पूजा- अरे…समीर तुम आ गए.
मैं- जी हाँ, मगर तुम इतनी घबराई हुई क्यों लग रही हो, क्या तुम्हारा भी गला सूख गया है क्या…?
पूजा ने शरमाकर अपना मुँह नीचे कर लिया.
पूजा- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.
मैं- तुम मुझे फ़िल्म दिखाने वाली थी.
पूजा- इतना कुछ तो तुमने देख लिया अब क्या बाकी रह गया.
दोनों का सच एक-दूसरे के सामने आ चुका था, पूजा अब खुल कर बात करने लगी थी. तो मैंने भी थोड़ी हिम्मत की और जाकर दरवाज़े की कुंडी लगा दी.
पूजा- यह क्या कर रहे हो समीर, अगर कोई आ गया तो…?
मैं- कोई नहीं आएगा यार, डरो मत.
हम दोनों कुर्सी पर बैठ गए, और लैपटोप को मेज पर रख दिया. फिर मैंने सेक्सी फ़िल्मों की लिस्ट निकाली तो पूजा कुर्सी से उठने लगी, मैंने पूजा का हाथ पकड़ कर उसे दोबारा बिठा दिया.
मैं- क्या हुआ पूजा, कहाँ जा रही हो?
पूजा- नहीं समीर, हम ये फ़िल्में साथ में नहीं देख सकते.
मैं- मगर क्यों यार?
पूजा- यह बहुत गंदी फ़िल्म हैं, मैं इन्हें अकेले में देखती हूँ, तुम्हारे साथ नहीं देख सकती, मुझे शर्म आती है.
मैं- और जब तुम उस तकिये को इतनी मदहोशी से सूंघ रही थी तब तुम्हारी शर्म कहाँ थी.
पूजा शर्म से लाल हुई जा रही थी…
मैंने पूजा का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर कहा- देखो पूजा, तुम मुझे बहुत पसंद हो, मैं तो तुम्हें पहली बार देखते ही तुम पर फ़िदा हो गया था. यह कहकर मैंने अपने होंठ पूजा के रसीले होठों से लगा दिए और उनका रस पीने लगा. पूजा ने मुझे बीच में ही अपने से अलग किया, उसके चेहरे पर उसके अंदर की खुशी साफ झलक रही थी.
मैं- कैसा लगा…?
पूजा- समीर… बहुत अच्छा-अच्छा महसूस हो रहा है, यह मेरी ज़िंदगी का पहला चुम्बन है.
मैं- तो बीच में ही क्यों रोक दिया मेरी जान, आज मुझे अच्छी तरह अपने होठों का रस पीने दो.
पूजा- यह मेरा पहली बार है इसलिए मुझे लंबा चुम्बन लेने का अनुभव नहीं है.
मैं- तो अनुभव ले लो ना… इतना कहकर मैंने फिर से उसके होंठ अपने होठों से पकड़ लिये.
हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगे, कभी मैं उसकी जीभ को पकड़ कर चूसता तो कभी वो मेरी जीभ को. उसके गालों पर रखे मेरे हाथ अब धीरे-धीरे नीचे खिसकने लगे और उसके कंधों से होते हुए उसकी कामुक, मोटी-मोटी और रसदार चूचियों पर आ गये, तो वो एकदम से सिहर उठी. मैं उसके चूचों को धीरे-धीरे सहलाने व दबाने लगा, वो कसमसाती हुई मुझे चूम रही थी. हम काफ़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे, हमारी सांसें तेज होती जा रही थी, पूजा की गर्म-गर्म सांसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी, हम एक-दूसरे से लिपट कर जाने कहाँ खो गये थे.
तभी किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी तो हमारा सारा नशा उड़ गया और हम दोनों बुरी तरह घबरा गए. पूजा ने फ़ुर्ती से उठ कर अपना दुपट्टा ठीक किया और दरवाज़े की ओर बढ़ी. मैंने लैपटोप को संभाला और उसमें जल्दी से एक विडियो गाना चला दिया. पूजा ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर मोनू खड़ा है.
पूजा- अरे मोनू तुम…
मोनू- समीर भईया, को नीचे बुलाया है.
और इतना कहकर वो नीचे चला गया.
हमारी तो जान में जान आई कि मोनू ने हमसे कोई सवाल नहीं किया, अगर कोई बड़ा होता तो हम बुरी तरह फ़ंस जाते क्योंकि दरवाज़ा अंदर से बंद था और जवान छोरा-छोरी अकेले…
पूजा हंसते हुए बोली- बच गए यार… मेरी तो सांस ही अटक गई थी.
मैंने भी हंसते हुए कहा- तो फिर दोबारा से शुरु करें.
पूजा- जी नहीं, तुम्हें नीचे बुलाया गया है.
मैं- तो मैडम, फिर यह अधूरा काम कब पूरा होगा?
पूजा- इतनी भी क्या जल्दी है, अभी तो हम मिले हैं, सही वक्त आने पर इस अधूरे काम को पूरा करेंगे, अभी तुम जाओ, नहीं तो फिर से कोई आ जायेगा.
मैं- ठीक है… अभी तो मैं जा रहा हूँ लेकिन मौका मिलते ही इस अधूरे काम को पूरा करुँगा.
इतना कहकर मैंने उसे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और एक लंबा व गहरा चुम्बन लिया और नीचे चला गया.
नीचे पहुँच कर मैंने देखा कि भात की रस्म की तैयारी चल रही थी, काफ़ी सारी औरतें इकटठी हैं, मेरी गाँव वाली बुआ भी आई हुई थीं. कुछ देर बाद हम बुआ के घर पहुँचे और भात की रस्म पूरी की. घर पहुँच कर मैं अपने सारे रिश्तेदारों से मिला और फिर मैं औरतों वाले कमरे में गया अपनी प्यारी-प्यारी भाभियों से मिलने.
अंदर जाकर देखा तो मेरी सभी भाभियाँ वहाँ इकट्ठी थीं और उनके बीच एक ऐसा चेहरा था जिसे देख कर मैं हैरान रह गया और साथ ही साथ मेरी खुशी का कोई ठिकाना न रहा. मेरी खुशी की वजह सुलेखा भाभी थीं, वो मेरी गांव वाली बुआ के साथ शादी में आई थीं. मैंने सभी भाभीयों को नमस्ते की, मुझे देख कर मेरी सारी भाभियाँ बहुत खुश हुईं और एक ने मुझे हाथ पकड़ कर अपनी बगल में बिठा लिया और हम सभी आपस में हंसी-मजाक करने लगे.
मेरी बगल वाली भाभी बोली- देवर जी, अब आप आ गये हो तो शादी में और भी मजा आएगा.
तो मैंने उन्हें खोआ मारते हुए कहा- क्यों नहीं भाभी जी, आपको तो पूरा-पूरा मजा दूंगा!
और इस पर सभी भाभियाँ जोर से हंस पड़ीं.
सुलेखा भाभी भी मेरे एक तरफ बैठी हुई थीं, फिर मैंने सुलेखा भाभी को छेड़ने के लिए अपनी एक भाभी से पूछा- भाभी, ये कौन हैं?
तो उन्होंने बताया कि ये बुआ के गांव से आई हैं, बुआ की पड़ोसन हैं और उनके साथ आई है, ये भी तुम्हारी भाभी लगती हैं.
मैंने कहा- अच्छा… तो ये बुआ के साथ आई हैं, तभी तो कहूँ इन्हें पहले कभी नहीं देखा.
सुलेखा भाभी ने मेरी बाजू पर चुटकी काटी और मेरी तरफ आँख निकालते हुए बोली- अच्छा जी, इतनी जल्दी भूल गये… ये मुझे 2 साल पहले से जानते हैं, जब गांव आए थे तब इनसे मुलाकात हुई थी और अब देखो कैसे बातें बना रहे हैं.
थोड़ी देर बाद सब भाभियाँ कमरे से बाहर चली गईं, अब कमरे में सिर्फ़ मैं और सुलेखा भाभी थी.
अब हम दोनों अकेले थे तो मैंने कहा- हमारा बेटा कहाँ है?
तो उन्होंने बताया कि वो बाहर बाकी बच्चों के साथ खेल रहा है. मैंने मोका देखकर सुलेखा भाभी के गाल पर एक चुम्बन ले लिया.
भाभी- यह क्या कर रहे हो समीर? कोई देख लेगा तो, दरवाज़ा भी खुला हुआ है.
मैं- तो लो दरवाज़ा बंद किए देता हूँ…
यह कहकर मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया.
भाभी- अरे नहीं, कोई आ गया तो उसे शक हो जाएगा कि दरवाज़ा बंद क्यों है.
मैं- किसी को शक नहीं होगा मेरी जान, मैंने कुंडी नहीं लगाई है बाकी मैं सब संभाल लूँगा.
भाभी- तुम भी ना! एकदम बेशर्म हो, तुम्हें पकड़े जाने का भी कोई डर नहीं है…
मैं- अब तुम्हारे सामने भी कैसी शर्म…
इतना कहकर मैं सुलेखा भाभी के रस भरे होठों को रगड़ने लगा और उनका रस चूसने लगा. मैं यह देखकर बहुत खुश हुआ कि भाभी मुझसे भी ज्यादा उतावली थी मेरे होठों को चूसने के लिए, वो मेरे होठों को जोर-जोर से अपने होठों में पकड़ कर चूस रही थी और अपने दांतों से भी काट रही थी. जिससे मेरे होठों में दर्द होने लगा.
मैं भाभी से अलग हुआ- क्या कर रही हो यार? खा जाओगी क्या मेरे होंठों को!
तो भाभी मेरी तरफ देखकर हंसने लगीं.
मैंने पूछा- अब क्या हुआ? हंस क्यों रही हो तुम?
भाभी ने मुझे उठाया और शीशे के सामने ले गईं, शीशे में देखकर मेरा माथा ठनका. मेरे होंठ, गाल, माथा लगभग पूरा चेहरा भाभी के होंठों की लाली से गुलाबी हो गया था.
मैंने कहा- अब क्या होगा भाभी? मेरे चेहरे का तो तुमने पोस्टर बना दिया है, यह तो आसानी से साफ भी नहीं होगा, किसी ने देख लिया तो?
भाभी ने कहा- पहले किसी कपड़े से पौंछ लो फिर साबुन से धो लेना, आसानी से साफ हो जायेगा.
भाभी ने एक रुमाल लेकर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को पौंछा, जिससे मेरा चेहरा कुछ साफ हुआ. फिर मैं कमरे से बाहर निकला और बड़ी मुश्किल से सभी से अपना मुँह छुपा कर बाथरुम में घुस गया. मैंने अपने चेहरे पर साबुन लगाया और फिर पानी से अच्छी तरह धोया, जिससे चेहरा एकदम साफ हो गया. मैंने तौलिए से अपना मुँह पौंछा और फिर वापस कमरे में चला गया.
भाभी हंसते हुए- आ गए देवर जी, अब मुझसे कभी पंगा मत लेना, नहीं तो इससे भी बुरा हाल करुंगी.
मैं- वो तो यहाँ इतनी भीड़भाड़ है वरना अकेले में मैंने तुम्हारा क्या हाल किया था भूल गईं क्या.
इस पर भाभी मुझे कातिल मुस्कान देने लगी.
भाभी- और सुनाओ समीर, कोई मिली या नहीं?
मैंने भाभी को अपने पेशे के बारे में कुछ भी नहीं बताया कि मैं एक जिगोलो बन गया हूँ, उनकी नज़रों में मैं अब भी एक सीधा-सादा इंजीनियरिंग का छात्र था.
मैं- नहीं भाभी… मेरी तो कहीं दाल ही नहीं गलती.
भाभी- दाल यूं ही नहीं गलती देवर जी, थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, कभी कोशिश भी की है?
मैं- बहुत कोशिशें की मगर कोई मछ्ली नहीं फ़ंसी कांटे में… पर…
भाभी- पर क्या…?
मैंने भाभी को पूजा के बारे में सब कुछ बता दिया.
भाभी- ओ… तो मामला एकदम फिट है तो फिर दिक्कत किस बात की है.
मैं- पूजा तो एकदम तैयार है पर भाभी मौका ही नहीं मिल रहा है और शायद कल मैं यहाँ से चला जाऊँगा, पता नहीं हमारा मिलन हो पाएगा या नहीं. कुछ तो करो भाभी प्लीज…
भाभी ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा- मैंने सोच लिया देवर जी कि आपका पूजा के साथ मिलन करवा के रहूँगी वो भी आज रात ही.
मैं- भाभी मैं तुम्हारा बहुत आभारी रहूँगा, पर यह सब होगा कैसे? दोनों ही घरों में काफ़ी लोग जमा हैं.
भाभी- अभी तो भीड़ है पर रात को सब शादी में शरीक होने के लिए बैंक्वेट हाल जायेंगे, तब यहाँ तो कोई ना कोई रुकेगा क्योंकि शादी वाला घर है पर उस वक्त पूजा के घर कोई नहीं होगा.
वो समय ही तुम दोनों के मिलन के लिए एकदम सही रहेगा. यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं.
भाभी की यह योजना सुन कर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने उनके गाल को चूम कर उनका धन्यवाद किया. धीरे-धीरे समय बीत गया और शाम को 8 बजे के करीब सभी लोग बैंक्वेट हाल चले गये. मैं भी संजू (बुआ का लड़का) के बैंक्वेट होल की तरफ रवाना हुआ, घर से 5 मिनट की दूरी पर ही था.
जैसा कि भाभी ने कहा था हमारे घर पर एक-दो बंदे रुके थे घर की देखभाल के लिए, पर पूजा के घर के बाहर मैंने ताला लगा हुआ देखा तो सोचा कि सब भाभी की योजना के मुताबिक चल रहा है.
बैंक्वेट होल पहुँच कर मैं सभी मेहमानों से मिला.
वहाँ मैंने पूजा को देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा और हम खाना खाते-खाते एक दूसरे को दूर से ही प्यासी निगाहों से देख रहे थे और मुस्करा रहे थे.
तभी किसी ने पीछे से मेरी पीठ थपथपाई, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो सुलेखा भाभी थीं.
भाभी ने बताया कि उन्होंने पूजा को सब कुछ समझा दिया है कि क्या करना है और मुझे भी आगे की योजना बताई.
रंगीन रातों की कहानियाँ
-
- Expert Member
- Posts: 3302
- Joined: 18 Aug 2018 23:10
कमसिन कॅटटो-3
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
-
- Expert Member
- Posts: 3302
- Joined: 18 Aug 2018 23:10
कमसिन कॅटटो-4
करीब 11 बजे तक लगभग सभी अन्य मेहमान सोने के लिए खिसक चुके थे, सिर्फ कुछ लोग ही बचे थे जिन्हें सारी रात वहीं रुकना था.
मैं बुआ के पास गया, वहाँ मम्मी और आंटी भी बैठी हुई थीं, मैंने बुआ से कहा- मुझे जोरों की नींद आ रही है. बताइए सोना कहाँ है? घर में तो काफी भीड़ होगी.
मैंने ये सब आंटी को सुनाने के किए किया था, उसका असर यह हुआ कि आंटी ने कहा- हाँ समीर, तुम वहाँ परेशान हो जाओगे, तुम हमारे घर जाकर सो जाओ, वहाँ कोई नहीं है!
और यह कहकर उन्होंने घर की चाबी मेरे हाथ में दे दी. मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मुझे किस्मत की चाबी मिल गई हो.
मैं पूजा के घर का ताला खोलकर अंदर गया और पूजा का इंतजार करने लगा.
योजना के अनुसार पूजा ने घर आने के लिए सुलेखा भाभी का सहारा लिया. उसने आंटी से कहा- मम्मी… भाभी और मैं सोने जा रहें हैं, घर की चाबी दे दो.
आंटी ने कहा- चाबी समीर ले गया है वो हमारे ही घर पे सो रहा है, तुम भाभी के साथ जाओ और मोनू को भी ले जाना उसको कल स्कूल भी तो जाना है.
थोड़ी देर में पूजा, भाभी और मोनू आ गए, पूजा ने मोनू से कहा- तू जाकर अपने कमरे में सो जा, हम तीनों नीचे ही सोएगें, अगर कोई आएगा तो दरवाज़ा भी तो खोलना है.
मोनू ऊपर चला गया और पूजा ने जीने का दरवाज़ा बंद कर दिया.
फिर हमारा खेल शुरु हुआ…
पूजा को मैंने गोद में उठाया और अंदर कमरे में ले जाकर बैड पर पटक दिया. मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा और उसके कपड़े उतारने लगा, तो पूजा ने शरमाते हुए कहा- समीर… भाभी देख रहीं हैं.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुस्कराकर बोली- देवर जी बड़ी जल्दी में हो, भाभी को तो भूल ही गये.
मैंने कहा- आप भी आ जाओ भाभी सब मिल कर मजा करेगें. भाभी ने पास आकर कहा- तुम दोनों मज़े करो, मैं तो बस तुम्हें देख कर ही काम चला लूंगी और मुझे पहरा भी तो देना है कहीं कोई आ गया तो?
इतना कहकर मेरे होठों पे चुम्बन दिया और बाहर की तरफ चली गईं.
फिर मैंने झटाक से पूजा के सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ़ पेंटी को छोड़कर और उसे बिस्तर पर लिटाकर चूमने लगा. मेरे सामने एक कच्ची कली नंगी पड़ी थी और मुझे यह सब एक हसीन सपने की तरह लग रहा था. कमरे में पूरी तरह उजाला था और पूजा का गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था. मैंने पूजा की रसीली चूचियों को मसलना शुरु किया और उसके चूचुकों से रस पीने लगा.
पूजा की सीत्कारें पूरे कमरे में गूंज रहीं थी, घर में कोई नहीं था तो हम दोनों ही कामुक आवाज़ें निकाल कर सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे.
पूजा- आह्… ओह्ह्ह… आह्ह्ह आऊच… समीर! मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ बाबा, ज़रा आराम से करो ना.
मैं- ओह मेरी रानी, तू तो मेरी है पर कमबख्त यह वक्त तो भागा जा रहा है ना, फिर ये मौका मिले न मिले.
फिर मैंने पूजा की पेंटी भी उतार फ़ेंकी. क्या बताऊँ यार, एकदम गोरी और लाल-लाल चूत थी उसकी एकदम अंग्रेजन की तरह. उसकी चूत ही इतनी प्यारी थी कि बिना हाथ लगाए ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी.
पूजा बिस्तर पर सिकुड़ने लगी और खिलखिलाते हुए कहने लगी- यह क्या कर रहे हो समीर, मुझे तो गुदगुदी सी हो रही है.
मैंने कहा- मेरी जान तेरी चूत पहली बार चुदते हुए शरमा रही है, आज इसकी सारी शर्म निकाल दूँगा.
फिर मैं पूजा की चूत चाटने लगा, अपनी जीभ को उसकी चिकनी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत की सील बंद होने के कारण सिर्फ़ जीभ का अग्र भाग ही पूजा की चूत में जा पा रहा था. फिर मैं उसकी चूत को अपने होठों में भर-भर कर चूसने लगा और उसके चूत के दाने को धीरे-धीरे अपने दांतों से मसलने लगा.
पूजा बुरी तरह छ्टपटा रही थी और जोर जोर से सीत्कार रही थी- आआ…ह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्ह समीर! बहुत अच्छा लग रहा है, मजा आ रहा है… आआऊच आह्ह!
मैंने कहा- मेरी जान ये तो शुरुवात है असली मजा तो तुझे चुदाई में आएगा.
तभी मेरा ध्यान कमरे के दरवाज़े की तरफ़ गया तो मेरी आँखें हैरानी से फ़टी रह गईं, मेरे सामने चौंका देने वाला नज़ारा था.
सुलेखा भाभी दरवाज़े के सामने कुर्सी पर बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी और अपनी टांगों को फ़ैला कर अपनी चूत को उंगली से चोद रही थी. पूजा और मैं इतनी मदहोशी में थे कि हमें पता ही नहीं चला कि भाभी कब से वहाँ बैठी थी, इतने दिनों बाद भाभी की कंटीली जवानी देख कर मेरी आँखों में चमक आ गई.
भाभी ने मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और पूजा को छोड़कर भाभी के पास चला गया. भाभी ने अपनी टांगें और फ़ैलाकर ऊपर उठा लीं, मैं समझ गया कि वो मुझे अपनी चूत चूसने का निमंत्रण दे रहीं हैं. तो मैं देर ना करते हुए भाभी की चूत को अपने होठों से पकड़-पकड़ कर चूसने लगा. भाभी अपनी चूत की चुदाई पहले ही उंगली से कर चुकी थीं, इसलिए उनकी चूत से काम रस बह रहा था जिसे मैं बड़े मज़े से चाटे जा रहा था. भाभी अपनी चूत को पहले ही मसल चुकी थीं, इसलिए ज्यादा देर तक नहीं टिक सकीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी अपने काम रस से मेरा मुँह धोने वाली हैं. पर मैं उनका काम रस पीने के मूड में नहीं था इसलिए मैंने अपना मुँह उनकी चूत से हटाया और अपनी दो ऊँगलियों से उनकी चूत चोदने लगा. कुछ ही देर में भाभी जोर-जोर से आह्ह्ह ओ… ओ… ह्ह्ह ऊउफ़्फ़ ह्हाआए एएए सी… आह्ह करती हुई झड़ने लगीं. सारा पानी झड़ने के बाद मैंने भाभी की चूत को एक कपड़े से अच्छी तरह साफ़ किया और खड़ा हो गया.
भाभी मेरे लंड पर हाथ फ़िराने लगी, फिर पैंट से बाहर निकाल कर चूसने लगीं. कुछ देर बाद भाभी खड़ी हुई और मेरा लंड पकड़ कर मुझे पूजा के पास ले गईं, और पूजा से मेरा लंड चूसने को कहा.
पूजा मना करने लगी तो भाभी ने उसे समझाया कि लंड चूसने में बड़ा मजा आता है और बिना लंड चूसे तो चुदाई का मजा ही नहीं है. पूजा फिर भी नहीं मानी तो भाभी मेरा लंड चूस-चूस कर पूजा को चुम्बन देकर मेरे लंड का स्वाद पूजा को देने लगी.
ऐसा करने से पूजा की जीभ को मेरे लंड का स्वाद लग गया और उसकी शर्म जाती रही. अब उसने मेरा लंड थाम लिया और उसे नीचे से ऊपर तक चाटने लगी, मेरे टट्टों को मसलने लगी.
फिर उसने मेरा लंड चूसना शुरु किया, वो मेरे लंड को गपागप चूस रही थी और मेरे मुँह से कामुक आवाज़ें निकल रही थीं… आअह्ह्ह ओह्ह्हा आह्ह और चूस मेरी जान मेरे लंड को पूरा मुँह में ले.
ऐसा कहकर मैंने अपना लंड उसके मुँह में पूरा अंदर तक ठूँस दिया और उसका मुख चोदन करने लगा.
फिर भाभी ने कहा- चल अब देर ना कर! जल्दी से इस बेचारी की सील तोड़ दे! अगर कोई आ गया तो बेचारी तड़पती रह जाएगी. मैंने अपना लंड पूजा के मुँह से बाहर निकाल लिया, भाभी ने पूजा को लिटाया और उसकी चूत को चूस कर कहा- ले समीर, जल्दी कर! इसकी चूत चुदने के लिए तैयार है!
और इतना कहकर भाभी ने पूजा की चूत पर ढेर सारा थूक डाल दिया. मैंने पूजा की टांगों को अच्छी तरह फ़ैलाया और अपना लंड पूजा की चूत पर रगड़ने लगा जिससे वो बिस्तर पर नागिन की तरह कसमसाने लगी. भाभी ने मेरी पीठ पर एक चांटा मारा- क्यूँ तड़पा रहा है बेचारी को, जल्दी से इसकी चूत की सील तोड़…
फिर मैंने लंड को चूत के द्वार पर रखा और झटके से लंड को अंदर करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा, पूजा की चूत भाभी के थूक से बहुत चिकनी हो चुकी थी इस कारण मेरा लंड फिसल गया. मैंने फिर से निशाना साधा और शॉट लगाया और इस बार मेरे झटके से लंड पूजा की चूत में घुस गया.
पूजा की चूत की सील खुल चुकी थी लेकिन अभी मेरा लंड पूजा की चूत में आधा ही घुस पाया था. पूजा की आँखों में खुशी के आँसू छलक आये और वो जोर-जोर से सिसक रही थी, फिर मैंने पूजा की हालत देखकर अपना लंड पूजा की चूत से बाहर निकाला.
पूजा ने अपनी चूत का हाल देखने के लिए अपना हाथ चूत की तरफ उठाया लेकिन भाभी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके हाथ से अपने चूचे दबवाने लगीं, अगर पूजा अपनी चूत में आए खून को देख लेती तो वो बहुत ज्यादा घबरा जाती.
भाभी और मैं पूजा के चूचों को मसल रहे थे और मैं कभी पूजा को तो कभी भाभी को चूम रहा था. थोड़ी देर बाद जब पूजा सामान्य हुई तो मैंने फिर से अपना लंड पूजा की चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे झटके लगाने लगा. अब पूजा को भी मजा आने लगा तो उसने अपनी टांगे उठाकर मेरी कमर पर लपेट लीं और अपनी कमर हिला-हिलाकर अपने आनन्द का सिगनल देने लगी. हम काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में सम्भोग के आनन्द में डूबे रहे.
भाभी हमारे बगल में लेटी हुई थी और हमें देखकर अपनी चूत को मसल रही थी और मैं भाभी के चूचों को दबोच रहा था. तभी पूजा का शरीर अचानक से सिकुड़ने लगा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और पूजा मुझे अपनी टांगों के बीच में कसने लगी. मैं समझ गया कि अब पूजा झड़ने वाली है, मैंने भी अपनी गति को बढ़ाया और तेज़ी से धक्के देकर पूजा की चूत को चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद पूजा ने अपनी आँखें बंद कर ली और आंह्ह ऊउह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सी…सी… करके झड़ने लगी. उसके कामरस में इतना उबाल था कि मैं भी पिंघल गया और पूरी तेज़ी के साथ चोदते हुए उसकी चूत में ही झड़ने लगा.
पूजा की चूत में लंड फंसाये मैं उसके ऊपर ही पड़ा हुआ था. भाभी मेरे सिर पर हाथ फ़ेरते हुए कहने लगी- उठो ना देवर जी, अब छोड़ भी दो बेचारी को और इसकी चूत को थोड़ा सांस तो लेने दो, मेरी चूत पर भी कुछ तरस खाओ और अब इसका भी बाजा बजा दो.
मैं पूजा के ऊपर से उठा तो उसकी चूत से ढेर सारा कामरस बाहर निकला और उसके चूतड़ों से होता हुआ चादर पर गिर गया. भाभी ने पूजा से पेशाब कर आने को कहा ताकी उसका गर्भ ना ठहरे और पूजा बाथरुम चली गई.
मैंने चादर पर गिरा हुआ कामरस कपड़े से साफ़ किया और फिर से बिस्तर पर लेट गया. अब भाभी मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी, मैं भी भाभी के होंठों का रसपान करने लगा.
भाभी कहने लगी- समीर, तुम मुझे इतने दिनों बाद मिले हो, आज तो मुझे जन्नत की सैर करा दो मेरे राजा.
मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी, आप इतने दिनों बाद मिली हो तो आपकी खातिर तो करनी ही पड़ेगी!
इतना कहकर मैं भाभी को चोदने के लिए उठने लगा, तो भाभी ने मुझे धक्का देकर लिटा दिया.
भाभी- तुम्हें उठने की ज़रूरत नहीं है, जो मुझे चाहिए मैं अपने आप ले लूँगी.
भाभी मुझे चूमती हुई नीचे लंड तक पहुँच गई और बड़े प्यार से मेरे लंड को सहलाने लगी जिससे मेरा लंड अपने विशाल रूप में आने लगा. फिर भाभी ने मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया और चुप्पे लगाने लगी.
मेरे मुँह से आह्ह्ह ओह्ह्ह भाभी… मेरी रानी, क्या मस्त चुस्क्कड़ है तू! निकल रहा था और मैं अपनी कमर उछालने लगा.
इतने में पूजा वहाँ आ गई- ओ… तो देवर-भाभी की रास लीला शुरु हो गई, मेरी प्यारी सी चूत का भौंसड़ा बना दिया और अब दोनों मिल कर ऐश कर रहे हो.
पूजा मेरे मुँह के उपर टांगें चौड़ी करके अपनी चूत दिखाने लगी- देखो समीर, तुमने मेरी चूत का क्या हाल बना दिया है, बेचारी कितनी रो रही है अब इसे पुचकार तो दो…
इतना कहकर पूजा ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी और रगड़ने लगी. मैं पूजा की चूत में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी चूत एकदम फ़्रैश लग रही थी शायद वो धोकर आई थी. अब पूजा की चूत खुल चुकी थी तो मेरी जीभ उसकी चूत में पूरी अंदर जा रही थी.
उधर… भाभी चूस-चूस कर मेरे लंड़ का पानी निकालने पर तुली थी पर मैंने अपने आप को संभाला हुआ था ताकी भाभी की जोरदार चुदाई कर सकूँ.
फिर पूजा ने भाभी को हटा दिया और हम 69 की मुद्रा में आ गए. अब पूजा मेरे लंड के चुप्पे लगाने लगी और साथ-साथ अपनी चूत को जोर-जोर से हिलाकर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी. थोड़ी देर के बाद पूजा ने मुझे संभलने तक का मौका ना देते हुए अपनी चूत का सारा पानी मेरे मुँह पर झाड़ दिया. मैंने पूजा को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की पर नाकाम रहा, उसने मेरे मुँह को अपनी टांगों के बीच कस कर जकड़ा हुआ था और लगातार अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़े जा रही थी. जब मेरी सांस रुकने लगी तो मैंने पूजा की चूत के दाने को दांतों से काट लिया, तब जाकर पूजा ने मुझे अपने चुंगल से आज़ाद किया, तब मुझे एक जवान लड़की की ताकत का अंदाज़ा हुआ.
भाभी जोर-जोर से हंसने लगी- समीर, दिन में तो मैंने अपनी लिप्सटिक से तुम्हारा मुँह लाल किया था लेकिन पूजा ने तो अपने काम रस से तुम्हारा मुँह एक दम से सफेद बना दिया है, शाबाश पूजा…
मैं बाथरुम में गया और अपना मुँह अच्छी तरह साबुन से धोया, कुल्ला किया और वापस कमरे में गया.
पूजा- क्यों समीर… मेरे रस को पीने से कुछ ताकत आई या नहीं…?
यह कह कर पूजा और भाभी हंसने लगीं.
मैं- अब देखो… मैं तुम दोनों का क्या हाल करता हूँ.
भाभी- मैं तो कब से तड़प रही हूँ राजा, कर दे मेरा काम तमाम.
मैं जैसे ही बैड के नजदीक गया, भाभी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई, भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत से लगाया और झटके से बैठ गई. एक ही बार में मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में चला गया और भाभी की आह निकल गई. भाभी उछल उछल कर अपनी चूत चुदवा रही थी और मैं भी नीचे से झटके लगा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को अपने नीचे लिटा लिया और भाभी की जबरदस्त चुदाई की और भाभी के सारे कस-बल निकाल दिए.
हम तीनों ने मिलकर सुबह के 4 बजे तक सैक्स का जी भर कर लुत्फ़ उठाया, मैंने अपने काम रस से भाभी और के मुँह का मेकअप भी किया ठीक उसी तरह जैसे पूजा ने मेरा किया था.
तो दोस्तो, यह थी… कुंवारी चूत के साथ मेरे संभोग की कहानी.
samaapt
मैं बुआ के पास गया, वहाँ मम्मी और आंटी भी बैठी हुई थीं, मैंने बुआ से कहा- मुझे जोरों की नींद आ रही है. बताइए सोना कहाँ है? घर में तो काफी भीड़ होगी.
मैंने ये सब आंटी को सुनाने के किए किया था, उसका असर यह हुआ कि आंटी ने कहा- हाँ समीर, तुम वहाँ परेशान हो जाओगे, तुम हमारे घर जाकर सो जाओ, वहाँ कोई नहीं है!
और यह कहकर उन्होंने घर की चाबी मेरे हाथ में दे दी. मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मुझे किस्मत की चाबी मिल गई हो.
मैं पूजा के घर का ताला खोलकर अंदर गया और पूजा का इंतजार करने लगा.
योजना के अनुसार पूजा ने घर आने के लिए सुलेखा भाभी का सहारा लिया. उसने आंटी से कहा- मम्मी… भाभी और मैं सोने जा रहें हैं, घर की चाबी दे दो.
आंटी ने कहा- चाबी समीर ले गया है वो हमारे ही घर पे सो रहा है, तुम भाभी के साथ जाओ और मोनू को भी ले जाना उसको कल स्कूल भी तो जाना है.
थोड़ी देर में पूजा, भाभी और मोनू आ गए, पूजा ने मोनू से कहा- तू जाकर अपने कमरे में सो जा, हम तीनों नीचे ही सोएगें, अगर कोई आएगा तो दरवाज़ा भी तो खोलना है.
मोनू ऊपर चला गया और पूजा ने जीने का दरवाज़ा बंद कर दिया.
फिर हमारा खेल शुरु हुआ…
पूजा को मैंने गोद में उठाया और अंदर कमरे में ले जाकर बैड पर पटक दिया. मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा और उसके कपड़े उतारने लगा, तो पूजा ने शरमाते हुए कहा- समीर… भाभी देख रहीं हैं.
मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुस्कराकर बोली- देवर जी बड़ी जल्दी में हो, भाभी को तो भूल ही गये.
मैंने कहा- आप भी आ जाओ भाभी सब मिल कर मजा करेगें. भाभी ने पास आकर कहा- तुम दोनों मज़े करो, मैं तो बस तुम्हें देख कर ही काम चला लूंगी और मुझे पहरा भी तो देना है कहीं कोई आ गया तो?
इतना कहकर मेरे होठों पे चुम्बन दिया और बाहर की तरफ चली गईं.
फिर मैंने झटाक से पूजा के सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ़ पेंटी को छोड़कर और उसे बिस्तर पर लिटाकर चूमने लगा. मेरे सामने एक कच्ची कली नंगी पड़ी थी और मुझे यह सब एक हसीन सपने की तरह लग रहा था. कमरे में पूरी तरह उजाला था और पूजा का गोरा बदन सोने की तरह चमक रहा था. मैंने पूजा की रसीली चूचियों को मसलना शुरु किया और उसके चूचुकों से रस पीने लगा.
पूजा की सीत्कारें पूरे कमरे में गूंज रहीं थी, घर में कोई नहीं था तो हम दोनों ही कामुक आवाज़ें निकाल कर सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे.
पूजा- आह्… ओह्ह्ह… आह्ह्ह आऊच… समीर! मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ बाबा, ज़रा आराम से करो ना.
मैं- ओह मेरी रानी, तू तो मेरी है पर कमबख्त यह वक्त तो भागा जा रहा है ना, फिर ये मौका मिले न मिले.
फिर मैंने पूजा की पेंटी भी उतार फ़ेंकी. क्या बताऊँ यार, एकदम गोरी और लाल-लाल चूत थी उसकी एकदम अंग्रेजन की तरह. उसकी चूत ही इतनी प्यारी थी कि बिना हाथ लगाए ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी.
पूजा बिस्तर पर सिकुड़ने लगी और खिलखिलाते हुए कहने लगी- यह क्या कर रहे हो समीर, मुझे तो गुदगुदी सी हो रही है.
मैंने कहा- मेरी जान तेरी चूत पहली बार चुदते हुए शरमा रही है, आज इसकी सारी शर्म निकाल दूँगा.
फिर मैं पूजा की चूत चाटने लगा, अपनी जीभ को उसकी चिकनी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत की सील बंद होने के कारण सिर्फ़ जीभ का अग्र भाग ही पूजा की चूत में जा पा रहा था. फिर मैं उसकी चूत को अपने होठों में भर-भर कर चूसने लगा और उसके चूत के दाने को धीरे-धीरे अपने दांतों से मसलने लगा.
पूजा बुरी तरह छ्टपटा रही थी और जोर जोर से सीत्कार रही थी- आआ…ह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्ह समीर! बहुत अच्छा लग रहा है, मजा आ रहा है… आआऊच आह्ह!
मैंने कहा- मेरी जान ये तो शुरुवात है असली मजा तो तुझे चुदाई में आएगा.
तभी मेरा ध्यान कमरे के दरवाज़े की तरफ़ गया तो मेरी आँखें हैरानी से फ़टी रह गईं, मेरे सामने चौंका देने वाला नज़ारा था.
सुलेखा भाभी दरवाज़े के सामने कुर्सी पर बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी और अपनी टांगों को फ़ैला कर अपनी चूत को उंगली से चोद रही थी. पूजा और मैं इतनी मदहोशी में थे कि हमें पता ही नहीं चला कि भाभी कब से वहाँ बैठी थी, इतने दिनों बाद भाभी की कंटीली जवानी देख कर मेरी आँखों में चमक आ गई.
भाभी ने मुझे अपनी ओर आने का इशारा किया तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और पूजा को छोड़कर भाभी के पास चला गया. भाभी ने अपनी टांगें और फ़ैलाकर ऊपर उठा लीं, मैं समझ गया कि वो मुझे अपनी चूत चूसने का निमंत्रण दे रहीं हैं. तो मैं देर ना करते हुए भाभी की चूत को अपने होठों से पकड़-पकड़ कर चूसने लगा. भाभी अपनी चूत की चुदाई पहले ही उंगली से कर चुकी थीं, इसलिए उनकी चूत से काम रस बह रहा था जिसे मैं बड़े मज़े से चाटे जा रहा था. भाभी अपनी चूत को पहले ही मसल चुकी थीं, इसलिए ज्यादा देर तक नहीं टिक सकीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी अपने काम रस से मेरा मुँह धोने वाली हैं. पर मैं उनका काम रस पीने के मूड में नहीं था इसलिए मैंने अपना मुँह उनकी चूत से हटाया और अपनी दो ऊँगलियों से उनकी चूत चोदने लगा. कुछ ही देर में भाभी जोर-जोर से आह्ह्ह ओ… ओ… ह्ह्ह ऊउफ़्फ़ ह्हाआए एएए सी… आह्ह करती हुई झड़ने लगीं. सारा पानी झड़ने के बाद मैंने भाभी की चूत को एक कपड़े से अच्छी तरह साफ़ किया और खड़ा हो गया.
भाभी मेरे लंड पर हाथ फ़िराने लगी, फिर पैंट से बाहर निकाल कर चूसने लगीं. कुछ देर बाद भाभी खड़ी हुई और मेरा लंड पकड़ कर मुझे पूजा के पास ले गईं, और पूजा से मेरा लंड चूसने को कहा.
पूजा मना करने लगी तो भाभी ने उसे समझाया कि लंड चूसने में बड़ा मजा आता है और बिना लंड चूसे तो चुदाई का मजा ही नहीं है. पूजा फिर भी नहीं मानी तो भाभी मेरा लंड चूस-चूस कर पूजा को चुम्बन देकर मेरे लंड का स्वाद पूजा को देने लगी.
ऐसा करने से पूजा की जीभ को मेरे लंड का स्वाद लग गया और उसकी शर्म जाती रही. अब उसने मेरा लंड थाम लिया और उसे नीचे से ऊपर तक चाटने लगी, मेरे टट्टों को मसलने लगी.
फिर उसने मेरा लंड चूसना शुरु किया, वो मेरे लंड को गपागप चूस रही थी और मेरे मुँह से कामुक आवाज़ें निकल रही थीं… आअह्ह्ह ओह्ह्हा आह्ह और चूस मेरी जान मेरे लंड को पूरा मुँह में ले.
ऐसा कहकर मैंने अपना लंड उसके मुँह में पूरा अंदर तक ठूँस दिया और उसका मुख चोदन करने लगा.
फिर भाभी ने कहा- चल अब देर ना कर! जल्दी से इस बेचारी की सील तोड़ दे! अगर कोई आ गया तो बेचारी तड़पती रह जाएगी. मैंने अपना लंड पूजा के मुँह से बाहर निकाल लिया, भाभी ने पूजा को लिटाया और उसकी चूत को चूस कर कहा- ले समीर, जल्दी कर! इसकी चूत चुदने के लिए तैयार है!
और इतना कहकर भाभी ने पूजा की चूत पर ढेर सारा थूक डाल दिया. मैंने पूजा की टांगों को अच्छी तरह फ़ैलाया और अपना लंड पूजा की चूत पर रगड़ने लगा जिससे वो बिस्तर पर नागिन की तरह कसमसाने लगी. भाभी ने मेरी पीठ पर एक चांटा मारा- क्यूँ तड़पा रहा है बेचारी को, जल्दी से इसकी चूत की सील तोड़…
फिर मैंने लंड को चूत के द्वार पर रखा और झटके से लंड को अंदर करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा, पूजा की चूत भाभी के थूक से बहुत चिकनी हो चुकी थी इस कारण मेरा लंड फिसल गया. मैंने फिर से निशाना साधा और शॉट लगाया और इस बार मेरे झटके से लंड पूजा की चूत में घुस गया.
पूजा की चूत की सील खुल चुकी थी लेकिन अभी मेरा लंड पूजा की चूत में आधा ही घुस पाया था. पूजा की आँखों में खुशी के आँसू छलक आये और वो जोर-जोर से सिसक रही थी, फिर मैंने पूजा की हालत देखकर अपना लंड पूजा की चूत से बाहर निकाला.
पूजा ने अपनी चूत का हाल देखने के लिए अपना हाथ चूत की तरफ उठाया लेकिन भाभी ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके हाथ से अपने चूचे दबवाने लगीं, अगर पूजा अपनी चूत में आए खून को देख लेती तो वो बहुत ज्यादा घबरा जाती.
भाभी और मैं पूजा के चूचों को मसल रहे थे और मैं कभी पूजा को तो कभी भाभी को चूम रहा था. थोड़ी देर बाद जब पूजा सामान्य हुई तो मैंने फिर से अपना लंड पूजा की चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे झटके लगाने लगा. अब पूजा को भी मजा आने लगा तो उसने अपनी टांगे उठाकर मेरी कमर पर लपेट लीं और अपनी कमर हिला-हिलाकर अपने आनन्द का सिगनल देने लगी. हम काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में सम्भोग के आनन्द में डूबे रहे.
भाभी हमारे बगल में लेटी हुई थी और हमें देखकर अपनी चूत को मसल रही थी और मैं भाभी के चूचों को दबोच रहा था. तभी पूजा का शरीर अचानक से सिकुड़ने लगा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और पूजा मुझे अपनी टांगों के बीच में कसने लगी. मैं समझ गया कि अब पूजा झड़ने वाली है, मैंने भी अपनी गति को बढ़ाया और तेज़ी से धक्के देकर पूजा की चूत को चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद पूजा ने अपनी आँखें बंद कर ली और आंह्ह ऊउह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सी…सी… करके झड़ने लगी. उसके कामरस में इतना उबाल था कि मैं भी पिंघल गया और पूरी तेज़ी के साथ चोदते हुए उसकी चूत में ही झड़ने लगा.
पूजा की चूत में लंड फंसाये मैं उसके ऊपर ही पड़ा हुआ था. भाभी मेरे सिर पर हाथ फ़ेरते हुए कहने लगी- उठो ना देवर जी, अब छोड़ भी दो बेचारी को और इसकी चूत को थोड़ा सांस तो लेने दो, मेरी चूत पर भी कुछ तरस खाओ और अब इसका भी बाजा बजा दो.
मैं पूजा के ऊपर से उठा तो उसकी चूत से ढेर सारा कामरस बाहर निकला और उसके चूतड़ों से होता हुआ चादर पर गिर गया. भाभी ने पूजा से पेशाब कर आने को कहा ताकी उसका गर्भ ना ठहरे और पूजा बाथरुम चली गई.
मैंने चादर पर गिरा हुआ कामरस कपड़े से साफ़ किया और फिर से बिस्तर पर लेट गया. अब भाभी मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी, मैं भी भाभी के होंठों का रसपान करने लगा.
भाभी कहने लगी- समीर, तुम मुझे इतने दिनों बाद मिले हो, आज तो मुझे जन्नत की सैर करा दो मेरे राजा.
मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी, आप इतने दिनों बाद मिली हो तो आपकी खातिर तो करनी ही पड़ेगी!
इतना कहकर मैं भाभी को चोदने के लिए उठने लगा, तो भाभी ने मुझे धक्का देकर लिटा दिया.
भाभी- तुम्हें उठने की ज़रूरत नहीं है, जो मुझे चाहिए मैं अपने आप ले लूँगी.
भाभी मुझे चूमती हुई नीचे लंड तक पहुँच गई और बड़े प्यार से मेरे लंड को सहलाने लगी जिससे मेरा लंड अपने विशाल रूप में आने लगा. फिर भाभी ने मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया और चुप्पे लगाने लगी.
मेरे मुँह से आह्ह्ह ओह्ह्ह भाभी… मेरी रानी, क्या मस्त चुस्क्कड़ है तू! निकल रहा था और मैं अपनी कमर उछालने लगा.
इतने में पूजा वहाँ आ गई- ओ… तो देवर-भाभी की रास लीला शुरु हो गई, मेरी प्यारी सी चूत का भौंसड़ा बना दिया और अब दोनों मिल कर ऐश कर रहे हो.
पूजा मेरे मुँह के उपर टांगें चौड़ी करके अपनी चूत दिखाने लगी- देखो समीर, तुमने मेरी चूत का क्या हाल बना दिया है, बेचारी कितनी रो रही है अब इसे पुचकार तो दो…
इतना कहकर पूजा ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी और रगड़ने लगी. मैं पूजा की चूत में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी चूत एकदम फ़्रैश लग रही थी शायद वो धोकर आई थी. अब पूजा की चूत खुल चुकी थी तो मेरी जीभ उसकी चूत में पूरी अंदर जा रही थी.
उधर… भाभी चूस-चूस कर मेरे लंड़ का पानी निकालने पर तुली थी पर मैंने अपने आप को संभाला हुआ था ताकी भाभी की जोरदार चुदाई कर सकूँ.
फिर पूजा ने भाभी को हटा दिया और हम 69 की मुद्रा में आ गए. अब पूजा मेरे लंड के चुप्पे लगाने लगी और साथ-साथ अपनी चूत को जोर-जोर से हिलाकर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी. थोड़ी देर के बाद पूजा ने मुझे संभलने तक का मौका ना देते हुए अपनी चूत का सारा पानी मेरे मुँह पर झाड़ दिया. मैंने पूजा को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की पर नाकाम रहा, उसने मेरे मुँह को अपनी टांगों के बीच कस कर जकड़ा हुआ था और लगातार अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़े जा रही थी. जब मेरी सांस रुकने लगी तो मैंने पूजा की चूत के दाने को दांतों से काट लिया, तब जाकर पूजा ने मुझे अपने चुंगल से आज़ाद किया, तब मुझे एक जवान लड़की की ताकत का अंदाज़ा हुआ.
भाभी जोर-जोर से हंसने लगी- समीर, दिन में तो मैंने अपनी लिप्सटिक से तुम्हारा मुँह लाल किया था लेकिन पूजा ने तो अपने काम रस से तुम्हारा मुँह एक दम से सफेद बना दिया है, शाबाश पूजा…
मैं बाथरुम में गया और अपना मुँह अच्छी तरह साबुन से धोया, कुल्ला किया और वापस कमरे में गया.
पूजा- क्यों समीर… मेरे रस को पीने से कुछ ताकत आई या नहीं…?
यह कह कर पूजा और भाभी हंसने लगीं.
मैं- अब देखो… मैं तुम दोनों का क्या हाल करता हूँ.
भाभी- मैं तो कब से तड़प रही हूँ राजा, कर दे मेरा काम तमाम.
मैं जैसे ही बैड के नजदीक गया, भाभी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई, भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत से लगाया और झटके से बैठ गई. एक ही बार में मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में चला गया और भाभी की आह निकल गई. भाभी उछल उछल कर अपनी चूत चुदवा रही थी और मैं भी नीचे से झटके लगा रहा था.
कुछ देर बाद मैंने भाभी को अपने नीचे लिटा लिया और भाभी की जबरदस्त चुदाई की और भाभी के सारे कस-बल निकाल दिए.
हम तीनों ने मिलकर सुबह के 4 बजे तक सैक्स का जी भर कर लुत्फ़ उठाया, मैंने अपने काम रस से भाभी और के मुँह का मेकअप भी किया ठीक उसी तरह जैसे पूजा ने मेरा किया था.
तो दोस्तो, यह थी… कुंवारी चूत के साथ मेरे संभोग की कहानी.
samaapt
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
-
- Expert Member
- Posts: 3302
- Joined: 18 Aug 2018 23:10
Re: रंगीन रातों की कहानियाँ
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...
-
- Expert Member
- Posts: 3302
- Joined: 18 Aug 2018 23:10
Re: रंगीन रातों की कहानियाँ
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...