Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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Masoom
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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डॉक्टर हल्के से हंस दिया , अब तो मैं भी भाभी को ध्यान से देखने लगा … आख़िर क्या बात वही थी जो मैं समझ रहा था ..

“भाभी …?? क्या जो मैं सोच रहा हू वो सच है “

बदले मे भाभी मुस्कुराइ

“हा सोनू … मैं भी कितनी पागल हू जो इतना नही समझ पाई लेकिन इस कत्ल से मेरे दिमाग़ मे हर चीज़ साफ हो गयी , मेरी मा सच मे सबकी मा है हम दोनो के साथ गेम खेल गयी और हम दोनो एक साथ होते हुए भी उसे समझ नही पाए “

मेरी आँखे चौड़ी हो गयी

“हे भगवान , मैं ही चूतिया निकल गया “मैने अपना सर पकड़ लिया था लेकिन मैं अकेला नही था

“तुम अकेले नही हो मुझे लग रहा है की मैं भी इस गेम मे शामिल हू “ नेहा की मा महिमा ने कहा सभी उसकी ओर देखने लगे और सभी एक साथ जोरो से हंस पड़े ..

“लेकिन उसने ये सब किया कैसे “ डॉक्टर बोल पड़ा ..

“जब सबको मेरे बारे मे पता चल ही गया है तो क्यो ना मैं ही बता दूं “

सभी की नज़र दरवाजे की ओर गयी जहाँ पर कोमल खड़ी थी , बिल्कुल भाभी की कॉपी थी लेकिन उम्र के अंतर के कारण आया बदलाव साफ साफ पता चल रहा था ..

“आख़िर आप आ ही गयी “ मैने , भाभी ने , महिमा ने एक साथ ही बोला था …

जिसे सुनकर कोमल के चेहरे मे मुस्कान खिल गयी ..

*************

“तो कहाँ से शुरू किया जाए “कोमल ने हम सभी को एक नज़र देखा

अभी रात हो चुकी थी खाना खाकर हम सभी एक जगह इकठ्ठा हुए थे , सभी गोल घेरा बनाकर बैठे थे ..

“शायद जब हमने गाँव छोड़ा तब से क्योकि स्टोरी तो वही से शुरू होती है ना “भाभी ने अपनी बात रखी

“नही मेरे ख़याल से तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था , और आपको भाभी समझ लिया था “ ये बोलकर मैने कोमल को देखा उसके होंठो मे एक मुस्कान आ गयी ..

“नही मेरे ख्याल से कहानी तो तब से शुरू हुई जब जीवा और तिवारी ने मिलकर नेहा के पिता की हत्या की थी ..” महिमा ने अपने आँखो मे आया आँसू पोन्छते हुए कहा ..

सभी अभी कोमल की ओर ही देख रहे थे तभी डॉक्टर बोल पड़े

“मेरे ख़याल से तो कहानी चिकारा गाँव के उस छोटे से गैंग वार से शुरू होनी चाहिए जिससे जीवा गैंग बना और फिर कॉलेज का वो एलेक्षन जहाँ से कोमल शक्ति मे बदल गयी “

हम सभी के लिए ये बात बिल्कुल नयी थी हम सभी ये कहानी सुनना चाहते थे इसलिए सभी ने एक साथ हा मे सर हिलाया ..

“हूंम्म तो मुझे शुरू से शुरू करना होगा , ठीक है तो सुनो ..”

उसने एक गहरी सांस छोड़ी …

(नोट-दोस्तो यहाँ से स्टोरी कोमल के गाँव से चलेगी , कोशिस करूँगा की कोमल की स्टोरी ज़्यादा समय ना ले कुच्छ अपडेट्स मे कंप्लीट हो जाए )
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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(^%$^-1rs((7)
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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फ्लॅशबॅक स्टार्ट ..

मैं जीवा और संपत एक साथ ही बड़े हुए थे , मैं एक सीधी साधी सी पढ़ने वाली लकड़ी थी वही संपत और जीवा को पैसे से बहुत प्यार था , और पैसो के लिए ही वो उटपूटांग काम किया करते थे ,उनके लिए मेरी पढ़ाई लिखाई महज टाइमपास ही थी , ऐसे भी वो बेचारे करते भी तो क्या करते , मा बाप का साया बचपन मे ही हमारे ऊपर से छूट गया था , और इसी ग़ुरबत(ग़रीबी) ने संपत से हमारा रिश्ता मजबूत किया था , वो भी हमारे पास वाली झुग्गी मे रहता था, वो भी अनाथ और हम भी और शायद इसीलिए उसने जीवा को ही अपना परिवार मान लिया क्योकि जीवा ही उसे भी खाना खिलाता था ..

इसी सिलसिले मे वो मार पीट करने लगे , जीवा और संपत थे तो दोस्त लेकिन भाई से बढ़कर थे ..

समय बीतता गया और हम बड़े होते गये , ना तो जीवा ने पढ़ाई की और ना ही संपत ने लेकिन मुझे पढ़ना था , मुझे इन चूतियों के चोचलो मे नही पड़ना था..

मैने अपनी पढ़ाई जारी रखी ..

वो समय ऐसा हो चला था की हमारा गाँव गंजे की तस्करी का अड्डा बन गया था , आए दिन इसी बात के लिए मार पीट हुआ करती थी और गांजे के व्यापार मे दो ही लोग थे

एक था जीवा और दूसरा था पठान गैंग का सलीम ..

उस समय पठान गैंग का हर जगह बहुत ही रौब था और सभी लवांडो को बस करीम भाई बनना था..

करीम भाई यानी की करीम पठान , पठान गैंग का बॉस जो की शहर मे रहकर सब कुच्छ चलाता था , सभी छोकरों का वो रोल मॉडेल था …

जीवा को भी डॉन बनना था लेकिन करीम जैसा नही उससे भी बड़ा , उसके पास उस टाइम कोई गैंग नही थी लेकिन जिगर था ..

सलीम और जीवा के आए दिन लड़ाई झगड़े होते रहते थे , सलीम, जीवा को करीम के नाम से डराने की कोशिस भी करता था लेकिन जीवा किसी की सुनता तब ना …

एक दिन जब हम खाना खाने बैठे थे …

“अबे तो सलीम हमारे लड़को को धमका रहा है , साला पठान गैंग का रोब दिखा कर हमारे लड़को को डराता रहता है “
संपत थोड़ा गुस्से मे दिख रहा था जैसा वो हमेशा ही होता था …

“टेन्षन नही लेने का उस मादरचोद को तो एक दिन मौका देखकर उड़ा देना है “

जीवा ने भी स्वाभाविक रूप से कहा था

“सालो तुम लोग कैसे भाई हो, जवान बहन बैठी हुई है और तुम लोग ऐसे गालियाँ दे रहे हो शर्म नही आती क्या “

मैं ऐसे इस बात पर रोज ही चिल्लाया करती थी लेकिन फ़र्क किसे पड़ता था, वो दोनो बस बेशर्मो जैसे हंस पड़े थे ..

तभी अचानक ..

ढायं..

एक तेज गोली आकर सीधे जीवा के ग्लास मे लगी ..

हम सभी झुक गये थे , समझ आ चुका था की हमला हुआ है .

जीवा ने मेरे हाथो मे एक पिस्टल थमा दी

“मैं इसका क्या करूँगी “
मैं चौक गयी थी

“रखो वक्त पड़े तो चलाना “

जीवा इतना बोलकर वहाँ से निकल गया , गोलिया चली और जीवा और संपत भी घायल हुए लेकिन आख़िर मे जीवा ने पूरे बाजार के सामने सलीम का गला काट दिया था …..

सलीम का गला काट कर चौराहे पर टाँग दिया गया … ये सीधे सीधे डिक्लरेशन था की अब से वहाँ बस एक ही डॉन था , जीवा भाई ..

और एक ही गैंग था जीवा गैंग ……..

लेकिन इन सबसे पठान बौखला गया था , लेकिन शायद उसकी इस जगह से दूरी और अपने सभी वफ़ादारो के कत्ल के कारण उसका इस जगह से कंट्रोल खो गया , और जीवा की किस्मत भी उसपर महेरबान थी , सलीम के सभी लोग अब जीवा के साथ आ गये थे , गांजे के साथ साथ ज़मीन और पिस्टल का काम भी चल पड़ा था , सब को पैसे जाने लगे थे इसलिए अब करीम के खास सरकारी लोग भी जीवा के खिलाफ कोई एक्शन नही ले रहे थे ..

सब कुच्छ बढ़िया चल रहा था तभी मेरा सेलेक्षन कॉलेज के लिए हुआ , जीवा को मुझसे कोई मतलब नही था की मैं क्या कर रही हू , कॉलेज शहर मे था तो पहला सवाल ये आया की मैं शहर कैसे जाउन्गी …

अब जीवा तो मेरी मदद करने से रहा ऐसे भी उसे मेरा पढ़ना पसंद भी नही आता था , तब मुझे शहर ले जाने की ज़िम्मेदारी ली मेरे बचपन के दोस्त भुवन ने ….

“बाबा ने “… आरती भाभी अचानक से बोल उठी

“हा बाबू तुम्हारे बाबा ने “ इतना बोलकर कर कोमल ने वहाँ बैठे भुवन की ओर देखा जो की हल्के हल्के मुस्कुरा रहा था ..
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Re: Meri Bhabhi Ma मेरी भाभी माँ

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स्टोरी फिर से शुरू ..

भुवन और मैं भी बचपन से दोस्त थे , भुवन हमेशा से एक सीधा साधा लड़का था , जहाँ गाँव के सभी लोग गांजे और बंदूक मे व्यस्त थे वही मैं किताबो मे और भुवन मुझमे (वो हल्के से हँसती है )..

मुझे पता था की भुवन मुझे पसंद करता है लेकिन मैने उसे हमेशा ही अपना दोस्त ही समझा था , वो मेरी हर चीज़ मे मदद करता था , मेरे हर फ़ैसले मे मेरे साथ खड़ा होता , आज भी मेरे साथ ही है जबकि सभी मुझे छोड़ कर चले गये ..

(कोमल ने भुवन को बड़े ही प्यार से देखा और फिर सर झटककर फिर से बोलने लगी )

तो हा हम कॉलेज पहुचे , और पहले ही दिन कुच्छ लड़के मुझे घेर कर मेरी रेगिंग लेने लगे …

“ये छमिया नाम क्या है रे तेरा “

एक लड़का ने बड़े ही बदतमीज़ी से पूछा ..

“तमीज़ से बात करो “ उस लड़के की बात सुनकर भुवन को गुस्सा आ गया था , लेकिन वो लोग लगभग 10-15 की संख्या मे थे वही हम बस 2 , और भी लड़के और लड़किया वहाँ मौजूद थे लेकिन सभी अपनी नज़रे झुकाए हुए खड़े थे ..

“मादरचोद हमे आँखे दिखाता है जानता नही क्या हम करीम भाई के लड़के है , और यहाँ तुम्हारे सीनियर “

करीम का नाम सुन कर दिमाग़ ही हिल गया था , ये गाँव नही था और अगर किसी को पता चल गया की मैं जीवा की बहन हू तो पता नही करीम हमारे साथ क्या करेगा , मैने भुवन का हाथ दबाया और आँखो से ही समझाया की चुप रहे ..भुवन चुप हो चुका था ..

“करीम भाई का नाम सुनकर देखो साला कैसे दुबक गया “

सभी जोरो से हँसे

“भाई क्या मस्त माल है यार , अगर इसे दिखाने मे इतना लज़ीज़ है तो कहने मे कैसा होगा “ उसी ग्रूप के एक लड़के ने दाँत दिखाते हुए कहा सभी लोग हँसने लगे और सभी की नज़र मुझपर ही टिक गयी थी , मैं उन लोगो की हवसी नज़रो को अपने जिस्म के हर काटाव को घूरते हुए महसूस कर सकती थी ..

वो भूखे भेड़ियो जैसे मुझे देख कर अपने लार टपका रहे थे , जीवन मे पहली बात मुझे इतना डर लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जे लोग आँखो से ही मेरा बलात्कार कर देंगे ,

आज मुझे अहसास हुआ था की मर्द ना सिर्फ़ जिस्म से बल्कि आपनी नज़रो से भी एक लड़की को नंगा कर देता है ..

उनकी नज़रे मुझे चुभाने लगी थी ..

“भाई ये कच्ची कली लग रही है देखो तो कैसे मचल रही है , अभी तो इसे च्छुवा भी नही है और ऐसे शर्मा रही है , जब इस नंगी करके रगड़ेगे तब तो मज़ा ही आ जाएगा “

सभी कुत्ते फिर से हसने लगे थे ..

“बस बहुत हुआ , एक लड़की से बात करने की तमीज़ नही है क्या तुम्हे “

भुवन गुस्से से लाल हो चुका था, मैने जोरो से उसका हाथ दबाया था लेकिन मैं जानती थी की ये लोग भी अपने हद से बढ़ रहे थे और किसी भी सच्चे मर्द के लिए एक लड़की के बारे मे इतना सुनना सहन सकती से बाहर ही होता है ..

हा सच्चा मर्द वही होता है जो औरत की इज़्ज़त करे और उसके इज़्ज़त की रक्षा करे ना की वो जो किसी औरत की इज़्ज़त को उच्छलता हो ..

“मादरचोद हमे सिखाएगा तू की कैसे बात करते है, अभी तेरी आइटम को पूरे कॉलेज के सामने नंगा करके पेल देंगे ना तो भी तू कुच्छ नही कर पाएगा “

एक लड़का सामने बढ़ कर भुवन के कॉलर को पकड़ने लगा , तभी भुवन भी गुस्से भी फुट गया

“मादरचोद इसे नंगा करेगा तेरी मा की “

भुवन ने एक घुशा लड़के के मूह मे मार दिया था , सभी लोग हतप्रद थे , जैसे समय रुक सा गया हो , सभी नये लड़के और लड़किया हमे ही ध्यान से देख रहे थे उनके साथ साथ और भी लोग रुककर हमे ही देख रहे थे ..

भुवन का घुसा लगने पर उस लड़के की हालत वही हुई जो अक्सर नमर्दो की होती है , उसने अपने दोस्तो से भुवन को मारने के लिए कहा … वो बौखला गया था ..

भुवन भी अपने पोज़िशन मे आ गया था लेकिन एक अकेला इंसान आख़िर कितनो से लड़ पाता , कुच्छ ही देर मे उसके ऊपर काबू कर लिया गया था उसके हाथ पैरो को लोगो ने पकड़ लिया था और उसे बुरी तरह से मार रहे थे ..

मेरे सामने ये सब हो रहा था, मेरे कारण मेरा दोस्त मार खा रहा था और मैं बस चुपचाप देख रही थी … अचानक भुवन की आँखे मेरी आँखो से मिली जैसे वो कह रहा हो की जब तक मैं जिंदा हू मैं लड़ता रहूँगा ..

और वही वो पल था जब मेरे अंदर कुछ हो गया …

मेरे हाथ वहाँ गये जहाँ मैने सोचा भी नही था , मेरे बाग मे अभी भी जीवा का दिया वो पिस्टल था मैने पिस्टल निकाल लिया और सीधे उन लोगो पर तान दिया…

“छोड़ो इसे वरना “

मैं जोरो से चिल्लाई थी

सभी की नज़रें मेरे ही ऊपर थी

“साली हमे पिस्टल दिखाती है “

उनमे से एक चिल्लाया और दो तीन लोगो ने अपने अपने जेबो से पिस्टल निकाल ली , मेरे हाथ ट्रिग्गर पर जा चुके थे ,

ढायं ढायं ..

हवा मे तीन गोलिया उड़ने लगी थी ,, ना जाने ये गोलिया किसके किस्मत मे थी ..

एक के कंधे मे ये जा घुसी, तो 2 गोलिया बस लोगो के आजू बाजू से ही निकल गयी थी ..

मैने जीवन मे पहली बार बंदूक चलाई थी , मुझे नही पता था की मेरा निशाना क्या है …

मैं बस मूर्ति के जैसे खड़ी थी की..

“मादरचोद ने गोली चला दी , मारो साली को “

लगभग 4-5 बंदूकों की नोक मेरी ओर हो चुके थे , ढायं ढायं ढायं ..

हवाओं मे गोलियो की आवाज़ गूँज गयी थी , मैं अभी भी मूर्ति के जैसे जमी हुई खड़ी थी की ..

किसी ने मुझे धक्का देकर नीचे गिरा दिया था , और भी गोलिया चली ..

“तिवारी निकल जा यहाँ से ये तेरा मामला नही है ..”

“ये मेरा कॉलेज है , और यहाँ का हर मामला मेरा मामला है … अगर करीम भाई को पता चला की तुम लोग कॉलेज मे ये सब कर रहे थे तो सोचो तुम्हारा क्या हाल होगा …”

उस शख्स की बातों से वो लोग जैसे शांत हो गये

“लेकिन इस साली ने ..”
“तुमने बदतमीज़ी की थी … अब मामला यही ख़त्म करो , मैं इसमे पुलिस और करीम भाई को इन्वॉल्व नही करना चाहता “

“ठीक है आज तो बच गई लेकिन साली अगर कभी अकेली मिली ना तो पूरे शरीर का गोश्त नोच लेंगे “
वो लोग वहाँ से निकल गये थे ..

ये वही शख्स था जिसने मुझे धकेल कर मेरी जान बचाई थी , वो एक लंबा चौड़ा , गोरे रंग का शख्स था .. माथे पर एक तिलक लगा हुआ था जो उसके गोरे रंग मे और भी खिल रहा था ..

गले मे एक दुपपट्ता और कुर्ता और जीन्स पहने हुए ये कोई नेता जैसे लग रहा था ..

“तुम लोग तो बड़े ही बहादुर निकले , अकेले ही इन लोगो से भीड़ गये , गनीमत है की मैं आ गया वरना “

हमारी आँखे मिली और जैसे कुच्छ हो गया , ये अहसास जीवन मे पहली बार हुआ था , जैसे पूरे शरीर मे एक करेंट सी दौड़ गयी थी ..मैं अब भी मूर्ति की तरह खड़ी हुई उसके उन गुलाबी होंठो को देख रही थी जिनसे इतने प्यारे शब्द निकल रहे थे ..

उसकी वो बड़ी बड़ी आँखे , मैं ना जाने क्यो शर्मा सी गयी थी ..

“हेलो ..”

उसने मुझे थोड़ा सा हिलाया

और जैसे मैं किसी सपने से जागी

“जी जी .. थॅंक्स आपने हमे बचा लिया “
“थॅंक्स वाली क्या बात है , ऐसे मैं इस कॉलेज का होने वाला प्रेसीडेंट हू , दया शंकर तिवारी , आप लोगो का पहला दिन है ??”
उसने अपना हाथ बढ़ाया और भुवन और मैने उससे हाथ मिलाया .. उसकी आँखे भी बार बार मेरी ओर ही जा रही थी ..

हम थोड़ी देर तक बात किए , पता चला की कॉलेज मे एलेक्षन होने वाला है और दया शंकर भी एक कॅंडिडेट है ..

लेकिन तो तगड़ा कॅंडिडेट है वो वहाँ के एम एल ए का बाबू है , यहाँ मजेदार बात ये थी की दोनो ही करीम से सपोर्ट मे थे ..

करीम ने दोनो को ही कह दिया था की अपने लेवल मे काम करो ..

करीम का नाम यहाँ ऐसे था जैसे वो कोई भगवान हो, उसकी पर्मिशन के बिना यहाँ कोई भी कुच्छ नही कर सकता था ..

“तो तुम्हारे लिए तो बड़ी मुश्किल होगी “ भुवन ने तिवारी से कहा

“हा मुश्किल तो है , उसका बाप एम एल ए है और उसके पास पैसे भी बहुत है , लड़के भी ऐसे है जो मार काट कर सके … पावर पैसा दोनो है उसके पास .. और मेरे पास है सिर्फ़ मेरा हौसला .. बिना किसी सपोर्ट के इतना आगे बढ़ गया की तो आगे भी कर ही लूँगा , कुच्छ लड़के है मेरे पास और साथ मे करीम भाई से पर्मिशन भी ले ली है चुनाव लड़ने की “

दया की हर बात मुझे और भी इंप्रेस कर रही थी , वो सिर्फ़ हॅंडसम ही नही था उसके अंदर ह्यूमर भी था , कुच्छ करने का जज़्बा उसके आँखो मे दिखाई देता था , उसके चेहरे मे एक तेज था , वो इंटेलिजेंट था बिल्कुल शार्प … कुल मिलाकर मुझे वो पसंद था .. पहली ही मुलाकात मे उसने मुझे इतना इंप्रेस कर दिया था जितना अभी तक कोई नही कर पाया था …….

“ऐसे तुम लोग मेरी पार्टी जाय्न कर रहे हो ना “
उसने आख़िर मे कहा

“हा बिल्कुल “ भुवन और मेरे मूह से एक साथ निकला था ..

चीज़े बड़ी ही सिंपल लग रही थी लेकिन मुझे क्या पता था की ये मुलाकात और वो लड़को से मेरा लड़ जाना आगे कितना बड़ा तांडव करने वाला था ……….
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