Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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चाची अपने सामने की दिवार पर हाथ लगाकर खड़ी थी..धक्का इतना तेज था की वो लगभग उस दिवार की टाईल्स के ऊपर चिपक सी गयी...उनके मोटे मुम्मे दिवार के ऊपर फिसल से रहे थे.. "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....धीरे.......करो....अह्ह्ह्ह.......पिताजी..."
मैं : "आप ने ही तो कहा था न की आप कुतिया की तरह से चुदना चाहती हैं....तो अब चुदो...."
चाची : "हाँ....चोदो मुझे....पिताजी....चोदो अपनी बहु को...."
वो रोल प्ले करने में अभी तक लगी हुई थी, उन्हें क्या मालुम था की अपना रोल अब दादाजी खुद निभा रहे हैं, अपना लंड उनकी चूत के अन्दर डालकर... अभी तक तो आधा ही लंड गया था चाची की चूत में, जब पूरा जाएगा तब उन्हें मालुम चलेगा की उनकी चुदाई कौन कर रहा है..
दादाजी ने हाथ आगे करके चाची के लटकते हुए खरबूजे अपने हाथो में मसले और उनकी कमर से अपनी छाती को चिपका कर एक और तेज धक्का मारा.. दादाजी को अपना लम्बा लंड चाची की चूत में डालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही थी..दादाजी के इस झटके से तो चाची के दोनों पैर हवा में उठ गए और वो दादाजी के हाथो में झूल सी गयी...और दादाजी ने अपना लम्बा लंड उनकी चूत में थोडा और अन्दर डाल दिया...
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्मम्मम्म........ येस्स्स्सस्स्स्स ......."
दादाजी के आगे चाची किसी बकरी की तरह से लग रही थी और दादाजी उसे किसी शेर की तरह से दबोच कर उसका शिकार कर रहे थे...चाची ने अपना सर पीछे किया और उसे दादाजी के कंधे पर रख दिया... दादाजी ने अब अपने मजबूत हाथो से चाची को हवा में उठा रखा था और अब उनके लंड को चाची की चूत साफ़ दिखाई दे रही थी , उन्होंने अपनी कमर को कमान की तरह पीछे की और टेड़ा किया और चाची को लगभग अपने पेट पर लिटा सा लिया..और फिर उन्होंने एक और करार शोट मारा..
"अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.......ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....मर्र्र्रर्र्र गयी......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ....."
अब शायद उन्हें एहसास होने लगा था की वो मेरा लंड नहीं है... उन्होंने पीछे मुड़ने की कोशिश की...पर दादाजी ने अपने मजबूत हाथो से उनके कंधे पकडे हुए थे इसलिए वो मुड़ न पायी...दादाजी ने अब चाची को नीचे जमीन पर उतार दिया..
उनके उतारते ही चाची ने जबरदस्ती अपनी चूत से उनका लंड बाहर निकाल दिया और एकदम से पीछे की तरफ मुड़ी..उनके मुड़ते ही दादाजी ने ग़जब की फुर्ती दिखाई और चाची की गांड में हाथ डालकर उन्हें ऊपर अपनी गोद में उठा लिया..
चाची ने जैसे ही दादाजी को अपने पीछे देखा तो उनका चेहरा फक्क पड़ गया..दादाजी के पीछे मैं नंगा खड़ा होकर अपने लंड को मसल रहा था..
चाची का मुंह खुला का खुला रह गया, वो कुछ कहना चाहती थी पर उनके मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था..वो कभी मुझे और कभी दादाजी को देख रही थी..और फिर उनके मुंह से निकला : "पिताजी......आआआप्प्प.......यहाँ.......ये सब....कैसे......क्या हो रहा हैईईईईईईईईईई.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .."
उनके आखिरी अल्फाज मुंह में ही अटक कर रह गए...क्योंकि दादाजी ने चाची की टाँगे अपनी कमर पर लपेट कर उन्हें अपने खड़े हुए लंड के ऊपर विराजमान करवा लिया था...
चूत और लंड तो पहले से ही मिल चुके थे..इसलिए ज्यादा कठिनाई नहीं हुई..पर उनके लंड के सुपाड़े ने अन्दर जाकर चाची की चूत के तहखाने के वो दरवाजे भी खोल डाले जहाँ आज तक कोई नहीं गया था...असल मायने में दादाजी का लंड अब जाकर पूरा उनकी चूत में घुसा था..
चाची तो दर्द के मारे दोहरी सी होकर अपने ससुर से लिपट गयी, और उनकी गर्दन के चारों तरफ अपनी मोटी बाहें लपेट कर अपने मुम्मे उनकी छाती से रगड़ने लगी...उनकी आँखों से आंसू बहने लगे थे..
दादाजी : "बस बहु....हो गया....सब ठीक हो जाएगा बेटा...चुप हो जा....चुप हो जा...बहु..पुच पुच..." और उन्होंने अपनी बहु के कानो वाले हिस्से पर अपनी मोटे और लटके हुए होंठो से चूमना शुरू कर दिया..
लम्बे लंड की चुभन भी अब मीठे एहसास में बदलती जा रही थी और ऊपर से दादाजी ने शायद उनके सेंसेटिव हिस्से यानी कानो के ऊपर जब चूमा तो उन्होंने अपनी कमर को हवा में ही हिला हिलाकर दादाजी के लंड को अपनी चूत के ऊपर अच्छी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया..
उनकी बहु पर भी अब दादाजी के लंड का नशा चढ़ चूका था, वो तो पहले से ही उनके लंड से चुदने के सपने देख रही थी पर उन्हें क्या मालुम था की मैं ऐसी प्लानिंग करके उन्हें दादाजी के लंड के ऊपर बिठा दूंगा...
उनकी आँखों में देखकर और उनके चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर साफ़ पता चल रहा था की उन्हें बड़ा मजा आ रहा है..बस शर्म के मारे वो बोल नहीं पा रही है...
आज शायद पहली बार वो अपने ससुर के सामने बिना सर पर पल्लू डाले खड़ी थी..पल्लू तो क्या आज उनके पास कुछ भी नहीं था अपने नंगे बदन को छुपाने के लिए...उन्होंने सर झुका रखा था पर अन्दर से उठ रही तरंगो की वजह से अपने मुंह से निकलने वाली गर्म आँहें नहीं दबा पा रही थी.. "अह्ह्हह्ह....ओऊ .....म्मम्मम्म.....म्मम्मम....ओह्ह्ह्ह .ओह्ह ..ओफ्फ्फ ....म्मम्म..."
दादाजी : "बहु ...बोल मजा आ रहा है...ना....अहह...बोल न...बेटा....मजा आ रहा है...अपने ससुर के लंड से चुदकर....बोल...."
दादाजी की बात का जवाब उनकी बहु ने कुछ इस तरह से दिया की मैं भी हैरान रह गया की एक ही बार में कैसे उनकी शर्म उतर गयी.. उन्होंने दादाजी के चेहरे को अपने नाजुक हाथों से पकड़ा...और उनके मोटे और भद्दे होंठो पर अपने नाजुक और गुलाबी होंठ रखकर रगड़ सा दिया...मेरा लंड तो उनकी इस रंडी वाली हरकत को देखकर फटने वाली हालत में हो गया..
उन्होंने अपने जीभ निकाली और हवा में ऊपर उठ गयी, जिसकी वजह से चाची की चूत से दादाजी का लंड बाहर निकल गया ..और उनका चेहरा ऊपर से नीचे की और चाटते हुए आई और उनके लंड को अपनी चूत में फिर से ले गयी..
josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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उन्होंने ये कसरत लगभग 8 -10 बार की और हर बार नीचे जाते हुए जब उनकी चूत दादाजी के लंड को निगलती तो उनके मुंह से अजीब सी आवाजें फूटने लगती.. "अह्ह्हह्ह... पिताजी.... म्मम्म..... चो....चोदो,....... अह्ह्ह....ह्म्म्मम्म.......उग्ग्ग्गग्ग .....इफ्फफ्फ्फ्फ़......ऊऊऊ... ..म्मम्मम्म......अह्ह्हह्ह्ह्ह ....हन्न्न्नन्न ....अह्ह्ह्ह.....येस्सस्सस्स.....ऐसे ही........और.......और अन्दर.....पिताजी........और अन्दर..... तक" और उनके पिताजी यानि ससुर साहब अपनी छोटी बहु की बात कैसे टालते, अब तो उन्होंने भी नीचे से अपने लंड को ऊपर की तरफ उछालना शुरू कर दिया...
चाची नीचे आती और दादाजी के लंड के प्रहार से फिर से ऊपर उछल जाती....फिर नीचे आती और फिर ऊपर उछल जाती.... "ओह्ह्ह पिताजी.......अह्ह्ह्ह.....मजा आ रहा है......कहाँ थे आप पहले......क्यों नहीं चोदा मुझे पहले....आपने.....अह्ह्ह्ह. ....मेरी चूत में आपका लंड कितना मजा दे रहा है.... म्मम्मम...... ओह्ह्ह........मर्र्र्रर गयी रे....अह्ह्ह..... अपनी बहु को कितना तरसाया है आपने.........अब चोदो मुझे ....अच्छी तरह से चोदो .........तेज.....और तेज.....हाsssss हाsssss हा स्सस्सस्स हाssssss हाssssss हाsssssss ..आआह्ह्ह्ह ....मैं तो गयी......मैं गयी पिताजी....मैं तो गयी...."
अपनी बहु की करुण पुकार सुनकर दादाजी के लंड ने भी बहु के साथ-२ झड़ना शुरू कर दिया...अपनी छोटी बहु को हवा में ही चोद डाला था आज दादाजी ने... उनकी बाजुओं का बल देखकर चाची काफी प्रभावित सी दिख रही थी...चाची उनकी गोद ने नीचे उतर गयी...उनके उतरते ही चाची की चूत से दादाजी का रस निकल कर दादाजी की टांगो पर लिपटकर नीचे की और बहने लगा...
चाची ने नीचे उतर कर बड़े आदर के साथ अपने ससुर के पैर छुए और उनके घुटनों के ऊपर अपनी जीभ लगाकर वहां से बहकर नीचे की और जा रहा अमृत पीने लगी...
दादाजी के बुडढे़ शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी..चाची अपनी जीभ से उनका रस चाटती हुई ऊपर की और आ रही थी...और अंत में जैसे ही उनके लंड तक पहुंची उन्होंने बिना किसी चेतावनी के उसे किसी बिल्ली की तरह से दबोच लिया और पूरा निगल गयी..
दादाजी के मुंह से दर्द भरी सिसकारी सी निकल गयी...
"अह्ह्ह्हह्ह ....बहु......धीरे....धीरे....करो...."
पर बहु कहाँ माने वाली थी, उसके हाथ तो जैसे अलादीन का लंड आ गया हो, जिसे वो जब चाहे और जैसे चाहे ले सकती है...उसने उसे बड़ी तेजी से चाटना शुरू कर दिया....
अपनी बहु का अथाह प्यार पाकर दादाजी के लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी....जिसे देखकर चाची की नजरों में फिर से चमक आने लगी..और वो और तेजी से उसे चूसने लगी..
फिर वो खड़ी हो गयी...और दाजी के लंड को खींच कर उनसे बोली : "चलो पिताजी...अन्दर चले...यहाँ ज्यादा मजा नहीं आ रहा..."
दादाजी: "अन्दर...पर बेटा वो...अन्दर तो...अजय...होगा न.."
चाची : "तो क्या हुआ...वो कोनसा अन्दर पूजा पाठ कर रहे हैं...अपनी बेटी और भतीजी को ही चोद रहे हैं वो....मैं भी अब उनके सामने उनके पिताजी से चुदकर दिखाउंगी....चलो न...पिताजी...आशु तू ही बोल न पिताजी को..."
मैं क्या कहता, मेरा लंड तो पहले से ही सूज कर पर्पल कलर का हो चूका था...
मैं : "चलो दादाजी...कुछ नहीं होता...एक दिन तो आपको चाचू के सामने ये सब करना ही है...जैसा पापा के सामने आपने मम्मी को चोदा , अब चाचू के सामने आप चाची को चोदो..."
चाची मेरी और दादाजी की बात सुनकर समझ गयी की हमारे घर पर दादाजी पहले ही अपने लंड के कारनामे दिखा चुके हैं..
अब दादाजी कुछ न बोले और चाची ने एक हाथ से दादाजी का लंड और दुसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा और हमें घसीटते हुए अन्दर बेडरूम की और ले गयी.
अन्दर का नजारा बड़ा ही गर्म था...
नेहा नीचे लेटी हुई थी और अजय चाचू उसकी चूत को चाटने में इतने मशगूल थे की उन्हें हमारे अन्दर आने का एहसास ही नहीं हुआ...और ऋतू नेहा के मुंह के ऊपर बैठी हुई उससे अपनी चूत चुसवा रही थी..पुरे कमरे में सिर्फ ऋतू की लम्बी सिस्कारियों की आवाज आ रही थी..
ऋतू ने हमें अन्दर आते हुए देख लिया और मुस्कुरा कर और तेजी से सिस्कारिया मारने लगी. "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......नेहा......चूस साली.....मेरी चूत के रस को पीजा हरामजादी....साली रंडी कहीं की...अपने बाप से चूत चुसवा रही है....वैसे ही चूस जैसे तेरा बाप तेरी चूत चूस रहा है...अह्ह्ह्ह......पी जा.....अह्ह्ह....."
अपनी दोनों पोतियों को अपने छोटे बेटे के साथ मजे लेता देखकर दादाजी को भी जोश आ गया, उन्होंने बहु को अपने बेटे के साथ ही बेड के ऊपर पटका ...और उसकी दोनों टाँगे हवा में उठाकर अपना बल खाता हुआ पाईप जैसा लंड उनकी चूत के ऊपर रखकर अन्दर पेल दिया..
josef
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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अब चीखने की बारी चाची की थी...वो अभी -२ दादाजी के लंड से चुदकर आई थी...और उनकी चूत के अन्दर अभी भी दादाजी के रस के कुछ निशान थे... पर दादाजी के लंड का प्रहार इतना जोरदार था की वो मोटा लंड उनकी चूत की दीवारों से टकराकर उन्हें तकलीफ पहुंचाता हुआ फिर से अन्दर जाकर उनके गर्भ से जा टकराया और चाची के मुंह से इतनी भयानक चीख निकली मानो किसी ने उनकी चूत में पेट्रोल डालकर आग लगा दी हो...
"आआआआआआह्ह ......पिताजी........मार डाला.....धीरे......धीरे करो....पिताजी.....मर जाउंगी मैं.....प्लीईईईएस्स... .पिताजी...."
अपनी पत्नी की आवाज सुनकर अजय चाचू ने अपनी बेटी की चूत से मुंह निकला और साथ में चुद रही अपनी पत्नी को देखा...और उसके मुंह से पिताजी सुनकर उन्होंने पीछे की तरफ देखा...
अपने बाप को सामने देखकर उनके चेहरे की रंगत ही बदल गयी...उनके खड़े हुए लंड का कडकपन एक ही पल में गायब हो गया..उनका सगा बाप, उनके ही सामने, अजय चाचू की पत्नी यानी आरती चाची को चोद रहा था.....
ये क्या हो रहा है...पर वो कुछ कहने की हालत में नहीं थे...क्योंकि वो भी तो अपनी बेटी की चूत चाट रहे थे...और उनकी भतीजी भी नंगी होकर उनके साथ मजे ले रही थी... पर आरती चाची , अपनी दोनों छातियों को पकड़कर, अपने पति की आँखों में देखते हुए, और मुस्कुराते हुए, चीखने लगी..
"अह्ह्हह्ह.....चोदो....पिताजी....अपने लम्बे लंड से आज अपनी बहु को चोदो.......अह्ह्ह्ह....क्या लंड है आपका....मजा आ गया....
आपके दोनों बेटो का लंड भी काफी दमदार है....और आपके पोते का भी....म्मम्म.....क्या खाकर आपने इतने शानदार लंड पैदा करे पिताजी....आपके लंड से निकले हैं ये सब.....अह्ह्ह......ओघ्ह्ह्हह्ह....."
अपनी पत्नी की बाते सुनकर चाचू के मुरझाये हुए लंड में फिर से तनाव आने लगा ..अपनी बेटी, भतीजी और भाभी की तो वो पहले ही मार चुके थे...सिर्फ दादाजी के अलावा पुरे खानदान में सभी एक दुसरे के साथ चुदाई कर चुके थे... और अब दादाजी को भी अपने खेल में शामिल पाकर अजय चाचू का डर निकलने लगा...और अपनी पत्नी को अपने ससुर की सेवा करते देखकर उनके लंड ने भी मचलना शुरू कर दिया... और उन्होंने सामने लेटी हुई अपनी प्यारी बेटी नेहा की टांगो को पकड़ा और अपने पिताजी के साथ ही कंधे से कन्धा मिलकर खड़े होकर उन्होंने भी नेहा की चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया....
नेहा के मुंह के ऊपर बैठी हुई ऋतू भी उतर कर चाची की बगल में लेट गयी और मैं भी लंड के बल उसकी चूत में डुबकी लगा गया.... अब बीच में दादाजी और उनके दोनों तरफ मैं और चाचू, नीचे लेटी हुई ऋतू, चाची और नेहा को बुरी तरह से चोद रहे थे...
उन तीनो के हिलते हुए मुम्मे हर झटके से ऊपर नीचे होते ....और सभी के मुंह से मस्ती भरी सिस्कारियां निकल रही थी...
चाची : "अह्ह्हह्ह्ह्ह .....मम्म ...पिताजी......मार डालोगे आप तो....अह्ह्ह्ह.....धीरे करो न.....अह्ह्हह्ह.......अन्दर हां....तक.....अह्ह्ह.....ऐसे ही.....म्मम्मम्म "
ऋतू : "भैय्या......चोदो मुझे.......बड़ी देर से मेरी चूत को चाटकर नेहा ने उसमे आग लगा दी है....अह्ह्ह......चोदो अपने मुसल लंड से....अह्ह्ह.......भेन चोद ...डाल अपना मोटा लंड....मेरी चूत में.....अह्ह्ह.....येस्स्स्स येस्स्स्स....येस्स्स्स....मम्म "
नेहा : "ओह्ह्हह्ह पापा.....म्मम्मम........मेरी चूत को चाटकर आपने जो आग लगायी है...उसे जल्दी बुझाओ....प्लीईस.... ..अभी दादाजी ने चोदा है मुझे.....उनका रस भी वही है मेरी चूत में......अपने लंड को और अन्दर डालकर उनके रस में भिगोकर चोदो मुझे.....और तेज चोदो......अह्ह्ह्ह.....अह्ह्ह्ह ...हां.....ऐसे ही......अह्ह्ह्ह..पापा....ओह पापा.....आई लव यु पापा.....,,,,"
उन सबकी प्यार भरी बाते सुनकर हम तीनो के लंड से एक साथ रस की बारिश सी होने लगी..
अपने नीचे पड़ी हुई चूतों के अन्दर आने वाले सेलाब की वजह से पुरे पलंग के ऊपर गिलापन आ गया....
उसके बाद तीनो ने हमारे लंड को चूसकर और चाटकर साफ़ किया...और फिर रात भर और अगले दिन भी चुदाई का ऐसा दोर चला की ऋतू, चाची और नेहा की चूत के सारे स्प्रिंग ढीले करने के बाद ही हमने दम लिया...
अगले दिन, शाम को हम सभी चाचू, चाची और नेहा से विदा लेकर गाँव की और चल दिए...गाँव का रास्ता 3 घंटे का था वहां से..हम लगभग रात के 11 बजे वहां पहुंचे.
*****
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Re: Incest लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

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Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.

Keep going

We will wait for next update
(^^^-1$i7)
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