बदनसीब रण्डी

Post Reply
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: बदनसीब रण्डी

Post by Masoom »

(^%$^-1rs((7)
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: बदनसीब रण्डी

Post by Masoom »

सुबह 7 बजे चीखती चिल्लाती फुलवा को सिपाही कालू घसीटते हुए तहखाने में ले गया था। तब से शाम के 5 बजे तक पूरी जेल फुलवा की चीखों से गूंज रही थी।


फुलवा के साथ कालू और बाकी सिपाहियों ने वह सब कुछ किया जो उन्होंने सबसे बुरे और छटे हुए बदमाश के साथ किया था। आखिरकार कालू को छोड़ बाकी सारे सिपाही और कैदी भी मान गए को फुलवा ने कुछ भी नहीं लिया था।


कालू ने फुलवा को नंगा कर टायर में लटकाया। उसके बाद पहले थप्पड़, फिर मुक्के, फिर लात और आखिर में अपने पट्टे से पीटा। फुलवा की चमड़ी छिल गई पर वह चिल्लाती रही की उसने कुछ नहीं किया था।


जब कालू ने बैटरी की तारों को लाया तब तो विधायकजी के गुंडे भी दंग रह गए। कालू ने फुलवा के दूध से भरे मम्मों की चुचियों पर फाइल की पिन लगाई तो फुलवा की चीखों के साथ दूध की धाराएं बह गई। बाकी के सिपाहियों ने कालू को रोकने की कोशिश की पर कालू को तो मज़ा आ रहा था।


कालू ने फुलवा की चुचियों को बैटरी की तारें लगाई और घायल जानवर की चीखों से पूरी जेल गूंज उठी। 3 सेकंड की बिजली के बाद कालू ने फुलवा को SD कार्ड का पता पूछा पर पसीने से लथपथ दूध छलकाती फुलवा अब भी खुद को बेकसूर बताती रही।


शाम के 5 बजे जब एस पी प्रेमचंद के जूते की चरचराहट तहखाने में हुई तब कालू और फुलवा पसीने से भीगे अपनी बात पर अड़े हुए थे।


सिपाही कालू, “बता SD कार्ड कहां है?”


फुलवा बैटरी की बिजली से तड़पकर, “मैं बेकसूर हूं!!…”


एस पी प्रेमचंद मुस्कुराया।


एस पी प्रेमचंद, “तेरी वफादारी की कदर करता हूं। पर सिपाही और अफसर में क्या फर्क होता है यह सीखने का मौका तुझे आज मिलेगा!”


फुलवा को टायर में से उतार कर एक लोहे की चारपाई पर बांध दिया गया। सिपाही कालू बैटरी की तारें ले आया पर एस पी प्रेमचंद ने उसे दूर होने को कहा।


एस पी प्रेमचंद, “तो, तू दर्द के लिए तयार है। पर दर्द कई तरह का होता है। क्या तू वो दर्द भी सेह लेगी?”


एस पी प्रेमचंद ने अपने कपड़े उतारते हुए सिपाही कालू को देखा।


एस पी प्रेमचंद, “कालू, मैं जानता हूं कि तू इसे चोदना चाहता है। चल चढ़ जा और इसकी गांड़ मार!”


कालू ने एस पी प्रेमचंद को सलाम किया और अपनी पैंट उतार कर बेड पर चढ़ गया। कालू ने फुलवा के घुटनों को बेड के सिरहाने से बांध दिया जिस से उसकी गांड़ पूरी तरह खुल गई।


फुलवा सहमी आंखों से देखती रही और कालू ने अपने सूखे लौड़े को फुलवा की गांड़ में पेल दिया। फुलवा गांड़ मराने की आदि हो चुकी थी और सूखे लौड़े को भी बिना ज्यादा तकलीफ के ले पाई।


कालू तेजी से फुलवा की गांड़ पेलने लगा और फुलवा अपनी गांड़ को ढीला छोड़ अपनी गांड़ को छिलने से बचा रही थी।


प्रेमचंद, “मैने कालू को इस काम के लिए चुना क्योंकि इसे औरत को चोदना आता है पर उसे खुश करना नही आता। औरत दर्द से चीखे तो यह उसी से खुश हो जाता है।“


कालू तेज धक्के लगाता फुलवा की गांड़ मारता रहा पर जैसे प्रेमचंद ने कहा था वैसे इस गांड़ मराई में फुलवा को मज़ा नही आ रहा था। फुलवा दर्द से कराहती प्रेमचंद को बता रही थी की उसने कुछ नहीं किया।


प्रेमचंद, “तेरी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी! इस तरह पिछले बारह घंटे दर्द सहते हुए भी तुम अपने झूठ पर अड़ी हुई हो! अफसोस, अब तुम्हारा पाला मुझ से पड़ा है।“


प्रेमचंद ने फुलवा की चूत को सहलाना शुरु किया। प्रेमचंद की उंगलियां किसी सितार की तारों की तरह फुलवा की जवानी की तारों को बजाने लगी। फुलवा की 20 वर्ष की जवानी दर्द तो सह गई पर यौवन से हारने लगी। फुलवा की चूत में से यौन रसों का बहाव बढ़ कर बहने लगा।


फुलवा के यौन रसों से चूत में से बाहर बहते हुए उसकी गांड़ को पेलते कालू के लौड़े को चिकनाहट दी। कालू को फुलवा की गांड़ मारने में सहूलियत होने वाली और फुलवा का बदन कांपने लगा। फुलवा झड़ने की कगार पर पहुंची ही थी जब प्रेमचंद ने अपने हाथ को पीछे खींच लिया।


फुलवा ने एक कुंठा भरी आह भरते हुए अपना विरोध प्रदर्शन किया।


प्रेमचंद ने फुलवा के कान में, “मज़ा टूटना अच्छा नहीं है ना? मज़ा चाहिए तो बता की, SD card कहां है?”


फुलवा अपनी जवानी के हाथों मजबूर रो पड़ी और प्रेमचंद ने हंसते हुए फुलवा की चूत को सहलाना शुरू किया। अबकी बार फुलवा जब वापस झड़ने की कगार पर पहुंची तब कालू भी झड़ने के लिए तेज़ धक्के लगा रहा था। प्रेमचंद ने कालू को खींच कर फुलवा की गांड़ में से बाहर निकाल लिया और फुलवा को वापस तड़पता छोड़ दिया।


प्रेमचंद, “बोल, कालू से गांड़ मराएगी?”


फुलवा रोते हुए, “हां!…”


प्रेमचंद, “मुझसे गांड़ मराएगी?”


फुलवा रोते हुए, “हां!!…”


प्रेमचंद, “sd card कहां है?”


फुलवा बस रोती रही।


प्रेमचंद, “कालू, इसके हाथ पैर छोड़ और इसकी गांड़ को अपने लौड़े पर बिठा!”


कालू ने फुलवा को बेड से छुड़ाया और खुद बेड पर लेट गया। फुलवा में अब भागने की ताकत नहीं बची थी। कालू ने फुलवा को अपने ऊपर खींच लिया और उसकी खुली हुई गांड़ को अपने सुपाड़े पर लगाया। कालू ने फुलवा को अपने लौड़े पर बिठाया और फुलवा आह भरते हुए उसके लौड़े को अपनी गांड़ में भर कर बैठ गई।


प्रेमचंद ने फुलवा और कालू के पैरों को फैलाया तो कालू भी डर गया। प्रेमचंद ने अपने सुपाड़े को कालू के लौड़े की जड़ पर लगाया और फुलवा की गांड़ में अपना लौड़ा भरने लगा।



फुलवा की गांड़ फट गई और वह आहें भरती कालू के ऊपर गिर गई। प्रेमचंद को अपने लौड़े पर रगड़ता महसूस कर कालू चुपचाप पड़ा रहा। प्रेमचंद की गोटियां कालू की गोटियों से भिड़ गईं और दोनों लौड़े अपनी जड़ तक फुलवा की गांड़ में समा गए।


प्रेमचंद ने फुलवा के सर को पीछे से पकड़ कर उसे उठाया और फुलवा की गांड़ तेजी से मारने लगा। कालू भी नीचे से अपनी कमर हिलाकर फुलवा की गांड़ के मजे ले रहा था।



प्रेमचंद, “फुलवा, तेरा बदन जल रहा है। तेरी जवानी झड़ने को तरस रही है। बोल, SD CARD कहां है?”


फुलवा बेचारी सिर्फ अपने सर को हिलाकर चुप रही। उसकी गांड़ सच में फट गई थी और उसकी जवानी की आग उसके पूरे बदन को जला रही थी।


प्रेमचंद को पता था की फुलवा की हालत क्या है। प्रेमचंद ने कालू को फूला के घुटनों को पकड़ने को कहा। अपने अंगूठे से फुलवा की चूत के ऊपर उभरे यौन मोती को सहलाते हुए प्रेमचंद ने फुलवा को दुबारा झड़ने की कगार पर खड़ा कर दिया।

फुलवा, “मालिक, गरीब को ऐसे ना तपाओ! मुझ पर रहम करो! मेरा बदन जल रहा है! मुझे राहत दो हुजूर!!”


प्रेमचंद, “ठीक है, पर पहले बता की SD card कहां है?”


फुलवा का बदन अकड़ने लगा और प्रेमचंद ने अपने अंगूठे को हटाकर फुलवा को वापस अतृप्त छोड़ दिया।


फुलवा रोने लगी पर अब प्रेमचंद ने कालू के साथ मिलकर फुलवा की बेरहम गांड़ मराई शुरू कर दी। फुलवा अबकी बार सिर्फ दोहरी गांड़ मराई से झड़ने को आई और चिल्लाते हुए गिड़गिड़ाने लगी।


फुलवा, “मारो!!…
मेरी गांड़ मारी!!…
एक साथ मेरी गांड़ मारी!!…
झुंड में मेरी गांड़ मारो!!…
रुकना मत मालिक!!…
रुकना मत!!…”


प्रेमचंद ने अपने स्खलन पर काबू रखते हुए, “SD CARD कहां है?”


फुलवा झड़ते हुए चीखने लगी, “मैं उसे खा गई!!…
मैं उसे खा गई हुजूर!!…
कार्ड मेरे पेट में है!!…”


फुलवा इतनी बुरी तरह उत्तेजित हो कर झड़ गई की उसकी चूत में से यौन रसों का फव्वारा मर्द के स्खलन की तरह उड़ गया। प्रेमचंद ने फुलवा के स्खलन में नहाते हुए अपने वीर्य की पिचकारी फुलवा की गांड़ में छोड़ दी। कालू भी प्रेमचंद की गर्मी महसूस कर अपनी गर्मी को छोड़ देते हुए बेड पर गिर गया।


प्रेमचंद ने अपने लौड़े को फुलवा की गांड़ में से बाहर निकाल लिया।


प्रेमचंद, “तुझे लगा की तूने सोनी को बचाया है! पर तूने तो सोनी को और बुरी तरह फंसाया है! मैं अभी सोनी को SUSPEND कर रहा हूं और दो दिन बाद जब तू sd card के टुकड़े शौच से निकाल देगी तब तेरे सामने उसे कैदी को जेल से भगाने और औरत से धंधा कराने के लिए तेरे साथ जेल में लाऊंगा। (कालू को) कल सुबह जब इसकी टटी निकले तो इसे उस में से sd card के टुकड़े निकालने को कहो!”


फुलवा को रात भर गीले बाथरूम में ठंडे पानी के नीचे रखा गया। सुबह फुलवा को फर्श पर शौच करने को मजबूर किया गया और फिर उसे उसमें से sd card के टुकड़े निकालने पड़े। पेट के अंदर sd card के ऊपर का छपा हुआ मिट गया था पर sd card के टुकड़ों को पहचानना मुश्किल नहीं था।


फुलवा को भगौड़ी कैदी कहकर तहखाने में बंद रखा गया जब की सोनी के खिलाफ जांच शुरू की गई।

.............................
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: बदनसीब रण्डी

Post by Masoom »

तहखाने में बंद फुलवा के लिए एक घंटा एक दिन की तरह था। उसकी सांसों की आवाज तहखाने की खामोशी में गूंजती उसे सता रही थी।


तीन दिन बाद उसे वापस ऊपर जेल में लाया गया। फुलवा को यह देख कर अचरज हुआ कि जेल के बड़े गुंडे भी उस से इज्जत से पेश आ रहे थे। जब फुलवा ने इस बात की वजह पूछी तो उसे बताया गया कि 12 घंटों का टॉर्चर सहने के बाद मुंह खोलने से उसने यहां का कीर्तिमान बनाया था।


इंक्वायरी के लिए 2 SSP और IG आए थे। इसी वजह से फुलवा को तहखाने से निकालकर आम कैदियों में लाया गया था।


सिपाही सोनी ने अपने सर को उठाए रखा था। सोनी की हिम्मत फुलवा को बता रही थी वह सुंदर को सब सच बता चुकी थी और सुंदर ने उसे अपना साथ दिया था। इंक्वायरी एस पी प्रेमचंद के ऑफिस में ही हो रही थी। प्रेमचंद ने अपने मोहरे सही जगह पर लगाए थे और सोनी के पास कोई सबूत नहीं था।


सोनी ने गवाह के तौर पर फुलवा को बुलाया और फुलवा को कालू एस पी प्रेमचंद के ऑफिस में ले गया।


IG, “कैदी फुलवा, क्या आप को सिपाही सोनी जेल के बाहर छोड़ आई थी?”


फुलवा, “जी साहब।“


IG, “क्या वहां से तुम्हें जबरदस्ती वैश्य व्यवसाय में डाला गया?”


फुलवा, “नहीं साहब। वह मैंने 500 रुपए और सुबह की रिहाई के लिए अपनी मर्जी से किया।“


IG, “तुम जानती हो कि इस बात के लिए तुम्हारी सज़ा बढ़ सकती है?”


फुलवा, “उम्र कैद की सज़ा हुई है साहब। और क्या बढ़ाओगे? यहां रोज हमारी इज्जत लूटी जाती है। एक बार अपने मर्जी से किया तो सज़ा दोगे?”


एस पी प्रेमचंद, “ये एक डकैत है! ये सिपाही सोनी से रिश्वत लेकर झूठ बोल रही है!”


फुलवा हंसकर, “हां, और मैं रिश्वत लेकर यहां अपने लिए महल बनाने वाली हूं और नौकर रखने वाली हूं! सही बात है ना?”


फुलवा का जवाब सुनकर सब लोग हैरान थे। किसीने यह सोचा भी नही था की कोई कैदी SSP और IG के सामने ऐसी बात करेगा।


फुलवा, “साहब मैं कैद में हूं मतलब कानून के चक्कर काट चुकी हूं! और क्योंकि जेल में हूं तो जेल के बारे में भी जानती हूं। पर क्या आप में से कोई जेल में रह चुका है?”


SSP फुलवा को डांटने लगे पर IG ने उन्हें रोका।


IG, “मैं 4 साल तक जेलर रह चुका हूं। अपनी बात कहो!”


फुलवा, “मैं यहां नहीं थी पर मुझे यकीन है कि अब तक सिपाही सोनी ने बताया होगा कि एस पी प्रेमचंद यहां सब पर जुल्म करता है और उसी ने मुझे बाहर ले जाने की गैरकानूनी अनुमति दी थी। जब की एस पी प्रेमचंद ने साबित किया होगा की उसकी चालाकी से मेरा बाहर जाना पकड़ा गया। सिपाही सोनी के पास कोई सबूत नहीं पर एस पी प्रेमचंद के पास सबूत के साथ विधायकजी की सिफारिश भी है। क्या मैं गलत हूं?”


IG ने अपने सर को हिलाकर उसे सही कहा।


फुलवा, “क्या सिपाही सोनी ने यह भी बताया की मेरे बाहर जाने के बाद एस पी प्रेमचंद ने सिपाही सोनी को मजबूर किया और उस के साथ दुष्कर्म करते हुए उस बात की रिकॉर्डिंग की? उस रिकॉर्डिंग को इस्तमाल कर एस पी प्रेमचंद सिपाही सोनी को, क्या था वो? जबरदस्ती वैश्या व्यवसाय में डालने की कोशिश की।“


SSP, “यह कानूनन इंक्वायरी है और यहां सबूत लगते हैं। क्या तुम्हारे पास इस बात का सबूत है?”


फुलवा, “एस पी प्रेमचंद ने वह रिकॉर्डिंग एक SD CARD पर की थी जो उसने सिपाही सोनी को दिखाया। सिपाही सोनी ने मुझे उस कार्ड के बारे में बताया और अगले दिन मैंने उसे चुराया।“


एस पी प्रेमचंद, “अगर यह बात सच है तो वह SD CARD दिखाओ!”


फुलवा, “SD CARD चुराते हुए मैं पकड़ी गई। मैंने एक SD CARD के टुकड़े किए और उसे निगल गई। एस पी प्रेमचंद के आदेश पर मुझे पूरे दिन मारा गया, बिजली के झटके दिए गए। आखिर में खुद एस पी प्रेमचंद ने मुझे बेरहमी से अनैसर्गिक तरीके से चोदते हुए यह बात मुझसे उगलवाई।“


एस पी प्रेमचंद, “तो यह भी एक कहानी है क्योंकि इसका कोई सबूत नहीं!”


फुलवा मुस्कुराई और एस पी प्रेमचंद के पेट में जैसे पिघले लोहे का गोला जमा हो गया।


IG की ओर देखते हुए फुलवा, “आप जेलर थे। जेल की एक ऐसी जगह बताइए जहां जेलर तलाशी नही लेगा!”


IG मुस्कुराया। उसे इस जवान लड़की की होशियारी और हिम्मत भा गई।


IG, “एस पी प्रेमचंद सावधान! (एस पी प्रेमचंद खड़ा हो गया और IG उसकी ओर बढ़ते हुए) कैदी फुलवा ने कहा कि वह एक SD CARD को तोड़ कर निगल गई। न की उस SD CARD को!”


एस पी प्रेमचंद की टोपी अपने हाथ में लेते हुए 2 SSP से, “हमारी वर्दी की टोपी में पसीना सोखने के लिए अंदर एक कपड़े की पट्टी होती है। AC में उसे सब भूल जाते हैं और कोई हाथ नहीं लगाता। (पट्टी में हाथ घुमाकर वहां से SD CARD निकालते हुए) नियम अनुसार हम लोग इंक्वायरी के दौरान इस जेल में मौजूद सारे सबूत तलाश कर सकते हैं और उन्हें देख कर कौन गुनहगार है यह तय कर सकते हैं।“


2 SSP ने हां कहा और SD CARD को तीनों ने कंप्यूटर पर चलाया।


वहां की रिकॉर्डिंग में साफ दिख रहा था कैसे प्रेमचंद ने सोनी की मजबूरी का फायदा उठाया। साथ ही प्रेमचंद ने सोनी को इस्तमाल करते हुए अपने बाकी कई गुनाहों की कबूली भी दी थी।


SSP और IG को इंक्वायरी ख़त्म करने में सिर्फ 4 घंटे लगे। इंक्वायरी के अंत में एस पी प्रेमचंद को गिरफ्तार कर लिया गया तो सिपाही सोनी को सिर्फ 1 प्रमोशन कम कर 6 महीने का प्रोबेशन दिया गया।


कालू ने विधायकजी को इंक्वायरी में हुए वाकिए की खबर दी और एस पी प्रेमचंद की गाड़ी का रास्ते में एक्सीडेंट हो गया। सिपाही कालू का दूसरे जेल में तबादला हो गया और वह उसी शाम चला गया।


नया जेलर अगले ही दिन जेल पहुंचा।


जेलर SP किरन उसूलों की इतनी पक्की औरत थी कि उसे कोई विधायक अपने इलाके में बर्दास्त नही कर सकता था और वह एक बुरे जेल से दूसरे बदतर जेल में भेजी जाती। SP किरन ने आते ही फुलवा और सिपाही सोनी को बुलाया।


SP किरन ने सिपाही सोनी को सलाह दी कि वह 6 महीने बाद अपना रिकॉर्ड सही कर इस्तीफा दे क्योंकि अब उसकी तरक्की होना लगभग नामुमकिन था। सोनी मान गई और SP किरन को सैल्यूट कर चली गई।


SP किरन, “कैदी फुलवा, तुमने एक बुरे अफसर का पर्दाफाश करने के लिए काफी दर्द और बेइज्जती सही। बदले में तुम क्या चाहती हो?”


फुलवा, “मेमसहब, मैं बस सोनी को मेरी तरह बरबाद होने से बचाना चाहती थी। वह बच गई, मुझे और क्या चाहिए?”


SP किरन मुस्कुराकर, “SP आधिकारी और IG साहब पुराने दोस्त हैं। तुम अब समझ गई होगी की एक सिपाही की इंक्वायरी के लिए खुद IG क्यों आए! खैर तुम्हारी हिम्मत और सूझबूझ से दोनों प्रभावित हैं। उन्होंने यह किस्सा अपने दोस्त जस्टिस माथुर को बताया और तुम्हारे लिए कुछ अच्छी खबर है। उम्र कैद का कैदी पूरी जिंदगी कैद में रहता है पर अच्छे बर्ताव के लिए उसकी सज़ा सीमित की जा सकती है। तुम्हें 14 साल के बाद रिहा कर दिया जायेगा। तुम 18 की थी जब गिरफ्तार हुई थी और 32 की होते हुए रिहा हो जाओगी। अगले 12 सालों में अपने वक्त का सही इस्तमाल करो और बाहर जाकर एक खुशहाल जीवन बिताओ।"


फुलवा शरमाते हुए, “मेरे भाई शेखर ने पढ़ना लिखना सीखा था। क्या मैं लिखना पढ़ना सीख सकती हूं?”


SP किरन मुस्कुराते हुए, “अरे फुलवा, अगर तुमने अगले 12 साल पढ़ाई में लगा दिए तो तुम मुझसे भी ज्यादा पढ़ी लिखी बनोगी। मैं अपने हर जेल में स्कूल शुरू करती हूं। तुम्हारा दाखला जेल की स्कूल में करा देती हूं। कोई बात हो तो बिना डरे मुझे जरूर बताना।“


फुलवा ने SP किरन को दिल से शुक्रिया कहा और खुशी खुशी अपने कमरे में चली गई।


अगले 12 साल फुलवा के लिए वह सब कुछ थे जो उसे बचपन में नही मिला। सही पोषण और शिक्षा के साथ ही दोस्तों का साथ और बाहर की दुनिया को धीरे धीरे पहचानने का मौका। फुलवा SP अधिकारी को खत लिख कर चिराग के बारे में पूछती पर खुद चिराग से दूरी बनाए रखती।


12 सालों में फुलवा ने न केवल पढ़ाई की पर SP किरन की मदद से जेल में से कैंटीन भी चलाया। आगे SP किरन को बढ़ौतरी मिली पर फुलवा की तरक्की होती रही।


फुलवा की सजा में सिर्फ एक साल बाकी था जब सिपाही कालू उसके जेल में लौटा। हालांकि अब वह फुलवा से दूरी रखता था पर फुलवा फिर भी उस से डरती थी।


शनिवार शाम को फुलवा को जेलर ने अपने ऑफिस में बुलाया।


जेलर, “कैदी फुलवा, आप की सजा कल खत्म होनी है। लेकिन रविवार को कागजी कार्रवाई नहीं होती और मैं किसी को एक दिन ज्यादा जेल में नहीं रखता। तो…”


जेलर ने मुस्कुराकर एक कागज फुलवा को देते हुए, “फुलवा, आप आजाद हो! आपकी जिंदगी खुशी भरी हो और आप को दुबारा सलाखें नजर ना आएं!”


फुलवा ने खुशी से अपने हाथ जोड़े और अपनी रिहाई की पर्ची लेकर बाहर दफ्तर में गई। फुलवा को उसके पुराने कपड़े, जेल में कमाए पैसों का चेक और जप्त गाड़ी की पर्ची दी गई।


फुलवा ने सब से विदा ली और जेल के बाहर कदम रखा।


इस से पहले कि फुलवा अपनी आजादी की सांस ले पाती सिपाही कालू ने फुलवा को अपनी गाड़ी में खींच लिया।


सिपाही कालू, “मैंने इस मौके के लिए 14 साल इंतजार किया है। चुप चाप मेरे साथ चल वरना तुझे मार कर ऐसे जगह दफना दूंगा की तेरे भाई भी तुझे ढूंढ नहीं पाएंगे!”


कालू ने अपनी गाड़ी को तेजी से चलाया। फुलवा ने देखा की एक बड़ी गाड़ी जेल की तरफ जा रही थी।


फुलवा ने सोचा की कोई अमीर आदमी उसके साथ रिहा होकर अब अपने घर जाएगा पर वह तो अपने घर से निकलकर नरक जा रही थी।

.........................
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: बदनसीब रण्डी

Post by Masoom »

कालू फुलवा को उन्ही बदनाम गलियों में ले गया जो उसे उसके बापू ने दिखाई थी। फुलवा ने देखा कि पीटर अंकल का घर पिछले 14 सालों में खाली पड़ा डरावना दिख रहा था।


कालू फुलवा को अंदर खींच लाया और दरवाजा बंद किया। जो कमरा किसी अच्छे घर का हिस्सा लगता था आज वह धूल, मिट्टी से ढंक कर खराब हो गया था।


कालू ने एक लालटेन जला दी और फुलवा को जमीन पर बिठाया।


कालू, “तेरे भाइयों ने कोर्ट में कहा की उन्होंने स्मगलिंग का माल जलाकर ट्रक को पुर्जों में बेचा। पर मैने पूछताछ कर पता लगाया की शेखर ने वह माल भी बेचा था। जब मुझे उन तीनों को मारने का हुकुम हुआ तब मैं जानता था कि वह अपनी बहन को उस खजाने का ठिकाना जरूर बताएंगे। इसी लिए मैंने उन्हें बता दिया कि मैं उन्हें मारने वाला हूं। जब उन्होंने तुझ से बात की तब मैंने छुप कर सब कुछ सुन लिया।“


गुस्से से कमरे में चक्कर लगाते हुए कालू, “पिछले 12 साल मैने तेरे भाइयों की हर हरकत हर ठिकाने को ढूंढा, तेरे बाप की हर हरकत हर ठिकाने को तलाशा पर कुछ नहीं मिला। तेरे बाप ने तेरे गांव से तुझे चुराया वहां अब एक दुकान है। मैने वहां की पूरी तलाशी ली पर कुछ नहीं! तेरे बाप ने तुझे यहां पर बेचा तेरा बाप तो मिला पर खजाना कहां है?”


कालू ने फुलवा को खींच कर अलमारी के सामने लाया और अलमारी खोली।


अलमारी के अंदर एक कंकाल पड़ा था। कंकाल के कपड़े देख कर फुलवा उसे पहचान गई।


फुलवा, “लड़कियां आती जाती रहती है लेकिन पीटर अंकल यहीं रहेगा।“


कालू, “क्या?”


फुलवा, “ये बापू नही, पीटर अंकल है जिसने मेरे बदन को इस बस्ती में बेचा।“


कालू ने फर्श पर पड़े समान की लात मारी, “मैंने इस घर को खोदते हुए 3 साल बीता दिए! तेरे बाप ने तुझे पहला धोखा यहां नहीं दिया था! बता तेरे बाप ने तुझे कहां पहला धोखा दिया था?”


फुलवा, “अगर मैंने तुम्हे पता बता दिया तो तुम मुझे मार डालोगे। मुझे पैसा नहीं चाहिए। पर मैं तुम्हें पता बता कर मरना नहीं चाहती।“


कालू गुस्से से फुलवा की ओर बढ़ा। फुलवा ने एक और बेरहम रात जीने की तयारी कर ली।

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
Pro Member
Posts: 3007
Joined: 01 Apr 2017 17:18

Re: बदनसीब रण्डी

Post by Masoom »

(^%$^-1rs((7)
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Post Reply