
पापा - हा जान देखो उसका भी लण्ड लोवर मे तना है लग रहा है कि मेरा बेटा सपने मे किसी हसिना को चोद रहा है ।
पापा ने टॉर्च मेरे उपर जला कर बोला

मा - क्या जी आप लोग क्या बात कर रहे हो वो मेरा बेटा है और कही जग गया तो

पापा - अरे हम लोग कबसे इत्नी तेज आवाज मे चुदाई कर रहे हैं वो नही जगा तो अभी तो वो सपने मे मज़े ले रहा है ,,, यही मौका है रागिनी लेलो राज का लन्द

मा - क्या आप मुझे भी अपनी दीदी की तरह रन्डी बनवाना चाहते हो
पापा - हा मेरी जान मै भी देखना चाहता हू कोई तुम्हे चोदे और तुम मेरे नाम की आहे भरो । पापा बुआ की चुत मे हल्के धक्के लगाते हुए बोल रहे है ।

इधर मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया था , मन तो था कि अभी खुलकर सबके सामने आ जाऊ और चुदाई के जुड़ जाऊ । लेकिन मेरे इस फैसले से मा के बात से मुकरना पडता ,,,क्योकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मा ने जो कहा वो करेगी ।

बुआ - आह्हह भाभी सोचो मत लेलो आखिर कब तक तदपोगी ,,, देखो वो गहरी निद मे है ,,,और मै भईया को नही छोडने वाली
पापा बुआ की जांघो को अपने कन्धे पर रख कर लण्ड को बुआ की चुत मे रगड़कर पेलते हुए बोले - आह्हह जान कल जाने से पहले मै तुम्हे जरुर चोदन्गा ,,,, अभी मत तद्पो तुम ,,,, इससे पहले राज का लन्ड़ बैठ जाये उसे डाल लो अपनी चुत मे
ये बोल कर पापा थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप करके बुआ की चुत में चोदने लगे ।
बुआ - अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हा भईया आह्हह और तेज अज्ज्ज पूरी रात चोदो और तेज अज्ज्ज उम्म्ंम्ं आआ हा ऐसे ही अय्से ही अह्ज्ज अजज

मै मन ही मन बहुत उत्तेजित कि पापा खुद मा को मेरे लण्ड पर बैठने को बोल रहे हैं,,, और मा के नाटक से भी मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया ।

मा - देखो मै आखिरी बार पुछ रही हू क्या मै सच मे राज के साथ
पापा - हा मेरी जान मेरी इजाजत है अब निकालो उसका लण्ड ,,बुआ की चुत की गहरायी मे लण्ड डुबोते हुए पापा बोले

मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।


आगे की कहानी अगले अपडेट मे । आप सभी के प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 37

अब तक
मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।
अब आगे

मेरे अंदर एक अलग ही तुफान मचा था और मै चाह कर भी सामने नही आ सकता था ।
वही मा को मेरे बगल मे बैठा देख पापा बोले - जान जरा मेरे बेटे का लण्ड को निकालो बाहर ,, देखे तो कैसा है

मा मुस्कुराते हुए मेरे लोवर को खीच कर नीचे कर दिया और मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया

पापा बुआ को चोदते हुए - अरे वाह्ह्ह रागिनी अभी से राज का लण्ड इतना बड़ा हो गया तो आगे भी और बड़ा होगा ।

बुआ - अरे चुसो भाभी ना उसका लण्ड शायद और बड़ा हो जाये हिहिहिही ,,, आप ना रुको भईया
पापा - दीदी अब आप मेरे उपर आ जाईये
बुआ - क्यू थक गए अभी से
पापा - अरे मेरी जान अभी कहा बस मेरे चोदने के तरीके देखो और पूरी रात चुदो

पापा - देख क्या रही हो रागिनी पकड़ो राज का लण्ड,,, लग रहा है जैसे सपने मे कोई जबरजस्ट माल को चोद रहा है मेरा बेटा

मा ने बिना कुछ बोले मेरे लण्ड को एक बार फिर से थाम लिया
मा - ये जी ये बहुत ज्यादा तप रहा है
पापा - तो चुस कर थोडा ठण्डा कर दो जान
इसी बीच पापा निचे लेट गये और बुआ भी पापा के दाई तरफ होकर मा की तरफ मुह करके पापा के लण्ड के बगल ने बैठ कर उनका लण्ड हिलाने लगी ।

बुआ मा को छेद्ते हुए - आह्हह भाभी कित्ना मस्त लण्ड है मै आऊ क्या लेने उसको ,,, चुद्ते हुए लण्ड चूसने का मज़ा मिल जायेगा

मा को लगा वुआ मेरे लण्ड को भी कब्जा लेन्गी इसलिये वो झुक कर गप्प से मेरे लण्ड के सुपाडे को मुह मे भर लिया और चूसने लगी
मा की इस हरकत से मेरी दबी हुई आह्हह भी निकली

इधर बुआ और पापा भी मज़े से मा को मेरा लण्ड चुस्ते देख रहे थे ।
पापा - दीदी आप भी चुसो ना मेरा लण्ड आह्हह हा ऐसे ही और अंदर लेलो आह्हह उम्म्ंम्ं मै भी पापा की सिस्कियो के साथ मीठी आहे भर कर खुद को नियंत्रित करने मे ल्गा था लेकिन मा जिस अदा से मेरे लण्ड को चुस रही थी वो बेहद ही रोमाचक था ,,,,उन्के नाजुक होठ मेरे लण्ड की गोलाई मे जड़ तक जाते और गले मे मेरा सुपाडा फड़क जाया करता ।
एक तो मा के मुह मे लण्ड चुसवाना उपर से बगल मे लेता हुए बाप खुद बोले की चुद लो मेरे बेटे से ,,, आह्हह ये अह्सास को शब्दों में बाँध नही सकता था ये अह्सास ती सिर्फ मेरा फडफ्ड़ाता लण्ड और मेरी दबी हुई सिसकिया ही समझ सकती थी । मे तो खुल कर एक बार आहे भरना चाहता था ,,, मा की जीभ का मेरे सुपाडे पर हर स्पर्श मेरे अंदर एक नया जोश ला देता ,,मेरी सांसे भारी हो जाती थी ,,,,लेकिन मा ने तो मुझ पर रहम ना खाने की कसम खाई थी , उसे कोई डर नही था बल्कि वो तो अपने पति के सामने अपने बेटे का लण्ड चूसने के अह्सास से गर्म थी ।
मै बेचैन हो कर गरदन घूमाता,, गान्द पटकता लेकिन एक बार भी खुल कर आह्ह्ह्ह नही कर सकता था ।
फिर मुझे थप थप थप थप थप थप थप की आवाजे आने लगी साथ मे बुआ की तेज चिखे भी

बुआ - आह्हह आह्हह हह उम्म्ंम आह्हह आह्ह आह्ह और तेआजजजजज आह्ह आउर तेअह्ह्ज्ज्ज आह्हह हा भईया
पापा लगातर निचे से बुआ की गाड़ को थामे सर ससर पेले जा रहे थे ।
बुआ की तेज आवाज की सिस्कियो मे मैने सोचा क्यू ना मै भी थोदा खुद की संसो को आराम देदू ,,, पर जैसे ही मैने अह्ह्ह्ह्ह माआह्ह्ह किया ,,,मा ने तुरंत मेरे कन्धे पर हाथ मार कर चुप रहने का इशारा किया ,,,,मै समझ गया कि अगर मै कुछ बोला तो मा के साथ मुझे भी ऐसे ही बिना चुदाई के सोना पड़ सकता है ।

पापा - जान अब तुम भी बैठ जाओ ना ,,,
मा बिना कुछ बोले उठी और पेतिकोट को कमर तक उठा कर दोनो हाथों से पकड लिया और दोनो पैर मेरे कमर के दोनो तरफ रख कर झुक कर एक हाथ से मेरे लण्ड को थामा और चुत पर सेट करते हुए बैठती चली गयी ,,, धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से मा की चुत मे समा गया ।
मै मा की चुत मे अपना लण्ड पाते ही जैसे पिघलने लगा और मा की चुत की दीवारे इतनी ज्यादा गर्म थी मानो मेरा लण्ड जल जायेगा और बेसब्र से तडप रहा था ,,, मै खुल कर अपने जज्बात नही बाहर रख सकता था ,,, मै अब पहले से ज्यादा अपने सासो को कन्ट्रोल करने लगा ,,,
वही मा मेरे खड़े लण्ड को पुरा निगल लेने के बाद हल्का हल्का उपर निचे उकूडु होकर बैठी बैठी ही चुद्ने लगी
मा - अह्ह्ह्ह राज के पापा देखो ना मैने मेरे चुत मे आखिर अपने बेटे का लण्ड ले ही लिया

पापा बुआ को चोद्ते हुए - वाह्ह्ह मेरी जान थप थप थप थप थप थप थप मै तो ऐसे ही तुझे अपने सामने चुद्ते हुए देखना चाहता था येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
बुआ - आह्हह भईया तेज़ी से और तेज़ी से अह्ज्ज्ज आह्हह रुको मत मै झडने वाली हू अह्ह्ह्ह
पापा - अब मज़े लो मेरी जान तुम अपने बेटे के लण्ड का मै जरा दिदी की खिदमत कर दू
मा - हा राज के पापा नये लण्ड लेने मे का मज़ा ही अलग है ,,,आह्हह इसका तपता लण्ड का सुपाडा मेरी बच्चेदानी को छू रहा है आह्हह मा उफ्फ़फ्फ राज के पापा बहुत मज़ा आ रहा आह्हह मेरे राजा

एक तो मा मेरे लण्ड पर उछल रही थी साथ मे बार बार पापा को जता रही थी कि कैसे मेरा लण्ड उनकी चुत मे फसा हुआ है ,,,कस्म मैने खुद को कैसे रोका हुआ था मै ही जानता था ,, वही पापा बुआ की चुत मे निचे से कमर उठा कर ये लम्बे लम्बे शॉट लगा रहे थे और बुआ उनके लण्ड पर झडे जा रही थी ,,
बुआ - आह्हह भईया आह्हह मै झड़ रही हू आह्हह आह्हह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं अह्ह्ज्झ
पापा - ये लो दीदी येएहेह्ह एह्ह्ह आह्हह और लो मेरी चुद्क्क्ड दीदी और लो ,,,,मेरा भी निकलेगा दीदी ।

बुआ - मुझे आपका माल चखना है भईया रुको और बुआ जल्दी से उठी और लपक कर मुह मे लण्ड लेते हुए चूसने लगी कुछ ही पलो मे बुआ का मुह पापा के माल से भरने ल्गा

पापा - आह्हह दीदी पुरा चाट जा मेरी रान्ड अच्छे से साफ कर दे मेरे लण्ड को सालि रन्डी
इधर मा ने मेरे सीने पर हाथ रख कर झुक कर लागातार मेरे लण्ड पर अपनी गाड़ ऐसे पटक रही थी जैसे मानो कपडे पीट रही हो जिससे मै भी धीरे धीरे चरम सीमा तक पहूच गया और सांसे बेकाबू होने लगी थी और मै छटपटाने लगा,,मेरा चेहरा तपने लगा

पापा - लग रहा है मेरा बेटा झडने वाला है रागिनी जल्दी करो और झड़ जाओ
मा - मै तो क्ब्से झडी हू इसके लण्ड पर लेकिन इसका लण्ड बैठ ही नही रहा
पापा - तो अपने मुह का जादू चलाओ ना मेरी जान चुस लो अपने बेटे का माल
मा जल्दी से उठी और झुक कर मेरे लण्ड को वापस लेके चूसने लगी मै पहले ही चरम सीमा के करीब था और मा ने तो जैसे मेरे सुपाडे के छेद को सुरकना सुरु कर दिया ,,,,अन्त मे मेरा भी सबर टुट गया और मै निद मे बड़बड़ाने का नाटक करते हुए मुह मे दबी हुए आहे भरते हुए मा के मुह मे झडने लगा । मा ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया फिर पापा और मेरे बिच लेट गयी वही बुआ पापा के दुसरी तरफ लेट गयी ।
मेरी आँखो मे एक गजब सा नशा हो रहा था और चेहरे पर मा के मुह मे झडने की खुसी ।

हम सब अपनी अपनी सासे बराबर कररहे थे ।
पापा - आह्हह दीदी मज़ा आ गया आज तो ,,सच मे आप एक नम्बर की चुद्क्क्ड हो

बुआ - रिस्तो मे चुदाई का अपना ही मज़ा है भईया
मा - सच कह रही हो दीदी ,,,मै आज जितना कभी भी खुद को इतना उतेजित नही मह्सूस किया था और ना ही आज जितना कभी झडी थी

पापा - हा जान देखा मैने कैसे तुम्हे अपने ही बेटे का नशा हो रहा था ।

मा - हा लेकिन अभी उसको इस बारे मे पता नही है तो हम सब के राज भी बचे है ।

बुआ - अरे राज की बात से याद आया भईया ,,, आपने नही बताया कि आपने अपनी पहली चुदाई कब की थी और किस्से और भाभी आप भी बताओ ना

मा - मेरी पहली चुदाई मेरे सुहागरात पर ही हुई थी लेकिन इनकी तो हिहिहिही

बुआ - अरे बताओ ना भईया कब की थी आपने
पापा - एक हो तो ना दीदी ,,, ना जाने कितने चुत मे मैने अपने लण्ड को डुबोया है ।
बुआ - क्या सच मे भईया
मा - हा दीदी ,,,लेकिन शुरूवात बहुत ही मज़ेदार थी ।
बुआ - बताओ ना भईया किसके साथ किया था
पापा - बात तब की है उस समय मै 9वी मे था और मै उस समय आपके बदन पर बहुत ही ज्यादा आकर्षित था ,, मै हमेशा से एक ऐसी लड्की की तालाश मे था जिसका बदन आपके जैसे भरा हुआ हो , जिसकी चुचिया आपकी तरह मोटी हो और गान्ड बड़े बड़े हो । लेकिन मेरी तालाश में और पहुच मे ऐसी लड़की नही मिल रही थी और मै आपके लिहाज मे आपसे कभी कूछ कह नही पाया । फिर मै काफी लोगो से सुना की आप शादीशुदा औरतो सी लगती हो ,,, कूछ दिन बाहरी शादीशुदा औरत की तलाश की लेकिन कोई भी हाथ नही आती थी । उसी साल गर्मी मे मेरी लुधियाना वाली चाची आई और उनके गदरायी जवानी पर मै फीदा हो गया । वो मॉर्डन कपडे पहना करती थी और शहर मे रहने की वजह से बहुत खुले विचारो वाली थी ।मै लागातार चाची के साथ समय बिताने लगा और वो पढी लिखी और काफी खेली खाई औरत थी तो जल्द ही मेरे जज्बातो को समझ भी गयी और मुझसे दोहरी मतलब से बात करती थी एक दिन घर पर कोई नही था , मा बाऊजी खेत गये थे दीदी और कम्मो कोचींग गये थे,,, जंगी बाहर खेल रहा था और मै हमेशा की तरह चाची के करीब आना चाह रहा था ,,, उस दिन चाची नहाने गयी और मुझे अपनी पीठ पर साबुन लगाने को बोला ,,, फिर कब साबुन पीठ से सरक कर चाची की पेतिकोट मे चला गया और उसे खोजने मेने उनकी गाड़ की दारारो मे हाथ डाल दिया,,,, मेरा हाथ का स्पर्श उनके गुपतांगो मे होते ही चाची की मीठी सिसकी आई और काफी समय समय तक मैने उनकी पेतिकोट मे हाथ डाले रहा ,,, लेकिन जब हाथ बाहर निकाला तो ओ आंखे बंद किये आहे भर रही थी तो मैने भी मौका देखा और खड़ा लन्ड़ उनके मुह मे डाल दिया , और उस दिन आंगन में ही चाची को जम कर चोदा । फिर मुझे बड़ी चूची और गाड़ वाली महिलाओं की लत लग गई और कभी रिस्ते मे तो कभी बाहर कयी रन्दीयो को चोदा मैने ।

बुआ - बाप रे आप खुद एक नो. चोदू हो और मुझे चुदक्क्ड बुला रहे हीहीहि
पापा - मै तो हू ही बड़ी गाड़ और चुचियो का दिवाना ,,, लेकिन मुझे अब भी शक है कि आप ससुराल मे सिर्फ जिजा का ही लण्ड लेती हो ।

बुआ - नही भैया शादी के बाद से मैने कभी भी बाहर का लण्ड नही लिया
मा बुआ की छेडते हुए - मतलब घर मे ही कोई भेदी है जो इस भोसदे को और गहरा किये जा रहा है क्यू दीदी ,,,

बुआ - नही भाभी आपकी कसम और भईया आपकी कसम खाकर कह रही हू मैने शादी के बाद ससुराल मे सिर्फ अपने पति का ही लण्ड लिया है ।
बुआ की बाते सुन कर मै शौक था यहा बुआ कसम खाकर कह रही थी कि वो फूफा के अलावा किसी से नही चुदती जबकि उस रात मुझ्से साफ बोला था कि मै दो लोगो से चुद्ती हू साथ मे । अब मेरे मन की व्यथा और बढ़ गयी ।

पापा - अरे नही दिदी मुझे आप पर भरोसा है । बस कोई भी आपकी गदरायी गाड़ देख कर यही कहेगा कि ना जाने कितने लांडो से रोज चुदती होगी ।
ऐसे ही रात मे और भी जोरदार चुदाई हुई पापा और बुआ के बीच में,,, और मा मे एक बार फिर से मेरे लण्ड को अपने चुत मे डाल कर चुदवाया । पता नही रात के किस पहर मे मै सो गया ।

अगली सुबह
आज रक्षा बंधन का दिन था और सुबह सुबह 6 बजे ही मेरी निद भीगने से शुरू हुई क्योकि मेरी नटखट दीदी ने मुझ पर पानी डाल कर बाथरूम मे घुस गई थी ।
लेकिन छत पर अनुज भी था और मा भी तो मै कोई खास रियक्ट नही किया। बस बड़बडाते हुए उठ कर टॉयलेट चला वही अनुज और मा हस रहेथे ।
मा - सोनल बहुत शरारती हो गयी है तू चलो सब लोग जल्दी जल्दी आज तैयार हो लो 8 बजे तक । फिर मुझे भी मायके जाना है ना ।

करीब 8 बजे तक सब लोग नहा धोकर तैयार थे । सबने आज अपने नये कपडे पहने थे ।
मा और बुआ ने अपनी नयी साडी पहनी थी । बुआ के पहल करने पर मा ने भी बुआ के जैसे ही डिप कट का गला और पीछे डोरी वाली बलाऊज सिल्वायि थी और उपर से एक सिफान की हल्की साडी जो मरून रंग की थी जबकि बुआ ने अंगूरी रंग की सेम पैटर्न की साडी पहनी थी ।
वही दीदी ने एक खुबसुरत सा बिना दुप्प्ते का क्रॉप टॉप जो नाभि से उपर था और लहगा पहना था । पापा ने कर्ता पजामा , मै और अनुज अपने नये जीन्स शर्त मे थे ।
आज घर मे सब लोग एक दुसरे को देखकर अलग ही मुस्कराहट पास कर रहे थे सिवाय अनुज के । दीदी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी , पापा मा और बुआ एक दुसरे मे इशारे पास कर रहे थे ।

तभी मा ने सबको बेडरूम मे चलने को बोला
फिर हम सब लोग कमरे मे गये । एक सोफे पर पापा और अनुज बैठ गये और बगल वाली सिंगल सोफे पर मै ।
मा मेरे बगल मे खड़ी थी जो आज बहुत ही ज्यादा खुबसुरत लग रही थी । तभी कमरे मे बुआ और मेरी दीदी आरती की थाली लिये आई मेरी दीदी तो मानो चांद से उतरी हो अप्सरा लग रही थी मै तो उसी मे खोया हुआ उसको आँखो से इशारे किये जा रहा था । वही पापा भी बुआ को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड रहे थे । लग तो ऐसे रहा था मानो दोनो बहाने राखी लेके नही बल्कि शादी के लिए वरमाला लेकर आ रही हो हमे अपना बनाने ।
फिर बुआ पापा के पास गयी और उन्के सामने बैठ गई
पापा बस एक नजर डालें बुआ को ताड़ रहे थे और उस हल्के पारदर्शक सिफान साडी से बुआ के गहरे गले वाली ब्लाउज के झाकति चुचियो लो घुर रहे थे और इधर दिदी भी इतराते हमारी तरफ आ रही थी क्रॉप टॉप मे दीदी की खुली कमर और आधे नंगे पेट पर एक लम्बी और गहरी नाभि साफ दिखाते हुए आई और अनुज के बगल मे स्टूल रख कर बैठ गयी और फिर उसने अनुज को राखी बांधती है और आरती लेती है बदले मे अनुज दीदी के पैर छुता है ,,,,
उधर बुआ भी पापा को राखी बाँध कर मुस्कुराये जा रही थी । फिर बुआ - चालिये भईया अब जेब ढीली करिये और मेरा तोहफा लाईये ।

पापा - अरे हा वो तो मै नीचे कमरे मे रखा है चलिये मै दिये देता हू ।

बुआ - हा भाभी चलिये आप भी फिर मेरे साथ छोटे के यहा चलना है ना
मा - अरे मुझे भी तो जाना है मायके लेट हो जायेगा
बुआ - अरे भाभी ज्यादा टाईम नही लगेगा आओ

फिर मा पापा और बुआ निचे चले गये मै जानता था नीचे पापा बुआ को क्या तोहफा देते ,,, उनके मुह मे अपना लण्ड और पापा भी रात का वादा निभाने वाले थे मा को चोद कर तो ये सब उन लोगो का हम बच्चो के सामने ड्रामा था बस । लेकिन मै इनसब से बिलकुल भी अंजान नही था ।

फिर इधर अनुज ने दीदी को एक गिफ्ट दिया और बोला मै मेरे दोस्त के यहा जा रहा हू उसकी दिदी ने मुझे बुलाया है राखी बाँधने के लिए ।
दीदी - हा भाई आराम से जाना और टाईम से खाना खाने आ जाना ठीक है
अनुज - ठीक है दीदी

अनुज चला गया साथ ही पापा मा और बुआ भी निचे चले गये थे बचे तो मै और दीदी । मै दीदी को अकेला पाकर खड़ा हुआ तो दीदी पीछे होते हुए मुसकुराते हुए सतर्क होने लगी ।

दीदी - देख राज अभी नही पहले राखी बंधवा ले फिर कुछ,,,
मै वापस मुस्कुरा कर बडे सोफे पर बैठ गया और दीदी भी मेरे सामने बैठ गयी । फिर उसने मेरी कलाई पर राखी बांधी और मेरी आरती ली । मै भी उसके पैर छूने को जानबुझ कर झुका तो दीदी ने मुझे रोका

दीदी - तेरी जगह वहा नही भाई मेरी बाहो मे है ।
मै उथा और दीदी को हग कर लिया ,, आह्हह उनके नाजुक बदन की खुस्बू आह्हह और कितना मुलायम बदन ,,,
मै - आई लव यू दीदी ,, ये लो आपका गिफ्ट फिर मैने दीदी को मोबाईल वाला पैकेट दिया ।
दीदी - अरे वाह तू सच मे मेरे लिए मोबाईल लाया ,,थैंक्स भाई आई लव यू सो मच ।
दीदी - लेकिन मुझे एक गिफ्ट और चाहिये क्या वो तू मुझे देगा

मै - माग लो ना दीदी जो चाहे ,, ना नही कहूंगा
दीदी - भाई मै अमन से शादी करना चाहती हू क्या तू मा से बात करेगा मेरे लिए ।

मै - आप सच मे अमन को चाहती हो दीदी , मै खुश हू आपके लिये और मेरा वादा है आपकी शादी अमन से ही होगी ।

दीदी ने वापस खुश होते हुए गले लगा लिया ,,
मै - दीदी लेकिन फिर मेरा क्या होगा क्या आप मुझे छोड दोगे ।
दीदी - धत्त पागल,,,नही रे ,,, तेरे लिए मेरा प्यार अलग है और अमन के लिए अलग

मै थोडा कन्फुज होते हुए बोला - मै समझा नही दीदी आपका मतलब

दीदी - मै बताती हू ,, मै अमन को अपने पति के रूप मे चाहती हूँ और उसके पास जाने पर एक सुकून सा महसूस करती हू । वही तू मेरा भाई जब मै तेरे करीब होती हू तो मेरी तडप और बढ़ जाती है । तेरा टच मुझे एक अलग ही रोमांच देता है। और

मै - और क्या दीदी बोलो ना
दीदी - और मै जानती हू तू मुझसे क्या चाहता है
मै चौकते हुए - क्या
दीदी मुस्कुराते हुए - मैने भी तेरे मोबाईल पर वो कहानिया पढी है जो तू खोल कर रखा था और चंदू की भेजी वीडियो भी देखी है
मै थोडा सा निराश मन से दीदी के सामने अफसोस का नाटक बना कर - सॉरी दीदी ,,,
दिदी - कोई बात नही मुझे बुरा नहीं लगा क्योकि मुझे वो कहानिया पसंद आई और मै तेरे प्यार मे खीच गयी ।
मै - तो क्या आपने ही पहले मेरे मोबाईल से चंदू की वीडियो डिलीट की थी ।
दीदी मुस्कुराते हुए - हा लेकिन उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया इसिलिए उस दिन छत पर तुझे डाटा लेकिन जब मैने वो परिवारिक सम्बन्ध की कहानिया पढने लगी और मुझे भी उसमे रुचि होने लगी तब मुझे लगा कि मैने गलत किया था ।

मै - कोई बात नही दीदी आई लव यू ना
दीदी मेरे सीने से लगते हुए - आई लव यू मेरे भाई
मै - तो क्या आपको कोई आपति नही है मै आगे बढू तो ,,,जैसे अभी लहगा के उपर से आपके ये गोल गोल उभारो को दबा दू और
दीदी हस्ते हुए मुझसे अलग हुई - छीईई गन्दा ,,,, इतना जल्दी भी नही ,,, मुझे थोडा समय चाहिये भाई उसके लिए,,मै कोई जल्दीबाजी नही चाहती हू ,, मै चाहती तू मेरे अंग अंग को इत्मीनान से भोगे और मै भी उस वक्त का भरपूर मज़ा लू जैसा उन कहानियों मे पढा था ।

मै दीदी के करीब आ गया और उनको वापस से अपनी बाहो मे भर कर - सच दीदी ,,,मुझे भी उस दिन का बेसबरी से इन्तेजार रहेगा ,,,थैंक्स मेरी जानू आई लव यू और दीदी के लिपस को चूसने लगा ,, दीदी तो इसी ताक मे थी और वो भी मेरे साथ मेरे होठो को चूमने लगी । करीब तीन मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई

दीदी - भाई प्लीज जल्दी आना ,, यहा अकेले मन नही लगेगा
मै - अरे दिदी अब तो मोबाइल दिला दिया है और सिम भी चालू है तो जब मन करे कॉल कर लेना ।
दीदी - थैंक्स भाई
मै - दीदी वो पूछना था कि क्या आपने चंदू का वो कल वाला वीडियो भी डिलीट कर दिये
दीदी मुस्कुराते हुए नही भाई वो तो मोबाइल मे है ,,, वैसे मुझे नही लगा था कि चम्पा भी अपने भाई से

मै - वो तो बचपन से ही उन दोनो का चल रहा था और अब तो रजनी दीदी भी शामिल हो गयी है
दीदी चौकते हुए - क्या ,,, चंदू अपनी खुद की मा को भी
मै - हा दीदी ,,
दीदी - तो क्या तू भी मा के लिए वही सोचता है
मै - क्या दीदी आप भी ,,,मै तो ब्स आपका दिवाना हू हिहिहिही
दीदी - मै खुब समझती हू तुझे भाई ,,,, अगर मौका मिला तो तू मा को भी नही छोदेगा हिहिहि क्यू सही है न
मै - धत्त दीदी ,,, चलो थोडा सा मुझे प्यार देदो कोई है नही अभी और
तभी बुआ आवाज देते हुए उपर आने लगी

बुआ - राज बेटा कहा है तू
बुआ की आवाज सुनते ही दीदी चहक उठी और कमरे से बाहर आ गई ।

मै - हा बुआ बोलो ना
बुआ - वो बेटा ये कहना था कि तू जल्दी से कुछ खा ले निचे तेरी मा इन्तेजार कर रही है ,, तुम लोगो को जाना भी तो है ।

मै - हा लेकिन मा को तो बुलाओ
बुआ - अरे वो बिना राखी बान्धे कुछ नही खायेगी तू खा ले फिर जल्दी से निचे आ हम वही इन्तज़ार कर रहे है ।

फिर मै भी जलदी से खाना खाया और निचे चला गया ।
निचे मा पापा और बुआ बैठे हुए थे कमरे मे मेरा इंतजार करते हुए कुछ बात कर रहे थे ।

मा - बेटा चल अब चल्ते है और अभी बस पकडना बाकी है ।
पापा - राज रुको बेटा ,, ये तो 10 हजार रुपये रखो
मै - पापा इतने रुपये का मै क्या करूगा
पापा - अरे बेटा वहा तेरी दो छोटी छोटी बहने भी वो भी तेरे आने का इन्तेजार कर रही है तो उनको 2 2 हजार दे देना ,, बाकी अपनी जरुरत से खर्च कर लेना ।

फिर मै और मा निकल गये बस स्टैंड की तरफ मामा के घर के लिए ।


अब देखते है कि आने वाला सफ़र कौन से नये रोमांच राज की दुनिया मे लाने वाला है ।
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