Incest सपना-या-हकीकत

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

Update 29

अब तक :

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को पकड कर कमरे मे ले गई ।

अब आगे
राजेश - दीदी आप लोग ये क्या कर रहे थे ,,, घर मे कोई देख लेता तो

रगिनी - देख राजेश तू ये बात किसी को नही कहेगा ठीक है नही तो हमारे ही घर की बदनामी होगी और तू चाहता है कि ऐसा हो

राजेश - मै क्यू चाहूंगा दीदी ,,, लेकिन मेरा क्या फायदा आप लोग तो फिर भी मज़े लोगे ना

मै समझ गई कि राजेश भी हमारे साथ मज़े करना चाहता है तो मैने दीदी के पास गई और उनके कान मे

रागिनी - दिदी क्यू ना इसको भी शामिल कर ले ,, आपको भी तो एक लडके की तलाश थी और घर की बात घर मे रह जायेगी

रज्जो - तु पागल है क्या वो हमारा छोटा भाई है रे ,,, मै कैसे करूंगी ,,,तेरे साथ फिर भी ठीक था लेकिन

रागिनी - आपके लेकिन लेकिन के चक्कर मे हम दोनो पिटे जायेगे दीदी,,,
रज्जो - तू समझ नहीं रही है रागिनी ,, लड़को को उंगली पकडओ तो वो हाथ पकड लेते है ,,,अगर मै राजेश के साथ मज़े लुन्गी तो वो आगे भी बढ़ेगा और ऐसे मे हम लोग उसे मना नही कर पायेंगे तू समझ इस बात को

रागिनी - दीदी आप बहुत दूर सोच रही हो अभी का देखीये बाद मे कोई ना कोई जुगाड किया जायेगा ।

रज्जो - ठीक है लेकिन पहल कौन करेगा तू बात कर ना

रागिनी - अच्छा तो राजेश तू क्या चाहता है हमसे
राजेश - दीदी मुझे भी आप लोगो की तरह मज़े करना है ,,क्या आप लोग मुझे सिखाओगे

उस दिन राजेश की बातो से लगा कि अभी वो नादान है और हल्के फुल्के मज़े लेना चाहता है लेकिन वही हम दोनो की गलती थी ।
उस रात के बाद रोज रात मे सबके सोने के बाद राजेश हमारे कमरे मे आता और हमारे दूधो से खेलता था ,,, धीरे धीरे वो दिन मे अकेले के समय मे भी दीदी या मुझे किसी कमरे मे ले जाकर मज़े लिया करता था । मगर राजेश को हम दोनो मे से किसी की भी चुत नही मिली हफ्तो तक ,,,जिससे वो हस्तमैथुन करने लगा और एक दिन दिदी ने उसे पकड़ा ,,, फिर ये तय हुआ कि उसकी सेहत का ध्यान दीदी रखेंगी और पता नही कब से दीदी ने मुझसे छिप कर दिन में कभी कभी राजेश का लण्ड चुस कर शांत किया करती थी ।
अब समय बीतने ल्गा और हम तीनो भाई बहन मे हवस समय के साथ और हावी होने लगा ,,,, एक तरफ जहां हम तीनो भाई बहन रोज रात मे एक साथ मजे करते तो दिन में चोरी छिपे दीदी राजेश के लण्ड चुस्ती थी रोज रोज चुचियो के मसलवाने के साथ राजेश की फरमाइशे भी बढ़ती और कभी कभी क्या लगभग रोज ही वो हम दोनो बहनो के चुतदो को भी मसलने ल्गा लेकिन चुत छूने के मामले को लेकर मै बहुत ही सतर्क थी और कभी कभी डांट भी देती थी ।
धीरे धीरे दीदी के बातो मे भी बदलाव आने लगा और वो अक्सर बाऊजी और राजेश के लण्ड को लेकर बाते करने लगी और ऐसे ही एक दिन

रज्जो - छोटी अब मुझे बहुत मन की जल्दी से शादी करने का है । अब और मै ऐसे ही उपरी मज़े ले कर तडपना नही चाहती

मैने भी मौका देख कर दीदी को ताना मारते हुए कहा - क्यू दीदी राजेश का लण्ड काफी नही है क्या जो अब दुसरे लण्ड की जरूरत पड़ गई । मै हमेशा से आपके बताने का इन्तेजार कर रही थी लेकिन आपने तो ब्ताया ही नही और अकेले ही मज़े लेने लगी । क्या इतनी पराई हो गई मै ।

रज्जो - सॉरी छोटी मुझे डर था कि कहीं तू नाराज ना हो जाये ,, मै राजेश की सेहत को लेकर परेशान थी और फिर धीरे धीरे मुझे भी उसके लण्ड की आदत हो गई और अब तो और भी ये इच्छाएं बढ़ती जा रही है । अब तो हाल ये है छोटी की कोई भी लण्ड देखती हूँ तो मुह मे पानी आ जाता है ,,,
रागिनी - इसिलिए इस समय आपको बाऊजी के लण्ड की बात करती रहती है ,,,
रज्जो - हा छोटी सच कहू तो मै बाऊजी के चोदने का अंदाज बहुत पसंद है ,,,,और
रागिनी - और क्या दीदी
रज्जो - मै चाहती हू कि मेरी सील हमारे बाऊजी ही तोड़े
रागिनी - क्या दीदी आप पागल हो ,,बाऊजी कभी नही मानेगे ,,, देखा नही वो मा को इतना चाहते है कि घर मे या खेत में काम करने वाली महिलाओं को एक नजर देखते तक नहीं और तो और सबको ढंग से कपड़े पहनने को भी डांट देते है ।

रज्जो - हा लेकिन समय आने दो मै कोसिश करूंगी और शादी से पहले ही अपनी चुत बाऊजी को दूँगी ।

समय बीता ,, साल भर बाद हमारी मा की खेतो मे सांप काटने से मौत हो गई और हम सब गहरे दुख मे डूब गये हमारे घर सभी नात रिस्तेदार आये और कुछ दिनो मे चले गये लेकिन हमारी सुलोचना बुआ रुक गई ।
बाऊजी के देख रेख के लिए ऐसे ही हफ्ता दो हफ्ता भर बीता तो मा की यादो का बोझ कम हुआ और वापस दीदी का हवस हावी होने ल्गा ,,, और हम तीनो भाई बहन फिर से कामक्रीड़ा मे लग गये क्योकि हमे यही एक मात्र साधन लग रहा था उन दुख भरे पलो को दूर करने का ,,, एक तरफ जहा हम लोग अपनी मस्ती मे थे दुसरी तरफ बुआ बाऊजी की सेवा मे लगी थी दिनरात उन्ही का ध्यान देती थी ।

ऐसे ही एक रात मै और दीदी अपने कमरे मे थे ,,,
रज्जो - छोटी चल ना एक बार पापा के कमरे की तरफ चले बहुत दिन हो गये उनका मोटा लण्ड देखे
रागिनी - क्या दिदी आपको लगता है कि मा के जाने के वो इनसब चीज़ो के लिए सोचेंगे
रज्जो - देख छोटी सेक्स ऐसी लत है अगर रोज की जाय तो वो इतनी जल्दी नही पीछा छोड देगी और तू चल ना क्या पता मा की याद मे लण्ड ही हिला रहे हो ।

रागिनी - क्या दीदी चलो ,, लेकिन वहा हम लोग कुछ करेंगे नही ब्स देख कर चले आयेंगे क्योकि बुआ आई है तो वो कही बाहर ना निकले

रज्जो - हा मेरी बहन अब चल
फिर मै और दीदी चुपके चुपके कमरे से बाहर निकले और धीरे धीरे पापा हम लोग पापा के कमरे की तरफ गये तो अंदर रोशनी थी ,,, मुझे कुछ अजीब लगा और हल्की हल्की सिस्कियो की आवाज आने लगी ,,, मेरे और दीदी के धड़कन बढ़ गई फिर अंदर कमरे मे खिडकी से देखा तो बाऊजी निचे लेटे हुए थे और सुलोचना बुआ उनके लण्ड पर कूद रही थी ।

जो सपने मेरे दीदी देख रही थी वो आज मुझे उससे दूर जाता दिख रहा था
रगिनी - दीदी ये तो बुआ ,, अब बाऊजी से कैसे आप
रज्जो - ये अच्छा है ना छोटी की बाऊजी बुआ को चोद रहे है इसका मतलब वो मुझे भी चोद सकते है ,,,वो मुस्कुराते हुए बोली ।

रागिनी - वो कैसे बुआ के रहते वो आपको क्यू चोदन्गे भला
रज्जो - देख छोटी बुआ वैसे भी ज्यादा समय नही रहने वाली है और एक बार नये चुत की तलब लग जाये तो आदमी को इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है

रागिनी - दीदी जो आपको सही लगे करो लेकिन मुझे इससे दूर रखना ,,
फिर समय बीता और एक महीने बाद बुआ चली गई और बाऊजी फिर से अकेले पड़ गये और कुछ ही दिनो मे उनकी तबियत बिगड़ने लगी ।

फिर दीदी ने उनका ख्याल रखना शुरू किया और दवाइया देना खाना पीना ,,,,, एक शाम ऐसे ही बाऊजी खेत से वापस आये और दीदी को बोला

बाऊ जी - रज्जो सुन बेटा आज मेरे पैरो मे बहुत दर्द है किसी नौकर को तेल लेकर भेज देना कमरे मे मालिश करने के लिए
उस शाम रज्जो दीदी किसी को ना बोल कर खुद तेल कर गई और करीब डेढ़ घन्टे बाद आई कमरे मे , रात हो चुकी थी । वो बिस्तर पर बहुत आराम से बैठि और उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे ।

रागिनी - क्या हुआ दीदी आपकी तबीयत ठीक है ना
रज्जो मुस्कुराए हुए - अब तो एकदम ठीक है छोटी
रागिनी - लेकिन आप ऐसे पैर उठाए क्यू ,,,कही बाऊजी से तो ,,,नही नही नही ,,
रज्जो - हम्म्म्म, और फिर दीदी मेरे गले लग गई ।
रागिनी - लेकिन आप तो मालिश के गई थी ती ये सब कब हुआ और बाऊजी तैयार हो गये

अब आगे कि कहानी रज्जो की जुबानी

रज्जो - वो मै अन्दर गई तो बाऊ जी कुर्सी पर बैठे थे और पैर उठा कर बेड पर रखा था
मुझे देखते ही बोले

बाऊजी - अरे बेटी तुने क्यू तकलीफ की किसी को भेज देती ,,,
रज्जो - क्यू बाऊ जी मै नही कर सकती आपकी सेवा ,,, मै भी तो आपकी अपनी हू

फिर बाऊजी कुछ बोलते उससे पहले मै अपना चुनरि निकाल कर बेड पर रख दिया और बाऊ जी के पैर के पास बैठ गई

मगर जब मैने ऊपर देखा तो बाऊजी एक टक मेरे सूट के दिखते मेरी छातियो के घाटी को निहारे जा रहे थे ,,,मुझे हसी आई और मैने उनको बोला - बाऊ जी थोड़ा धोती ऊपर किजीये

फिर बाऊ जी ने चौके बोले - कुछ कहा बेटी
रज्जो - अपनी धोती ऊपर किजीये आप हिहिहिही
बाउजी ने फिर धोती अपनी जांघो तक चढाई और मैने हल्का सा तेल लिया और पैरो की मालिश करने लगी ।
एक तरफ जहां मेरी नजर बराबर बाऊजी के लंड पर थी जो धोती मे कैद थी वही बाऊजी मेरे रसिले चुचे देख कर उत्तेजित होने लगे ।

बाऊ जी - लगता है अब मेरी बिटिया बड़ी हो गई है क्यू
रज्जो - अच्छा वो क्यू बाऊजी
बाऊजी - अरे बेटी जब बाप के जुते बेटे के पैर मे और मा की चोली बेटी को होने लगे तो समझो बच्चे बडे हो गये हैं ।

मुझे थोडी शरम आई लेकिन फिर भी मैने बाऊजी से पुछा - लेकिन बाऊजी मुझे मा की चोली कहा से होगी

बाउजि - अरे एक बार पहन तो सही बेटी ,,, और फिर मेरे चुचो को घुरने लगे ।
मै चुप रही और मुस्कुराते हुए पैर की मालिश करने लगी फिर एक नजर उनकी धोती पर गया जो उनके मोटे लण्ड की अकडन से ऊपर होने लगी
बाऊ जी ने भी देखा की मेरी नजर कहा है
फिर मैने बोला - बाऊजी हो गया यहा ऊपर का भी कर दू

बाऊजी - बेटा दर्द तो है लेकिन ,,, रहने दे तू आराम कर
रज्जो - अरे क्या लेकिन पैर निचे करिये दोनो मै कर देती हू आपके जांघो की भी मालिश ,,, फिर बाऊजी ने दोनो पैर नीचे किये और मै ऊनके पैरो के बिच बैठ गई

रज्जो - बाऊजी आप धोती थोड़ा और ऊपर कर को नही तो तेल लग जायेगा

बाऊ जी ने दोनो साइड से धोती को चढा लिया और एक वी शेप क्छ्छे का आकार दे दिया जिससे उनका लण्ड उभर का और बड़ा दिखने लगा ।

मैने तेल लिया और बाऊजी के जांघो की मालिश करने लगी ,,, मुझे बहुत इच्छा होने लगी की काश इतना पास आ गयी हू तो एक बार बाऊजी लण्ड देखने को मिल जाये
मेरी नजर बराबर उनके लण्ड के ऊभारो पर थी जिसे बाऊजी भी देख रहे थे और मेरे चुचो को घुरे जा रहे थे ।

मैने सोचा जब बाऊजी भी यही चाहते है तो मै क्यू पीछे हटू
रज्जो - बाऊजी आप धोती निकाल दिजीये ,,, देखीये तेल लग जा रहा है

बाऊ जी - लेकिन बेटा मैने कुछ पहना नही है अन्दर,,, मुझे कोई दिक्कत नही है लेकिन तुझे अनुचित ना मह्सूस हो ।

रज्जो - बाऊजी आपकी तबियत मेरे लिए ज्यादा जरुरी है और वैसे भी वो भी एक शरीर का हिस्सा ही है ना तो मुझे कोई आपत्ति नही है बाऊजी

फिर बाऊजी मेरे सामने खड़े हुए और फिर धोती निकाल दी ,,, 6" का आधा खड़ा मोटा झूलता हुआ लण्ड आड़ो के साथ मेरे सामने आ गया ।
फिर बाऊजी वापस कुर्सी पर बैठ गये ,, मेरे सामने उन्का मोटा काला लण्ड आधे खड़े होने के साथ कुर्सी से लटक रह था मैने थूक गटक और वापस से तेल उनकी जांघो पर लगाने लगी और बार बार लण्ड को निहारने लगी ,,, खड़ा लण्ड अपने सामने देख कैसे अपने आप को रोके रखा था मै ही जानती थी ,,,
फिर मैने धीरे धीरे मालिश करते हुए बाऊजी के आड़ो को उल्टे हाथ या कलाई से छूना सुरु किया ,,, नतिजन बाऊजी का लण्ड खड़ा होने ल्गा ,,,जो कभी मेरे कान पर तो कभी मेरे ललाट पर टच होने ल्गा ,,,जब भी उनका लण्ड मेरे चेहरे के पास छुता तो मै बाऊजी को देखती वो मुसकरा रहे होते ।

मैने भी मौके को फायदा उठाया और एक हाथ से कटोरी से तेल निकाला और दोनो हाथों मे अच्छे से लगाया और धीरे से बाऊजी के आड़ो पर हाथ फेरते हुए तेल लगाने लगी ,,

बाऊजी मेरे द्वारा ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी और मेरे नाजुक हाथो का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर उनका लण्ड और सख्त हो गया उन्होने एक गहरी आह भरी और बोले - इस्स्स्स्स बेटी क्या कर रही है तू ,,,वहा क्यू लगा रही है

रज्जो - अरे बाऊजी दोनो पैर पर मालिश कर दी हू ये हिस्सा बाकी था नही करंगी तो रात मे आपको खुजली होगी

बाऊजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और बोले - अच्छा ठीक है बेटी कर ले जैसा तुझे सही लगे

फिर मैने तेल लिया और बाऊजी लण्ड की जड़ो मे तेल लगाते हुए अच्छे से उन्के आड़ो मे मलिश करने लगी लेकिन मैने खुद को समान्य रखा और जरा भी कोई भाव अपने चेहरे पर नही आने दिये

वही बाऊ जी लण्ड मेरे स्पर्श से खड़ा होने लगा था और सल्लामी देने ल्गा था लेकिन जिस खजाने को देखने की चाह मेरी थी वो अभी उस आधी खुली चमडी के अंदर था ,,वो था मेरे बाऊजी का लाल सुपाड़ा,,,
करीब दो मिंट बाद मैने फिर तेल लिया और इस बार बाऊ जी के लण्ड को दोनो हाथो मे लेके तेल से लीपने लगी और इसी दौरान मैने उनकी चमडी नीचे की और उनका लाल सुपाडा नसो के साथ दिखने लगा ,,,, मै अब अपना सन्तुलैन खोने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी जिसे बाऊ जी को भी आभास हो चूका था ,,,,मै कभी भी अपना सबर खो सकती थी ,,,लेकिन मेरे लागातार निचे बैठ कर मालिश करने से बाऊजी के लण्ड की नशे फटने को आ गयी थी ना जाने कैसे उन्होने मेरे मन की तडप को समझ गये फिर वो थोड़ा निचे की तरफ सरके साथ ही मेरे सर पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ झुका दिया ,,,मेरे लिए तो सबसे अमृत सामान मौका मिला,,, और मैने भी अपना मुह खोल कर उनका सुपाडा मुह मे ले लिया और धीरे-धीरे अपने होठो को उनके लण्ड की गोलाई मे निचे की तरफ चली गयी और फिर मैने बाऊजी लण्ड चूसना सुरु कर दिया मै लगातार 10मिनटो तक बाऊजी का मोटा लण्ड चुसती रही और इस दौरान ना ही मैने बाऊजी की तरफ देखा और ना ही एक बार भी बाऊजी ने मुझ्से कुछ कहा बस मेरे सर पर हाथ फेरते रहे

फिर 10 मिंट बाद उन्होने मेरे कन्धों को पकड़ा और हल्का आ ऊपर किया ,,, मै समझ गयी कि बाऊज जी उठने को कह रहे हैं फिर मैने पीछे हट गयी और बाऊजी भी खड़े हो गये ,,, मुझे लगा बाऊजी अब बाहर चले जायेंगे ,,, और मानो मेरा प्रिय खिलौना मुझसे छीन जायेगा
लेकिन बाऊ जी ऐसा कुछ नही और वापस मुझे पकड़ा और उठाए ,,,मै नजरे निचे किये खड़ी हुई
फिर बाऊ जी ने मुझे घुमा दिया और मेरा सूट पकड कर ऊपर करने लगे ,,,,मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन फिर भी मै शांत रही और बिना कुछ बोले बाऊजी की हरकतो मे शामिल होते रही
चुकी मैने सूत के अंदर कुछ नही पहना था तो सूट के निकालते ही मेरा आधा जिस्म नंगा हो गया और मैने तुरंत अपनी चुचियो पर हाथ रख लिये
फिर बाऊ जी ने अपना बकि का कपडा भी निकाल दिया और मेरे तरफ आगे आये । उनकी चौडी छाती जैसे ही मेरे नंगे कोमल पीठ को छुई मेरी धडकनें तेज हो गयी और मन मे एक खुशनुमा सा डर भी होने ल्गा ,,,डर इस बात का कि क्या मै आने वाले उन हरकतों को सह पाऊंगी जो बाऊजी मेरे साथ करने वाले थे ,,,क्योकि मै खुल कर बाऊजी के सामने आ कर खुद को रन्डी नही बनवाना चाहती थी
फिर बाऊजी ने मेरे नरम कंधो को दोनो तरफ से पकड कर अपनी तरफ खीचा और उनका गरम मोटा लण्ड और गर्म सीना मेरे कमर और पीठ से स्पर्श करने लगा ,,,जिससे मेरे पैर कापने लगे फिर बाऊजी ने मेरे हाथो को मेरी चुचियो से हटाया फिर नीचे से मेरे चुचो को पकड़ लिया और हल्के हाथो से सहलाने लगे

एक तरफ जहा बाऊजी हल्के हल्के मेरी चुचियो को मिजे जा रहे थे वही मेरी चुत लागातार पानी बहाये जा रही थी और मेरी सिसकियाँ भी तेज होने लगी थी
हम दोनो मे कोई बात नहीं हो रही थी ,,,,

कुछ समय बाद बाऊ जी ने मुझे छोडा और खुद बिस्तर पर बैठ गये और मुझे भी अपनी दाहिनी जांघ पर बिठा ,,,, अब तक हुए इस घटना मे मैने एक बार भी बाऊजी से नजर नही मिलाई थी ।
फिर उन्होने मुझे अपनी जांघ पर बिठा दिया जहा उनका लण्ड मेरे जांघ पर छुए जा रहा था और मेरी सासें फुले जा रही थी ,,उसी समय बाऊजी ने मुझे अपने दाहिने हाथ में मजबूती से पकड़ा और बाये हाथ से मेरी दाई तरफ की चुची को पकड़ा और झुक कर अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगे ,,,,मै तडप उठी और सिसकिया लेटे हुए पहली बार बाऊजी की नंगी पीठ पर हाथ रख दिया एक बार बाऊ जी के चेहरे पर देखा तो वो अपनी मोटी मोटी खुरदरी जीभ को मेरे नाजुक गुलाबी रंग वाले किसमिस के दाने जैसे निप्प्ल को गिला कर कर के अपने मोटे होठो से चूसे जा रहे थे ,,, बाऊजी की मूछ का नुकीला हिस्सा मेरे चुचो ने नरम हिस्सो मे चुब्ने से मेरी सिसकी मे मीठा दर्द भी शामिल होने ल्गा । थोडी देर बाद बाऊ जी मुझे वापस अपने सामने खड़ा किया और मेरे दोनो हाथ उनके कंधो पर आ गये

फिर उन्होंने ने बिना कुछ बोले मेरे कमर से नाडे को बाहर की तरफ खीचा और मेरा खुला सलवार निचे जमीन पर गिर गया,,,, अब मै सिर्फ एक पैंटी मे थी वाप्स बाऊ जी ने मुझे पकड़ा और इस बार बाई जांघ पर एकदम घुटने के पास बिठाया और मुझे अपने कन्धे पर ले लिया ,,,, एक हाथ से उन्होने मेरी पीठ की तरफ से बाई तरफ ले जाकर मेरी चुची को पकड़ा और दुसरा हाथ मेरे जांघो मे घुमाने लगे ,,,मेने अपनी आंखे बंद की और बाऊजी के हाथो को अपने नाजुक जिस्म पर मह्सूस करने लगी
बाऊ जी मेरे चुची को मसलते हुए अपनी एक हाथ को मेरे पैंटी के ऊपर ले आये ,, मेरी पैंटी निचे की तरफ पूरी चिपचिपी हो चुकी थी ,,,, बाऊ जी ने मेरे नाभि के निचे के भागो पर पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और फिर मेरे चुत के ऊपर ले आये ,,, मेरे अन्दर एक अलग ही तुफान मचा हुआ था ,,,मै अपने कमर हिलाने लगी थी और सिसिक्ने भी लगी ,,,, फिर जब बाऊजी ने उंगली को मेरी पैंटी की रबड़ मे फसा कर फैला और कमर की तरफ ले जाकर निचे करने लगे तो मैने भी अपने मोटे चुतडो को उठा कर अपनी पैंटी निकलवाने मे मदद की फिर जब मेरी पैंटी मेरे जांघो के बराबर मे आ गई तो बाऊ जी ने वापस मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी निचे कर दी अब हम दोनो नंगे हो चूके थे फिर बाऊ जी भी खड़े हुए और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ,,, मैने तुरंत अपनी जांघो को जोडते हुए चुत को और अपनी चुचियो को अपने हाथ से छिपा लिया और एक तरफ सर को घुमा कर आंखे बन्द कर ली

फिर मुझे मह्सूस हुआ कि बाऊजी ने मेरे जांघो को छुआ और खोल दिया । मैने भी बिना कोई प्रतिकिया के उनका साथ दिया और फिर मुझे बिस्तर पर बाऊ जी का भार भी मह्सूस हुआ तो मैने तिरछी नजर से देखा तो बाऊ जी मेरे जांघो के बिच आ गए थे और मेरी टपकती चुत देखे जा रहे थे फिर उन्होने मुझे एक नजर देखा तो झट से मैने अपनी आँखे भीच ली ।

फिर मुझे अपनी चुत की ऊपरी चमडी पर एक खुरदरी सी घर्षण का अह्सास हुआ जिससे मेरा रोम रोम मे खून की दौड़ तेज हो गयी ।

अब मुझे बाऊजी के होटों और उनकी जीभ का खेल मेरे चुत पर मह्सूस होने ल्गा ये मेरे लिए पहला अह्सास था कि कोई मेरी चुत चाट रहा था और बाऊजी की जीभ की कलाबाजी के आगे मै चंद मिंट भी नही टिका सकी खुद को और झडने लगी इसी दौरान बाऊजी ने कभी एक तो कभी दो दो उंगलिया मेरी चुत मे डाली ,,,, उनकी मोटी उन्गलिया मेरे लिये किसी लण्ड से कम नही थी ,,,,
करीब 10 मिंट बाद बाऊजी उथे और अपना लण्ड मेरी चुत पर रखा ,,, उनके लण्ड का भार मेरी नाजुक चुत पर पडते ही मै समझ गई कि अब वो चोदन्गे

फिर उन्होने अपनी कमर को आगे पीछे किया और सुपाडे को मेरी मुलायम चुत पर रगड़ा

तो मैने भी बहुत हिम्मत की और बोली - बाऊ जी तेल ....
मै ब्स इतना ही बोल पाई इत्ने मे बाऊ जी उतरे और जमीन से तेल की कटोरी लेने चले मै उनको देखने के लिए वापस बिस्तर पर बैठ गयी तो मेरी नंगी चुचिया लटक कर सामने आ गयी ,, फिर बाऊजी ने मुझे देखा और मेरे पास आये ,,,, उनका लण्ड अभी भी वैसे का वैसे खड़ा और सख्त था मेरे मुह मे फिर से पानी भरने लगा तो मैने खुद पहल की और जमीन पर बैठ गयी जिससे बाऊजी समझ गये और मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे सर पर हाथ फेरा ,, मैने एक बार फिर से बाऊजी के लण्ड को मुह में भरना शुरू कर दिया और अच्छे से गिला कर वापस बिस्तर पर बैठ गयी ,,, बाउजि मेरे करीब आये और मेरे चेहरे को हाथो मे भरा ,,,, जिससे मेरे रोम रोम मे एक अलग ही उत्तेजना दौड़ने लगी और मैने आंखे बंद कर ली ,,,फिर वो झुके और मेरे माथे को चूमा और मुझे लिटा दिया ,,,,,एक बार फिर मेरी जन्घे खुल गयी
अब बाऊजी एक हाथ मे ढेर सारा तेल लिया और अच्छे से अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और फिर थोड़ा सा तेल लेकर मेरी चुत पर मल्ने लगे और ,,,, फिर वो बिस्तर पर चढ़ गये और मेरी जांघो के बिच अपने घुटनो के बल बैठ गये ,,, एक बार फिर उनहोंने अपने हाथो से चुत को सह्लाया और अपना गर्म तपता मोटा लण्ड मेरी चुत पर रख कर रगड़ने लगे ,,, फिर उन्होने मेरी जांघो को चौड़ा किया और अपना सुपाडा मेरी नाजुक सी चुत पर रखा और हल्का सा दबाया

मेरे अन्दर एक डर सा होने ल्गा तो मैने बोला - बाऊजी धीरे .... और इन सब मे पहली बार मैने बाऊजी की आँखो मे देखा वो हल्के मुस्कान के साथ एक हाथ मेरे गाल पर फेरा और थोड़ा सा जोर लगा कर मेरी कसी चुत मे अपना सुपाडा घुसेड़ा

रज्जो - अह्ह्ह्ह बाऊजी दर्द अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ंंंं
बाऊजी बिना कुछ बोले फिर से थोड़ा पीछे हुए और एक तेज धक्के से मेरी चुत के नाजुक दिवारो को चिरते हुए अन्दर घुस गये ,,,,, उनका तपता मोटा लण्ड मेरी चुत मे हुए दर्द मे मल्हम जैसा था ,,,फिर दो चार धक्को मे बाऊजी ने मेरे चुत का रास्ता खोल दिया और कुछ ही समय मे मै दर्द से दूर जननत मे सैर करने लगी ,,,, अब बाऊजी के हर धक्के मे मुझे सुकून मिलने ल्गा और करीब 10 मिंट तक मेरी कसी चुत मे अपना लण्ड रगड़ने के बाद पहली बार बाऊजी बोले - आह्ह्ह्ह रज्जो मेरा होने वाला है बेटी

मुझे भी अपनी चुत मे लण्ड का कसाव से पता चल रहा था कि उनका आखिरी धक्का चल रहा है

रज्जो - अंदर नही बाऊ जी ,,,, मै ,,,
फिर तुरंत बाऊ जी ने मेरी चुत से लण्ड निकाला और मेरे चेहरे के पास आ गये और लण्ड को हिलाने लगे ,, कुछ ही पलो मे उनका गर्म पानी मेरे मुह मे गिरने लगा और मैने बाऊजी का लण्ड मुह मे लेके अच्छे से चुस कर वापस छोड दिया और सीधा लेट गयी

फिर बाऊजी भी मेरे बगल मे लेट गये फिर 5 मिंट बाद
बाऊ जी - बेटी तुझे बुरा नही ना लगा ,,,
रज्जो - जी नही बाऊजी मै शादी से पहले आपकी ही अमानत हू ,,, मेरे से ज्यादा आपका मुझ पर हक है
बाऊ जी - सुक्रिया बेटी , मुझे तेरी मा के जाने के बाद से आज सुकून मिला है ,,,,
रज्जो - कोई बात नही बाऊ जी जब भी आपको मा की याद आये मुझे बुला सकते है आप
बाऊजी - बेटा याद तो उसकी हर रोज आती आती है न तो क्या तू रोज मेरे लिए ये बलिदान देगी

रज्जो - मैने कहा ना बाऊजी शादी तक मै आपकी ही अमानत हू ,,,,
बाऊ जी - सुक्रिया बेटा अब जा तू आराम कर ,,, दो दिन तक थोडी सेकाई कर लेना

वापस कमरे मे जहा मा और मौसी बाते कर रहे थे

रागिनी - अरे वाह दीदी आपने जो सोचा वो आज आपको मिल ही गया आखिर ,,, मै बहुत खुस हू आपके लिए
रज्जो - थैंक्स छोटी ,,, अगर तू कहे तो तेरे लिए भी बाऊजी से बात करू हीहीहि
रागिनी - नही नही ,,,
रज्जो - फिर क्या वो अपने पति से ही खुलवयेगी
रागिनी - हा दिदी मेरी इच्छा यही है की पहला लण्ड मेरे पति का ही रहेगा

फिर धीरे धीरे समय बीता और दीदी ने मामा को भी मौका दिया ,,, फिर दीदी ने मेरी मजबुरी समझी और खुद राजेश के कमरे मे जाकर चूदती थी ताकि मै अपने वादे पर बनी रहू ।

इसी दौरान मैने कयी नई चीजे सीखी ,,, जो मुझे दीदी ने सिखायी फिर 2 3 साल बाद बाऊ जी ने दीदी की सादी एक अचचे घर मे करवा दी फिर मेरी भी सादी हो गयी और फिर राजेश की भी

मै - अरे वाह मा क्या गजब की कहानी थी । लेकिन क्या सच मे आपने शादी के बाद भी नही सोचा नाना जी या मामा के बारे मे

मा - दीदी ने तो बहुत जोर दिया की आ साथ मे मज़े करते है लेकिन तेरे पापा का प्यार मुझे रोज मिलता था ,,, लेकिन अब देख रही हू कि ये भी दुसरी औरतो मे खोये रह रहे है

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब देखते है दोस्तो राज की अगली सुबह उसके जीवन मे कौन से नये रंग लेके आती है ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 30

अब तक

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब आगे

अगली सुबह मेरी निद खुली तो 8बजे थे । रात की थकान से मै देर से उठा था तो देखा मा और पापा उठ चुके है और ऊपर भी चले गए हैं ।

मै रात की बातो को लेकर थोड़ा खुश था और उठकर ऊपर गया तो पापा, अनुज नास्ता कर रहे थे और मा दीदी कीचेन मे थी ।

मैने एक नजर बेडरूम मे डाली तो देखा बुआ कमरे मे भी नही ,,मतलब वो छत पर गयी होगी नहाने के लिए,,,,, बुआ का ख्याल आते ही लण्ड अंगड़ाई लेने लगा । मैंने तुंरत तौलिया लिया और ऊपर च्ला गया नहाने

मै छत पर पहुचा तो देखा बुआ बाथरूम के दरवाजे पर अन्दर की तरफ पैर रखे हुए कपड़े धुल रही थी ।
उस समय बुआ सिर्फ पेतिकोट मे थी और पेतिकोट को अपने भारी चुचो के ऊपर चढा कर बाँधा हुआ था ।

उफ्फ्फ पीछे से उनकी मोटी गाड़ पेतिकोट मे और फैल गई थी । मेरा तो लण्ड खड़ा हो गया था ,,, मैने तुरंत सारे कपडे निकाल कर अंडरवियर मे आ गया और धीरे से बुआ के पीछे बैठ गया और उनकी गरदन मे हाथ डाल कर एक चुची को पकड कर ऊपर खीचते हूए मिजने लगा
बुआ मेरे हुए अचानाक हमले से चौक गयी थी हुचुक कर उठ गई फिर मुड कर देखा तो मै था

बुआ - अरे लल्ला तुने तो डरा ही दिया ,,, और ये क्या कर रहा है तू खुली छत पर

मै - सॉरी बुआ वो आपको ऐसे ओपेन देख कर उत्तेजित हो गया था,,,, और देखो यहा कोई नही देख सकता

बुआ - य्हा कोई नही है लेकिन निचे तो सरे लोग है ना अगर कोई आ जाता तो

मै भी अन्दर बाथरूम मे घुस गया बुआ को हग कर लिया आह्हह कितना मुलायम जिस्म था

मैने उन्के कंधे पर सर रखा और उनकी चुचि के निप्प्ल जो पेतिकोट मे साफ दिख रहे थे उनको सहलाते हुए बोला - बुआ मुझे भी नहाना है आपके साथ
फिर उन्के गरदन को चूमने ल्गा जिसका असर बुआ पर होने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला मान जा सब निचे है
मै - पापा दुकान गये , अनुज खेलने चला गया , मा और दीदी कीचेन मे है ,,प्लीज ना बुआ मान जाओ ,,,,
फिर से बुआ की चुचियो को मस्लना सुरु किया और फिर उनका पेतिकोट का नादा खोल दिया जिससे वो सरक कर निचे गिर गया ,,,, दिन के उजाले मे बुआ का गदराया जिस्म और कामुक लग रहा था

मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और बुआ की कमर मे हाथ डाल कर उनके होटो को चूसना सुरु कर दिया और एक हाथ से उनकी चूचियो को म्सल्ने ल्गा ,,, बुआ जैसी गर्म औरत कैसे पीछे रहती वो भी मेरा साथ देने लगी ।
फिर कुछ देर बाद मैने अपना हाथ उनकी नंगी चुतडो पर घुमाने ल्गा साथ ही झुक कर उनकी चूचि के बड़े बड़े मून्क्के वाले निप्प्ल को चूसने लगा ,,,लेकिन बुआ को चैन कहा उन्होने ने भी मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे खड़े लन्ड को सहलाना शुरू कर दिया

फिर मै बुआ के काम आसान करते हुए अपना अंडरवियर भी निकाल दिया और वाप्स बुआ की जवानी से खेलने लगा
अब स्थिति यू थी कि मेरे और बुआ के होठ जुड़े हुए थे और मेरा बाया हाथ बुआ की पहाड़ जैसी ऊँची और रबर सी लचीली गान्द पर रेग था जबकि दाये हाथो से बुआ की रसिली मोटी चुचियो की मिजायि हो रही थी ,,वही बुआ का एक हाथ मेरे गरदन पर और दुसरा हाथ से मेरे कडक लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही थी
फिर हमदोनो ने अपनी पोजिसन बदली और बुआ अपने घुटनो पर आ गयी । चंद पलो मे ही मेरे लण्ड को थोड़ी ठण्डक मिलने लगी ,,,क्योकि बुआ ने मेरे खड़े लण्ड को चूसना सुरु कर दिया था ।
उनके नरम होठ मेरे सख्त लण्ड को लार से लीपने लगे और मुह के अंदर बुआ की जीभ मेरे सुपाडे पर लोटने लगी । इस आनन्द को पाकर मेरे अंदर एक तुफान सा उठने लगा , मेरे लण्ड की नशे और अकड गई,,, क्योकि मुझे बुआ को चोद्ना था तो मै अभी झड़ना नही चाहता था ,,,तो मैने बुआ को उठाया और बोला

मै - बुआ चलो ना नहाते है
बुआ - अरे हा तेरे खड़े लण्ड के चक्कर मे मै तो भूल ही गई,,,हा चल जल्दी आजा
बैठ पहले मै तुझे नहला देती ही
मै खुश हो गया और
फिर मैने निचे बैठ गया और बुआ बाल्टी से पानी निकाल कर मेरे ऊपर डालने लगी ,,, फिर साबुन लेकर पहले बालो मे फिर बॉडी पर साबुन लगाने लगी ,,,कमर तक लगाने के बाद बुआ ने मुझे खड़ा होने हो कहा और फिर मै खड़ा हुआ तो बुआ ने मेरे पैर के साथ साथ मेरे खड़े लण्ड पर भी अच्छे से साबुन लगाया फिर उन्होने पानी डाल कर अच्छे से बदन को साफ किया ,,, शरीर के साथ मेरा लण्ड भी खिल उठा ,

बुआ - बेटा तू चल मै नहा के आती हू ,,आज बाजार जाना है ना हमे

मै - क्या बुआ आपने मुझे नहला दिया अब मै भी तो नहलाउँगा ना आपको

बुआ - हिहिहिह ,, अच्छा लेकिन मुझे बहुत गुदगुदी होगी न
मै - अरे बुआ प्यार से नहलाउन्गा ना
चलो बैठ जाओ आप ।
फिर मैने एक मग्गे मे पानी लिया और थोड़ा थोड़ा करके पानी उनके बालो मे गिराने लगा जिससे पानी एक पतली धार लेके उनकी चिकनी पीठ से होते हुए उनकी मोटी मोटी चुतड की दरारो से होकर बाथरूम के फर्श पर गिरने लगी ,,,, मुझे ऐसे बुआ को छेदने मे मज़ा आने लगा और हल्का हल्का पानी उनके पीठ पर गिरने से वो सिहर जा रही थी ,,,

बुआ - क्या कर रहा है बेटा जल्दी कर कोई आ जायेगा
मैने भी मौके की नजाकत को समझा और अच्छे से पानी डाला । फिर शैम्पू से बुआ के बालो को साफ करने ल्गा ,,,एक बार फिर शैम्पू की गाज बुआ की नंगी पीठ से उनके चुतडो पर जाने लगी जिससे बुआ को उन्के गांड मे खुजली मह्सूस हुई और वो हाथ पीछे ले जाकर चुतडो की दरारो मे खुजली करने लगी जिससे उन्के मोटे मोटे गांड हिलने लगे

फिर मैने बुआ को खड़ा किया और अच्छे उन्की पीठ के साबुन लगाया और पीछे से ही हाथो को आगे कर उनके चुचो पर साबुन लगाकर मसलने लगा थोडी देर बाद मै निचे बैठ कर बुआ की जांघो मे साबुन लगाया और पीछे से ही उनकी गान्द के निचे से हाथ ले जाकर चुत के ऊपर साबुन लगाने ल्गा जिससे बुआ थोड़ा झुक कर अपनी जांघो को खोला तो मैने भी एक हाथ आगे लेजाकर उन्के चुचो को वापस मसलने लगा । फिर मैने बुआ की गान्द को अपने सामने करते हुए उन्हे दीवाल से लगा दिया ,,, मेरे लगातर मसलने से वो नशे मे थी खुद से सिसिकिया लेटे हुए अपनी चुचिया मसल रही थी
फिर मैने साबुन लिया और बुआ की भारी मोटी लचीली गान्द के पाटो पर खुब सारा साबुन लगाने ल्गा और फिर उनकी चुत से लेकर उनके गान्द के उपरी सिरे तक दरारो मे साबुन भर दिया । इधर मेरा लण्ड भी उफान पर था तो मै थोडा साबुन वापस अपने खड़े लण्ड पर लगाया और बुआ की कमर को दोनो हाथो से पकड कर अपने लण्ड को बुआ की साबुन से भीगी हुई गांड की दरारो के ऊपर रगड़ने ल्गा लेकिन मेरे साबुन लगाने से बुआ की गान्द पर फिसलन बहुत ज्यादा थी जिससे मेरा लण्ड बार बार बुआ की जांघो मे उनकी चुत पर टकरा जा रहा था ऐसे मे मुझे एक विचार आया और मैने बुआ को थोड़ा पीछे खीच कर उनको आगे की तरफ झुका दिया जिससे उनकी मोटी गान्ड़ और ज्यादा फैल कर मेरे सामने आ गई । मैने भी मोर्चा सम्भाला और अपना लण्ड को मसल कर साबुन की गाज को ज्यादा किया और दोनो हाथो से उनके लचीले गांड के मोटे पाटो को फैलाया और अपना लण्ड उनकी उभरी गान्ड की दरारो मे डाल दिया और कमर पर हाथ रख कर लंड को गान्ड की गहरी लकीर मे आगे पीछे करने लगा,, कुछ की धक्को मे बुआ के मोटी गान्ड की दरारो ने मेरा आधा लण्ड निगल लिया ,,, साबुन की फिसलन से जल्द ही बुआ की दरारे मेरे मोटे सुपाड़े से चौडी होने लगी,,,ऐसे ही थोडी मस्ती के बाद मैने बुआ की पानी डाल के साफ किया क्योकि उनके बदन का साबुन सूखने लगा था ,,, फिर मैने बुआ को पानी से अच्छे से मल मल कर साफ किया और वापस खड़ा किया ,,, फिर खुद को भी पानी डाल कर साफ किया। मैने उन्के नरम भिगे चुचो पर नजर डाली तो मुह मे पानी आ गया तो वापस से एक बार फिर बुआ की रसिली चुची को पीने लगा ।
सच मे नहाने के बाद बुआ के चुचे और भी ज्यादा नरम और मीठे लग रहे थे । एक बार फिर से मैने बुआ के हाथ मे अपना लंड थमा दिया और वो भी मेरे दिये काम को बखुबी करने के लिए बैठ गई और मेरे लण्ड को निगलना शुरू कर दिया ,,, इसी बिच मेरी नजर बाथरूम के दरख्त पर रखी तेल की शिसी पर गई और मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई ।
करीब 5 मिंट हो चुके थे बुआ को मेरे लण्ड चुस्ते और हमारे बदन का पानी निचड़ चूका था ।
फिर मैने बुआ को घुमा कर उन्हे फर्श पर ही घोडी बना दिया और तेल की शीशी को हाथ मे लेकर उनकी दोनो जान्घो मे बीच घुटनो के बल आ गया । नहाने के बाद से बुआ की गोरी और मोटी गान्ड और ज्यादा मुलायम और चिकनी हो गयी थी।
फिर मैने एक हाथ बुआ की चुत पर रखा जो अभी भी पनियायी थी । फिर मैने उनकी चुत को सहलाते हुए चार उंगलिया उनकी चुत पर और अंगूठा उन्की गान्द की हल्की भूरि छेद पर रखकर सहलाने लगा । मैने तेल की शिशि को अपने मुह से खोला और टप टप टप करके उनकी गाड़ की दरारो मे गिराने लगा ,,,धीरे धीरे तेल रिस कर मेरे अंगूठे तक आई तो मैने उसे बुआ की गाड़ की छेद पर अच्छे से मलने लगा

बुआ - अह्ह्ह्ह लल्ला क्या कर रहा तू
मै - आपके गान्ड मे लण्ड डालने की तैयारी बुआ
बुआ - उम्म्ंम तो जल्दी कर ना। अब रहा नही जा रहा है

मैने भी अच्छे से तेल बुआ की गान्ड मे लिप कर थोड़ा तेल अपने लंड के सुपाडे पे भी लगाया और झुक कर लण्ड को बुआ की गान्द की छेद पर रख कर सुपाडे को जोर देते हुए अंदर ठेल दिया और कुछ ही सैकेण्ड मे बुआ ने अपनी गान्ड को सिकोड़ कर मेरा आधा लण्ड अपनी गान्द मे समा लिया मैने वापस से तेल की शीशी उठाई और बाकी बचे लण्ड के हिस्से और बुआ की फैली हुई गान्ड की छेद की गोलाई पर तेल गिराने लगा और तेल गिराने के साथ ही मैने लण्ड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।

बुआ - आह्ह बेत कितना तेल गिरायेगा ,,, मेरी गान्ड पहले से ही खुली है ,,बस तू फाड इसको उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे ही पुरा जड़ तक लण्ड को डाल अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं,,, उफ्फ्फ बेटा अह्ह्ह्ह जैसे लग रहा है कितने दिनो बाद लण्ड को गान्ड मे लिया है अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आह्हह उउह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं हा बेटा चोद और चोद और तेज्ज़्ज़्ज़ अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

मै भी बुआ को उत्तेजित देख तेज़ी से उनकी गान्ड मे लण्ड डालने लगा ,,, हर धक्के के साथ उनकी लचीली मोटी गान्ड मेरे लण्ड को वापस आधा बाहर की तरफ धकेल देती थी जिससे मुझे कम ताकत मे भी जोरदार चुदाई का आनन्द मिल रहा था । मेरी जान्घे उनकी मोटी चुतडो से लगातर टकरा कर थप थ्प्प्प्प थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाजे देने लगी ।,,,,

मै - बुआ बहुत ही मस्त गांड है तुम्हारी ,,,, आप तो लण्ड लेने मे माहिर लगती हो आह्हह क्या मुलायम गान्ड

बुआ - हा बेटा 30 साल हो गये लण्ड लेते हुए तो माआअहिर होओ हीइ जाआऊंगी नाआह्ह्जह्ह्ह्ज उम्म्ंम और तेजह्ह्ह्ज अह्ह्ह्ह मै झडने वाली हू बेटा एक बार चुत मे डाल देगा ,,, बहुत मन है चुत मे लेने का अह्ह्ज डाल दे ना

मै भी बुआ पर तरस खा कर एक झटके मे गान्ड से लण्ड को निकाला और गप्प से उनकी रसिली चुत मे बोर दिया
मै - लो बुआआअह्ह्ह डाआआअललल्ल दियाअह्ह् ,,, लगता है आपको एक साथ दो लण्ड लेने की आदत है तभी इतनाहहहह तड़प रही हो ।

बुआ - अह्ह्ह्ज्ज हम्म्म्मममं उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं हहहह अह्ह्ह्ह्ह तेज्ज्ज्ज औउउउउरररर तेजजजजज अह्ह्ह्ह

मै - बोलो ना बुआ कभी लिया है एक साथ दो लण्ड,,,,
बुआ - हा बेटा घर पर तो रोज रात मे दो लण्ड लेती हू तभी तो ऐसी फैल गई हू ना ,,,,, मेरे दोनो पति मिल के चोद्ते है मुझे अह्ह्ह्ह्ह आह्हह फाड दे मेरे चुत को चटनी बना दे मेरे लाल उह्ंम्ंंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह

मै एक पल को रुक गया दो पति ,, बुआ ने दुसरी शादी भी की है लेकिन किस्से क्यू

बुआ - क्यू रुक गया बेटा अभी पेल दे ना मै बाद मे सब बता दूँगी ,,,आह्हह आह्हह हा ऐसे ही ऐसे ही बेटा ओह्ह्ह्ह्ह्माआआ माआआ उम्म्ंम्ं हा बेटा निकलेगा मेरा अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और तेज

बुआ एकदम झडने के करीब तो उन्होंने अपनी चुत को मेरे लण्ड पर कसना सुरु कर दिया जिससे मेरे तेज धक्को ने मेरे लण्ड की नशो को बुआ की चुत मे रगड़ना सुरु कर दिया ,, धीरे धीरे बुआ की चूत ने मेरे लंड को निचोडने लगी और मेरे लण्ड का आकार और बढने लगा ,,, मेरा सुपाडा अब पूरी तरह से तपने लगा और लंड की नशे मेरे वीर्य से भरने लगी,,, लेकिन मेरे धक्के की गति कम नही हुई कुछ ही पलो मे ,,,, बुआ ने अपनी चूत ढीली कर ली और उन्का गर्म लावा मेरे लण्ड की चमडी की जलाने लगा जिससे मेरा सुपाडा ज्यादा देर तक वीर्य को नशो मे नही रोक सका और भलाभल तेज़ी से धक्को के साथ बुआ की चुत मे वीर्य उगलने लगा और कुछ आखिरी धक्को के साथ ही मै बुआ की पीठ पर ढह गया और हाफ्ने लगा ,,,,साथ ही बुआ की तेज सांसे भी मुझे महसूस हो रही थी । थोडी देर बाद जब सांसे नॉर्मल हुई तो मै उनके ऊपर से उठा । बुआ से उठा भी नही जा रहा था आखिरकार 20 मिनटो से एक ही पोजिसन मे चुद जो रही थी ...फिर मैने बुआ की मदद की और हम दोनो ने फिर से नहाया और बुआ ने लाया हुआ सूत सलवार पहन लिया
मै - चलो बुआ अब नीचे चलते है ।
बुआ - नही पहले मुझे जाने दे 5मिंट बाद आना तू
मै - और वो दो पति वाली बात समझ नही आई मुझे
बुआ मुस्कराई और बोली - वो बाद मे अभी लेट हो रहा है बेटा ,
फिर मैने बुआ को एक किस्स किया और उन्हे जाने दिया । करीब 5मिंट बाद मै भी निचे गया और नास्ता करने लगा ।

मा - बेटा सुन आज दोपहर तक ही दुकान खोलना , फिर दोपहर बाद हम लोग साथ मे बाजार चलेंगे , मैने तेरे पापा को बोल दीया है ।

मै - ठीक है मा चलो मै दुकान खोल दू ।
फिर मैने बुआ को देखा और एक स्माइल की फिर मै दुकान पर चला आया ।

एक घन्टे बाद मा और बुआ निचे आई
मा - बेटा मै और तेरी बुआ , तेरे चचा के यहा जा रहे हैं साड़ी लेने के लिए,,, कुछ चाहिये होगा तो सोनल को आवाज दे देना

मै - ठीक है मा , जल्दी आईएगा
बुआ - हा बेटा जल्दी ही आएगे कौन सा तेरी मा तेरे चाचा के साथ रहने जा रही है हाहाहाअहा
मा - क्या दीदी आप भी चलिये अब
फिर मा और बुआ निकल गये चाचा के यहा । मै वापस दुकान पर काम करने लगा करीब आधे घण्टे बाद दीदी ऊपर से आई और बोली

दिदी - भाई वो तेरा मोबाईल मिलेगा वो मुझे कुछ ड्रेस देखना था
मै - अरे आओ ना दीदी साथ मे देखते है
दीदी - नही भाई मुझे और भी थोडा काम है ना
मै - जैसे कि
दीदी - तू देगा कि नही
मै - अरे मै कब मना कर रहा हू ये लो
फिर दिदी मोबाईल लेकर ऊपर चली गई मैने इस बात के लिए कोई ध्यान नही दिया और दुकान मे लग गया ।
करीब 11 बजे तक मा और बुआ वापस आ गए ।

मै - क्या मा इतनी देर यही कर दी तो हम लोग बाजार कब जायेंगे
मा - अरे बेटा वो त्योहार की वजह से दुकान पर भीड़ थी और फिर हम दोनो ने वो करीम के यहा ब्लाऊज पेतिकोट सिलने को भी दे दिया ना कल शाम तक मिल जायेगा ।

मै - अच्छा ठीक है तो अब दूकान बंद कर दू , क्योकि अभी चाचा और पापा दोनो को खाना देने जाना पडेगा ना फिर हम लोगो को तैयार भी होना है

मा - हा बेटा तू दुकान बंद कर दे और ऊपर आजा ।
करीब 20 मिंट बाद मै ऊपर गया।

मा - बेटा एक काम कर ये तू अपने पापा का खाना देके आजा और चाचा का खाना अनुज लेके चला जायेगा ।

मै - ठीक है मा लाओ ।
फिर मै खाना लेके पापा के दुकान पर गया और पापा मे मुझे कुछ पैसे दिये शॉपिंग के लिए और मै भी खुश होकर वापस आ गया घर ,, फिर हम लोगो ने साथ मे खाना खाया और सब तैयार होने लगे ।

दीदी ने आज एक बहुत ही खुबसुरत नेवी ब्लू रंग का सूट सल्वार पहना था ।
वही मा ने पिंक कलर की बहुत ही सुन्दर साडी पहनी थी ।
बुआ तो पहले की तरह एक ब्लू रंग की कुर्ती और क्रीम कलर की लेगी मे बहुत सेक्सी दिख रही थी ।
मैने और अनुज ने भी जीन्स टीशर्ट पहना था ।

फिर एक बजे से हम लोग घर बंद करके निकल गए शॉपिंग के लिए ।

देखते है दोस्तो नये शॉपिंग मॉल मे क्या क्या नयी घटनाये होने वाली है ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 31

दोस्तो पिछ्ले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि राज की चांदी ही चांदी हो रही है और आज वो फुल फैमिली के साथ बाजार मे खुले नये शॉपिंग कॉमप्लेक्स के लिए निकल चूका है अब आगे ।


अब आगे

हम सभी लोग मेन मार्केट की तरफ निकले । त्योहार की वजह से काफी भीड़ थी और बाजार कमसिन लड़कीयो से लेकर गदरायी औरतो से भरी थी । मै खुद भी 3 जबरदस्त मालो के साथ बाजार मे घूम रहा था । काफी लड़को और मर्दो की नजरे मेरे बुआ दीदी और मा की तरफ थी । खासकर बुआ की तरफ ,,, उनकी कसी लेगी मे उभरी गान्ड के जब मेरे पापा ही दीवाने हो गये तो गैर लोगो की क्या बात थी । मुझे धीरे धीरे मह्सूस होने लगा कि जैसे जैसे लोग मा दीदी और बुआ को घुर रहे थे ,, वैसे ही उनके हाव भाव और चलने के अन्दाज मे बदलाव साफ नजर आने लगा था । मै खुद पीछे चल कर अपनी तीनो घरेलू हसिनाओ की चाल पर खास नजार गडाये हुए था । सबसे आगे दीदी और अनुज चल रहे थे । एकतरफ जहा अनुज लड़को द्वारा दीदी को ताडने से मुह बना रहा था वही दीदी मुह पर दुपट्टा लगा कर मुस्कुरा रही थी क्योंकि मार्किट मे कुछ लडके हमारे कोचिंग स्कूल और दूसरें मुहल्ले के भी थे । उन सबकी नजरे मेरी कमसिन बहन पर थी ।
दीदी और अनुज के पीछे मा और बुआ चल रहे थे । आहहा उन दोनो का मै खुद दीवाना था । एक तरफ जहां मा की मदमस्त साडी मे कैद जवानी वही दुसरी तरफ कुर्ती लेगी मे कसी भरी बदन वाली बुआ ।
दोनो गान्द चलते हुए बहुत मटक रहे थे जिनको देख कर कुछ लडके और मर्द एक तक बुआ की कसी जांघो और मा के ब्लाऊज के उबारो को अन्त तक देखते ही रह जाते थे ।

मै भी इनसब का मज़ा लेते हुए जा रहा था साथ ही मा और बुआ की चटपटी बाते भी सुन रहा था ।

बुआ - देख रही हो भाभी ,, मर्द तो मर्द ये कच्ची उम्र के लडके भी कम नही है ,,, एकटक नजरे हमारे माल पर टीकाए ही जा रहे हैं

मा - हा जब ऐसे ही गान्ड मटकाओगी तो लोग तो देखेंगे ही ना

बुआ - आहा मेरे गान्द की बड़ी फ़िकर है आपको अरे अपने उभरे हुए चुचो को देखो भाभी सबकी नजारे वही है

मा - अब मालदार हो गयी हू तो दिखेगा ही न माल हीहीहि
बुआ - देखो कोई लुट ना ले जाये हमारे माल को
मा - अरे आपके भईया के रहते किसकी मजाल जो आपके माल को हाथ लगाये हीहीहि

बुआ - क्या भाभी आप ,,,
मा - हहहहह

मै दोनो की चटपटी बाते सुन कर खुश हो रहा था
बातो ही बातो मे हम लोग सरोजा कॉमप्लेक्स आ गये थे ।
क्या शानदार बिल्डिंग थी तीन मंजिला ।
ग्राउंड फ्लोर पर जेन्स के लिए, फ़र्स्ट फ्लोर पर लेडीज के साथ बच्चो के लिए और सबसे उपरी फ्लोर सिनेमा रेस्तराँ के लिए था ।
हम सब लोग एक साथ एन्ट्री ली और अंदर का माहौल एकदम खुसनुमा था हर तरफ चहल पहल थी । अनुज तो अन्दर घुसते ही सबसे पहले जीन्स वाले सेक्शन मे भाग गया ,, वही मा और बुआ ऊपर वाले फ्लोर पर जाने लगी ,,,तभी दीदी ने मुझसे मेरा मोबाइल मागा और बोली उसे कुछ तस्वीरे निकालनी है फिर वो भी मोबाईल लेकर मा और बुआ के साथ ऊपर चली गयी । मै भी बहुत खुश था सोचा चलो अपने छोटे भाई के साथ टाईम पास करते हुए खरीदारि करु ।
मै भी अनुज की तरफ जीन्स वाले सेक्शन मे चला गया ,,, जहा अनुज बडे खुश होकर बस देखे जा रहा था लेकिन कोई भी ट्राई या माप नहो रहा था मै उसके पास गया

मै - क्या हुआ भाई तूझे पसंद नही आ रही है क्या इतने सब मे से

अनुज - भैया दाम देख रहे हो कोई भी जीन्स हजार रुपये से निचे की नही है कैसे लू

मै - बक्क पगलेट पैसे की चिन्ता क्यू कर रहा है जो चाहिये लेले मेरे भाई मै हू ना

अनुज खुश होते हुए - सच मे भैया
मैने उसके कंधे पर हाथ रख कर हिलते हुए बोला हा भाई सच ,, अब बता कौन सा पसन्द किया

अनुज - अभी कहा भैया मै तो दाम देख के परेसान था अभी देख ले रहा हू।
फिर मैने और अनुज ने दो दो जीन्स और एक एक शर्त और टीशर्त लिये ।
मै - चल अब तो शॉपिंग हो गयी है तू रेस्टरूम मे इन्तेजार कर मै ऊपर देखकर आता हू।
फिर मुझे याद आया कि दीदी के लिए मोबाइल भी लेना और एक गिफ्ट भी
फिर मैने मोबाईल शोरूम की तरफ गया जो ग्राउंड फ्लोर पर ही था ,, वहा से मैने एक ब्राण्ड न्यू मोबाईल लिया जो कि 12 हजार का था , फिर मैने वो मोबाईल को गिफ्ट रैप करवा कर अनुज को दे दिया और बोला कि राखी पर दीदी के लिए गिफ्ट है खोल्ना मत ,,,अनुज अपनी खरीदारी से खुश था तो कोई सवाल नही किया । फिर मै फ़र्स्ट फ्लोर के लिए ऊपर जाने वाला था कि मुझे अमन दिखा जो मोबाईल कान मे लगाये सीढ़ी से छत पर जा रहा था ,,मै एक पल को सोचा ये अकेला यहा क्यू आया है और लेडिज फ्लोर पर क्यू जा रहा है कही दीदी से तो .....

मै इतना सोचते ही जल्दी से अमन के पीछे भागा और आहिस्ता आहिस्ता उसका पिछा करने लगा ,,, इसबिच अमन लगातार किसी से फोन पर बात किये जा रहा था और फ़र्स्ट फ्लोर पर जाकर अमन लिफ्ट की तरफ रखे ट्रॉली सेट्स के पास हो गया । तभी वो एक तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा और ठीक उसके सामने मेरी दीदी चल आ गयी और वो दोनो बाते किये जा रहे थे । समझ गया कि दीदी मे मोबाईल क्यू मागा और अमन यहा क्यू आया था । मुझे एक बार फिर से गुस्सा आने लगा ।इसी बीच दोनो लेडिज सेक्शन मे ट्रॉली लेके साथ मे ही निकल गए और गलियारे मे घूम घूम कर छिपते छिपाते एक दुसरे की उंगलिया पकड रहे थे । मै बहुत गुस्से मे था मन तो कर रहा था कि अभी जाकर अमन को पिट दू लेकिन मै मजबुर था। इसीलिये मै सही मौके का इंतजार करने लगा और फिर वो लोग लेडिज सेक्शन मे सबसे किनारे वाले हिस्से मे गये और वहा पर कुछ राजस्थानी चनिया चोली के इटेम थे जिससे उधर कोई था नही । ये लोग भी उसी कम्पाउंड के पास बैठ कर एक दुसरे को लिप टू लिप किस्स करने लगे ,, मेरे लिए यही सही मौका था और मै भी तपाक से उनके सामने आया

मै - ये सब क्या है दिदी
अमन - देख भाई तू गलत मत समझ मै सोनल से प्य.....
मै - मैने तुझसे कुछ पुछा क्या
दीदी - देख भाई जो भी बात करनी होगी घर पर करेंगे प्लीज अभी मान जा ,,
अमन - हा भाई प्लीज
मै - अब क्या बात करोगी आप दीदी मुझे नही करनी कोई बात आपसे
और मै तैस मे निकल आया ।
फिर मै मा और बुआ को खोजने निकला तो वो लोग मुझे साड़ीयो के सेल मे खड़ी दिखी

मै - क्या मा अभी तो चाचा के यहा से साडी ली हो अब फिर से

मा - अरे बेटा यहा साड़ियो पर भारी डिसकाउंट चल रहा था तो मैने और तेरी बुआ ने एक एक लेली हीहीहि
मै मा और बुआ को खुश देख कर सुकून मे था

मै - अरे बुआ आपने वो टीशर्त और घाघरा लिया की नही
बुआ - क्या बेटा तू सच मे मुझे पहनायेगा वही
मै - अरे लेलो ना बुआ प्लीज अच्छा लगेगा आप पर ,,,
बुआ - अच्छा चल ठीक है
फिर मै मा और बुआ हम लोग टीशर्ट वाले compartment मे गये वहा से बुआ की नाप की एक XXXL साइज़ की ब्लैक रंग की एक टीशर्ट लेली । फिर हम लोग स्कर्ट वाले सेक्शन मे गये और घूतने से थोडी निचे वाली बुआ के नाप की हल्के आसमानी रंग की स्कर्ट पसंद की

बुआ - अरे लल्ल्ला ये स्कर्ट तो छोटी है घुटनो से थोडी ही निचे रहेगी

मा - क्या हुआ दीदी वैसे भी घर मे ही पहनोगी ना कोई बात नहीं,, आप पर ये रंग खुब खिलेगा और प्रिंट भी प्यारा है इसका

इधर हम लोग शॉपिंग कर रहे थे कि दीदी आ गई और मै एकदम से चुप हो गया

मै - अगर सब लोगो की खरीदी हो गई हो तो चले बिल बनवा ले
मा - हा बेटा,,लेकिन अनुज कहा है दिख नही रहा
मै- मा वो ग्राउंड फ्लोर पर है
मा - अच्छा ठीक है
बुआ - और बेटी तेरा हो गया न खरीदी
दीदी - नही बुआ मुझे कुछ पन्सद नही आया , चलो घर चलते है

मै समझ गया दीदी मेरी वजह से परेशान थी इसीलिये कोई चीज़ नही ली

मै - ऐसा है आप लोग दीदी के लिए कुछ खरीद लो मै ऊपर जा रहा हू फ्रेश होने
दीदी - रुक भाई मै भी चलुंगी ,,, मा और बुआ आप लोग रुको मै आती हू

फिर मै और दीदी ऊपर जाने लगे ,,इस बिच ना मै दीदी को देख रहा था ना कुछ बोल रहा था । मुझे बखुबी पता था कि वो मेरे से बात करने ही आई हैं

दीदी - सॉरी भाई ,, प्लीज गुस्सा ना हो ,,
मै - क्यू ना होऊ दीदी ,,आप हमारे साथ समय बिताने निकले थे कि उसके , अभी तो मै था देखा , गलती से मा या बुआ या मुहल्ले के कोई लोग देख लेटे तो

दीदी चुप थी और उनकी आँखो मे आंसू ,, मै उनकी नम आँखों में देख कर पसीज गया ,,
मै - देखो एक ही बात पर मेरा गुस्सा कम होगा ,,, अगर आप कपडे लोगे तो हिहिहिही

दीदी मुस्कुराकर आँखे पोछने लगी और बोली - हम्म्म ठीक है लेकिन पसंद तू ही करना ठीक

मै - ठीक ,,चलो अब फ्रेश हो लो , मै भी आता हू होकर
फिर हम दोनो अलग अलग वॉशरूम मे गये और फ्रेश होकर बाहर आये तो खुसी मन से मा और बुआ के पास आये

फिर दीदी को प्ता चला कि बुआ ने टीशर्त और स्कर्ट लिया है तो वो बोली की मै एक सेट लुंगी गर्मी मे पहन्ने के लिये ,, लेकिन दीदी ने लॉन्ग स्कर्ट लिया था । फिर मैने दीदी के लिए एक प्यारा सा प्लाजो सूट पसंद किया जो सबको पसंद आया । फिर हम लोग निचे गये बिल्लिंग करवाया और घर के लिए निकल गये ।

रास्ते मे बुआ - अरे भाभी भईया की नयी वाली दुकान कहा है

मा - वो तो यही से थोड़ी दूर आगे वाली गली मे है ,, चलिये चलते है उधर के समोसे चाट बहुत टेस्टि होते है ,,,हीहीहि

अनुज - हा मा भूख लगी है मुझे भी
सब हसने लगे और फिर हम लोग पापा की दुकान पर पहुच गये जहा पापा बैठे थे और हमे एक साथ देख कर बहुत खुश हो गये और जब उनकी नजर गदरायी बुआ की कसी हुई जांघो पर गयी तो आगे आये तो बोले
पापा - अरे जीजी आप लोग यहा
बुआ - हा भईया सोचा घर जाते हुए आपसे मिल के ही चलू हिहिहिही
पापा - ऐसी बात है तो जाना क्यू है यही रहिये शाम को हम लोग साथ मे घर चला जाएगा हाहाहाहा
मा - क्या जी आप हमे बाहर ही खड़े किये रहोगे

पापा - अरें नही नही नही ,,, आओ चलो अंदर रेस्टरूम मे चलते है ।
फिर हम सब लोग रेस्टरूम मे आ गये और बैठ कर बाते करने लगे । फिर पापा ने हम सब के लिए ठंडा मगवाया और समोसा चाट भी । जहा हम लोग समोसा चाट का मज़ा ले रहे थे वही पापा एक टक बस बुआ की गदरायी जवानी को ताडे जा रहे थे ।

दिदी - पापा नल कहा है हाथ धुलना था
अनुज - चलो दीदी पीछे की तरफ है
मै - हा चलो मै भी चलता हू फिर वो लोग गोदाम के आखिरी में लगे नलके के पास जाने ल्गे
लेकिन मुझे तो पापा मा और बुआ के बीच की बात सुननी थी ,,लेकिन देखा वो लोग भी खड़े होकर हाथ धूल्ने आ रहे हैं तो मै भी अंदर की तरफ जाने को हुआ कि

पापा - अरे जीजी आपको शर्त याद है ना , चलो अभी मौका है नाप लो
बुआ - उसकी जरुरत नही है आप जीत गये भईया ,, वो आज करीम दर्जी के यहा मैने देखा था भाभी के ब्लाऊज का माप हिहिहिही

मा - अरे वाह तो आपको वो देना पडेगा जो ये कहेंगे
बुआ - हा भाभी ,,,वैसे क्या चाहिये आपको भैया

पापा - अभी समय ठीक नही है टाईम आने पर मै माग लुन्गा बस आप मत मुकर जाना

बुआ - मै नही मुकरंगी भैया आप ब्स याद से माग लेना हिहिजी चलो मै हाथ धुल के आती हू ,,,
फिर मै भी अंदर चला गया और हाथ धुले फिर हम लोग वापस घर आ गये । घर पहुचे तो 5 बज गए और आज का क्लास भी छूट गया था । फिर मैने दुकान खोली और 2 घन्टे बाद पापा भी आ गये । फिर थोडी देर बाद हमने दुकान बन्द की और ऊपर चले गये ।

जहा किचन मे मा और बुआ लगी थी । वही दीदी और अनुज अपने कपड़े देख रहे थे । मैने दीदी का मोबाइल पहले ही निकाल कर अपने बैग मे रख लिया था ।
पापा - अरे वाह बच्चो ल्गा रहा है आज बहुत ज्यादा शॉपिंग की गई है ।
फिर मा और बुआ भी कमरे मे आ गये ।

दिदी - पता है पापा आज बुआ ने एक मॉर्डन टीशर्ट और स्कर्त लिया और मैने भी ।
पापा तो खुशी से फुले नही समाए

पापा - अरे वाह जीजी आपने बताया नही की आपने ये ड्रेस भी लिया है
मा - अरे वो तो आपको कल पहन कर दिखाने वाली थी
पापा - ये तो बहुत अच्छी बात है , और तुमने अपने लिये नही लिया रागिनी टीशर्ट स्कर्ट

मा - धत्त ,,क्या जी आप भी मैने कभी पहना थोडी है
पापा - मै तो हमेशा कहता हू तुम भी जीजी की तरह थोडा फैशन वाले कपडे पहने करो

मै - मैने तो बोला कितनी बार लेकिन मा ने मना कर दिया
मा - तू चुप कर ,,, चलो बाते बहुत हो गयी अब खाना खा लो बहुत थक गई हू मै

फिर सब लोगो ने खाना खाया और छत पर चले गए टहलने । आज मै बहुत ज्यादा थक गया था तो सबको बोलकर निचे चला गया सोने क्योकि मुझे ल्गा आज मा भी थकी है तो कुछ होगा नहीं तो क्या फाय्दा जाग कर ,,, और बिस्तर पर आते ही मुझे निद लग गयी और मै एक गहरी नींद मे चला गया ।
रात के किसी पहर मे मुझे कोई आवाज सुनाई दी जो चुदाई की सिस्कियो और बेड के हिलने की थी । मेरी आंखे नींद मे जकड़ी थी तो मैने सर घुमा कर दाई तरफ देखा तो दो लोगो के बीच चुदाई चलने की एक धूमिल तस्वीर सामने आ रही थी। फिर मैने आँखो की पलको मे थोडा खिचाव किया लेकिन कोई फायदा नही था , मेरी आंखे जलने लगी थी भरसक । मेरी बहुत ही थोडी खुली आँखो से दो नंगे लोगो के बिस्तर पर ऊपर निचे होने की धुध्ली छवियां दिख रही थी । मै सोचने लगा लगता है कि पापा और मा दोनों चुदाई कर रहे हैं ,,, मेरे मन में ये विचार आया कि मा चुद रही है तो मेरा लण्ड अकडने लगा । मगर मै बेबस था चाह कर भी वो नजारा नही देख पा रहा था । एक तरफ मेरी आँखो को निद की जरुरत थी वही मेरे लण्ड को चुत की जरुरत मह्सूस होने लगी । ऐसे ही कसमकस के बीच मुझे पापा की आवाज सुनाई दी जिससे मै पूरी तरह से हिल गया और मेरी धद्कने भी तेज होने लगी ,,,मुझ उस चीज़ की मेरे सामने होने की उम्मीद नही की
और वो बात थी
पापा - अह्ह्ह्ह दीदी क्या गरम चुत है तुम्हारी



दोस्तो ये क्या हो रहा है , राज जब छत पर से सोने निचे आया तो इस बीच ऐसा क्या हुआ की उसके पापा बुआ को चोद पा रहे थे । देखते है अगले अपडेट मे
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

Update 32

अब तक

एक तरफ मेरी आँखो को निद की जरुरत थी वही मेरे लण्ड को चुत की जरुरत मह्सूस होने लगी । ऐसे ही कसमकस के बीच मुझे पापा की आवाज सुनाई दी जिससे मै पूरी तरह से हिल गया और मेरी धद्कने भी तेज होने लगी ,,,मुझ उस चीज़ की मेरे सामने होने की उम्मीद नही की
और वो बात थी
पापा - अह्ह्ह्ह दीदी क्या गरम चुत है तुम्हारी

अब आगे

जैसे ही मेरे कानो मे पापा की ये आवाज आई ,,, मै सन्न रह गया कि ये कब हुआ कैसे हुआ । आखिर बुआ कैसे मान गई कही शर्त के बदले तो राजी नही ना हुई है ,, और मैने सारी रसभरी पलो को खो दिया जो बुआ और पापा के चुदाई से पहले हुई होगी । मै अपने आप को कोसने लगा कि साला क्यू मै सो गया और एक नये मज़े को किरकिरा कर दिया खुद ही । एक तरफ जहां मै बंद आँखो से मन ये सब सोच रहा था वही मेरे बगल मे पापा बुआ को घपाघप चोदे जा रहे थे और बुआ सिस्के जा रही थी । पापा लगातर बुआ के जिस्मो के बारे मे तारिफ करते हुए उन्हे चोदे जा रहे थे । धिरे धीरे मेरा मन थोडा शांत हुआ और इस बात के उत्तेजित होने लगा की पापा मेरे बगल मे ही बुआ को चोद रहे हैं । इसी बीच मुझे मा की आवाज सुनाई दी

मा - हा राज के पापा चोदिये अपनी जीजी को ,,,और तेज हा
पापा - हा जान आज तो सच मे बहुत मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्ह मेरी शिला जीजी आह्हह आपके चुचे अह्ह्ह्ह

मै मा आवाज सुन कर और शौक मे था कि मा भी शामिल है इस चुदाई मे ,,, लेकिन अगर ऐसी बात थी तो ये लोग छत पर भी तो कर सकते थे फिर यहा क्यू रिस्क ले रहे है ,,, अब तक मेरी सबर का बान्ध टुट चूका था ,,, मेरे मन मे था कि अगर ये लोग बेशर्म होकर बिना मेरी फिक्र किये मज़े ले रहे हैं ।

फिर मैने धीरे से गरदन को बाई तरफ किया और अपने बाए हाथ से दोनो आँखो मे जमे कीचड़ की रगड़ कर साफ किया ,, लेकिन ऐसा करने से मेरी आँखों मे और जलन होने लगा लेकिन मेरे लण्ड की जलन के आगे ये कुछ भी नही था फिर थोडी कोसिस करके मैने धीरे धीरे आंखे खोली तो अब कुछ कुछ दिखने लगा इस दौरान मुझे एक धुआंधार चुदाई की रसिली आवाजे सुनाई दे रही थी और फिर मैने जैसे ही मुंडी दाई तरफ घुमायी मेरी आखों मे चमक वापस आ गई और मेरे चेहरे खिल गये ,,

दरअसल बात ये थी पापा मा को बुआ बना कर उन्हे चोद रहे थे और मा पापा के लण्ड को उत्तेजित करने के लिये बार बार बुआ का नामसे उनको चढा रही थी ,,, जैसे ही मैने देखा पापा बुआ को नही बल्कि मा को चोद रहे है खुश हो गया था ,,, तभी मेरी नजरे पापा और मा पर गयी जहा मा मेरे पैर के साइड सर करके लेती थी वही पापा मा की जन्घे उठाए हुए घपाघप मा की चुत मे लण्ड डुबोये जा रहे थे। मै अब खुश था क्योकि मै चाहता था जब पापा बुआ को पहली बार चोदे तो उस समय मै भी वो नजारा देख सकु ।

फिर ऐसे ही विचारो मे खोया खोया वापस से आंखे बंद कर लिया ,,,क्योकि मा और पापा की चुदाई की आवाजे मुझे लोरी सी लगने लगी ,,अखिर बचपन से सुनता देखता आया जो था । रात मे ऐसे ही कब मै सो गया पता नही चला । सुबह मेरी आंख खुली तो 7 बज रहे थे । मा और पापा ऊपर चले गए थे , मै भी उठा और छत पर चला गया । जहा पापा और अनुज बैठ कर नास्ता कर रहे थे वही दीदी और बुआ किचन मे थी । लेकिन मा कही दिख नही रही थी । मैने किचन मे देखा तो दीदी नहा चुकी थी क्योकि उनके कपड़े बदले हुए थे वही बुआ ने कल वाले ही कपडे पहने थे मतबल वो नहाई नही थी ।
फिर मै ऊपर जाने लगा तो पापा- अरे बेटा कहा जा रहा है
मै - नहाने और फ्रेश होने पापा
पापा- अरे लेकिन अभी तो तेरी मा गई है ऊपर नहाने
मै- तो क्या हुआ मुझे पहले टॉयलेट जाना है न

अनुज हस्ता हुआ - क्यो भईया रात मे ज्यादा खा लिये थे क्या
और उसकी बात सुन कर सब हसने लगे
मै - आप लोग करो बहस मुझे बहुत तेज लगी है
इस पर भी सब हसने लगे ।

मै भी जल्दी से ऊपर गया और खाली करने ल्गा फिर मै निकला तो मुझे हाथ धुलना था लेकिन बाथरूम अन्दर से बंद था और अंदर मा नहा रही थी क्योकि अंदर से पानी की आवाज सुनाई दे रही थी ।
मै सोचने लगा मा अंदर क्या सारे कपडे खोल कर नहा रही होगी और कैसे अपने चुचो मे साबुन मल रही होगी , कैसे चुत को हथेली से भर कर रगड़ रगड़ कर साबुन लगा रही होगी । ये सोचते ही मेरा लण्ड हाफ चढ़ढे मे खड़ा होने ल्गा मैने उसको ऐडजस्ट करते हुए सोचा क्यू ना मा से दरवाजा खुलवा कर सुबह सुबह उनके अनमोल रत्नो के दर्शन किये जाये और साथ मा के साथ थोड़े मज़े भी कर लूं । यही सोच कर अपने टीशर्ट और हाफ चढ़ढे को बाहर ही निकाल दिया और एक बनियान अंडरवियर मे मैने दरवाजा खटखटाया

मा - कौन है बाहर अभी मै नहा रही हू ,,,
मै - मै हू मा राज ,,, मुझे हाथ धुल्ना था दरवाजा खोलिये
मा - अरे रुक जा बेटा बस 5 मिंट
मै - क्या मा तब तक मै ऐसे गंदे हाथो क साथ रहूँगा क्या

मा को मेरी फ़िकर हुई और बोली - अच्छा और कौन है बाहर
मै - कोई नही है मा सब निचे है
मा - अच्छा ठीक है रुक एक मिंट मै खोल रही हू
मै काफी खुश हो गया और जानबुझ कर लण्ड को उठा कर अपने अंडरवियर मे एक नुकिला टेन्ट बना लिया हालाँकि ऐसा करने से मुझे थोडा दर्द हो रहा था लेकिन मा को थोडा रिझाने के लिए इतना जरुरी लग रहा था ।

फिर ने दरवाजा खोला और खुद दरवाजे के पीछे थी

मा - चल जल्दी अन्दर आ जा और धुल के हाथ ,,

सबसे पहले मेरी नजर मा के दरवाजे से झाकते हुए चेहरे और एक नंगी बाह पर गई तो मेरी आंखे चमक गई और मुझे लगा की मा अन्दर पूरी नंगी होगी ,,, मुझे एक शानदार मौका दिखने लगा , मै खुश होकर अंदर गया तो झट से मा ने दरवाजा बंद कर दिया ,, जब मेरी नजर मा पर गयी तो मा सिर्फ पेतिकोट मे थी और उसके रसिले चुचे पुरे तरह से नंगे थे । जो नहाने के बाद और भी ज्यादा मुलायम लग रहे थे और उनकी गहरे भूरे रंग के मुनक्के वाली निप्प्ल पर कुछ पानी के अंश ऐसे चमक रहे थे जैसे मानो मा की चुची को सजाया गया हो ।

मा की नजर जब मेरे पर गयी तो पाया की मै उनकी नंगी चुचियो को घुरे जा रहा हू और उसी से मेरा लण्ड तन कर खड़ा है
मा मुस्कुराते हुए - अब नही जल्दी हो रही है तुझे हा
मै हड़बड़ा गया और टोटी खोल कर अच्छे से हाथ धुला और वापस घुमा तो मा ने ब्लाऊज डाल लिया था बस बटन बंद कर रही थी

मै - अरे मा ये क्या कर रही हो
मा - क्यू अब नहा ली हू तो कपडे भी ना पहनू
मै - अरे मा लेकिन बिना ब्रा के
मा ह्स्ते हुए - हीहीहि तेरे चक्कर मे मै तो भूल ही गई,, जरा वो ब्रा उतार के दे
मा मे वापस ब्लाउज निकाल दिया। मैने भी ब्रा उतारा और उस पर लगी स्टीकर को पढने लगा
मा - क्या कर रहा है बेटा ला जल्दी
मै - मा इसपे तो 40 का साइज़ लिखा है लेकिन आप तो 38 का पहनते हो ना
मा - हा वो इस महीने मेरे साइज़ बढ़ गये है बेटा
मै - वो कैसे
मा मुस्कुराते हुए - क्या बताऊ अब तुझे कैसे ,,,
मै - बताओ ना मा
मा - धत्त पागल,, कैसे बढ़ता तुझे नही पता क्या
मै - कहा पता है आप तो मुझे सिखाने वाली थी ना ,,,बताओ ना कैसे
मा - बेटा वो तेरे पापा ने पिछ्ले कुछ दिनो ने तेरी मौसी और बुआ के चक्कर मे इतना मसला है इसिलिए,,,,अब समझ गया ना सब कुछ मेरे मुह से निकलवाना चाहता है ये लड़का
मै - अरे तो आप मा हो ना आप नही ब्तओगे तो कौन बतायेगा ये सब
मा हस्ते हुए - हमम ये भी है
मै मा के चुचो को घुरते हुए एक छोटे बच्चे की तरह -- मा मुझे दूध पिला दो मन कर रहा है

मा ने एक बार अपने नंगे चुचो को देखा फिर मेरे तरफ नजर मेरे ऊपर नजर मारी फिर मेरे खड़े लण्ड को देखा ,,,

मा - नही बेटा निचे जाना है सब राह देख रहे होते है ना ,,, और कल रात मे तेरे पापा ने मुझे तेरी बुआ बना कर कुछ ज्यादा तेज मसल दिया है मेरे दूध को इस टाईम दर्द है ,,,,
मेरा चेहरा उतर गया ,,,इतना हसिन खजाना मेरे सामने था लेकिन मै बेबस था कुछ न कर पाने को जिससे मेरा लण्ड भी बैठने लगा कि अब कुछ नही होने वाला है

मा ने मेरा लटका चेहरा देख कर बोली - तू चिन्ता ना कर दोपहर मे दुकान मे आऊंगी तब कर लेना

मै खुश हो गया और मा के गाल पर पप्पी दी और बोला - थैंक्स मा ,,,

फिर मा ने ब्रा पहनी और ब्लाऊज पहना फिर बाकी कपडे छत पर डाल कर ब्लाउज पेतिकोट मे ही निचे चली गई । मै भी जल्दी से नहा लिया और नीचे चला गया तब तक पापा भी चले गये थे दुकान मै भी नास्ता किया और चला गया दुकान पर अपने ।

कारिब 10 बजे मै दुकान मे मोबाइल चला रहा था तो उसी समय बुआ निचे आई ,,, ओहोहो कसम से कयामत लग रही थी बुआ उस ब्लैक टीशर्ट और हल्के आसमानी स्कर्ट मे ,,,, बुआ के चुचे पुरे टीशर्ट मे कस कर फैले थे और उनके मोटे दाने वाले निप्प्ल मानो छेद कर बाहर आ जायेगे ,,, और बुआ की मस्त गदरायी गाड़ इतनी उभरी हुई थी कि उनका स्कर्ट पीछे से घुटनो के एक बीते तक ऊपर हवा मे लहरा रहा था ,,, सच मे आज बुआ एकदम भोजपुरी फिल्मों की रानी चटर्जी लग रही थी ,,, उनके चुचो का उभार उन्के सीने से 5 से 6 इन्च तक का लग रहा था ।
मै बुआ को देखते ही मस्त हो गया और मेरा तुरंत लोवर मे खड़ा हो कर बुआ की रसदार गदरायी जिस्म को अपनी सलामी देने लगा ।
मै बुआ मे खोया हुआ था तभी
बुआ - बेटा जरा अपनी कम्मो बुआ के पास फोन लगाना ,, कल रक्षा बंधन है तो वो कब तक आ रही है यहा

मै खुश होते हुए - अच्छा हा ,,, वैसे बुआ आप सच मे हेरोइन लग रही हो एक दम भोजपुरी फिल्मों वाली ,,, वैसे ही मोटे मोटे उभार और पीछे

बुआ मुस्कुराते हुए - चुप बदमाश पहले कम्मो को फोन ल्गा ।
मै भी ह्स्ते हुए कम्मो बुआ को फोन लगा कर बुआ को दे दिया और फिर 2 मिंट बाद बुआ ने मेरे फोन वापस कर दिये ।

मै - क्या हुआ बुआ क्या बोली कम्मो बुआ
बुआ - अरे बेटा घर पर भी रिस्तेदार बहुत ज्यादा आये है न तो वो कल दिन मे आयेगी और कल ही चली जायेगी राखी बाँध कर
मै - क्या ,,, हम लोगो से बिना मिले ही
बुआ - हा बेटा वो मेरी दोनो नंद और मेरे ससुर की छोटी बहन आई है तो वो कैसे उन लोगो को छोड कर आयेगी
मै - हा ये भी सही बात है चलो कोई नही आप हो ना मेरे लिए

बुआ - अच्छा क्यू क्म्मो बुआ आती तो क्या उनके साथ भी वही सब करता क्या
मै - इतनी अच्छी किस्मत कहा बुआ ,,,जो आपके साथ कम्मो बुआ भी
बुआ - किस्मत का क्या भरोसा बेटा , कल को तेरा ये भी सपना पूरा हो जाये हीहीहि

मै खुश होते हुए - अरे वाह बुआ आपने तो मुझे खुश कर दिया
बुआ - हमम तब मेरे लिए कोई तोहफा लाओ
मै - रात मे लोगी या अभी हिहुहिही
बुआ - चल बदमाश बहुत शरारती हो गया है । चल मै अब उपर जा रही हू अभी छोटे को खाना देने जाना है

मै - यही पहन के जाओगे क्या बुआ
बुआ - हा अब यही पहना है आज तो यही पहन के जाउंगी ना
मै - ध्यान देना बुआ कही चाचा भी ना पापा की तरह ,,,हाहाहाहाहाहा
बुआ - तू ना ,,,वैसे भी छोटे को उसकी बीवी के अलावा कोई नहीं दिखता ,,, वो तो मेरे तरफ देखता ही नही ।
मै - हा लेकिन आज बात कुछ अलग है ना
बुआ शर्माने लगी - धत्त ऐसा कुछ नही है तू भी ना ,,,अब जाने दे मुझे
मै ह्स्ते हुए - मैने कब पकड़ा आपको ,,कहो तो तो पकड़ लू चलो कमरे मे हिहिहिहिह
बुआ - अरे वैसे नही अपनी बातो से छोड मुझे पागल हीहीहि
फिर बुआ ह्स्ते हुए ऊपर जाने लगी ।
फिर थोड़े समय बाद बुआ के साथ मा भी निचे है दो बैग लेकर ।
मा - बेटा ये ले जा पापा को टिफ़िन देते आ और तेरी बुआ चाचा को दे देंगी

मै टिफ़िन लेकर निकल गया और पापा को देकर 25 मिंट मे वापस आया ।
तो देखा मा मेरी ही राह देख रही थी

मा - बेटा ये ले खीर वाली टिफ़िन और चाचा के यहा दे आ ,,, जलदी जल्दी मे मै भूल गयी
मै - अरे मा इतना टाईम हो गया अब तो चाचा खा भी लिये होगे

मा - अरे तो क्या हुआ तू लेके जा खा लेंगे वो ना
मै - अच्छा ठीक है मा लाओ
फिर मैने वो टिफ़िन लिया और चाचा के यहा चला गया तो देखा की शटर आधा गिरा है ,,,मुझे ल्गा शायद खाना खाने बैठे होगे अन्दर इसिलिए आधा शटर निचे है । मै भी झुक कर अंदर गया तो दुकान मे कोई नही था ,,,, मुझे लगा कि अंन्दर हॉल मे बैठ कर खा रहे होगे क्योकि चाचा का घर बड़ा था ना ।
तो मै गलियारे से होते हुए जैसे जी हॉल वाले कमरे के पास पहुचने वाला था की मुझे अंदर से टीवी की आवाजे आने लगी थी ,,,तो मै भी नोर्मली बुआ को आवाज लगाते हुए हाल मे घुसने वाला था कि

मै - बु...... मेरे शब्द मुह मे रह गये और आँखे बड़ी हो गयी क्योकि अंदर का नजारा ही ऐसा था ।
हाल मे चाचा एक सोफे पर बैथे थे और उनका च्ढ़्ढा निचे पैरो मे था और बुआ अपनी स्कर्ट को उठाए घपाघप चाचा के लण्ड पर अपनी गान्ड पटके जा रही थी ,,, लेकिन हॉल मे टीवी के आवाज मे इनकी आवाज खो गयी थी । और खाना वैसे का वैसे बैग मे सोफे के सामने टेबल पर रखा था
मेरा माथा ठनका सोचने ल्गा कि साली ये बुआ कितनी बड़ी रन्डी है अभी बोल रही थी कि चाचा उसको देखते नही और यहां कूद कूद लण्ड लिये जा रही है । मैने तुरंत जेब से मोबाईल निकाला और रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और अभी एक मिंट की रिकॉर्डिंग हुई ही थी की चाचा झड़ गये थे । मुझे हसी आई साला ताकत है नही और इतनी रन्डी माल चोदने चला था ,,, चुदाई खत्म हो गयी थी लेकिन मेरे काम लायक की क्लिप मैने मोबाइल मे रिकॉर्ड कर ली थी ।

अभी मुझे चाचा की आवाज सुनाई दी
चाचा - थैंक यू दीदी आज आपने मेरे लिए जो किया वो जिन्दगी भर नही भूलूंगा

मै सोच मे पड़ गया कि चुत ही तो दी है ऐसा और क्या किया बुआ ने

बुआ - अरे छोटे तू मेरा भाई है और अपने ही अपनो के काम आते है ना ,,, अब तु इतने दिन से अकेला था तो तेरी तकलीफ समझ सकती हू मै ।

चाचा - लेकिन फिर भी कोई बहन अपने भाई के लिए ये त्याग नही करेगी
बुआ - एक तो बहन बोलता है और ऊपर से कहता है कौन करेगा त्याग ,,, देख छोटे तु कितना भी बड़ा हो जाये लेकिन मेरे लिए वही छोटे ही रहेगा ,,,, मेरे लिए अपने बहन भाईयो के लिए प्यार कभी कम नही होगा ,,

बुआ - आज तू 4 दिन से शालिनी ( चाची) के बिना परेसान था और अभी दुकान मे थोडी देर पहले उस औरत ने तुझे भला बुरा कहा जब तू उसके दूध को घुर रहा था वो तेरी परेशानी नहीं समझ सकती ना इसीलिये तुझे उल्टा सीधा कह कर चली गई,,

चाचा - हा दिदी ,,, सही कह रही है आप लेकिन आपको कैसे पता चला कि मै शालिनी ( चाची) के बिना परेसान हू ।
बुआ मुस्कुराते हुए - अरे छोटे मै एक औरत हू और मर्दो के हाव भाव बखुबी समझती हू ,,, और मेरा अपना भाई तकलीफ मे हो तो मै कैसे देख सकती हू इसिलिए मैने तेरे साथ साथ किया ।

चाचा - लेकिन अभी तो शलिनी एक हफ्ते बाद आयेगी ना
बुआ मुस्कुरा कर - हा जब वो आयेगी तभी मै जाउंगी ना घर हीहीहि इस बिच जब भी तुझे शालिनी की जरुरत मह्सूस हो मुझे बुला लेना

चाचा ने बुआ का हाथ पकड़ा और उनके होटों को चूम लिया और बोले - दीदी मुझे तो रोज दिन रात शलिनी की जरुरत मह्सूस होती है तो क्या

बुआ - रात मे तो भईया के यहा ही रुकूंगी और अब ऐसे अचानक से तेरे यहा कैसे रुक सकती हू ,,हा रोज दोपहर मे खाना लेके मै आती हू ना

चाचा खुश होते हुए - ठीक है दीदी मै मैनेज कर लूंगा
बुआ - ठीक है चल अब खाना खा ले देख कबसे पडी है
चाचा - नही दीदी अभी नही खाना है मुझे
बुआ - फिर कब
चाचा - वो मुझे शलिनी की थोडी कमी और मह्सूस हो रही हैं ऐसा बोल के चाचा ने बुआ के सामने अपना लण्ड मुस्कुराते हुए सह्लाया
बुआ - धत्त पगलू ,,,, इतना होने के बाद भी शर्मा रहा है ,,, सीधा बोल ना कि दीदी को एक बार और चोद्ना है हिहिहिही

चाचा - हा दिदी ,, और आज आप बहुत मस्त लग रही हो ,,, मै कितना पागल था जो इतनी मस्त माल के रहते हुए भी लण्ड हिला रहा था ,,, चलो ना दीदी एक बार और करते है ।

मै ये सब देख सुन कर सारा माजरा समझ गया कि कैसे 30 मिंट मे बुआ जैसी रन्डी औरत ने नये लण्ड के लिए चाचा का फायदा उठा लिया और साथ मे उत्तेजित भी होने लगा लेकिन मुझे आये 20 मिंट हो चुके थे और मै ज्यादा देर नही रुक सकता था नही तो मा सवाल करती
इसिलिए मै वापस दुकान मे आया और चाचा को आवाज दी । फिर चाचा भी अंदर से आवाज देते दुकान मे आये

चाचा - अरे राज बेटा तू कब आया ,,
मै - अरे चाचा मै तो कबसे आया हू और आवाज दे रहा हू ,,, क्या कर रहे थे आप अंदर और बुआ कहा है

मेरी तीखी सवाल जवाब से चचा झेप गये और उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था

मै हस्ते हुए - हाहहाहाहाहा क्या चाचा आप भी ,,,ये लिजीये खीर वाली टिफ़िन ,, बुआ घर पर ही भूल गयी थी
चचा - ओ ये टिफ़िन
मै - ठीक है चाचा आप ये शटर पुरा निचे कर लो मै आया तो एक कुत्ता यहा घुसा हुआ था ,,

चाचा- हा हा बेटा मै बंद कर लेता हू तू जा
मै भी वापस घर की तरफ हस्ते हुए निकल गया हहहहहहा

घर आया तो मा की डांट भी मिली
मा - कहा रह गया था तू इतनी देर खाना नही खाना क्या
मै - हा मा खाऊंगा वो रास्ते मे एक दोस्त मिल गया था तो वही बात करने लगा
मा - ठीक है जल्दी जा ऊपर तेरी दीदी से बोल कर खाना खा ले
मै ऊपर चला गया ।


अब देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है ।
चुकि राखी को एक दिन ही रह गये है तो क्या राज की मा उसके पापा के लिए बुआ को फसा पायेगी या कोई नया धमाल होगा ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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Update 33

अब तक

घर आया तो मा की डांट भी मिली
मा - कहा रह गया था तू इतनी देर खाना नही खाना क्या
मै - हा मा खाऊंगा वो रास्ते मे एक दोस्त मिल गया था तो वही बात करने लगा
मा - ठीक है जल्दी जा ऊपर तेरी दीदी से बोल कर खाना खा ले
मै ऊपर चला गया

अब आगे
मै ऊपर आया और दीदी को आवाज दी तो बेडरूम मे बाहर आई

मै - दीदी खाना लगा दो
दीदी - ठीक है बैठ मै लगा देती हूँ
फिर दीदी खाना लेके आई, टेबल पर खाना रखा और मेरे बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई

मै मुस्कुराते हुए - आप भी खओगे क्या दीदी मेरे साथ
दीदी - अरे नही नही तू खा ले ,,मुझे तेरे से कुछ बात करनी है कल को लेकर
मै चुप हो गया और खाना खाना शुरू कर दिया

दिदी - भाई वो कल अमन आये थे ना तो वो जो हुआ मॉल मे उसके लिये सॉरी
मै खाना खाते हुए दीदी की तरफ एकदम फोकस नही किया और नजर प्लेट में रखे हुए ही बोला - हम्म्म ठीक है

दीदी को लगा मै अब भी नाराज हू तो वो फिर से बोली - भाई प्लीज नाराज ना हो वो मैने बस उनको मिलने को बुलाया था लेकिन वो ही जिद करने लगे कि करना करना है ।

मुझे दीदी को लपेटने का मौका मिल गया
मै - हा तो आप उसे भी डांट सकती थी जैसे मुझे उस दिन छत पर डाँटा था ,,,
दीदी - तू मेरा भाई है राज और वो
मै - तो क्या मुझसे बढ़ कर है वो
दीदी - तू क्या बात कर रहा है राज ,,, समझ मै अमन को प्यार करती हू और तुने उस दिन छत पर जो किया वो गलत बात है
मै - अच्छा मतलब आप मुझसे प्यार नही करते हो ना
दीदी - नही भाई मै तुझसे भी उतना ही प्यार करती हू ना
मै - तो उस दिन मुझे डाटा क्यू ,,, ऐसा भी तो नही है कि अमन ने आपको उस नजर से नही देखा होगा
दीदी को लगा मै अभी नादान हू और भोला भी
दिदी - भाई तू बहुत भोला है रे ,,, मै तेरे साथ वो सब नही कर सकती हूँ वो हक सिर्फ पति का होता है
मै - तो क्या वो आपका पति है अब
दीदी - अभी नही लेकिन शादी के बाद तो होगा ना
मै - लेकिन अभी तो नही ना हुई है आपकी शादी फिर वो गैर हुआ ना ,,, और मै आपका सगा भाई हू फिर भी मुझे डाटा और वो अभी कोई नही है फीर भी उसको .....
दीदी को लगा मै तो एक ही बात को पकड कर बैठा हू । एक बॉयफ्रेंड और भाई का रिश्ता के क्या क्या मायने होता है वो मै नही समझ पा रहा हू ।
दीदी मुझे बार बार समझाती लेकिन मै जानबुझ कर उनको एमोशनली भाई बहन के रिश्ते को लेकर बात को घुमा देता था.... आखिरकार दीदी को लगा कि मै ऐसे नही मानने वाला,,, और वो उठी और मुझे किचन मे ले गयी
दीदी - चल हाथ धुल और कुल्ला कर ले ,
दिदि का मूड बदला लग रहा था कि कहीं वो गुससे मे वापस ना मा को बताने की जिद कर ले ,,,, लेकिन हुआ वो जो मेरे अनुमान और मेरे सोचे हुए विचारो के बिलकुल उलट हुआ

जैसे ही मैने कुल्ल कर के हाथ धुल कर फ्रेश हुआ तो दीदी ने मुझे एक रुमाल दिया
दीदी - ये ले और मुह साफ कर
फिर मैने मुह साफ किया और रुमाल दे दिया
दीदी - चल अब अपनी आंखे बंद कर और जब तक मै ना बोलू खोलना मत
मै चौकते हुए - क्यू
दीदी - जितना बोल रही हू कर तू पहले
मै चुपचाप आंखे बन्द किया - अब कितनी देर तक बंद रखना है दीदी

मेरे सवाल का जवाब जो दीदी ने दिया वो मेरे लिए एक अनमोल पल बन गया क्योकि जवाब मे दीदी ने अपने नाजुक होठ मेरे होठो से जोड दिये थे और मेरे निचले होठ को अपने दोनो होठो से खिच कर चूसने लगी ,,,, पहले तो मै चौका लेकिन फिर लगा दीदी ने खुद पहल की है तो उन्के चेहरे को पकड कर मै भी उनका साथ देते हुए उन्के उपरी मुलायम रसिले होठो को चूसने लगा । करीब दो मिंट बाद दिदी मुझ्से अलग हुई और अपने गीले होठ को अपने एक हाथ से साफ किया ।

इस दौरान मै यही दिखा रहा था कि मै शौक मे हू
दीदी - यही चाह्ता था ना तू भी ,,इसी बात की जलन थी ना वो मुझे किस्स किया और तुझे कुछ नही मिला ,,, अब तो समझ मै तुझे भी प्यार करती हू ।

मै - हा लेकिन जब पकड़ी गयी तभी ना की हो आप,,, नही तो कभी जताते ही नही कि आप हमसे प्यार करते हो ,,, हमेशा डाटा ही है आपने मुझे

दीदी - कुछ भी किया हो लेकिन तू अमन से अब भी एक कदम आगे है समझा हिहिहिही
मै - वो कैसे
दीदी - कुछ नही छोड अब निचे जा मा को भी खाना खाने भेज
मै जिद करते हुए - बताओ ना दीदी प्लीज
दीदी - तुने तो बिना कपड़ो के मुझे देखा है और अमन ने सिरफ किस्स किया ,,,ये बोल के दीदी शर्मा गयी और पीठ मेरी तरफ कर ली

मैं भी मौके का फायदा उठाकर उन्के पास गया और उन्के एक कंधे पर हाथ रख कर बोला - तो आपको नही लगता की अमन से ज्यादा मेरा हक है आप पर ,,

दीदी - हा भाई ये सही है लेकिन
मै - दिदी हम दोनो बचपन से एक दुसरे के साथ है , हमने चीज़ हर बात सब कुछ एक दुसरे से साझा किया है तो क्या वो प्यार किसी के आने से कम कर दोगे आप
दीदी - नही भाई मै ऐसा नही चाहती हू ,, लेकिन मै अमन से बहुत प्यार करती हू और उसी से शादी करना है मुझे
मै - मैने तो ये नही कहा ना कि आप उससे प्यार करना बन्द कर दो ,, लेकिन क्या आप उसके लिये मेरे हिस्से का प्यार नही दोगे मुझे ।

इस वक़्त मै सच मे इमोसनल हो गया था ,,, मेरा हवस अब धीरे धीरे दीदी के एक प्यार का रूप लेने लगा ,,, मुझे इस बात का दिल से दुख होने लगा कि दीदी अमन से प्यार करती है ।लेकिन तभी दीदी ने मेरे अंदर एक उम्मीद की किरण दिखा दी ।

दीदी - भाई मै नही जानती थी कि तू मेरे से इतना प्यार करता है ,,लेकिन अब मै अपने दिल के हाथो मजबुर हू ,,मै अमन को छोड नही सकती ,, लेकिन

मै - क्या दीदी बोलो न
दीदी - लेकिन मै तेरे हिस्से का प्यार तुझे हमेशा दूँगी भाई ,,

मै खुश हो गया और दीदी को पीछे से उनकी कमर मे हाथ डाल कर पेट को कसा और उन्के कन्धे पर सर रखा और बोला - थैंक्स दीदी ,, आई लव यू

दीदी ने भी एक हाथ मेरे जुड़े हुए हाथो पर रखा और दुसरे हाथ से मेरे गाल को छुते बोली - आई लव यू टू भाई
दीदी - चल अब जा निचे

मै - नही रहने दो न दीदी कितना अच्छा लग रहा है ।
दीदी मुझसे छूटने की कोशिस मे हसे जा रही थी क्योकि जब भी वो मेरे हाथ हटाती मै उनकी मुलायम पेट मे गुदगुदी करने लगता

दीदी - छोड दे भाई अब ना ,,, देख कही अनुज ना आ जाये
मै चौक गया और उनको छोड दिया । वो मौका पाते ही बेडरूम मे भाग कर दरवाजा बंद कर ली ।

कमरे के अंदर से ही
दीदी - चल चल अब जा ,,बड़ा आया था दीदी का अशिक़ बनने ,,,हहिहिहिही

मै - कब तक बच के रहोगी दीदी देखता हू
फिर मै हस्ते हुए निचे आ गया फिर मा ऊपर चली गई और मै खुश था कि दीदी अब मेरे हाथ मे जल्द आने वाली थी।

करीब 2 बजे तक बुआ आई ,,, जैसे ही मेरी नजर बुआ पर गयी तो मुझे चाचा और बुआ की चुदाई याद आ गयी । मैने सोचा रात मे कुछ होगा नही और कल रक्षा बंधन पर मुझे नाना के यहा जाना है मा को लिवा के तो क्यू ना अभी दिन मे कुछ मज़ा ले लू
बुआ छत पर जाने लगी
तो मै उनको रोकते हुए

मै - बुआ रुको ना कहा जा रही हो
बुआ - बेटा ये खाने का डब्बा धुलने के लिए ले जाना है ना

तभी मा निचे आ गई और बोली - अरे दीदी रख दो यही अभी चला जायेगा ,,,,

आओ बैठो बात करते है वैसे भी कल मै चली जाऊंगी दो दिन के लिए मायके

बुआ - दो ही दिन क्यू भाभी आराम से रहो न एक हफ्ते मै हू ना यहा

मा - अरे दीदी घर का ख्याल तो रख लोगी लेकिन इसके पापा का क्या हिहिहिही

बुआ - क्यू मै अपने भईया का ख्याल नही रख सकती क्या
मा - हा लेकिन कैसे रखोगी बताओ जरा
बुआ - अब भईया रहते तो ना दिखा के बताती मै
मा - अरे तो क्या हुआ राज है ना

मा ने जैसे मेरी पहल की मै खुश हो गया और बोला - हा मा मुझे भी सिखना है ,,प्लीज

मा - लो अब तो ये भी तैयार है ,तो क्या कहती हो दीदी
बुआ मुस्कुराते हुए - अरे भाभी अभी तो ये बच्चा है
मा - हा तो इसको सिखाना भी पडेगा ना कि कैसे कैसे क्या होता है ,,,, इसी बहाने ये सिख भी लेगा और मै भी देख लुन्गी की मेरे गैर हजिरि मे मेरे पति खुश रह पायेंगे या नही

बुआ - चल लल्ला कमरे मे ,,,

फिर मै और बुआ कमरे मे गये , मा कमरे के दरवाजे के बाहर स्टूल लगा कर बैठ गयी ताकि कमरे के साथ दुकान मे भी नजरे बनी रहे ।

मै बहुत खुश था कि मुझे मा के सामने अपना जलवा दिखाने का मौका मिलेगा । मा के सामने मै बुआ को चोदन्गा ये सोच कर ही मेरा लण्ड पुरा का पुरा अकड गया था ।

मा - तो शुरू करो दीदी अब
बुआ और मेरे बिच सब कुछ हो गया था पहले ही लेकिन हम लोग भी जानबुझ कर नाटक कर रहे थे ।

मै - बुआ पहले क्या करते है ,, मै दूध पियुन्गा पहले

मा हसने लगी - क्या तू भी बच्चो की तरह दूध पीने को बोल रहा ,,,

मा बुआ को - दीदी जरा इसके नुन्नु को अपने जीभ की कलाबाजी से वाकिफ तो कराओ तब ये समझेगा औरत का सुख हीहीहि
बुआ - हा भाभी देख रही हू बहुत नादान है ये ,, और मेरे तरफ देख कर मुस्कुराने लगी ।
मै भी बुआ की नाटक मे शामिल होते हुए - मा क्या करने को बोल रहे हो आप
बुआ - रुक बेटा मै बताती हू
फिर बुआ घुटनो के बल बैठ गई और लोवर मे बने टेन्ट पर मेरे लण्ड को सह्लाया

मा - जरा बाहर निकाल के देखो तो राज बड़ा हो गया है कि नही

मै - मा बड़ा हो गया हू चाहो तो देख लो , ये कह कर मैने अपना टीशर्ट ऊपर चढा लिया
बुआ - वो तो अभी पता चल जायेगा
फिर बुआ ने मेरे अंडरवियर सहित मेरे लोवर को निचे मेरे जांघो तक कर दिया
बुआ के ऐसा करते ही मेरा 7" का मोटा लण्ड उछल कर उपर निचे होने ल्गा जैसे रबर की दण्डि हो ।
मा ने जैसे मेरे लण्ड को देखा उसकी आंखे चमक गयी और वो एक नजर दुकान मे देखी फिर उठ कर मेरे पास आ गई । इस वक़्त बुआ और मेरी दोनो की नजरे मा पर थी जो एक टक मेरे खड़े फन्फ्नाते लण्ड को देखे जा रही थी ।

बुआ - भाभी देख रही हो ये तो सच मे बड़ा हो गया है
मा - हा दीदी सच कह रही हो जरा खसकना दिदी मै भी देखू तो

फिर मा भी बुआ के बगल मे घुटनो के बल बैठ गई और एक हाथ से मेरे लन्ड़ की मोटाई मापते हुए चमडी को आगे पीछे करने लगी ।

मा का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही मेरे लण्ड की नशे और कसने लगी ,,, सुपादा और कडक होकर लाल होने लगा ,,,,
मा - दीदी इसका लण्ड कितना तप रहा है देखो ,,,,
फिर बुआ ने भी अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया ।

आह्हह क्या आनन्द था मेरी घर की दो गदरायी माले मेरे लण्ड को थामे हुए उनका तापमान मापे जा रही थी ।

मै - आह्हह मा दर्द हो रहा है कुछ करो ना
मा - हा बेटा रुक ,,,
मा बुआ से - दीदी जरा इसके लण्ड को मुह मे लेके ठंडा कर दो मै बाहर दुकान मे हू ,,,बेचारे के लिए पहली बार है ना तो ज्यादा तकलीफ लग रही है ।
मा की बातो मे फिकर थी,, इधर मुझे लग रहा था कि अब बुआ और मा दोनो मेरा लण्ड एक साथ चुसेगी लेकिन मा तो किनारा कर रही थीं, तभी बुआ ने ऐसा कुछ बोला कि मै गदगद हो गया ।

बुआ - भाभी ये आपका बेटा है आपका इसपे ज्यादा हक भी है और आज इसका पहली बार है तो क्यू ना मा होने के नाते आप ही इसके लण्ड को ठण्डा करो ,, दुकान मे मै बैठ जाती हू

फिर बुआ उठ कर जहा मा बैठि थी उसी स्टूल पर बैठ गई ।
मा ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर मेरे लण्ड को देखते हुए सहलाने लगी

बुआ - क्या भाभी जल्दी करो ना बेचारा कितना परेशान है
बुआ के बोल्ते ही मा ने गप्प से लण्ड को मुह मे ले लिया और चूसने लगी ।
मा की कोमल होटों का अपने सख्त लण्ड पे घिसाव मुझे और उत्तेजीत करने लगा ,,, तीन चार बार लण्ड चूसने के बाद मा ने मेरे लण्ड को उपर की तरफ एक दम सीधा किया और मेरे लण्ड की निचली नसो को जड़ से लेकर सुपाडे के छोर तक अपने गीली जीभ से चाटने लगी और फिर मेरे सुपाडे को अपनी मुलायम जीभ के निचले हिस्से से घुमा घुमा कर गिला करने लगी ।
अब तक मैने जितनो से भी लण्ड चुस्वाया था उसमे सबसे ज्यादा मज़ा मा के साथ आ रहा था और मुझे समझ आ रहा था कि क्यू पापा को मा लण्ड चूसना इतना पसंद था और क्यो वो मा की गुरू मेरी रज्जो मौसी से लण्ड चुसवाना चाह्ते थे ।
मा ने मेरे लण्ड को सीधा कर उस्की चमडी उपर निचे करके मेरे आड़ो को मुह मे भरने लगी थी,,, और मेरा लण्ड मा की लार से पूरी तरह से गिला हो चूका था ,,, लेकिन ये सब मा की कलाओ के तर्कस का एक ही तीर था ,,, उनका हर नया स्टेप मेरे लण्ड की नसो मे और कसाव ला रहा था ।
फिर मा ने वापस लण्ड को मुह मे लेकर जड़ तक लिया और एक हाथ से मेरे आड़ो को दबाने लगी । मेरे सुपाड़े पर मा के गाले की घाटी चुब रही थी । मा वापस से लण्ड को आगे पीछे कर लण्ड की चुस्ती रही और मुह के अन्दर मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ की कलाबाजी दिखाती रही । करीब 10 मिनटो की चुसाई के बाद मेरे सबर का बान्ध टुट गया,, अब मै और ज्यादा देर तक खुद को सम्भाल नही सकता था ,,, मा के लण्ड चूसने की कला के आगे मै नतमस्तक हो गया था ,,, मेरे लण्ड के कडक बढ़ गई और नसे फूलने लगी , सुपाडे मे खुन ज्यादा होने से उसमे दर्द होने लगा था ,,,मेरे पैर कापने लगे सांसे तेज़ी से फूलने लगी और मै लदखदती आवाज मे

मै - अह्ह्ह्ह माआअह्ह मेराआअह्ह हो ने वा ...
बुआ - बेटा रोकना मत उसको बह जाने दे तभी दर्द कम होगा
फिर मैने मा की तरफ देखा तो वो मुह मे लण्ड लिये हा का इशारा करती है और तेज़ी से मेरे सुपाडे को सुरकने लगती है ,,,, फिर चंद पलो मे मैने अपने सुपाडे को ढिला छोड दिया और मेरी नशो मे भरा वीर्य तेज़ी से मा के मुह मे भरने लगा और मा ने अच्छी तरह से चाट कर और मेरे सुपाड़े को सुरक कर सारा वीर्य साफ किया और मै वही बिस्तर पर धडाम हो गया ।

मा भी उठी और अपने चेहरे साफ किया और वही बगल मे बैठ गई
बुआ ह्स्ते हुए - वाह भाभी आप सच मे खिलाडी है लण्ड चूसने मे ,,,
मा - तभी तो कह रही हू ना कि इसके पापा को खुश रख लोगी न आप
बुआ - कोसिस करंगी मै भाभी लेकिन शुरुआत तो होनी चाहिए ना

मा - तो आज रात मे कर लो शुरूवात ,,,वैसे भ आज आपको इस रूप मे देख कर उनका कण्ट्रोल नही रहने वाला है

बुआ - लेकिन कैसे भाभी आप ही उनको लेके सोते हो ना कभी मेरे पास छोड़ते ही नही हिहिहिहिही

मा - ठीक है फिर आज रात हम लोग छत पर ही सोया जायेगा ,,, और देखते है तब आप क्या करती है

बुआ - सोच लो भाभी अगर मेरे जाल मे फस गये भईया तो निकल पाना मुस्किल है

मा - अरे वो तो खुद आना चाहते है आपके जाल मे और मेरी चिन्ता ना करिये ,, क्योकि वो आपके लिये 4 दिनो से तरस रहे है कही आप ही ना भाग जाओ हिहिहिही

बुआ - चलिये देख्ते है ,,, मेरी जवानी के आगे अच्छे अच्छे पानी भरे है तो एक बार भईया भी सही
मा - एक बार ले के देखो अपने भैया का ,, जिजा जी को भी भूल जाओगी हीहीहि

इधर मै उन लोगो की बाते और रात मे छत पर होने वाले रोमांच से बहुत उत्तेजित होने लगा था और मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा ।



देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है
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