कैसे कैसे परिवार

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Masoom
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सुप्रिया सिंह का घर:

निखिल जब अपने घर पहुंचा तो बहुत रात हो चुकी थी. अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए उसे अपनी माँ सुप्रिया के कमरे से सिसकारियों और फच फच की ध्वनि सुनाई दीं। वो मुस्क़ुराते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गया. सम्भवतः नितिन उसकी माँ की चुदाई में व्यस्त था. उनकी माँ सच में एक अत्यंत कामुक स्त्री थी, चाहे जितना भी चुदे, अगली चुदाई के लिए सदैव तत्पर रहती थी. कभी कभी तो नितिन, वो और उनके नाना, तीनों भी उसे कम पड़ते थे. पर आज शोनाली आंटी को चोदकर बहुत आनंद मिला था. और अब तो उसकी झोली में और भी ऐसी ही गर्म और प्यासी औरतें गिरने वाली थीं।

उसकी माँ और नानी के सतत परिश्रम और प्रशिक्षण से नितिन और वो दोनों इस कला में अत्यंत पारंगत थे. ऐसा नहीं था कि वो और लड़कियों या महिलाओं को नहीं चोदते थे, पर उनके लंड को झेलना हर स्त्री के बस का नहीं था. इसी कारण उनकी ऑंखें हमेशा अपने दोस्तों की मम्मी या रिश्तेदार महिलाओ पर रहती थीँ . जहाँ उन्हें कोई भी लक्षण लगता कि वो उनकी चपेट में आ सकती है, तो वो अपना मोह जाल फैलाते थे और कुछ ही दिनों में वो आंटी अपने बिस्तर में उन्हें आमंत्रित कर लेती थी.

चूँकि उनकी माँ इतनी खुली थी तो उन स्त्रियों को वो अपने ही घर बुला लेते थे. अब ये समझना कठिन न होगा की नाना की कृपादृष्टि से उनका भी पूरा घर वीडियो से लैस था और कई बार जब उनमे से कोई नयी मुर्गी की चुदाई कर रहा होता था तो अन्य सब उनके नाना के घर में लाइव शो देखते. निखिल और नितिन अपनी पटायी औरत को वैसे तो अपने ही लिए पटाते थे, पर कभी कभी अधिक गर्म और प्यासी महिला उनके हत्थे चढ़ जाती तो वो दोनों एक साथ भी सवारी करते थे. जो भी स्त्री इन दोनों के बीच में पिस कर जाती, वो अपने जीवन का अनंत सुख पाती थी, हालाँकि उसकी चाल कुछ दिनों के लिए बदल जाती थी. यही सब सोचते हुए निखिल सो गया.

पर उसी घर के दूसरे कमरे में जैसे कोई घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था. सुप्रिया घोड़ी के आसन में अपनी गांड उठाये और चेहरे को तकिये में दबाये हुए सिसक सिसक कर हल्की हल्की चीखें निकाल रही थी. अगर कोई सिर्फ उसका चेहरा देखता तो उसे दया आ जाती, पर उसकी गांड में अपना मोटा लम्बा लंड पेल रहे उस लड़के के मन में ऐसी कोई भावना नहीं थी. उसके लंड का हर वार लम्बा और वहशी था. वो अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकलता और फिर बहुत तेज पाशविक गति से वापस गांड में ठूंस देता. उसकी गति इतनी तीव्र थी कि अंदर बाहर का एक चक्र पलक झपकते ही हो जाता था.

"क्यों मम्मी, मजा आ रहा है. कैसा लग रहा है मेरा लौड़ा अपनी गांड में लेकर?"

"तुम जानते हो मुझे तुम तीनों से गांड मरवाना कितना अच्छा लगता है तो पूछ क्यों रहा है. अपनी ताकत बातों में मत ख़राब कर, मेरी गांड पर ध्यान दे मादरचोद."

"वो तो मैं हूँ. मादरचोद. हम तीनों ही मादरचोद हैं. और नानीचोद भी." नितिन ने उसकी बात मानी और अब अपने पूरे जोश से गांड का माल हिलाने में लग गया.

उसे ये आश्चर्य था कि जो स्त्री औरत हर दिन चुदवाती हो और गांड मरवाती हो उसके दोनों छेद आज भी कैसे इतने तंग थे. वो स्त्रियों के राज से अनिभिज्ञ था. शीला ने सुप्रिया को चूत की मांस पेशियों के कुछ ऐसे व्यायाम सिखाये थे जिनके कारण उसकी चूत और गांड व्यायाम से लगभग २ घंटे में ही वापिस सिकुड़ जाती थी. शीला ने अपनी जवानी इसी प्रकार संभाले रखे थी. अनगिनत लौडों को अपने दोनों छेदों की यात्रा करवाने के बाद भी कोई उसकी चूत को भोसड़ा नहीं कह सकता था. नितिन अब चुदाई के उस चरण पर पहुँच चुका था जहाँ उसके लंड से पानी निकलने ही वाला था.

"मम्मी, मेरा होने वाला है. कहाँ छोडूं?"

"मू में, मू " सुप्रिया की आवाज़ धक्को से दब गयी थी.

नितिन ने अपनी गति कम की और फिर बहुत सावधानी से अपने लंड को बाहर खींचा और सुप्रिया के सामने जाकर खड़ा हो गया.

सुप्रिया ने करवट ली और बैठ गई, और लपक के नितिन के लंड को गपक लिया. वो एक भूखी भिखारन की तरह नितिन के लंड को चूस रही थी. उसे देखकर कोई वैश्या भी शर्मा जाती. कोई उसके इस रूप और उसके ऑफिस के रूप को देखकर सोच भी नहीं सकता थी कि वो दोनों एक ही स्त्री हैं. जैसे ही नितिन के लंड ने धार छोड़नी शुरू की सुप्रिया ने एक दो धारें अपने मुंह से पी लीं और फिर लंड निकालकर अपने चेहरे पर मलने लगी.

पिचकारियां उसके चेहरे के हर रोम को भिगा दे रही थीं. जब नितिन का रस ख़त्म हुआ तो सुप्रिया का पूरा चेहरा उसके वीर्य से ओतप्रोत था. सुप्रिया ने अपने हाथों से उसे इकठ्ठा किया और अपने मुंह में डाल लिया. कुछ उसने अपने स्तनों पर भी मल लिया. अब उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. जैसे उसके अंदर का जानवर शांत हो गया हो.

"गांड फाड़ने में तुझे मजा आया?"

"अरे मम्मी, तुम्हारी गांड तो ऐसी ही कि हर समय अपने लौड़े को इसी में डाले रखूँ."

"तो तेरी नानी का क्या होगा?"

"अरे उनकी गांड के लिए निखिल है न."

दोनों हंसने लगे.

"निखिल से पता करेंगे क्या हुआ उसके नए काम का. कहीं इंटरव्यू के लिए गया था, किसी क्लब में."

"अब कल देखना, मुझे कालेज भी जाना है. मैं सोने जा रहा हूँ."

"चलो कल मिलते है."

थोड़ी देर में दोनों अपने अपने कमरों में तृप्ति की नींद में डूब गए.


शोनाली का घर:


कुछ समय पश्चात् सागरिका ने सबके लिए एक डबल ड्रिंक बनाया और इस बार खुद भी लिया.

"तो मॉम, कैसा रहा आज का इंटरव्यू?" सागरिका ने शोनाली से पूछा.

"एकदम फर्स्ट क्लास. और जॉय हमें सम्भवतः अपना पहला दामाद मिल गया है. सागरिका के लिए मुझे ऐसा लड़का मिला है जो हमारे परिवार के लिए बिल्कुल उपयुक्त है." कहकर उसने अपनी पूरी ड्रिंक एक ही साँस में समाप्त कर दी.

"और उसका नाम है ......”

सागरिका ने प्रश्न किया क्योंकि वो अब बहुत ज्यादा उत्सुक थी. उन लोगों की जीवन शैली में उपयुक्त बैठने वाला अगर कोई लड़का मिल जाये और वो भी जिसे उसकी माँ पसंद करे तो इससे अच्छा क्या हो सकता है.

"निखिल."

"कौन वो पार्थ का दोस्त?"

"और समर्थ और शीला का नाती."

"तीन नंबर वाले"

"हाँ, वही. और अब अच्छा समाचार. निखिल, उसका भाई नितिन और समर्थ भी हम ही लोगों के समान पारिवारिक सम्भोग में लिप्त हैं. सुप्रिया अपने घर में निखिल और नितिन से तो चुदवाती ही है और तो और समर्थ और शीला भी इसमें मिले हुए हैं. सुरेखा भी अभी कुछ ही दिनों पहले जुड़ी है. उसकी गाड़ी ५ दिन से यहीं है."

"शोनाली, ये तो बहुत ही शुभ समाचार है. पर क्या वो विवाह के लिए मानेंगे? हम बंगाली, वो ठाकुर, समर्थ मानेगें?"

"अरे ये भी तो समझो कि जिस प्रकार हमें सागरिका के लिए लड़का मिलने में समस्या आ रही ही, उसी प्रकार मुझे नहीं लगता कि उन्हें निखिल के लिए कम कठिनाई हो रही होगी."

"निखिल करता क्या है?"

"अरे अपने नाना का इतना बड़ा बिज़नेस है, उसी में जायेगा. पार्थ से पता करेंगे उसके बारे में."

"एक बात और, आज निखिल ने दिंची क्लब में रोमियो का काम ले लिया है."

सागरिका, उत्साह से, "मम्मी, तो क्या उसका लंड..."

"हाँ, ११ इंच से ज्यादा."

"और बहुत स्वादिष्ट भी. शोनाली की गांड के रस के साथ पिया था. ये अच्छा होगा, अपने दामाद से गांड मरवा कर उसकी पानी पियूँगी."

"दीदी, आपको अपनी गांड मरवाने के और दूसरों की गांड से पानी पीने के सिवाय कुछ और भी सूझता है?" जॉय ने थोड़ा चिढ़कर कहा. "हम लोग यहाँ गंभीर बात कर रहे हैं. प्लीज."

"सॉरी, मैं अपनी ख़ुशी नहीं संभल पायी." सुमति ने सहम कर कहा.

"अरे बुआ, तुम क्यों ऐसा सोचती हो. तुम्हे अपनी सुहागरात में अपनी गांड से कामरस पिलाऊंगी. चाहे वो जो भी हो." सागरिका सुमति के होंठ पर हल्का सा चुम्बन लेकर बोली.

"मेरी प्यारी गुड़िया." सुमति भाव विभोर हो उठी.

"तो करना क्या है?" जॉय ने पूछा.

"पहले पार्थ से बात करो. फिर समर्थ को उसके परिवार के सहित मिलने के लिए आमंत्रित करो. पर पार्थ की सहमति के पश्चात्."

"ठीक है. अब देर हो रही है, पार्थ से सुबह बात करेंगे. फिर देखते हैं."

"पापा, अगर आपको मेरी स्वीकृति चाहिए तो मैं अपनी हाँ अभी से देती हूँ. लड़का सुन्दर और सशक्त है, धनी परिवार से है, ११" लम्बा लंड लेकर घूमता है, अपनी माँ और नानी को चोदता है, और तो और मेरी मम्मी को पसंद है. प्यार साथ रहने से अपने आप ही पनप जायेगा."

"ठीक है. मुझे ख़ुशी है. अब कल पार्थ से समझ लें फिर निष्कर्ष निकालेंगे."
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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सुप्रिया का घर:


सुबह नाश्ते के लिए सुप्रिया निखिल और नितिन के साथ बैठी थी. तीनों अपने अपने काम पर जाने के लिए तैयार थे.

तभी सुप्रिया ने निखिल से पूछा, "तुम कहीं इंटरव्यू के लिए गए थे? नाना तुम्हें कब से हमारी कंपनी में आने को कह रहे हैं, वो क्यों नहीं करते."

"रिलैक्स मॉम. मैं आप लोगो के साथ ही काम करने वाला हूँ, बस कुछ दिन रुक जाओ. और जहाँ मैं गया था वो कोई नौकरी नहीं है."

"तो क्या है."

"एक क्लब है जहाँ जवान लड़के मध्यम आयु और उससे अधिक की महिलाओं का मनोरंजन करते हैं."

"और तुम उसमे कैसे चले गए?"

"पार्थ ने मुझे बताया था, वो क्लब में नए लड़कों को हर महीने शामिल कर रहे हैं, क्योंकि माँग बहुत है, तो उसने मुझसे पूछा था. और उस क्लब में प्रवेश के लिए लंड कम से कम १०" का होना चाहिए."

"और इस मानक पर तो तुम दोनों ही पूरे उतारते हो. फिर क्या हुआ?"

"क्या आप जानती हो कि उस क्लब में पार्थ की पार्टनर कौन है?"

"कौन?"

"उसकी मामी शोनाली."

"इंटरेस्टिंग."

"और मेरा इंटरव्यू शोनाली आंटी ने ही लिया था."

"ओके, वैरी वेरी इंटरेस्टिंग."

"इंटरव्यू क्या था मेरी चुदाई की क्षमता की परीक्षा थी. उनके मुंह, चूत और गांड तीनों को चोदना था."

"और उसमे तो तुम वैसी की बहुत काबिल हो."

"हाँ, पर मेरा कुछ और भी मानना है. शायद उनके घर में भी हमारी ही तरफ खुली चुदाई का वातावरण है."

"वैरी वैरी इंटरेस्टिंग."

"मुझे लगता है शोनाली या उनके घर से कोई संपर्क करेगा."

"तुमने क्या हमारे बारे में बता दिया?" सुप्रिया भड़क उठी.

"रिलैक्स, मॉम सामने वाले ने भी तो कुछ बताया होगा. वैसे भी उनका भी राज हमारे पास है."

"ओके. तुम्हारे नाना बहुत गुस्सा होने वाले हैं."

"मैं नानी से कहकर उन्हें मना लूंगा. नितिन से भी सहायता ले लूंगा मनाने के लिए."

"तुम्हारे मनाने का तरीका मुझे पता है. सौ प्रतिशत सफलता की कुंजी है. चलो मुझे देर हो रही है. शाम को मिलेंगे."


शोनाली का घर:


उधर शोनाली के घर भी सब नाश्ता कर रहे थे. सभी अच्छे मूड में थे और हंसी मजाक चल रहा था.

पार्थ ने सुमति से पूछा,"क्यों माँ, कल का स्वाद कैसा था?"

इससे पहले कि अन्य लोग समझते कि किस बारे में बात हो रही है, सुमति बोल पड़ी, "बहुत अच्छा था, शोनाली की गांड से पीकर मन खुश हो गया. किसका था?"

ये आखिरी सवाल उसने जॉय और सागरिका की ओर देखकर पूछा था, ये इशारा था कि बात करो.

"मेरा दोस्त है निखिल, क्लब में कल ज्वाइन किया है."

जॉय,"पार्थ, हम कल रात बात कर रहे थे. संभवतः निखिल के घर में भी हमारे जैसा पारिवारिक वातावरण है."

पार्थ, "मैं जानता हूँ. क्लब में लाने के पहले हम जो जाँच करते हैं, उसमे इसकी सम्भावना जताई गई है."

जॉय,"शोनाली का ये मानना है कि वो सागरिका के लिए उचित रहेगा. विवाह के लिए."

पार्थ, "क्या! मामी एक बार की चुदाई में ही शादी तक पहुँच गयी?"

शोनाली, "नहीं पार्थ, चुदवायी तो मैं बहुतों से हूँ क्लब में, पर अगर उनके घर में भी चुदाई का यही वातावरण है, तो दोनों परिवार एक दूसरे के लिए सही रहेंगे. किसी को भी अपनी जीवन शैली बदलनी नहीं होगी."

पार्थ,"मामी, आप बोल तो सही रही हो. बात बन भी सकती है. सागरिका ने क्या कहा?"

सागरिका, "दादा, मैं सहमत हूँ."

पार्थ कुछ सोचते हुए, "मम्मी और मामी मेरे विचार से आप दोनों एक बार निखिल की मम्मी से बात करो. हो सके तो उनके ऑफिस ही चली जाओ."

शोनाली, "सुप्रिया क्यों? समर्थ से न पूछें?"

पार्थ, "उसकी माँ सुप्रिया आंटी हैं, समर्थ अंकल नहीं. अगर उन्हें आवश्यक लगेगा तो वो पूछेंगी उनसे. और आप दोनों जाना, इससे उन्हें विश्वास होगा की आप गंभीर हो."

शोनाली, "फिर?"

पार्थ, "अगर उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक रही तो शुक्रवार को चाय पर बुलाओ. इस शनिवार क्लब में कोई कार्यक्रम नहीं है. तो मैं उसे सप्ताहांत के लिए बंद कर देता हूँ. अगर बात बनती लगे तो सप्ताहांत दोनों परिवार साथ गुजारेंगे। इससे अगर कोई भी संदेह हो कि आगे सम्बन्ध कैसे रहेंगे वो स्पष्ट हो जायेगा."

शोनाली, "ठीक है"

सुमति से अब रहा नहीं गया. वो बड़ी पुलकित स्वर में बोल ही पड़ी,"उड़ी बाबा, ये शनिवार तो मुझे खूब खाने मिलेगा."

सबने उसे एक अजीब निगाहों से देखा फिर हंसने लगे.


सुप्रिया का ऑफिस:


सुप्रिया अपने काम में व्यस्त थी जब उसका फोन बज उठा. उसने अनजान नंबर देखकर काट दिया. पर कुछ ही मिनटों में उसके ऑफिस का फोन घनघना उठा.

"हैलो। "

"सुप्रिया जी, मैं शोनाली बोल रही हूँ, संभ्रांत नगर के ५ नंबर घर से."

"हैलो शोनाली जी, कैसी हैं आप?" सुप्रिया ने पूछा. उसने निखिल से हुई उसकी सुबह की बात के बारे में सोचा,"वैरी इंटरेस्टिंग."

"मैं अच्छी हूँ. हम आपसे मिलना चाह रहे थे. क्या हम आ सकते हैं?"

"हम से आपका क्या मतलब है, और कौन."

"मेरी नन्द, सुमति भी आएंगी."

"ओके, आप लोग दोपहर ३ बजे आ जाएँ. तब चार बजे तक आपके साथ रह सकती हूँ."

"ठीक है, हम पहुँच जायेंगे. धन्यवाद."

"मुझे प्रसन्नता होगी." ये कहकर सुप्रिया ने फोन काट दिया।

वो सोचने लगी कि आखिर क्या बात हो सकती है. फिर अपनी सेक्रेटरी से तीन से चार बजे तक का समय बुक करने का बताकर उसने अपना ध्यान अपने काम की ओर लगा दिया. दोपहर के तीन बजे सेक्रेटरी ने बताया कि उससे मिलने दो महिलाएं आई है. सुप्रिया ने उन्हें भेजने का आग्रह किया और तीन कॉफ़ी लाने के लिया कहा. कुछ ही क्षणों में शोनाली और सुमति अंदर आये। शोनाली तो सुप्रिया से कई बार मिली थी और उसने आगे बढ़कर उससे हाथ मिलाया. पर सुमति सुप्रिया की सुंदरता से हतप्रभ रह गई. जब उसने सुप्रिया का हाथ अपने हाथ में महसूस किया तो वो अपनी तन्द्रा से निकली.

"क्या देख रही हैं, दीदी?" सुप्रिया ने उसे पुकारा.

"आप बहुत सुन्दर हो. बहुत सुन्दर."

"धन्यवाद, पर आपसे फिर भी कम ही लगूंगी इस मेकअप के बिना." सुप्रिया ने विनम्रता से कहा. "आइये बैठते हैं. अभी कॉफ़ी भी आ रही है. आप कॉफ़ी ही लेंगीं न, या कुछ और बोलूँ। "

"नहीं, कॉफ़ी ही सही है."

फिर तीनों बातें करने लगीं और जैसा स्त्रियों का स्वभाव है, बिना किसी विषय पर कॉफी आने तक उन्होंने १० मिनट बातें कर ली थीं. उसके बाद उन्होंने कॉफ़ी पीते हुए कुछ और हल्की फुल्की बातें की. कॉफ़ी समाप्त होने पर सुप्रिया ने सेक्रेटरी से ऑफिस बॉय से टेबल क्लियर करने को बोला। जब वो चला गया तो अपने पास पड़े रिमोट से सुप्रिया ने कमरा लॉक कर दिया.

"अब मेरी आज्ञा के बिना यहाँ कोई नहीं आएगा. अब बताइये आप मुझसे किसलिए मिलने के लिए उत्सुक थे." सुप्रिया ने शोनाली की आँखों में झांककर पूछा.

"हम अपनी बेटी सागरिका के लिए कोई योग्य लड़का देख रहे हैं." ये कहकर शोनाली ने अपने पर्स में से एक लिफाफा निकला और सुप्रिया को थमा दिया.

सुप्रिया ने खोला तो उसमें सागरिका के विभिन्न परिधानों में फोटो थे.

"आपकी बेटी बहुत सुन्दर है. जिस घर में जाएगी वहाँ चार चाँद लगा देगी."

"हमारा भी यही मानना है. और हम ये इच्छा रखते हैं कि वो आपके घर में चाँदनी लाये."

सुप्रिया भौंचक्की रह गई. उसने ये तो सोचा ही नहीं था.

"पर, पर.." सुप्रिया सोच रही थी कि उनके राज पर जो पर्दा इतने सालों से पड़ा है वो कहीं खुल न जाये.

"हम सब भी उसी प्रकार कौटुंबिक प्रेम में विश्वास रखते हैं, जिस तरह संभवतः आप." ये कहकर शोनाली थोड़ी झिझकी, फिर उसने सुमति की ओर देखा तो सुमति ने सहमति में सिर हिलाया. शोनाली ने अपने पर्स से एक और लिफाफा निकला और सुप्रिया के हाथों में दिया.

इस बार सुप्रिया और भी आश्चर्य चकित हो गई. ये सागरिका की नंगी तस्वीरें थीं जिसमे वो अपने ही परिवार के सदस्यों के साथ संभोगरत थी. इन तस्वीरों में सागरिका के हर छेद की चुदाई के दृश्य थे.

"हम्म्म्म" सुप्रिया ने उन तस्वीरों को वापिस लिफाफे में रख दिया और सोच में पड़ गई.

उनकी जीवन शैली के अनुरूप लड़की मिलना बहुत कठिन था. सागरिका का रूप देखकर उसकी आंखे चौंधिया गयी थी. उसे विश्वास था कि निखिल और नितिन दोनों को वो अच्छी आएगी. पापा और मम्मी को भी न अच्छी लगने जैसी कोई बात थी नहीं. फिर परिवार धनी था तो किसी प्रकार से कोई समस्या आनी नहीं चाहिए थी.

"मुझे निखिल और अपने परिवार में बात करनी होगी. मुझे स्वयं से कोई कठिनाई नहीं लगती. पर हमें उन दोनों की आपस में और हमारे परिवारों की अनुकूलता देखनी होगी."

"हम समझते है. समाज में हमारी जीवन शैली प्रकट न हो, इसके लिए हम भी बहुत सावधान रहते हैं. आप सोचें और विचार करें." ये कहकर शोनाली ने दूसरा लिफाफा अपने पर्स में रख लिया.

सुप्रिया: "ठीक है. अब एक बात बताइये."

शोनाली: "अवश्य"

सुप्रिया: "क्या ये आपके कल निखिल के साथ समय बिताने का परिणाम है."

शोनाली: "आप किस प्रकार की भाषा में सुनना पसंद करेंगी."

सुप्रिया: "गन्दी और सटीक."

शोनाली: "हाँ, कल जब निखिल ने मुझे चोदा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जो अनुपम था. उसने मेरी चूत को जिस ढंग से चोदा उससे कुझे ये विश्वास हो गया कि इतना सामर्थ्य बिना घरेलू प्रशिक्षण के नहीं आ सकता. उसके बाद जब उसने मेरी गांड मारी तो सच बताऊँ, मुझे आकाश गंगा का भ्रमण करा दिया. क्या चोदता है, अभी भी उस समय को सोचकर मेरी चूत और गांड में खुजली हो रही है."

शोनाली ने बात जारी रखते हुए कहा: "तब मैंने ये निश्चय किया कि अगर संभव हुआ तो मैं अपनी बेटी से निखिल का विवाह कराऊंगी जिससे वो इस सुख को जब चाहे पा सके."

सुप्रिया: "आपकी बात सही है. मेरे बेटों के लंड का ध्यान आते ही, मेरी भी चूत और गांड खुजलाने लगते हैं. वैसे तो मैं इसके लिए अपने साथ एक डिल्डो रखती हूँ, पर आज सोच रही हूँ की लड़के की माँ होने का लाभ उठाऊँ."

सुप्रिया अपनी पैंट निकलकर एक ओर बहुत सजा कर रख देती है. फिर अपनी पैंटी भी उतार देती है. अपने ऊपर के कपडे वो नहीं छूती.

"आपने अच्छा किया कि आप दोनों साथ आये. आपमें से एक अपने मुंह और जीभ से मेरी चूत की गर्मी शांत करेगा और दूसरा मेरी गांड की. क्या आप ये करेंगी?"

"दीदी को गांड अधिक प्रिय है, तो वो आपकी गांड की शांति करेंगी. मैं आपकी चूत को चाटकर आपको आनंद दूंगी." शोनाली ने कालीन पर लेटते हुए कहा. "आइये."

सुप्रिया ने बिना देरी किये अपनी चूत को शोनाली के मुंह पर रख दिया और शोनाली उसे बहुत ही प्रेम से चाटने लगी. और कुछ ही क्षणों में उसकी जीभ सुप्रिया की गुलाबी चूत के अंदर विचरण कर रही थी. सुप्रिया ने एक संतुष्टि की सांस ली. तभी उसने अपनी गांड पर किसी की सांसों की दस्तक महसूस हुई. फिर किसी की जीभ ने उसकी गांड के भूरे सितारे पर अपनी जीभ फिराई। सुप्रिया के शरीर में एक आनंद की लहर दौड़ गई.

सुमति गांड चाटने में बहुत पारंगत थी. उसका विश्वास था कि वो किसी को भी (पुरुष या स्त्री) को बिना छुए सिर्फ उसकी गांड चाट कर झड़ा सकती थी. सुमति सुप्रिया की गांड चारों ओर चाटती फिर उस पर फूंक मारती और जब इस फूँक से गांड चुलबुला जाती तो फिर से चाटने लगती. फिर उसने दोनों नितम्बो को पकड़कर बाहर की ओर धकेला, जिससे की गांड का छेद खुल कर सामने आ आया. सुमति ने अपने मुंह से थोड़ी लार उस छेद में डाल दी. सुप्रिया कांप गयी. फिर सुमति ने अपनी जीभ को अंदर डालकर उसे घुमाना प्रारम्भ किया. सुप्रिया एक हल्की की चीख के साथ शोनाली के मुंह में झड़ गयी.

पर सुमति का मन कहाँ भरा था. वो किसी भूखी भिखारन की तरह सुप्रिया की गांड को अंदर बाहर से चूस और चाट रही थी. चाटना, चूसना, फिर फूँकना सब एक ऐसे कटिबद्ध क्रम में हो रहा था की सुप्रिया की स्थिति बेकाबू हो चुकी थी.

"बस बस, अब और नहीं. आप वाकई गांड चाटने में बहुत दक्ष हैं. मेरा पानी २ बार निकल गया है.”

नीचे से शोनाली ने हामी भरते हुए उसकी चूत पर अपना आक्रमण चालू रखा. होने वाली समधन को वो इस स्थिति में लाकर छोड़ना चाहते थे कि वो कुछ सोचने की अवस्था में न रह पाए. सुमति ने सुप्रिया की गांड पूरी फैलाई और अपना मुंह को उसके ऊपर लगा कर जोर से चूसा जैसे की कोई वैक्यूम क्लीनर करता है. अब सुप्रिया की हालत पस्त हो गई. वो भरभरा के एक बार और झड़ी और एक तरफ लुढ़क गयी.

कुछ देर अपने आप को सँभालने के बाद सुप्रिया ने कहा, "सुमति जी, आपके जैसा गांड का पारखी मैंने आज तक नहीं देखा. आप सच में अद्वितीय है."

सुमति: "आपके जैसी सुन्दर गांड को बिना चखे मैं कैसे रह सकती थी. आपकी गांड जितनी बाहर से सुन्दर है अंदर से उतनी ही स्वादिष्ट."

सुप्रिया: "आपको मम्मी बहुत पसंद करने वाली है. पर अब हमें उठना होगा थोड़ी ही देर में मेरी एक मीटिंग है."

शोनाली और सुमति उठे और अपने कपडे ठीक किये, उन्होंने उतारे तो थे ही नहीं. सुप्रिया ने जल्दी से अपनी पैंटी और पैंट पहने, और एक रूम फ्रेशनर से कमरे को सुगंधित कर दिया और सेक्स की गंध दबा दी.

"तो क्या हम शुक्रवार को मिल सकते हैं"

"लगभग तय समझिये. मैं आज रात या कल सुबह तक निश्चित कर दूँगी."

"ओके, बाय सुप्रिया जी. मुझे आशा है कि आप संतुष्ट हो गयी होंगीं."

"१००% से अधिक. मेरे विचार से हम शीघ्र ही संबंधी बन सकते हैं."

ये सुनकर शोनाली और सुमति आनंदित और संतुष्ट होकर अपने घर की ओर निकल पड़े.
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शोनाली का घर:


सुप्रिया का फोन रात नौ बजे के आसपास आया. उसने बताया कि समर्थ, शीला और वो स्वयं शुक्रवार की शाम ७ बजे मिलने आएंगे. उसने ये भी बताया कि सुरेखा का आना अभी निश्चित नहीं है, अपितु संभव है. शोनाली के आग्रह पर उसने ड्रिंक्स और रात्रि भोज दोनों के लिए सहमति दे दी. निखिल की ओर से अभी स्वीकारोक्ति नहीं मिली थी पर उसने सीधे मना भी नहीं किया था, जो उसके विचार से सकारात्मक था. अभी केवल बड़े लोग मिलकर बातें करेंगे, वैसे भी शुक्रवार को अधिकतर युवा बाहर ही रहते हैं, तो उनकी खुल कर बातें हो सकेंगी.

शोनाली ने फोन रखकर ये शुभ समाचार प्रसारित किया तो सबके चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे. शोनाली ने पार्थ से क्लब में पार्टी के आयोजन के लिए पुष्टि की. पार्थ ने उसे बताया कि उसने सोनम और नूतन को दोनों दिन के लिए बुला लिया है. ये दोनों क्लब में ही कार्यरत हैं और कुछ विशेष परियोजनों में बुलाई जाती हैं.साथ ही कुछ रोमियो भी सहायक के रूप में उपस्थित रहेंगे.

ये सब विश्वासपात्र थे, जिन्हें पार्थ और शोनाली भली भांति जानते थे. इसी के साथ उसने श्रीमती सिमरन खन्ना को २० लोगों (जिसमे सहायक और अन्य शामिल थे) के खाने पीने का प्रबंध के लिए भी कह दिया है. सिमरन, जो एक केटरिंग कंपनी चलती थीं, भी क्लब की ही सदस्य थीं और इस प्रकार के प्राइवेट और गुप्त आयोजनों में उन्हें ही व्यवस्था दी जाती थी. हालाँकि उनके केवल बावर्ची ही रहते थे और परोसने का काम क्लब के सहायक और सहायिकाएं सिमरन के साथ करते थे.

क्लब का किचन क्लब के दूसरे हिस्से में था और गोपनीयता पर आंच आने का प्रश्न नहीं था. हालाँकि उसे सिमरन को शुक्रवार को बताना होगा। जब शोनाली को विश्वास हो गया कि सब कुछ नियंत्रण में तो वो जॉय के पास जाकर बैठ गयी.

"सोचो, अब सागरिका की शादी हो जाएगी और वो चली जाएगी." उसकी ऑंखें भर आयीं।

"दूर नहीं है, और ये भी देखो कि हमें कितना अच्छा परिवार मिला है. अब सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा, शायद पहले से अच्छा."

"सच कहते हो. सब कुछ कितनी जल्दी हो गया."

"अभी कुछ हुआ नहीं है, बहुत आगे की मत सोचो. ये सोचो कि सम्भावना है."

तभी सागरिका और पार्थ सबके लिए शराब और खानपान ले आये और सब बैठ कर आगे आने वाले समय के बारे में सोचते हुए ड्रिंक्स लेकर खाना खाये और फिर सोने के लिए चले गए.


क्रमशः
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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Re: कैसे कैसे परिवार

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खेल कक्ष:

कमरा बंद होने के बाद सब लोग बार की ओर बढ़े और अपने लिए अपनी पसंद की ड्रिंक बनाई. सब अपनी ड्रिंक पीते हुए बातें कर रहे थे. निखिल सागरिका से उसके भविष्य के बारे में पूछ रहा था. दोनों अपनी पसंद और नापसंद के बारे में भी बात कर रहे थे.

तभी समर्थ की आवाज आयी जिसने सबको उनकी ओर आकर्षित किया, "बातें तो और भी समय होती रहेंगीं. मेरे विचार से हम यहां बातें करने नहीं बल्कि ये जानने के लिए आये हैं कि हमारे परिवार एक दूसरे के कितना अनुरूप हैं. और अगर मैं गलत नहीं हूँ तो इसका अर्थ ये है कि हम एक दूसरे को चुदाई में संतुष्ट कर सकते हैं या नहीं."
सबने हाँ में हाँ मिलाई।
"तो फिर क्या करना है?"
"पापा, मैंने सोच रखा है. आप कहें तो बताऊँ?" सुप्रिया ने समर्थ के पास जाकर कहा.
"तुमने सब सोच रखा होगा, ये तो मैं जानता हूँ. अब हम सबको भी बताओ." समर्थ ने उसे अपनी बाँहों में लेकर उसके होंठों को चूमकर उत्तर दिया.

"पापा, आप हम सबसे बड़े है, तो अपनी होने वाली बहू पर सबसे पहले आपका ही अधिकार बनता है. इसीलिए सागरिका आपके साथ रहेगी." सुप्रिया ने बताया, "सागरिका, जाओ तुम नानाजी की पास जाओ."
सागरिका शर्माती हुई समर्थ के साथ खड़ी हो गई.

"अब मम्मीजी सबसे बड़ी है, तो इनको मैं पार्थ का साथ देती हूँ. पार्थ नानी जी के पास जाओ."
पार्थ जैसे ही शीला के पास पहुंचा शीला ने उसे अपनी बाँहों में भींच लिया.

"शोनाली और निखिल एक दूसरे का स्वाद ले चुके हैं, इसीलिए मैं निखिल को सुमति के साथ करती हूँ."
निखिल सुमति के पास गया. सुमति की तो आंखे ही चौंधिया गयीं.

"शोनाली को मैं अपने दूसरे बेटे नितिन का साथ देती हूँ, उसे पता होना चाहिए की मैं इतनी खुश और संतुष्ट कैसे रहती हूँ." नितिन ने शोनाली हो अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ चूम लिए.

"और मैं अपने आपको अपने समधी जॉय के हवाले करती हूँ. मुझे आशा है की वो अपना रिश्ता पक्का करने मैं मेरी सहायता करेंगे."जॉय सुप्रिया के पास आया और उसके हाथों को लेकर उन्हें चूम लिया.

पार्थ ने तभी घोषणा की, "जैसे ही हमने कमरा रिमोट से बंद किया है, सारे कैमरे चालू हो चुके हैं और हम सबका ये खेल रिकॉर्ड हो रहा है. अगर इसमें किसी को आपत्ति हो तो बताये, मैं उसे रोक दूंगा."
किसी ने आपत्ति नहीं जताई.
समर्थ ने अपनी दबंग आवाज में कहा, "अब इन कपड़ों की क्या आवश्यकता है?" ये कहकर उसने अपने कपडे उतार दिए और नंगा हो गया.

उसका अनुशरण करते हुए अन्य लोग भी अपने कपडे उतार कर खड़े हो गए. शोनाली ने एक ओर लगी कपड़ों की अलमारी की और इशारा किया और सबने एक एक करके अपने कपडे उसमें लटका दिए. समर्थ ने सागरिका का हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सोफे पर बैठा दिया.

समर्थ: "देखें तो कैसा रस है हमारी होने वाली बहुरानी का. बेटी तुम्हारी चूत तो देखने से ही बहुत मीठी और रसीली लग रही है.. मैं स्वाद चख लूँ तुम्हारा?"
सागरिका: "नानाजी, आपकी ही चूत है, जैसा मन हो वैसा कीजिये."

समर्थ नीचे बैठकर ने सागरिका के दोनों पांव अपने कन्धों पर रखे और अपना मुंह सागरिका की जांघों के बीच डाल दिया. सभी लोग ठहर कर ये दृश्य देख रहे थे. तभी शीला ने पार्थ के लौंड़ों को हाथ से पकड़ा और उसे लेकर सोफे पर बैठ गई. अब शीला सागरिका के साथ बैठी थी, पार्थ ने अर्थ समझ कर शीला के आगे घुंटने तक दिया और अपना मुंह समर्थ जैसे ही शीला की जांघों में छुपा लिया. अन्य सभी यही विधि अपनाने के लिए अग्रसर हुए और कुछ ही क्षणों में जॉय सुप्रिया की, नितिन शोनाली की और निखिल सुमति के बीच में मुंह छुपा लिए. सभी स्त्रियां एक लाइन में बैठी थीं और सभी पुरुष उनकी चूतों में सिर घुसाए हुए थे.

शृंखला कुछ इस प्रकार से थी:
सागरिका - समर्थ, शीला - पार्थ, सुमति - निखिल, सुप्रिया - जॉय और शोनाली - नितिन.

हर पुरुष अपनी साथिन को अधिकतम मौखिक सुख देने का प्रयास कर रहा था. चूतें चाटी और चूसी जा रही थी.
उँगलियाँ चूतों में कहीं धीमी तो कहीं द्रुत गति से विचरण कर रही थी. कहीं जीभ चूत के पपोटों के साथ गाँड के भूरे सितारे को भी गीला कर थी. कहीं भगनासे को इस तरह निचोड़ा जा रहा थे कि उसकी मालकिन थरथरा उठती थी.
किसी ने चाटने के साथ एक ऊँगली चूत और एक गाँड में दाल रखी थी.

कहने का तात्पर्य ये है की हर पुरुष अपनी क्षमता का परिचय अपने नए साथी को कराना चाहता था. और ये कहना उचित होगा की ऐसा ध्यान पाने से महिलाएं आनंद की लहरों पर डोल रही थीं. पूरा कमरा अब स्त्रियों की सीत्कार और सिसकारियों से गुंजायमान था. हर स्त्री कुछ न कुछ बोल रही थी पर इस वातावरण में किसके मुंह से क्या निकल रहा था ये किसी को समझ नहीं आ रहा था.

हर पुरुष का चेहरा इस समय कामरस से भीगा हुआ था और स्त्रियों ने अपना पानी छोड़ने में कोई कंजूसी नहीं की थी. जब स्त्रियाँ शांत पड़ीं तो पुरुष अपना चेहरा उठाकर उनकी ओर देखने लगे. सबकी आँखों में संतुष्टि के भाव देखकर सभी पुरुषगण गर्व से फूल गए. फिर समर्थ उठे और उन्होंने शीला के पास जाकर उसका एक गहरा चुंबन लिया.

"ले भागवान, चख ले अपनी होने वाली बहू की चाशनी, बहुत मीठी है अपनी बहू."
"सच में बहुत मीठी है, पर मैं तो बाद में स्रोत से ही पियूँगी, तभी प्यास बुझेगी।" ये कहकर शीला ने अपने साथ बैठी सागरिका को अपने पास खींचा और उसके मुंह में मुंह डालकर उसे चूम लिया. "सच बेटी, बहुत दिन से किसी जवान लौंड़ोंकी का रस नहीं पिया, ये बुढ़िया तरस गई थी."

"नानी, आप कहाँ से बूढ़ी हो गयीं. और आप जब चाहे मुझे बुला लेना में आकर आपका भी रस पियूँगी और अपना भी पिलाऊंगी."
"बहुत अच्छे संस्कार दिए है शोनाली ने तुम्हें."

उधर समर्थ के कृत्य को संकेत मानकर पार्थ ने उठकर सुमति को चूमा, निखिल ने सुप्रिया को, जॉय ने शोनाली को और नितिन उठकर सागरिका के पास गया और उसका मन भर कर चुम्बन किया.
"देवर भाभी अभी से एक दूसरे से घुल मिल रहे हैं. इससे अधिक प्रसन्नता की क्या बात हो सकती है." शीला ने समीक्षा की.
"सच है माँ, ऐसा ही रहा तो घर स्वर्ग बन जायेगा."
"मैं जानती हूँ सुप्रिया दीदी, जिस घर में सागरिका जाएगी उसे स्वर्ग बना देगी." सुमति ने अपनी टिप्पणी की.

किसी को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी.

कुछ समय के लिए सबने एक विराम लिया और कुछ लोग बाथरूम गए, कुछ ने अपने लिए एक ड्रिंक बनाई. कुछ उस बड़े कक्ष में यूँ ही चहलकदमी कर रहे थे. फिर एक एक करके सारे पुरुष इस बार सोफे पर बैठे, शृंखला वही थी, बस इस बार पुरुष सोफे पर थे. उनकी साथी स्त्रियों ने उनके पांवों के बीच अपना स्थान ग्रहण किया. स्पष्ट था की इस बार मौखिक सम्भोग का आनंद पुरुष उठाएंगे. और इसी के साथ इस सामूहिक सहवास का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ.

स्त्रियों ने अपने साथियों के लौंड़ों को प्यार से चूसना और चाटना शुरू कर दिया. इनमें से कुछ तो इस कला की पारखी थीं और अपने साथी को वो स्खलन के द्वार पर लाकर रोक देतीं और कुछ समय बाद दोबारा वहीँ लेकर आ जातीं। उनके साथी एक आनंद और पीड़ा की दो धाराओं में सवार थे. इसकी अग्रणी थी शीला जिसका लौड़े चूसने का उतना ही अनुभव था जितनी सागरिका और पार्थ की मिलकर आयु. और दूसरी भला उसकी शिष्य पुत्री के सिवा और कौन हो सकता था. सागरिका की जो कमी अनुभव की थी वो उसे अपने उत्साह और ऊर्जा से पूरी कर रही थी. अब समर्थ का लौड़े को चूसने वाली वो कोई पहली तो थी नहीं, पर ये अवश्य स्पष्ट था कि वो उसे हर रूप में सुख और संतुष्टि देने का प्रयास कर रही थी. और समर्थ के चेहरे के भाव उसकी सफलता को दर्शा रहे थे.

पार्थ को अब ये समझ आ गया था की उसके लौड़े पर अब पूरा वश शीला का है. अब जब वो चाहेगी तभी उसका पानी छूटेगा.

पार्थ ने अपने साथ बैठे निखिल से पूछा, "तुम कैसे इनके इस आक्रमण से अपने आपको सँभालते हो?"
निखिल: "सँभालने की आवश्यकता ही क्या है? हम सेक्स को स्पर्धा नहीं समझते. कभी जल्दी झड़ने में कोई शर्म नहीं मानते. इसे हम आनंद का एक साधन मानते हैं. हममें से कोई एक दूसरे से जीतने का प्रयास नहीं करता."

निखिल के ये बात सुनकर चटर्जी परिवार को थोड़ी सांत्वना मिली. जॉय को तो जैसे दूसरा जीवन मिल गया. उन्हें अब किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं करना था. सिंह परिवार की तरह इन दो दिनों केवल आनंद की उबलब्धि के लिए व्यतीत करने थे. रिश्ता हो या नहीं ये दिन उन्हें सदैव याद रहने चाहिए थे. इस स्वीकारोक्ति ने उनके सभी सदस्यों को तनावमुक्त कर दिया. और इसका प्रभाव उनके उत्साह पर पड़ा जो चौगुना हो गया.

अपने लौंड़ों को अपने साथी के मुंह से चुसवाते हुए अब लगभग दस मिनट तो निकल ही चुके थे. और पुरुषगण अपना बीज गिराने के लिए तैयार थे. उनके लौंड़ों की नसों और सुपाड़े को फूलता हुआ महसूस करने पर ये पता चल गया की वे सब झड़ने की कगार पर है. महिलाओं ने अपने आप को आते हुए सुनामी के लिए तैयार ही किया था कि एक एक करके सारे लौंड़ों अपना पानी छोड़ने लगे. इस स्वादिष्ट प्रोटीन युक्त प्रसाद की भेंट अपने मुंह में स्वीकारते हुए स्त्रियों ने एक बूँद भी बाहर न गिरने दी. पीने के बाद उन्होंने अपने हिस्से के लौड़े को एक बार और प्यार से चाटकर साफ किया और फिर अपने पांवों पर खड़ी हो गयीं.

शीला ने सागरिका से पूछा, "कैसा लगा मेरे पति का स्वाद बहू ?"
सागरिका: "बहुत अच्छा नानी जी. अब मुझे आपकी सुंदरता का रहस्य पता चल गया है."
शीला ने सागरिका को अपने गले से लगा लिया.
शीला: "और भी हैं इसके राज, एक बार तू बहू बनकर आ तो जा, देख तेरी सास को इसकी जवानी ही इसका साथ नहीं छोड़ती."

इसी तरह एक दूसरे से सब बातें कर रहे थे. समर्थ जॉय को एक ओर ले गया.,
समर्थ: "जॉय, तुम इतने सहमे से क्यों हो."
जॉय: "जी, लड़की का बाप हूँ, कुछ गलती न हो जाये."
समर्थ: "इस सोच को अपने मन से निकाल दो, अपने घर की लक्ष्मी हमें दे रहे हो और हम से ही डरते हो. संबंधों में मिठास रहनी चाहिए, औपचारिकता और डर नहीं. हमारे साथ वैसे ही रहो जैसे रहते हो. तुम हमसे छोटे नहीं हो. क्या मैं गलत कह रहा हूँ?"
जॉय: "बिल्कुल नहीं. अपने मेरे दिल को जीत लिया, नानाजी." ये कहकर जॉय नानाजी के गले से लग गया.

फिर दोनों लौट कर रणक्षेत्र में आ गए, जहाँ अगले चरण की तैयारी चल रही थीं.

शीला ने समर्थ को जॉय साथ वापिस आते देखा तो आँखों के इशारे से पूछा कि सब ठीक है? समर्थ ने हल्के गर्दन के इशारे से बताया कि अब ठीक है. शीला ने चैन की साँस ली.

समर्थ: "तो मेरी प्यारी बहूरानी अब क्या चाहती है?"
सागरिका: "जो मेरे प्यारे नानाजी चाहते हैं. मेरी चूत में आपका लंड."
शीला: "देखा मेरी बहूरानी को, घर में आने के पहले ही सबका मन जीत रही है? क्यों जॉय, क्या कहते हो."
जॉय: "माँ जी, आप बिल्कुल सही कह रही हैं, इसका स्वभाव ही बहुत मिलनसार है. और अगर सामने कोई लंड तानकर खड़ा हो तो फिर ये संकोच नहीं करती. जितनी जल्दी हो सके उसे अपनी चूत या गाँड में ले लेती है."

समर्थ ने जॉय को थम्स अप करके शाबाशी दी और सागरिका को बाँहों में लेकर उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए. दोनों ऐसे एक दूसरे को चूम रहे थे जैसे पृथ्वी का अंत निकट हो. समर्थ के हाथ सागरिका के वक्षस्थलों पर रेंग रहे थे. फिर उसने अपने हाथ पीछे किये और सागरिका के दोनों नितंबों को भरकर निचोड़ दिया. सागरिका की एक हल्की सी कराह निकल गयी और उसने चुम्बन को और भी गहरा करने का प्रयास किया. पर समय अब चुम्बन का नहीं, चुदाई का था. तो समर्थ ने उसका हाथ लिया और जमीन पर लगे मोटे गद्दों में से एक पर उसे ले जाकर बैठा दिया. फिर उसके साथ खुद बैठ चुम्बनों का आदान प्रदान पुनः आरम्भ हो गया.

फिर समर्थ ने सागरिका को लिटा दिया और अपना मोटा लम्बा लंड उसकी कमसिन गुलाबी चूत के मुंहाने रखा.
समर्थ: "बहू, डाल दूँ?"
सागरिका: "अब सोचिये मत, बना लीजिये आज मुझे अपनी. चोद दीजिये ये चूत।"
समर्थ ने अपने लंड को सागरिका की चूत में उतारना शुरू किया और कुछ ३-४ मिनट में पूरा लंड उसकी चूत में बैठ गया.

शीला ने जॉय को जाकर एक गहरा चुम्बन दिया, "कितने सुन्दर लग रहे हैं न दोनों?"
जॉय, जो अब खुल चुका था, ने शीला की गाँड दबाते हुए उसके चुम्बन का उत्तर दिया, "सचमुच, मुझे विश्वास है कि चुदवाती हुई आप भी बहुत ही सुंदर लगती होगी."
शीला: "ये देखने मैं अब तुम्हे ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी होगी, आओ पार्थ, तुम्हारे मामा को मेरी चुदवाती हुई मुद्रा देखनी है."

ये कहकर शीला पार्थ को लेकर एक गद्दे पर जाकर बैठ गई.

सुमति ने निखिल, शोनाली ने नितिन को अपने अपने गद्दों पर बैठा दिया. सुप्रिया और जॉय दोनों देख रहे थे.
सुप्रिया: "कितना मनोरम दृश्य है."
जॉय: "अगर पारुल भी होती तो और सुन्दर होता."
सुप्रिया: "हाँ, पर देखा जाये तो फिर लौंड़ों की कमी पड़ जाती."
जॉय हंस दिया. "वो तो वैसे भी पड़ने ही वाली है. अगले हफ्ते वो वापिस जो आ रही है."
सुप्रिया: "जॉय, प्लीज उसे आने के बाद मुझसे मिलने भेजना."
जॉय: "अवश्य. पर अब हम अपने विषय में भी कुछ सोचें?" ये कहकर जॉय ने सुप्रिया को बाँहों लिया और चुम्बनों की बौछार कर दी.
उसका हाथ लेकर वो भी एक गद्दे पर बैठ गया. और फिर उसने चारों ओर देखा.

समर्थ अपने लंड को तीव्रता से सागरिका की चूत में पेल रहा था. वहीँ शीला के फैले हुए पांवों के बीच पार्थ का लंड उसकी चूत की गहराइयाँ नाप रहा था. सुमति ने निखिल को लिटा दिया था और वो उसके लंड पर सवार थी और आगे झुककर तेजी से अपनी गाँड उछालकर चुदवा रही थी. नितिन ने शोनाली को घोड़ी बनाया हुआ था और वो पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल रहा था. चारों महिलाएं सिसकारियों और घुटी हुई चीखों से अपने आनंद का प्रदर्शन कर रहे थे. जॉय ने ये सब देखकर सुप्रिया को खड़े स्थिति में ही आगे झुका दिया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़कर पीछे से उसकी चूत में एक ही झटके में लंड पेल दिया. अब पांचों जोड़े संभोगरत थे और आनंद में झूल रहे थे.

समर्थ: "जॉय, तेरी बेटी की चूत तो बहुत कसी है. बहुत मजा आ रहा है इसे चोदने में."
जॉय: "बाबू जी, आपकी बेटी की चूत भी कोई कम नहीं. क्या सट के जा रहा है मेरा लंड इसकी चूत में."
सागरिका: "नानाजी, थोड़ा और जोर से चोदिये न, आपका लंड बहुत मजा दे रहा है, थोड़ा और लम्बे धक्के मारिये. मेरी चूत फटेगी नहीं, सच में."

समर्थ ने ये सुनकर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी. इस उम्र में भी उसकी शक्ति देखने वाली थी. उसके लम्बे और गहरे धक्के सागरिका की चूत को भरपूर सुख दे रहे थे. उसका पानी अब तक दो बार छूट चूका था.

वहीँ शीला अपने आप को पूरी तरह से पार्थ को समर्पित कर चुकी थी. पार्थ अब उसकी बूढी चूत को प्रबल शक्ति से चोद रहा था. चूँकि शीला को इस प्रकार की चुदाई पसंद थी और वो इसकी रोज की दिनचर्या थी, वो इस नए लंड का भरपूर आनंद ले रही थी.

शीला: "बहुत अच्छा पार्थ, तू तो बहुत बढ़िया चुदाई करता है बेटा। मेरे नातियों के साथ मिलकर एक दिन तुम मेरे तीनों छेद सील करना."
पार्थ: "नानी, आप जब कहोगी मैं आ जाऊँगा. आपके बस बुलाने की देर होगी, मैं सब काम छोड़कर आपकी सेवा में उपस्थित हो जाऊँगा."
शीला की पनियाई हुई चूत अब पार्थ को वो घर्षण नहीं दे पा रही थी. तो उसने अपना लंड बाहर निकाला और गद्दे पर बिछे हुए बिस्तर के कपडे से उसकी चूत को पोंछ कर सुखा दिया और फिर वापिस अपना पूरा लंड एक ही झटके में डाल कर बेरहमी से चोदने लगा.
शीला: "वाह रे मेरे शेर, अब फटेगी मेरी चूत सही से. चोद मुझे हरामी. दम लगाकर चोद। "
पार्थ भी कहाँ पीछे हटने वाला था. उसने ऐसी चुदाई शुरू की जिसे देखकर कमजोर ह्रदय के व्यक्ति को दौरा ही पड़ जाता. पर शीला को इसमें असीम सुख मिल रहा था.

सुमति भी निखिल के लंड पर पूरे जोरशोर से उछल रही थी. निखिल का लंड उसके पार्थ के लंड के ही जितना बड़ा और चौड़ा था और उसे इससे बहुत संतुष्टि मिल रही थी. पार्थ उसको अब इतना समय नहीं देता था. घर में तीन और चुदने को तैयार चूतें जो थीं. उसे अब उसको किसी ने किसी के साथ बाँटना ही पड़ता था, अकेले माँ बेटे की चुदाई को बहुत समय हो गया था. पर आज निखिल से चुदने में उसे वही समय याद आ रहा था. और अभी नितिन भी तो था. अब भविष्य में उसे इन तीनों में से किसी न किसी के साथ अकेली रात मिल ही जाएगी. यही सोचकर उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी. वो आगे झुककर अपने मम्मी निखिल के मुंह में दबाकर उसके लंड पर जबरदस्त उठक बैठक कर रही थी. निखिल ने उसकी गाँड में एक ऊँगली डाली हुई थी जिससे वो उसके छेद को हल्के हल्के कुरेद रहा था.

सुमति फुसफुसा कर: "निखिल, मेरी गाँड जरूर मारना, उस दिन शोनाली की गाँड से तेरा रस पिया था, बहुत स्वादिष्ट था. पर मुझे अपनी गाँड से निकाल कर पीना है."

निखिल को याद आया की शोनाली ने अपनी गाँड को एक प्लग से बंद किया था क्लब में, जिससे उसका वीर्य बाहर न बहे. उसे समझ आ गया कि वो अवश्य सुमति के लिए सहेजी होगी. इतना प्यार और एक दूसरे का ध्यान रखने वाले परिवार की लड़की से शादी करने में कोई समस्या नहीं होने चाहिए.
निखिल: "बुआ, चिंता न करो. अब से मैं तुम्हें गाँड का इतना रस पिलवाऊंगा कि तुम्हारी सारी प्यास मिटा दूंगा. और नितिन और नाना से भी कहूंगा. आपके लिए अब कभी कमी नहीं होगी."
सुमति ये सुनकर बेहाल हो गई. उसकी गति अब कभी तेज तो कभी धीमी पड़ने लगी. ये समझकर कि शायद वो थक गई हो निखिल ने उसे पकड़कर एक करवट ली और सुमति अब नीचे थी और निखिल उसके ऊपर. अब तक निखिल सुमति के परिश्रम से ठहरा हुआ था पर अब उसने चूत में अपने लंडों को ऐसे पेलना शुरू किया कि सुमति का रोम रोम कांप गया.

शोनाली और जॉय भी अपने अपने साथी की पूरे जोश से चुदाई कर रहे थे. सुप्रिया की चूत इतने बार चुदने के बाद भी व्यायाम के कारण काफी कसी थी. और उसे चोदने में जॉय को बहुत आनंद आ रहा था. उसके साथ ही शोनाली नितिन को तेज चुदाई के लिए उकसा रही थी और नितिन अपनी पूरी ताकत उसकी चूत फाड़ने में झोंक रहा था.

पर आखिर ये सब कितनी देर चलता, एक एक करके सभी पुरुषों ने घोषणा की कि वो झड़ने वाले हैं. शीला ने सबको चेताया की चूत में कोई नहीं झड़ेगा बल्कि सब चेहरे पर अपना कामरस छोड़ेंगे. उसने महिलाओं को भी चेताया कि वो अपना मुंह बंद रखें और अपने चेहरे पर ही पूरा वीर्य इकठ्ठा करें. ये सुनकर जैसे जैसे जो झड़ने वाला होता वो अपने साथी के चेहरे के पास जाकर अपने लंडों की मुठ मरने लगता. सबसे पहले समर्थ की ही धार छूटी जिसने सागरिका के सुन्दर चेहरे पर गाढ़े सफ़ेद पानी का लेप कर दिया. उसके बाद जॉय ने सुप्रिया, निखिल ने सुमति, नितिन ने शोनाली और अंत में पार्थ ने शीला के चेहरे को अपने पानी से पोत दिया. शीला ने उसे अपने चेहरे और स्तनों पर अच्छे से माला और वही अन्य महिलाओं ने भी किया.

उसके बाद शीला उठी और सागरिका के पास जाकर उसका चेहरा और स्तन चाटकर साफ कर दिया और सागरिका से अपना चेहरा और स्तन चटवा लिए. फिर उसने बाकी तीनों महिलाओं के चेहरे और स्तन चाटकर साफ किये और अंत में लेट कर ऑंखें बंद करते हुए आनंद की अनुभूति करते हुए विश्राम करने लगी.

अन्य सभी लोग उठे और बार या बाथरूम की और अग्रसर हुए. कुछ ही देर में सब लोग वहीँ नंगे खड़े होकर अपनी अपनी ड्रिंक का पान करने लगे.

पार्थ: "नानी जी बहुत शांति से लेटी हैं. कोई परेशानी तो नहीं?"
समर्थ: "अरे नहीं, उसे लंडों का टॉनिक बहुत पसंद है. शराब से ज्यादा उसे इस टॉनिक से नशा होता है."
पार्थ: "सच में नानाजी, सबके अपने अपने स्वाद और पसंद होती है. मम्मी को गाँड मरवाकर उससे वीर्य पीना बहुत पसंद है. बल्कि हमारे यहाँ गाँड मारने के बाद उसका पूरा प्रसाद मम्मी को ही पिलाया जाता है."
समर्थ:" सुमति, लगता है अगले चरण में तुम्हे भरपूर भोजन मिलने वाला है. क्योंकि अगला राउंड गाँड खोलने का है."

सुमति की आँखों में एक चमक आ गयी जिसे देखकर कोई भी ये समझ सकता था कि वो इस समाचार से कितनी आनंदित हुई थी.

समर्थ ने शीला को पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहा. शीला ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और सुमति की ओर देखकर मुस्कुराई. सुमति झेंप गई तो शीला उसे अपने साथ अलग ले गई.
शीला: "समर्थ ने मुझे क्या बोले जानती हो?"
सुमति: "नहीं माँ जी."
शीला हँसते हुए बोली," उन्होंने कहा कि इस बार गाँड का पानी अकेले न पियूँ बल्कि इस बार तुम्हें पीने दूँ, फिर अगली बार मैं पियूँ."
सुमति आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगी.
शीला: "तुम क्या सोचती हो, तुम्हें ही सब उलटे शौक हैं. मेरे पास आना कभी मेरे देखोगी तो चौंक जाओगी."
सुमति: "माँ जी, इससे अधिक विकृत क्या हो सकता है?"
शीला ने सुमति को पास खींचा और उसके कान में कुछ कहा. सुमति की ऑंखें चौड़ी हो गयीं.
शीला: "इन सबका मजा लेना हो तो कभी आओ हमारी हवेली पर."
सुमति: "ज जज जज्जि माँ जी. आउंगी."
शीला: "चलो अब लंडों को तैयार करें, मेरी तो गाँड कल रात से खुजला रही है. समर्थ ने मुझे कल छुआ भी नहीं, अपनी ताकत बचने के लिए."
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
Masoom
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Re: कैसे कैसे परिवार

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उधर एक ओर शोनाली और पार्थ में भी कुछ गुप्त बातचीत चल रही थी. शोनाली उसकी बात से सहमत नहीं लग रही थी.
पार्थ: "मामी, मैं एक बार नानाजी से पूछ लूंगा अलग से. अगर उन्होंने सहमति दे दी, तब तो आपको कोई आपत्ति नहीं होगी न?"
शोनाली बेमन से मान गई.
पार्थ: "नानी बुला रही हैं, न जाने माँ के साथ क्या खिचड़ी पका रही थीं."
शोनाली: "बाद में पता चल जायेगा."

इसी के साथ सब अपनी ड्रिंक्स समाप्त कर चुके होते हैं और अगले चरण में प्रवेश के लिए कमर कस लेते हैं.

शीला: "अब गाँड मारने की बारी है. पर इसमें एक ही शर्त है. सारे मर्द पानी गाँड में ही छोड़ेंगे."
सबने अपनी स्वीकृति दी.

शीला ने आगे कहा, "और गाँड से निकला सूप ये मेरी सुमति को पिलायेंगे. तो ख़बरदार अगर किसी ने एक बूँद भी बाहर निकाला. ये सुनकर शोनाली चौंक गई. वो तुरंत दरवाजे के पास गई और बाहर खड़े एक सहायक से कुछ कहा. कोई ५-७ मिनट में सहायक ने उसके हाथ में कुछ थमा दिया.
शोनाली, "ये प्लग है जिससे गाँड का पानी बाहर नहीं निकलता. मैंने सबके लिए एक एक लिया है. और ये वेसलीन की ट्यूब, इतने बड़े लंडों हमारी गाँड में बिना वेसलीन के नहीं लेने वाले हम." ये कहते हुए उसने पांचों प्लग और वेसलीन की ट्यूब बाँट दिए.

समर्थ: "मैं चाहूंगा कि महिलाएं अपने साथी का लंडों चूस कर खड़ा करें. और इस बीच सुमति और शीला उनकी गाँड तैयार करें. बाद में सुमति शीला की गाँड तैयार करेगी."
जॉय: "पर सुमति दीदी का क्या होगा, और वैसे भी ये दोनों तीन गाँड कैसे तैयार करेंगे?"

इससे पहले कि समर्थ उत्तर देता शोनाली बोल उठी. "मेरे पास इसका भी उपाय है. बस ५ मिनट दो मुझे."
ये कहकर उसने टेबल से अपन मोबाइल उठाया और एक मेसेज भेजा. कुछ ५-७ मिनट में कमरे का एक दरवाजा खुला और उससे एक नंगी औरत ने प्रवेश किया. ये कोई और नहीं सिमरन थी. शोनाली ने उसके पास जाकर उसे उसकी भूमिका समझाई। सिमरन ने बेझिझक इस स्वीकार कर लिया. अब इस चरण की तैयारी हो चुकी थी.

समर्थ गद्दे पर बैठ गए और सागरिका अपने घुटनों पर उनकी जांघों के बीच आ गई. उसने अपनी गाँड ऊपर उठाकर समर्थ का लंडों अपने मुंह में ले लिया. शीला ने अपनी होने वाली बहू के पीछे स्थान लिया और उसकी जांघों से ऊपर चाटना शुरू किया.

जॉय ने अपना स्थान ग्रहण किया, फिर सुप्रिया ने सागरिका की तरह उसका लंडों अपने मुंह में लिया और सुमति उसकी गाँड की ओर अग्रसर हुई. नितिन और शोनाली ने भी अपनी स्थिति तय की और इस बार शोनाली की गाँड के पीछे सिमरन थी.

पार्थ और निखिल ने अपने लिए एक ड्रिंक बनाई और दोनों एक ओर खड़े होकर सामने चलने वाले सेक्स शो को देखने लगे. पार्थ को अपने क्लब के लिए एक नया आइडिया भी मिल गया. वो हर पार्टी में ऐसे शो अपने सदस्य और रोमियो से करवा सकता था. उसने मन ही मन नानाजी का धन्यवाद किया और निखिल के साथ खेल देखने लगा.

सागरिका इस समय समर्थ के लंडों की पूरी श्रद्धा से चुसाई कर रही थी. ऐसा लंडों का कोई अंश नहीं था जिसे उसे अछूता छोड़ा हो. उसे चाटने और चूसने में जैसे एक लालच का पुट था. जैसे कि वो कहीं खो न जाये. उसके पीछे शीला नानी उसकी चूत से लेकर गाँड तक चाटे जा रही थी. अब शीला एक अलग ही अनुभवी और पारखी औरत थी. उसने अपने जीवन का लम्बा समय किसी न किसी लंड के छोर पर ही बिताया था. और कुछ यही उनके मुंह की भी महिमा थी. वो लंडों, चूत हो या गाँड सबको इतने प्रेम से चाटती और चूसती थीं कि कोई बिरला ही उनसे स्पर्धा कर सकता था.

पर उनका मुख्य ध्यान सागरिका की गाँड पर ही था. उसकी गाँड के भूरे सितारे नुमा प्रवेश द्वार को वो अपनी उँगलियों से सहलाती और फिर चाट लेती. कुछ देर में उसने सागरिका की गाँड को दो हाथों से खोला और अपनी लम्बी जीभ को अंदर डालकर उससे ही जैसे उसे चोदने लगी. खुले छेद को थूक से भरकर उसने पहले दो फिर तीन उँगलियाँ अंदर डाल कर गाँड को थोड़ा चौड़ा कर दिया. फिर अपने हाथ से वेसलीन की ट्यूब लेकर लगभग एक चौथाई ट्यूब को गाँड के अंदर खाली कर दिया और दो उँगलियों से उसे अच्छी तरह से रगड़ रगड़ कर चिकना कर दिया. इस पूरे उपक्रम में गाँड का छेद अब काफी खुल गया था और समर्थ के लंडों के प्रवेश के लिए अब उचित था.

वहीँ दूसरी ओर सुमति जहाँ एक अनुभवी स्त्री थी पर उसका अधिक प्रेम गाँड से था. गाँड से सम्बंधित हर क्रिया की वो विशेषज्ञ थी. उसकी इस कला का एक नमूना सुप्रिया देख ही चुकी थी, और अब वो उस अनुभव के लिए दोबारा तैयार थी. बस इस बार उसके मुंह में जॉय का तमतमाया हुआ लंड था. सुमति उसकी गाँड खोलकर अपनी जीभ से ऐसे चाट रही थी जैसे किसी स्वादिष्ट व्यंजन खाने के बाद लोग थाली चाटते है. एक एक मिली मीटर को उसने चाट कर चमका दिया. और जब लगा की अब कुछ बाकी नहीं बचा है, तो वेसलीन की ट्यूब से गाँड को अच्छे से तर किया और उँगलियों से अच्छे से अंदर फैला कर अपने भाई के लिए तैयार कर दिया.

शोनाली नितिन के भरी लंड को दिल लगाकर चूस रही थी. साथ ही वो उसे अपने मुंह ने पूरी तरह लेकर अच्छे से गीला भी कर रही थी. उसके पीछे सिमरन को गाँड चाटने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, इसीलिए उसने सीधे से वेसलीन लगाकर शोनाली की गाँड को अच्छा चिकना कर दिया और तीन उँगलियों से छेद को चौड़ा भी कर दिया. ये गाँड अब चुदाई के लिए सबसे पहले तैयार हुई थी.

शीला ने सागरिका के नितम्ब पर एक हल्की चपत दी तो उसने समर्थ के लंड को अपने मुंह से निकाल दिया. समर्थ शीला के आगे खड़े हो गए और शीला ने वेसलीन से उनके लंड की अच्छी मालिश कर दी.

वहीँ जॉय और नितिन के साथ भी यही हुआ. अब तीन मोटे लंड तीन मखमली गाँड के लिए तैयार थे. शीला ने पार्थ को बुलाया और लिटा दिया. अब वो उसके लंड को चूम और चाट कर तैयार करने लगी. सुमति ने अपना स्थान शीला के पीछे लिया और अपना जादू दिखाना प्रारम्भ किया. शीला इस स्तर के गुदा प्रेम से अभी तक वंचित थी. कुछ ही क्षणों में उसकी गाँड इतनी उत्तेजित हो गई की रुकना असंभव सा लगने लगा. सुमति से उसकी मनस्थिति को समझा और गाँड में वेसलीन लगाकर तीन उँगलियों के प्रयोग से खोल दिया. फिर पार्थ उठकर पास आ गया और उसके लंड पर उसने बहुत प्रेम से वेसलीन लगाई.
सुमति: "बेटा, अच्छे से मारना नानी की गाँड, मेरी इज्जत का सवाल है. नहीं तो सब सोचेंगे कि मैंने तुझे कुछ सिखाया नहीं."
पार्थ: "अरे माँ, तुम चिंता न करो. नानी की मैं पूरे मन से सेवा करूँगा और उनकी गाँड का घी मथ दूंगा."

सुमति ने अब निखिल को अपने पास बुला लिया और उसके लंड पर जुट गई और सिमरन ने उसकी गाँड को तैयार करने का काम शुरू किया. कुछ ही देर में ये जोड़ा भी तैयार था. सिमरन ने सबसे विदा मांगी और बताया कि आधे घंटे में शाम का नाश्ता परोसा जायेगा.

समर्थ ने अपना लंड सागरिका की मुलायम गाँड पर रखा और बड़े ही प्रेम से अंदर धकेल दिया. प्लप्प की आवाज़ के साथ सुपाड़ा गाँड की झिल्ली को छेदते हुए अंदर चला गया. सागरिका थोड़ी कसमसाई पर आगे के लिए अपने को सँभालने लगी. अब उसकी गाँड पहली बार तो मारी नहीं जा रही थी, और पार्थ के लंड को भी वो ले चुकी थी. पर गाँड मरवाना थोड़ा ज्यादा पेचीदा होता है. समर्थ पर इस कला के पारखी थे. न जाने कितनी ही गाँड उनकी इस कला से परिचित थीं. वो अविरल बिना रुके अपने लंड को बहुत हल्के से गाँड में उत्तर रहे थे. सागरिका साँस रोके इस प्रहार के समाप्त होने की राह देख रही थी. उसे अपनी गाँड धीरे धीरे भरती हुई महसूस हो रही थी. अचानक ये प्रगति रुक गई. उसने समर्थ को आगे झुककर उसकी गर्दन पर चुम्बन लेते हुए महसूस किया.

फिर फुसफुसाते हुए समर्थ ने कहा,"बहू तुमने तो मेरा पूरा ही लंड ले लिया आसानी से." ये कहकर एक झटका मारा तो रहा सहा लंड भी जड़ तक जाकर बैठ गया. इसके साथ ही समर्थ ने सागरिका की चूत पर एक हाथ रखकर उसे मसलने के साथ गाँड में अपने लंड की चहलकदमी शुरू कर दी. धीरे धीरे उन्होंने अपनी गति बढ़ाई और उसी गति से सागरिका की चूत की रगड़ाई भी. सागरिका तो जैसे पागल ही हो गई, वो लगातार झड़ रही थी. न जाने कितना पानी था उसके शरीर में जो चूत के रास्ते बहा जा रहा था. समर्थ ने अपने पूरे जोश से सागरिका की गाँड यही कोई १० मिनट तक मारी और फिर एक ओर रखे प्लग को उठाया और अपना पानी सागरिका की गाँड में छोड़ दिया. लंड सिकुड़ जाने के बाद धीरे से बाहर निकालते हुए प्लग जो गाँड ने डाल कर उसे सील बंद कर दिया. सुमति के लिए पहला पकवान तैयार था.

पार्थ ने शीला की गाँड में अपना लंड टिकाया और एक बार जैसे ही प्रवेश हुआ उसने लंडों बाहर खींचकर एक लम्बे झटके में पूरा एक ही बार में पेल दिया. अब शीला की गाँड इतनी बार पिल चुकी थी कि उसे उसमें भी मजा ही आया. वो आनंद से चीख पड़ी.

शीला: “वाह रे मेरे शेर. फाड़ दे ये गाँड, मिटा दे इसकी खुजली. कल से लपलपा रही है लंड के लिए. तेरे नाना ने तो कल छुआ भी नहीं मुझे. आज के लिए बचा रहा था. अच्छे से चोद, चिंता न कर फटेगी नहीं. बहुत राही इस रास्ते से गुजर चुके हैं. जरा जोर से और कस के मार. हाँ यूँ अब आया मजा. बहुत अच्छा लंड है रे तेरा. सुमति, तेरी किस्मत कितनी अच्छी है जो ऐसे लंड वाले लड़के को पैदा किया.”

बस यूँ ही बोलते हुए शीला की चूत भी पानी छोड़ रही थी. पार्थ ने अपनी दो उँगलियों में भग्नासे को पकड़ कर मसल दिया. शीला चीखकर झड़ गयी. पार्थ उसकी गाँड पूरी बेरहमी से मार रहा था, और शीला को यही पसंद था. अगर गाँड मरवाने में आंसू न निकलें तो मारने वाले की औकात पर बात आ जाती है. पर पार्थ उसे उसकी इच्छा से अधिक गहराई और वहशी तरीके से चोद रहा था. पर आखिर कितनी देर टिकता. १० मिनट की इस भयंकर चुदाई के बाद पार्थ ने बताया की वो झड़ने वाला है. अपना पानी छोड़कर, उसने अपने लंड को निकला और प्लग से शीला की लगभग फटी गाँड को सील कर दिया. सुमति के लिए दूसरा पकवान तैयार था.

लगभग उसी समय जॉय ने भी अपना माल सुप्रिया की गाँड में उड़ेल दिया और उसे भी सुमति के भोज के लिए पैक कर दिया। शोनाली की गाँड नितिन ने भर कर पैक कर दी. अब सुमति के लिए एक ही व्यंजन चार स्वाद में परोसने के लिए तैयार थे. प्रतीक्षा थी तो सुमति की जिसकी गाँड में अभी भी निखिल का लंड अपनी पूरी कलाबाजियां दिखा रहा था. पर कुछ ही देर में उसने भी सुमति की गाँड को सींच दिया और उसे भी प्लग लगाकर पैक कर दिया.

अभी सारी महिलाएं अपने घुटनों पर ही थीं और सबकी गाँड अभी भी उठी हुई थी. शीला ने पहल करते हुए सुमति को घुटनों के बल बैठने को कहा. उसके बाद उसने एक एक करके सारे आदमियों को आगे करते हुए शीला से उनके लंडों चटवा कर साफ करवाए. फिर उसने निखिल को इशारा करके एक पेग बनाने को कहा और उसे एक बाउल (बड़ी कटोरी) में लाने को कहा. निखिल समझ गया और लेने चला गया.

शीला: “सुमति, आज मैं तुम्हे ये रस पीने का एक और तरीका सिखाती हूँ.”
निखिल ने वो शराब (लगभग २ पेग के बराबर) से भरा कटोरा जमीन पर रखा.

शीला ने उसके ऊपर निशाना साधा और अपनी गाँड से प्लग निकाल कर रुका हुआ वीर्य कटोरे में छोड़ दिया.
एक एक करके चारों महिलाओं ने अपनी गाँड में थमा वीर्य उस कटोरे में डाल दिया. अंत में बारी आयी सुमति की तो उसने देखा कि सब उसकी ही ओर देख रहे हैं.

“अरे माँ, देखो नानी ने तुम्हारी पसंद के खाने को एक नए अंदाज में बनवाया है.”

अंततः सुमति ने भी अपनी गाँड से कामरस उस कटोरे में भर दिया. जब ये सब चल रहा था तो नितिन और सागरिका सबके लिए नए ड्रिंक्स बना कर ले आये थे. अब ९ नंगे लोग अपने हाथों में ग्लास थामे खड़े थे. सुमति ने कांपते हाथों से अपना शराब, वीर्य और गाँड के रस का कॉकटेल उठाया.

“चियर्स!” सब ने जोर से चिल्लाकर सुमति को प्रेरित किया और अपने ग्लास एक बार में ही खाली कर दिए. सुमति ने भी अपना प्याला अपने मुंह से लगाकर गटागट पीना शुरू किया. पर अधिक होने के कारण पूरा नहीं पी पायी. बाकी जो बचा वो उसने अपने चेहरे पर डाल कर उसे कॉकटेल से धो दिया.

“कीमती पेय की बर्बादी.” ये कहकर शीला उसके पास आयी और उसकी ठुड्डी से लेकर ऊपर तक चाटकर खुद पी लिया.

“क्यों सुमति, कैसा लगा स्वाद?”
“अच्छा था, पर तुम लोग उसमे इतना सारा दारू क्यों डाला? क्या मुझे नशे में करके मेरी गाँड मारना चाहते हो?”

ये सुनकर सब खिलखिला उठे. और फिर बाथरूम में जाकर नहाकर, अपने कपडे पहनने लगे. कुछ ही देर में वे सब संभ्रांत व्यक्तियों की तरह शाम के नाश्ते के लिए डाइनिंग रूम की और बढ़ गए.

उनके पीछे, सहायकों ने कमरे को साफ किया और सभी उपयोग किये हुए बिस्तरों को हटाकर नए लगा दिए. २० मिनट में वो कमरा पहले जैसा ही हो गया था.

नाश्ते के समय यूँ ही हल्की फुल्की बातें चलती रहीं. समर्थ और सिमरन में आँखों से कुछ बात हुई. समर्थ और सिमरन कुछ देर के लिए गायब हो गए. उन्होंने प्रयास तो किया कि किसी को समझ न आये पर इतने चतुर लोगों से वो बच न पाए. जब कुछ देर बाद सिमरन आयी तो उसकी चाल बदली हुई थी. शोनाली ने उसे देखकर आंख मारी तो सिमरन भी मुस्कुरा दी. समर्थ भी कुछ ही देर में आ गए. सब उनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगे.

समर्थ: “बेचारी, सुबह से काम में लगी थी. देखा तो सोचा थोड़ी उसकी मालिश कर दूँ.”
शीला: “अंदर बाहर दोनों से मसला लगता है. कैसी थी?”
समर्थ: “जैसे पुरानी शराब.”
सब लोग हंसने लगे.

यूँ ही शाम के ७ बज गए. पार्थ ने पूछा कि कौन क्या लेगा. सबने अपनी पसंद की ड्रिंक बता दी. उसके साथ ही सिमरन ने खाने के लिए भी भेज दिया. इस समय दोनों परिवार बिल्कुल एक ही लग रहे थे.

समर्थ: “मुझे ख़ुशी है कि हम लोग एक दूसरे से इतने जल्दी स्वाभाविक हो गए.”
जॉय: “बाबूजी, इसके लिए आपका और माँ जी का बहुत श्रेय है. “
समर्थ: "हम बुजुर्गों का काम भी यही होता है."

शाम ८. ३० तक यही सब चलता रहा उसके बाद सबने खाना खाया और कुछ देर के लिए बाहर लॉन में बैठ गए.

सुप्रिया: “अब रात के लिए मैंने ये जोड़े तय किये हैं. सब अपने कमरे में ही रहेंगें। इससे उन्हें अलग से बात करने का समय भी मिलेगा.

१, निखिल और सागरिका: इन्हें जीवन साथ बिताना है, इसीलिए अच्छा हो जो एक दूसरे से पूछना हो पूछ लें.
२. माँ जी और जॉय: अब जब ये समधन से अंतरंग हो चुके हैं तो उसकी माँ से भी मिल लें.
३. पापा और शोनाली: अब बेटी की माँ का भी नाप देख लें.
४. सुमति और नितिन: अब ये दो भाई हर मिठाई को बांटते है.
५. पार्थ और मैं: क्यूंकि मैं इसकी शक्ति और विवेक दोनों से अचंभित हूँ.

सब ने अपनी सहमति जताई और उठने लगे. तभी पार्थ ने समर्थ से कुछ बात करने के लिए एक ओर बुलाया. जब बात पूरी हो गई तो समर्थ के हाव भाव से लग रहा था कि वो सहमत है. बात समाप्त होने पर पार्थ ने शोनाली को थम्ब्स अप का इशारा किया. शोनाली और पार्थ ने समर्थ और सुप्रिया से कुछ समय माँगा और एक ओर चले गए. लगभग १५ मिनट में वे लोग वापिस आ गए. तब तक बाकी सब अपने कमरों में जा चुके थे. ये चारों भी अपने कमरों में चले गए.
कैसे कैसे परिवार Running......बदनसीब रण्डी Running......बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत Running...... मेरी भाभी माँ Running......घरेलू चुते और मोटे लंड Running......बारूद का ढेर ......Najayaz complete......Shikari Ki Bimari complete......दो कतरे आंसू complete......अभिशाप (लांछन )......क्रेजी ज़िंदगी(थ्रिलर)......गंदी गंदी कहानियाँ......हादसे की एक रात(थ्रिलर)......कौन जीता कौन हारा(थ्रिलर)......सीक्रेट एजेंट (थ्रिलर).....वारिस (थ्रिलर).....कत्ल की पहेली (थ्रिलर).....अलफांसे की शादी (थ्रिलर)........विश्‍वासघात (थ्रिलर)...... मेरे हाथ मेरे हथियार (थ्रिलर)......नाइट क्लब (थ्रिलर)......एक खून और (थ्रिलर)......नज़मा का कामुक सफर......यादगार यात्रा बहन के साथ......नक़ली नाक (थ्रिलर) ......जहन्नुम की अप्सरा (थ्रिलर) ......फरीदी और लियोनार्ड (थ्रिलर) ......औरत फ़रोश का हत्यारा (थ्रिलर) ......दिलेर मुजरिम (थ्रिलर) ......विक्षिप्त हत्यारा (थ्रिलर) ......माँ का मायका ......नसीब मेरा दुश्मन (थ्रिलर)......विधवा का पति (थ्रिलर) ..........नीला स्कार्फ़ (रोमांस)
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