कैसे कैसे परिवार

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पात्र परिचय


पहला घर: अदिति और अजीत बजाज.


अजीत बजाज: व्यवसायी. अच्छी कद काठी है, लंड काफी भारी भरकम, मोटा और लम्बा. बहुत रंगीन स्वभाव है.

अदिति बजाज: ग्रहणी, अजीत की पत्नी। अलोक और अनन्या की माँ। बेहद सुन्दर और कामुक स्त्री.

गौतम बजाज: घर का बेटा, चतुर और सबको प्रेम करने वाला. शारीरिक रूप से अपने पिता पर गया है. चुदाई का नया नया खिलाडी है.

अनन्या बजाज: घर की सबसे छोटी सदस्य. अल्हड़ और चंचल. माँ से उसे खूबसूरती मिली है. जानने वाले इसे देखकर अदिति की जवानी की याद करते हैं. गौतम से १.५ वर्ष छोटी है.

शालिनी देवी बजाज: अजीत की माँ. ३ वर्ष पहले पति का देहांत हो गया. एक वर्ष से यहाँ अपने बच्चों के साथ रहती हैं. जब तक पति जीवित थे, इनका सेक्स जीवन भरपूर था. आज भी इन्हें देखकर हर उम्र का आदमी एक बार तो चोदने की इच्छा करता ही है.

गोकुल: रसोइया और राधा: नौकरानी, जो पीछे के सर्वेंट क्वाटर में रहते हैं.


दूसरा घर: सुनीति और आशीष राणा


आशीष राणा: घर के मुखिया। हरियाणा के जाट और कसरत प्रेमी. शरीर एकदम गठा हुआ. चुदाई में मानो स्नातकोत्तर हैं.

सुनीति राणा: आशीष की पत्नी और उसके बचपन की साथी. दोनों बचपन से एक ही मोहल्ले में पले बढ़े. दोनों के परिवारों में घनिष्ट मित्रता थी. दोनों का विवाह कालेज से निकलते ही हो गया था. अब २४ वर्ष बाद भी दोनों का प्यार कम नहीं हुआ है. इसकी प्यास बुझाना बिरलों के ही बस में है. असीम सुंदरता और अनंत वासना का संगम.

अग्रिमा राणा: पहली संतान. माँ बाप की आँखों का तारा. क्या नहीं जो सुनीति और आशीष इसके लिये न कर दें. माँ की सुंदरता विरासत में मिली है तो सेक्स की भूख भी.

असीम राणा: पहला बेटा, अपने पिता की तरह मजबूत और कसरती. इसे थोड़ा कठोर सेक्स पसंद है. फिर भी लड़कियाँ और महिलाएं इसका साथ पाने को तड़पती हैं. अग्रिमा से १ साल छोटा.

कुमार राणा: दूसरा बेटा। असीम से लगभग २ साल छोटा है. दोनों भाई उम्र के सिवाय लगभग एक जैसे हैं. रुचियाँ भी लगभग एक हैं. असीम के साथ लगा रहता और इसका भरपूर लाभ भी उठाता है. जब अपने किसी कॉलेज के साथी की माँ लाइन पर आती है, तो तीन चार बार के बाद अधिकतर दोनों भाई उसको जुगलबंदी में बजाते हैं.

जीवन राणा: आशीष का पिता. पत्नी का देहांत होने के कुछ महीनों बाद यहाँ रहने आ गए हैं. परन्तु अपने गाँव के चक्कर लगाते रहते हैं, जहाँ इनके मित्र इनके आने की राह देखते हैं. देखकर ही पता लगता ही की आशीष का बीज कितना प्रबल था.

सलोनी: घर की सहायक. सांवला गठा शरीर. सुनीति के बचपन से उसके साथ है. इसकी पढ़ाई और विवाह का सारा खर्चा सुनीति के पिता ने ही किया था. सुनीति के साथ ही वो भी आ गई थी. घर की सदस्य ही मानी जाती है. तीनों राणा संतानें इसे मौसी पुकारती हैं. जब बंगला बना था तो उसके परिवार को भी एक सटा हुआ दो बैडरूम का आउट हाउस बनवाया था.

बिरजू: सलोनी का पति. शुरू में इसे यहाँ आना रास नहीं आया था. पर राणा परिवार के व्यव्हार ने इसे जीत लिया.

भाग्या: सलोनी और शंकर की बेटी. साल भर पहले विवाह हुआ है. अभी गर्भवती है. पास ही के गांव में विवाह हुआ है, फिर आशीष ने पति की नौकरी इसी नगर में लगा दी. अब जब मन हो चली आती है. पहले सास बहुत परेशान करती थी, फिर एक दिन अदिति ने बुला कर उसे समझाया और कुछ पैसे दिए. ये बता दिया की ये तब तक मिलते रहेंगे जब तक भाग्या सुख से रहेगी। ये भी चेताया कि अगर कुछ ऊँच नीच हुई तो सूद समेत वापिस लेंगी और सूद इतना भरी पड़ेगा कि जीवन भर कष्ट रहेगा. तब से सास उसे सर पर बैठाती है. सप्ताह में एक दो दिन तो यहीं रहती है. पति भी कुछ नहीं कहता क्योंकि वो उसे बहुत चाहता है.

सूरज: भाग्या का पति.

बलवंत मान: जीवन के बचपन का मित्र. सुनीति के पिता. अभी गांव में ही रहते हैं और अपनी और जीवन के खेती की देखभाल करते हैं.

गीता मान: बलवंत की पत्नी और सुनीति की माँ.

तीसरा घर: शीला और समर्थ सिंह

समर्थ सिंह: एक बड़ी सिक्यूरिटी कंपनी के मालिक हैं. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से वे बहुत बड़े बड़े व्यवसायों में हर तरह की सुरक्षा का इंतजाम करते हैं. हालाँकि अब अर्ध रिटायरमेंट में हैं. संभ्रांत नगर की सुरक्षा का भी यही ध्यान रखते हैं. उम्र अब ६५ पार कर चुकी होगी.

शीला सिंह: समर्थ की पत्नी. जिस प्रकार से अपने आप को बनाये रखना चाहिए, ये कोई इनसे सीखे। दोनों की शादी को लगभग ४० साल हो चुके हैं. आज भी बेहद चुस्त और सक्रिय। इनका एक शौक है जिसे हम आगे जान पाएंगे.

सुप्रिया: समर्थ और शीला की बड़ी बेटी. शादी के पांच साल बाद तलाक हो गया. कारण हम आगे जान पाएंगे. अपने दोनों बेटों को पलने और बड़ा करने में उसने अपना जीवन लगा दिया. समर्थ की कंपनी में MD के पद पर है, और संभवतः समर्थ के पूर्ण रिटायरमेंट के बाद चेयरमैन भी बनेगी. ये शहर में अपने घर में रहता है, पर अक्सर सप्ताहांत अपने माता पिता के घर ही बिताती है.

सुरेखा : दूसरी बेटी. अपने पति से अब बहुत दुखी है. एक बेटा और एक बेटी है. समर्थ की कंपनी में डायरेक्टर है. दोनों बहनों में कोई द्वेष नहीं है कंपनी में अपने पद को लेकर. ऑफिस कम ही जाती है. सुप्रिया के निकट ही अपने घर में रहती है.

निखिल: सुप्रिया का बड़ा बेटा। बिलकुल हीरो जैसा लम्बा चौड़ा. इसका हथियार भी इसके शरीर से मेल खाता है. तेज तर्रार और आक्रामक.

नितिन: सुप्रिया का दूसरा बेटा। निखिल की कार्बन कॉपी. हालाँकि स्वाभाव में दोनों बहुत अलग हैं. तीव्र बुद्धि और सौम्य स्वभाव। पर इसका औजार निखिल से भी भारी है.

सजल: सुरेखा का बड़ा बेटा. इसके बारे में बाद में जानेंगे।

संजना: सुरेखा की बेटी. इसके बारे में बाद में जानेंगे।

नागेश: सुरेखा का पति. इसका कोई खास रोल नहीं है.


चौथा घर: मिशेल और रिचर्ड डिसूज़ा

रिचर्ड डिसूज़ा: इनका इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स का बिज़नेस है. काफी साल साउथ अफ्रीका भी रहे है. वैसे केरल से हैं, पर अफ्रीका से लौटकर इसी शहर में बस गए. समर्थ के अच्छे दोस्त हैं और उनके कहने पर ही साथ में यहाँ घर लिया था.

मिशेल डिसूज़ा: रिचर्ड की पत्नी. ये भारतीय नस्ल की अफ्रीकन महिला हैं. रंग थोड़ा हल्का है, पर नैन नक्श और जिस्म बिलकुल कटावदार. रिचर्ड से शादी के ७ साल बाद वो भारत आ गए थे. पहले इन्हें बड़ी मुश्किल हुई, पर अंततः अच्छा लगने लगा. इनके लगभग सारे रिश्तेदार अफ्रिका में ही है.

शैली डिसूज़ा: बड़ी बेटी, ये शादी के एक साल बाद पैदा हुई थी. रंग रूप और सुंदरता में एकदम माँ पर गई है. अब कॉलेज के लास्ट ईयर में है. संभवतः आगे की पढाई के लिए विदेश जाये.

डेविड डिसूज़ा: बेटा , शैली से दो साल छोटा. फूटबाल का खिलाडी और शानदार शरीर का मालिक. कसरत और तैराकी का शौक़ीन. अपनी क्लास की लड़कियों और उनकी मम्मियों का चहेता।

जैसन वार्ड: मिशेल का बड़ा भाई. अफ्रीका में अपना बिज़नेस है. रिचर्ड और जैसन ट्रेडिंग पार्टनर्स हैं. दोनों में अब अच्छी घनिष्ठता है. हालाँकि आरम्भ में जैसन उसे पसंद नहीं करता था, पर जानने के बाद ठीक हो गया.

ईव वार्ड: जैसन की पत्नी. मिशेल की अंतरंग मित्र.

ऐलिस वार्ड: जैसन और ईव की बेटी. ये मॉडलिंग करती है. और बहुत प्रख्यात है अफ्रीका के देशों में.

मार्क वार्ड: जैसन और ईव का बेटा।

बोरिस, रिकी, मार्टिन और डॉन: ये जैसन के बिज़नेस पार्टनर्स है.
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पाँचवाँ घर: शोनाली और जॉय चटर्जी

जॉय चटर्जी: ये एक प्राइवेट कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम करते है. बहुत आकर्षक व्यक्तित्व और मृदुभाषी. अपनी पत्नी शोनाली पर जान छिड़कते हैं. नयी और कमसिन लड़कियों के शौकीन, जो इन्हें इनकी पोजीशन के कारण पूरा करने में कोई समस्या नहीं होती.

शोनाली चटर्जी: बेहद हसीन, थोड़ी गुदाज और मांसल हैं, पर इनके व्यक्तित्व पर खूब फबता है. गांड ऐसी चौड़ी की ट्रैफिक लाइट की जरूरत नहीं, बस इन्हे खड़ा कर दो, ट्रैफिक अपने आप रुक जाये. पर इनकी शरीर की भूख इतनी है की आसानी से नहीं मिटती। जवान लड़कों की शौक़ीन.

सागरिका चटर्जी: बड़ी बेटी. बिलकुल रोशोगुल्ला. अपने पिता की चहेती। पर बहुत कुछ माँ पर गई है.

पारुल चटर्जी: छोटी बेटी. एकदम रसमलाई की मिठास और रास से भरपूर. सागरिका की पिछलग्गू. माँ की सुंदरता पाई है.

सुमति बोस: जॉय की विधवा बहन. अब साथ ही रहती है.

पार्थ बोस: सुमति का बेटा। अपने पिता की अकाल मृत्यु से इस पर काफी बोझ पड़ गया था. अंततः यहाँ आने के बाद अब बहुत आराम से है. पढाई बीच में छूटी तो दोबारा नहीं की. दिंची क्लब का मालिक और सदस्य चयन समिति का मुखिया. चयन समिति में शोनाली भी हैं.


छठा घर: दिया और आकाश पटेल

आकाश पटेल: ये एक गुजराती व्यवसाई हैं. इनका ट्रेडिंग का काम है और बहुत सफल है. इनकी शादी इनके पिता के व्यवसाई दोस्त की बेटी से हुई थी. दोनों एक दूसरे को बचपन से जानते थे और ये तय था कि इनका विवाह होना ही है. अपने काम को बढ़ने के उद्देश्य से ये करीब १६ साल पहले इस शहर में आये थे. व्यवसाई वर्ग में इनकी अच्छी पहचान और प्रतिष्ठा है.

दिया पटेल: आकाश की पत्नी. इनका समय अक्सर किट्टी पार्टी और महिलाओं से मिलने जुलने में ही जाता है. घरेलू महिला हैं पर अपना बहुत ध्यान रखती हैं. एकदम कटीले नैन नक्श. बनने संवरने का शौक जैसा की किसी भी संपन्न स्त्री का स्वभाव होता है.

दर्शन (आलोक) पटेल: दिया और आकाश का इकलौता बेटा। अपने पिता के बिज़नेस को अब अपने एम बी ए के बाद साथ में संभाल रहा है. बेहद आकर्षक लड़कियों के लिए चुंबक सामान व्यक्तित्व. मौका देख कर चौका लगाने में निपुण. ये बिना उम्र के लिहाज के खेलता है.
(आलोक का नाम बदल कर दर्शन कर दिया है, तीनों नामों की समानता से दुविधा हो रही थी.)

आकार पटेल: ये आकाश का छोटा भाई है. ७ साल पहले जब बिज़नेस में बहुत उतर चढ़ाव थे तब आकाश ने इसे अपने ही पास बुला लिया था. संयुक्त परिवार के समर्थक आकाश ने इसे अपने ही घर साथ रखा है. हालाँकि व्यावसायिक कारणों से उससे एक किराया लिया जाता है, जो लेशमात्र ही है. परन्तु घर के कुछ खर्चे केवल आकार के ही कहते में आते हैं. ऐसे समझौते का एक कारण और भी है, और वो है नीलम. ये अब अपना अलग एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का काम करते हैं और दोनों भाइयों के बिज़नेस पृथक हैं.

नीलम पटेल: आकार की पत्नी. ये जरा चतुर और तेज तर्रार है. हालाँकि घरेलू ये भी है, पर इसकी ऑंखें चारों ओर रहती हैं. इसी कारण दिया ने किराये पर आने का सुझाव दिया था, क्योंकि वो नहीं चाहती थी की कोई अनबन हो. इस निर्णय से दोनों परिवारों में एक सहजता आ गई है. नीलम और आकार ने अपना एक घर भी बना लिया है कुछ २ किमी दूर, पर वो रहते यहीं हैं. अभी सप्ताहांत में या किसी पार्टी के लिए प्रयोग में लाया जाता है.

कनिका पटेल: आकार और नीलम की इकलौती बेटी. अभी बी कॉम फाइनल ईयर में है और CA की इच्छुक है. पढ़ने में तेज है और स्वभाव में भी. ज्यादा किसी को भाव नहीं देती, पर घर में बहुत सरल और सलीके से रहती है.

हितेश पटेल: दिया की बहन सिया का बेटा है जो पढाई के लिए यहाँ पर है. इसका अभी १० महीना बाकि है कोर्स का, फिर ये वापिस घर जाकर अपने पिता के काम में जुड़ जायेगा.

सातवां घर: वर्षा और समीर नायक

समीर नायक: ये एक पुराने जमींदार परिवार से हैं और अब इनका बहुत बड़ा खेती बाड़ी का काम है. इनके पास जितना पैसा है वो शायद सात पुश्तों तक भी नहीं संभले। इन्होने अपनी बेटी के लिए इसीलिए एक घर दामाद को चुना था जिससे वो इनसे दूर न रहे. अब इनका काम दामाद और बेटा ही सँभालते हैं.

वर्षा नायक: समीर की पत्नी. ये खुद भी एक धनाढ्य परिवार से हैं और उसी तरह के इनके शौक भी हैं.

अंजलि शिर्के: ये समीर और वर्षा की बेटी है. बचपन से लाड़ प्यार में बड़ी हुई. इसके भाव ही अलग हैं. ये किसी भी लड़के को दोबारा देखती भी नहीं थी. हाँ अनगिनत बॉय फ्रेंड बनाया और शायद एक बार से ज्यादा किसी से नहीं चुदी। पर एक माध्यम वर्ग के लड़के राहुल ने इसका दिल जीत लिया. या यूँ कहिये कि उसके लंड ने इसका दिल जीत लिया.

राहुल शिर्के: अंजलि का पति. एक बहुत ही तेज और होनहार आदमी है. अंजलि इसके पास ट्यूशन के लिए आयी थी. उधर अंजलि अपनी पढाई में पास हुई और इधर राहुल अंजलि के मापदंड पर. हालाँकि समीर ने ये स्पष्ट कर दिया था की उसे घर जमाई ही चाहिए. आखिर जब समीर ने माना की राहुल का परिवार भी साथ रहेगा तब ये रिश्ता पक्का हो पाया था. इसके लिए राहुल को अपनी सासू माँ के कठोर मापदंडों पर भी खरा उतरना पड़ा था. पर एक रात में ही वो अपनी विशेष योग्यता से उत्तीर्ण हो गया था.

जयंत नायक: समीर और वर्षा का बेटा। ये अब राहुल के साथ खेती संभालता है. अक्सर ये महीने में एक हफ्ते साथ जाते है, और बाकी में एक हफ्ते के लिए एक जाता है. इसकी अभी शादी नहीं हुई है. पर इसको चूत की कभी कमी नहीं हुई. पैसे और बलिष्ठ शरीर के आकर्षण से न जाने कितने फूलों का रस चूसा है. इसे औरत की उम्र नहीं उसके जिस्म में दिलचस्पी रहती है.

सुलभा शिर्के: राहुल की माँ. आज ये जितना सुख भोग रही हैं उतना उन्हें जीवन में कभी नहीं मिला. एक मध्यम वर्ग के रोज के संघर्ष से ये उम्र से पहले बूढी लगने लगी थीं. पर अब इनकी मानो जवानी लौट आयी थी. और इसका ये भरपूर लाभ उठा रही हैं और दूसरों को भी उठाने दे रही हैं.

पवन शिर्के: राहुल के पिता. सुलभा की तरह जीवन का भरपूर आनंद ले रहे हैं. वो उन कुछ भाग्यशाली लोगों में से हैं जिनके बेटे उनके जीवन के सारे दुःख दूर कर देते हैं.

कुसुम: ये घर की नौकरानी है, हालाँकि घर की सदस्य की तरह ही रहती है. घर वाले भी उसे उतना ही आदर देते है. इसकी उम्र अब ४० से ४२ के बीच है.

संतोष: कुसुम का पति. ये खेतों पर ही रहता है. उसे एक दो कमरे का मकान दिया है, जिसमे वो आराम से रहता है. जब खेती का काम बंद रहता है, वो यहीं आ जाता है. बाकी समय में कुसुम महीने में दो बार २-३ दिन के लिए चली जाती है समय देखकर.

काम्या: संतोष और कुसुम की बेटी. ये अभी कर्णाटक के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढाई कर रही है. अभी फाइनल ईयर में है.

कमलेश: काम्या का जुड़वाँ भाई. ये भी उसी कॉलेज में मेकैनिकल इंजीनियरिंग पढ़ रहा है और फाइनल ईयर में है. पहले दो साल हॉस्टल में रहने के बाद दोनों भाई बहन अब एक किराये के फ़्लैट में रहते हैं.
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आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी

विक्रम शेट्टी: ये एक ट्रेवल एजेंसी के मालिक है. इनका नेटवर्क पूरे देश में और कुछ अन्य देशों में भी है. घूमने और पार्टियों के शौक़ीन। इनके संपर्कों के कारण अधिकतर इनके मित्र पार्टियों के लिए इनकी ही सहायता लेते है. पार्टी में जो चाहिए उसका प्रबंध कर सकते हैं और वो भी २-४ घंटों में ही.

स्मिता शेट्टी: विक्रम की पत्नी। इनका वैसे तो अपना ब्यूटी सलून का काम है, जिसकी चार शाखाएं इनके ही शहर में हैं. पर इन्होंने स्वयं जाना छोड़ दिया है. और अपना समय एक विशिष्ट समुदाय के प्रबंधन में लगाती हैं. और घर से ही ज्यादा काम करती हैं. देखने में टीवी सीरियल की किसी सुन्दर माँ की तरह है.

मोहन शेट्टी: स्मिता और विक्रम का बड़ा बेटा। ये अब अपने पिता बिज़नस के लिए एक कार कंपनी चलाता है. भारत के हर बड़े नगर में इनकी कारें उपलब्ध है. महीने में १० दिन बाहर रहता है काम के सिलसिले में.

श्रेया शेट्टी: मोहन की पत्नी। इनकी शादी को लगभग ३ साल हुए हैं. समुदाय के आदेशानुसार मोहन के साथ शादी थोड़ी जल्दी ही हो गयी थी. पर ससुराल में आकर उसने अपनी पढाई पूरी की. अभी एम बी ए की तैयारी कर रही है. हालाँकि आगे करेगी या नहीं कुछ पक्का नहीं है. पति और ससुर दोनों उसे अपने बिज़नेस में सहयोग देने के लिए कह रहे हैं. पर उसका कहना है की जब तक उनकी पहली संतान (जब भी होगी) ५ वर्ष की न हो जाये, वो कुछ नहीं ज्वाइन करेगी. परिवार वाले भी सहमत हैं. ससुराल के अथाह प्यार ने उसे अपने घर की कमी अनुभव नहीं करने दी.

महक शेट्टी: स्मिता और विक्रम की बेटी, ये मोहन से छोटी है और घर की सबसे लाड़ली. अभी इसने अपनी मास्टर की पढाई समाप्त की है. पिता के बिज़नेस की देखभाल करना शुरू किया है, बिलकुल जूनियर स्तर से. समुदाय में शादी के लिए बहुत दबाव है और रिश्ते भी आये हुए हैं. संभवतः अगले साल के अंत तक विवाह हो ही जायेगा.

मेहुल शेट्टी: स्मिता और विक्रम का दूसरा बेटा। ये बहुत शर्मीला और शांत स्वभाव का है. पढ़ने में प्रखर और जटिल समस्याओं का सरल समाधान निकलने में निपुण. घर में सब इसे बहुत प्यार और दुलार से रखते हैं. अगले महीने इसका २०वां जन्मदिन है. अभी कॉलेज में ही है.

स्नेहा गौड़ा: श्रेया की छोटी बहन. श्रेया की बहन की उम्र मेहुल से कोई ६ महीने बड़ी है. मेहुल इसे बहुत पसंद करता है, जो स्नेहा को पता है. उसे मेहुल भी अच्छा लगता है, पर उसके इतने नम्र और सरल स्वभाव से वो थोड़ी असंतुष्ट है. श्रेया के घर बहुत आना जाना रहता है.

सुजाता गौड़ा: श्रेया की माँ. श्रेया की सुंदरता का श्रोत. बहुत अधिक सुन्दर. त्वचा ऐसी की छूने से मैली होने का आभास होता है. इनके बारे में आगे और बताया जायेगा.

अविरल गौड़ा: श्रेया के पिता। इनका भी अपना दवाईयों का काम है. शहर के बाहर ३ फैक्टरियां हैं. बहुत आकर्षक व्यक्तित्व. इनकी जोड़ी किसी भी जगह जाती है तो लोग कुछ देर के लिए बस इन दोनों को ही देखते रह जाते है.

विवेक गौड़ा: श्रेया का भाई. ये श्रेया से छोटा है. इसके बारे में आगे बताया जायेगा.


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अध्याय ८: आठवाँ घर - स्मिता और विक्रम शेट्टी १


मेहुल कॉलेज से घर पहुंचा तो उसने घर में स्नेहा की गाड़ी खड़ी देखी। उसका मन प्रसन्न हो गया. वो अंदर गया तो स्मिता बैठक में टीवी देख रही थी.

"माँ, स्नेहा आयी है क्या?"

"हाँ, जब गाड़ी देख चुका है तो पूछ क्यों रहा है."

"कहाँ है, भाभी के साथ?"

"हाँ दोनों बहनें श्रेया के ही कमरे में हैं. अरे तू कहाँ चल पड़ा? अरे रुक तो!" स्मिता ने उसे रोकने का प्रयास किया.

"मिल कर आता हूँ." मेहुल ने उत्सुकता से उत्तर दिया और सीढ़ी से ऊपर मोहन और श्रेया के कमरे की ओर चल पड़ा.

जब वो कमरे के बाहर पहुंचा तो उसे कुछ आवाजें आती सुनाई दीं. उसका माथा ठनका क्योंकि ये निःसंदेह चुदाई की आवाजें लग रही थीं. पर ये कैसे हो सकता है? उसकी उत्सुकता बढ़ गई. नीचे से उसकी माँ उसे पुकार कर बार बार नीचे आने को कह रही थी. तो क्या माँ को पता था की यहाँ कुछ खेल चल रहा है? उसने हलके से दरवाजे को धकेला तो वो खुल गया. उस दरार से उसने जब अंदर झाँका तो उसके होश उड़ गए.

बिस्तर पर उसकी भाभी श्रेया नंगी पड़ी थी. उसकी जांघों के बीच में एक लड़की का सिर छुपा हुआ था. वो लड़की भी नंगी ही थी. अवश्य ही स्नेहा थी क्योंकि वो उसे अच्छे से पहचानता था. बहनों के बीच ऐसे सम्बन्ध बनना संभव था, उसने कई जगह यह पढ़ा था. इसीलिए उसे इस बात पर इतना झटका नहीं लगा. जिस दृश्य ने उसके होश गुम कर दिए वो था वो पुरुष जो स्नेहा के पीछे था और उसे चोद रहा था.

वो कोई और नहीं बल्कि विक्रम शेट्टी था, उसके पिता!

मेहुल सकते में था और वो दरवाजे का सहारा लेकर ठगा सा देख रहा था. तभी उसे पीछे से आहट सुनाई दी और उसकी माँ ने आकर दरवाजा वापिस बंद कर दिया और उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ लगभग घसीटते हुए नीचे ले गई. मेहुल कुछ भी न बोल पाया. नीचे स्मिता ने उसे सोफे पर बिठाया और पानी लेने किचन में चली गई.

पानी पीकर मेहुल ने अपने शब्द संजोये, "माँ हमारे घर में ये क्या चल रहा है?"

"तुम पहले जाकर कपड़े बदल लो. फिर मैं तुम्हे बताती हूँ."

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कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: कैसे कैसे परिवार

Post by Masoom »

उस कमरे में बाहर क्या हुआ था इससे अनिभिज्ञ विक्रम स्नेहा को बड़े प्यार से चोद रहा था. वहीँ स्नेहा अपनी दीदी की चूत चाट रही थी.

"दीदी, जीजू कब तक आएंगे" स्नेहा ने पूछा.

श्रेया ने घड़ी की ओर देखा तो अभी ४ बजे थे. "अभी समय है, ६ के पहले नहीं आते कभी. तुझे क्या काम है उनसे?"

"मुझे उनकी कंपनी में ट्रेनिंग लेनी है, उसी के लिए बात करनी थी."

"अरे तुझे थोड़े ही मना करेंगे मोहन, तू तो उनकी सबसे प्यारी साली है."

"इकलौती साली हूँ." स्नेहा ने श्रेया की चूत पर जीभ फिरते हुए कहा.

"थोड़ा अच्छे से और अंदर तक चाट न. कुछ पता नहीं लग रहा."

ये सुनकर स्नेहा ने अपनी गतिविधि तेज कर दी और एक उंगली भी श्रेया की चूत में डालकर उसके भगनासे को चूसने लगी. श्रेया उछल गई पर स्नेहा ने अपना चेहरा नहीं हटाया. उसके पीछे विक्रम अब अपनी चुदाई को गतिशील कर रहा था. कसी चूत में उसका लंड बहुत घर्षण के साथ जा रहा था.और उसने भी स्नेहा की नक़ल करते हुए, स्नेहा के भग्नासे को दो उँगलियों में लेकर हलके से मसल दिया और रगड़ने लगा. अब बारी स्नेहा के उछलने की थी.

"अंकल मेरा होने वाला है."

"जा अपनी दीदी के मुंह पर बैठ, उसे पिलाना अपना शरबत."

स्नेहा तुरंत उठी और अपनी चूत को श्रेया के मुंह पर लगा दिया. विक्रम घूमकर उसके पीछे गया और अपना लंड फिर उसकी चूत में ठोककर चोदने लगा. स्नेहा कांपने लगी और थरथराते हुए उसने पानी छोड़ दिया। विक्रम ने अपना लंड बाहर निकला और स्नेहा का रस श्रेया के मुंह में जाने लगा. श्रेया ने निसंकोच उस रस को पी लिया और अपनी जीभ अपने होठों पर फिराई. विक्रम भी अब निकट था, उसने अपना लंड वापिस स्नेहा को चूत में पेला और तेज धक्के लगाने लगा. कुछ ही समय में उसका भी पानी छूटने को हुआ तो उसने अपने लंड को श्रेया के मुंह पर रखा.

"ले श्रेया, तेरी आज की औषधि."


श्रेया ने अपना मुंह खोलकर लंड को गपक लिया और चूसने लगी. विक्रम ने बिना देरी किये अपना रस उसके मुंह में छोड़ दिया. और फिर अपना लंड बाहर खींच लिया और एक ओर हट के खड़ा हो गया. अगला दृश्य उसका सबसे प्रिय दृश्य था. श्रेया बैठ गई, उसका मुंह फूला हुआ था. उसने वीर्य पिया नहीं था. फिर उसने अपने मुंह को स्नेहा के मुंह से लगाया और कुछ अंश स्नेहा के मुंह में छोड़ दिया.

फिर दोनों बहनों ने अपने हिस्से का टॉनिक पी लिया और एक दूसरे को फिर से चूमा.

"चलो नीचे माँजी प्रतीक्षा कर रही होंगी."

सबने अपने कपडे पहने और नीचे के और चल पड़े.

**********

जब मेहुल कपडे बदलने के लिए गया तो स्मिता ने अपना फ़ोन से एक नंबर लगाया.

"हैलो, मनोज, हाँ सुनो तुम तुरंत घर आ जाओ. मेहुल आज जल्दी आ गया और उसने श्रेया, स्नेहा और तुम्हारे पापा को देख लिया. अब समय आ गया है की उसे सब बता दिया जाये."

दूसरी ओर की बात सुनकर उसने फ़ोन काटा और एक दूसरा नंबर लगाया.

"सुनिए, आप अभी नीचे मत आना. मैंने मनोज को भी बुला लिया है. मेहुल ने आप तीनों को देख लिया है. यस, आई थिंक इट इस टाइम टू टेल हिम द ट्रुथ। आप लोग वहीँ रुको जब तक मैं न बुलाऊँ."

फोन रखकर वो सोचने लगी कि मेहुल को कैसे बताएगी. पर उन्हें पता था कि ये दिन दूर आना है, इसीलिए वो तैयार तो थे पर इस आकस्मक घटना से उनका समय चक्र अब बदल गया था.

मेहुल नीचे आ गया, उसे देखकर स्पष्ट था कि वो इस समय एक भ्रम की स्थिति में है.

"तुम्हारी गर्लफ्रेंड शीबा कैसी है?"

"ठीक है. आप कुछ बताने वाली थीं."

"हाँ. हम तुम्हे तुम्हारे २०वें जन्मदिन पर अगले महीने बताने वाले ही थे. पर अब उस वार्तालाप को आज ही करना होगा. मनोज भी कुछ ही देर में आने वाला है. महक भी अपने समय से आने ही वाली होगी."

"ये क्या है, क्या इसमें सब सम्मलित हैं?"

"हम सब ये बात एक साथ करेंगे। प्लीज, थोड़ा धीरज रखो. मेरे लिए."

मेहुल मन मार कर बैठ गया.

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